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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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ननद के बेटे से नशे में जोरदार चुदाई




नमस्कार प्यारे दोस्तो,
मैं किरण … मैं 48 साल की पेशे से एक शिक्षिका शादीशुदा और दो बच्चों की मां लेकिन एक शानदार जिस्म की मालकिन और भरे हुए मांसल शरीर की औरत हूँ।

मेरे फिगर के बारे में बताऊं … उसके पहले आप यह जान लें कि मैं इतने भड़काऊ शरीर और खूबसूरत हुस्न की मालकिन हूँ कि मेरा अपना बेटा मुझे चोदने की ख्वाहिश रखता है।

मेरी लम्बाई थोड़ी कम है, रंग एकदम गोरा, स्तन 38″ के ऐसे भरे पूरे हैं कि हमेशा मेरे ब्लाउज से बाहर निकले रहते हैं जिन्हें देखकर हर नौजवान का लण्ड सलामी देने लगता है। मेरी कमर और पेट एकदम गोल है और गाण्ड हल्की सी ही बाहर निकली हुई है क्योंकि मेरी कमर ज्यादा पतली नहीं है.

लेकिन मेरी जांघें पतली और एकदम चिकनी गोरी है जिससे गाण्ड का आकार एकदम गोल मटोल दिखता है।
मेरी नाभि गहरी है और चूत काफी लम्बी और फूली हुई है।
पेट ज्यादा बाहर लटका हुआ नहीं है इसलिए नाभि और चूत के बीच का हिस्सा नाभि के नीचे से ढलान लेते हुये चूत तक जाता है।

आशा करती हूं आपको मेरे बारे में एक अच्छा खासा अंदाजा हो गया होगा।

अब मैं आप सबका मेरी इस कहानी में स्वागत करती हूँ जो कि मेरी जिंदगी की एक सच्ची कहानी है।

नंगी मामी की गांड चूत का मजा वाली बात 5-6 साल पुरानी है।

मेरी ननद का बेटा मनोज जिसकी उम्र तब 32 साल थी, हमारे घर आया था।
वैसे तो मनोज मुझसे काफी छोटा है, तब भी हमारे यहाँ बेटी के ससुराल वालों को, छोटे बड़े सभी को आदर से बुलाते हैं.

दरअसल मेरी दूसरी ननद के घर पर फंक्शन था।

सब लोग जा चुके थे, मुझे कुछ जरूरी काम की वजह से मैं सबके साथ नहीं जा पाई।
इसलिए मुझे मनोज जी का काल आया कि मामीजी आप मेरे साथ चल चलना. मैं अभी रवाना होने वाला हूँ घर से!

मनोज जी को मेरे बेटे ने बता दिया था फोन करके- भैया, आप आओगे यहां तो मम्मी को भी लेते आना।
क्योंकि मनोज जी ने हमारे गांव होकर ही जाना था।

शाम को मैं स्कूल से आयी।
घर पर कोई नहीं था।

मैं जल्दी से हाथ पैर मुंह धोकर कपड़े बदलने लगी क्योंकि मनोज जी बस आने वाले थे।

मैंने साड़ी उतार दी, ब्लाउज भी खोल दिया, सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में थी और पेटीकोट बदलने के लिए मैंने एक पेटीकोट सिर से उपर से डाला हुआ था।
फिर मैंने अपने पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया जिससे झट से मेरा पेटीकोट नीचे गिर गया और दूसरा पेटीकोट बस गले में अटका हुआ था।

मैंने सामने दर्पण की ओर मुंह किया तो देखा पीछे मनोज आ गये थे।
दरअसल मैं गेट लॉक करना भूल गयी थी और ऐन वक्त पर मनोज जी आ गये।

मैंने नीचे इस वक्त कुछ नहीं पहना था।
मनोज जी की नजरे सीधी मेरी गोल मटोल भरी भरी गाण्ड पर टिकी रह गई।

मुझे भी समझ नहीं आया क्या करूं और झट से अपना पेटीकोट गले से नीचे सरका लिया।
अब मैं पेटीकोट और ब्रा में खड़ी थी.

तब तक उन्होंने भी अपनी जगह बदल ली थी और अब वे मेरे सामने से हट चुके थे।
मैं शर्म से पानी पानी हो गई लेकिन एक जवान हट्टे खट्टे मर्द के सामने नंगी खड़ी होने से एक बार तो मन में एक बिजली सी दौड़ गयी।

फिर मैं जल्द से साड़ी पहन कर मनोज जी के सामने गयी।
उन्होंने भी खड़े होकर सब कुछ नजर अंदाज करते हुए मेरे पैर छुए।

फिर हम बाते करने लगे और मैं तैयार होने लगी।
मैंने मेकअप किया और सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक लगायी।

मनोज जी मुझे देखे जा रहे थे, उन्हें लग रहा था कि जिन मामी को अभी नंगी देखा था वे अब और ज्यादा सेक्सी लग रही थी।

मैंने चाय की पूछा तो उन्होंने मना करते हुए कहा- मैं तो बीयर पीउंगा जो मैं अपने साथ लेकर आया हूँ. तब तक आप तैयार हो जाइए।

वे जाकर कार से अपनी बीयर निकाल लाए और अन्दर आकर पीने लगे।

दरअसल हमारे परिवार में शराब को लेकर ज्यादा रोक टोक नहीं है।

तभी उन्होंने मुझे भी पीने को कहा.
लेकिन मैंने मना कर दिया।

फिर उन्होंने जिद की तो एक गिलास में मैंने भी ले लिया और पीने लगी।
मैंने इसलिए पी क्योंकि आज मनोज जी के सामने इस तरह गलती से ही सही लेकिन नंगी हो जाने के कारण मुझे एक करंट सा लगा।

अभी भी हम दोनों घर में अकेले थे इसीलिए मेरे मन में थोड़ा-बहुत एक गैर मर्द के साथ होने का सहमा सहमा सा करंटदार उत्साह था।

बातों ही बातों में मनोज जी बोले- मामी जी, आपकी उम्र जितनी है उतनी लगती नहीं हैं। आप अभी भी बहुत जवान लगती हो।
मैं समझ गयी कि ये मेरे जिस्म की बात कर रहे हैं।
पर मैंने इस पर कुछ नहीं कहा क्योंकि आज पता नहीं मुझमें भी एक जवानी का सा जोश था तभी तो अभी उनके साथ बैठी थी।

मुझे इस तरह आराम से खुशी से बैठा देख उनकी भी हिम्मत बढ़ी और उन्होंने मुझे पैर से टच किया।
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया क्योंकि आज मुझे भी कुछ हो रहा था।

तभी उन्होंने एक ग्लास और बना दिया।
मैंने झूठे मन से मना करते हुए गिलास पकड़ लिया और एक-दो घूंट में ही गटक गयी।

अब मुझे थोड़ा-बहुत नशा आने लगा था।

फिर मनोज जी ने मुझे एक ग्लास की और पीने की बात की लेकिन मैंने मना कर दिया।
पर वे जिद करने लगे और मेरे हाथ से गिलास छीनने लगे.

और इसी बीच उनका हाथ मेरे बूब्स से टच हो गया।
मैं सिरह उठी।

उन्होंने भी हिम्मत करते हुए एक बार मेरे बूब्स को जरा सा दबा दिया कुछ ऐसे कि जैसे गलती से हुआ हो।

पर मैं अब समझ चुकी थी कि वे भी अपनी मामी के गदराये हुए जिस्म के नशे में उतर चुके हैं।
तभी मनोज जी तीसरा पेग बनाकर अबकी बार अपने हाथों से ही मेरे मुँह से लगा दिया।

धीरे धीरे पीते हुए मैं उनकी आंखो में देखने लगी और देखती ही रही.
बस वे समझ गये कि मैं तैयार हूँ।

मैंने भी उनका हाथ अपने हाथ से दबाकर पैग को खत्म कर दिया लेकिन हाथ नहीं छोड़ा।

बस अब उन्हें पक्का इशारा मिल चुका था।
बिना कुछ कहे हम बहुत कुछ समझ गये।

उन्होंने झट से मुझे कस के पकड़ लिया और मैं उठ खड़ी हुई।

एक तगड़े मर्द की बाहों में आकर मैं मदहोश हो गयी।
उन्होंने मुझे दीवार से सटा दिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

मैं भी अब उनका साथ देने लगी।
आखिर हर ढलती उम्र की औरत की ख्वाहिश होती है एक नौजवान लण्ड से चुदकर वापस जवानी जीने की।

तभी मैंने कहा- दरवाजा बंद कर दो।

फिर वे वापस आये तो मैं बैड पर लेटी हुई थी।
एकदम वासना को न्योता देती मैं कोई खूबसूरत गदराई वेश्या जैसी लग रही थी और ऊपर से मैं सज धज कर तैयार भी थी।

मुझे नहीं पता था कि आज मैं फंक्शन में जाने के लिए नहीं बल्कि अपनी ननद के बेटे के साथ चुदने के लिए तैयार हो रही हूँ।

मनोज जी आते ही मेरे ऊपर अपना आखिरी पैग पीकर चढ़ गये।
वे मुझे देखकर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुके थे और मैं उन्हें देखकर!

हम एक दूसरे के होंठ चूमने लगे।
वे मेरे उरोज दबा रहे थे जोरों से और मैं मानो जवान मर्द से चुदने की अपनी तमन्ना पूरी होने से खुश थी .. वो भी अपने ही घर में एक भरोसेमंद मर्द के साथ!

अब मनोज जी ने मेरा ब्लाउज खोल फेंका और एक हाथ से ब्रा ऐसी खींची कि हुक तक टूट गये।

अब मेरे दोनों बड़े बड़े कबूतर पिंजरे से आजाद होकर एक मर्द के हाथों में थे जो मेरे बेटे जैसा था।
वे भेड़िए की तरह उन्हें नोचने लगे।

दरअसल यह मैंने पहले ही सोच लिया था कि मनोज जी मेरी चुदाई एक जानवर की तरह करेंगे तभी तो मैंने आज उन्हें इतना मौका दिया।

इसके बाद मनोज जी के कड़क लण्ड को मैंने अपने हाथ से छुआ जो बहुत देर से मुझे आमन्त्रण दे रहा था चुभ चुभ कर!
वे समझ गये कि अब मामी को क्या चाहिए।

उन्होंने झट से अपनी पैन्ट खोल दी और घुटने के बल बैठ गये और मुझे कहा- मामी जी घोड़ी बनो।

मैंने झट से अपने भानजे की बात मानी और लटकते हुए बोबों के साथ घोड़ी बन गयी और किसी बड़ी रण्डी की तरह मनोज जी का लण्ड लपक के मुंह में ले लिया।
मनोज जी ने भी सिर दबाकर पूरा लंड अंदर गले तक डालते हुए कहा- मामी जी कमसिन लड़कियों की तरह टोपा टोपा क्या चूस रही हो, 40 साल की अनुभवी औरत की तरह हलक तक लो लण्ड!

फिर उन्होंने बची हुई साड़ी भी खोलते हुए मुझे घोड़ी बने हुए ही पीछे घुमा दिया और मेरा पेटीकोट खोलने के बजाय ऊपर सरका दिया।

अब पुनः वही गाण्ड उनके सामने थी जिसे गलती से एक घण्टे पहले उन्होंने देख लिया था।
फिर एक असली मर्द की तरह मेरे गुप्तांगों पर अपनी जीभ रख दी।

वे कभी चूत तो कभी मेरे गाण्ड के छेद को चाटने लगे।
मैं सातवें आसमान पर थी।

मैंने कभी नहीं सोचा था कि कभी इस उम्र में भी कोई नौजवान लड़का मेरी चूत चाटेगा।
अब मैंने अपना रस छोड़ दिया और मनोज जी का सिर अपने भोसड़े में दबा दिया।

फिर वे अपनी गर्म मामी की मलाई चाटने के बाद कहने लगे- मामी जी, आपका तो निकल गया, अब मेरी बारी है।
मैंने कहा- मेरे राजा, आज ये मामी तेरी रखैल है, रण्डी है. मेरी चूत को चकनाचूर कर के मेरी जवान लण्ड से ठुकने की तमन्ना पूरी कर दे।

यह कहते ही उसने जोश मैं आकर मेरी गाण्ड पर चांटे मारने शुरू कर दिए और अपनी बेल्ट निकालकर उससे तीन चार बार मेरी गांड पर पट पट मारा।
मैं समझ चुकी थी कि मुझे वैसी ही चुदाई मिलेगी जैसी चाहिए थी, जंगली भेड़िये जैसी।

अब मेरी गांड लाल हो चुकी थी.

फिर मनोज जी ने मेरी चूत पर अपना थूक लगाया अपने मुंह से … और मैं समझ गयी कि मेरी आबरू अब लुटने वाली है।
झट से मनोज जी ने अपना मूसल जैसा 7 इन्च का खीरा जितना मोटा लण्ड मेरी चुद चुद कर भोसड़ा बन चुकी चूत में घुसेड़ दिया।
और मैं जल बिन मछली जैसी तड़प उठी क्योंकि 4-5 लण्ड पहले भी लिए हैं लेकिन ऐसा मूसल जैसा लण्ड आज तक नहीं झेला।

“आह हह अहह उफ … मनोज जी … चोदो अपनी रण्डी मामी जी को …मनोज जी … धीरे पेलो … मेरी चूत फट गयी. ऊई ईईई माँ … आहह … हहह मनोज जी रहम करो!”
“मामी जी आज कोई रहम नहीं होगा, आज बस आपकी चूत में मेरी बुलेट ट्रेन चलेगी … उफ रण्डी मामी जी!”

उसके बाद 3 बार मनोज जी ने मेरी चुदाई की जिसमें से एक बार मेरे प्यारे मनोज जी ने मेरी गाण्ड भी मारी और ऐसा दर्द दिया कि जिंदगी भर के लिए चाल ही बदल दी।

आज भी 5 साल बाद भी मैं रोज सरसों के तेल से अपने कूल्हों पर मालिश करती हूँ, तब दिन निकलता है।

नंगी मामी की गांड चूत का मजा के बाद हम लोग फंक्शन में गये और रास्ते में एक बीयर दोनों ने पी।

मैंने कार में ही मनोज जी का लण्ड चूसा।

फिर वहाँ बाकी सब लोग तो उस रात रुक गये और मैं सुबह स्कूल जाने का बहाना लेकर खाना खाकर वापस आ गयी।
और फिर वापस पूरी रात मनोज जी ने मेरी लपक लपक कर चूत और गांड फाड़ी.
पूरी रात मेरे बेडरूम में बस यही स्वर गूंजते रहे- उफ्फ उअम्म म्म्म्म् म्म्म्म्म अअअअ आह हहह हहहह ओह हहह हह गुं गुं गुं उम्म फच्च फच्च फच्च!
 
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junglecouple1984

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चुदक्कड़ मामी की चूत मिली




दोस्तो, मैं सुनील.
कैसे हो आप सभी … आशा करता हूँ कि आप सब अच्छे ही होंगे.

मैं यहां बहुत टाइम से सेक्सी कहानी पढ़ रहा हूँ.
तो आज मैंने सोचा कि क्यों ना मैं भी अपनी आपबीती आप सभी को लिख कर सुनाऊं.

यह मेरी पहली सेक्स कहानी है.
देसी मामी चुदाई स्टोरी लिखने में अगर मुझसे लिखने में कुछ ग़लती हो जाए तो प्लीज़ उसे नज़रअंदाज़ कर सेक्स कहानी का आनन्द लें.

यह बात आज से 3 साल पहले की उस समय की है, जब मैंने 12वीं पास की थी.
उस वक्त मैं 18 साल का हो गया था और मेरी छोटी मामी, जिनकी चूत चुदाई की बात मैं इस कहानी में बता रहा हूँ, उनकी उम्र तब 27 साल थी.

आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ.
तब मैं एक सीधा सा लड़का था और मेरे लंड का साइज़ भी कुछ खास नहीं हुआ था, पर किसी भी छेद को खुश करने के लिए यह पर्याप्त आकार ले चुका था.

उस वक्त मुझे नहीं पता था कि मेरी मामी बहुत ही चुदक्कड़ थीं, वे हर टाइम चुदाई के बारे में ही सोचती थीं.
यह बात मुझे बाद में पता चली थी.

मैं थोड़ा सा अपनी मामी के बारे में भी बता देता हूँ.
उनकी फिगर साइज़ 36-32-38 की है और जब वे तैयार होकर चलती हैं, तो अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाता है.
उन पर बहुत सारे शोहदे किस्म के मर्द उनकी चूचियों और उभरी हुई गांड को देख देख कर कमेंट भी करते हैं, पर इन सब बातों से मामी नाराज नहीं होती हैं, उनको खुशी ही होती है.

मेरे बड़े मामा जी के लड़के की शादी थी तो हमारे परिवार के सभी लोग गए थे.

रात को बारात से वापस आने के बाद मैंने देखा कि बड़ी मामी के घर में सोने के लिए जगह नहीं है, तो मैं इन वाली चुदक्कड़ मामी के यहां सोने चला गया.

काफी रात हो गई थी.
जब मैं उनके घर गया और दरवाजा खटखटाया तो मामी ने ही दरवाजा खोला.

मुझको देखकर मामी बोलीं- आ गए बारात से, बड़ी देर कर दी.
मैंने कहा- हां मामी, उधर कुछ ज्यादा देर हो गई.

फिर मैंने उन्हें बताया- वहां सोने के लिए जगह नहीं थी तो मैंने सोचा कि आपके यहां सो जाऊंगा.
वे हंसने लगीं और बोलीं- लेकिन इधर भी सब फुल है.
मैं चुप हो गया.

तो उन्होंने कहा- देख लो इधर ही कहीं अड्जस्ट करके सो जाओ!

मुझको जगह नहीं मिली तो उन्होंने खुद ही कहा- अगर तुमको कोई दिक्कत नहीं हो, तो मेरे बेड पर मेरे साथ ही अड्जस्ट करके लेट जाओ!
तो मैं मामी के पास लेट गया.

वे ठंडी के दिन थे, हम दोनों एक ही रज़ाई में लेट गए.

मैं मामी की तरफ पीठ करके लेट गया था.
मामी के जिस्म की गरमाई से कुछ ही देर में मुझको नींद आने लगी थी.

अभी मैं कच्ची नींद में था; मैंने सुना कि मामी किसी से फोन पर बातें कर रही थीं.
शायद उन्हें लगा था कि मैं सो गया हूँ तो वे फोन पर कुछ गंदी बात कर रही थीं.

यह उनकी कोई सहेली थी.

मामी कह रही थीं- यार क्या बताऊं, चार महीने से नया माल नहीं मिला. पुराने से काम चलाना पड़ रहा है. वह भी कभी कभी ही मिलता है!

उधर से क्या बात हो रही थी, वह मुझे सुनाई नहीं दे रहा था.
मुझको सिर्फ मामी की आवाज़ आ रही थी.

ये सब सुन कर तो साली नींद भी गुम हो गई.
वे कह रही थीं- अब तो कोई जवान लंड चाहिए!
फिर मैंने सोने का नाटक करते हुए ही करवट ली और उनकी तरफ मुँह करके लेट गया.

थोड़ी देर में मैंने अपना एक हाथ उनके बूब्स पर रख दिया.
वे तो पहले से ही गर्म थीं, उन्हें लगा कि मैं नींद में हूँ तो उन्होंने फोन पर बात करते हुए ही मेरे हाथ से बूब्स को मसलवाना चालू कर दिया.

कुछ देर बाद मामी ने फोन कट करके रख दिया और उन्होंने अपना हाथ नीचे लाकर देखा तो मेरा लंड पहले से ही खड़ा हुआ था.
अब उन्होंने मेरी पैंट के बाहर से अपने हाथ में लंड को पकड़ लिया और उसे ऊपर नीचे करने लगीं.

मैं एकदम से जागता हुआ बोला- क्या कर रही हो मामी जी!
तो उन्होंने तुरंत मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगीं.

देसी मामी चुदाई के लिए तैयार थी.

हम दोनों कुछ मिनट तक किस करते रहे.
मैं अपने हाथ को उनके बूब्स से हटा कर नीचे चूत पर ले आया.
वहां टटोल कर देखा तो पहले से गीला हुआ पड़ा था.

उन्होंने मेरे होंठों से हटा कर कहा- जो मैं कर रही हूँ, तुम उसमें मेरा साथ दो वरना मैं तेरे मामा से बोल दूँगी कि तुम मेरे साथ ज़बरदस्ती कर रहे थे!
मैं भी उनका साथ देने लगा क्योंकि मैं तो सीधा सा लड़का था तो मुझे इन सब का ज्ञान नहीं था.

उन्होंने नीचे होकर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
मुझे ऐसा लगा मानो मेरे लंड के अन्दर से कुछ निकलने वाला है.

मैंने उनको रुकने के लिए बोला, पर वे नहीं रुकीं और उन्होंने मेरे लंड का सारा रस पी लिया.

उसके बाद दोबारा मुँह से लंड चूसती हुई वे मेरे लौड़े को कड़क करने लगीं और जल्द ही उन्होंने लंड को दोबारा खड़ा कर लिया.

उसके बाद मामी जी खुद मेरे ऊपर चढ़ गईं और मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पर सैट करके उसे ऊपर नीचे रगड़ने लगीं.
उनकी चूत रस छोड़ रही थी तो लंड अन्दर घुसने लगा और वे भी धीरे धीरे लौड़े पर बैठने लगीं.

फिर अचानक से एक ही झटके में लंड को चूत के अन्दर कर लिया.
मुझको बहुत ज्यादा दर्द हुआ, मुझे ऐसा लगा मानो किसी ने लंड को काट लिया हो.

उसके बाद 10 मिनट तक मामी मेरे लंड की मां चोदती रहीं.
फिर वे मुझसे बोलीं- अब तू मेरे ऊपर आ जा, मेरे पैरों में दर्द होने लगा है.

अब मामी नीचे आ गईं और मैंने उनके बताए अनुसार उनके दोनों पैर पकड़ कर ऊपर कर लिए.
उसके बाद एकदम से लंड चूत के अन्दर कर दिया.

इस बार मेरे लंड एक ही झटके में सीधा अन्दर हो गया.
वे एकदम से आह करती हुई बोलीं- आराम से कर … आह … वरना आवाज़ होगी, तो सबको पता चल जाएगा!

ऐसे ही धीरे चुदाई करते हुए 5 मिनट बाद मैं उनके अन्दर ही चूत में ही फ्री हो गया.

वे चुदने के बाद बहुत खुश लग रही थीं.
उन्होंने मुझसे कहा- सुबह वापस मत जाना, कल यहीं रुक जा, तेरे मामा ड्यूटी जाएंगे, तो तेरे से मुझको पूरे दिन चुदाई करने को मिलेगा.
यह कह कर मामी ने मुझे अपने ऊपर ही लिटा कर सुला लिया.

सुबह जब मेरी आँख खुली तो दस बज रहे थे और सब लोग वहां से जा चुके थे.

घर में नई बहू आई थी तो सब उसको देखने चले गए थे.
मैं उठा और देखा तो मामी जी नहा रही थीं. घर पर कोई नहीं था.

मैंने बाथरूम पर नॉक किया तो उन्होंने कहा- अभी रूको, मैं नहा रही हूँ, थोड़ी देर में आना.
तब मैंने कहा- मुझे आपके साथ नहाना है.
उन्होंने कहा- मेन गेट बंद करके आओ, फिर साथ में नहाते हैं.

मैं जल्दी से गया और मेन गेट बंद करके आ गया.
मैंने पहले ही कपड़े उतार लिए थे और बिना कपड़ों के अन्दर चला गया.

उन्होंने देखा कि मेरा लंड खड़ा हुआ है तो तुरंत हाथ से पकड़ कर बोलीं- इतनी जल्दी खड़ा हो गया?

मैंने कहा- हां मामी, अब आप जल्दी से नीचे लेट जाओ.
मैंने मामी को वहीं चित लिटाया और चोदना चालू कर दिया.

हम दोनों अपनी मस्ती में थे और मामी झड़ने वाली हो गई थीं कि उसी वक्त दरवाजे पर किसी की आवाज़ आई.
ये मेरी मम्मी जी की आवाज थी, वे मुझे बुलाने के लिए आई थीं.

मैं डर गया, पर मामी जी तब तक नहीं छोड़ा, जब तक वे बिल्कुल फ्री नहीं हो गईं.
उसके बाद तौलिया बाँध कर बाहर गईं और उन्होंने दरवाजा खोला, तो मम्मी बोलीं- अच्छा नहा रही थी, इसलिए टाइम लगा … सुनील कहां है?

मामी जी बोलीं कि वह सो रहा है.
इतनी देर में मैं जाकर सोने का नाटक करने लगा था.

मम्मी अन्दर आईं और मुझको उठाने लगीं.
वे बोलीं- चलना नहीं है क्या?

मैंने कहा- आप जाओ मम्मी, मैं कल आ जाऊंगा … अभी सोने दो.
वे चली गईं.

उसके बाद पूरे दिन मैं और मामी दोनों नंगे ही रहे और दिन में 4 बार देसी मामी चुदाई की.
अब तो जब भी मेरा मन होता है, मैं उनके पास पहुंच जाता हूँ.
 
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junglecouple1984

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मेरी विधवा बुआ की पलंगतोड़ चुदाई



नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम वाशु है.
मैं अभी 22 साल का हुआ हूँ. मैं 6 फुट लंबा और अच्छा खासा शरीर है.
मेरा लंड 7 इंच का है

मेरी फैमिली में मम्मी-पापा, दादा-दादी, बुआ, उनके दो लड़के और मैं रहता हूँ.

मेरे फूफा जी का देहांत 8 साल पहले हो चुका था इसलिए बुआ अब हमारे घर के पास में ही आकर रहने लगी थीं.
उनके साथ मेरी दादी और उनका बच्चा रहता है.

मेरी बुआ दिखने में बहुत खूबसूरत हैं, वे किसी मॉडल से कम नहीं लगती हैं.
उनका गोरा बदन, बड़े बड़े बूब्स, बड़ी सी गांड और पतली कमर देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता है. उनका फिगर 36-30-38 का है.

यह बात आज से 3 साल पहले की है, तब मैं 19 साल का एक गबरू जवान हो गया था.
उस वक्त मैं अपनी 12 वीं के रिज़ल्ट आने का इंतजार कर रहा था.

उस वक्त मैं ज्यादातर वक्त बुआ के घर पर ही रहता था.
उनका लड़का स्कूल चला जाता था और दादी अपने बुढ़ापे की उम्र की वजह से लेटी रहती थीं.

बुआ ही घर का सारा काम करती थीं. बुआ घर पर लोवर और टी-शर्ट में ही रहती थीं.

उन कपड़ों में उनके बड़े बड़े गोल गोल दूध बड़े ही मस्त लगते थे.
उनके दूध एकदम तोप की तरह उठे रहते थे.
साथ ही चुस्त लोअर में उनकी बड़ी सी गांड जब थिरकती थी, तो उफ … मेरा तो लंड खड़ा ही हो जाता था.

एक दिन दोपहर में मैं बुआ के कमरे में गया था.
दादी सो रही थीं. मेरा भाई अपने स्कूल में था.

मैंने देखा कि बुआ अपने रूम में रो रही हैं.
मैं एकदम से उनके पास गया और बैठ गया.

मुझे आया देख कर वे अपने आँसू पौंछने लगीं.

मैंने पूछा- बुआ क्या हुआ, क्यों रो रही हो?
उन्होंने कुछ नहीं कहा, बस अपना सिर नीचे कर लिया.

मैंने कहा- फूफा जी की याद आ रही है न!
उन्होंने कहा- हां.

वे मेरे साथ एकदम से चिपक कर रोने लगीं.

मैं उनकी पीठ पर हाथ फेरता हुआ उन्हें चुप कराने लगा था.

दोस्तो, बुआ के गले से लगते ही उनकी गोल गोल चूचियां मेरी छाती से सट गईं और उनके शरीर की महक से मेरा सांप खड़ा होने लगा.
मैं उनकी कमर पर से हाथ फेरता हुआ धीरे धीरे उनकी कमर पर अपना हाथ फेरने लगा.

उन्होंने कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत जरा बढ़ गई.

मैंने अपना हाथ उनकी गांड पर रख दिया और उनके गदराए हुए चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा.
वे एकदम से थोड़ा सा दूर हटीं और कहने लगीं- वाशु, यह क्या कर रहा है? मैं तेरी बुआ हूँ यह गलत है.

मैंने सोचा कि यदि बुआ को गलत लग रहा होता, तो अब तक उनका थप्पड़ मेरे मुँह पर पड़ गया होता.
यह सोच कर मैंने कहा कि अच्छा, लेकिन बुआ आपका हाथ तो कुछ और ही कह रहा है.

उनका हाथ मेरे खड़े लंड के ऊपर आ गया था और वे मेरे लौड़े को दबा रही थीं.
मेरे मुँह से यह सुनते ही उन्होंने एकदम से अपना हाथ मेरे लौड़े से हटा लिया और शर्म से अपना सिर नीचे कर लिया.

मैंने कहा- अरे बुआ, मैं समझ सकता हूँ. हर औरत की कुछ ज़रूरत होती है. अब आपके तो हज़्बेंड भी नहीं रहे हैं. मैं आपकी दुविधा को समझता हूँ. आप बुरा न मानना, क्यों ना मैं आपकी जरूरत को समझूँ … और आप मेरी!
वे कहने लगीं- नहीं यह गलत है! मैं तेरी बुआ हूँ, यह नहीं हो सकता!

मैंने उन्हें एकदम से अपने पास खींचा और अपने होंठ उनके होंठों से सटा दिए.
पहले तो बुआ मुझसे दूर जाने लगीं, फिर कुछ देर बाद वे मेरा साथ देने लगीं.

उन्होंने रोते हुए मुझे अपनी बांहों में भर लिया और अपनी प्यास को अपनी मूक भाषा में मुझसे कहने लगीं.
मैंने उन्हें अपनी बांहों में भींच लिया और उनके होंठों का रस पीने लगा.

कुछ ही पलों में हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जीभ डाल कर किस करने लगे.
ऐसे ही हम दोनों 5 मिनट तक किस करते रहे.

उसके बाद मैंने उनकी टी-शर्ट उतार दी और ब्रा को भी खोल दिया.
अब बुआ के बड़े बड़े और गोल गोल बूब्स मेरे सामने थे.
दोस्तो, सच में वह नजारा बहुत खूबसूरत था.

मैं एक छोटे बच्चे की तरह उनके दूध पर झपट पड़ा.
मेरा एक हाथ उनके एक दूध को पकड़ कर मसल रहा था और दूसरे दूध को अपने मुँह में भर कर चूस रहा था.

वे मदमस्त आवाजें लेती हुई मेरे सर को अपने मम्मों पर दबाए जा रही थीं- आह चूस ले … आह कितना अच्छा लग रहा है … आह कब से मैं तेरे इंतजार में थी कि कब तू मेरी प्यास बुझाने आएगा!

मैंने कहा- बुआ, मैं तो कबसे आपकी इस भरी हुई जवानी को भोगना चाहता था!

इसी तरह की बातों के बीच हम दोनों एक दूसरे का खुल कर साथ देने लगे थे.
मैं बुआ के दोनों मम्मों के साथ पूरी मस्ती से खेल रहा था और वे भी मुझे अपने मम्मों से मजा दे रही थीं.

बुआ सिसकारियां ले रही थीं- आअहह उफ़ उम्म्म … हन्न चूस वाशु … इन्हें जोर जोर से चूस … उम्म्म!
ऐसे ही थोड़ी देर तक दूध चूसने के बाद हम दोनों ने फिर से होंठों को किस करना शुरू कर दिया.

बुआ ने किस करते हुए ही मेरी शर्ट उतार दी और मेरी छाती के निपल्स को कुतरने लगीं.

थोड़ी देर बाद बुआ ने मेरा लोवर के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ लिया और बोलीं- लगता है तूने अपनी बुआ के लिए नीचे कुछ बड़ा सा तोहफा छुपा रखा है, जरा देखूँ तो सही कि कितना बड़ा गिफ्ट है मेरे लिए!

यह कहते हुए बुआ ने मेरा लोवर और चड्डी दोनों को एक साथ में नीचे खींच दिया.
लोवर और चड्डी उतरते ही मेरा 7 इंच का लंड उनका मुँह के सामने आ गया.

वे मोटा लंबा लंड देख कर एकदम से चौंक गईं और मेरा लंड पकड़ती हुई बोलीं- आह वाशुउ इतना बड़ा लंड … मुझे मालूम होता तो कब का खा लिया होता!
वे बेहद खुश हो गई थीं.

उन्होंने मेरा लंड हिलाना शुरू कर दिया.
मैंने कहा- बुआ मुँह में लो न … अब इंतजार नहीं होता!

उन्होंने कहा- हां ज़रूर, बिना मुँह में लिए तो मुझे चैन ही नहीं मिलेगा!
उन्होंने एक एक्सपर्ट रांड की तरह मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया.

दोस्तो, उस समय मुझे इतना मज़ा रहा रहा था कि क्या ही बताऊं.

बुआ कभी पूरा लंड अपने गले तक ले लेतीं तो कभी उसे बाहर निकाल कर चाटने लगतीं.
साथ ही उन्होंने मेरे दोनों आंड भी चूसना चालू कर दिए थे.

ऐसे ही दस मिनट तक बुआ मेरा लंड चूसती रहीं.

लंड चुसवाने के बाद मैं सीधा खड़ा हुआ और उन्हें बेड पर चित लिटा दिया.
मैंने उनका लोवर निकाल कर फूली हुई पैंटी को देखा जो पूरी तरह से भीग चुकी थी.

मैंने झट से उनकी पैंटी को नीचे किया और बुआ की गुलाबी चुत चाटने लगा.
उनकी गुलाबी चुत का स्वाद बहुत मस्त था. मैं उनकी चुत चाटता हुआ उनकी फाँकों के बीच में अपनी उंगली डाल कर पेलने लगा.

इस वजह से वे जोर जोर से कामुक सिसकारियां भरने लगी थीं- उम्म्म आहह फक मी आह चाट ले अपनी रंडी बुआ की चुत को आह चाट आअहह!

फिर बुआ से ना रहा गया तो उन्होंने मेरा सर पकड़ कर अपनी चुत पर दबाना चालू कर दिया.
वे बोलीं- आह प्लीज चाट ले वाशु अपनी बुआ की चुत को … आह चाट जोर से चाट ले … आअहह उफ़फ्फ़ आहह भैंचोद चूस न मां के लौड़े!

मैं चुत चाटने लगा.

कुछ देर तक चुत चटवाने के बाद वे बोलीं- वाशु अब और इंतजार नहीं होता … अब अपना ये बड़ा सा लंड मेरी चुत में डाल दे!

मैं यह सुनते ही खड़ा हुआ और बुआ की दोनों टांगों को फैला कर अपने लंड को उनकी चुत पर सैट करके चुदाई की पोजीशन में आ गया.
बुआ को चुल्ल हो रही थी तो मैंने एक जोर का झटका दे मारा. मेरे एक ही धक्के में पूरा लंड बुआ की चुत में घुसता चला गया.

चुत में लंड जाते ही बुआ जोर से चिल्ला पड़ीं- आआहह भैंचोद … मर गई साले भोसड़ी के लंड बाहर निकाल मादरचोद!
बुआ की चुत सच में काफी टाइट थी.

वे मेरे लंड को अपनी चुत में बेहद ताकत से दबा रही थीं.

फिर मैंने धीरे धीरे धक्का मारना शुरू किया.
बुआ मादक सिसकारियां लेने लगीं- आहह हम उम्म्म फक आह!
थोड़ी देर बाद मैंने स्पीड बढ़ा दी और उन्हें जोर जोर से चोदने लगा.

अब कमरे में पच पच की आवाज आने लगी थी.
बुआ जोर जोर से सिसकारियां भरने लगीं- आआहह भैंचोद चोद मुझे चोद … आह अपनी बुआ की चुत को फाड़ दे अम्म ह!

कुछ देर बाद ही बुआ झड़ गईं और वे बेड पर निढाल हो गईं.
लेकिन मेरा लंड अभी भी पूरा कड़क था.
बुआ बोलीं- साले अभी तेरा कितना और चलेगा?

मैंने कहा- अभी तो मैं आपको काफी देर तक चोदूंगा!
बुआ यह सुनकर मुस्कुरा दीं और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर मैंने बुआ का फेस पकड़ा और उनके मुँह को चोदने लगा.

उनके मुँह से फछ फछ की आवाज आने लगी.
मैं अपना पूरा लंड उनके मुँह में घुसा रहा था और निकाल रहा था.

फिर मैंने जब अपना लंड मुँह से निकाला, तब बुआ ने गहरी सांस ली.
वे हँसती हुई बोलीं- कमीना ऐसे करता है कोई?
मैं भी हंसने लगा.

फिर मैंने बुआ को घोड़ी बनने को कहा.
बुआ झट से घोड़ी बन गईं.

अब मैंने अपना लंड उनकी चुत पर घिसना चालू किया और उन्हें तड़फाने लगा.
फिर बुआ बोलीं- अब और मत तड़पा मेरे कबूतर … अब चोद भी दे मेरी चुत को!

मैंने अपना लंड चुत पर सैट किया और जोर से धक्का दे मारा.
मेरा लंड अन्दर घुसता चला गया.

बुआ आह करके गांड हिलाने लगीं.
मैंने फिर से उनकी चुत की चुदाई करना शुरू कर दी.
वे भी अपनी गांड हिला हिला कर मेरा लंड ले रही थीं.

मुझे बुआ को घोड़ी बना कर चोदने में बहुत मज़ा आ रहा था.
मैंने अचानक से स्पीड बढ़ा दी और बुआ की गांड पर थप्पड़ मारने लगा.

बुआ जोर जोर से आवाज निकालने लगीं- आअहह भैनचोद … चोद अपनी बुआ की चुत … आह भोसड़ा बना दे मेरी चुत का …. आअहह और मार थप्पड़ मुझे एक रंडी की तरह चोद साले उम्म्म अह.
फिर दस मिनट घोड़ी की तरह चोदने के बाद में बुआ वापिस से झड़ गईं.

फिर मैं बेड पर लेट गया और बुआ को 69 में आने को कहा.
बुआ की बड़ी सी गांड मेरे मुँह पर थी. मैं अपनी बुआ की गांड चाटने लगा और उनका झड़ा हुआ रस पीने लगा.

वे मेरा लंड चूसने लगीं.
मेरे लंड पर उनका झड़ा हुआ रस लगा था, वे उसे चाटने लगीं.

कुछ देर बाद बुआ उठीं और मेरा लंड के ऊपर आ गईं.
बुआ ने लंड को चुत के ऊपर सैट किया और अपनी चुत में लेते ही लंड के ऊपर कूदने लगीं.

उनके बड़े बड़े बूब्स खूब हिल रहे थे.
मैंने एक हाथ से उनके एक दूध को मसलना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उनकी गांड को दबाने लगा.

फिर बुआ जोर जोर से सिसकारी लेती हुई लंड पर अपनी चुत रगड़ रही थीं.

‘आह उम्म्म ह्म्म्म्म आअहह कैसा लग रहा है वाशु … तेरी बुआ की चुत की गर्मी मजा दे रही है न!’
‘बुआ आह एकदम मस्त … इतना मज़ा तो आज तक मुझे किसी ने नहीं दिया!’

बुआ- साले अब तक किस किस को चोद चुका है?
मैंने हँसते हुए उनके दूध को चूस कर खींचा और छोड़ दिया.

फिर कुछ देर बाद मैंने बुआ को कस पकड़ा और जोर जोर से चोदने लगा.
बुआ- आअहह उम्म्म्म मर गई साले … इतनी देर से चोद रहा है, कब होने वाला है तेरा … कितना चोदेगा अपनी बुआ को … आह साले अब अपना माल भी पिला दे मैं तड़प रही हूँ तेरा माल के लिए!

मैंने कहा- बस बुआ, मैं झड़ने वाला हूँ.
उन्होंने कहा- मुझे तेरा माल मुँह में चाहिए!

मैं उनकी चुत से लंड निकाल कर खड़ा हो गया और बुआ ने लंड चूसना चालू कर दिया. वे जोर जोर से लंड चूस रही थीं.
कुछ देर तक लंड चूसने का बाद मैं बुआ के मुँह में झड़ गया.

बुआ मेरा सारा माल पी गईं और पूरा लंड चाट कर साफ कर दिया.
हम दोनों थोड़ी देर तक एक दूसरे को किस किया और कपड़े पहन लिए.

मैं बेड पर बैठ गया.

मैंने कहा- क्यों बुआ मज़ा आया न!
बुआ बोलीं- मज़ा साले तूने लिया, मुझे तो तूने किसी रंडी की तरह ठोका. इतनी बुरी हालत कर दी चुत की, पर मज़ा खूब आया! इतने दिनों बाद मुझे लंड नसीब हुआ!

मैं बोला- अब टेंशन ना लेना बुआ, अब तो मैं आपको रोज चोदा करूंगा. आपकी चुदाई की प्यास बुझा दूँगा.
बुआ खुश होकर हंसती हुई बोलीं- न अगली बार मुझे यह लंड अपनी गांड में भी चाहिए!

मैंने कहा- हां क्यों नहीं बुआ, जैसा आप चाहो!
फिर मैं अपने घर वापिस आ गया और बुआ भी सो गईं.
 

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भाभी को चोदकर मां बनने की खुशी दी



नमस्कार दोस्तो, मैं पुणे से हूं।
मैं दिखने में गोरा चिट्टा हूं, मेरी हाइट 5 फीट 10 इंच है।
मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है।

यह हॉटसेक्स विद सेक्सी भाबी कहानी लगभग 4 साल पुरानी है।
उस वक्त कोविड का प्रकोप चल रहा था।

मेरा काम ऐसा है कि मुझे घर-घर जाकर सर्विस देनी पड़ती है।

एक दिन मैं काम के लिए एक कस्टमर के घर गया हुआ था.
और जिनसे मेरी बात हुई थी वो सर जॉब पर गए हुए थे।

उनके बताए एड्रेस पर मैं चला गया।

जब मैं घर गया तो एक भाभी ने गेट खोला।
वे दिखने में नैन नक्श से ज्यादा सुंदर नहीं थी लेकिन बदन गोरा था और फिगर काफी मेंटेन था।
उनका फिगर 34-28-36 होगा।

उनसे काम पूछने के बाद मैं अपने काम में लग गया।

थोड़ी देर में वे मेरे लिए पानी लेकर आई और चाय का पूछकर वापस चली गई।
फिर थोड़ी देर में वापस आकर मुझे चाय दी।

मैंने चाय ले ली और भाभी वहीं पर खड़ी होकर मेरा काम देखने लगी।

काम के बीच में हम दोनों में कुछ बातें भी हो रही थीं।

पता चला कि उनके हस्बेंड प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं और घर में वे मियां बीवी ही रहते हैं।

फिर कुछ देर में मेरा काम खत्म हो गया।
उनकी बातों से ऐसा लग रहा था जैसे उनको मुझसे बात करना अच्छा लग रहा है।

काम होने के बाद मैं अपना पेमेंट लेकर निकलने ही वाला था कि तभी उन्होंने मुझे रोक लिया।

वे बोलीं कि उनकी सहेली का भी काम करना है।
मैंने काम पूछा।
फिर वे बोलीं- अपना नम्बर दे दीजिए।

मैं अपना फोन नम्बर देकर वहां से आ गया।
कुछ समय बाद भाभी ने अपनी सहेली का नम्बर मुझे भेज दिया।
कई दिन तक मेरे पास कोई कॉल नहीं आया।

उसी भाभी का एक दिन फिर से कॉल आया।
वे बोली कि जो काम मैं करके गया था उसमें फिर से दिक्कत आ गई है।

इसलिए मुझे दोबारा उस भाभी के यहां जाना पड़ा।

उस दिन भी हमारी काफी बातें हुईं।
फिर मैं वापस आ गया।

अब चैट पर भी हमारी हाय-हैलो होने लगी।
वे रोज मुझे गुड मॉर्निंग का मैसेज भेजने लगी।

मैं भी रोज उसका रिप्लाई मैसेज देता था।
फिर बातों का सिलसिला गहराता गया।

भाभी ने बताया कि शादी को 5-6 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक बच्चा नहीं हुआ है।
मैंने डॉक्टर की सलाह लेने के लिए कहा तो बोली कि सब करके देख चुकी है वो!

उस दिन मैंने भाभी को सांत्वना दी कि सब ठीक हो जाएगा।
फिर पर्सनल बातें भी होने लगीं।

उसने एक दिन बताया कि समस्या उसके पति में है जिसकी वजह से वो प्रेग्नेंट नहीं कर पा रहे हैं उसे!

एक तरह से मैं भाभी का इशारा समझ गया।
वह कहना चाहती रही थी कि उसको अब किसी भी तरीके से बच्चा चाहिए।

धीरे-धीरे हम दोनों एडल्ट जोक्स भी एक दूसरे को भेजने लगे।
मैं भी भाभी के लिए अब हवस महसूस कर रहा था।

वह जब एडल्ट बातें करती थी तो उसको चोदने के लिए मन मचल जाता था।
भाभी की चूत मारने की इच्छा भला किसकी नहीं होती है।

एक दिन मैंने सही मौका देखकर उसे बोल ही दिया कि मैं उसको बहुत पसंद करता हूं।
उसने काफी देर तक रिप्लाई नहीं किया।
मैंने सोचा कि शायद बुरा मान गई है।

फिर 2-3 घंटे के बाद उसका मैसेज आया।
मैसेज देखकर मैं तो खुश हो गया.
उसने लिखा था कि वह भी मुझे पसंद करती है।

होते-होते बात मिलने तक भी आ पहुंची।
हम मिलने का प्लान बनाने लगे।
बस मौके की तलाश में थे कि कब उसका पति बाहर जाए और हमें एक होने का अवसर मिले।

फिर इंतजार खत्म हुआ।
उसके पति को 3 दिन के लिए कंपनी के काम से बाहर जाना पड़ रहा था।

हम तो इसी दिन का इंतजार कर रहे थे।
भाभी ने मैसेज कर दिया कि शाम को आ जाना।

मैंने भी सुबह से ही पूरी तैयारी करनी शुरू कर दी।
दाढ़ी बनाई, बाल कटवाए और झांट वगैरह साफ किए।

अच्छी तरह से बदन को साफ करके मैंने नहा-धोकर बढ़िया सा परफ्यूम लगाया और भाभी से मिलने पहुंच गया।

काम के लिए मैं पहले भी उनके घर दो बार जा चुका था तो किसी को शक होने की कोई गुंजाईश नहीं थी।
उसने दरवाजा खोला तो उसे देखता ही रह गया।

आज वह कमाल की लग रही थी।
उसने बैंगनी कलर की साड़ी पहनी थी जो उसके गोरे बदन पर ऐसी जंच रही थी कि नजर न हटे।
उसके नीचे काले रंग का ब्लाउज जिसमें उसके चूचे एकदम से उठे हुए थे।

गोरी चिकनी कमर और भारी सी गांड जिसकी दोनों गोलाइयों की शेप साड़ी में चमक रही थी।
उसने मुझे अंदर लिया और दरवाजा बंद कर दिया।

हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और बांहों में सिमट गए।
फिर हम किस करने लगे।
होंठ मिलते ही जिस्मों में आग सी जलने लगी।
मेरा लौड़ा तनकर उसकी जांघों में घुसने की कोशिश करने लगा और मैं उसकी गांड को भींचते हुए उसकी साड़ी में ही लौड़े को चूत में घुसाने को हो गया।

वह भी नागिन की तरह मुझसे लिपट रही थी।
फिर लगा कि जोश कुछ ज्यादा ही बढ़ रहा है तो उसने मुझे रोक दिया।
वह बोली कि पहले खाना वाना खाकर फ्री हो जाते हैं, फिर आराम से करेंगे।

उसने पहले से ही सब तैयार करके रखा हुआ था।
मैं फ्रेश हुआ और फिर हमने खाना खाया।

खाना खाकर हम फ्री हो गए।
वह किचन में बर्तन साफ करके हटी ही थी कि मैंने पीछे से जाकर उसकी गांड पर लंड लगाते हुए उसे बांहों में भर लिया।

उसने भी गांड मेरे लंड पर सटा दी और जल्दी से कपड़े से अपने हाथ पौंछ लिए।
फिर मैं उसे किस करने लगा और अपनी गोद में उठा कर बेडरूम में ले गया।

बेड पर जाकर हम दोनों एक दूसरे के होंठों को खाने लगे।
जोश ऐसा था कि लग रहा था होंठों से खून बहने लगेगा।

मेरा एक हाथ उसके बूब्स पर था जो कसकर उसके उरोजों को दबा रहा था।

फिर मैं नीचे की तरफ बढ़ने लगा।
मैं उसकी गर्दन पर चूमने लगा, होंठों से चूसने लगा।

उसके बाद मैंने उसकी साड़ी का पल्लू हटा दिया।

उसकी चूचियां कसी हुई थीं जिन्हें देखकर मेरे मुंह में लार बह निकली थी।
जल्दी से मैंने उसे पलटाते हुए उसके ब्लाउज के हुक खोल डाले और फिर उसे उसकी बाजुओं में से निकलवा दिया।

उसकी गोरी चूचियां अब मेरे सामने नंगी हो गईं।
हाय … पर्पल साड़ी में वो ऊपरी से नंगी होकर कितनी सेक्सी लग रही थी।

मैं उसके चूचों पर टूट पड़ा और दोनों हाथों से भींचते हुए उन्हें पीने लगा।
भाभी के बूब्स को चूस-चूसकर मैंने उसके निप्पलों को लाल कर डाला।

अब वे मटर के दाने के जैसे एकदम तन गए थे।
मैंने उनको भींच दिया तो उसकी टीस निकल गई।

अब मैंने उसकी साड़ी खोलनी शुरू की।
फिर पेटीकोट का नाड़ा खोलते हुए उसकी चूत पर सहला दिया।
उसने सफेद रंग की पैंटी पहनी थी।

पेटीकोट उतारते ही उसकी गोरी जांघों के बीच में मखमली सी पैंटी के नीचे उसकी चूत की दरार साफ चमक रही थी।
मैंने उस दरार में जीभ से चाट लिया।
आह्ह … क्या अहसास था वो!

भाभी की चूत बड़ी ही प्यारी लग रही थी ऊपर से!
फिर मैंने एक बार फिर से उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
उसके बूब्स को दबाते हुए दूसरे हाथ से उसकी पैंटी के ऊपर से चूत पर सहलाने लगे।

वह भी अपनी गांड को हिला हिलाकर मेरे हाथ पर अपनी चूत को रगड़वाने की कोशिश सी करती दिखाई दी।

बूब्स के बाद मैं पेट से होते हुए उसकी नाभि पर पहुंचा।
नाभि को मैंने चूम लिया तो वो सिहर गई और अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को वहां से हटाने लगी।

मैंने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों से दबा लिया।
अब मैं जान बूझकर लगातार उसकी नाभि पर गर्म गर्म चुम्बन जड़ने लगा।

मेरे हर चुम्बन के साथ वो तड़प कर रह जाती थी।
उसको ऐसे तड़पते हुए देखकर मेरे लंड में लगातार दोगुना जोश भरता जा रहा था।

उसको कई मिनट तक तड़पाने के बाद मैं नीचे चूमते हुए उसकी झांटों के एरिया में पहुंचा।
उसने चूत के बाल साफ किए हुए थे लेकिन क्लीन शेव नहीं की थी; हल्के से बाल पैंटी के नीचे से निकलते दिख रहे थे।

फिर मैंने उसके चेहरे की ओर देखा।
वह आंखें बंद करके लेटी थी और शायद इंतजार कर रही थी कि कब मैं उसकी पैंटी को नीचे खींचना शुरू करूंगा।

मैंने धीरे से उसकी सफेद पैंटी को नीचे खींचा और उसकी जांघों से निकालते हुए उसके पैरों से अलग कर दिया।
उसकी पैंटी पर चूत की दरार के ठीक ऊपर हल्का सा पानी लग गया था।

उस एरिया को मैंने नाक लगाकर सूंघा तो मेरी उत्तेजना चौगुनी हो गई।
भाभी की चूत की क्या मादक खुशबू भर गई थी उसकी पैंटी में!
मैंने और जोर से उस पर नाक रगड़ते हुए उसकी सारी खुशबू को अंदर लेने की कोशिश की।

फिर मैंने चूत से निकले पानी के उस धब्बे को जीभ से चाट लिया।
मन तो उसकी पैंटी को खाने का ही कर रहा था।
फिर मैंने पैंटी को एक तरफ डाल दिया।

उसकी चूत को मैंने ध्यान से देखा।
बहुत ज्यादा खुली नहीं थी।
लग रहा था कि उसके पति का लंड ज्यादा मोटा नहीं होगा।

उसकी चूत का मुंह गीला हो गया था।
मैंने अपने होंठ उस पर रख दिए और भाभी सिहर गई; उसकी चूचियां उसकी छाती पर और ज्यादा कस गईं।

मैंने उसकी चूत पर और तेज हमला बोल दिया, अंदर तक जबान डालकर चूत चाटने लगा।
वह मेरा सिर जांघों में पकड़कर चूत पर दबाने लगी।

मैं उसकी चूत के दाने को लगातार जीभ की नोक से छेड़ रहा था।
5-6 मिनट उसकी चूत को मैंने खूब चूसा-चाटा और काटा।

अगले 2 मिनट में ही चूत ने पानी छोड़ दिया और मैंने उसके पानी को चाट कर साफ कर दिया।

अब उसकी बारी थी मुझे खुश करने की।
उसने अब मुझे नंगा करना शुरू किया और अपने हाथों से मेरे सारे कपड़े उतार दिए।
मैं सिर्फ अंडरवियर में लेटा था अब।

वह मुझे किस करते-करते नीचे मेरे लौड़े तक पहुंच गई।
मेरा लंड अंडरवियर को फाड़ने पर उतारू था।

उसने अंडरवियर को नुकीला तंबू बना रखा और जिसके टोपे पर कामरस ने धब्बा कर दिया।

भाभी ने अंडरवियर को नीचे खींचा और चेहरे पर एक मुस्काराहट तैर गई।
वह खुश हो गई थी मेरा लंड देखकर!

अगले ही पल उसके होंठ मेरे लंड पर कस गए और वो आंखें बंद करके ऐसे मजे से लंड को चूसने लगी जैसे बहुत दिनों बाद उसे कोई पसंदीदा चीज मिली हो।

होते-होते उसकी हवस बढ़ने लगी।
वह किसी भूखी शेरनी की तरह मेरा लौड़ा खा रही थी।

उसकी चुसाई से मदमस्त होकर मैं भी सातवें आसमान पर पहुंच गया था क्योंकि वो किसी माहिर खिलाड़ी की तरह मेरा लौड़ा चूस रही थी।

उसके सामने मैं ज्यादा देर नहीं टिक पाया; 5-7 मिनट में मैंने अपना सारा माल उसके मुंह में छोड़ दिया।
वह उसे पी गई।

मैं उसे फिर से किस करने लगा।

कुछ देर में ही मेरा लौड़ा फिर खड़ा हो गया।
अब मैंने उसे बेड पर पीठ के बल लिटाया और उसकी टांगें खोलकर उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा।

वह भी चुदाई के लिए तैयार थी।
धीरे से मैंने उसकी चूत में मेरा लौड़ा डाल दिया।

उसकी चूत बहुत ज्यादा टाइट नहीं थी तो मुझे भी दिक्कत नहीं हुई डालने में!
लेकिन इतनी तो टाइट थी कि चोदने का मजा आ रहा था।

मैंने पोजीशन जमाते हुए उसकी चूत को पेलना शुरू कर दिया।
बड़ा ही मजा आ रहा था उसकी चूत मारने में!

गोरे बदन की भाभी बड़ी ही सेक्सी फीलिंग दे रही थी।

दोस्तो, लड़की की चुदाई में बहुत मजा है लेकिन भाभी की चुदाई का अपना अलग ही रस है।

चोदते-चोदते उसे किस किए जा रहा था मैं … मैं अपनी फुल स्पीड में चोद रहा था।

लंड लेते हुए वो भी सिसकारियां लेने लगी थी- आह्ह … आआआ … उम्म … ओह्ह … आह्ह।

अगले 5 मिनट में उसकी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और चूत में पच-पच की ध्वनि पैदा होने लगी।

अब लंड फिसल फिसलकर चूत में भ्रमण करके लौट रहा था।
मेरा जोश और तेज होने लगा।
भाभी की चुदाई चलते हुए 15 मिनट हो चुके थे और मैं अब झड़ने के करीब पहुंच रहा था।

फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसे पीछे से पेलने लगा।
कुछ देर में ही मेरे लंड ने जवाब दे दिया और मैं उसकी चूत में खाली हो गया।
वह भी बेड पर पसरने लगी और मैं उसके ऊपर ही लेट गया।

हॉटसेक्स विद सेक्सी भाबी के बाद कुछ देर मैं उसकी चूत में लंड देकर पड़ा रहा।
उस वक्त रात के साढ़े 10 बज चुके थे।

मैंने भी घर फोन करके बता दिया कि मेरा काम चल रहा है, आज नहीं आ पाऊंगा घर वापस!

फिर हमने थोड़ी देर आराम किया और फिर से शुरू हो गए।

दोस्तो, उस रात मैंने भाभी की चुदाई 4-5 बार की; उसे हर पोजीशन में चोदा।

अगले दिन फिर मैं मौका देखकर वहां से निकल आया।
उसके बाद कई बार हम मिलने लगे।
जब भी मौका मिलता मैं उसे चोदकर आ जाता।

अगले महीने ही उसने बताया कि वो पेट से है।
उसने बताया कि उसके प्रेग्नेंट होने की बात पता चलने पर उसके घरवाले भी उससे बहुत खुश हो गए।

भाभी ने मेरा शुक्रिया किया कि मैंने उसे मां बनने की खुशी दी।
 

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भाभी ने कराया पहला सेक्स अहसास



नमस्कार मित्रो,
मेरा नाम सोनू है, मैं दिल्ली में रहता हूँ।

यह मेरी पहली कामुक कहानी है और उस पहले अहसास की दास्ताँ है।

कहानी विस्तृत हो इसका ध्यान रखूँगा और कृपया आप सभी मुझे मेल करके बताएं कि आपको क्या पसंद और क्या नापसंद आया।
आप सभी ईमेल करके बताएँगे तो मुझे मोटिवेशन मिलेगा दूसरी कहानी लिखने के लिए और गलतियां सुधारने में भी मदद मिलेगी।

यह माय फर्स्ट हॉट Sexx का मजा आज से लगभग 5-6 साल पहले की है।
तब मैंने एक कंपनी में पहली जॉब शुरू की थी। मेरी नाईट शिफ्ट हुआ करती थी।
तब मैं 22 साल का था।

मुझे सेक्स का पहला अहसास कराने वाली … या कहूं मेरी विर्जिनिटी तोड़ने वाली भाभी का परिचय देता हूँ।
उनका नाम सुमन, उम्र 30 साल!
उनकी शादी हो चुकी थी, उनका एक 3 साल का बच्चा भी था।
वे मॉडर्न थी जीन्स टॉप, ड्रेस पहनने वाली!

उनकी हाइट 5’6″, सांवला रंग, लम्बे बाल, बूब्स 38, कमर 30, गांड 38, एकदम मादक फिगर था।

जब वे किसी से बात करती तो लोग सामने से उनके बूब्स को और पीछे से उनकी गांड के उभारों को देख आँखें सेकते।

मेरे साथ ऐसा होगा इसकी मैंने कभी सपने मैं भी कल्पना नहीं की थी।
मैंने जब ऑफिस ज्वाइन किया सुमन भाभी दूसरी शिफ्ट में थी।

कुछ समय बाद मेरी शिफ्ट बदल गयी और मैं उनके विभाग में चला गया।
तभी मेरी जान पहचान उनसे हुई.

सुमन भाभी एकदम ओपन माइंडेड और थोड़ा फ्लिर्टी स्वभाव की थी।
मेरी पहली जॉब थी और मैं थोड़ा शर्मीला नेचर का हूँ।

सुमन भाभी बार बार मुझे छेड़ती … पर जब मैं गुस्सा हो जाता तो कहती- तुम बहुत क्यूट हो एकदम बच्चे जैसे!

सुमन भाभी मुझे छेड़ने का एक भी मौका नहीं छोड़ती, सारा दिन मुझे छेड़ती।

उस समय तक कभी मेरे मन में उन्हें चोदने का ख्याल नहीं आया और न मैंने इस बात पर ध्यान दिया कि वे मुझे पसंद करती हैं।

धीरे धीरे हम दोनों मैं अच्छी दोस्ती हो गयी.
सुमन भाभी हमेशा मुझे साथ में लेकर ब्रेक पर जाती और हम साथ मैं डिनर करते।

ऐसे ही एक महीना बीत गया.

सर्दियों का वक़्त था और वैलेंटाइन डे से पहले भाभी ने मुझसे पूछा- अपनी गर्लफ्रेंड को वैलेंटाइन डे पर कहाँ लेकर जा रहे हो?
मैं- गर्लफ्रेंड होनी भी तो चाहिए लेकर जाने के लिए!
सुमन भाभी हंस पड़ी- आज से मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड!

इस बात को मैंने सीरियसली नहीं लिया और भूल गया।

जब वैलेंटाइन डे आया तो उस दिन सुमन भाभी- मेरा गिफ्ट कहाँ है?
मैं हैरान होकर- कैसा गिफ्ट?
सुमन भाभी- अरे आज वैलेंटाइन डे है ना!
मैं- हाँ है तो?

सुमन भाभी- तो अपनी गर्लफ्रेंड को कुछ गिफ्ट नहीं दोगे बुद्धू?
मैं मायूस होकर- गर्लफ्रेंड होनी भी तो चाहिए गिफ्ट लेने के लिए!
सुमन भाभी- अरे बुद्धू, मैंने कहा था ना कि अब से मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूँ. तुम तो सच में बुद्धू हो।

मैंने मज़ाक में कहा- हाँ ठीक है, तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो।
सुमन भाभी- एक गुलाब ही ले आते।

मैंने मज़ाक में कह दिया- चलो चॉकलेट खिलाता हूँ।

फिर मैंने एक चॉकलेट ली और भाभी को देने लगा तो भाभी बोली- ऐसे नहीं, आधी आधी खाएंगे।

जब मैं चॉकलेट खोल के तोड़ने लगा तो वे बोली- हाथ लगाए बिना तुम्हें मुझे चॉकलेट खिलानी है।
मैं थोड़ा हैरान हुआ.
पर तब भी मेरे दिल में ऐसा कुछ नहीं आया.
मैं उनकी सब बातों को मजाक में ले रहा था।

जब सुमन भाभी को लगा कि मैं उनकी बातों को सीरियस नहीं ले रहा हूं तो भाभी ने मुझे अपने ऑफिस के ऊपर वाले फ्लोर पर चलने को कहा।

सुमन भाभी- चलो आज मैं तुम्हें सिखाती हूं बिना हाथ लगाए किसी को चॉकलेट कैसे खिलाई जाती है।

ऑफिस के ऊपर वाले फ्लोर पर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था इसलिए रात में वहां कोई नहीं रहता था।

मैं इस बात से बेखबर कि वहां आज क्या होने वाला था, भाभी के पीछे पीछे चल दिया।

जब हम ऊपर पहुंचे तो सुमन भाभी ने आधी चॉकलेट अपने मुँह में रखी जिससे आधी चॉकलेट उनके मुँह से बाहर रहे और मुझे बोली- लो चॉकलेट खाओ।

मैंने सोचा कि भाभी मज़ाक कर रही है और मेरे पास जाते ही वे पूरी चॉकलेट खा जाएंगी।

मैं बेझिझक उनके पास गया पर भाभी हिली तक नहीं।
मुझे थोड़ा डर लगा पर हिम्मत कर मैं उनके होंठों के पास पहुँचा और चॉकलेट अपने मुँह में लिया।

भाभी की गर्म गर्म सांसें मेरी सांसों से टकरा रही थी.
मैंने बड़ी सावधानी से चॉकलेट को अपने दांतों से काटा और ऐसा करते वक्त मेरे होंठों ने भाभी के होंठों को छू लिया।

तब मैंने सुमन भाभी की तरफ देखा तो उनकी आंखें बंद थी.
मानो वे बस मेरा उनके होंठों को चूसने का इंतजार कर रही हों।

यह सोच कर मेरे लंड में करेंट दौड़ गया।

चॉकलेट काट कर मैं दूर हट गया … पर भाभी की आंखें अब भी बंद थी।

ये देख मैंने कहा- लो खा ली चॉकलेट बिना हाथ लगाये!

सुमन भाभी ने आंखें खोली मुझे देखा और गुस्से से बोली- तुम सच में बुद्धू के बुद्धू ही हो।

फिर थोड़ा शांत होकर बोली- आओ, तुम्हारी शबाशी के लिए एक हग तो बनता है।
भाभी मेरे पास आई और अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख दिए और रुक गई।
उनके होंठ मेरे होंठों के एकदम पास थे, उनकी गर्म सांसें मेरी सांसों से टकरा रही थी।

उस वक्त मुझे अहसास हुआ कि भाभी की वे सब बातें मजाक नहीं थी, भाभी मुझे पसंद करती थी और मुझे चोदना चाहती थी।

सुमन भाभी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और टाइट से गले लगा लिया।
भाभी के बदन का एक एक हिस्सा मैं महसूस कर सकता था।

मेरी गर्दन पर उनकी गर्म सांसें, उनके बदन की वो मादक खुशबू हाय … आज भी वो खुशबू मेरी सांसों में है.
भाभी के बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती को पीछे धकेल रहे थे।

ये सब महसूस करके मेरा लंड सख्त होने लगा, मैंने भी भाभी को टाइट से पकड़ लिया और उनकी पीठ सहलाने लगा।
अब मेरी उतेज़ना बढ़ रही थी, मैं भाभी की पीठ और कमर को दबाने लगा।

मैं हिम्मत करके अपने हाथ सुमन भाभी की गोल गांड तक ले गया, एक बार हल्के से सहला के देखा कि भाभी कुछ कहती हैं या नहीं।

भाभी ने कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।
मैं उनके गोल चूतड़ों को दोनों हाथों से दबाके अपने लंड की तरफ धकेलने लगा।

ऐसे करके मेरा लंड और भाभी की चूत आपस में रगड़ खा गए और भाभी की ‘आह … आउच …’ निकल गई।

इससे पहले मैंने कभी किसी लड़की को हग, किस या सेक्स नहीं किया था इसलिए मैं कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया था।

सुमन भाभी को ये समझने में देर नहीं लगी और मेरे कान में बोली- लगता है तुमने पहले कभी किसी लड़की को नहीं छुआ।

मैंने हां में अपना सिर हिलाया तो सुमन भाभी ने मेरी गर्दन पे चूमा और मेरे कान पर काट लिया।

तब मैंने भाभी को हटाना चाहा तो भाभी ने मुझे और कस के जकड़ लिया और कान पर फिर से काट लिया.

सुमन भाभी धीमे से अपने होंठों को मेरे होंठों के पास लायी और लब से लब मिला दिए.
क्या बताऊं … वो पहला होंठ से होंठ छूने का अहसास क्या था.

मुझे चूमना नहीं आता था तो मैं एक बच्चे की तरह चूम रहा था.
भाभी ने मुझे रोका और मुस्कुरा कर बोली- बुद्धू तुम्हें चूमना भी नहीं आता, सच में तुम तो कुंवारे हो।

भाभी को मुस्कुराती देख मैं गुस्से से भाभी को हटा कर जाने लगा.
तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और बोली- अरे … मेरे बच्चे को बुरा लगा. सॉरी अब नहीं कहूँगी!
और मुझे फिर से गले लगा लिया।

सुमन भाभी- मैं तुम्हें सब कुछ सिखाऊंगी अच्छे से!

भाभी ने कहा- अपना मुंह खोलो, मैं तुम्हारे ऊपर वाले होंठ को चूसूंगी और तुम मेरे नीचे वाले को! ठीक है?

इतना कह भाभी ने मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया.
मैंने भी भाभी का साथ देना शुरू कर दिया।

कुछ ही देर में हम मदमस्त होकर एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे, चूस रहे थे।
मैं भाभी की गोल गांड को सहला रहा था।

अब मुझे सुमन भाभी के रस से भरे हुए बूब्स को छूने की बेसबरी हो रही थी।
मैं अपने हाथ धीरे धीरे कमर से उनके बूब्स की तरफ ले गया.
और जैसे ही बूब्स को छुआ, भाभी एकदम हट गई और बोली- चलो, अब ब्रेक टाइम खत्म हो गया। कोई आ जाएगा तो प्रॉब्लम हो जाएगी।

मैने तरस भरी नजरों से भाभी को देखा फिर उनके गोल बड़े रसेदार बूब्स को देखा।

ये देख सुमन भाभी बोली सब आज ही कर लोगे सब्र रखो फल बहुत ही मीठा होगा तुम्हारे लिए।

जाते जाते सुमन भाभी ने मुझे एक मस्त ज़ोरदार गीली चुम्बन की फिर हम ऑफिस में चले गए।

अगले दो तीन दिन मौका नहीं मिला, कोई ना कोई आ जाता ब्रेक पर भाभी के साथ, सब ही भाभी के दीवाने थे।

मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था, रह रह कर भाभी के बदन की खुशबू मेरी सांसों में चढ़ रही थी।

ये सब याद करके मेरे रोंगटे खड़े हो जाते थे।

भाभी मेरी बेचैनी पहचान रही थी, बोली- एक काम करते हैं, अब से पहले मैं ब्रेक पर जाऊंगी, फिर तुम पीछे से आ जाना!

सुमन भाभी मुझे इशारा कर ब्रेक पर चली गई और मैं सीधा ऊपर वाले फ्लोर पर गया.
तो भाभी मेरा इंतजार कर रही थी।

मैं जाते ही भाभी पर टूट पड़ा उनको गले से लगा कर उनके रसीले होंठों को चूसने लगा।

अपने दोनों हाथों से उनके बदन को मेहसूस कर रहा था और उनकी गोल गांड को दबा और सहलाने लगा।

मैंने सुमन भाभी को पलटा और पीछे से उनके बाल एक साइड करके उन्हें गले लगाने लगा, फिर उनके गले और कान को चूमने लगा.
तो भाभी कांप उठी- ओह्ह … अहह!

मेरा ध्यान भाभी के बूब्स पर जा रहा था और मेरे हाथ भाभी के बूब्स को छूने को बेक़रार हो रहे थे।
मेरे हाथ अपने आप भाभी के बूब्स की तरफ बढ़ने लगे।

धीरे से मैंने भाभी के बूब्स को दबाया, भाभी ने कुछ नहीं कहा।
क्या बताएं … इतनी मुलायम चीज मैंने कभी नहीं छुई थी।

मैं अब सुमन भाभी के बूब्स को धीरे धीरे दबाने लगा और भाभी के कान को चूम भी रहा था।

भाभी के निप्पल सख्त हो रहे थे और मेरा लंड भाभी की गांड में टक्कर मार रहा था।
सुमन भाभी धीरे धीरे अपनी मुलायम गांड को मेरे लंड पर धकेल रही थी.

मैंने धीरे से भाभी के निप्पल को मसला तो भाभी की आउच निकल पड़ी.
तो मैं रुक गया और भाभी को सॉरी कहा।

सुमन भाभी हंसती हुई बोली- बुद्धू, ये अच्छी वाली आउच थी!
और इतना कह भाभी मेरे होंठों को चूसने लगी।

मैं भी हरी झंडी देख भाभी के स्वेटर में हाथ डाल उनके पेट को सहलाने लगा।

अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था … भाभी के बूब्स को देखने के लिए आंखें और दबाने के लिए हाथ, दोनों ही मचल रहे थे।

धीरे धीरे मैं हाथ भाभी की ब्रा पर ले गया और बूब्स को बाहर निकालने लगा तो भाभी ने मुझे रोक दिया।

सुमन भाभी बोली- हम ऑफिस में हैं और ब्रेक पर इतना टाइम नहीं है … थोड़ा रुको जान. चलो अब चलते हैं, देर हो रही है.

मुझे मायूस देख भाभी बोली- जान सब तुम्हारा ही है, मैं भी और मेरे बूब्स भी!

मैं जाने लगा तो दो सीढ़ी उतरते ही सुमन भाभी ने मुझे पीछे से आवाज़ दी- इधर देखो ज़रा!
मेरी आंखें खुली रह गई … देखा तो भाभी ने अपने बूब्स ब्रा से निकाल रखे थे।

बड़े बड़े गोल गोल रसीले बूब्स और भाभी मुस्कुरा रहीं थी.
मैं उन्हें छूने के लिए दौड़ा.
तो भाभी ने उन्हें फिर अपनी ब्रा में छुपा लिया.

सुमन भाभी- ठीक है … अब खुश? सही समय आने पर बहुत कुछ मिलेगा. तब तक थोड़ा तुम तड़पो, थोड़ा मैं! चलो अब चलते हैं, देर हो रही है.

हम फिर से ऑफिस में चले गए.

वीकेंड के बाद हम सोमवार को मिले.
जल्दी पहुँच कर मैं अपनी सीट पर बैठा था, पीछे से सुमन भाभी आई और मेरे कान में बोली- आज तुम्हारे लिए एक गुड न्यूज है।

जब हम ब्रेक पर साथ में आए तो मैंने पूछा- क्या गुड न्यूज है?
सुमन भाभी- आज मेरे पति अपने पापा मम्मी के पास गए हैं. वे कल आएंगे, आज रात घर पर मैं अकेली हूं।

जैसे ही मुझे यह पता चला तो मेरे मन में भाभी को चोदने के सपने दौड़ने लगे।
मेरा लंड तड़पने लगा.

समय बीत ही नहीं रहा था, लग रहा था जैसे रुक गया है।

मुझे इतना बेचैन देख सुमन भाभी ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- ऑफिस खत्म होने की वेट कर रहा हूं. और समय जैसे रुक गया हो आज!
भाभी हंस पड़ी और बोली- बहुत बेचैनी हो रही है जान?

ऑफिस खत्म होते ही लगभाग 2 बजे मैं सुमन भाभी के घर पहुंचा तो देखा भाभी मस्त काले रंग की नेट वाली नाइटी पहने हुई थी.
गजब की बला लग रही थी उस दिन सुमन भाभी!

सुमन भाभी ने मुझसे पूछा- पानी पियोगे?
मैंने कहा- आज तो दूध पिऊंगा।
भाभी बोली- तो रोका किसने है।

इतना सुन मैंने भाभी को गले लगा लिया.
उनके बूब्स मेरे सीने से टकरा रहे थे और मेरा लंड एकदम टाइट हो गया।

हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगे और पता नहीं कब लब मिल गए।

15 मिनट हम एक दूसरे के होंठों को चूमते और चूसते रहे, भाभी अपनी जीभ मेरे मुख में डाल देती तो कभी मेरे होंठों को चाटती।

भाभी की गर्दन पे चूमते ही सुमन भाभी ‘इस्स … आह्ह’ की आवाज़ निकालने लगी.

गर्दन पे चूमते हुए धीरे धीरे मैं भाभी के बूब्स की तरफ बढ़ने लगा तो भाभी बोली- आज मना नहीं करुँगी. डरो मत!

इतना सुन मैं सुमन भाभी के बूब्स पर टूट पड़ा, बूब्स को धीरे धीरे सहलाने लगा.
तो भाभी बोली- और ज़ोर से दबाओ ना जान!

और ज़ोर से दबाते हुए मैंने पूछा- इतनी ज़ोर से?
तो भाभी बोली- और ज़ोर से!

तब मैंने ज़ोर से बूब्स को मसलना शुरू कर दिया.
भाभी आहें भरने लगी- आह्ह … उम्म्म … आअह्ह!

बीच बीच में मैं निप्पल मसल देता तो भाभी तड़प उठती.

अब मैं बूब्स को नाइटी के ऊपर से चूमने लगा और निप्पलों को काटने लगा.
तो सुमन भाभी कहने लग्गी- आउच … आह … ओह … कितना अच्छा चूमते हो तुम!

भाभी इतनी गर्म हो चुकी थी कि उनके बूब्स एकदम तन गए थे, निप्पल एकदम टाइट हो गए थे।
एक हाथ से भाभी मेरे लंड को सहलाने लगी तो मैं अपने मुँह से बूब्स के निप्पल को चूस रहा था.

फिर भाभी ने अपनी नाइटी उतार दी।
भाभी ने ब्रा या पैंटी नही पहनी थी, अब भाभी एकदम नंगी थी.

और मुझे लग रहा था जैसे स्वर्ग की अप्सरा बिना कपड़ों के मेरे सामने बैठी हो।

एकदम परफेक्ट गोल गोल तने हुए बूब्स, खड़े टाइट निप्पल, एकदम क्लीन शेव चूत, देखते देखते भाभी ने मेरी टी-शर्ट उतार दी और मेरा सर पकड़ कर अपने बूब्स में घुसा दिया।

फिर एक बूब्स पकड़ कर निप्पल मेरे मुँह में डाल दिया और बोलने लगी- चूस लो … आज सारा दूध पी लो … जान, अपनी प्यास बुझा लो.

मैं उन तने और खड़े निप्पल को चूसने लगा.
तो भाभी कामुक आवाज़ और सिसकारियाँ भरने लगी- आह … जान … ओह्ह … बेबी … इस्सस … उम्मम्म … आह्ह्ह!

भाभी ने मेरे चेहरे को पकड़ कर मुझे चूमना शुरू किया और धीरे धीरे बेड पर लेट गई।

मैं भाभी के ऊपर था और भाभी मेरे नीचे!
हम दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे और मैं दोनों हाथों से भाभी के बूब्स को मसल रहा था।

मुझे तो जैसे खजाना मिल गया हो.
मैं भाभी के बूब्स को दोनों हाथों से मसल रहा था निप्पल को चूस और चाट रहा था.
भाभी कराह रही थी- आह्ह … अम्म्म … चूसो … सारा दूध पी लो … आह्ह्ह … आउच!

15 मिनट चूस चूस के मैंने भाभी के दोनों बूब्स को लाल कर दिया.

अब भाभी से और इंतजार नहीं हो रहा था।
भाभी ने मुझे धक्का दिया और मेरे लंड पर हाथ फिराते फिराते मेरी पैंट निकलने लगी.

उन्होंने एक ही झटके में पैंट और अंडरवियर दोनों निकाल दिए और मेरा लंड नाग की तरह फन उठाकर निकल आया।

भाभी ने एक बार अपने हाथ से मेरे लंड का माप लिया और एकदम से मेरे ऊपर लेट कर मुझे चूमने लगी.
भाभी ने मेरे कान में धीरे से कहा- तुम्हारे लंड का साइज अच्छा है!
और मेरे कान पर काट लिया।

भाभी मेरी गर्दन पर चूमने लगी और मेरा लंड भाभी की चूत को चूम रहा था.
तब मुझे एहसास हुआ कि भाभी की चूत तो गीली हो चुकी है.
भाभी की चूत में से जैसे आग निकल रही थी.

चूत लंड पे रगड़ते हुए भाभी ने मेरे निप्पल को चूसा, वह बड़ा ही अलग अहसास था।

मेरे पेट को चूमते हुए भाभी अपनी मंज़िल पर पहुंची, भाभी ने लंड को बड़े ही प्यार से चूमा और अपने मुँह में ले लिया, फिर गोलियों को चूम कर चाटने लगी।

फिर भाभी उठी और अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी.
अब भाभी ने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.

मैं भाभी की चूत में अपनी जीभ डाल कर हिला रहा था और भाभी अपनी गांड हिला कर मज़े ले रही थी.

“कितना मस्त चूस रही हो भाभी … मैं झड़ जाऊंगा!”
भाभी ने कहा- मुझे पिला दो अपने लंड का सारा रस!

मैंने भाभी के बाल पकड़े और अपने लंड को उनके मुँह में धक्का दिया और मैं झड़ गया.
भाभी मेरा सारा रस पी गई और लंड को चाट कर साफ कर दिया।

फिर भाभी लेट गई और बोली- जान, अब तुम मेरा पानी निकाल दो!
मेरा सिर पकड़ कर भाभी ने मेरा मुँह अपनी चूत पर लगाया और वे मेरा मुँह अपनी चूत पर रगड़ने लगी।

मैं जीभ से चूत को चाट रहा था और भाभी मेरे मुँह को अपनी चूत पर रगड़ रही थी।

भाभी की आवाज तेज होने लगी और उनका शरीर थोड़ा अकड़ने सा लगा, वे अपनी चूत को उठा उठा कर मेरे मुँह पर रगड़ने लगी।

सुमन भाभी- अह्ह्ह … उम्म्म … ओह्ह्ह … जान … ऐसे ही चाटो … हाँ … मैं आ रही हूँ जान … मैं आ रही हूँ … औ … आह्ह … येस … अहह अहह अहह!

2 मिनट बाद भाभी झड़ गई और उनका शरीर ढीला पड़ गया.
भाभी ने मुझे अपने ऊपर खींचा और चूमने लगी.

10 मिनट ऐसे ही चूमने के बाद भाभी ने मुझे एक तरफ पलट दिया मेरे ऊपर चढ़ कर लंड पर अपनी चूत घिसने लग गयीं।
भाभी ने बहुत अच्छी तरह से अपनी चूत में लंड को घिसकर फिर से कड़क कर दिया।

तब भाभी लंड पर अपनी चूत फंसा कर रगड़ने लगी, फिर हाथ से लंड अपनी चूत पर सेट करके भाभी ने लंड चूत में समा लिया.

“आहह हहह” मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे लंड किसी भट्टी में पेल दिया हो।

भाभी अपनी गांड गोल गोल हिला कर लंड को आगे पीछे करने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी- आह … अम्म्म … ओह्ह ह्ह्ह ह्ह्ह
ऐसी आवाजें कमरे में गूँजने लगी।

मैं दोनों हाथों से भाभी के बूब्स दबा रहा था, कभी मुँह उठा कर निप्पल चूसता तो कभी काट लेता और भाभी की ‘आहह … इस्शस … उम्म्म्’ निकल जाती।

मैं बूब्स को मसलने लगा, निप्पल को उँगलियों के बीच ला कर दबाने लगा और भाभी की आवाज़ तेज होने लगी- ओह्ह … आह्ह … जान … उम्म्म्!

भाभी अपनी टांगें खोल के उल्टी लेट गई और बोली- ऊपर आ जाओ!
मैं उनके ऊपर आया तो भाभी ने अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत पे सेट किया और मेरे एक झटके पे पूरा लंड चूत में धंस गया।

भाभी की ‘आहहह … आउच … ओह्ह’ निकल पड़ी और भाभी ने अपनी गांड आगे किसका ली और बोली- थोड़ी आराम से डालो जान!

कुछ ही देर में हमने मस्ती चढ़ने लगी और चुदाई के साथ-साथ ‘आह … उम्म … ओह्ह जान … ऐसे ही … और तेज़ जान … अह्ह्ह जान … ओह्ह …’ की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी।

मैं भाभी के ऊपर लेट कर पीछे से धक्के दिए जा रहा था जिससे भाभी की मदमस्त गांड से टप टप की आवाज़ गूंज रही थी।

जब भाभी झड़ने वाली थी तो सीधी हो गई और अपने पैर मेरे कंधों पर रख दिए.
मैंने लंड चूत में डाल दिया और चोदने लगा- छप … छप … पट … पट!

लंड चूत में अंदर तक ठोकर मार रहा था.
इससे भाभी मचल उठी और आन्हें भरने लगी- आह … उह्ह … अम्म … आ … उम्म् … ओह्ह ह … आ जाओ … जान … अह्ह्ह!

मैं भी पूरे मन से भाभी को चोद रहा था और मैं बस आने ही वाला था.
भाभी बोली- जान, मैं आने वाली हूं. अब मत रुकना … ऐसे ही चोदते रहो … रुकना नहीं … आह्ह ह्ह्ह … ओह्ह हआ … उम्म्म्!

“आह्ह ह्ह्ह … ओह सुमन … मैं आ रहा हूँ! आह्ह ओह सुमन … ओह सुमन … उम्म्म!”
“येस आ जाओ जान … आओ ना!”

“सुमन आ रहा हूँ … सुमन मैं आ रहा हूँ … आ!”
“आह्ह्ह ह्ह्ह … मैं आ रही हूँ जान … मैं आ रही हूँ … औ!”
“आह्ह्ह्ह … येस … अहह … अहह … अहह!”

हम दोनों झड़ गए.
भाभी मेरे साथ एकदम से चिपक गई और मुझे चूमने लगी.

चूम चूम के भाभी ने मेरे होंठ पे काट लिया और बोली- ये हमारी लव बाइट … जब देखोगे तुम्हें याद आएगी ये रात … आई लव यू जान!
“आई लव यू सुमन!”

उस रात हमने दो बार और चुदाई की और फिर सुबह 5 बजे मैं वहां से चला गया।

फिर जब भी ऐसा मौका मिलता तो भाभी मुझे बुला कर बड़े प्यार से चुदाई करवाती.
और ऐसे सुमन भाभी ने मुझे चुदाई के कुछ महत्वपूर्ण गुण सिखाए जो मैं कभी नहीं भूल सकता।

आज भी सुमन भाभी के बदन की खुशबू मुझे याद है और मुझे बेचैन कर देती है।
 
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सर्दी में भाभी की चूत की गर्मी मिली



फ्रेंड्स, मेरा नाम राहुल है. मैं दिल्ली से हूं.
मेरी हाइट सवा छह फीट की है और मेरा औजार काफी लंबा है.

मेरी भाभी का नाम सीमा है.
उनकी उम्र 32 साल की है.
भाभी का फिगर 32-28-34 का है, वे अभी एक 22-23 साल की लड़की जैसी ही लगती हैं.

यह न्यूड भाभी वांट फक कहानी कुछ समय पहले की है.
उस वक्त दिल्ली में शीत लहर चल रही थी.
बहुत तेज सर्दी थी, वह दिसंबर का महीना था.

उन दिनों हमारे घर में हम भाभी देवर और मेरी मम्मी ही थीं, भैया अपनी कंपनी के काम से बैंगलोर गए थे.

मैं दिल्ली में रह कर अपनी पढ़ाई कर रहा था और मम्मी गांव जाने वाली थीं.
रात को मैंने और भाभी ने खाना खाया.
उसके बाद भाभी अपने कमरे में सोने चली गई थीं.

रात में ठंड बहुत तेज थी और मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मैं अपने कंबल में लेटा था और करवटें बदल रहा था.

तभी भाभी मेरे कमरे में आईं और कहने लगीं- सोए नहीं राहुल?
मैंने कहा- भाभी, सर्दी बहुत तेज है, नींद नहीं आ रही है.

भाभी ने कहा- तुम्हारे कमरे में तो हीटर भी है, तब भी तुमको नींद नहीं आ रही है. खैर … क्या मैं यहां सो जाऊं?
मैंने कहा- हां आ जाओ. बस आप जरा हीटर को फुल पर कर देना.

वे हीटर को तेज स्पीड पर करके मेरे बेड पर आ गईं और मेरी तरफ गांड करके सोने लगीं.
मुझे पता नहीं क्यों आज भाभी का मूड कुछ बदला बदला सा लग रहा था.

रात के करीब एक बजे मेरी आंख खुली, तो हीटर के कारण कमरे में खासी गर्मी हो गई थी और शायद उसी कारण से भाभी ने कंबल से खुद को अलग कर लिया था.

उनकी साड़ी उनके घुटने के ऊपर थी और उनके बूब्स ब्लाउज से बाहर आ रहे थे.

मैंने अपने एक हाथ को उनकी गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया और अपना पैर उनके पैर के ऊपर रख दिया.

भाभी धीरे धीरे गर्म हो रही थीं.
उनकी मादक आहें निकलने लगी थीं.
मैं समझ गया कि न्यूड भाभी वांट फक!

फिर मैंने अपने दूसरा हाथ भाभी के बूब्स पर रख दिया और उनके बूब्स दबाने लगा.

भाभी अपनी गांड को मेरे लंड में चिपकाने लगीं और वे थोड़ी जोश में आने लगीं.
उसके बाद वे मेरी तरफ मुड़ गईं और हमारी लिप किस शुरू हो गई.

दस मिनट तक मैंने उनके होंठों को अच्छे से चूसा.
उनका हाथ मेरे लंड को मसल रहा था.

मैं भाभी को नंगी करने लगा.
उनके नंगे बूब्स और गांड देख कर मेरे लंड में तनाव आने लगा.

मैं भाभी के बूब्स को चूसने लगा और एक हाथ से उनकी चूत को रगड़ने लगा.
उनके दोनों मम्मों को मैंने बारी बारी से चूस चूस कर लाल कर दिया.

उसके बाद मैं भाभी की चूत को चूसने लगा.
भाभी गर्म गर्म सांसें ले रही थीं और अपने हाथ से मेरे सर को अपनी चूत में दबा रही थीं.

करीब 15 मिनट तक मैंने भाभी की चूत को चूसा तो भाभी अकड़ती हुई बड़बड़ाने लगीं और झड़ गईं!

मैं उनकी चूत को चूसता रहा और उनकी चूत की मलाई को चाट कर चूत चमका दी.

कुछ देर बाद भाभी उठीं और वे मेरे ऊपर आ गईं.
वे मेरे होंठों को किस करने लगीं और मेरा लंड सहलाने लगीं.

कुछ ही देर में भाभी के हाथ जोर जोर से मेरे लौड़े को मुठियाने लगे.
मैंने कहा- चूस लो न!

यह सुनते ही भाभी मेरे लंड को चूसने लगीं और मेरे गोटों को सहलाने लगीं.
मैं आप लोगों को एकदम सच बता रहा हूँ कि उस वक्त मुझे कैसा मजा आ रहा था.

भाभी के लंड चूसने से तो मुझे जन्नत मिल गई थी.
मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था, भाभी उसको चूसे जा रही थीं.

फिर भाभी कहने लगीं- देवर जी, अब चोद दो, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मैंने भाभी को उठाया और उनकी चूत को चूसने लगा.
उसके बाद मैं अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा.

भाभी तड़पने लगीं, वे बार बार कह रही थीं- जल्दी से चोद दो देवर जी … चोदो ना जल्दी से!
मैंने अपना पूरा लंड एक बार में भाभी की चूत के अन्दर डाल दिया.

भाभी जोर से चीख पड़ीं और ‘आह आह मर गई’ की आवाज करने लगीं.
उनकी आंखों से आंसू आने लगे, मैं समझ गया था कि भाभी बहुत दिनों से नहीं चुदी होंगी इसीलिए उनकी चूत की फांकें चिपक गई होंगी.

मैं उनको और तेज रफ्तार से चोदने लगा.

भाभी बस चिल्ला रही थीं और मेरी बाहों में तड़प रही थीं.
मैं उन्हें ताबड़तोड़ चोदता जा रहा था और उनकी चूत में लंबे लंबे झटके मारने लगा था.

वे भी अपनी तरफ से मेरे लौड़े का जमकर मुकाबला कर रही थीं और मेरे पाल पकड़ कर मुझे अपनी चूचियों की तरफ खींच रही थीं- चूची भी चूस साले … आह कितना अन्दर तक पेल रहा है लौड़े को आह मजा आ गया … अब तो सर्दी की मां का भोसड़ा … आह चोद राजा.

मैं भाभी की चूची को मुँह में भर कर उन्हें घचाघच घचाघच चोद भी रहा था और उनके दोनों दूध को बारी बारी से खींचता हुआ चूस रहा था.

चुदाई का घमासान अपने चरम पर आ गया था.
मेरा लंड उन्हें कई दिनों से चोदना चाहता था जिसका मौका मुझे आज मिल रहा था.

भाभी को भी देवर के लौड़े से चुदने में खूब मजा आ रहा था- आह अम्म आह चोद दे रगड़ दे आह बना ले अपनी रंडी आह!
उनकी प्यारी प्यारी कामुक आवाजों को सुनकर मैं और भी ज्यादा उत्तेजित हो रहा था.

मैं उनके ऊपर अपना पूरा वजन डालकर चढ़ गया और उनकी चूत को रगड़ कर चोदते हुए और जोर से चुम्मा चाटी करने लगा.

कुछ देर बाद मैंने उनकी दोनों टांगों को अपने कंधों के ऊपर रख लिया और लंड पेला तो पाया कि इस आसन में उनकी चूत पूरी खुल चुकी थी और उस खुली चूत में मैंने अपना भरा हुआ लंड डाल दिया.

मैं भाभी की पुनः चुदाई करने लगा.
वे आह आह कर रही थीं और अपनी गांड उठा उठा कर लंड ले रही थीं.

मैं अपने दोनों हाथों से उनकी टांगों को अपनी बांहों में दबाए हुए थे और भाभी को दबा कर चोद रहा था.

फिर मैं उनकी टांगों को उनके सीने के ऊपर झुकाता चला गया और इस अवस्था में भाभी लगभ दोहरी हो गई थीं.

मैं एक हाथ से उनके मम्मों को भी दबा रहा था और उनके होंठों को भी चूम रहा था.

भाभी- आ आह … बहुत अच्छा लग रहा है देवर जी … ऐसे तो तुम्हारे भैया भी मुझे नहीं चोद पाए … आह अम्म अम्म ऊह आह फाड़ दो मेरी चूत को!
मैंने कहा- भाभी, मैं भी आपसे बहुत प्यार करता हूं. मुझे आपके साथ सेक्स करने में बहुत ही मजा आ रहा है!

भाभी बोलीं- मुझे मालूम होता कि तुम मेरे साथ सेक्स करना चाहते हो तो मैं तो उसी के बाद मैं तुम्हारे पास आ जाती, जब तुम्हारे भैया बाहर गए थे! मुझे भी एक महीने तक वासना में तड़पना तो नहीं पड़ता!
मैंने कहा- भैया को आने में अभी 2 महीना और हैं न भाभी!
भाभी- हां हां मैं जानती हूं … आह तुम उनके आने तक मेरी लेते रहना ऊह आह!

बस हम दोनों का कुछ ही देर में रस झड़ने वाला था.
भाभी को भी वासना की नदी में डुबकी लगाने को मिलने वाला था और मुझे भी.

उस वक्त मैंने अपनी चुदाई की रफ्तार और बढ़ा दी और मैं भाभी की चूत की चुदाई और जोर जोर से करने लगा.
साथ ही मैं अपने हाथ से उनकी चूत के ऊपर दाने को भी मसलने लगा.

भाभी को बहुत ही ज्यादा चरमसुख और वासना का मजा मिल रहा था.
फिर जैसे ही मेरा झड़ने वाला था, मैंने अपना लंड बाहर निकाला और भाभी के पेट पर अपना सारा माल झाड़ दिया.

मैं और भाभी हम दोनों बहुत ज्यादा थक गए थे इसलिए मैं भाभी के ऊपर गिर गया और भाभी ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
वह मेरे सिर को अपने नर्म हाथों से सहलाने लगीं. साथ ही मेरी गांड के ऊपर अपने हाथ फेरने लगीं.

भाभी कहने लगीं- तुमने मुझे असली प्यार दिया है!
मैंने कहा- अभी 2 महीने और हैं भाभी जी … क्यों परेशान हो रही हो!

हम दोनों हंसने लगे और मैं भाभी की बांहों में ही सो गया.
मैं कुछ देर बाद उठा और देखा भाभी मेरे ऊपर पड़ी दी थीं नींद में बड़बड़ा रही थीं.

मैंने उनके बूब्स दबाने शुरू कर दिए और अपना खड़ा लंड भाभी की गांड में दबा दिया.

थोड़ी देर में यूं ही पड़ा रहा था, फिर लंड की अकड़न से भाभी भी होश में आने लगीं और मजा लेने लगीं.

मैंने उस रात भाभी को 3 राउंड चोदा और उन्हें थका दिया.
भाभी की चूत दर्द करने लगी थी.

फिर हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए.
सुबह भाभी मेरे पास आईं और मुझे जगाती हुई बोलीं- देवर जी, नहा लो और नाश्ता कर लो.

मैंने कहा- भाभी, आज तुम्हारे साथ नहाना है. चलो न मेरे रूम वाले बाथरूम में!
उन्होंने मना कर दिया- अभी नहीं, मम्मी जी देख लेंगी.
मैंने कहा- चलो ना भाभी, कोई नहीं देखेगा … मम्मी जी तो वैसे भी मंदिर जाने वाली होंगी.
भाभी ने कहा- ओके, पहले उन्हें चली जाने दो, उसके बाद करते हैं.

जैसे ही मम्मी बाहर गईं, मैंने भाभी को इशारा कर दिया!
भाभी ने हंस कर कहा- तुम चलो, मैं आती हूं.

जैसे ही मैं बाथरूम में अन्दर आया, पीछे से भाभी भी अन्दर आ गईं.

मैंने उनको पीछे से अपनी बांहों में ले लिया और गर्दन को चूमने लगा.
भाभी घूम कर सामने से आ गईं और हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे.
फुल मजे में भाभी लिपकिस कर रही थीं और वे मेरे होंठों को काटे जा रही थीं.

हम दोनों के कपड़े अलग हो गए, तभी मैंने फव्वारा चालू कर दिया और हम दोनों नहाने लगे.
भाभी मेरा लंड सहलाने लगीं और नीचे बैठ कर चूमने लगीं.

उनके मुँह में जाते ही मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया.
मैं भी उनका सर पकड़ कर मुँह चोदने लगा.

भाभी भी फुल मजे में अपना मुँह चुदवा रही थीं.

दस मिनट बाद मैंने सारा माल़ भाभी के मुँह में छोड़ दिया.

भाभी बड़े मजे से सारा रस पी गईं.
फिर मैं फर्श पर लेट गया और 69 में आकर भाभी की चूत चाटने लगा.
भाभी मेरा लंड चूसने लगीं.

कुछ ही देर बाद भाभी की चूत हॉट हो गई और वे चिल्लाने लगीं- आह … जोर जोर से देवर जी … अब चोद दो … बर्दाश्त नहीं हो रहा है!

फिर मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत मारने लगा.

भाभी पूरी पागल हो गई थीं और गाली देने लगी थीं- देवर साले, चोद ना … फाड़ दे मेरी चूत को … आह अपनी राण्ड बना ले मुझको … ऐसे ही रोज चोदना मुझको … अह अह्ह फाड़ दी बहन के लौड़े ने मेरी चूत!
मैं भाभी को धकापेल चोदे जा रहा था.

करीब पंद्रह मिनट बाद मैंने अपना सारा माल भाभी की चूत में ही निकाल दिया और भाभी देवर दोनों एक साथ शांत हो गए.
फिर हम दोनों नहाकर बाहर आए और खाना खाया.

अब जब घर में कोई नहीं रहता है, तो मैं भाभी को बहुत चोदता हूँ.
कभी कभी तो हम दोनों छत पर भी जाकर भी खुले में चुदाई करते हैं!
 
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मेरी विधवा मां की चुत चुदाई- 1



दोस्तो, यह सेक्स कहानी मेरी विधवा मां की चुदाई की सच्ची घटना पर आधारित है.

मेरी विधवा मां का नाम अर्चना है.
जब मां की उम्र 28 साल थी और मैं 2 वर्ष का था, तभी मेरे पापा की मृत्यु हो गयी थी.

मेरी मां ने दूसरी शादी नहीं की और पापा की जगह मां को नौकरी मिल गई.
उनकी नौकरी सरकारी दफ्तर में बाबू की लग गयी थी क्योंकि पापा सरकारी नौकरी में थे.

उसके बाद यह Xxx कॉम हिंदी कहानी मई, 2020 की है. उस समय मेरी उम्र 19 वर्ष और मां की उम्र 45 वर्ष हो गई थी.

उस दिन मैं सरकारी नौकरी का अपना पेपर देने मुरादाबाद गया हुआ था औऱ वापिस 12 बजे वाली गाड़ी से आ रहा था.
मेरी मां को ये मालूम था कि मैं कल आऊंगा जबकि मैं उसी रात 12 बजे स्टेशन पर उतरकर रिक्शा से घर पहुंच गया.

मेरे पास घर के गेट की एक चाबी रहती है इसलिए मैंने सोचा कि मां को क्या उठाऊं, खुद ही गेट खोल लेता हूं.
मैंने घर के दरवाजे पर पहुंचकर चाबी से गेट खोला और ये सोचकर धीरे से घर में दाखिल हुआ कि कहीं मां की नींद खराब न हो जाए.

जैसे ही मैं हाल में पहुंचा तो देखा कि मां के रूम की लाइट जल रही थी.
कमरे का दरवाजा खुला था औऱ कमरे से मां के कराहने औऱ उनकी सिसकारियों की दबी दबी आवाज़ आ रही थी.

मैं मां के रूम की ओऱ बढ़ा, तो नजारा देखकर मेरे होश उड़ गए.

मां बेड पर बिल्कुल नंगी पड़ी थीं और मेरे फूफा, जिनका नाम संजीव है, वो बेड के नीचे पंजों पर बैठकर मां की चूत चाट रहे थे.
साथ ही वो अपने एक हाथ से मां की एक चूची दबा रहे थे.

यह सीन देख कर मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था.
मैं सनाका खा गया था और एकटक उन दोनों को देखे जा रहा था.

कुछ ही पल बाद मुझे मेरी मां एक मस्त माल दिखने लगी थीं.
मैंने आज तक अपनी मम्मी को नंगी नहीं देखा था और जब आज उन्हें यूं नंगी देखा, तो वो मुझे किसी मादक माल जैसी लगीं.

मैं गेट के किनारे चुपके से सब देख रहा था कि देखूं आगे क्या होगा.

साथ ही मैं सोचने लगा कि मेरी मां कितनी बड़ी रंडी हैं, जो अपने ननदोई से चुद रही हैं.

तभी फूफा खड़े हो गए औऱ उन्होंने मां को इशारा किया.
मां बेड से तुरंत खड़ी होकर फूफा के सामने घुटनों पर बैठ गईं.

फूफा मां की ओर घूमे, तो मुझे फूफा का लंड दिखा, जो तकरीबन 3.5 इंच का था.
मां ने उनका लंड पकड़ा औऱ चूसने लगीं.

कुछ मिनट लंड चुसाई के बाद फूफा का लंड 6 इंच का हो गया था.

मां बोलीं- संजीव, अब तुम जल्दी से मेरी चुदाई कर दो, यदि तुम मेरी जिंदगी में न आते तो न जाने मेरा क्या होता.
फूफा जी बोले- खड़ी हो जा मेरी जान, ये मेरा लंड तेरे लिए और तेरी ननद के लिए ही है.

तो मां बोली- हां संजीव, अब मेरी चूत पूरी गर्म हो गई है, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है. आज तुम मेरी ताबड़तोड़ चुदाई कर दो.
मां उठकर बेड के किनारे टांगें मोड़कर लेट गईं औऱ अपनी गोरी व मोटी चूचियों को मसलने लगीं.

फूफा जी अपने लंड को हाथ से आगे पीछे करते हुए बिस्तर पर आ गए.
वो मां की टांगों के बीच आकर लंड मां की चूत पर रगड़ने लगे.

तभी मुझे न जाने क्या हुआ, मैं ग़ुस्से से चिल्ला कर फूफा की ओऱ बढ़ा- साले कुत्ते, तुझे शर्म नहीं आती मादरचोद!
मैंने आगे जाकर फूफा का गला पकड़ लिया.

अचानक मुझे देखकर दोनों घबरा गए; दोनों के चेहरे सफेद पड़ गए थे.
मां घबराकर बोलीं- मयंक बेटा, तू यहां कैसे?

वो बेडशीट से अपने नंगे बदन को ढककर मेरे आगे हाथ जोड़कर रोती हुई बोलीं- मयंक बेटा, मुझे माफ कर दो, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है, बेटा मुझे माफ कर दो.
मेरी मां ज़ोर ज़ोर से रोने लगीं.

उधर मेरा फूफा अपने कपड़े उठा कर भाग गया.
मुझे मां पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था.
मैं गुस्से में छत पर चला गया औऱ मां का नंगा बदन और चिकनी चूत मेरी नजरों में घूमने लगी.

मैंने एक सिगरेट जला ली और धुंआ उड़ाते हुए मां के बारे में सोचने लगा.
उनका नंगा बदन सोचकर मेरा लंड खड़ा हो गया था.

मैं सोचने लगा कि पापा की मृत्यु के बाद मां को लंड की चाहत ने ये करने पर मजबूर किया है, क्यों न मां की प्यास घर के अन्दर मैं ही बुझा दूँ, इससे मां को बाहर मुँह मारने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
कुछ देर तक मैं मां को चोदने की बात सोचता रहा. मुझे उनका मादक जिस्म बार बार कामुक कर रहा था.

मां की प्यास को लेकर मेरे मन में उन्हें चोदने का ख्याल पक्का हो गया था.
मैंने सोच लिया था कि भले ही मेरा उनका मां बेटे का रिश्ता है मगर लंड चुत में सिर्फ एक ही रिश्ता होता है और वो रिश्ता चुदाई का होता है.

मां को चोदने की ख्वाहिश लेकर मैं अपने कमरे में आ गया औऱ अल्मारी से शराब की बोतल निकालकर बैठ गया.

मैंने जल्दी जल्दी 4 पैग लगा लिए. इससे मुझे ख़ासा नशा हो गया औऱ मेरी आंखों में मां का नंगा बदन औऱ चिकनी चूत घूमने लगी.

अब मैं वासना से पागल हुआ जा रहा था.
उधर कमरे में अकेली मां थी.

तभी मेरे रूम में किसी के आने की आहट हुई, मैंने नजर उठाकर देखा तो सामने मां खड़ी थीं.
उन्हें देखकर मैंने मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया.

मां- मयंक बेटा, मुझसे बड़ी भूल हो गई है, मुझको माफ कर दे.
मैं कुछ नहीं बोला.

मां- तू कुछ तो बोल बेटा, मुझे जान से मार दे.
मैं पलटा औऱ बोला- मां, तुमने मुझे धोखा दिया है. न जाने फूफा से कब से चुद रही हो. तुम्हें उनसे चुदने में शर्म नहीं आई? मैं क्या मर गया था!

मेरी बात सुनकर मेरी मां ने मेरी तरफ देखा और सर झुका लिया.
एक पल रुक कर मैं फिर से बोला.

मैं- मैं बुआ औऱ दादी को तुम्हारी करतूत बताऊंगा.
मां दबी हुई आवाज में बोलीं- मयंक तुझे जो चाहिए, मैं दूंगी, लेकिन बेटा ये बात किसी को मत बताना. मैं बदनाम हो जाऊंगी. तुझे मेरी कसम है.

मेरी नजरों में वासना थी औऱ मैंने शराब भी पी रखी थी.
मां की इस बात को सुनकर मैं सोचने लगा कि मां के कहने का अर्थ क्या है कि क्या वो उनकी फूफा जी के साथ हो रही घटना को न बताने के लिए कह रही हैं … या मेरे साथ लेटने की बात को न बताने की बात कह रही हैं.

मैं कुछ सोच कर बोला- मां, तुझे इस गलती की कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी.
मां सोचती हुई बोलीं- क़ीमत … कैसी कीमत बेटा?

इस समय मां मेरे सामने मेरे पलंग पर बैठी थीं.

मैं बोला- मां, एक शर्त पर मैं तुम्हारी बात को अपने तक सीमित रख सकता हूं.
मां- कैसी शर्त बेटा?

मैंने तुरन्त अपना बरमुडा नीचे करके अपना मोटा लम्बा लंड मां की आंखों के सामने कर दिया.
मां मेरा लंड देखने लगीं.
हालांकि उस वक्त मेरा लंड पूरा टाईट नहीं था मगर तब भी वो वासना के कारण तना हुआ था.

मां- ये क्या बदतमीजी है मयंक, तुझे शर्म नहीं आती अपनी मां के सामने ऐसा करते हुए … छी:!
मैंने मां से कहा- अब तुम बड़ी सती सावित्री बन रही हो, फूफा का लंड बड़े मजे से चूस रही थी. अब जब घर में ही लंड सामने है, तो नखरे दिखा रही हो?

मां मेरे लंड को लगातार देखती हुई बोलीं- वो तेरे फूफा थे, लेकिन तू मेरा बेटा है. मां बेटे के बीच में ये सब नहीं हो सकता. तुझे पाप लगेगा.
मैं लंड हिलाते हुए बोला- मां, मैं जानता हूँ कि तुम भी प्यासी हो, आओ मेरा लंड चूसो.

मां ललचाई नजरों से मेरे मोटे लंड को देखती हुई बोलीं- नहीं मयंक, ये गलत है … मुझसे नहीं हो सकता है. तू मेरी बात मान जा बेटा.
मैं उनकी तरफ बढ़ा और लंड उनके मुँह के पास करते हुए बोला- मां, जब चूत भूखी हो, तब चूत को सिर्फ लंड की चाहत होती है. आपकी चुत को लंड चाहिए. मेरा लंड आपके सामने हाजिर है. ले लो इसे मुँह में … और अपनी प्यास बुझा लो.

मैंने मां को अपने नजदीक किया और अपने हाथों से उनका चेहरा पकड़ लिया.
मां कुछ नहीं बोलीं और मेरे हाथ के जरा से दबाव से मेरे करीब हो गईं.
मैं उनके होंठ चूसने लगा.

फिर अचानक मां मुझे पीछे ढकेलती हुई बोलीं- ना बेटा … मुझे दूर हो जा प्लीज़!
मैं उनके होंठ चूमने की कोशिश करता रहा.

वो कंपकंपाती हुई बोलीं- ये कभी नहीं हो सकता बेटा. मेरी प्यास को मैं तुझसे कैसे बुझवा सकती हूँ.
ये कहते हुए मां अपनी प्यासी आंखों से लंड देखने लगीं.

मैं अपने लंड को हिलाने लगा औऱ बोला- मम्मी, तुम अपना जीवन नष्ट कर लोगी और अपनी प्यास को किसी भी ऐरे-गैरे से बुझवा कर अपने लिए खतरा लेती रहोगी.
मां मेरे सीने से चिपक गईं और मुझे चूमती हुई बोलीं- ठीक है, जैसा तू चाहे. बस तू मुझे ठंडा कर दे.

मैं- हां कर दूंगा, चलो पहले मेरा लंड चूसो मेरी प्यारी मम्मी.
मां- हां मैं तेरे लंड की चुसाई भी करूंगी और तुम्हें अपनी जवानी से खुश भी कर दूंगी.

उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और मुँह में लंड लेकर चूसने लगीं.
आह … मैं बता नहीं सकता कि मेरा लंड मम्मी के मुंह में जाने से मुझे कितना ज्यादा सुख मिल रहा था. मैं पागल हो गया औऱ मम्मी के बालों में हाथ घुमाने लगा.

लेकिन मम्मी मेरे मोटे लंड को सिर्फ़ तीन इंच तक ही चूस पा रही थीं.
मैं- मम्मी, पूरा लंड अन्दर तक लेकर चूसो न … आह बहुत मजा आ रहा है.

मां- मैंने अपनी लाइफ में इतना बड़ा लंड नहीं देखा है. मुझसे अब और अन्दर तक नहीं होगा.
ये कह कर वो उठ खड़ी हुईं.

मैंने मम्मी को कसके पकड़ा और उनके होंठ चूसने लगा.
मम्मी भी रिस्पांस दे रही थीं. उनके मुँह की गर्मी मेरे लंड की आग भड़का रही थी.

फिर मैंने मम्मी की टी-शर्ट फाड़ कर उतारनी चाही तो मम्मी मुझे रोकती हुई बोलीं- नहीं मयंक ऐसे मत कर, प्यार से उतार ले न!
मैं मम्मी के होंठ चूसता हुआ बोला- मम्मी मत रोको, आज मुझे अपने मन की कर लेने दो.

मैंने मम्मी की टी-शर्ट को फाड़ कर उतारा और उनको ऊपर से नंगी कर दिया.
मेरे सामने मम्मी एक काले रंग की कसी हुई ब्रा में थीं.
ओह माय गॉड, क्या बूब्स थे मम्मी के, बिल्कुल सफेद, गोरे और चिकने.

मैं पागल सा हो गया.
मैंने तुरंत मम्मी को अपनी बांहों में भरा और हाथ पीछे ले जाकर उनकी काले रंग की ब्रा के हुक खोल दिए.

मम्मी की चूचियां उछल कर बाहर आ गईं. मम्मी ने अपने हाथों से अपनी दोनों चूचियां ढक लीं और मेरी तरफ वासना से देखने लगीं.

मैं- क्या मम्मी इतनी खूबसूरत चूचियों को क्यों ढक रही हो.

मैंने मम्मी का हाथ हटाया और एक चूची का निप्पल मुँह में भर लिया.
मैं बड़ी दीवानगी से मुंह में दूध भरकर चूसने लगा.

मम्मी की चूचियां बिल्कुल कमसिन लड़की जैसी थीं.

वो भी मेरे सर पर हाथ फेर कर मुझे अपनी चूचियां पिला रही थीं.
मैं उनकी दोनों चूचियों को दस मिनट तक पागलों की तरह चूसता रहा औऱ मम्मी मेरे सर पर हाथ फेरती हुई दूसरे हाथ से अपनी चूत को लोवर के ऊपर से मसलने लगी थीं.

वो कामुक सिसकारी भी भरने लगी थीं.
मम्मी- ओह … मयंक मैं मर जाऊंगी, क्या कर दिया तूने आह … आह.

मैंने मौके की नजाकत देखते हुए मम्मी के लोअर की इलास्टिक पकड़ कर नीचे खींच दिया.
मम्मी ने हल्का सा विरोध दिखाने के लिए लोअर को पकड़ने की नाकाम से कोशिश की, लेकिन मेरे इरादे के सामने वो फेल हो गईं.

कुछ ही सेकंड में लोअर मम्मी की टांगों से बाहर हो गया.
मम्मी की फूली हुई चूत लाल पैंटी में छिपी थी.

मैंने अपना मुँह पैंटी के ऊपर रखकर चूत को चाटने की शुरूआत कर दी.
मम्मी की चूत मखमली और गद्देदार थी. उनकी पैंटी से मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी.

मैंने अपनी उंगली पैंटी की इलास्टिक में फंसाकर पैंटी नीचे खींचना चाही लेकिन मम्मी मदहोशी में बोलीं- बेटा एक बार फिर से सोच ले कि तू अपनी मां की चुदाई करने जा रहा है. अभी भी समय है मान जा. बाद में मत पछताना कि तूने मेरे साथ ऐसा किया है.
मैंने कहा- अब हम दोनों इतने आगे आ गए हैं मां, अब तुम ऐसा क्यों कह रही हो?

मां ने कहा- क्योंकि तूने शराब पी हुई है.
मैंने कहा- शराब से ज्यादा नशा तो मुझे इन मदमस्त चूचियों का चढ़ गया है. तुमको भी नशा करना हो मां, तो मैं तुम्हें भी शराब पिला सकता हूँ.

मां ने मेरे लंड को हिलाते हुए कहा- मुझे अभी उसकी जरूरत नहीं है. अभी इसी को पीकर मुझे मजा आ रहा है.
दोस्तो, मैं अपनी मां की चुदाई की कहानी आपको अगले भाग में पूरी सुनाऊंगा.
 

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मेरी विधवा मां की चूत चुदाई- 2




हैलो फ्रेंड्स, मैं मयंक आपको अपनी विधवा मां की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी मां मुझसे चुदने के लिए बेकरार हो गई थीं.

अब आगे

मां की बात सुनकर मैंने जोर लगाकर पैंटी जांघों से नीचे कर दी.

वाह … क्या मखमली औऱ खुशबूदार चूत थी. मैं चूत देखकर उस पर टूट पड़ा.
दोनों हाथों से मम्मी के चूतड़ कसके पकड़ लिए जो कि मलाई जैसे थे.

मैं अपनी जीभ चूत की फांकों के बीच गहराई तक घुमाने लगा.
मम्मी- आह मयंक … क्या कर दिया तूने … आह मैं मर ना जाऊं आज … अह … उई मां.

मां की चूत गोरे रंग की और खुशबूदार थी. मैं जीभ चूत की गहराई तक घुमाने लगा.
मम्मी अपनी चूचियों को मसलती हुई बार बार चूत को मेरी ओर धकेल रही थीं.

मैंने एक उंगली से चूत को चोदना शुरू कर दिया औऱ साथ साथ चूत की फांकों को होंठों में दबाकर चूसता रहा.
लगभग दस मिनट की फ़िंगरिंग और चूत चटाई के बाद एकाएक मम्मी का शरीर अकड़ने लगा और उन्होंने मेरा सिर अपनी चूत पर तेजी से दबा लिया.

मां- आह मैं गई … अहा.
मम्मी तेजी से झड़ गईं.
मैंने चूत का सारा पानी पी लिया.

मम्मी की सांसें बहुत तेज चल रही थीं- हाय मैं तो गई आह रब्बा.
मैं उनकी चूत को लगातार चूसता रहा.

मम्मी ने अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया.
मैंने मम्मी के हाथ उनके चेहरे से हटाकर मम्मी को पलंग से उठाया और कंधे पकड़कर अपने सामने नीच घुटनों पर बैठा लिया.

इस समय मेरा लंड पूरे उफान पर था.
मां ने सिहरते हुए मुँह खोला तो मैंने तुरन्त लंड मुँह में पेल दिया.
मम्मी मेरा लंड चूसने लगीं.

कुछ मिनट की लंड चुसाई के बाद मेरा लंड फूलने लगा और लोहे जैसा हो गया.
मम्मी के मुंह में लंड अब जा नहीं पा रहा था. मम्मी पीछे हटने लगीं.

तो मैंने जोश में कहा- अपना पानी तो निकाल लिया है अब मेरा लंड चूसकर मेरा भी पानी निकाल दो.
मम्मी- मयंक बेटा, मुझे माफ़ कर दे, तेरा लंड चूसना मेरे बस की बात नहीं है … ये बहुत बड़ा है. मेरे क्या किसी औरत या लड़क़ी के बस में नहीं है.

मैं फिर से उनके होंठों को चूसने लगा.
मम्मी भी फुल रिस्पांस देने लगी थीं.

मेरे हाथ इस समय मम्मी के दोनों चूतड़ मसल रहे थे. बड़े मुलायम चूतड़ थे.
मेरा गधे जैसा लंड मम्मी की मांसल चूत से रगड़ खा रहा था.

अचानक मम्मी ने मेरा लौड़ा पकड़ लिया औऱ उसकी खाल हटा कर सुपारे को तेजी से आगे पीछे करने लगीं.
मेरा लौड़ा फटने को हो रहा था.

मैंने एकदम से मम्मी को बेड पर गिरा दिया औऱ अपने लंबे मोटे लौड़े को मम्मी की गर्म चूत पर रगड़ने लगा.
मोटे लंड से चुदने के डर से मम्मी तुरंत पीछे को सरक गईं औऱ घुटने मोड़कर दीवार के सहारे बैठकर कहने लगीं- नहीं नहीं, ये नहीं हो सकता है. मां बेटे के बीच ये सब नहीं हो सकता है. ये पाप होगा. ये गलत है मयंक, तू पगला गया है, जो अपनी सगी मां के साथ ऐसा करने की सोच रहा है. भगवान कभी ऐसे बेटे को माफ़ नहीं करेगा.

मुझे चिड़िया जाल से निकलते दिखने लगी- ये कुछ नया नहीं है, मेरे कई दोस्त अपनी मां औऱ बहन को चोदते हैं. इसमें हर्ज़ क्या है. मुझे तुम्हारी चुदाई करनी है, तो बस करनी है.
मम्मी कहने लगीं- बेटा अब भी वक्त है, मुझे छोड़ दे, मैं अपने बेटे के साथ सेक्स कैसे कर सकती हूं.

मैं मम्मी के सामने खड़ा अपना मूसल समान लंड को हिला रहा था.
बचने की उम्मीद ना देखते हुए मम्मी बोलीं- तू चाहे तो अपना लंड चूत के ऊपर रगड़ कर अपना काम निपटा सकता है. लेकिन इस बात की गारंटी दे कि अन्दर नहीं डालेगा.

मैंने मना किया- अन्दर क्यों नहीं, क्या दिक्कत है?
मां- एक तो हम दोनों मां बेटा हैं, दूसरे औरत की चूत की गहराई इतनी ज्यादा नहीं होती है कि इस तरह का लंड अन्दर तक ले सके. तुम्हारा लंड मेरी बच्चेदानी को फाड़कर मेरी अंतड़ियां बाहर निकाल देगा. ये किसी भी लड़की की हालत खराब कर देगा. क्या तू मुझे मारना चाहता है?

मैं- क्यों फालतू की बकचोदी कर रही हो मम्मी. यदि ऐसा होता तो अफ्रीका के बड़े बड़े लंड वाले क्या हाथ से हिला कर औलादे पैदा करते हैं. उनके लंड तो गधे के लंड के जैसे होते हैं.
मम्मी मेरे सामने हाथ जोड़कर बोलीं- तू अपने मन की करके ही रहेगा. तू आज अपनी मां की चूत फाड़ना चाहता है, तो बेशक फाड़ दे.

मैंने लंड मम्मी की चूत की फांकों के बीच फंसा दिया, लेकिन मम्मी ने अपना शरीर टाइट किया हुआ था, जिससे लंड सैट नहीं हो रहा था.
मैंने जांघों को सख्ती से फैलाया और लंड का टॉप चूत में घुसेड़ दिया.

मम्मी- आह मर गयी … बहुत मोटा है … निकाल ले बाहर मयंक.
मैं क़मर हिलाकर मम्मी की चूत चोदने लगा.

अभी मैं सिर्फ़ 4 इंच लंड से चोद रहा था.

मैंने दस मिनट चोदने के बाद लंड को ज्यादा घुसाने की कोशिश की तो मम्मी ने अपने हाथ मेरे पेट पर अड़ा दिए ताकि मैं ज़्यादा ना घुसा सकूं.
मम्मी बोलीं- मैं इससे ज्यादा सह नहीं पाऊंगी.
मैंने कहा- ठीक है, चिंता मत करो.

तब मैंने मम्मी को बेड पर ऊपर को सरकाया और उनके ऊपर पोजीशन बना ली.
मैंने अपने हाथ मम्मी की चूचियों के बगल में बेड पर टिकाए और पैर बेड के किनारे रखकर पंजों व हाथों पर बॉडी का बैलेंस बना लिया, फिर कूल्हे हिलाकर चूत के मुंह पर लंड सैट करके एक धक्का दे दिया.

मेरा लंड चूत को चीरता हुआ 5 इंच अन्दर सरक गया.
मम्मी- आह ह … मर गई आज तो मैं!

मैंने अपना मुँह मम्मी के होंठों पर जमा दिया और उनकी चीख को बंद करके अपनी चुदाई की तरफ ध्यान दिया.
मैं धकापेल चोदने लगा.

इस पोजीशन में करीब दस मिनट चोदने के बाद मेरा मन पूरा लंड अन्दर ड़ालने को हो रहा था लेकिन मम्मी ने अपने दोनों हाथ मेरे पेट पर कसके अड़ा रखे थे.
तभी अचानक मम्मी हिलीं और मेरे शरीर का बैलंस बिगड़ गया. मेरा पूरा भार मम्मी के ऊपर आने से जो लंड चूत से बाहर था, सीधे चूत को फाड़ता हुआ अन्दर सरक गया.

मम्मी छटपटाने लगीं, उनकी आंखें बाहर आ गईं और मुँह खुल गया.
उनके मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी. पूरा लंड घुस जाने से मुझे बड़ा सुकून मिला.

मैंने आव देखा ना ताव और मम्मी की चूत फाड़ने लगा; मैंने ताबड़तोड़ धक्के लगाने स्टार्ट कर दिए.
मम्मी मेरा लंड झेल नहीं पा रही थीं औऱ उनकी आंखें फ़ैल गई थीं.

मैं चोदने में मस्त था, तभी मैंने मम्मी के होंठ चूसना चाहे, तो मुझे कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला.
मैंने गौर से देखा तो मम्मी बेहोश हो चुकी थीं.

मैं रुक गया औऱ लंड की ओर देखा. मेरा पूरा लंड चूत के अन्दर था औऱ मम्मी की चूत लंड के चारों और टाइट चिपकी हुई थी. देखने से लग रहा था कि चूत फट जाएगी.
मैंने लंड बाहर खींचा तो पाया कि लंड खून से भीगा हुआ था.

मैं सोच में पड़ गया कि 45 साल की औरत की चूत से खून कैसे आया.
शायद मेरे लंड से चूत जख्मी हो चुकी थी.

मैंने सोचा कि कुछ भी हो जाए, आज इस चूत को फाड़ कर ही रहूँगा. मैंने पास रखे जग से पानी लेकर मम्मी के मुंह पर डाला.

मम्मी होश में आ गईं औऱ कराहने लगीं- मयंक मत कर बेटा, मेरी जान निकल जाएगी आज, तेरा ये बहुत बड़ा और मोटा है.
मैं- मम्मी मेरे लंड ने आपकी चूत में अब जगह बना ली है, अब आपको बाहर लंड नहीं ढूंढना पड़ेगा.

मैंने फिर से लंड चूत की फांकों में फंसा दिया और मम्मी की गोरी गोरी चूचियां चूसने लगा.
मम्मी को कराहना बंद नहीं हो रहा था.

बिना परवाह किए मैंने एक ही झटके में अपना समूचा लंड मम्मी की चूत में उतार दिया.
मेरा लंड बहुत टाइट जा रहा गया था.
इससे ये तो क्लियर हो गया था कि मम्मी ने ज्यादा सेक्स नहीं किया था.

मम्मी फिर से छटपटाने लगीं.

लेकिन मैं अब कहां रूकने वाला था … मैंने ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी.

प्रति मिनट 40-50 धक्के चूत पर लग रहे थे. पूरे कमरे में मम्मी की चीखें गूंज रही थीं.
काफी देर तक चोदने के बाद मैंने लंड बाहर निकाला औऱ उछल कर मम्मी की छाती पर दोनों तरफ़ टांग करके बैठ गया.

मैं लंड मम्मी के होंठों पर लगाने लगा.
मम्मी आधी बेहोशी में थीं, लंड देखकर हाथ जोड़ती हुई बोलीं- इसमें खून कहां से लगा?

मैं बोला कि ये हमारी सुहागरात की निशानी है.
ये कहकर मैंने लंड मुँह में घुसा दिया.
मम्मी गों गों करने लगीं.
मैं उनका मुँह चोदने लगा.

तभी मम्मी ने पूरी ताकत से मुझे पीछे धकेल दिया.
मैं मम्मी की टांगों के बीच आ गया औऱ लंड पकड़कर चूत पर लगाने लगा.

लेकिन मम्मी औऱ चुदने को तैयार नहीं थीं, वो बोली- मयंक काफी देर से मुझे चोद रहा है, अब बस कर. देख तूने चूत का क्या हाल कर दिया है, खून भी बह रहा है. मुझसे अब और नहीं होगा.
मैंने ग़ुस्से से कहा- लंड तो औरतों की चूत का गहना होता है. बिना लंड के चूत मुरझा जाती है. आज तो तुम्हें मेरे लंड को ठंडा करना ही पड़ेगा. चलो सीधी हो जाओ.

मम्मी लड़खड़ाती हुई बेड से खड़ी हो गईं और मेरे विकराल लंड को देखते हुए बोलीं- ये घोड़े का लंड है, कोई औरत नहीं ले पाएगी. किसी भी मर्द का लंड 6 इंच से बड़ा नहीं होता, तेरा न जाने कहां से इतना बड़ा हो गया?

मैंने हंस कर कहा- पापा की गैरमौजूदगी में किसी अफ्रीकन से चुदवा लिया होगा आपने. अब बकवास मत करो औऱ जल्दी से मेरा लंड ठंडा करो.
मम्मी कुछ नहीं बोलीं.

मैंने तुरन्त मम्मी को पीछे बेड पर धकेला और जैसे ही वो बेड पर गिरीं, मैंने उनकी दोनों जांघों के नीचे से हाथ निकालकर उनके चूतड़ों पर ग्रिप बना ली. उन्हें हवा में गोद में उठा लिया.
मम्मी सकपका गईं और बोलीं- अब क्या करना चाहते हो?

मैंने एक हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को चूत की दिशा दी औऱ मम्मी को थोड़ा नीचे आने दिया. मेरा लंड मम्मी की चूत में फंस गया.
अब मैंने मम्मी को ऐसे ही ड्रेसिंग टेबिल के सामने लेकर खड़ा हो गया औऱ मम्मी के कूल्हे सख्ती से पकड़कर अपने लंड पर उछाल उछाल कर उन्हें चोदने लगा.

ठपा ठप ठपा ठप लंड चूत के अन्दर बाहर बोरिंग कर रहा था और चूत से रस निकल कर फर्श पर टपक रहा था.

मम्मी चिल्लाये जा रही थीं लेकिन मुझ पर कोई असर नहीं हो रहा था.
मैं चोदने में मस्त था.

मम्मी ने दोनों बांहें मेरी गर्दन में लपेट रखी थीं और वो मेरे बड़े लंड से चुदने का मजा ले रही थीं.

मैंने हवा में मम्मी को घर के हर कोने में ले जाकर चोदा.

अंत में मैं उन्हें गेट के पास लेकर पहुंचा.
मम्मी बोलीं- क्यों मुझे बदनाम करने में लगा है … थका नहीं तू … मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं.
मैंने गेट के पास मम्मी को दस मिनट इसी पोजीशन में जबरदस्त तरीके से चोदना जारी रखा.

फ़िर मम्मी को नीचे उतारा औऱ खींच कर हॉल में ले गया.
मम्मी को डाइनिंग टेबल पर झुका दिया ओर पीछे से चूत में लंड एक ही धक्के में सरका दिया.
मम्मी की तेज चीख़ निकल गई.

मैं मम्मी के बाल पकड़कर खतरनाक तरीके से चोदने लगा.
अचानक मेरी नसें गर्म होने लगीं, जिससे मम्मी तुरन्त भांप गईं कि मेरा निकलने वाला है.
मम्मी बोलीं- मयंक बाहर झाड़ियो, अन्दर नहीं, यदि एक बूंद भी अन्दर गिरी तो मैं प्रेग्नेंट हो जाऊंगी. जल्दी निकाल बाहर.

लेकिन मैंने धक्के औऱ तेज कर दिए. मैं लंबे लंबे धक्के लगाने लगा.
मम्मी चिल्ला रही थीं.

डॉगी स्टायल में चोदते हुए मैंने जड़ तक लंड चूत में घुसा दिया और पचर फ़चर चूत में झड़ने लगा.

‘आह आह मम्मी मेरा हो गया!’ ये बोलते हुए मम्मी की पीठ पर ढेर गया.
मैं हांफ रहा था औऱ मम्मी लंड बाहर निकलने की कोशिश कर रही थीं.

कुछ मिनट बाद मैंने लंड चूत से बाहर निकाला, तो देखा कि मम्मी की चूत से वीर्य और खून का मिक्स टपक रहा था.

मम्मी ऐसे ही पड़ी अपनी सांसें नियंत्रित करती रहीं.
मैंने मम्मी का नंगा शरीर गोद में उठाया औऱ बेड पर ले गया.

मैं उन्हें लिटा कर उनके बराबर में लेट गया.
मम्मी लगातार कराह रही थीं और मुझे चूम रही थीं.

फिर न जाने कब मेरी आंख लगी और मैं सो गया. मम्मी भी मेरे साथ नंगी चिपक कर सो गई थीं.
 

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विधवा मौसी को चोद कर सुहागन बनाया



दोस्तो, जिंदगी में दो चीजें सिर्फ एक ही बार मिलती हैं … बचपन और जवानी.
बचपन तो चला गया, अब जवानी क्यों बर्बाद करें?

लेकिन हमारा समाज इसमें बड़ा ही बाधा बनता है.
यहां लड़कियां आसानी से पटती नहीं हैं तो फिर घर की ही किसी औरत को सैट करना पड़ता है.

ऐसी ही एक सेक्स कहानी है, मेरी महबूबा माया मौसी की.

उनके नाम में ही गुण है … माया. वे बिल्कुल सेक्स की देवी जैसी हैं.
हैं तो वे 42 साल की, लेकिन बाप रे, क्या उनका फिगर है … अच्छे अच्छों का खड़ा हो जाए.

मौसी विधवा हैं.
उनका बेटा और बहू अमेरिका में जाकर बस गए हैं, वे बेचारी इधर अकेली रहती हैं.

वे मेरी मां के साथ फ़ोन पर बहुत बातें किया करती हैं; मेरे साथ भी कभी बात कर लेती हैं.

एक दिन मां ने कहा- बेटा, मेरी बहन माया बेचारी अकेली रहती है, उसे बुरा लगता होगा. अपनी मौसी को थोड़े दिन के लिए यहीं बुला लो. वे यहां रहेगी तो अपनों की सोहबत में उसे अच्छा लगेगा. अकेलेपन से पागल जैसा दिमाग हो जाता है. जाओ अपनी मौसी को लेकर आ जाओ. उसके कपड़े सामान सब लेकर आना.

मैं कहां मना कर सकता हूँ. मैं कार से उन्हें लेने उनके घर की ओर निकल गया.
उनके घर आकर मैंने मौसी से नमस्ते आदि के बाद पूछा- कैसी हो मौसी?

मौसी ने सफेद साड़ी पहनी थी. पीछे से ब्लाउज का गला काफी खुला हुआ था. उसमें से माया मौसी की गोरी पीठ साफ दिख रही थी.
सच में … क्या औरत है ये!

मौसी से पहले ही फोन पर बात हो गई थी तो वे आने के लिए अपना सामान वगैरह सब पैक करके मेरे आने का इंतजार ही कर रही थीं.
जल्द ही हम दोनों कार में बैठ गए.
वे मेरे बाजू की सीट पर बैठ गईं और मैं कार चलाने लगा.

मौसी के दूध काफी मादक और बड़े थे. सीट बेल्ट बांधने की वजह से एकदम चिपक गए थे और ऐसे में कुछ ज्यादा ही बाहर को आकर अपना आकार दिखाने लगे थे.

क्या बताऊं बड़ा ही मादक दृश्य था वो!
उनके दूध … हाय …

वे कार से बाहर देख रही थीं.
मैं धीमी गति से कार चला रहा था और कनखियों से उनके हवा में थिरकते चूचे देख लिया करता था.

हालांकि वे भी ये जान गई थीं.
रास्ता लंबा था, हमने बहुत बातें की.

उनकी मुस्कुराहट में गालों पर डिम्पल पड़ते थे. बड़ी ही कातिल अदा थी.

मैंने कहा- आपकी स्माइल तो बहुत ही क्यूट है मौसी!
वे कुछ नहीं बोलीं.

मैं उन्हें लेकर घर आ गया.
वे मेरी मां को देख कर बहुत खुश हुईं. दोनों गले लग कर मिलने लगीं.

मैंने सामान कार से निकाला.
बस इस तरह वे हमारे घर आकर रहने लगीं.

मां के साथ उनका जीवन चलने लगा. किचन में कभी कुछ मदद कर देतीं. टीवी देखतीं, मां के साथ खूब बातें किया करतीं.

वे अब खुश नजर आ रही थीं.
सही है अकेलापन पागल बना देता है.

हम दोनों आपस में खुल गए थे.
मैं अभी कुंवारा हूँ.

मैंने नोटिस किया कि मौसी को चुदास तो है. मगर वे अपनी कामना जाहिर नहीं होने देती थीं.
मौसी को चुदना तो था लेकिन उन्हें अपनी पसंद के लंड से चुदना था.

मौसी को शायद पापा को पटाने की जगह जवान लंड ज्यादा कड़क पसंद आया था इसलिए उन्होंने मुझ पर सिग्नल देना शुरू किया.

एक दिन वे पोता फेर रही थीं.
नीचे झुक कर पोता मारती हुई मौसी बडी हॉट लग रही थीं.
पीछे से उनकी गांड ऐसी दिखती मानो कोई बड़ा बॉम्ब हिल रहा हो.

उस वक्त मैं लैपटॉप में काम कर रहा था.
वे पोता मारती हुई मेरी तरफ को आईं. उनके चूचों के बीच की लकीर यानि मौसी की क्लीवेज साड़ी हटने से साफ दिख रही थी.

मेरी नजर वहीं टिक गई.
वे मेरी नजर भांप गईं- ओय क्या देख रहा है?
मैंने अपना मुँह मोड़ लिया.
वे हंसने लगीं.

इस बार मौसी के गालों के गड्डे गुलाब की तरह खिल कर फूलने लगे.
मैं उनकी स्माइल ही देखता रहा.

कितना हसीन लगता था उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा.
वे भी मुझे देख रही थीं, साथ में वे पोता भी मार रही थीं.

कुछ देर के बाद मौसी कमरे से चली गईं.
उस दिन से वे अजीब अजीब हरकतें करने लगी थीं.

कभी मेरे बाजू में बैठ कर टीवी देखने लगतीं, कभी मुझे टच कर लिया करतीं.
हमारा ये प्यार मां को खटकने लगा, वे भी ये सब नोटिस कर रही थीं.

मां ने एक दिन मुझसे कहा- किशु, तुम माया से थोड़ा दूर बैठा करो.
मैंने कहा- इसमें दिक्कत क्या है? वे मेरी मौसी ही तो हैं ना!

हम लोग बड़े खुले और मॉर्डन परिवार के हैं, इसलिए मां को मुझसे बात करने में कोई हिचक नहीं आई.

वे बोलीं- कुछ भी हो सकता है, माया मेरी बहन है.
‘लेकिन आपने ही तो कहा था कि अकेलापन अच्छा नहीं है. फिर मैं उनके साथ बातें करूँ, तो आपको क्या बुरा लगता है?’

‘क्योंकि मैं तुम दोनों की हरकतें देख रही हूँ. यहां आने के बाद वे कुछ ज्यादा ही हवा में उड़ने लगी है. ठीक है, मुझे कोई ऐतराज नहीं है. मैं भी चाहती हूँ कि वे खुश रहे और तुम उसे खुश रखो.’

मां के इस आखिरी वाक्य पर मैं तनिक चौंका कि ये क्या बोल रही हैं!
मैंने कहा भी- क्या कहा आपने?

‘हां बेटे, वे बहुत ही दुखी औरत है. उसका पति उसे बहुत मारता था. उसका बेटा भी अमेरिका में बस गया. अगर तुमको मुश्किल न हो, तो मैं तुम दोनों को आपस में मिला देती हूँ. वे मानेगी तो नहीं, लेकिन फिर मान जाएगी. मैं उसे जानती हूँ.’

उस रात मां ने हम दोनों को पास में बुलाया- माया, मेरे बेटे से तुम्हें जो करना है, कर लो. मुझे कोई शिकायत नहीं है.

माया मौसी भौचक्की सी हम दोनों की तरफ देखने लगीं.
वे बहुत शर्मा रही थीं, वे बोलीं- मतलब … क्या कह रही हो तुम?
मैंने भी हिम्मत करके बोल दिया- मौसी, आप बहुत ही सुन्दर हैं. क्यों अपनी जवानी को नाहक बर्बाद कर रही हैं? जब मां को कोई कष्ट नहीं है, तो आपको क्या हिचक है? मैं भी आपसे प्यार करने लगा हूँ.

मां कमरा छोड़ कर बाहर जाने लगीं- तुम दोनों को जितना मजा लेना है … ले लो. बस किसी को बताना मत. मैं दरवाजा बंद कर रही हूँ. माया अब तो शर्म छोड़ दो. इतने साल से कब तक अबला बन कर जीती रहोगी. मैं खुद कहती हूँ कि मेरे बेटे के साथ हर तरह के मजे ले ले … मेरी रजामंदी है तुम दोनों के लिए!

फिर मां ने मुझसे कहा- सुन पगले, मेरी बहन को खूब सुख देना … समझ गया ना!
इतना कह कर दरवाजा बन्द करके मां चली गईं.

रात आधी थी.
हम दोनों कमरे में अकेले थे.

मौसी बहुत शर्मा रही थीं.
मैं जबरदस्ती बिल्कुल नहीं चाहता. मैं चाहता हूँ कि जब वे खुद ही राजी हों, तभी मजा आ सकता है.

वे पलंग पर सिकुड़ी सी बैठी थीं.
मैं उनकी पीठ पर हाथ फेरने लगा.

वे कुछ नहीं बोलीं, सर झुकाए ऐसे ही बैठी रहीं.
मैं उनके जिस्म को जीभर कर घूर रहा था.

मैंने भी अब बेशर्म होकर बोल दिया- हां मौसी, आप मुझे सेक्सी लगती हो. मैं आपकी चूत को अपने लौड़े से मौज करवाना चाहता हूँ. प्लीज मेरा साथ दो.

ये चूत लौड़ा जैसे शब्द सुन के वे मुड़ गईं.
मैं सोच रहा था कि अजीब है, ना विरोध कर रही हैं और ना कुछ बोल रही हैं. ये तो बहुत ही ज्यादा शर्मीली हैं. इनके साथ धैर्य से काम लेना होगा.
मैंने उनके नीचे बैठ गया.

वे पलंग पर बैठी थीं.

मैंने उनकी जांघों पर हाथ रख कर कहा- मौसी मैं जानता हूँ, आप कई दिनों से इशारे कर रही हैं. आप कुछ बोल नहीं रही हैं … लेकिन मैं सब समझ रहा हूँ. प्लीज आप एक बार मेरे सामने खुल जाओ … मैं स्वर्ग यहां उतार दूंगा.

ये कह कर मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और पलंग पर लेटा दिया.
मैंने माया मौसी को बहुत ही मजबूती से अपने आलिंगन में भींच लिया.

अब मौसी भी मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी थीं और आहें भरने लगीं.
मैंने उनकी साड़ी उतारी और चूचे दबाने लगा.

वे मुस्कुराने लगीं.
उनकी यही अदा मुझे बहुत ज्यादा भाती है.

हौले से अपना चेहरा एक तरफ ऊंचा करके जब वे औरतबाजी वाला हल्का मुस्कान देती हैं, तो बड़ी ही प्यारी लगती हैं.
उनके बदन की महक तो एकदम गुलाब जैसी है.

मैं उनके एक निप्पल को चूसने लगा.
उनके निप्पल काले अंगूर की तरह सख्त और मोटे हो गए थे.
सच में कितने सेक्सी निप्पल थे.

मौसी आह आह करने लगीं.

मैंने उनका नाम लेते हुए कहा- माया, आपकी माया लग गई है मुझे!

अब वे मुझसे थोड़ी खुलने लगीं.
मेरा हाथ अपनी चूत पर ले जाकर नीचे फेरने लगीं और अपनी चूत पर रगड़ने लगीं.

एक तरफ में निप्पल चूस रहा था और दूसरी तरफ मौसी की चूत पर हाथ फेर रहा था.
फिर मैंने उनको कुतिया बनाया. डॉगी में वे बहुत ही ज्यादा कंटीला माल लगती थीं.

आय हाय क्या कमनीय काया है मौसी की!
उनकी कमर एकदम बलखाती हुई सेक्सी थी. अंदाजन यही कोई 32 की रही होगी … लेकिन कमर पर टिकी उनकी गांड एकदम गोल और 36 इंच की थी.

ये शेप बहुत ही कातिल था. उनका फिगर किसी अप्सरा से कम नहीं लगता था.
उस समय उनके बाल खुले थे और कमर पर कहर बरपा रहे थे.

कुतिया बन कर वे अपनी गांड हिलाने लगीं.
चर्बी से भरी हुई गांड को वे ऐसे हिला रही थीं कि किसी नामर्द का भी लंड खड़ा हो जाए.

मैंने उनके एक चूतड़ पर हाथ फेर कर कहा- मस्त गांड है आपकी … कैसे की इसे ऐसी?
मौसी ने कहा- मैं पहले डांस किया करती थी ना … मुझे डांस करने का बहुत शौक था, लेकिन मेरी शादी के बाद पति को लगता था कि ये सब चरित्रहीन औरतों का काम है.

मैंने कहा- नहीं मौसी, इसमें कुछ बुरा नहीं होता.
उनकी गांड हिलाने अदा काबिले तारीफ थी.

एक चूतड़ ऊपर, तो दूसरा नीचे … गजब की चर्बी भरी थी उनमें.
क्या स्टेप लेती थीं वे … आह तो मुझे देख कर ही मजा आ गया.

मैंने कहा- आप डांस करके मुझे क्यों नहीं दिखातीं?
इस पर वे शर्मा गईं.

वे खड़ी हो गई. उस समय वे एकदम नंगी थीं और मेरे सामने खड़ी होकर पेट हिलाने लगीं.
कमर तो ऐसे हिला रही थीं, जैसे रेंगता हुआ सांप हो.

माया मौसी बिल्कुल अय्या मूवी की रानी मुखर्जी की तरह कमर हिला रही थीं.
उनका सेक्सी डांस देखकर मैं पागल हो गया और खड़ा हो गया.

मैंने उनके पैर उठाए और उन्हें गोद में ले लिया.
फिर खड़े खड़े ही अपना लंड मौसी की चूत में डाल दिया.

कमर भींच कर पकड़ ली और धकापेल चूत चोदने लगा.

चूत में लंड जाने से मानो मौसी के अन्दर बिजली सी कौंध गई थी.
‘आह मरी …’
होंठ चबा कर लंड लील लिया.

फिर मैंने खड़े होकर मौसी को खूब चोदा.

कुछ देर बाद मौसी की चूत टपक गई और चूत में कीचड़ हो गया.
मैंने मौसी की चूत से लंड बाहर खींचा और उनको धक्का देकर पलंग पर गिरा दिया.

वे हांफ रही थीं और चादर पकड़ कर होंठ काटने लगी थीं- आह … आ जा मेरे शेर … तू मेरा मर्द और मैं तेरी औरत … आ जा फिर से पेल दे!
और वे अपनी चूत पौंछ कर कुतिया बन गईं और कूल्हे हिलाने लगीं.

मुझ पर चूत चोदने का भूत सवार था और ऊपर से मौसी अपने चूतड़ हिला कर आग में घी डाल रही थीं.
वे पलंग पर घोड़ी बनी हुई अपने कूल्हे हिलाए जा रही थीं.

मैंने मौसी को पीछे से पकड़ लिया, उनके दोनों मस्त बॉम्ब जैसे पौंद पकड़ कर सर्र फर्र करता हुआ चूत में लंड पेल दिया.

लौड़े को लेने के साथ ही उनकी भरी हुई गांड को पकड़ कर दबादब चोदने लगा.

मेरे दोनों हाथों के निशान मौसी की गोरी गांड पर छप कर उभर आए थे.
उनकी गोरी गांड लाल लाल हो गई और वे पहले से भी ज्यादा हॉट हो गई थीं.

मैंने उनकी गांड पर चांटा मारना शुरू कर दिय. उनके दूध दबाकर पकड़ लिए और बस चुदाई का खेल शुरू कर दिया.

‘हाय … मेरी जान … पूरी रात तेरा पानी ही ना निकले और तू मुझे ऐसे ही चोदता रहे … यही तो चाहती थी मैं … लगा और जोर लगा कर डाल अन्दर … मैं भी आज देख ही लेती हू कि कितना दम है तेरे लंड में … चोद साले मुझे चोद … मेरा दिल कर रहा है कि आज तू मेरी फाड़ कर रख दे … मेरी फुद्दी आह.’

अब ऐसी बातों से मौसी की सारी शर्म गायब हो गई थी.
मैं भी और भड़क गया और खूब ताकत से स्ट्रोक मारने लगा.

यूं ही मौसी की चूत में लगभग चार सौ से ज्यादा धक्के मारे होंगे मैंने.

फिर मैं भी निढाल हो गया और अपने लंड की सारी मलाई मौसी की गांड पर फैला दी.
वे बहुत खुश नजर आ रही थीं.
मेरा बहुत ज्यादा माल गांड पर फैल गया था.

अब भी वे गांड मटका कर हिला रही थीं और हंस रही थीं- वाह बेटे, आज तू मेरा पति बन गया है.
फिर वे उठीं और मेरे पैर छूने लगीं.

‘ये क्या कर रही हो … आप मुझसे बड़ी हो.’
लेकिन रिश्ते में तो पति बड़ा होता है ना … कितना सुख दिया आपने मुझे! तो अब आप ही मेरे पतिदेव बन गए हो. वे मेरे साथ बहुत मार पीट करता था. आप तो नहीं करोगे ना?

‘नहीं जान, मैं ऐसा नहीं हूँ.’
इतना कह के मैंने मौसी को फिर से अपनी बांहों में ले लिया और उनके गर्म मुँह में अपने होंठ डाल कर कसके किस करने लगा.

वे फिर से आहें भरने लगीं और मेरे ऊपर आ गईं.

‘मेरे स्वामी, आज तो मैं आपके ऊपर आकर आपको अपनी चूत का रस खूब पिलाऊंगी.

इतना कह कर वे मेरे ऊपर आ गईं और पुचक पुचक करके चोदने लगीं.
मौसी का पेट मस्त सपाट है, भरे हुए दूध भी खूब भारी हैं.

अब वे मुझे चोदने लगीं.
कुछ देर बाद वे झड़ गईं और मेरी बांहों में सो गईं.

सुबह नाश्ता करते वक्त मां ने पूछा- तो कैसा रहा कल रात का मामला? सुपर हिट गया ना?
ये कह कर मां जोर जोर से हंसने लगीं.

मौसी फिर से शर्मा गईं.

अचानक मौसी ने धमाका किया, वे बोलीं- सासु जी, कल रात बहुत अच्छी थी.
‘माया क्या बोल रही हो? तुम मेरी बहू नहीं हो … कहीं तुमको किशु से प्यार तो नहीं हो गया? मजे लो और भूल जाओ … ठीक है, ज्यादा भावुक मत बनो!’

लेकिन मौसी मुझे देख रही थीं- मैं तो इनको ही अपना पति मान चुकी हूँ. अब मैं यही रहूंगी. दीदी तुझे जो करना है कर … अब मुझे भी जिन्दगी का मजा लेना है.

इतना कह कर वे कमरे में चली गईं.
लेकिन मैं थोड़ा डर गया कि कहीं पापा को मालूम हो गया तो क्या वे इस ब्याह के लिए मानेंगे.

थोड़ी देर बाद मौसी बाहर आईं.
उनको देख कर मां की आंखें फट गईं.
उन्होंने लाल साड़ी पहनी थी बिल्कुल सुहागन की तरह.

मौसी के हाथ में सिंदूर था. मौसी ने अपने हाथों से सिंदूर लगा दिया और मां की ओर देख कर बोलीं- दीदी तुम शादी कराओ … या ना कराओ, अब आखिर सांस तक यही मेरा दिल है और यही मेरा पति. मैं इसके बच्चे की मां भी बनना चाहती हूँ और वैसे भी अभी 42 साल की ही हुई हूँ मैं. आजकल की गैर लड़कियां ब्याह करके सब बरबाद कर देती हैं. मैं कुछ भी ऐसा नहीं करूंगी, हम एक दूसरे को जितना जानते हैं उतना कोई नहीं!’

अब मां बहुत ही परेशान लग रही थीं.
मैं सोचने लगा कि मौसी की बात तो सही है. मां का मौसी से साथ कमाल का नाता है. क्यों ना इनको अपनी बीवी बना लूँ?

बाद में इस बात पर पापा ने बहुत कोहराम मचाया था.
लेकिन फिर वे मानें या मानें … मैंने तो मौसी से शादी कर ली.

आज मैं और मेरी मौसी कम बीवी रोज रात को खूब मजा लेते हैं. वे बहुत अच्छा खाना पका कर खिलाती हैं और साथ में डांस करके मेरा दिल भी जीत लेती हैं.
पापा को ये सब पसन्द नहीं लेकिन मुझे अब कोई डर नहीं.

एक साल बाद हम दोनों ने बच्चा पैदा किया, मां बहुत खुश हुईं.

अब मैं अपनी बीवी को जम कर पेलता हूँ.
 
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विधवा बुआ को होटल में चोदा



मैं राज शर्मा अपनी बुआ की चुदाई की एक सच्ची गांड मारी कहानी लेकर आया हूं.
जैसा कि आप जानते हैं मैं अपनी विधवा बुआ को पहले भी बहुत बार चोद चुका हूं.

आप ये भी बोल सकते हैं कि मेरी बुआ अब मेरी रखैल बन चुकी हैं.

मेरा लंड चुदाई में काफी देर तक चलता है इसलिए बुआ को मेरे साथ चुदाई में काफी मजा आता है.

साथ ही मैं एक बार में मानता नहीं हूँ.
मैंने जब भी चुदाई की है, तब भी चुदने वाली को कम से कम चार बार से कम नहीं चोदा होगा.
इस वजह से बुआ मेरे लंड से बड़ी खुश रहती हैं.

दोस्तो, मैं गुड़गांव में रहता हूँ और मेरी विधवा बबली बुआ मानेसर में रहती हैं.
जब से पापा ने मुझे उनकी मदद का बोला, तब से मैं उनको बराबर चोद रहा हूं और अब बुआ भी मेरे साथ इस रिश्ते में बहुत खुश हैं.

एक बार मेरी छोटी बुआ, जिनकी शादी जयपुर के पास एक गांव में हुई थी, उनकी ससुराल में उनकी ननद की शादी का निमंत्रण आया था.
चचेरी बहन होने के नाते छोटी बुआ ने बबली बुआ को भी शादी में बुलाया था.

गुड़गांव से सीधी बस होने के कारण पिता जी ने मुझे ही जाने को बोल दिया और कहा कि बबली को भी ले जाना. वो चार रिश्तेदारों से मिलेगी तो उसे भी अच्छा लगेगा.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर मैं अपने काम में लग गया.

शाम को फ्री होकर मैंने बुआ को फोन किया तो बुआ बोलीं- हां, छोटी का फोन आया था.
मैं बोला- ठीक है, फिर मैं बस की टिकट बुक कर लूंगा.

बच्चों की ऑनलाईन पढ़ाई के कारण उनको जाने में दिक्कत थी.

बुआ बोलीं- राज तू चला जा, मैं अभी नहीं जा पाऊंगी.
मैंने छोटी बुआ को फोन पर बता दिया तो उन्होंने बबली बुआ को लाइन में लेने को कहा.

छोटी बुआ बोलने लगीं- मैं कुछ नहीं सुनूंगी जीजी, आपको आना ही होगा. मेरे मायके से कोई नहीं आएगा, तो सब मुझे ताने मारेंगे.
फिर छोटी बुआ मुझसे बोलने लगीं- राज, जीजी को लाना तेरी जिम्मेदारी है.

ये कह कर उन्होंने फोन काट दिया.
मैंने बबली बुआ से कहा- एक रास्ता है … अगर आप अपनी सहेली रश्मि भाभी से बात करो तो काम बन सकता है. वो पहले भी तो बच्चों को सम्भाल चुकी हैं. आप उनसे बात करो और बोलो कि दो दिन की बात है, वो पक्का मान जाएंगी.

दूसरे दिन वही हुआ, जिसकी मुझे उम्मीद थी.
बबली बुआ का फोन आया कि राज मेरी सहेली रश्मि मान गई है.

मैंने कहा- ठीक है, हमें 3 दिन बाद निकलना है. आप तैयारी रखना.
तीसरे दिन हम दोनों दिन की बस से जयपुर के लिए निकल गए.

रात को दस बजे हम जयपुर बस स्टैंड पर पहुंच गए.
फिर हमने उस गांव के लिए बस का पता किया तो पता चला कि बस सुबह सात बजे मिलेगी.

अब हम दोनों ने पास में एक होटल में रूम बुक किया और होटल के वेटर को खाना लाने का बोल दिया.

मैंने बुआ से पूछा- कुछ ड्रिंक करोगी?
बुआ ने हामी भर दी.
मैं और बुआ पहले भी दारू लेते रहे हैं.
मैंने एक हाफ भी मंगवा लिया.

दिन भर के सफर से थककर दोनों फ्रेश हुए, जब तक खाना आ गया.
हम दोनों ने हाफ खाली किया और खाना खा लिया.
मैंने एक सिगरेट सुलगाई और और बिस्तर पर आ गया.

तभी छोटी बुआ का फोन आ गया- राज कहां हो?
मैंने झूठ कह दिया- बुआ बस में बैठ गया हूँ, सुबह 6 बजे जयपुर पहुंच जाऊंगा.
बुआ बोलीं- जीजी भी आ रही हैं न!
मैंने कहा- हां वो भी साथ में हैं.

फोन कट गया.
अब हम दोनों आराम कर रहे थे.

बबली बुआ सिगरेट फूँकती हुई बोलीं- राज, जब मैं तेरे साथ होती हूं, तो ऐसा लगता है कि जमाने की सारी खुशियां मेरे पास हैं.
मैंने भी बुआ को अपनी तरफ खींचते हुए कहा- हां मेरी बबली रानी, तुमने भी मेरी जिन्दगी में खुशियां भर दी हैं.

हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.
धीरे धीरे हम दोनों ने अपने अपने कपड़े उतार दिए और नंगे हो गए.

दूधिया रोशनी में बुआ का गदराया बदन ऐसा लग रहा था जैसे कोई पोर्न मूवी की हीरोइन मेरे सामने बैठी हो.
मैं बुआ की दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसने लगा.

वो भी नशे में थी और धीरे धीरे गर्म होने लगी थीं. वो आह आअह करके सिसकारी भरने लगी थीं.
मैंने बुआ को चित लिटा दिया और धीरे धीरे उनके शरीर को चूमने लगा.

बुआ की आंखें बंद थीं और वो अपने होंठों को भींचती हुई ‘आह हहआ हह आहआ …’ कर रही थीं.

कुछ देर बाद मैंने बबली बुआ की चूत को चाटना शुरू कर दिया.
वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगीं.

मैंने जीभ चूत में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा.
अब बुआ की हालत बिगड़ने लगी. वो वासना से तड़पने लगीं.

मैंने बुआ से 69 में होने को कहा.
वो हो गईं.
अब बुआ के मुँह में मेरा लंड जा चुका था और वो माहिर रांड की तरह लंड को जबरदस्त चूसने लगीं.

इधर मैं अपनी जीभ से बुआ की चूत चोद रहा था.
बुआ को चूत चटवाने में मजा आ रहा था, वो उसी जोश में मेरे लंड पर दांत से दबा देतीं.

कुछ देर बाद बुआ बोलने लगीं- राज अब चोद मुझे … और न तड़पा.

जयपुर आते समय मैं जल्दी जल्दी में कंडोम लाना भूल गया था.
मैंने बुआ से पूछा- आप लाई हो क्या?
वो बोली- नहीं यार, कंडोम का पैकेट तो मैं घर में ही छोड़ आई.

थोड़ी देर सोचने के बाद बुआ बोलीं- मेरी जान, आज अपनी बबली को बिना कंडोम के चोद दे.
मैंने बुआ की दोनों टांगों को फैला दिया और ऊपर आकर लेट गया.

मैं लंड को चूत में रगड़ने लगा. चूत के पानी से लंड चिकना हो गया.
बुआ की कामुक सिसकारियां बढ़ने लगी थीं.
मैंने एक जोर का धक्का लगाया, तो पूरा लंड दनदनाता हुआ अन्दर चला गया.

बुआ की आह निकली तो मैं उनके होंठों को चूसने लगा.

अब बुआ की कमर चलाने लगी तो मैंने अपने झटकों की रफ्तार तेज कर दी.

लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर तेजी से होने लगा मैं बुआ की चूत को धकापेल चोदने लगा.
बुआ ‘आहह आहह ओह राज चोद दे मुझे …’ चिल्लाने लगीं और मैं झटके पर झटके लगाने लगा.

आज दूसरी बार में बुआ को होटल में चोद रहा था. बाकी दिन तो मैं उन्हें अपने कमरे में या बुआ के घर में ही चोदता था.
कुछ देर बाद मैंने बुआ को उठाकर बेड के किनारे पर लिया और खुद पलंग के नीचे खड़े होकर चोदने लगा.

अब मेरा लंड फनफनाता हुआ चूत में अन्दर बुआ की बच्चेदानी तक जाने लगा था.
‘आहह … ओहह … मर गई आहह … कितना मस्त चोदता है आंह …’

बुआ मादक आवाजें करके चुदाई का भरपूर मजा लेने लगीं.
थोड़ी देर में बुआ का शरीर कसने लगा.

मैंने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी.
मेरे हर झटके से बुआ की सिसकारियां तेज होने लगीं.

जैसे ही मैंने जोर का धक्का लगाया, बुआ की चूत ने पानी छोड़ दिया.
अब लंड गीला हो गया था और जल्दी जल्दी चूत में फिसलने लगा था.

मैंने लंड निकाला और बुआ के मुँह में डाल दिया. वो गपागप गपागप चूसने लगीं.

थोड़ी देर बाद बुआ को बिस्तर में घोड़ी बना दिया और पीछे से लौड़ा पेल कर उन्हें चोदने लगा.
मैं इस वक्त अपनी बबली बुआ को जमकर चोदने में लगा था.
कमरे में थप थप थप थप थप की आवाज़ गूंजने लगी थी.

मैं आगे हाथ ले जाकर बबली बुआ की दोनों चूचियों को मसलने लगा.
बुआ भी अपनी गांड को आगे पीछे करके मस्ती से लंड ले रही थीं.
हम दोनों एसी रूम में भी पसीने से लथपथ हो गए थे.

कुछ देर बाद मैंने बुआ को लिटा दिया और उनके ऊपर आकर चोदने लगा.
मेरा लंड भी अपनी पूरी रफ्तार पकड़ चुका था.

बुआ ‘और तेज और तेज चोद राजा … आह फाड़ दे मेरी चूत को आंह …’ कहती हुई चिल्ला रही थीं.

मैं दबादब उन्हें चोदता जा रहा था. साथ ही उन्हें चूम रहा था, उनकी चूचियों को चूस रहा था.
बुआ की चूत ने फिर से रस छोड़ दिया.

अब फिर से फच्च फच्च की आवाज आने लगी.
मेरा लंड बुआ की चूत की पटरी पर एक्सप्रेस ट्रेन की तरह दौड़ रहा था.

तभी मेरी चीख के साथ लंड ने ज्वालामुखी छोड़ दिया और वीर्य से बुआ की चूत भर गई.
झड़ कर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे.

उस वक्त रात के साढ़े बारह बज चुके थे.

थोड़ी देर बाद हम दोनों बाथरूम गए और फ्रेश होकर वापस बिस्तर पर आ गए.

मैंने हाफ में बची हुई दारू देखी और सीधे मुँह से ही बोतल लगा कर दो बड़े घूंट खींच लिए.
दूसरे घूँट की दारू को मैंने बुआ के मुँह से मुँह लगा कर उन्हें पिला दी.

बुआ व्हिस्की की कड़वाहट को खत्म करने के लिए मुँह से मुँह लगाकर चूसने लगीं.

फिर कुछ देर बाद बुआ बोलीं- राज, कल शादी में तो शायद ही हमें मौका मिलेगा.
मैंने कहा- हां और वहां हमें बुआ भतीजा बनकर ही रहना होगा. गांव का माहौल रहेगा और छोटी बुआ की ससुराल भी है.

बुआ मेरा लंड पकड़कर सहलाने लगीं और बोलीं- हां, वहां हमें अलग अलग सोना पड़ेगा.
मैं समझ गया कि बुआ की चूत फिर से लंड लंड कर रही है.
ये सोच कर मेरा लंड तुनकी मारने लगा.

बुआ मेरे जागते लंड को पकड़ कर चूसने लगीं.
मैंने कहा- आप चिंता मत करो, आज रात में आपको जमकर चोदूंगा.

बुआ हंसने लगीं और बोलीं- तुझे मना किसने किया है. ये बबली तो तेरी रांड है, तू जब चाहे जैसे चाहे चोद सकता है. वैसे भी तेरे लंड की आग एक बार में तो बुझती नहीं है.

ये कह कर बुआ घुटनों पर बैठ गईं और मुझे खड़ा करके मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं.

उधर मैं उनकी दोनों चूचियों को मसलने लगा और चूमने चूसने लगा.

कुछ देर बाद बुआ बिस्तर पर चित्त लेट गईं.
मैंने बुआ के बैग से क्रीम निकाली और उनकी गांड में लगाने लगा.

बुआ बोलीं- नहीं, राज शादी में जाना है … उधर गांड चौड़ी करके चलूंगी तो भद्दा लगेगा. आज गांड में नहीं पेलो.
मैंने नशे में बुआ के गाल में दो थप्पड़ जमा दिए और बोला- मेरा जो मन होगा करूंगा. तू बस लंड का मजा ले रांड.

बबली बुआ समझ चुकी थीं कि आज उसकी गांड पक्की चुदेगी.
वो चुपचाप गांड मराने के लिए घोड़ी बन गईं.

मैंने लंड पर क्रीम लगाई और लंड को बुआ की गांड के लुपलुप करते छेद पर सैट कर दिया.
फिर बुआ की कमर पकड़ कर एक जोरदार झटका दे दिया.

बुआ की गांड में लंड घुसा तो उनकी ‘ऊईई … मर गई … आंह बचाओ कोई इस राक्षस से … आंह बचाओ …’ आवाज निकल गई और वो दर्द से कराहने लगीं.

मेरा आधा लंड अन्दर जा चुका था.
मैंने बुआ को चूमना शुरू कर दिया और उनकी चूचियों को दबाने लगा.

थोड़ी देर बाद बबली बुआ अपनी गांड पीछे करने लगीं.
‘मादरचोद गांड में भी सही मजा देता है.’

मैंने हंसते हुए कहा- तो मजा ले ना भोसड़ी वाली … ले पूरा लंड खा.

ये कहते हुए मैंने एक और करारा धक्का लगा दिया.
मेरा पूरा लंड बुआ की गांड में अन्दर तक चला गया.

इससे बुआ की फिर से आवाज निकल गई ‘ऊईईई ऊईईई राज प्लीज़ साले धीरे चोद भोसड़ी के … मैं मर जाऊंगी …’

लेकिन अब मैं कहां मानने वाला था, मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा दी.

अब बुआ की गांड चुदाई से ‘थप थप …’ की आवाज़ आने लगी.
मैं बुआ की गांड मारता हुआ कभी उनकी चूचियों को मसलता, तो कभी गर्दन को चूमने लगता.

बुआ की रसीली गांड में मेरा लंड अपनी जगह बना चुका था और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा था.
कुछ देर बाद मैंने बुआ को उठाया और नीचे लेट गया.

बुआ ने मेरे खड़े लंड पर अपनी गांड रखी और बैठ गईं.
गपाक से लंड गांड में समा गया और बुआ धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगीं.

मैंने बबली बुआ की कमर पकड़कर नीचे से झटके लगाना शुरू कर दिए.
हम दोनों एक रफ्तार से एक दूसरे के धक्कों का जबाव देने लगे थे.
थप थप की आवाज हम दोनों का जोश बढ़ा रही थी.

कुछ देर बाद मैंने सामने रखी टेबल पर बुआ को उल्टा लिटा दिया और उनकी गांड में लंड घुसा कर चोदने लगा.
बुआ की दोनों चूचियों को दबाने लगा और झटके मारने लगा.

कुछ देर बाद मैंने बुआ को फिर से उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उनके पैर उनके चुचों पर कर दिए.
मैं बुआ की साफ़ दिखती गांड में लंड ठोक कर उनके ऊपर चढ़कर गांड चोदने लगा.

अब मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी थी और बुआ की गांड को गपागप गपागप चोदने लगा था.
बुआ भी गांड मारी मस्ती में आहह आहह करने लगी थीं.

आठ दस झटकों के बाद मेरे लंड ने वीर्य निकालना शुरू कर दिया.
बुआ की गांड में लंड का माल डालकर मैं उनके ऊपर ही निढाल होकर गिर गया.

कुछ मिनट बाद बुआ ने नीचे उतरने को कहा.
जैसे ही बुआ की गांड में से लंड निकाला, वीर्य बाहर बहने लगा.

दोनों इस घमासान चुदाई से थक चुके थे.
हम दोनों थोड़ी देर ऐसे ही निढाल पड़े रहे.
इस तरह से मैंने बुआ की गांड मारी.

फिर बुआ बोलने लगीं- राज, मेरी सहेली ने मुझसे बच्चों को संभालने के बदले तुमसे चुदवाने की शर्त रखी है.
मैंने कहा- क्या मतलब?

‘वो बोल रही थी कि जब तुम वापस आओगे, तो उसे भी तुम्हारे लंड का मज़ा चाहिए.’
मैंने कहा- अच्छा, उसे कुतिया को मेरा लंड इतना पसंद आया, ठीक है. लेकिन इस बार मैं उसकी गांड भी चोदूंगा.

बुआ हंसने लगीं और बोलीं- अच्छा बेटा. गांड मारने में इतना मजा आया तुझे?
हम दोनों हंसने लगे और साथ में बाथरूम आ गए. फिर फ्रेश होकर वापस बिस्तर पर आ गए.

रात को तीन बजे से ज्यादा का समय हो चुका था लेकिन आज नींद हम दोनों से कोसों दूर थी.

मैं फिर से बुआ को किस करने लगा और वो भी ज़बाब देने लगीं.
हम दोनों फिर से जल्दी ही 69 की पोजीशन में आ गए.
मैं जीभ घुसा कर बुआ की चूत को चाटने लगा और वो मेरे लौड़े को लॉलीपॉप के जैसे गपागप गपागप चूसने लगीं.

दोस्तो उस रात हम दोनों में सेक्स का एक अलग ही नशा चढ़ रहा था.

हम दोनों बिस्तर से नीचे आ गए. सामने रखे सोफे पर मैं बैठ गया और बुआ मेरी तरफ अपना मुँह करके लंड पर बैठ गईं.

लंड बड़े आराम से चूत के अन्दर चला गया और बुआ की बड़ी बड़ी चूचियां मेरे मुँह में लगने लगीं.
वो धीरे धीरे अपनी कमर चलाने लगीं और मैं उनकी चूचियों को चूसने लगा. साथ ही लंड अन्दर बाहर करने लगा.

बुआ बिल्कुल रंडियों के जैसे चुदवा रही थीं.
इसके पहले मैंने इतना खुलकर बुआ को कभी नहीं चोदा था.

बुआ को चोदते चोदते मैं उनकी गांड को हाथ से सहारा देकर खड़ा हो गया और बुआ अपने दोनों हाथ मेरे गले में डालकर लंड पर ऐसे कूदने लगीं जैसे कोई घोड़ी मखमली गद्दे पर कूद रही हो.

कुछ देर झूला झुलाने के बाद मैंने बुआ को बिस्तर पर लिटा दिया और उन्हें घोड़ी बना लिया.

इस बार मैं बुआ कि चूत के साथ उनकी गांड मारने का मन बना चुका था.
मैंने उनकी गांड पर थूक लगाकर झटके से पूरा लौड़ा घुसाया और ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी.
अचानक हुए इस हमले से बुआ ‘ऊईई मादरचोद गांड में फिर से पेल दिया उई ऊईईई …’ कहती हुई चिल्लाने लगीं.

मैं बिना रूके चोदता रहा. फिर बुआ भी अपनी गांड आगे पीछे करने लगीं.
अब गांड मारने की ‘थप थप …’ की आवाज़ तेज होने लगी.

उसी समय धीरे धीरे उजाला भी होने लगा.
मैं पूरे जोश में आकर बुआ की चूचियों को मसलने लगा और अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगा.

बुआ बोलीं- राज मुझे रंडी की तरह चोद और तेज और तेज चोद.
मैं उनकी गांड पर थप्पड़ मारने लगा और चोदने लगा.

फिर मैंने उनकी गांड से लंड निकाला और चीते की फुर्ती से उनकी चूत में लंड घुसा दिया.
मैं चूत चोदने लगा.

बुआ भी मस्ती से आगे पीछे करके मेरा साथ देने लगीं.

मैं बुआ की दोनों चूचियों को दबाने लगा और गर्दन पर चुम्बन करने लगा.
ऐसे ही हमारी चुदाई का सिलसिला जारी रहा.

फिर मैंने लंड चूत से निकाला और बुआ को चुसाने लगा.
वो मस्त होकर गपागप गपागप लंड चूसने लगीं.

मैंने भी 69 ने आकर उनको लंड चुसाने के साथ उनकी चूत को चाटने लगा.

नमकीन चूत को चाट चाट कर मैंने लाल कर दिया.
मैं फिर से बुआ के ऊपर आ गया और उन्हें चोदने लगा.

बुआ ‘आह आह …’ करने लगीं.
मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा.
वो भी चूसने लगीं.

बुआ कमर उठा उठा कर चुदाई का मज़ा लेने लगीं और मैं झटके पर झटके लगाने लगा.

कुछ देर बाद हम दोनों अपने चरम पर पहुंच चुके थे.
दोनों ने एक बार फिर एक साथ पानी छोड़ दिया और मैं बुआ के ऊपर ही लेट गया.
सुबह के 5 बजने वाले थे.

तभी फोन बजने लगा, बुआ ने उठाया और स्पीकर में करके बोलीं- हैलो.
सामने से छोटी बुआ बोलीं- जीजी, कहां तक पहुंच गईं?
मैं जल्दी से बोला- बस जयपुर पहुंचने वाले हैं.
छोटी बुआ बोलीं- ठीक है पहली बस से आ जाना.
हम दोनों ने एक साथ कहा- हां.

अब हम दोनों एक साथ बाथरूम गए और एक दूसरे को साबुन लगाकर नहलाने लगे.
हमने देर तक खूब नहाया और वहीं एक दूसरे के चूत लंड भी चूसे.

फिर कपड़े पहने और होटल से चैक आउट करके बाहर आ गए.

बस स्टैंड से बस में बैठकर हम दोनों छोटी बुआ के गांव आ गए.
शादी का घर था तो काफी मेहमान थे.

फूफा जी बोले- लगता है आप दोनों रात भर सो नहीं पाए. अन्दर रूम में चलकर आराम कर लो, फिर रात में जागना भी है.
मैं और बुआ अलग अलग कमरों में जाकर सो गए.

रात में सबने शादी में बहुत आनन्द लिया.
दूसरे दिन शाम को हम दोनों वापस जयपुर के लिए निकल पड़े.

रात की बस में स्लीपर सीट मिली.
मैंने जयपुर से मानेसर तक बुआ को जमकर चोदा.
 
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