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Incest वशीकरण

Ashokafun30

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बहुत ही कामोत्तेजक अपडेट और बहुत ही सच्चाई के करीब

भूख तरह तरह की होती है और कैसे आपने घेसू के जरिये समझा दिया, उमर के साथ अलग अलग, परिवार के झगड़े की, सम्पत्ति की, संतान की देह की

और आँखों वाले उस वशीकरण का रहस्य भी खुल गया और सुमेर सिंह को सिर्फ उनकी दोनों बेटियां ही नहीं पाठ पढ़ा रही थीं, घेसू और शर्मीला भी

कहानी में अब नए नए पन्ने लग रहा है जुड़ेंगे

आपकी लेखन कला की तारीफ़ करना एक ही बात को बार बार दुहराना होगा, आप लिखेंगे तो अच्छा होगा ही।
Thanks komaal bhabhi
aapne sahi pehchana
vaise dekha jaaye to bhookh ka hi to khel hai sara
har koi bhookha hai kisi na kisi cheej ke liye
ab naye panne jude hai to un panno par kahani bhi likhi jayegi
jisme sabhi ko maja aayega
aap aate rahiye
dhanyavaad
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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दोस्तों,
एक नई कहानी आपके सामने पेश कर रहा हूँ
ये कहानी इंसेस्ट थीम पर आधारित है
अगर किसी को "आपसी / पारिवारिक संबंधों में सैक्स" की कहानी पढ़ने में कोई आपत्ति है तो वो अभी जा सकता है।
बाकी लोग मेरे साथ बने रहिए।
आपका दोस्त,
अशोक
Ashok bhai congratulations for story 🎊🎊🎊🎊🎊💥💥💥💥💥💥💥💥💥
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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ये कहानी है एक ऐसी लड़की की जो अपनी उम्र की हर दूसरी लड़कियों की तरह जवानी में कदम रखते ही सपनो की रंगीन दुनिया में खो जाती है
इस लड़की का नाम है चंदा



और अपने नाम की तरह ही एकदम चाँद जैसा चेहरा है इसका
चेहरा ही नही बल्कि इसका पूरा शरीर ही साँचे मे ढला हुआ है
32 के साइज़ के बूब्स और 34 के भरे हुए हिप्स उसकी सुंदरता बयान करते थे
मेरठ में रहने वाला चंदा का परिवार ज़्यादा बड़ा भी नही था
एक बड़ा भाई सूरज जो अपने पिता सुमेर सिंह के साथ खेतीबाड़ी में उनका साथ देता था
चंदा की बड़ी बहन चन्द्रिका जो पास के एक स्कूल में टीचर थी
और उसकी प्यारी माँ रागिनी जो घर की देखभाल और अपने परिवार का पूरा ध्यान रखती थी
कुल मिलाकर इन पाँच लोगो का परिवार काफ़ी मिलनसार भाव से रहता था

पर एक रात के वाक्ये ने चंदा की जिंदगी और उसका दुनिया देखने का नज़रिया बदल कर रख दिया
चंदा हमेशा की तरह अपने कॉलेज की पड़ाई करके सोई तो आधी रात को अचानक पेशाब के प्रेशर ने उसकी नींद खोल दी
टाइम देखा तो रात के 4 बज रहे थे

वो उठी और अपने कमरे से निकल कर बाहर आँगन में बने बाथरूम तक गयी और बिना दरवाजा लगाए टॉयलेट सीट के पर मोरनी बनकर बैठ गयी और गाड़े सुनहरी रंग के झरने को बाहर फेंकने लगी

अभी वो आधा ही कर पाई थी की अचानक अंदर से कोई आया और बाहर बने नलके से पानी निकालने लगा
उसके बाथरूम की लाइट बंद थी और वो अंदर बिना दरवाजा बंद किए बैठी थी
उसकी तो हलक सूख गयी
पर गनीमत थी की अंधेरे की वजह से उसे बाहर से कोई देख नही सकता था
वो अपने आप को कोस रही थी की दरवाजा क्यों बंद नही किया
वो या तो उसके पापा थे या उसका भाई
क्योंकि डील डोल मर्दो वाला ही था

कुछ देर तक तो वो बैठी रही पर फिर उसका बैठना मुश्किल हो रहा था सो वो चुपचाप उठी और अपनी सलवार को बाँध कर दरवाजे तक आई
बाहर देखा तो उसके पापा ही थे, जो नलके के किनारे एक छोटी सी चटाई पर बैठ कर एक छोटे से पीतल के थाल में पानी भरकर कुछ कर रहे थे
उसने देखने की कोशिश की पर उसे समझ नही आया की वो क्या कर रहे है
इतनी सुबह उन्हे भला ऐसा क्या काम
वो बर्तन धो रहे है क्या
पर वो भला ऐसा क्यों करेंगे

उसने गोर से देखा तो वो हाथ जोड़कर कोई मंत्र बुदबुदा रहे थे
अब उसके मन में कुछ शंका सी हुई
उसने देखा की थाल में ऐसा क्या है

तो उसने देखा की 2 छोटी प्लास्टिक की गुड़िया थी उसमें
जो छोटे बच्चे हाथ में लेकर गली-2 घूमते है



वो भला उसका क्या कर रहे है
कुछ देर तक वो वैसे ही मंत्र बुदबुदाते रहे और फिर अचानक वो उठे और अपना कुर्ता उतार कर साइड में रख दिया और फिर अपनी धोती भी उतार दी
मैं कुछ समझ पाती इस से पहले ही मेरे पिताजी मेरे सामने पूर्ण रूप से नग्न खड़े थे
मेरी तो साँसे उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी
ये मेरी लाइफ का पहला मौका था जब मैं किसी मर्द को नंगा देख रही थी
और वो भी अपने खुद के पिता को

स्कूल कॉलेज में मेरी सहेलियां ऐसी बातें करती रहती थी
एक दो बार मस्तराम की कहानियां भी पढ़ी थी और कुछ अश्लील चित्र भी देखे थे
पर ऐसे शादी से पहले मुझे किसी मर्द को नंगा देखने का मौका मिलेगा
ये मैं नही जानती थी

पर इसके बावजूद की वो मेरे पिता है
मैने उन्हे देखना बंद नही किया
बल्कि आँखे फाड़े उन्हे घूर-2 कर देख रही थी

उनकी चौड़ी छाती और कसा हुआ शरीर जो उन्होने खेती बाड़ी करके बनाया था इस बात का प्रमाण था की उम्र का उनपर कोई असर नही पड़ रहा है



और उनका लिंग
उफ़फ्फ़
वो उनकी टॅंगो के बीच ऐसे झूल रहा था जैसे मैने एक बार अपने बैल हीरा का देखा था
करीब 5 इंच का था उनका मोटा सा लिंग जो टॅंगो के बीच झूल रहा था
जब अकड़ कर खड़ा होगा तो कितना बड़ा हो जाएगा ये
यही सोचकर मुझे कुछ-2 होने लगा

पर फिर मैने उस विचार को झटक दिया
छीssss ये भला क्या सोचने लगी मैं अपने ही पिताजी के बारे में
मैं कुछ बोल भी नही सकती थी
बाहर भी नही निकल सकती थी

फिर उन्होने उन दोनो गुड़िया को अपने हाथ में उठाया
तब मैने नोट किया की वो दोनो आपस में बँधी हुई है एक धागे से जो करीब २-3 फ़ीट का था
फिर उन्होने उन धागे से बँधी हुई गुडियों को गमछे की तरह अपने गले में लटका लिया
अब वो दोनों गुड़िया उनके लिंग से टकरा रही थी

फिर उन्होंने उस पीतल के बड़े से थाल को उठाया और उसका पानी अपने सिर पर डाल लिया
सुबह की ठंडक में इतने ठंडे पानी से नहाकर उनके शरीर में झुरजुरी सी दौड़ गयी
झुरजुरी तो मेरे शरीर में भी दौड़ी
क्योंकि उनका लिंग जो इतनी देर से शिथिल अवस्था में लटका पड़ा था, ठंडे पानी की वजह से उसमें तनाव आने लगा था
फिर उनका हाथ अपने तने हुए लिंग पर आया और वो उसे मसलने लगे



मुझे अंदाज़ा तो नही था की वो ऐसा क्यों कर रहे है पर ये पता था की इसका मतलब क्या है
उन्हे ऐसा करता देखकर ना जाने क्यो मेरी जाँघो के बीच भी कुछ-2 होने लगा
मैं 21 साल की थी
पर आज तक मैने ऐसा कुछ भी नही किया था जिसकी वजह से मेरे शरीर में ऐसा कुछ भी एहसास हो
पर आज पहली बार ऐसा एहसास हो रहा था मुझे
पर मैं उस एहसास का पूरा मज़ा भी नही ले पा रही थी
कारण था की ये एहसास मुझे अपने खुद के पिता को देखकर हो रहा था

मैं दम साधे उनका ये क्रियाकलाप देख रही थी
और मेरे देखते ही देखते उनका लिंग अपने पूरे आकार में आ गया
वो अब करीब 7-8 इंच का बन चुका था
और मोटा इतना जैसे कोई खीरा

फिर उन्होने अपने लिंग पर घिसाई की तेज़ी को और बड़ा दिया और करीब 1 मिनट में ही उनके लिंग से सफेद रंग का गाड़ा पानी निकलने लगा
मुझे तो लगा था की मर्द के लिंग से सिर्फ पेशाब ही निकलता है
ये क्या बला है ?

कहीं ये वो वीर्य तो नही जो बायोलॉजी की क्लास में बताया था मेडम ने
पर वो तो सैक्स करने से निकलता है
और वो भी औरत की योनि में

पर पिताजी उसे ऐसे ही क्यो निकाल रहे है
मेरा भोला भाला दिमाग़ उन सब बातो से अंजान अपनी ही उधेड़बुन में लगा हुआ था
और तब मैने कुछ अजीब सा होते देखा
पिताजी ने अपने गले में लटक रही गुड़िया के जोड़े को अपने लिंग से निकल रहे गाड़े पानी से नहला दिया
दोनो गुड़िया उनके लिंग से निकले गाड़े और सफेद पानी से रंग कर सराबोर हो गयी
देखने में मुझे बड़ा अजीब सा लगा की आख़िर ये पिताजी करना क्या चाहते है
पहले तो मुझे लगा था की ये कोई पूजा करने के लिए उठे है शायद सुबह
पर ऐसी पूजा भला कौन करता है
ये मेरी समझ से परे था
कुछ देर बाद वो अपने कपड़े पहन कर अंदर चले गये
मैने भी चैन की साँस ली क्योंकि मैं भी करीब 30 मिनट से अंदर क़ैद थी
पिताजी मुझे देख लेते तो मैं उनका सामना भला कैसे कर पाती
मैं चुपचाप अपने बेड पर आकर सो गयी
मेरी दीदी गहरी नींद में मेरे करीब ही सो रही थी
मैं कुछ देर तक अपने पिताजी के बारे मे सोचती रही और फिर कब मुझे नींद आ गयी, मुझे भी पता नही चला

पर आने वाले समय में इस घटना का मेरी जिंदगी में क्या असर पड़ना था वो अगर मैं जान लेती तो कभी वहां रुककर वो सब देखने की जुर्रत ना करती
बहोत अच्छि सुरूवात हे भाई, चंदा को जल्द ही गृहण लगने वाला है :D
 
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