komaalrani
Well-Known Member
जिस तरह से आप पात्रों के तन की मन की बात करती है और उसके साथ पिक्स का तड़का लेकिन सबसे ख़ास बात है कहानी की स्पीड, शब्द चयन और कम शब्दों में बात कहने की कलाUpdate-2
शर्ट तो राजू ने पहले ही निकल रखी थी। उसकी चौड़ी छाती पर हाथ फिराते हुए सरिता उठेजाना भर स्वर में बोली..."क्यू राजू आज सुबह सुबह तूने अपना औज़ार खड़ा कर रखा है. पता है इसमें कितना जोखिम है..ऐसा बोल सरिता एक हाथ उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी और दूसरा हाथ नीचे लेजा उसका लंड पकड़ लिया.
राजू.."क्या करु मालिकिन। आपसे दूर अब नहीं जाता। ऐसा बोल उसने पीछे से सरिता की गांड को पकड़ लिया और उसके होठों को फिर से चूसने लगा। अगले कुछ पली में ही उसने सरिता को नंगे कर दिया और उसकी चुची को दबा कर चूसने लगा…
अब आगे..
वैसे तो राजू ने सरिता को पहले भी नंगा देखा था लेकिन उन दोनों की ज्यादातर चुदाई रात को ही होती थी। आज दिन के उजाले में सरिता का नंगा बदन देख राजू एक दम पागल हो गया था। 36 की बड़ी बड़ी सुडोल चुचिया और उसके ऊपर भूरे रंग के तने हुए निपल ... नीचे बल खाती कमर और फिर 38 इंच की चौड़ी गांड..
सरोज का ऐसा कामुक रूप देख राजू पागल हो गया। हमसे झट से सरिता को पीठ के बल बिस्तर पर लिटाया और उसकी चिपचिपी बुर पर अपने होंठ रख दिए.
अपनी लंबी जीभ से वो सरिता के छत्ते से बहता हुआ शहद चाटने लगा...सरिता अपनी आंखें बंद किए हुए राजू का सिर पकड़ कर अपनी चूत दबा रही थी और उसके मुंह से उन्माद भारी सिस्कारिया निकल रही थी...
सरिता.."चाट राजू चाट। अपनी मालकिन की चूत का सारा रस पी ले आज..उफ्फ्फ राजू …जितनी अंदर तक तेरी जीभ जा रही है वहां तक तो तेरे सेठ जी का लंड भी नहीं जाता। तू तो किसी भी औरत को अपनी जीभ से ही ठंडा कर सकता है . काश !तेरे लालाजी का लंड भी तेरे जैसा होता”
राजू.."अरे मालिकिन..अगर लालाजी का लंड भी मेरा जैसा होता तो आज आप लाला के नीचे होती और न कि मेरे नीचे...फिर मैं आपकी इस रसीली चूत को कैसे चोद पाता”
सरिता..”हाय राजू इतनी मीठी बातें करना तू कहां से सिखा रे..वैसे क्या तुझे मेरी चूत सच में इतनी पसंद है?”
राजू.. "आपकी चूत तो मैं सारा दिन चाट सकता हूँ"
सरिता..”सुन राजू सिर्फ चूत चाटने से काम नहीं चलेगा मुझे तेरा लंड चाहिए अपनी चूत में... बोल राजू...अपनी मालिकिन को रोज़ ऐसे ही चोदेगा ना?
राजू..हां मालिकिन आप जब कहोगी तभी आपको नंगा करके अपने लौड़े पर बिठा लूँगा और ख़ूब चोदूंगा”
सरिता..” चल अब देर ना कर और घुसा दे अपना लौड़ा मेरी चूत में
राजू..."इतनी भी जल्दी क्या मालिकिन। पहले आप भी तो एक बार मेरा लौड़ा चूस कर इसको अपनी चूत के लिए तैयार करो...बेचारा कब से अप्पके सुर्ख होठों को स्पर्श पाने को तरस रहा है.. इतना बोल राजू ने अपना लौड़ा सरिता के मुँह के पास कर दिया. राजू का लौड़ा पूरा तन गया था।
सरिता ने हाथ बढ़ाया और राजू का लौड़ा पकड़ लिया। गरम गरम लौड़ा पकड़ उसे लगा जैसा कोई गरम लोहे की छड़ पकड़ ली हो. उसकी आँखों में देखते हुए उसने लंड की चमड़ी को पीछे सरकया और टोपा बाहर निकाल दिया फिर ज्यादा देर ना करते हुए टोपे पर अपनी जीभ चला दी. राजू की सिस्की निकल गयी. गाँव की बहुत से औरतों ने राजू का लौड़ा पहले भी चूसा था लेकिन सरिता की बात ही कुछ और थी. वो पूरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसती थी और लंड के नीचे लटक रहे टट्टे भी साथ में चाटती थी.
![]()
राजू बिस्तर पर बैठ गया और सरिता उसकी टांगो के बीच बैठ कर पूरा लौड़ा मुँह में घुसा कर चूसने लगी. इस बीच राजू उसके बालों से खेल रहा था और अपनी कमर उठा कर उसके गले तक लंड पेल रहा था। सरिता के मुंह से गों गों की आवाज आ रही थी. रिशा ज्यादा देर वहां और ना रुक सकी और अपने कमरे में अपने सारे कपड़े उतर नंगी हो गई और चूत को मसलने लगी.. अपनी सास का ऐसा रंडीपना देख उसको विश्वास नहीं हो रहा था. किचन में जा वो एक मोटा सा खीरा उठा लाई और उसको अपनी चूत में पेल दिया। पांच सात मिनट में उसका पानी निकल गया। जब थोड़ा शांत हुई तो सोचने लगी कि वो राजू को अब कैसे उसके बिस्तर तक लाया जाए.
उधर राजू सरिता का सर पकड़ कर धक्के लगा कर सरिता के मुँह में लंड पेल रहा था. जब उसे लगा कि अब वो और ज्यादा देर सरिता की चुसाई के आगे टिक नहीं पाएगा तो उसने सरिता के मुंह से लौड़ा बाहर निकाल दिया और सरिता को उठाकर बिस्तर पर पटक दिया. सरिता की टांगो को पकड़ उसने अपने कंधों पर रखा और चूत के मुहाने पे लौड़ा रख जोर का धक्का मार दिया.. सरसराता हुआ लौड़ा चूत के अंदर घुस गया और सीधा बच्चेदानी पे ठोकर मार दी. सरिता के मुँह से आह निकल गई.
सरिता.. “जरा आराम से राजू...तेरा लौड़ा कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा है”
राजू..मालिकिन आपको भी तो लंबा और मोटा ही पसंद है ना?
सरिता.."हां राजू पसंद तो है लेकिन तेरा ये लौड़ा मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा और फिर तेरे लालाजी को पता चल जाएगा तो मुसीबत हो जाएगी!
राजू..लालाजी तो अब बुड्ढे हो गए हैं। आप अभी जवान हो और कोई तगड़ा मर्द ही आपकी प्यास बुझा सकता है। इसलिए तड़पने से बेहतर है मेरा साथ दो और चुदाई का मजा लो. सरिता की चूत काफी पानी छोड़ रही थी और राजू का लौड़ा गपा गप चूत की धुनाई कर रहा था
कुछ समय बाद सरिता ने राजू को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके लंड पर बैठ कर चुदवाने लगी चूत पर बजते हुए हर धक्के के साथ सरिता के गले में लटका मंगलसूत्र उसकी चुचियों के बीच झूल रहा था और इन अद्भुत क्षणों का गवाह बन रहा था.
![]()
इसी बीच सरिता एक बार छूट चुकी थी लेकिन राजू के धक्के अभी भी जारी थे.
दोनों की कमर लय में एक दूसरे के साथ थिरकती जा रही थी और मुंह से काम वासना की आहें निकल रही थी।
सरिता ने अपनी बाहों को के राजू गले में डाल कर सहारा लिया और खुद को संतुलित किया।
राजू ने सरिता के होंठों को अपने कब्जे में लेकर उन्हें चूसना शुरू कर दिया।
नीचे उसका औजार सरिता की मुनिया की खुदाई करता जा रहा था। आज राजू का लिंग अलग ही तरह का तनाव और आकार लिए हुए था। उसका सुपारा टमाटर जैसा फूला हुआ था और उस नसें खुरदरापन लिए फूली हुई थी जिसकी वजह से योनि में रगड़ बढ़ गई थी.
उनका सुपारा जब बच्चेदानी पर ठोकर मारता तो सरिता को मीठा मीठा दर्द होता।
![]()
सरिता की योनि तो अब झरना बन चुकी थी जिससे लगातार योनि रस बहता जा रहा था.
राजू के लिंग की रगड़ और धक्के की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि ज्यादा समय तक सरिता इस आनन्द को झेल नहीं पाई और सरिता की योनि से फव्वारा फूट पड़ा।
झड़ने के बाद सरिता की योनि ढीली पड़ गई लेकिन राजू अभी भी धक्के लगाते जा रहा था. राजू ने एक बार फिर से सरिता को बिस्तर पर लिटा दिया और चुदाई चालू कर दी!
सरिता ने अपनी दोनों टांगे कैंची की तरह राजू की कमर पर लपेट ली और फिर खुद को उसके हवाले कर दिया।
राजू ने सरिता के नितम्बों पर हाथ लगाया और उनके सहारे सरिता को उठा उठा कर धक्के लगाने लगा
उसके हर धक्के से सरिता के बदन में कम्पन पैदा हो जाती
और उसके कंगन और पायल आवाज करने लगते।
सरिता की आंखें आनन्द के मारे बंद हो गई थी और मुंह से जोर जोर की आवाजें आ रही थी।
करीब दस मिनट और चोदने और दो बार सरिता को स्खलित करने के बाद राजू की जवानी अपने चरम पर पहुंच गई और उसने सरिता की चूत को अपने वीर्य से सराबोर कर दिया।
वो किसी जोंक की तरह सरिता से चिपक गया और अपने लिंग का एक एक हिस्सा योनि की गहराई में उतार दिया।
सरिता की योनि उनके लिंग का गर्मागर्म वीर्य पाकर सिकुड़ गई.
जब उसने अपना लिंग बाहर निकाल लिया तो उसका वीर्य सरिता के कामरस के साथ मिक्स होकर चूत के दरवाजे से बहने लगा.
सरिता ने पहले उंगली से वीर्य को उठाया और मजे से चाट गई, फिर टिशू पेपर से खुद को साफ किया।
सरिता अब तक दो बार झड़ी थी इसीलिए उसकी भी सांसें राजू की तरह ही तेज हो गई थी।
वह बेड पे लेट गई और खुद को संभालने लगी।
10 मिनट बाद जब सरिता का जिस्म जरा संभल गया तो वो राजू की तरफ मुंह कर उसकी छाती पर हाथ फेरने लगी.
सरिता..”गधा जैसा लंड है तेरा और घोड़ा जैसी ताकत. मुझ जैसी औरत की तू जान निकल देता है। कोई नई बयाही या कुंवारी लड़की तो तेरा लंड झेल नहीं पाएगी”
इतना बोल सरिता ने हाथ नीचे कर राजू का लौड़ा पकड़ लिया। हाथ लगते ही राजू का लंड फिर से कुनमुनाने लगा।
सरिता...”हे भगवान. ये तो फिर से तन गया. नहीं राजू मैं अब और नहीं झेल पाऊंगी..वैसे भी रिशा कभी भी वापस आ सकती है”
राजू..अभी तो भाभी को वापस आने में काफी वक्त है और फिर आपने आज अपनी गांड देने का वादा किया था. आप जल्दी से बिस्तर पर घोड़ी बन जाओ..
जाब राजू ने सरिता को घोड़ी बनाने को कहा तो सरिता भी समझ गई कि आज राजू गांड का उद्घाटन कर के ही मानेगा. वक्त बर्बाद ना करते हुए वो जल्दी से बिस्तर पर घुटने रख के झुक गई.
घोड़ी बनी सरिता की उभरी हुई गांड देख राजू के मुँह में पानी आ गया . राजू ने सरिता के बाल पकड़ कर उनको पोनीटेल की तरह से बांध दिया और फिर उसकी गांड पर दो तीन बार जोर से चपत लगाई।
सरिता मदहोशी में इस दर्द का मजा लेने लगी।
राजू ने अपने हाथ सरिता की गांड पर फेरने शुरू कर दिए और फिर गांड की दरार में अपनी उंगलियां घुमाने लगा. राजू का सरिता की गांड में उंगली करना उसको बहुत उत्तेजित कर रहा था।
राजू की उंगली सरिता की गांड में हलचल मचाने लगी, और वो धीरे धीरे अपनी गांड को अंदर की तरफ भींचने लगी।
अचानक वो हुआ जिसकी उसको जरा भी उम्मीद नहीं थी।
राजू की उंगली गांड में घुसने लगी तो सरिता चीखी- आआह … मादरचोद ये क्या कर रहा है, दर्द होता है मुझे, मेरी गांड में उंगली मत कर राजा..
लेकिन राजू ने सरिता की एक नहीं सुनी और अपनी बीच की पूरी उंगली गांड में घुसा दी।
सरिता दर्द और जलन से सिसकी लेने लगी- , राजू प्लीज निकाल लो इसे, बहुत दर्द हो रहा है! प्लीज मान जा, मैं ये नहीं कर पाऊंगी।
राजू- “डरो मत मालिकिन मैं इतनी आराम से करूंगा की दर्द नहीं बल्कि मजा आयेगा”।
सरिता जानती थी कि आज राजू उसकी गांड मारे बिना नहीं मानेगा
सरिता...राजू मुझे पता है तेरी नज़र अब मेरी गांड पर है..लेकिन मेरी गांड मारने से पहले अपना लौड़ा तेल से अच्छे से चिकना कर ले और थोड़ा तेल मेरी गांड में भी उड़ेल दे ताकि तेरा लौड़ा लेने में ज्यादा दर्द न हो
राजू ने पास रखी तेल की शीशी से कुछ तेल सरिता की गांड में उड़ेल दिया और थोड़ा सा तेल अपने लंड पे मल लिया. फिर उसने अपना लंड सरिता की गांड के छेद पर टिका दिया अपना लन सरिता की कुंवारी गांड में डालने लगा पहले धक्के में तो लौड़ा फिसल गया लेकिन राजू ने फिर से लौड़ा गांड के छेद पर सेट किया और अबकी बार गांड के छल्ले को पार करने में सफल हो गया.
सरिता के चेहरे पर दर्द के भाव थे।
वो होंठों को भींचे किसी तरह अपनी सिसकी रोक कर लेटी थी।
राजू ने एक हाथ से उसकी चोटी पकड़ी और फिर धीरे धीरे उसकी पीठ पर किस करने लगा और जितना लौड़ा अंदर घुसा था उसको ही अंदर बाहर करने लगा. सरिता का थोड़ा दर्द कम हुआ तो वो भी अपनी गांड को पीछे ढकेल लंड का स्वाद लेने लगी
राजू ने अचानक से एक धक्का लगाया और आधा लिंग सरिता की गांड में जा घुसा- हाय दईया … मर गई मैं!
सरिता के मुंह से यही आह निकली तो राजू ने फिर से एक धक्का लगाया.
इस बार सरिता दर्द से चीख उठी और इसी के साथ राजू का पूरा लंड गांड में घुस गया।
सरिता की आंखें दर्द के मारे भर आई और होंठ कांपने लगे।
उसके मुंह से एक घुटी हुई आह निकली- हाय माँ. राजू बहुत दर्द हो रहा है।
लेकिन मर्द अपनी हवस मिटाने के लिए औरत को हमेशा दर्द देता आया है।
राजू पर सरिता की सिसकी का कोई असर नहीं पड़ा।
सरिता की गांड अंदर की तरफ सिकुड़ गई और राजू के लंड को पूरी ताकत से भींच लिया।
सरिता को ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मोटा गर्म लोहे का रॉड उसकी गांड में घुसा हुआ हो।
राजू को सरिता की गांड की कसावट की वजह से धक्के लगाने में दिक्कत पेश आ रही थी- मालिकिन अपनी गांड को ढीला करो वरना धक्के कैसे लगाऊंगा।
सरिता सुबकती हुई बोली- राजू मुझसे नहीं हो पाएगा..प्लीज इसको निकाल ले और जितना चाहे मेरी चूत मार ले
राजू- ठीक है मालिकिन निकाल लूंगा लेकिन इसे ढीला करो तभी तो निकलेगा।
राजू की बात सुनकर सरिता ने गांड को ढीला छोड़ दिया।
राजू ने अपना लंड बाहर खींचना शुरू किया और जैसे ही सुपारा गांड के छल्ले के पास पहुंचा, उसने पूरे जोर से सरिता की गांड में अपना लंड दोबारा उतार दिया।
सरिता के मुंह से दर्द भरी चीख निकल पड़ी और उसने बिस्तर पर पड़े तकिये से अपनी चीख दबाने की नाकाम कोशिश की
थोड़ी देर बाद जब सरिता का दर्द कम हुआ तो वो मस्ती से करहाने लगी
सरिता.."राजू ..पहली बार मैंने अपनी कुंवारी चूत अपने पति को दी थी और आज अपनी कुंवारी गांड मैंने तेरे को दे दी है..एक तरह से अब तू भी मेरा पति है। मेरे अपने पति से ज्यादा अब ये चूत और गांड पर तेरा हक है”
इधर राजू धीरे धीरे कर के सरिता गांड को चोदने लगा और अपना एक अंगूठा उसके मुंह में और अपनी उंगली से उसकी योनि को सहलाने लगे।
राजू का हर धक्का अब सरिता के जिस्म में दर्द के साथ साथ मजे की लहर भी उत्पन्न करने लगा।
उसकी गांड को पहली बार लंड का स्वाद मिला था।
सरिता को दर्द और मजा दोनों का मिला-जुला एहसास हो रहा था.
सरिता के नये हरजाई खसम राजू ने सरिता की गांड पर अपने मोटे लौड़े से जो मेहनत की थी,उसी का नतीजा था कि सरिता मस्ती के सागर में गोते खा रही थी
सरिता की जुबान मुँह से बाहर आ गई और कंठ से दबी हुई आवाज निकल गई ‘उओह्ह्ह उह्ह साले हरामी आह फाड़ दे साले आह राजू मेरी जान क्या पेला है तूने आह.’
राजू मजे से एक शॉट और मारता हुआ बोला- अभी सही बोल रही है कुतिया आह ले बहन की लवड़ी, लंड का मजा ले!
![]()
राजू के मुँह से ये भद्दी गलियाँ भी आज सरिता को अच्छी लग रही थी
‘आह सच में राजू तेरे इन झटकों में जन्नत नज़र आ गई … आह ले चलो अपनी इस घोड़ी को चाँद पर आह.’
राजू सरिता की चुची मसलता हुआ धीमे धीमे चोदने लगा.
सरिता ने उसे गुस्सा दिलाने के लिए बोला- “क्या हुआ मादरचोद… कहीं थक तो नहीं गया?”
राजू ..”हम थकते नहीं रानी … थका देते हैं. आज दिन भर तुझे घोड़ी बनाकर तेरी गांड का भोसड़ा बना दूंगा साली रंडी! “
इतना कह कर उसने दो चार तेज झटके मार दिए.
उन झटकों से सरिता की दर्द और आनन्द भरी मीठी आवाजें निकलने लगीं ‘वाआह्हह आह हाय हुउई उम्ममा … आई.’
सरिता की अंगड़ाइयां और खुला मुँह राजू को और उत्तेजित किए जा रहे थे, ये उसके झटकों की तेजी में साफ नजर आ रहा था. पूरा कमरा धक धक पक पक की आवाज से गूंज रहा था.
अब उसके दोनों हाथ सरिता की मुसम्मियों को पकड़ कर उसकी चुदाई में सहायक बने हुए थे.
उसके झटकों की मार से सरिता की कमर हवा में उठ उठ जा रही थी और लंड गांड की गहराई तक खोदे जा रहा था.
करीब आधा घंटा तक राजू ने सरिता को खूब ठोका.
राजू के इस आधा घंटा के हड्डी तोड़ गांड फाड़ अभियान ने सरिता को स्वर्ग में पहुंचा दिया था. वो समझ गई थी सिर्फ उसकी जवानी सही मर्द के हाथ में है.
राजू अब अपना रस छोड़ने वाला लग रहा था, उसके तेज होते धक्के इस बात का सबूत थे.
कुछ ही झटकों में सरिता को एक तेज और गर्म धार मेरे पेट तक महसूस हुई. राजू ने झट से लंड सरिता की गांड से निकाला अपना और सारा माल सीधा सरिता के चेहरे और बूब्स पर टपका दिया.
![]()
अब दिन के एक बज चुके थे और रिशा के वापस आने का समय भी हो चुका था लेकिन राजू का मन अभी नहीं भरा था उसके लंड का तनाव सरिता की बजाने के लिए वापस रेडी था.
राजू..”मालिकिन अगर मजा आया तो एक राउंड और हो जाए?”
सरिता..”राजू मजा तो बहुत आया पर अभी एक और राउंड के लिए वक्त नहीं है “
राजू.. ठीक है मालिकिन लेकिन आज रात को आपका चूत और गांड दोनों चोदूंगा
सरिता: बोल तो ऐसा रहा है जैसे मेरे मना करने पे तू मान जाएगा ..रात को आ जाना कमरे में..मेरी चूत और गांड तेरे लंड के लिए त्यार मिलेगी इतना बोल दोनों ने अपने कपड़े पहने और सरिता हल्का सा लड़खड़ाती हुई राजू के कमरे से निकल गई































































