सृती : (आंसु बहाते पहेली बार) अब मे आपको कभी दीदी नही कहुगी.. आप मेरी मां हो.. आप जानेकी बात मत करो.. अेक माने तो धोखा दे दीया हे.. कमसे कम आपतो मत दो.. दिल गभरा जाता हे..
मंजुला : (मुस्कुराते) मेरी बच्ची.. तुजे कीसीने भी धोखा नही दीया.. ओर मे अभी कहा जा रही हु.. ओर जाना तो सबको हे.. कोइ पहेले तो कोइ बादमे.. हम सबको अेक बार फीर जन्म लेकर वापस भीतो आना हे.. तुजे मेरे बबलुको पुनोको.. तब हमारे स्वामी जवा होगे.. हम सबको अपनी पुरानी पहेचान करवायेगे.. हम सब वो ही अनुभुती करेगे.. जो कभी उस जमानेमे करते थे.. बस.. अब सीर्फ उनके आनेकी देरी हे..
सृती : (मुस्कुराते) मोम.. तो फीर हमारी मंदाकीनी कहा हे..? क्या आप मुजे बता सकती हो..
मंजुला : (मुस्कुराते) सृती.. सबके बारेमे मत पुछ कुछ राज राज ही रहेनेदे.. बस.. इतना जानले.. उनका जन्म अभीतक नही हुआ हे.. लेकीन होगा.. उनका तालुक भी तेरी सौतनसे हे.. जो आजकल तेरी खास सहेली हे.. तु समज गइनां..?
सृती : (मुस्कुराते) येस मोम.. मोम.. प्लीज.. मुजे सीर्फ अेक बार आपके दर्शन करवादो.. मे ओर इन्तजार नही कर सकती.. आजसे मे हमेसा आपको मोम ही कहुगी.. फीर आपको कुछ नही पुछुगी.. अब मुजे यकीन हो गया हे.. की हम सब कौन हे..
मंजुला : (मुस्कुराते) ठीक हे.. लेकीन मत कर दर्शन.. अगर तुम मुजे असली रुपमे देखलोगी तो तु ओर कामी होजायेगी.. ओर तेरी कामाग्नी बढ जायेगी.. फीर तुम मेरे लखनके बगैर नही रेह पायेगी.. सोचले..
सृती : (सरमाते गले मीलते धीरेसे) मोम.. मे मेरे लखनके बगैर रहेना भी नही चाहती.. मेने सब सोच लीया हे.. मे ओर पुनो दीदी.. मतलब.. हम दोनोने डीसाइड करलीया हे.. अब हम हमारे नये पतीको पुर्ण समर्पीत होजायेगी.. ओर मे वादा करती हु.. अब मे इस घरसे कभी नही जाउगी.. अब यही मेरा ससुराल हे.. आइ प्रोमीस.. प्लीज.. करादो दर्शन.. प्ली..ज..
मंजुला : (दरवाजेकी ओर देखते मुस्कुराते) ठीक हे.. तो फीर आज रातको तैयार रहेना.. आज हम सब यही रुकने वाले हे.. तो आज मे तेरे साथ सोउगी.. सीर्फ हम दोनोही होगे.. क्युकी अब तु अकेली कैसे रहोगी..?
सृती : (मुस्कुराते) मोम.. इस बोरेमे मेने लखन भैयासे बात भी करली हे.. वो आपकी ओर पुनो दीदीकी परमीशन चाहते हे.. तो फीर उनको मुजे अपनानेमे कोइ अेतराज नही हे.. मोम.. तो फीर देवु.. आइ मीन.. वो.. आपके पती.. क्युकी आपको तो पता हे मेने लखन भैयासे क्या बातेकी..
मंजुला : (समज गइ) हंम.. हां पता हे.. सुन.. तु देवुकी फीकर मत कर.. मेरी दोनो सौतने साथमे आइ हेनां..? मतलब.. आज तेरी ओर मेरी मम्मी हेनां.. उनको सम्हाल लेगी.. बेचारीकी अपने पतीको मीलनेकी बहुत कम बारी आती हे.. हें..हें..हें..
सृती : (मुस्कुराते) मोम.. हमारी दुनीयामे कीतना अजीब हेनां..? कल तक जो मेरा पती था.. आज वो मेरा पीता होगया.. ओर जो मेरा देवर था.. आज वो मेरा भाइ हे..
मंजुला : (जोरोसे हसते) तु फीकर मत कर.. वो बहुत जल्द तेरा पती भी होजायेगा.. ओर देवु तेरा ससुर भी होजायेगा.. हें..हें..हें.. बीटु.. हमारी दुनीया अैसे ही चलती हे.. यहा तो फीर भी रीस्ते नाते हे.. लेकीन वहा..? हमारी उस दुनीयामे कोइ रीस्ते नाते नही..
सृती : (मुस्कुराते) मोम.. मुजे हमारी उस दुनीयाके बारेमे थोडा बहुत बताओनां..
मंजुला : (मुस्कुराते) हाये.. सृती क्या बताउ तुजे.. कीतनी हसीन दुनीया हे हमारी.. ना कमानेकी चीन्ता ना खाने पीनेकी चीन्ता.. सबलोग अपनी मस्तीमे जी रहे हे.. तुमने कीताब (ये केसी अनुभुती) मे पडाथानां.. मे उस राजाके साथ तीन दिन सोइ थी.. हमने लगातार तीन दिन ओर रात सेक्स कीया.. ओर सबको अनुभीती करवाइ.. वहाकी हर हेक परीया ओर अप्साको प्रेगनेन्ट करवाया.. होर हमारी उसी महेनत रंग लाइ.. ओर आज वहा हमारी संख्या कीतनी बढ गइ हे.. ओर यहा भी बहुत बदल जायेगा..
सृती : (सर्मसार होते मुस्कुराते) क्या मोम.. आपभीनां.. मुजे तो बहुत सर्म आ रही हे.. यहा भी सब कुछ कीतना जल्दी बदल गया.. ओर हमारे घरमे तो रीस्तो जैसा कुछ बचा ही नही हे..
लखन : (दरवाजा खोलकर अंदर आते) अरे.. भाभीमां.. आप इधर हो..? चलो खाना रेडी हो गया हे.. दीदीका खाना अभी रजु इधर लेकर आ रही हे.. तो इनको खीला देगी..
मंजुला : (मुस्कुराते) दी..दी..? अच्छा.. तो फीर तुजे सब पता हे..? हें..हें..हें.. क्या सब पुनोने बतायानां..?
लखन : (सरमाते मुस्कुराते) हां भाभीमां..
सृती : (सरमाते धीरेसे) मोम.. मुजे बाथरुम जाना हे.. ओर डोक्टरने अभी पैरको नीचे रखनेको मना कीया हे.. तो इनको कहीयेनां मुजे अंदर लेजाये..
मंजुला : (सामने देखते) कीसको..?
सृती : (सरमाकर मुस्कुराते) इनको.. आपके लाडलेको..
मंजुला : (जोरोसे हसते) क्या..? अभीसे नाम लेना भी बंध कर दीया.. हें..हें..हें.. (लखनकी ओर देखते) बीटु.. जरा इनको बाथरुममे लेजा.. अब इनकी सेवा तुजे ही करनी हे.. ओर वो भी हमेसाके लीये.. हें..हें..हें..
लखन : (सृतीको उठाते अंदरकी ओर लेजाते) ओ बापरे.. कीतनी भारी भरखम हे.. पता नही भुमी आंटीने इनको कोनसी चकीका आटा खीलाया हे..
मंजुला : (जोरोसे हसते) लखन.. अब वो आंटी नही हे तेरी.. तेरी भाभी होगइ हे.. हें..हें..हें.. ओर तेरी वो भाभी नीचे ही हे.. जा जाकर पुछले..
कहातो सृती सरमाते हसने लगी.. ओर अेक हाथमे प्लास्टर था तो दुसरे हाथसे लखनके सीनेमे मुका मारने लगी.. जीसे देखकर मंजु भी जोरोसे हसने लगी.. फीर लखनने सृतीको बाथरुममे कमोडपे बीठा दीया ओर बहार नीकल गया.. ओर मंजुके पास आकर बैठ गया.. तो मंजु प्यारसे लखनके गालको सहेलाते सामने देखकर मुस्कुराने लगी.. तब लखनने पुछ ही लीया....