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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २३७

कहेते दोनोने फोन कट करदीये.. फोन रखते ही सृती खुस होते हसने लगी.. जब उनको पता चलाकी लखन उनसे रुठनेका नाटक कर रहा हे.. तब वो अपनी मम्मी ओर देवायतकी बाते भुल गइ.. सृतीने मंजुकी डीलीवरीके बाद उनकी चुतको भी चेक करते देखा था.. उसे भी मंजुकी चुत अ‍ेक कुआरी लडकीकी तराह लग रही थी.. उसे पुनमकी सभी बाते सच लगने लगी.. ओर लखनको मीलनेके सपने देखने लगी.... अब आगे

तो दुसरी ओर गांवमे भी बंसीके घरपे सुबह सुबह हंगामा होगया.. वो सुबह नहाके कंपलीट होकर चाइ नास्ता करने बैठा तब उसने अपनी मां जयाको नही देखा.. उसने सांतीको अपनी मांके बारेमे पुछा.. तो सांतीने उसे सब सच बता दिया.. सुनकर बंसी आग बबुला हो गया.. तो सांती ओर जागृतीने मीलकर उनके पापाकी आखरी वक्तमे कही बात याद दीलाइ तब जाके वो थोडा सांत हुआ..

फीर सांती ओर जागृतीने मीलकर बंसीको सब समजाते सांतीने ये भी कहाकी मांको बता दीया हेकी जागृती आपसे सादी करने वाली हे.. तो इस बातके लीये मां भी मान गइ हे.. अ‍ैसी बाते करते सांतीने बंसीको मनालीया.. तब जाके बंसी मान गया.. फीर भी बंसी रमेशसे थोडा नाराज होगया था.. लेकीन साथमे वो जागृतीकी बात सुनकर मन ही मन खुस भी हो गया था..

तो दुसरी ओर सुहागरातमे श्रीधरने भी कामोतेजक गोली खाकर पुरी रात जयश्रीकी चुदाइ करते उनकी हालत पतली करदी थी.. तो वो अभी तक अपने बेडपे सोइ पडी थी.. सुबह ब्रीन्दा उसे बाथरुममे ले गइ.. ओर जयश्रीकी चुतकी गरम पानीसे सीकाइ करते उनको पेइन कीलरकी गोली देदी.. ओर जयश्री को आज आराम करनेको कहेते वो बहार चली गइ.. श्रीधर भी कंपलीट होकर जवेरीलालके पास बैठा था..

तो वृन्दाके रुममे जीतुलाल वृन्दा दोनो अपना सामान पेक कर रहे थे.. तो श्रीधर भी उनकी मदद करने लगा.. जीसे देखकर जवेरीलालके साथ जीतु ओर वृन्दा भी खुस होगये.. लेकीन जीतुलालाको पता नही थाकी श्रीधर उनकी क्यु मदद कर रहा हे.. तो श्रीधरको मदद करते देखकर वृन्दा भी उनसे बात करने लगी.. ओर वो उसे जयश्रीका खयाल रखनेको कहेने लगी..

वृन्दा : (मुस्कुराते) बेटा.. जो हुआ उसे भुलजाओ.. तुम मेरी जयश्रीका अच्छेसे खयाल रखना..

श्रीधर : (मुस्कुराते) मौसी.. कैसी बाते कर रही हो..? अब वो मेरी बीवी हे.. खयालतो रखुगांनां..? आप इनकी फीकर बीलकुल मत करो.. बस.. कभी कभी यहा आजाया करना..

वृन्दा : (सामने देखते मुस्कुराते धीरेसे) हां.. आनातो पडेगांनां.. अब ये मेरी बेटीका ससुराल हे.. तो आना जाना तो लगाही रहेगा..

दोनो पेकींग करते बाते करते रहे.. तो श्रीधर भी मोका मीलता तब वृन्दाको टच कर लेता.. तभी जीतुलाल ट्रक वालेको देखने चला गया.. तो वृन्दाको श्रीधरसे खुलकर बात करनेका मौका मील गया.. दोनो सामान अ‍ेक बोक्षमे रख रहे थे.. इस वक्त रुममे सीर्फ वृन्दा ओर श्रीधर ही थे.. सामान रखते श्रीधर बार बार जान बुजकर वृन्दाको टच करते उनके बुब्सको छुनेकी कोसीस कर रहा था..

सुरुमे तो वृन्दाको ये सब नोर्मल लगा.. लेकीन श्रीधरने तीन चार बार उनके बुब्सको छु लीये तो वृन्दाको भी कुछ अजीब लगा.. वो थोडा अनकंफोर्टेबल फील करने लगी.. ओर टेडी नजर करते श्रीधरकी पेन्टकी ओर देखने लगी.. जो वहा श्रीधरका लंड खडा होते अंदरही जटके मार रहा था.. ओर पेन्टमे तंबु बना हुआ था.. जीसे देखकर अ‍ेक बारतो वृंन्दा भी चोंक गइ.. उसे पता नहीथा की श्रीधरका हथीयार इतना बडा होगा.. तभी..

वृन्दा : (मुस्कुराते श्रीधरको समाना देते) थेन्क्यु बेटा.. मे तुमको गलत समज रही थी.. क्या मुजसे नाराज हो..?

श्रीधर : (मुस्कुराते) मौसी.. ये आप कैसी बाते कर रही हे..? भला मे आपसे क्यु नाराज होउगा.. थेन्क्स तो मुजे आपको कहेना चाहीये..

वृन्दा : (सामने देखकर हसते) अच्छा..? मुजे..? वो क्यु भला..?

श्रीधर : (उनकी ओंखोमे देखते धीरेसे कानके पास) मुजे इतनी खुबसुरत बीवी देनेके लीये.. हें..हें..हें..

वृन्दा : (सरमाकर आस्चर्यसे देखते बाजुमे हल्कासा अ‍ेक मुका मारते धीरेसे ) बेटा.. मत भुलो वो आपकी बहेन भी हे.. आपको नही लगता आपने गलत कीया हे..?

श्रीधर : (मुस्कुराते धीरेसे) नही मौसी.. हम सभी दोस्तोकी फेन्टासी हे.. की हम अपनी बहेनसे ही सादी करेगे.. तो मेने भी करली.. ओर इसमे गलत भी क्या हे..? क्युकी अब तो गांवमे बहुत कुछ अ‍ैसा होगा जो आप सोच भी नही सकती.. छुप छुपकर अवैध रीस्ते रखो.. इनसे तो ये बहेतर हे.. जो करो सबके सामने करो..

वृन्दा : (थोडा जेंपते) मतलब..? आइ मीन आप कहेना क्या चाहते हो..?

श्रीधर : (मुस्कुराते धीरेसे हाथ पकडते) मौसी बुरा मत मानीयेगा.. मुजे आपके ओर पापाके रीस्तेके बारेमे सब कुछ पता हे.. लेकीन मे इसे बुरा भी नही मानता.. क्युकी प्यार तो कीसीके साथ हो सकता हे..

वृन्दा : (सोक्ट होते अ‍ेक नजरसे धीरेसे) बेटा.. क्या आपको सब पता था..? तो फीर आपको बुरा नही लगा..? क्युकी इसी वजहसे जीतुने आपकी मम्मीको डीवोर्स दीया हे..

श्रीधर : (मुस्कुराते) मे जानता हु.. ताकी आप पापाके साथ रेह सके.. उनसे सादी करना चाहती हेनां..?

वृन्दा : (अ‍ेक नजरसे आंखोमे देखते) लगता हे तुम हम दोनोके बारेमे कमफी कुछ जानते हो..

श्रीधर : (अपना पासा फेकते) हां मौसी.. आप बहुत खुबसुरत ओर जवान दीखती हो.. तो पापाका आपकी ओर अ‍ेक्ट्रेशन होना लाजमी हे.. मेरी मम्मी भी खुबसुरत ओर अभी भी जवान हे.. कल अगर वोभी कही ओर सादी करना चाहे.. तो भी मुजे कोइ अ‍ेतराज नही.. मे इन सब चीजोमे नही मानता.. ओर हां.. आप फीकर मत करना.. ये राज सीर्फ मेरे तक सीमीत रहेगा.. आइ प्रोमीस..

वृन्दा : (राहतकी सास लेते हाथ छुडवाते धीरेसे) बेटा.. मुजे समजनेके लीये थेन्क्स.. देखना इस बातका जयश्रीको पता ना चले.. आज मुजे बहुत अच्छा लगा.. की तुम इतने खुले विचारके हो.. (पेन्टके उभारकी ओर इसारा करते) अब मुजे यकीन हो गया.. की मेरी जयश्री आपके साथ खुस रहेगी..

श्रीधर : (वृन्दाकी नजरको पहेचानते कातील नजरोसे) मौसी.. मे तो सबको खुस रखना चाहता था.. अब आप ही चली जा रही हो तो मे क्या करु..? वरना मे कोसीस करता आपको भी खुस रखु..

वृन्दा : (कामुक नजरोसे कातील स्माइल करते) अच्छा..? तो फीर तुमने पहेले मुजसे बात क्यो नहीकी..? कोइ बात नही.. वहा भी तुम्हारा ससुरालका घर हे.. तो जयश्रीको लेकर आते जाते रहेना.. देखना मे मेरे दामादकी खातेदारीमे कोइ कशर नही छोडुगी.. हें..हें..हे..

श्रीधर : (कामुक स्माइल करते धीरेसे) ठीक हे.. देखता हु आप अपने दामादकी कैसे खातेरदारी करती हे..

वृन्दा : (कातील नजरोसे मुस्कुराते) अरे अ‍ेक बार आओतो सही.. तुम्हे सीकायतका मोका नही दुगी..

फीर दोनो सामान पेक करने लगे.. सामान पेक करते फीरसे श्रीधरने अ‍ेक दो बार वृन्दाके बुब्सको छु लीया.. वो श्रीधरकी नजर ओर इरादे भली भांती समज चुकी थी.. जीसे वृन्दा भी सरमा गइ.. अबतो वो भी श्रीधरको कुछ अजीब नजरोसे देखतीने लगी.. तो श्रीधर उनकी ओर देखते हसने लगता.. तबतक ब्रीन्दा सबके लीये चाइ नास्ता बनाने लगी.. जब सामान पेक होगया..

तो जीतुलालने अ‍ेक ट्रकको बुलालीया.. तबतक मुना ओर बंसीभी श्रीधरकी मदद करने उनके घर पहोंच गये.. ओर सबने मीलकर जवेरीलालका पुरा सामान ट्रकमे लोड करदीया.. तबतक जयश्री भी जाग चुकी थी ओर कंपलीट हो चुकी थी.. फीर सब आखरी बार साथमे बैठकर चाइ नास्ता करने लगे.. आज चाइ नास्ता करते वृन्दा बार बार श्रीधरको कुछ अजीब नजरोसे देख रही थी..
 
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dilavar

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जब जानेका समय हुआ तो सबलोग अ‍ेक दुसरेको गले मीलने लगे.. बी्रन्दा जवेरीलालके पांव छुने लगी.. तो जवेरीलालने ब्रीन्दाको आशीर्वाद देते जयश्रीका खयाल रखने कहा.. आज वृंन्दा ओर जीतुलाल बहुत खुस लग रहे थे.. ओर जीतुलालने अपनी कार लेली.. तो जवेरीलाल जीतुके पास बैठ गये.. तभी वृन्दा ब्रीन्दाके पास आकर उनके गले लग गइ.. ओर धीरेसे कानमे कहा..

वृन्दा : (धीरेसे) ब्रीन्दा.. हो सकेतो मुजे माफ करदेना.. अब मुजे तुमसे कोइ गीला सीकवा नही हे..

ब्रीन्दा : (कातील मुस्कानसे धीरेसे) दीदी.. अब माफी मांग रही हो..? मत भुलो आप मेरा घर उजाडके जा रही हो.. फीर भी मेने आपको माफ करदीया.. सीर्फ आपको.. जीतुको नही..

वृन्दा : (मुस्कुराते) ठीक हे दीदी.. थेन्क्स.. मे हमारे खानदानकी परंपरा तोडना नही चाहती.. तो मे चाहती हुकी जयश्रीकी पहेली डीलीवरी उनके मायकेमे हो.. तो जयश्रीको डीलीवरीके टाइम मेरे घर लेजाउगी..

ब्रीन्दा : (कुछ सोचकर मनमे खुस होते) ठीक हे दीदी.. जैसा आपको ठीक लगे.. अ‍ेक बार अपनी बेटीको मील लीजीये..

वृन्दा : (जयश्रीकी ओर जाते) बेटीको क्या मेतो मेरे दामादको भी मीलकर जाउगी.. हें..हें..हें..

जयश्री : (जोरोसे गले लगते रोते) मोम.. मुजे माफ करदेना..

वृन्दा : (हसते सरको सहेलाते) बेटी.. रो मत.. मेने माफ करदीया.. तुमने अपने पतीका सही चुनाव कीया हे.. मेरा दामाद बहुत ही होनहार हे.. वो तुजे बहुत खुस रखेगा..

जयश्री (आंसु पोछते हसते) क्या..? आपने हम दोनोको माफ करदीया..? थेन्क्स मोम.. हें..हें..हें..

वृन्दा : (अलग होते धीरेसे) सुन.. मेने तेरी साससे बात करली हे.. तुम मेरे जमाइको लेकर वहा आती जाती रहेना.. ओर तेरी पहेली डीलीवरी माइकेमे होगी.. हमारे घर.. तब मे तुजे लेजाउगी..

जयश्री : (सरमाकर हसते) जी मोम.. थेन्क्स..

वृन्दा : (हसते) मे जरा मेरे दामादको तो मीललु.. हें..हें..हें..

जवेरीलाल : (थोडा जोरोसे) अरे वृन्दा.. सबको मील लीया होतो चलो.. वो ट्रक वाला भी नीकल गया..

वृन्दा : (कातील नजरसे हसते गले मीलते) अरे आ रही हु बाबा.. मेरे दामादको तो मीलने दो.. हें..हें..हें..

श्रीधर : (थोडा जोरोसे बाहोमे भीचते) मौसी.. आरामसे जाना..

जब वृन्दा श्रीधरको गले मीली तो उनको अपनी सारीपे श्रीधरका लंड चुभते हुअ‍े महेसुस हुआ.. ओर वो श्रीधरकी ओर कातील स्माइल करते बाते करने लगी..

वृन्दा : (हसते धीरेसे) आउच.. बेटा थोडा धीरेसे.. सुन.. अब यहा तेरा घर हे.. ओर मेरा घर तेरा ससुराल.. तो अब वहा आनेमे कोइ संकोच मत करना.. मेरी बेटीको लेकर आते जाते रहेना.. समजे..? हें..हें..हें..

श्रीधर : (सरमाते अलग होते) जी मौसी..

वृन्दा : (हसते गाल खीचते) हंम.. अब मे तेरी मौसी नही हु.. तेरी सास हु.. तो मम्मी बोल.. हें..हें..हें..

श्रीधर : (हसते) जी मम्मीजी.. हें..हें..हें..

वृन्दा : (हसते) गुड बोय.. चलो मे चलती हु.. जयश्रीका खयाल रखना..

ओर तीनो लोग सहेरकी ओर नीकल गये.. तो सहेरमे भी रमेशने कोर्टमे पहेलेसे ही अ‍ेप्लीकेशन देदी थी.. सुबह आज रमेशने बहारसे ही चाइ नास्तेका इन्तजाम करलीया.. फीर ग्याराह बजते ही वो जयाको लेकर कोर्टमे चला गया.. वहा उसने विटनेसके लीये लखनको ओर अ‍ेक पंचायतकी कचेरीके अ‍ेक दोस्तको बुला लीया.. फीर रजीस्टार ओफीसरने रमेश ओर जयाका कोर्ट मेरेज करवा दीया..

लखनने जयाके भाइके तोरपे ओर रमेशके दोस्तने रमेशके रीस्तेदारके तोरपे विटनेशपे साइन करदी.. दोनोकी सादी होगइ तो रमेशका दोस्त चला गया ओर लखनने दोनोको घरपे खानेके लीये बुला लीया.. क्युकी खानेके बाद रमेश ओर जया दोनो ही अ‍ेक हप्तेके लीये अपने हनीमुनपे जाने वाले थे.. तो वो दोनो लखनको कहेकर जानेकी तैयारीया करने अपने घरपे चले गये..

ओर लखन भी घरपे आकर नीलमको स्कुलपे छोडने चला गया.. ओर वापसीमे वो ढेर सारा फुल ओर कुछ सामान लेकर आगया.. तबतक रजीयाने भी खाना बनालीया था.. तो रजीया राधीकाकी मम्मीको खाना खीला रही थी.. तभी लखन भी आगया तो कुछ देरमे जया ओर रमेश भी घरपे आगये.. जया बहुत सरमा रही थी.. फीर सबलोग डाइनींगपे बैठकर खाना खाने लगे..फीर खाना खाकर दोनो चले गये..

लखनने रजीयाको आज राधीकाकी मम्मीके साथ सोनेकी बात कही.. तो रजीया सबकुछ समज गइ.. तो राधीका बहुत सरमाइ.. थो इधर सृती भी लखनका इन्तजार करते अपनी क्लीनीकपे चली गइ थी.. ओर उसने फ्री होते ही वही चाइ नास्ता मंगा लीया.. क्युकी आज पुनमसे बात करते वो घरपे फीरसे चाइ नही बना पाइ.. ओर वो कंपलीट होकर अपनी क्लीनीकपे आगइ थी..

तो आज धिरेनने भी अपने घरका रजीस्ट्रेशन अपने नाम करवा लीया था.. ओर नोमीनेशनमे उसने नीलमका नाम डाल दीया था.. अब वो पुनमको डीवोर्स देकर पुरी तराह आजाद होगया था.. लेकीन वो डीवोर्सके पेपर लेनेके लीये पुनमके घरपे जानेसे डर रहा था.. उनकी मम्मीके कीतने कोल आ चुके थे.. फीर भी लखनकी उनसे बात करनेकी हिंमत नही हुइ.. क्युकी उनको पता थाकी अब उनकी मम्मीको भी सब पता चल गया होगा..

फीर लंच करते ही लखन अपने रुममे आराम करने चला गया तो राधीका ओर रजीयाने मीलकर घरका सारा काम नीपटा लीया ओर राधीका अपनी मम्मीके पास चली गइ.. तो रजीया भी उपर लखनके पास चली गइ.. अब उनका भी पीरीयड खतम हो चुका था.. जैसे ही ये बात लखनको पता चली.. तो लखन खुस होगया.. तो रजीया भी सरमाते हसने लगी..

दो पहोरको ही लखनने रजीयाको नंगा करके दबोच लीया.. ओर खुदभी नंगा हो गया.. दोनो सीक्स नाइन पोजीसनमे अ‍ेक दुसरेके अंगोके साथ खेलने लगे.. ओर आखीर दोनो जड गये.. तब लखन रजीयाके उपर चड गया.. दोनोही उतेजीत होते अ‍ेक दुसरेके अंदर समाजाने के लीये तडप रहे थे.. लखन रजीयाको अपनी बाहोमे भीचते अपने वीकराल लंडसे रजीयाकी चुतमे धमाका करने लगा..

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तो रजीया भी पीछले पांच दिनसे लखनसे नही चुदी थी.. तो वो भी अपनी कमर उछाल उछालते लखनका साथ देने लगी.. अबतक लखनने रजीयाको दो दो बार जडा दीया था.. पुरे रुममे रजीयाकी सीसकारीयोकी आवाजके साथ थप..थप.. फच..फच.. की आवाज गुंज रही थी.. रजीया बहुत ही मदहोस हो चुकी थी.. ओर वो आंखोकी पुतलीया चडाते लखनसे मजेसे चुदवाती रही..
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इन पांच दिनोकी सारी कशर रजीयाने लखनसे दो बार चुदवाकर पुरी करली.. फीर दोनो मीया बीवी अ‍ेक दुसरेसे चीपकते सो गये.. तो इधर बेन्कपे जब धिरेन थोडा फ्री होगया.. तो उसने दियाके फोनपे नीलमको कोल कीया.. ओर उसे मीलनेकी बात कही.. तो आज पहेली बार नीलमने पढाइका बहाना बनाकर धिरेनको मीलनेके लीये मना कर दीया..

क्युकी वो मंजुसे बात करते उनके प्रती मंजुका व्यवहार ओर लखनके प्यारमे बहुत प्रभावीत हो चुकी थी.. वो अब धिरेनसे मेलजोल अपनी सादी तक लीमीटमे करना चाहती थी.. साम चार बजते ही धिरेनके फोनकी रींग बजने लगी.. देखा तो लखनका फोन था.. ओर उसने धिरेनसे बात करते बेन्ककी छुटीके बाद उसे होस्टेलपे मीलनेके लीये बुला लीया.. तो धिरेनको भी थोडा आस्चर्य हुआ.. ओर फोन काट दीया..
 
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धिरेनको समजमे नही आरहा था.. की पुनमको डीवोर्स देनेके बाद भी लखन उनके साथ अच्छेसे बात कैसे करता हे..? कही लखन उनके साथ कोइ गेम तो नही खेल रहा..? तो इधर साम पांच बजते ही लखन नीलमको स्कुलसे घरपे ड्रोप करदेता हे.. ओर होस्टेलपे चला जाता हे.. तो बेन्कसे छुटी होते ही धिरेन थोडा गभराते होस्टेलपे लखनके पास आजाता हे.. लखन उसे स्माइल करते हाथ मीलाता हे ओर चेरपे बीठा देता हे.. तब..

लखन : (मुस्कुराते) धिरेन भैया.. कैसे हो..?

धिरेन : (थोडा गभराते) भाइ मे तो ठीक हु.. आप बताओ.. मुजे कैसे याद कीया..?

लखन : (मुस्कुराते डीवोर्सके पेपर देते) ये लीजीये.. बडे भैयाने दीये हे.. आपके ओर पुनोदीदीके डीवोर्सके पेपर.. यही चाहीयेथानां आपको..? लीजीये..

धिरेन : (आस्चर्यसे देखते पेपर लेते) जी.. भाइ.. पुनोतो केह रही थी ये सबकी हाजरीमे देगी.. तो फीर..?

लखन : (मुस्कुराते) भाइ.. अब आपको वहा आनेकी जरुरत नही हे.. क्युकी भाभीने आपसे रीस्ता तोड दीया हे.. उन्होने आपको दो तीन बार फोन कीया था.. लेकीन आपने उठाया ही नही.. तो भाइने ये पेपर आपको देनेके लीये कहा था.. भाभी बहुत परेसान हे.. वो बहुत रोइ..

धिरेन : (नजर चुराते) भाइ.. मे वहा कीस मुहसे जाता..? आप तो जानते हे सब.. लेकीन मुजे अ‍ेक बात समजमे नही आइ..? आपको तो सब पता हे.. फीर भी आप मेरे साथ इतना अच्छा व्यवहार कैसे करते हे..?

लखन : (मुस्कुराते थोडा जुठ बोलते) भाइ.. मत भुलो आप मेरे जीजासे पहेले अच्छे दोस्त भी हे.. खैर अब जीजा तो नही रहे.. लेकीन हम अभी दोस्त तो हे.. मेने आपसे दोस्ती अ‍ैसे ही नही की.. मे जीसे दोस्त बनाता हु उनके साथ कभी रीलेशन खराब नही करता.. ये कहो.. आपने भाभीसे बात क्यु नही की..?

धिरेन : (थोडा गभराते) भाइ.. सच कहु..? अ‍ेक डरकी वजहसे.. मुजे पता हे मम्मी मुजे खुब खरी खोटी सुनाअ‍ेगी.. इसीलीये उनका फोन उठानेकी हींमत नही हुइ..

लखन : (मुस्कुराते) खैर जाने दीजीये.. जो होनाथा सो होगया.. कहीये.. आगेका क्या प्लान हे आपका..?

धिरेन : भाइ.. बस.. ओर कुछ नही.. कल मकानका रजीस्ट्रेशन होगया.. ओर मकानकी चाबी भी मील गइ.. अब मे नीलुसे सादी करना चाहता हु.. भाइ.. इनमे मुजे आपकी मदद चाहीये.. क्या आप हमारी मदद कर सकते हे..?

लखन : (मुस्कुराते) हां क्यु नही..? पता हे मुजे तुम नीलुसे सादी करना चाहते हो.. इसीलीयेतो आपने पुनोको डीवोर्स दिया हे.. भाइ.. अ‍ेक बात समजमे नही आइ.. क्या मुजे बता सकते हो..?

धिरेन : (मुस्कुराते) भाइ क्यु सर्मीन्दा कर रहे हो..? हम दोस्त हे.. पुछनेमे कैसी परमीसन..? पुछो..

लखन : (मुस्कुराते) हंम.. आपको भी पता हे अगर आप नीलुसे सादी करलेते तो पुनोदी कभी अ‍ेतराज नही करती.. वो नीलुको अ‍ेक्सेप्ट करलेती.. क्युकी हमनेभी दो दो तीन तीन सादीया कीहे.. तो फीर मुजे नही लगता पुनोको इस बातपे अ‍ेतराज हो.. क्या पुनोको डीवोर्स देनेकी असली वजह जान सकता हु..?

धिरेन : (नजरे चुराते धीरेसे) भाइ.. इनकी असली वजह ना जानोतो ही बहेतर हे.. क्युकी मुछ पर्सनल बाते हे जो मे आपको नही बता सकता.. क्युकी आप पुनोके भाइ हो..

लखन : (मुस्कुराते) तो क्या हुआ..? हम दोस्त भी तो हे.. ओर हमने अ‍ैसी कइ बाते कीहे.. तो मुजे नही लगता तुजे बतानेमे कोइ अ‍ेतराज हो.. बता..

धिरेन : (नजरे चुराते धीरेसे) भाइ.. वो.. वो.. हम दोनोकी सेक्स लाइफ अच्छी नही थी.. मुजसे दुसरी ओरत तो संतुस्ट होजाती थी.. लेकीन इस बातपे पुनो हमेसा मुजसे खरी खोटी सुनाती थी.. बस.. इसीलीये हम दोनो अलग होगये.. बाकी कुछ नही था..

लखन : (मुस्कुराते) धिरेन.. पुनोको संतुस्ट करना तेरा काम भी नही हे.. क्युकी तुजे पता नही वो कौन हे.. खैर.. छोड ये सब.. बता.. क्या कर रही हे पायल भाभी..? अब उसे मीलते होकी नही..? हें..हें..हें..

धिरेन : (हसते) नही भाइ.. इस बारेमे पुनोको सब पता चल गया.. इसीलीये तो हमारे बीच जगडा हुआ.. ओर बात डीवोर्स तक आगइ.. जीसकी वजहसे अब पायल भाभीके साथ भी रीलेशन खतम होगया.. भाइ.. वो.. वो.. पुनो..? क्या उसने कुछ सोचा हे..? आइ मीन.. दुसरी सादी..

लखन : (मुस्कुराते) धिरेन.. अब तुम पुनोकी चीन्ता क्यु करते हो..? अब इनका जो भी कुछ करना हे.. हम देख लेगे.. आप पुनोके बोरेमे पुछनेका हक खो चुके हो..

धिरेन : (सामने देखते) हां भाइ.. सही कहा आपने.. लेकीन मे ये अ‍ेक दोस्तके नाते पुछ रहा हु.. बाकी कुछ नही..

लखन : (मुस्कुराते) हां तो फीर ठीक हे.. सुनो.. अब पुनो सीर्फ मेरी जीम्वेवारी हे.. पता हे क्यु..? क्युकी मे ओर पुनो आपसमे सादी कर रहे हे..

धिरेन : (आस्चर्यसे देखते) व्होट..? लेकीन भाइ.. वो.. वो तो आपकी बहेन हेनां..? फीर भी..?

लखन : (मुस्कुराते सांत लहजेमे) हां.. तुमतो जानते हो.. हमारे खानदानमे सभीने अपनी बहेनसे ही सादी कीहे.. तो मेभी मेरी बहेनसे ही सादी कर रहा हु.. ओर थेन्क्स.. क्युकी ये सब आपकी वजहसे ही मुमकीन हुआ.. अगर आप उनको डीवोर्स नही देते तो मुजे इतनी खुबसुरत बहेन कैसे मीलती..? खैर.. जाने दिजीये ये सब अब हमारे घरकी बात हे.. बस.. आपसे अ‍ेक रीक्वेस्ट करनी हे..

धिरेन : भाइ.. आपने मेरे लीये इतना कुछ किया हे.. तो फीर बार बार मुजे क्यु सरर्मीन्दा कर रहे हे.. कहीये क्या करना हे मुजे..?

लखन : (मुस्कुराते) भाइ.. हो सकेतो आज ही आप अ‍ेक बार भाभीसे फोनपे बात करलो.. वो आपके लीये बहुत परेसान हे.. क्युकी आप उसे लेने भी नही आये थे.. बाकी.. अब आपकी ओर नीलुकी सादीकी जीम्वेवारी मेरी.. वो भी अ‍ेक सर्तपे.. क्युकी मे नीलुकी पढाइको डीस्टर्ब करना नही चाहता..

धिरेन : ठीक हे भाइ.. मम्मीसे बात तो मे करलुगा.. लेकीन आपकी सर्त क्या हे..?

लखन : भाइ सर्त तो कुछ नही हे लेकीन मेने ओर लताने नीलुकी पढाइकी जीम्वेवारी ली हे.. तो मे चाहता हु.. नीलु सादीके बाद भी हमारे घरपे रहेगी.. ओर अपनी पढाइ पुरी करेगी.. जब वो ग्रेज्युअ‍ेशन कंपलीट करले.. तब आप उसे लेजाना.. तबतक वो बीच बीचमे आपसे मीलती रहेगी.. ओर आपसे मीलवानेकी जीम्वेवारी भी मेरी.. बोलो क्या कहेते हो..? अगर आपको मंजुर हे तो मे वादा करता हु नीलुकी सादी आपसे करवा दुगा..

धिरेन : (मुस्कुराते) भाइ ये बात तो नीलु भी केह रही थी.. ठीक हे मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. डन..

लखन : (मुस्कुराते) ठीक हे धिरेन.. तो फीर तुम कल कोर्टमे मेरेजकी अ‍ेप्लीकेशन डालदो.. तब जाके तुमको अ‍ेक दो महीनेके बादकी डेट मीलेगी.. तब मे नीलुको लेकर आजाउगा.. तुम दोनो सादी करलेना.. ओर मे वादा करता हु.. उस दिन वो पुरा दिन ओर रात तुम्हारे साथ रहेगी.. तो तुम अपनी सुहागरात भी मनालेना..

धिरेन : (सरमाते हसते) क्या भाइ.. क्यु मजाक करते हो..? ठीक हे तो फीर मे चलता हु.. ओर मे आज ही मम्मीसे बात करलेता हु..

लखन : (मुस्कुराते) धिरेन.. अ‍ेक ओर बात.. मेने नीलुकी सादी तुमसे करवादी हे.. इस बातका उनकी फेमीलीको कभी पता नही चलना चाहीये.. अगर उसे पता चला.. तो फीर तुम्हारी ओर पायल भाभीकी क्लीप मेरे पास हे.. तुम समज गयेनां..

धिरेन : (थोडा गभराते) भाइ.. मुजे मरना हे क्या..? आप मेरी इतनी मदद कर रहे हो.. तो फीर मे क्यु बताउगा..? भाइ यकीन करो.. कीसीको कुछ पता नही चलेगा.. चलो मे चलता हु.. बाय..
 
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dilavar

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फीर धिरेन चला गया.. तो लखन उनकी ओर देखते कातील मुस्कान करने लगा.. फीर खडा होकर होस्टेलके कीचनमे चला गया ओर वहा सभी लडकीयोके खानेका जायजा लेकर वहासे नीकल गया.. ओर सीधा ही सृतीकी क्लीनीकपे चला गया.. देखा तो सृती क्लीनक्ससे आज जल्दी नीकल चुकी थी.. ओर अपने घरपे आगइ थी.. तो लखन वहासे नीकलकर सीधा सृतीके घरपे चला गया.. तो सृती उनको देखते ही सोक्ट होगइ..

सृती : (सरारतसे हसते) अरे..? आइअ‍े.. आइअ‍े महाराज.. पधारीये.. आज इधरका रास्ता कैसे भुल गये..? कुछ काम बाम था क्या..? हें..हें..हें..

लखन : (दरवाजेपे खडे रहेते सख्तीसे देखते) हां.. काम था.. भाभीमां ओर पुनो दीदीने मुजे आपको लेने भेजा हे.. आप अपना बोरीगा बीस्तरा बांधलो.. ओर चलो हमारे घर..

सृती : (थोडा सख्त लहेजेमे) अच्छा.. मेने तुम्हारे भाइ रीलेशन खतम करलीया तो चान्स मारने आये हो क्या..? अब मेरा घर यही हे समजे..? मुजे कही नही जाना.. मे आपके भाइसे सभी रीलेशन खतम करके आइ हु.. अब उस घरसे मेरा कोइ वास्ता नही हे.. आप जा सकते हे..

लखन : (सामने देखते) भाभी.. ओह.. सोरी सोरी.. दी..दी.. दीदी.. कीतनी घटीया सोच हे आपकी.. अगर मुजे चान्स ही मारना था तो उसी दिन मारलीया होता.. जब आप टेस्टके बहाने मुजे क्लीनीकपे ले गइ थी.. तब मेरी नीयतमे कोइ खोट नही थी.. आपकी नीयतमे खोट थी..

सृती : (अ‍ेक नजरसे देखते थोडी गभराते) वो.. ये बात आपको कैसे पता..? क्या पुनोदीसे बात हुइ..?

लखन : (सामने देखते) कीससे बात हुइ कीससे नही इनसे आपका कोइ लेना देना नही हे.. खैर जाने दीजीये इस बातको.. आप अ‍ेक बात समज लीजीये.. आप अब भी हमारे खानदानसे जुडी हे.. भाभीका रीस्ता खतम करलीया.. लेकीन बहेन भाइका नही..

सृती : (जोरोसे हसते) अरे हां.. मेतो भुल ही गइकी मे आपकी बहेन हु.. फीर भी मुजे कही नही जाना.. क्या कर लोगे..?

लखन : (फीकी मुस्कानसे) करनेको तो मे बहुत कुछ कर सकता हु.. लेकीन करुगा नही.. इतना बता दीजीये आप मेरे साथ चल रही हे..? की नही..?

सृती : (कामुक स्माइलसे अदब लगाते अ‍ेक कंधा दरवाजेपे टीकाते) हंम.. अ‍ेक सर्तपे आउगी.. उस दिन आपने कहाथानां अ‍ेक दिन आप दोनोको मेरे पास आना पडेगा.. ओर आप मुजे आइ लव यु.. आइ लव यु भी बोल रहे थे.. लेकीन तब मे आपके भाइकी अमानत थी.. आज मे उनसे आजाद होगइ हु.. तो फीर बनालो मुजे अपनी गर्लफ्रेन्ड.. मे आपके साथ आनेके लीये तैयार हु.. बस.. यही मेरी सर्त हे..

लखन : (सामने देखते) अगर उस दिन मेरी बात मानली होती तो हम दोनोका रीस्ता कायम हो जाता.. लेकीन अब नही.. आपको मुजे पानेके लीये अपने आपको मेरे काबील होना पडेगा.. मेने कहा थाना. मे आपको तडपाउगा.. अब आप ख्वाब देखती रहो.. क्या ये आपका आखरी फैसला हे..?

सृती : (अदब लगाते मुस्कुराते) नही.. मैने अ‍ैसा तो नही कहा.. तो फीर ठीक हे.. मेरी मरजी.. मे कही भी रहु.. बाय ध वे.. क्या आप थोडा मुस्कुराते बात नही कर सकते..? अभी तक नाराज हे मुजसे..? (दरवाजेसे दुर हटते) आइअ‍े.. अंदर बैठकर बात करते हे.. मे आपके लीये चाइ बनाती हु..

लखन : (थोडा सख्त होते) अंदर आनेकी कोइ जरुरत नही.. मुजे नही पीनी आपकी चाइ.. ओर मे कीसीसे नाराज नही.. हां.. उस दिन मेरी कोइ गलती नही थी.. मेने तो मना कीया था.. लेकीन आप ही नही मानी.. फीर भी आपको लगता हे गलती मेरी हे.. तो उस बातके लीये सोरी.. आप सीर्फ इतना बता दीजीये आप मेरे साथ चल रही हो की नही..?

सृती : (अदब लगाते मुस्कुराते) ओहो.. अभी तक इतना गुस्सा..? मेरी सर्त मानलो.. मे साथ चलनेके लीये तैयार हु..

लखन : (मुस्कुराते) सपने देखना छोड दीजीये.. मेरे लीये मेरी पुनोदी ही ठीक हे.. भाभीमां ने ठीक ही कहा था.. आना हेतो चलो.. जुठे नखरे मत दीखाओ..

सृती : (सामने देखते) क्या कहा हे आपकी भाभीमांने..? उनको केह दीजीयेगा नही आना आपके साथ.. क्या करलोगे..?

लखन : (अ‍ेक नजरसे देखते) ठीक हे.. भाभीमांने तो मुजे कहा हे ना माने तो अ‍ेक खीचकर देना कानके नीचे.. ओर घसीटकर लानेको कहा हे..

इतना सुनते ही सृती कामुक नजरोसे देखते मुस्कुराते लखनके पास आगइ.. ओर अ‍ेक हाथ लखनकी गरदनमे डालकर उनके गालको चुम लेती हे.. फीर मुस्कुराते लखनको आंख मार देती हे.. ओर अपना गाल आगे करते कहेती हे..

सृती : (हसते गाल आगे करते) लो मारलीजीये.. अरे मारीयेनां..? मेतो कबसे आपके हाथका चाटा खानेके लीये तरस रही हु.. लो.. मारलो चाटा.. कुछ ओर करना हे..? तो चलो अंदर.. क्या हेना यहा बहार खुलेमे सब करना अच्छा नही लगता.. तो मेरे बेडरुममे चलते हे.. वहा आरामसे आप मेरा बलात्कार कर लीजीयेगा.. हें..हें..हें..

लखन : (गभराते थोडा पीछे जाते) नही.. तुम कीतनी बदल गइ हो.. मे लडकीयोके साथ जोर जबरदस्ती करना नही करता.. वरना आपको यहासे घरसीटके भी लेजा सकता हु.. फीर भी कुछ काम होतो मुजे फोन करदेना.. बाय..

कहेते लखन अचानक सृतीके पास आगया.. ओर उनकी गरदनमे हाथ डालकर सृतीके चहेरेको पीछेसे पकड लेता हे.. सृती कुछ समजे इनसे पहेलेही लखनने अपने होंठ सृतीके होठोसे जोरोसे चीपका लीये.. अचानक हुअ‍े हमलेसे सृती सख्तेमे आगइ.. ओर बडी आंख करते हांथ पांव चलाते लखनसे छुटनेकी कोसीस करने लगी.. तभी अचानक लखनने उनको छोड दीया..

ओर सृतीकी ओर देखते अपने होठोको पोछते जाने लगा.. तो सृती सोक्ट होते उनको देखती ही रही.. तभी बाइककी आवाजसे सृती तंद्नासे बहार नीकली.. क्युकी लखन बाइकपे बैठकर जा रहा था.. लखनकी मस्ती करते अ‍ेक बार फीर सृतीने लखनको खो दीया.. ओर सृती उनके पीछे दोड पडी..

सृती : (पीछे दोडते) लखन भैया.. लखन भैया.. सुनोतो.. रुको.. मे आ रही हु.. अरे सु..नो..

सृती उनको जाते हुअ‍े देखते ही उनके पीछे लखन भैया.. लखन भैया.. करते दोड पडी.. लेकीन लखनतो अपनी बाइक लेकर नीकल गया.. तो सृती मुह फाडते उनको जाते हुअ‍े देखते वही खडी रहे गइ.. वो पुनमके कहेने पे लखनके साथ जाना तो चाहती थी.. लेकीन लखनके साथ थोडा नखरे करते उनकी मस्तीया करना चाहती थी.. ओर वो भारी मनसे घरमे चली गइ..

ओर फोन लेकर पुनमसे बात करने लगी.. तो पुनम भी सृतीकी बात सुनकर उनसे थोडा नाराज हुइ.. ओर रातमे फुरसतमे बात करनेको कहेते फोन रख दीया.. तो इधर लखन भी घरपे आगया.. ओर वही फ्रेस होगया.. तो रजीया नीलम ओर राधीका सब खानेके टेबलपे आ गये.. ओर सबलोग खाना खाने लगे.. राधीका आज बहुत ही सरमा रही थी.. तो रजीया ओर नीलम भी लखन ओर राधीकाको देखकर हस रही थी.. क्युकी तीनोने मीलकर आज लखनका बेड फुलोसे सजाया था.. तभी..
 
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नीलम : (रजीयाकी ओर मुस्कुराते) दीदी.. आज मे भी आपके साथ मम्मीके रुममे सोजाउगी..

रजीया : (मुस्कुराते) हां.. चेन्ज करके आजाना.. आज हम दोनो मम्मीके पास ही सो जायेगे..

कहातो राधीका बहुत ही सर्मसार होते मुस्कुराने लगी.. फीर डीनर खतम होते ही रजीया दोनोके लीये दुध गरम करके उपर रखने चली गइ.. तो साथमे नीलम भी चेन्ज करने जाने लगी.. ओर राधीका कीचनका काम समेटने लगी.. तो लखन राधीकाकी मम्मीके पास चला गया.. ओर वहा उनका हालचाल पुछा.. फीर थोडी देर वही बैठकर वो भी उपर अपने रुममे चला गया.. तबतक रजीया ओर नीलम भी चेन्ज करके नीचे आ चुकी थी..

तो दुसरी ओर धिरेन भी अपने घरपे पहोंच चुका था.. फीर फ्रेस होकर वापस होलमे आगया.. ओर अपनी मम्मीको फोन करने लगा.. तो उधर चंदा अपने रुममे अकेली विजयको लेकर बैठी थी.. बाकी सब लोग होलमे बैठकर गपे लगा रहे थे.. तभी धिरेनका फोन देखते ही चंदाका पारा सातवे आसमानपे चला गया.. वो पहेले धिरेनको बोलनेका मैका देना चाहती थी.. तो उसने सीर्फ इतना ही कहा..

चंदा : (गुस्सेमे) हां बोल.. अब तुजे फोन करनेका टाइम मीला..? बोल.. क्या कहेना चाहता हे तु..?

धिरेन : (धीरेसे डरते) मोम.. वो.. वो मे पुनोसे अलग हो गया हु.. मेने उसे डीवोर्स देदीया हे..

चुदा : (गुस्सेमे) हां तो..? पता चला मुजे.. कमीने इस बात कहेनेसे पहेले तेरी जुबान कट क्यु नही गइ.. क्या मे जान सकती हु..? तुमने इतना बडा कदम क्यु उठाया..?

धिरेन : (थोडा नीडर होते) हां.. अब आप भी गालीया दो मुजे.. क्युकी आपने उस खानदानमे जानेके लीये मेरा इस्तमाल कीया.. ओर पुनोको मेरे पले बांध दीया.. मोम.. मे कीसी ओरको प्यार करता हु.. ओर वैसे भी मेरी ओर पुनोकी लाइफ अच्छी नही थी.. तो हम अलग हो गये..

चंदा : (जोरोसे चीलाते) कमीने.. मेने तेरा क्या इस्तमाल कीया..? ये बात कहेनेसे पहेले तेरी जुबानको लकवा क्यु नही मार गया.. ओर अ‍ेक मासुमकी जींदगीसे खीलवाड करके तुजे क्या मीला..? अगर तुम कीसी ओरसे प्यार करते थे.. तो फीर मुजे बताया क्यु नही..? मे पुनोकी सादी तुमसे कभी नही करवाती.. करलेते उस लडकीसे सादी.. कमीना.. कहीका.. ओर मेने देवुसे सादी करनेसे पहेले तुमसे पुछा थानां..?

धिरेन : (थोडा चीडते जोरोसे चीलाते) हां.. पुछा था.. लेकीन ये नही बताया थाकी तुम मेरी पीठ पीछे उनके साथ गुलछने उडाती थी.. आपको सरम नही आइ घरमे अ‍ेक जवान लडका होते हुअ‍े भी अ‍ेक पराये मर्दके साथ.. छी.. मेने तुम दोनोको दो बार देख लीया था.. तबसे मे बदला लेना चाहता था.. इसीलीये मेने पुनोके साथ सादी की..

ताकी मे भी सादीसे पहेले उनके साथ वोही सब करते उनको सबक सीखाउ.. समजी..? लेकीन वो तो अपने भाइसे भी ज्यादा सातीर नीकली.. मुजे सादीसे पहेले छुने तक नही दीया.. वरना मे उनसे सादी ही नही करता.. बस.. उसे प्रेगनेन्ट करके छोड देता.. मोम.. ये लोगोकी यही सजा हे..

चंदा : (जोरोसे चीलाते) चु..प.. चुप होजा कमीने.. तु अ‍ैसा घरटीया सोच वाला होगा मुजे नही पता था.. कुते.. कमीने.. मे प्यार करती हु देवुसे.. समजे..? सुन.. अब तुमने सारी हदे पार करली हे.. तुजे हमारी जायदासे अ‍ेक फुटी कोडी भी नही मीलेगी.. मे सबकुछ पुनो दीदीके नाम कर रही हु.. तुजे जीनके साथ सादी करनी हे करले.. तेरी यही सजा हे.. ओर सुन.. आजके बाद मुजे कभी फोन भी मत करना.. समजलेना तेरी मां तेरे लीये मर गइ हे.. हरामी साला.. फोन रख..

कहेते चंदा जोरोसे फुट फुटके रोने लगी.. चंदा जोरोसे चीलाके बोल रही थी तो मंजुला पुनम भुमीका भावना लता ओर नीर्मला सबलोग चंदाके पास आकर खडे हो गये थे.. ओर समज गये थेकी चंदा धिरेनके साथ बात कर रही हे.. तो सबलोग वही खडे रहेते चंदाकी बातको सुन रहे थे.. जैसे ही चंदा रोने लगी.. मंजुने उसे अपनी बाहोमे थाम लीया.. तो चंदा मंजुके कंधेपे सर रखते जोरोसे रो रही थी.. नीर्मला ओर भुमीका भी उसे चुप करा रहे थे..

मंजुला : (आंसु पोछते) दीदी.. अब बस भी करो.. कीतना रोओगी..?

चंदा : (रोते हुअ‍े) दीदी.. देखा.. मुजे क्या क्या बोल रहा था.. वो पुनो दीदीकी जींदगी खराब करना चाहता था.. सीर्फ मेरी वजहसे.. अ‍ैसा बेटा होनेके बजाये मर जाना बहेतर हे.. मुजे नही जीना..

नीर्मला : (गुस्सेमे अ‍ेक जोरोसे चाटा मारते) चुप.. अ‍ेक दम चुप.. उस कमीनेके लीये तुम मरोगी..? अब भुलजा उसे वो तेरा बेटा नही हे.. समजी..? ये विजय तेरा बेटा हे.. इसे सम्हाल.. आजके बाद मरनेकी बात कीनां तो मुजसे बुरी कोइ नही होगी..

चंदा : (नीर्मलाको गले लगते रोते) दीदी.. तो फीर मे क्या करु..? इसमे इस मासुमकी क्या गलती थी..? जो इनकी जींदगी खराब करदी.. ये भी नही देखा ये पेटसे हे.. अब ये इस बच्चेका क्या करेगी..?

पुनम : (चंदाको गले लगते) भाभी.. रोइअ‍े मत.. आपको मेरी कसम.. मे इस बच्चेका कुछ नही करुगी.. इसे जन्म देकर इस दुनीयामे लाउगी..

चंदा : (रोते हुअ‍े) नही दीदी.. आपकी उमर अभी बहुत छोटी हे.. अगर बच्चा होगा तो आपसे कौन सादी करेगा..? कुछ तो अपने बारेमे सोचीये.. गीरा दीजीये ये बच्चा..

मंजुला : (सही मौका देखते ही) दीदी.. क्या बोल रही हो..? मेने हमारी पुनोके बारेमे सोचलीया हे.. वो इस बच्चेको जन्म भी देगी.. ओर उनकी सादी भी होगी.. आप फीकर मत करो..

चंदा : (थोडा सांत होते) मंजुदी.. अ‍ैसा कौन लडका होगा जो हमारी पुनोको बच्चेके साथ अपनायेगा.. आज कल अ‍ैसा लडका मीलना बहुत मुस्कील हे.. आपतो सब जानती हे..

मंजुला : (मुस्कुराते) हां जानती हु.. अब पुनोका डीवोर्स हो गया हे.. अब हमे डीसीजन लेना हेकी पुनोकी सादी कीधर करनी हे.. ओर मेने डीसीजन लेलीया हे.. दीदी.. मेरे ध्यानमे हे अ‍ेक लडका.. जो पुनोको बच्चेके साथ अपना लेगा..

चंदा : (आंसु पोछते सामने देखते) मंजुदी.. बताओ कौन हे वो लडका..? मे वादा करती हु.. मे खुद देवुके साथ बैठकर हमारी पुनोका कन्यादान करुगी.. बताइअ‍े कोन हे वो लडका..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां.. आपही इनका कन्यादान करना.. ओर वो लडका कोइ ओर नही.. खुद हमारा लखन हे.. मे लखनसे बात करुगी.. मुजे पता हे वो मेरी बात नही टालेगा.. वैसे भी हमारे खानदानमे भाइ बहेनकी सादी तो होती ही हे.. तो उस परंपरा भी कायम रहेगी.. कहो.. क्या कहेना चाहते हे सब..?

चंदा : (सामने देखते) दीदी.. अगर लखन भैया हां कहेते हे तो मुजे मंजुर हे.. अगर कीसी ओरको अ‍ेतराज ना होतो.. बस.. अ‍ेक बार पुनो दीदीको भी पुछलो..

सबलोग : (जानते थे फीर भी) हां.. हम सबको भी ये रीस्ता मंजुर हे..

मंजुला : (पुनमकी ओर मुस्कुराते) क्यु पुनो..? करोगीना मेरे बेटेसे सादी..? फीर देखना मेरी ननंदसे मेरी बहु होजायेगी.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमसे पानी पाी होते) क्या दीदी.. आपभीनां..

कहेते पुनम सर्मसार होते मुस्कुराते वहासे दोडकर अपने रुममे चली गइ.. तो सबलोग उनको देखकर हसने लगे.. चंदा भी मुस्कुरा उठी.. ओर उसने मंजुकी ओर देखते दोनो हाथ जोड लीया.. तो मंजुने उसे कसके अपने गले लगा लेती हे.. चंदाकी आंख खुसीके मारे गीली होगइ.. ओर वो अचानक कांपने लगी.. मंजु कुछ समज पाये इनसे पहेले ही चंदा बेहोस होते जमीनपे गेरने लगी....

कन्टीन्यु
 
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