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Adultery भुज गई प्यास-2

komaalrani

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Update-2
शर्ट तो राजू ने पहले ही निकल रखी थी। उसकी चौड़ी छाती पर हाथ फिराते हुए सरिता उठेजाना भर स्वर में बोली..."क्यू राजू आज सुबह सुबह तूने अपना औज़ार खड़ा कर रखा है. पता है इसमें कितना जोखिम है..ऐसा बोल सरिता एक हाथ उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी और दूसरा हाथ नीचे लेजा उसका लंड पकड़ लिया.

राजू.."क्या करु मालिकिन। आपसे दूर अब नहीं जाता। ऐसा बोल उसने पीछे से सरिता की गांड को पकड़ लिया और उसके होठों को फिर से चूसने लगा। अगले कुछ पली में ही उसने सरिता को नंगे कर दिया और उसकी चुची को दबा कर चूसने लगा…

अब आगे..
वैसे तो राजू ने सरिता को पहले भी नंगा देखा था लेकिन उन दोनों की ज्यादातर चुदाई रात को ही होती थी। आज दिन के उजाले में सरिता का नंगा बदन देख राजू एक दम पागल हो गया था। 36 की बड़ी बड़ी सुडोल चुचिया और उसके ऊपर भूरे रंग के तने हुए निपल ... नीचे बल खाती कमर और फिर 38 इंच की चौड़ी गांड..


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सरोज का ऐसा कामुक रूप देख राजू पागल हो गया। हमसे झट से सरिता को पीठ के बल बिस्तर पर लिटाया और उसकी चिपचिपी बुर पर अपने होंठ रख दिए.

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अपनी लंबी जीभ से वो सरिता के छत्ते से बहता हुआ शहद चाटने लगा...सरिता अपनी आंखें बंद किए हुए राजू का सिर पकड़ कर अपनी चूत दबा रही थी और उसके मुंह से उन्माद भारी सिस्कारिया निकल रही थी...

सरिता.."चाट राजू चाट। अपनी मालकिन की चूत का सारा रस पी ले आज..उफ्फ्फ राजू …जितनी अंदर तक तेरी जीभ जा रही है वहां तक तो तेरे सेठ जी का लंड भी नहीं जाता। तू तो किसी भी औरत को अपनी जीभ से ही ठंडा कर सकता है . काश !तेरे लालाजी का लंड भी तेरे जैसा होता”

राजू.."अरे मालिकिन..अगर लालाजी का लंड भी मेरा जैसा होता तो आज आप लाला के नीचे होती और न कि मेरे नीचे...फिर मैं आपकी इस रसीली चूत को कैसे चोद पाता”


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सरिता..”हाय राजू इतनी मीठी बातें करना तू कहां से सिखा रे..वैसे क्या तुझे मेरी चूत सच में इतनी पसंद है?”

राजू.. "आपकी चूत तो मैं सारा दिन चाट सकता हूँ"

सरिता..”सुन राजू सिर्फ चूत चाटने से काम नहीं चलेगा मुझे तेरा लंड चाहिए अपनी चूत में... बोल राजू...अपनी मालिकिन को रोज़ ऐसे ही चोदेगा ना?

राजू..हां मालिकिन आप जब कहोगी तभी आपको नंगा करके अपने लौड़े पर बिठा लूँगा और ख़ूब चोदूंगा”

सरिता..” चल अब देर ना कर और घुसा दे अपना लौड़ा मेरी चूत में

राजू..."इतनी भी जल्दी क्या मालिकिन। पहले आप भी तो एक बार मेरा लौड़ा चूस कर इसको अपनी चूत के लिए तैयार करो...बेचारा कब से अप्पके सुर्ख होठों को स्पर्श पाने को तरस रहा है.. इतना बोल राजू ने अपना लौड़ा सरिता के मुँह के पास कर दिया. राजू का लौड़ा पूरा तन गया था।


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सरिता ने हाथ बढ़ाया और राजू का लौड़ा पकड़ लिया। गरम गरम लौड़ा पकड़ उसे लगा जैसा कोई गरम लोहे की छड़ पकड़ ली हो. उसकी आँखों में देखते हुए उसने लंड की चमड़ी को पीछे सरकया और टोपा बाहर निकाल दिया फिर ज्यादा देर ना करते हुए टोपे पर अपनी जीभ चला दी. राजू की सिस्की निकल गयी. गाँव की बहुत से औरतों ने राजू का लौड़ा पहले भी चूसा था लेकिन सरिता की बात ही कुछ और थी. वो पूरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसती थी और लंड के नीचे लटक रहे टट्टे भी साथ में चाटती थी.

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राजू बिस्तर पर बैठ गया और सरिता उसकी टांगो के बीच बैठ कर पूरा लौड़ा मुँह में घुसा कर चूसने लगी. इस बीच राजू उसके बालों से खेल रहा था और अपनी कमर उठा कर उसके गले तक लंड पेल रहा था। सरिता के मुंह से गों गों की आवाज आ रही थी. रिशा ज्यादा देर वहां और ना रुक सकी और अपने कमरे में अपने सारे कपड़े उतर नंगी हो गई और चूत को मसलने लगी.. अपनी सास का ऐसा रंडीपना देख उसको विश्वास नहीं हो रहा था. किचन में जा वो एक मोटा सा खीरा उठा लाई और उसको अपनी चूत में पेल दिया। पांच सात मिनट में उसका पानी निकल गया। जब थोड़ा शांत हुई तो सोचने लगी कि वो राजू को अब कैसे उसके बिस्तर तक लाया जाए.

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उधर राजू सरिता का सर पकड़ कर धक्के लगा कर सरिता के मुँह में लंड पेल रहा था. जब उसे लगा कि अब वो और ज्यादा देर सरिता की चुसाई के आगे टिक नहीं पाएगा तो उसने सरिता के मुंह से लौड़ा बाहर निकाल दिया और सरिता को उठाकर बिस्तर पर पटक दिया. सरिता की टांगो को पकड़ उसने अपने कंधों पर रखा और चूत के मुहाने पे लौड़ा रख जोर का धक्का मार दिया.. सरसराता हुआ लौड़ा चूत के अंदर घुस गया और सीधा बच्चेदानी पे ठोकर मार दी. सरिता के मुँह से आह निकल गई.

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सरिता.. “जरा आराम से राजू...तेरा लौड़ा कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा है”

राजू..मालिकिन आपको भी तो लंबा और मोटा ही पसंद है ना?


सरिता.."हां राजू पसंद तो है लेकिन तेरा ये लौड़ा मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा और फिर तेरे लालाजी को पता चल जाएगा तो मुसीबत हो जाएगी!
राजू..लालाजी तो अब बुड्ढे हो गए हैं। आप अभी जवान हो और कोई तगड़ा मर्द ही आपकी प्यास बुझा सकता है। इसलिए तड़पने से बेहतर है मेरा साथ दो और चुदाई का मजा लो. सरिता की चूत काफी पानी छोड़ रही थी और राजू का लौड़ा गपा गप चूत की धुनाई कर रहा था


कुछ समय बाद सरिता ने राजू को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके लंड पर बैठ कर चुदवाने लगी चूत पर बजते हुए हर धक्के के साथ सरिता के गले में लटका मंगलसूत्र उसकी चुचियों के बीच झूल रहा था और इन अद्भुत क्षणों का गवाह बन रहा था.

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इसी बीच सरिता एक बार छूट चुकी थी लेकिन राजू के धक्के अभी भी जारी थे.

दोनों की कमर लय में एक दूसरे के साथ थिरकती जा रही थी और मुंह से काम वासना की आहें निकल रही थी।

सरिता ने अपनी बाहों को के राजू गले में डाल कर सहारा लिया और खुद को संतुलित किया।

राजू ने सरिता के होंठों को अपने कब्जे में लेकर उन्हें चूसना शुरू कर दिया।
नीचे उसका औजार सरिता की मुनिया की खुदाई करता जा रहा था। आज राजू का लिंग अलग ही तरह का तनाव और आकार लिए हुए था। उसका सुपारा टमाटर जैसा फूला हुआ था और उस नसें खुरदरापन लिए फूली हुई थी जिसकी वजह से योनि में रगड़ बढ़ गई थी.
उनका सुपारा जब बच्चेदानी पर ठोकर मारता तो सरिता को मीठा मीठा दर्द होता।


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सरिता की योनि तो अब झरना बन चुकी थी जिससे लगातार योनि रस बहता जा रहा था.

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राजू के लिंग की रगड़ और धक्के की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि ज्यादा समय तक सरिता इस आनन्द को झेल नहीं पाई और सरिता की योनि से फव्वारा फूट पड़ा।

झड़ने के बाद सरिता की योनि ढीली पड़ गई लेकिन राजू अभी भी धक्के लगाते जा रहा था. राजू ने एक बार फिर से सरिता को बिस्तर पर लिटा दिया और चुदाई चालू कर दी!

सरिता ने अपनी दोनों टांगे कैंची की तरह राजू की कमर पर लपेट ली और फिर खुद को उसके हवाले कर दिया।

राजू ने सरिता के नितम्बों पर हाथ लगाया और उनके सहारे सरिता को उठा उठा कर धक्के लगाने लगा


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उसके हर धक्के से सरिता के बदन में कम्पन पैदा हो जाती

और उसके कंगन और पायल आवाज करने लगते।

सरिता की आंखें आनन्द के मारे बंद हो गई थी और मुंह से जोर जोर की आवाजें आ रही थी।

करीब दस मिनट और चोदने और दो बार सरिता को स्खलित करने के बाद राजू की जवानी अपने चरम पर पहुंच गई और उसने सरिता की चूत को अपने वीर्य से सराबोर कर दिया।

वो किसी जोंक की तरह सरिता से चिपक गया और अपने लिंग का एक एक हिस्सा योनि की गहराई में उतार दिया।

सरिता की योनि उनके लिंग का गर्मागर्म वीर्य पाकर सिकुड़ गई.

जब उसने अपना लिंग बाहर निकाल लिया तो उसका वीर्य सरिता के कामरस के साथ मिक्स होकर चूत के दरवाजे से बहने लगा.
सरिता ने पहले उंगली से वीर्य को उठाया और मजे से चाट गई, फिर टिशू पेपर से खुद को साफ किया।

सरिता अब तक दो बार झड़ी थी इसीलिए उसकी भी सांसें राजू की तरह ही तेज हो गई थी।
वह बेड पे लेट गई और खुद को संभालने लगी।

10 मिनट बाद जब सरिता का जिस्म जरा संभल गया तो वो राजू की तरफ मुंह कर उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी.

सरिता..”गधा जैसा लंड है तेरा और घोड़ा जैसी ताकत. मुझ जैसी औरत की तू जान निकल देता है। कोई नई बयाही या कुंवारी लड़की तो तेरा लंड झेल नहीं पाएगी”


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इतना बोल सरिता ने हाथ नीचे कर राजू का लौड़ा पकड़ लिया। हाथ लगते ही राजू का लंड फिर से कुनमुनाने लगा।

सरिता...”हे भगवान. ये तो फिर से तन गया. नहीं राजू मैं अब और नहीं झेल पाऊंगी..वैसे भी रिशा कभी भी वापस आ सकती है”

राजू..अभी तो भाभी को वापस आने में काफी वक्त है और फिर आपने आज अपनी गांड देने का वादा किया था. आप जल्दी से बिस्तर पर घोड़ी बन जाओ..

जाब राजू ने सरिता को घोड़ी बनाने को कहा तो सरिता भी समझ गई कि आज राजू गांड का उद्घाटन कर के ही मानेगा. वक्त बर्बाद ना करते हुए वो जल्दी से बिस्तर पर घुटने रख के झुक गई.


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घोड़ी बनी सरिता की उभरी हुई गांड देख राजू के मुँह में पानी आ गया . राजू ने सरिता के बाल पकड़ कर उनको पोनीटेल की तरह से बांध दिया और फिर उसकी गांड पर दो तीन बार जोर से चपत लगाई।
सरिता मदहोशी में इस दर्द का मजा लेने लगी।

राजू ने अपने हाथ सरिता की गांड पर फेरने शुरू कर दिए और फिर गांड की दरार में अपनी उंगलियां घुमाने लगा. राजू का सरिता की गांड में उंगली करना उसको बहुत उत्तेजित कर रहा था।

राजू की उंगली सरिता की गांड में हलचल मचाने लगी, और वो धीरे धीरे अपनी गांड को अंदर की तरफ भींचने लगी।

अचानक वो हुआ जिसकी उसको जरा भी उम्मीद नहीं थी।

राजू की उंगली गांड में घुसने लगी तो सरिता चीखी- आआह … मादरचोद ये क्या कर रहा है, दर्द होता है मुझे, मेरी गांड में उंगली मत कर राजा..

लेकिन राजू ने सरिता की एक नहीं सुनी और अपनी बीच की पूरी उंगली गांड में घुसा दी।

सरिता दर्द और जलन से सिसकी लेने लगी- , राजू प्लीज निकाल लो इसे, बहुत दर्द हो रहा है! प्लीज मान जा, मैं ये नहीं कर पाऊंगी।
राजू- “डरो मत मालिकिन मैं इतनी आराम से करूंगा की दर्द नहीं बल्कि मजा आयेगा”।

सरिता जानती थी कि आज राजू उसकी गांड मारे बिना नहीं मानेगा

सरिता...राजू मुझे पता है तेरी नज़र अब मेरी गांड पर है..लेकिन मेरी गांड मारने से पहले अपना लौड़ा तेल से अच्छे से चिकना कर ले और थोड़ा तेल मेरी गांड में भी उड़ेल दे ताकि तेरा लौड़ा लेने में ज्यादा दर्द न हो

राजू ने पास रखी तेल की शीशी से कुछ तेल सरिता की गांड में उड़ेल दिया और थोड़ा सा तेल अपने लंड पे मल लिया. फिर उसने अपना लंड सरिता की गांड के छेद पर टिका दिया अपना लन सरिता की कुंवारी गांड में डालने लगा पहले धक्के में तो लौड़ा फिसल गया लेकिन राजू ने फिर से लौड़ा गांड के छेद पर सेट किया और अबकी बार गांड के छल्ले को पार करने में सफल हो गया.
सरिता के चेहरे पर दर्द के भाव थे।
वो होंठों को भींचे किसी तरह अपनी सिसकी रोक कर लेटी थी।



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राजू ने एक हाथ से उसकी चोटी पकड़ी और फिर धीरे धीरे उसकी पीठ पर किस करने लगा और जितना लौड़ा अंदर घुसा था उसको ही अंदर बाहर करने लगा. सरिता का थोड़ा दर्द कम हुआ तो वो भी अपनी गांड को पीछे ढकेल लंड का स्वाद लेने लगी

राजू ने अचानक से एक धक्का लगाया और आधा लिंग सरिता की गांड में जा घुसा- हाय दईया … मर गई मैं!



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सरिता के मुंह से यही आह निकली तो राजू ने फिर से एक धक्का लगाया.
इस बार सरिता दर्द से चीख उठी और इसी के साथ राजू का पूरा लंड गांड में घुस गया।

सरिता की आंखें दर्द के मारे भर आई और होंठ कांपने लगे।
उसके मुंह से एक घुटी हुई आह निकली- हाय माँ. राजू बहुत दर्द हो रहा है।

लेकिन मर्द अपनी हवस मिटाने के लिए औरत को हमेशा दर्द देता आया है।

राजू पर सरिता की सिसकी का कोई असर नहीं पड़ा।

सरिता की गांड अंदर की तरफ सिकुड़ गई और राजू के लंड को पूरी ताकत से भींच लिया।
सरिता को ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मोटा गर्म लोहे का रॉड उसकी गांड में घुसा हुआ हो।

राजू को सरिता की गांड की कसावट की वजह से धक्के लगाने में दिक्कत पेश आ रही थी- मालिकिन अपनी गांड को ढीला करो वरना धक्के कैसे लगाऊंगा।
सरिता सुबकती हुई बोली- राजू मुझसे नहीं हो पाएगा..प्लीज इसको निकाल ले और जितना चाहे मेरी चूत मार ले

राजू- ठीक है मालिकिन निकाल लूंगा लेकिन इसे ढीला करो तभी तो निकलेगा।

राजू की बात सुनकर सरिता ने गांड को ढीला छोड़ दिया।

राजू ने अपना लंड बाहर खींचना शुरू किया और जैसे ही सुपारा गांड के छल्ले के पास पहुंचा, उसने पूरे जोर से सरिता की गांड में अपना लंड दोबारा उतार दिया।


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सरिता के मुंह से दर्द भरी चीख निकल पड़ी और उसने बिस्तर पर पड़े तकिये से अपनी चीख दबाने की नाकाम कोशिश की

थोड़ी देर बाद जब सरिता का दर्द कम हुआ तो वो मस्ती से करहाने लगी

सरिता.."राजू ..पहली बार मैंने अपनी कुंवारी चूत अपने पति को दी थी और आज अपनी कुंवारी गांड मैंने तेरे को दे दी है..एक तरह से अब तू भी मेरा पति है। मेरे अपने पति से ज्यादा अब ये चूत और गांड पर तेरा हक है”

इधर राजू धीरे धीरे कर के सरिता गांड को चोदने लगा और अपना एक अंगूठा उसके मुंह में और अपनी उंगली से उसकी योनि को सहलाने लगे।
राजू का हर धक्का अब सरिता के जिस्म में दर्द के साथ साथ मजे की लहर भी उत्पन्न करने लगा।

उसकी गांड को पहली बार लंड का स्वाद मिला था।

सरिता को दर्द और मजा दोनों का मिला-जुला एहसास हो रहा था.

सरिता के नये हरजाई खसम राजू ने सरिता की गांड पर अपने मोटे लौड़े से जो मेहनत की थी,उसी का नतीजा था कि सरिता मस्ती के सागर में गोते खा रही थी

सरिता की जुबान मुँह से बाहर आ गई और कंठ से दबी हुई आवाज निकल गई ‘उओह्ह्ह उह्ह साले हरामी आह फाड़ दे साले आह राजू मेरी जान क्या पेला है तूने आह.’

राजू मजे से एक शॉट और मारता हुआ बोला- अभी सही बोल रही है कुतिया आह ले बहन की लवड़ी, लंड का मजा ले!


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राजू के मुँह से ये भद्दी गलियाँ भी आज सरिता को अच्छी लग रही थी

‘आह सच में राजू तेरे इन झटकों में जन्नत नज़र आ गई … आह ले चलो अपनी इस घोड़ी को चाँद पर आह.’

राजू सरिता की चुची मसलता हुआ धीमे धीमे चोदने लगा.

सरिता ने उसे गुस्सा दिलाने के लिए बोला- “क्या हुआ मादरचोद… कहीं थक तो नहीं गया?”


राजू ..”हम थकते नहीं रानी … थका देते हैं. आज दिन भर तुझे घोड़ी बनाकर तेरी गांड का भोसड़ा बना दूंगा साली रंडी! “

इतना कह कर उसने दो चार तेज झटके मार दिए.
उन झटकों से सरिता की दर्द और आनन्द भरी मीठी आवाजें निकलने लगीं ‘वाआह्हह आह हाय हुउई उम्ममा … आई.’

सरिता की अंगड़ाइयां और खुला मुँह राजू को और उत्तेजित किए जा रहे थे, ये उसके झटकों की तेजी में साफ नजर आ रहा था. पूरा कमरा धक धक पक पक की आवाज से गूंज रहा था.

अब उसके दोनों हाथ सरिता की मुसम्मियों को पकड़ कर उसकी चुदाई में सहायक बने हुए थे.

उसके झटकों की मार से सरिता की कमर हवा में उठ उठ जा रही थी और लंड गांड की गहराई तक खोदे जा रहा था.


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करीब आधा घंटा तक राजू ने सरिता को खूब ठोका.

राजू के इस आधा घंटा के हड्डी तोड़ गांड फाड़ अभियान ने सरिता को स्वर्ग में पहुंचा दिया था. वो समझ गई थी सिर्फ उसकी जवानी सही मर्द के हाथ में है.

राजू अब अपना रस छोड़ने वाला लग रहा था, उसके तेज होते धक्के इस बात का सबूत थे.

कुछ ही झटकों में सरिता को एक तेज और गर्म धार मेरे पेट तक महसूस हुई. राजू ने झट से लंड सरिता की गांड से निकाला अपना और सारा माल सीधा सरिता के चेहरे और बूब्स पर टपका दिया.


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अब दिन के एक बज चुके थे और रिशा के वापस आने का समय भी हो चुका था लेकिन राजू का मन अभी नहीं भरा था उसके लंड का तनाव सरिता की बजाने के लिए वापस रेडी था.

राजू..”मालिकिन अगर मजा आया तो एक राउंड और हो जाए?”

सरिता..”राजू मजा तो बहुत आया पर अभी एक और राउंड के लिए वक्त नहीं है “

राजू.. ठीक है मालिकिन लेकिन आज रात को आपका चूत और गांड दोनों चोदूंगा


सरिता: बोल तो ऐसा रहा है जैसे मेरे मना करने पे तू मान जाएगा ..रात को आ जाना कमरे में..मेरी चूत और गांड तेरे लंड के लिए त्यार मिलेगी इतना बोल दोनों ने अपने कपड़े पहने और सरिता हल्का सा लड़खड़ाती हुई राजू के कमरे से निकल गई
जिस तरह से आप पात्रों के तन की मन की बात करती है और उसके साथ पिक्स का तड़का लेकिन सबसे ख़ास बात है कहानी की स्पीड, शब्द चयन और कम शब्दों में बात कहने की कला

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arushi_dayal

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औंधी लेटी बिस्तर पर रिशा कोई देख रही किताब

कितना चोदा है कल से राजू ने कोई नहीं हिसाब

जब से उसने मारी है अपने मूसल लंड की ठोकर

तन और मन तब से हो गई मैं बस उसकी होकर

कितने जोशसे मसले और चूसे है मेरी नरम ये चूची

मेरी चौड़ी गांड चोदने में भी कितनी है उसकी रुचि


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कितना जोश है उसका अंदर लंड है कितना प्यारा

नंगी होकर लेट जाऊ नीचे वो जब भी करे इशारा

जब भी सोचु उसके बारे में मेरी चूत लगती है बहने

ऐसा मर्द चाहिए औरत को क्या करने कपड़े गहने

लंड पर बिठा जो औरत की तसल्ली से करे ठुकाई

चोद चोद के भोसड़ा करदे और चटवाये खूब मलाई

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Premkumar65

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मेरी पिछली कहानी भुज गई प्यास में अपने पढ़ा की कैसे एक सास औ बहू ने घर में रह रहे नौकर को चालाकी से अपने जाल में फंसाया और फिर कैसे उसे सेक्स के लिए मजबूर किया। अपने पाठकों के सुझाव पर मैंने इस कहानी का दूसरा भाग लिखने की कोशिश की है...उम्मीद है आपको पसंद आएगी..
भुज गई प्यास -2


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इस तरह घर में जो चुदाई का खेल शुरू हुआ था वो अगले कुछ दिन यूं ही चलता रहा लेकिन खिलाड़ी सिर्फ दो ही थे...सरिता और राजू। रिशा चाह कर भी इस खेल में शामिल नहीं हो पा रही थी। एक तो सरिता ने पहला ही बोल दिया था कि हमारे इस राज़ का राजू को पता ना चले और दूसरा सरिता राजू को छोड़ ही नहीं रही थी. अब तो सरिता रोज रात को सोने से पहले लालाजी के दूध के गिलास में नींद की गोली मिला देती और जब लाला बिस्तर पर खर्राटे मार रहा होता है तो सरिता वही बिस्तर पर राजू से अपना चूत की आग ठंडी करवाती।


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रिशा ने कई बार दरवाजे की ओट से उन दोनों को बिस्तर पर एक दूसरे से संभोग करते देखा था। वापीस कमरे में आ वो अपनी चूत को अपने हाथों से शांत करने की कोशिश करती थी लेकिन लंड की भूख उंगली से कहां शांत होने वाली थी.

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रिशा ने जाने अंजाने उसे वो दे दिया था जिसकी कल्पना सरिता ने कभी नहीं की थी !लाला की कमज़ोरी के कारण उसने एक दो बार बाहर मुँह मारने का सोचा भी था लेकिन डर के मारे वो ऐसा कुछ कर नहीं पाई। जो भी ऐशो आराम पैसा इज्जत उसे यहां मिल रही थी वो सब एक नए लंड के कारण खतरे में नहीं पड़ सकती थी और सरिता वो जोखिम कभी भी लेना नहीं चाहती थी. अब राजू का लंड मिल जाने के बाद उसे चुदाई का भरपुर सुख मिल रहा था . राजू जैसा जोशीला और जवान मर्द एक तगड़े लंड का मालिक था और अपने मालिकिन की जम कर चुदाई कर रहा था और सब से बड़ी बात यह है कि घर की बात घर में ही रह गई थी। किसी तरह का कोई खतरा नहीं !!

बस बेचारी रिशा अपनी बेवकूफी पर गुस्सा हो रही थी। क्यो उसने राजू का राज़ सरिता को बताया। अब तक रिशा सिर्फ एक बार ही राजू के लंड का स्वाद चख पाई थी..दूसरी रात तो सरिता राजू को छीन के ले गई थी और तब से अब तक सिर्फ सरिता ही राजू के लंड की स्वाद चख पाई थी. एक दो बार रिशा ने सरिता से अपनी चूत की आग राजू से चुदवा कर मिटाने की बात करी लेकिन सरिता हमेशा ये बोल के चुप करवा देती कि जवान छोरा है...कहीं कुछ बक ना दे। पहले मुझे अच्छे से उसे काबू में कर लेने दे फिर हम दोनों मिलकर ऐश करेंगे. लेकिन सरिता की ये बात रिशा को पच नहीं रही थी..यहां वो लंड के लिए तड़प रही थी और वहां सरिता अब तो जब मौका मिलता है राजू को कमरे में खींच कर ले जाती.


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एक दिन रिशा थोड़ा देर से उठ कर जब किचन की तरफ आई तो जो उसने देखा उसे पांव वहीं रुक गए। उसकी सास किचन में काम कर रही थी और राजू सरिता के पीछे खड़ा अपने लंड का दबाव सरिता की गांड पर बना कर खड़ा था और उसके दोनों हाथ आगे से ब्लाउज के अंदर घुसे हुए थे और सरिता की चुची को मसल रहे थे.


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देखने से ही पता चल रहा था कि सरिता और राजू अब इस खेल में काफी आगे निकल चुके हैं।

सरिता.. "राजू छोड़ दो मुझे !कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी"

राजू" कौन देखेगा मालिकिन..सेठ जी तो कब से दुकान पे चले गए और भाभी शायद अभी सोई पड़ी होगी"इतना बोल राजू ने सरिता को अपनी गोद में उठा लिया


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सरिता.." नहीं राजू... रिशा अभी आती ही होगी। उसने हमें ऐसे देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी और वैसे भी तूने कल रात ही तो दो बार मेरी चूत मारी है और अब सुबह सुबह तेरा लंड खड़ा हो गया है"

राजू....”क्या करु मालिकिन. आपकी चूत है ही किसी कुंवारी लौडिया जैसी। जितनी बार भी चोदता हूँ एक अलग ही मजा आता है”. इतना बोल राजू ने सरिता के ब्लाउज के हुक खोल दिया और ब्रा के ऊपर से उसकी चूची और गर्दन को चूमने लगा


राजू.... “मालिकिन आप कब से मुझे अपनी गांड देने का वादा कर रही हैं। आज तो आप इस साड़ी में कयामत ढा रही हो.. आपकी बाहर को निकली हुई गांड देख कर ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है आप कहें तो यहीं पर साड़ी उठा कर अपना लौड़ा पेल दूं गांड में”

सरिता" पागल मत बन राजू। रिशा अभी यहां आती ही होगी। तू एक काम कर। तू अपने कमरे में वापस जा। मैं रिशा को कोई बहाना कर बाहर भेजती हूं और फिर तेरे पास आती हूं। आज मार लेना मेरी गांड!


राजू" ठीक है मालिकिन मैं अभी जाता हूं लेकिन जल्दी आ जाना आप”। इतना बोल राजू वहां से निकल जाता है और तभी रिशा किचन में प्रवेश करती है।

रिशा "दीदी राजू आज दुकान पर नहीं गया क्या ?

सरिता.." नहीं उसकी तबीयत कुछ ठीक नहीं है तो मैंने उसको अपने कमरे में आराम करने को बोला है। अभी थोड़ी देर में मैं उसके लिए काड़ा बना कर दे आऊंगी।

रिशा..लगता है दीदी आप कुछ ज्यादा ही मेहनत करवा रही है राजू से

सरिता..अंजान बनते हुए..अरे नहीं। कल कुछ ज्यादा गर्मी थी तो कहीं उल्टा सीधा खाने से तबियत बिगड गई होगी

रिशा.."दीदी आप कहो तो मैं उसको काड़ा बना कर दे आती हूं

सरिता.." नहीं बहू तो एक काम कर तू आज मंदिर हो आ और वापीस आते हुए बाजार से थोड़ी सब्जी और राशन ले आना। तब तक मैं दोपहर का खाना भी बना लूंगी.

रिशा: राशन तो कल ले आऊंगी दीदी..अगर आपको ठीक लगे तो आते हुए मेरी एक सहेली है उसके पास कुछ समय बिता कर आ जाउ। काफ़ी दिन से बोल रही है। रिशा ने ये जानबूझ कर बोला ताकि सरिता को लगे कि उसको ज्यादा टाइम लगेगा वापस आने में।

सरिता: हां हां क्यू नहीं बहू. तू आराम से अपनी सहेली से मिल कर आ जाना। मैं यहां सब संभाल लूंगी

इतना बोल रिशा वहां से निकल पड़ी और घर के पिछवाड़े बने एक पेड़ के पीछे छुप कर देखने लगी कि आखिर उन दोनों के बीच क्या चल रहा है।

रिशा के निकलते ही सरिता चुपचाप पिछले दरवाजे से राजू के कमरे की तरफ चल पड़ी। सरिता के जाते ही रिशा वहां से निकली और राजू के कमरे के बाहर दबे पांव पहुंच गई

एक छोटी सी खिड़की थोड़ी सी खुली थी जहां से रिशा को अंदर का नजारा साफ दिख रहा था। उसने देखा की राजू ने उसकी सास को अपनी बाहों में दबोच लिया था और दोनों एक दूसरे के होठों को चूस रहे थे. कुछ देर सरिता के होंठ चूसने के बाद राजू ने सरिता को दीवार के साथ लगा दिया और उसकी साड़ी उसकी जांघों तक सरका कर पैंटी के ऊपर से ही सरिता की चूत को दबा लिया


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सरिता...क्यो राजू आज यहीं खड़े खड़े ही चोद देगा क्या मुझे? इतना बोल सरिता ने राजू को बिस्तर पर धकेल दिया और उसके ऊपर सवार हो गई.

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शर्ट तो राजू ने पहले ही निकल रखी थी। उसकी चौड़ी छाती पर हाथ फिराते हुए सरिता उठेजाना भर स्वर में बोली..."क्यू राजू आज सुबह सुबह तूने अपना औज़ार खड़ा कर रखा है. पता है इसमें कितना जोखिम है..ऐसा बोल सरिता एक हाथ उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी और दूसरा हाथ नीचे लेजा उसका लंड पकड़ लिया.

राजू.."क्या करु मालिकिन। आपसे दूर अब नहीं जाता। ऐसा बोल उसने पीछे से सरिता की गांड को पकड़ लिया और उसके होठों को फिर से चूसने लगा। अगले कुछ पली में ही उसने सरिता को नंगे कर दिया और उसकी चुची को दबा कर चूसने लगा



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Wah bahut sexy update.
 

Premkumar65

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Update 10

पिछले अपडेट में आपने पढ़ा…

रिशा ने अपना सर उसकी गोद में रख लिया और लंड को प्यार करने लगी। उसकी आंखें बंद थीं और चेहरे पर एक मुस्कान खेल रही थी। तभी सेलफोन की घंटी बजेगी। दोनों चौंक कर इधर उधर देखने लगे मानो कि चोरी पकड़ी गई हो जैसे!

अब आगे..
दोनों ने फिर एक दूसरे को देखा और खिलखिला कर हंस पड़े। रिशा ने राजू को एक चुम्मा दिया और कॉल रिसीव किया। "नमस्ते?" "हैलो दीदी!!...मैं उमा!!"

रिशा -”उमा!!!...कैसी हो? बड़े दिनों बाद याद किया?...."

उमा-“हां दीदी, आज ही मेरा वीज़ा आया है। मैं अगले महीने ऑस्ट्रेलिया जा रही हूं!!"

रिशा - “वाह!!!!...कांगो यारर...अब तो तेरे वहां भी आशिक होंगे...हेहे!!"

उमा-“कहां दीदी... मैं वैसे भी वहां काम में बिजी रहूंगी। कॉरपोरेट वर्ल्ड में तो बस चूतिये ही भरे होते हैं। आपको तो पता ही है।" उमा नटखट अंदाज में बोली.

रिशा - “चुप कर शैतान। कहीं मेरे देवर ने सुन लिया तो?" राजू के कान खड़े हो गए, वो भाभी की शैतानी भरी बातें सुनने को सरक कर उसके पास आ गया। रिशा ने फोन स्पीकर मोड पर कर दिया।

"अरे.... तो उसे भी कुछ सिखा देना ना..." उमा चहकी। रिशा खिलखिला उठी. "हाहाहाहा!!! चुप करो और ये बताओ यहां कब आ रही हो?. 5 साल हो गए तुझे देखे हुए.. अब तो काफी बड़ी हो गई होगी"


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"हां दीदी... मुझे भी जिज्जू से मिलने का मन हो रहा है।" रिशा राजू की तरफ पीठ की बात कर रही थी। राजू ने आगे बढ़ कर रिशा से खुद को चिपका लिया। रिशा अचानक स्पर्श से सिहर उठी और तेज सिस्कारी लेते हुए बोली... "सस्स्स्स्स.... ते-तेरे जीजाजी तो यहां नहीं है। व-वो के-किसी काम से बाहर हो गए हैं"। राजू के हाथ किसी नाग की तरह रिशा के संगमरमर जैसे जिस्म पर लिपट गए। जवान जिस्मो की गरमाहट ने दोनों को बड़ी राहत दी। रिशा अब काफी आराम से बात करने लगी।

“उमा बोली "ओह.. तो फिर मैं बोर हो जाऊंगी ना.."

"क्यों?? राजू हैं ना.." उसने फ़ोन पर मुस्कुराते हुए कहा

"राजू?? वो तो बच्चा है"

ना रे!! बहुत बड़ा हो गया है वो"। राजू ने धीरे से अपना लंड रिशा की गांड में घुसा दिया। बड़ी मुश्किल से उसने अपनी कराह को काबू किया।


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"क्या सच है?" उमा ने पूछा.

राजू ने हल्की कमर पीछे करके एक सटिक वार किया तो पूरा लंड गांड में जड़ तक धंस गया। चुनकी जाँघें चिपकी हुई थी, छेद टाइट लग रहा था। रिशा बड़ी मुश्किल से सिस्की को रोके हुए बोली। "ह-हा-हां काफ़ी बड़ा है" "

क्या?" उमा ने पूछा.

"राजू काफ़ी बड़ा हो चुका है पगली... और जवान भी।" उधर राजू ने हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिये।


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“सच!! फिर तो मजा आएगा छेड़ने में''

सोच ले. आह! वो छोड़ेगा नही तुझे"

"अच्छा दीदी मैं फ़ोन रखती हूँ। कल शाम तक आ जाऊँगी।

ठीक है?" "ओ-ओ-ओक्क!!! कल शाम.. बब्ब-ब-बाय!!!" कह कर रिशा ने राजू को खींच कर अपने गरम बदन से सटा लिया।

राजू ने मौका पाते ही दनादन शॉट्स लगाना शुरू किया और उसके स्तनो को दोनों हाथों में थाम लिया। रिशा ने भी उसकी हथेलियों को ऊपर से पकड़ लिया और स्तनो की मालिश करवाते हुए गांड पेलवाने लगी।


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शॉट्स तेज और तगड़े पड रहे थे. थोड़ी ही देर में कमरे में अब जाँघों और नितंबो के टकराने की आवाज़ फिर गूंजने लगी। दोनों एक दूसरे से नाग की तरह लिपटे हुए थे। राजू ने उसके स्तनो को कस कर थामा हुआ था। लगतार पड़ती ठोकरो से रिशा के नितंब गुलाबी पड़ गए थे। मदहोशी में राजू ने उसे अपने ऊपर खींच लिया। अब वो रिवर्स काउगर्ल पोजीशन में आ गई।

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रिशा ने हाथ पीछे राजू के सीने पर टीका दीये और सहारा लेकर अपने नितंबो से उसकी जाँघों पर मर्दन करती हुई सिस्कारियो के साथ लंड गांड में लेने लगी। मुलायम गद्देदार चूतडो की रगड से राजू भी मतवाला हो गया। उसने हथेलियों में रिशा की गांड के मुलायम मांस को थाम लिया और जोर जोर से मालिश करने लगा। बीच

बीच में वो गांड पे हल्की थपकियां भी देता जा रहा था। रिशा कुछ ही देर में जोश में आ गई, और उछल उछल कर गांड मरवाने लगी। स्पीड ज्यादा नही थी लेकिन शॉट्स तगड़े पड रहे थे। काफ़ी देर तक इसी स्थिति में खेल चलता रहा।

एक आखिरी शॉट के साथ रिशा लंड पे पूरा बैठ गई। लंड जड़ तक गांड में घुसा हुआ फड़फड़ा रहा था। रिशा पीठ के बाल राजू के ऊपर लेट गई और अपना सिर उसके कंधे पे टीका लिया। ऐसा करने से उसकी कमर में तनाव आ गया और उसके भरे हुए स्तन भी काफी तन गए। राजू ने रिशा के गाल चूमते हुए उसके निपल्स से खेलना शुरू कर दिया। वो उसके निपल्स को उगलियों के बीच हल्के हल्के मसल रहा था। फ़िर दोनों निपल्स को खींच कर लम्बा कर देता। काफ़ी देर तक यूं ही चलता रहा। उसकी इस हरकत ने और गांड में फंसे गरम लौडे ने रिशा का बुरा हाल कर दिया था। वो तेज़ सिस्कारियाँ ले रही थी और अपने होठों को भी चबा रही थी। "स्स्स!!!!! आअहह!!! ऊऊहह!!! और करो ना देवरजी! आह!! ओह!! बहुत मजा आ रहा है हाआइइइइ! हां...ऊहह मां!!! मैं पागल हो जाऊंगी देवरजी!!! उम्म्ह!! म्म्म्ह्ह्ह्फ्फ्म्म!!!!!" राज ने जोश में आ कर उसके स्तनो को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया, मानो उनका सारा रस ही निचोड़ लेगा। उसका लंड तो पूरे जोश में था ही. रिशा अचानक हुए जोशीले हमले के लिए तैयार न थी। चूचियों की मालिश के नशे में अपने चरम पर पहुंच गई और अपना रस छोड़ दिया।


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चूत का रस, रिशा के नितंबों से होकर राजू की जाँघों, लंड और टट्टो को भीगोता चला गया। राजू ने जोश में आकर रिशा की गुलाबी चुचियों पर थप्पड़ बरसा दिये।

आआआहह!!!!!!!" रिशा चिल्लाई और जोश में आकर उठ कर सीधी बैठ गई। उसके हाथ आगे बिस्तर पर टिकाये और गांड उछाल उछाल कर वापस मरवाने लगी। क्या अद्भुत नजारा था। रिशा की गोरी चिकनी गांड और उसमें अंदर बाहर सरकता हुआ राजू का मोटा तगड़ा लंड। राजू एकटक उसकी मलाईदार गांड को निहार रहा था। मुलायम मांस के टुकड़ों की थिरकन उसे उर जोश दिला रही थी। लंड यूं अंदर बाहर हो रहा था मानो मक्खन में छुरी. वो कभी नितंबों पे हाथ फिरता तो कभी एक चुटकी काट देता। जैसी ही वो चुटकी करता रिशा की गांड टाइट हो जाती और रिशा नये जोश में आकर और तेजी से उछलने लगती। राजू अब पूरे जोश में आ गया और रिशा की गांड पे हर शॉट पर एक तमाचा मार देता। रिशा भी मीठे दर्द भरी सिस्कारियाँ लेती और फिर दोगुने उत्साह से लंड पे गिर जाती। काफ़ी देर ऐसा ही चलता रहा। रिशा के नितंबों का रंग अब लाल पड़ चूका था। वो काफ़ी थक भी गई थी। उसकी सांसें उखड़ रही थी। मनोनमाद के चरम को अब तक वो कई बार छू चुकी थी। लेकिन फिर भी वो रुकने का नाम नही ले रही थी।

राजू ने ऊपर आ कर उसे अपने आगोश में ले लिया और पलटा। अब रिशा पेट के बाल बिस्तर पर हो गई और राजू उसके ऊपर। कड़क लंड के दबाव ने रही सही कसर भी पूरी कर दी। राजू दंड पेलने की स्थिति में आ गया और कमर से हल्के हल्के लम्बे शॉट देने लगा। रिशा हर शॉट पर कराह रही थी... "आह!! आह!! आह! आह! आह!! म्म्ह!! म्म्ह!! ओह्ह!! आआह!!!हाऐइ!! हां!!! हैई!!! ओह्ह!! ओह्ह राजू!!" राजू उसकी आहों से और जोश में शॉट लगाने लगा। जिस्म फिर से तबाही मचाने लगे। कमरे में फिर आहों और ठोकरो की आवाज गूंजने लगी। राजू बस झड़ने ही वाला था. रिशा को उसका लंड थोड़ा फूलता सा महसूस हुआ, तो वो झट से पलटी। लंड गांड से बाहर निकल आया, और रिशा ने अपने रसीले होठों की कैद में कर लिया। वो पूरी तन्मयता से लिंग का रसस्वादन कर रही थी। जल्दी ही राजू अपने चरम पर पहुंच गया, और रिशा के मुंह में गरम खोलते वीर्य की नदी बह गई।


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रिशा ने भी वीर्य की एक बूँद बर्बाद की और घूँट भर-भर कर वीर्य पीने लगी। इस बार रिशा ने कोई चूक नहीं की और बिना बर्बाद किए सारा वीर्य पीती चली गई। वो प्यार भरे अंदाज़ में लंड चूस रही थी जैसे कतरा कतरा वीर्य निचोड़ लेगी। राजू के पैरो में कम्पन होना शुरू हो गया तब जा कर रिशा ने उसे छोड़ा। फिर उसके स्थिर पडते लिंग पर रस भर चुम्बन करती हुई, उसकी नाभि से होती हुई सीने पे गई। फिर राजू को एक अलसाये अंदाज़ में चुम्बन दिया। राज भी हल्के हल्के चूमने लगा. थकन के कारण दोनों नग्न जिस्म एक दूसरे की गर्माहट में समा गए। अब तक रात ढल चुकी थी। राजू ने हाथ बढ़ा कर फोन लिया और डिनर होम डिलीवरी ऑर्डर किया। जब तक खाना आया तब तक दोनों एक दूसरे से लिपटे रहे। खाना खाने के बाद थोड़ी बातें शुरू हुईं।

"कल उमा आ जाएगी तो फिर यूं साथ भी नहीं रह पाएंगे।" राजू ने मायुस होते हुए कहा।


"कुछ नहीं होगा ऐसा। मेरे पास इक आइडिया है"।

"क्या?"
Rishu ab Uma ko bhi chudwaegi Raju se.
 
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Previous update:

"कल उमा आ जाएगी तो फिर यूं साथ भी नहीं रह पाएंगे।" राजू ने मायुस होते हुए कहा।

"कुछ नहीं होगा ऐसा। मेरे पास इक आइडिया है"।
"क्या?"


Update 11
रिशा उठ कर बिस्तर पर बैठ गई और दोनों टांगें फैला कर राजू को इशारा किया। राजू भी सामने का नजारा देख कर उत्साहित हो गया और रिशा के पास जाकर उसकी गुलाबी चूत की पंखुडियों पर हाथ फिराते हुए पूछा।

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"बताओ ना भाभी क्या आइडिया है"

रिशा- “मेरा गला सुख रहा है देवर जी.... पहले क्यों ना व्हिस्की का एक एक पैग हो जाए।

राजू झट से अपने कमरे से व्हिस्की की बोतल और दो गिलास ले आया।

रिशा- “तुम गिलास से पिओगे? “

राजू- “मैं समझा नहीं भाभी. ग्लास के बिना कैसे पियेंगे?”

रिशा ने बोतल का ढक्कन खोल के धीरे से व्हिस्की अपनी चुचियो पे उड़लनी शुरू कर दी और एक कातिल अदा से राजू की तरफ देख मुस्काई

रिशा का इशारा समझ राजू ने झट से अपने मुंह में रिशा की चुची से लगा दिया और बूंद बूंद गिरती व्हिस्की का मजा लेने लगा। एक तो रिशा की जवानी का नशा और ऊपर से व्हिस्की का नशा...ये डबल डोज राजू के लिए जन्नत से कम नहीं थी.

रिशा के निपल्स पर रेंगती हुई राजू की जीभ एक अद्भुत और सुखद एहसास प्रदान कर रही थी। रिशा की चूत फिर से कुलबुला उठी। चूत में चींटियाँ रेगने लगी और चूत रिस रिस कर बहने लगी।

रिशा ने धक्का देकर राजू को बिस्तर पर गिरा दिया और राजू के लंड पर टूट पड़ी। अपनी जीभ से राजू का लौड़ा चाटने लगी और फिर घप से पूरा लंड मुँह में घुसेड़ पागलों की तरह चूसने लगी।

राजू भी रिशा के मुंह की गर्मी ज्यादा देर बर्दाश्त न कर पाया और लावा उगलने लगा। रिशा ने झट से पास पड़ा ग्लास उठाया और पूरा माल ग्लास में भर लिया। फिर उसने बोतल से थोड़ा सी शराब ग्लास में उड़ेली और राजू की आंखों में देखते हुए पूरा ग्लास खाली कर दिया। राजू के लिए ये रिशा का एक नया रूप था.


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दोनों ने एक एक पैग और लगाया। रिशा को हल्का सरूर होने लगा था। इसी बीच रिशा अपनी उंगलियों से राजू के लंड से छेड़ छाड़ करती रही

रिशा- “कैसा लगा मेरा सरप्राइज़ देवर जी”

राजू- “बहुत अच्छा भाभी.. बहुत मजा आया”

रिशा- अब मुझे खुश करो देवर जी"

राजू का भारी लिंग फिर तन कर नाग जैसा लहराने लगा था। राजू ने रिशा की खुली टांगों के बीच पोजीशन लेकर एक धक्का लगाया और चोदते हुए पूछा “बताओ ना भाभी...उमा के बारे में आपका क्या प्लान है?"

जरा कान तो पास लाओ!! आह्ह!!" रिशा ने लेट कर कहा.

राजू उसके ऊपर चढ़ गया और शॉट्स लगाते हुए उसे बाहों में भर लिया। रिशा कान के पास जाकर कुछ फुसफुसाने लगी। जैसा जैसा वो राजू को अपना आइडिया बताती जा रही थी ,राजू के शॉट्स तगडे होते जा रहे थे। थोड़ी देर बाद राजू की समझ में सब आ गया। दोनों अब एक दूसरे पर जानवरों की तरह टूट पड़े। सारी रात हवस का नंगा नाच चलता रहा। राजू ने दो बार और रिशा की गांड मारी। जब सुबह की हल्की रोशनी कमरे में आई तब जा कर दोनों सोए।


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अगले दिन एक नया अध्याय शुरू जो होना था।

अगले दिन सुबह रिशा के मोबाइल पर सरिता का फोन आया तो रिशा चौंक गई। राजू के साथ बिताये कामुक पलो के बीच वो भूल गई थी की आज सरिता भी वापस आने को बोल गई थी। रिशा ने झट से फोन उठाया और बात करने लगी!

रिशा: प्रणाम दीदी

सरिता: कैसी हो रिशा?

रिशा: मैं ठीक हूं...आप कैसे हैं और आपके पिताजी कैसे हैं अब

सरिता: अरे वही बताने को फोन किया था. पिताजी की तबीयत अभी कुछ ज्यादा ठीक नहीं है..शायद मुझे 1-2 दिन और रुकना पड़े. बाकी तुम बताओ राजू ज्यादा तंग तो नहीं कर रहा.

रिशा: नहीं दीदी वो तंग नहीं बल्कि खुली कर रहा है। ऐसा बोल रिशा खुद शरमा गई.

सरिता: हां बहुत जबरदस्त हथियार है कमीने का। अन्दर तक घुस के ठोकता है और जल्दी ढीला भी नहीं होता। बस एक बात का ख्याल रखना...उसका माल कहीं अंदर मत गिरवा लेना

रिशा: हाँ दीदी. पूरा ख्याल रखा है

सरिता: चल बाद मैं बात करती हूं आराम से। इतना बोल सरिता ने फोन काट दिया।

सरिता के वापस नहीं आने से रिशा खुश थी कि राजू के साथ और अतरंग पल बिताने का मौका मिलेगा। अब चिंता थी तो केवल उमा की लेकिन वो आश्वस्त थी कि उसका भी कुछ हाल निकल आएगा

सुबह जब राजू की नींद खुली तो पाया कि 8 बज चुके हैं। रात की जबरदस्त चुदाई के कारण उसके पूरे बदन में एक हल्कापन सा आ गया था। उसने एक अंगड़ाई ली और करवट बदल के देखा तो रिशा कहीं नजर नहीं आई। तभी उसे खाने की खुशबू आई। वो ख़ुशी ख़ुशी बाथरूम नहाने चला गया। जब वो नहाकर आया तो सीधा किचन में चला गया और रिशा को पीछे से पकड़ कर उसे इक चुम्बन दिया। "भाभी, तुम्हें मेरी पसंद नापसंद सब पता है।


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"हां देवरजी मुझे सब पता है कि तुम्हें क्या पसंद है और क्या नहीं" कहते हुए रिशा ने अपने कुल्हे राजू के शॉर्ट्स पर दबा दिये।

राजू भी उसके नितांबों से खेल रहा था। थोड़ी देर यूं ही चलता रहा फिर दोनों ही नाश्ता खाने बैठ गए। खाना बहुत स्वादिस्ट था. खाना ख़तम करके राजू टी.वी. देखने बैठ गया. रिशा भी उसके बगल में आकर बैठ गयी। अब तक कामवाली आ चुकी थी। जब तक वो सफाई में लगी हुई थी तब तक रिशा राजू को टी.वी. देखने के बहाने छेड़ने लगी. कभी वो उसके गाल खींचती तो कभी बालों में हाथ फिरा कर बाल बिगाड़ देती। बीच में वो उसके लंड को हल्के से दबा भी देती।

रात की थकावट अभी उतरी नहीं थी। सरिता के वापस ना आने के करण रिशा भी जानती थी के अब उसके पास भरपुर समय है। इसलिए दोनों ने कुछ आराम करने का फैसला लिया. कामवाली के जाने के बाद रिशा और राजू अपने अपने कमरों में चले गए.

दोपहर के 1 बज चुके थे, राजू वापस जाग कर रिशा के कमरे तक पहुंच गया। दरवाजे से उसने झांका तो रिशा का कहीं अता पता नहीं था। उसने पुकारा भी; लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. वो उसके बाथरूम में चेक करने को गया तो अचानक पीछे से रिशा ने उसे दबा लिया। राजू थोड़ा घबराया लेकिन तब तक रिशा ने उसके दोनों हाथ पीछे करके कलाइओ को इक रेशमी पट्टी से बांध दिया। उसके हाथ अब जांघों से आगे नही आ पा रहे थे। रिशा ने उसे ज्यादा तंग नहीं बांधा था। केवल इतना कि वो हिल डुल सके लेकिन सीमित।

"ये क्या कर रही हो भाभी?" राजू ने पूछा।

रिशा ने कोई जवाब नहीं दिया और उससे अलग हो गई। राजू ने पलटा तो देखा रिशा ने एक बाथिंग गाउन पहना हुआ था। उसके बाल इक जूड़े में बंधे हुए थे। बाथिंग गाउन उसके सुडोल जिस्म पर यूं चिपका था जैसे किसी आशिक ने अपने माशूका को आगोश में ले लिया हो।


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रिशा ने राजू के गले में इक रेशम का कपड़ा लगाम की तरह बांधा और उसे समझाते हुए कहा, "आज मैं तुम्हारी मल्लिका हूं और तुम मेरे गुलाम"। ये कहते हुए उसने उसके लंड को जोर से पुचकारा और लगाम के सहारे उसे बिस्तर पर ले जाकर बिठा दिया। राजू रिशा के इस अवतार को देख कर हैरान रह गया। लेकिन साथ ही उसके जिस्म में इक अलग सा करंट भी दौड़ रहा था। रिशा ने एक झटके से उसके शॉर्ट्स खींच कर उतार दिये। अगले ही पल राजू के तन से सारे कपड़े अलग हो गए। रिशा मानो उसे नोच खाने को बेताब थी। राजू के बदन को भूखी नज़रों से निहारने लगी। उसके चौड़े कंधे मजबूत सीना कसी हुई कमर और शक्तिशाली जांघों के बीच खड़े लिंग पे नजर जाते ही उसकी हवस परवान चढ़ने लगी।

राजू अब उसकी कैद में था। वो जो चाहे उसके साथ कर सकती थी। उसने घूम कर अपनी पीठ राजू की तरफ कर दी। राजू का मुँह अब उसके नितंबों के सामने था। उसने इशारा समाज कर उसके नितांबों पर चुम्बन की झड़ी लगा दी, और रिशा ने भी धीरे से गाउन खींच कर ऊपर कर दिया। राजू उसके मुलायम नितंबों पे यू ही काफी देर चुम्बन करता रहा। रिशा ने आगे झुक कर अपनी हथेली जमीन पर टीका ली। उसके नितांब अब फेल कर चूत और गांड के छेद का नज़ारा राजू को दे रहे थे। राजू ने बेसबरा होकर उसकी नितंबों को चबाना शुरू किया। वो बेबसी में भी अजीब आज़ादी महसूस कर रहा था। उसने जीभ की ठोकरों से अपने वार गांड के छेद और चूत पे शुरू कर दिए। दोनों की हवस परवान चढ़ रही थी। रिशा कमर लहराती हुई राजू के जीभ का जवाब दे रही थी। रिशा की उन्माद भरी सिसकियों से राजू का कामवेश भी बढ़ रहा था। "आह...श्शहा!...स्स!!...स्स्स!!!....आह ..ह्म्म्म....ममम!!! म्म्ह्ह!!!" जैसी आवाज के साथ रिशा बड़बड़ा रही थी।

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Risha bahut hi kamuk aurat hai. Apne devar ko nichod rahi hai.
 
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arushi_dayal

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जिस तरह से आप पात्रों के तन की मन की बात करती है और उसके साथ पिक्स का तड़का लेकिन सबसे ख़ास बात है कहानी की स्पीड, शब्द चयन और कम शब्दों में बात कहने की कला

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Thanks komal ji…bahut tadapi hai Risha bechari. Ab mauka mila hai to koi kami nahi rehne degi
 
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