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Incest वशीकरण

normal_boy

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घेसू उर्फ घनश्याम बाबा वह चंद कलयुगी ढोंगी बाबा के समान है जो सिर्फ धन-दौलत और औरतों का मान मर्दन करने के फिराक मे लगे रहते हैं ।
शर्मिली मैडम इनके छल कपट का शिकार हुई और अपने आबरू को तार तार करवा बैठी । यह सेक्स का खेल किसी आकर्षण या हवस का फल नही था । यह एक झूठ के बुनियाद पर रचा हुआ षड्यंत्र था ।

इस ढोंगी और पाखंडी बाबा की नजरें अब सुमेर साहब के पुत्रियों पर अटकी हुई है ।
इस व्यक्ति के पास कोई भी वशीकरण जैसी सिद्धि प्राप्त नही है ।
बेचारे सुमेर साहब ! इस व्यक्ति के चक्कर मे इन्हे आगे चलकर लेने के बदले देने न पड़ जाए ।
वैसे घरेलु कार्यक्रम मे इन्हे किसी प्रकार का रिस्क नही होने वाला । पर बाहरी कार्यक्रम खतरे मे इन्हे डाल सकता है ।

बेहतरीन अपडेट अशोक भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडे
इस बात से में पूरा सहमत हु, जिसे चूत का चस्का लग गया, उसके लिए क्या घर क्या बाहर। और जब पता हो की वो किसी को वश में कर के सब कर सकता है तब क्या मर्द क्या औरत क्या काम और क्या क्या काम धाम, सुमेर साहब की परेशानी बढ़ सकती है।
 

sunoanuj

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komaalrani

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ख़ासकर सुमेर सिंग के मोटे लॅंड को देखकर
क्योंकि उसकी नज़रें रह रहकर उसके लॅंड का आंकलन कर रही थी
वो अपने लॅंड को पकड़कर शर्मिला के करीब आया और उसके चेहरे के करीब आकर उसके लाल सुर्ख होंठो पर उसे लगा दिया और उसे होंठो और चेहरे पर रगड़ने लगा जैसे उसे अपने लॅंड की लिपस्टिक लगा रहा हो



कुछ देर तक वो ऐसा करता रहा जब तक उसका लॅंड स्टील का नही बन गया
और फिर वो उसके करीब बैठा और उसके मुम्मे मसलने लगा
फिर उसे देखते हुए बोला : “भाभी….आप शायद मुझे नही जानती, मैं मोतीलाल का दोस्त हूँ …आप मुझे अपना ही समझिए…”

उसे पता नही था की वो उसकी बात सुन या समझ भी पा रही है या नही
क्योंकि वो तो वशीकरण में थी
इसलिए वो उसके साथ पूरे मज़े लेने के मूड में था

सुमेर : “पता है भाभी….वो आपका पति है ना, मोतीलाल , वो हमेशा मुझे अपने पैसो की अकड़ दिखाता रहता था, मुझे चिढ़ाने के लिए अपने पैसो के बल पर उसने एक बार उस लड़की को भी पटा लिया था जिसे मैं बचपन से चाहता था, और मेरे सामने ही उसने उसे पूरा नंगा करके चोदा था….और आज उसका बदला उतारने का टाइम आ गया है….काश वो कमीना यहाँ होता तो मैं उसे दिखाता की आज मैं उसकी बीबी की चूत मार रहा हूँ ”

इतना कहकर वो झुका और उसके मोटे मुम्मे चूसने लगा
वो कसमसा उठी
उसके हाथ सुमेर के सिर के पीछे आ लगे और उसने उसे अपनी छाती पर दबाकर पीस दिया
पीस क्या दिया उसके चेहरे को अपने मुम्मो पर रगड़ने लगी
जैसे कोई खुजली मिटा लेना चाहती हो
और वो खुजली उसकी वहीं नही रुकी

वो उसे धक्का देकर नीचे की तरफ ले जाने लगी
और अपना पेट और नाभि चटवाने के बाद उसे अपनी चूत के उपर लेजाकर छोड़ दिया
वहां से एक नशीली सी खुश्बू आ रही थी
जिसने उस झोपड़ी नुमा महल को सुगंधित कर रखा था
सुमेर भी उसी नशे में डूब सा गया

उसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की उस चूत को घेसू सुबह से मार रहा है
सैक्स जब इंसान पर चड़ता है तो ये सब भूल जाता है
उसे तो बस अपना मज़ा दिखाई दे रहा था बस
सुमेर उसकी चूत को बुरी तरह से चाटने लगा

वो अपनी जीभ को बाल्टी बनाकर उसकी छूट के कुँवे से पानी निकालने लगा
हर बार वो सडप-2 करके 2 चम्मच पानी बाहर खींच कर ले आता और उस से अपनी प्यास बुझाता



शर्मिला का तो बुरा हाल था
शायद आज से पहले इतनी अच्छी तरह से उसकी चूत को किसी ने नही चाटा था
औरत को चूत चटाई मिल जाए तो वो मर्द की गुलाम बन जाती है
शर्मिला का भी यही हाल था

भले ही वो इस वक़्त वशीकरण में थी पर सुमेर सिंह की कलाकारी देखकर वो उसकी गुलाम बन चुकी थी
उसके साथ तो वो बिना किसी वशीकरण के भी चुदने को तैयार थी अब

बाहर बैठा घेसू शराब की बॉटल को मुँह लगाए उनकी आवाज़ें सुन रहा था और खुश हो रहा था
उसने जो चारा फेंका था उसके बदले उसे भविष्य में सुमेर की दोनो बेटियों की चूत मिलने वाली थी
इसका भरोसा उसे हो चला था

पर अभी तो अंदर आग लगी हुई थी
जिसे सिर्फ़ सुमेर का लॅंड ही शांत कर सकता था
उसने अपने फौलादी लॅंड को मसला और ढेर सारा थूक लगाकर उसे शर्मिला भाभी की चूत पर लगा दिया
वो उसके लॅंड की मोटाई देखकर आने वाले दर्द को महसूस कर पा रही थी
और उसने किया भी

जब सुमेर का पहला झटका लगा और वो लॅंड उसकी चूत में आधे से ज़्यादा घुस गया

“आआआआआयययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…….. अहह…………. सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……”



सच में
ना तो उसके पति का और ना ही घेसू का लॅंड इतना मोटा था
जितना सुमेर का था
इसलिए उसे अंदर लेने में उसकी चूत को काफ़ी मेहनत करनी पड़ी थी

पर जब अगले झटके में वो पूरा अंदर चला गया तो उसे संपूर्णता का वो एहसास हुआ जो आज से पहले कभी नही हुआ था
उसकी चूत ठूस कर भरी जा चुकी थी सुमेर के लॅंड से

कुछ देर तक वो उसके उपर लेटा रहा और फिर धीरे-2 अपने लॅंड को अंदर बाहर करने लगा
अब उसकी धीमी सिसकारिया लॅंड के साथ लयबध होकर उस झोपडे में अपना नशा बिखेर रही थी

"ससससस..... आअह्हह्ह्ह्ह... उम्मम्मम्मम्मम। ......... ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "

और जब चिकनी चूत में फिसलता हुआ लॅंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा तो सुमेर ने अपनी स्पीड बड़ा दी
अब उसके हर झटके से शर्मिला के मोटे मुम्मे उसके चेहरे पर जा लगते
और वो उसका आनंद भी उठा रही थी

सुमेर : “आआआआआआअहह…..वाााआआहह भाभी……आपकी चूत तो बड़ी कमाल की है..... लगता है उस चूतिये ने इतनी गहराई में उतरकर नही देखा है…साला छोटे लॅंड वाला आदमी….अगली बार जब अपना लॅंड डालेगा अंदर तो उसे पता चलेगा की रोड की खुदाई कहाँ तक हो चुकी है….अहह……”

और इसके साथ ही उसने तेज झटके मारकर शर्मिला की रेल बना दी



और करीब 15 मिनट तक चुदाई करने के बाद उसके लॅंड ने जोरदार रूप से अपना लावा उसकी चूत में फेंकना शुरू कर दिया

मज़े की बात ये थी की आख़िर में झड़ते वक़्त सुमेर सिंह की आँखे बंद हो गयी और उसे अपनी जवान बेटियों के नंगे जिस्म अपने सामने दिखाई दे रहे थे
जिन्हे वो बारी-2 से चोद रहा था

"आअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह चंदा ...... मेरी बच्ची ......... चन्द्रिका ........ ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "

वो तो वशीकरण में थी, इसलिए सुमेर को पक्का यकीन था की वो जो कुछ भी बोल रहा है उसे याद नहीं रहेगा या वो सुन ही नहीं पा रही होगी
पर ऐसे विचारों के साथ झड़ने में जो आनंद उसे आया वो शब्दो में बयान नही किया जा सकता
सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है

अंत में उसने अपना देसी घी में भीगा लॅंड उसकी चूत से बाहर निकाला और उसकी बगल में लुढ़क कर गहरी साँसे लेने लगा
और वो बेचारी
जो करीब 3 बार उसके लॅंड से झड़ चुकी थी
अपनी चूत से गर्म लावे को बाहर निकलता हुआ महसूस करके अपनी आँखे बंद करे पड़ी रही




कुछ देर बाद सुमेर अपने कपड़े पहन कर और हुलिया ठीक करके बाहर आ गया

घेसू : “क्यों ..... .आया मज़ा…..?”

सुमेर सिंह मुस्कुरा कर रह गया

घेसू : “ऐसे मज़े मैं तुझे रोज दे सकता हूँ ….और एक तू है की मुझे कुछ भी बताने से डर रहा है…”

घेसू की सुई अभी तक वहीं अटकी हुई थी

सुमेर भी समझ चूका था की उस से कुछ भी छुपाना बेकार है
वो अगर उसकी बात मान लेता है तो उसे ऐसे मौके बार-2 मिलेंगे

और साथ ही वो घेसू से ये नयी वशीकरण विद्या भी सीख सकता है
जिसमें ना तो कोई क्रिया करनी पड़ती है और ना ही कोई मंत्र पढ़ना पड़ता है और आधे घंटे वाली स्थिति भी नही थी इसमें
ये विद्या तो वो ज़रूर सीखना चाहेगा
पर इसके लिए उसे अपनी बेटियों के साथ जो हुआ वो उसे बताना पड़ेगा
और शायद बाद में उन्हे घेसू से चुदवाना भी पड़ेगा

पर वो तो बाद की बात है
अभी के लिए तो वो उसे अपनी आप बीती सुना ही सकता है
और वो उसने सुनाई भी

अगले 1 घंटे तक उसने घेसू के साथ मिलकर उस बॉटल को भी ख़त्म किया और चटखारे ले-लेकर अपनी दोनो बेटियो के साथ जो कुछ भी अभी तक उसने किया था वो सब उसे सुना डाला

कच्ची कलियों के साथ हुई उस चूमा-चटाई को सुनकर घेसू का लॅंड फिर से हुंकारने लगा

घेसू : “सुमेर…मेरे दोस्त….तेरी ये दोनो जबराट लोंड़ियां सच में कमाल की हैं, कसम से वो इस वक़्त यहाँ होती तो तेरे सामने उन्हे अपने वश में करता और यही नंगा करके तेरा और अपना लॅंड चुसवाता …..पर अभी तू घर जा , कल मैं तुझे बताऊंगा की आगे क्या करना है…”

इतना कहकर वो उठा और एक बार फिर से शर्मिला की चूत बजाने पिछली झोपड़ी की तरफ चल दिया
सुमेर भी वहां से निकल आया
क्योंकि अभी के लिए तो उसके लॅंड को खुराक मिल ही चुकी थी
रही बात घेसू की तो वो आज नही तो कल उसे वो सब बता ही देगा

और वैसे भी अभी के लिए उसके पास खुद की सीखी हुई वशीकरण विद्या तो है ही
जिसका इस्तेमाल करके वो आज रात फिर से मज़ा लेने वाला था
जबरदस्त,
एक नया चरित्र और कहानी के नए मोड पे मुड़ने की आहट,

घेसू अपना वशीकरण सुमेर सिंह को सिखाएगा या उसे सिर्फ उन दोनों कन्याओं तक पहुँचने की नसेनी बनाएगा, पता नहीं लेकिन आपने जो अलंकारों को अपने वश में कर रखा है, उस की शिक्षा इस फोरम वालों को जरूर दीजिये और किताब लिख दीजिये तो सबसे अच्छा, शब्द वशीकरण

दूसरे भाग के शुरू में ही जो आपने लिपस्टिक का रूपक दिया है और साथ में चित्र भी एकदम सटीक, शब्द कम थे क्या जो ऐसे चित्र भी उनके सहयोग में आ खड़े हुए

लेकिन दो बाते लग रही है असली वशीकरण देह का है और मन के उबाल का है शर्मीला का नाम चाहे जो हो लेकिन वह भी देह की प्यास के आगे बेबस है और दूसरी बात घेसू ने जिस तरह सुमेर सिंह को अपना प्लान बता दिया उसकी बेटियों के बारे में दूसरा कोई पिता होता तो,

लेकिन सुमेर सिंह भी देह की प्यास के आगे बेबस है

बहुत ही अच्छा अपडेट, अत्यंत रोचक, एरोटिक और अगले भाग के लिए बेचैन कर देने वाला



:applause: :claps::claps::claps::claps::claps::claps::claps::claps::claps::claps:
 
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komaalrani

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अब तक शर्मिला भी निर्णय ले चुकी थी की उसे क्या करना है

घेसू के जिन चरणों को वो दबा कर बैठी थी उसे अपनी छाती से चिपकाते हुए वो बोली : “मेरी जिंदगी में आप फरिश्ता बनकर आए हो महाराज…इसलिए आप जो कहेंगे, मैं करने के लिए तैयार हूँ …”

बाबाजी का लॅंड खड़ा हो गया धोती में उसके मुम्मो की कसावट को अपने घुटने पर महसूस करके
ऐसे में तो विश्वामित्र भी पिघल गये थे, ये तो फिर भी हमारा ठरकी घेसू था

उसने शर्मिला के कंधे से पकड़कर उसे उपर उठाया और अपने सीने से लगा लिया
सीने से लगाने से पहले ही शर्मिला ने अपना पल्लू नीचे गिरा दिया था



उसने पल्लू नही बल्कि अपने पति की इज़्ज़त को नीचे फेंका था
अब वो अपने पति की बेवफ़ाई का बदला लेना चाहती थी
बाबा के बच्चे की माँ बनकर पूरी जिंदगी अपने पति के पैसों को उड़ाना चाहती थी

बस
फिर क्या था
घेसू ने उसे अपनी गोद में उठाया और उसे लेकर अपने शीशमहल यानी पिछले झोपडे की तरफ चल दिया
वहां की रूप रेखा देखकर एक पल के लिए तो शर्मिला भी हैरान रह गयी
उसे तो लग रहा था की बाबा जी उसे वहीं चटाई पर लिटाकर चोदेगे

पर चुदाई का मज़ा तो डबल बेड पर ही है
और उपर से आज उसकी चूत में एक मोटा और कड़क लॅंड जाने वाला था
इसका आभास उसे उसी वक़्त हो गया था जब घेसू महाराज उसे अपनी गोद में उठा रहे थे
उसका हाथ उनके लॅंड पर जा लगा था और वहां की फेलावट महसूस करके उसके दिल की घंटिया बज उठी थी

बेड पर लेटते ही उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट ब्लाउज़ खुद ही निकाल फेंके
नीचे वो पूरी नंगी थी



उसके संगमरमर जैसे जिस्म की बनावट देखकर एक बार तो घेसू भी चकरा गया
उसे आज अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था
पर मेहनत तो उसने की ही थी
और उसी का फल इस वक़्त उसके बेड पर नंगा पड़ा था
जिसे उसे चाटना था
खाना था
मज़े ले-लेकर चूसना था

उसने झट्ट से अपनी धोती निकाल फेंकी और अंगोछा भी
अब चकराने की बारी शर्मिला की थी
क्योंकि उसने ऐसा लॅंड आज तक नही देखा था
वैसे तो अपने पति के अलावा किसी के साथ भी सैक्स नही किया था
पर एक-2 बार उसने पॉर्न देखी थी
लेकिन उसमें भी ऐसा लॅंड नही था जो बाबा का था
एकदम जंगली
झांटों से घिरा हुआ
काला भुसन्ड
बाबाजी का लंड



ये उसकी चूत में जाएगा कैसे
फिर उसने सोचा
जब जाएगा नही तो बच्चा आएगा कैसे
बस उसने उपर वाले का नाम लिया और बाबाजी को अपने उपर खींच लिया
ऐसा प्रतीत हुआ जैसे रसगुल्ले पर कटहल आ गिरा हो

घेसू तो पागलों की तरह उसके मुम्मो का दूध पीने में लग गया
उसके मोटे निप्पलों को चूस चूस्कर उसने उन्हे सूजा दिया
अपने दांतो के निशान बनाकर उसके सफेद मुम्मो को लाल गुब्बारा बना दिया



फिर नीचे जाकर उसने उसके पेट की मदिरा पी
नाभि में जीभ डालकर उसकी खुदाई की
वो बेचारी अपने शरीर के साथ हो रहे इस खिलवाड़ को महसूस करके सिर्फ़ गर्म आँहे भर रही थी
आज से पहले इतना कुछ सैक्स से पहले हुआ ही नही था उसके साथ
उसका पति तो सिर्फ़ उसे अपने उपर लिटाता और लॅंड डालकर 8-10 झटकों में हाँफने लगता
वो तो झड़ भी नही पाती थी
पर
इस वक़्त सिर्फ़ घेसू के द्वारा मुम्मे चूसने मात्र से वो झड़ चुकी थी
और जब घेसू ने अपना दाढ़ी मूँछो से भरा चेहरा उसकी बिना झांटों की चूत से लगाया तो वो ज़ोर से चिल्ला पड़ी

"आययययययीईइईsssssssss बाबाssssssss स्स्सस्स्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "

ये काम उसके साथ पहली बार जो हो रहा था
उसके पति ने 1-2 बार सिर्फ़ उंगली मारी थी वहां
जीभ तो बहुत दूर की बात थी



इसलिए वो उसके चेहरे को अपनी चूत पर घिसने लगी
ऐसा लग रहा था जैसे वो कोई बड़ा सा बालों वाला ब्रश घिस रही हो अपनी चूत पर
पर मज़ा उसे बहुत आ रहा था

क्योंकि घेसू महाराज अपनी जीभ से उसके मटर दाने को जो कुरेद रहे थे
वो दान जब भी महाराज की पकड़ में आता तो वो उसे चुभला कर एक जोरदार चटखारा मारते
बदले में शर्मिला का पूरा शरीर झनझना कर रह जाता
वो उन्हे दूर भी फेंकना चाह रही थी और पास भी रखना चाह रही थी

और जब वो फिर से झड़ गयी तो उसकी चूत का सारा अमृत घेसू नारियल पानी की तरह पी गया
गहरी साँसे लेते हुए शर्मिला ने घेसू को पकड़ कर उपर खींचा और उनके होंठ चूसने लगी
गुरुजी के होंठो से अपनी चूत का रस ही मिला उसे
उनकी दाढ़ी मूँछे और होंठ पूरी तरह से उसकी चूत से निकले पानी मे धुल कर नशीले हो चुके थे
और वो उस नशे को चूस्कर उनके वशीकरण में बंधती चली गयी

कुछ देर बाद घेसू ने सही सा आसन बनाया और उसकी जाँघो को फेला कर चौड़ा किया
फिर अपने लॅंड पर ढेर सारी थूक लगाकर उसे शर्मिला की चूत पर लगाया
और बोला : “चिंता ना करो पुत्री …..अब तुम्हे जल्द ही पुत्र प्राप्ति भी होगी और आज के बाद तुम्हारे शरीर को भी पूरा मज़ा मिलेगा”

एक औरत को और क्या चाहिए
उसने आँखे बंद कर ली और आने वाले झटके की प्रतीक्षा करने लगी
घेसू ने अपना लॅंड धीरे-2 करके आधे से ज्यादा उसकी चूत में उतार दिया



उसकी चूत इतनी गीली थी की उसे ज़रा भी दर्द नही हुआ
बाबा के इस चमत्कारी झटके ने उसे सुख सागर में गोते लगाने पर मजबूर कर दिया
आज जैसा भरंवापन उसे पहले कभी महसूस नही हुआ था
उसकी चूत का एक -2 कोना बाबा जी के लॅंड से ठूस -2 कर भरा जा चूका था

कुछ देर तक तो घेसू धीरे-2 अपने लॅंड को अंदर बाहर करता रहा
फिर घेसू ने अपनी स्पीड बड़ा दी

अब शर्मिला को एहसास हुआ की असली चुदाई और असली मर्द क्या होता है
हर झटके से बाबा जी का लॅंड उसकी चूत की दीवारों की रंगाई पुताई करता हुआ उसे और भी ज़्यादा चमका रहा था
और हर झटके में उसे जो आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसे शब्दो में वो कह नही पा रही थी
सिर्फ़ आअहह बाबाजी
ओह बाबाजी
कहकर अपनी भक्ति का प्रचार कर रही थी
वो तो उनके लॅंड की दीवानी हो चुकी थी अब
नके लिए तो वो अपने पति से लड़ झगड़कर भी आ जाएगी इस कुटिया में उनका लॅंड लेने

बस इन्ही विचारों को महसूस करते हुए करीब 10 मिनट बाद उसकी चूत की गोद भराई हो गयी उनके वीर्य से
बाबाजी ने भरभराकर अपने लॅंड का पानी उसकी चूत में आशीर्वाद के रूप में भर दिया



बाबाजी की बूटी ने उसकी चूत में अपना कमाल दिखा दिया था
जो आने वाले समय में उसका पुत्र बनकर बाहर आने वाला था
और फिर वो उसके उपर ही गिर पड़े
शर्मिला भी अपने मोटे स्तनों को उनके शरीर पर घिसकर उन्हे धन्यवाद देने लगी

उस रात वो ऐसे ही नंगी लेटी रही उनके बेड पर
और बाबाजी ने करीब 3 बार उसकी जबरदस्त चुदाई की
अब तो वो भी थक चुकी थी
पर ठरकी बाबाजी का लॅंड हर 2 घंटे बाद फिर से अंगड़ाई लेने लगता था
वैसे बीच-2 में घेसू हिमालय के जंगलो से लाई कुछ जड़ी बूटिया भी खा रहा था
ताकि उसे लगातार चोदने की अतिरिक्त शक्ति मिलती रहे

इसी तरह से वो रात बीत गयी
अगली सुबह सुमेर सिंह आया था उस से मिलने
और फिर उसे पिछली झोपड़ी में लेजाकर शर्मिला के पास छोड़ दिया

बाबाजी के साथ एक और मर्द को देखकर एक पल के लिए तो शर्मिला घबरा गयी
पर घेसू ने आँखो ही आँखो में उसे चुप रहकर लेटे रहने को कहा
अब बाबाजी को तो वो नाराज़ नही कर सकती थी
और वैसे भी सुमेर सिंह जैसा बांका और गठीला मर्द देखकर शर्मिला के दिल में कुछ-2 होने लगा था
हालाँकि घेसू के लॅंड ने भी उसे काफ़ी मज़े दिए थे
पर वो जंगलीपन वाला प्यार था

इस बांके शरीर के मालिक के साथ अलग मज़ा मिलेगा
और अपने बेवफा पति की बेवफ़ाई का बदला लेने का एक और मौका मिलेगा
बस
इसलिए वो उसी अवस्था में लेटी रही
सिर्फ़ आहे निकली उसकी चुदाई के वक़्त
उसके अलावा वो कुछ ना बोली
ठीक वैसे ही जैसे कोई वशीकरण में रहकर कुछ भी बोलने और समझने की स्थिति में नही रहता
और इस प्रकार घेसू का ये पासा भी सही पड़ गया

शर्मिला की चूत को एक और लॅंड मिल गया
और सुमेर सिंह को शर्मिला की चूत दिलाकर घीसू ने अपने लिए उसकी बेटियों का जुगाड़ भी कर लिया

पर वो तो तभी संभव होता जब घेसू उसे आँखो मे देखकर वशीकरण की विद्या के बारे में बताएगा
अभी के लिए तो आज की रात वो अपनी सीखी हुई विद्या का इस्तेमाल करके अपनी बेटियो की चूत पर कब्जा कर लेना चाहता था

उनकी कुँवारी छूटों पर वो अपना नाम लिखना चाहता था
उस घेसू का नही
इसलिए घेसू के पास भेजने से पहले वो खुद मज़े करना चाहता था
और आज की रात वही मज़े लेने वाली रात थी.
बहुत ही कामोत्तेजक अपडेट और बहुत ही सच्चाई के करीब

भूख तरह तरह की होती है और कैसे आपने घेसू के जरिये समझा दिया, उमर के साथ अलग अलग, परिवार के झगड़े की, सम्पत्ति की, संतान की देह की

और आँखों वाले उस वशीकरण का रहस्य भी खुल गया और सुमेर सिंह को सिर्फ उनकी दोनों बेटियां ही नहीं पाठ पढ़ा रही थीं, घेसू और शर्मीला भी

कहानी में अब नए नए पन्ने लग रहा है जुड़ेंगे

आपकी लेखन कला की तारीफ़ करना एक ही बात को बार बार दुहराना होगा, आप लिखेंगे तो अच्छा होगा ही।
 
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