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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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Gaurav1969

\\\“मनो बुद्ध्यहंकार चित्तानि नाहम्”///
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#113.

चैपटर-3: स्पाइनो-सोरस
(
11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 14:45, मायावन, अराका द्वीप)

सुयश की टीम में सुयश को मिला कर अब सिर्फ 6 लोग ही बचे थे।

घास का मैदान पार करके अब सभी पहाड़ी रास्ते पर आ गये थे। पहाड़ी पर एक पतली पगडंडी पर इन्हें आगे बढ़ना पड़ रहा था। रास्ते में चढ़ान होने की वजह से सभी के चेहरे थके-थके से लग रहे थे।

एक तो पिछले कुछ दिनों से वह लगातार चल रहे थे, दूसरे उनके साथियों के मरने या फिर बिछड़ जाने के कारण उनके जोड़े भी टूट गये थे, जिससे उनका मनोबल कुछ टूट सा गया था।

एक शैफाली थी, जो अभी भी सबको बीच-बीच में कुछ ना कुछ कहकर उनका हौसला बढ़ाये हुए थी।
अलबर्ट को अपनी उम्र के कारण सबसे ज्यादा तकलीफ हो रही थी। उन्होंने शायद ही कभी अपनी जिंदगी में इतना चला होगा।

पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण पोसाईडन की मूर्ति कभी-कभी किसी मोड़ पर, दूर दिखाई दे जाती थी।

पथरीला रास्ता होने के कारण हरियाली भी थोड़ी कम हो गयी थी, जिसकी वजह से सभी को दिन में गर्मी भी ज्यादा लग रही थी। ये तो भला हो कि जंगल में पर्याप्त पानी मिल जाने से, सभी ने अपनी बोतलें पूरी भर ली थीं नहीं तो इतनी गर्मी में इन सबका एक कदम भी बढ़ा पाना मुश्किल हो जाता।

सभी अब पहाड़ की चोटी पर पहुंच गये थे। यहां पर बाकी रास्ते की अपेक्षा जगह कुछ ज्यादा थी। एक तरफ कुछ ऊंची-ऊंची चट्टानें थी, तो दूसरी ओर गहरी खाईं। गहरी खाईं की ओर एक विशाल छायादार पेड़ लगा था, जिसे देखकर अलबर्ट से रहा ना गया और वह बोल उठा-

“कैप्टेन! कुछ देर आराम कर लिया जाये। थकान बहुत ज्यादा हो रही है, अब एक कदम भी आगे बढ़ना मुश्किल लग रहा है।”

“आप ठीक कह रहे हैं प्रोफेसर।” सुयश ने भी सभी पर नजर डालते हुए कहा- “सभी थक गये हैं। हम कुछ देर यहां पर आराम करेंगे फिर आगे बढ़ेंगे। तब तक कुछ खा-पी भी लेते हैं।”

सुयश की बात सुन सबकी जान में जान आयी। सब वहीं पेड़ के नीचे एक पत्थर पर बैठ गये। क्रिस्टी ने बैग से कुछ फल निकालकर सभी में बांट दिये।

सबने फल खा के पेट भर पानी पिया और 10 मिनट आराम करने के लिये उसी पेड़ के नीचे लेट गये।
सुयश सबको लेटे देख एक ऊंची सी चट्टान की ओर चल दिया।

सुयश उस ऊंची सी चट्टान पर चढ़कर दूर-दूर तक देखने की कोशिश करने लगा।
तभी सुयश का पैर फिसल गया और वह जमीन पर गिर पड़ा। भला हो कि खाईं थोड़ी दूर थी, नहीं तो सुयश खाईं में भी गिर सकता था।

सुयश धीरे से खड़ा हो कर वापस नीचे दूर-दूर तक फैली हुई घाटी को देखने लगा। पर सुयश के फिसलने से एक बड़ा सा पत्थर पहाड़ से नीचे की ओर गिर गया।


वह पत्थर लुढ़कता हुआ उस पहाड़ के दूसरी ओर के रास्ते में सो रहे एक विशाल डायनासोर पर गिरा।
पत्थर के शरीर पर लगते ही डायना सोर ने अपनी आँखें खोल दी।

उसने एक क्षण के लिये अपनी नाक को ऊपर उठा कर सूंघा और उठकर खड़ा हो गया।

सुयश का ध्यान इस समय दूसरी ओर था, तभी सुयश के पीछे एक विशालकाय 2 आँखें दिखाई दीं। वह आँखें अकेली नहीं थीं, उनके साथ भारी-भरकम शरीर लिये वही डायनोसोर भी था।

हांलाकि डायनोसोर पहाड़ के दूसरी ओर था, फिर भी उसकी ऊंचाई अधिक होने के कारण वह जेनिथ को दिखाई दे गया।

डायनासोर को देखकर जेनिथ के मुंह से चीख निकल गयी। जेनिथ की चीख सुन सभी का ध्यान उस चट्टान की ओर गया, जिस पर सुयश इस समय खड़ा था।

अब सभी चीखकर सुयश को वहां से भागने के लिये बोलने लगे। सभी को चीखते देख सुयश पीछे पलटा। पीछे पलटते ही उसके सारे रोंगटे खड़े हो गये। डायनासोर अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से उसी को घूर रहा था।

सुयश ने धीरे से डायनासोर को देखते हुए अपने कदमों को पीछे करने की कोशिश की। तभी डायनासोर के मुंह से एक तेज गुर्राहट निकली, अब उसने अपने बड़े-बड़े दाँत दिखाकर सुयश को डराने की कोशिश की।

उसका एक दाँत ही सुयश से बड़ा दिख रहा था। डायनासोर ने अपना मुंह तेजी से सुयश की ओर बढ़ाया, पर सुयश पूरी ताकत लगा कर उस चट्टान से कूद गया। डायनोसोर अपने शिकार को भागता देख, दूसरी ओर से उस चट्टान पर चढ़ने की कोशिश करने लगा।

“नक्षत्रा !” जेनिथ ने अपने मन में नक्षत्रा पुकारा- “क्या तुम इस समय कोई मदद करके हमें बचा सकते हो?”

“मैं एक दिन में सिर्फ आधा घंटा ही समय को रोकना सीख पाया हूं।” नक्षत्रा ने कहा- “पर इस आधे घंटे में तुम सबको उठाकर यहां से भाग नहीं सकती। अब रही बात इस डायनासोर की, तो तुम्हें यह बता दूं कि इस डायनासोर को स्पाइनोसोरस कहते हैं। यह सभी डायनासोर का राजा है।

यह उन सबमें सबसे बड़ा भी होता है। यह पानी और जमीन दोनों पर ही शिकार कर सकता है। इसके सूंघने की शक्ति भी बहुत ज्यादा है, इसलिये तुम किसी को कहीं छिपा भी नहीं सकती। अब बची बात इसे मारने की, तो वह भी संभव नहीं है क्यों कि तुम इतने बड़े स्पाइनोसोरस को बिना किसी हथियार के कैसे मार पाओगी? हां अगर तुम सिर्फ स्वयं बचना चाहो तो आधे घंटे में यहां से दूर भाग सकती हो, जिससे यह स्पाइनोसोरस तुम्हारी गंध नहीं सूंघ पायेगा।”

“असंभव!” जेनिथ ने नक्षत्रा से कहा- “मैं यहां से किसी को भी छोड़कर नहीं भागने वाली। तुम एक काम करना नक्षत्रा, फिलहाल जैसे मैं तुम्हें इशारा करुं, तुम बस समय को रोक देना, बाकी मैं स्वयं से देखती हूं
कि इस स्पाइनोसोरस से कैसे निपटना है?”

तब तक सुयश भागकर, बाकी सभी लोगों के पास आकर, दूसरी चट्टान के पीछे छिप गया।

“कैप्टेन!” अलबर्ट ने डरते-डरते कहा- “यह तो स्पाइनोसोरस है। यह तो लाखों वर्ष पहले ही विलुप्त हो गया था। हे भगवान कैसा है यह द्वीप? अब हम इतने बड़े खतरे से कैसे निपटेंगे?”

“शांत हो जा इये प्रोफेसर, नहीं तो वह हमारी आवाज सुन लेगा।” क्रिस्टी ने कहा।

उधर स्पाइनोसोरस चट्टान पर चढ़ने में कामयाब हो गया। अब वह चट्टान के आसपास सुयश को ढूंढने लगा। जेनिथ जानती थी कि ज्यादा देर तक वह छिपे नहीं रह पायेंगे। वह तेजी से इधर-उधर देखते हुए, स्पाइनोसोरस से बचने के लिये अपना दिमाग चला रही थी।

हथियार के नाम पर तौफीक के पास बस एक चाकू बचा था, पर उससे कुछ नहीं होना था।

चट्टान पर चढ़ा स्पाइनोसोरस अब अपनी नाक उठाकर हवा में कुछ सूंघने की कोशिश करने लगा।
कुछ ही देर में स्पाइनोसोरस को उनकी गंध मिल गयी, अब वह तेजी से चट्टान से उतरने की कोशिश करने लगा।

तभी उसके भारी-भरकम शरीर की वजह से एक बड़ा सा पत्थर हवा में उछला और क्रिस्टी की ओर बढ़ा।

“नक्षत्रा ! समय को रोक दो।” जेनिथ ने एक सेकेण्ड से भी कम समय में नक्षत्रा को समय रोकने के लिये कहा।

नक्षत्रा ने समय को रोक दिया। अब जेनिथ के आसपास की हर चीज फ्रीज हो गयी थी। वह पत्थर क्रिस्टी के बिल्कुल सिर के पास पहुंच गया था, अगर नक्षत्रा एक सेकेण्ड की भी देरी कर देता तो क्रिस्टी का सिर फट जाना था।

जेनिथ ने क्रिस्टी को पकड़कर दूसरी ओर खींचा और नक्षत्रा को समय रिलीज करने को बोल दिया।
उछला हुआ पत्थर क्रिस्टी के बगल में आकर गिरा। क्रिस्टी को लगा जैसे उसे किसी ने पकड़कर खींचा हो।

“यहां पर और भी कोई है?” क्रिस्टी ने फुसफुसा कर सभी से कहा- “मुझे अभी किसी ने पकड़कर खींचा है। अगर वह शक्ति ऐसा ना करती तो मैं तो मर ही जाती।”

सुयश, अलबर्ट और तौफीक ने अपनी दृष्टि चारो ओर दौड़ाई, पर उन्हें कोई नजर नहीं आया।
अभी आश्चर्य व्यक्त करने का समय भी नहीं था, क्यों कि स्पाइनोसोरस अब चट्टान से नीचे आ गया था और फिर से उन्हें सूंघने की कोशिश कर रहा था।

अब वह स्पाइनोसोरस उनसे ज्यादा दूरी पर नहीं था। तभी जेनिथ ने नक्षत्रा को फिर से समय फ्रीज करने को कहा। नक्षत्रा के समय फ्रीज करते ही जेनिथ ने तौफीक के हाथ से चाकू को छीना और भागकर स्पाइनोसोरस के नीचे पहुंच गयी।

अब उसने चाकू से स्पाइनोसोरस के पिछले दोनों पैर को घायल कर दिया और भागकर वापस अपनी जगह पर आकर समय को रिलीज कर दिया।

सुयश सहित सभी की निगाहें स्पाइनोसोरस पर थीं। अचानक स्पाइनोसोरस के पिछले दोनों पैर से खून निकलने लगा और वह लहरा कर धड़ाम से जमीन पर गिर गया।

तभी जेनिथ ने फिर से समय को फ्रीज किया और भागकर गिरे पड़े स्पाइनोसोरस पर चढ़कर, चाकू से उसकी गर्दन पर वार करने लगी। पर स्पाइनोसोरस के गर्दन के पास की त्वचा काफी कठोर थी और
जेनिथ का हाथ बहुत कोमल था, इसलिये चाकू के वार से स्पाइनोसोरस की गर्दन पर कुछ छोटी-मोटी खरोंच ही आ रहीं थीं।

यह देख जेनिथ ने समय ना बर्बाद करते हुए, एक-एक कर स्पाइनोसोरस की दोनों आँखें फोड़ दीं और सबके पास पहुंचकर समय को फिर रिलीज कर दिया।

स्पाइनोसोरस के जमीन पर गिरते ही एक-एक कर, उसकी दोनों आँखें फूट गयीं और उनसे खून की धारा बह निकली। किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि स्पाइनोसोरस को नुकसान कौन पहुंचा रहा है?

आँख के फूट जाने की वजह से स्पाइनोसोरस और खतरनाक हो गया। वह जोर से चिल्लाया और अपनी पूंछ को जमीन पर इधर-उधर पटकने लगा।

स्पाइनोसोरस के ऐसा करने से उसके आसपास के पेड़ टूट-टूट कर जमीन पर गिरने लगे। जेनिथ के पास अब समय रोकने के लिये 15 मिनट ही बचा था। अब उस स्पाइनोसोरस से निपटने के लिये जेनिथ को किसी ठोस प्लान की आवश्यकता थी।

तभी जेनिथ की निगाह खाईं के पास लगे उस पेड़ की एक बहुत ही लचीली, मगर मजबूत शाख पर गयी। जेनिथ के दिमाग में तुरंत एक विचार कौंधा।

उसने समय को एक बार फिर से फ्रीज किया और सुयश की पीठ पर रखे बैग में से एक खाली बैग निकाल लिया। जेनिथ ने जल्दी-जल्दी उस खाली बैग में पेड़ की सूखी पत्तियां भर दीं और उसे खाईं के पास पेड़ के नीचे रख दिया। अब जेनिथ ने उस लचीली शाख को पूरी ताकत लगा कर खींचा और एक जड़ के सहारे उसे पेड़ के एक तने से बांध दिया।

“जेनिथ जल्दी करो अब बस 5 मिनट ही बचा है।" नक्षत्रा ने कहा- “मैं आज समय को इससे ज्यादा नहीं रोक सकता।"

“हां... हां बस हो गया।” इतना कहकर जेनिथ ने चाकू से अपना हाथ एक जगह से काट लिया और अपने खून की बूंदें, पेड़ के नीचे रखे उस काले बैग पर गिराने लगी।

अब जेनिथ के खून से बैग लाल हो गया था। जेनिथ भागकर वापस सभी के पास पहुंची और फर्स्ट एड बॉक्स खोलकर अपने हाथ पर एक दवा छिड़क लिया। दवा की तेज गंध वातावरण में फैल गयी।

अभी भी 2 मिनट का समय शेष था। तभी जेनिथ ने नक्षत्रा को समय को रिलीज करने को बोला।
समय के रिलीज होते ही स्पाइनोसोरस गुस्से में उठ खड़ा हुआ। अंधा हो जाने की वजह से उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, इसलिये वह हवा में जोर-जोर से कुछ सूंघने लगा।

अब उसे जेनिथ के खून की गंध मिल गयी थी और वह लंगड़ाते हुए पेड़ के नीचे रखे उस काले बैग की ओर बढ़ने लगा। जैसे ही स्पाइनोसोरस खाईं के पास रखे उस काले बैग के पास पहुंचा, जेनिथ फिर समय रोककर तेजी से उस पेड़ के पास पहुंची और चाकू के एक वार से उसने पेड़ से बंधी जड़ों को काट दिया।

जड़ों के काटते ही जेनिथ वापस भागकर सबके पास पहुंच गयी और उसने समय को फिर से रिलीज कर दिया। समय को रिलीज करते ही वह लचीली डाल तेजी से हवा में लहराई और ‘सटाक’ की आवाज करती हुई स्पाइनोसोरस से जा टकराई।

स्पाइनोसोरस इस वार को झेल नहीं पाया और लड़खड़ा कर खाईं की ओर गिरने लगा।
आखिरी समय पर स्पाइनोसोरस ने अपने अगले पैरों को पत्थर में फंसा कर स्वयं को खाईं में गिरने से बचा लिया।

सुयश, तौफीक, शैफाली और क्रिस्टी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, पर स्पाइनोसोरस को ना गिरता देख जेनिथ की साँस जरुर रुक गयी। क्यों कि अब उसके पास सबको बचाने का कोई तरीका नहीं बचा था।

तभी जेनिथ की निगाह अपने हाथ में पकड़े चाकू की ओर गयी।
उसने एक पल भी ना सो चा और तेजी से भागती हुई खाईं में लटके डायनासोर के पास पहुंच गई।

इससे पहले कि खाईं में लटका स्पाइनोसोरस वापस ऊपर चढ़ पाता, जेनिथ ने उसके आगे के दोनों पैरों पर चाकू से तेज वार करने शुरु कर दिये।

स्पाइनोसोरस के पैर से खून का फव्वारा निकला और असहनीय दर्द की वजह से स्पाइनोसोरस ने अपने पैरों की पकड़ को ढीला कर दिया। इसी के साथ स्पाइनोसोरस एक गुर्राहट के साथ पहाड़ से नीचे गिर
गया।

जेनिथ इन सब कामों से इतना थक गयी थी कि वहीं पेड़ के पास ही जमीन पर लेट गयी। स्पाइनोसोरस को नीचे गिरता देख सभी भागकर जेनिथ के पास आ गये।

तौफीक की आँखों में जेनिथ के लिये बेइन्तहा आश्चर्य के भाव थे। कोई यकीन भी नहीं कर पा रहा था कि जेनिथ चाकू लेकर स्पाइनोसोरस को पहाड़ के नीचे गिरा देगी।

“तुम ठीक तो होना जेनिथ?” तौफीक ने जमीन पर लेटी हुई जेनिथ के हाथ से चाकू लेते हुए पूछा।
जेनिथ ने धीरे से अपना सिर हां में हिला दिया।

“वाह जेनिथ दीदी ! आपने तो कमाल ही कर दिया।” शैफाली ने जेनिथ की ओर पानी की बोतल को बढ़ाते हुए कहा।

सुयश की आँखों में भी जेनिथ के लिये तारीफ के भाव उभरे, पर उन आँखों में कुछ सवाल भी थे? जैसे ही जेनिथ पानी पीकर थोड़ा नार्मल हो गई, सुयश ने उस पर सवालों की बौछार कर दी-

“अगर हम शुरु से इस घटना के बारे में बात करें तो स्पाइनोसोरस के हमला करते ही क्रिस्टी के
सिर पर जब पत्थर गिरने वाला था, तो किसी अदृश्य शक्ति ने उसे बचाया, फिर हमारी ओर आ रहे स्पाइनोसोरस के पैर से अचानक खून निकलने लगा, फिर उसकी आँखें भी अपने आप फूट गयीं। इसके बाद हमारा काला बैग उसी अदृश्य शक्ति ने खाईं के किनारे रखकर, स्पाइनोसोरस के ऊपर लचीली पेड़ की डाल से हमला किया। यह सभी बातें ये शो कर रहीं हैं कि यहां पर हम लोगों के अलावा भी कोई था? क्या तुम्हें उसके बारे में कुछ पता है जेनिथ?”

“अभी किसी से मेरे बारे में कुछ भी मत बताना जेनिथ।” नक्षत्रा ने जेनिथ को सावधान किया।

“नहीं मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता?” जेनिथ ने सुयश को जवाब दिया- “मैंने तो आखिर में स्पाइनोसोरस पर चाकू से हमला किया बस इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं पता।”

“तो फिर तुम्हारे हाथ में मेरा चाकू कैसे आया ?” तौफीक ने शंकित निगाहों से जेनिथ को घूरते हुए पूछा- “मैंने तो तुम्हें अपना चाकू दिया भी नहीं था।”

“मुझे भी नहीं पता कि मेरे हाथ में तुम्हारा चाकू कब और कैसे आया ?” जेनिथ ने सफाई देते हुए कहा।

“तुम्हा रे हाथ पर यह पट्टी क्यों बंधी है?” सुयश ने पूछा- “इस पर से दवा की खुशबू भी आ रही है। हमने तो तुम्हें चोट लगते या पट्टी बांधते नहीं देखा।”

“यह पट्टी मेरे हाथ में कैसे बंधी ? मुझे भी इसकी कोई जानकारी नहीं है?” कहकर जेनिथ ने अपने हाथ में बंधी पट्टी को खोल दिया। उसे लगा कि अब सभी उसके हाथ की चोट के बारे में जान जायेंगे।

पर पट्टी खोलते ही वह स्वयं आश्चर्यचकित हो गई। उसके हाथ पर कोई भी घाव नहीं था।

“ज्यादा आश्चर्य मत व्यक्त करो दोस्त।” नक्षत्रा ने कहा- “मैंने तुमसे कहा था कि समय आने पर मैं तुम्हें अपनी कुछ और शक्तियों के बारे में बता दूंगा। तो ये है मेरी एक और शक्ति, जिसमें मैं तुम्हारे शरीर को
नुकसान होने पर उन पर उभरे घावों को भी भर सकता हूं।” जेनिथ यह सुनकर खुश हो गई।

“मुझे लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति हम लोगों के साथ है? जो कि समय-समय पर हमें अंजाने खतरों से बचा रही है।” अलबर्ट ने कहा-“और वह शक्ति बहुत तेजी से कार्य करती है, जिससे हम उसको देख नहीं
पाते, बस उसे अपने आसपास महसूस कर पाते हैं।”

“आप सही कह रहे हैं प्रोफेसर।” सुयश ने कहा- “मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है।”

“ऐ अदृश्य शक्ति, हमें ऐसे ही अंजान खतरों से बचाते रहना और हमारा मार्गदर्शन करते रहना। हम सदैव तेरे आभारी रहेंगे।” क्रिस्टी ने आसमान की ओर हाथ जोड़कर अदृश्य शक्ति को धन्यवाद दिया।

इसके बाद सभी पुनः आगे की ओर बढ़ गये।


जारी रहेगा..........

कहानी एक रफ़्तार से आगे बढ़ रही है ,कभी हिमालय कभी अमेरिका तो कभी आरका ,कभी भूत तो कभी वर्तमान हर एक जरूरी चीज़ो की व्याख्या समय समय पर होती जा रही है । इस अपडेट में स्पेनौसोरोस का जिक्र हुआ जिसका मुकाबला हमारी जेनिथ जी ने नक्षत्रा की मदद से अकेले ही किया, इस बहादुरी और सूझबूझ की सराहना करना तो बनता है पर बहुत सी ऐसी चीज़े भी हुई जिनका कोई मेल नही बनता है जैसे पेड़ की डाल को अकेले जेनीथ के द्वारा इस हद तक मोड लेना की विशालकाय जीव को धक्का दे सके ,तथा चाक़ू से डायणासौर के चमड़ी को काट देना और उसके ऊपर चढ़ कर आँखों को फोड़ देना एक ही प्रयास में और इतने कम समय में। क्या नक्षत्रा की कुछ और भी शक्तियां इन कार्यों में शामिल थी?
अपडेट में वो पुरानी वाली भावनाएं नही थी जैसा पिछले वालो में था अब ये मेरे लम्बे समय बाद पढ़ने के कारण हो सकता है या फिर औरो को भी ऐसा ही लगता है।
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Ab forum firse track pe aa gya hai to me bhi 11th episode se continue krunga



Season 9 Hello GIF by Curb Your Enthusiasm
Hum wait karunga :waiting:
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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romanchak update..Zenith aur nakshatra ki wajah se sabki jaan bach gayi spinosauras se ..
time ka sahi istemal Kiya jenith ne ..uski sujjbujh ki wajah se hi sab bach paaye ..
100% satya vachan mitra, agar uske paas soojh boojh nahi hoti to sab khatam hi tha,
Aage aur bhi bade khatre bhare pade hain yaha, dekhte jaao, ye to suruwaat hai🤣
Thanks bhai for your valuable review and support :thanks:
 

Raj_sharma

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कहानी एक रफ़्तार से आगे बढ़ रही है ,कभी हिमालय कभी अमेरिका तो कभी आरका ,कभी भूत तो कभी वर्तमान हर एक जरूरी चीज़ो की व्याख्या समय समय पर होती जा रही है । इस अपडेट में स्पेनौसोरोस का जिक्र हुआ जिसका मुकाबला हमारी जेनिथ जी ने नक्षत्रा की मदद से अकेले ही किया, इस बहादुरी और सूझबूझ की सराहना करना तो बनता है पर बहुत सी ऐसी चीज़े भी हुई जिनका कोई मेल नही बनता है जैसे पेड़ की डाल को अकेले जेनीथ के द्वारा इस हद तक मोड लेना की विशालकाय जीव को धक्का दे सके ,तथा चाक़ू से डायणासौर के चमड़ी को काट देना और उसके ऊपर चढ़ कर आँखों को फोड़ देना एक ही प्रयास में और इतने कम समय में। क्या नक्षत्रा की कुछ और भी शक्तियां इन कार्यों में शामिल थी?
अपडेट में वो पुरानी वाली भावनाएं नही थी जैसा पिछले वालो में था अब ये मेरे लम्बे समय बाद पढ़ने के कारण हो सकता है या फिर औरो को भी ऐसा ही लगता है।
Ho sakta hai ki mere likhne me kuchbkami rah gayi ho? Ya ye bhi ho sakta ki kahi aapke samajhne me rah gayi ho,🤔 khair abhi kuch bhi khatam nahi hua mitra, aapki saari icchaye hum poori kar denge, ye to bas tilismi safar ka pahla padaav hi samjho,
Thank you very much for your wonderful review and support bhai :thanks:
 

Napster

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#109.

तभी ब्लू व्हेल का मुंह खुला। उसके मुंह को खुलते देख सोफिया और मेरोन ब्लू व्हेल के मुंह से बाहर आ गये। कैस्पर अभी भी मेरोन के ही हाथों में था।

बाहर निकलकर सोफिया और मेरोन की दृष्टि अपने आस-पास गयी। चारो ओर नीले रंग का पानी ही पानी नजर आ रहा था। वह इस समय समुद्र के अंदर किसी पहाड़ी गुफा में थे।

उनके सामने एक अप्सराओं सी खूबसूरत स्त्री खड़ी थी। पानी के अंदर उसके काले बाल हवा में लहरा रहे थे।

वह माया थी। माया के चेहरे पर एक असीम तेज दिख रहा था।

मेरोन और सोफिया ने झुककर माया को अभिवादन किया। माया ने दोनों को अपने पीछे आने का इशारा किया इसके बाद माया पलटकर गुफाओं की ओर चल दी।

पानी के अंदर सुरंगों का जाल बिछा था। कुछ देर तक विभिन्न सुरंगों से गुजरने के बाद समुद्र के पहाड़ में एक दरवाजा बना दिखाई दिया।

माया के हाथ के इशारे से वह दरवाजा खुल गया। माया उस खुले दरवाजे से अंदर प्रवेश कर गयी।
सोफिया और मेरोन भी माया के पीछे-पीछे अंदर प्रवेश कर गये।

अंदर एक आलीशान कमरा बना था, जिसमें चारो ओर असंख्य दरवाजे लगे थे।

उस कमरे में एक बूंद भी पानी नहीं था, पता नहीं कहां से वहां शुद्ध ऑक्सीजन मिल रही थी।

माया ने दोनों को कमरे में बैठने का इशारा किया। सोफिया और मेरोन वहां रखी कुर्सियों पर बैठ गये।

“कैस्पर को उस बिस्तर पर लिटा दो।” तभी कमरे में आवाज गूंजी।

सोफिया और मेरोन ने आश्चर्य से माया की ओर देखा, पर माया के होंठ तो हिले ही नहीं थे, फिर ये आवाज कहां से आयी? तभी दोनों को फिर माया की आवाज सुनाई दी-

“मुझे किसी से बात करने के लिये अपने होंठों को हिलाने की जरुरत नहीं है।” यह सुन मेरोन ने कैस्पर को बिस्तर पर लिटा दिया।

“तुम्हारा पुत्र यहां पर बिल्कुल सुरक्षित है। ब्रह्मांड की कोई शक्ति इसे यहां हाथ भी नहीं लगा सकती।” माया ने सोफिया को देखते हुए कहा।

“पर यह स्थान तो समुद्र के अंदर ही है, हममें से किसी के रक्त की एक बूंद भी यदि समुद्र के पानी में मिली तो पोसाईडन को इस जगह के बारे में पता चल जायेगा, क्यों कि हममें देवताओं का रक्त है, फिर वह इस पूरी जगह को नष्ट कर देगा।” मेरोन ने कहा।

“यहां की धरती, पानी, हवा और जलीय जंतु मेरा आदेश मानते हैं, पोसाईडन को इस जगह के बारे में कभी भी पता नहीं चलेगा।” कहते-कहते माया ने अपना हाथ हिलाया।

माया के हाथ हिलाते ही टेबल पर रखे 2 गिलासों में पानी अपने आप भरा और हवा में चलते हुए वह दोनों गिलास सोफिया और मेरोन के पास आ गये।

दोनों ने पानी पी लिया। उस पानी में अजीब सी ताजगी थी, दोनों ही अब पूरी तरह से थकान रहित नजर आने लगे।

“अब आप दोनों क्या चाहते हो? यह मुझे बताओ।” माया ने बारी-बारी दोनों को देखते हुए पूछा।

मेरोन और सोफिया ने माया की बात सुनकर एक दूसरे को देखा। मेरोन ने आँखों ही आँखों में सोफिया को इशारा किया।

“हम चाहते हैं कि आप हमारे पुत्र को तब तक यहां रखें, जब तक इसके सिर पर छाये संकट के बादल हट ना जायें।” सोफिया ने माया से विनम्रता से निवेदन किया।

“ठीक है, मैं ऐसा ही करुंगी।” माया ने खुशी भरे स्वर में कहा- “और इसे इतना काबिल भी बनाऊंगी कि कोई देवता इसका कुछ ना बिगाड़ पाये। पर आप लोग अब क्या करना चाहते हो?”

“हमें सबसे ज्यादा चिंता अपने पुत्र की ही थी।” मेरोन ने कहा- “पर अब हमारी चिंता खत्म हो गयी। जो स्त्री जीयूष के थंडरबोल्ट से मेरे पुत्र की रक्षा कर सकती है, जो पोसाइडन के समुद्र में भी मेरे पुत्र को छिपा
कर रख सकती है, उससे अच्छा हमारे पुत्र की देखरेख करने वाला पूरे ब्रह्मांड में हमें कहां मिलेगा? अब हम सभी चिंताओं से मुक्त हैं। अब हम दोनों यहां से निकलकर सीधे सोफिया के पिता हैडिस के पास जायेंगे और उन्हें समझाने का एक आखिरी प्रयत्न और करेंगे, चाहे इसके लिये वो हमारी जान ही क्यों ना ले लें।”

“जैसी तुम दोनों की इच्छा।” माया ने आह भरते हुए कहा- “पर मैं कैस्पर को कभी भी तुम्हारी कमी महसूस नहीं हो ने दूंगी, वह मेरी बेटी मैग्ना के साथ बिल्कुल खुश रहेगा।”

माया के इतना कहते ही कमरे का एक दरवाजा खुला और हवा में लेटी हुई एक छोटी सी बच्ची, हवा में उड़ते हुए कमरे में आयी और कैस्पर के बगल वाले बेड पर आकर लेट गयी।

देखने में वह बच्ची भी कैस्पर की ही हमउम्र लग रही थी।

“वाह! कितनी सुंदर बेटी है।” सोफिया ने मैग्ना के गालों को छूते हुए कहा- “ये आपकी बेटी है?”

“काश ये मेरी बेटी होती ! पर ऐसा नहीं है, ये भी आप ही की तरह किसी वक्त के सताये की बेटी है।” माया ने आह भरते हुए कहा।

“ठीक है फिर अब हमें आशीर्वाद दीजिये कि हम अपने पिता को मनाने में सफल हो जाएं।” सोफिया ने सिर झुकाते हुए कहा।

“महा..देव तुम्हारे पिता को सद्बुद्धि दें।”इतना कह माया बिना सोफिया के सिर पर हाथ रखे पलट गयी।

सोफिया ने आश्चर्य भरी नजरों से माया को देखा, पर कुछ बोली नहीं, लेकिन वह समझ गयी थी कि पाताल में कुछ तो उसके साथ बुरा होने वाला है?

“अब तुम दोनों यहां से बाहर निकल जाओ, बाहर वही ब्लू व्हेल खड़ी है, वह तुम्हें पाताल के द्वार तक छोड़ देगी।” माया ने कहा और फिर दोनों के नमस्कार की मुद्रा में हाथ जोड़े।

उन्हें हाथ जोड़ते देख सोफिया और मेरोन ने भी अपने हाथ जोड़, उन्हें नमस्कार किया और कैस्पर के गालों पर एक चुंबन ले उस कमरे से बा हर निकल गये।

अगर आप किसी कारणवश ‘सुप्रीम’ की अब तक की कहानी को नहीं पढ़ पाये, तो आइये उसके अब तक के सारांश को पढ़कर उस उसकी यादों को ताजा कर लें, या फिर पढा है तो एक बार यादें ताजा कर लें-

‘सुप्रीम’ का सारांशः

माइकल अपनी पत्नि मारथा और अपनी 13 वर्षीय बेटी शैफाली के साथ ‘सुप्रीम’ नामक पानी के जहाज से न्यूयार्क से सिडनी जाने का प्लान बनाता है क्योंकि माइकल के कॉलेज के समय के प्रोफेसर अलबर्ट भी उसी जहाज से सिडनी जाने वाले थे। चूंकि शैफाली अपने जर्मन शेफर्ड कुत्ते ब्रूनो के बिना नहीं जाना चाहती थी, इसलिये माइकल जहाज के कैप्टेन से ब्रूनो को ले जाने के लिये विशेष अनुमति ले लेता है।

अभी ये लोग बात कर ही रहे होते हैं कि तभी जन्म से अंधी शैफाली को सोते समय कुछ विचित्र से सपने आते हैं। उन सपनों से शैफाली डरकर उठ जा ती है। माइकल और मारथा को आश्चर्य होता है कि जन्म से अंधी शैफाली को सपने कैसे आ सकते हैं।

सुप्रीम न्यूयार्क बंदरगाह से अपने सफर पर चल पड़ता है। सुप्रीम के डेक पर खड़ा ऐलेक्स एक इटैलियन लड़की क्रिस्टी को देखता है जो एक किताब पढ़ रही होती है। तभी क्रिस्टी के कॉलेज की दोस्त
लॉरेन उसे मिल जाती है। क्रिस्टी, लॉरेन के साथ बात करते हुए वहां से चली जाती है, पर उसकी किताब वहीं छूट जाती है, जिसे ऐलेक्स उठा लेता है। उधर क्रिस्टी और लॉरेन एक दूसरे से अपनी पुरानी बातें शेयर
करतीं हैं।

क्रिस्टी को पता चलता है कि लॉरेन का ब्वायफ्रेंड भी इसी जहाज पर है। क्रिस्टी लॉरेन से उसकी फोटो दिखाने के लिये जिद करती है। लॉरेन क्रिस्टी को अपने ब्वायफ्रेंड की फोटो अगले दिन दिखाने का
वादा करती है। लॉरेन बताती है कि वह इस जहाज पर ड्रीम्स डांस ग्रुप के साथ आयी है, जिसकी मुख्य डांसर जेनिथ के साथ वह उसके कमरे में रहती है।

शाम को ऐलेक्स क्रिस्टी का रुम नम्बर पता करके उसकी किताब वापस करने जाता है और क्रिस्टी को डिनर पर चलने के लिये कहता है, पर क्रिस्टी ऐलेक्स में अपना इंट्रेस्ट नहीं दिखाती।

रात में डिनर के समय सुप्रीम का कैप्टेन सुयश सभी यात्रियों से अपने चालक दल का परिचय कराता है। इसके बाद जेनिथ और लॉरेन का डांस शुरु हो जाता है। डांस खत्म होने पर जेनिथ को वहां तौफीक
दिखाई देता है। जेनिथ लॉरेन को बताती है कि तौफीक ने एक बार एक एक्सीडेंट से उसकी जान बचाई थी। वह लॉरेन से तौफीक का कमरा नम्बर पता करने को कहती है।

तभी उनके कमरे में जैक और जॉनी नाम के 2 बदमाश घुस जाते हैं और जेनिथ से बद्तमीजी करने लगते हैं। यह देख लॉरेन जहाज के कप्तान और सिक्योरिटी के आदमियों को बुला लेती है।

सुयश जैक और जॉनी को चेतावनी देकर छोड़ देता है। तभी सुप्रीम के कंट्रोल रुम में न्यूयार्क बंदरगाह से बताया जाता है कि उनके जहाज पर कुछ अपराधी भी घुस आये हैं। सुयश को कहा जाता है कि अपराधी को वह स्वयं से ढूंढे और अगले स्टापेज पर उसे इंटरपोल के हवाले कर दें।

सुयश असिस्टेंट कैप्टेन रोजर और सिक्योरिटी इंचार्ज लारा के साथ मिलकर एक निशानेबाजी की प्रतियोगिता का प्लान बनाता है। जिसमें 28 प्रतियोगी भाग लेते हैं और तौफीक, लोथार और जैक क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार जीतते हैं। सुयश अब सिर्फ इन्हीं 28 प्रतियोगियों के कमरों को अपनी सिक्योरिटी के लोगों को न्यूइयर वाले दिन चेक करने को कहता है।

उधर अलबर्ट शैफाली का दिमाग चेक करने के लिये शैफाली का अलग-अलग तरह से टेस्ट लेता है और शैफाली की प्रतिभा से प्रभावित हो जाता है। वहीं दूसरी ओर जेनिथ अपने प्यार का इजहार तौफीक से करती है।

अगले दिन लॉरेन ऐलेक्स को अपना ब्वायफ्रेंड बना कर क्रिस्टी से मिलाती है, पर क्रिस्टी अपने तेज सवालों से जान जाती है कि ऐलेक्स लॉरेन का ब्वायफ्रेंड नहीं है। उधर जॉनी, जैक से 10000 डॉलर की शर्त लगा लेता है कि वह सबके सामने जेनिथ को किस करके दिखाएगा।

अपनी शर्त को पूरा करने के लिये जॉनी जेनरेटर रुम में काम करने वाले आर्थर को कुछ पैसे देकर अपना काम करने के लिये मना लेता है। मगर जॉनी का पूरा प्लान जहाज के सिक्योरिटी इंचार्ज ब्रैंडन को पता चल जाता है, वह सुयश को बता देता है कि जॉनी न्यू इयर के दिन एक मिनट की लाइट ऑफ करवाकर किसी को किस करना चाहता है। सुयश कहता है कि लाइट को 30 सेकेण्ड में ही ऑन करवा देना। इससे जॉनी बीच प्लान में पकड़ा जा येगा।

न्यू इयर के दिन जहाज के कंट्रोलरुम में जहाज का सेकेण्ड असिस्टेंट कैप्टेन असलम, सभी को शराब पिलाकर न्यू ईयर सेलीब्रेट करता है। उधर जहाज के हॉल में जैसे ही न्यू इयर पर लाइट ऑफ होती है, एक गोली की आवाज सुनाई देती है और जब लाइट को जलाया जाता है तो स्टेज पर लॉरेन की लाश दिखाई देती है, जिसके कि माथे पर एक गोली लगी होती है। हॉल से सुयश को एक रिवाल्वर भी बरामद हो जाती है।

सुयश को लगता है कि जिसने भी गोली चलाई होगी उसने जरुर रिवाल्वर को रुमाल से पकड़ रखा होगा। यह सोचकर सुयश सभी के रुमाल जमा करवा कर लैब में चेक करने के लिये भेज देता है। बाद में ध्यान से देखने पर सुयश को लॉरेन के गले में पड़ा एक लॉकेट दिखाई देता है, जिसमें रेडियम लगा होता है।

सुयश समझ जाता है कि इसी रेडियम को देखकर कातिल ने अंधेरे में गोली चलाई होगी। वह लॉरेन की लाश को स्टोर रुम में रखवा देता है। बाद में सिक्योरिटी वाले बताते हैं कि जब वो जैक का कमरा चेक
कर रहे थे तो उन्हें बगल वाले कमरे से कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई दीं।

सुयश उस रुम में जाकर चेक करता है तो पता चलता है कि वो रुम शैफाली का है और वह विचित्र सी आवाज ब्रूनो के दरवाजा खुरचने की वजह से आ रही थी। तभी शैफाली उसे कातिल की कुछ आदतों के बारे में बताती है। सुयश भी शैफाली के तर्क सुनकर शैफाली से प्रभावित हो जाता है।

तभी एक सिक्योरिटी का आदमी आकर बताता है कि कंट्रोलरुम में कोई दरवाजा नहीं खोल रहा है। सुयश कंट्रोलरुम का इमर्जेंसी दरवाजा खुलवाता है। कट्रोलरुम के सभी सदस्य शराब के नशे में बेहोश पड़े थे।

तभी उन्हें फ्लोरिडा से एक मैसेज मिलता है कि उनका जहाज गलत दिशा में भटक कर बारामूडा त्रिकोण के खतरनाक क्षेत्र में पहुंच गया है।

तभी जहाज के ऊपर से एक नीली रोशनी बिखेरती उड़नतश्तरी निकलती है। जिसके बाद जहाज के सारे इलेक्ट्रानिक यंत्र खराब हो जाते हैं। अभी सब लोग ठीक से समझ भी नहीं पाते हैं कि तभी ‘सुप्रीम’ के आगे एक विशालकाय भंवर आ जाती है जिसमें सुप्रीम फंस जाता है। सुयश के अनुभव और सूझबूझ से चालक दल जहाज को भंवर से निकालने में सफल हो जाते हैं।

मगर भंवर से बचने के चक्कर में सुप्रीम बारामूडा त्रिकोण के क्षेत्र में और अंदर पहुंच जाता है।
सुयश सही रास्ते को पता करने के लिये रोजर को हेलीकॉप्टर से भेजता है, जहां एक रहस्यमय द्वीप को देखते हुए रोजर का हेलीकॉप्टर दुर्घटना ग्रस्त हो जाता है।

उधर सुयश के कपड़े एक ब्लूव्हेल भिगो देती है, जिससे ब्रैंडन को सुयश की पीठ पर बना एक सूर्य का टैटू दिख जाता है। उसी रात शैफाली के सोते समय कोई उसके पास एक सोने का सिक्का छोड़ जाता है। अलबर्ट बताता है कि यह सोने का सिक्का प्राचीन लुप्त शहर अटलांटिस का है, जिस पर वहां की देवी और एक डॉल्फिन का चित्र अंकित था।

उसी समय शैफाली को फिर सपने आते हैं, जिसमें उसे एक रहस्यमय द्वीप और एक सुनहरा मानव दिखाई देता है।

अगले दिन असलम को वही रहस्यमय द्वीप दिखाई देता है, पर सुयश जहाज को उस द्वीप की ओर मोड़ने से मना कर देता है। सुयश लारा को ब्लैक थंडर नामक एक जहाज की कहानी सुनाता है, जो 16 वर्ष पहले सुप्रीम की ही भांति बारामूडा त्रिकोण में खो गया था। तभी लारा और सुयश को एक परछाई, अपने कंधे पर कोई चीज उठाए, भागती दिखाई देती है। दोनों उसका पीछा करते हैं, पर वह परछाई पानी में कूद जाती है।

सुयश और लारा वहां डेक पर खड़े अलबर्ट से पूछताछ करते है। पर उससे कुछ खास पता नहीं चलता। सुयश को डेक की रेलिंग पर एक फटा हुआ कपड़ा मिलता है, जो वह अपने पास रख लेता है। तभी इन
सभी को क्रिस्टी की चीख सुनाई देती है। जब ये सब क्रिस्टी के कमरे में पहुंचते हैं तो इन्हें एक खतरनाक हरा कीड़ा दिखाई देता है, जो कि वहां खड़े एक गार्ड को मार देता है। तौफीक उस कीड़े को गोली मार देता है।

अलबर्ट बताता है कि उस कीड़े को इसके पहले साइबेरिया में देखा गया था। गार्ड की लाश को भी स्टोर रुम में रखने के लिये भेज दिया जाता है। तभी गार्ड की लाश को ले जाने वाले दोनो व्यक्ति भागकर आते हैं और बताते हैं कि लॉरेन की लाश स्टोर रुम से गायब हो गयी है। सुयश सहित सभी व्यक्ति जब भागकर स्टोर रुम पहुंचते हैं, तो वहां लॉरेन की लाश के साथ अभी मरे गार्ड की लाश को भी गायब पाते हैं।

सुयश ब्रूनो को गायब हुई लॉरेन की लाश की जगह सुंघाता है, तो ब्रूनो भागकर एक डेक पर आ जाता है, जहां सुयश को एक रुमाल मिलता है, जो शायद लाश गायब करने वाले का था। उस रुमाल पर अंग्रेजी के ‘जे’ या उर्दू के ‘लाम’ जैसी आकृति बनी होती है। बहुत देर के वाद-विवाद के बाद भी सुयश को पता नहीं चलता कि वह रुमाल किसका है? सुयश दोबारा स्टोर रुम में आकर ब्रूनो को फिर वह जगह सुंघा कर पीछे की तरफ जाने का इशारा करता है।

इस बार ब्रूनो जेनिथ के रुम के दरवाजे पर पहुंच जाता है। दरवाजा खोलने पर जेनिथ के कमरे का सारा सामान बिखरा हुआ दिखाई देता है, ऐसा लगता है जैसे किसी ने कमरे की तलाशी ली हो। एक बार फिर स्टोर रुम में जाकर सभी गार्ड की लाश की जगह की जांच करते हैं तो अलबर्ट को एक खिड़की के पास समुद्र का पानी गिरा हुआ दिखता है। ऐसा महसूस होता है कि जैसे को ई खिड़की के द्वारा समुद्र से आकर गार्ड की लाश ले गया हो?

उधर न्यूयार्क बंदरगाह पर राबर्ट और स्मिथ के पास एक व्यक्ति आकर, स्वयं को सुप्रीम का सेकेण्ड असिस्टेंट कैप्टेन असलम बताता है। वह कहता है कि कोई उसे बेहोश कर उसकी जगह लेकर सुप्रीम पर चला गया है। जिसके बाद इस केस को हल करने के लिये जेरार्ड सी.आई.ए के काबिल एजेंट व्योम को इस मिशन पर भेज देता है।

उधर सुयश को दूसरी बार वही रहस्यमयी द्वीप दिखाई देता है। सुयश फिर उस द्वीप पर नहीं जाने का विचार करता है, पर लारा सुयश को जबरदस्ती मना कर 2 गार्ड के साथ उस द्वीप की ओर चल देता है, पर पानी में मौजूद कोई रहस्यमय जीव लारा और दोनों गार्ड को मार देता है।

दूसरी ओर व्योम को समुद्र में वही रहस्यमय द्वीप दिखाई देता है, व्योम हेलीकॉप्टर से उस रहस्मय द्वीप के पीछे जाने की कोशिश करता है, पर उसे वह द्वीप पानी पर घूमता दिखाई देता है। उस द्वीप पर उसे पोसाइडन पर्वत के पास एक झोपड़ी हवा में उड़ती हुई दिखाई देती है।

इसके बाद उसका हेलीकॉप्टर द्वीप से निकली रहस्यमय तरंगों का शिकार होकर हवा में लहराने लगता है। व्योम हेलीकॉप्टर को सुरक्षित पानी पर उतारने में सफल हो जाता है, वह अब हेलीकॉप्टर को बोट बनाकर द्वीप की ओर बढ़ने लगता है। तभी पीछे से आई एक विशालकाय पानी की लहर व्योम की बोट को तोड़ देती है और व्योम पानी में गिरकर बेहोश हो जाता है। बेहोश होने से पहले वह देखता है कि वह किसी सुनहरे मानव के हाथों में है।

सुप्रीम पर ऐलेक्स को कुछ हरे कीड़े दिखा ई देते हैं। वह ये बात सुयश और ब्रैंडन को बता देता है। बाद में अलबर्ट के साथ जब सभी उसके कमरे में पहुंचते हैं तो उन्हें अलबर्ट की पत्नि मारिया अपनी जगह से
गायब दिखाई देती है, जिसके बाद अलबर्ट अर्द्धविक्षिप्त सा हो जाता है।

सुयश और ब्रैंडन दोबारा गश्त पर निकलते हैं तभी जॉनी सीढ़ियों से आकर उनके पास गिरता है और डेक पर जाकर लोथार को बचाने को कहता है। सुयश ब्रैंडन के साथ जब डेक पर पहुंचता है तो उसे लोथार डेक की रेलिंग पर खड़ा दिखाई देता है। सुयश के मना करने के बाद भी लोथार एक ओर इशारा करके पानी में कूद जाता है।

जब सुयश की नजर उस दिशा में जाती है तो उसे वहां एक साया खड़ा हुआ दिखाई देता है। सुयश उसे पकड़ने की कोशिश करता है, पर वह साया भी पानी में कूद जाता है। सुयश के हाथ में उस साये का फटा हुआ कॉलर आ जाता है, जिस पर रोजर के नाम की नेम प्लेट लगी होती है।

दूसरी तरफ ब्रैंडन पानी में गिरे लोथार को बचाने की बहुत कोशिश करता है, पर लोथार को पानी में
मौजूद कोई अंजान जीव खींच ले जाता है। बाद में जॉनी बताता है कि उसने लॉरेन की आत्मा को देखा था, जो कि लोथार को अपनी ओर बुला रही थी।

अभी ये लोग डेक पर खड़े ही होते हैं कि तभी इन्हें पानी पर दौड़ता हुआ एक सुनहरा मानव दिखा ई देता है जो कि एक दिशा की ओर इशारा करके गायब हो जाता है। सुयश जहाज को उसी दिशा में मोड़ लेता है।

सुप्रीम के डेक पर खड़े ऐलेक्स को एक पहाड़ी तोता ऐमू दिखाई देता है, जो कि जाने क्यों सुयश को अपना दोस्त बताने लगता है। सुयश इस बार सुप्रीम को ऐमू के आने वाली दिशा में मोड़ देता है।

थॉमस अपनी लैब में बैठा, लॉरेन के कत्ल के समय जमा किये सभी रुमाल चेक कर रहा था । अचानक उसे लॉरेन के कातिल का पता चल जाता है। तभी लॉरेन का कातिल वहां पहुंचकर थॉमस को भी मार देता है और लैब से सारे सबूत मिटाने के लिये लैब में आग लगा देता है।

उधर शैफाली को इस बार खुली आँखों से सपने दिखाई देते हैं, जिसके बारे में सुनकर असलम घबरा जाता है। शैफाली असलम से ऐसे सवाल करती है कि सुयश को असलम पर शक हो जाता है। सुयश ड्रेजलर से इस बात की पुष्टि भी कर लेता है कि न्यू ईयर की रात असलम ने ही सबको शराब पिलाई थी।


जारी रहेगा_______✍️
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया वैसे कहानी का सारांश भी मस्त हैं
 

Ajju Landwalia

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#112.

महाबली हनुका

(11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 14:30, अटलांटिक महासागर)

हनुका ने अपनी पूरी जिंदगी महा..देव के साधना में लगा दी थी।

देव के आशीर्वाद स्वरुप आज से हजारों साल पहले ही उसे गुरुत्व शक्ति प्राप्त हो गयी थी। पर आज उसी गुरुत्व शक्ति की रक्षा के लिये गुरु नीमा ने उसे भेजा था।

इस समय हनुका आकाश मार्ग से तेजी से लुफासा के पीछे जा रहा था। हांलाकि उसे लुफासा अभी तक नजर नहीं आया था, पर गुरुत्व शक्ति से मिल रहे संकेतों से उसे लग रहा था कि बस वह अब लुफासा तक पहुंचने ही वाला है।

हनुका को जाने क्यों आज अपना बचपन याद आ रहा था। वह बिल्कुल नन्हा सा था, जब महा.. ने नीलाभ के विवाह में उपहार स्वरुप उसे नीलाभ को सौंप दिया था।

तब से नीलाभ ने ही उसे पाला था और बिल्कुल अपने बालक की तरह प्यार दिया था। हनुका भी नीलाभ को अपने पिता समान ही समझता था।

नीलाभ ने हनुका को कभी यति नहीं समझा और उसे असीम और विलक्षण ज्ञान दिया, पर जब से नीलाभ हिमालय से गायब हुए थे, उसने अपना बाकी जीवन हिमलोक की सेवा और महा..देव की साधना में लगा दिया था।

तभी हनुका की सोच पर विराम लग गया।

उसे अपने कुछ आगे उड़कर जाता हुआ, ड्रैगन बना लुफासा दिखाई दिया, जो पीछे आ रहे खतरे से बेखबर, गुरुत्व शक्ति की डिबिया अपने पंजों में दबाये, तेजी से अराका द्वीप की ओर उड़ा जा रहा था।

अराका द्वीप बस अब आने ही वाला था।

हनुका ने अपने उड़ने की गति थोड़ी और बढ़ाई और फिर ड्रैगन के सामने जा कर हवा में खड़ा हो गया।

“रुक जाओ मूर्ख दैत्य।” हनुका ने गरज कर कहा- “चुपचाप गुरुत्व शक्ति मेरे हवाले कर दो, मैं आपको जीवनदान दे दूंगा।”

लुफासा पहले तो हवा में उड़ते यति को देखकर हैरान रह गया, पर फिर हनुका के शब्दों को सुनकर वह समझ गया कि यह यति उसका पीछा करता हुआ हिमालय से आया है।

लुफासा एक पल में समझ गया कि यह यति भी मायावी है। इसलिये वह भी हवा में रुककर हनुका की अगली प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगा।

तभी हनुका ने मुंह खोलकर एक जोरदार गर्जना की।

हनुका की गर्जना इतनी शक्तिशाली थी कि ड्रैगन बना लुफासा गर्जना के वेग से कुछ कदम पीछे हो गया।

मात्र एक गर्जना से ही लुफासा जान गया कि हनुका बहुत शक्तिशाली है।

लुफासा ने हनुका की गर्जना का जवाब देने के लिये अपना ड्रैगन रुपी मुंह खोलकर एक जोर की आग हनुका पर उगल दी।

इतनी तेज आग के पीछे हनुका का पूरा शरीर ढक गया।

लुफासा को लगा कि हनुका उस आग में जल गया होगा। पर जैसे ही आग समाप्त हुई, लुफासा को हनुका मुस्कुराता हुआ वहीं खड़ा दिखाई दिया।

“आप मुझ पर आग बरसा रहे हैं दैत्यराज।” हनुका ने हंसते हुए कहा- “चलिये पहले आप अपने मन की और भी इच्छाएं पूरी कर लीजिये, फिर बताता हूं आपको कि हनुका क्या चीज है?”

“यह कैसा जीव है? इस पर तो आग का बिल्कुल प्रभाव नहीं पड़ा।” लुफासा ने मन ही मन सोचा और इस बार अपना मुंह खोल हनुका पर बर्फ का सैलाब उगल दिया।

हनुका बर्फ के सैलाब से पूरा का पूरा बर्फ की चट्टान मे बदल गया, मगर फिर एक झटके से हनुका बर्फ को तोड़कर बाहर आ गया।

“यह नकली बर्फ थी और पूर्णतया अशुद्ध थी। मैं तो हजारों वर्षों तक असली बर्फ में सोता हूं। बर्फ से आप मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। कोई और शक्ति हो तो उसका प्रदर्शन करिये दैत्यराज?” हनुका ने हंसते हुए कहा।

लुफासा ने इस बार तेजी से आगे बढ़कर हनुका को अपने मुंह में भर लिया और अराका की ओर आगे बढ़ गया। अब लुफासा को अराका दिखाई देने लगा था। वह आसमान से नीचे की ओर उतरने लगा।

उधर ड्रैगन के मुंह में मौजूद हनुका के हाथ के नाखून आश्चर्यजनक ढंग से काफी बड़े हो गये।

हनुका ने अपने नुकीले नाखूनों से ड्रैगन का मुंह ही फाड़ डाला और बाहर आ गया।

मुंह फटने की वजह से ड्रैगन बुरी तरह से घायल हो गया। लुफासा ने यह देख, ड्रैगन के मरने के पहले ही, रुप बदल कर एक छोटी सी चिड़िया में परिवर्तित हो गया।

“अरे वह ड्रैगन की लाश कहां गायब हो गयी ?”

हनुका ने आश्चर्य से इधर-उधर देखा।
तभी हनुका को एक छोटी सी चिड़िया गुरुत्व शक्ति की डिबिया लिये आसमान से नीचे जाती हुई दिखाई दी।

यह देख हनुका का शरीर भी छोटा होकर चिड़िया के बराबर हो गया।

अब हनुका चिड़िया के बगल में उड़ता हुआ बोला- “अच्छा तो आप मायावी राक्षस हो और रुप बदलने की कला भी जानते हो। पर हे दैत्यराज, आप चाहे जितने भी रुप बदल लो, या फिर बड़े-छोटे हो जाओ, पर आप गुरुत्व शक्ति की डिबिया को छोटा-बड़ा नहीं कर सकते। इस प्रकार किसी भी रुप में मैं आपको पहचान जाऊंगा। पर अब मैं आप जैसे मूर्ख पर और समय नष्ट नहीं करुंगा।”

यह कहकर हनुका ने चिड़िया बने लुफासा को एक जोर का घूंसा जड़ दिया।

इतना शक्तिशाली घूंसा खाकर लुफासा पर बेहोशी छा गयी और गुरुत्व शक्ति की डिबिया उसके हाथों से छूटकर जमीन की ओर जाने लगी।

हनुका डिबिया को नीचे गिरता देख, तेजी से डिबिया के पीछे लपका, पर इससे पहले कि हनुका डिबिया को अपने हाथों से पकड़ पाता, वह बहुत तेजी से किसी अदृश्य दीवार से जा टकराया।

टक्कर बहुत भयानक थी। एक पल के लिये हनुका को कुछ समझ नहीं आया।

तभी वह डिबिया भी अदृश्य दीवार से टकरा कर खुल गयी और उसमें से गुरुत्व शक्ति निकलकर तेजी से जमीन की ओर बढ़ने लगी।

हनुका ने अदृश्य दीवार को हाथ से टटोलकर महसूस किया। अदृश्य दीवार को हाथ से छूते ही हनुका आश्चर्य से भर उठा-

“अरे यह तो माता की शक्तियां हैं, पर उनका तो पिछले 20000 वर्षों से कुछ पता नहीं है…… और वह इस अंजान द्वीप पर इतनी दूर कैसे पहुंची? मैं माता की शक्तियों से बने इस अदृश्य कवच को खंडित नहीं कर सकता और वैसे भी अब काफी देर हो चुकी है, अब तक तो गुरुत्व शक्ति भूमि पर गिरकर नष्ट भी हो गयी होगी। लगता है मुझे खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ेगा।”

तब तक आसमान से लुफासा भी गायब हो गया था। अतः अनमने मन से हनुका खाली डिबिया को उठा हिमालय की ओर उड़ चला।

माया रहस्य

(19,110 वर्ष पहलेः दि ग्रेट ब्लू होल, बेलिज शहर के पास, कैरेबियन सागर)

सेण्ट्रल अमेरिका यानि कैरेबियन सागर के बेलिज शहर से 70 किलोमीटर दूर, लाइट हाऊस रीफ के पास स्थित है- दि ग्रेट ब्लू होल।

दि ग्रेट ब्लू होल, समुद्र के अंदर लगभग 300 मीटर के क्षेत्रफल में फैली, एक विशाल गोल गड्ढे की आकृति है।

यह विशालकाय गड्ढा पानी के अंदर कैसे बना? यह कोई नहीं जानता। इस गड्ढे का आकार इतना ज्यादा गोल है कि यह मानव निर्मित प्रतीत होता है।

124 मीटर गहरा यह अंडर वॉटर सिंकहोल, विश्व के सबसे खूबसूरत और रहस्यमयी क्षेत्रों में गिना जाता है।

समुद्र के अंदर की ओर इस गहरे गड्ढे में अनगिनत पहाड़ी गुफाओं का जाल सा बना है। किसी को नहीं पता कि इन गुफाओं में किस गुप्त शक्ति का वास है? इन्हीं अंजान गुफाओं के अंदर एक कमरे में कैस्पर, मैग्ना और माया बैठे थे।

“माँ, हमने आपके लिये समुद्र की लहरों पर एक खूबसूरत महल का निर्माण किया है।” मैग्ना ने कहा- “हम चाहते हैं कि अब आप इन गुफाओं से निकलकर हमारे साथ उस खूबसूरत महल में रहें।”
यह कहकर मैग्ना ने अपने हाथ में पकड़ा, रोल किया हुआ एक कागज खोलकर माया के सामने रख दिया।

कागज के टुकड़े पर एक चलता-फिरता महल का त्रिआयामी (3D) चित्र दिखाई दे रहा था।

माया ने एक बार ध्यान से महल को देखा और फिर मुस्कुराई।

तभी वातावरण में माया की आवाज गूंजी- “मुझे खुशी है कि तुम दोनों ने बिना किसी बाहरी मदद के, स्वयं से इतने सुन्दर महल की रचना की। मुझे लगता है कि मैंने तुम दोनों को विद्या देकर कोई गलती नहीं की।
पर....पर मैं तुम लोगों के साथ उस महल में रहने के लिये नहीं चल सकती।”

“क्यों माँ....आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है? जो आपको इन समुद्री गुफाओं से जोड़े हुए है।” कैस्पर ने माया से पूछा- “ऐसा क्या है जिसकी वजह से आप किसी से बात नहीं करतीं ?... किसी से भी मिलती नहीं हैं? आज तो आपको बताना ही पड़ेगा कि आपके इस प्रकार छिपकर समुद्र में रहने के पीछे क्या रहस्य है?”

यह सुनकर माया के चेहरे पर कुछ दर्द के भाव उभरे और फिर वातावरण में माया की आवाज उभरी- “ठीक है बेटा, मैं आज तुम दोनों को अपनी कहानी सुना ही देती हूं। शायद अब ये सबकुछ बताने का उचित समय भी है। तो फिर सुनो मैं तुम्हें आज हिं...दू धर्म की एक कहानी सुनाती हूं।”

“सनातन धर्म के बारे में आप हमें लगभग सबकुछ बता चुकी हैं” मैग्ना ने कहा- “यहां तक कि हम उनके देवी -देवताओं के बारे में भी सबकुछ जानते हैं। क्या आपकी कहानी उससे कुछ अलग है? या कुछ ऐसा है जिसके बारे में हम नहीं जानते?”

पर माया ने मैग्ना के सवालों का जवाब नहीं दिया, उसकी आवाज का गूंजना लगातार जारी था।

“जिधर से सूर्य उगता है, उस____ दिशा में तीन ओर से समुद्र, पहाड़ और बर्फ से घिरा एक उपमहाद्वीप है जिसे हम जम्बूद्वीप के नाम से जानते हैं, वहीं पर पृथ्वी की शुरुआत में ही इस धर्म का उदय हुआ था। इस धर्म के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति ब्रह्म..देव ने अपने हाथों से की थी। पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद ब्रह्म..देव ने मनुष्यों के निर्माण के बारे में सोचा।

इसके लिये उन्होंने बिना किसी स्त्री के, स्वयं के द्वारा कुछ मानसपुत्रों को जन्म दिया। इन्हीं प्रमुख 10 मानसपुत्रों से सृष्टि का प्रारम्भ हुआ। ब्रह्म..देव के एक मानसपुत्र का नाम ‘मरीचि’ था, जिन्हें ‘द्वितीय ब्रह्मा’ के नाम से भी जाना जाता है।

मरीचि के तीन पत्नियां थीं- संभूति, कला और ऊर्णा। मरीचि और कला से ‘कश्यप’ नामक पुत्र का जन्म हुआ। महर्षि कश्यप का विवाह प्रजापति दक्ष की 13 पुत्रियों से हुआ और इसी के साथ सृष्टि के हर जीव का प्रारम्भ हुआ।

महर्षि कश्यप की पहली पत्नि ‘अदिति’ से उत्पन्न हुए सभी पुत्र आदित्य यानि कि देवता कहलाये।

महर्षि कश्यप की दूसरी पत्नि ‘दिति’ से उत्पन्न हुए सभी पुत्र दैत्य कहलाये। इसी प्रकार महर्षि कश्यप की अन्य पत्नियों से बाकी जीवों का उत्पत्ति हुई।

महर्षि कश्यप और दिति के एक बलशाली पुत्र का नाम ‘मयासुर’ था। मयासुर को दैत्यराज भी कहा जाता था। मयासुर भगवान शि..व के बहुत बड़े भक्त थे। मयासुर ज्योतिष और खगोलविद् भी थे। प्रसिद्ध पुस्तक ‘सूर्य सिद्धान्तम’ की रचना मयासुर ने ही की थी। मयासुर के पास पत्थर को भी पिघलाकर आकार देने की शक्ति थी।

मयासुर को इतिहास में अपने एक से बढ़कर एक शहर की रचनाओं के लिए जाना जाता रहा है। एक बार जब देवताओं और दैत्यों के बीच युद्ध हुआ तो महा शि..व ने सारे दैत्यों को जलाकर राख कर दिया। तब मयासुर ने 12 वर्षों तक एक सूखे कुंए मे रहकर तप किया। जिसके फलस्वरुप महाशि..व ने सभी दैत्यों को पुनर्जीवन दान दिया।

जब मयासुर उस कुंए से निकलकर जाने लगे तो उनकी निगाह कुंए में बैठे 2 जीवों पर गई। वह जीव एक मेढकी और एक कोयल थी। दोनो ही जीव कालान्तर में किसी ना किसी श्राप से प्रभावित अप्सराएं थीं, जो कि 12 वर्ष तक मयासुर के साथ शि..व की तपस्या में रत थीं। मयासुर ने दोनों ही जीवों को वापस अप्सरा का रुप प्रदान कर, उन्हें अपनी पुत्री रुप में स्वीकार कर लिया। मयासुर ने मेढकी का नाम मन्दोदरी रखा और कोयल का नाम माया रखा।”

“इसका मतलब आप पहले अप्सरा थीं।” मैग्ना ने कहानी सुना रही माया को बीच में ही टोकते हुए कहा।

“हाँ , मेरा नाम पहले मणिका था, भगवान गणे..श को चिढ़ाने की वजह से उन्होंने मुझे श्राप देकर कोयल बना दिया था।” माया ने कहा और फिर कहानी सुनाना शुरु कर दिया-

“मयासुर ने मुझे और मन्दोदरी दोनों को वचन दिया कि वह हम दोनों का विवाह विश्व के सबसे बड़े शि..व भक्त और महायोद्धा से करेंगे।

मयासुर हम दोनों को ही अपनी कलाएं सिखाने लगे। कुछ वर्षों के बाद मयासुर को पता चला कि किसी महाबली ने शि..व के निवास स्थान कैलाश को भी उठाने की कोशिश की थी। मयासुर ने उस महाबली के बारे में पता किया।

वह महाबली लंका का राजा रावण था। मयासुर ने मन्दोदरी का विवाह रावण के साथ कर दिया। कुछ समय बाद उन्हें एक और महाबली शिवभक्त नीलाभ के बारे में पता चला। उन्होंने नीलाभ के साथ मेरा विवाह कर दिया।

विवाह के पश्चात मुझे पता चला कि नीलाभ समुद्र मंथन से निकले कालकूट नामक विष से उत्पन्न हुआ है, जिस वजह से वह अत्यन्त जहरीला है। अब मैं विवाहोपरांत नीलाभ से सम्बन्ध नहीं बना सकती थी।

तभी मुझे भगवान गणे..श के दिये श्राप का ध्यान आया। उन्होंने कहा था कि शादी के 20000 वर्षों तक मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं होगी। अब मैं काफी उदास रहने लगी।

नीलाभ ने कुछ दिनों के बाद हिमालय पर एक अद्भुत विद्यालय ‘वेदालय’ की रचना करने का निर्णय लिया, जिसमें पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों से छात्र पढ़ने आते और वेदों के द्वारा शिक्षा ग्रहण करते।

मुझे नीलाभ का यह विचार बहुत पसंद आया। इसलिये मैंने 5 वर्षों तक कड़ी मेहनत कर हिमालय पर 15 विचित्र लोकों का निर्माण किया। निर्माण के बाद मैं वापस नीलाभ के महल में आ गयी, पर अब पुत्र के बिना मुझे बेचैनी सी महसूस होने लगी।

अंततः मैंने नीलाभ को चुपचाप छोड़कर जाने का निर्णय किया। एक रात जब नीलाभ सो रहा था, तो मैं चुपके से महल के बाहर आ गयी और सुदूर जंगलों में जा कर भगवान गणे…श की आराधना करने लगी।

800 वर्षों के अथक तप के बाद भगवान ने मुझे दर्शन दिये। मैंने उनसे पुत्र रत्न की कामना की। उन्होंने कहा कि मुझे 20000 वर्षों तक समुद्र के अंदर किसी गुप्त स्थान पर छिपकर रहना होगा और इन वर्षों के अवधि में प्रत्येक दिन विश्व के सबसे जहरीले नाग और नागिन का जहर रोज चखना होगा।

तब जाकर मेरा शरीर नीलाभ के योग्य बन जायेगा और मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो जायेगी। मैंने यह बात अपने पिता मयासुर को बतायी। यहां पर भाग्य ने मेरा साथ दिया क्यों कि विश्व का सबसे जहरीला नाग तक्षक मेरे पिता का दोस्त था।

तक्षक सहर्ष ही मुझे अपना विष देने को तैयार हो गया। अब मुझे तलाश थी एक ऐसे स्थान की जो पूर्णतया गुप्त हो और जहां मैं रहकर विष का सेवन कर सकूं। कुछ ही दिनों में मुझे यह स्थान मिल गया ।

मैंने यहां समुद्र की गुफाओं के अंदर अपना महल बनाने का विचार किया। एक दिन एक मनुष्य ने मुझे समुद्र के तट पर देख लिया। वह मुझे कोई देवी समझ मेरी पूजा करने लगा। अब उस मनुष्य को बचाना मेरा कर्तव्य बन गया।

मैंने पानी के तट के पास एक सभ्यता का निर्माण किया। जो बाद में मेरे नाम से ‘माया सभ्यता’ कहलायी। मैंने उस मनुष्य को ज्योतिष और खगोल विज्ञान सिखाया और देवी देवताओं के बारे में बताया।

मुझे इस स्थान पर अपना महल बनाने और माया सभ्यता को विकसित करने में 80 वर्ष लग गये। बाद में मैं इसी महल में आकर रहने लगी।

इन 80 वर्षों में मुझे विश्व की सबसे जहरीली नागिन मिल गयी थी और वह थी गार्गन फैमिली की 3 बहनों में से एक ‘यूरेल’। उस समय तक पर्सियस मेडूसा को मार चुका था। यूरेल मुझे अपना विष देने को तैयार हो गयी, पर एक शर्त के अनुसार मुझे उसके द्वारा दी गयी एक बच्ची को दुनिया से छिपा कर रखना था।

ऐसा वह क्यों कर रही थी? इसका मुझे पता ना चला। मैंने इस शर्त को स्वीकार कर लिया और उस बच्ची को लेकर अपने महल आ गयी। बच्चे वैसे भी मुझे पहले से ही पसंद थे। इस वजह से मैंने उस बच्ची को
अपनी बेटी की तरह पाला और उसका नाम मैग्ना रखा।”

“तो.... तो..... क्या मैं गार्गन परिवार की विषकन्या यूरेल की बेटी हूं?” मैग्ना ने आश्चर्य से पूछा।

“इस बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता।” माया ने कहा- “इस बारे में तो तुम्हें यूरेल ही बता सकती है। उसने तुमसे 20 वर्ष तक यह राज छिपाने को भी कहा था।”

“तो अब मेरे बारे में भी बता दीजिये कि मैं कौन हूं?” कैस्पर ने आशा भरी नजरों से माया की ओर देखते हुए कहा।

“अभी इसका समय नहीं आया है कैस्पर।” माया ने कैस्पर की ओर देखते हुए कहा- “तुम्हें अभी थोड़ी और शक्तियां बटोरनी होंगी। उसके बाद ही मैं तुम्हें तुम्हारे बारे में बताऊंगी। अच्छा अब मेरी कहानी छोड़ो, तुम लोग कुछ अपने बारे में बताओ? अब आगे क्या करने का इरादा है तुम लोगों का?”

अचानक कैस्पर को पोसाईडन का ध्यान आया।

“माँ, क्या आप ग्रीक देवता पोसाईडन को भी जानती हो ?” कैस्पर ने माया से पूछा।

“थोड़ा-थोड़ा ही पता है, कुछ खास नहीं।” माया ने अपने चेहरे के भावों को छिपाते हुए कहा।

“माँ, पोसाईडन समुद्र के देवता हैं।” कैस्पर ने कहा- “कल वह हमारा महल देखने आये थे। महल देखकर वह बहुत खुश हुए। अब वह हमसे वैसा ही महल स्वयं के लिये बनवाना चाहते हैं। वह तो आपसे भी
मिलना चाहते थे, पर हमने मना कर दिया। क्या हमें उनका महल बनाना चाहिये?”

“तुम्हारी स्वयं की क्या इच्छा है कैस्पर?” माया ने उल्टा सवाल करते हुए कहा- “क्या तुम उनका महल बनाना चाहते हो?”

“देवताओं का सानिध्य हमेशा फलदायी होता है।” मैग्ना ने बीच में टोकते हुए कहा- “अगर हम उनका महल बनायेंगे तो हम हमेशा देवताओं की नजर में सुरक्षित रहेंगे।”

“हमेशा देवताओं की नजदीकी अच्छी नहीं होती मैग्ना।” माया ने एक गहरी साँस भरते हुए कहा- “ग्रीक देवताओं का कुछ पता नहीं रहता ? कि वह कब दोस्त से दुश्मन बन जायें और तुम पर ही हमला करने लगें।”

“मैं कुछ समझा नहीं ।” कैस्पर ने चकित होते हुए कहा- “क्या देवताओं की भविष्य में हमसे कोई दुश्मनी भी हो सकती है माँ ?”

“भविष्य को किसने देखा है, भविष्य में तो कुछ भी छिपा हो सकता है?” माया के शब्दों में रहस्य ही रहस्य नजर आ रहा था- “पर ठीक है अगर तुम लोगों ने पोसाईडन का महल बनाने का विचार कर ही लिया है,
तो एक बात ध्यान से अवश्य सुन लो।

तुम लोग देवताओं के लिये जिस भी प्रकार के भवन, महल, शहर या द्वीप का निर्माण करोगे, उसमें कुछ ना कुछ ऐसी शक्तियां जरुर छोड़ दोगे, जो किसी की भी जानकारी में नहीं रहेगी, परंतु समय पड़ने पर उस महल का अधिकार, उस गुप्त शक्ति की वजह से आसानी से तुम्हारे हाथ में आ जाये। तब मुझे तुम्हारे किसी भी निर्माण से कोई आपत्ति नहीं होगी।”

“ठीक है माँ, हम आजीवन आपकी इस बात का ध्यान रखेंगे।” मैग्ना ने कहा।

कैस्पर ने भी मैग्ना की बात पर अपनी सहमति जताई।

“चलो ! अब बातें काफी हो गयीं। मैंने तुम लोगों के लिये आज अपने हाथों से तुम्हारी पसंद का भोजन बनाया है। चलो उसे खाते हैं।”

माया यह कहकर कमरे के अंदर की ओर चल दी। कैस्पर और मैग्ना भी खुश हो कर माया के पीछे चल दिये।


जारी रहेगा_______✍️

Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,

Hanuka safal to hua lekin adhura................

Gurutv shakti ko vapis na la saka. gurutv shakti Araka me hi kahi kho gayi...........

Sanatan dharam ke baare me kuch naya janane ko mila aaj..............

Keep rocking Bro
 

Ajju Landwalia

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#113.

चैपटर-3: स्पाइनो-सोरस
(
11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 14:45, मायावन, अराका द्वीप)

सुयश की टीम में सुयश को मिला कर अब सिर्फ 6 लोग ही बचे थे।

घास का मैदान पार करके अब सभी पहाड़ी रास्ते पर आ गये थे। पहाड़ी पर एक पतली पगडंडी पर इन्हें आगे बढ़ना पड़ रहा था। रास्ते में चढ़ान होने की वजह से सभी के चेहरे थके-थके से लग रहे थे।

एक तो पिछले कुछ दिनों से वह लगातार चल रहे थे, दूसरे उनके साथियों के मरने या फिर बिछड़ जाने के कारण उनके जोड़े भी टूट गये थे, जिससे उनका मनोबल कुछ टूट सा गया था।

एक शैफाली थी, जो अभी भी सबको बीच-बीच में कुछ ना कुछ कहकर उनका हौसला बढ़ाये हुए थी।
अलबर्ट को अपनी उम्र के कारण सबसे ज्यादा तकलीफ हो रही थी। उन्होंने शायद ही कभी अपनी जिंदगी में इतना चला होगा।

पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण पोसाईडन की मूर्ति कभी-कभी किसी मोड़ पर, दूर दिखाई दे जाती थी।

पथरीला रास्ता होने के कारण हरियाली भी थोड़ी कम हो गयी थी, जिसकी वजह से सभी को दिन में गर्मी भी ज्यादा लग रही थी। ये तो भला हो कि जंगल में पर्याप्त पानी मिल जाने से, सभी ने अपनी बोतलें पूरी भर ली थीं नहीं तो इतनी गर्मी में इन सबका एक कदम भी बढ़ा पाना मुश्किल हो जाता।

सभी अब पहाड़ की चोटी पर पहुंच गये थे। यहां पर बाकी रास्ते की अपेक्षा जगह कुछ ज्यादा थी। एक तरफ कुछ ऊंची-ऊंची चट्टानें थी, तो दूसरी ओर गहरी खाईं। गहरी खाईं की ओर एक विशाल छायादार पेड़ लगा था, जिसे देखकर अलबर्ट से रहा ना गया और वह बोल उठा-

“कैप्टेन! कुछ देर आराम कर लिया जाये। थकान बहुत ज्यादा हो रही है, अब एक कदम भी आगे बढ़ना मुश्किल लग रहा है।”

“आप ठीक कह रहे हैं प्रोफेसर।” सुयश ने भी सभी पर नजर डालते हुए कहा- “सभी थक गये हैं। हम कुछ देर यहां पर आराम करेंगे फिर आगे बढ़ेंगे। तब तक कुछ खा-पी भी लेते हैं।”

सुयश की बात सुन सबकी जान में जान आयी। सब वहीं पेड़ के नीचे एक पत्थर पर बैठ गये। क्रिस्टी ने बैग से कुछ फल निकालकर सभी में बांट दिये।

सबने फल खा के पेट भर पानी पिया और 10 मिनट आराम करने के लिये उसी पेड़ के नीचे लेट गये।
सुयश सबको लेटे देख एक ऊंची सी चट्टान की ओर चल दिया।

सुयश उस ऊंची सी चट्टान पर चढ़कर दूर-दूर तक देखने की कोशिश करने लगा।
तभी सुयश का पैर फिसल गया और वह जमीन पर गिर पड़ा। भला हो कि खाईं थोड़ी दूर थी, नहीं तो सुयश खाईं में भी गिर सकता था।

सुयश धीरे से खड़ा हो कर वापस नीचे दूर-दूर तक फैली हुई घाटी को देखने लगा। पर सुयश के फिसलने से एक बड़ा सा पत्थर पहाड़ से नीचे की ओर गिर गया।


वह पत्थर लुढ़कता हुआ उस पहाड़ के दूसरी ओर के रास्ते में सो रहे एक विशाल डायनासोर पर गिरा।
पत्थर के शरीर पर लगते ही डायना सोर ने अपनी आँखें खोल दी।

उसने एक क्षण के लिये अपनी नाक को ऊपर उठा कर सूंघा और उठकर खड़ा हो गया।

सुयश का ध्यान इस समय दूसरी ओर था, तभी सुयश के पीछे एक विशालकाय 2 आँखें दिखाई दीं। वह आँखें अकेली नहीं थीं, उनके साथ भारी-भरकम शरीर लिये वही डायनोसोर भी था।

हांलाकि डायनोसोर पहाड़ के दूसरी ओर था, फिर भी उसकी ऊंचाई अधिक होने के कारण वह जेनिथ को दिखाई दे गया।

डायनासोर को देखकर जेनिथ के मुंह से चीख निकल गयी। जेनिथ की चीख सुन सभी का ध्यान उस चट्टान की ओर गया, जिस पर सुयश इस समय खड़ा था।

अब सभी चीखकर सुयश को वहां से भागने के लिये बोलने लगे। सभी को चीखते देख सुयश पीछे पलटा। पीछे पलटते ही उसके सारे रोंगटे खड़े हो गये। डायनासोर अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से उसी को घूर रहा था।

सुयश ने धीरे से डायनासोर को देखते हुए अपने कदमों को पीछे करने की कोशिश की। तभी डायनासोर के मुंह से एक तेज गुर्राहट निकली, अब उसने अपने बड़े-बड़े दाँत दिखाकर सुयश को डराने की कोशिश की।

उसका एक दाँत ही सुयश से बड़ा दिख रहा था। डायनासोर ने अपना मुंह तेजी से सुयश की ओर बढ़ाया, पर सुयश पूरी ताकत लगा कर उस चट्टान से कूद गया। डायनोसोर अपने शिकार को भागता देख, दूसरी ओर से उस चट्टान पर चढ़ने की कोशिश करने लगा।

“नक्षत्रा !” जेनिथ ने अपने मन में नक्षत्रा पुकारा- “क्या तुम इस समय कोई मदद करके हमें बचा सकते हो?”

“मैं एक दिन में सिर्फ आधा घंटा ही समय को रोकना सीख पाया हूं।” नक्षत्रा ने कहा- “पर इस आधे घंटे में तुम सबको उठाकर यहां से भाग नहीं सकती। अब रही बात इस डायनासोर की, तो तुम्हें यह बता दूं कि इस डायनासोर को स्पाइनोसोरस कहते हैं। यह सभी डायनासोर का राजा है।

यह उन सबमें सबसे बड़ा भी होता है। यह पानी और जमीन दोनों पर ही शिकार कर सकता है। इसके सूंघने की शक्ति भी बहुत ज्यादा है, इसलिये तुम किसी को कहीं छिपा भी नहीं सकती। अब बची बात इसे मारने की, तो वह भी संभव नहीं है क्यों कि तुम इतने बड़े स्पाइनोसोरस को बिना किसी हथियार के कैसे मार पाओगी? हां अगर तुम सिर्फ स्वयं बचना चाहो तो आधे घंटे में यहां से दूर भाग सकती हो, जिससे यह स्पाइनोसोरस तुम्हारी गंध नहीं सूंघ पायेगा।”

“असंभव!” जेनिथ ने नक्षत्रा से कहा- “मैं यहां से किसी को भी छोड़कर नहीं भागने वाली। तुम एक काम करना नक्षत्रा, फिलहाल जैसे मैं तुम्हें इशारा करुं, तुम बस समय को रोक देना, बाकी मैं स्वयं से देखती हूं
कि इस स्पाइनोसोरस से कैसे निपटना है?”

तब तक सुयश भागकर, बाकी सभी लोगों के पास आकर, दूसरी चट्टान के पीछे छिप गया।

“कैप्टेन!” अलबर्ट ने डरते-डरते कहा- “यह तो स्पाइनोसोरस है। यह तो लाखों वर्ष पहले ही विलुप्त हो गया था। हे भगवान कैसा है यह द्वीप? अब हम इतने बड़े खतरे से कैसे निपटेंगे?”

“शांत हो जा इये प्रोफेसर, नहीं तो वह हमारी आवाज सुन लेगा।” क्रिस्टी ने कहा।

उधर स्पाइनोसोरस चट्टान पर चढ़ने में कामयाब हो गया। अब वह चट्टान के आसपास सुयश को ढूंढने लगा। जेनिथ जानती थी कि ज्यादा देर तक वह छिपे नहीं रह पायेंगे। वह तेजी से इधर-उधर देखते हुए, स्पाइनोसोरस से बचने के लिये अपना दिमाग चला रही थी।

हथियार के नाम पर तौफीक के पास बस एक चाकू बचा था, पर उससे कुछ नहीं होना था।

चट्टान पर चढ़ा स्पाइनोसोरस अब अपनी नाक उठाकर हवा में कुछ सूंघने की कोशिश करने लगा।
कुछ ही देर में स्पाइनोसोरस को उनकी गंध मिल गयी, अब वह तेजी से चट्टान से उतरने की कोशिश करने लगा।

तभी उसके भारी-भरकम शरीर की वजह से एक बड़ा सा पत्थर हवा में उछला और क्रिस्टी की ओर बढ़ा।

“नक्षत्रा ! समय को रोक दो।” जेनिथ ने एक सेकेण्ड से भी कम समय में नक्षत्रा को समय रोकने के लिये कहा।

नक्षत्रा ने समय को रोक दिया। अब जेनिथ के आसपास की हर चीज फ्रीज हो गयी थी। वह पत्थर क्रिस्टी के बिल्कुल सिर के पास पहुंच गया था, अगर नक्षत्रा एक सेकेण्ड की भी देरी कर देता तो क्रिस्टी का सिर फट जाना था।

जेनिथ ने क्रिस्टी को पकड़कर दूसरी ओर खींचा और नक्षत्रा को समय रिलीज करने को बोल दिया।
उछला हुआ पत्थर क्रिस्टी के बगल में आकर गिरा। क्रिस्टी को लगा जैसे उसे किसी ने पकड़कर खींचा हो।

“यहां पर और भी कोई है?” क्रिस्टी ने फुसफुसा कर सभी से कहा- “मुझे अभी किसी ने पकड़कर खींचा है। अगर वह शक्ति ऐसा ना करती तो मैं तो मर ही जाती।”

सुयश, अलबर्ट और तौफीक ने अपनी दृष्टि चारो ओर दौड़ाई, पर उन्हें कोई नजर नहीं आया।
अभी आश्चर्य व्यक्त करने का समय भी नहीं था, क्यों कि स्पाइनोसोरस अब चट्टान से नीचे आ गया था और फिर से उन्हें सूंघने की कोशिश कर रहा था।

अब वह स्पाइनोसोरस उनसे ज्यादा दूरी पर नहीं था। तभी जेनिथ ने नक्षत्रा को फिर से समय फ्रीज करने को कहा। नक्षत्रा के समय फ्रीज करते ही जेनिथ ने तौफीक के हाथ से चाकू को छीना और भागकर स्पाइनोसोरस के नीचे पहुंच गयी।

अब उसने चाकू से स्पाइनोसोरस के पिछले दोनों पैर को घायल कर दिया और भागकर वापस अपनी जगह पर आकर समय को रिलीज कर दिया।

सुयश सहित सभी की निगाहें स्पाइनोसोरस पर थीं। अचानक स्पाइनोसोरस के पिछले दोनों पैर से खून निकलने लगा और वह लहरा कर धड़ाम से जमीन पर गिर गया।

तभी जेनिथ ने फिर से समय को फ्रीज किया और भागकर गिरे पड़े स्पाइनोसोरस पर चढ़कर, चाकू से उसकी गर्दन पर वार करने लगी। पर स्पाइनोसोरस के गर्दन के पास की त्वचा काफी कठोर थी और
जेनिथ का हाथ बहुत कोमल था, इसलिये चाकू के वार से स्पाइनोसोरस की गर्दन पर कुछ छोटी-मोटी खरोंच ही आ रहीं थीं।

यह देख जेनिथ ने समय ना बर्बाद करते हुए, एक-एक कर स्पाइनोसोरस की दोनों आँखें फोड़ दीं और सबके पास पहुंचकर समय को फिर रिलीज कर दिया।

स्पाइनोसोरस के जमीन पर गिरते ही एक-एक कर, उसकी दोनों आँखें फूट गयीं और उनसे खून की धारा बह निकली। किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि स्पाइनोसोरस को नुकसान कौन पहुंचा रहा है?

आँख के फूट जाने की वजह से स्पाइनोसोरस और खतरनाक हो गया। वह जोर से चिल्लाया और अपनी पूंछ को जमीन पर इधर-उधर पटकने लगा।

स्पाइनोसोरस के ऐसा करने से उसके आसपास के पेड़ टूट-टूट कर जमीन पर गिरने लगे। जेनिथ के पास अब समय रोकने के लिये 15 मिनट ही बचा था। अब उस स्पाइनोसोरस से निपटने के लिये जेनिथ को किसी ठोस प्लान की आवश्यकता थी।

तभी जेनिथ की निगाह खाईं के पास लगे उस पेड़ की एक बहुत ही लचीली, मगर मजबूत शाख पर गयी। जेनिथ के दिमाग में तुरंत एक विचार कौंधा।

उसने समय को एक बार फिर से फ्रीज किया और सुयश की पीठ पर रखे बैग में से एक खाली बैग निकाल लिया। जेनिथ ने जल्दी-जल्दी उस खाली बैग में पेड़ की सूखी पत्तियां भर दीं और उसे खाईं के पास पेड़ के नीचे रख दिया। अब जेनिथ ने उस लचीली शाख को पूरी ताकत लगा कर खींचा और एक जड़ के सहारे उसे पेड़ के एक तने से बांध दिया।

“जेनिथ जल्दी करो अब बस 5 मिनट ही बचा है।" नक्षत्रा ने कहा- “मैं आज समय को इससे ज्यादा नहीं रोक सकता।"

“हां... हां बस हो गया।” इतना कहकर जेनिथ ने चाकू से अपना हाथ एक जगह से काट लिया और अपने खून की बूंदें, पेड़ के नीचे रखे उस काले बैग पर गिराने लगी।

अब जेनिथ के खून से बैग लाल हो गया था। जेनिथ भागकर वापस सभी के पास पहुंची और फर्स्ट एड बॉक्स खोलकर अपने हाथ पर एक दवा छिड़क लिया। दवा की तेज गंध वातावरण में फैल गयी।

अभी भी 2 मिनट का समय शेष था। तभी जेनिथ ने नक्षत्रा को समय को रिलीज करने को बोला।
समय के रिलीज होते ही स्पाइनोसोरस गुस्से में उठ खड़ा हुआ। अंधा हो जाने की वजह से उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, इसलिये वह हवा में जोर-जोर से कुछ सूंघने लगा।

अब उसे जेनिथ के खून की गंध मिल गयी थी और वह लंगड़ाते हुए पेड़ के नीचे रखे उस काले बैग की ओर बढ़ने लगा। जैसे ही स्पाइनोसोरस खाईं के पास रखे उस काले बैग के पास पहुंचा, जेनिथ फिर समय रोककर तेजी से उस पेड़ के पास पहुंची और चाकू के एक वार से उसने पेड़ से बंधी जड़ों को काट दिया।

जड़ों के काटते ही जेनिथ वापस भागकर सबके पास पहुंच गयी और उसने समय को फिर से रिलीज कर दिया। समय को रिलीज करते ही वह लचीली डाल तेजी से हवा में लहराई और ‘सटाक’ की आवाज करती हुई स्पाइनोसोरस से जा टकराई।

स्पाइनोसोरस इस वार को झेल नहीं पाया और लड़खड़ा कर खाईं की ओर गिरने लगा।
आखिरी समय पर स्पाइनोसोरस ने अपने अगले पैरों को पत्थर में फंसा कर स्वयं को खाईं में गिरने से बचा लिया।

सुयश, तौफीक, शैफाली और क्रिस्टी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, पर स्पाइनोसोरस को ना गिरता देख जेनिथ की साँस जरुर रुक गयी। क्यों कि अब उसके पास सबको बचाने का कोई तरीका नहीं बचा था।

तभी जेनिथ की निगाह अपने हाथ में पकड़े चाकू की ओर गयी।
उसने एक पल भी ना सो चा और तेजी से भागती हुई खाईं में लटके डायनासोर के पास पहुंच गई।

इससे पहले कि खाईं में लटका स्पाइनोसोरस वापस ऊपर चढ़ पाता, जेनिथ ने उसके आगे के दोनों पैरों पर चाकू से तेज वार करने शुरु कर दिये।

स्पाइनोसोरस के पैर से खून का फव्वारा निकला और असहनीय दर्द की वजह से स्पाइनोसोरस ने अपने पैरों की पकड़ को ढीला कर दिया। इसी के साथ स्पाइनोसोरस एक गुर्राहट के साथ पहाड़ से नीचे गिर
गया।

जेनिथ इन सब कामों से इतना थक गयी थी कि वहीं पेड़ के पास ही जमीन पर लेट गयी। स्पाइनोसोरस को नीचे गिरता देख सभी भागकर जेनिथ के पास आ गये।

तौफीक की आँखों में जेनिथ के लिये बेइन्तहा आश्चर्य के भाव थे। कोई यकीन भी नहीं कर पा रहा था कि जेनिथ चाकू लेकर स्पाइनोसोरस को पहाड़ के नीचे गिरा देगी।

“तुम ठीक तो होना जेनिथ?” तौफीक ने जमीन पर लेटी हुई जेनिथ के हाथ से चाकू लेते हुए पूछा।
जेनिथ ने धीरे से अपना सिर हां में हिला दिया।

“वाह जेनिथ दीदी ! आपने तो कमाल ही कर दिया।” शैफाली ने जेनिथ की ओर पानी की बोतल को बढ़ाते हुए कहा।

सुयश की आँखों में भी जेनिथ के लिये तारीफ के भाव उभरे, पर उन आँखों में कुछ सवाल भी थे? जैसे ही जेनिथ पानी पीकर थोड़ा नार्मल हो गई, सुयश ने उस पर सवालों की बौछार कर दी-

“अगर हम शुरु से इस घटना के बारे में बात करें तो स्पाइनोसोरस के हमला करते ही क्रिस्टी के
सिर पर जब पत्थर गिरने वाला था, तो किसी अदृश्य शक्ति ने उसे बचाया, फिर हमारी ओर आ रहे स्पाइनोसोरस के पैर से अचानक खून निकलने लगा, फिर उसकी आँखें भी अपने आप फूट गयीं। इसके बाद हमारा काला बैग उसी अदृश्य शक्ति ने खाईं के किनारे रखकर, स्पाइनोसोरस के ऊपर लचीली पेड़ की डाल से हमला किया। यह सभी बातें ये शो कर रहीं हैं कि यहां पर हम लोगों के अलावा भी कोई था? क्या तुम्हें उसके बारे में कुछ पता है जेनिथ?”

“अभी किसी से मेरे बारे में कुछ भी मत बताना जेनिथ।” नक्षत्रा ने जेनिथ को सावधान किया।

“नहीं मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता?” जेनिथ ने सुयश को जवाब दिया- “मैंने तो आखिर में स्पाइनोसोरस पर चाकू से हमला किया बस इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं पता।”

“तो फिर तुम्हारे हाथ में मेरा चाकू कैसे आया ?” तौफीक ने शंकित निगाहों से जेनिथ को घूरते हुए पूछा- “मैंने तो तुम्हें अपना चाकू दिया भी नहीं था।”

“मुझे भी नहीं पता कि मेरे हाथ में तुम्हारा चाकू कब और कैसे आया ?” जेनिथ ने सफाई देते हुए कहा।

“तुम्हा रे हाथ पर यह पट्टी क्यों बंधी है?” सुयश ने पूछा- “इस पर से दवा की खुशबू भी आ रही है। हमने तो तुम्हें चोट लगते या पट्टी बांधते नहीं देखा।”

“यह पट्टी मेरे हाथ में कैसे बंधी ? मुझे भी इसकी कोई जानकारी नहीं है?” कहकर जेनिथ ने अपने हाथ में बंधी पट्टी को खोल दिया। उसे लगा कि अब सभी उसके हाथ की चोट के बारे में जान जायेंगे।

पर पट्टी खोलते ही वह स्वयं आश्चर्यचकित हो गई। उसके हाथ पर कोई भी घाव नहीं था।

“ज्यादा आश्चर्य मत व्यक्त करो दोस्त।” नक्षत्रा ने कहा- “मैंने तुमसे कहा था कि समय आने पर मैं तुम्हें अपनी कुछ और शक्तियों के बारे में बता दूंगा। तो ये है मेरी एक और शक्ति, जिसमें मैं तुम्हारे शरीर को
नुकसान होने पर उन पर उभरे घावों को भी भर सकता हूं।” जेनिथ यह सुनकर खुश हो गई।

“मुझे लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति हम लोगों के साथ है? जो कि समय-समय पर हमें अंजाने खतरों से बचा रही है।” अलबर्ट ने कहा-“और वह शक्ति बहुत तेजी से कार्य करती है, जिससे हम उसको देख नहीं
पाते, बस उसे अपने आसपास महसूस कर पाते हैं।”

“आप सही कह रहे हैं प्रोफेसर।” सुयश ने कहा- “मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है।”

“ऐ अदृश्य शक्ति, हमें ऐसे ही अंजान खतरों से बचाते रहना और हमारा मार्गदर्शन करते रहना। हम सदैव तेरे आभारी रहेंगे।” क्रिस्टी ने आसमान की ओर हाथ जोड़कर अदृश्य शक्ति को धन्यवाद दिया।

इसके बाद सभी पुनः आगे की ओर बढ़ गये।


जारी रहेगा..........

Gazab ki update he Raj_sharma Bhai,

Bhala ho Nakshatra aur Zenith ka.........

In dono ki vajah se hi ye sab bach paye.............

Varna Diansor ne to inka kaam tamam kar hi diya tha............

Keep rocking Bro
 
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