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दूसरे अध्याय का छठवाँ भाग
बहुत ही बेहतरीन महोदय।
आखिर वो दिन आ ही गया जिसका निशांत, विशेष और रूपा को बेसब्री से इंतज़ार था। निशांत को इसलिए कि वो विशेष की उस फ़ोटो वाली पत्नी का भोग लगा सके, विशेष को इसलिए कि वो निशांत की हत्या करके अपनी कुरूप और निर्दोष पत्नी को उसकी हत्या के जुर्म में फंसा सके और रूपा को इसलिए कि वो अपनी कपटी, धोखेबाज़ और बेरहम पति को उसके किये की सज़ा दी सके।।
विशेष अपने प्लान के मुताबिक बहुत खुश था क्योंकि उसका मकसद आज पूरा होने वाला था। लेकिन उसे नहीं पाता था कि उसके इस प्लान पर उसकी पत्नी पानी फेरने वाली है। अगर कोई और स्थिति होती तो वो अपने प्लान में सफल भी हो जाता, लेकिन रूपा को उसका प्लान पता हो जाने के बाद और रूपा का यह दृढ़ निश्चय करना कि वो विशेष को उसके किए की सज़ा देगी, उसका प्लान नाकामयाब होना ही था। रूपा भी विशेष के साथ चुपके से निशांत के घर के अंदर घुस गई और जब निशांत को विशेष ने चाकू मारा तो रूपा ने निशांत की बंदूक से विशेष को गोली मार दी। विशेष के कर्मों की यही सज़ा थी जो रूपा ने उसे दी, लेकिन निशांत अभी तक जिंदा है लेकिन रूपा को उसको भी मार देना चाहिए, क्योंकि वो भी कहीं न कहीं गुनाहगार है।।
Shukriya mahi madam is khubsurat sameeksha ke liye,,,,



