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Adultery भुज गई प्यास-2

arushi_dayal

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काफ़ी दिनों से कोई अच्छी सी कविता नहीं लिखी थी। कहीं कविता लिखनी भूल न जाउ इसलिए एक छोटा सा प्रयास

नामर्द पति खड़ा खिड़की में अपने बेडरूम में झाँके

छोटा भाई मस्ती में चाट रहा भाभी की गीली फाँके


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Background to story

बचपन की सब वो गलत आदतें आज पड़ गई भारी

बिस्तर में जल्दी झड़ जाता बीवीप्यासी रहतीबेचारी

इसी बात पर रोज-रोज अब दोनों में लगा थाझगड़ा

बीवी बोले मेरी आग बुझाने को मर्द चाहिए तगड़ा


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जरा भी गैरत हो तो मेरी बात का देना साफ जवाब

इस बेजान लंड से मेरी जिंदगी काहे को करी खराब

अगर मैंने कदम बाहर रखा तो होगी काफी बदनामी

सबको पता चलजाएगा गांडू बिस्तर में तेरीनाकामी

अगर तुम्हे इज्जत प्यारी है तो बसमान लो मेरी बात

अब तेरे छोटे भाई के नीचे बीतेगी मेरी हर इक रात

कई बार देखा है मैंने उसके कमरे के आगे से जाते

मेरा नाम ले के उसको अपना फ़ौलादी लंड हिलाते

कभी-कभार अपनी प्रेमिका को घर पर भी है लाता

ले जाकर पिछले कमरे में फिर उसकी खूब बजाता


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उसे पता कैसी भोगी जाती हैऔरत की गरम जवानी

एक घंटे से पहले गिरता नहीं है उसके लंड का पानी

जल्दी से बात करो देवर से अब करो ना कोईबहाना

तेरे बस का रहा नहीं अब मेरी चूत की आग बुझाना

सुन बातें पत्नी की पति को लगा जोर का झटका

समझ गया बीवी का दिलहै देवर के लंडपर अटका


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जातेजाते बोला बीवी कोआगे तुम्ही बढ़ाओ बातको

इतना जान लो आज घर नहींआऊंगा वापस रातको

चाहो तोअपने देवर को रात कोअपनापास सुला लो

अगर चोदना चाहे तुमको तो अपनी चूत मारवा लो

Current scene

बैठ गई बाहर आंगन में भाभी गिरा साड़ी का पल्लू

समझ गया भाभी की मर्जी देवर भी कहां था लल्लू

घाट घाट का पिया था पानी-देवर था बड़ा हरामी

देख भाभी की नंगी चुची को लंड देने लगा सलामी


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मन-मंद देख मुस्कती भाभी को देवर आया पास

ऐसे मुझे क्यों देख रही हो बात है क्या कुछ खास

तेरे भैया मान गए हैं और मैंने भी बना लिया है मन

मुझे चूत में लेना है अब हर रात को तेरा मोटा लन

चलो भाभी कमरे में रात का इंतज़ार क्यों करना

भैया ने दे दी है इज्जाजत तो फिर काहे को डरना

अपने देवर के लंड पे भाभी तुम जरूर करोगी नाज़

चूत तो तेरी लेनी है मुझको फाड़ूगा गांड भी आज

नंगी कर भाभी पीछे से गांड पर लौड़ा लगा दबाने

थूक से गिलीकर उंगली को वो चूत में लगा घुसाने

खोल जांघें देखी तो चूत पर झांटो का नहीं निशान

रख मुँह गुलाबी फाँको पे देवर बनाने लगा रसपान

जांघें चूमी नाभि चूमी फ़िर होठों से लगा चूमने गर्दन

हाथो में ले नरम सुडोलचूचिया कर रहाजी भर मर्दन

तड़प के बोली भाभी देवर से अब और ना मुझे सताओ

डाल के लंड जल्दी से चूत में बरसो की प्यास बुझाओ

देवर ने गदरायी भाभी को फिर झट बिस्तर पर पटका

रख लंड चुत के गी छेद पर दिया जोर का झटका

सरसरता लंड घुस गया चूत में जोर से भाभी चिल्लाई

देवरके मोटे लंड से भाभी को दिन में तारे दिए दिखायी

बना घोड़ी बिस्तर पर भाभी को फिर चूत में लंड ढकेला

पकड़ बाल की चोटी भाभी की देवर ने दो घंटेतक पेला

चूं चूं करता पलंग और नीचे चुदती भाभी की सिसकारी

तस्सली करवाभाभी की देवर ने मुँह में मार दी पिचकारी

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Seema P Love

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काफ़ी दिनों से कोई अच्छी सी कविता नहीं लिखी थी। कहीं कविता लिखनी भूल न जाउ इसलिए एक छोटा सा प्रयास

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बिस्तर में जल्दी झड़ जाता बीवीप्यासी रहतीबेचारी

इसी बात पर रोज-रोज अब दोनों में लगा थाझगड़ा

बीवी बोले मेरी आग बुझाने को मर्द चाहिए तगड़ा


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जरा भी गैरत हो तो मेरी बात का देना साफ जवाब

इस बेजान लंड से मेरी जिंदगी काहे को करी खराब

अगर मैंने कदम बाहर रखा तो होगी काफी बदनामी

सबको पता चलजाएगा गांडू बिस्तर में तेरीनाकामी

अगर तुम्हे इज्जत प्यारी है तो बसमान लो मेरी बात

अब तेरे छोटे भाई के नीचे बीतेगी मेरी हर इक रात

कई बार देखा है मैंने उसके कमरे के आगे से जाते

मेरा नाम ले के उसको अपना फ़ौलादी लंड हिलाते

कभी-कभार अपनी प्रेमिका को घर पर भी है लाता

ले जाकर पिछले कमरे में फिर उसकी खूब बजाता


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उसे पता कैसी भोगी जाती हैऔरत की गरम जवानी

एक घंटे से पहले गिरता नहीं है उसके लंड का पानी

जल्दी से बात करो देवर से अब करो ना कोईबहाना

तेरे बस का रहा नहीं अब मेरी चूत की आग बुझाना

सुन बातें पत्नी की पति को लगा जोर का झटका


समझ गया बीवी का दिलहै देवर के लंडपर अटका

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जातेजाते बोला बीवी कोआगे तुम्ही बढ़ाओ बातको

इतना जान लो आज घर नहींआऊंगा वापस रातको

चाहो तोअपने देवर को रात कोअपनापास सुला लो

अगर चोदना चाहे तुमको तो अपनी चूत मारवा लो

Current scene

बैठ गई बाहर आंगन में भाभी गिरा साड़ी का पल्लू

समझ गया भाभी की मर्जी देवर भी कहां था लल्लू

घाट घाट का पिया था पानी-देवर था बड़ा हरामी

देख भाभी की नंगी चुची को लंड देने लगा सलामी


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मन-मंद देख मुस्कती भाभी को देवर आया पास

ऐसे मुझे क्यों देख रही हो बात है क्या कुछ खास


तेरे भैया मान गए हैं और मैंने भी बना लिया है मन

मुझे चूत में लेना है अब हर रात को तेरा मोटा लन


चलो भाभी कमरे में रात का इंतज़ार क्यों करना

भैया ने दे दी है इज्जाजत तो फिर काहे को डरना

अपने देवर के लंड पे भाभी तुम जरूर करोगी नाज़

चूत तो तेरी लेनी है मुझको फाड़ूगा गांड भी आज


नंगी कर भाभी पीछे से गांड पर लौड़ा लगा दबाने

थूक से गिलीकर उंगली को वो चूत में लगा घुसाने

खोल जांघें देखी तो चूत पर झांटो का नहीं निशान

रख मुँह गुलाबी फाँको पे देवर बनाने लगा रसपान

जांघें चूमी नाभि चूमी फ़िर होठों से लगा चूमने गर्दन

हाथो में ले नरम सुडोलचूचिया कर रहाजी भर मर्दन

तड़प के बोली भाभी देवर से अब और ना मुझे सताओ

डाल के लंड जल्दी से चूत में बरसो की प्यास बुझाओ

देवर ने गदरायी भाभी को फिर झट बिस्तर पर पटका

रख लंड चुत के गी छेद पर दिया जोर का झटका

सरसरता लंड घुस गया चूत में जोर से भाभी चिल्लाई

देवरके मोटे लंड से भाभी को दिन में तारे दिए दिखायी

बना घोड़ी बिस्तर पर भाभी को फिर चूत में लंड ढकेला

पकड़ बाल की चोटी भाभी की देवर ने दो घंटेतक पेला

चूं चूं करता पलंग और नीचे चुदती भाभी की सिसकारी


तस्सली करवाभाभी की देवर ने मुँह में मार दी पिचकारी

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Badhiya 👌🏼
 
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arushi_dayal

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Update 12
काफ़ी देर यूं ही चलता रहा. अब अगले कदम की बारी थी. रिशा ने सीधे होकर खुद को राजू से दूर किया। और बड़े मादक अंदाज़ में नितंबों को छलकाते हुए बोली, "देखो ना देवरजी, मेरे उभार तुम्हारी चुवन को कैसे मचल रहे हैं। क्या तुम्हें इनपर प्यार नहीं आता?" कहकर रिशा अपनी गांड को तबियत से हिलाने लगी। उसकी लचकती, लहराती, छलछलाती गांड को देख कर राजू का गला सुखने लगा। सुडोल नितंबों की थिरकन ऐसी थी मानो जैसी जेली।


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अब तक रिशा ने स्ट्रिपटीज़ शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे गाउन उसके बदन से सरक कर अलग हो गया। चुंकि

रिशा की पीठ अभी भी राजू की तरफ थी, राजू का पूरा ध्यान उसकी चमकती कोमल पीठ और मांसल गांड पर टिका हुआ था। रिशा कमर लहराते हुए राजू की तरफ घूमी तो उसकी छलकते हुए भारी चुचिओ को देख उसका लंड और फड़फड़ा उठा। रिशा थोड़ा पास आ कर राजू की तरफ झुकी तो उसके भारी चिकने स्तन राजू के करीब लहराने लगे। झुकते हुए रिशा ने एक चुम्बन राजू के सुपाड़े पर जड़ दिया। राजू ने एक राहत भरी कराह ली.


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आअहहहाआ"। रिशा ने दोनों हाथ राजू की झाँघों पर टीका कर उसके सुपाड़े को होठों के बीच भर कर चूसना शुरू कर दिया। राजू से रहा ना गया और उसने कमर का धक्का लगा कर लंड रिशा के मुँह में पेल दिया। पर रिशा भी मझी हुई खिलाड़ी थी, उसने झट से लंड मुँह से बाहर किया और एक तेज तमाचा लंड पे दे दिया। राजू का पूरा बदन तिलमिला उठा। तमाचे से उसके लिंग में और अकड़न आ गई, और साथ ही उसकी बेचैनी में स्थिरता।

रिशा ने लंड पर एक और जोर का तमाचा जड़ दिया और बोली, “आज शिकार करने की बारी मेरी है देवरजी. तुम आज वही करोगे जो मैं कहूंगी; अपनी मर्जी चलाने की कोशिश की तो..." कह कर रिशा ने एक और चांटा राजू के लिंग पर दे मारा। "आअहह!!!" राजू चीख उठा. पर रिशा के हाथ न रुके। तमाचों की झड़ी लगा दी उसने. एक एक तमाचे से राजू की चीख दोगुनी होकर आती। साथ ही उसका लिंग अब और सख्त और लाल पड़ रहा था। तकरीबन 10 मिनट तक रिशा यूंही लंड को तमाचाँ से मारती रही। लेकिन लंड तो तना का तना था.

"तमाचों की वजह से लिंग में खून दौड़ रहा था और वो लाल और संवेदनशील हो गया था। रिशा ने सीधे खड़े होकर राजू को निहारा। वो आंखें बंद किये पसीने में लथ पथ पड़ा हुआ था।

बंधन में जकडे राजू पर रिशा को थोड़ा तरस आया। उसने आगे झुक कर राजू को एक मादक और धीमा चुम्बन दिया। चुम्बन के दौरन उसने उसके होठों को बड़े जोर से चबाया भी। राजू का कोई रिएक्शन ना देख कर वो समझ गई कि अब वो उसके वश में था। उसने राजू के चेहरे को जकड़ लिया और नागिन की तरह लपलापाती जिभ उसके मुंह में घुसा दी। राजू ने भी जिभ लपलपा कर उसका जवाब दिया। जीभ के टकराने से दोनों का रस नीचे टपकने लगा। रस सीधे लंड पर टपक रहा था जिससे गर्म, झुलसा हुआ लंड थोड़ी राहत पा रहा था। दोनो की साँसें अब बहुत तेज़ हो गई थी और लार टपक टपक कर लंड गीला किये जा रही थी। तभी रिशा ने राजू को एक धक्का दिया और उसके सीने पे चढ़ गई, और राजू की मांसल छाती पर दोनो टांगे फेला कर बैठ गई।


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हाथ बंधे होने के करण राजू हिल भी नही पा रहा था, और अब रिशा उसके ऊपर सवार थी। उसे लगा रिशा अब उसकी सारी बेचैनी खत्म कर देगी लेकिन रिशा के मन में कुछ और ही चल रहा था। उसने पूरे दबाव के साथ अपनी कमर को हरकत दी। उसकी चूत राजू की कसी हुई छाती पर रगड़ खाने लगी। चुंकी राजू के सीने के बाल थोड़े कड़क थे, चूत पर जोर का घर्षण हुआ। "सस्स्स्स्स्स्सहाआ!!!", की आवाज़ करते हुए रिशा ने रगड़ तेज़ कर दी, और चूत की गर्म भाप राजू को भी महसूस होनी शुरू हो गई। थोड़ी ही देर में रिशा झाड़ने के करीब पहुंच रही थी। उसका पानी राजू के सीने को गीला किये हुए था। रिशा ने रुक कर पोजीशन बदली और घूम कर वापस सीने पर बैठ गई। रगड़ वापस चालू हो गई. राजू अब सूजी हुई चूत और रेशमी मांसल नितंबो को हरकत में साफ देख रहा था। उसका लंड पगलों की तरह फड़क रहा था. रिशा ने हथेलियाँ राजू के जाँघों पर टिकाई और आगे झुक का लंड पूरा मुँह में ले लिया। राजू ने राहत भारी सांस ली. अब एक तरफ रिशा अपनी चूत राजू के सीने पर रगड़ रही थी और दूसरी तरफ लंड भी चूस रही थी। मजा दोगुना हो गया था. राजू भी रिशा के झुकने की वजह से उसकी फूली चूत की फाँको और गांड के छेद का नजारा देख रहा था। उसका पानी छुटने वाला ही था। रिशा को भी इसका एहसास हुआ कि उसका लंड बेहद कड़क हो चुका है। उसने तुरंत चूसाई छोड़ी और लंड पर तमाचो की बारिश वापस चालू कर दी। "चटाक्क!!! चटक्क!! चटक्क!!" "आह!! आह!!आह!!आह!! भाभी पागल हो गई हो क्या?" "तुम्हारा रस बेकार नहीं जाने दूंगी देवरजी!...और पागल तो मैं हूं ही...तुम्हारे जिस्म की।"

कहते हुए रिशा वापस घूमी। पहले उसने राजू के लंड से होते हुए उसके होठों तक उसके जिस्म को तबियत से अपनी जीभ से चाटा, और होठों पर पहुचते ही एक रसभरा गीला चुम्बन दिया। साथ ही उसके होठों को बड़ी बेरहमी से काट खाया। फिर अपने नितंबों के सहारे राजू के लंड पर बैठ गई। लंड अब उसकी गदराई जाँघों के बीच फंस गया। उसने अपने पैरों के तलवे राजू के गले पर टीका दिए और पीछे झुक कर हाथ बिस्तर पर।

उसने धीरे-धीरे अपनी गांड उछालनी शुरू कर दी जिससे राजू का लंड उसकी कसी हुई जाँघों के मुलायम मांस में पिसने लगा। राजू का उन्माद अब 7वें आसमान पर पहुंच चुका था। गले पर पड़ रहे दबाव से उसकी सांसें भी उखड़ रही थीं। रिशा ने रगड़न तेज कर दी थी. वो पूरी जान लगा कर राजू के लिंग को अपनी जाँघों में कसे हुई थी। लंड जाँघों के साथ साथ उसकी चूत पर भी रगड़ खा रहा था। रिशा की उखडी सांसें उसकी उतवालापन बयां कर रही थी "म्म्ह्ह!! म्म्ह्ह!! म्म्फ!! ह्ह्ह!! मुह्ह!! हाआह!! म्म्ह्ह!!!"


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रिशा के वार के आगे राजू ज्यादा देर टिक ना पाया, और बड़ी तेजी से झड़ने लगा। उसके वीर्य की बौछार से रिशा का पूरा जिस्म भीग गया। वीर्य की फुहार उसके स्तनों तक को गिला कर रही थी। उसकी जाँघें वीर्य से लथपथ हो गई। रिशा ने मौका गँवाये बिना पहले राजू को झड़ने दे दिया, फिर उसके बदन पर सरक कर आगे आ गई और राजू के मुँह पर अपनी चूत चिपका दी। राजू भी मदहोशी में उसकी चूत चाटने लगा। उसका वीर्य रिशा के स्तनों से बहता हुआ, नाभि से होता हुआ चूत को गिला किये जा रहा था। वो समझ भी नहीं पाया कि उसने अपना वीर्य ही पी लिया था। राजू का ध्यान पूरी तरह से रिशा की गिली चूत पर था। वो पूरे जोश में उसकी चूत लपलपा कर चाट रहा था। रिशा भी धीरे-धीरे कामोन्माद की तरफ बढ़ रही थी। उसकी सिसकियाँ अब धीरे-धीरे आहों में बदल रही थीं।

आआअह्ह्ह्ह!!!!!! ओह्ह्ह!!!! राआज्ज्ज्ज्!!!! स्स्स्स!!!!! आआह!!! ओह्ह्ह!!!! और करो ना देवरजी! आह!! ओह!! बहुत मजा आ रहा है! हाँ...ओहह माँ!!!! मैं पागल हो जाउंगी देवरजी!!! उम्म्ह्ह!! ममहहफफम!!!!!" जोश में आकर उसने राजू के बालों को जकड़ लिया और जोर जोर से चूत उसके मुँह पर रगड़ने लगी। "आह!!... आह!!.. हाऐई!!.. मर गई!!... ऊउमाआ!! आआह!! आह!! आह!! स्स्स!! सीई!! और तेज राजा!! और तेज!! आह!! आह! आह!! आह!! आह!! ..आह!! आआह!! होआहह!! म्मह!! हाहाहा!! और तेज़!! और तेज़!! हां राजा!! में तो गाई!! में तो गाई!! आआआआआआआआआआआआआ हा हा हा हा मेरा होने वाला है!! ... " यूँ ही चीखते हुए रिशा राजू के मुँह में झड़ने लगी। राजू भी चूत पर किसी जोंक की तरह चिपक गया था और पूरा रस पीने की कोशिश कर रहा था। रिशा की फुली मुलायम फांको से बहते अमृत का स्वाद किसी भी स्वाद से बढ़ कर था। रिशा भी धीरे-धीरे ठंडी पड़ने लगी और हौले हौले चूत राजू के मुंह पर रगड़ते हुए सांसें थामने लगी। पर राजू पर तो जैसे वापसी भूत सवार हो गया।


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"वो रिशा की चूत की फांको को फ्रेंच किस करने लगा। रिशा को भी बड़ा मजा आया और वो स्थिर बैठ कर इसका मजा लेने लगी। रिशा सिस्कार उठी. "आआआह्ह्ह्ह्म्म्म्म!!!" रिशा का बदन उन्माद की उँचाईयाँ छूने लगा और उसका जिस्म अकडने लगा! दोनों अब जोर जोर से आगे बढ़ते हुए वासना के सागर में गोते लगा रहे थे। "आ..आ..आ..आह्ह्ह्ह!!! मैं गइ राज्जाआ.आ..आ...आआह्ह्ह्ह!!!. . . .आआआआआआह!!! इक खामोश चीख के साथ वो और तेजी से झड़ने लगी। उसकी सांसे फूल रही थी और उसकी गदराई चुचियां तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी। रिशा की कमर, चुचियां, गर्दन और चेहरा तक उसके मुंह और पसीने से तर बतर हो चुका था। रिशा के दोनो हाथ सर के पीछे थे। ऐसा लग रहा था मानो वो अंगड़ाई ले रही हो। एक हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पर खेल रही थी। वो आनंद में सराबोर थी. अपने बदन में एक अलग सा हल्कापन महसूस हो रहा था!

उधर राजू अभी भी चालू था जो उसका मजा वापस उफान पर था। उसकी जबान की हरकत का जवाब रिशा की मद्धम आहे दे रही थी।

अह्ह्ह आआह्ह्ह्ह उन्ह्ह्ह ऊह्ह्ह्ह ऊओह्ह्ह्ह हाआआअन हाआआई मीईरे रज्जज्ज, अह्ह्ह्ह! उह्ह्ह!! आह! आह! आह! आह!! आआह!! आह!! आआआह!! आआआआहह!!! मम्म!!!! म्म्म्म्म्म्म्फ्ह्ह!!!" रिशा उसके मुंह के स्पर्श से पागल हो गई और अचानक ही उसकी आंखे फट पड़ी और उसके मुंह से एक खामोश हाँफती हुई चीख निकल गई। "आ..आ..आ..आ.हह..ह...ह..हह.हह..हह..हह.!!!!!!म्म्प्पप्प्ह्ह!!!.एसएसएसएसएसएसssssss!!!" वो हेरान थी कि वो तीन बार झड़ चुकी थी। राजू वाकई एक शानदार सेक्स पार्टनर था. "लेकिन गुरु तो मैं ही हूं" सोचते हुए रिशा मुस्कुरा दी। अब तक दोनों की हवस पूरी परवान चढ़ चुकी थी। दोनों ही एक दूसरे को नोच खाने को तैयार थे। शायद इसी का इंतज़ार रिशा कर रही थी. उसने झट पोजीशन बदली और राजू के ऊपर सीधी खड़ी हो गई। इस कोण से रिशा के मांसल भारी नितंब, रसीली दरार और दोनों गदराए हुए स्तन; तीनो एक लाइन में राजू को दिखाई दे रहे थे। रिशा की उंगलियां अपने नितांबों और चूत से खेलने लगी। राजू उसकी इस हरकत से पागल हो रहा था कि अचानक रिशा वैसे ही उसके चेहरे पर बैठ गई और इस बार उसने चूत के जगह गांड का छेद राजू के मुँह पर रख दिया।


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उसके बदन से आती भीनी भीनी खुशबू राजू का जी मचलने लगी। रिशा दनादन अपनी चूत में उगलियों का वार किये जा रही थी जिस से चूत का पानी रिस कर उसके चेहरे को गीला कर रहा था। वो मदहोशी में अपनी जिह्वा से उसको छेड़ने लगा। जीभ की नोक का स्पर्श पाते ही रिशा बौखला उठी। उसके जिस्म का एक एक रोम तन उठा। "आआआआआहह!!!!...सस्स्स्स्स्स्स्स!!!" उसने उन्माद में बेतरबी से अपनी नंगी गांड से राजू का चेहरा रौंदना शुरू कर दिया। राजू की सांसें फूल रही थी लेकिन वो भी रिशा की हर चुनौती का भरपूर जवाब देना चाहता था। रिशा ने आगे झुक कर उसके कड़क लंड को दोनों मुट्ठियों में जकड़ लिया और सुपाड़े को बेचैनी के साथ चुसने लगी। राजू की आहे उसकी जाँघों के बीच ही गूँज कर रह गई। "हुह्म्म!!म्म्ह्ह!!!म्म्प्प्ह्ह!!!आह्म्म्ह्ह!!!एसएलआरआरआर!!!म्म्प्प्ह्ह!!!"

रिशा ने थोड़ी देर चुसाई के बाद राजू के लिंग को शांत कर लिया और सुपाड़े को जोर जोर से चूमते हुए लिंग पर दबाव बड़ा दिया। राजू उसकी इस हरकत से तमतम गया और लंड की अकडन बढ़ने से उसके लिंग में बहते खून का दबाव भी महसूस होने लगा। इस से उसकी उत्तेजना और तेज हो गई। वो और जोश में रिशा की गांड पर टूट पड़ा और जीभ की ठोकरों के साथ उसकी गांड के मुलायम मांस को नोच ने भी लगा। रिशा भी उसकी इस हरकत में उसका साथ देने लगी और गांड को हल्का हल्का उछाल कर जिभ की ठोकरो का मजा लेने लगी। " आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ!! तेज़!!!और तेज़!!हां रज्ज!!!कत्ल हो गया आज तो मेरा!!!!!!!!मामाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ. यू चीखते हुए रिशा झड़ने लगी। उसका सारा रस राजू के मुखड़े पर और उसके मुँह में टपक रहा था। राजू भी जोश में सारा पानी पी गया। इधर रिशा जब तक अपनी सांस थामती तब तक राजू की जीभ वापस हरकत में आ गई।


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चुकी स्खलन के बाद रिशा हिल नही पा रही थी, राजू को पूरा समय मिला रिशा की गांड के मजे लेने का। उसने जीभ की ठोकरों से गांड के छेद को काफी ढीला कर दिया था। अब जरा सी ताकत से जीभ ज्यादा अंदर तक घुसती जा रही थी। उसने जीभ को रिशा की गांड के अंदर डाल कर लपलपाया, अचानक हुए हमले से कराह उठी। आह!!... आह!!.. हाऐई!!!.. मर गईई!!!.... ऊओमाआ!!! आआह!! आह!!! आह!!! स्स्स्स!!! आई!!! और तेज़ रा...जू!! और तेज़!!! आह!! आह! आह!!" उसने बेचैनी में राजू के लिंग को और कस कर दबोचा। राजू ने भी और जोश में जवाब दिया। काफी देर तक लंड फंसने के कारण बुरी तरह से फड़फड़ा रहा था। रिशा की नज़रें वासना से उभरे हुए सुपाड़े को देख रही थी। उससे और नहीं सहा जा रहा था. उसने गरम कड़क लोहे से जैसे ही अपना हाथ हटाया, खून की नई लहर मानो उसमें दौड़ पड़ी हो। किसी काले नाग की तरह लिंग फुफकार उठा। उसे बिल में जाना ही था. रिशा ने एक आखिरी लचक के साथ गांड उठाई तो राजू की जीभ 'पुक्क' की आवाज के साथ बाहर आ गई. वो समझ गया कि अब असली खेल शुरू होने वाला है। रिशा ने भी बिना देर किये पोजीशन बदली औरा अब वो राजू का सामना करते हुए उसके लंड के ऊपर खड़ी थी। वो बेशरम होकर चूत में उंगली किए जा रही थी और दूसरे हाथ से अपने स्तनों का मांस नोच रही थी।

वो उकडू होकर बैठी और राजू के सुपाड़े पर चूत टीका कर, अपनी गांड लहराने लगी जिससे सुपाड़ा चूत के मुहाने से होता हुआ गांड के छेद पर घिसने लगा। रिशा किसी रांड की जैसी लग रही थी. राजू का पूरा बदन पसीना पसीना था। उसकी नज़रें अपने सुपाड़े पर टिकी हुई थी। वो जानना चाहता था कि लिंग पहले किसका स्वाद चखेगा। रगड़ के कारण उसका लंड अचानक तेजी से फनफनाया और सुपाड़ा गांड के मुंह में जा कर टिक गया। रिशा जालिम अंदाज़ में मुस्कुरायी, "गुड चॉइस देवरजी" और एक झटके में लिंग पर बैठ गई। गरम लोहा रिशा की गांड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर दाखिल हो गया। रिशा की चीख़ गई और पूरा बदन टूटने लगा। "आह!!! आह!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! उउउइइइ माँ!!!!!!!!!!!!.

उसकी सांसें उखड़ने लगी. उसने नितंबों को कस कर जकडा तो राजू की आह निकल गई। लंड पर कसाव बढ़ने से उसका भी मजा दोगुना हो रहा था। गांड का कसाव मानो उसके लिंग को मसलने की कोशिश कर रहा हो। रिशा भी उसके एक एक इंच को अपने अंदर जाते महसूस कर रही थी। अब उसकी गांड पूरी तरह मुलायम हो चली थी। यूँ ही आराम से थोड़ी देर और चलता रहा। राजू का भी हाल बेहाल था. छेद बहुत टाइट था. उससे दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा था। पर हिलने की हिम्मत उसकी भी नई हो रही थी। रिशा ने अपनी गांड कस कर जकड़ ली थी। राजू का लिंग गरम पत्थर के सामान महसूस हो रहा था। "ओह राजू, जी करता हैं तुम्हारा सारा रस निचोड़ लूं" कह कर रिशा हल्के हल्के शॉट लगाने लगी। अब दोनों को गांड का मजा वापस आने लगा। एक तरफ राजू की तेज सांसें थीं तो दूसरी तरफ रिशा की सिस्कारियां। थोड़ी ही देर में सिस्कारियां आहों में बदल गईं और राजू भी आहे लेने लगा.. शॉट्स अभी भी धीरे ही सही लेकिन लंबे पढ़ रहे थे। रिशा इस पल का पूरा मजा लेना चाहती थी। गांड का कसाव मानो राजू के लिंग को मसलने की कोशिश कर रहा हो।


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यूँ ही आराम से थोड़ी देर और चलता रहा। अब रिशा भी लंबे शॉट्स ले रही थी। रिशा की चूत भी फिर से बहने लगी थी। उसने दो अंगलिया थूक में गिली करके अपनी चूत में जड़ दी और बोली... "बस मेरे भोले सैयां....अब सब्र नहीं होता....अब देखो भाभी कैसे देती है अपनी ही गांड!!!" राजू का इतना सुनना था कि रिशा ने शॉट्स तेज कर दिए। लम्बे शॉट्स वो पहले से ही लगा रही थी। राजू ने भी तेज हमलो का दिल खोल कर स्वागत किया और करहाते हुए मजे लेने लगा। अब दोनों मस्ती में झूम रहे थे। राजू ने रिशा का साथ देना शुरू किया। उसने अंगडाई लेते हुए कमर उछालनी शुरू कर दी। रिशा उसकी ताक़त की इस अजमाइश से ख़ुश हो गई और अपने हवस में उसे बडावा देने लगी। "चोदो मेरे रज्जजा!!!! चोद लो अपनी भाभी की गांड। आज फैला ही डालना इसे!!!! शाबाश मेरे शेर!!!!!!, और जोर से रज्जजा!!!!!!!!! और तेज!!! और तेज!!!.. जान ले लो मेरीIII!!!!...आह!!! आह!!! आआह!!! आआह्ह्ह्ह!!! हाआइIII!!!! इस्स्स्स्स!!!!!! आआआहहहहहहहहहहह!!!!!!

राजू भी पगलाया सा दनादन शॉट लगाने लगा. लंड बड़ी तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था.... रिशा भी अपनी चूत रगड़ते हुए मरवाने के मजे ले रही थी। तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। रिशा का पूरा बदन ऐंठ गया और गांड भी कस गई। "आआआआहहह!!!सस्सशशशश!!!!!!" राजू के जबड़े भींच गए इस तेज दबाव से पर उसने हार ना मानी। उसने और दुगनी ताकत से गांड पेलना शुरू कर दिया। रिशा की चीखो की कोई सीमा ना रही। उसने राजू के गर्दन को यू थाम लिया जैसे उसकी जान उसपे टिकी हो, और काफी देर तक झड़ती रही। राजू अपनी वासना के नशे में रिशा की चीखो पर ध्यान दिए बिना शॉट पे शॉट पेलता रहा। दोनों पसीन में तर हो चुके थे। आपस में टकराते जिस्म की ताल बदल गई थी। रिशा गर्दन को जकड़े हुए थी जिस से राजू की अब सांस फूलने लगी थी। रिशा की चीखें भी कब कराहो में तबदील हुई पता ही नहीं चला। और अब वो बस सिस्कारियां ले रही थी.. राजू भी बस चरम पे बहुत ही चुका था।

रिशा अब अपने स्तनों को हथेलियों में भर कर झंझोर रही थी। निपल्स को छेड़ रही थी. उन्हें दबोच रही थी. राजू देखता रह गया और उसका लिंग और मजबूत हो गया। उसने रिशा की गांड वापस पेलनी शुरू की। रिशा मीठे दर्द से चीख उठी. रिशा ने भी शरारती तरीके से कमर लहराते हुए उसकी मदद की। वो पूरी नंगी, शाम की हल्की रोशनी में दमकते मादक देह वाली वेश्या लग रही थी। "आआअहह!!!!!! ऊहहह!!! राआज्जज्ज!!!" और चुदाई का खेल वापस शुरू हो गया। रिशा झुक कर उससे लिपट गई। दोनों बुरी तरह से एक दूसरे से चिपके हुए थे। रिशा के मुलायम स्तन राजू की मजबूत छाती से रगड़ खा रहे थी। उसके निपल्स कड़क हो कर छाती में चुब रहे थे। राजू को मजा आ रहा था. रिशा भी निपल्स की कड़क घर्षण से मस्ती में आती जा रही थी। उसने दोनो टांगे राजू की कमर के बगल में सेट कर लंड पर कूदना शुरू किया और उसके हर धक्के का जवाब देने लगी। राजू भी उसके हर शॉट पे अपने लंड से जवाब देता। शॉट तगडे पड रहे थे. रिशा ज्यादा देर टिक नै पाई और झड़ने लगी। उसकी चूत का रस लंड को भीगोता जा रहा था और राजू गांड के नये कसाव से झूम उठा। वो रिशा के होठों को काटते हुए गांड में दनादन शॉट पेलने लगा। रिशा किसी गुड़िया की तरह झूल रही थी। उसने अपनी बाहें राजू के गले में डाल राखी थी और उसको अपना स्तनपान करवा रही थी। राजू मस्ती में उसके स्तन चुस और काट रहा था।

रिशा ने फिर पानी छोड़ना शुरू कर दिया। उसका रस बहता हुआ राजू की जाँघों को गीला करने लगा। कमरे में फिर से सेक्स का मादक संगीत गूंज रहा था। अब रिशा की चूत किसी झरने की तरह बह रही थी। कुछ देर ऐसे ही वासना का नंगा नाच चलता रहा। राजू रुकने का नाम ना ले रहा था. और रिशा भी हार ना मान रही थी. दोनों ही पसीने में लथपथ हो चुके थे और कमरे में दो मांसल देहो के टकराने की थपाथप आवाज गूंज रही थी। राजू अब भी नहीं थक रहा था. दोनों एक दूसरे की बदन से रिस्ते पसीने और खुशबू में लिपटे हुए थे। रिशा के चिकने गीले नितांब उसकी जांघों पर थप थप की आवाज करके टकराते। अब तक रिशा के झड़ने की गिनती नही बची थी। वो सारी शाम और रात ऐसे ही वासना के सागर में डूबे रहना चाहती थी। "आआहह!!!...हायईई...जाआलिम्म...मार ही डाला आज मुझे..!!!"। आज मुझे पता चला की सरिता दीदी उस दिन तुझसे गांड मरवाने के बाद लड़खड़ा के क्यों चल रही थी! बहुत जालिम हथियार है रे तेरा. अंदर तक चोट करता है ये सुन राजू मुस्कुरा उठा!


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एक आखिरी शॉट के साथ रिशा लंड पे पूरा बैठ गई। लंड जड़ तक गांड में घुसा हुआ फड़फड़ा रहा था। रिशा पीठ के बाल राजू के ऊपर लेट गई और अपना सारा भार उसके कंधे पे टीका लिया।

गांड में फंसे गरम लोहे ने रिशा का बुरा हाल कर दिया था। वो तेज़ सिस्कारियाँ ले रही थी और अपने होठों को भी चबा रही थी। "स्स्स!!!!! आअहह!!! ऊऊहह!!! और करो ना देवरजी! आह!! ओह!! बहुत मजा आ रहा है हाआइइइइ! हां...ऊहह मां!!! मैं पागल हो जाऊंगी देवरजी!!! उम्म्ह!! म्म्म्ह्ह्ह्फ्फ्म्म!!!!!" रिशा हर शॉट पर कराह रही थी... "आह!! आह!! आह! आह! आह!! म्म्ह!! म्म्ह!! ओह्ह!! आआह!!!एसएसएस!!! हाऐइ!! हां!!! हैई!!! ओह्ह!! ओह्ह राजू!!" राजू उसकी आहों से और जोश में शॉट लगाने लगा। जिस्म फिर से तबाही मचाने लगे। कमरे में फिर आहों और जिस्मो के टकराने की आवाज गूंजने लगी। राजू बस झड़ने ही वाला था. रिशा को महसूस हुआ कि उसके लिंग की अकडन बढ़ गई है, तो वो झट से हरकत में आ गई। लंड गांड से बाहर निकल आया, और रिशा ने अपने रसीले होठों की कैद में कर लिया। वो पूरी तन्मयता से लिंग का रसस्वादन कर रही थी। जल्दी ही राजू अपने चरम पर पहुंच गया, और रिशा के मुंह में गरम खुलते वीर्य की नदी वापस आ गई। रिशा ने भी वीर्य की एक बूँद बर्बाद की और घूँट भर-भर कर वीर्य पीने लगी। रिशा ने कोई चूक नहीं की और बिना बर्बाद किए सारा वीर्य पीती चली गई। वो प्यार भरे अंदाज़ में लंड चूस रही थी जैसे कतरा कतरा वीर्य निचोड़ लेगी!

राजू के पैरो में कम्पन होना शुरू हो गया तब जा कर उसने उसे छोड़ा। रिशा फिर उसके लिंग पर रस भर चुम्बन करती हुई, उसकी नाभि से हो सीने पे गई। फिर राजू को एक अलसाये अंदाज़ में चुम्बन दिया। राजू भी हल्के हल्के चूमने लगा. रिशा ने उसके हाथों की पट्टीयाँ खोल दी और लाल पड़ चुकी हथेलियों को चूमते हुए सहलाने लगी। उसकी आखें राजू की हथेलियां की खरोंचों पे पड़ी तो आंसुओं से दबदबा उठी। राजू ने उसका चेहरा अपनी हथेलियों में भर लिया और होठों को चूमते हुए उसके आंसू पोंछने लगा। रिशा मुस्कुरा दी और उसके सीने पर सर रख कर शांत पड़ गई ! थकान के कारण दोनों नग्न जिस्म एक दूसरे की गरमाहट में समा गए।


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"रात हो गई है, उमा आती ही होगी। शायद ये हमारी आखिरी रात हो साथ में", रिशा बोली। राजू ने उसे कस कर आगोश में भर लिया और कहा, "नहीं"
 

Ajju Landwalia

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काफ़ी दिनों से कोई अच्छी सी कविता नहीं लिखी थी। कहीं कविता लिखनी भूल न जाउ इसलिए एक छोटा सा प्रयास

नामर्द पति खड़ा खिड़की में अपने बेडरूम में झाँके

छोटा भाई मस्ती में चाट रहा भाभी की गीली फाँके

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Background to story

बचपन की सब वो गलत आदतें आज पड़ गई भारी

बिस्तर में जल्दी झड़ जाता बीवीप्यासी रहतीबेचारी

इसी बात पर रोज-रोज अब दोनों में लगा थाझगड़ा

बीवी बोले मेरी आग बुझाने को मर्द चाहिए तगड़ा


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जरा भी गैरत हो तो मेरी बात का देना साफ जवाब

इस बेजान लंड से मेरी जिंदगी काहे को करी खराब

अगर मैंने कदम बाहर रखा तो होगी काफी बदनामी

सबको पता चलजाएगा गांडू बिस्तर में तेरीनाकामी

अगर तुम्हे इज्जत प्यारी है तो बसमान लो मेरी बात

अब तेरे छोटे भाई के नीचे बीतेगी मेरी हर इक रात

कई बार देखा है मैंने उसके कमरे के आगे से जाते

मेरा नाम ले के उसको अपना फ़ौलादी लंड हिलाते

कभी-कभार अपनी प्रेमिका को घर पर भी है लाता

ले जाकर पिछले कमरे में फिर उसकी खूब बजाता


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उसे पता कैसी भोगी जाती हैऔरत की गरम जवानी

एक घंटे से पहले गिरता नहीं है उसके लंड का पानी

जल्दी से बात करो देवर से अब करो ना कोईबहाना

तेरे बस का रहा नहीं अब मेरी चूत की आग बुझाना

सुन बातें पत्नी की पति को लगा जोर का झटका


समझ गया बीवी का दिलहै देवर के लंडपर अटका

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जातेजाते बोला बीवी कोआगे तुम्ही बढ़ाओ बातको

इतना जान लो आज घर नहींआऊंगा वापस रातको

चाहो तोअपने देवर को रात कोअपनापास सुला लो

अगर चोदना चाहे तुमको तो अपनी चूत मारवा लो

Current scene

बैठ गई बाहर आंगन में भाभी गिरा साड़ी का पल्लू

समझ गया भाभी की मर्जी देवर भी कहां था लल्लू

घाट घाट का पिया था पानी-देवर था बड़ा हरामी

देख भाभी की नंगी चुची को लंड देने लगा सलामी


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मन-मंद देख मुस्कती भाभी को देवर आया पास

ऐसे मुझे क्यों देख रही हो बात है क्या कुछ खास


तेरे भैया मान गए हैं और मैंने भी बना लिया है मन

मुझे चूत में लेना है अब हर रात को तेरा मोटा लन


चलो भाभी कमरे में रात का इंतज़ार क्यों करना

भैया ने दे दी है इज्जाजत तो फिर काहे को डरना

अपने देवर के लंड पे भाभी तुम जरूर करोगी नाज़

चूत तो तेरी लेनी है मुझको फाड़ूगा गांड भी आज


नंगी कर भाभी पीछे से गांड पर लौड़ा लगा दबाने

थूक से गिलीकर उंगली को वो चूत में लगा घुसाने

खोल जांघें देखी तो चूत पर झांटो का नहीं निशान

रख मुँह गुलाबी फाँको पे देवर बनाने लगा रसपान

जांघें चूमी नाभि चूमी फ़िर होठों से लगा चूमने गर्दन

हाथो में ले नरम सुडोलचूचिया कर रहाजी भर मर्दन

तड़प के बोली भाभी देवर से अब और ना मुझे सताओ

डाल के लंड जल्दी से चूत में बरसो की प्यास बुझाओ

देवर ने गदरायी भाभी को फिर झट बिस्तर पर पटका

रख लंड चुत के गी छेद पर दिया जोर का झटका

सरसरता लंड घुस गया चूत में जोर से भाभी चिल्लाई

देवरके मोटे लंड से भाभी को दिन में तारे दिए दिखायी

बना घोड़ी बिस्तर पर भाभी को फिर चूत में लंड ढकेला

पकड़ बाल की चोटी भाभी की देवर ने दो घंटेतक पेला

चूं चूं करता पलंग और नीचे चुदती भाभी की सिसकारी


तस्सली करवाभाभी की देवर ने मुँह में मार दी पिचकारी

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Superb Poem
 
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Seema P Love

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Update 12
काफ़ी देर यूं ही चलता रहा. अब अगले कदम की बारी थी. रिशा ने सीधे होकर खुद को राजू से दूर किया। और बड़े मादक अंदाज़ में नितंबों को छलकाते हुए बोली, "देखो ना देवरजी, मेरे उभार तुम्हारी चुवन को कैसे मचल रहे हैं। क्या तुम्हें इनपर प्यार नहीं आता?" कहकर रिशा अपनी गांड को तबियत से हिलाने लगी। उसकी लचकती, लहराती, छलछलाती गांड को देख कर राजू का गला सुखने लगा। सुडोल नितंबों की थिरकन ऐसी थी मानो जैसी जेली।


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अब तक रिशा ने स्ट्रिपटीज़ शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे गाउन उसके बदन से सरक कर अलग हो गया। चुंकि

रिशा की पीठ अभी भी राजू की तरफ थी, राजू का पूरा ध्यान उसकी चमकती कोमल पीठ और मांसल गांड पर टिका हुआ था। रिशा कमर लहराते हुए राजू की तरफ घूमी तो उसकी छलकते हुए भारी चुचिओ को देख उसका लंड और फड़फड़ा उठा। रिशा थोड़ा पास आ कर राजू की तरफ झुकी तो उसके भारी चिकने स्तन राजू के करीब लहराने लगे। झुकते हुए रिशा ने एक चुम्बन राजू के सुपाड़े पर जड़ दिया। राजू ने एक राहत भरी कराह ली.

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आअहहहाआ"। रिशा ने दोनों हाथ राजू की झाँघों पर टीका कर उसके सुपाड़े को होठों के बीच भर कर चूसना शुरू कर दिया। राजू से रहा ना गया और उसने कमर का धक्का लगा कर लंड रिशा के मुँह में पेल दिया। पर रिशा भी मझी हुई खिलाड़ी थी, उसने झट से लंड मुँह से बाहर किया और एक तेज तमाचा लंड पे दे दिया। राजू का पूरा बदन तिलमिला उठा। तमाचे से उसके लिंग में और अकड़न आ गई, और साथ ही उसकी बेचैनी में स्थिरता।

रिशा ने लंड पर एक और जोर का तमाचा जड़ दिया और बोली, “आज शिकार करने की बारी मेरी है देवरजी. तुम आज वही करोगे जो मैं कहूंगी; अपनी मर्जी चलाने की कोशिश की तो..." कह कर रिशा ने एक और चांटा राजू के लिंग पर दे मारा। "आअहह!!!" राजू चीख उठा. पर रिशा के हाथ न रुके। तमाचों की झड़ी लगा दी उसने. एक एक तमाचे से राजू की चीख दोगुनी होकर आती। साथ ही उसका लिंग अब और सख्त और लाल पड़ रहा था। तकरीबन 10 मिनट तक रिशा यूंही लंड को तमाचाँ से मारती रही। लेकिन लंड तो तना का तना था.

"तमाचों की वजह से लिंग में खून दौड़ रहा था और वो लाल और संवेदनशील हो गया था। रिशा ने सीधे खड़े होकर राजू को निहारा। वो आंखें बंद किये पसीने में लथ पथ पड़ा हुआ था।

बंधन में जकडे राजू पर रिशा को थोड़ा तरस आया। उसने आगे झुक कर राजू को एक मादक और धीमा चुम्बन दिया। चुम्बन के दौरन उसने उसके होठों को बड़े जोर से चबाया भी। राजू का कोई रिएक्शन ना देख कर वो समझ गई कि अब वो उसके वश में था। उसने राजू के चेहरे को जकड़ लिया और नागिन की तरह लपलापाती जिभ उसके मुंह में घुसा दी। राजू ने भी जिभ लपलपा कर उसका जवाब दिया। जीभ के टकराने से दोनों का रस नीचे टपकने लगा। रस सीधे लंड पर टपक रहा था जिससे गर्म, झुलसा हुआ लंड थोड़ी राहत पा रहा था। दोनो की साँसें अब बहुत तेज़ हो गई थी और लार टपक टपक कर लंड गीला किये जा रही थी। तभी रिशा ने राजू को एक धक्का दिया और उसके सीने पे चढ़ गई, और राजू की मांसल छाती पर दोनो टांगे फेला कर बैठ गई।


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हाथ बंधे होने के करण राजू हिल भी नही पा रहा था, और अब रिशा उसके ऊपर सवार थी। उसे लगा रिशा अब उसकी सारी बेचैनी खत्म कर देगी लेकिन रिशा के मन में कुछ और ही चल रहा था। उसने पूरे दबाव के साथ अपनी कमर को हरकत दी। उसकी चूत राजू की कसी हुई छाती पर रगड़ खाने लगी। चुंकी राजू के सीने के बाल थोड़े कड़क थे, चूत पर जोर का घर्षण हुआ। "सस्स्स्स्स्स्सहाआ!!!", की आवाज़ करते हुए रिशा ने रगड़ तेज़ कर दी, और चूत की गर्म भाप राजू को भी महसूस होनी शुरू हो गई। थोड़ी ही देर में रिशा झाड़ने के करीब पहुंच रही थी। उसका पानी राजू के सीने को गीला किये हुए था। रिशा ने रुक कर पोजीशन बदली और घूम कर वापस सीने पर बैठ गई। रगड़ वापस चालू हो गई. राजू अब सूजी हुई चूत और रेशमी मांसल नितंबो को हरकत में साफ देख रहा था। उसका लंड पगलों की तरह फड़क रहा था. रिशा ने हथेलियाँ राजू के जाँघों पर टिकाई और आगे झुक का लंड पूरा मुँह में ले लिया। राजू ने राहत भारी सांस ली. अब एक तरफ रिशा अपनी चूत राजू के सीने पर रगड़ रही थी और दूसरी तरफ लंड भी चूस रही थी। मजा दोगुना हो गया था. राजू भी रिशा के झुकने की वजह से उसकी फूली चूत की फाँको और गांड के छेद का नजारा देख रहा था। उसका पानी छुटने वाला ही था। रिशा को भी इसका एहसास हुआ कि उसका लंड बेहद कड़क हो चुका है। उसने तुरंत चूसाई छोड़ी और लंड पर तमाचो की बारिश वापस चालू कर दी। "चटाक्क!!! चटक्क!! चटक्क!!" "आह!! आह!!आह!!आह!! भाभी पागल हो गई हो क्या?" "तुम्हारा रस बेकार नहीं जाने दूंगी देवरजी!...और पागल तो मैं हूं ही...तुम्हारे जिस्म की।"

कहते हुए रिशा वापस घूमी। पहले उसने राजू के लंड से होते हुए उसके होठों तक उसके जिस्म को तबियत से अपनी जीभ से चाटा, और होठों पर पहुचते ही एक रसभरा गीला चुम्बन दिया। साथ ही उसके होठों को बड़ी बेरहमी से काट खाया। फिर अपने नितंबों के सहारे राजू के लंड पर बैठ गई। लंड अब उसकी गदराई जाँघों के बीच फंस गया। उसने अपने पैरों के तलवे राजू के गले पर टीका दिए और पीछे झुक कर हाथ बिस्तर पर।

उसने धीरे-धीरे अपनी गांड उछालनी शुरू कर दी जिससे राजू का लंड उसकी कसी हुई जाँघों के मुलायम मांस में पिसने लगा। राजू का उन्माद अब 7वें आसमान पर पहुंच चुका था। गले पर पड़ रहे दबाव से उसकी सांसें भी उखड़ रही थीं। रिशा ने रगड़न तेज कर दी थी. वो पूरी जान लगा कर राजू के लिंग को अपनी जाँघों में कसे हुई थी। लंड जाँघों के साथ साथ उसकी चूत पर भी रगड़ खा रहा था। रिशा की उखडी सांसें उसकी उतवालापन बयां कर रही थी "म्म्ह्ह!! म्म्ह्ह!! म्म्फ!! ह्ह्ह!! मुह्ह!! हाआह!! म्म्ह्ह!!!"


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रिशा के वार के आगे राजू ज्यादा देर टिक ना पाया, और बड़ी तेजी से झड़ने लगा। उसके वीर्य की बौछार से रिशा का पूरा जिस्म भीग गया। वीर्य की फुहार उसके स्तनों तक को गिला कर रही थी। उसकी जाँघें वीर्य से लथपथ हो गई। रिशा ने मौका गँवाये बिना पहले राजू को झड़ने दे दिया, फिर उसके बदन पर सरक कर आगे आ गई और राजू के मुँह पर अपनी चूत चिपका दी। राजू भी मदहोशी में उसकी चूत चाटने लगा। उसका वीर्य रिशा के स्तनों से बहता हुआ, नाभि से होता हुआ चूत को गिला किये जा रहा था। वो समझ भी नहीं पाया कि उसने अपना वीर्य ही पी लिया था। राजू का ध्यान पूरी तरह से रिशा की गिली चूत पर था। वो पूरे जोश में उसकी चूत लपलपा कर चाट रहा था। रिशा भी धीरे-धीरे कामोन्माद की तरफ बढ़ रही थी। उसकी सिसकियाँ अब धीरे-धीरे आहों में बदल रही थीं।

आआअह्ह्ह्ह!!!!!! ओह्ह्ह!!!! राआज्ज्ज्ज्!!!! स्स्स्स!!!!! आआह!!! ओह्ह्ह!!!! और करो ना देवरजी! आह!! ओह!! बहुत मजा आ रहा है! हाँ...ओहह माँ!!!! मैं पागल हो जाउंगी देवरजी!!! उम्म्ह्ह!! ममहहफफम!!!!!" जोश में आकर उसने राजू के बालों को जकड़ लिया और जोर जोर से चूत उसके मुँह पर रगड़ने लगी। "आह!!... आह!!.. हाऐई!!.. मर गई!!... ऊउमाआ!! आआह!! आह!! आह!! स्स्स!! सीई!! और तेज राजा!! और तेज!! आह!! आह! आह!! आह!! आह!! ..आह!! आआह!! होआहह!! म्मह!! हाहाहा!! और तेज़!! और तेज़!! हां राजा!! में तो गाई!! में तो गाई!! आआआआआआआआआआआआआ हा हा हा हा मेरा होने वाला है!! ... " यूँ ही चीखते हुए रिशा राजू के मुँह में झड़ने लगी। राजू भी चूत पर किसी जोंक की तरह चिपक गया था और पूरा रस पीने की कोशिश कर रहा था। रिशा की फुली मुलायम फांको से बहते अमृत का स्वाद किसी भी स्वाद से बढ़ कर था। रिशा भी धीरे-धीरे ठंडी पड़ने लगी और हौले हौले चूत राजू के मुंह पर रगड़ते हुए सांसें थामने लगी। पर राजू पर तो जैसे वापसी भूत सवार हो गया।


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"वो रिशा की चूत की फांको को फ्रेंच किस करने लगा। रिशा को भी बड़ा मजा आया और वो स्थिर बैठ कर इसका मजा लेने लगी। रिशा सिस्कार उठी. "आआआह्ह्ह्ह्म्म्म्म!!!" रिशा का बदन उन्माद की उँचाईयाँ छूने लगा और उसका जिस्म अकडने लगा! दोनों अब जोर जोर से आगे बढ़ते हुए वासना के सागर में गोते लगा रहे थे। "आ..आ..आ..आह्ह्ह्ह!!! मैं गइ राज्जाआ.आ..आ...आआह्ह्ह्ह!!!. . . .आआआआआआह!!! इक खामोश चीख के साथ वो और तेजी से झड़ने लगी। उसकी सांसे फूल रही थी और उसकी गदराई चुचियां तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी। रिशा की कमर, चुचियां, गर्दन और चेहरा तक उसके मुंह और पसीने से तर बतर हो चुका था। रिशा के दोनो हाथ सर के पीछे थे। ऐसा लग रहा था मानो वो अंगड़ाई ले रही हो। एक हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पर खेल रही थी। वो आनंद में सराबोर थी. अपने बदन में एक अलग सा हल्कापन महसूस हो रहा था!

उधर राजू अभी भी चालू था जो उसका मजा वापस उफान पर था। उसकी जबान की हरकत का जवाब रिशा की मद्धम आहे दे रही थी।

अह्ह्ह आआह्ह्ह्ह उन्ह्ह्ह ऊह्ह्ह्ह ऊओह्ह्ह्ह हाआआअन हाआआई मीईरे रज्जज्ज, अह्ह्ह्ह! उह्ह्ह!! आह! आह! आह! आह!! आआह!! आह!! आआआह!! आआआआहह!!! मम्म!!!! म्म्म्म्म्म्म्फ्ह्ह!!!" रिशा उसके मुंह के स्पर्श से पागल हो गई और अचानक ही उसकी आंखे फट पड़ी और उसके मुंह से एक खामोश हाँफती हुई चीख निकल गई। "आ..आ..आ..आ.हह..ह...ह..हह.हह..हह..हह.!!!!!!म्म्प्पप्प्ह्ह!!!.एसएसएसएसएसएसssssss!!!" वो हेरान थी कि वो तीन बार झड़ चुकी थी। राजू वाकई एक शानदार सेक्स पार्टनर था. "लेकिन गुरु तो मैं ही हूं" सोचते हुए रिशा मुस्कुरा दी। अब तक दोनों की हवस पूरी परवान चढ़ चुकी थी। दोनों ही एक दूसरे को नोच खाने को तैयार थे। शायद इसी का इंतज़ार रिशा कर रही थी. उसने झट पोजीशन बदली और राजू के ऊपर सीधी खड़ी हो गई। इस कोण से रिशा के मांसल भारी नितंब, रसीली दरार और दोनों गदराए हुए स्तन; तीनो एक लाइन में राजू को दिखाई दे रहे थे। रिशा की उंगलियां अपने नितांबों और चूत से खेलने लगी। राजू उसकी इस हरकत से पागल हो रहा था कि अचानक रिशा वैसे ही उसके चेहरे पर बैठ गई और इस बार उसने चूत के जगह गांड का छेद राजू के मुँह पर रख दिया।


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उसके बदन से आती भीनी भीनी खुशबू राजू का जी मचलने लगी। रिशा दनादन अपनी चूत में उगलियों का वार किये जा रही थी जिस से चूत का पानी रिस कर उसके चेहरे को गीला कर रहा था। वो मदहोशी में अपनी जिह्वा से उसको छेड़ने लगा। जीभ की नोक का स्पर्श पाते ही रिशा बौखला उठी। उसके जिस्म का एक एक रोम तन उठा। "आआआआआहह!!!!...सस्स्स्स्स्स्स्स!!!" उसने उन्माद में बेतरबी से अपनी नंगी गांड से राजू का चेहरा रौंदना शुरू कर दिया। राजू की सांसें फूल रही थी लेकिन वो भी रिशा की हर चुनौती का भरपूर जवाब देना चाहता था। रिशा ने आगे झुक कर उसके कड़क लंड को दोनों मुट्ठियों में जकड़ लिया और सुपाड़े को बेचैनी के साथ चुसने लगी। राजू की आहे उसकी जाँघों के बीच ही गूँज कर रह गई। "हुह्म्म!!म्म्ह्ह!!!म्म्प्प्ह्ह!!!आह्म्म्ह्ह!!!एसएलआरआरआर!!!म्म्प्प्ह्ह!!!"

रिशा ने थोड़ी देर चुसाई के बाद राजू के लिंग को शांत कर लिया और सुपाड़े को जोर जोर से चूमते हुए लिंग पर दबाव बड़ा दिया। राजू उसकी इस हरकत से तमतम गया और लंड की अकडन बढ़ने से उसके लिंग में बहते खून का दबाव भी महसूस होने लगा। इस से उसकी उत्तेजना और तेज हो गई। वो और जोश में रिशा की गांड पर टूट पड़ा और जीभ की ठोकरों के साथ उसकी गांड के मुलायम मांस को नोच ने भी लगा। रिशा भी उसकी इस हरकत में उसका साथ देने लगी और गांड को हल्का हल्का उछाल कर जिभ की ठोकरो का मजा लेने लगी। " आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ!! तेज़!!!और तेज़!!हां रज्ज!!!कत्ल हो गया आज तो मेरा!!!!!!!!मामाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ. यू चीखते हुए रिशा झड़ने लगी। उसका सारा रस राजू के मुखड़े पर और उसके मुँह में टपक रहा था। राजू भी जोश में सारा पानी पी गया। इधर रिशा जब तक अपनी सांस थामती तब तक राजू की जीभ वापस हरकत में आ गई।


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चुकी स्खलन के बाद रिशा हिल नही पा रही थी, राजू को पूरा समय मिला रिशा की गांड के मजे लेने का। उसने जीभ की ठोकरों से गांड के छेद को काफी ढीला कर दिया था। अब जरा सी ताकत से जीभ ज्यादा अंदर तक घुसती जा रही थी। उसने जीभ को रिशा की गांड के अंदर डाल कर लपलपाया, अचानक हुए हमले से कराह उठी। आह!!... आह!!.. हाऐई!!!.. मर गईई!!!.... ऊओमाआ!!! आआह!! आह!!! आह!!! स्स्स्स!!! आई!!! और तेज़ रा...जू!! और तेज़!!! आह!! आह! आह!!" उसने बेचैनी में राजू के लिंग को और कस कर दबोचा। राजू ने भी और जोश में जवाब दिया। काफी देर तक लंड फंसने के कारण बुरी तरह से फड़फड़ा रहा था। रिशा की नज़रें वासना से उभरे हुए सुपाड़े को देख रही थी। उससे और नहीं सहा जा रहा था. उसने गरम कड़क लोहे से जैसे ही अपना हाथ हटाया, खून की नई लहर मानो उसमें दौड़ पड़ी हो। किसी काले नाग की तरह लिंग फुफकार उठा। उसे बिल में जाना ही था. रिशा ने एक आखिरी लचक के साथ गांड उठाई तो राजू की जीभ 'पुक्क' की आवाज के साथ बाहर आ गई. वो समझ गया कि अब असली खेल शुरू होने वाला है। रिशा ने भी बिना देर किये पोजीशन बदली औरा अब वो राजू का सामना करते हुए उसके लंड के ऊपर खड़ी थी। वो बेशरम होकर चूत में उंगली किए जा रही थी और दूसरे हाथ से अपने स्तनों का मांस नोच रही थी।

वो उकडू होकर बैठी और राजू के सुपाड़े पर चूत टीका कर, अपनी गांड लहराने लगी जिससे सुपाड़ा चूत के मुहाने से होता हुआ गांड के छेद पर घिसने लगा। रिशा किसी रांड की जैसी लग रही थी. राजू का पूरा बदन पसीना पसीना था। उसकी नज़रें अपने सुपाड़े पर टिकी हुई थी। वो जानना चाहता था कि लिंग पहले किसका स्वाद चखेगा। रगड़ के कारण उसका लंड अचानक तेजी से फनफनाया और सुपाड़ा गांड के मुंह में जा कर टिक गया। रिशा जालिम अंदाज़ में मुस्कुरायी, "गुड चॉइस देवरजी" और एक झटके में लिंग पर बैठ गई। गरम लोहा रिशा की गांड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर दाखिल हो गया। रिशा की चीख़ गई और पूरा बदन टूटने लगा। "आह!!! आह!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! उउउइइइ माँ!!!!!!!!!!!!.

उसकी सांसें उखड़ने लगी. उसने नितंबों को कस कर जकडा तो राजू की आह निकल गई। लंड पर कसाव बढ़ने से उसका भी मजा दोगुना हो रहा था। गांड का कसाव मानो उसके लिंग को मसलने की कोशिश कर रहा हो। रिशा भी उसके एक एक इंच को अपने अंदर जाते महसूस कर रही थी। अब उसकी गांड पूरी तरह मुलायम हो चली थी। यूँ ही आराम से थोड़ी देर और चलता रहा। राजू का भी हाल बेहाल था. छेद बहुत टाइट था. उससे दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा था। पर हिलने की हिम्मत उसकी भी नई हो रही थी। रिशा ने अपनी गांड कस कर जकड़ ली थी। राजू का लिंग गरम पत्थर के सामान महसूस हो रहा था। "ओह राजू, जी करता हैं तुम्हारा सारा रस निचोड़ लूं" कह कर रिशा हल्के हल्के शॉट लगाने लगी। अब दोनों को गांड का मजा वापस आने लगा। एक तरफ राजू की तेज सांसें थीं तो दूसरी तरफ रिशा की सिस्कारियां। थोड़ी ही देर में सिस्कारियां आहों में बदल गईं और राजू भी आहे लेने लगा.. शॉट्स अभी भी धीरे ही सही लेकिन लंबे पढ़ रहे थे। रिशा इस पल का पूरा मजा लेना चाहती थी। गांड का कसाव मानो राजू के लिंग को मसलने की कोशिश कर रहा हो।


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यूँ ही आराम से थोड़ी देर और चलता रहा। अब रिशा भी लंबे शॉट्स ले रही थी। रिशा की चूत भी फिर से बहने लगी थी। उसने दो अंगलिया थूक में गिली करके अपनी चूत में जड़ दी और बोली... "बस मेरे भोले सैयां....अब सब्र नहीं होता....अब देखो भाभी कैसे देती है अपनी ही गांड!!!" राजू का इतना सुनना था कि रिशा ने शॉट्स तेज कर दिए। लम्बे शॉट्स वो पहले से ही लगा रही थी। राजू ने भी तेज हमलो का दिल खोल कर स्वागत किया और करहाते हुए मजे लेने लगा। अब दोनों मस्ती में झूम रहे थे। राजू ने रिशा का साथ देना शुरू किया। उसने अंगडाई लेते हुए कमर उछालनी शुरू कर दी। रिशा उसकी ताक़त की इस अजमाइश से ख़ुश हो गई और अपने हवस में उसे बडावा देने लगी। "चोदो मेरे रज्जजा!!!! चोद लो अपनी भाभी की गांड। आज फैला ही डालना इसे!!!! शाबाश मेरे शेर!!!!!!, और जोर से रज्जजा!!!!!!!!! और तेज!!! और तेज!!!.. जान ले लो मेरीIII!!!!...आह!!! आह!!! आआह!!! आआह्ह्ह्ह!!! हाआइIII!!!! इस्स्स्स्स!!!!!! आआआहहहहहहहहहहह!!!!!!

राजू भी पगलाया सा दनादन शॉट लगाने लगा. लंड बड़ी तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था.... रिशा भी अपनी चूत रगड़ते हुए मरवाने के मजे ले रही थी। तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। रिशा का पूरा बदन ऐंठ गया और गांड भी कस गई। "आआआआहहह!!!सस्सशशशश!!!!!!" राजू के जबड़े भींच गए इस तेज दबाव से पर उसने हार ना मानी। उसने और दुगनी ताकत से गांड पेलना शुरू कर दिया। रिशा की चीखो की कोई सीमा ना रही। उसने राजू के गर्दन को यू थाम लिया जैसे उसकी जान उसपे टिकी हो, और काफी देर तक झड़ती रही। राजू अपनी वासना के नशे में रिशा की चीखो पर ध्यान दिए बिना शॉट पे शॉट पेलता रहा। दोनों पसीन में तर हो चुके थे। आपस में टकराते जिस्म की ताल बदल गई थी। रिशा गर्दन को जकड़े हुए थी जिस से राजू की अब सांस फूलने लगी थी। रिशा की चीखें भी कब कराहो में तबदील हुई पता ही नहीं चला। और अब वो बस सिस्कारियां ले रही थी.. राजू भी बस चरम पे बहुत ही चुका था।

रिशा अब अपने स्तनों को हथेलियों में भर कर झंझोर रही थी। निपल्स को छेड़ रही थी. उन्हें दबोच रही थी. राजू देखता रह गया और उसका लिंग और मजबूत हो गया। उसने रिशा की गांड वापस पेलनी शुरू की। रिशा मीठे दर्द से चीख उठी. रिशा ने भी शरारती तरीके से कमर लहराते हुए उसकी मदद की। वो पूरी नंगी, शाम की हल्की रोशनी में दमकते मादक देह वाली वेश्या लग रही थी। "आआअहह!!!!!! ऊहहह!!! राआज्जज्ज!!!" और चुदाई का खेल वापस शुरू हो गया। रिशा झुक कर उससे लिपट गई। दोनों बुरी तरह से एक दूसरे से चिपके हुए थे। रिशा के मुलायम स्तन राजू की मजबूत छाती से रगड़ खा रहे थी। उसके निपल्स कड़क हो कर छाती में चुब रहे थे। राजू को मजा आ रहा था. रिशा भी निपल्स की कड़क घर्षण से मस्ती में आती जा रही थी। उसने दोनो टांगे राजू की कमर के बगल में सेट कर लंड पर कूदना शुरू किया और उसके हर धक्के का जवाब देने लगी। राजू भी उसके हर शॉट पे अपने लंड से जवाब देता। शॉट तगडे पड रहे थे. रिशा ज्यादा देर टिक नै पाई और झड़ने लगी। उसकी चूत का रस लंड को भीगोता जा रहा था और राजू गांड के नये कसाव से झूम उठा। वो रिशा के होठों को काटते हुए गांड में दनादन शॉट पेलने लगा। रिशा किसी गुड़िया की तरह झूल रही थी। उसने अपनी बाहें राजू के गले में डाल राखी थी और उसको अपना स्तनपान करवा रही थी। राजू मस्ती में उसके स्तन चुस और काट रहा था।

रिशा ने फिर पानी छोड़ना शुरू कर दिया। उसका रस बहता हुआ राजू की जाँघों को गीला करने लगा। कमरे में फिर से सेक्स का मादक संगीत गूंज रहा था। अब रिशा की चूत किसी झरने की तरह बह रही थी। कुछ देर ऐसे ही वासना का नंगा नाच चलता रहा। राजू रुकने का नाम ना ले रहा था. और रिशा भी हार ना मान रही थी. दोनों ही पसीने में लथपथ हो चुके थे और कमरे में दो मांसल देहो के टकराने की थपाथप आवाज गूंज रही थी। राजू अब भी नहीं थक रहा था. दोनों एक दूसरे की बदन से रिस्ते पसीने और खुशबू में लिपटे हुए थे। रिशा के चिकने गीले नितांब उसकी जांघों पर थप थप की आवाज करके टकराते। अब तक रिशा के झड़ने की गिनती नही बची थी। वो सारी शाम और रात ऐसे ही वासना के सागर में डूबे रहना चाहती थी। "आआहह!!!...हायईई...जाआलिम्म...मार ही डाला आज मुझे..!!!"। आज मुझे पता चला की सरिता दीदी उस दिन तुझसे गांड मरवाने के बाद लड़खड़ा के क्यों चल रही थी! बहुत जालिम हथियार है रे तेरा. अंदर तक चोट करता है ये सुन राजू मुस्कुरा उठा!


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एक आखिरी शॉट के साथ रिशा लंड पे पूरा बैठ गई। लंड जड़ तक गांड में घुसा हुआ फड़फड़ा रहा था। रिशा पीठ के बाल राजू के ऊपर लेट गई और अपना सारा भार उसके कंधे पे टीका लिया।

गांड में फंसे गरम लोहे ने रिशा का बुरा हाल कर दिया था। वो तेज़ सिस्कारियाँ ले रही थी और अपने होठों को भी चबा रही थी। "स्स्स!!!!! आअहह!!! ऊऊहह!!! और करो ना देवरजी! आह!! ओह!! बहुत मजा आ रहा है हाआइइइइ! हां...ऊहह मां!!! मैं पागल हो जाऊंगी देवरजी!!! उम्म्ह!! म्म्म्ह्ह्ह्फ्फ्म्म!!!!!" रिशा हर शॉट पर कराह रही थी... "आह!! आह!! आह! आह! आह!! म्म्ह!! म्म्ह!! ओह्ह!! आआह!!!एसएसएस!!! हाऐइ!! हां!!! हैई!!! ओह्ह!! ओह्ह राजू!!" राजू उसकी आहों से और जोश में शॉट लगाने लगा। जिस्म फिर से तबाही मचाने लगे। कमरे में फिर आहों और जिस्मो के टकराने की आवाज गूंजने लगी। राजू बस झड़ने ही वाला था. रिशा को महसूस हुआ कि उसके लिंग की अकडन बढ़ गई है, तो वो झट से हरकत में आ गई। लंड गांड से बाहर निकल आया, और रिशा ने अपने रसीले होठों की कैद में कर लिया। वो पूरी तन्मयता से लिंग का रसस्वादन कर रही थी। जल्दी ही राजू अपने चरम पर पहुंच गया, और रिशा के मुंह में गरम खुलते वीर्य की नदी वापस आ गई। रिशा ने भी वीर्य की एक बूँद बर्बाद की और घूँट भर-भर कर वीर्य पीने लगी। रिशा ने कोई चूक नहीं की और बिना बर्बाद किए सारा वीर्य पीती चली गई। वो प्यार भरे अंदाज़ में लंड चूस रही थी जैसे कतरा कतरा वीर्य निचोड़ लेगी!

राजू के पैरो में कम्पन होना शुरू हो गया तब जा कर उसने उसे छोड़ा। रिशा फिर उसके लिंग पर रस भर चुम्बन करती हुई, उसकी नाभि से हो सीने पे गई। फिर राजू को एक अलसाये अंदाज़ में चुम्बन दिया। राजू भी हल्के हल्के चूमने लगा. रिशा ने उसके हाथों की पट्टीयाँ खोल दी और लाल पड़ चुकी हथेलियों को चूमते हुए सहलाने लगी। उसकी आखें राजू की हथेलियां की खरोंचों पे पड़ी तो आंसुओं से दबदबा उठी। राजू ने उसका चेहरा अपनी हथेलियों में भर लिया और होठों को चूमते हुए उसके आंसू पोंछने लगा। रिशा मुस्कुरा दी और उसके सीने पर सर रख कर शांत पड़ गई ! थकान के कारण दोनों नग्न जिस्म एक दूसरे की गरमाहट में समा गए।


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"रात हो गई है, उमा आती ही होगी। शायद ये हमारी आखिरी रात हो साथ में", रिशा बोली। राजू ने उसे कस कर आगोश में भर लिया और कहा, "नहीं"
Bahut hi mast 👌🏼
 
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