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दो-दो चूत को देखते-देखते परम खूब जोर-जोर से सुधा के चूत में धक्का लगाने लगा। हर धक्के के साथ सुधा अपनी कमर उछालती थी और आह…ओह्ह…कह कर मजा ले रही थी। इधर महेक चूत के अंदर बाहर जाते अपने भैया के लंड को पकड़ कर सहला रही थीं और बीच-बीच में लंड के साथ सुधा के चूत में लंड के साथ अपनी उंगली घुसेड़ देती थीं। चुदाई करते करते परम और सुधा दोनो झड़ गए और महेक भी चुदाई देख कर पूरी गीली हो गयी, उसकी चूतसे उसके चुतरस उसकी झांग तक रिस ने लगा था। लंड ढीला होते ही चूत के बाहर निकल गया और महेक झट से परम के लंड को दोनों हाथों में लेकर रगड़ने लगी।

"इससे अभी फिर से गरम करूंगी"

“क्यों, अपनी चूत में लोगी क्या!” सुधा ने परम को जकड़े हुए कहा।

“नहीं, हरामजादी तेरी गांड मारवाऊंगी!” महेक ने जवाब दिया।

“अरे जब चूत दीया तो गांड भी मरवा लुंगी...उसमे कौन सी बड़ी बात है।”

परम उठ कर बारी-बारी से अपनी बहन और सुधा दोनो की चूत और निपल से खेलने लगा। दोनों की चूत को मसल रहा था और दोनों लड़कियाँ एक दूसरे के स्तनों मसल-मसल कर गरम हो रही थीं।

“भैया, मेरी भी चूत ठंडी कर दो।” महेक ने कहा।

परम ने सुधा को पकड़ कर अपनी बहन के टैंगो के बीच बैठा दिया और उसे महेक का चूत चाटने को कहा। सुधा ने पहले तो मना किया फिर परम ने जबरदस्त उसका माथा पकड़ कर बहन के चूत से सटा दिया। सुधा अपने बाप को नौकरानी रेनू का चूत चाटते कई बार देख चुकी थी। उसने होले-होले महेक की चूत पर जीभ चलाना शुरू किया। महेक के टांगो को पूरी तरह फेला कर क्लिट को चूसने लगी और साथ ही चूत में फिंगरिंग भी कर रही थी। सुधा को महेक का चूत चटाते देख कर परम का लंड फिर टन गया। वह सुधा के पीछे आया और लंड से उसके चुताद को रगड़ने लगा। धीरे धीरे परम ने सुधा के चूतड को फैलाया और लंड को सुधा के चूत में पेल दिया।

“आहहह…!फिर चोदोगे?” सुधा ने कहा।

“साली तू मेरी चूत चाटती रह,बहुत मजा आ रहा है।” कहते हुए महेक ने सुधा के सिर को अपनी चूत पर दबा दिया। परम का लंड सुधा के चूत में फचा-फच अंदर बाहर हो रहा था। परम खूब जोर-जोर से धक्का मार रहा और हर धक्के के साथ सुधा महेक के चूत को और जोर से चूसने लगती थी। महेक अपनी गोल-गोल बोबले मसलती हुई अपनी चूत चुसाई का मजा ले रही थी। तीनो मजा ले रहे थे। परम ने धक्का मारते-मारते सुधा के गांड में उंगली घुसा दी, सुधा ने अपनी गांड को ऊपर खीचा, लेकिन महेक ने सुधा के मुंह को अपनी चूत पर दबाए रखा। परम का लंड सुधा के चूत को ढीला कर रहा था और उसकी उंगली गांड के टाइट छेद में नीचे आ-जा रहा थी। उंगली निकाल कर परम ने चूत के रस में डुबकी लगाई और फिर गांड में घुसा दिया। इस तरह चूतरस में उंगली को गांड में पेलता रहा। गांड गीला होने लगा और दो उंगली आराम से गांड में घुस गई।
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

"महेक तेरी सहेली की गांड भी लंड खाने को तैयार हो गई है। साली की गांड भी मार दूं? " परम ने पूछा।

लेकिन महेक ने कहा कि आज खाली चूत का बाजा बजाएंगे अगली बार जब मिलेगी तो गांड मारना।


आप बताये की यह अपडेट कैसा लगा................
 

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अब परम झड़ने बाला था, उसने जोर-जोर से और खूब जल्दी-जल्दी चोदना शुरू किया। सुधा को बहुत मजा आ रहा था, वह महेक के शरीर पर पूरा फैल गई। उसकी चूत ठीक महेक के चूत के उपर आ चुकी थी। परम को अपनी बहन का चूत का छेद दिख रहा था। परम को और जोश आया और उछल-उछल कर चुदाई करने लगा। सुधा स्खलित हो गई और महेक से चिपक कर ठंडी हो गई। परम भी झड़ने लगा और उसका 'कम' (वीर्य) सुधा की चूत से निकल कर महेक की चूत पर गिरने लगा। परम ने लंड बाहर खींचा और महेक के चूत पर रगड़ने लगा। थोड़ी देर रगड़ने के बाद उसने अपना लंड अपनी बहन महेक के मुँह में घुसा दिया। महेक चूसने लगी और साथ ही साथ सुधा भी लंड को चाटने लगी। दोनों लडकिया परम के पलंद को साफ़ करने पर तुली हुई थी, और चाट-चाट के लंड को एकदम साफ़ कर दिया जैसे कुछ हुआ ही न हो।

तीनो ठंडे हो गए, तीनो नंगे ही बहार निकले और एक साथ पेशाब कीया। परम ने अपने पेशाब का निशाना महेक और सुधा की चूत पर रखा। दोनो लड़कियों की चूत और जंघे परम के पेशाब से भींग गई। फिर तीनो कमरे में आकर एक दूसरे से चिपक कर सो गए।

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सुबह सुंदरी उठी और देखा कि बच्चों का कमरा खुला है। अन्दर आई तो जो देखा और वह अवाक रह गई। दोनो लड़किया बिल्कुल नंगी परम के शरीर पर जांघें रख कर सोयी है। सुंदरी नजरीक गई, बेड पर खून के स्पॉट दिखे, वह समझ गई कि रात को परम ने सुधा की सील तोड़ी है। 'क्या पता अपनी बहन की भी चुदाई करता हो। माँ को तो चोद ही चुका है।'

सुंदरी ने थोड़ी देर तक दोनों की चूत को सहलाया और यह तय किया कि रात को अपनी बेटी के सामने परम से चुदवायेगी और बेटी को अपनी चूतरस का स्वाद चखायेगी। उसने परम के लंड की ओर देखा और उस लंड पर उसे प्रेम आया पर वह कुछ नहीं कर सकी। फिर से उसने अपनी बेटी की चूत पर हाथ रखा और देखा की बेटी की चूत गीली होक सुख गई थी और सुधा की चूत पर परम का वीर्य अभी भी सुख के जैम गया था, और काफी खून भी बह निकला था। उसने एक ऊँगली से सुधा की चूतद्वार पे ले गई और थोडा रब कर के अपनी ऊँगली पर उस चूत की गंदकी को लिया और सीधा अपने मुह में रख दिया। “स्वादिष्ट हो तुम सुधा!” वह थोडा मुस्कुराई और सुधा की गांड की और देखा उसने सोचा अभी गांड परम ने छोड़ दी है क्यों ??? और वह धीरे से कमरे से बहार निकल गई।

अगली सुबह परम बेहद खुश था। रात में सुधा की वर्जिन चूत का मजा लिया, उसकी सिल को तहस नहस किया और खून से भर दिया। सुंदरी के पूछने पर परम ने चुदाई का पूरा किस्सा सुनाया। बाद में परम और महेक सुधा को लेकर उसके घर पहुंच गए। सुधा की चूत रात की चुदाई से अभी तक दर्द हो रहा था, उसे चलने में थोडा असहज महसूस हो रहा था पर रात के आराम की वजह ज्यादा भी नहीं। लेकिन यह तय था की सुधा की चाल में थोडा बदलाव जरुर था।

परम सुधा को घर छोड़ कर कोलेज गया। वहा गेट पर हाय विनोद मिल गया। परम ने खुश होकर विनोद से कहा कि उसने कल सुंदरी को पूरा नंगा कर दिया और उसकी मस्त मस्त निपल भी दबायी। उसने बताया कि सुंदरी, विनोद से चुदवाने को तैयार हो गई है। यह सुनकर विनोद बहुत खुश हुआ। परम ने कहा कि कल दोपहर में वो पूरा रुपया लेकर उसके घर आ जाए ठीक 2 बजे। विनोद हां सुनकर इतना खुश हुआ कि उसने परम का हाथ पकड़ कहा चल आज तुझे एक साथ दो-दो चूत का मजा दिलावाता हूं। विनोद, परम को लेकर सीधा अपने घर पर आया। वहा विनोद की बहन (उससे बड़ी) बहार के बरामदे पर कुछ लोगो के साथ बैठ कर कागजात देख रही थी और लोगो से रुपया वसूल कर रही थी। परम उसे जानता था इसलिए उसने उसे उसकी खबर पूछी।
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

उसने उसे थपथपाया और डांटा कि “क्यों आजकल तू यहाँ उसके घर नहीं आ रहा है?

विनोद ने उससे कहा कि “जल्दी काम ख़त्म करो और दरवाज़ा बंद करके अंदर आ जाओ”।
अपने विचार जरुर दीजिये
 

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फिर विनोद परम को घर के अंदर और शयनकक्ष में ले गया। उसने अपनी माँ को बुलाया जो लगभग 41-42 की थी, थोड़ी मांसल और इतनी पतली फिगर वाली नहीं थी। जैसे ही वह कमरे में दाखिल हुई, विनोद ने उसकी साड़ी उतार दी और कहा,

“परम को खुश करो…जो चाहता है सब करने दो, और उसके लंड को खाली कर के छोड़ना।” विनोद ने अपनी माँ की चुची दबाते हुए कहा जल्दी से नंगी हो जा और परम के लंड को चूस। विनोद की माँ ने बिना कुछ कहे अपना पेटीकोट और ब्लाउज़ उतारा और बिस्तर पर लेट गईं और पैरों को फैला कर चुतर उठाया। विनोद की मां ने झांट साफ किया था, एक दम क्लीन चूत थी। उसकी चुची सुंदरी के चुची से बड़ी और मोटी थी लेकिन पूरी पेट तक आकर लटक गई थी। परम ने अपना कपड़ा उतारा और विनोद की माँ की चूत को चूमने लगा।

"परम, चूत चाटने के लिए नहीं होती, लौड़ा नीचे डाल कर चोदो!" विनोद चिल्लाया। लेकिन परम को चूत का स्वाद पता था। उसने अपने दोस्त की माँ को चूसा और चोदा। उस औरत के मुँह में स्खलित होने के बाद विनोद ने अपनी माँ से गरम दूध लाने को कहा। वो अंदर गई और तभी विनोद की बहन बिन्नी आ गई। विनोद ने उसे बाँहों में भर लिया और उसके कपड़े उतार दिए।

"जाओ साली परम से मरवाओ!" विनोद ने उसे परम पर धकेल दिया। परमने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसे भी वैसे ही संतुष्ट किया जैसे उसने उसकी माँ को किया था। बिन्नी और उसकी माँ, दोनों के लिए यह पहली बार था जब किसी ने उनकी चूत चूसी थी। दोनों को यह चुदाई से ज़्यादा पसंद था। हालाँकि विनोद पिछले एक साल से उसे और उसकी माँ को चोद रहा था, उसने न तो कभी उनकी चूत को मुँह में लिया था, ना ही कलकत्ता के होटलों में किसी और को, न ही उसके पति को, जो हर महीने कुछ दिन उससे मिलने आता है। उन्होंने परम से कहा कि वह ज़्यादा बार आकर उनको चोदे। जी भर के चोदे, वह दोनों चूते अब परम के लंड के लिए तैयार रहेगी। परम ने भी कहा जब भी समय मिलेगा तुम दोनों की चूत की मरमत करने आ जाऊंगा। और दोनों औरतो ने उसे मुस्कुराते हुए विदा किया।



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अपनी कोमेंट देना ना भूलियेगा प्लीज़............
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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"भैया तुम भी मेरी चूत चाट-चाट कर चूत चोद ने के लिए ब्याकुल हो और सुधा भी रेनू को अपने बाप से रोज चुदवाते देख-देख कर लंड की दीवानी बन गई है। इसकी चूत भी लंड खाने के लिए तरस रही है। आ जाओ, साली को चोद-चोद कर पूरा मजा लो और दो, कुतिया की अभी तक सील भी नहीं टूटी है। एक दम कुंवारी है…समजे ना एकदम पेटी पेक माल है सभी जगह से! बस अपने चूत का टला खुलने की राह देख रही है। तुमने तो मेरी चूत को मसल-मसल कर और चाट-चाट कर फूला दिया है लेकिन इसकी चूत बिल्कुल कोरी है…। अपने इस मुसल चाबी से उसकी चूत का ताला खोलो और उसकी चूत के अन्दर अपने लोहे का सलिया डालो।”

महेक ने परम को अपने बिस्तर पर खींच लिया और उसको फटा-फट नंगा कर दिया। नंगा होते ही परम सुधा पर झपट पड़ा और उसका फ्रॉक और पैंटी उतार कर उसे भी नंगा कर दिया।

सुधा और महेक एक ही उम्र की थीं और शारीरिक बनावट भी लगभग एक जैसी थी। सुधा महेक की तरह गोरी तो नहीं थी लेकिन त्वचा पर चमक जरुर थी। उसके स्तन 34" आकार के थे और कूल्हे भी उसी आकार के थे। उसकी कमर पतली थी और जघन क्षेत्र बालों से भरा हुआ था। परम ने उसे बिस्तर पर सपाट लेटा दिया। उसने उसके प्रत्येक पैर को पकड़ लिया और जितना संभव हो उतना अलग कर दिया। पैरो के फैलते ही सुधा की चूत अपने आप बहार आके अपना मुह दिखाई देने लगी। उसकी जांघें पूरी तरह से विकसित हो गई हैं और सुंदरी की तरह मोटी नहीं हैं। परम ने सुधा की चूत पर अपने हाथ फेरे और चूत के होंठ और भगनासा को रगड़ा। महेक सुधा के पास बैठी थी और वह उसके बोब्लो को सहला रही थी। वह सुधा की चूत में लंड को घूमते और घुसते हुए देखने के लिए उत्सुक थी।

"भैया, माल (सुधा) पूरी गर्म है। चूत को चोदो और चूसो, सब से पहले साली को चुदाई का मजा दो, लंड चूत में पेल कर साली को एक मस्त औरत बना दो, चूत फाड़ डालो। मुझे चोदने के लिए तो रोज तैयार रहते हो और आज जब नंगी और अनछुई चूत सामने पड़ी है तो लंड छिपा रहा हो।” उसने अपने भाई का लंड हाथ में पकड़ा और अपने सहेली की चूत के सामने रख दिया। आप मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

परम कुंवारी चूत के छेद में प्रवेश करने के लिए तैयार ही था। सुबह उसने अपनी मां की पूरी तरह से चुदाई की थी और दोपहर के बाद परम ने रेखा की गांड मारी थी और करीब करीब चूत को चोद ही डाला था। यही सोचते-सोचते उसका जोश आया वह जोश उसके लंड पे चला गया और जोर से धक्का मारा।

“ओह माँ...ऊऊऊ ईईइ....म...आ...आआ....” सुधा चिल्लायी…”बाप रे बहुत दर्द करता है.... लंड बाहर निकालो…”

परम ने कस कर सुधा का कमर को जकड़ा और फिर जोर से धक्का मारा…”

सुधा को पसीना आने लगा। इस समय उसका मुंह और आंखें चौड़ी हो गईं थी, महेक ने सुधा के बोबे को बेरहमी से दबा दिया।। “चुदासी चिल्ला क्यों रही है।। अभी तक तो लौड़ा खाने के लिए मर रही थी और अब जब लौड़ा चूत में घुस रहा है तो बाप को याद कर रही है… तेरा बाप तो तुझे चोदेगा ही…” उसने परम की तरफ देखा और कहा भैया रुकना मत, साली की चूत फाड़ डालो…उसकी चूत को अब भोसड़ा बना दो।”

सुधा सचमुच दर्द में थी। उसे महसूस हुआ कि उसकी चूत से तरल पदार्थ की एक धारा उसकी जांघों तक बह रही है। उसने अपना हाथ वहाँ रखा और उसे देखा।

“बाप रे....मेरी चूत फाड़ डाला.... खून निकल रहा है… साला हरामी इतना ही चोदने का जोश है तो मेरे चूत से लंड निकाल कर अपनी बहन के चूत में डाल दो।। बहुत प्यार से चुदवाएगी… रोज तो चटवाती है आज लंड को चूत के अन्दर भी ले लेगी… मा....र डा....ला सा....ला… जा कर अपनी माँ को चोद ह....रा....मी... बाप रे बाप बहुत दर्द कर रहा है....नहीं चुदना है मुझे।
आप मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

अब तक पूरा लंड सुधा की चूत में जा चुका था और अब परम हल्के-हल्के धक्के लगा रहा था। अब सिल की परदी तो वह चूत में थी ही नहीं, और हलके धक्को से अब सुधा का दर्द भी कम होने लगा और जल्द ही उसने परम को अपनी बाहों में जकड़ लिया। "आआह्ह्ह.... राजा.... आह्ह्ह.... अच्छा लग रहा है!"

महेक ने सुधा के गालों पर चुटकी लेते हुए कहा, "साली, अभी तक तो बाप-बाप चिल्ला रही थी और अब पूरा लंड अंदर गपक गई है। मरवाले बापचोदी, चूत को ढीला कर ले, अपने बाप से चुदवाने के लिए। तेरा सिल मेरे भाई के लंड से टूटना था तो तूट गया।"

सुधा ने अपने कूल्हे उचकाए: ”मादरचोद तू क्यों बक-बक कर रही है…तुझे चुदाई का इतना दुख है तो चल अपने बाप के मोटे लंड से चुदवा दूंगी…। बहुत मजा आएगा हरामजादी…। लेगी ना मेरे बाप का लंड तेरी इस खुबसूरत चूत में!”


इतनी देर में महेक भी चुदासी होकर नंगी हो गई थी। परम सुधा की चूत को चोद रहा था और महेक के चूत को प्यार से देख कर सोच रहा था कि अब जल्दी से अपनी बहन की चूत भी चोदेगा…

बने रहिये

Bahut hi mast update he Funlover Ji,

Aakhirkar param ne apne jivan ki pehli seal pack chut faad hi di...........

Maja aa raha he story me

Keep rocking
 
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