अपडेट 54
अपने कमरे के दरवाज़े पर दस्तख़त सुन कर किरण जी बोलीं,
“आ जाओ... खुला है,”
रूचि ने देखा कि माँ एक पुस्तक पढ़ रही थीं।
रूचि को भीतर आते देख कर किरण जी बोलीं, “अरे बेटे, क्या हुआ? सब ठीक है?”
रूचि कुछ बोली नहीं, बस जल्दी से आ कर किरण जी के आलिंगन में दुबक गई। एक तो रूचि ब्लाउज़ और पेटीकोट पहने हुए थी, और ऊपर से वो ऐसे दुबक कर किरण जी आलिंगन में छुप गई थी, तो उनको आशंका हुई कि कहीं अजय ने उसके संग कुछ कर तो नहीं दिया!
“सॉरी माँ,” उनसे दुबकी हुई वो बोली, “आपको इस टाइम पर डिस्टर्ब किया,”
“अरे बेटू... ऐसे क्यों कह रही है?” उन्होंने थोड़ा चिंतित होते हुए पूछा, “अज्जू ने कुछ कहा?”
रूचि ने ‘न’ में सर हिलाया।
“कुछ किया उसने?”
“नहीं माँ!” रूचि ने उनके भीतर दुबके हुए कहा।
“क्या हुआ बच्चे? मम्मी की याद आ रही है?” किरण जी थोड़ा चिंतित होते हुए बोलीं।
रूचि ने ‘न’ में सर हिलाया, और बोली, “माँ, आपने इतने कम टाइम में इतना सब दे दिया मुझको, कि क्या कहूँ...”
“अरे! ये क्या क्या कह रही है तू?” किरण जी ने दुलार से रूचि को अपने अंक में दुबकाते हुए कहा, “इतनी सयानी हो गई है तू मेरी बेटू?”
रूचि ने मुस्कुराते हुए ‘न’ में सर हिलाया, “बिल्कुल भी नहीं माँ,”
“हा हा हा!”
“लेकिन माँ... जो सच है, वो सच है!” वो संजीदगी से कह रही थी, “आप मिलीं... पापा मिले... भाभी मिलीं... और अज्जू जैसा हस्बैंड... इतनी खुशियाँ मिलीं! इस पर मैं क्या शिकायत करूँ?”
किरण जी ने उसको अपने से और दुबका लिया।
“मम्मी पापा दोनों ने मुझे बहुत अफ़ेक्शन से पाल पोस कर बड़ा किया है,” रूचि कह रही थी, “लेकिन आप लोग... आई नो मुझे यहाँ और भी प्यार मिलेगा! आलरेडी मिल रहा है,”
“तो फिर? क्या हुआ मेरी नन्ही चिड़िया को?”
“माँ,” रूचि ने बिना भूमिका बाँधे, लेकिन थोड़ा नखरे वाले अंदाज़, थोड़ी दबी आवाज़ में कहा, “मुझे दूधू पीना है,”
एक पल को किरण जी बात सुन कर अवाक् रह गईं - उनका मुँह एक क्षण के लिए खुला का खुला रह गया। और फिर अगले ही पल वो हँसने लगीं। उनके हँसने पर रूचि छोटे बच्चों की तरह अपना निचना होंठ फुला कर दुःखी होने का नाटक करने लगी।
“अले मेली बेटू,” उसके इस नाटक पर किरण जी ने बड़े लाड़ से उसको अपने सीने से लगाते हुए कहा, “बुरा मत मान! तूने इतनी क्यूट तरीके से ये कहा न, इसलिए थोड़ी सरप्राइज़्ड हो गई... और कुछ नहीं!”
“आपने बुरा नहीं माना?”
“बुरा तब मानूँगी जब तू मुझे अपनी माँ नहीं मानेगी! समझी? आ जा...” कह कर किरण जी अपनी ब्लाउज़ के बटन खोलने लगीं।
रूचि ने इस काम में उनकी मदद करी और थोड़ी ही देर में किरण जी के स्तन अनावृत हो कर उसको पोषण देने के लिए उपस्थित थे।
“माँ,” रूचि ने उनके स्तनों चूचकों को सहलाते हुए कहा, “आपके ब्रेस्ट्स बहुत सुन्दर हैं,”
“बच्चों को अपनी माँ के ब्रेस्ट्स सुन्दर ही लगते हैं,” किरण जी बोलीं, “... मीठा मीठा दुद्धू पीने को मिलता है न यहाँ से,”
“नहीं माँ! केवल वही बात नहीं है... और... आपको भी पता है कि आप बहुत सुन्दर हैं,” रूचि बोली और किरण जी के स्तन से जा लगी।
“हा हा... अच्छी बात है, पी ले,”
इस बार रूचि बड़े ही अधिकार से स्तनपान कर रही थी। वो ज़ोर से उनके चूचकों को चूस रही थी और अधीरता से दूध पी रही थी। किरण जी ने महसूस किया कि उनका स्तन तेजी से खाली हो रहा था।
“अरे आराम से बिटिया रानी,” उन्होंने उसको मज़ाक करते हुए समझाया, “ये दोनों ब्रेस्ट्स तुम्ही पियो... कहीं भागी नहीं जा रही हूँ,”
उनकी बात सुन कर रूचि उनका चूचक मुँह में लिए हुए मुस्कुराई और थोड़ा सब्र से स्तनपान करने लगी।
कुछ देर बाद, “अच्छा बेटे, एक बात बता,” किरण जी पूछा, “तू और अजय... क्या सेक्स करते हो?”
“नहीं माँ,” रूचि ने स्तनपान रोक कर बताया, “ऐसा क्यों लगा आपको?”
“उस समय तुम दोनों नंगू नंगू थे न,”
“वो बात यह थी कि अज्जू मेरे लिए गिफ़्ट में लॉन्ज़रे लाया था...”
“अच्छा!” किरण जी ने उसको चिढ़ाया।
उनकी बात पर रूचि के गाल शर्म से लाल हो गए, लेकिन उसने कहना जारी रखा,
“मैं वो पहन कर उसको दिखाना चाहती थी,”
“फिर? दिखाया या नहीं?”
“नहीं माँ... मैं चेंज कर ही रही थी कि मेरा सर अचानक से खूब दुखने लगा।” रूचि ने बताया, “तो अज्जू ने कहा कि मैं सो जाऊँ...”
“अरे क्या हो गया? क्यों दुख रहा था?”
“अरे कुछ नहीं हुआ है माँ! ये नया नया चश्मा लगा है न, उसके कारण ही सारी दिक्कत हो रही है... पावर या फिटिंग का इशू होगा,”
“अच्छा!” उन्होंने आगे पूछा, “अभी? अभी पेन है?”
“अभी कुछ भी नहीं है माँ! चश्मा नहीं लगाया है न! ... लेकिन माँ, वो बात दरअसल यह है कि आपने जब दूधू पिलाया था न, तो बहुत सुकून मिला था। बहुत रिलैक्स्ड फ़ील हुआ और पेन का नामोनिशान भी नहीं था। इसलिए...”
“अच्छी बात है! जब मन करे पी लिया कर! अब से तू जब भी यहाँ आएगी, तुझे मेरा दूध पीना होगा, समझी?”
“यस माँ!” रूचि मुस्कुराई।
“अच्छा, अज्जू ने कोई ज़ोर जबरदस्ती तो नहीं करी न?”
“नेवर माँ! आपने इतना अच्छा बेटा बड़ा किया है! द बेस्ट!” रूचि थोड़ा शरमाते हुए आगे बोली, “व्ही गेट नेकेड... लेकिन मेरी कंसेंट से,”
“कभी कोई ऐसी वैसी ज़िद तो नहीं करता न?”
“कभ्भी नहीं माँ!” रूचि ने गर्व से कहा, “आपका बेटा जेंटलमैन है पूरा,”
“हम्म्म... गुड ब्यॉय!” किरण जी कुछ सोचती हुई बोलीं, “बेटे, यह बात छुपी हुई नहीं है कि छोटे तो तुम दोनों ही हो! लेकिन क्या करें हम अपने मन का भी? अच्छी लड़कियाँ बड़ी मुश्किलों से मिलती हैं आज कल... इसलिए जब तू हमको मिली, हमको लालच आ गया,”
“एंड आई थैंक गॉड फॉर दैट माँ!” रूचि ने पूरी श्रद्धा से कहा, “आपके आँचल तले स्वर्ग है,”
“अरे बस बस,”
“सच है माँ!” रूचि बोली, “आपके कारण ही तो मुझे ऐसी ज़िन्दगी मिली है,”
किरण जी मुस्कुराईं, “अच्छी बात है अगर तू ऐसा सब सोचती है! अजय अच्छा लड़का है बेटे! और... तेरी संगत में और सुधर भी गया है!”
“नहीं माँ, मैं उसकी संगत पा कर सुधर गई हूँ!” रूचि बोली, “पहले बस पढ़ाई, किताबें, घर... यही ज़िन्दगी थी मेरी! न कोई दोस्त थे न कोई सहेली! अजय के आने से मुझे ज़िन्दगी देखने समझने का एक नया नज़रिया मिल गया है माँ,”
किरण जी मुस्कुराईं।
“और तो और, अब तो मार्क्स भी पहले से अधिक आते हैं,”
उसकी इस बात पर किरण जी ठठा कर हँसने लगीं।
“बढ़िया है! मेरी बेटू को उसकी पसंद का ससुराल मिल गया है, उसके मार्क्स भी पहले से बेहतर आते हैं, सासू माँ का दुद्धू भी पीने को मिल रहा है, और रोमांस भी चल रहा है!”
“यस,” कह कर वो फिर से दूध पीने में व्यस्त हो गई।
“नो सेक्स?”
“नो मॉम,” रूचि ने बताया।
“अच्छा है!” फिर कुछ सोच कर, “तुझे वो अच्छा तो लगता है न?”
“सबसे अच्छा माँ! अज्जू बेस्ट है! और मुझसे सबसे अधिक पसंद है! मुझे उसका सब कुछ अच्छा लगता है माँ!” रूचि ने बताया, “उसको लगता है कि मैं छोटी हूँ, इसलिए हमको वेट करना चाहिए... जबकि वो खुद मुझसे एक साल छोटा है!”
किरण जी भी उसके साथ हँसने लगीं, “तुम और कमल साथ के हो?”
“जी, कमल भैया मुझसे दो महीने बड़े हैं!”
“कमल भी खूब अच्छा बच्चा है!” किरण जी बोलीं, “मेरी माया बेटी को बहुत ख़ुश रखता है।”
“भाभी भी तो बहुत ही जेंटल हैं न,” रूचि बोली, “भैया बहुत लकी हैं!”
“माया सच में बहुत भाग्यवान है... पता है बेटू, वो जब आई थी न, तब मैं फिर से प्रेग्नेंट हुई थी...” किरण जी पुरानी बातें याद करते हुए बोलीं, “प्रशान्त के होने के बाद मेरे हस्बैंड और मैंने कितना ट्राई किया था कि एक और बच्चा हो जाए... लेकिन भगवान ने चाहा ही नहीं।”
रूचि ने समझते हुए सर हिलाया - उसने भी दो तीन उदाहरण देखे थे जहाँ लोग चाहते थे कि उनको और बच्चे हों, लेकिन हो नहीं सके।
“लेकिन माया बिटिया के आते ही मैं फिर से प्रेग्नेंट हो गई थी!”
“आंटी जी भी तो...”
“प्रियंका (अजय की माँ)? हाँ प्रियंका भी... और अब देखो न! माया का रिश्ता कमल से जुड़ते ही सरिता भी प्रेग्नेंट हो गई है,” किरण जी ने एक गहरी साँस ले कर कहा।
“अच्छा माँ, एक बात पूछूँ आप से?”
“आप मुझे मारेंगी तो नहीं?”
“अरे कैसी बात करती है!”
“डाँटेगी भी नहीं न?”
“हा हा हा... नहीं बच्चे!”
“और, दुद्दू पीने से भी मना नहीं करेंगी?”
“नहीं करूँगी... पूछ न?” किरण जी को हँसी आने लगी।
रूचि थोड़ा झिझकी, “वो... वो छोटा भैया जाने के बाद... आपका मन नहीं होता?”
“किस बात का?”
“फिर से माँ बनने का?”
किरण जी ने एक फ़ीकी सी हँसी दी, “होता क्यों नहीं रे! बहुत होता है... लेकिन अब क्या हो सकता है!”
“माँ, होने को तो बहुत कुछ हो सकता है,” रूचि ने गंभीरता से कहा, “आप... आप और पापा शादी क्यों नहीं कर लेते?”
“व्हाट?” किरण जी चौंकीं, “शादी? अशोक से?”
“हाँ... पापा कितने हैंडसम भी हैं! और हम सभी आप दोनों को मम्मी पापा ही कह कर तो बुलाते हैं!” रूचि ने चंचलता से कहा, “यू मे ऐस वेल बी मम्मी पापा फॉर रियल फॉर अस!”
“उल्लू कहीं की,” किरण जी इस बात को सुन कर यह निर्णय नहीं ले पा रही थीं कि वो कैसी प्रतिक्रिया दें - लेकिन उनके गाल शर्म से लाल ज़रूर हो गए, “कुछ भी बकवास बोलती है! चल दूध पी चुपचाप!”
“अभी उस दिन मम्मी पापा भी यही बात कर रहे थे... और माँ इसमें बुराई ही क्या है? देखिए न... पापा कितने अच्छे हैं और कितने हैंडसम भी! ... और आप! आप भी तो कितनी अच्छी और कितनी सुन्दर हैं!” रूचि ने बदमाशी भरे अंदाज़ में बोला, “आप दोनों की जोड़ी क्या सुन्दर सी लगेगी और आप दोनों के बच्चे खूब क्यूट होंगे!”
“चुप कर अब!” किरण जी ने धीरे से कहा, “कुछ भी बकवास...”
“माँ सच सच बताईए... पापा क्या आपको अट्रैक्टिव नहीं लगते?” रूचि ने ज़िद करते हुए पूछा।
“बेटे... वो बात नहीं है... हमको अपने अपने स्पाउसेस बहुत पसंद थे। हमको उनसे बहुत मोहब्बत थी... और अभी भी है!”
“लेकिन माँ, आप दोनों साथ हो जाएँगे तो वो लव... वो अफ़ेक्शन कम थोड़े न हो जाएगा! ... वैसे भी, आप दोनों की ऐज ही क्या है? ऐसे थोड़े न होना चाहिए कि दो अच्छे लोग साथ ही न सकें!”
“अरे बड़ी हूँ मैं अशोक से,”
“दो साल?” रूचि ने दो टूक कहा, “मैं भी अज्जू से बड़ी हूँ न माँ! आपके लॉजिक से तो हमारी भी शादी नहीं होनी चाहिए!”
रूचि ने देखा कि उसकी इस बात पर माँ के चूचक थोड़े और उभर गए। वो मुस्कुराई - माँ भले ही यह बात उसके सामने न स्वीकारें, लेकिन मन ही मन उनको यह बात बुरी तो नहीं ही लगी है!
“अरे तुम दोनों की बात अलग है बेटे,”
“कैसे माँ?”
“तुम दोनों को एक दूसरे से प्यार भी तो है,”
“आपको नहीं है पापा से प्यार?”
किरण जी कुछ कह पातीं, कि रूचि ने तपाक से कहा, “और आपको कैसे पता कि पापा को आपसे प्यार नहीं है? उन्होंने आपसे कुछ कहा क्या?”
“क्या कहेगा? कुछ नहीं!”
“हो सकता है कि वो झिझक रहे हों? जैसे आप झिझक रही हैं!”
“अरे!”
“माँ, मेरी मम्मी ने तो मुझे यही सिखाया है कि मन की बात कह देनी चाहिए!” रूचि ने अपनी समझदारी का प्रदर्शन किया, “इसीलिए मैंने अज्जू को प्रोपोज़ किया था - प्रोपोज़ करने के लिए अगर मैं उसका वेट करती रहती हो, तो शायद मेरी उम्र बीत जाती!”
उसकी बात पर दोनों ही साथ में हँसने लगीं।
“इसलिए आप इंतज़ार न करिए! माँ, टेक द लीड!”
कह कर रूचि ने किरण जी के थोड़े और अधिक उभर आए चूचकों को पीना शुरू कर दिया। दस मिनट में उनके दोनों स्तन खाली हो गए। किरण जी ने कुछ नहीं कहा - वो किसी सोच में डूब गईं और उनकी तन्द्रा तब टूटी, जब रूचि के मुँह से उनका स्तन अंततः छूटा।
“हो गया बेटू?”
“जी माँ!”
“पेट भरा?”
“जी माँ,” रूचि बोली, “... दो बातें और कहनी थीं आपसे माँ!”
“अब क्या कहना है?” किरण जी हँसने लगीं।
“आपसे परमिशन लेनी है - दुबई से मेरी मासी और बेटी आई हुई हैं और वो अपने होने वाले दामाद से मिलना चाहते हैं!”
“ओके,”
“इसलिए माँ ने आपसे पूछने को कहा है कि अज्जू कल अगर कुछ देर के लिए ही घर आ जाए... तो,” रूचि ने मनुहार करी।
“अरे इसमें इतना पूछने वाली क्या बात है? बिल्कुल जाए!”
“थैंक यू सो मच माँ!”
“और दूसरी बात?”
“दूसरी बात?”
“हाँ - तुझे दो और बातें कहनी थीं न?”
“हाँ... याद आया!” रूचि ने चापलूसी वाले अंदाज़ ने कहा, “हमारी शादी जल्दी से करवा दीजिये न माँ!”
रूचि की चंचल अदा पर किरण जी खिलखिला कर हँसने लगीं।
“हाँ! बिलकुल,” किरण जी ने उसके दोनों गालों को छू कर अपनी उँगलियों को चूमते हुए कहा, “तेरे बिना इस घर में रौनक नहीं होगी! जल्दी ही तुम दोनों की शादी का बंदोबस्त करते हैं!”
“थैंक यू माँ!”
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