Previous update:
"कल उमा आ जाएगी तो फिर यूं साथ भी नहीं रह पाएंगे।" राजू ने मायुस होते हुए कहा।
"कुछ नहीं होगा ऐसा। मेरे पास इक आइडिया है"।
"क्या?"
Update 11
रिशा उठ कर बिस्तर पर बैठ गई और दोनों टांगें फैला कर राजू को इशारा किया। राजू भी सामने का नजारा देख कर उत्साहित हो गया और रिशा के पास जाकर उसकी गुलाबी चूत की पंखुडियों पर हाथ फिराते हुए पूछा।
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"बताओ ना भाभी क्या आइडिया है"
रिशा- “मेरा गला सुख रहा है देवर जी.... पहले क्यों ना व्हिस्की का एक एक पैग हो जाए।
राजू झट से अपने कमरे से व्हिस्की की बोतल और दो गिलास ले आया।
रिशा- “तुम गिलास से पिओगे? “
राजू- “मैं समझा नहीं भाभी. ग्लास के बिना कैसे पियेंगे?”
रिशा ने बोतल का ढक्कन खोल के धीरे से व्हिस्की अपनी चुचियो पे उड़लनी शुरू कर दी और एक कातिल अदा से राजू की तरफ देख मुस्काई
रिशा का इशारा समझ राजू ने झट से अपने मुंह में रिशा की चुची से लगा दिया और बूंद बूंद गिरती व्हिस्की का मजा लेने लगा। एक तो रिशा की जवानी का नशा और ऊपर से व्हिस्की का नशा...ये डबल डोज राजू के लिए जन्नत से कम नहीं थी.
रिशा के निपल्स पर रेंगती हुई राजू की जीभ एक अद्भुत और सुखद एहसास प्रदान कर रही थी। रिशा की चूत फिर से कुलबुला उठी। चूत में चींटियाँ रेगने लगी और चूत रिस रिस कर बहने लगी।
रिशा ने धक्का देकर राजू को बिस्तर पर गिरा दिया और राजू के लंड पर टूट पड़ी। अपनी जीभ से राजू का लौड़ा चाटने लगी और फिर घप से पूरा लंड मुँह में घुसेड़ पागलों की तरह चूसने लगी।
राजू भी रिशा के मुंह की गर्मी ज्यादा देर बर्दाश्त न कर पाया और लावा उगलने लगा। रिशा ने झट से पास पड़ा ग्लास उठाया और पूरा माल ग्लास में भर लिया। फिर उसने बोतल से थोड़ा सी शराब ग्लास में उड़ेली और राजू की आंखों में देखते हुए पूरा ग्लास खाली कर दिया। राजू के लिए ये रिशा का एक नया रूप था.
type math equations
दोनों ने एक एक पैग और लगाया। रिशा को हल्का सरूर होने लगा था। इसी बीच रिशा अपनी उंगलियों से राजू के लंड से छेड़ छाड़ करती रही
रिशा- “कैसा लगा मेरा सरप्राइज़ देवर जी”
राजू- “बहुत अच्छा भाभी.. बहुत मजा आया”
रिशा- अब मुझे खुश करो देवर जी"
राजू का भारी लिंग फिर तन कर नाग जैसा लहराने लगा था। राजू ने रिशा की खुली टांगों के बीच पोजीशन लेकर एक धक्का लगाया और चोदते हुए पूछा “बताओ ना भाभी...उमा के बारे में आपका क्या प्लान है?"
जरा कान तो पास लाओ!! आह्ह!!" रिशा ने लेट कर कहा.
राजू उसके ऊपर चढ़ गया और शॉट्स लगाते हुए उसे बाहों में भर लिया। रिशा कान के पास जाकर कुछ फुसफुसाने लगी। जैसा जैसा वो राजू को अपना आइडिया बताती जा रही थी ,राजू के शॉट्स तगडे होते जा रहे थे। थोड़ी देर बाद राजू की समझ में सब आ गया। दोनों अब एक दूसरे पर जानवरों की तरह टूट पड़े। सारी रात हवस का नंगा नाच चलता रहा। राजू ने दो बार और रिशा की गांड मारी। जब सुबह की हल्की रोशनी कमरे में आई तब जा कर दोनों सोए।
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अगले दिन एक नया अध्याय शुरू जो होना था।
अगले दिन सुबह रिशा के मोबाइल पर सरिता का फोन आया तो रिशा चौंक गई। राजू के साथ बिताये कामुक पलो के बीच वो भूल गई थी की आज सरिता भी वापस आने को बोल गई थी। रिशा ने झट से फोन उठाया और बात करने लगी!
रिशा: प्रणाम दीदी
सरिता: कैसी हो रिशा?
रिशा: मैं ठीक हूं...आप कैसे हैं और आपके पिताजी कैसे हैं अब
सरिता: अरे वही बताने को फोन किया था. पिताजी की तबीयत अभी कुछ ज्यादा ठीक नहीं है..शायद मुझे 1-2 दिन और रुकना पड़े. बाकी तुम बताओ राजू ज्यादा तंग तो नहीं कर रहा.
रिशा: नहीं दीदी वो तंग नहीं बल्कि खुली कर रहा है। ऐसा बोल रिशा खुद शरमा गई.
सरिता: हां बहुत जबरदस्त हथियार है कमीने का। अन्दर तक घुस के ठोकता है और जल्दी ढीला भी नहीं होता। बस एक बात का ख्याल रखना...उसका माल कहीं अंदर मत गिरवा लेना
रिशा: हाँ दीदी. पूरा ख्याल रखा है
सरिता: चल बाद मैं बात करती हूं आराम से। इतना बोल सरिता ने फोन काट दिया।
सरिता के वापस नहीं आने से रिशा खुश थी कि राजू के साथ और अतरंग पल बिताने का मौका मिलेगा। अब चिंता थी तो केवल उमा की लेकिन वो आश्वस्त थी कि उसका भी कुछ हाल निकल आएगा
सुबह जब राजू की नींद खुली तो पाया कि 8 बज चुके हैं। रात की जबरदस्त चुदाई के कारण उसके पूरे बदन में एक हल्कापन सा आ गया था। उसने एक अंगड़ाई ली और करवट बदल के देखा तो रिशा कहीं नजर नहीं आई। तभी उसे खाने की खुशबू आई। वो ख़ुशी ख़ुशी बाथरूम नहाने चला गया। जब वो नहाकर आया तो सीधा किचन में चला गया और रिशा को पीछे से पकड़ कर उसे इक चुम्बन दिया। "भाभी, तुम्हें मेरी पसंद नापसंद सब पता है।
"हां देवरजी मुझे सब पता है कि तुम्हें क्या पसंद है और क्या नहीं" कहते हुए रिशा ने अपने कुल्हे राजू के शॉर्ट्स पर दबा दिये।
राजू भी उसके नितांबों से खेल रहा था। थोड़ी देर यूं ही चलता रहा फिर दोनों ही नाश्ता खाने बैठ गए। खाना बहुत स्वादिस्ट था. खाना ख़तम करके राजू टी.वी. देखने बैठ गया. रिशा भी उसके बगल में आकर बैठ गयी। अब तक कामवाली आ चुकी थी। जब तक वो सफाई में लगी हुई थी तब तक रिशा राजू को टी.वी. देखने के बहाने छेड़ने लगी. कभी वो उसके गाल खींचती तो कभी बालों में हाथ फिरा कर बाल बिगाड़ देती। बीच में वो उसके लंड को हल्के से दबा भी देती।
रात की थकावट अभी उतरी नहीं थी। सरिता के वापस ना आने के करण रिशा भी जानती थी के अब उसके पास भरपुर समय है। इसलिए दोनों ने कुछ आराम करने का फैसला लिया. कामवाली के जाने के बाद रिशा और राजू अपने अपने कमरों में चले गए.
दोपहर के 1 बज चुके थे, राजू वापस जाग कर रिशा के कमरे तक पहुंच गया। दरवाजे से उसने झांका तो रिशा का कहीं अता पता नहीं था। उसने पुकारा भी; लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. वो उसके बाथरूम में चेक करने को गया तो अचानक पीछे से रिशा ने उसे दबा लिया। राजू थोड़ा घबराया लेकिन तब तक रिशा ने उसके दोनों हाथ पीछे करके कलाइओ को इक रेशमी पट्टी से बांध दिया। उसके हाथ अब जांघों से आगे नही आ पा रहे थे। रिशा ने उसे ज्यादा तंग नहीं बांधा था। केवल इतना कि वो हिल डुल सके लेकिन सीमित।
"ये क्या कर रही हो भाभी?" राजू ने पूछा।
रिशा ने कोई जवाब नहीं दिया और उससे अलग हो गई। राजू ने पलटा तो देखा रिशा ने एक बाथिंग गाउन पहना हुआ था। उसके बाल इक जूड़े में बंधे हुए थे। बाथिंग गाउन उसके सुडोल जिस्म पर यूं चिपका था जैसे किसी आशिक ने अपने माशूका को आगोश में ले लिया हो।
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रिशा ने राजू के गले में इक रेशम का कपड़ा लगाम की तरह बांधा और उसे समझाते हुए कहा, "आज मैं तुम्हारी मल्लिका हूं और तुम मेरे गुलाम"। ये कहते हुए उसने उसके लंड को जोर से पुचकारा और लगाम के सहारे उसे बिस्तर पर ले जाकर बिठा दिया। राजू रिशा के इस अवतार को देख कर हैरान रह गया। लेकिन साथ ही उसके जिस्म में इक अलग सा करंट भी दौड़ रहा था। रिशा ने एक झटके से उसके शॉर्ट्स खींच कर उतार दिये। अगले ही पल राजू के तन से सारे कपड़े अलग हो गए। रिशा मानो उसे नोच खाने को बेताब थी। राजू के बदन को भूखी नज़रों से निहारने लगी। उसके चौड़े कंधे मजबूत सीना कसी हुई कमर और शक्तिशाली जांघों के बीच खड़े लिंग पे नजर जाते ही उसकी हवस परवान चढ़ने लगी।
राजू अब उसकी कैद में था। वो जो चाहे उसके साथ कर सकती थी। उसने घूम कर अपनी पीठ राजू की तरफ कर दी। राजू का मुँह अब उसके नितंबों के सामने था। उसने इशारा समाज कर उसके नितांबों पर चुम्बन की झड़ी लगा दी, और रिशा ने भी धीरे से गाउन खींच कर ऊपर कर दिया। राजू उसके मुलायम नितंबों पे यू ही काफी देर चुम्बन करता रहा। रिशा ने आगे झुक कर अपनी हथेली जमीन पर टीका ली। उसके नितांब अब फेल कर चूत और गांड के छेद का नज़ारा राजू को दे रहे थे। राजू ने बेसबरा होकर उसकी नितंबों को चबाना शुरू किया। वो बेबसी में भी अजीब आज़ादी महसूस कर रहा था। उसने जीभ की ठोकरों से अपने वार गांड के छेद और चूत पे शुरू कर दिए। दोनों की हवस परवान चढ़ रही थी। रिशा कमर लहराती हुई राजू के जीभ का जवाब दे रही थी। रिशा की उन्माद भरी सिसकियों से राजू का कामवेश भी बढ़ रहा था। "आह...श्शहा!...स्स!!...स्स्स!!!....आह ..ह्म्म्म....ममम!!! म्म्ह्ह!!!" जैसी आवाज के साथ रिशा बड़बड़ा रही थी।
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Thanks
Thank you very muchSuper hot update....one of the reasons why i look forward to your updates are the super sexy photos that you add in your updates...they are really amazing...keep continuing..
arushi_dayal
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर उन्मादक अपडेट हैं मजा आ गयाPrevious update:
"कल उमा आ जाएगी तो फिर यूं साथ भी नहीं रह पाएंगे।" राजू ने मायुस होते हुए कहा।
"कुछ नहीं होगा ऐसा। मेरे पास इक आइडिया है"।
"क्या?"
Update 11
रिशा उठ कर बिस्तर पर बैठ गई और दोनों टांगें फैला कर राजू को इशारा किया। राजू भी सामने का नजारा देख कर उत्साहित हो गया और रिशा के पास जाकर उसकी गुलाबी चूत की पंखुडियों पर हाथ फिराते हुए पूछा।
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"बताओ ना भाभी क्या आइडिया है"
रिशा- “मेरा गला सुख रहा है देवर जी.... पहले क्यों ना व्हिस्की का एक एक पैग हो जाए।
राजू झट से अपने कमरे से व्हिस्की की बोतल और दो गिलास ले आया।
रिशा- “तुम गिलास से पिओगे? “
राजू- “मैं समझा नहीं भाभी. ग्लास के बिना कैसे पियेंगे?”
रिशा ने बोतल का ढक्कन खोल के धीरे से व्हिस्की अपनी चुचियो पे उड़लनी शुरू कर दी और एक कातिल अदा से राजू की तरफ देख मुस्काई
रिशा का इशारा समझ राजू ने झट से अपने मुंह में रिशा की चुची से लगा दिया और बूंद बूंद गिरती व्हिस्की का मजा लेने लगा। एक तो रिशा की जवानी का नशा और ऊपर से व्हिस्की का नशा...ये डबल डोज राजू के लिए जन्नत से कम नहीं थी.
रिशा के निपल्स पर रेंगती हुई राजू की जीभ एक अद्भुत और सुखद एहसास प्रदान कर रही थी। रिशा की चूत फिर से कुलबुला उठी। चूत में चींटियाँ रेगने लगी और चूत रिस रिस कर बहने लगी।
रिशा ने धक्का देकर राजू को बिस्तर पर गिरा दिया और राजू के लंड पर टूट पड़ी। अपनी जीभ से राजू का लौड़ा चाटने लगी और फिर घप से पूरा लंड मुँह में घुसेड़ पागलों की तरह चूसने लगी।
राजू भी रिशा के मुंह की गर्मी ज्यादा देर बर्दाश्त न कर पाया और लावा उगलने लगा। रिशा ने झट से पास पड़ा ग्लास उठाया और पूरा माल ग्लास में भर लिया। फिर उसने बोतल से थोड़ा सी शराब ग्लास में उड़ेली और राजू की आंखों में देखते हुए पूरा ग्लास खाली कर दिया। राजू के लिए ये रिशा का एक नया रूप था.
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दोनों ने एक एक पैग और लगाया। रिशा को हल्का सरूर होने लगा था। इसी बीच रिशा अपनी उंगलियों से राजू के लंड से छेड़ छाड़ करती रही
रिशा- “कैसा लगा मेरा सरप्राइज़ देवर जी”
राजू- “बहुत अच्छा भाभी.. बहुत मजा आया”
रिशा- अब मुझे खुश करो देवर जी"
राजू का भारी लिंग फिर तन कर नाग जैसा लहराने लगा था। राजू ने रिशा की खुली टांगों के बीच पोजीशन लेकर एक धक्का लगाया और चोदते हुए पूछा “बताओ ना भाभी...उमा के बारे में आपका क्या प्लान है?"
जरा कान तो पास लाओ!! आह्ह!!" रिशा ने लेट कर कहा.
राजू उसके ऊपर चढ़ गया और शॉट्स लगाते हुए उसे बाहों में भर लिया। रिशा कान के पास जाकर कुछ फुसफुसाने लगी। जैसा जैसा वो राजू को अपना आइडिया बताती जा रही थी ,राजू के शॉट्स तगडे होते जा रहे थे। थोड़ी देर बाद राजू की समझ में सब आ गया। दोनों अब एक दूसरे पर जानवरों की तरह टूट पड़े। सारी रात हवस का नंगा नाच चलता रहा। राजू ने दो बार और रिशा की गांड मारी। जब सुबह की हल्की रोशनी कमरे में आई तब जा कर दोनों सोए।
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अगले दिन एक नया अध्याय शुरू जो होना था।
अगले दिन सुबह रिशा के मोबाइल पर सरिता का फोन आया तो रिशा चौंक गई। राजू के साथ बिताये कामुक पलो के बीच वो भूल गई थी की आज सरिता भी वापस आने को बोल गई थी। रिशा ने झट से फोन उठाया और बात करने लगी!
रिशा: प्रणाम दीदी
सरिता: कैसी हो रिशा?
रिशा: मैं ठीक हूं...आप कैसे हैं और आपके पिताजी कैसे हैं अब
सरिता: अरे वही बताने को फोन किया था. पिताजी की तबीयत अभी कुछ ज्यादा ठीक नहीं है..शायद मुझे 1-2 दिन और रुकना पड़े. बाकी तुम बताओ राजू ज्यादा तंग तो नहीं कर रहा.
रिशा: नहीं दीदी वो तंग नहीं बल्कि खुली कर रहा है। ऐसा बोल रिशा खुद शरमा गई.
सरिता: हां बहुत जबरदस्त हथियार है कमीने का। अन्दर तक घुस के ठोकता है और जल्दी ढीला भी नहीं होता। बस एक बात का ख्याल रखना...उसका माल कहीं अंदर मत गिरवा लेना
रिशा: हाँ दीदी. पूरा ख्याल रखा है
सरिता: चल बाद मैं बात करती हूं आराम से। इतना बोल सरिता ने फोन काट दिया।
सरिता के वापस नहीं आने से रिशा खुश थी कि राजू के साथ और अतरंग पल बिताने का मौका मिलेगा। अब चिंता थी तो केवल उमा की लेकिन वो आश्वस्त थी कि उसका भी कुछ हाल निकल आएगा
सुबह जब राजू की नींद खुली तो पाया कि 8 बज चुके हैं। रात की जबरदस्त चुदाई के कारण उसके पूरे बदन में एक हल्कापन सा आ गया था। उसने एक अंगड़ाई ली और करवट बदल के देखा तो रिशा कहीं नजर नहीं आई। तभी उसे खाने की खुशबू आई। वो ख़ुशी ख़ुशी बाथरूम नहाने चला गया। जब वो नहाकर आया तो सीधा किचन में चला गया और रिशा को पीछे से पकड़ कर उसे इक चुम्बन दिया। "भाभी, तुम्हें मेरी पसंद नापसंद सब पता है।
"हां देवरजी मुझे सब पता है कि तुम्हें क्या पसंद है और क्या नहीं" कहते हुए रिशा ने अपने कुल्हे राजू के शॉर्ट्स पर दबा दिये।
राजू भी उसके नितांबों से खेल रहा था। थोड़ी देर यूं ही चलता रहा फिर दोनों ही नाश्ता खाने बैठ गए। खाना बहुत स्वादिस्ट था. खाना ख़तम करके राजू टी.वी. देखने बैठ गया. रिशा भी उसके बगल में आकर बैठ गयी। अब तक कामवाली आ चुकी थी। जब तक वो सफाई में लगी हुई थी तब तक रिशा राजू को टी.वी. देखने के बहाने छेड़ने लगी. कभी वो उसके गाल खींचती तो कभी बालों में हाथ फिरा कर बाल बिगाड़ देती। बीच में वो उसके लंड को हल्के से दबा भी देती।
रात की थकावट अभी उतरी नहीं थी। सरिता के वापस ना आने के करण रिशा भी जानती थी के अब उसके पास भरपुर समय है। इसलिए दोनों ने कुछ आराम करने का फैसला लिया. कामवाली के जाने के बाद रिशा और राजू अपने अपने कमरों में चले गए.
दोपहर के 1 बज चुके थे, राजू वापस जाग कर रिशा के कमरे तक पहुंच गया। दरवाजे से उसने झांका तो रिशा का कहीं अता पता नहीं था। उसने पुकारा भी; लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. वो उसके बाथरूम में चेक करने को गया तो अचानक पीछे से रिशा ने उसे दबा लिया। राजू थोड़ा घबराया लेकिन तब तक रिशा ने उसके दोनों हाथ पीछे करके कलाइओ को इक रेशमी पट्टी से बांध दिया। उसके हाथ अब जांघों से आगे नही आ पा रहे थे। रिशा ने उसे ज्यादा तंग नहीं बांधा था। केवल इतना कि वो हिल डुल सके लेकिन सीमित।
"ये क्या कर रही हो भाभी?" राजू ने पूछा।
रिशा ने कोई जवाब नहीं दिया और उससे अलग हो गई। राजू ने पलटा तो देखा रिशा ने एक बाथिंग गाउन पहना हुआ था। उसके बाल इक जूड़े में बंधे हुए थे। बाथिंग गाउन उसके सुडोल जिस्म पर यूं चिपका था जैसे किसी आशिक ने अपने माशूका को आगोश में ले लिया हो।
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रिशा ने राजू के गले में इक रेशम का कपड़ा लगाम की तरह बांधा और उसे समझाते हुए कहा, "आज मैं तुम्हारी मल्लिका हूं और तुम मेरे गुलाम"। ये कहते हुए उसने उसके लंड को जोर से पुचकारा और लगाम के सहारे उसे बिस्तर पर ले जाकर बिठा दिया। राजू रिशा के इस अवतार को देख कर हैरान रह गया। लेकिन साथ ही उसके जिस्म में इक अलग सा करंट भी दौड़ रहा था। रिशा ने एक झटके से उसके शॉर्ट्स खींच कर उतार दिये। अगले ही पल राजू के तन से सारे कपड़े अलग हो गए। रिशा मानो उसे नोच खाने को बेताब थी। राजू के बदन को भूखी नज़रों से निहारने लगी। उसके चौड़े कंधे मजबूत सीना कसी हुई कमर और शक्तिशाली जांघों के बीच खड़े लिंग पे नजर जाते ही उसकी हवस परवान चढ़ने लगी।
राजू अब उसकी कैद में था। वो जो चाहे उसके साथ कर सकती थी। उसने घूम कर अपनी पीठ राजू की तरफ कर दी। राजू का मुँह अब उसके नितंबों के सामने था। उसने इशारा समाज कर उसके नितांबों पर चुम्बन की झड़ी लगा दी, और रिशा ने भी धीरे से गाउन खींच कर ऊपर कर दिया। राजू उसके मुलायम नितंबों पे यू ही काफी देर चुम्बन करता रहा। रिशा ने आगे झुक कर अपनी हथेली जमीन पर टीका ली। उसके नितांब अब फेल कर चूत और गांड के छेद का नज़ारा राजू को दे रहे थे। राजू ने बेसबरा होकर उसकी नितंबों को चबाना शुरू किया। वो बेबसी में भी अजीब आज़ादी महसूस कर रहा था। उसने जीभ की ठोकरों से अपने वार गांड के छेद और चूत पे शुरू कर दिए। दोनों की हवस परवान चढ़ रही थी। रिशा कमर लहराती हुई राजू के जीभ का जवाब दे रही थी। रिशा की उन्माद भरी सिसकियों से राजू का कामवेश भी बढ़ रहा था। "आह...श्शहा!...स्स!!...स्स्स!!!....आह ..ह्म्म्म....ममम!!! म्म्ह्ह!!!" जैसी आवाज के साथ रिशा बड़बड़ा रही थी।
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Pictures have very strong emotions on face and it is very rare superb