parkas
Well-Known Member
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intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....Update aaj dopahar ko![]()
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intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....Update aaj dopahar ko![]()
Nice! Nice! Nice!!! Well-done brother.
Jab lagta hai ye update sabse better hai usse aur better ek episode aa jata hai.
Supreme ka destroy hona aur logo ka marna aapne bahut achhe se likha hai.
Par ye toh pata hai ki ab jo bhi ho Lufasha ko uske kiye ki saja milni chahiye usne itne logo ki jaan le liya hai ki usko maaf nahi kiya ja sakta hai kabhi wo shaitani takat Jegan ka sath de raha hai apni powers ko badhane ke liye.![]()
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I don't know ,aap padhakar batana kaisi lagi ,
Oh my godkitna dhasu likh rahe ho sharma ji, keep going, hat's of
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कहते हैं इतिहास से जिस ने सबक नही लिया वह अपने बुरे अंजाम के लिए तैयार रहें । वह चाहे कोई व्यक्ति हो या समाज या फिर कोई देश ।
सोलह साल पूर्व ' सम्राट शिप ' की जैसी ही एक दुर्घटना हुई थी और उस समय का शिप ' ब्लैक थंडर ' था । एक इंसान को छोड़कर सभी यात्री मारे गए थे । ठीक उसी तरह सोलह साल बाद इसी घटना की पुनरावृत्ति हुई । सब कुछ ऐन वही हुआ जो ब्लैक थंडर शिप के साथ और उस शिप के पैसेंजर के साथ हुआ था ।
सोलह साल पहले उस्मान खान की एक भूल ने लगभग चार सौ लोगों को परलोक पहुंचा दिया और सोलह साल बाद हुबहु उसी तरह उस्मान खान के पुत्र मोइन खान की गलती ने लगभग तीन सौ लोगों को मृत्यु के द्वार तक पहुंचा दिया ।
कहते हैं कि एक कील की वजह से राजा अपना राज्य खो बैठता है । जब कि यहां तो बहुत बड़ी भूल हुई ।
वैसे ब्लैक थंडर शिप की घटना से एक उम्मीद तो अवश्य बंधी है कि सम्राट के बचे पैसेंजर जीवित बच सकते हैं । जब उस्मान खान इस तिलिस्म द्वीप से सकुशल अपने देश पहुंच सकता है तो यह लोग क्यों नही !
शायद तकदीर ने इन यात्रीगण के साथ बहुत ही क्रूर मजाक किया । क्लिटो की मुक्ति और शलाका के उद्धार के लिए जब चंद लोग की ही आवश्यकता थी तो फिर सैंकड़ो निर्दोष लोगों की मौत आखिर क्यों !
होना तो यह चाहिए था कि सुयश साहब , शैफाली और वह लोग जिन की इस द्वीप पर मौजदूगी अवश्यंभावी थी , ही इस द्वीप पर पहुंचे होते ।
इन अपडेट से यह भी क्लियर हुआ कि अराका द्वीप पर भी वर्चस्व की लड़ाई चल रही है । एक पक्ष अच्छाई के साथ खड़ा है और एक पक्ष बुराई के साथ । अच्छाई का प्रतिनिधित्व युगाका और उनके भाई - बहन कर रहे है तो बुराई के साथ मकोटा खड़ा है ।
आप बहुत खुबसूरत कहानी लिख रहे है । जिस तरह से आपने इस कहानी के लिए रिसर्च किया है वह वास्तव मे अद्भुत है ।
सभी अपडेट बेहद ही शानदार थे ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट शर्मा जी ।
अपडेट्स 92 और 93 पर मेरे विचार --
सुयश की बातें सुन कर लगता है कि वो एक आशावादी व्यक्ति है। लेकिन उसके इस अति-आशावाद ने कई लोगों की जान ले ली। अगर वो समय रहते सही निर्णय लेता, तो शायद अभी सुप्रीम के हज़ारों यात्री जीवित रहते। लेकिन अपने राज भाई को वो पसंद है, इसलिए उसकी ऐसी-तैसी हम नहीं करेंगे। वैसे, सोलह साल का समय किसी जाति के सभ्य होने के लिए बहुत कम हैं। हाँ, असभ्य होने के लिए पर्याप्त हैं।
अराका पर सीनोर बनाम सामरा के बीच वर्चस्व का खेल चल रहा है। जहाँ सीनोर जाति के लोग तमराज जैगन के पक्ष में लग रहे हैं (मजबूरी में ही सही), वहीं सामरा जाति के लोग क्लिटो को मुक्त कराना चाहते हैं। (एक बात है भाई, जो मैं पहले भी कहना चाहता था - लेकिन क्लिटो से क्लाइटोरिस शब्द याद आने लगता है और उसका मतलब तो आप जानते ही हैं... हा हा हा हा! क्या करूँ - दिमाग में न चाहते हुए भी ऐसी खुरपेंची बातें आ ही जाती हैं)!
एक बात अपडेट 93 के बाद भी समझ नहीं आई - अगर युगाका अधिक से अधिक मानवों को तिलिस्मा तोड़ने के लिए भेजना चाहता था, तो मानवों की संख्या कम होने से वो इतना खुश क्यों लगा? मतलब वो युगाका नहीं है। इस ‘युगाका’ ने अलेक्स का रूप धर तो लिया, लेकिन शेफाली की दिव्य-दृष्टि से बच न सका। अब ये युगाका ही है, या कोई बहुरूपिया (लुफ़ासा तो नहीं)? अगले कुछ अपडेट्स बेहद रोमाँचक होने वाले हैं।
बहुत ही बढ़िया कहानी चल रही है राज भाई!
आपकी USC की दूसरी कहानी पढ़ी। पहली भी पढता हूँ और दोनों के बारे में अपने विचार अलग अलग लिखता हूँ, जल्दी ही। कुछ कहानियाँ बहुत अच्छी आई हैं इस बार!
Awesome update
Shandar update bhai yugaka ka ghamnd tod Diya pal bhar mei shaifali ne par yugaka ne itni aasani se bahar jane ka rasta kaise bta diya .
usi raste mei tilism ki pariksha hogi sabki mujhe to yhi lagta h
Kahani to alag mod le rhi h isme ab mahadev aur rudraksh bhi shamil ho gye h
Nice update....
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
thank you will check it out
romanchak update. clito ko kaid kiya gaya tha ..
ab ek aur dev yuddh shuru honewala hai jisme jeet kalat ki honewali hai aisa ped aur sagrika kitab se pata chala hai ..
nice update
Badhiya update bhai
Jaise ki bataya gaya ha ki महाशक्ति मैग्रा posidan ke against gayi thi to shefali ke chances ha uske hone ke lekin shefali ko to or koi sanket de raha ha use to hosh hi nahi rahta jab usme powers aa jati ha or atlantis vraksh ne trikali ka naam liya tha to shayd shefali trikali hi ho sakti ha महाशक्ति मैग्रा kya pata usi tilism me kaid ho abhi
Vyom atlantis vraksh ko apna sa kyon laga ye kuchh samajh nahi aya kyonki uska kya connection ho sakta ha in sabse suyesh hota to baat kuchh or hoti lekin vyom kya uska bhi koi punarjanm ha
Or sarika wali pustak ne bhi hint de diya ha ki tilism ko todne wale aa gaye han lekin saptlok ki shakti kahon shefali to nahi kyonki brahm kan ka to connection sidha suyesh se ha aryan ki wajah se or lagta ha jaise hi tilism tutega devi shalaka bhi udhar se ajad ho jayengi or yudh start hoga fir
Or suyesh and party pahunch chuke han lagta ha tilism me lagta ha mayawon paar kar chuke han ye log and starting me hi medusa ki murti bhai thodi bahut kahaniya to mene bhi padhi ha medusa ki , ki samudra ke devta posidan ne medusa ka balatkar kiya tha or medusa jis devi ki puja karti thi usne medusa ko shrap diya tha jisse khubsurat dikhne wali medusa aisi badsurat dikhti thi or sabse khatarnak ha uski ankhen medusa ki ankhon me jo dekhta ha wo pathar ban jata ha aisa to mene padha ha dekhte han kahin inme se koi pathar ka na ban jaye
परिवार संग आनंद उठा रहे हैं छुट्टियों का![]()
Bhut hi badhiya update
To ek aur dev yudh hone wala hai aur usme kalat ki side ki jit hogi kyonki deviy shaktiya unhi ki taraf hai aesa ped aur sagrika kitab ne bataya
Vahi dusri taraf suyash and team ko medusa aur jalpari ki murtiya mili hai
Behtareen update
Johny bhi gayab ho gya.... Dekhte hai aage kya hota hai
Bhut hi badhiya update
To jonny bhi us sharab jese dravya ko pikar gorilla me badal gaya or vaha se chala gaya ab ve sirf 8 hi log bache hai
Vahi professor Albert ne bhi medusa or uske pariwar ki kahani batayi
Dekhte hai ab aage kya hota hai
Nice story
intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....#99.
महाशक्ति मैग्रा
(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 02:15, मायावन, अराका द्वीप)
सुयश सहित सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे। उस पार्क में बज रही वह धुन भी अब बंद हो चुकी थी। रात का सन्नाटा चारो ओर पसरा हुआ था।
तभी अचानक मेडूसा की मूर्ति से निकलता फव्वारा अपने आप बंद हो गया और इसी के साथ मेडूसा की मूर्ति की पलके भी झपकने लगी।
कुछ ही देर में मेडूसा मूर्ति से सजीव में बदल गयी। वह धीरे-धीरे चलती हुई उस तालाब से बाहर निकली।
उसकी नज़रें अब वहां सो रहे सभी लोगो पर फ़िरने लगी। कुछ ही देर में मेडूसा की आँखें शैफाली पर जाकर रुक गयी।
मेडूसा अभी-अभी तालाब से निकली थी, पर उसके शरीर पर एक भी पानी की बूंद नहीं दिख रही थी।
उसके सिर पर बाल की जगह निकले साँप अपनी जीभ निकालकर एक अजीब सा भय उत्पन्न कर रहे थे।
मेडूसा अब शैफाली की ओर बढ़ने लगी।
कुछ ही देर में वह शैफाली के पास थी।
मेडूसा ने अब धीरे से बैठकर शैफाली के बालों पर 3 बार हाथ फेरा और वापस तालाब की ओर चल दी।
कुछ ही देर में मेडूसा वापस तालाब में वापस पहुंच गई।
उसके पुरानी स्थिति में खड़े होते ही वह फिर से पत्थर हो गयी और उसके बालों से वापस फ़व्वारे निकलने लगे।
सोती हुई शैफाली अब करवट बदलने लगी। शायद वह कोई सपना देख रही थी।
तो आइये सीधे चलते हैं शैफाली के सपनें में...........................
आसमान में ऊंचाई पर काफ़ी हवा थी। सफेद बादलों के गुच्छे अलग-अलग आकृति में हवाओँ में बह रहे थे।
पर सफेद बादलों की एक टुकड़ी अपनी जगह पर स्थिर थी। वह एक प्रकार के कृत्रिम बादल थे, पर वो बादल अकेले नहीं थे। उनके साथ 2 शरीर भी थे, जो कि दूध से सफेद पत्थर के महल के बाहर खड़े थे।
दोनों देखने में किसी देवी-देवता की तरह सुंदर दिख रहे थे। दोनों ने ही बिल्कुल सफेद रंग की पोशाक भी पहन रखी थी।
“जमीन से इतनी ऊपर बादलों में तुम्हे कैसा महसूस हो रहा है मैग्रा?" कैस्पर ने मैग्रा से पूछा।
“बिल्कुल सपनों सरीखा।" मैग्रा ने कैस्पर का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा- “मैंने जैसी कल्पना की थी, तुमने उससे भी खूबसूरत महल का निर्माण किया है कैस्पर। मैं कितनी खुशकिस्मत हूं जो मुझे तुम्हारे जैसा जीवनसाथी मिला, जो मेरी हर छोटी से छोटी चीज़ो का भी ख़याल रखता है। क्या तुम मुझे जीवन भर ऐसे ही प्यार करते रहोगे?"
“मैं तो बिल्कुल खाली-खाली सा था, तुमने आकर मेरे जिंदगी को खुशियों से भर दिया। ईश्वर करे हमारा यह साथ हज़ारों सालो तक चले और मैं तुम्हे यूं ही प्यार करता रहूं।"
कैस्पर के शब्दों में जाने कैसा नशा सा था कि मैग्रा कैस्पर के प्यार में खोती जा रही थी।
तभी मैग्रा को दूर से उड़कर आता एक विशालकाय ड्रैगन दिखाई दिया।
“लो आ गया कबाब में हड्डी।" कैस्पर ने ड्रैगन को देख मुंह बनाते हुए कहा- “कब तक वापस लौटोगी?"
“काम बहुत ज़्यादा नहीं है। चिंता मत करो, जल्दी ही लौट आऊंगी तुम्हारे पास। आख़िर मेरा भी मन कहां लगेगा तुम्हारे बिना।" मैग्रा ने मुस्कुराते हुए कैस्पर से कहा।
“ठीक है, पर जल्दी लौटना।" कैस्पर ने मैग्रा के गले लगाते हुए कहा- “और अपना ख़याल रखना।"
मैग्रा ने धीरे से सिर हिलाया और फ़िर कैस्पर से दूर हटते हुए जोर से आवाज लगाई- “ड्रेंगो!"
और इसी के साथ मैग्रा आसमान की ऊंचाइयों से कूद गयी।
वह हवा में तेजी से नीचे की ओर जा रही थी। तभी ड्रेंगो उड़ते हुए, मैग्रा के शरीर के नीचे आ गया।
मैग्रा अब ड्रेंगो पर बैठ चुकी थी और ड्रेंगो तेजी से आसमान से नीचे जा रहा था।
थोड़ी ही देर में नीचे गहरा समुद्र दिखाई देने लगा।
कुछ ही देर में ड्रेंगो समुद्र की सतह को छूने वाला था। तभी मैग्रा के शरीर में कुछ अजीब से बदलाव आने लगे।
उसकी सफेद दूधिया पोशाक अब समुद्र के रंग की एक शरीर से चिपकी पोशाक बन गयी। जिस पर मछली के समान विभिन्न शल्क बनी दिखाई देने लगी।
मैग्रा के बालों की जगह भी समुंद्री ताज नजर आने लगा था, जिस पर 2 मुड़ी हुई सींघ भी निकल आयी थी। अब वह दूर से देखने पर कोई समुंद्री जीव ही नजर आ रही थी।
तभी जोर की ‘छपाक’ की आवाज के साथ ड्रेंगो ने पानी में डुबकी मारी।
चूंकि ड्रेंगो एक ड्रैगन और हायड्रा का मिला-जुला स्वरूप था। इसलिए पानी में डुबकी मारने के बाद भी ड्रेंगो की रफ़्तार में कोई परिवर्तन नहीं आया था। वह बहुत तेजी के साथ समुद्र की गहराई में जा रहा था।
10 मिनट के बाद मैग्रा को समुद्र की तली नजर आने लगी। अब ड्रेंगो की दिशा थोड़ी सी बदल गयी।
अब वह समुद्र की गहराई में अंदर तैरने लगा।
हर तरफ पानी ही पानी दिख रहा था। अजीब-अजीब से जलीय जंतू पानी में घूम रहे थे।
मैग्रा को किसी भी जगह ड्रेंगो को गाइड करने की जरुरत नहीं दिख रही थी, ऐसा लग रहा था कि मानो ड्रेंगो को पता हो कि उसे कहां जाना है।
तभी समुद्र की तली में किसी भव्य सभ्यता के डूबने के अवशेष दिखाई देने लगे।
पानी के अंदर एक गोल आकृति वाली सभ्यता जो शायद अपने समय में बहुत विकसित रही हो।
कहीं पानी में डूबा हुआ पिरामिड दिख रहा था, तो कहीं किसी विशाल मंदिर के अवशेष दिख रहे थे।
मगर ड्रेंगो कहीं रुक नहीं रहा था। रास्ते में पड़ने वाले विशाल जीव भी ड्रेंगो को देखकर अपना रास्ता बदल दे रहे थे।
तभी समुद्र में एक जगह पर, जमीन में एक बड़ी सी दरार दिखाई दी। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे समुद्र के अंदर आये किसी विशालकाय भूकंप ने वहां कि जमीन फाड़ दी हो।
वहां पर जमीन के अंदर जाने के लिए एक बहुत बड़ा सा रास्ता बन गया था।
पानी में तेजी से तैरता हुआ ड्रेंगो उस दरार से जमीन के अंदर चला गया।
अंदर बहुत अंधकार था। तभी मैग्रा के हाथों में जाने कहां से एक सूर्य के समान चमकता हुआ गोला आ गया। उसकी तेज रोशनी से उस पूरे क्षेत्र में उजाला हो गया।
वह एक जमीन के अंदर जाने वाली बहुत बड़ी सुरंग थी।
काफ़ी देर तक उसी स्पीड में तैरते रहने के बाद आखिरकार वह सुरंग ख़तम हो गई।
अब एक काफ़ी बड़ा सा क्षेत्र समुद्र में उस जगह पर दिखाई देने लगा।
तभी मैग्रा को कुछ दूर समुद्र में एक रोशनी सी दिखाई दी। मैग्रा के इशारे पर ड्रेंगो उस दिशा में चल पड़ा।
कुछ देर में उस चमक का कारण समझ में आने लगा।
समुद्र के अंदर वह एक सोने का महल था।
समुद्र की इतनी गहराई में इतना विशालकाय सोने का महल किसने बनवाया होगा? इसका तो खैर पता नहीं चला, पर उस स्वर्ण महल की भव्यता देखने लायक थी।
तभी कुछ अजीब जीवो पर सवार कुछ मगरमच्छ मानव दिखाई दिये, जो शरीर से तो इंसान जैसे थे, पर चेहरे से मगरमच्छ जैसे लग रहे थे।
उन्होंने मैग्रा को देखते ही अपने हाथ में पकड़े अस्त्र से, मैग्रा पर हमला कर दिया।
पर मैग्रा को बचाव करने की कोई जरुरत नहीं थी, उनके लिये ड्रेंगो ही काफ़ी था।
ड्रेंगो ने अपनी विशालकाय पूंछ से सभी मगरमच्छ मानवों को पानी में दूर उछाल दिया।
मैग्रा फ़िर से स्वर्ण महल की ओर बढ़ने लगी, पर मैग्रा जैसे ही महल के द्वार पर पहुंची। एक विशालकाय जलदैत्य ने मैग्रा को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया।
वह जलदैत्य एक 2 सिर वाला बहुत बड़ा अजगर था, जिसके हाथ और पैर भी थे।
“कराका के होते हुए तुम इस तरह से स्वर्ण महल में प्रवेश नहीं कर सकती मूर्ख़ लड़की।" कराका ने जोर से गर्जते हुए कहा।
कराका ने मैग्रा को खाने के लिये अपना एक मुंह जोर से फाड़ा। तभी मैग्रा के हाथ में दोबारा वही सूर्य के समान गोला प्रकट हुआ, जो मैग्रा के हाथ से निकल कर कराका के खुले मुंह में प्रवेश कर गया।
कराका के मुंह में घुसकर वह गोला तेजी से अपना आकार बढ़ाने लगा। अब कराका के मुह से चीख निकलने लगी। उसने मैग्रा को हाथ से फेंक दिया और एक दिशा में भाग गया।
अब मैग्रा ने स्वर्ण महल में प्रवेश किया। अजीब सी बात थी, स्वर्ण महल में बिल्कुल भी पानी नहीं था।
महल में घुसते ही मैग्रा को सामने एक ऊर्जा के ग्लोब में एक त्रिशूल कि भांति एक ‘पंचशूल’ दिखाई दिया।
उस पंचशूल के बीच में एक सूर्य की गोलाकार आकृति बनी थी।
मैग्रा ने अपना हाथ हवा में लहराया। अब उसके हाथ में एक तलवार दिखाई दी।
मैग्रा ने अपनी तलवार का वार पूरे जोर से उस ऊर्जा के ग्लोब पर किया। पर इस वार से उस ऊर्जा ग्लोब पर कोई असर नहीं हुआ।
अब मैग्रा के हाथ में एक कुल्हाड़ा प्रकट हुआ, पर उसके भी प्रहार से ऊर्जा ग्लोब पर कुछ भी असर नहीं हुआ।
इस बार मैग्रा के हाथ में फ़िर से सूर्य के समान गोला प्रकट हुआ। मैग्रा ने वह सूर्य का गोला उस ऊर्जा ग्लोब पर मार दिया। इस बार उस सूर्य के गोले से आग की लहरें निकलकर उस ऊर्जा ग्लोब को गर्म करने लगी।
जब ऊर्जा ग्लोब आग की तरह धधकने लगा तो मैग्रा के हाथ में एक सफेद रंग का चंद्र ग्लोब दिखाई दिया।
मैग्रा ने चंद्र-ग्लोब भी उस ओर उछाल दिया। चंद्र-ग्लोब ने दूसरी ओर से उस ऊर्जा ग्लोब पर बर्फ़ की बौछार कर दी।
अब ऊर्जा ग्लोब एक तरफ से सूर्य की आग उगलती गरमी से गर्म हो रहा था, तो वही दूसरी ओर चंद्रमा की बर्फ़उसे ठंडा कर रही थी।
थोड़ी देर के बाद उस ऊर्जा ग्लोब में दरारें दिखने लगी।
अब मैग्रा ने अपनी हाथ में पकड़ी तलवार पूरी ताकत से उस ऊर्जा-ग्लोब पर मार दी।
मैग्रा के इस वार से ऊर्जा-ग्लोब टूट कर बिखर गया।
ग्लोब के बिखरते ही सूर्य और चंद्र गोले गायब हो गये। मैग्रा ने अब आगे बढ़कर उस पंचशूल को उठा लिया।
पंचशूल को उठाते ही मैग्रा को अपने शरीर में बिजली सी दौड़ती हुई महसूस हुई।
“मैग्राऽऽऽऽऽ!" और इसी के साथ शैफाली चीखकर उठकर बैठ गयी।
शैफाली की चीख सुनकर सभी जाग गये। शैफाली का पूरा शरीर पसीने से सराबोर था।
“क्या हुआ शैफाली?" अल्बर्ट ने भागकर आते हुए कहा- “क्या तुम फ़िर से कोई सपना देख रही थी?“
शैफाली ने धीरे से अपना सिर हां में हिलाया।
क्रिस्टी ने पानी की बोतल निकालकर शैफाली को पकड़ा दी। शैफाली का पूरा गला सूख गया था, इसिलये वह एक साँस में ही पूरा पानी पी गयी।
फ़िर शैफाली ने सबको अपने सपने की पूरी कहानी सुना दी।
“अब यह मैग्रा और कैस्पर कौन हैं?" जेनिथ ने कहा- “इस द्वीप की कहानी तो उलझती ही जा रही है। रोज नये-नये पात्रो का पता चल रहा है।"
“अगर यह सपना शैफाली ने देखा है, तो हम इसे झुठला नहीं सकते।" अल्बर्ट ने शैफाली की ओर देखते हुए कहा- “अब ये नहीं पता कि ये घटना कब घटेगी?"
“आप ये कैसे कह रहे है प्रोफेसर, कि यह घटना घटने वाली है?" सुयश ने दिमाग लगाते हुए अल्बर्ट से पूछा- “मुझे तो यह घटना भी मेरी वेदालय वाली घटना की तरह ही बीते हुए समय की घटना लग रही है।"
“आप एक बात भूल रहे हैं कैप्टन कि शैफाली ने आज तक जितनी भी घटनाएं अपने सपने में देखी है, वो सभी भविष्य में घटने वाली घटनाएं थी।" अल्बर्ट ने पुनः सुयश से कहा।
“आपकी बात सही है प्रोफेसर, पर पता नहीं क्यों मुझे यह घटना बीते हुए समय की लग रही है। क्यों कि आज के समय में ड्रेगन और हाइड्रा का अस्तित्व मुझे थोड़ा सही नहीं लग रहा है।" सुयश ने सभी की ओर बारी-बारी से देखते हुए कहा।
किसी के पास कोई जवाब नहीं था, इसलिए सभी फ़िर से सोने के लिये चल दिये।
इस सपने का जवाब वहां मौजूद केवल एक के पास ही था, जिसने शैफाली को यह सपने दिखाए ही थे।
और वह थी- “मेडूसाऽऽऽऽऽऽऽ"
जारी रहेगा_______![]()
#99.
महाशक्ति मैग्रा
(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 02:15, मायावन, अराका द्वीप)
सुयश सहित सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे। उस पार्क में बज रही वह धुन भी अब बंद हो चुकी थी। रात का सन्नाटा चारो ओर पसरा हुआ था।
तभी अचानक मेडूसा की मूर्ति से निकलता फव्वारा अपने आप बंद हो गया और इसी के साथ मेडूसा की मूर्ति की पलके भी झपकने लगी।
कुछ ही देर में मेडूसा मूर्ति से सजीव में बदल गयी। वह धीरे-धीरे चलती हुई उस तालाब से बाहर निकली।
उसकी नज़रें अब वहां सो रहे सभी लोगो पर फ़िरने लगी। कुछ ही देर में मेडूसा की आँखें शैफाली पर जाकर रुक गयी।
मेडूसा अभी-अभी तालाब से निकली थी, पर उसके शरीर पर एक भी पानी की बूंद नहीं दिख रही थी।
उसके सिर पर बाल की जगह निकले साँप अपनी जीभ निकालकर एक अजीब सा भय उत्पन्न कर रहे थे।
मेडूसा अब शैफाली की ओर बढ़ने लगी।
कुछ ही देर में वह शैफाली के पास थी।
मेडूसा ने अब धीरे से बैठकर शैफाली के बालों पर 3 बार हाथ फेरा और वापस तालाब की ओर चल दी।
कुछ ही देर में मेडूसा वापस तालाब में वापस पहुंच गई।
उसके पुरानी स्थिति में खड़े होते ही वह फिर से पत्थर हो गयी और उसके बालों से वापस फ़व्वारे निकलने लगे।
सोती हुई शैफाली अब करवट बदलने लगी। शायद वह कोई सपना देख रही थी।
तो आइये सीधे चलते हैं शैफाली के सपनें में...........................
आसमान में ऊंचाई पर काफ़ी हवा थी। सफेद बादलों के गुच्छे अलग-अलग आकृति में हवाओँ में बह रहे थे।
पर सफेद बादलों की एक टुकड़ी अपनी जगह पर स्थिर थी। वह एक प्रकार के कृत्रिम बादल थे, पर वो बादल अकेले नहीं थे। उनके साथ 2 शरीर भी थे, जो कि दूध से सफेद पत्थर के महल के बाहर खड़े थे।
दोनों देखने में किसी देवी-देवता की तरह सुंदर दिख रहे थे। दोनों ने ही बिल्कुल सफेद रंग की पोशाक भी पहन रखी थी।
“जमीन से इतनी ऊपर बादलों में तुम्हे कैसा महसूस हो रहा है मैग्रा?" कैस्पर ने मैग्रा से पूछा।
“बिल्कुल सपनों सरीखा।" मैग्रा ने कैस्पर का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा- “मैंने जैसी कल्पना की थी, तुमने उससे भी खूबसूरत महल का निर्माण किया है कैस्पर। मैं कितनी खुशकिस्मत हूं जो मुझे तुम्हारे जैसा जीवनसाथी मिला, जो मेरी हर छोटी से छोटी चीज़ो का भी ख़याल रखता है। क्या तुम मुझे जीवन भर ऐसे ही प्यार करते रहोगे?"
“मैं तो बिल्कुल खाली-खाली सा था, तुमने आकर मेरे जिंदगी को खुशियों से भर दिया। ईश्वर करे हमारा यह साथ हज़ारों सालो तक चले और मैं तुम्हे यूं ही प्यार करता रहूं।"
कैस्पर के शब्दों में जाने कैसा नशा सा था कि मैग्रा कैस्पर के प्यार में खोती जा रही थी।
तभी मैग्रा को दूर से उड़कर आता एक विशालकाय ड्रैगन दिखाई दिया।
“लो आ गया कबाब में हड्डी।" कैस्पर ने ड्रैगन को देख मुंह बनाते हुए कहा- “कब तक वापस लौटोगी?"
“काम बहुत ज़्यादा नहीं है। चिंता मत करो, जल्दी ही लौट आऊंगी तुम्हारे पास। आख़िर मेरा भी मन कहां लगेगा तुम्हारे बिना।" मैग्रा ने मुस्कुराते हुए कैस्पर से कहा।
“ठीक है, पर जल्दी लौटना।" कैस्पर ने मैग्रा के गले लगाते हुए कहा- “और अपना ख़याल रखना।"
मैग्रा ने धीरे से सिर हिलाया और फ़िर कैस्पर से दूर हटते हुए जोर से आवाज लगाई- “ड्रेंगो!"
और इसी के साथ मैग्रा आसमान की ऊंचाइयों से कूद गयी।
वह हवा में तेजी से नीचे की ओर जा रही थी। तभी ड्रेंगो उड़ते हुए, मैग्रा के शरीर के नीचे आ गया।
मैग्रा अब ड्रेंगो पर बैठ चुकी थी और ड्रेंगो तेजी से आसमान से नीचे जा रहा था।
थोड़ी ही देर में नीचे गहरा समुद्र दिखाई देने लगा।
कुछ ही देर में ड्रेंगो समुद्र की सतह को छूने वाला था। तभी मैग्रा के शरीर में कुछ अजीब से बदलाव आने लगे।
उसकी सफेद दूधिया पोशाक अब समुद्र के रंग की एक शरीर से चिपकी पोशाक बन गयी। जिस पर मछली के समान विभिन्न शल्क बनी दिखाई देने लगी।
मैग्रा के बालों की जगह भी समुंद्री ताज नजर आने लगा था, जिस पर 2 मुड़ी हुई सींघ भी निकल आयी थी। अब वह दूर से देखने पर कोई समुंद्री जीव ही नजर आ रही थी।
तभी जोर की ‘छपाक’ की आवाज के साथ ड्रेंगो ने पानी में डुबकी मारी।
चूंकि ड्रेंगो एक ड्रैगन और हायड्रा का मिला-जुला स्वरूप था। इसलिए पानी में डुबकी मारने के बाद भी ड्रेंगो की रफ़्तार में कोई परिवर्तन नहीं आया था। वह बहुत तेजी के साथ समुद्र की गहराई में जा रहा था।
10 मिनट के बाद मैग्रा को समुद्र की तली नजर आने लगी। अब ड्रेंगो की दिशा थोड़ी सी बदल गयी।
अब वह समुद्र की गहराई में अंदर तैरने लगा।
हर तरफ पानी ही पानी दिख रहा था। अजीब-अजीब से जलीय जंतू पानी में घूम रहे थे।
मैग्रा को किसी भी जगह ड्रेंगो को गाइड करने की जरुरत नहीं दिख रही थी, ऐसा लग रहा था कि मानो ड्रेंगो को पता हो कि उसे कहां जाना है।
तभी समुद्र की तली में किसी भव्य सभ्यता के डूबने के अवशेष दिखाई देने लगे।
पानी के अंदर एक गोल आकृति वाली सभ्यता जो शायद अपने समय में बहुत विकसित रही हो।
कहीं पानी में डूबा हुआ पिरामिड दिख रहा था, तो कहीं किसी विशाल मंदिर के अवशेष दिख रहे थे।
मगर ड्रेंगो कहीं रुक नहीं रहा था। रास्ते में पड़ने वाले विशाल जीव भी ड्रेंगो को देखकर अपना रास्ता बदल दे रहे थे।
तभी समुद्र में एक जगह पर, जमीन में एक बड़ी सी दरार दिखाई दी। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे समुद्र के अंदर आये किसी विशालकाय भूकंप ने वहां कि जमीन फाड़ दी हो।
वहां पर जमीन के अंदर जाने के लिए एक बहुत बड़ा सा रास्ता बन गया था।
पानी में तेजी से तैरता हुआ ड्रेंगो उस दरार से जमीन के अंदर चला गया।
अंदर बहुत अंधकार था। तभी मैग्रा के हाथों में जाने कहां से एक सूर्य के समान चमकता हुआ गोला आ गया। उसकी तेज रोशनी से उस पूरे क्षेत्र में उजाला हो गया।
वह एक जमीन के अंदर जाने वाली बहुत बड़ी सुरंग थी।
काफ़ी देर तक उसी स्पीड में तैरते रहने के बाद आखिरकार वह सुरंग ख़तम हो गई।
अब एक काफ़ी बड़ा सा क्षेत्र समुद्र में उस जगह पर दिखाई देने लगा।
तभी मैग्रा को कुछ दूर समुद्र में एक रोशनी सी दिखाई दी। मैग्रा के इशारे पर ड्रेंगो उस दिशा में चल पड़ा।
कुछ देर में उस चमक का कारण समझ में आने लगा।
समुद्र के अंदर वह एक सोने का महल था।
समुद्र की इतनी गहराई में इतना विशालकाय सोने का महल किसने बनवाया होगा? इसका तो खैर पता नहीं चला, पर उस स्वर्ण महल की भव्यता देखने लायक थी।
तभी कुछ अजीब जीवो पर सवार कुछ मगरमच्छ मानव दिखाई दिये, जो शरीर से तो इंसान जैसे थे, पर चेहरे से मगरमच्छ जैसे लग रहे थे।
उन्होंने मैग्रा को देखते ही अपने हाथ में पकड़े अस्त्र से, मैग्रा पर हमला कर दिया।
पर मैग्रा को बचाव करने की कोई जरुरत नहीं थी, उनके लिये ड्रेंगो ही काफ़ी था।
ड्रेंगो ने अपनी विशालकाय पूंछ से सभी मगरमच्छ मानवों को पानी में दूर उछाल दिया।
मैग्रा फ़िर से स्वर्ण महल की ओर बढ़ने लगी, पर मैग्रा जैसे ही महल के द्वार पर पहुंची। एक विशालकाय जलदैत्य ने मैग्रा को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया।
वह जलदैत्य एक 2 सिर वाला बहुत बड़ा अजगर था, जिसके हाथ और पैर भी थे।
“कराका के होते हुए तुम इस तरह से स्वर्ण महल में प्रवेश नहीं कर सकती मूर्ख़ लड़की।" कराका ने जोर से गर्जते हुए कहा।
कराका ने मैग्रा को खाने के लिये अपना एक मुंह जोर से फाड़ा। तभी मैग्रा के हाथ में दोबारा वही सूर्य के समान गोला प्रकट हुआ, जो मैग्रा के हाथ से निकल कर कराका के खुले मुंह में प्रवेश कर गया।
कराका के मुंह में घुसकर वह गोला तेजी से अपना आकार बढ़ाने लगा। अब कराका के मुह से चीख निकलने लगी। उसने मैग्रा को हाथ से फेंक दिया और एक दिशा में भाग गया।
अब मैग्रा ने स्वर्ण महल में प्रवेश किया। अजीब सी बात थी, स्वर्ण महल में बिल्कुल भी पानी नहीं था।
महल में घुसते ही मैग्रा को सामने एक ऊर्जा के ग्लोब में एक त्रिशूल कि भांति एक ‘पंचशूल’ दिखाई दिया।
उस पंचशूल के बीच में एक सूर्य की गोलाकार आकृति बनी थी।
मैग्रा ने अपना हाथ हवा में लहराया। अब उसके हाथ में एक तलवार दिखाई दी।
मैग्रा ने अपनी तलवार का वार पूरे जोर से उस ऊर्जा के ग्लोब पर किया। पर इस वार से उस ऊर्जा ग्लोब पर कोई असर नहीं हुआ।
अब मैग्रा के हाथ में एक कुल्हाड़ा प्रकट हुआ, पर उसके भी प्रहार से ऊर्जा ग्लोब पर कुछ भी असर नहीं हुआ।
इस बार मैग्रा के हाथ में फ़िर से सूर्य के समान गोला प्रकट हुआ। मैग्रा ने वह सूर्य का गोला उस ऊर्जा ग्लोब पर मार दिया। इस बार उस सूर्य के गोले से आग की लहरें निकलकर उस ऊर्जा ग्लोब को गर्म करने लगी।
जब ऊर्जा ग्लोब आग की तरह धधकने लगा तो मैग्रा के हाथ में एक सफेद रंग का चंद्र ग्लोब दिखाई दिया।
मैग्रा ने चंद्र-ग्लोब भी उस ओर उछाल दिया। चंद्र-ग्लोब ने दूसरी ओर से उस ऊर्जा ग्लोब पर बर्फ़ की बौछार कर दी।
अब ऊर्जा ग्लोब एक तरफ से सूर्य की आग उगलती गरमी से गर्म हो रहा था, तो वही दूसरी ओर चंद्रमा की बर्फ़उसे ठंडा कर रही थी।
थोड़ी देर के बाद उस ऊर्जा ग्लोब में दरारें दिखने लगी।
अब मैग्रा ने अपनी हाथ में पकड़ी तलवार पूरी ताकत से उस ऊर्जा-ग्लोब पर मार दी।
मैग्रा के इस वार से ऊर्जा-ग्लोब टूट कर बिखर गया।
ग्लोब के बिखरते ही सूर्य और चंद्र गोले गायब हो गये। मैग्रा ने अब आगे बढ़कर उस पंचशूल को उठा लिया।
पंचशूल को उठाते ही मैग्रा को अपने शरीर में बिजली सी दौड़ती हुई महसूस हुई।
“मैग्राऽऽऽऽऽ!" और इसी के साथ शैफाली चीखकर उठकर बैठ गयी।
शैफाली की चीख सुनकर सभी जाग गये। शैफाली का पूरा शरीर पसीने से सराबोर था।
“क्या हुआ शैफाली?" अल्बर्ट ने भागकर आते हुए कहा- “क्या तुम फ़िर से कोई सपना देख रही थी?“
शैफाली ने धीरे से अपना सिर हां में हिलाया।
क्रिस्टी ने पानी की बोतल निकालकर शैफाली को पकड़ा दी। शैफाली का पूरा गला सूख गया था, इसिलये वह एक साँस में ही पूरा पानी पी गयी।
फ़िर शैफाली ने सबको अपने सपने की पूरी कहानी सुना दी।
“अब यह मैग्रा और कैस्पर कौन हैं?" जेनिथ ने कहा- “इस द्वीप की कहानी तो उलझती ही जा रही है। रोज नये-नये पात्रो का पता चल रहा है।"
“अगर यह सपना शैफाली ने देखा है, तो हम इसे झुठला नहीं सकते।" अल्बर्ट ने शैफाली की ओर देखते हुए कहा- “अब ये नहीं पता कि ये घटना कब घटेगी?"
“आप ये कैसे कह रहे है प्रोफेसर, कि यह घटना घटने वाली है?" सुयश ने दिमाग लगाते हुए अल्बर्ट से पूछा- “मुझे तो यह घटना भी मेरी वेदालय वाली घटना की तरह ही बीते हुए समय की घटना लग रही है।"
“आप एक बात भूल रहे हैं कैप्टन कि शैफाली ने आज तक जितनी भी घटनाएं अपने सपने में देखी है, वो सभी भविष्य में घटने वाली घटनाएं थी।" अल्बर्ट ने पुनः सुयश से कहा।
“आपकी बात सही है प्रोफेसर, पर पता नहीं क्यों मुझे यह घटना बीते हुए समय की लग रही है। क्यों कि आज के समय में ड्रेगन और हाइड्रा का अस्तित्व मुझे थोड़ा सही नहीं लग रहा है।" सुयश ने सभी की ओर बारी-बारी से देखते हुए कहा।
किसी के पास कोई जवाब नहीं था, इसलिए सभी फ़िर से सोने के लिये चल दिये।
इस सपने का जवाब वहां मौजूद केवल एक के पास ही था, जिसने शैफाली को यह सपने दिखाए ही थे।
और वह थी- “मेडूसाऽऽऽऽऽऽऽ"
जारी रहेगा_______![]()
Thank you very much for your valuable review bhaiBahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
Neend to ab udegi bhai, ek or ka number lagne walaGazab ki update he Raj_sharma Bhai,
Ek aur sapna yani ke............ek aur nayi musibat............
Medusa to shaifali ko sapna dikha kar wapis murti ban gayi............lekin in sabke nind uda gayi.............
Keep rocking Bro
Mstt update#99.
महाशक्ति मैग्रा
(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 02:15, मायावन, अराका द्वीप)
सुयश सहित सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे। उस पार्क में बज रही वह धुन भी अब बंद हो चुकी थी। रात का सन्नाटा चारो ओर पसरा हुआ था।
तभी अचानक मेडूसा की मूर्ति से निकलता फव्वारा अपने आप बंद हो गया और इसी के साथ मेडूसा की मूर्ति की पलके भी झपकने लगी।
कुछ ही देर में मेडूसा मूर्ति से सजीव में बदल गयी। वह धीरे-धीरे चलती हुई उस तालाब से बाहर निकली।
उसकी नज़रें अब वहां सो रहे सभी लोगो पर फ़िरने लगी। कुछ ही देर में मेडूसा की आँखें शैफाली पर जाकर रुक गयी।
मेडूसा अभी-अभी तालाब से निकली थी, पर उसके शरीर पर एक भी पानी की बूंद नहीं दिख रही थी।
उसके सिर पर बाल की जगह निकले साँप अपनी जीभ निकालकर एक अजीब सा भय उत्पन्न कर रहे थे।
मेडूसा अब शैफाली की ओर बढ़ने लगी।
कुछ ही देर में वह शैफाली के पास थी।
मेडूसा ने अब धीरे से बैठकर शैफाली के बालों पर 3 बार हाथ फेरा और वापस तालाब की ओर चल दी।
कुछ ही देर में मेडूसा वापस तालाब में वापस पहुंच गई।
उसके पुरानी स्थिति में खड़े होते ही वह फिर से पत्थर हो गयी और उसके बालों से वापस फ़व्वारे निकलने लगे।
सोती हुई शैफाली अब करवट बदलने लगी। शायद वह कोई सपना देख रही थी।
तो आइये सीधे चलते हैं शैफाली के सपनें में...........................
आसमान में ऊंचाई पर काफ़ी हवा थी। सफेद बादलों के गुच्छे अलग-अलग आकृति में हवाओँ में बह रहे थे।
पर सफेद बादलों की एक टुकड़ी अपनी जगह पर स्थिर थी। वह एक प्रकार के कृत्रिम बादल थे, पर वो बादल अकेले नहीं थे। उनके साथ 2 शरीर भी थे, जो कि दूध से सफेद पत्थर के महल के बाहर खड़े थे।
दोनों देखने में किसी देवी-देवता की तरह सुंदर दिख रहे थे। दोनों ने ही बिल्कुल सफेद रंग की पोशाक भी पहन रखी थी।
“जमीन से इतनी ऊपर बादलों में तुम्हे कैसा महसूस हो रहा है मैग्रा?" कैस्पर ने मैग्रा से पूछा।
“बिल्कुल सपनों सरीखा।" मैग्रा ने कैस्पर का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा- “मैंने जैसी कल्पना की थी, तुमने उससे भी खूबसूरत महल का निर्माण किया है कैस्पर। मैं कितनी खुशकिस्मत हूं जो मुझे तुम्हारे जैसा जीवनसाथी मिला, जो मेरी हर छोटी से छोटी चीज़ो का भी ख़याल रखता है। क्या तुम मुझे जीवन भर ऐसे ही प्यार करते रहोगे?"
“मैं तो बिल्कुल खाली-खाली सा था, तुमने आकर मेरे जिंदगी को खुशियों से भर दिया। ईश्वर करे हमारा यह साथ हज़ारों सालो तक चले और मैं तुम्हे यूं ही प्यार करता रहूं।"
कैस्पर के शब्दों में जाने कैसा नशा सा था कि मैग्रा कैस्पर के प्यार में खोती जा रही थी।
तभी मैग्रा को दूर से उड़कर आता एक विशालकाय ड्रैगन दिखाई दिया।
“लो आ गया कबाब में हड्डी।" कैस्पर ने ड्रैगन को देख मुंह बनाते हुए कहा- “कब तक वापस लौटोगी?"
“काम बहुत ज़्यादा नहीं है। चिंता मत करो, जल्दी ही लौट आऊंगी तुम्हारे पास। आख़िर मेरा भी मन कहां लगेगा तुम्हारे बिना।" मैग्रा ने मुस्कुराते हुए कैस्पर से कहा।
“ठीक है, पर जल्दी लौटना।" कैस्पर ने मैग्रा के गले लगाते हुए कहा- “और अपना ख़याल रखना।"
मैग्रा ने धीरे से सिर हिलाया और फ़िर कैस्पर से दूर हटते हुए जोर से आवाज लगाई- “ड्रेंगो!"
और इसी के साथ मैग्रा आसमान की ऊंचाइयों से कूद गयी।
वह हवा में तेजी से नीचे की ओर जा रही थी। तभी ड्रेंगो उड़ते हुए, मैग्रा के शरीर के नीचे आ गया।
मैग्रा अब ड्रेंगो पर बैठ चुकी थी और ड्रेंगो तेजी से आसमान से नीचे जा रहा था।
थोड़ी ही देर में नीचे गहरा समुद्र दिखाई देने लगा।
कुछ ही देर में ड्रेंगो समुद्र की सतह को छूने वाला था। तभी मैग्रा के शरीर में कुछ अजीब से बदलाव आने लगे।
उसकी सफेद दूधिया पोशाक अब समुद्र के रंग की एक शरीर से चिपकी पोशाक बन गयी। जिस पर मछली के समान विभिन्न शल्क बनी दिखाई देने लगी।
मैग्रा के बालों की जगह भी समुंद्री ताज नजर आने लगा था, जिस पर 2 मुड़ी हुई सींघ भी निकल आयी थी। अब वह दूर से देखने पर कोई समुंद्री जीव ही नजर आ रही थी।
तभी जोर की ‘छपाक’ की आवाज के साथ ड्रेंगो ने पानी में डुबकी मारी।
चूंकि ड्रेंगो एक ड्रैगन और हायड्रा का मिला-जुला स्वरूप था। इसलिए पानी में डुबकी मारने के बाद भी ड्रेंगो की रफ़्तार में कोई परिवर्तन नहीं आया था। वह बहुत तेजी के साथ समुद्र की गहराई में जा रहा था।
10 मिनट के बाद मैग्रा को समुद्र की तली नजर आने लगी। अब ड्रेंगो की दिशा थोड़ी सी बदल गयी।
अब वह समुद्र की गहराई में अंदर तैरने लगा।
हर तरफ पानी ही पानी दिख रहा था। अजीब-अजीब से जलीय जंतू पानी में घूम रहे थे।
मैग्रा को किसी भी जगह ड्रेंगो को गाइड करने की जरुरत नहीं दिख रही थी, ऐसा लग रहा था कि मानो ड्रेंगो को पता हो कि उसे कहां जाना है।
तभी समुद्र की तली में किसी भव्य सभ्यता के डूबने के अवशेष दिखाई देने लगे।
पानी के अंदर एक गोल आकृति वाली सभ्यता जो शायद अपने समय में बहुत विकसित रही हो।
कहीं पानी में डूबा हुआ पिरामिड दिख रहा था, तो कहीं किसी विशाल मंदिर के अवशेष दिख रहे थे।
मगर ड्रेंगो कहीं रुक नहीं रहा था। रास्ते में पड़ने वाले विशाल जीव भी ड्रेंगो को देखकर अपना रास्ता बदल दे रहे थे।
तभी समुद्र में एक जगह पर, जमीन में एक बड़ी सी दरार दिखाई दी। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे समुद्र के अंदर आये किसी विशालकाय भूकंप ने वहां कि जमीन फाड़ दी हो।
वहां पर जमीन के अंदर जाने के लिए एक बहुत बड़ा सा रास्ता बन गया था।
पानी में तेजी से तैरता हुआ ड्रेंगो उस दरार से जमीन के अंदर चला गया।
अंदर बहुत अंधकार था। तभी मैग्रा के हाथों में जाने कहां से एक सूर्य के समान चमकता हुआ गोला आ गया। उसकी तेज रोशनी से उस पूरे क्षेत्र में उजाला हो गया।
वह एक जमीन के अंदर जाने वाली बहुत बड़ी सुरंग थी।
काफ़ी देर तक उसी स्पीड में तैरते रहने के बाद आखिरकार वह सुरंग ख़तम हो गई।
अब एक काफ़ी बड़ा सा क्षेत्र समुद्र में उस जगह पर दिखाई देने लगा।
तभी मैग्रा को कुछ दूर समुद्र में एक रोशनी सी दिखाई दी। मैग्रा के इशारे पर ड्रेंगो उस दिशा में चल पड़ा।
कुछ देर में उस चमक का कारण समझ में आने लगा।
समुद्र के अंदर वह एक सोने का महल था।
समुद्र की इतनी गहराई में इतना विशालकाय सोने का महल किसने बनवाया होगा? इसका तो खैर पता नहीं चला, पर उस स्वर्ण महल की भव्यता देखने लायक थी।
तभी कुछ अजीब जीवो पर सवार कुछ मगरमच्छ मानव दिखाई दिये, जो शरीर से तो इंसान जैसे थे, पर चेहरे से मगरमच्छ जैसे लग रहे थे।
उन्होंने मैग्रा को देखते ही अपने हाथ में पकड़े अस्त्र से, मैग्रा पर हमला कर दिया।
पर मैग्रा को बचाव करने की कोई जरुरत नहीं थी, उनके लिये ड्रेंगो ही काफ़ी था।
ड्रेंगो ने अपनी विशालकाय पूंछ से सभी मगरमच्छ मानवों को पानी में दूर उछाल दिया।
मैग्रा फ़िर से स्वर्ण महल की ओर बढ़ने लगी, पर मैग्रा जैसे ही महल के द्वार पर पहुंची। एक विशालकाय जलदैत्य ने मैग्रा को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया।
वह जलदैत्य एक 2 सिर वाला बहुत बड़ा अजगर था, जिसके हाथ और पैर भी थे।
“कराका के होते हुए तुम इस तरह से स्वर्ण महल में प्रवेश नहीं कर सकती मूर्ख़ लड़की।" कराका ने जोर से गर्जते हुए कहा।
कराका ने मैग्रा को खाने के लिये अपना एक मुंह जोर से फाड़ा। तभी मैग्रा के हाथ में दोबारा वही सूर्य के समान गोला प्रकट हुआ, जो मैग्रा के हाथ से निकल कर कराका के खुले मुंह में प्रवेश कर गया।
कराका के मुंह में घुसकर वह गोला तेजी से अपना आकार बढ़ाने लगा। अब कराका के मुह से चीख निकलने लगी। उसने मैग्रा को हाथ से फेंक दिया और एक दिशा में भाग गया।
अब मैग्रा ने स्वर्ण महल में प्रवेश किया। अजीब सी बात थी, स्वर्ण महल में बिल्कुल भी पानी नहीं था।
महल में घुसते ही मैग्रा को सामने एक ऊर्जा के ग्लोब में एक त्रिशूल कि भांति एक ‘पंचशूल’ दिखाई दिया।
उस पंचशूल के बीच में एक सूर्य की गोलाकार आकृति बनी थी।
मैग्रा ने अपना हाथ हवा में लहराया। अब उसके हाथ में एक तलवार दिखाई दी।
मैग्रा ने अपनी तलवार का वार पूरे जोर से उस ऊर्जा के ग्लोब पर किया। पर इस वार से उस ऊर्जा ग्लोब पर कोई असर नहीं हुआ।
अब मैग्रा के हाथ में एक कुल्हाड़ा प्रकट हुआ, पर उसके भी प्रहार से ऊर्जा ग्लोब पर कुछ भी असर नहीं हुआ।
इस बार मैग्रा के हाथ में फ़िर से सूर्य के समान गोला प्रकट हुआ। मैग्रा ने वह सूर्य का गोला उस ऊर्जा ग्लोब पर मार दिया। इस बार उस सूर्य के गोले से आग की लहरें निकलकर उस ऊर्जा ग्लोब को गर्म करने लगी।
जब ऊर्जा ग्लोब आग की तरह धधकने लगा तो मैग्रा के हाथ में एक सफेद रंग का चंद्र ग्लोब दिखाई दिया।
मैग्रा ने चंद्र-ग्लोब भी उस ओर उछाल दिया। चंद्र-ग्लोब ने दूसरी ओर से उस ऊर्जा ग्लोब पर बर्फ़ की बौछार कर दी।
अब ऊर्जा ग्लोब एक तरफ से सूर्य की आग उगलती गरमी से गर्म हो रहा था, तो वही दूसरी ओर चंद्रमा की बर्फ़उसे ठंडा कर रही थी।
थोड़ी देर के बाद उस ऊर्जा ग्लोब में दरारें दिखने लगी।
अब मैग्रा ने अपनी हाथ में पकड़ी तलवार पूरी ताकत से उस ऊर्जा-ग्लोब पर मार दी।
मैग्रा के इस वार से ऊर्जा-ग्लोब टूट कर बिखर गया।
ग्लोब के बिखरते ही सूर्य और चंद्र गोले गायब हो गये। मैग्रा ने अब आगे बढ़कर उस पंचशूल को उठा लिया।
पंचशूल को उठाते ही मैग्रा को अपने शरीर में बिजली सी दौड़ती हुई महसूस हुई।
“मैग्राऽऽऽऽऽ!" और इसी के साथ शैफाली चीखकर उठकर बैठ गयी।
शैफाली की चीख सुनकर सभी जाग गये। शैफाली का पूरा शरीर पसीने से सराबोर था।
“क्या हुआ शैफाली?" अल्बर्ट ने भागकर आते हुए कहा- “क्या तुम फ़िर से कोई सपना देख रही थी?“
शैफाली ने धीरे से अपना सिर हां में हिलाया।
क्रिस्टी ने पानी की बोतल निकालकर शैफाली को पकड़ा दी। शैफाली का पूरा गला सूख गया था, इसिलये वह एक साँस में ही पूरा पानी पी गयी।
फ़िर शैफाली ने सबको अपने सपने की पूरी कहानी सुना दी।
“अब यह मैग्रा और कैस्पर कौन हैं?" जेनिथ ने कहा- “इस द्वीप की कहानी तो उलझती ही जा रही है। रोज नये-नये पात्रो का पता चल रहा है।"
“अगर यह सपना शैफाली ने देखा है, तो हम इसे झुठला नहीं सकते।" अल्बर्ट ने शैफाली की ओर देखते हुए कहा- “अब ये नहीं पता कि ये घटना कब घटेगी?"
“आप ये कैसे कह रहे है प्रोफेसर, कि यह घटना घटने वाली है?" सुयश ने दिमाग लगाते हुए अल्बर्ट से पूछा- “मुझे तो यह घटना भी मेरी वेदालय वाली घटना की तरह ही बीते हुए समय की घटना लग रही है।"
“आप एक बात भूल रहे हैं कैप्टन कि शैफाली ने आज तक जितनी भी घटनाएं अपने सपने में देखी है, वो सभी भविष्य में घटने वाली घटनाएं थी।" अल्बर्ट ने पुनः सुयश से कहा।
“आपकी बात सही है प्रोफेसर, पर पता नहीं क्यों मुझे यह घटना बीते हुए समय की लग रही है। क्यों कि आज के समय में ड्रेगन और हाइड्रा का अस्तित्व मुझे थोड़ा सही नहीं लग रहा है।" सुयश ने सभी की ओर बारी-बारी से देखते हुए कहा।
किसी के पास कोई जवाब नहीं था, इसलिए सभी फ़िर से सोने के लिये चल दिये।
इस सपने का जवाब वहां मौजूद केवल एक के पास ही था, जिसने शैफाली को यह सपने दिखाए ही थे।
और वह थी- “मेडूसाऽऽऽऽऽऽऽ"
जारी रहेगा_______![]()
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया#98.
उस जलपरी ने अपने हाथ में एक मटकी पकड़ी हुई थी।
मटकी का मुंह नीचे की ओर था। नीचे की ओर पत्थर से बनी एक नाली के जैसी संरचना बनी थी, जो वहां से घुमावदार रास्ते की शकल में, कुछ दूर बने एक ड्रैगन की मूर्ति के मुंह तक जा रही थी।
कुल मिलाकर बहुत ही रहस्यमयी वातावरण था।
तभी सूर्य की आखरी किरण ने भी आसमान से अलविदा कहा और शाम हो गयी।
सूर्य की आखरी किरण के जाते ही अचानक उस क्षेत्र में किसी वाद्य यंत्र का एक मीठा संगीत सा बजने लगा।
संगीत को सुन सभी आश्चर्य से इधर-उधर देखने लगे, पर उन्हें यह समझ नहीं आया कि यह संगीत कहां से सुनाई दे रहा है।
वह आवाज चारो ओर गूंज रही थी और सभी के कानों को बहुत भली लग रही थी।
तभी जलपरी के मटके से एक गुलाबी रंग का द्रव निकलना शुरू हो गया।
“यह सब क्या हो रहा है?" क्रिस्टी ने कहा- “लगता है यह कोई तिलिस्मी जगह है?"
“कोई भी यहां कि किसी भी चीज को छुएगा नहीं।" सुयश ने सभी को चेतावनी दे दी।
उधर जलपरी के मटके से निकला गुलाबी द्रव, अब नालियों से होता हुआ, ड्रैगन के मुंह में जाने लगा।
एक बार देखने पर यह महसूस हो रहा था कि वह जलपरी ड्रैगन को शरबत पिला रही है।
पर यह नहीं पता चल रहा था कि जलपरी की मटकी में वह द्रव आ कहां से रहा है? और ड्रैगन के मुंह के बाद जा कहां रहा है?
तभी उस पूरे क्षेत्र में एक खुशबू सी फैल गयी। उस खुशबू में अजीब सा नशा महसूस हो रहा था।
“यह अजीब सी खुशबू किस चीज की है?" जेनिथ ने कहा।
“यह तो शराब जैसी खुशबू है।" जॉनी ने वातावरण में बसी गंध को सूंघते हुए कहा- “पर यह खुशबू आ कहां से रही है?"
अब जॉनी की नजर जलपरी की मटकी से निकलते गुलाबी रंग के द्रव पर पड़ी।
जॉनी धीरे-धीरे चलता हुआ, जलपरी की मूर्ति के पास पहुंच गया और खड़ा होकर उस द्रव को सूंघने लगा।
वह विचित्र सी खुशबू उस गुलाबी द्रव से ही आ रही थी।
“ओए नशेड़ी।" जैक ने जॉनी को चिढ़ाते हुए कहा- “वहां क्या सूंघ रहा है? वह कोई शराब नहीं है।“
जॉनी ने तो जैक की बात का कोई जवाब नहीं दिया और ना ही बुरा माना। उसे तो बस अब वह गुलाबी द्रव ही आकर्षित कर रहा था।
जॉनी ने उस द्रव को अपने चुल्लू में उठाकर देखा और फ़िर धीरे से उसे पी लिया।
“अरे वाह! लॉटरी लग गयी.....ये तो शराब ही है।" जॉनी खुशी से चीखकर नाचने लगा।
उसका नाच देखकर सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी। जॉनी अब जल्दी-जल्दी एक बोतल से पानी फेंक कर उसमें शराब भरने लगा।
“कोई और उस शराब को हाथ भी नहीं लगायेगा।" तौफीक ने चेतावनी देते हुए कहा- “यह किसी प्रकार का मायाजाल भी हो सकता है? नहीं तो इस जंगल में इतना सुंदर संगमरमर का पार्क कहां से आ गया?"
उधर जॉनी लगातार शराब पीता जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह जन्म-जन्म का प्यासा हो।
तभी क्रिस्टी जॉनी को देखकर चीख उठी- “ईऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"
क्रिस्टी की चीख सुनकर सभी का ध्यान जॉनी की ओर गया। उसे देखकर सभी आश्चर्य से भर गये क्यों की जॉनी के शरीर पर बहुत तेजी से बाल निकल रहे थे।
क्रिस्टी की चीख सुन और सभी को अपनी ओर देखता पाकर, जॉनी की नजर स्वयं पर गयी।
उसके हाथ और पैर पर तेजी से बाल निकल रहे थे। अपने में हो रहे इस बदलाव को देख अब जॉनी भी चीखने लगा।
एक क्षण में ही उसका पूरा नशा काफूर हो गया।
“कैप्टन....बचाओऽऽऽऽ.... मुझे ये क्या हो रहा है?" जॉनी सुयश की ओर भागा।
सुयश को भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? असहाय सी अवस्था में वह जॉनी को देख रहा था।
“मुझे बचा लो।" अब जॉनी शैफाली के पास जाकर गिड़गिड़ाने लगा- “तुम कुछ भी कर सकती हो....मुझे बचा लो।"
शैफाली भी सिर्फ जॉनी को देख रही थी, उसके पास भी जॉनी के लिये कोई उपाय नहीं था।
अब जॉनी के चेहरे पर भी बाल निकलने लगे और उसकी आवाज भी धीरे-धीरे बदलने लगी।
कोई अंजान खतरा देख ब्रेंडन और तौफीक ने अपने हाथ में चाकू निकाल लिया।
ब्रेंडन और तौफीक के हाथ में चाकू देख जॉनी डर कर एक तरफ खड़ा हो गया।
उसका बदलना अब भी जारी था।
कुछ ही देर में जॉनी एक पूर्ण विकसित गोरिल्ला में परीवर्तित हो गया।
यह देख जैक भी अब जॉनी से दूर हो गया। सभी डरी-डरी नज़रों से उस गोरिल्ले को देख रहे थे।
तभी गोरिल्ला ने अपने मुंह से बहुत तेज ‘खो-खो’ की आवाज निकाली और उछलकर उस पार्क से बाहर आ गया।
जब तक सभी उसे देखने के लिये बाहर निकले, तब तक वह गोरिल्ला अजीब सी आवाज निकालता और उछलता हुआ जंगल की ओर भाग गया।
जैक को जॉनी के गोरिल्ला बनने पर बिल्कुल भी अफसोस नहीं हुआ, वह तो मन ही मन खुश था क्यूकी अब इस जंगल से निकलने के बाद सारी दौलत जैक की हो जानी थी।
मगर जैक के चेहरे के भाव क्रिस्टी ने साफ पहचान लिये। क्रिस्टी के चेहरे पर अब जैक के लिये नफरत के भाव नजर आये।
एलेक्स और जॉनी के गायब होने के बाद अब वह लोग कुल 8 बचे थे।
सच पूछो तो जॉनी के गायब होने का अफसोस सुयश के अलावा किसी को नहीं हुआ था।
“कैप्टन.... इस घटना के बाद क्या हमें अब भी इस जगह पर रात गुजारनी चाहिये?" ब्रेंडन ने सुयश से पूछा।
“आसपास कोई और जगह इतनी साफ सुथरी नहीं है और वैसे भी अगर हम इस जगह की किसी वस्तु का इस्तेमाल ना करे तो मुझे नहीं लगता कि इस जगह पर रुकने में कोई परेशानी है?"
सुयश ने कहा- “वैसे आपका इस बारे में क्या कहना है प्रोफेसर?"
“मैं आपकी बात से पूरी तरह से सहमत हूँ कैप्टन।" अल्बर्ट ने कहा-
“अगर जॉनी भी जल्दबाजी नहीं करता तो वह भी अब तक हमारे पास होता। इस जगह पर सफाई और पानी दोनो उपलब्ध हैं, हम यहां रुक सकते हैं।"
फिर क्या था, उसी जगह पर एक किनारे बैठकर सभी खाना खाने लगे।
“प्रोफेसर आप हमें ‘मेडूसा’ की कहानी सुनाने वाले थे।" जेनिथ ने अल्बर्ट को याद दिलाते हुए कहा।
अल्बर्ट ने धीरे से सिर हिलाया और कहानी सुनाना शुरू कर दी-
“मेडूसा के पिता का नाम ‘फोर्किस’ और माँ का नाम ‘सीटो’ था। फोर्किस को जल का देवता कहा जाता था। उसके हाथ केकड़े की तरह थे और शरीर का निचला हिस्सा किसी विशाल सर्प की तरह था। शायद वह जलीय दैत्य की प्रजाति का था।
मेडूसा की माँ सीटो ड्रैगन परिवार से थी। बाद में फोर्किस और सीटो ने बहुत से वंश की स्थापना की। जैसे ‘गार्गन वंश’, जिन्हे हम नागवंश कह सकते हैं। गार्गन वंश में सीटो की 3 पुत्रियां हुई। ‘स्थेनो, यूरेल और मेडूसा’। इसमें मेडूसा सबसे छोटी थी। मेडूसा की दोनों बहन अमर थी। मेडूसा पहले बहुत खूबसूरत थी। मेडूसा ने आजीवन कुंआरे रहने का व्रत लिया और कोमार्य की देवी एथेना की पुजारिन बन गयी।
एक दिन समुद्र के देवता पोसाइडन की नजर मेडूसा पर पड़ी और मेडूसा के सौन्दर्य से आसक्त होकर पोसाइडन ने देवी एथेना के मंदिर में ही मेडूसा के साथ बलात्कार किया।
जिससे क्रुद्ध होकर देवी एथेना ने मेडूसा को श्राप देकर सर्प में परिवर्त्तित कर दिया। एथेना के इस श्राप का प्रभाव मेडूसा की दोनों बहनो पर भी हुआ। वह भी मेडूसा की ही तरह सर्प में परिवर्त्तित हो गयी। इस श्राप के प्रभाव से मेडूसा और उन तीन बहनो की आँखों में ऐसी शक्ति आ गयी कि अब जो भी उनकी आँखों में देखता वह पत्थर का बन जाता।
बाद में ‘जीयूष’ के पुत्र ‘पर्सियस’ ने एथेना की दी हुई ‘शील्ड’ से मेडूसा के अक्स को देखकर उसका सिर काट दिया।उस समय मेडूसा, पोसाइडन के बच्चे की माँ बनने वाली थी। मेडूसा का सिर कटने के बाद उसका खून समुद्र में जाकर मिल गया, जिससे पंखों वाले घोड़े ‘पेगासस’ का जन्म हुआ और सुनहरी तलवार के साथ एक योद्धा ‘क्राइसोर’ का जन्म हुआ। उधर फोर्किस और सीटो ने कुछ और वंश को जन्म दिया, जिनमें ‘हेस्पराइडस’ जो कि एक अप्सरा थी और ‘लैडन’ जो कि एक 100 सिर वाला हाइड्रा ड्रैगन था।
लैडन एक खतरनाक योद्धा था, जो कि हेस्पराइडस के ‘सोने के सेब’ के बाग में उस वृक्ष की रक्षा करता था। बाद में जीयूष के दूसरे पुत्र ‘हेराक्लस’ ने लैडन को सोने के सेब की खातिर मार दिया था। इस तरह फोर्किस और सीटो को मूलतः ‘नागवंश’ और ‘ड्रैगनवंश’ का जनक माना गया है। पृथ्वी पर पाया जाने वाला हर ‘राक्षस’ इसी वंश से उत्पन्न हुआ है।" इतना कहकर अल्बर्ट चुप हो गया।
“बाप रे .... बड़ा खतरनाक था मेडूसा का परिवार।" क्रिस्टी ने एक गहरी साँस छोड़ते हुए कहा-
“पर एक बात समझ में नहीं आयी कि एथेना के मंदिर में मेडूसा की तो गलती ही नहीं थी, फ़िर एथेना ने पोसाइडन के बजाय मेडूसा को क्यों श्राप दिया?"
“यह हमेशा से ग्रीक माइथालोजी में विवाद का विषय रहा है। ज़्यादातर लोगो का यही मानना है कि एथेना ने उस समय गलत किया था।" अल्बर्ट ने कहा।
“तो क्या मेडूसा के माँ, बाप, भाई, बहनो ने कभी पोसाइडन से बदला लेने के बारे में नहीं सोचा?" जेनिथ ने अल्बर्ट ने पूछा।
“इस बारे में कुछ कह नहीं सकता क्यों कि किसी भी किताब में ऐसा कोई जिक्र किया नहीं गया है।" अल्बर्ट ने कहा- “पर जो भी हो, मुझे भी लगता है कि मेडूसा कभी गलत नहीं थी, पर माइथोलॉजी में उसे हमेशा एक शैतान की तरह प्रदर्शित किया गया है जो मेरे हिसाब से पूर्णतया गलत है।"
सभी ने एक नजर मेडूसा की मूर्ति पर डाली और देर रात हो जाने के कारण सोने के लिये चल दिये।
जारी रहेगा________![]()