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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

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#130.

सुनहरी हिरनी:
(14 जनवरी 2002, सोमवार, 07:30, लैडन नदी के किनारे, पेलो पोनेसस प्रायद्वीप, ग्रीस)

लैडन नदी का शांत जल सूर्य की झिलमिलाती रोशनी में चमचमा रहा था।

जंगल में पक्षियों का कलरव कानों में मधुर रस घोल रहा था। हवाओं में काफी नमी थी।

आकृति उस नदी के किनारे एक पेड़ पर छिप कर बैठी थी।

ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे किसी का इंतजार हो।

पेड़ की उस झुकी डाल से पानी में आकृति को अपना चेहरा नजर आ रहा था, जो कि इस समय भी शलाका से मिल रहा था।

“जाने कब छूटेगा इस चेहरे से पीछा मेरा? अब तो अपना चेहरा याद भी नहीं है मुझे....वो भी क्या दिन थे... जब आर्यन को सिर्फ मुझसे प्यार था, पर इस मनहूस शलाका ने उसे मुझसे छीन लिया।....पर अब बस अब नहीं चाहिये मुझे यह चेहरा ... अब मुझे कुछ भी करके आज उस सुनहरी हिरनी को पकड़ना ही होगा, अब वहीं मेरी आखिरी उम्मीद है। सुर्वया ने कहा था कि आज वह सुनहरी हिरनी मुझे यहां जरुर मिलेगी।”

यह सोच आकृति ने फिर से अपनी नजरें पेड़ से कुछ दूर बने रास्ते पर लगा दी।

धीरे-धीरे आकृति को पेड़ पर छिप कर बैठे 3 घंटे बीत गये।

इन 3 घंटों में नदी किनारे असंख्य जानवर आये और पानी पीकर चले गये, पर वह सुनहरी हिरनी नहीं आयी, जिसका कि आकृति को इंतजार था।

तभी आकृति को एक बड़ा सा शेर उधर आता दिखाई दिया।

उस भयानक शेर को देख आकृति ने तुरंत अपने हाथ में पहनी एक नीले रंग की अंगूठी का नग अंदर की ओर दबा दिया।

नग के दबाते ही आकृति अदृश्य हो गई, अब वह नजर नहीं आ रही थी।

शेर के चलने का तरीका बड़ा ही रहस्यमयी था, वह चारो ओर देखता धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ा रहा था।

शेर चलते हुए लैडन नदी के किनारे पहुंचा और फिर अपना मुंह पानी में डालकर पानी पीने लगा।

पेट भरकर पानी पीने के बाद उस शेर ने अपना मुंह उठा कर एक जोर की दहाड़ मारी।

वह दहाड़ इतनी तेज थी कि एक बार तो आकृति पेड़ से गिरते-गिरते बची।

तभी बहुत जोर की धम-धम की आवाज सुनाई देने लगी।

ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई बहुत बड़ा जानवर चलता हुआ उस दिशा में आ रहा था।

शेर चुपचाप खड़ा उस दिशा की ओर देखने लगा, जिधर से वह आवाज आ रही थी।

कुछ ही देर में आकृति को उस दिशा से एक सुनहरी हिरनी आती हुई दिखाई दी, जिसका आकार उस शेर से भी बड़ा था।

हिरनी की 12 सींघें सोने की बनी दिख रहीं थीं। हिरनी के पैर भी पीतल के बने नजर आ रहे थे और उसके पूरे शरीर से विचित्र सी सुनहरी रोशनी प्रस्फुटित हो रही थी।

“अरे बाप रे! यह हिरनी है या कोई विशाल सांड? क्या इसे ही पकड़ना है मुझे? पर इसे पकड़ना तो आसान नहीं होगा। यह इतनी खतरनाक है, शायद तभी ‘हरक्यूलिस’ को दिये 12 कार्यों में से एक कार्य इसे पकड़ना था।”

आकृति के दिमाग में उस सुनहरी हिरनी को देख अजीब-अजीब से ख्याल आने लगे।

वह सुनहरी हिरनी अपनी मदमस्त चाल से लैडन नदी के किनारे पहुंच गई।

उसे देख शेर ने नदी का रास्ता उसके लिये छोड़ दिया और अपना मुंह दूसरी ओर घुमाकर, इस तरह से चारो ओर देखने लगा, मानो उस सुनहरी हिरनी की वह रखवाली कर रहा हो।

सुनहरी हिरनी ने नदी में अपना पैर रखा और धीरे-धीरे पूरी की पूरी नदी में समा गई।

आकृति के हाथ में अब मकोटा का दिया नीलदंड नजर आने लगा था। वह पुनः अपनी अंगूठी के नग को दबा कर सदृश्य हो गयी।

आकृति ने अपने नीलदंड को हवा में लहराया।

उस नीलदंड से नीले रंग की रोशनी निकली और नदी किनारे खड़े शेर के मुंह पर पड़ी।

अब हवा में लहराती हुई आकृति शेर के सामने जा खड़ी हुई।

शेर ने आकृति को देखकर दहाड़ने की कोशिश की, पर उसके मुंह से आवाज ना निकली।

एक दो बार और कोशिश करने के बाद शायद शेर समझ गया कि वह दहाड़ नहीं पायेगा, इसलिये उसने अब आकृति को घूरकर देखा और हिंसक भाव से उसकी ओर बढ़ने लगा।

आकृति की एक नजर नदी पर भी थी, फिर भी उसने शेर को अनदेखा नहीं किया।

शेर लगातार आकृति की ओर बढ़ रहा था, पर अब आकृति के चेहरे पर मुस्कुराहट दिख रही थी।

आकृति ने अपने नीलदंड को हवा में गायब कर दिया और खाली हाथ ही मुस्कुराते हुए शेर का इंतजार करने लगी।

शेर ने पास पहुंचकर, आकृति की ओर एक लंबी छलांग लगाई।

आकृति पहले से ही सतर्क थी, उसने अपने शरीर को एक ओर झुकाते हुए, एक ही छलांग में शेर की पीठ पर सवार हो गई और अपनी पूरी ताकत से शेर का गला दबाने लगी।

पता नहीं आकृति के हाथों में कितनी शक्ति थी, कि शेर छटपटा कर अपना गला छुड़ाने की कोशिश करने लगा।

तभी आकृति ने एक झटके से शेर के सिर को पीछे की ओर मोड़ दिया।

असीम शक्ति थी आकृति के हाथों में, शेर की गर्दन टूटकर लटक गयी।

एक मिनट से भी कम समय में निहत्थी आकृति ने खूंखार शेर को निपटा दिया था।

अब उसने एक नजर लैडन नदी पर मारी। आकृति ने एक बार फिर से स्वयं को अदृश्य कर लिया और नदी की ओर चल दी।

वह सुनहरी हिरनी नदी में कहीं नजर नहीं आ रही थी। अतः आकृति भी पानी के अंदर प्रवेश कर गई।

तभी बाहर पड़ा मरा हुआ शेर अचानक से उठा और एक दिशा की ओर भाग गया।

आकृति ने पानी में डुबकी मारी और उस सुनहरी हिरनी को ढूंढती नदी की तली की ओर चल दी ।

ऊपर से पता नहीं चल रहा था, पर अंदर से नदी काफी गहरी थी।

कुछ ही देर में आकृति को नदी की तली में सुनहरी रोशनी सी दिखाई दी। बिना आवाज तैरती हुई आकृति उस सुनहरी रोशनी की ओर चल दी।
पर नदी की तली में जो नजारा दिखाई दिया, वह देख आकृति सिहर उठी।

नदी की तली में एक विशाल ड्रैगन सो रहा था और वह सुनहरी हिरनी, उस ड्रैगन के मुंह के पास कुछ कर रही थी।

जी हां यह वही ड्रैगन था जिसे शैफाली ने अपने सपने में मैग्ना की सवारी बनते देखा था।

पता नहीं ड्रैंगो बेहोश था या सो रहा था, आकृति को यह समझ नहीं आया।

तभी उस सुनहरी हिरनी को अपने पीछे किसी के होने का अहसास हुआ।

उसने पलटकर देखा, पर उसे कोई नजर नहीं आया। तभी उसे पानी की लहरों में थोड़ी सी हलचल होती दिखाई दी।

सुनहरी हिरनी को शक हो गया कि उस दिशा में कोई है? उसने अपनी सोने की सींघों को तेजी से पानी में गोल-गोल लहराया।

सींघों के लहराते ही पानी में एक गोल तरंग सी बन गई, जो उस दिशा की ओर झपटी, जिधर आकृति अदृश्य अवस्था में खड़ी थी।

आकृति को उस सुनहरी हिरनी से ऐसी कोई आशा नहीं थी, इसलिये वह इस वार से बच नहीं पाई।

आकृति उन जल तरंगों से टकरा गई और सदृश्य हो कर सुनहरी हिरनी को दिखाई देने लगी।

सुनहरी हिरनी की नजर जैसे ही आकृति पर पड़ी, वह अपनी सींघों को हिलाकर बिजली की तेजी से आकृति पर झपट पड़ी।

आकृति ने किसी तरह से अपना बचाव कर लिया।

पानी में लड़ने का आकृति को कोई अभ्यास नहीं था, इसलिये वह चाहती थी कि यह सुनहरी हिरनी जितनी जल्दी पानी से बाहर निकले।

अब आकृति के हाथ में नीलदंड नजर आने लगा।

उसने नीलदंड को गोल घुमा कर सुनहरी हिरनी पर ऊर्जा का हमला किया, पर हिरनी की स्पीड पानी में भी बहुत तेज थी। वह आसानी से उस ऊर्जा के वार से बच गई।

पर नीलदंड को देख सुनहरी हिरनी समझ गयी कि आकृति के अंदर चमत्कारी शक्तियां हैं, इसलिये उसने बचकर निकलना ही उचित समझा और नदी की सतह की ओर चल दी।

आकृति यही तो चाहती थी, उसने अपने नीलदंड से, बचकर भागती हिरनी पर एक जाल फेंका।

चूंकि सुनहरी हिरनी की नजर आकृति की ओर नहीं थी, इसलिये वह जाल से बच नहीं सकी और जाल में फंस कर छटपटाने लगी।

आकृति ने जाल को कसा और पानी से निकलकर बाहर आ गयी।

पर बाहर आते ही उसकी नजर नदी के बाहर खड़े शेर और देवी आर्टेमिस पर पड़ी।

आकृति ने आर्टेमिस को देखते ही पहचान लिया। वह एक ग्रीक देवी थी।

ओलंपस पर्वत के 12 देवी-देवताओं में से एक.....शिकार की देवी... जिससे बचना बहुत ही मुश्किल माना जाता था।

आकृति वहां आने से पहले ही आर्टेमिस के बारे में सब कुछ पढ़ चुकी थी।

उसे पता था कि सुनहरी हिरनी आर्टेमिस की बहुत प्रिय है, इसलिये वह आर्टेमिस की बिना जानकारी के सुनहरी हिरनी को यहां से ले जाना चाहती थी।

आर्टेमिस की तीखी निगाहें कभी आकृति पर तो कभी उसके जाल में फंसी सुनहरी हिरनी की ओर जा रही थी।

आकृति आर्टेमिस से युद्ध नहीं करना चाहती थी।

क्यों कि आर्टेमिस से युद्ध करने का मतलब सभी ग्रीक देवताओं को अपने विरुद्ध करना हो जाता। अतः आकृति ने भागने में ही अपनी भलाई समझी।

इससे पहले कि आर्टेमिस कुछ समझ पाती, आकृति के हाथ में नीलदंड चमका और रोशनी के एक झमाके के साथ आकृति सुनहरी हिरनी के साथ गायब हो गयी।

आर्टेमिस को आकृति से इस प्रकार की कोई उम्मीद नहीं थी, इसलिये वह सुनहरी हिरनी को नहीं बचा पायी।

पर आर्टेमिस की आँखों से अब अंगारे बरस रहे थे। वह सोच भी नहीं सकती थी कि कोई मनुष्य इस प्रकार उसकी सबसे प्रिय सुनहरी हिरनी को ले उड़ेगा।

अब वह गुस्से से अपने पैर पटकती, ओलंपस पर्वत की ओर चल दी।


जारी रहेगा_______✍️
 

Raj_sharma

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Bahut hi shandar update
Jenith nakshtra ke baare mei kyo nhi btaya
Kahi nakshtra koi gadbad na kr de baad mei
SANJU ( V. R. )
Casper ko itne din baad Achanak shefali ki yaad aana, aur fir swet mahal jaana kuch to locha hai, udhar Vikram and varuni us mahal ko nakshatra lok ki dharohar bata rahe the, Casper ne unka waham bhi nikaal diya😅 idhar uss chhote se penguin ne Megna naam kyu likha? Aur shefaali ke pairo ke neeche ki barf tootna, shefaali ka dolfinn ke peeche jaana, aur waha maujood megna ki dress 👗 ka shefffali ko fit baithna, ye sab ishara kar rahe hain ki shefali and Megna ka kuch connection to hai.
Awesome update and superb writing ✍️ brother 👌🏻 :bow:

Ye ulka pind ka kya locha hai guru ji??? Waise fir se ek baar gajab ka Update diya hai :bow:

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक साथ में खतरनाक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये ड्रेंगन लढते वक्त जेनिथ की शक्ति सभी के सामने आ गयी पर पुरी तरहा से नहीं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Out of station tha bhai kaam ki wajah se !

Wah Raj_sharma Bhai Wah,

Sama bandhna kise kehte he, agar kisi ko janana ho to ye story padhe............

Gazab ki updates he sabhi...........romanch ki koi kami hone nahi dete ho vakil sahab........

Keep rocking Bro

intezaar rahega....

BAHUT MAST STOTY

सुयश और शलाका का 5000 वर्ष बाद मिलन
शेफाली की शरारती मांग
अच्छा और चटपटा अपडेट

Nice update....

Toh mera guess sahi huwa
Megna Ki Maa maduza
Aur father posedian

Nice update ❤❤

nice update

romanchak update. suyash ke saare sawalo ke jawab de diye shalaka ne ..dono ki shadi bhi ho gayi thi ,par suyash ne khudse maut ko kyu chuna ye kisiko pata nahi hai ,shalaka ke mutabik wo raaz shayad us kitab me ho sakta hai par wo abhi suyash ko nahi batana chahti ..
shefali to full maze le rahi thi suyash ke 🤣🤣..
tilisma ko paar karna aasan nahi honewala par shalaka ne sabko himmat di .
emu ka raaz kya hai ye batana sahi nahi samjha shalaka ne par kyu ..

#123
ये कैस्पर मायावन का कोई प्रहरी है क्या? कई पाठक मित्रों ने अपने मत दिए हैं कि शेफाली मैग्ना हो सकती है। ज़रूर हो सकती है। राज यूनिवर्स में कुछ भी अजीबोगरीब बात संभव है। वैसे भी पेंगुईन ने शेफाली को देख कर मैग्ना लिखा था बर्फ़ पर। (वैसे बहुत पढ़ा लिखा था वो पेंगुईन -- अपनी “स्त्री” जैसा)

कैस्पर का यह कथन, “और वैसे भी मेरा कृत्रिम स्वरुप तिलिस्मा के हर प्रकार के निर्माण में सक्षम है” -- क्या तिलिस्मा एक adaptive simulation है? क्योंकि मानवों से यह अपेक्षित था कि वो तिलिस्मा को तोड़ें। अगर यह adaptive हो जाएगा, तो आने वाली हर बाधा पहले वाली बाधा से और कठिन हो जायेगी। वैसे सही में - अब ये नक्षत्रलोक क्या बला है?

क्रिस्टी का कहना सही है - हर स्टेज की बाधा का समाधान वहीं उसी स्टेज में उपलब्ध है।

#124
“यह जंगल बनाने वाले ने इतना बड़ा प्रोजेक्ट बनाया...अरे एक शॉपिंग मॉल भी खोल देता, तो उसका क्या जाता?” -- हा हा हा हा हा! 😂 😂 😂 👏
सही है! मरना है, तो कम से कम स्टाइल से मरें!

शेफाली के पास उस ड्रेस के रूप में एक और शक्ति आ गई है। इतना तो तय लग रहा है कि शेफ़ाली तिलिस्मा के अंत तक जाएगी। जेनिथ और सुयश भी। क्रिस्टी अपनी तार्किकता का इस्तेमाल कर के इसका पार पा सकती है। तौफ़ीक़ का कुछ कह नहीं सकते। हाँलाकि काम का आदमी है वो।

“वेगू डार्लिंग” -- हा हा हा हा हा! 😂😂👍
अच्छा है -- कहानी में अगर हास्य न हो, तो बहुत सीरियस बन जाती है। good job!!

वेगा के मुँह से अपने लिए ‘बड़ी बहन’ सम्बोधन सुन कर धरा का हृदय परिवर्तन हो गया। उधर वीनस सीनोर की राजकुमारी निकली।
बेचारा वेगा हर तरफ़ से दुश्मन शक्तियों से घिरा हुआ था। लेकिन प्रेम की भाषा सुन कर ‘अहिंसक’ अंगुलिमाल की ही तरह सभी का हृदय परिवर्तन हो गया।

ये लुफ़ासा बहुत लम्पट है। बहन की ख़ुशी बर्दाश्त नहीं हो रही है उससे!

#125
उल्कापिण्ड -- ये नई वाली बला क्या है? ये प्राकृतिक रूप से आया है या किसी ने भेजा है? अगर दूसरा ऑप्शन सही है, तो किसने भेजा है?
वैसे ऐसा उल्कापिण्ड जिसके पृथ्वी के वातावरण में आने से भूकंप आने लगे, जब वो पृथ्वी से टकराएगा तो लोग ऐसे सामान्य नहीं रह सकते। उस टक्कर का भारी परिणाम होता है। अतः, यह उल्कापिण्ड नहीं -- कोई यान होगा।

“बच्चों ! आपको जहां जाना हो जाओ, जिस चीज से खेलना हो खेलो, जो तोड़ने का मन करे तोड़ दो, सिवाय अपने मन के। किसी चीज पर कोई पाबंदी नहीं है। आप जिस चीज को तोड़ोगे, वह अपने आप पुनः जुड़ जायेगी। इसलिये कोई डरने की जरुरत नहीं है।” : बच्चों पर हम नाहक ही ढेरों पाबंदियाँ लगा देते हैं। अक्सर ये पाबंदियाँ हम अपनी सुविधा के लिए लगाते हैं (जैसे, शोर मत मचाओ --- जिससे हम आराम से सो सकें), उनको कुछ सिखाने या उनकी कल्पनाशक्ति बढ़ाने के लिए नहीं! भारतीय बच्चे इसीलिए critical and independent thinking, problem solving, सृजनात्मकता, खेल कूद, इत्यादि में फ़िसड्डी रहते हैं।

हाँ, जहाँ रटने और रट कर उगलने की आवश्यकता आती है, वो वहाँ अपनी दक्षता दिखा देते हैं।

#126
चलो, अंत में किसी को जेनिथ के व्यवहार में परिवर्तन महसूस हो ही गया। और अच्छी बात है कि उसने सभी को नक्षत्रा के बारे में बता भी दिया। कम से कम सभी को आश्वासन रहेगा कि एक और चमत्कारिक शक्तिओं की मालकिन उनके संग है।
“ले लो मजा... दबालो और बटन को....” -- हा हा हा हा! 😂

वो रहस्यमई वस्तु, हैरी पॉटर के क्विडिच खेलों वाली “स्निच” के जैसी है।
वैसे ध्वनि की गति जो आपने बताई है, वो केवल हवा में होती है। पानी, या अन्य ठोस धातुओं में उसकी गति भिन्न और तेज़ होती है। उसी तरह प्रकाश की गति भी निर्वात में ही सबसे तेज़ होती है। अन्य माध्यमों में वो धीरे चलता है।

वैसे “फेंकूचंद” नाम से मुझे एक महामानव की याद आ गई! हा हा हा हा हा!!! 😂😂😂😂😂😂😂
अपने चोपड़ा साहब उसका दसवाँ हिस्सा भी नहीं फेंक पाते, और उतने में ही उनको ओलिंपिक के स्वर्ण/रजत पदक मिल जाते हैं!

#127
विष्णु भगवान के छः हथियारों का बढ़िया वर्णन किया है और वो भी उनके नामों के साथ! वाह भाई! 👏👏👏👏👍
बहुत ही बढ़िया। पाठकों का सामान्य ज्ञान बढ़ेगा यह अंक पढ़ कर!! वैसे सांकेतिक रूप से देखें, तो -- सुदर्शन चक्र, समय और धर्म का चक्र है, जो अधर्म को नष्ट करता है; कौमोदकी गदा अज्ञानता को नष्ट करने वाली शक्ति है; शारंग धनुष लक्ष्य साधने की शक्ति है; नंदक खड्ग ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है; और पाञ्चजन्य शंख सृजन और शुभ स्थितियों की ध्वनि! अंत में पद्म - वो तो पवित्रता, करुणा, सौंदर्य, शांति और समृद्धि का प्रतीक है।

वैसे त्रिषाल था कौन? उसको ध्वनि शक्ति क्यों चाहिए थी?

#128
“मैं इस बालक को ऐसी जगह छिपाऊंगा, जहां तुम कभी भी नहीं पहुंच सकती। यही तुम्हारी करनी का उचित दंड होगा।” -- यह दण्ड कहीं मैग्ना को तो नहीं दे रहा था कोई?

“पर ये तो देवी नहीं आंटी निकलीं।” -- हा हा हा हा हा! 😂😂

अंत में आकृति और शलाका आमने सामने आ ही गईं। वैसे आकृति भी तो मजबूरी ही में शलाका वाला स्वाँग कर रही है, नहीं तो उसकी जान खुद की खतरे में आ जानी है।

#129
जब 'वेदांत रहस्यम' खुद सुयश ने लिखी है, तो उसको पढ़ने से क्यों रोक रही है शलाका? आइंस्टीन से ज्यादा जानती है क्या वो?
ये औरतें भी न -- मान न मान, मैं तेरी अम्मा वाले रोल में आ जाती है, न जाने क्यों! हो सकता है कि उस किताब को पढ़ कर उसकी स्मरण शक्ति / स्मृति वापस आ जाए!

भाई भाई! ये दोनों प्रेमी नहीं, बल्कि पति पत्नी निकले! पिज़्ज़ा नहीं, लड्डू, बर्फ़ी, इमरती, रसगुल्ले, मालपुए… ये सब मँगाने चाहिए थे! अब भाई क्रिस्टी वाला भी दिलवा दो उसको! 👏👏😂



Raj_sharma भाई - यह कहानी कालजई है! बहुत ही बढ़िया।
यह फ़ोरम इतनी उत्कृष्ट कृति के योग्य नहीं। अति उत्तम!
अति उत्तम! 👏♥️

Nice update....

Superb update

Bhut hi shandar update
Shalaka ne suyash aur hamare bhut sare sawalo ka jwab diya hai
Aur us kitab ka rahasya bhi aage hi pata chalega

Jabardast Romanchak Update 👌

Nice update bro

Lovely update brother ek premi jode ka milan ho gaya, let's see ki Salaka, Cristy ke liye Alex ko wapas lati hai ya nahi par ye possible ho sakta hai kyunki Salaka ne kaha hai ki wo sirf jungle se nikalne mein inn sabki madad nahi kar sakti hai.

BOok ki mystery solve hona abhi baki hai, wo bacha kaun hai, wo aankhe kiski hai aur kisne ye sab kiya hai sabhi ki jawab shesh hain khair mujhe nahi lagta Salaka aur Suyash abhi dono sath rahne wale hain

Raj_sharma bhai next update kab tak aayega?

Let's review Begin's
Toufikk ka vedantam rahyshyam namak kitab mein kaid hona aur sath hi shalaka ka usee bachane se story mein ek new suspense modd bhi aagaya aur bahut se rahasya se pardh hatt bhi gaya .

Tah in dno update se Clear ho gaya ki Suyash ki zindgi mein akirit ki kahi jagah nahi, aur Shayad aakirit iss samay ek villain ki vibe se derahi .
Dekho na abhi chaal se nakli shalka bann kar suyash ko phasane aayi thee .
Mujhe toh lag raha hain suyash ko gayab hone mein iska hath bhi ho sake hai.

Sath hi apne bahut galat kiya men Suyash aur Shailaka ki shadi karayi.fir ju inhe apne alag rakhna aur, wo bhi 5000 sal .
Very bad iske liye shastro mein alag saja ka pravdhan hah.

Sath hi bhala ko taklif jiski wajah se shalala khud samne aana padha .

Lekin gaur karne wali baat hai ki akirit ko amratav prapt kaise hua aur ek aur baat amu ka kya rahasya hoga .

Sath vedant rahasya mein aisi kya cheej hai jisse shalaka suyash ko dur rakhna chahti hain .
Kuch bhi ho raaz par ye khatranaak lag raha .
Shayaad ye kitaab story ke bahut se raaz khole.
Yaha bahut pranshan ab mann mein aarahe ki kya wajah hogi ki suyash ne khud mrityu ka chunav kiya .

Jaisé hamare yaha prampara par ki couple ko chedna ki aur waisi hi. yaha shaffali ne cristi aur jenith ne suyash shalaka ke khoob majee liye .

"Khass mere majee lene ke liye bhi koi miljaye ."mein bhi apne partner ke sath hu tab koi mere majee le .
Ye single ka dukhda kahe khatam nahi hota .

Yaha suyash ke tatto ka bhi clear hogaya , Tatto ki backstory achi thee .

Shandaar update thaa bhai
Bohut se doubt clear huwe sath hi vedant rahasya ki book ka naya rahasya samane alag aagya .

One more point 127 update mein shaffali ka masti bhara andaj aur 128 mein suyash aur shalaka ka 5000 saal ka intezaar story mein alag alag angle create karta hain .

Aise emotional aur masti bhare angle story ko aur khubsurat bana dete hain .

Overall dono update shandar thee
.
Aur ye update story ko aur interesting banate hai .

Waiting for more
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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Labours of Hercules भी आ गया, Artemis भी आ गई, और Ceryneian hind भी।
Interesting 👌
Bohot kuch or bhi aayega bhai, anekh ishvaer bhi aayega :D
 

dhparikh

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सुनहरी हिरनी:
(14 जनवरी 2002, सोमवार, 07:30, लैडन नदी के किनारे, पेलो पोनेसस प्रायद्वीप, ग्रीस)

लैडन नदी का शांत जल सूर्य की झिलमिलाती रोशनी में चमचमा रहा था।

जंगल में पक्षियों का कलरव कानों में मधुर रस घोल रहा था। हवाओं में काफी नमी थी।

आकृति उस नदी के किनारे एक पेड़ पर छिप कर बैठी थी।

ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे किसी का इंतजार हो।

पेड़ की उस झुकी डाल से पानी में आकृति को अपना चेहरा नजर आ रहा था, जो कि इस समय भी शलाका से मिल रहा था।

“जाने कब छूटेगा इस चेहरे से पीछा मेरा? अब तो अपना चेहरा याद भी नहीं है मुझे....वो भी क्या दिन थे... जब आर्यन को सिर्फ मुझसे प्यार था, पर इस मनहूस शलाका ने उसे मुझसे छीन लिया।....पर अब बस अब नहीं चाहिये मुझे यह चेहरा ... अब मुझे कुछ भी करके आज उस सुनहरी हिरनी को पकड़ना ही होगा, अब वहीं मेरी आखिरी उम्मीद है। सुर्वया ने कहा था कि आज वह सुनहरी हिरनी मुझे यहां जरुर मिलेगी।”

यह सोच आकृति ने फिर से अपनी नजरें पेड़ से कुछ दूर बने रास्ते पर लगा दी।

धीरे-धीरे आकृति को पेड़ पर छिप कर बैठे 3 घंटे बीत गये।

इन 3 घंटों में नदी किनारे असंख्य जानवर आये और पानी पीकर चले गये, पर वह सुनहरी हिरनी नहीं आयी, जिसका कि आकृति को इंतजार था।

तभी आकृति को एक बड़ा सा शेर उधर आता दिखाई दिया।

उस भयानक शेर को देख आकृति ने तुरंत अपने हाथ में पहनी एक नीले रंग की अंगूठी का नग अंदर की ओर दबा दिया।

नग के दबाते ही आकृति अदृश्य हो गई, अब वह नजर नहीं आ रही थी।

शेर के चलने का तरीका बड़ा ही रहस्यमयी था, वह चारो ओर देखता धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ा रहा था।

शेर चलते हुए लैडन नदी के किनारे पहुंचा और फिर अपना मुंह पानी में डालकर पानी पीने लगा।

पेट भरकर पानी पीने के बाद उस शेर ने अपना मुंह उठा कर एक जोर की दहाड़ मारी।

वह दहाड़ इतनी तेज थी कि एक बार तो आकृति पेड़ से गिरते-गिरते बची।

तभी बहुत जोर की धम-धम की आवाज सुनाई देने लगी।

ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई बहुत बड़ा जानवर चलता हुआ उस दिशा में आ रहा था।

शेर चुपचाप खड़ा उस दिशा की ओर देखने लगा, जिधर से वह आवाज आ रही थी।

कुछ ही देर में आकृति को उस दिशा से एक सुनहरी हिरनी आती हुई दिखाई दी, जिसका आकार उस शेर से भी बड़ा था।

हिरनी की 12 सींघें सोने की बनी दिख रहीं थीं। हिरनी के पैर भी पीतल के बने नजर आ रहे थे और उसके पूरे शरीर से विचित्र सी सुनहरी रोशनी प्रस्फुटित हो रही थी।

“अरे बाप रे! यह हिरनी है या कोई विशाल सांड? क्या इसे ही पकड़ना है मुझे? पर इसे पकड़ना तो आसान नहीं होगा। यह इतनी खतरनाक है, शायद तभी ‘हरक्यूलिस’ को दिये 12 कार्यों में से एक कार्य इसे पकड़ना था।”

आकृति के दिमाग में उस सुनहरी हिरनी को देख अजीब-अजीब से ख्याल आने लगे।

वह सुनहरी हिरनी अपनी मदमस्त चाल से लैडन नदी के किनारे पहुंच गई।

उसे देख शेर ने नदी का रास्ता उसके लिये छोड़ दिया और अपना मुंह दूसरी ओर घुमाकर, इस तरह से चारो ओर देखने लगा, मानो उस सुनहरी हिरनी की वह रखवाली कर रहा हो।

सुनहरी हिरनी ने नदी में अपना पैर रखा और धीरे-धीरे पूरी की पूरी नदी में समा गई।

आकृति के हाथ में अब मकोटा का दिया नीलदंड नजर आने लगा था। वह पुनः अपनी अंगूठी के नग को दबा कर सदृश्य हो गयी।

आकृति ने अपने नीलदंड को हवा में लहराया।

उस नीलदंड से नीले रंग की रोशनी निकली और नदी किनारे खड़े शेर के मुंह पर पड़ी।

अब हवा में लहराती हुई आकृति शेर के सामने जा खड़ी हुई।

शेर ने आकृति को देखकर दहाड़ने की कोशिश की, पर उसके मुंह से आवाज ना निकली।

एक दो बार और कोशिश करने के बाद शायद शेर समझ गया कि वह दहाड़ नहीं पायेगा, इसलिये उसने अब आकृति को घूरकर देखा और हिंसक भाव से उसकी ओर बढ़ने लगा।

आकृति की एक नजर नदी पर भी थी, फिर भी उसने शेर को अनदेखा नहीं किया।

शेर लगातार आकृति की ओर बढ़ रहा था, पर अब आकृति के चेहरे पर मुस्कुराहट दिख रही थी।

आकृति ने अपने नीलदंड को हवा में गायब कर दिया और खाली हाथ ही मुस्कुराते हुए शेर का इंतजार करने लगी।

शेर ने पास पहुंचकर, आकृति की ओर एक लंबी छलांग लगाई।

आकृति पहले से ही सतर्क थी, उसने अपने शरीर को एक ओर झुकाते हुए, एक ही छलांग में शेर की पीठ पर सवार हो गई और अपनी पूरी ताकत से शेर का गला दबाने लगी।

पता नहीं आकृति के हाथों में कितनी शक्ति थी, कि शेर छटपटा कर अपना गला छुड़ाने की कोशिश करने लगा।

तभी आकृति ने एक झटके से शेर के सिर को पीछे की ओर मोड़ दिया।

असीम शक्ति थी आकृति के हाथों में, शेर की गर्दन टूटकर लटक गयी।

एक मिनट से भी कम समय में निहत्थी आकृति ने खूंखार शेर को निपटा दिया था।

अब उसने एक नजर लैडन नदी पर मारी। आकृति ने एक बार फिर से स्वयं को अदृश्य कर लिया और नदी की ओर चल दी।

वह सुनहरी हिरनी नदी में कहीं नजर नहीं आ रही थी। अतः आकृति भी पानी के अंदर प्रवेश कर गई।

तभी बाहर पड़ा मरा हुआ शेर अचानक से उठा और एक दिशा की ओर भाग गया।

आकृति ने पानी में डुबकी मारी और उस सुनहरी हिरनी को ढूंढती नदी की तली की ओर चल दी ।

ऊपर से पता नहीं चल रहा था, पर अंदर से नदी काफी गहरी थी।

कुछ ही देर में आकृति को नदी की तली में सुनहरी रोशनी सी दिखाई दी। बिना आवाज तैरती हुई आकृति उस सुनहरी रोशनी की ओर चल दी।
पर नदी की तली में जो नजारा दिखाई दिया, वह देख आकृति सिहर उठी।

नदी की तली में एक विशाल ड्रैगन सो रहा था और वह सुनहरी हिरनी, उस ड्रैगन के मुंह के पास कुछ कर रही थी।

जी हां यह वही ड्रैगन था जिसे शैफाली ने अपने सपने में मैग्ना की सवारी बनते देखा था।

पता नहीं ड्रैंगो बेहोश था या सो रहा था, आकृति को यह समझ नहीं आया।

तभी उस सुनहरी हिरनी को अपने पीछे किसी के होने का अहसास हुआ।

उसने पलटकर देखा, पर उसे कोई नजर नहीं आया। तभी उसे पानी की लहरों में थोड़ी सी हलचल होती दिखाई दी।

सुनहरी हिरनी को शक हो गया कि उस दिशा में कोई है? उसने अपनी सोने की सींघों को तेजी से पानी में गोल-गोल लहराया।

सींघों के लहराते ही पानी में एक गोल तरंग सी बन गई, जो उस दिशा की ओर झपटी, जिधर आकृति अदृश्य अवस्था में खड़ी थी।

आकृति को उस सुनहरी हिरनी से ऐसी कोई आशा नहीं थी, इसलिये वह इस वार से बच नहीं पाई।

आकृति उन जल तरंगों से टकरा गई और सदृश्य हो कर सुनहरी हिरनी को दिखाई देने लगी।

सुनहरी हिरनी की नजर जैसे ही आकृति पर पड़ी, वह अपनी सींघों को हिलाकर बिजली की तेजी से आकृति पर झपट पड़ी।

आकृति ने किसी तरह से अपना बचाव कर लिया।

पानी में लड़ने का आकृति को कोई अभ्यास नहीं था, इसलिये वह चाहती थी कि यह सुनहरी हिरनी जितनी जल्दी पानी से बाहर निकले।

अब आकृति के हाथ में नीलदंड नजर आने लगा।

उसने नीलदंड को गोल घुमा कर सुनहरी हिरनी पर ऊर्जा का हमला किया, पर हिरनी की स्पीड पानी में भी बहुत तेज थी। वह आसानी से उस ऊर्जा के वार से बच गई।

पर नीलदंड को देख सुनहरी हिरनी समझ गयी कि आकृति के अंदर चमत्कारी शक्तियां हैं, इसलिये उसने बचकर निकलना ही उचित समझा और नदी की सतह की ओर चल दी।

आकृति यही तो चाहती थी, उसने अपने नीलदंड से, बचकर भागती हिरनी पर एक जाल फेंका।

चूंकि सुनहरी हिरनी की नजर आकृति की ओर नहीं थी, इसलिये वह जाल से बच नहीं सकी और जाल में फंस कर छटपटाने लगी।

आकृति ने जाल को कसा और पानी से निकलकर बाहर आ गयी।

पर बाहर आते ही उसकी नजर नदी के बाहर खड़े शेर और देवी आर्टेमिस पर पड़ी।

आकृति ने आर्टेमिस को देखते ही पहचान लिया। वह एक ग्रीक देवी थी।

ओलंपस पर्वत के 12 देवी-देवताओं में से एक.....शिकार की देवी... जिससे बचना बहुत ही मुश्किल माना जाता था।

आकृति वहां आने से पहले ही आर्टेमिस के बारे में सब कुछ पढ़ चुकी थी।

उसे पता था कि सुनहरी हिरनी आर्टेमिस की बहुत प्रिय है, इसलिये वह आर्टेमिस की बिना जानकारी के सुनहरी हिरनी को यहां से ले जाना चाहती थी।

आर्टेमिस की तीखी निगाहें कभी आकृति पर तो कभी उसके जाल में फंसी सुनहरी हिरनी की ओर जा रही थी।

आकृति आर्टेमिस से युद्ध नहीं करना चाहती थी।

क्यों कि आर्टेमिस से युद्ध करने का मतलब सभी ग्रीक देवताओं को अपने विरुद्ध करना हो जाता। अतः आकृति ने भागने में ही अपनी भलाई समझी।

इससे पहले कि आर्टेमिस कुछ समझ पाती, आकृति के हाथ में नीलदंड चमका और रोशनी के एक झमाके के साथ आकृति सुनहरी हिरनी के साथ गायब हो गयी।

आर्टेमिस को आकृति से इस प्रकार की कोई उम्मीद नहीं थी, इसलिये वह सुनहरी हिरनी को नहीं बचा पायी।

पर आर्टेमिस की आँखों से अब अंगारे बरस रहे थे। वह सोच भी नहीं सकती थी कि कोई मनुष्य इस प्रकार उसकी सबसे प्रिय सुनहरी हिरनी को ले उड़ेगा।

अब वह गुस्से से अपने पैर पटकती, ओलंपस पर्वत की ओर चल दी।


जारी रहेगा_______✍️
Nice update....
 

parkas

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सुनहरी हिरनी:
(14 जनवरी 2002, सोमवार, 07:30, लैडन नदी के किनारे, पेलो पोनेसस प्रायद्वीप, ग्रीस)

लैडन नदी का शांत जल सूर्य की झिलमिलाती रोशनी में चमचमा रहा था।

जंगल में पक्षियों का कलरव कानों में मधुर रस घोल रहा था। हवाओं में काफी नमी थी।

आकृति उस नदी के किनारे एक पेड़ पर छिप कर बैठी थी।

ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे किसी का इंतजार हो।

पेड़ की उस झुकी डाल से पानी में आकृति को अपना चेहरा नजर आ रहा था, जो कि इस समय भी शलाका से मिल रहा था।

“जाने कब छूटेगा इस चेहरे से पीछा मेरा? अब तो अपना चेहरा याद भी नहीं है मुझे....वो भी क्या दिन थे... जब आर्यन को सिर्फ मुझसे प्यार था, पर इस मनहूस शलाका ने उसे मुझसे छीन लिया।....पर अब बस अब नहीं चाहिये मुझे यह चेहरा ... अब मुझे कुछ भी करके आज उस सुनहरी हिरनी को पकड़ना ही होगा, अब वहीं मेरी आखिरी उम्मीद है। सुर्वया ने कहा था कि आज वह सुनहरी हिरनी मुझे यहां जरुर मिलेगी।”

यह सोच आकृति ने फिर से अपनी नजरें पेड़ से कुछ दूर बने रास्ते पर लगा दी।

धीरे-धीरे आकृति को पेड़ पर छिप कर बैठे 3 घंटे बीत गये।

इन 3 घंटों में नदी किनारे असंख्य जानवर आये और पानी पीकर चले गये, पर वह सुनहरी हिरनी नहीं आयी, जिसका कि आकृति को इंतजार था।

तभी आकृति को एक बड़ा सा शेर उधर आता दिखाई दिया।

उस भयानक शेर को देख आकृति ने तुरंत अपने हाथ में पहनी एक नीले रंग की अंगूठी का नग अंदर की ओर दबा दिया।

नग के दबाते ही आकृति अदृश्य हो गई, अब वह नजर नहीं आ रही थी।

शेर के चलने का तरीका बड़ा ही रहस्यमयी था, वह चारो ओर देखता धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ा रहा था।

शेर चलते हुए लैडन नदी के किनारे पहुंचा और फिर अपना मुंह पानी में डालकर पानी पीने लगा।

पेट भरकर पानी पीने के बाद उस शेर ने अपना मुंह उठा कर एक जोर की दहाड़ मारी।

वह दहाड़ इतनी तेज थी कि एक बार तो आकृति पेड़ से गिरते-गिरते बची।

तभी बहुत जोर की धम-धम की आवाज सुनाई देने लगी।

ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई बहुत बड़ा जानवर चलता हुआ उस दिशा में आ रहा था।

शेर चुपचाप खड़ा उस दिशा की ओर देखने लगा, जिधर से वह आवाज आ रही थी।

कुछ ही देर में आकृति को उस दिशा से एक सुनहरी हिरनी आती हुई दिखाई दी, जिसका आकार उस शेर से भी बड़ा था।

हिरनी की 12 सींघें सोने की बनी दिख रहीं थीं। हिरनी के पैर भी पीतल के बने नजर आ रहे थे और उसके पूरे शरीर से विचित्र सी सुनहरी रोशनी प्रस्फुटित हो रही थी।

“अरे बाप रे! यह हिरनी है या कोई विशाल सांड? क्या इसे ही पकड़ना है मुझे? पर इसे पकड़ना तो आसान नहीं होगा। यह इतनी खतरनाक है, शायद तभी ‘हरक्यूलिस’ को दिये 12 कार्यों में से एक कार्य इसे पकड़ना था।”

आकृति के दिमाग में उस सुनहरी हिरनी को देख अजीब-अजीब से ख्याल आने लगे।

वह सुनहरी हिरनी अपनी मदमस्त चाल से लैडन नदी के किनारे पहुंच गई।

उसे देख शेर ने नदी का रास्ता उसके लिये छोड़ दिया और अपना मुंह दूसरी ओर घुमाकर, इस तरह से चारो ओर देखने लगा, मानो उस सुनहरी हिरनी की वह रखवाली कर रहा हो।

सुनहरी हिरनी ने नदी में अपना पैर रखा और धीरे-धीरे पूरी की पूरी नदी में समा गई।

आकृति के हाथ में अब मकोटा का दिया नीलदंड नजर आने लगा था। वह पुनः अपनी अंगूठी के नग को दबा कर सदृश्य हो गयी।

आकृति ने अपने नीलदंड को हवा में लहराया।

उस नीलदंड से नीले रंग की रोशनी निकली और नदी किनारे खड़े शेर के मुंह पर पड़ी।

अब हवा में लहराती हुई आकृति शेर के सामने जा खड़ी हुई।

शेर ने आकृति को देखकर दहाड़ने की कोशिश की, पर उसके मुंह से आवाज ना निकली।

एक दो बार और कोशिश करने के बाद शायद शेर समझ गया कि वह दहाड़ नहीं पायेगा, इसलिये उसने अब आकृति को घूरकर देखा और हिंसक भाव से उसकी ओर बढ़ने लगा।

आकृति की एक नजर नदी पर भी थी, फिर भी उसने शेर को अनदेखा नहीं किया।

शेर लगातार आकृति की ओर बढ़ रहा था, पर अब आकृति के चेहरे पर मुस्कुराहट दिख रही थी।

आकृति ने अपने नीलदंड को हवा में गायब कर दिया और खाली हाथ ही मुस्कुराते हुए शेर का इंतजार करने लगी।

शेर ने पास पहुंचकर, आकृति की ओर एक लंबी छलांग लगाई।

आकृति पहले से ही सतर्क थी, उसने अपने शरीर को एक ओर झुकाते हुए, एक ही छलांग में शेर की पीठ पर सवार हो गई और अपनी पूरी ताकत से शेर का गला दबाने लगी।

पता नहीं आकृति के हाथों में कितनी शक्ति थी, कि शेर छटपटा कर अपना गला छुड़ाने की कोशिश करने लगा।

तभी आकृति ने एक झटके से शेर के सिर को पीछे की ओर मोड़ दिया।

असीम शक्ति थी आकृति के हाथों में, शेर की गर्दन टूटकर लटक गयी।

एक मिनट से भी कम समय में निहत्थी आकृति ने खूंखार शेर को निपटा दिया था।

अब उसने एक नजर लैडन नदी पर मारी। आकृति ने एक बार फिर से स्वयं को अदृश्य कर लिया और नदी की ओर चल दी।

वह सुनहरी हिरनी नदी में कहीं नजर नहीं आ रही थी। अतः आकृति भी पानी के अंदर प्रवेश कर गई।

तभी बाहर पड़ा मरा हुआ शेर अचानक से उठा और एक दिशा की ओर भाग गया।

आकृति ने पानी में डुबकी मारी और उस सुनहरी हिरनी को ढूंढती नदी की तली की ओर चल दी ।

ऊपर से पता नहीं चल रहा था, पर अंदर से नदी काफी गहरी थी।

कुछ ही देर में आकृति को नदी की तली में सुनहरी रोशनी सी दिखाई दी। बिना आवाज तैरती हुई आकृति उस सुनहरी रोशनी की ओर चल दी।
पर नदी की तली में जो नजारा दिखाई दिया, वह देख आकृति सिहर उठी।

नदी की तली में एक विशाल ड्रैगन सो रहा था और वह सुनहरी हिरनी, उस ड्रैगन के मुंह के पास कुछ कर रही थी।

जी हां यह वही ड्रैगन था जिसे शैफाली ने अपने सपने में मैग्ना की सवारी बनते देखा था।

पता नहीं ड्रैंगो बेहोश था या सो रहा था, आकृति को यह समझ नहीं आया।

तभी उस सुनहरी हिरनी को अपने पीछे किसी के होने का अहसास हुआ।

उसने पलटकर देखा, पर उसे कोई नजर नहीं आया। तभी उसे पानी की लहरों में थोड़ी सी हलचल होती दिखाई दी।

सुनहरी हिरनी को शक हो गया कि उस दिशा में कोई है? उसने अपनी सोने की सींघों को तेजी से पानी में गोल-गोल लहराया।

सींघों के लहराते ही पानी में एक गोल तरंग सी बन गई, जो उस दिशा की ओर झपटी, जिधर आकृति अदृश्य अवस्था में खड़ी थी।

आकृति को उस सुनहरी हिरनी से ऐसी कोई आशा नहीं थी, इसलिये वह इस वार से बच नहीं पाई।

आकृति उन जल तरंगों से टकरा गई और सदृश्य हो कर सुनहरी हिरनी को दिखाई देने लगी।

सुनहरी हिरनी की नजर जैसे ही आकृति पर पड़ी, वह अपनी सींघों को हिलाकर बिजली की तेजी से आकृति पर झपट पड़ी।

आकृति ने किसी तरह से अपना बचाव कर लिया।

पानी में लड़ने का आकृति को कोई अभ्यास नहीं था, इसलिये वह चाहती थी कि यह सुनहरी हिरनी जितनी जल्दी पानी से बाहर निकले।

अब आकृति के हाथ में नीलदंड नजर आने लगा।

उसने नीलदंड को गोल घुमा कर सुनहरी हिरनी पर ऊर्जा का हमला किया, पर हिरनी की स्पीड पानी में भी बहुत तेज थी। वह आसानी से उस ऊर्जा के वार से बच गई।

पर नीलदंड को देख सुनहरी हिरनी समझ गयी कि आकृति के अंदर चमत्कारी शक्तियां हैं, इसलिये उसने बचकर निकलना ही उचित समझा और नदी की सतह की ओर चल दी।

आकृति यही तो चाहती थी, उसने अपने नीलदंड से, बचकर भागती हिरनी पर एक जाल फेंका।

चूंकि सुनहरी हिरनी की नजर आकृति की ओर नहीं थी, इसलिये वह जाल से बच नहीं सकी और जाल में फंस कर छटपटाने लगी।

आकृति ने जाल को कसा और पानी से निकलकर बाहर आ गयी।

पर बाहर आते ही उसकी नजर नदी के बाहर खड़े शेर और देवी आर्टेमिस पर पड़ी।

आकृति ने आर्टेमिस को देखते ही पहचान लिया। वह एक ग्रीक देवी थी।

ओलंपस पर्वत के 12 देवी-देवताओं में से एक.....शिकार की देवी... जिससे बचना बहुत ही मुश्किल माना जाता था।

आकृति वहां आने से पहले ही आर्टेमिस के बारे में सब कुछ पढ़ चुकी थी।

उसे पता था कि सुनहरी हिरनी आर्टेमिस की बहुत प्रिय है, इसलिये वह आर्टेमिस की बिना जानकारी के सुनहरी हिरनी को यहां से ले जाना चाहती थी।

आर्टेमिस की तीखी निगाहें कभी आकृति पर तो कभी उसके जाल में फंसी सुनहरी हिरनी की ओर जा रही थी।

आकृति आर्टेमिस से युद्ध नहीं करना चाहती थी।

क्यों कि आर्टेमिस से युद्ध करने का मतलब सभी ग्रीक देवताओं को अपने विरुद्ध करना हो जाता। अतः आकृति ने भागने में ही अपनी भलाई समझी।

इससे पहले कि आर्टेमिस कुछ समझ पाती, आकृति के हाथ में नीलदंड चमका और रोशनी के एक झमाके के साथ आकृति सुनहरी हिरनी के साथ गायब हो गयी।

आर्टेमिस को आकृति से इस प्रकार की कोई उम्मीद नहीं थी, इसलिये वह सुनहरी हिरनी को नहीं बचा पायी।

पर आर्टेमिस की आँखों से अब अंगारे बरस रहे थे। वह सोच भी नहीं सकती थी कि कोई मनुष्य इस प्रकार उसकी सबसे प्रिय सुनहरी हिरनी को ले उड़ेगा।

अब वह गुस्से से अपने पैर पटकती, ओलंपस पर्वत की ओर चल दी।


जारी रहेगा_______✍️
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 
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