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Shukriya mahi madam is khubsurat sameeksha ke liye,,,,दूसरे अध्याय का चौथा भाग।
बहुत ही बेहतरीन कहानी महोदय,
जीवन मे सुख दुःख तो लगा ही रहता है लेकिन रूपा की ज़िंदगी मे सुख के क्षण बहुत कम ही लिखे थे। रूपा ने एक पत्नी होने के नाते वो सब कुछ किया जो एक अच्छी और संस्कारी पत्नी को करना चाहिए, लेकिन अपने रूप के कारण वो कभी भी अपने पति का दिल नहीं जीत पाई। उसके जीवन मे थोड़ी बहुत जो नाममात्र की खुशियां आई थी वो बस विशेष की एक खतरनाक चाल का हिस्सा थी।
वो कहते हैं न कि इंसान चाहे कितना भी चालाक और शातिर हो, लेकिन सामने वाले को कभी भी कमजोर या बेवकूफ नहीं समझना चाहिए। विशेष ने प्लान बहुत अच्छा बनाया, लेकिन उसने रूपा को कम आंकने की गलती की। तीन रात विशेष को जागकर कुछ लिखते और उसे ताले के अंदर रखते देखकर रूपा के मन मे विशेष को लेकर शक बैठ गया और वो एक रात मक पाकर विशेष के लिखे गए कारनामें को पढ़ने की तैयारी कर ली है।।
Oversmart bahut tha vishesh,,,,
