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Mast update bhai, dekhte hain ab kon kon milne aega.
Bahut hi shaandar update diya hai HalfbludPrince bhai....
Nice and lovely update....
ThanksAmazing update
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मुद्दत गुज़र गयी कि यह आलम हैइसीलिए तो इसे जिंदगी कहते है भाई, 36 साल की उम्र मे मैने सब कुछ पा लिया सब जी लिया लोग जिसकी तमन्ना करते है वो सब मैंने देख लिया. कुछ लोग गलत होते है कुछ समय ठीक नहीं होता बस यही सार है
To Kya kabir ne tai ki bhi bajayi hai ?#14
वहां पर ताई जी मोजूद थी , मैं उन्हें वहां पर देख कर चौंक गया वो मुझे देख कर चौंक गयी.
“ऐसे क्या देख रही हो तुम्हारा कबीर ही हु मैं ” मैंने ताई को गले से लगाते हुए कहा.
ताई- कबीर,बहुत इंतज़ार करवाया बहुत देर की लौटने में
मैं- लौट आया हूँ अब तुम बताओ कैसी हो और इस वक्त क्या कर रही हो यहाँ
ताई- दिन काट रही हूँ अपने , गाँव के एक आदमी ने बताया की किसी ने खेतो पर ट्रेक्टर चला दिया है तो देखने आ गयी, बारिश शुरू हुई तो रुक गयी इधर ही .
मैं- मैं ही था वो. खेतो की इतनी दुर्दशा देखि नहीं गयी
ताई- सब वक्त का फेर है वक्त रूठा जमीनों से तो फिर कुछ बचा नहीं
मैं- परिवार में क्या कोई ऐसा नहीं जो खेत देख सके
ताई- परिवार बचा ही कहाँ , कुनबे का सुख बरसो पहले ख़तम हो गया.
मैं- ताऊ के बारे में मालूम हुआ मुझे
ताई- फिर भी तू नहीं आया , तू भी बदल गया कबीर गया दुनिया के जैसे
मैं- पुजारी बाबा ने बताया मुझे ताऊ के बारे में. मैं सीधा तुम्हारे पास ही आना चाहता था पर फिर उलझ गया ऊपर से निशा भी आ गयी
ताई- हाँ तो उसको तेरे साथ आना ही था न
मैं- तुझे भी लगता है की मैंने उसके साथ ब्याह कर लिया है
ताई- लगता क्या है, शादी तो कर ही न तुमने
मैं- हाँ ताई.
अब उस से क्या कहता की एक हम ही थे जो साथ न होकर भी साथ थे ज़माने के लिए. बारिश रुकने का आसार तो नहीं था और इधर रुक भी नहीं सकते थे .
मैं- चलते है
ताई- गाँव तक पैदल जायेंगे तो पक्का बीमार ही होना है
मैं- आ तो सही
जल्दी ही हम जीप तक आ गए. ताई जीप को देख कर चौंक गयी.
“ये तो देवर जी की गाडी है , ” बोली वो
मैं- हाँ उनकी ही है.
जल्दी ही हम लोग ताई के घर तक आ पहुचे थे.
“अन्दर आजा ” ताई बोली
मैंने भरपूर नजर ताई के गदराये जिस्म पर डाली बयालीस -पैंतालिस उम्र की ताई अपने ज़माने की बहुत ही गदराई औरत थी ये बात मुझसे बेहतर कौन जानता था . ये मौसम की नजाकत और मादकता से भरी भीगी देह ताई की , पर मुझे और काम था तो मैंने मना कर दिया.
“कल सुबह आऊंगा अभी जरुरी काम है मुझे. ” मैने ताई को घर छोड़ा और गाडी मंजू के घर की तरफ मोड़ दी.
“कहाँ थे तुम अब तक ” निशा ने सवालिया निगाहों से देखा मुझे
नीली साडी में क्या खूब ही लग रही थी वो .दिल ठहर सा गया.
“कितनी बार कहा है ऐसे न देखा करो ” बोली वो
मैं- तुम्हारे सिवा और कुछ है ही नहीं देखने को
मैंने जल्दी से कपडे बदले और चाय का कप लेकर सीढियों पर ही बैठ गया. वो पीठ से पीठ लगा कर बैठ गयी.
मैं- कल तुम्हे चलना है मेरे साथ
निशा- कहाँ
मैं- बस यही कही . बहुत दिन हुए तुम्हारा हाथ पकड़ कर चला नहीं मैं
निशा- ठीक है
मैं- कैसा रहा प्रोग्राम
निशा- तुम्हे पूछने की जरुरत नहीं, चाची को मालूम हो गया है की तुम लौट आये हो
मैं- फिर भी आई नहीं वो
निशा—बात करने से बात बनती है कबीर, तुम अगर कदम आगे बढ़ा दोगे तो छोटे नहीं हो जाओगे.
मैं- बात वो नहीं है सरकार, चाचा की दिक्कत है
निशा- बात करने से मसले अक्सर सुलझ जाते ही है
अब मैं उसे क्या बताता की मसला किस कदर उलझा हुआ है. दिल तो दुखता था की अपने ही घर की शादी में अजनबियों जैसे महसूस हो रहा था पर क्या करे चाचा अपनी जगह सही था मैं उसका कोई दोष नहीं मानता था और मेरे पास कोई जवाब भी नहीं था .हम तीनो ने खाना खाया और फिर मंजू बिस्तर लेकर दुसरे कमरे में चली गयी हालाँकि निशा ऐसा नहीं चाहती थी.
“ऐसे क्या देख रहे हो ” बोली वो
मैं- अभी थोड़ी देर पहले तो बताया न की सिर्फ तुम्हे ही देखता हूँ
निशा- कैसी किस्मत है न हमारी
मैं- फर्क नहीं पड़ता , मेरी किस्मत तू है
निशा- मैं वादा नहीं निभा पाई न
मैं- तूने ही तो कहा था न की इश्क में शर्ते नहीं होती अपने हिस्से का सुख हमें जरुर मिलेगा.
निशा- उम्मीद तो है .
मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया , उसके माथे को चूमा और बोला- ख़ुशी बहुत है तेरी तरक्की देख कर
निशा- क्या फायदा जब उसमे तू नहीं है
मैं- अपने दिल से पूछ कर देख
निशा- मैंने dsp को कहा था , फिर तू रुका क्यों नहीं
मैं- वो सही जगह नहीं थी , छोटी के ब्याह का कार्ड देखा वहां तो रोक न सका खुद को फिर.
निशा- तेरे साथ रह कर मैं भी तेरेजैसी हो गयी हूँ,
मैं- सो तो है , अब सो जा
निशा- थोड़ी देर और बात कर ले
थोड़ी थोडी देर के चक्कर में रात लगभग बीत ही गयी थी जब मेरी आँख लगी.
“कबीर, तेरी पसंद के परांठे बनाये है जल्दी आ ठन्डे हो जायेगे ” माँ की आवाज मेरे मन में गूँज रही थी, सपने में मैं माँ के साथ था की तभी नींद टूट गयी.
“बहुत गलत समय पर जगाया मंजू तूने ” मैंने झल्लाते हुए कहा
मंजू- उठ जा घडी देख जरा
मैंने देखा नौ बज रहे थे .
“निशा कहा है ” मैंने कहा
मंजू- शिवाले पर , कह कर गयी है की जैसे ही तू उठे तुरंत वहां पहुँच जाये
जल्दी से मैं तैयार हुआ, वो गाड़ी छोड़ कर गयी थी मैं तुरंत शिवाले पहुंचा, जल चढ़ाया बाबा संग चाय पी और फिर निशा को अपने साथ बिठा लिया
“बता तो सही किधर जा रहे है ” बोली वो.
मैं- बस यही तक
जल्दी ही गाड़ी गाँव को पार कर गयी थी, कच्चे सेर के रस्ते पर जैसे ही गाड़ी मुड़ी, निशा ने मेरा हाथ पकड़ लिया. “नहीं कबीर ” उसने मुझसे कहा .
“मैं हु न ” मैंने कहा
निशा- इसी बात का तो डर है मुझे
मैं- चुपचाप बैठी रह फिर
निशा ने नजर खिड़की की तरफ कर ली और मेरी बाजु पकड़ ली. करीब दस मिनट बाद मैंने गाड़ी उस जगह रोक दी जो कभी निशा का घर होता था .
“उतर ” मैंने कहा
निशा – मुझसे नहीं होगा
मैं- आ तो सही मेरी सरकार.
कांपते कदमो से निशा उतरी, भीगी पलकों से उसने घर को देखा . आगे बढ़ कर मैंने दरवाजा खोला निशा के भाई ने जैसे ही उसे देखा दौड़ कर लिपट गया वो अपनी बहन से . जोर से रोने लगा वो. मैंने नजरे दूसरी तरफ कर ली.................
Fantastic Update !#15
कहते है की दुनिया में सबसे प्यारा नाता भाई-बहन का होता है . चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाये पर भाई बहन कभी एक दुसरे को नहीं भूल सकते. कांपते हाथो से निशा ने अपने भाई के माथे को चूमा
“अन्दर चलो दीदी ” नकुल ने कहा
निशा- तुझे देख लिया बस बहुत है मेरे लिए ,
नकुल- दीदी आज का दिन बहुत खास है, मेरे लिए ही सही अन्दर तो चलो. इतने सालो बाद मेरी दीदी घर आई है मुझे स्वागत तो करने दो
“अरे नकुल कैसा हल्ला हो रहा है बाहर ” तभी निशा की मम्मी चबूतरे पर आयी उसकी नजरे निशा पर ठहर सी गयी थी माँ बेटी बस एक दुसरे को देखे ही जा रही थी.
“मेरी बच्ची ” निशा की माँ ने उसकी बलाइया ली.
“खुश तो हो न तुम लोग ” माँ ने मुझसे कहा
मैं- जी
निशा- कबीर, ये तूने ठीक नहीं किया. जानते हुए भी तू मुझे यहाँ लेकर आया
मैं- यहाँ नहीं आएगी तो कहाँ जाएगी , तेरा घर है .
निशा- ये जानते हुए भी की इसी चोखट पर क्या हुआ था
मैं- तूने ही कहा था न की बात करने से बात बनती है तो बात कर लेते है . नकुल की कलाई आज सूनी तो रहेगी नहीं तू अन्दर जा न जा तेरी मर्जी पर राखी जरुर बाँध इसे. हमारे भाग के दुःख हम इसे तो नहीं दे सकते न, इसका हक़ है ये हक़दार है तेरी राखी का. ये तेरी माँ है दो घडी बात कर ले इस से फिर अपन चल ही देंगे इधर से. हम यहाँ किसी को सफाई देने नहीं आये है , ना मैं कुछ भुला हु .मेरी बस इतनी इच्छा है की एक बहन भाई को राखी जरुर बांधे.
निशा- कबीर , इतना विष भी मत पी लेना की संभले न
मैं- जब तक मेरी सरकार मेरे साथ है मुझे ज़माने की परवाह ना थी ना है ना आगे होगी.
निशा ने नकुल को राखी बाँधी तो बहुत खुश हो गया वो .
“तेरी जिद है बेटी तो तू अन्दर मत आ, पर बेटी- जंवाई आये है तो मुझे दो घडी का इतना हक़ तो दे की मैं जी भर कर देख सकू , क्या मालूम तू कब आएगी. फिर ” माँ ने कहा
निशा कुछ कहती उस से पहले ही मैं बोल पड़ा- माँ, अभी तक हमने शादी नहीं की है . ना ही हम साथ थे, तेरी बेटी बड़ी पुलिस अधिकारी बन गयी है . संजोग ये है की एक बार फिर इस दर पर हम साथ आये है , तेरी बेटी बहुत खुद्दार है , मुझसे ज्यादा इसे बाप की पगड़ी की चिंता है , ज़माने में चाहे सब ये कहे की भाग गयी तेरी बेटी पर माँ सच ये है की आज भी इसे ठाकुर साहब की हाँ का इंतजार है .
“कबीर चल यहाँ से ” निशा ने मेरी बांह पकड़ ली .
मैं- दो बात माँ से कर लू फिर चलते है . माँ, हमेशा गर्व करना जो तुझे ऐसी बेटी मिली. इसने कोई गुनाह नहीं किया, इसकी बस इतनी इच्छा थी की ये अपने पसंदीदा मर्द से शादी करे. ठाकुर साहब कभी न कभी तो समझेंगे इस बात को . मैं सिर्फ नकुल की इच्छा के लिए आया था अब हमें जाना होगा ठाकुर साहब को मालूम होगा तो फिर त्यौहार का रंग फीका हो जायेगा.
मैंने माँ के पांवो में सर रखा और बोला- दुआ देना, इसी चौखट से ज़माने के सामने ले जाऊ अपनी सरकार को .
माँ की भीगे पलके मेरे सीने में दर्द पैदा कर गयी. वापिसी में दिल साला बहुत भारी हो रहा था .
“ठेके पर चल ” निशा ने बिना आँखे खोले कहा . एक के बाद एक बोतले खुलती चली गयी. कभी वो हंसती कभी रोती . परिवार किसी भी इन्सान की शक्ति होती है, मैंने अपने परिवार को खोया अपने कर्मो की वजह से, निशा ने घर छोड़ा मेरी वजह से . नशे में निशा ने अपने तमाम दर्द को ब्यान कर दिया. मैं धैर्यपूर्वक उसे सुनता रहा . वापिसी में गाड़ी मैंने चाचा के घर के पास रोक दी, मेरी कलाई को पूरा विशवास था की छोटी जरुर आएगी राखी बंधने पर शाम रात में बदल गई वो ना आई. उस भाई का क्या ही जीना जिसे उसकी बहन भुला दे. अपना हाल कहे भी तो किसे सो एक बोतल और खोल ली .
“हवेली चलेगी क्या ” मैंने उस से कहा
“ नहीं, फिलहाल मैं बस सोना चाहती हु ” निशा ने कहा तो मैंने उसे बिस्तर पर जाने दिया. मंजू न जाने कहा गयी हुई थी. मैंने दरवाजे को हल्का सा बंद किया और चबूतरे पर बैठ गया. कडवा पानी सीने में जलन पैदा कर रहा था पर अपना दर्द कहे भी तो किस से सुनने वाला कौन ही था . जिसे भी कहना चाहे वो हमसे ज्यादा दुखी था.
“अरे कबीर इधर क्यों बैठा है ” मंजू ने आते हुए पुछा.
मैं- बस ऐसे ही , मन थोडा विचलित था छोटी आई नहीं राखी बंधने
मंजू- माँ चुदाय न आई तो . जब उसे ही परवाह नहीं तू भी छोड़ इन झमेलों को . ये दुनिया वैसी नहीं कबीर जैसी हमने किताबो में पढ़ी थी . यहाँ हर कोई जानवर है , हर कोई शिकार है . जब तक उनको तेरी जरुरत थी तब तक ठीक था . माल माल सब ले गया चाचा तेरा , क्या छोड़ा है तेरे लिए जाके पूछ तो सही . तेरे पिता की मौत के बाद बीमे के सारे पैसे खा गया वो . कितना कुछ दबा क्या तब उन्हें तेरी याद ना आई अब क्या घंटा याद करेंगे वो.
मैं- बात रूपये पैसे की तो है ही नहीं
मंजू- तो फिर क्या बात है .गलती अकेले तेरी तो नहीं थी चाची भी तो बराबर की गुनेहगार थी .
मैं- सुन मैं हवेली जा रहा हूँ अन्दर निशा सोयी पड़ी है. दारू ज्यादा खींची है उसने थोडा देख लेना . मैं थोड़ी देर में आऊंगा
मंजू- अब इस वक्त क्या करेगा तू उधर जाके
मैं- बैग उधर है मेरा बस अभी गया और यूँ आया.
मैंने उसके गाल पर पप्पी ली और हवेली की तरफ चल दिया. बहनचोद गाँव के सरपंच से मिलना पड़ेगा हमारे घर वाले रस्ते पर साली एक भी लाइट नहीं थी .ऊपर से बारिश में कीचड वाला रास्ता , जैसे तैसे मैं दरवाजे तक पहुंचा और मैं चौंक गया दरवाजे को मैं बंद करके गया था जबकि अब उसका पल्ला खुला था , खैर मैं अन्दर गया तो लालटेन की रौशनी थी जो मेरे कमरे से आ रही थी
“तो तुम हो यहाँ ” मैंने जैसे ही कहा उसके चेहरे का रंग बदल गया................
निशा के भाई को राखी मिल गयी पर कबीर की कलाई सुनी रह गयी......#15
कहते है की दुनिया में सबसे प्यारा नाता भाई-बहन का होता है . चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाये पर भाई बहन कभी एक दुसरे को नहीं भूल सकते. कांपते हाथो से निशा ने अपने भाई के माथे को चूमा
“अन्दर चलो दीदी ” नकुल ने कहा
निशा- तुझे देख लिया बस बहुत है मेरे लिए ,
नकुल- दीदी आज का दिन बहुत खास है, मेरे लिए ही सही अन्दर तो चलो. इतने सालो बाद मेरी दीदी घर आई है मुझे स्वागत तो करने दो
“अरे नकुल कैसा हल्ला हो रहा है बाहर ” तभी निशा की मम्मी चबूतरे पर आयी उसकी नजरे निशा पर ठहर सी गयी थी माँ बेटी बस एक दुसरे को देखे ही जा रही थी.
“मेरी बच्ची ” निशा की माँ ने उसकी बलाइया ली.
“खुश तो हो न तुम लोग ” माँ ने मुझसे कहा
मैं- जी
निशा- कबीर, ये तूने ठीक नहीं किया. जानते हुए भी तू मुझे यहाँ लेकर आया
मैं- यहाँ नहीं आएगी तो कहाँ जाएगी , तेरा घर है .
निशा- ये जानते हुए भी की इसी चोखट पर क्या हुआ था
मैं- तूने ही कहा था न की बात करने से बात बनती है तो बात कर लेते है . नकुल की कलाई आज सूनी तो रहेगी नहीं तू अन्दर जा न जा तेरी मर्जी पर राखी जरुर बाँध इसे. हमारे भाग के दुःख हम इसे तो नहीं दे सकते न, इसका हक़ है ये हक़दार है तेरी राखी का. ये तेरी माँ है दो घडी बात कर ले इस से फिर अपन चल ही देंगे इधर से. हम यहाँ किसी को सफाई देने नहीं आये है , ना मैं कुछ भुला हु .मेरी बस इतनी इच्छा है की एक बहन भाई को राखी जरुर बांधे.
निशा- कबीर , इतना विष भी मत पी लेना की संभले न
मैं- जब तक मेरी सरकार मेरे साथ है मुझे ज़माने की परवाह ना थी ना है ना आगे होगी.
निशा ने नकुल को राखी बाँधी तो बहुत खुश हो गया वो .
“तेरी जिद है बेटी तो तू अन्दर मत आ, पर बेटी- जंवाई आये है तो मुझे दो घडी का इतना हक़ तो दे की मैं जी भर कर देख सकू , क्या मालूम तू कब आएगी. फिर ” माँ ने कहा
निशा कुछ कहती उस से पहले ही मैं बोल पड़ा- माँ, अभी तक हमने शादी नहीं की है . ना ही हम साथ थे, तेरी बेटी बड़ी पुलिस अधिकारी बन गयी है . संजोग ये है की एक बार फिर इस दर पर हम साथ आये है , तेरी बेटी बहुत खुद्दार है , मुझसे ज्यादा इसे बाप की पगड़ी की चिंता है , ज़माने में चाहे सब ये कहे की भाग गयी तेरी बेटी पर माँ सच ये है की आज भी इसे ठाकुर साहब की हाँ का इंतजार है .
“कबीर चल यहाँ से ” निशा ने मेरी बांह पकड़ ली .
मैं- दो बात माँ से कर लू फिर चलते है . माँ, हमेशा गर्व करना जो तुझे ऐसी बेटी मिली. इसने कोई गुनाह नहीं किया, इसकी बस इतनी इच्छा थी की ये अपने पसंदीदा मर्द से शादी करे. ठाकुर साहब कभी न कभी तो समझेंगे इस बात को . मैं सिर्फ नकुल की इच्छा के लिए आया था अब हमें जाना होगा ठाकुर साहब को मालूम होगा तो फिर त्यौहार का रंग फीका हो जायेगा.
मैंने माँ के पांवो में सर रखा और बोला- दुआ देना, इसी चौखट से ज़माने के सामने ले जाऊ अपनी सरकार को .
माँ की भीगे पलके मेरे सीने में दर्द पैदा कर गयी. वापिसी में दिल साला बहुत भारी हो रहा था .
“ठेके पर चल ” निशा ने बिना आँखे खोले कहा . एक के बाद एक बोतले खुलती चली गयी. कभी वो हंसती कभी रोती . परिवार किसी भी इन्सान की शक्ति होती है, मैंने अपने परिवार को खोया अपने कर्मो की वजह से, निशा ने घर छोड़ा मेरी वजह से . नशे में निशा ने अपने तमाम दर्द को ब्यान कर दिया. मैं धैर्यपूर्वक उसे सुनता रहा . वापिसी में गाड़ी मैंने चाचा के घर के पास रोक दी, मेरी कलाई को पूरा विशवास था की छोटी जरुर आएगी राखी बंधने पर शाम रात में बदल गई वो ना आई. उस भाई का क्या ही जीना जिसे उसकी बहन भुला दे. अपना हाल कहे भी तो किसे सो एक बोतल और खोल ली .
“हवेली चलेगी क्या ” मैंने उस से कहा
“ नहीं, फिलहाल मैं बस सोना चाहती हु ” निशा ने कहा तो मैंने उसे बिस्तर पर जाने दिया. मंजू न जाने कहा गयी हुई थी. मैंने दरवाजे को हल्का सा बंद किया और चबूतरे पर बैठ गया. कडवा पानी सीने में जलन पैदा कर रहा था पर अपना दर्द कहे भी तो किस से सुनने वाला कौन ही था . जिसे भी कहना चाहे वो हमसे ज्यादा दुखी था.
“अरे कबीर इधर क्यों बैठा है ” मंजू ने आते हुए पुछा.
मैं- बस ऐसे ही , मन थोडा विचलित था छोटी आई नहीं राखी बंधने
मंजू- माँ चुदाय न आई तो . जब उसे ही परवाह नहीं तू भी छोड़ इन झमेलों को . ये दुनिया वैसी नहीं कबीर जैसी हमने किताबो में पढ़ी थी . यहाँ हर कोई जानवर है , हर कोई शिकार है . जब तक उनको तेरी जरुरत थी तब तक ठीक था . माल माल सब ले गया चाचा तेरा , क्या छोड़ा है तेरे लिए जाके पूछ तो सही . तेरे पिता की मौत के बाद बीमे के सारे पैसे खा गया वो . कितना कुछ दबा क्या तब उन्हें तेरी याद ना आई अब क्या घंटा याद करेंगे वो.
मैं- बात रूपये पैसे की तो है ही नहीं
मंजू- तो फिर क्या बात है .गलती अकेले तेरी तो नहीं थी चाची भी तो बराबर की गुनेहगार थी .
मैं- सुन मैं हवेली जा रहा हूँ अन्दर निशा सोयी पड़ी है. दारू ज्यादा खींची है उसने थोडा देख लेना . मैं थोड़ी देर में आऊंगा
मंजू- अब इस वक्त क्या करेगा तू उधर जाके
मैं- बैग उधर है मेरा बस अभी गया और यूँ आया.
मैंने उसके गाल पर पप्पी ली और हवेली की तरफ चल दिया. बहनचोद गाँव के सरपंच से मिलना पड़ेगा हमारे घर वाले रस्ते पर साली एक भी लाइट नहीं थी .ऊपर से बारिश में कीचड वाला रास्ता , जैसे तैसे मैं दरवाजे तक पहुंचा और मैं चौंक गया दरवाजे को मैं बंद करके गया था जबकि अब उसका पल्ला खुला था , खैर मैं अन्दर गया तो लालटेन की रौशनी थी जो मेरे कमरे से आ रही थी
“तो तुम हो यहाँ ” मैंने जैसे ही कहा उसके चेहरे का रंग बदल गया................