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Shukriyaबहुत-बहुत प्यारी स्टोरी हैं
ऐसे ही लिखते रहिए
Bas anand ke liye hai
Anand lijiye aapki comment aur behtar karne ke liye protsahit karti hai....
Shukriyaबहुत-बहुत प्यारी स्टोरी हैं
ऐसे ही लिखते रहिए
Nice update“क्यो , क्या हुआ?” कहते हुए सुंदरी चौकी पर बैठ गयी और परम को खींच कर गोद मे बिठा लिया।
परम को बहुत अच्छा लगा। परम माँ की तरफ घूम कर बैठ गया। सुंदरी ने परम के गालो को सहलाते हुए फीर पूछा "क्या हुआ?"
परम ने कोलेज मे विनोद ने जो कहा था वैसे का वैसे अपनी माँ को सुनाने लगा। सुंदरी ने परम को और करीब खींच लिया। सुंदरी ने परम के एक हाथ को अपने हाथ मे लेकर सहलाया और धीरे धीरे उठाकर अपनी एक चुचि पर रख दी। परम सब कुछ बताता रहा और धीरे धीरे अपनी माँ की चुचि मसलने लगा। इतना मज़ा उसे पहले कभी किसी काम मे नही आया। उसने अपना दूसरा हाथ माँ की दूसरी चुचि पर रखा और दोनो चुचियो को मसलने लगा।
सुंदरी ने बेटे को मना नही किया और खुद भी मज़ा लेने लगी।
“तुमको मन नही करता है वो करने को जो विनोद करना चाहता है मेरे साथ!”
“नही माँ, मैने तुम्हे चोदने का कभी नही सोचा है।” परम अब ज़ोर-ज़ोर से चुचि मसल रहा था। परम यह सोच रहा था की माँ को बातो में रख कर उसके स्तनों की मजा ली जाये।
“मेरा मन कभी कभी रेखा, वो शेठ की बेटी को नंगा देखने को करता है।” परम ने अपनी इच्छा व्यक्त की।
“रेखा बड़ी है और जल्दी उसकी शादी होने वाली है। तुमको महेक जैसी लड़की चाहीए।’ सुंदरी ने अपना हाथ परम के हाथ पर रखकर चुचि को ज़ोर से दबाया।
“ देखो बेटा, विनोद या कोई और भी मेरे और तुम्हारी बहन के बारे मे कुछ भी बोलता है तो बोलने दो, तुम उनसे झगड़ा मत करना। लेकिन तुम कभी किसी से माँ और बेहन के बारे मे कुछ भी बात मत करना ।”
उसने बेटे को फिर चूमा और कहा, “ दबाने मे मज़ा आ रहा है ना!, जब मन करे तो मुझे बोलना, खूब दबाने दूँगी लेकिन किसी को बताना मत, महेक को भी नही। समजे ना!’
दबाते-दबाते परम ने कहा, “ मेरा मन कर रहा है चुचि को मसलता ही रहु, देखने नही दोगी?”
“अभी ब्लाउज के उपर से मज़ा लो, बाद मे खोलकर मज़ा दूँगी, शुरुआत में बस इतना ही होता है बेटा।” सुंदरी ने परम के गालो को मसलते हुए कहा ‘ कभी किसी औरत या लड़की को नंगी देखा है?”
“नही माँ”, फिर परम ने माँ के जाँघो के बीच हाथ रख कर कहा “अपनी चूत दिखाओ ना माँ।’ वो चूत को एक बार दबाकर फिर चुचि रगडने लगा।
'अभी छोटे हो, चूत दिखाउंगी और ठीक से चोद नहीं पाओगे तो ना तुम्हें मजा आएगा ना ही मुझे...थोड़े और बड़े हो जाओ फिर तुम भी इस जवानी का मजा ले पाओगे जैसे विनोद लेना चाहता है...।'सुंदरी ने अपने दोनो हाथो को बेटे के हाथ के उपर रख दिया और खुद ज़ोर-ज़ोर से अपनी चुचि दबाने लगी।
“तुम्हारी बहन महेक भी जवान हो रही है। वह भी अब अपनी बोबले की नोक बढ़ा रही है, अपने नींबूओ को संतरे में रूपांतरित कर रही है, वह भी गोल गोल हो गयी है”।
अभी आगे लिख रही हु .......
Bahut hi sexy andaz me likhi hui hai !“क्यो , क्या हुआ?” कहते हुए सुंदरी चौकी पर बैठ गयी और परम को खींच कर गोद मे बिठा लिया।
परम को बहुत अच्छा लगा। परम माँ की तरफ घूम कर बैठ गया। सुंदरी ने परम के गालो को सहलाते हुए फीर पूछा "क्या हुआ?"
परम ने कोलेज मे विनोद ने जो कहा था वैसे का वैसे अपनी माँ को सुनाने लगा। सुंदरी ने परम को और करीब खींच लिया। सुंदरी ने परम के एक हाथ को अपने हाथ मे लेकर सहलाया और धीरे धीरे उठाकर अपनी एक चुचि पर रख दी। परम सब कुछ बताता रहा और धीरे धीरे अपनी माँ की चुचि मसलने लगा। इतना मज़ा उसे पहले कभी किसी काम मे नही आया। उसने अपना दूसरा हाथ माँ की दूसरी चुचि पर रखा और दोनो चुचियो को मसलने लगा।
सुंदरी ने बेटे को मना नही किया और खुद भी मज़ा लेने लगी।
“तुमको मन नही करता है वो करने को जो विनोद करना चाहता है मेरे साथ!”
“नही माँ, मैने तुम्हे चोदने का कभी नही सोचा है।” परम अब ज़ोर-ज़ोर से चुचि मसल रहा था। परम यह सोच रहा था की माँ को बातो में रख कर उसके स्तनों की मजा ली जाये।
“मेरा मन कभी कभी रेखा, वो शेठ की बेटी को नंगा देखने को करता है।” परम ने अपनी इच्छा व्यक्त की।
“रेखा बड़ी है और जल्दी उसकी शादी होने वाली है। तुमको महेक जैसी लड़की चाहीए।’ सुंदरी ने अपना हाथ परम के हाथ पर रखकर चुचि को ज़ोर से दबाया।
“ देखो बेटा, विनोद या कोई और भी मेरे और तुम्हारी बहन के बारे मे कुछ भी बोलता है तो बोलने दो, तुम उनसे झगड़ा मत करना। लेकिन तुम कभी किसी से माँ और बेहन के बारे मे कुछ भी बात मत करना ।”
उसने बेटे को फिर चूमा और कहा, “ दबाने मे मज़ा आ रहा है ना!, जब मन करे तो मुझे बोलना, खूब दबाने दूँगी लेकिन किसी को बताना मत, महेक को भी नही। समजे ना!’
दबाते-दबाते परम ने कहा, “ मेरा मन कर रहा है चुचि को मसलता ही रहु, देखने नही दोगी?”
“अभी ब्लाउज के उपर से मज़ा लो, बाद मे खोलकर मज़ा दूँगी, शुरुआत में बस इतना ही होता है बेटा।” सुंदरी ने परम के गालो को मसलते हुए कहा ‘ कभी किसी औरत या लड़की को नंगी देखा है?”
“नही माँ”, फिर परम ने माँ के जाँघो के बीच हाथ रख कर कहा “अपनी चूत दिखाओ ना माँ।’ वो चूत को एक बार दबाकर फिर चुचि रगडने लगा।
'अभी छोटे हो, चूत दिखाउंगी और ठीक से चोद नहीं पाओगे तो ना तुम्हें मजा आएगा ना ही मुझे...थोड़े और बड़े हो जाओ फिर तुम भी इस जवानी का मजा ले पाओगे जैसे विनोद लेना चाहता है...।'सुंदरी ने अपने दोनो हाथो को बेटे के हाथ के उपर रख दिया और खुद ज़ोर-ज़ोर से अपनी चुचि दबाने लगी।
“तुम्हारी बहन महेक भी जवान हो रही है। वह भी अब अपनी बोबले की नोक बढ़ा रही है, अपने नींबूओ को संतरे में रूपांतरित कर रही है, वह भी गोल गोल हो गयी है”।
अभी आगे लिख रही हु .......
Bahut hi sexy andaz me likhi hui hai !![]()
Bohot hi badhiya story hai..रात को परम ने अपनी बहन महक को गौर से देखा। उसे दिखाया कि महक की चुची बड़ी हो गई है। सुंदरी के गोलाई से कम लेकिन भरा पूरा। महक ने फ्रॉक पहन रखा था जो घुटनो के ऊपर तक ही था। परम अपनी बहन की जवानी को निहार रहा था लेकिन उसका ध्यान सुंदरी पर ही था। महक लंबी हो गई थी. उसके चूतर में उबर आ गया था। बाल लम्बे लम्बे कमर से नीचे आ गये थे। महक की आँखे भी माँ की तरह नशीली थी। महक माँ की तरह ही सावली थी और परम को लगा कि कुछ सालों के बाद लोग सुंदरी के तरह ही महक को चोदने के लिए पागल हो जायेंगे। महक को देखते-देखते अचानक परम बोल उठा,
“महेक आज हम दोनो साथ सोएंगे!”
परम से अचानक यह सुनकर महेक चोंक गयी। उसे अंदाज़ा नही था की उसका बड़ा भाई उसके साथ मस्ती करना चाहता है। महेक भी जवान हो रही थी। उसकी निपल भी तन जाती थी। कभी कभी तो उसकी चूत में बहुत खाल-बली होने लगती थी।
उसका भी मन करता था की कोई मर्द उसे बाहों मे लेकर खूब ज़ोर ज़ोर से दबाए। लेकिन अभी तक किसीने उसके बोबले को टच नही किया था। उसे विनोद पसंद था लेकिन वो इतना बदनाम था कि महक की हिम्मत नहीं होती थी विनोद के पास जाने की... लेकिन हर 2-3 दिन पर विनोद महक के गालो को सहला लेता था और कहता था कि वो महक से ही शादी करेगा ...महक शर्म से पानी-पानी हो जाती थी लेकिन कह नहीं पाती थी ..की "विनोद मुझे चोदो.."
महक को मालूम था कि गाँव के सारे लोग विनोद से डरते थे और नफ़रत करते थे .. और महक चाहती थी कि विनोद फिर गाँव बालों से दोस्ती कर ले...उसने एक दो बार ये बात विनोद से कहीं भी...
लेकिन विनोद तो महक की माँ सुंदरी को चोदना चाहता था और साथ ही महक से शादी भी करना चाहता था....
महेक यह सब सोच ही रही थी की परम ने फिर पुकारा। महेक अपने भाई के बेड पर आ गयी।
“क्या बात है भैया, आज मेरी ज़रूरत क्यों हो गयी।”
“बस मन कर रहा है तुम्हारे साथ सोने को। कितने सालो से हम लोग साथ नही सोए है।”
परम ने महेक का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। महेक उसके बाहो पर माथा टीका कर लेट गयी। दोनो एक दूसरे की ओर घूमकर बाते करने लगे। परम महेक की पीठ को सहलाने लगा। महेक परम से सट गयी। उसने अपना हाथ भाई के कमर पर रख दिया। परम ने हाफ पैंट पहना था और महेक ने फ्रॉक। महेक ने धीरे धीरे अपना हाथ भाई के गंजी के अंदर डाल दिया। अब वो अपने भाई के नाभि को सहला रही थी। परम ने पीठ सहलाते सहलाते कहा,
“तुम तो जवान हो गयी हो… माँ से भी ज़्यादा सुंदर…”
“नही भैया, माँ बहुत ही सुंदर है। छोटे-बड़े सभी उस पर लाइन मारते है।”
“तुम्हारी भी शादी हो जाएगी फिर तुम्हारा घरवाला भी तुम्हे खूब प्यार करेगा और तुम भी माँ की तरह मस्त हो जाओगी।”
“हट मै शादी नही करूँगी।” महेक ने शर्मा कर कहा और अपनी एक टाँग भाई के टाँग पर चढ़ा दी।
“भैया अब सो जाओ, लाइट बंद कर दो।”उसे शर्म महसूस हुई और उसने भाई से लाइट बंद करने का अनुरोध किया।
असल में महक चुदाई का भी पूरा मज़ा चाहती थी..
परम ने हाथ बढ़ा कर लाइट बंद कर दिया और कमरे मे बिल्कुल अंधेरा छा गया। दोनो की साँसे सुनाई पड रही थी। परम को हिम्मत नही हो रही थी की बगल मे सट कर सोई बहन की चुचि को दबाए या उसकी चूत मे उँगुली करे।
उधर महक भी चाह रही थी कि भाई उसे नंगा करके उसको सहलाएं और प्यार करें। महक चुदाई के लिए भी तैयार थी लेकिन सोचा अभी पहली बार में चुदवाना अच्छा नहीं, लेकिन बाकी मजा तो ले लेना चाहिए..
तभी परम ने कहा, “तेरा कोई यार है?”
महेक यार का मतलब समझती थी। “नही, लेकिन क्यो पूछ रहे हो?”
“क्योकि तुम्हारी गोलाई (चुचि) बहुत बड़ी हो गयी और मैने पढ़ा है की लड़को के हाथ लगाने से ही चुचि बढ़ती है। लगता है विनोद खूब मसलता है तेरी चूची को।”
लिख रही हु.......
Badhiya likh rahe bs iss tarah hi likhte raho“क्यो , क्या हुआ?” कहते हुए सुंदरी चौकी पर बैठ गयी और परम को खींच कर गोद मे बिठा लिया।
परम को बहुत अच्छा लगा। परम माँ की तरफ घूम कर बैठ गया। सुंदरी ने परम के गालो को सहलाते हुए फीर पूछा "क्या हुआ?"
परम ने कोलेज मे विनोद ने जो कहा था वैसे का वैसे अपनी माँ को सुनाने लगा। सुंदरी ने परम को और करीब खींच लिया। सुंदरी ने परम के एक हाथ को अपने हाथ मे लेकर सहलाया और धीरे धीरे उठाकर अपनी एक चुचि पर रख दी। परम सब कुछ बताता रहा और धीरे धीरे अपनी माँ की चुचि मसलने लगा। इतना मज़ा उसे पहले कभी किसी काम मे नही आया। उसने अपना दूसरा हाथ माँ की दूसरी चुचि पर रखा और दोनो चुचियो को मसलने लगा।
सुंदरी ने बेटे को मना नही किया और खुद भी मज़ा लेने लगी।
“तुमको मन नही करता है वो करने को जो विनोद करना चाहता है मेरे साथ!”
“नही माँ, मैने तुम्हे चोदने का कभी नही सोचा है।” परम अब ज़ोर-ज़ोर से चुचि मसल रहा था। परम यह सोच रहा था की माँ को बातो में रख कर उसके स्तनों की मजा ली जाये।
“मेरा मन कभी कभी रेखा, वो शेठ की बेटी को नंगा देखने को करता है।” परम ने अपनी इच्छा व्यक्त की।
“रेखा बड़ी है और जल्दी उसकी शादी होने वाली है। तुमको महेक जैसी लड़की चाहीए।’ सुंदरी ने अपना हाथ परम के हाथ पर रखकर चुचि को ज़ोर से दबाया।
“ देखो बेटा, विनोद या कोई और भी मेरे और तुम्हारी बहन के बारे मे कुछ भी बोलता है तो बोलने दो, तुम उनसे झगड़ा मत करना। लेकिन तुम कभी किसी से माँ और बेहन के बारे मे कुछ भी बात मत करना ।”
उसने बेटे को फिर चूमा और कहा, “ दबाने मे मज़ा आ रहा है ना!, जब मन करे तो मुझे बोलना, खूब दबाने दूँगी लेकिन किसी को बताना मत, महेक को भी नही। समजे ना!’
दबाते-दबाते परम ने कहा, “ मेरा मन कर रहा है चुचि को मसलता ही रहु, देखने नही दोगी?”
“अभी ब्लाउज के उपर से मज़ा लो, बाद मे खोलकर मज़ा दूँगी, शुरुआत में बस इतना ही होता है बेटा।” सुंदरी ने परम के गालो को मसलते हुए कहा ‘ कभी किसी औरत या लड़की को नंगी देखा है?”
“नही माँ”, फिर परम ने माँ के जाँघो के बीच हाथ रख कर कहा “अपनी चूत दिखाओ ना माँ।’ वो चूत को एक बार दबाकर फिर चुचि रगडने लगा।
'अभी छोटे हो, चूत दिखाउंगी और ठीक से चोद नहीं पाओगे तो ना तुम्हें मजा आएगा ना ही मुझे...थोड़े और बड़े हो जाओ फिर तुम भी इस जवानी का मजा ले पाओगे जैसे विनोद लेना चाहता है...।'सुंदरी ने अपने दोनो हाथो को बेटे के हाथ के उपर रख दिया और खुद ज़ोर-ज़ोर से अपनी चुचि दबाने लगी।
“तुम्हारी बहन महेक भी जवान हो रही है। वह भी अब अपनी बोबले की नोक बढ़ा रही है, अपने नींबूओ को संतरे में रूपांतरित कर रही है, वह भी गोल गोल हो गयी है”।
अभी आगे लिख रही हु .......