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Incest MITHA PANI

अपनी राय बताए कहानी को लेकर

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Maniac1100

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675
94
Superb story please Hinglish mein likho yaar. There are a lot of non hindi peaking readers including me for whom it is difficult to read in hindi font writings.
I'm sorry for this, but Stories in hindi give me satisfaction. I can't write a story with full emotions if its not in hindi. I've tried hinglish but it didn't go as planned. That's why I switched to pure hindi. I hope u will understand my problem. Thanks for reading my story.❤❤❤
 

Uzma Khan

Member
238
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I'm sorry for this, but Stories in hindi give me satisfaction. I can't write a story with full emotions if its not in hindi. I've tried hinglish but it didn't go as planned. That's why I switched to pure hindi. I hope u will understand my problem. Thanks for reading my story.❤❤❤
OK, please apply slow and steady seduction and also hot, erotic and double meaning naughty conversations in the which make an incest story extremely exciting and erotic. And also please keep the mom son in the centre point of the story 🙏 😢 👍 💙
 

Uzma Khan

Member
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Mitha pani 10
"माया ओ माया जरा यह तीनों बैग भी पैक कर दे"
"सुबह से पैक कर करके थक चुकी हूं मौसी अब आप ही कर लो मैं तो जा रही हूं नहाने" माया ने जवाब दिया
"अरे कुछ सीख ले इतना भी काम नहीं किया है थोड़े दिनों में तेरी भी शादी होगी ससुराल में बहुत काम करना पड़ेगा अभी से नखरे मत कर"
"जब होगी तब देखेंगे अभी तो मेरी खेलने कूदने की उम्र है" इतना बोलकर माया चली गई अपने कमरे की ओर । अपने भाई शामु की तरह ही माया बहुत जिद्दीस्वभाव की है। बचपन से अपने ननिहाल रह रही थी कभी-कभी हि अपने गांव जाती थी जब उसके मां-बाप उसे याद करने लग जाते थे अपने भाई शामु पर जान छिडकति है। पर उसकी नानी माया को बहुत प्यार करती है। और हरीश से कहकर बचपन से उसे अपने साथ रखा था। शामु का ननिहाल भरा पूरा परिवार है तीन मामा है एक मौसी और सबसे छोटी सीता। अपने ममेरे और मौसेरे भाई बहनों के साथ ही माया बड़ी हुई थी। 18 की उम्र में ही किसी बड़ी औरत की तरह शरीर बन गया है। छाती और पिछवाड़े का विकास शुरू हो चुका था और बहुत हि तीव्र गति से हो रहा था। अपने भाई की तरह ही लंबी थी। सीता से लंबी और हरीश के बराबर लंबाई की पढ़ने का शौक नहीं था पर सिलाई करती है। ननिहाल के सभी लोग माया को बहुत प्यार करते है और उसे अपने से अलग नहीं होने देते। जब कभी सीता शामु या हरीश को माया की याद आती तो वह उसे लेने आ जाते। 2 महीने बाद शामु के सबसे बड़े मामा प्रकाश की बेटी रचना की शादी है उसी की तैयारी चल रही है। अच्छी खासी जमीन जायदाद होने के कारण बड़ी शादी होने वाली है। ढेर सारे कपड़े ढेर सारे बर्तन ढेर सारा दहेज आदि की तैयारी चल रही है। शामु की मौसी यानी सीता की बड़ी बहन एक तलाकशुदा औरत है शादी के कुछ सालों बाद ही तलाक हो चुका था तो वह अपने पति को छोड़कर अपने बेटे के साथ अपनी पीहर में रहने आ गयी। रेखा के बेटे मोहन के साथ शामु की बहुत जचती है।
शामु के कुल तीन मामा है बड़े मामा प्रकाश मामी सीमा और उनकी बेटी रचना उसके बाद मौसी रेखाऔर उसका बेटा मोहन, फिर मामा सुभाष और मामी गोरी उनका बेटा विजय और बेटी रानी फिर तीसरे मामा राजेश मामी सुनीता और उनकी बेटी मंजु।नानी की उम्र काफी हो चुकी है और मरणा सन् अवस्था में चारपाई पर पड़ी रहती है। वह अपनी पोती रचना की शादी देखना चाहती थी इसीलिए जल्दी-जल्दी में रिश्ता किया गया और शादी तय कर दी गई । बहुत बड़ा घर है और सबके अपने-अपने कमरे हैं और सबके कमरों के साथ अटैच बाथरूम। माया अपने कमरे में गई और अपने कपड़े उठकर बाथरूम में घुस गई। फिर धीरे-धीरे अपने शरीर से अपने कपड़ों को जुदा कर दिया कपड़ों का मन भी उदास हो गया उस खूबसूरत जिस्म से अलग होते ही।सलवार कमीज के बाद माया लाल रंग की ब्रा और पेटी में खड़ी थी धीरे-धीरे उसने उसे भी उतार दी अब माया मादरजात नंगी थी। शरीर पर ठंडे पानी की बौछार होते ही एक शांति का अनुभव हुआ स्नान किया और बाहर जाकर कपड़े पहन लिए चुस्त सूट सलवार में माया किसी नव विवाहिता जैसी लग रही थी। बाल बनाए और थोड़ी सी लाली लगाई शीशे में अपने आप को निहारा और बाहर चल पड़ी।
दूसरी तरफ शामु ने कल अपने खेत में स्प्रे कर दी थी उसकी चिंता कुछ हद तक कम हुई थी। वह खेत में बने हुए अपने कमरे में बैठा मोबाइल चला रहा था अचानक उसे अपनी बहन माया की याद आती है काफी दिन हो गए थे उससे बात हुये। उसने सोचा क्यों ना अपने ननिहाल फोन लगाया जाए इसके साथ ही माया को अपने फोन के बारे में भी बताना चाहता था क्योंकि माया को उसके मामा ने बहुत पहले ही फोन लाकर दे दिया था और वह कभी-कभी अपने भाई को अपने फोन से चिडाती थी। ज्यादा पास ना रहने के कारण दोनों भाई बहन मे प्यार भी बहुत था। अब जब शामु के पास भी फोन था तो वह बताना चाहता था कि उसके पास भी अब फोन है उसने माया का नंबर लगाया। ईतनी बार हरीश के फोन से माया से बात की थी कि अब तक उसका नंबर याद हो गया था।
माया उस समय छत पर बैठी अपने नाखून काट रही थी जब उसके फोन की घंटी बजी अनजान नंबर देखकर एक बार तो माया ने काटना चाहा पर उत्सुकता वश उसने फोन उठा लिया
"हेल्लो"
शामु ने मजाक करने के लिए थोड़ी देर तक कुछ नहीं बोला जब दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आई तो माया ने दोबारा हेलो कहा इस बार शामु ने जवाब दिया
"कैसी है मोटी?"
" भैया? कैसे हो? और यह किसका नंबर है?"
" तेरा भाई फोन ले आया और यह मेरा नंबर है बड़ा एटीट्यूड दिखाती थी अब देख मेरे पास भी फोन है"
" क्या बात है भैया यह तो कमाल ही हो गया पापा को कैसे मनाया?"
" तेरा भाई सारा दिन काम करता है इसी मेहनत से खुश होकर उन्होंने अपने आप कहा"शामु ने गर्व से बखान किया।
" चलो अच्छा ही हुआ अब मुझे मां से बात करने के लिए रात का इंतजार नहीं करना पड़ेगा" माया ने मुस्कुराते हुए कहा। उसने जान बूझकर शामु का नाम नहीं लिया। अपने भाई की प्रतिक्रिया देखना चाहती थी।
" अच्छा तुझे सिर्फ माँ से बात करनी होती है? मेरी याद नहीं आती तुझे?"
" नहीं तो आपकी याद मुझे क्यों आएगी?" माया मुस्कुरा रही थी। उसे अपने भाई को छेड़ने मे बड़ा मजा आता है।
"ठीक है तो फिर, रखता हुँ। गलती से कर दिया था फोन" शामु ने भी झूठा गुस्सा दीखाते हुए कहा। उसे पता था उसकी बहन मजाक कर रही है।
"अरे अरे, देखो तो, केसे गर्म हो रहे है। मैं तो मजाक कर रही हुँ भैया। आपकी याद तो सबसे ज्यादा आती है।"
"मुझे पता था, मैं कोनसा सच मे फोन काट रहा था।" कहके शामु हस दिया।
"ह्म्म्म, अब बताओ फोन की पार्टी कब दोगे ?"
"लो, गाँव बसा नही भिख़ारि पहले आ गए" शामु इतना कहके बहुत जोर से हसा।
"ठीक है तो फिर, मैं बात ही नही करुगी आपसे" माया ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा।
"मजाक था पागल। चल बता केसी पार्टी चाहिए मेरी लाडो को?" शामु ने बड़े प्यार से कहा। आखिर माया मे उसकी जान बसती थी।
"ह्म्म्म ये हुई न बात। परसो हम सारे शादी की शॉपिंग करने जा रहे है गंगानगर। आप आ जाओ वहा"
"मैं आ जाऊंगा पर पार्टी मैं सिर्फ तुझे दूंगा। सबको देकर मुझे कंगाल नही होना"
"ठीक है तो आप ही बनाओ कोई प्लान"
"एक काम करते है, मैं परसो पहुच जाऊंगा गंगानगर, वहां से तुझे कोई बहाना बनाकर ले जाऊंगा। तब तक वो अपनी शॉपिंग कर लेंगे ओर हम अपनी पार्टी"
" हां यह सही रहेगा भैया आप आ जाना"
अचानक शामु को पता नही क्या हुआ उसके मुंह से अचानक निकल गया
"ये बता पहनकर क्या आएगी?" शामु ने इस तरह कहा जैसे वह अपनी बहन से नहीं अपनी गर्लफ्रेंड से बात कर रहा हो। आज से पहले ऐसी कोई मांग शामु ने नही रखी थी अपनी बहन से। पर एक तो दोनों को चढ़ती जवानी, उपर से यूँ पहली बार बाहर मिलने की बात हुई, तो मन के कोने मे बेठे शैतान ने शामु के मूह से निकलवा दी ये बात। दोनों भाई बहन साल मे यही कोई आठ दस बार मिलते थे जब माया घर आती थी या जब शामु ननिहाल जाता था। पर जब भी मिलते थे तो पार्टी होती ज़रुर थी। फिर चाहे वो आइसक्रीम पार्टी हो या ड्यू कोका कोला की। इस आदत वश ही ये पार्टी का प्लान बना और इस भावावेष मे शामु के अन्तरमन ने अपनी भावना को आवाज का रूप दिया और उसने अपनी बहन से कपड़ो के बारे मे पूछ लिया।
"ये तो मैं भी सोच रही थी, कि परसो क्या पहनु"
"मैं बोलू वो पहन के आ"
माया ने जब ये सुना तो उसके गाल लाल हो गए। पर फिर भी वो बोल पड़ी
"ठीक है भैया, बताइये"
"तेरे पास वो ब्लैक चूड़ीदार सूट सलवार है ना,परसो वही पहन के आ"
"उसमे ऐसा क्या है भैया?"
"तू उसमे बहुत सुंदर लगती है लाडो"
ये सुनकर माया बहुत खुश हुई। उसके चेहरे की मुस्कुराहट फैल गयी।
"सच भैया? आप मेरे मजे तो नही ले रहे ना?"
"नही पागल, वो सूट तेरे गोरे रंग पर बहुत अच्छा लगता है"
"ठीक है तो फिर वही पहनुगी, और आप क्या पहन के आओगे?"
"तू ही बता क्या पहनु?"
"आपकी ब्लैक टी शर्ट और जींस"
"ठीक है लाडो वही पहन के आता हुँ मैं, अब रखता हुँ फोन, सबको राम राम कहना मेरी तरफ से"
"ठीक है भैया, मैं नंबर सेव कर लेती हुँ। परसो पहुच जाना टाइम से वरना खैर नही आपकी।"
"ठीक है लाडो। और सुन एक आखरी बात, माँ पापा को कुछ बता मत देना तू, वरना बहुत डांट पड़ेगी मुझे"
"मैं किसी को नही बताने वाली"
"ह्म्म्म, चल रखता हुँ, ख्याल रखना"
"जी भैया"
Really extraordinary and excellent writing. Hope you will give regular updates and will not leave the story incomplete. Thanks for writing such kind of hot and erotic story.
 
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Mafiadon

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"माया ओ माया जरा यह तीनों बैग भी पैक कर दे"
"सुबह से पैक कर करके थक चुकी हूं मौसी अब आप ही कर लो मैं तो जा रही हूं नहाने" माया ने जवाब दिया
"अरे कुछ सीख ले इतना भी काम नहीं किया है थोड़े दिनों में तेरी भी शादी होगी ससुराल में बहुत काम करना पड़ेगा अभी से नखरे मत कर"
"जब होगी तब देखेंगे अभी तो मेरी खेलने कूदने की उम्र है" इतना बोलकर माया चली गई अपने कमरे की ओर । अपने भाई शामु की तरह ही माया बहुत जिद्दीस्वभाव की है। बचपन से अपने ननिहाल रह रही थी कभी-कभी हि अपने गांव जाती थी जब उसके मां-बाप उसे याद करने लग जाते थे अपने भाई शामु पर जान छिडकति है। पर उसकी नानी माया को बहुत प्यार करती है। और हरीश से कहकर बचपन से उसे अपने साथ रखा था। शामु का ननिहाल भरा पूरा परिवार है तीन मामा है एक मौसी और सबसे छोटी सीता। अपने ममेरे और मौसेरे भाई बहनों के साथ ही माया बड़ी हुई थी। 18 की उम्र में ही किसी बड़ी औरत की तरह शरीर बन गया है। छाती और पिछवाड़े का विकास शुरू हो चुका था और बहुत हि तीव्र गति से हो रहा था। अपने भाई की तरह ही लंबी थी। सीता से लंबी और हरीश के बराबर लंबाई की पढ़ने का शौक नहीं था पर सिलाई करती है। ननिहाल के सभी लोग माया को बहुत प्यार करते है और उसे अपने से अलग नहीं होने देते। जब कभी सीता शामु या हरीश को माया की याद आती तो वह उसे लेने आ जाते। 2 महीने बाद शामु के सबसे बड़े मामा प्रकाश की बेटी रचना की शादी है उसी की तैयारी चल रही है। अच्छी खासी जमीन जायदाद होने के कारण बड़ी शादी होने वाली है। ढेर सारे कपड़े ढेर सारे बर्तन ढेर सारा दहेज आदि की तैयारी चल रही है। शामु की मौसी यानी सीता की बड़ी बहन एक तलाकशुदा औरत है शादी के कुछ सालों बाद ही तलाक हो चुका था तो वह अपने पति को छोड़कर अपने बेटे के साथ अपनी पीहर में रहने आ गयी। रेखा के बेटे मोहन के साथ शामु की बहुत जचती है।
शामु के कुल तीन मामा है बड़े मामा प्रकाश मामी सीमा और उनकी बेटी रचना उसके बाद मौसी रेखाऔर उसका बेटा मोहन, फिर मामा सुभाष और मामी गोरी उनका बेटा विजय और बेटी रानी फिर तीसरे मामा राजेश मामी सुनीता और उनकी बेटी मंजु।नानी की उम्र काफी हो चुकी है और मरणा सन् अवस्था में चारपाई पर पड़ी रहती है। वह अपनी पोती रचना की शादी देखना चाहती थी इसीलिए जल्दी-जल्दी में रिश्ता किया गया और शादी तय कर दी गई । बहुत बड़ा घर है और सबके अपने-अपने कमरे हैं और सबके कमरों के साथ अटैच बाथरूम। माया अपने कमरे में गई और अपने कपड़े उठकर बाथरूम में घुस गई। फिर धीरे-धीरे अपने शरीर से अपने कपड़ों को जुदा कर दिया कपड़ों का मन भी उदास हो गया उस खूबसूरत जिस्म से अलग होते ही।सलवार कमीज के बाद माया लाल रंग की ब्रा और पेटी में खड़ी थी धीरे-धीरे उसने उसे भी उतार दी अब माया मादरजात नंगी थी। शरीर पर ठंडे पानी की बौछार होते ही एक शांति का अनुभव हुआ स्नान किया और बाहर जाकर कपड़े पहन लिए चुस्त सूट सलवार में माया किसी नव विवाहिता जैसी लग रही थी। बाल बनाए और थोड़ी सी लाली लगाई शीशे में अपने आप को निहारा और बाहर चल पड़ी।
दूसरी तरफ शामु ने कल अपने खेत में स्प्रे कर दी थी उसकी चिंता कुछ हद तक कम हुई थी। वह खेत में बने हुए अपने कमरे में बैठा मोबाइल चला रहा था अचानक उसे अपनी बहन माया की याद आती है काफी दिन हो गए थे उससे बात हुये। उसने सोचा क्यों ना अपने ननिहाल फोन लगाया जाए इसके साथ ही माया को अपने फोन के बारे में भी बताना चाहता था क्योंकि माया को उसके मामा ने बहुत पहले ही फोन लाकर दे दिया था और वह कभी-कभी अपने भाई को अपने फोन से चिडाती थी। ज्यादा पास ना रहने के कारण दोनों भाई बहन मे प्यार भी बहुत था। अब जब शामु के पास भी फोन था तो वह बताना चाहता था कि उसके पास भी अब फोन है उसने माया का नंबर लगाया। ईतनी बार हरीश के फोन से माया से बात की थी कि अब तक उसका नंबर याद हो गया था।
माया उस समय छत पर बैठी अपने नाखून काट रही थी जब उसके फोन की घंटी बजी अनजान नंबर देखकर एक बार तो माया ने काटना चाहा पर उत्सुकता वश उसने फोन उठा लिया
"हेल्लो"
शामु ने मजाक करने के लिए थोड़ी देर तक कुछ नहीं बोला जब दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आई तो माया ने दोबारा हेलो कहा इस बार शामु ने जवाब दिया
"कैसी है मोटी?"
" भैया? कैसे हो? और यह किसका नंबर है?"
" तेरा भाई फोन ले आया और यह मेरा नंबर है बड़ा एटीट्यूड दिखाती थी अब देख मेरे पास भी फोन है"
" क्या बात है भैया यह तो कमाल ही हो गया पापा को कैसे मनाया?"
" तेरा भाई सारा दिन काम करता है इसी मेहनत से खुश होकर उन्होंने अपने आप कहा"शामु ने गर्व से बखान किया।
" चलो अच्छा ही हुआ अब मुझे मां से बात करने के लिए रात का इंतजार नहीं करना पड़ेगा" माया ने मुस्कुराते हुए कहा। उसने जान बूझकर शामु का नाम नहीं लिया। अपने भाई की प्रतिक्रिया देखना चाहती थी।
" अच्छा तुझे सिर्फ माँ से बात करनी होती है? मेरी याद नहीं आती तुझे?"
" नहीं तो आपकी याद मुझे क्यों आएगी?" माया मुस्कुरा रही थी। उसे अपने भाई को छेड़ने मे बड़ा मजा आता है।
"ठीक है तो फिर, रखता हुँ। गलती से कर दिया था फोन" शामु ने भी झूठा गुस्सा दीखाते हुए कहा। उसे पता था उसकी बहन मजाक कर रही है।
"अरे अरे, देखो तो, केसे गर्म हो रहे है। मैं तो मजाक कर रही हुँ भैया। आपकी याद तो सबसे ज्यादा आती है।"
"मुझे पता था, मैं कोनसा सच मे फोन काट रहा था।" कहके शामु हस दिया।
"ह्म्म्म, अब बताओ फोन की पार्टी कब दोगे ?"
"लो, गाँव बसा नही भिख़ारि पहले आ गए" शामु इतना कहके बहुत जोर से हसा।
"ठीक है तो फिर, मैं बात ही नही करुगी आपसे" माया ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा।
"मजाक था पागल। चल बता केसी पार्टी चाहिए मेरी लाडो को?" शामु ने बड़े प्यार से कहा। आखिर माया मे उसकी जान बसती थी।
"ह्म्म्म ये हुई न बात। परसो हम सारे शादी की शॉपिंग करने जा रहे है गंगानगर। आप आ जाओ वहा"
"मैं आ जाऊंगा पर पार्टी मैं सिर्फ तुझे दूंगा। सबको देकर मुझे कंगाल नही होना"
"ठीक है तो आप ही बनाओ कोई प्लान"
"एक काम करते है, मैं परसो पहुच जाऊंगा गंगानगर, वहां से तुझे कोई बहाना बनाकर ले जाऊंगा। तब तक वो अपनी शॉपिंग कर लेंगे ओर हम अपनी पार्टी"
" हां यह सही रहेगा भैया आप आ जाना"
अचानक शामु को पता नही क्या हुआ उसके मुंह से अचानक निकल गया
"ये बता पहनकर क्या आएगी?" शामु ने इस तरह कहा जैसे वह अपनी बहन से नहीं अपनी गर्लफ्रेंड से बात कर रहा हो। आज से पहले ऐसी कोई मांग शामु ने नही रखी थी अपनी बहन से। पर एक तो दोनों को चढ़ती जवानी, उपर से यूँ पहली बार बाहर मिलने की बात हुई, तो मन के कोने मे बेठे शैतान ने शामु के मूह से निकलवा दी ये बात। दोनों भाई बहन साल मे यही कोई आठ दस बार मिलते थे जब माया घर आती थी या जब शामु ननिहाल जाता था। पर जब भी मिलते थे तो पार्टी होती ज़रुर थी। फिर चाहे वो आइसक्रीम पार्टी हो या ड्यू कोका कोला की। इस आदत वश ही ये पार्टी का प्लान बना और इस भावावेष मे शामु के अन्तरमन ने अपनी भावना को आवाज का रूप दिया और उसने अपनी बहन से कपड़ो के बारे मे पूछ लिया।
"ये तो मैं भी सोच रही थी, कि परसो क्या पहनु"
"मैं बोलू वो पहन के आ"
माया ने जब ये सुना तो उसके गाल लाल हो गए। पर फिर भी वो बोल पड़ी
"ठीक है भैया, बताइये"
"तेरे पास वो ब्लैक चूड़ीदार सूट सलवार है ना,परसो वही पहन के आ"
"उसमे ऐसा क्या है भैया?"
"तू उसमे बहुत सुंदर लगती है लाडो"
ये सुनकर माया बहुत खुश हुई। उसके चेहरे की मुस्कुराहट फैल गयी।
"सच भैया? आप मेरे मजे तो नही ले रहे ना?"
"नही पागल, वो सूट तेरे गोरे रंग पर बहुत अच्छा लगता है"
"ठीक है तो फिर वही पहनुगी, और आप क्या पहन के आओगे?"
"तू ही बता क्या पहनु?"
"आपकी ब्लैक टी शर्ट और जींस"
"ठीक है लाडो वही पहन के आता हुँ मैं, अब रखता हुँ फोन, सबको राम राम कहना मेरी तरफ से"
"ठीक है भैया, मैं नंबर सेव कर लेती हुँ। परसो पहुच जाना टाइम से वरना खैर नही आपकी।"
"ठीक है लाडो। और सुन एक आखरी बात, माँ पापा को कुछ बता मत देना तू, वरना बहुत डांट पड़ेगी मुझे"
"मैं किसी को नही बताने वाली"
"ह्म्म्म, चल रखता हुँ, ख्याल रखना"
"जी भैया"
Marvelous, fabulous and of course lascivious story writings!
 
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Only fucking scenes can't make an incest story specially mom-son,brother-sister and dad daughter incest story extremely hot and erotic. The elements that make it extremely hot and erotic are good plots, excellent themes, suitable characters setting,related situation narrations, making different situations and the most important elements are erotic, exciting and double meaning naughty conversations among the characters. This writer is doing very well in this field. And I heartily request the writer to apply more such kinds of elements in this great story.
 
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