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Incest MITHA PANI

अपनी राय बताए कहानी को लेकर

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Only fucking scenes can't make an incest story specially mom-son,brother-sister and dad daughter incest story extremely hot and erotic. The elements that make it extremely hot and erotic are good plots, excellent themes, suitable characters setting,related situation narrations, making different situations and the most important elements are erotic, exciting and double meaning naughty conversations among the characters. This writer is doing very well in this field. And I heartily request the writer to apply more such kinds of elements in this great story.
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I will, surely, thanks for these lovely words❤❤❤
 
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Mitha pani 11

"आप अपनी तरफ से कुछ मत कहना, वो लीला के लिए जो लाये लाने दो, लड़की का घर बसाना इतना भी आसान नही काकी" दोपहर मे जमना काकी और सीता बेठकर बाते कर रही है। कुछ दिनों बाद जमना काकी की लड़की लीला की सगाई का मौका निकला है। उसी की चर्चा हो रही है।

"मैं क्यू बोलने लगी कुछ, अगर लीला का बाप होता तो मुझे कुछ करने की जरूरत ही नही पड़ती।" जमना ने अपना दुखड़ा गाया। वेसे भी अकेली औरत के लिए लड़की को पालना और फिर उसकी शादी करना वो भी भारतीय समाज मे, बड़ा ओखा काम है। थोड़ी बहुत जमीन है जमना के पास, उसी को ठेके पर देकर काम चलता है बेचारी का। पर सीता इतने ऊँचे खानदान से होकर भी जमना को अपना मानती है।

"आप तो एसे कह रही है काकी जेसे हम आपके कुछ लगते ही नही। अरे शामु पूरी सगाई और फिर पूरी शादी आपके घर रहेगा। और माया के बिना लीला वेसे भी शादी नही करवाने वाली। मेरी तो बात ही खतम है, मैं तो हु ही आपके पास। आप ज्यादा चिंता ना कीजिए। भगवान सब सही करेगा।"

"तभी तो मैं नही करती चिंता। तेरे परिवार के रहते मुझे कोई डर नही है। फिर भी क्या करू। माँ हु ना। मन नही टिकता।"

तभी शामु अंदर से नहाकर तैयार होकर बाहर आया। सीता और जमना आंगन मे चारपाई पर बैठी बात कर रही थी जिसपर शामु की नजर पड़ी। सीता की पीठ शामु की तरफ थी। उसने आज घाघरा और उसपर एक कुर्ती पहन रखी थी। सर पर चुन्नी थी। एक तरफ से सीता की चिकनी कमर देखी जा सकती थी। वही शामु की नजर ठहर गयी। अचानक उसका ध्यान जमना पर गया। असली दुनिया मे वापस आया और बोला

"किसकी चिंता हो रही है मेरी दादी को?" बोलकर शामु पास पड़ी कुर्सी पर बेठ गया।

"कुछ नही, ये तो लीला की सगाई को लेकर परेशान हो रही है" सीता ने अपने बेटे को स्थिती से अवगत करवाया।

"हा बेटा शामु, तू बस संभाल लेना सब। अब तो तू ही है"

"आप चिन्ता छोड़ दो दादी, मै सब देख लूंगा। कहो तो साथ ही साथ आपके हाथ भी पीले करवा दु" ये सुनकर सीता को बहुत जोर से हसी आयी। जमना ने धीरे से शामु के हाथ पर चपत लगाई और बोली

"हाए राम, केसी बाते कर रहा है। मेरे नही बेटा तेरी बहन लीला के हाथ पीले करने है, बेशर्म"

"काकी वेसे शामु बात तो ठीक कह रहा है। तुम भी करवालो साथ ही।" सीता ने भी मजाक मे शामु का साथ दिया।

"है ना माँ? और वेसे भी काकी तो अभी जवान ही है" इस बात पर दोनों माँ बेटे फिर हँसे।

"हो गया तुम दोनों माँ बेटे का। अब सुन शामु कुछ दिन बाद सगाई करनी है लीला की। उसी की तैयारी के लिए आई थी मैं तेरी मा के पास। तू एक दिन समय निकाल के देखले बेटा"

"ठीक है दादी, अब खेत का भी इतना काम नही है। कल मुझे गंगानगर जाना है, उसके बाद आता हुँ मैं"

गंगानगर की बात सुनते ही सीता के कान खडे हो गए। उसने शामु की तरफ देखा और कहा

"अब ये गंगानगर मे क्या काम आ गया तुझे, अभी तो जाकर आया था"

"अरे कुछ नही माँ, वो शेरा थोड़ा ढाबे का सामान लाने जा रहा है। उसी के साथ जा रहा हुँ। साथ ही दादी के लिए कोई लड़का भी तो ढूंढना है कि नही" बोलकर शामु हस्ता हुआ भाग गया और घर से बाहर चला गया। पिछे दोनों को भी हसी आ गयी।

"ये नही सुधरेगा सीता। मेरी शादी करवाके ही मानेगा।" इस बात पर फिर दोनों हस पड़ी।

"इसका मतलब आपका भी मन है काकी। ध्यान रखना कही इस बूढापे मे खाट की जगह हड्डी ना टूट जाए।" सीता ने मजाक किया तो जमना भी कहा पिछे हटने वाली थी

"तुझे बड़ा पता है। तभी मैं कहु ये रात को चु चु की आवाज कहा से आती है।"

"क्या आवाज आएगी काकी अब। ये तो सो जाते है आते ही।" इस बात पर दोनों फिर हसी।

"तो कहु शामु को? कि मेरे साथ तेरा भी बंदोबस्त करदे" जमना ने धीरे से बोला, "और वेसे भी दादी से पहले माँ का हक है, क्यू सीता?" इस बार सीता शर्मा गयी।

दोनों को पता था की शामु ने मजाक मे जो कहा था वो यह था की जमना के लिए कोई और लड़का ढूंढ लेगा। इस तरह के मजाक वो सबके साथ कर लेता था। पर जब जमना ने सीता से कहा की दादी से पहले माँ का हक होता है तो सीता को भाव आया जेसे जमना किसी और लड़के के लिए नही शामु के लिए कह रही है। और इससे पहले जिस चु चु की मजाक जमना ने की थी कुछ उसका भी असर सीता पर हुआ। जब किसी स्त्री को महीनों से पुरुष स्पर्श ना मिला हो उसके लिए इतना मजाक काफि होता है। वो शामु के बारे मे इस तरह से पहली बार सोच के ही काँप उठी।

आखिर वो भी एक स्त्री है जिसके कुछ अरमान है, कुछ जरूरत है। पर इस तरह का जिकर आज पहली बार हुआ।

"धत्त काकी क्या आप भी बच्चे के साथ बच्ची बन गयी"

"ओहो, अब देखो तो केसे शर्मा रही है, पहले तो दोनों माँ बेटे मुझे छेड़ रहे थे। चल ठीक है, अब चलती हुँ, काम भी पड़ा है। लीला तो सारा दिन कपड़े ही सिती है।"

"ठीक है काकी। मै भी लगती हुँ काम मे।"

फिर जमना चली गयी अपने घर और सीता भी कामो मे व्यस्त हो गयी। उधर माया सूट सील रही थी जब उसके फोन पर लीला का फोन आया। बहुत कम मिलना होता था फिर भी जब भी माया अपने गाँव दयालपुर जाती तो सारा दिन लीला के पास रहती। सीलाई करना भी माया ने लीला से ही सिखा था। जमना भी शामु को अपना बेटा और माया को अपनी बेटी से बढ़कर मानती है।

"ओ, आज मैडम को याद आ ही गयी हमारी। मैने तो सोचा था जीजू के जीवन मे आने के बाद हमारी लीला हमे भूल ही जाएगी" माया ने मजाक किया।

"चुप कर कमीनी। तुझे भूलकर मुझे मरना है क्या। तू उपर बेठकर जान निकाल दे तो" लीला को हंसी आ गयी अपनी बात से।

"कमीनी, तू भी मुझे मोटी कह रही है। भैया तो बोलते ही है। मैं सच मे इतनी मोटी हुँ क्या?"

"अरे नही मेरी जान, मजाक कर रही हुँ। जितनी तू लम्बी है, उस हिसाब से तेरा फिगर एकदम सही है। अब मुझे ही देखले, तुझसे थोड़ी कम खूबसूरत हुँ पर लड़के मरते है मुझपर"

"ओये, मिस वर्ल्ड, अब कोई मरे या जिये, अब बस जीजू ही होने है तेरे खाते मे"

"हा यार बात तो तेरी सही है, अच्छा बता गाँव कब आएगी?"

"वो किस खुशी मे लीला जी?"

"अच्छा हाँ तुझे पता ही नही है, तो सुन, दस दिन बाद सगाई है मेरी, शादी तो दो साल बाद ही होगी, पर मेरी सास अटकी है सगाई पर, और उस दिन तू मुझे यहां चाहिए" लीला ने माया को जानकारी दी। रिस्ता हुआ ये बात माया को सीता ने बता दी थी पर सगाई के बारे मे नही।

"वाह यार, क्या खबर दी है आज। तू टेंशन मत ले, मै भैया को फोन कर दुँगी। वो ले जाएंगे मुझे। अच्छा ये बता, क्या तोहफा चाहिए हमारी लीला को अपनी सगाई पर।"

"मुझे कुछ नही चाहिए, बस मेरी बहन चाहिए मुझे यहाँ"

"मैं वही रहूँगी तेरे पास, पर गिफ्ट तो मैं जरूर दूँगी, अब बता रही है या नही?"

"अच्छा बाबा, ठीक है, ला देना"

"बता तो सही क्या लाना है, या मैं अपनी पसंद से ले आउ?"

"हा ये सही रहेगा। लेकिन सुन, मेरे पास ब्रा पेंटि के सेट पुराने है सारे। तू मुझे वही लादे"

"अरे वाह, ये हुई ना बात, तो बता कोनसे ब्रांड के लाने है?"

"वो मुझे नही पता,मैं तो यही गाँव से ले लेती हुँ, उनमे क्या ब्रांड देखना"

लीला इन सब ब्रांडस वगैरह से अंजान थी। पर माया हमेसा महंगे ब्रांड ही पहनती थी।

"देखना पड़ता है मेरी जान, घटिया पहनने से बीमारिया हो जाती है"

"बड़े लोग बड़ी बाते, तू देख लेना यार, चल अब रखती हुँ, तू आ जाना जल्दी ही"

"ठीक है लीला जी, मुझे लगता है जीजू इंतजार कर रहे है"

"नौटंकी कही की, चल ठीक है"
 

Daredevil

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