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Aaj ya kal tak aa jayega updateBhai update kab Tak aayega...
thanks
Aaj ya kal tak aa jayega updateBhai update kab Tak aayega...
अब तक शर्मिला भी निर्णय ले चुकी थी की उसे क्या करना है
घेसू के जिन चरणों को वो दबा कर बैठी थी उसे अपनी छाती से चिपकाते हुए वो बोली : “मेरी जिंदगी में आप फरिश्ता बनकर आए हो महाराज…इसलिए आप जो कहेंगे, मैं करने के लिए तैयार हूँ …”
बाबाजी का लॅंड खड़ा हो गया धोती में उसके मुम्मो की कसावट को अपने घुटने पर महसूस करके
ऐसे में तो विश्वामित्र भी पिघल गये थे, ये तो फिर भी हमारा ठरकी घेसू था
उसने शर्मिला के कंधे से पकड़कर उसे उपर उठाया और अपने सीने से लगा लिया
सीने से लगाने से पहले ही शर्मिला ने अपना पल्लू नीचे गिरा दिया था
उसने पल्लू नही बल्कि अपने पति की इज़्ज़त को नीचे फेंका था
अब वो अपने पति की बेवफ़ाई का बदला लेना चाहती थी
बाबा के बच्चे की माँ बनकर पूरी जिंदगी अपने पति के पैसों को उड़ाना चाहती थी
बस
फिर क्या था
घेसू ने उसे अपनी गोद में उठाया और उसे लेकर अपने शीशमहल यानी पिछले झोपडे की तरफ चल दिया
वहां की रूप रेखा देखकर एक पल के लिए तो शर्मिला भी हैरान रह गयी
उसे तो लग रहा था की बाबा जी उसे वहीं चटाई पर लिटाकर चोदेगे
पर चुदाई का मज़ा तो डबल बेड पर ही है
और उपर से आज उसकी चूत में एक मोटा और कड़क लॅंड जाने वाला था
इसका आभास उसे उसी वक़्त हो गया था जब घेसू महाराज उसे अपनी गोद में उठा रहे थे
उसका हाथ उनके लॅंड पर जा लगा था और वहां की फेलावट महसूस करके उसके दिल की घंटिया बज उठी थी
बेड पर लेटते ही उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट ब्लाउज़ खुद ही निकाल फेंके
नीचे वो पूरी नंगी थी
उसके संगमरमर जैसे जिस्म की बनावट देखकर एक बार तो घेसू भी चकरा गया
उसे आज अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था
पर मेहनत तो उसने की ही थी
और उसी का फल इस वक़्त उसके बेड पर नंगा पड़ा था
जिसे उसे चाटना था
खाना था
मज़े ले-लेकर चूसना था
उसने झट्ट से अपनी धोती निकाल फेंकी और अंगोछा भी
अब चकराने की बारी शर्मिला की थी
क्योंकि उसने ऐसा लॅंड आज तक नही देखा था
वैसे तो अपने पति के अलावा किसी के साथ भी सैक्स नही किया था
पर एक-2 बार उसने पॉर्न देखी थी
लेकिन उसमें भी ऐसा लॅंड नही था जो बाबा का था
एकदम जंगली
झांटों से घिरा हुआ
काला भुसन्ड
बाबाजी का लंड
ये उसकी चूत में जाएगा कैसे
फिर उसने सोचा
जब जाएगा नही तो बच्चा आएगा कैसे
बस उसने उपर वाले का नाम लिया और बाबाजी को अपने उपर खींच लिया
ऐसा प्रतीत हुआ जैसे रसगुल्ले पर कटहल आ गिरा हो
घेसू तो पागलों की तरह उसके मुम्मो का दूध पीने में लग गया
उसके मोटे निप्पलों को चूस चूस्कर उसने उन्हे सूजा दिया
अपने दांतो के निशान बनाकर उसके सफेद मुम्मो को लाल गुब्बारा बना दिया
फिर नीचे जाकर उसने उसके पेट की मदिरा पी
नाभि में जीभ डालकर उसकी खुदाई की
वो बेचारी अपने शरीर के साथ हो रहे इस खिलवाड़ को महसूस करके सिर्फ़ गर्म आँहे भर रही थी
आज से पहले इतना कुछ सैक्स से पहले हुआ ही नही था उसके साथ
उसका पति तो सिर्फ़ उसे अपने उपर लिटाता और लॅंड डालकर 8-10 झटकों में हाँफने लगता
वो तो झड़ भी नही पाती थी
पर
इस वक़्त सिर्फ़ घेसू के द्वारा मुम्मे चूसने मात्र से वो झड़ चुकी थी
और जब घेसू ने अपना दाढ़ी मूँछो से भरा चेहरा उसकी बिना झांटों की चूत से लगाया तो वो ज़ोर से चिल्ला पड़ी
"आययययययीईइईsssssssss बाबाssssssss स्स्सस्स्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "
ये काम उसके साथ पहली बार जो हो रहा था
उसके पति ने 1-2 बार सिर्फ़ उंगली मारी थी वहां
जीभ तो बहुत दूर की बात थी
इसलिए वो उसके चेहरे को अपनी चूत पर घिसने लगी
ऐसा लग रहा था जैसे वो कोई बड़ा सा बालों वाला ब्रश घिस रही हो अपनी चूत पर
पर मज़ा उसे बहुत आ रहा था
क्योंकि घेसू महाराज अपनी जीभ से उसके मटर दाने को जो कुरेद रहे थे
वो दान जब भी महाराज की पकड़ में आता तो वो उसे चुभला कर एक जोरदार चटखारा मारते
बदले में शर्मिला का पूरा शरीर झनझना कर रह जाता
वो उन्हे दूर भी फेंकना चाह रही थी और पास भी रखना चाह रही थी
और जब वो फिर से झड़ गयी तो उसकी चूत का सारा अमृत घेसू नारियल पानी की तरह पी गया
गहरी साँसे लेते हुए शर्मिला ने घेसू को पकड़ कर उपर खींचा और उनके होंठ चूसने लगी
गुरुजी के होंठो से अपनी चूत का रस ही मिला उसे
उनकी दाढ़ी मूँछे और होंठ पूरी तरह से उसकी चूत से निकले पानी मे धुल कर नशीले हो चुके थे
और वो उस नशे को चूस्कर उनके वशीकरण में बंधती चली गयी
कुछ देर बाद घेसू ने सही सा आसन बनाया और उसकी जाँघो को फेला कर चौड़ा किया
फिर अपने लॅंड पर ढेर सारी थूक लगाकर उसे शर्मिला की चूत पर लगाया
और बोला : “चिंता ना करो पुत्री …..अब तुम्हे जल्द ही पुत्र प्राप्ति भी होगी और आज के बाद तुम्हारे शरीर को भी पूरा मज़ा मिलेगा”
एक औरत को और क्या चाहिए
उसने आँखे बंद कर ली और आने वाले झटके की प्रतीक्षा करने लगी
घेसू ने अपना लॅंड धीरे-2 करके आधे से ज्यादा उसकी चूत में उतार दिया
उसकी चूत इतनी गीली थी की उसे ज़रा भी दर्द नही हुआ
बाबा के इस चमत्कारी झटके ने उसे सुख सागर में गोते लगाने पर मजबूर कर दिया
आज जैसा भरंवापन उसे पहले कभी महसूस नही हुआ था
उसकी चूत का एक -2 कोना बाबा जी के लॅंड से ठूस -2 कर भरा जा चूका था
कुछ देर तक तो घेसू धीरे-2 अपने लॅंड को अंदर बाहर करता रहा
फिर घेसू ने अपनी स्पीड बड़ा दी
अब शर्मिला को एहसास हुआ की असली चुदाई और असली मर्द क्या होता है
हर झटके से बाबा जी का लॅंड उसकी चूत की दीवारों की रंगाई पुताई करता हुआ उसे और भी ज़्यादा चमका रहा था
और हर झटके में उसे जो आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसे शब्दो में वो कह नही पा रही थी
सिर्फ़ आअहह बाबाजी
ओह बाबाजी
कहकर अपनी भक्ति का प्रचार कर रही थी
वो तो उनके लॅंड की दीवानी हो चुकी थी अब
उनके लिए तो वो अपने पति से लड़ झगड़कर भी आ जाएगी इस कुटिया में उनका लॅंड लेने
बस इन्ही विचारों को महसूस करते हुए करीब 10 मिनट बाद उसकी चूत की गोद भराई हो गयी उनके वीर्य से
बाबाजी ने भरभराकर अपने लॅंड का पानी उसकी चूत में आशीर्वाद के रूप में भर दिया
बाबाजी की बूटी ने उसकी चूत में अपना कमाल दिखा दिया था
जो आने वाले समय में उसका पुत्र बनकर बाहर आने वाला था
और फिर वो उसके उपर ही गिर पड़े
शर्मिला भी अपने मोटे स्तनों को उनके शरीर पर घिसकर उन्हे धन्यवाद देने लगी
उस रात वो ऐसे ही नंगी लेटी रही उनके बेड पर
और बाबाजी ने करीब 3 बार उसकी जबरदस्त चुदाई की
अब तो वो भी थक चुकी थी
पर ठरकी बाबाजी का लॅंड हर 2 घंटे बाद फिर से अंगड़ाई लेने लगता था
वैसे बीच-2 में घेसू हिमालय के जंगलो से लाई कुछ जड़ी बूटिया भी खा रहा था
ताकि उसे लगातार चोदने की अतिरिक्त शक्ति मिलती रहे
इसी तरह से वो रात बीत गयी
अगली सुबह सुमेर सिंह आया था उस से मिलने
और फिर उसे पिछली झोपड़ी में लेजाकर शर्मिला के पास छोड़ दिया
बाबाजी के साथ एक और मर्द को देखकर एक पल के लिए तो शर्मिला घबरा गयी
पर घेसू ने आँखो ही आँखो में उसे चुप रहकर लेटे रहने को कहा
अब बाबाजी को तो वो नाराज़ नही कर सकती थी
और वैसे भी सुमेर सिंह जैसा बांका और गठीला मर्द देखकर शर्मिला के दिल में कुछ-2 होने लगा था
हालाँकि घेसू के लॅंड ने भी उसे काफ़ी मज़े दिए थे
पर वो जंगलीपन वाला प्यार था
इस बांके शरीर के मालिक के साथ अलग मज़ा मिलेगा
और अपने बेवफा पति की बेवफ़ाई का बदला लेने का एक और मौका मिलेगा
बस
इसलिए वो उसी अवस्था में लेटी रही
सिर्फ़ आहे निकली उसकी चुदाई के वक़्त
उसके अलावा वो कुछ ना बोली
ठीक वैसे ही जैसे कोई वशीकरण में रहकर कुछ भी बोलने और समझने की स्थिति में नही रहता
और इस प्रकार घेसू का ये पासा भी सही पड़ गया
शर्मिला की चूत को एक और लॅंड मिल गया
और सुमेर सिंह को शर्मिला की चूत दिलाकर घीसू ने अपने लिए उसकी बेटियों का जुगाड़ भी कर लिया
पर वो तो तभी संभव होता जब घेसू उसे आँखो मे देखकर वशीकरण की विद्या के बारे में बताएगा
अभी के लिए तो आज की रात वो अपनी सीखी हुई विद्या का इस्तेमाल करके अपनी बेटियो की चूत पर कब्जा कर लेना चाहता था
उनकी कुँवारी छूटों पर वो अपना नाम लिखना चाहता था
उस घेसू का नही
इसलिए घेसू के पास भेजने से पहले वो खुद मज़े करना चाहता था
और आज की रात वही मज़े लेने वाली रात थी.
Waahअब तक शर्मिला भी निर्णय ले चुकी थी की उसे क्या करना है
घेसू के जिन चरणों को वो दबा कर बैठी थी उसे अपनी छाती से चिपकाते हुए वो बोली : “मेरी जिंदगी में आप फरिश्ता बनकर आए हो महाराज…इसलिए आप जो कहेंगे, मैं करने के लिए तैयार हूँ …”
बाबाजी का लॅंड खड़ा हो गया धोती में उसके मुम्मो की कसावट को अपने घुटने पर महसूस करके
ऐसे में तो विश्वामित्र भी पिघल गये थे, ये तो फिर भी हमारा ठरकी घेसू था
उसने शर्मिला के कंधे से पकड़कर उसे उपर उठाया और अपने सीने से लगा लिया
सीने से लगाने से पहले ही शर्मिला ने अपना पल्लू नीचे गिरा दिया था
उसने पल्लू नही बल्कि अपने पति की इज़्ज़त को नीचे फेंका था
अब वो अपने पति की बेवफ़ाई का बदला लेना चाहती थी
बाबा के बच्चे की माँ बनकर पूरी जिंदगी अपने पति के पैसों को उड़ाना चाहती थी
बस
फिर क्या था
घेसू ने उसे अपनी गोद में उठाया और उसे लेकर अपने शीशमहल यानी पिछले झोपडे की तरफ चल दिया
वहां की रूप रेखा देखकर एक पल के लिए तो शर्मिला भी हैरान रह गयी
उसे तो लग रहा था की बाबा जी उसे वहीं चटाई पर लिटाकर चोदेगे
पर चुदाई का मज़ा तो डबल बेड पर ही है
और उपर से आज उसकी चूत में एक मोटा और कड़क लॅंड जाने वाला था
इसका आभास उसे उसी वक़्त हो गया था जब घेसू महाराज उसे अपनी गोद में उठा रहे थे
उसका हाथ उनके लॅंड पर जा लगा था और वहां की फेलावट महसूस करके उसके दिल की घंटिया बज उठी थी
बेड पर लेटते ही उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट ब्लाउज़ खुद ही निकाल फेंके
नीचे वो पूरी नंगी थी
उसके संगमरमर जैसे जिस्म की बनावट देखकर एक बार तो घेसू भी चकरा गया
उसे आज अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था
पर मेहनत तो उसने की ही थी
और उसी का फल इस वक़्त उसके बेड पर नंगा पड़ा था
जिसे उसे चाटना था
खाना था
मज़े ले-लेकर चूसना था
उसने झट्ट से अपनी धोती निकाल फेंकी और अंगोछा भी
अब चकराने की बारी शर्मिला की थी
क्योंकि उसने ऐसा लॅंड आज तक नही देखा था
वैसे तो अपने पति के अलावा किसी के साथ भी सैक्स नही किया था
पर एक-2 बार उसने पॉर्न देखी थी
लेकिन उसमें भी ऐसा लॅंड नही था जो बाबा का था
एकदम जंगली
झांटों से घिरा हुआ
काला भुसन्ड
बाबाजी का लंड
ये उसकी चूत में जाएगा कैसे
फिर उसने सोचा
जब जाएगा नही तो बच्चा आएगा कैसे
बस उसने उपर वाले का नाम लिया और बाबाजी को अपने उपर खींच लिया
ऐसा प्रतीत हुआ जैसे रसगुल्ले पर कटहल आ गिरा हो
घेसू तो पागलों की तरह उसके मुम्मो का दूध पीने में लग गया
उसके मोटे निप्पलों को चूस चूस्कर उसने उन्हे सूजा दिया
अपने दांतो के निशान बनाकर उसके सफेद मुम्मो को लाल गुब्बारा बना दिया
फिर नीचे जाकर उसने उसके पेट की मदिरा पी
नाभि में जीभ डालकर उसकी खुदाई की
वो बेचारी अपने शरीर के साथ हो रहे इस खिलवाड़ को महसूस करके सिर्फ़ गर्म आँहे भर रही थी
आज से पहले इतना कुछ सैक्स से पहले हुआ ही नही था उसके साथ
उसका पति तो सिर्फ़ उसे अपने उपर लिटाता और लॅंड डालकर 8-10 झटकों में हाँफने लगता
वो तो झड़ भी नही पाती थी
पर
इस वक़्त सिर्फ़ घेसू के द्वारा मुम्मे चूसने मात्र से वो झड़ चुकी थी
और जब घेसू ने अपना दाढ़ी मूँछो से भरा चेहरा उसकी बिना झांटों की चूत से लगाया तो वो ज़ोर से चिल्ला पड़ी
"आययययययीईइईsssssssss बाबाssssssss स्स्सस्स्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "
ये काम उसके साथ पहली बार जो हो रहा था
उसके पति ने 1-2 बार सिर्फ़ उंगली मारी थी वहां
जीभ तो बहुत दूर की बात थी
इसलिए वो उसके चेहरे को अपनी चूत पर घिसने लगी
ऐसा लग रहा था जैसे वो कोई बड़ा सा बालों वाला ब्रश घिस रही हो अपनी चूत पर
पर मज़ा उसे बहुत आ रहा था
क्योंकि घेसू महाराज अपनी जीभ से उसके मटर दाने को जो कुरेद रहे थे
वो दान जब भी महाराज की पकड़ में आता तो वो उसे चुभला कर एक जोरदार चटखारा मारते
बदले में शर्मिला का पूरा शरीर झनझना कर रह जाता
वो उन्हे दूर भी फेंकना चाह रही थी और पास भी रखना चाह रही थी
और जब वो फिर से झड़ गयी तो उसकी चूत का सारा अमृत घेसू नारियल पानी की तरह पी गया
गहरी साँसे लेते हुए शर्मिला ने घेसू को पकड़ कर उपर खींचा और उनके होंठ चूसने लगी
गुरुजी के होंठो से अपनी चूत का रस ही मिला उसे
उनकी दाढ़ी मूँछे और होंठ पूरी तरह से उसकी चूत से निकले पानी मे धुल कर नशीले हो चुके थे
और वो उस नशे को चूस्कर उनके वशीकरण में बंधती चली गयी
कुछ देर बाद घेसू ने सही सा आसन बनाया और उसकी जाँघो को फेला कर चौड़ा किया
फिर अपने लॅंड पर ढेर सारी थूक लगाकर उसे शर्मिला की चूत पर लगाया
और बोला : “चिंता ना करो पुत्री …..अब तुम्हे जल्द ही पुत्र प्राप्ति भी होगी और आज के बाद तुम्हारे शरीर को भी पूरा मज़ा मिलेगा”
एक औरत को और क्या चाहिए
उसने आँखे बंद कर ली और आने वाले झटके की प्रतीक्षा करने लगी
घेसू ने अपना लॅंड धीरे-2 करके आधे से ज्यादा उसकी चूत में उतार दिया
उसकी चूत इतनी गीली थी की उसे ज़रा भी दर्द नही हुआ
बाबा के इस चमत्कारी झटके ने उसे सुख सागर में गोते लगाने पर मजबूर कर दिया
आज जैसा भरंवापन उसे पहले कभी महसूस नही हुआ था
उसकी चूत का एक -2 कोना बाबा जी के लॅंड से ठूस -2 कर भरा जा चूका था
कुछ देर तक तो घेसू धीरे-2 अपने लॅंड को अंदर बाहर करता रहा
फिर घेसू ने अपनी स्पीड बड़ा दी
अब शर्मिला को एहसास हुआ की असली चुदाई और असली मर्द क्या होता है
हर झटके से बाबा जी का लॅंड उसकी चूत की दीवारों की रंगाई पुताई करता हुआ उसे और भी ज़्यादा चमका रहा था
और हर झटके में उसे जो आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसे शब्दो में वो कह नही पा रही थी
सिर्फ़ आअहह बाबाजी
ओह बाबाजी
कहकर अपनी भक्ति का प्रचार कर रही थी
वो तो उनके लॅंड की दीवानी हो चुकी थी अब
उनके लिए तो वो अपने पति से लड़ झगड़कर भी आ जाएगी इस कुटिया में उनका लॅंड लेने
बस इन्ही विचारों को महसूस करते हुए करीब 10 मिनट बाद उसकी चूत की गोद भराई हो गयी उनके वीर्य से
बाबाजी ने भरभराकर अपने लॅंड का पानी उसकी चूत में आशीर्वाद के रूप में भर दिया
बाबाजी की बूटी ने उसकी चूत में अपना कमाल दिखा दिया था
जो आने वाले समय में उसका पुत्र बनकर बाहर आने वाला था
और फिर वो उसके उपर ही गिर पड़े
शर्मिला भी अपने मोटे स्तनों को उनके शरीर पर घिसकर उन्हे धन्यवाद देने लगी
उस रात वो ऐसे ही नंगी लेटी रही उनके बेड पर
और बाबाजी ने करीब 3 बार उसकी जबरदस्त चुदाई की
अब तो वो भी थक चुकी थी
पर ठरकी बाबाजी का लॅंड हर 2 घंटे बाद फिर से अंगड़ाई लेने लगता था
वैसे बीच-2 में घेसू हिमालय के जंगलो से लाई कुछ जड़ी बूटिया भी खा रहा था
ताकि उसे लगातार चोदने की अतिरिक्त शक्ति मिलती रहे
इसी तरह से वो रात बीत गयी
अगली सुबह सुमेर सिंह आया था उस से मिलने
और फिर उसे पिछली झोपड़ी में लेजाकर शर्मिला के पास छोड़ दिया
बाबाजी के साथ एक और मर्द को देखकर एक पल के लिए तो शर्मिला घबरा गयी
पर घेसू ने आँखो ही आँखो में उसे चुप रहकर लेटे रहने को कहा
अब बाबाजी को तो वो नाराज़ नही कर सकती थी
और वैसे भी सुमेर सिंह जैसा बांका और गठीला मर्द देखकर शर्मिला के दिल में कुछ-2 होने लगा था
हालाँकि घेसू के लॅंड ने भी उसे काफ़ी मज़े दिए थे
पर वो जंगलीपन वाला प्यार था
इस बांके शरीर के मालिक के साथ अलग मज़ा मिलेगा
और अपने बेवफा पति की बेवफ़ाई का बदला लेने का एक और मौका मिलेगा
बस
इसलिए वो उसी अवस्था में लेटी रही
सिर्फ़ आहे निकली उसकी चुदाई के वक़्त
उसके अलावा वो कुछ ना बोली
ठीक वैसे ही जैसे कोई वशीकरण में रहकर कुछ भी बोलने और समझने की स्थिति में नही रहता
और इस प्रकार घेसू का ये पासा भी सही पड़ गया
शर्मिला की चूत को एक और लॅंड मिल गया
और सुमेर सिंह को शर्मिला की चूत दिलाकर घीसू ने अपने लिए उसकी बेटियों का जुगाड़ भी कर लिया
पर वो तो तभी संभव होता जब घेसू उसे आँखो मे देखकर वशीकरण की विद्या के बारे में बताएगा
अभी के लिए तो आज की रात वो अपनी सीखी हुई विद्या का इस्तेमाल करके अपनी बेटियो की चूत पर कब्जा कर लेना चाहता था
उनकी कुँवारी छूटों पर वो अपना नाम लिखना चाहता था
उस घेसू का नही
इसलिए घेसू के पास भेजने से पहले वो खुद मज़े करना चाहता था
और आज की रात वही मज़े लेने वाली रात थी.
Nice updateअगले 1 घंटे तक उसने घेसू के साथ मिलकर उस बॉटल को भी ख़त्म किया और चटखारे ले-लेकर अपनी दोनो बेटियो के साथ जो कुछ भी अभी तक उसने किया था वो सब उसे सुना डाला
कच्ची कलियों के साथ हुई उस चूमा-चटाई को सुनकर घेसू का लॅंड फिर से हुंकारने लगा
घेसू : “सुमेर…मेरे दोस्त….तेरी ये दोनो जबराट लोंड़ियां सच में कमाल की हैं, कसम से वो इस वक़्त यहाँ होती तो तेरे सामने उन्हे अपने वश में करता और यही नंगा करके तेरा और अपना लॅंड चुसवाता …..पर अभी तू घर जा , कल मैं तुझे बताऊंगा की आगे क्या करना है…”
इतना कहकर वो उठा और एक बार फिर से शर्मिला की चूत बजाने पिछली झोपड़ी की तरफ चल दिया
***********
अब आगे
***********
शर्मिला की एक और चुदाई से पहले आइए दोस्तो ये जान लेते है की आख़िर वो सरपंच की बीबी शर्मिला वहां आई कैसे
और घेसू ने उसे कैसे वशीकरण में लिया
मेरठ शहर के बाहर एक साधु ने डेरा डाला है
जिसने बरसों हिमालय पर्वत पर समय बिताकर ऐसी सिद्धिया हासिल की है की वो कोई भी चमत्कार कर सकता है
ये खबर जैसे ही शर्मिला ने सुनी तो वो वहां जाने का जुगाड़ देखने लगी
उसे शुरू से ही ऐसे साधु महात्मा लोगो पर बड़ा विश्वास था
उसके गाँव के पास भी एक मज़ार थी
जहाँ दूर -2 से लोग अपनी मन्नतें पूरी करवाने आते थे
शर्मिला भी वहां जा चुकी थी
पर अभी तक उसकी कामना पूरी नही हुई थी
उसे एक संतान चाहिए थी
जो शादी के 3 साल बाद भी नही हो पा रही थी
उसके पति मोतीलाल ज़्यादा तो नही पर ठीक ठाक चुदाई कर ही लेते थे
पर एक बार सैक्स करने के बाद दोबारा करने में करीब 15-20 दिन लगा देते थे
उस से पहले उनके लॅंड को पूरा खड़ा होने में दिक्कत होती थी
इस बात के लिए शर्मिला ने कई बार उन्हे डॉक्टर या हकीमो को दिखाने की सलाह दी
पर उनका रुतबा ही ऐसा था की इस बात का मज़ाक ना बन जाए उनके शहर में, वो कहीं जाते नही थे
जिस कारण दोनो मियां बीबी के बीच फ़ासले बढ़ते चले गये
और जब शर्मिला ने एक पहुंचे हुए साधु के आगमन की खबर सुनी तो वहां जाने के लिए छटपटा उठी
क्योंकि उसने तो मज़ारो पर भी लोगो की इच्छा पूरी होते देखा था
ये तो फिर भी जीता जागता साधु है
वो अपने पति को बिना बताए, चेहरे को ढक कर जब वहां पहुँची तो पहले से 8-10 लोग बाबा की प्रतीक्षा में बहार खड़े थे
पर जो भी उनसे मिलकर झोपडे से बाहर आ रहा था, उनका गुणगान करता हुआ जा रहा था
की बाबा तो बहुत महान है, अंतर्यामी है, अब उसकी परेशानी जल्द दूर होगी वगेरहा वगेरहा
करीब एक घंटे बाद उसका नंबर आया तो वो उनके झोपडे में गयी
घनश्याम बाबा के चेहरे पर नूर देखते ही उसे विश्वास हो गया की वो सही स्थान पर आई है
अब तो उसकी इच्छा ज़रूर पूरी हो जाएगी
वो उनके कदमो में गिर पड़ी
उधर घनशयम् उर्फ घेसू ने जब देखा की एक भरे जिस्म की औरत उसके पास आई है तो उसकी बाँछे खिल उठी
सुबह से बूड़े लोगो से मिलकर उसका मूड खराब हो चूका था
उसके मोटे स्तन देखते ही उसके मुँह में पानी आ गया
ठरकी तो वो था ही एक नंबर का
ऐसे मौके वो छोड़ना नही चाहता था
शर्मिला के कंधे को पकड़कर उसने उसे उपर उठाया और अपने करीब बिठाया
और उसकी पीठ पर हाथ फेरता हुआ वो बड़े ही प्यार से बोला
“बोलो पुत्री, क्या कष्ट है…”
उसके ब्लाउज़ से झाँक रहे मुम्मो की गहराई नापने की वो असफल कोशिश कर रहा था
शर्मिला : “बाबा…अब आपसे क्या छिपाना, आप तो अंतर्यामी है…”
घेसू भी बड़ा घाघ था
एक अकेली स्त्री उसके पास आई है
जवान है
शादी को ज़्यादा समय नही हुआ है
बच्चे के अलावा उसे क्या परेशानी हो सकती है
उसने अपनी आँखे बंद कर ली
और उसके सिर पर हाथ रखकर ध्यान में जाने का नाटक किया
फिर धीरे से आँखे खोली और बोला : “संतान की इच्छा तुम्हे यहा खींच लाई है, फ़िक्र ना करो, तुम्हारी ये इच्छा जल्द पूरी होगी”
शर्मिला को तो जैसे अपने सामने भगवान दिख गये
वो फिर से उठकर उनके चरणों में बैठ गयी
और अपना माथा उनके पैरों में रगड़ते हुए रो पड़ी
“हाँ बाबा…आपने सही कहा…आप तो अंतर्यामी है बाबा…”
घेसू मुस्कुरा दिया
ये तो उसका रोज का अनुभव बोल रहा था
कोई बूड़ा आदमी आए तो वो अक्सर अपने बच्चों से दुखी होता है
ज़मीन जायदाद के बँटवारे की बात चल रही होती है
कोई परिपक़्व औरत आए तो वो अपनी सास या देवरानी/जेठानी से दुखी होती है
और कोई जवान औरत आए तो उसे बच्चा चाहिए होता है
ये सब तो वो पिछले कई सालों में सीख चूका था
कभी कभार कोई बात ग़लत भी बोल देता तो उसके आस पास की कोई और परेशानी बताकर वो उस इंसान पर अपना जादू चला ही लेता था
बस यही तरीका था उसका
कुछ इधर उधर के उपाय बताना और दक्षिणा में मिले पैसो से अपने पिछले झोपडे में आनंद का जीवन जीना
अपनी सुख सुविधा का हर सामान ले रखा था उसने
इसलिए जहां भी जाता, अपने 2 झोपड़े बनाकर वो ऐसे ही लोगो की समस्याओ का निवारण करता और उनसे पैसे ऐंठता
शहर के कुछ ही लोगो को पता था की ये घनशयम् बाबा वहीं का रहने वाला घेसू है
वरना ज़्यादातर लोग उसे पहाड़ो से आया हुआ चमत्कारी बाबा ही समझते थे
शर्मिला ने जब अपने पति मोतीलाल के बारे में बताया तो वो समझ गया की मोटी आसामी है
इसलिए उसने शर्मिला को अगले दिन आने को कहा और साथ ही 1 तोला सोना और 20 हज़ार रुपय भी मँगवाए
उसने कहा की वो सोना हवन में डालकर वो उसे सूर्या जैसे बच्चे का आशीर्वाद देगा और पैसो से वो बाकी की हवन सामग्री लाएगा
और साथ ही उसे एक रात के लिए अपने पास रुकने को भी कहा ताकि वो हवन में भाग ले पाए
वो बड़े खानदान की थी
पैसो की कमी तो थी ही नही
इसलिए वो तुरंत मान गयी और अगले दिन रात के समय आने का वादा करके खुशी-2 वापिस चली गयी
रात में रुकने की भी उसे कोई परेशानी नही थी
उसका पति खुद 2-4 दिनों तक बाहर रहता था
कल सुबह भी उसे बरेली जाना है किसी काम से
उसके सास ससुर पहले ही स्वर्ग सिधार चुके थे , इसलिए अपने पति के जाने के बाद वो उसे बिना बताये भी वहां आ सकती थी
घेसू की तो जैसे लॉटरी निकल आई थी
अपने धंधे में औरतों के साथ उसने पहले भी कई बार मज़े लिए थे
पर शर्मिला जैसी खानदानी औरत को वो पहली बार देख रहा था
ऐसा गोरा रंग, बड़े-2 मुम्मे और मोटे होंठ
वो तो अपने लॅंड पर पूरी रात सांडे का तेल लगाता रहा
जिससे वो शर्मिला की चूत की ख़ास सेवा करने वाला था
अगले दिन शाम के समय जब अपने भक्तो से निपटकर वो बैठा ही था की शर्मिला आ गयी
शर्त के अनुसार वो पैसे और सोना भी लेकर आई थी
घेसू की तो आँखे चमक उठी
उसने उसे बैठने को कहा और खुद एक हवन की तैयारी में जुट गया
पूजा पाठ का सारा सामान उसने ज़मीन पर सज़ा दिया और अपना खेल चालू किया उसने
करीब 1 घंटे तक वो हवन करता रहा
शामिला को भी विश्वास हो चला था की अब उसके कष्टों का निवारण होकर रहेगा
पर घेसू का असली काम तो अब शुरू होना था
घेसू ने अपनी आँखे खोली और शर्मिला को देखकर बोला
“देखो पुत्री, तुम मुझे कोई चमत्कारी पुरुष मत समझना, मैं सिर्फ़ तुम्हारी समस्याओ को समझ कर उसका समाधान बता सकता हूँ , तुम्हारे ग्रहों की जो समस्या आ रही है उसका निवारण कर सकता हूँ , जो मैने कर भी दिया है, बाकी की पूजा ब्रह्म महुर्त में होगी, जिसके लिए तुम्हे रात को रुकने के लिए कहा था मैंने, पर एक औरत को माँ बनने के लिए एक मर्द के वीर्य की आवश्यकता होती है, मैने अपनी शक्तियो का प्रयोग करके पता लगाया है की तुम्हारे पति के वीर्य में शुक्राणुओं की कमी है, इसलिए वो डॉक्टर या वैध के पास जाने से घबराता है और वैसे भी उसमें पुरुषार्थ की कमी है, उसके लिंग में ना तो कोई कठोरपन है और ना ही बच्चा पैदा करने की शक्ति, उसके साथ रहकर तुम कभी भी गर्भवती नही हो पाओगी ”
वो हाथ जोड़े घनश्याम महाराज की बाते सुनती रही
वो एक-2 बात सही कह रहा था
शर्मिला : “आप सही कह रहे है महाराज….पर आप ही इसका कोई समाधान बताइए…क्योंकि सिर्फ़ संतान के अलावा सारे सुख वैभव है वहां पर…”
यानी वो घेसू को बताना चाह रही थी की वो उसे छोड़कर नही जा सकती
सिर्फ़ संतान की परेशानी है वरना बाकी सब सही है वहां
वैसे भी समाज में अपने पति को छोड़कर अलग रहने वाली औरत को नफरत की नज़रों से देखा जाता है
बाद में ना तो सम्मान मिलेगा और ना ही ऐसा वैभव विलास
घेसू मुस्कुराया और बोला : “नही पुत्री, तुम मेरी बातो का ग़लत मतलब निकाल रही हो, मैं भी नही चाहता की तुम अपना विवाहित जीवन त्याग कर अपने पति से अलग हो जाओ…मैं तो बस ये कह रहा हूँ की अपने विवाहित जीवन में रहते हुए भी तुम संतान प्राप्ति कर सकती हो…”
घेसू महाराजा की ये बात उनकर उसकी भौहें उपर उठ गयी
यानी महाराजा उसे किसी और मर्द से शारीरिक संबंध बनाने के लिए कह रहे थे
शर्मिला के पूरे बदन में एक ठंडी लेहर उठ गयी
ये सोचकर की कोई और मर्द उसके साथ सैक्स कर रहा है
वो हड़बड़ा कर बोली : “नही….नही महाराजा….ऐसा नही हो सकता….मैं अपने पति को धोखा नही दे सकती…”
घेसू ने आँखे बंद की और बोला : “मैं देख पा रहा हूँ की तुम्हारा पति इस वक़्त बरेली में है…और एक औरत के साथ नग्न अवस्था में रंगरेलिया मना रहा है…”
ये बरेली वाली बात तो शर्मिला ने उसे बताई भी नही थी
इसलिए उनकी बात सुनकर वो उनका चमत्कार मानती हुई रो पड़ी
रोई वो इस वजह से भी क्योंकि अपने पति के लिए वो ये सब कर रही थी और उसका पति दूसरे शहर मे बैठा रंगरेलिया मना रहा था
पर ये घेसू की कोई चमत्कारी शक्ति नही थी
कल शाम को शर्मिला के जाने के बाद वो मुँह छिपा कर शहर के ठेके पर दारू की बॉटल लेने गया था
वहां जाकर उसने मोतीलाल के बारे में कुछ पूछताछ करी
संयोग से उसकी पार्टी में काम करने वाला एक कार्यकर्ता वहां खड़ा होकर पव्वा पी रहा था
उसने मोतीलाल के बारे में सारी जानकारी उसे दे डाली
ये भी बताया की वो पार्टी के काम से 4 दिनों के लिए बरेली गया हुआ है
और बातों-२ में ये भी बताया की अपने बैठे लंड की वजह से वो अक्सर परेशान रहता है
बस यही बात घेसू ने चमत्कार का बहाना करके बोल डाली थी
औरत को जब ये विश्वास हो जाए की उसका पति बेवफ़ाई कर रहा है तो उसे भी उसके प्रति कोई वफ़ा नही रह जाती
बस यही विचार घेसू उसके मन में पैदा करना चाहता था
घेसू महाराज की जो बात कुछ देर पहले तक उसे बेवफ़ाई लग रही थी
वो अब उस से बदला लेने का तरीका लगने लगा
इसलिए अपने आँसू पोंछ कर वो बोली
“महाराजा …आप बताइए, मुझे क्या करना है…”
ज्जे बात
फँस गयी मछली जाल में
घेसू अपनी चालाकी पर मन ही मन मुस्कुरा उठा
वो बोला : “देखो….मैं सिर्फ़ तुम्हे रास्ता दिखा सकता हूँ …बाकी का काम तो तुम्हे ही करना है..”
Shandaar updateअब तक शर्मिला भी निर्णय ले चुकी थी की उसे क्या करना है
घेसू के जिन चरणों को वो दबा कर बैठी थी उसे अपनी छाती से चिपकाते हुए वो बोली : “मेरी जिंदगी में आप फरिश्ता बनकर आए हो महाराज…इसलिए आप जो कहेंगे, मैं करने के लिए तैयार हूँ …”
बाबाजी का लॅंड खड़ा हो गया धोती में उसके मुम्मो की कसावट को अपने घुटने पर महसूस करके
ऐसे में तो विश्वामित्र भी पिघल गये थे, ये तो फिर भी हमारा ठरकी घेसू था
उसने शर्मिला के कंधे से पकड़कर उसे उपर उठाया और अपने सीने से लगा लिया
सीने से लगाने से पहले ही शर्मिला ने अपना पल्लू नीचे गिरा दिया था
उसने पल्लू नही बल्कि अपने पति की इज़्ज़त को नीचे फेंका था
अब वो अपने पति की बेवफ़ाई का बदला लेना चाहती थी
बाबा के बच्चे की माँ बनकर पूरी जिंदगी अपने पति के पैसों को उड़ाना चाहती थी
बस
फिर क्या था
घेसू ने उसे अपनी गोद में उठाया और उसे लेकर अपने शीशमहल यानी पिछले झोपडे की तरफ चल दिया
वहां की रूप रेखा देखकर एक पल के लिए तो शर्मिला भी हैरान रह गयी
उसे तो लग रहा था की बाबा जी उसे वहीं चटाई पर लिटाकर चोदेगे
पर चुदाई का मज़ा तो डबल बेड पर ही है
और उपर से आज उसकी चूत में एक मोटा और कड़क लॅंड जाने वाला था
इसका आभास उसे उसी वक़्त हो गया था जब घेसू महाराज उसे अपनी गोद में उठा रहे थे
उसका हाथ उनके लॅंड पर जा लगा था और वहां की फेलावट महसूस करके उसके दिल की घंटिया बज उठी थी
बेड पर लेटते ही उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट ब्लाउज़ खुद ही निकाल फेंके
नीचे वो पूरी नंगी थी
उसके संगमरमर जैसे जिस्म की बनावट देखकर एक बार तो घेसू भी चकरा गया
उसे आज अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था
पर मेहनत तो उसने की ही थी
और उसी का फल इस वक़्त उसके बेड पर नंगा पड़ा था
जिसे उसे चाटना था
खाना था
मज़े ले-लेकर चूसना था
उसने झट्ट से अपनी धोती निकाल फेंकी और अंगोछा भी
अब चकराने की बारी शर्मिला की थी
क्योंकि उसने ऐसा लॅंड आज तक नही देखा था
वैसे तो अपने पति के अलावा किसी के साथ भी सैक्स नही किया था
पर एक-2 बार उसने पॉर्न देखी थी
लेकिन उसमें भी ऐसा लॅंड नही था जो बाबा का था
एकदम जंगली
झांटों से घिरा हुआ
काला भुसन्ड
बाबाजी का लंड
ये उसकी चूत में जाएगा कैसे
फिर उसने सोचा
जब जाएगा नही तो बच्चा आएगा कैसे
बस उसने उपर वाले का नाम लिया और बाबाजी को अपने उपर खींच लिया
ऐसा प्रतीत हुआ जैसे रसगुल्ले पर कटहल आ गिरा हो
घेसू तो पागलों की तरह उसके मुम्मो का दूध पीने में लग गया
उसके मोटे निप्पलों को चूस चूस्कर उसने उन्हे सूजा दिया
अपने दांतो के निशान बनाकर उसके सफेद मुम्मो को लाल गुब्बारा बना दिया
फिर नीचे जाकर उसने उसके पेट की मदिरा पी
नाभि में जीभ डालकर उसकी खुदाई की
वो बेचारी अपने शरीर के साथ हो रहे इस खिलवाड़ को महसूस करके सिर्फ़ गर्म आँहे भर रही थी
आज से पहले इतना कुछ सैक्स से पहले हुआ ही नही था उसके साथ
उसका पति तो सिर्फ़ उसे अपने उपर लिटाता और लॅंड डालकर 8-10 झटकों में हाँफने लगता
वो तो झड़ भी नही पाती थी
पर
इस वक़्त सिर्फ़ घेसू के द्वारा मुम्मे चूसने मात्र से वो झड़ चुकी थी
और जब घेसू ने अपना दाढ़ी मूँछो से भरा चेहरा उसकी बिना झांटों की चूत से लगाया तो वो ज़ोर से चिल्ला पड़ी
"आययययययीईइईsssssssss बाबाssssssss स्स्सस्स्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह "
ये काम उसके साथ पहली बार जो हो रहा था
उसके पति ने 1-2 बार सिर्फ़ उंगली मारी थी वहां
जीभ तो बहुत दूर की बात थी
इसलिए वो उसके चेहरे को अपनी चूत पर घिसने लगी
ऐसा लग रहा था जैसे वो कोई बड़ा सा बालों वाला ब्रश घिस रही हो अपनी चूत पर
पर मज़ा उसे बहुत आ रहा था
क्योंकि घेसू महाराज अपनी जीभ से उसके मटर दाने को जो कुरेद रहे थे
वो दान जब भी महाराज की पकड़ में आता तो वो उसे चुभला कर एक जोरदार चटखारा मारते
बदले में शर्मिला का पूरा शरीर झनझना कर रह जाता
वो उन्हे दूर भी फेंकना चाह रही थी और पास भी रखना चाह रही थी
और जब वो फिर से झड़ गयी तो उसकी चूत का सारा अमृत घेसू नारियल पानी की तरह पी गया
गहरी साँसे लेते हुए शर्मिला ने घेसू को पकड़ कर उपर खींचा और उनके होंठ चूसने लगी
गुरुजी के होंठो से अपनी चूत का रस ही मिला उसे
उनकी दाढ़ी मूँछे और होंठ पूरी तरह से उसकी चूत से निकले पानी मे धुल कर नशीले हो चुके थे
और वो उस नशे को चूस्कर उनके वशीकरण में बंधती चली गयी
कुछ देर बाद घेसू ने सही सा आसन बनाया और उसकी जाँघो को फेला कर चौड़ा किया
फिर अपने लॅंड पर ढेर सारी थूक लगाकर उसे शर्मिला की चूत पर लगाया
और बोला : “चिंता ना करो पुत्री …..अब तुम्हे जल्द ही पुत्र प्राप्ति भी होगी और आज के बाद तुम्हारे शरीर को भी पूरा मज़ा मिलेगा”
एक औरत को और क्या चाहिए
उसने आँखे बंद कर ली और आने वाले झटके की प्रतीक्षा करने लगी
घेसू ने अपना लॅंड धीरे-2 करके आधे से ज्यादा उसकी चूत में उतार दिया
उसकी चूत इतनी गीली थी की उसे ज़रा भी दर्द नही हुआ
बाबा के इस चमत्कारी झटके ने उसे सुख सागर में गोते लगाने पर मजबूर कर दिया
आज जैसा भरंवापन उसे पहले कभी महसूस नही हुआ था
उसकी चूत का एक -2 कोना बाबा जी के लॅंड से ठूस -2 कर भरा जा चूका था
कुछ देर तक तो घेसू धीरे-2 अपने लॅंड को अंदर बाहर करता रहा
फिर घेसू ने अपनी स्पीड बड़ा दी
अब शर्मिला को एहसास हुआ की असली चुदाई और असली मर्द क्या होता है
हर झटके से बाबा जी का लॅंड उसकी चूत की दीवारों की रंगाई पुताई करता हुआ उसे और भी ज़्यादा चमका रहा था
और हर झटके में उसे जो आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसे शब्दो में वो कह नही पा रही थी
सिर्फ़ आअहह बाबाजी
ओह बाबाजी
कहकर अपनी भक्ति का प्रचार कर रही थी
वो तो उनके लॅंड की दीवानी हो चुकी थी अब
उनके लिए तो वो अपने पति से लड़ झगड़कर भी आ जाएगी इस कुटिया में उनका लॅंड लेने
बस इन्ही विचारों को महसूस करते हुए करीब 10 मिनट बाद उसकी चूत की गोद भराई हो गयी उनके वीर्य से
बाबाजी ने भरभराकर अपने लॅंड का पानी उसकी चूत में आशीर्वाद के रूप में भर दिया
बाबाजी की बूटी ने उसकी चूत में अपना कमाल दिखा दिया था
जो आने वाले समय में उसका पुत्र बनकर बाहर आने वाला था
और फिर वो उसके उपर ही गिर पड़े
शर्मिला भी अपने मोटे स्तनों को उनके शरीर पर घिसकर उन्हे धन्यवाद देने लगी
उस रात वो ऐसे ही नंगी लेटी रही उनके बेड पर
और बाबाजी ने करीब 3 बार उसकी जबरदस्त चुदाई की
अब तो वो भी थक चुकी थी
पर ठरकी बाबाजी का लॅंड हर 2 घंटे बाद फिर से अंगड़ाई लेने लगता था
वैसे बीच-2 में घेसू हिमालय के जंगलो से लाई कुछ जड़ी बूटिया भी खा रहा था
ताकि उसे लगातार चोदने की अतिरिक्त शक्ति मिलती रहे
इसी तरह से वो रात बीत गयी
अगली सुबह सुमेर सिंह आया था उस से मिलने
और फिर उसे पिछली झोपड़ी में लेजाकर शर्मिला के पास छोड़ दिया
बाबाजी के साथ एक और मर्द को देखकर एक पल के लिए तो शर्मिला घबरा गयी
पर घेसू ने आँखो ही आँखो में उसे चुप रहकर लेटे रहने को कहा
अब बाबाजी को तो वो नाराज़ नही कर सकती थी
और वैसे भी सुमेर सिंह जैसा बांका और गठीला मर्द देखकर शर्मिला के दिल में कुछ-2 होने लगा था
हालाँकि घेसू के लॅंड ने भी उसे काफ़ी मज़े दिए थे
पर वो जंगलीपन वाला प्यार था
इस बांके शरीर के मालिक के साथ अलग मज़ा मिलेगा
और अपने बेवफा पति की बेवफ़ाई का बदला लेने का एक और मौका मिलेगा
बस
इसलिए वो उसी अवस्था में लेटी रही
सिर्फ़ आहे निकली उसकी चुदाई के वक़्त
उसके अलावा वो कुछ ना बोली
ठीक वैसे ही जैसे कोई वशीकरण में रहकर कुछ भी बोलने और समझने की स्थिति में नही रहता
और इस प्रकार घेसू का ये पासा भी सही पड़ गया
शर्मिला की चूत को एक और लॅंड मिल गया
और सुमेर सिंह को शर्मिला की चूत दिलाकर घीसू ने अपने लिए उसकी बेटियों का जुगाड़ भी कर लिया
पर वो तो तभी संभव होता जब घेसू उसे आँखो मे देखकर वशीकरण की विद्या के बारे में बताएगा
अभी के लिए तो आज की रात वो अपनी सीखी हुई विद्या का इस्तेमाल करके अपनी बेटियो की चूत पर कब्जा कर लेना चाहता था
उनकी कुँवारी छूटों पर वो अपना नाम लिखना चाहता था
उस घेसू का नही
इसलिए घेसू के पास भेजने से पहले वो खुद मज़े करना चाहता था
और आज की रात वही मज़े लेने वाली रात थी.