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Funlover

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Congrats 👏🎉
Story ka tag b add kijiye. Thankyou
Sorry dost tag mai nahi samji thi par bad me samaj gai...
Aapki baat ko yu samji hu... Ki
Muje bhukhalund ko tag karna chahiye right?

If right
Main unko already kar chuki hu separately
 
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परम-सुंदरी चैप्टर 1

अपडेट 1

ये घटना उस समय की है जब परम सिर्फ़ 20 साल का था। परम की एक छोटी बहन थी महेक। माँ का नाम था सुंदरी और वो औरत सुंदर फूल की तरह महकती रहती थी। जैसा की उसका नाम था बस वैसे ही दिखती थी। उस समय वो करीब 40 साल की थी। एक दम जवान और मस्त। गठा हुआ बदन, भारी पूरी भंहे, थोड़ा सावला रंग लेकिन गजब की चमक थी चेहरे पर। मस्त हथिनी की तरह कूल्हे हिला-हिला कर चलती थी तो देखनेवालो की साँस रुक जाती थी। मोहल्ले मे अपनी खूबसूरती और हाजिर जवाबी के लिए बहुत पसंद की जाती थी। उसकी एक मुस्कान और मीठी आवाज सुनने के लिए मर्द तो मर्द औरतें भी पागल रहती थी। बड़े-बड़े बोबले थे उसके। शायद 38” या उससे भी बड़े। लंबे काले बाल और मुस्कुराता चेहरा लेकर हरदम बहकती रहती थी लेकिन उसने कभी किसि को दाना नही डाला।


उसे क्या पता था की वो बहुत जल्द बड़ी कामुक और वासना की गुलाम बनने बाली है। शादी के 20 साल बीत गये और उसका घरवाला अब उसमे ज़्यादा रुची नही रखता था। बस यह समज लीजिये की “घर की दाल”, सच तो यह था की वो सुंदरी की प्यास नही बुझा पाता था। चुदाई तो रोज करता था लेकिन थोड़े धक्को के बाद मे पानी गिरा कर सो जाता था और सुंदरी रात भर चूत को सहलाती रहती थी। वो नामर्द या कामजोर मर्द नहीं था..लेकिन अब सुंदरी के पति को अपनी पत्नी से ज्यादा..जवान हो चुकी बेटी महक और उसकी सहेलियों में था...वो रात दिन अपनी बेटी के साथ-साथ उसकी सहेली को चोदने के लिए फिराक में रहता था...लेकिन ना कोई मौका मिला ना ही वो हिम्मत जुटा पाया। उस प्रकार से देखा ए तो ना सुंदरी को अपने पति में रूचि थी और नाही पति को पत्नी में।

उसे मालूम था की एक इशारा करने पर गाव के सारे मर्द उसे चोदने आ जाएँगे लेकिन अभी इतनी बेशरम नही हुई थी। वो पति को खूब खिलाती पिलाती थी लेकिन कोई फायदा नही। वो सुंदरी की गर्मी नही उतार पाता था या फिर वह खुद को मन से नहीं चुद्वाती थी। पति को भी तो अपनी बेटी को चोदना था, और बेटी में ही रूचि थी।

उनका साधारण परिवार था। घरवाला (पतिदेव) एक शेठ के यहा मुनीम था काफ़ी सालो से। शेठ उसे तनख़्वाह के अलावा समय-समय पर कपड़े लत्ते और सुंदरी के लिए गहने भी देता था। शेठ ने कई बार इशारो-इशारो मे सुंदरी की जवानी की बात की और हमेशा उसकी तारीफ़ करता रहता था। पूजा त्योहार के अवसर पर सुंदरी बच्चो के साथ शेठ के घर जाती रहती थी। शेठ उसे घूरता रहता था, इशारा भी करता था लेकिन कभी उसने खुलकर सुंदरी से चुदवाने की बात नही की, डर के मारे।

शेठानी को मालूम था की उसका शेठ सुंदरी को चोदना चाहता है और उसने सुंदरी को जता भी दिया था की शेठ को अपनी जवानी के जलवे दिखाने की ज़रूरत नही है। वैसे भी सुंदरी को शेठ बिल्कुल पसंद नही था। वो सोच भी नही सकती थी की इतना मोटा आदमी शेठानी की चूत मे लंड कैसे पेल पाता होगा। लेकिन अपने पति की तरह वो भी शेठजी को बहुत मानती थी, बहुत सम्मान देती थी।

इधर सुंदरी का बेटा परम जवान हो गया था। उसका लंड उसे तंग करने लगा था। वो अपनी बहन महेक के साथ एक ही कमरे मे अलग अलग बिस्तर पर सोता था। पिछले दो सालो से मूठ भी मार रहा था। लेकिन उसका मन अभी तक अपनी माँ के या बेहन के उपर नही आया था। वो हमेशा शेठजी की बेटी रेखा जो उससे 2 साल बड़ी थी, के बारे मे सोच-सोच कर मूठ मारता था। बचपन से ही परम और शेठजी की बेटी रेखा बहुत घुले मिले थे...रेखा की एक खास सहेली पूनम भी परम की बहुत खास दोस्त थीं। वो बी रेखा की तरह परम से 2 साल बड़ी थी। अब तक दोनों रेखा और पूनम दोनों बिल्कुल कुंवारी थीं।

परम और रेखा दोनों एक दूसरे को मन ही मन बहुत प्यार करते थे। पूनम भी परम को प्यार करती थी लेकिन उसे मालूम था कि परम रेखा को ज्यादा प्यार करता है...इस तरह उसने भी परम को अपना प्यार कभी नहीं जताया और ना कभी किसी निपल को सहलाने और चुम्मा लेने से मना किया। रेखा, यह देख कर बहुत जलती थी लेकिन वो हमेशा चुप रही...उसे मालूम था कि परम सिर्फ उसका है और उसे जलाने के लिए ही पूनम के साथ मस्ती लेता है...

परम को मालूम था की उसकी माँ के बारे मे लोग गंदी बाते करते है लेकिन किसीने भी परम के सामने अबतक सुंदरी को चोदने की बात नही की थी। लेकिन उसने एक दिन अपने ख़ास दोस्त विनोद को सुंदरी के बारे मे कहते सुना।

“ अरे यार, परम की माँ क्या जबरदस्त माल है। साली को देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगता है। मन करता है की रोड पर ही पटक कर चोद दू। कभी उसकी बड़ी-बड़ी गोल गोल निपल देखी है! चूसने मे क्या मज़ा आएगा। साली की जाँघो पर हाथ फ़ेरने मे जो मज़ा आएगा उतना मज़ा मख्खन छूने मे भी नही आएगा। एक बार चोदने के लिए मै उसका गुलाम बनने को तैयार हूँ। मै तो रोज सुंदरी के चूत के बारे मे सोच कर लंड हिलाता रहता हूँ। मादरचोद, परम साला बहुत किस्मतवाला है। रोज उसकी चुचि और चूत देखता होगा। मै उसका बेटा होता तो कबका उसे चोद देता…… मै उस को एक चुदाई का दस हज़ार दूँगा।।।” विनोद बोलता रहा और परम वहा से हट गया।

इतना सुनकर परम को बहुत गुस्सा आया लेकिन वो गुस्सा पी कर रह गया। विनोद उससे उम्र मे बड़ा था और वहा चार पाँच लड़के खूब मस्ती मे विनोद की बातो का मज़ा ले रहे थे।

परम चार बजे घर वापस आया। दरवाजा उसकी माँ, सुंदरी ने खोला। परम बेग रखकर सुंदरी के पास आया और उसका हाथ पकड़ कर पूछा।

“माँ, तुम बहुत सुंदर हो क्या?”



एपिसोड अभी चालु है .............


 

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“क्यो , क्या हुआ?” कहते हुए सुंदरी चौकी पर बैठ गयी और परम को खींच कर गोद मे बिठा लिया।
परम को बहुत अच्छा लगा। परम माँ की तरफ घूम कर बैठ गया। सुंदरी ने परम के गालो को सहलाते हुए फीर पूछा "क्या हुआ?"


परम ने कोलेज मे विनोद ने जो कहा था वैसे का वैसे अपनी माँ को सुनाने लगा। सुंदरी ने परम को और करीब खींच लिया। सुंदरी ने परम के एक हाथ को अपने हाथ मे लेकर सहलाया और धीरे धीरे उठाकर अपनी एक चुचि पर रख दी। परम सब कुछ बताता रहा और धीरे धीरे अपनी माँ की चुचि मसलने लगा। इतना मज़ा उसे पहले कभी किसी काम मे नही आया। उसने अपना दूसरा हाथ माँ की दूसरी चुचि पर रखा और दोनो चुचियो को मसलने लगा।

सुंदरी ने बेटे को मना नही किया और खुद भी मज़ा लेने लगी।

“तुमको मन नही करता है वो करने को जो विनोद करना चाहता है मेरे साथ!”

“नही माँ, मैने तुम्हे चोदने का कभी नही सोचा है।” परम अब ज़ोर-ज़ोर से चुचि मसल रहा था। परम यह सोच रहा था की माँ को बातो में रख कर उसके स्तनों की मजा ली जाये।

“मेरा मन कभी कभी रेखा, वो शेठ की बेटी को नंगा देखने को करता है।” परम ने अपनी इच्छा व्यक्त की।

“रेखा बड़ी है और जल्दी उसकी शादी होने वाली है। तुमको महेक जैसी लड़की चाहीए।’ सुंदरी ने अपना हाथ परम के हाथ पर रखकर चुचि को ज़ोर से दबाया।

“ देखो बेटा, विनोद या कोई और भी मेरे और तुम्हारी बहन के बारे मे कुछ भी बोलता है तो बोलने दो, तुम उनसे झगड़ा मत करना। लेकिन तुम कभी किसी से माँ और बेहन के बारे मे कुछ भी बात मत करना ।”

उसने बेटे को फिर चूमा और कहा, “ दबाने मे मज़ा आ रहा है ना!, जब मन करे तो मुझे बोलना, खूब दबाने दूँगी लेकिन किसी को बताना मत, महेक को भी नही। समजे ना!’

दबाते-दबाते परम ने कहा, “ मेरा मन कर रहा है चुचि को मसलता ही रहु, देखने नही दोगी?”

“अभी ब्लाउज के उपर से मज़ा लो, बाद मे खोलकर मज़ा दूँगी, शुरुआत में बस इतना ही होता है बेटा।” सुंदरी ने परम के गालो को मसलते हुए कहा ‘ कभी किसी औरत या लड़की को नंगी देखा है?”

“नही माँ”, फिर परम ने माँ के जाँघो के बीच हाथ रख कर कहा “अपनी चूत दिखाओ ना माँ।’ वो चूत को एक बार दबाकर फिर चुचि रगडने लगा।

'अभी छोटे हो, चूत दिखाउंगी और ठीक से चोद नहीं पाओगे तो ना तुम्हें मजा आएगा ना ही मुझे...थोड़े और बड़े हो जाओ फिर तुम भी इस जवानी का मजा ले पाओगे जैसे विनोद लेना चाहता है...।'सुंदरी ने अपने दोनो हाथो को बेटे के हाथ के उपर रख दिया और खुद ज़ोर-ज़ोर से अपनी चुचि दबाने लगी।

“तुम्हारी बहन महेक भी जवान हो रही है। वह भी अब अपनी बोबले की नोक बढ़ा रही है, अपने नींबूओ को संतरे में रूपांतरित कर रही है, वह भी गोल गोल हो गयी है”।



अभी आगे लिख रही हु .......



 

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“क्यो , क्या हुआ?” कहते हुए सुंदरी चौकी पर बैठ गयी और परम को खींच कर गोद मे बिठा लिया।
परम को बहुत अच्छा लगा। परम माँ की तरफ घूम कर बैठ गया। सुंदरी ने परम के गालो को सहलाते हुए फीर पूछा "क्या हुआ?"


परम ने कोलेज मे विनोद ने जो कहा था वैसे का वैसे अपनी माँ को सुनाने लगा। सुंदरी ने परम को और करीब खींच लिया। सुंदरी ने परम के एक हाथ को अपने हाथ मे लेकर सहलाया और धीरे धीरे उठाकर अपनी एक चुचि पर रख दी। परम सब कुछ बताता रहा और धीरे धीरे अपनी माँ की चुचि मसलने लगा। इतना मज़ा उसे पहले कभी किसी काम मे नही आया। उसने अपना दूसरा हाथ माँ की दूसरी चुचि पर रखा और दोनो चुचियो को मसलने लगा।

सुंदरी ने बेटे को मना नही किया और खुद भी मज़ा लेने लगी।

“तुमको मन नही करता है वो करने को जो विनोद करना चाहता है मेरे साथ!”

“नही माँ, मैने तुम्हे चोदने का कभी नही सोचा है।” परम अब ज़ोर-ज़ोर से चुचि मसल रहा था। परम यह सोच रहा था की माँ को बातो में रख कर उसके स्तनों की मजा ली जाये।

“मेरा मन कभी कभी रेखा, वो शेठ की बेटी को नंगा देखने को करता है।” परम ने अपनी इच्छा व्यक्त की।

“रेखा बड़ी है और जल्दी उसकी शादी होने वाली है। तुमको महेक जैसी लड़की चाहीए।’ सुंदरी ने अपना हाथ परम के हाथ पर रखकर चुचि को ज़ोर से दबाया।

“ देखो बेटा, विनोद या कोई और भी मेरे और तुम्हारी बहन के बारे मे कुछ भी बोलता है तो बोलने दो, तुम उनसे झगड़ा मत करना। लेकिन तुम कभी किसी से माँ और बेहन के बारे मे कुछ भी बात मत करना ।”

उसने बेटे को फिर चूमा और कहा, “ दबाने मे मज़ा आ रहा है ना!, जब मन करे तो मुझे बोलना, खूब दबाने दूँगी लेकिन किसी को बताना मत, महेक को भी नही। समजे ना!’

दबाते-दबाते परम ने कहा, “ मेरा मन कर रहा है चुचि को मसलता ही रहु, देखने नही दोगी?”

“अभी ब्लाउज के उपर से मज़ा लो, बाद मे खोलकर मज़ा दूँगी, शुरुआत में बस इतना ही होता है बेटा।” सुंदरी ने परम के गालो को मसलते हुए कहा ‘ कभी किसी औरत या लड़की को नंगी देखा है?”

“नही माँ”, फिर परम ने माँ के जाँघो के बीच हाथ रख कर कहा “अपनी चूत दिखाओ ना माँ।’ वो चूत को एक बार दबाकर फिर चुचि रगडने लगा।

'अभी छोटे हो, चूत दिखाउंगी और ठीक से चोद नहीं पाओगे तो ना तुम्हें मजा आएगा ना ही मुझे...थोड़े और बड़े हो जाओ फिर तुम भी इस जवानी का मजा ले पाओगे जैसे विनोद लेना चाहता है...।'सुंदरी ने अपने दोनो हाथो को बेटे के हाथ के उपर रख दिया और खुद ज़ोर-ज़ोर से अपनी चुचि दबाने लगी।

“तुम्हारी बहन महेक भी जवान हो रही है। वह भी अब अपनी बोबले की नोक बढ़ा रही है, अपने नींबूओ को संतरे में रूपांतरित कर रही है, वह भी गोल गोल हो गयी है”।



अभी आगे लिख रही हु .......
“क्यो , क्या हुआ?” कहते हुए सुंदरी चौकी पर बैठ गयी और परम को खींच कर गोद मे बिठा लिया।
परम को बहुत अच्छा लगा। परम माँ की तरफ घूम कर बैठ गया। सुंदरी ने परम के गालो को सहलाते हुए फीर पूछा "क्या हुआ?"


परम ने कोलेज मे विनोद ने जो कहा था वैसे का वैसे अपनी माँ को सुनाने लगा। सुंदरी ने परम को और करीब खींच लिया। सुंदरी ने परम के एक हाथ को अपने हाथ मे लेकर सहलाया और धीरे धीरे उठाकर अपनी एक चुचि पर रख दी। परम सब कुछ बताता रहा और धीरे धीरे अपनी माँ की चुचि मसलने लगा। इतना मज़ा उसे पहले कभी किसी काम मे नही आया। उसने अपना दूसरा हाथ माँ की दूसरी चुचि पर रखा और दोनो चुचियो को मसलने लगा।

सुंदरी ने बेटे को मना नही किया और खुद भी मज़ा लेने लगी।

“तुमको मन नही करता है वो करने को जो विनोद करना चाहता है मेरे साथ!”

“नही माँ, मैने तुम्हे चोदने का कभी नही सोचा है।” परम अब ज़ोर-ज़ोर से चुचि मसल रहा था। परम यह सोच रहा था की माँ को बातो में रख कर उसके स्तनों की मजा ली जाये।

“मेरा मन कभी कभी रेखा, वो शेठ की बेटी को नंगा देखने को करता है।” परम ने अपनी इच्छा व्यक्त की।

“रेखा बड़ी है और जल्दी उसकी शादी होने वाली है। तुमको महेक जैसी लड़की चाहीए।’ सुंदरी ने अपना हाथ परम के हाथ पर रखकर चुचि को ज़ोर से दबाया।

“ देखो बेटा, विनोद या कोई और भी मेरे और तुम्हारी बहन के बारे मे कुछ भी बोलता है तो बोलने दो, तुम उनसे झगड़ा मत करना। लेकिन तुम कभी किसी से माँ और बेहन के बारे मे कुछ भी बात मत करना ।”

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दबाते-दबाते परम ने कहा, “ मेरा मन कर रहा है चुचि को मसलता ही रहु, देखने नही दोगी?”

“अभी ब्लाउज के उपर से मज़ा लो, बाद मे खोलकर मज़ा दूँगी, शुरुआत में बस इतना ही होता है बेटा।” सुंदरी ने परम के गालो को मसलते हुए कहा ‘ कभी किसी औरत या लड़की को नंगी देखा है?”

“नही माँ”, फिर परम ने माँ के जाँघो के बीच हाथ रख कर कहा “अपनी चूत दिखाओ ना माँ।’ वो चूत को एक बार दबाकर फिर चुचि रगडने लगा।

'अभी छोटे हो, चूत दिखाउंगी और ठीक से चोद नहीं पाओगे तो ना तुम्हें मजा आएगा ना ही मुझे...थोड़े और बड़े हो जाओ फिर तुम भी इस जवानी का मजा ले पाओगे जैसे विनोद लेना चाहता है...।'सुंदरी ने अपने दोनो हाथो को बेटे के हाथ के उपर रख दिया और खुद ज़ोर-ज़ोर से अपनी चुचि दबाने लगी।

“तुम्हारी बहन महेक भी जवान हो रही है। वह भी अब अपनी बोबले की नोक बढ़ा रही है, अपने नींबूओ को संतरे में रूपांतरित कर रही है, वह भी गोल गोल हो गयी है”।



अभी आगे लिख रही हु .......


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Nice beginning
Please add pictures to make it more interesting.
Thank youu
Ha sahi hai dost par mere pas aisa kuchh bhi nahi jo relavant pic post kar saku
Agar aapke pas hai to post karte rahiye
 
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