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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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भाभी ने मेरे साथ सुहागरात मनाई- 5



हैलो दोस्तो, मैं आपको अपनी सगी भाभी के साथ हुई अपनी चुदाई की कहानी को सुना रहा था.
कहानी के पिछले भाग
भाभी के साथ सुहागरात का मजा
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मैंने भाभी को चोद कर उनके मुँह में अपना लंड दे दिया था और वे उसे चूसने लगी थीं.
लंड का सारा माल चाट लेने के बाद वे वासना से मुझे देखने लगी थीं.

अब आगे भाभी ऐस फक कहानी:

फिर भाभी ऊपर की तरफ आकर मेरे होंठों को चूमने लगीं.

मैंने उन्हें पीठ के बल लेटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया.
मैं उनके होंठों और गालों को चूमने लगा.

उनका मुँह पूरी तरह से टमाटर के जैसे लाल हो चुका था.
मैं भाभी की गर्दन के रास्ते उनके अमृत कलशों से होता हुआ उनके पेट और नाभि को चूमने लगा.

नाभि के अन्दर जीभ डालकर उन्हें खूब चूमा.
फिर नीचे उनकी जांघ को चूमते हुए पैरों तक जा पहुंचा. मैंने पैरों की उंगलियों को दांत से दबाया.

उनके मुँह से सिसकारियां निकलती रहीं और पूरे कमरे में गूंजती रहीं ‘आह … आह … ओह … ओह … ओह मां …’

मैं बिना रुके उन्हें लगातार चूमता जा रहा था.
फिर मैंने भाभी की पैंटी को निकाल फेंका और पैरों को फैलाकर बीच में बैठ गया.

भाभी के दोनों पैरों को अपने दोनों कंधों पर रख कर पोज बना लिया.
चोदने से पहले मैं भाभी की रस से भरी हुई गुलाबी चूत को चाटने लगा.

भाभी की कामुक आवाजें निकलना और तेज हो गईं.
मैं उनकी सिसकारी पर ध्यान ना देता हुआ अपने काम में मग्न था.

भाभी का पूरा शरीर अकड़ गया.
मैं समझ गया कि वे झड़ने वाली हैं.

मैंने अपना मुँह और बड़ा किया और उनकी चुत का सारा पानी पी गया.

अब मैं ऊपर आया और उनके ब्रा का हुक खोला.
हुक खोलते ही भाभी की चूचियां ऐसे उछल पड़ीं, जैसे किसी कैदी को जेल से रिहा कर दिया गया.

मैंने अपने दोनों हाथों से चूचों को पकड़ा और दबाने लगा.
दोनों चूचियों को एक साथ करके अपने दांत से बारी बारी से दोनों निप्पलों को काटने लगा और दबा दबा कर खूब चूसा चूमा, जिससे भाभी की चूचियां लाल हो गईं.

भाभी का शरीर पूरी तरह से गर्म हो चुका था.
इसलिए मैंने भी अब देर ना लगाते हुए उनके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख कर अपने हाथों से लौड़े को चूत के छेद के सामने रखा दिया. फिर कमर को जुंबिश देते हुए मैं लौड़े को अन्दर घुसेड़ने का असफल प्रयास करने लगा.

एक हफ्ता चुदाई ना करने के कारण भाभी की चूत कसके ऐसी चुस्त हो गई थी जैसे कि किसी कुंवारी लड़की की बुर हो.

मैं अपने लंड पर थूकने जा ही रहा था कि भाभी ने कहा- यह क्या कर रहे हो, अब तड़पाओ मत … जल्दी से ऐसे ही डाल दो शिवम!

मैंने कहा- यार तुम्हारी चूत तो नई नवेली दुल्हन की तरह कस गई है. साली ऐसी चिपक गई है जैसे आज तक इसमें किसी लौड़े ने प्रवेश ही ना किया हो. मुझे ऐसा अहसास हो रहा है कि मैं आज तुम्हारी सील तोड़ रहा हूं.

सुरभि भाभी ने कहा- अच्छा जी!
मैंने कहा- हां जी, यह तो जा ही नहीं रहा!

भाभी ने कहा- ओके तो जाओ और टेबल पर से वैसलीन ले आओ. उसे लगा लेना, तो अच्छे से चला जाएगा.
मैंने कहा- नहीं मेरी जान, मैं तो ऐसे ही थूक लगा कर डालूंगा.

मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और धीरे-धीरे घुसाने का प्रयास करने लगा.
मेरा औजार अभी कुछ ही अन्दर गया था कि सुरभि भाभी बोल पड़ीं- साले बेदर्दी … निकालो इसे … मुझे बहुत दर्द हो रहा है. तुम जब-जब ऐसे करते हो, बहुत दर्द होता है … और तुम समझते ही नहीं, बस अपनी ही धुन में लगे रहते हो कि घुसा देंगे.

भाभी की बातों पर ध्यान ना देते हुए मैंने दोबारा से लौड़े को निकाल कर धक्का लगाया.
इस बार मेरा आधा लंड भाभी की चूत में घुस गया था.
उनके मुँह से चीख निकल गई- मर गई आह … बचा लो आह.

मुझे लगा कि भाभी को सच में काफी दर्द हो रहा इसलिए मैं कुछ देर रुक गया और उनके होंठों पर किस करने लगा.

कुछ देर होंठ चूमने के बाद मैं उनके बूब्स को दबाने लगा.
अब उनके मुँह से आवाज निकलने लगी ‘धीरे … अहह … उफ़ … हम्म हुम्म!’

कुछ देर बाद भाभी अपनी गांड को उठाने लगीं जिससे मुझे अहसास हो गया कि अब वे ठीक हैं.
मैंने एक जोरदार धक्का लगाया और अपना पूरा लंड अन्दर घुसा दिया.

वे दर्द के मेरे चिल्लाने लगीं. उनकी आंखों से आंसू निकल आए.
तब मैं अपना लंड धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा.
सुरभि भाभी जैसे बेहोश सी हो चुकी थीं.

थोड़ी देर बाद उन्हें होश आया और उनके मुँह से आवाज निकलने लगी- आह … मार ही डालोगे क्या मुझको!
मैंने कहा- नहीं मेरी जान, यह तो प्यार का तरीका है.

भाभी कुछ नहीं बोलीं, वे बेसुध पड़ी रहीं.
मैं धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर कर रहा था, जिससे उनकी सिसकने की आवाज आ रही थी और कमरे में गूंज रही थी.

मेरे लंड की फच फच की आवाज भी पूरे कमरे में सुनाई दे रही थी.

कुछ देर बाद सुरभि ने कहा- थोड़ी तेज करो ना, बहुत मजा आ रहा है!

अब मैं पिल पड़ा और जब जब मैं भाभी की चुत में अपना लंड पेलता तो उनकी चीख निकल जाती.

फिर जैसे ही बाहर निकालता, तो वे कहतीं कि आह और तेज करो ना, बहुत मजा आ रहा है.
वे पूरी तरह से सेक्स का मजा उठा रही थीं.

मैं उन्हें बहुत तेजी के साथ चोदता जा रहा था. वे लेटी हुई अपनी चुत की सर्विसिंग करवाने का मजा ले रही थीं.
सुरभि- आह्ह … हनी … मुझे जोर-जोर से चोदो … आह्ह … मेरी इस भूखी चूत को अपना लंड खिला दो … आह फाड़ दो … आज इस चूत को … अपने मोटे लंड से … आह्ह … और जोर से चोदो मेरे राजा … आह्ह … और जोर से चोदो … आह ..!

मैं अपना मूसल ठोके जा रहा था और सुरभि भाभी लगातार चिल्ला रही थीं- आआह्ह ऊफ़्फ़फ़्फ़ … कितना मजा आ रहा है … मेरा पानी निकल राह्ह्ह है … मैं झड़ रही हूँ.
कमरे में चुदाई की ‘फ़चाफ़च’ की आवाजें गूंजने लगी थीं.

लगातार एक ही पोजीशन में देर तक चुदाई के बाद मैं भी अब झड़ने वाला हो गया था.
मैंने एक जोरदार झटके से अपना पूरा माल सुरभि भाभी की चूत में झाड़ दिया.

मेरे मुँह से आह निकल गई.
मुझे ऐसा महसूस हुआ, जैसे मैंने किसी गर्म भट्टी में अपना रस गिरा दिया है.

मेरा लंड भाभी की चुत में फंस चुका था.
थोड़ी कोशिश के बाद लंड बाहर निकला तो मैंने देखा कि लौड़ा पूरी तरह से रस से भरा हुआ था.

मैं उठा और सुरभि भाभी के मुँह के पास जाकर बैठ गया.
भाभी ने चाट कर मेरे लंड को साफ कर दिया और आखिर में मुट्ठ मार कर भाभी ने एक बार फिर से मेरे लौड़े का रस निकाल दिया.

मैं उनके मुँह में ही झड़ गया.
वे सारा वीर्य रस के समान पी गईं.

मैं उनके होंठों को चूमने लगा.
भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.

आज वे भी हनीमून मनाने के मूड में थीं.
आधे घण्टे बाद फिर मैंने भाभी को पेट के बल लेटा दिया और उनकी पीठ को चूमने लगा.

धीरे-धीरे मैं नीचे बढ़ता गया और उनके नितंबों तक जा पहुंचा.

मैंने दोनों हाथ से भाभी के बड़े-बड़े नितंबों को जोर से दबाया और दोनों तरफ थप्पड़ लगा दिए.
भाभी की आह निकल गई.
वे समझ गईं कि मैं क्या करना चाहता हूं.

जब मैं उनके चूतड़ चूम रहा था, तब उन्होंने कुछ नहीं बोला.

फिर जैसे ही मैंने भाभी को घोड़ी बनाया तो वे बोल पड़ीं- नहीं, मैं पीछे से नहीं करूंगी. मैंने सुना है कि उसमें बहुत दर्द होता है … और तुम्हारा इतना बड़ा हथौड़ा है, मेरी तो फट कर फ्लावर हो जाएगी!

मैंने कहा- तुमने कहा था कि जो करना हो, वह कर लेना. मैं कुछ ना बोलूंगी.
भाभी- उस समय तो मैं इसके बारे में नहीं सोच रही थी. मैंने आज तक तुम्हारे भइया से कभी गांड नहीं मरवाई है. मेरी एक सहेली ने मुझे बताया था कि इसमें बहुत दर्द होता है इसलिए यह ना करने को कहा.

यह सुनकर मैं बिस्तर पर लेट गया और करवट बदल कर मुँह फेर लिया.
इस पर सुरभि भाभी ने कहा- मैंने तुम्हें सेक्स करने से थोड़ी रोका है. जैसे करना होगा, वैसा करो मगर मेरी गांड मत मारो.

मैंने कहा- नहीं, मारूंगा तो मैं गांड ही.
मैं भाभी को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल कर रहा था.

सुरभि भाभी मेरे ऊपर चढ़कर लेट गईं और किस करती हुई बोलीं- लगता है तुम मेरी आज गांड मारकर ही रहोगे.
मैं फिर भी कुछ ना बोला.

फिर सुरभि भाभी बोली- मेरा बाबू नाराज है … नहीं मानेगा? अपना लंड मेरी गांड में ही डालेगा … तो ठीक है.

वे बिना कुछ बोले मेरे सामने घोड़ी बन गईं और बोलीं- लो डार्लिंग, मैंने अपनी गांड तुम्हारे हवाले कर दी है, अब प्यार से मारो या बेदर्दी से … चाहे चोदो या फाड़ो … अब यह गांड तुम्हारी है.

मैं चुपचाप उठा और भाभी के पीछे आ गया. प्यार से मैंने उनकी गांड को चूमा; धीरे-धीरे उनकी गांड में उंगली करने लगा.

मैंने फिर से भाभी की गांड को चाटा.

वे गर्म होने लगीं और धीरे-धीरे करके मैंने उनकी गांड में अन्दर तक उंगली डाली.
जब वे गर्म हो गईं, तो मैंने अपने लंड पर थोड़ी वैसलीन लगाई और उनकी गांड से लंड को टच करके धीरे-धीरे घिसने लगा.

इस भाभी ऐस फक में मुझे इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.
मैं अपना लंड भाभी की गांड में धीरे-धीरे डालने लगा.

एक बार उन्हें दर्द हुआ तो उन्होंने अपनी गांड आगे को खींच ली.
मैंने गुस्से में आकर जोर से एक चांटा उनके चूतड़ों पर जड़ दिया, जिससे वे चिल्ला उठीं.

मैंने अपने लंड को उनकी गांड में डालना शुरू किया.
बड़ी मुश्किल से भाभी की गांड में लंड का मुंड घुस पाया था.
उन्हें दर्द होने लगा और वे आराम से करने के लिए कहने लगीं.

मगर मेरे ऊपर अब हैवानियत सवार हो चुकी थी; मैंने भाभी की कमर को जोर से पकड़ा और एक झटका मारा.

मेरा आधा लंड भाभी की गांड में चला गया और वे जोर से चिल्ला दीं- आआह ईईई … ऊऊऊऊ ईईईई … मर गयी … आह्ह … मम्मी!
वे रोने लगीं.

मगर मैं भी कहां मानने वाला था; धीरे से लंड को पीछे खींचा और फिर से झटका मार दिया.
मेरा पूरा लंड भाभी की गांड में समाहित हो चुका था.

उन्होंने जोर से अपना एक हाथ बेड पर पटका और बाजू में रखे हुए तकिया को उठाकर उसमें अपना मुँह दबा लिया.
उनको सामान्य करने के लिए मैं उनकी चूत में उंगली करता रहा और उनकी चूचियों को दबाता रहा.

जब भाभी सामान्य हुईं तो मैं लंड धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगा मगर उन्हें मजा नहीं आ रहा था.
वे कुछ देर तक दर्द से तड़पती रहीं.

भाभी की गांड मारने के बाद मुझे उन पर दया आ गई और मैंने लंड को गांड से निकाल लिया.
अब मैंने लंड को उनकी चूत में डाल दिया और उन्हें चोदने लगा.

कुछ देर में उन्हें मजा आने लगा और वे भी मेरा साथ देने लगीं.
करीब 20 मिनट तक उन्हें ऐसी हालत में चोदते हुए मेरा लंड उनकी चूत में झड़ गया.
भाभी भी साथ में झड़ गईं.

मैंने उनसे कहा- मजा आ गया, आज तो पहली बार था इसलिए तुम्हें छोड़ दिया. पर अगली बार मैं नहीं छोडूंगा.
इस पर सुरभि भाभी बोलीं- जिसकी फटती है, वही जानता है. तुम्हें क्या केवल मजा लेने से मतलब है?

मैंने कहा- दर्द हो रहा है?
उन्होंने कहा- बहुत ज्यादा!

मैंने कहा- सुबह तक ठीक हो जाएगा.
फिर हम दोनों एक दूसरे से नंगे लिपट कर सो गए.

सुबह हुई तो मैंने देखा सुरभि भाभी कमरे में नहीं थीं.
मैं बाहर किचन में आया और देखा तो वे अपनी कमर पकड़ कर चल रही थीं.

मैंने उन्हें कहा- इधर आओ!
मैंने उन्हें सोफे पर बैठा दिया और मैंने नाश्ता बनाया, उन्हें भी दिया.

सुरभि भाभी ने कहा- दर्द तो हो रहा है मगर मजा भी बहुत आ रहा है.
मैंने कहा- तुम्हें भी मजा आया, मुझे भी आया.

यह सुनकर हम दोनों हंस पड़े और नाश्ता करने लगे.
सुरभि भाभी ने कहा- मुझे नींद आ रही है.

मैंने भी कहा- मुझे भी.
इसलिए हम दोनों जाकर कमरे में सो गए.

फिर हमारी नींद शाम को खुली.
मैंने कहा कि मैं तुम्हारी कमर की मसाज कर देता हूं, जिससे दर्द कम हो जाएगा.

भाभी चुप रहीं.

मैं उठा और किचन से जाकर कटोरी में राई का तेल गर्म कर लाया.
मैंने भाभी की नाइटी को उतारा और उन्हें पलट दिया, उन्हें पेट के बल लिटा दिया.

उन्होंने नाइटी के अन्दर कुछ नहीं पहना था, इसलिए वे बिल्कुल नंगी होकर लेट गईं.

मैंने देखा कि उनकी गांड लाल होकर सूज गई थी. मैंने उनकी पीठ पर तेल गिराया और अपने सारे कपड़े उतार कर भाभी की पीठ पर बैठ कर मसाज करने लगा.

सुरभि भाभी बोलीं- क्या बात है जान, बहुत मजा आ रहा है.
फिर मैंने तेल उनकी गांड पर डाला और दोनों हाथों से उनके चूतड़ों को फैला कर अपने मुँह से शीशी दबाते हुए गांड के छेद में तेल टपका कर मालिश करने लगा.

भाभी आहें भरने लगीं.

मैंने अपने हाथ में थोड़ा ज्यादा सा तेल लिया और भाभी की गांड के छेद में डाल कर उसी तेल से उनकी जांघों की मालिश करने लगा.
वे बोलीं- कहां से सीखी है मालिश करने की कला … पूरा दर्द गायब हो गया!

मैंने कहा- अभी कहां मेरी जान … अभी तो तुम्हारी असली मालिश होना बाकी है.
मैंने भाभी की गांड पर फिर से तेल गिराया और ऊपर से अपना लंड दोनों चूतड़ों के बीच में दबाने लगा, जिससे मेरा लंड भाभी के गर्म चूतड़ों की गर्मी पाकर खड़ा होने लगा.

लंड के उठ खड़े होते ही मैंने भाभी को पीठ के बल लिटा दिया और उनके पेट पर तेल गिरा कर उनकी कमर को पकड़ कर उसकी मालिश करने लगा.
भाभी मस्त होने लगीं. मैंने हाथ में थोड़ा तेल लिया और उनकी चूत के ऊपर लगा कर अपनी उंगली की सहायता से कुछ तेल चूत के अन्दर तक डाल दिया. फिर ऊपर से चुत को मसलने लगा.

अब तक मेरा लंड भी तन कर खड़ा हो गया था और चूत की अच्छे से मसाज करने के बाद उसमें से भी रस टपकने लगा था.
भाभी की कसमसाहट भी बढ़ने लगी थी मगर वे कुछ कह नहीं रही थीं.

अब बारी भाभी की चूचियों की थी.
मैंने उनके दोनों मम्मों पर पूरा तेल गिरा दिया और दोनों को मसलने लगा.

भाभी कामुक सिसकारियां निकालने लगीं और बोलीं- वाह जानू, आज तो सच में मजा आ गया. तुम रोज ऐसे ही मेरी मालिश किया करो. पूरे शरीर की थकान दूर हो गई है यार!

मैं हंस दिया और बोला- मेरी जान अभी क्या है, अभी तो तुमने मेरी सोहबत करना शुरू की है. आगे आगे देखना कितने मजे देता हूँ.
 
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junglecouple1984

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भाभी ने मेरे साथ सुहागरात मनाई - 6



फ्रेंड्स, मैं शिवम आपको अपनी भाभी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पिछले भाग
भाभी की गांड में लंड पेला
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मैं भाभी की गांड मार चुका था और उनकी मालिश करके उन्हें मजा दे रहा था और भाभी मेरी मालिश से बड़ी खुश थीं.

अब आगे सेक्स इन रेन का मजा:

अब मैंने अपना लंड भाभी की चूचियों के बीच में रख दिया.
लंड लोहे जैसा सख़्त हो गया था.

मैंने लंड को दोनों चूचियों के बीच रख कर उस पर तेल टपका दिया.

सुरभि भाभी ने तुरंत बिना कुछ कहे अपने हाथों से अपनी चूचियों के बीच मेरा लंड दबा लिया और बोलीं- चलो, चालू हो जाओ!
मैंने भी मौके पर चौका मार दिया और चूचियों को लंड से पेलने लगा.

दस मिनट में मेरा लंड भाभी की चूचियां पर झड़ गया.

सुरभि भाभी बोलीं- मजा आया?
मैंने कहा- बहुत ज्यादा.

फिर हम दोनों बिस्तर से उतर कर बाथरूम में नहाने घुस गए.

वहां हम दोनों ने थोड़ी मस्ती की.
कभी बाथटब में तो कभी फव्वारे के नीचे आकर.

लगभग एक घंटा बाद हम दोनों एक साथ नहा कर बाहर निकल आए और वैसे ही नग्न किचन में घुस गए.

वहां सुरभि भाभी खाना पकाने लगीं और मैं उनके पीछे से देखता रहा.

कुछ देर बाद खाना बन कर तैयार हो गया.
मैं जाकर कुर्सी पर बैठ गया और जब भाभी आईं, तो मैंने उन्हें अपनी गोद में बैठने को कहा.

वे बिंदास बैठ गईं.
उनके नंगे बदन से सटते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैंने भाभी को थोड़ा ऊपर की तरफ उठाया और उनकी चूत में अपना लंड डाल दिया.
लंड चुत में पेल कर मैं खाना खाने लगा.

सुरभि भाभी भी खाना खाते समय अपनी गांड को थोड़ी ऊपर नीचे कर रही थीं.
उनकी इस मदमस्त चुदाई से मुझे भी मजा आ रहा था.

अब तो हम दोनों घर पर नंगे ही रहते जब मन करता, जिस समय मन करता उसी समय चुदाई करने लगते.

हम लोग 24 घंटा में 5 से 6 बार सेक्स कर लेते मगर सुरभि भाभी गांड कभी नहीं चुदवाती थीं.

ऐसे करते करते एक महीना बीत गया.

मैं अब रोज बिना कंडोम के सुरभि भाभी को चोदता और अपना सारा पानी उनकी चुत के अन्दर ही बहा देता.

एक दिन सुबह सुरभि भाभी के फोन की घंटी बजी.
दूसरी तरफ फोन पर भईया थे.
उन्होंने बताया कि वे दिल्ली दो दिन में पहुंच जाएंगे.

सुरभि भाभी यह खबर सुनकर दुखी हो गईं.
उन्हें अब मेरे बड़े लौड़े की आदत लग गई थी.

मैंने उन्हें समझाया कि भाभी यह तो एक न एक दिन होना ही था इसलिए तुम बिल्कुल भी उदास न हो.
मेरी बात सुन कर भाभी रोने लगीं और मुझसे लिपट गईं.

मैंने कहा- हमारे पास आज की रात है रंगीन करने के लिए!
सुरभि भाभी ने अपने हाथों से अपनी आखों से बह रहे आंसुओं को पौंछते हुए कहा- हां, आज की रात तो पूरी बाकी है.

रात को मैंने सुरभि भाभी को गोदी में लिया और कहा- आज मुझे खाना नहीं चाहिए, आज केवल तुम चाहिए.
मैंने भाभी को ले जाकर कमरे के बिस्तर पर लिटा दिया.

उस दिन सुरभि भाभी ने साड़ी पहनी हुई थी.

मैंने उनकी साड़ी उतार दी और उनके बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा, उनके होंठों को अपने होंठों से चूसने लगा.

मगर सुरभि भाभी मेरा साथ नहीं दे रही थीं.
तब मैंने उनके गाल पर एक चपत मारते हुए कहा- क्या हुआ जान?
‘सॉरी यार … मैं मन से सेक्स नहीं कर पा रही हूँ!’
इस पर मैंने कहा- तुम आज कुछ मत सोचो, बस समय के साथ चलो. समय बहुत बलवान होता है.

मेरी बात सुनकर सुरभि भाभी मान गईं और मेरा साथ देने लगीं.
हम दोनों ने दस मिनट तक चुम्बन किया.
एक दूसरे के होंठों को दांत से दबाया.

फिर मैंने उन्हें गले पर किस करते हुए ब्लाउज के ऊपर से उनके बूब्स को दबाने लगा, उधर चुम्बन किया और नीचे सरकने लगा.
उनके पेट पर चुंबन करता हुआ मैंने भाभी की कमर को दोनों हाथों से दबा दिया.

इस दौरान सुरभि भाभी आहें भरती हुई आनन्द के सागर में गोते लगा रही थीं.
मैंने उनके ब्लाउज और ब्रा को उतार दिया और बूब्स को दबाने लगा.
एक को मुँह में ऐसे भर लिया, जैसे कोई छोटा बालक दूध पीता है.

उसी के जैसे मैं दूध दबा दबा कर चूसने लगा, भाभी के भूरे निप्पलों को चूमने लगा.

मैंने कई जगह उनके बूब्स को दांत से काट भी लिया.
सुरभि भाभी बस सिसकारियां ले रही थीं … मगर वे मुझे रोक नहीं रही थीं.

तब मैंने अपना अंडरवियर उतारा और लंड को उनके मुँह के पास लाया.
सुरभि भाभी ने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में भर लिया और कुल्फी के जैसे चूसने लगीं.

फिर मैंने कहा- 69 के पोजीशन में आते हैं.
वे मान गईं.

मैंने उनके पेटीकोट को और पैंटी को उतार दिया.
मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाल दी और उंगली से ही चुत चोदने लगा.
कुछ पल बाद मैं अपना मुँह उनकी चूत के पास लाया और अन्दर जीभ डालकर चाटने लगा.

वे मेरा लंड चाट रही थीं.
पंद्रह मिनट में हम दोनों झड़ गए.

मैंने उनका सारा रस पी लिया और उन्होंने मेरा रस काट लिया.

कुछ देर बाद हम दोनों का खेल फिर से शुरू हो गया.
मैंने भाभी की टांगों को फैलाया और चूत के छेद पर लंड सैट कर दिया, फिर एक ही शॉट में पूरा लवड़ा अन्दर घुसेड़ दिया.

भाभी चिल्लाईं- आह आराम से … दर्द हो रहा है.
वे कामुक सिसकारियां लेने लगीं.
उनकी मादक सिसकारियों और चोदने के आवाज पूरे कमरे में सुनाई दे रही थी.

मैं भाभी के बूब्स के निप्पलों को दांत से काट रहा था.

काफी देर बाद मैंने कहा- अब तुम मेरे ऊपर आओ.
मैं लेट गया और भाभी मेरे लंड के ऊपर चढ़ कर अपनी चूत में लंड को अन्दर घुसेड़ने लगीं.
लंड अन्दर लेते ही भाभी कूद कूद कर चुदवाने लगीं.

मैं उनके मम्मों को दबाने लगा.
इससे वे और ज्यादा उत्तेजित हो गईं और जोर जोर से कूदने से पूरे कमरे में चट चट पक पक की आवाज गूंज रही थी.

भाभी चिल्ला रही थीं- चोद साले बहन के लौड़े … मादरचोद आह क्या लंड है तेरा हरामी साले … मुझे अपनी रंडी बना लिया है तूने आह चोद आह और जोर से अन्दर तक ठांस दे … आह मैं ग..अ गई आह.

वे झड़ गईं. वे दूसरी बार झड़ रही थीं.
मैंने कहा- और 20-25 झटके लगा दो जान … मेरा भी पानी निकलने वाला है.

वे अपनी बॉडी को मेरे लौड़े पर रगड़ती रहीं और मैं भी झड़ गया.
मैंने उनकी चूत में ही रस निकाला था.

भाभी थक कर मेरे सीने के ऊपर ही सो गईं.
मैंने भी अपना लंड भाभी की चुत में ही घुसा रहने दिया और सो गया.

सुबह जब हमारी नींद खुली तो हम दोनों बिस्तर पर नंगे थे.
मैंने कहा- एक बार और चोद लूँ?

सुरभि भाभी ने हां में अपना सर हिलाया.
मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी कमर पकड़ कर अपना लंड उनके छेद में पेल दिया.

मैं उन्हें जोर जोर से चोदने लगा और अपने हाथों से उनके दोनों बूब्स को पकड़ कर आगे पीछे करने लगा.

फिर कुछ देर बाद चूत में लंड करने में मजा नहीं आ रहा था इसलिए मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उनकी गांड में डालने लगा.

सुरभि भाभी ने गांड उचकाते हुए कहा- नहीं यार … उधर नहीं हो पाएगा, प्लीज तुम्हारा मोटा है, अन्दर नहीं जाएगा आह मत करो न … इसे बाहर निकालो … आह बहुत दर्द हो रहा है.
भाभी चीख कर रोने लगीं.

मैंने अपना लंड घुसेड़ना रोक दिया और उनके मम्मों को दबाने लगा.
अब वे सामान्य होने लगीं और अपने दूध मसलवाने का मजा लेने लगीं.

जब कुछ देर में भाभी गांड हिलाने लगीं तो मैं समझ गया कि इनको मजा आने लगा है.

मैंने तभी एक जोरदार झटका दे दिया और अपना पूरा लंड उनकी गांड के अन्दर घुसेड़ दिया.
सुरभि भाभी गाली देने लगीं- मादरचोद साले कुत्ते … गांड में पता नहीं क्या सुख मिलता है भोसड़ी के … आह फाड़ दी बहन के लौड़े ने!

मैं भाभी की बातों और उनके रोने धोने पर ध्यान ना देता हुआ उनकी गांड मारता जा रहा था.
मैं मस्ती में उनकी कसी हुई गांड बजा रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था.

लगातार देर तक जोरदार धकापेल के बाद मैं भाभी की गांड में ही झड़ गया.

जब मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो मेरा लंड खून से लथपथ था और सुरभि भाभी की गांड से खून बहने लगा था.

मैं खून देख कर डर गया.
उधर सुरभि भाभी ने रोते हुए कहा- मुझे सुबह से दर्द दे कर तुमको खुशी मिल गई न!

मैं चुपचाप वहां से उठा और बाथरूम में नहाने चला गया.
फिर जब कमरे में वापस आकर सुरभि से पूछा- क्या दर्द अभी भी हो रहा है!
भाभी ने कहा- ठीक है मगर गांड बहुत तेज दर्द कर रही है.

वे उठ कर बाथरूम में चली गईं और उधर से नहा कर बाहर निकलीं.

भाभी अपनी कमर पकड़ कर चल रही थीं.
मैं उनका कष्ट देख कर उदास हो गया था.

मुझे उदास देख कर भाभी बोलीं- उदास मत हो, मुझे भी बहुत मजा आया. पर ये दर्द जरा मजा खराब कर देता है. सुहागरात रात वाले दिन भी जब तुम्हारे भईया ने जब मेरी चुत की सील तोड़ी थी, तब भी ऐसा ही महसूस हुआ था.

अब हम दोनों ने भईया का आने तक सेक्स नहीं किया.
मगर सुरभि भाभी रोजाना दिन में कई कई बार ब्लो जॉब दिया करती थीं.

दो दिन बाद शाम को भईया की ट्रेन दिल्ली पहुंच गई.
मैं उनकी कार लेकर स्टेशन से उन्हें घर ले आया.

भईया लगभग दो महीने के बाद घर को लौटे थे.
घर आते ही उन्होंने मुझे और सुरभि भाभी को गले लगा लिया.

हम सभी की आंखें आंसुओं से भर गई थीं.

फिर हम दोनों खाना खाने के लिए टेबल पर बैठ गए.
भाभी खाना परोसने लगीं.
मैंने कहा- भाभी, आप भी हमारे साथ ही बैठ जाओ न!

भईया ने भी कहा- हां हा आओ ना, हम सब साथ में खाना खाते हैं.
खाना के बाद हम सब अपने अपने कमरे में जाकर सो गए.

सुबह जब मैं उठा तो भाभी और भईया अभी सो रहे थे.
मैं समझ गया कि कल रात तो मिलन की थी इसलिए दोनों अभी सो रहे हैं.

मैं बाथरूम में गया और नित्य क्रिया से फारिग होकर किचन में आ गया.
चाय नाश्ता तैयार करके मैंने भाभी के कमरे के दरवाजे को खटखटाया.

तब अन्दर से आवाज आई- बस पांच मिनट में हम दोनों आ रहे हैं.
मैं समझ गया कि दोनों नंगे हैं और लगे हैं.

मैंने गेट के चाभी वाले छेद से अन्दर देखा तो मैं सही था.
दोनों जल्दी जल्दी उठकर अपने कपड़े पहन रहे थे.

मैंने नाश्ता टेबल पर रख दिया और मोबाइल चलाने लगा.
वे दोनों आकर सोफे पर बैठ गए और चाय पीने लगे.

भैया ने कहा- कल रात को हम दोनों देर तक बातें कर रहे थे, इसलिए आज उठने में देर हो गई.

यह कह कर उन्होंने भाभी को आंख मार दी.
मैंने भईया से कहा- मुझे पता है क्योंकि भाभी कभी देर से उठती ही नहीं हैं. वे रोज सुबह जल्दी उठकर सब काम कर लेती हैं.

फिर मैंने भईया से कहा- मुझे कानपुर वापस जाना है. मेरा कॉलेज स्टार्ट होने वाला है.
भाभी मेरी तरफ गुस्से से देख रही थीं.

भईया ने मेरी ट्रेन की टिकट बुक कर दी.
टिकट एक दिन बाद की थी.

नाश्ता खत्म करके जब भाभी किचन में जा रही थीं तो मैं भी उनके पीछे चला गया.

मैं बोला- मैं जाने से पहले अंतिम बार सेक्स करना चाहता हूँ.
सुरभि ने कहा- नहीं, तुम्हारे भैया को पता चला तो वे हम दोनों को मार डालेंगे.

मैंने कहा- वह सब मुझे नहीं पता कि आप कैसे करेंगी … मगर मुझे करना है.
मेरे जिद करने पर भाभी बोलीं- चलो कुछ योजना बनाती हूं.

अगले दिन मौसम एकदम खराब हो गया था और जोर की बारिश होने लगी थी. भाभी को बारिश बहुत पसंद थी इसलिए वे भाग कर छत पर चली गईं और पानी में भीगने लगीं.
मैं भी उनके पीछे जाने लगा और भईया को चलने को कहा. मगर भईया को बारिश से एलर्जी थी, जिसके कारण भईया नहीं आए.

मैं छत पर गया तो देखा भाभी के पूरे कपड़े भीग चुके थे और उनका पूरा बदन झलक रहा था.
मैंने छत पर आने का दरवाजा बंद कर दिया ताकि कोई और न आ सके.

इसके बाद मैं सीधा सुरभि भाभी के पास गया और उन्हें चूमने लगा.
सेक्स इन रेन का मजा लेने में वे भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.

छत के चारों तरफ ऊंची दीवार थी इसलिए कोई हमें देख ही नहीं सकता था.
मस्त चुम्बनों के बाद मैं नीचे बैठ गया और सुरभि भाभी की सलवार को नीचे कर दिया.

फिर भाभी की पैंटी नीचे करके खड़े खड़े अपना लंड उनकी चुत में डालने लगा.

मैंने भाभी के मुँह को अपने हाथों से दबा लिया और अपना लंड एक झटके में अन्दर डाल दिया.
भाभी को दर्द तो बहुत हुआ मगर मेरा हाथ लगा होने के कारण उनकी चीख अन्दर ही रह गई.

उन्होंने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया मैं उनको जोर जोर से चोदने लगा.

लग रहा था कि बारिश भी हमारा साथ दे रही थी.
बहुत तेज बारिश हो रही थी जिससे काफी आवाज हो रही थी.

मैं पूरी शिद्दत से भाभी की चुदाई कर रहा था.
आधा घंटा में हम दोनों एक साथ झड़ गए.

मैंने अपना पूरा पानी उनकी चुत में ही डाल दिया और मैंने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकल कर सुरभि भाभी को नीचे बैठ कर लंड को चूसने को कहा.

वे तुरंत लंड को चूसने लगीं.
मेरा लंड वापस तनकर खड़ा हो गया तब मैंने उन्हें पीछे घुमाया और डॉगी स्टाइल में कर दिया.

फिर भाभी की कमर को पकड़ कर उनकी गांड में अपना लंड घुसेड़ दिया.
मैं भाभी की गांड मारने लगा और कपड़ों के ऊपर से उनके बूब्स दबाने लगा.

भाभी के मुँह से ‘आह … आह … आह … आह.’ की आवाज निकल रही थी.
लगभग 50-60 झटके लगाने के बाद जब मैं झड़ने वाला था, तब मैंने गांड से अपना लंड बाहर निकाला और उनके मुँह में दे दिया.
फिर उसके मुँह में कुछ झटके लगाने के बाद मैं भाभी के मुँह में ही झड़ गया.

भाभी ने भी सारा पानी पी लिया.
तब तक बारिश भी बंद हो गई थी.

सुरभि भाभी ने कहा- अब ठीक है न! मैंने तुम्हारी इस इच्छा को भी पूरी कर दिया है.
अब भाभी ने अपने कपड़े ठीक किए और वे नीचे उतर गईं.

मैं कुछ देर छत पर ही बैठा रहा.
फिर मैं नीचे उतरा और बाथरूम में जाकर कपड़े बदल कर अपना बैग पैक कर लिया.

अगले दिन दोपहर को मैं घर से निकल गया और शाम को वापस कानपुर आ गया.

तो ये थी मेरी पहली सेक्स कहानी,
 
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