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Incest ससुर ने ऑटो में जबरदस्ती मुठ मरवाई

Ting ting

Ting Ting
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सुबह उठ कर मैंने खाना बनाया और फिर खाना खाने के बाद बाबूजी अपने कमरे में चले गए और मैं अपने कमरे में चली गई।

मुझे नींद नहीं आ रही थी मैं करीब 11 बजे बाथरूम में गई तो देखा बाबूजी के कमरे में से हलकी रोशनी आ रही थी। मैंने चाबी वाले छेद से देखा तो बाबूजी बिस्तर पर नंगे बैठे थे और अपने लंड को सहला रहे थे।
48332_16.jpg

मैं समझ गयी कि बाबूजी को माँ की याद आ रही है। बाबूजी अपने लंड को अपने हाथों से ऊपर नीचे कर रहे थे।

मुझे बाबूजी पे बहुत तरस आ रहा था कि कैसे वो अपने लंड को खुद ऊपर कर रहे थे मेरा मन कर रहा था कि मैं भाग के जाऊं और उसके लंड को मुंह में ले कर चूसने लगू लेकिन मेरी तो टांग ही हिल नहीं पा रही थी.

फिर मैंने देखा कि बाबूजी के लंड ने पानी छोड़ दिया है और वो बिस्तर से नीचे उतरने लगे तो मैं जल्दी से अपने कमरे में आ गई।
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सारा दिन मैंने बेड पर करवटे बदलते हुए निकाल दीया, बस ये सोचते हुए कि क्या मुझे मेरे बाबूजी का लंड मिल सकता है?

लेकिन कैसे ये ही समज मैं नहीं आ रहा था।

मैं चाहती थी कि किसी तरह मैं अपने बाबूजी को पटा लूं और उनसे चुदाई करवाऊं लेकिन कोई प्लान नहीं बना रहा था।

सुबह उठते ही मैंने सोच की मैं बाबूजी और खुद के लिए चाय बना लूं और खुद भी पेशाब कर लूं। चाय पीने के बाद मैं सफाई करने लगी.

मैं सोच रही थी की मुझे बाबूजी को सेड्यूस करने के लिए खुद ही पहल करनी पड़ेगी. तो जब मैं बाबूजी के कमरे में सफाई करने के लिए गई तो मैंने ढीली सी नाइटी पहन ली थी। और तब मैंने जान बुझ कर अपनी ब्रा भी निकाल दी.

FB-IMG-1751299840192.jpg

वो नाइटी मेरे घुटनो तक ही आ रही थी, पहले तो मैंने सोचा कि अपनी पैंटी भी निकाल देती हूँ. पर फिर सोचा के अभी तो शुरुआत ही है, तो अभी एकदम इतना नहीं करुँगी. तो पैंटी पहने ही मैं बाबूजी के कमरे में सफाई करने चली गयी.
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तब मेरे स्तन बहुत बड़े थे और मेरे काम करने से हिल रहे थे और बहुत अच्छे से मसले जा सकते थे। खुले गले वाली नाइटी की वजह से जब मैं झुकती थी तो उसका गला बड़ा होने की वजह से मेरे स्तन साफ नजर आ जाते थे। ऊपर से मैंने अपनी ब्रा भी नहीं पहनी थी.
FB-IMG-1751250457126.jpg

बाबूजी बिस्तर पर बैठे हुए थे उन्होंने पायजामा और बनियान पहननी हुई थी। मैं जान बुज कर बाबूजी की तरफ मुंह करके झुक रही थी ताकी बाबूजी मेरे स्तन एक बार देख लें लेकिन वो तो टीवी देखें मैं मस्त था इसके लिए मैंने झुके झुके ही बिना बाबूजी की तरफ देखे कहा कि बाबूजी आज क्या खाना चाहते हैं?
FB-IMG-1751297008178.jpg

मैंने चोर नजर से देखा कि इस बार पहली बार बाबूजी ने मेरी तरफ देखा और उनकी नजर मेरे स्तनों पर चली गई, जो की निप्पल तक नाइटी के खुले गले से दिखाई पड़ रहे थे. बाबूजी ने पहली बार आज मेरे मम्मे इतने पास से देखे थे तो वो बार बार चोर नजर से मेरे नंगे स्तनों को निहारने लगे।

मैं सीधी हुई तो देखा कि वो पैजामे में अपने तने हुए लंड को दबाने की कोशिश कर रहे थे। मैं समझ गई कि मेरे स्तन देख कर उबका लंड अकडने लगा है। मैं फिर से झुक कर उन्हें अपने स्तन दिखाने लगी और पोछा लगाने लगी।
FB-IMG-1751297088262.jpg

थोड़ी देर इसी तरह मैं बाबूजी के सामने खड़ी खड़ी झाड़ू लगाती रही और झुक कर काम करते हुए बाबूजी को अपने मम्मे दिखाती रही.

मैंने बाबूजी की तरफ नहीं देखा ताकि बाबूजी को लगे की मुझे अपने दिखाई दे रहे मम्मों का कुछ भी पता नहीं है, और वो इसी तरह चोर नजरों से मेरी छातिओं को देखते रहे. बाबूजी का लण्ड खड़ा हो गया था और वो उसे दबा दबा कर पजामे में सेट कर रहे थे. में चोर नजरों से बाबूजी की हालत देख रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी पर प्रगट में में ऐसा दिखावा कर रही थी की जैसे मुझे कुछ भी पता नहीं है.
46386912_015_55bf.jpg

खैर थोड़ी देर में कमरे की सफाई हो गयी तो मैं पानी ले कर पोंछा लगाने लगी.

मैं बैठ कर पोंछा लगा रही थी तो अब बाबूजी को मेरे मुम्मे दिखाई नहीं दे रहे थे.

मैंने बाबूजी की तरफ चोर नजरों से देखा कि बाबूजी मेरी नाइटी के गले से मेरे मुम्मों को देखने की कोशिश कर रहे थे पर मुम्मे दिखाई न देने से उन के चेहरे पर निराशा दिखाई दे रही थी. वो परेशां से लग रहे थे।

मैं मन ही मन मुस्कुरा दी कि बाबूजी अपनी बहु के मम्मे देखने के लिए कितने उतावले हो रहे हैं और फिर मैं बैठ कर पोंछा लगाते हुए अपने घुटने अपनी छाती के नीचे रख लिए जिस से मेरे मुम्मे दब जाने के कारण ऊपर को उभर गए और बाबूजी को अब मेरे मुम्मे ठीक से दिखाई दे रहे थे.
46386912_006_c858.jpg

बाबूजी के चेहरे पर अब मुझे एक संतुष्टि का भाव दिखाई दे रहा था. वो टीवी देखने का नाटक करते करते मेरे मुम्मे ही देख रहे थे.

मुझे लग रहा था की मेरा तीर सही निशाने पर लग रहा है,

फिर मैंने कुछ सोचा और कमरे में सोफे के साइड में रखे एक छोटे टेबल के नीचे पोंछा लगाने का नाटक करना शुरू किया. अब मेरी पीठ बाबूजी की तरफ थी. मैंने बुड़बुड़ाना शुरू किया की सोफे के नीचे बिलकुल भी साफ़ नहीं है और बहुत मिट्टी पड़ी है, यह बोल कर मैंने झुक कर सोफे के नीचे दूर तक पोंछा लगाने का नाटक करने लगी,

मेरे ऐसे करने से मैंने अपना पिछवाड़ा (गांड ) ऊपर उठा लिया ताकि मैं दूर अंदर तक पोंछा लगा सकूँ.
81618100_003_4cda.jpg

मेरे ऐसा करने से मेरी नाइटी मेरी कमर तक ऊपर उठ गयी. बाबूजी की जन्नत ही हो गयी. अब बाबूजी को मेरी जाँघे दिखाई दे रही थी,

चाहे मेरी पीठ बाबूजी की ओर थी पर टीवी स्क्रीन में मुझे बाबूजी का अक्स दिखाई दे रहा था. बाबूजी को मालूम नहीं था की मैं बाबूजी की हरकतें देख सकती थी,

उन्हें तो लगा की उनकी ओर मेरी पीठ है तो वे अब टीवी से नजर हटा कर सीधे मेरे चूतड़ ही देख रहे थे.
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मैंने झूकते हुए आगे दूर तक पोंछा लगाने का नाटक करते हुए अपनी चूतड़ और ऊपर उठा दी.

अब तो जैसे बाबूजी का कलेजा ही मुंह को आने वाला हो गया.

अब बाबूजी को मेरी पैंटी और उस में कसी हुई मेरी गांड बिलकुल साफ़ दिखाई दे रही थी,

बाबूजी का लौड़ा अब स्टील की रॉड बन चूका था और बाबूजी उसे बेशर्मों की तरह मसल रहे थे. उन्हें मेरे द्वारा देखे जाने का कोई डर जो नहीं था क्योंकि मेरी तो उनकी तरफ पीठ थी. हालाँकि मैं टीवी के शीशे में उनकी सारी हरकतें देख रही थी,
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अब बाबूजी अपने लण्ड को तेज तेज मसल रहे थे.

बाबूजी टीवी देखते हुए सोफे पर लेट गए। वो ऐसे शो कर रहे थे जैसे बैठे बैठे वे थक गए हो और आराम से लेट कर टीवी देख सकें, पर असल में वो लेट इसलिए गए थे ताकि और नीचे से अच्छी तरह अपनी प्यारी बेटी की गांड देख सकें. मैं कुछ देर इसी तरह अपनी कमर उठा कर पोंछा लगाती रही।
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और बाबूजी अपना लण्ड तेज तेज सहलाते रहे.

जल्दी ही बाबूजी के हाथ के रफ़्तार तेज हो गयी। मैं समझ सकती थी की बाबूजी का स्खलन नजदीक ही है.

बाबूजी भी भगवन से शायद प्रार्थना कर रहे थे की मैं थोड़ी देर और काम करती रहूं, ताकि यह न हो की मेरे अचानक उठ जाने से उनकी पोल ही खुल जाये. या उन्हें मुठ मारना बीच में ही छोड़ना पड़े।

भगवान ने तो पता नहीं उनकी प्रार्थना सुनी या नहीं पर मैंने जरूर सुन ली,और उसी पोज में गांड ऊपर उठाये ही पोंछा लगाती रही।

जल्दी ही बाबूजी के साँसे तेज चलने लगी और उनके अपने लण्ड को मसलने की स्पीड भी बढ़ गयी.

बाबूजी के मुँह से एक जोर की आह निकली (जो मैंने सुन तो ली पर टीवी की आवाज़ में न सुनने का नाटक किया) और बाबूजी ने जोर से अपना लौड़ा पजामे के ऊपर से ही कस के पकड़ लिया और बाबूजी तेज तेज साँसे लेते हुए झड़ने लगे. उन्होंने डर के मेरी तरफ देखा की कहीं मुझे पता तो नहीं लग गया पर मैं अनजान होने का नाटक करते हुए पोंछा ही लगाती रही,
23228940_094_c8dc.jpg

धीरे धीरे बाबूजी का वीर्यपात ख़तम हो गया। मैंने टीवी के शीशे में देखा की बाबूजी के पजामे का आगे का सारा हिस्सा उनके लण्ड रस से भीग कर गीला हो गया था. उसे छुपाने के लिए बाबूजी ने एक तकिया उठा कर अपनी कमर में रख लिया और अपने गीले पजामे को छुपा लिया.

मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी, मुझे लग रहा था की मेरी मन की इच्छा पूरी हो सकती है और मुझे घर में ही एक दमदार और मोटा लण्ड चुदाई के लिए मिल सकता है,

आज का मिशन पूरा करने के बाद मैं काम ख़तम होने का नाटक करते हुए उठी और किचन की ओर चल दी,

बाबूजी झट से उठ कर बाथरूम में घुस गए, मैं समझ गयी की अपने गंदे हो चुके पजामे को बदलने गए है, पर मैं उसी तरह अनजान बनी रही,

मैं भी भाग कर अपने कमरे में चली गयी क्योंकि इतना कुछ हो जाने से मेरी भी चूत गीली हो गयी थी। उसमे खूब पानी आ गया था , मैंने जाते ही फटाफट अपनी पैंटी उतर कर तुरंत अपनी दो उँगलियाँ अपनी चूत में घुसा ली और तेज तेज अंदर बाहर करना शुरू किया.
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मैं इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की आधे मिनट में ही मैं झड़ गयी।

मेरा इतना पानी निकला कि मैं बता नहीं सकती। काफी देर बाद मेरा शरीर थोड़ा कायम हुआ तो मैं उठ कर बाहर आयी.
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बाबूजी उसी तरह सोफे पर बैठे टीवी देखने का नाटक कर रहे थे. मैंने भी ऐसे दिखावा किया कि कुछ भी नहीं हुआ हो.

पर दिल ही दिल में मैं बाबूजी की स्थिति पर मुस्कुरा रही थी.

 

Tiger 786

Well-Known Member
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सुबह उठ कर मैंने खाना बनाया और फिर खाना खाने के बाद बाबूजी अपने कमरे में चले गए और मैं अपने कमरे में चली गई।

मुझे नींद नहीं आ रही थी मैं करीब 11 बजे बाथरूम में गई तो देखा बाबूजी के कमरे में से हलकी रोशनी आ रही थी। मैंने चाबी वाले छेद से देखा तो बाबूजी बिस्तर पर नंगे बैठे थे और अपने लंड को सहला रहे थे।
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मैं समझ गयी कि बाबूजी को माँ की याद आ रही है। बाबूजी अपने लंड को अपने हाथों से ऊपर नीचे कर रहे थे।

मुझे बाबूजी पे बहुत तरस आ रहा था कि कैसे वो अपने लंड को खुद ऊपर कर रहे थे मेरा मन कर रहा था कि मैं भाग के जाऊं और उसके लंड को मुंह में ले कर चूसने लगू लेकिन मेरी तो टांग ही हिल नहीं पा रही थी.

फिर मैंने देखा कि बाबूजी के लंड ने पानी छोड़ दिया है और वो बिस्तर से नीचे उतरने लगे तो मैं जल्दी से अपने कमरे में आ गई।
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सारा दिन मैंने बेड पर करवटे बदलते हुए निकाल दीया, बस ये सोचते हुए कि क्या मुझे मेरे बाबूजी का लंड मिल सकता है?

लेकिन कैसे ये ही समज मैं नहीं आ रहा था।

मैं चाहती थी कि किसी तरह मैं अपने बाबूजी को पटा लूं और उनसे चुदाई करवाऊं लेकिन कोई प्लान नहीं बना रहा था।

सुबह उठते ही मैंने सोच की मैं बाबूजी और खुद के लिए चाय बना लूं और खुद भी पेशाब कर लूं। चाय पीने के बाद मैं सफाई करने लगी.

मैं सोच रही थी की मुझे बाबूजी को सेड्यूस करने के लिए खुद ही पहल करनी पड़ेगी. तो जब मैं बाबूजी के कमरे में सफाई करने के लिए गई तो मैंने ढीली सी नाइटी पहन ली थी। और तब मैंने जान बुझ कर अपनी ब्रा भी निकाल दी.

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वो नाइटी मेरे घुटनो तक ही आ रही थी, पहले तो मैंने सोचा कि अपनी पैंटी भी निकाल देती हूँ. पर फिर सोचा के अभी तो शुरुआत ही है, तो अभी एकदम इतना नहीं करुँगी. तो पैंटी पहने ही मैं बाबूजी के कमरे में सफाई करने चली गयी.
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तब मेरे स्तन बहुत बड़े थे और मेरे काम करने से हिल रहे थे और बहुत अच्छे से मसले जा सकते थे। खुले गले वाली नाइटी की वजह से जब मैं झुकती थी तो उसका गला बड़ा होने की वजह से मेरे स्तन साफ नजर आ जाते थे। ऊपर से मैंने अपनी ब्रा भी नहीं पहनी थी.
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बाबूजी बिस्तर पर बैठे हुए थे उन्होंने पायजामा और बनियान पहननी हुई थी। मैं जान बुज कर बाबूजी की तरफ मुंह करके झुक रही थी ताकी बाबूजी मेरे स्तन एक बार देख लें लेकिन वो तो टीवी देखें मैं मस्त था इसके लिए मैंने झुके झुके ही बिना बाबूजी की तरफ देखे कहा कि बाबूजी आज क्या खाना चाहते हैं?
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मैंने चोर नजर से देखा कि इस बार पहली बार बाबूजी ने मेरी तरफ देखा और उनकी नजर मेरे स्तनों पर चली गई, जो की निप्पल तक नाइटी के खुले गले से दिखाई पड़ रहे थे. बाबूजी ने पहली बार आज मेरे मम्मे इतने पास से देखे थे तो वो बार बार चोर नजर से मेरे नंगे स्तनों को निहारने लगे।

मैं सीधी हुई तो देखा कि वो पैजामे में अपने तने हुए लंड को दबाने की कोशिश कर रहे थे। मैं समझ गई कि मेरे स्तन देख कर उबका लंड अकडने लगा है। मैं फिर से झुक कर उन्हें अपने स्तन दिखाने लगी और पोछा लगाने लगी।
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थोड़ी देर इसी तरह मैं बाबूजी के सामने खड़ी खड़ी झाड़ू लगाती रही और झुक कर काम करते हुए बाबूजी को अपने मम्मे दिखाती रही.

मैंने बाबूजी की तरफ नहीं देखा ताकि बाबूजी को लगे की मुझे अपने दिखाई दे रहे मम्मों का कुछ भी पता नहीं है, और वो इसी तरह चोर नजरों से मेरी छातिओं को देखते रहे. बाबूजी का लण्ड खड़ा हो गया था और वो उसे दबा दबा कर पजामे में सेट कर रहे थे. में चोर नजरों से बाबूजी की हालत देख रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी पर प्रगट में में ऐसा दिखावा कर रही थी की जैसे मुझे कुछ भी पता नहीं है.
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खैर थोड़ी देर में कमरे की सफाई हो गयी तो मैं पानी ले कर पोंछा लगाने लगी.

मैं बैठ कर पोंछा लगा रही थी तो अब बाबूजी को मेरे मुम्मे दिखाई नहीं दे रहे थे.

मैंने बाबूजी की तरफ चोर नजरों से देखा कि बाबूजी मेरी नाइटी के गले से मेरे मुम्मों को देखने की कोशिश कर रहे थे पर मुम्मे दिखाई न देने से उन के चेहरे पर निराशा दिखाई दे रही थी. वो परेशां से लग रहे थे।

मैं मन ही मन मुस्कुरा दी कि बाबूजी अपनी बहु के मम्मे देखने के लिए कितने उतावले हो रहे हैं और फिर मैं बैठ कर पोंछा लगाते हुए अपने घुटने अपनी छाती के नीचे रख लिए जिस से मेरे मुम्मे दब जाने के कारण ऊपर को उभर गए और बाबूजी को अब मेरे मुम्मे ठीक से दिखाई दे रहे थे.
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बाबूजी के चेहरे पर अब मुझे एक संतुष्टि का भाव दिखाई दे रहा था. वो टीवी देखने का नाटक करते करते मेरे मुम्मे ही देख रहे थे.

मुझे लग रहा था की मेरा तीर सही निशाने पर लग रहा है,

फिर मैंने कुछ सोचा और कमरे में सोफे के साइड में रखे एक छोटे टेबल के नीचे पोंछा लगाने का नाटक करना शुरू किया. अब मेरी पीठ बाबूजी की तरफ थी. मैंने बुड़बुड़ाना शुरू किया की सोफे के नीचे बिलकुल भी साफ़ नहीं है और बहुत मिट्टी पड़ी है, यह बोल कर मैंने झुक कर सोफे के नीचे दूर तक पोंछा लगाने का नाटक करने लगी,

मेरे ऐसे करने से मैंने अपना पिछवाड़ा (गांड ) ऊपर उठा लिया ताकि मैं दूर अंदर तक पोंछा लगा सकूँ.
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मेरे ऐसा करने से मेरी नाइटी मेरी कमर तक ऊपर उठ गयी. बाबूजी की जन्नत ही हो गयी. अब बाबूजी को मेरी जाँघे दिखाई दे रही थी,

चाहे मेरी पीठ बाबूजी की ओर थी पर टीवी स्क्रीन में मुझे बाबूजी का अक्स दिखाई दे रहा था. बाबूजी को मालूम नहीं था की मैं बाबूजी की हरकतें देख सकती थी,

उन्हें तो लगा की उनकी ओर मेरी पीठ है तो वे अब टीवी से नजर हटा कर सीधे मेरे चूतड़ ही देख रहे थे.
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मैंने झूकते हुए आगे दूर तक पोंछा लगाने का नाटक करते हुए अपनी चूतड़ और ऊपर उठा दी.

अब तो जैसे बाबूजी का कलेजा ही मुंह को आने वाला हो गया.

अब बाबूजी को मेरी पैंटी और उस में कसी हुई मेरी गांड बिलकुल साफ़ दिखाई दे रही थी,

बाबूजी का लौड़ा अब स्टील की रॉड बन चूका था और बाबूजी उसे बेशर्मों की तरह मसल रहे थे. उन्हें मेरे द्वारा देखे जाने का कोई डर जो नहीं था क्योंकि मेरी तो उनकी तरफ पीठ थी. हालाँकि मैं टीवी के शीशे में उनकी सारी हरकतें देख रही थी,
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अब बाबूजी अपने लण्ड को तेज तेज मसल रहे थे.

बाबूजी टीवी देखते हुए सोफे पर लेट गए। वो ऐसे शो कर रहे थे जैसे बैठे बैठे वे थक गए हो और आराम से लेट कर टीवी देख सकें, पर असल में वो लेट इसलिए गए थे ताकि और नीचे से अच्छी तरह अपनी प्यारी बेटी की गांड देख सकें. मैं कुछ देर इसी तरह अपनी कमर उठा कर पोंछा लगाती रही।
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और बाबूजी अपना लण्ड तेज तेज सहलाते रहे.

जल्दी ही बाबूजी के हाथ के रफ़्तार तेज हो गयी। मैं समझ सकती थी की बाबूजी का स्खलन नजदीक ही है.

बाबूजी भी भगवन से शायद प्रार्थना कर रहे थे की मैं थोड़ी देर और काम करती रहूं, ताकि यह न हो की मेरे अचानक उठ जाने से उनकी पोल ही खुल जाये. या उन्हें मुठ मारना बीच में ही छोड़ना पड़े।

भगवान ने तो पता नहीं उनकी प्रार्थना सुनी या नहीं पर मैंने जरूर सुन ली,और उसी पोज में गांड ऊपर उठाये ही पोंछा लगाती रही।

जल्दी ही बाबूजी के साँसे तेज चलने लगी और उनके अपने लण्ड को मसलने की स्पीड भी बढ़ गयी.

बाबूजी के मुँह से एक जोर की आह निकली (जो मैंने सुन तो ली पर टीवी की आवाज़ में न सुनने का नाटक किया) और बाबूजी ने जोर से अपना लौड़ा पजामे के ऊपर से ही कस के पकड़ लिया और बाबूजी तेज तेज साँसे लेते हुए झड़ने लगे. उन्होंने डर के मेरी तरफ देखा की कहीं मुझे पता तो नहीं लग गया पर मैं अनजान होने का नाटक करते हुए पोंछा ही लगाती रही,
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धीरे धीरे बाबूजी का वीर्यपात ख़तम हो गया। मैंने टीवी के शीशे में देखा की बाबूजी के पजामे का आगे का सारा हिस्सा उनके लण्ड रस से भीग कर गीला हो गया था. उसे छुपाने के लिए बाबूजी ने एक तकिया उठा कर अपनी कमर में रख लिया और अपने गीले पजामे को छुपा लिया.

मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी, मुझे लग रहा था की मेरी मन की इच्छा पूरी हो सकती है और मुझे घर में ही एक दमदार और मोटा लण्ड चुदाई के लिए मिल सकता है,

आज का मिशन पूरा करने के बाद मैं काम ख़तम होने का नाटक करते हुए उठी और किचन की ओर चल दी,

बाबूजी झट से उठ कर बाथरूम में घुस गए, मैं समझ गयी की अपने गंदे हो चुके पजामे को बदलने गए है, पर मैं उसी तरह अनजान बनी रही,

मैं भी भाग कर अपने कमरे में चली गयी क्योंकि इतना कुछ हो जाने से मेरी भी चूत गीली हो गयी थी। उसमे खूब पानी आ गया था , मैंने जाते ही फटाफट अपनी पैंटी उतर कर तुरंत अपनी दो उँगलियाँ अपनी चूत में घुसा ली और तेज तेज अंदर बाहर करना शुरू किया.
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मैं इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की आधे मिनट में ही मैं झड़ गयी।

मेरा इतना पानी निकला कि मैं बता नहीं सकती। काफी देर बाद मेरा शरीर थोड़ा कायम हुआ तो मैं उठ कर बाहर आयी.
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बाबूजी उसी तरह सोफे पर बैठे टीवी देखने का नाटक कर रहे थे. मैंने भी ऐसे दिखावा किया कि कुछ भी नहीं हुआ हो.

पर दिल ही दिल में मैं बाबूजी की स्थिति पर मुस्कुरा रही थी.
Bohot badiya story likh rahe ho bro👏👏👏👏💯💯💯
 

sunoanuj

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Bahut hee badhiya update hai….
 

Premkumar65

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सुबह उठ कर मैंने खाना बनाया और फिर खाना खाने के बाद बाबूजी अपने कमरे में चले गए और मैं अपने कमरे में चली गई।

मुझे नींद नहीं आ रही थी मैं करीब 11 बजे बाथरूम में गई तो देखा बाबूजी के कमरे में से हलकी रोशनी आ रही थी। मैंने चाबी वाले छेद से देखा तो बाबूजी बिस्तर पर नंगे बैठे थे और अपने लंड को सहला रहे थे।
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मैं समझ गयी कि बाबूजी को माँ की याद आ रही है। बाबूजी अपने लंड को अपने हाथों से ऊपर नीचे कर रहे थे।

मुझे बाबूजी पे बहुत तरस आ रहा था कि कैसे वो अपने लंड को खुद ऊपर कर रहे थे मेरा मन कर रहा था कि मैं भाग के जाऊं और उसके लंड को मुंह में ले कर चूसने लगू लेकिन मेरी तो टांग ही हिल नहीं पा रही थी.

फिर मैंने देखा कि बाबूजी के लंड ने पानी छोड़ दिया है और वो बिस्तर से नीचे उतरने लगे तो मैं जल्दी से अपने कमरे में आ गई।
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सारा दिन मैंने बेड पर करवटे बदलते हुए निकाल दीया, बस ये सोचते हुए कि क्या मुझे मेरे बाबूजी का लंड मिल सकता है?

लेकिन कैसे ये ही समज मैं नहीं आ रहा था।

मैं चाहती थी कि किसी तरह मैं अपने बाबूजी को पटा लूं और उनसे चुदाई करवाऊं लेकिन कोई प्लान नहीं बना रहा था।

सुबह उठते ही मैंने सोच की मैं बाबूजी और खुद के लिए चाय बना लूं और खुद भी पेशाब कर लूं। चाय पीने के बाद मैं सफाई करने लगी.

मैं सोच रही थी की मुझे बाबूजी को सेड्यूस करने के लिए खुद ही पहल करनी पड़ेगी. तो जब मैं बाबूजी के कमरे में सफाई करने के लिए गई तो मैंने ढीली सी नाइटी पहन ली थी। और तब मैंने जान बुझ कर अपनी ब्रा भी निकाल दी.

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वो नाइटी मेरे घुटनो तक ही आ रही थी, पहले तो मैंने सोचा कि अपनी पैंटी भी निकाल देती हूँ. पर फिर सोचा के अभी तो शुरुआत ही है, तो अभी एकदम इतना नहीं करुँगी. तो पैंटी पहने ही मैं बाबूजी के कमरे में सफाई करने चली गयी.
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तब मेरे स्तन बहुत बड़े थे और मेरे काम करने से हिल रहे थे और बहुत अच्छे से मसले जा सकते थे। खुले गले वाली नाइटी की वजह से जब मैं झुकती थी तो उसका गला बड़ा होने की वजह से मेरे स्तन साफ नजर आ जाते थे। ऊपर से मैंने अपनी ब्रा भी नहीं पहनी थी.
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बाबूजी बिस्तर पर बैठे हुए थे उन्होंने पायजामा और बनियान पहननी हुई थी। मैं जान बुज कर बाबूजी की तरफ मुंह करके झुक रही थी ताकी बाबूजी मेरे स्तन एक बार देख लें लेकिन वो तो टीवी देखें मैं मस्त था इसके लिए मैंने झुके झुके ही बिना बाबूजी की तरफ देखे कहा कि बाबूजी आज क्या खाना चाहते हैं?
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मैंने चोर नजर से देखा कि इस बार पहली बार बाबूजी ने मेरी तरफ देखा और उनकी नजर मेरे स्तनों पर चली गई, जो की निप्पल तक नाइटी के खुले गले से दिखाई पड़ रहे थे. बाबूजी ने पहली बार आज मेरे मम्मे इतने पास से देखे थे तो वो बार बार चोर नजर से मेरे नंगे स्तनों को निहारने लगे।

मैं सीधी हुई तो देखा कि वो पैजामे में अपने तने हुए लंड को दबाने की कोशिश कर रहे थे। मैं समझ गई कि मेरे स्तन देख कर उबका लंड अकडने लगा है। मैं फिर से झुक कर उन्हें अपने स्तन दिखाने लगी और पोछा लगाने लगी।
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थोड़ी देर इसी तरह मैं बाबूजी के सामने खड़ी खड़ी झाड़ू लगाती रही और झुक कर काम करते हुए बाबूजी को अपने मम्मे दिखाती रही.

मैंने बाबूजी की तरफ नहीं देखा ताकि बाबूजी को लगे की मुझे अपने दिखाई दे रहे मम्मों का कुछ भी पता नहीं है, और वो इसी तरह चोर नजरों से मेरी छातिओं को देखते रहे. बाबूजी का लण्ड खड़ा हो गया था और वो उसे दबा दबा कर पजामे में सेट कर रहे थे. में चोर नजरों से बाबूजी की हालत देख रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी पर प्रगट में में ऐसा दिखावा कर रही थी की जैसे मुझे कुछ भी पता नहीं है.
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मैं बैठ कर पोंछा लगा रही थी तो अब बाबूजी को मेरे मुम्मे दिखाई नहीं दे रहे थे.

मैंने बाबूजी की तरफ चोर नजरों से देखा कि बाबूजी मेरी नाइटी के गले से मेरे मुम्मों को देखने की कोशिश कर रहे थे पर मुम्मे दिखाई न देने से उन के चेहरे पर निराशा दिखाई दे रही थी. वो परेशां से लग रहे थे।

मैं मन ही मन मुस्कुरा दी कि बाबूजी अपनी बहु के मम्मे देखने के लिए कितने उतावले हो रहे हैं और फिर मैं बैठ कर पोंछा लगाते हुए अपने घुटने अपनी छाती के नीचे रख लिए जिस से मेरे मुम्मे दब जाने के कारण ऊपर को उभर गए और बाबूजी को अब मेरे मुम्मे ठीक से दिखाई दे रहे थे.
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बाबूजी के चेहरे पर अब मुझे एक संतुष्टि का भाव दिखाई दे रहा था. वो टीवी देखने का नाटक करते करते मेरे मुम्मे ही देख रहे थे.

मुझे लग रहा था की मेरा तीर सही निशाने पर लग रहा है,

फिर मैंने कुछ सोचा और कमरे में सोफे के साइड में रखे एक छोटे टेबल के नीचे पोंछा लगाने का नाटक करना शुरू किया. अब मेरी पीठ बाबूजी की तरफ थी. मैंने बुड़बुड़ाना शुरू किया की सोफे के नीचे बिलकुल भी साफ़ नहीं है और बहुत मिट्टी पड़ी है, यह बोल कर मैंने झुक कर सोफे के नीचे दूर तक पोंछा लगाने का नाटक करने लगी,

मेरे ऐसे करने से मैंने अपना पिछवाड़ा (गांड ) ऊपर उठा लिया ताकि मैं दूर अंदर तक पोंछा लगा सकूँ.
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मेरे ऐसा करने से मेरी नाइटी मेरी कमर तक ऊपर उठ गयी. बाबूजी की जन्नत ही हो गयी. अब बाबूजी को मेरी जाँघे दिखाई दे रही थी,

चाहे मेरी पीठ बाबूजी की ओर थी पर टीवी स्क्रीन में मुझे बाबूजी का अक्स दिखाई दे रहा था. बाबूजी को मालूम नहीं था की मैं बाबूजी की हरकतें देख सकती थी,

उन्हें तो लगा की उनकी ओर मेरी पीठ है तो वे अब टीवी से नजर हटा कर सीधे मेरे चूतड़ ही देख रहे थे.
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मैंने झूकते हुए आगे दूर तक पोंछा लगाने का नाटक करते हुए अपनी चूतड़ और ऊपर उठा दी.

अब तो जैसे बाबूजी का कलेजा ही मुंह को आने वाला हो गया.

अब बाबूजी को मेरी पैंटी और उस में कसी हुई मेरी गांड बिलकुल साफ़ दिखाई दे रही थी,

बाबूजी का लौड़ा अब स्टील की रॉड बन चूका था और बाबूजी उसे बेशर्मों की तरह मसल रहे थे. उन्हें मेरे द्वारा देखे जाने का कोई डर जो नहीं था क्योंकि मेरी तो उनकी तरफ पीठ थी. हालाँकि मैं टीवी के शीशे में उनकी सारी हरकतें देख रही थी,
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अब बाबूजी अपने लण्ड को तेज तेज मसल रहे थे.

बाबूजी टीवी देखते हुए सोफे पर लेट गए। वो ऐसे शो कर रहे थे जैसे बैठे बैठे वे थक गए हो और आराम से लेट कर टीवी देख सकें, पर असल में वो लेट इसलिए गए थे ताकि और नीचे से अच्छी तरह अपनी प्यारी बेटी की गांड देख सकें. मैं कुछ देर इसी तरह अपनी कमर उठा कर पोंछा लगाती रही।
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और बाबूजी अपना लण्ड तेज तेज सहलाते रहे.

जल्दी ही बाबूजी के हाथ के रफ़्तार तेज हो गयी। मैं समझ सकती थी की बाबूजी का स्खलन नजदीक ही है.

बाबूजी भी भगवन से शायद प्रार्थना कर रहे थे की मैं थोड़ी देर और काम करती रहूं, ताकि यह न हो की मेरे अचानक उठ जाने से उनकी पोल ही खुल जाये. या उन्हें मुठ मारना बीच में ही छोड़ना पड़े।

भगवान ने तो पता नहीं उनकी प्रार्थना सुनी या नहीं पर मैंने जरूर सुन ली,और उसी पोज में गांड ऊपर उठाये ही पोंछा लगाती रही।

जल्दी ही बाबूजी के साँसे तेज चलने लगी और उनके अपने लण्ड को मसलने की स्पीड भी बढ़ गयी.

बाबूजी के मुँह से एक जोर की आह निकली (जो मैंने सुन तो ली पर टीवी की आवाज़ में न सुनने का नाटक किया) और बाबूजी ने जोर से अपना लौड़ा पजामे के ऊपर से ही कस के पकड़ लिया और बाबूजी तेज तेज साँसे लेते हुए झड़ने लगे. उन्होंने डर के मेरी तरफ देखा की कहीं मुझे पता तो नहीं लग गया पर मैं अनजान होने का नाटक करते हुए पोंछा ही लगाती रही,
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धीरे धीरे बाबूजी का वीर्यपात ख़तम हो गया। मैंने टीवी के शीशे में देखा की बाबूजी के पजामे का आगे का सारा हिस्सा उनके लण्ड रस से भीग कर गीला हो गया था. उसे छुपाने के लिए बाबूजी ने एक तकिया उठा कर अपनी कमर में रख लिया और अपने गीले पजामे को छुपा लिया.

मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी, मुझे लग रहा था की मेरी मन की इच्छा पूरी हो सकती है और मुझे घर में ही एक दमदार और मोटा लण्ड चुदाई के लिए मिल सकता है,

आज का मिशन पूरा करने के बाद मैं काम ख़तम होने का नाटक करते हुए उठी और किचन की ओर चल दी,

बाबूजी झट से उठ कर बाथरूम में घुस गए, मैं समझ गयी की अपने गंदे हो चुके पजामे को बदलने गए है, पर मैं उसी तरह अनजान बनी रही,

मैं भी भाग कर अपने कमरे में चली गयी क्योंकि इतना कुछ हो जाने से मेरी भी चूत गीली हो गयी थी। उसमे खूब पानी आ गया था , मैंने जाते ही फटाफट अपनी पैंटी उतर कर तुरंत अपनी दो उँगलियाँ अपनी चूत में घुसा ली और तेज तेज अंदर बाहर करना शुरू किया.
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मैं इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की आधे मिनट में ही मैं झड़ गयी।

मेरा इतना पानी निकला कि मैं बता नहीं सकती। काफी देर बाद मेरा शरीर थोड़ा कायम हुआ तो मैं उठ कर बाहर आयी.
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बाबूजी उसी तरह सोफे पर बैठे टीवी देखने का नाटक कर रहे थे. मैंने भी ऐसे दिखावा किया कि कुछ भी नहीं हुआ हो.

पर दिल ही दिल में मैं बाबूजी की स्थिति पर मुस्कुरा रही थी.
Woww kya mast seduction chal raha hai sahur aur bahu ke beech.
 

Ting ting

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मेरे घर में मेरे शौहर होते हैं, इसलिए मैं ईमेल नहीं कर सकती।
आप मुझे कहानी में ही लिख दें या DM कर दें
 
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