उसको देखती 2 लाल आंखे । आँखो में हैवानियत और कामुकता का मिला जुला संगम उन आंखों को और भी ज़्यादा खतरनाक बना रहा है।पेड़ की ओट में छुपी वो आंख मौके की तलाश में है।तभी वो लड़की नहर से निकल के अपने बदन को पोछ के कपड़े बदल के चलने लगती है और तभी वो शख्स गायब हो जाता है पेड़ के पीछे से। एक जगह पे जा के 2 पत्थर के बीच मे बैठ के ध्यान लगा लेता है। लड़की वहां से निकलती हुई जा रही होती है तो उसको देखती है और तभी उसको आवाज़ सुनाई देती है "रजनी " इधर उधर देख के वो सोचती है मेरा नाम कौन बुला रहा है। तभी फिर से आवाज़ आती है "रजनी"
"कौन बुला रहा है मुझे।"
"मूर्ख लड़की मुझे देख के अनदेखा कर के जा रही है इधर आ।"
रजनी उधर बढ़ चली जिधर वो बाबा बैठा था।
"जी बाबा "
"बाबा नही हु मैं। मैं हूं तंत्र सम्राट कापालिक प्रेतनाथ।"
प्रेतनाथ एक कापालिक तांत्रिक है 6 फुट का सांड बदन रंग गेहुआ बड़े बाल अनेक सिद्धि और भूत,प्रेत,बेताल,शाकिनी डाकिनी को सिद्ध किये हुए। वो जानता है ये लड़की एक बहुत शक्तिशाली पुत्र को जन्म देगी जिसके बलिदान अगर शमशान काली को किया जाए तो काली स्वयं सिद्ध हो कि उसको परम शक्तिशाली बना देंगी।लण्ड 7 इंच मोटा भी ठीक था।
"जी प्रेतनाथ बाबा आपने मुझे क्यों बुलाया?"
"देख लड़की तेरे ऊपर भयंकर खतरा आने वाला है माँ बाप भी तुझसे दूर हो सकते है।संभाल के रहना ले ये लॉकेट पहन ले इससे तेरी रक्षा होगी।"
"बाबा मैं साधारण लड़की हु गाँव की मेरी किसी से क्या लड़ाई? मुझ पे कौनसा संकट है ।"कोई संकट नही है।"
"मूर्ख लड़की नही मानती तो जा भुगत जा के "
कह के प्रेतनाथ ध्यान में चला गया।
घर आ के रजनी सोचने लगी क्या बाबा सच बोल रहा था क्या सच मे मुझपे कोई संकट आने वाला है । अरे नही वो पैसे के लिए बोल रहा होगा लॉकेट दे के 100 200 मांग लेता। हूह ऐसे ही डरते है लोग इनसे।
"मा कुछ बनाया है या नही बड़ी भूख लगी है।बापू को खाना देने दुकान देने जाना है मुझे आने में देर हो जाती है।"
"हॉ जानती हूं बड़ी काम काजी है तू ले खा और खाना बांध दी है दे आ जा के अपने बापू को ।"
"क्या मा हमेशा गुस्सा बनी रहती हो कभी तो हस दिया करो।"
"खाना खा और जा मेरा दिमाग न चाट न माखन लगा मुझे।""बड़ी हो गयी है धोड़ी जैसी मगर ये नही मेरा काम मे हाथ बटवा दे।"
"काम कितना करती हूं सुबह 5 बजे उठ के घर मे झाड़ू और बकरीयों का दूध निकाल के कपड़े धो के नहाने जाती हूं।फिर वापस आ के बापू को खाना देने जाती हूं।"
"बस बस पता चल गया काम कितना करती है।"
खाना खा के चली जाती है दुकान से वापस आ के दूसरे काम कर के सो जाती है। फिर शाम को उठ के रात का खाना बनाती है।