बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया#99.
महाशक्ति मैग्रा
(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 02:15, मायावन, अराका द्वीप)
सुयश सहित सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे। उस पार्क में बज रही वह धुन भी अब बंद हो चुकी थी। रात का सन्नाटा चारो ओर पसरा हुआ था।
तभी अचानक मेडूसा की मूर्ति से निकलता फव्वारा अपने आप बंद हो गया और इसी के साथ मेडूसा की मूर्ति की पलके भी झपकने लगी।
कुछ ही देर में मेडूसा मूर्ति से सजीव में बदल गयी। वह धीरे-धीरे चलती हुई उस तालाब से बाहर निकली।
उसकी नज़रें अब वहां सो रहे सभी लोगो पर फ़िरने लगी। कुछ ही देर में मेडूसा की आँखें शैफाली पर जाकर रुक गयी।
मेडूसा अभी-अभी तालाब से निकली थी, पर उसके शरीर पर एक भी पानी की बूंद नहीं दिख रही थी।
उसके सिर पर बाल की जगह निकले साँप अपनी जीभ निकालकर एक अजीब सा भय उत्पन्न कर रहे थे।
मेडूसा अब शैफाली की ओर बढ़ने लगी।
कुछ ही देर में वह शैफाली के पास थी।
मेडूसा ने अब धीरे से बैठकर शैफाली के बालों पर 3 बार हाथ फेरा और वापस तालाब की ओर चल दी।
कुछ ही देर में मेडूसा वापस तालाब में वापस पहुंच गई।
उसके पुरानी स्थिति में खड़े होते ही वह फिर से पत्थर हो गयी और उसके बालों से वापस फ़व्वारे निकलने लगे।
सोती हुई शैफाली अब करवट बदलने लगी। शायद वह कोई सपना देख रही थी।
तो आइये सीधे चलते हैं शैफाली के सपनें में...........................
आसमान में ऊंचाई पर काफ़ी हवा थी। सफेद बादलों के गुच्छे अलग-अलग आकृति में हवाओँ में बह रहे थे।
पर सफेद बादलों की एक टुकड़ी अपनी जगह पर स्थिर थी। वह एक प्रकार के कृत्रिम बादल थे, पर वो बादल अकेले नहीं थे। उनके साथ 2 शरीर भी थे, जो कि दूध से सफेद पत्थर के महल के बाहर खड़े थे।
दोनों देखने में किसी देवी-देवता की तरह सुंदर दिख रहे थे। दोनों ने ही बिल्कुल सफेद रंग की पोशाक भी पहन रखी थी।
“जमीन से इतनी ऊपर बादलों में तुम्हे कैसा महसूस हो रहा है मैग्रा?" कैस्पर ने मैग्रा से पूछा।
“बिल्कुल सपनों सरीखा।" मैग्रा ने कैस्पर का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा- “मैंने जैसी कल्पना की थी, तुमने उससे भी खूबसूरत महल का निर्माण किया है कैस्पर। मैं कितनी खुशकिस्मत हूं जो मुझे तुम्हारे जैसा जीवनसाथी मिला, जो मेरी हर छोटी से छोटी चीज़ो का भी ख़याल रखता है। क्या तुम मुझे जीवन भर ऐसे ही प्यार करते रहोगे?"
“मैं तो बिल्कुल खाली-खाली सा था, तुमने आकर मेरे जिंदगी को खुशियों से भर दिया। ईश्वर करे हमारा यह साथ हज़ारों सालो तक चले और मैं तुम्हे यूं ही प्यार करता रहूं।"
कैस्पर के शब्दों में जाने कैसा नशा सा था कि मैग्रा कैस्पर के प्यार में खोती जा रही थी।
तभी मैग्रा को दूर से उड़कर आता एक विशालकाय ड्रैगन दिखाई दिया।
“लो आ गया कबाब में हड्डी।" कैस्पर ने ड्रैगन को देख मुंह बनाते हुए कहा- “कब तक वापस लौटोगी?"
“काम बहुत ज़्यादा नहीं है। चिंता मत करो, जल्दी ही लौट आऊंगी तुम्हारे पास। आख़िर मेरा भी मन कहां लगेगा तुम्हारे बिना।" मैग्रा ने मुस्कुराते हुए कैस्पर से कहा।
“ठीक है, पर जल्दी लौटना।" कैस्पर ने मैग्रा के गले लगाते हुए कहा- “और अपना ख़याल रखना।"
मैग्रा ने धीरे से सिर हिलाया और फ़िर कैस्पर से दूर हटते हुए जोर से आवाज लगाई- “ड्रेंगो!"
और इसी के साथ मैग्रा आसमान की ऊंचाइयों से कूद गयी।
वह हवा में तेजी से नीचे की ओर जा रही थी। तभी ड्रेंगो उड़ते हुए, मैग्रा के शरीर के नीचे आ गया।
मैग्रा अब ड्रेंगो पर बैठ चुकी थी और ड्रेंगो तेजी से आसमान से नीचे जा रहा था।
थोड़ी ही देर में नीचे गहरा समुद्र दिखाई देने लगा।
कुछ ही देर में ड्रेंगो समुद्र की सतह को छूने वाला था। तभी मैग्रा के शरीर में कुछ अजीब से बदलाव आने लगे।
उसकी सफेद दूधिया पोशाक अब समुद्र के रंग की एक शरीर से चिपकी पोशाक बन गयी। जिस पर मछली के समान विभिन्न शल्क बनी दिखाई देने लगी।
मैग्रा के बालों की जगह भी समुंद्री ताज नजर आने लगा था, जिस पर 2 मुड़ी हुई सींघ भी निकल आयी थी। अब वह दूर से देखने पर कोई समुंद्री जीव ही नजर आ रही थी।
तभी जोर की ‘छपाक’ की आवाज के साथ ड्रेंगो ने पानी में डुबकी मारी।
चूंकि ड्रेंगो एक ड्रैगन और हायड्रा का मिला-जुला स्वरूप था। इसलिए पानी में डुबकी मारने के बाद भी ड्रेंगो की रफ़्तार में कोई परिवर्तन नहीं आया था। वह बहुत तेजी के साथ समुद्र की गहराई में जा रहा था।
10 मिनट के बाद मैग्रा को समुद्र की तली नजर आने लगी। अब ड्रेंगो की दिशा थोड़ी सी बदल गयी।
अब वह समुद्र की गहराई में अंदर तैरने लगा।
हर तरफ पानी ही पानी दिख रहा था। अजीब-अजीब से जलीय जंतू पानी में घूम रहे थे।
मैग्रा को किसी भी जगह ड्रेंगो को गाइड करने की जरुरत नहीं दिख रही थी, ऐसा लग रहा था कि मानो ड्रेंगो को पता हो कि उसे कहां जाना है।
तभी समुद्र की तली में किसी भव्य सभ्यता के डूबने के अवशेष दिखाई देने लगे।
पानी के अंदर एक गोल आकृति वाली सभ्यता जो शायद अपने समय में बहुत विकसित रही हो।
कहीं पानी में डूबा हुआ पिरामिड दिख रहा था, तो कहीं किसी विशाल मंदिर के अवशेष दिख रहे थे।
मगर ड्रेंगो कहीं रुक नहीं रहा था। रास्ते में पड़ने वाले विशाल जीव भी ड्रेंगो को देखकर अपना रास्ता बदल दे रहे थे।
तभी समुद्र में एक जगह पर, जमीन में एक बड़ी सी दरार दिखाई दी। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे समुद्र के अंदर आये किसी विशालकाय भूकंप ने वहां कि जमीन फाड़ दी हो।
वहां पर जमीन के अंदर जाने के लिए एक बहुत बड़ा सा रास्ता बन गया था।
पानी में तेजी से तैरता हुआ ड्रेंगो उस दरार से जमीन के अंदर चला गया।
अंदर बहुत अंधकार था। तभी मैग्रा के हाथों में जाने कहां से एक सूर्य के समान चमकता हुआ गोला आ गया। उसकी तेज रोशनी से उस पूरे क्षेत्र में उजाला हो गया।
वह एक जमीन के अंदर जाने वाली बहुत बड़ी सुरंग थी।
काफ़ी देर तक उसी स्पीड में तैरते रहने के बाद आखिरकार वह सुरंग ख़तम हो गई।
अब एक काफ़ी बड़ा सा क्षेत्र समुद्र में उस जगह पर दिखाई देने लगा।
तभी मैग्रा को कुछ दूर समुद्र में एक रोशनी सी दिखाई दी। मैग्रा के इशारे पर ड्रेंगो उस दिशा में चल पड़ा।
कुछ देर में उस चमक का कारण समझ में आने लगा।
समुद्र के अंदर वह एक सोने का महल था।
समुद्र की इतनी गहराई में इतना विशालकाय सोने का महल किसने बनवाया होगा? इसका तो खैर पता नहीं चला, पर उस स्वर्ण महल की भव्यता देखने लायक थी।
तभी कुछ अजीब जीवो पर सवार कुछ मगरमच्छ मानव दिखाई दिये, जो शरीर से तो इंसान जैसे थे, पर चेहरे से मगरमच्छ जैसे लग रहे थे।
उन्होंने मैग्रा को देखते ही अपने हाथ में पकड़े अस्त्र से, मैग्रा पर हमला कर दिया।
पर मैग्रा को बचाव करने की कोई जरुरत नहीं थी, उनके लिये ड्रेंगो ही काफ़ी था।
ड्रेंगो ने अपनी विशालकाय पूंछ से सभी मगरमच्छ मानवों को पानी में दूर उछाल दिया।
मैग्रा फ़िर से स्वर्ण महल की ओर बढ़ने लगी, पर मैग्रा जैसे ही महल के द्वार पर पहुंची। एक विशालकाय जलदैत्य ने मैग्रा को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया।
वह जलदैत्य एक 2 सिर वाला बहुत बड़ा अजगर था, जिसके हाथ और पैर भी थे।
“कराका के होते हुए तुम इस तरह से स्वर्ण महल में प्रवेश नहीं कर सकती मूर्ख़ लड़की।" कराका ने जोर से गर्जते हुए कहा।
कराका ने मैग्रा को खाने के लिये अपना एक मुंह जोर से फाड़ा। तभी मैग्रा के हाथ में दोबारा वही सूर्य के समान गोला प्रकट हुआ, जो मैग्रा के हाथ से निकल कर कराका के खुले मुंह में प्रवेश कर गया।
कराका के मुंह में घुसकर वह गोला तेजी से अपना आकार बढ़ाने लगा। अब कराका के मुह से चीख निकलने लगी। उसने मैग्रा को हाथ से फेंक दिया और एक दिशा में भाग गया।
अब मैग्रा ने स्वर्ण महल में प्रवेश किया। अजीब सी बात थी, स्वर्ण महल में बिल्कुल भी पानी नहीं था।
महल में घुसते ही मैग्रा को सामने एक ऊर्जा के ग्लोब में एक त्रिशूल कि भांति एक ‘पंचशूल’ दिखाई दिया।
उस पंचशूल के बीच में एक सूर्य की गोलाकार आकृति बनी थी।
मैग्रा ने अपना हाथ हवा में लहराया। अब उसके हाथ में एक तलवार दिखाई दी।
मैग्रा ने अपनी तलवार का वार पूरे जोर से उस ऊर्जा के ग्लोब पर किया। पर इस वार से उस ऊर्जा ग्लोब पर कोई असर नहीं हुआ।
अब मैग्रा के हाथ में एक कुल्हाड़ा प्रकट हुआ, पर उसके भी प्रहार से ऊर्जा ग्लोब पर कुछ भी असर नहीं हुआ।
इस बार मैग्रा के हाथ में फ़िर से सूर्य के समान गोला प्रकट हुआ। मैग्रा ने वह सूर्य का गोला उस ऊर्जा ग्लोब पर मार दिया। इस बार उस सूर्य के गोले से आग की लहरें निकलकर उस ऊर्जा ग्लोब को गर्म करने लगी।
जब ऊर्जा ग्लोब आग की तरह धधकने लगा तो मैग्रा के हाथ में एक सफेद रंग का चंद्र ग्लोब दिखाई दिया।
मैग्रा ने चंद्र-ग्लोब भी उस ओर उछाल दिया। चंद्र-ग्लोब ने दूसरी ओर से उस ऊर्जा ग्लोब पर बर्फ़ की बौछार कर दी।
अब ऊर्जा ग्लोब एक तरफ से सूर्य की आग उगलती गरमी से गर्म हो रहा था, तो वही दूसरी ओर चंद्रमा की बर्फ़उसे ठंडा कर रही थी।
थोड़ी देर के बाद उस ऊर्जा ग्लोब में दरारें दिखने लगी।
अब मैग्रा ने अपनी हाथ में पकड़ी तलवार पूरी ताकत से उस ऊर्जा-ग्लोब पर मार दी।
मैग्रा के इस वार से ऊर्जा-ग्लोब टूट कर बिखर गया।
ग्लोब के बिखरते ही सूर्य और चंद्र गोले गायब हो गये। मैग्रा ने अब आगे बढ़कर उस पंचशूल को उठा लिया।
पंचशूल को उठाते ही मैग्रा को अपने शरीर में बिजली सी दौड़ती हुई महसूस हुई।
“मैग्राऽऽऽऽऽ!" और इसी के साथ शैफाली चीखकर उठकर बैठ गयी।
शैफाली की चीख सुनकर सभी जाग गये। शैफाली का पूरा शरीर पसीने से सराबोर था।
“क्या हुआ शैफाली?" अल्बर्ट ने भागकर आते हुए कहा- “क्या तुम फ़िर से कोई सपना देख रही थी?“
शैफाली ने धीरे से अपना सिर हां में हिलाया।
क्रिस्टी ने पानी की बोतल निकालकर शैफाली को पकड़ा दी। शैफाली का पूरा गला सूख गया था, इसिलये वह एक साँस में ही पूरा पानी पी गयी।
फ़िर शैफाली ने सबको अपने सपने की पूरी कहानी सुना दी।
“अब यह मैग्रा और कैस्पर कौन हैं?" जेनिथ ने कहा- “इस द्वीप की कहानी तो उलझती ही जा रही है। रोज नये-नये पात्रो का पता चल रहा है।"
“अगर यह सपना शैफाली ने देखा है, तो हम इसे झुठला नहीं सकते।" अल्बर्ट ने शैफाली की ओर देखते हुए कहा- “अब ये नहीं पता कि ये घटना कब घटेगी?"
“आप ये कैसे कह रहे है प्रोफेसर, कि यह घटना घटने वाली है?" सुयश ने दिमाग लगाते हुए अल्बर्ट से पूछा- “मुझे तो यह घटना भी मेरी वेदालय वाली घटना की तरह ही बीते हुए समय की घटना लग रही है।"
“आप एक बात भूल रहे हैं कैप्टन कि शैफाली ने आज तक जितनी भी घटनाएं अपने सपने में देखी है, वो सभी भविष्य में घटने वाली घटनाएं थी।" अल्बर्ट ने पुनः सुयश से कहा।
“आपकी बात सही है प्रोफेसर, पर पता नहीं क्यों मुझे यह घटना बीते हुए समय की लग रही है। क्यों कि आज के समय में ड्रेगन और हाइड्रा का अस्तित्व मुझे थोड़ा सही नहीं लग रहा है।" सुयश ने सभी की ओर बारी-बारी से देखते हुए कहा।
किसी के पास कोई जवाब नहीं था, इसलिए सभी फ़िर से सोने के लिये चल दिये।
इस सपने का जवाब वहां मौजूद केवल एक के पास ही था, जिसने शैफाली को यह सपने दिखाए ही थे।
और वह थी- “मेडूसाऽऽऽऽऽऽऽ"
जारी रहेगा_______![]()
लगता हैं की रात के सन्नाटें में मेडुसा ने शेफाली के सर पर हाथ फेरकर उसे सपना दिखाकर एक नया खेल शुरु कर दिया हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा