• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest चाची - भतीजे के गुलछर्रे

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
7,916
8,797
173
मुन्नी जब आई तो उसे देख कर मैं और परेशान हो गया. बात यह थी कि वह बड़ी चंचल शोख सुंदर लड़की थी. जब आयी तो सलवार कुर्ती पहने थी. इस कच्ची उमर में भी उसकी तंग कुरती में से उसके कमसिन उरोज साफ़ उभर कर दिख रहे थे. सामान रखकर वह प्यार से अपनी मौसी यानि माया चाची से लिपट गई. "मौसी, कितनी सुंदर लग रही हो? बहुत खुश भी लगती हो, चलो अभी मां को लिख देती हूँ, वह बिचारी बेकार चिंता में है कि तुम खुश हो या नहीं."

चाची ने भी उसे गले लगा लिया. "कितनी बड़ी हो गई है मुन्नी, दो साल पहले बच्ची लगती थी, अब देख कैसी जवान खूबसूरत हो गयी है मेरी बेटी." मुन्नी थोड़ा शरमायी पर उससे लिपटी रही. चाची ने मेरी भी पहचान उससे करा दी. मेरी ओर वह बार बार कनखियों से देखती. पर उसका सारा ध्यान अपनी मौसी की ही ओर था.

वह सीधा अपना सामान चाची के कमरे में ले गयी. मेरा दिल बैठ गया. चाची ने भी हंसते हुए मेरी ओर मुंह करके मुझे चिढ़ाया कि ले, अब तू क्या करेगा. हुआ भी यही. पूरे दिन मेरा कुछ जुगाड न लगा. मन मार कर अपने लंड को किसी तरह दबा कर बैठा रहा. मुन्नी भी शुरू की झिझक भूल कर मुझसे सहज बातें करने लगी.

जब वह नहाने गयी थी तब मौका देख हमने जल्दी से सिक्सटी नाइन कर लिया. पर उस दस मिनिट के संभोग से मुझे कहाँ संतोष होने वाला था. चाची ने मेरी अवस्था देखी तो मौका देख कर कान में बोली. "अनुराग बेटे, निराश न हो, रात को कुछ मौका निकाल लेंगे."

रात को बिस्तर बिछाने के पहले जब मुन्नी नीचे बाथरूम गयी थी तब चाची ने मेरा लंड चूस दिया. मुझे बड़ा दिलासा मिला कि चलो नींद तो आयेगी. सोते समय चाची ने कहा कि दो खाटें मिलकर काफ़ी जगह है इसलिये सब साथ ही सो जाएंगे. मुन्नी थकी हुई थी इसलिये जल्द ही सो गयी. वह खाट पर एक तरफ़ लेटी थी. बीच में चाची थी और उनके पीछे मैं सोया हुआ था. मुन्नी बड़े प्यार से चाची के गले में बाहें डालकर सोयी थी.

पर मेरा लंड कहाँ मानने वाला था. पीछे से चाची की खुली चिकनी पीठ और साड़ी में से दिखते नितंबों के उभार से फ़िर मेरा खड़ा हो गया. आगे सरककर मैंने अपने लंड को चाची के चूतड़ों पर रगड़ना शुरू कर दिया. वे भी उत्तेजित थी पर मुन्नी के सोये बिना कुछ नहीं हो सकता था. इसलिये वे अपनी भांजी के सोने का इंतज़ार करती हुई चुपचाप पड़ी रही.

मुन्नी को सोया जान कर जब उन्हों ने मेरी ओर मुड़ने की कोशिश की तो मुन्नी की नींद खुली. वह आधी नींद में कुछ बुदबुदायी और फ़िर से उससे चिपट गयी. "मौसी, पलटो नहीं ना, ऐसे ही मेरी ओर मुंह करके सोयी रहो." जब वह फ़िर सो गयी तो मौसी ने मुझसे फ़ुसफ़ुसा कर कहा. "लल्ला, जा तेल ले आ, आज तुझे खुश कर देती हूँ नहीं तो तू बेचारा भूखा ही रह जायेगा."

मैं उठा और चुपचाप नारियल के तेल की बोतल ले आया. मेरे लेटने पर मौसी ने अपनी साड़ी चुपचाप पीछे से ऊपर की और धीमे स्वर मे मुझे बोली. "ले लल्ला, आज पीछे से ही कर ले. इसका हिसाब मैं तुझसे फ़िर कर लूँगी. पर तेल लगा ले पहले नहीं तो मुझे दुखेगा."

चाची के गोरे नितंब अब नग्न थे. जब मैं समझा कि वे मुझसे अपनी गांड मारने को कह रही हैं तो मेरी खुशी का पारावार न रहा. अंधा चाहे एक आँख और मिल जाएँ दो! मैने चुपचाप तेल उंगली पर लेकर उनके गुदा पर लगाना शुरू किया. "अंदर उंगली डाल कर ठीक से लगा बेटे. और अपने लंड पर भी लगा ले." चाची के नरम नरम गुदा के छेद में उंगली डाल कर तेल लगाते हुए मुझे वह मजा आया कि कल्पना भी नहीं की थी.

जब चाची ने हाथ पीछे करके मेरा लंड टटोल कर देखा तो वासना से सिहर गई. "हाय, तू तो आज फ़ाड देगा रे मेरी. दो बार झड़ कर भी इतना तन्नाया है! और तेल लगा, और देख धीरे धीरे डालना." असल में मेरा रोज जितना मोटा नहीं था पर चाची को उसे अपनी गांड में लेने का डर था इसलिये उन्हें वह ज्यादा बड़ा लग रहा था. मैंने भी उनकी सांत्वना की. उनके कान में धीरे से कहा. "चाची, आज तो जरा सा है, आपकी कसम, आपने शाम को चूसा नहीं होता तो मजा आता फ़िर!"

ठीक से तेल चुपडकर मैंने उनकी साड़ी से हाथ पोंछे और सुपाड़ा उनके गुदा पर जमा कर तैयार हो गया. उन्हों ने अपनी उंगलियों से अपना गुदा का छेद खींच कर चौड़ा किया और फ़ुसफ़ुसा कर बोली. "चल डाल अब."

मैंने लंड पेलना शुरू किया. इतना टाइट छेद था कि बड़े धीरे धीरे अंदर गया. मैं सांस रोक कर सूत सूत लोडा पेलता रहा. अचानक पक्क की आवाज से सुपाड़ा उनके गुदा में समा गया. उनका शरीर एकदम कठोर हो गया और न चाहते हुए भी उनके मुंह से दर्द की एक सिसकी निकल गयी.

मुन्नी की नींद खुल गयी. "क्या हुआ मौसी?" चाची ने उसे थपथपा कर सुला दिया. "कुछ नहीं छोटी, जरा कमर में दर्द हुआ. तू सो जा." मैं सांस रोककर बिना हिले डुले पड़ा रहा. चाची की कसी गांड में मेरा सुपाड़ा फंसा हुआ था और इतना मजा आ रहा था कि लगता था कि अभी झड़ जाऊंगा. पर अपने आप पर काबू करके मैं लेटा रहा.

पाँच मिनिट बाद जब मुन्नी फ़िर गहरी नींद में सो गयी तब चाची हल्के से बोली. "अब डाल पूरा अंदर लल्ला. दर्द हो रहा है पर हाय बहुत अच्छा भी लग रहा है." उनका दर्द भी अब कम हो गया था. मैंने लंड फ़िर पेलना शुरू कर दिया और दो मिनिट में जड तक उनके चूतड़ों के बीच उतार दिया. उनकी गांड मेरे लोडे को ऐसे कस के पकड़े थी जैसे किसी ने अपने हाथ से दबोच लिया हो. "अब मार लल्ला मेरी गांड . हौले हौले मारना, आवाज न हो."

मैं सरक कर पीछे से माया चाची से चिपट गया और धीरे धीरे उनकी गांड मारने लगा. बड़ा मजा आ रहा था. लगता था कि घचाघच जोर जोर से उस टाइट गांड को चोदूँ पर मुन्नी के जग जाने का खतरा था. इसलिये सधी हुई लय से हौले हौले मारता रहा. गांड का छेद टाइट तो बहुत था पर तेल लगा होने से लोडा मस्त फ़िसल रहा था. चाची भी मजा ले लेकर गांड चुदवाने लगी.

अपना एक हाथ उन्हों ने धीरे से अपनी जांघों के बीच डाल दिया और अपनी चूत को उंगली से चोदती हुई इस गुदा मैथुन का मजा लेने लगी. "झड़ना नहीं लल्ला अभी, पहले मुझे पानी छोड़ने दे." उनके कहने पर मैंने अपना एक हाथ उनके शरीर पर डाल दिया और मम्मे मसलता हुआ गांड मारता रहा.

थोड़ी ही देर में एक गहरी सांस लेकर चाची झड़ गई. चूत को रगड रगड कर पानी निकाल कर हाथ पीछे करके उन्हों ने अपनी उँगलियाँ मेरे मुंह में दे दी. चूत के रस का स्वाद आते ही मैं अपना धीरज खो बैठा और उन्हें चिपट कर उनके बालों में मुंह छुपाकर उनकी गर्दन को चूमता हुआ कस के गांड मारने लगा. खाट चरमराने लगी.

चाची कहती रही "अरे धीरे लल्ला, छोकरी जाग जायेगी." पर मैं अब तैश में था और कस के दो चार बार धक्के लगाकर झड़ गया. पहली बार मेरे लंड ने अपना वीर्य चाची की गांड की गहरायी में उगला. हम दोनों पड़े पड़े इस कामसुख का आनंद उठा रहे थे तभी मुन्नी अचानक उठ कर बैठ गयी. "क्या चल रहा है मौसी? मैं मां को बता दूँगी." उसकी आवाज में गजब की शैतानी भरी थी.

हम दोनों को मानों सांप सूंघ गया. सकपका कर साड़ी ठीक करने का प्रयत्न करते हुए माया चाची बोली. "कुछ नहीं बिटिया, अनुराग जरा मेरी कमर की मालिश कर रहा था, दुख रही थी ना. तू तो सो रही थी. जाग कैसे गयी?" मैं सांस रोके पड़ा रहा. चाची ने साड़ी से हम दोनों के जुड़े शरीर को ढक लिया था.

लड़की बदमाश थी. उठकर सीधे चाची की साड़ी खींची और खिलखिलाते हुए बोली. "यह मालिश चल रही थी!. छुपाओ नहीं मौसी, मैं तो सोई ही नहीं, बहाना कर रही थी. शाम से ही तुम दोनों के हाव भाव से मुझे पता चल गया था कि जरूर कोई बात है." मैं शरमा कर लंड चाची की गांड में से खींचने लगा तो बोली. "रहने दो अनुराग भैया, छुपाओ मत, ऐसे ही पड़े रहो. गांड मार रहे हो मौसी की तो ठीक से एक बार मारो."

उसके इस मुंहफ़ट जवाब पर चाची को हंसी आ गयी. "बड़ी शैतान है, इतनी सी है पर सब जानती है. लगता है काफ़ी खेली है यह खेल."

मुन्नी ने पास से अपनी मौसी के नितंबों के बीच गड़े मेरे लंड को बड़ी उत्सुकता से तकते हुए जवाब दिया. "नहीं मौसी, मेरे इतने भाग्य कहाँ. अम्मा तो मुझ पर कड़ी नजर रखती है. और फ़िर मैं अंटशंट लोगों के साथ कुछ नहीं करना चाहती थी. बस एक खास सहेली से थोड़ी मजा कर लेती थी. सोच रही थी कि यहाँ आकर महीना भर अपनी सुंदर मौसी के साथ कुछ मस्ती करूंगी. यहाँ तो और ही मस्त खेल चल रहे हैं."

उसकी इस बात पर खुश होकर चाची ने उसे खींच कर बाँहों में भरकर चूमते हुए कहा. "सच, मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हूँ मुन्नी? पर अब क्या करेगी, मां से तो कुछ नहीं कहेगी ना?" मुन्नी ने जवाब दिया. "नहीं मौसी, पर एक शर्त पर, मुझे भी अपने इस खेल में शामिल करो."

"सोच ले मुन्नी, एक बार हमारे साथ आ गयी तो सब सहना पड़ेगा. बीच में मुकरने की कोशिश की तो ठीक नहीं होगा." चाची ने प्यार से धमकाया. अब तक मुन्नी भी काफ़ी गरम हो चुकी थी. अपनी अर्धनग्न मौसी के मांसल शरीर और मेरे तने आधे गांड में धँसे शिश्न को देखकर उसकी सांसें जोर से चल रही थी. चाची से मिन्नतें करती हुई बोली. "नहीं मौसी, तू जो कहेगी वह करूंगी." और वह भी पटापट चाची का मुंह चूमने लगी.

उस कमसिन कच्ची किशोरी और करीब करीब उसकी मां की उमर की सगी मौसी की यह चूमाचाटी देखकर मेरा फ़िर तन्ना गया. चूमना रोककर चाची ने मुझसे कहा. "लल्ला, लंड निकालना नहीं, पूरा अंदर डाल दो और मजा देखो, ऐसा नजारा तूने कभी देखा नहीं होगा ब्लू फ़िल्म में भी." कहकर चाची ने अपने ब्लाउ के बटन खोले और साड़ी कमर के ऊपर उठा ली.

मौसी के नंगे स्तन और उधड़ी जांघें और उनके बीच की बुर देखकर मुन्नी तैश में आ गयी. "हाय मौसी, कितनी प्यारी है तू, और तेरी चूचियाँ कितनी बड़ी हैं, चुसूँ इन्हें मौसी?" और चाची के जवाब का इंतज़ार न करके उनके उरोज दबाती हुई वह एक निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगी.

उसके बाल चूमते हुए चाची ने भी उस छोकरी के बदन को नंगा करना शुरू किया. काफ़ी आसान काम था क्योंकी रात को सोते समय मुन्नी ने सिर्फ़ एक स्कर्ट और चोली पहन रखी थी. चोली तो चाची ने सामने से खोल दी. स्कर्ट उतारने की जरूर नहीं थी. उसे तो बस ऊपर कर लिया. मुन्नी के छोटे छोटे रसीले सेब और उसकी कमसिन दुबली पतली गोरी टाँगे अब नंगी थी. उन्हें देखकर मेरा भी लंड और जमकर खड़ा हो गया. बड़ी प्यारी कन्या थी.

8b9e72c026fa3d9011a2cc65ca8119ce
Sexy Munni to expert nikli.
 

Napster

Well-Known Member
6,989
18,436
188
आखिरी आसन जो हमें बहुत भा गया था वह था कुत्ते कुतिया या जानवर स्टाइल की पीछे से चुदाई. इसमें चाची कोहनियों और घुटनों को टेककर कुतिया जैसी बिस्तर पर जम जाती थी. मैं पीछे से पहले उनकी बुर चाटता और फ़िर लंड डालकर उनके नितंब पकडकर कचाकच धक्के लगाकर पीछे से कुत्ते जैसा उन्हें चोदता. इसमें धक्के बहुत जबरदस्त लगते थे इसलिये बड़ा मजा आता था. कभी कभी झुककर अपनी बाँहों में चाची का शरीर भरकर उनपर चढ कर मम्मे दबाता हुआ मैं उन्हें चोदता. पाँच मिनिट से ज्यादा वे मेरा भार नहीं सह पाती थी पर इन पाँच मिनटों में हमे स्वर्ग सुख मिल जाता.

इस आसन की एक और खास बात यह थी कि हम अक्सर इसे आइने के सामने करते. आइने में चाची के लटकते स्तन और उनके बीच लटकता मंगलसूत्र बड़े प्यारे दिखते. जब मैं धक्के लगाता तो चाची के स्तन इधर उधर हिलते. मंगलसूत्र भी चोदने की लय में पेंडुलुम जैसा डोलता. कभी कभी तो मैं इतना उत्तेजित हो जाता कि झड़ जाता. फ़िर चाची को बुर धोने जाना पड़ता जिससे फ़िर रात के पहले बाकी समय में मैं उनकी बुर चूस सकूँ. इसलिये यह आसन हम संभाल कर कभी कभी ही करते.

चूत और लंड चूसने के भी हमने खूब तरीके ढूंढ निकाले. लंड चूसना तो किसी भी आसन में मुझे बहुत अच्छा लगता था. कभी लेट कर, कभी कुर्सी में बैठकर, कभी खड़े खड़े. हाँ कभी कभी चाची मुझे अपने मुंह को चूत जैसा चोदने देती थी.

इस आसन में वे नीचे लेट जातीं और मैं उनके खुले मुंह में जड तक लंड उतार देता. फ़िर उनपर लेट कर हाथों से उनके सिर को पकडकर उसे घचाघच चोदता. चाची के गले तक मेरा लंड उतर जाता और उस कोमल गीले गले में सुपाड़ा चलता तो बिलकुल ऐसा लगता जैसे किसी संकरी चूत को चोद रहा हूँ.

झड़ने पर वीर्य भी सीधा उनके हलक में जाता. इसीलिये यह आसन वे कम करने देती थी. एक तो उनका गला भी थोड़ा दुखता, दूसरे वीर्य सीधा पेट में जाने से वे उसका स्वाद नहीं ले पाती थी जबकि जीभ पर वीर्य लेकर उसे स्वाद ले लेकर धीरे धीरे खाना उन्हें बहुत अच्छा लगता था.

चूत चूसने के तो कई मस्त आसन थे. पहला यह कि चाची को पलंग पर लिटा कर उनकी निचली जांघ का तकिया बनाकर मैं चूत चूसता. वे ऊपरी जांघ मेरे सिर पर रखकर मेरे सिर को दोनों जांघों में दबोच लेती और हाथों से मेरा सिर पकडकर अपनी चूत पर दबा कर मुझसे चुसवाती. इस आसन में वे अक्सर अपनी टाँगे ऐसे फ़टकारती जैसे साइकिल चला रही हों. उनकी सशक्त जांघें कभी कभी इतनी जोर से मेरे सिर को जकड लेती कि जैसे कुचल डालेंगी. दर्द भी होता पर उन मदमस्त चिकनी जांघों में गिरफ़्त होने का सुख इतना प्यारा था कि मैं दर्द को सहन कर लेता.

कभी कभी वे कुर्सी में बैठ कर टाँगे पसार देती और मैं जमीन पर उनके सामने बैठ कर चूत चूसता. मेरे बालों में वे प्यार से उँगलियाँ फ़ेरती रहती. यह बड़ा आराम का आसन था. खड़े खड़े चुसवाने में भी उन्हें मजा आता था. वे टाँगे फ़ैलाकर दीवार से टिककर खड़ी हो जातीं और मैं उनके बीच बैठकर मुंह उठाकर उनकी बुर चूसता रहता.

हर आसन में मैं उनकी बुर में अक्सर जीभ डालता. पर जब उन्हें जीभ से चुदने का शौक चढ़ता, वे एक खास आसन का इस्तेमाल करती थी. मैं पलंग पर लेटकर जीभ जितनी हो सकती थी उतनी बाहर निकाल देता और कड़ी कर लेता. मेरे सिर पर बैठकर वे जीभ बुर में ले लेती और फ़िर ऊपर नीचे होकर उसे लंड सा चोदती. पाँच मिनिट से ज्यादा मैं नहीं यह कर पाता था क्यों की जीभ दुखने लगती थी. पर चाची को इतना मजा आता था कि एक दो मिनिट को जीभ को आराम देकर मैं फ़िर उसमें जुट जाता. इस आसन में रस खूब निकलता था जो सीधा मेरी जीभ पर टपकता था.

और जब चाची मुझे हस्तमैथुन करके दिखाती तो मैं तो वासना से पागल हो जाता. यहाँ तक कि एक दो बार न रहकर मैंने मुठ्ठ मार ली और चाची नाराज होकर लाल पीली हो गई. उसके बाद वे पहले मेरे हाथ पैर बांध देती और फ़िर बाद में अपनी हस्तमैथुन कला मुझे दिखाती. इसकी शुरुआत एक दिन दोपहर को तब हुई जब चाची ने दो उँगलियाँ अपनी बुर में घुसेड कर मुठ्ठ मार कर मुझे दिखायी. मेरी खुशी देखकर उन्हें और तैश आया. "रुक लल्ला, अभी आती हूँ" कहकर वे रसोई में चली गई.

वापस आई तो हाथ में एक मोटा गाजर और दो तीन बैंगन थे. मुस्कराते हुए वे वापस पलंग पर चढीम और फ़िर गाजर अपनी चूत में डाल कर उससे मुठ्ठ मारकर दिखाई. लाल लाल मोटा गाजर उस नरम नरम चूत में अंदर बाहर होता देखकर मैं ऐसा उत्तेजित हुआ कि पूछो मत. मेरी खुशी देखकर वे हंसते हुए बोली. "यह तो कुछ नहीं है लल्ला, अब देखो तमाशा." कहकर उन्हों ने बैंगन उठा लिये. वे लंबे वाले बैंगन थे. पर फ़िर भी बहुत मोटे थे. मेरे लंड से दुगने मोटे होंगे. और फ़ुट फ़ुट भर लंबे थे.

"कभी सोचा है लल्ला कि इस घर में बैंगन की सब्जी इतनी क्यों बनती है?" उन्हों ने शैतानी से बैंगनों को उलट पलट कर देखते हुए पूछा. मैं वासना से ऐसे सकते में था कि कुछ नहीं कह सका. आखिर चाची ने एक चुना. दूसरे या तो ज्यादा ही टेढ.ए थे या दाग वाले थे. उन्हों ने जो चुना वह एकदम चिकना फ़ुट भर लम्बा होगा. नीचे से वह एक इंच मोटा था और धीरे धीरे बीच तक उसकी मोटाई तीन इंच हो जाती थी. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि चाची उस मोटे बैंगन को अपने शरीर के अंदर ले लेंगी. मैंने वैसा कहा भी तो माया चाची हंसने लगी.

"मैंने कहा था ना लल्ला कि मेरी चूत तो तुझे भी अंदर ले ले. अरे औरत की चूत को तू नहीं जानता. जब बच्चे का सिर निकल जाता है तो इस बैंगन की क्या बात है." कहकर उन्हों ने डंठल को पकडकर धीरे धीरे बैंगन अपनी चूत में घुसेडना शुरू किया. तीन चार इंच तो आराम से गया. फ़िर वे रुक गई और बड़ी सावधानी से इंच इंच करके उसे और अंदर घुसाने लगी. मैं आँखें फ़ाड कर देखता रह गया. अंत में नौ इंच से ज्यादा बैंगन उन्हों ने अंदर ले लिया. चूत अब बिलकुल खुली थी. उसका लाल छल्ला बैंगन को कस कर पकड़ा था. ऐसा लगता था कि फ़ट जायेगी.

पर चाची के चेहरे पर असीमित सुख था. आँखें बंद करके कुछ देर बैठा रही. फ़िर धीरे धीरे बैंगन अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी. कुछ ही देर में उनकी स्पीड बढ गयी. चूत भी अब इतनी गीली हो गयी थी कि बैंगन आराम से सरक रहा था. पाँच मिनिट बाद तो वे सटासट मुठ्ठ मार रही थी. दूसरे हाथ की उंगली क्लिट को मसल रही थी. यह इतना आकर्षक कामुक नजारा था कि मैं भी मुठ्ठ मारने लगा. वहाँ चाची झड़ीं और यहाँ मैं.

झड़ने के बाद में वे बहुत नाराज हुई, यहाँ तक कि मुझे एक करारा तमाचा भी जड दिया. शायद और मार पड़ती पर मैंने कम से कम इतनी होशियारी की थी कि झड़ कर वीर्य को गिरने नहीं दिया था बल्कि अपनी बाम्यी हथेली में जमा कर लिया था. चाची ने उसे चाट लिया और तब तक उनकी बुर से बैंगन निकालकर उसे मैंने चाट डाला. उस रात उसी बैंगन की सब्जी बनी, यह बात अलग है.

पर उसके बाद चाची मुझे कुरसी में बिठाकर हाथ पैर बांध करके ही सब्जियों और फलों से मुठ्ठ मार कर दिखाती. कोई चीज़ उन्हों ने नहीं छोड़ी. ककड़ी, छोटी वाली लौकी, केले, मूली इत्यादि. छिले केले से हस्तमैथुन करने में एक फ़ायदा यह था कि मुठ्ठ मारने के बाद उनकी चूत में से वह मीठा चिपचिपा केला खाने में बड़ा मजा आता था. पर चाची केला ज्यादा इस्तेमाल नहीं करती थी क्योंकी धीरे धीरे संभल कर हस्तमैथुन करना पड़ता था नहीं तो केला टूट जाने का खतरा रहता था.

चाची ने बस एक जुल्म मुझ पर किया. उन शुरुआत के दिनों में एक भी बार गुदा मैथुन नहीं करने दिया जिसके लिये मैं मरा जा रहा था. उनके गोरे मुलायम मोटे मोटे चूतड़ों ने मुझ पर जादू कर दिया था. अक्सर कामक्रीडा के बाद वे जब पट पड़ी आराम करती, मैं उनके नितंबों को खूब प्यार करता, उन्हें चूमता, चाटता, मसलता यहाँ तक कि उनके गुदा पर मुंह लगाकर भी चूसता और कभी कभी जीभ अंदर डाल देता. वह अनोखा स्वाद और सुगंध मुझे मदहोश कर देते.

चाची मेरी गांड पूजा का मजा लेती रहती पर जब भी मैं उंगली डालने की भी कोशिश करता, लंड की बात तो दूर रही, वे बिचक जातीं और सीधी होकर हंसने लगतीं. मेरी सारी मिन्नतें बेकार गई. बस एक बात पर मेरी आशा बंधीं थी, उन्हों ने कभी यह नहीं कहा कि कभी गांड मारने नहीं देगी. बस यही कहतीं. "अभी नहीं लल्ला, तपस्या करो, इतना बड़ा खजाना ऐसे ही थोड़े दे दूँगी."

हमारी मस्त रतिक्रीडा में एक बड़ी खूबसूरत बाधा तब पड़ी जब माया चाची की भांजी, उनकी बड़ी बहन की अठारह साल की किशोर लड़की मुन्नी, चाची के बुलाने से गर्मी की छुट्टी में आई. असल में चाची ने उसे सिर्फ़ इसी लिये बुलाया था कि मेरे आने का पक्का नहीं था.

जिस दिन वह आने वाली थी, मैं बड़ा परेशान हुआ. चाची से मैंने कहा भी कि मुन्नी के आने के बाद हमारी बेझिझक चुदाई में खलल पड़ेगा. छुप छुप कर कहाँ तक हम मजा लेंगे क्यों की वह कन्या तो हमेशा यहीं घर में रहेगी. चाची भी थोड़ी परेशान जरूर थी पर ज्यादा नहीं, मुझे दिलासा देकर बोली "कोई न कोई रास्ता निकाल लेंगे लल्ला. तुम परेशान न हो."


images
बहुत ही कामुक और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
मुन्नी भी चुदेगी और चाची गांड भी मरवायेगी थोडा सबर रखो
 

Napster

Well-Known Member
6,989
18,436
188
मुन्नी जब आई तो उसे देख कर मैं और परेशान हो गया. बात यह थी कि वह बड़ी चंचल शोख सुंदर लड़की थी. जब आयी तो सलवार कुर्ती पहने थी. इस कच्ची उमर में भी उसकी तंग कुरती में से उसके कमसिन उरोज साफ़ उभर कर दिख रहे थे. सामान रखकर वह प्यार से अपनी मौसी यानि माया चाची से लिपट गई. "मौसी, कितनी सुंदर लग रही हो? बहुत खुश भी लगती हो, चलो अभी मां को लिख देती हूँ, वह बिचारी बेकार चिंता में है कि तुम खुश हो या नहीं."

चाची ने भी उसे गले लगा लिया. "कितनी बड़ी हो गई है मुन्नी, दो साल पहले बच्ची लगती थी, अब देख कैसी जवान खूबसूरत हो गयी है मेरी बेटी." मुन्नी थोड़ा शरमायी पर उससे लिपटी रही. चाची ने मेरी भी पहचान उससे करा दी. मेरी ओर वह बार बार कनखियों से देखती. पर उसका सारा ध्यान अपनी मौसी की ही ओर था.

वह सीधा अपना सामान चाची के कमरे में ले गयी. मेरा दिल बैठ गया. चाची ने भी हंसते हुए मेरी ओर मुंह करके मुझे चिढ़ाया कि ले, अब तू क्या करेगा. हुआ भी यही. पूरे दिन मेरा कुछ जुगाड न लगा. मन मार कर अपने लंड को किसी तरह दबा कर बैठा रहा. मुन्नी भी शुरू की झिझक भूल कर मुझसे सहज बातें करने लगी.

जब वह नहाने गयी थी तब मौका देख हमने जल्दी से सिक्सटी नाइन कर लिया. पर उस दस मिनिट के संभोग से मुझे कहाँ संतोष होने वाला था. चाची ने मेरी अवस्था देखी तो मौका देख कर कान में बोली. "अनुराग बेटे, निराश न हो, रात को कुछ मौका निकाल लेंगे."

रात को बिस्तर बिछाने के पहले जब मुन्नी नीचे बाथरूम गयी थी तब चाची ने मेरा लंड चूस दिया. मुझे बड़ा दिलासा मिला कि चलो नींद तो आयेगी. सोते समय चाची ने कहा कि दो खाटें मिलकर काफ़ी जगह है इसलिये सब साथ ही सो जाएंगे. मुन्नी थकी हुई थी इसलिये जल्द ही सो गयी. वह खाट पर एक तरफ़ लेटी थी. बीच में चाची थी और उनके पीछे मैं सोया हुआ था. मुन्नी बड़े प्यार से चाची के गले में बाहें डालकर सोयी थी.

पर मेरा लंड कहाँ मानने वाला था. पीछे से चाची की खुली चिकनी पीठ और साड़ी में से दिखते नितंबों के उभार से फ़िर मेरा खड़ा हो गया. आगे सरककर मैंने अपने लंड को चाची के चूतड़ों पर रगड़ना शुरू कर दिया. वे भी उत्तेजित थी पर मुन्नी के सोये बिना कुछ नहीं हो सकता था. इसलिये वे अपनी भांजी के सोने का इंतज़ार करती हुई चुपचाप पड़ी रही.

मुन्नी को सोया जान कर जब उन्हों ने मेरी ओर मुड़ने की कोशिश की तो मुन्नी की नींद खुली. वह आधी नींद में कुछ बुदबुदायी और फ़िर से उससे चिपट गयी. "मौसी, पलटो नहीं ना, ऐसे ही मेरी ओर मुंह करके सोयी रहो." जब वह फ़िर सो गयी तो मौसी ने मुझसे फ़ुसफ़ुसा कर कहा. "लल्ला, जा तेल ले आ, आज तुझे खुश कर देती हूँ नहीं तो तू बेचारा भूखा ही रह जायेगा."

मैं उठा और चुपचाप नारियल के तेल की बोतल ले आया. मेरे लेटने पर मौसी ने अपनी साड़ी चुपचाप पीछे से ऊपर की और धीमे स्वर मे मुझे बोली. "ले लल्ला, आज पीछे से ही कर ले. इसका हिसाब मैं तुझसे फ़िर कर लूँगी. पर तेल लगा ले पहले नहीं तो मुझे दुखेगा."

चाची के गोरे नितंब अब नग्न थे. जब मैं समझा कि वे मुझसे अपनी गांड मारने को कह रही हैं तो मेरी खुशी का पारावार न रहा. अंधा चाहे एक आँख और मिल जाएँ दो! मैने चुपचाप तेल उंगली पर लेकर उनके गुदा पर लगाना शुरू किया. "अंदर उंगली डाल कर ठीक से लगा बेटे. और अपने लंड पर भी लगा ले." चाची के नरम नरम गुदा के छेद में उंगली डाल कर तेल लगाते हुए मुझे वह मजा आया कि कल्पना भी नहीं की थी.

जब चाची ने हाथ पीछे करके मेरा लंड टटोल कर देखा तो वासना से सिहर गई. "हाय, तू तो आज फ़ाड देगा रे मेरी. दो बार झड़ कर भी इतना तन्नाया है! और तेल लगा, और देख धीरे धीरे डालना." असल में मेरा रोज जितना मोटा नहीं था पर चाची को उसे अपनी गांड में लेने का डर था इसलिये उन्हें वह ज्यादा बड़ा लग रहा था. मैंने भी उनकी सांत्वना की. उनके कान में धीरे से कहा. "चाची, आज तो जरा सा है, आपकी कसम, आपने शाम को चूसा नहीं होता तो मजा आता फ़िर!"

ठीक से तेल चुपडकर मैंने उनकी साड़ी से हाथ पोंछे और सुपाड़ा उनके गुदा पर जमा कर तैयार हो गया. उन्हों ने अपनी उंगलियों से अपना गुदा का छेद खींच कर चौड़ा किया और फ़ुसफ़ुसा कर बोली. "चल डाल अब."

मैंने लंड पेलना शुरू किया. इतना टाइट छेद था कि बड़े धीरे धीरे अंदर गया. मैं सांस रोक कर सूत सूत लोडा पेलता रहा. अचानक पक्क की आवाज से सुपाड़ा उनके गुदा में समा गया. उनका शरीर एकदम कठोर हो गया और न चाहते हुए भी उनके मुंह से दर्द की एक सिसकी निकल गयी.

मुन्नी की नींद खुल गयी. "क्या हुआ मौसी?" चाची ने उसे थपथपा कर सुला दिया. "कुछ नहीं छोटी, जरा कमर में दर्द हुआ. तू सो जा." मैं सांस रोककर बिना हिले डुले पड़ा रहा. चाची की कसी गांड में मेरा सुपाड़ा फंसा हुआ था और इतना मजा आ रहा था कि लगता था कि अभी झड़ जाऊंगा. पर अपने आप पर काबू करके मैं लेटा रहा.

पाँच मिनिट बाद जब मुन्नी फ़िर गहरी नींद में सो गयी तब चाची हल्के से बोली. "अब डाल पूरा अंदर लल्ला. दर्द हो रहा है पर हाय बहुत अच्छा भी लग रहा है." उनका दर्द भी अब कम हो गया था. मैंने लंड फ़िर पेलना शुरू कर दिया और दो मिनिट में जड तक उनके चूतड़ों के बीच उतार दिया. उनकी गांड मेरे लोडे को ऐसे कस के पकड़े थी जैसे किसी ने अपने हाथ से दबोच लिया हो. "अब मार लल्ला मेरी गांड . हौले हौले मारना, आवाज न हो."

मैं सरक कर पीछे से माया चाची से चिपट गया और धीरे धीरे उनकी गांड मारने लगा. बड़ा मजा आ रहा था. लगता था कि घचाघच जोर जोर से उस टाइट गांड को चोदूँ पर मुन्नी के जग जाने का खतरा था. इसलिये सधी हुई लय से हौले हौले मारता रहा. गांड का छेद टाइट तो बहुत था पर तेल लगा होने से लोडा मस्त फ़िसल रहा था. चाची भी मजा ले लेकर गांड चुदवाने लगी.

अपना एक हाथ उन्हों ने धीरे से अपनी जांघों के बीच डाल दिया और अपनी चूत को उंगली से चोदती हुई इस गुदा मैथुन का मजा लेने लगी. "झड़ना नहीं लल्ला अभी, पहले मुझे पानी छोड़ने दे." उनके कहने पर मैंने अपना एक हाथ उनके शरीर पर डाल दिया और मम्मे मसलता हुआ गांड मारता रहा.

थोड़ी ही देर में एक गहरी सांस लेकर चाची झड़ गई. चूत को रगड रगड कर पानी निकाल कर हाथ पीछे करके उन्हों ने अपनी उँगलियाँ मेरे मुंह में दे दी. चूत के रस का स्वाद आते ही मैं अपना धीरज खो बैठा और उन्हें चिपट कर उनके बालों में मुंह छुपाकर उनकी गर्दन को चूमता हुआ कस के गांड मारने लगा. खाट चरमराने लगी.

चाची कहती रही "अरे धीरे लल्ला, छोकरी जाग जायेगी." पर मैं अब तैश में था और कस के दो चार बार धक्के लगाकर झड़ गया. पहली बार मेरे लंड ने अपना वीर्य चाची की गांड की गहरायी में उगला. हम दोनों पड़े पड़े इस कामसुख का आनंद उठा रहे थे तभी मुन्नी अचानक उठ कर बैठ गयी. "क्या चल रहा है मौसी? मैं मां को बता दूँगी." उसकी आवाज में गजब की शैतानी भरी थी.

हम दोनों को मानों सांप सूंघ गया. सकपका कर साड़ी ठीक करने का प्रयत्न करते हुए माया चाची बोली. "कुछ नहीं बिटिया, अनुराग जरा मेरी कमर की मालिश कर रहा था, दुख रही थी ना. तू तो सो रही थी. जाग कैसे गयी?" मैं सांस रोके पड़ा रहा. चाची ने साड़ी से हम दोनों के जुड़े शरीर को ढक लिया था.

लड़की बदमाश थी. उठकर सीधे चाची की साड़ी खींची और खिलखिलाते हुए बोली. "यह मालिश चल रही थी!. छुपाओ नहीं मौसी, मैं तो सोई ही नहीं, बहाना कर रही थी. शाम से ही तुम दोनों के हाव भाव से मुझे पता चल गया था कि जरूर कोई बात है." मैं शरमा कर लंड चाची की गांड में से खींचने लगा तो बोली. "रहने दो अनुराग भैया, छुपाओ मत, ऐसे ही पड़े रहो. गांड मार रहे हो मौसी की तो ठीक से एक बार मारो."

उसके इस मुंहफ़ट जवाब पर चाची को हंसी आ गयी. "बड़ी शैतान है, इतनी सी है पर सब जानती है. लगता है काफ़ी खेली है यह खेल."

मुन्नी ने पास से अपनी मौसी के नितंबों के बीच गड़े मेरे लंड को बड़ी उत्सुकता से तकते हुए जवाब दिया. "नहीं मौसी, मेरे इतने भाग्य कहाँ. अम्मा तो मुझ पर कड़ी नजर रखती है. और फ़िर मैं अंटशंट लोगों के साथ कुछ नहीं करना चाहती थी. बस एक खास सहेली से थोड़ी मजा कर लेती थी. सोच रही थी कि यहाँ आकर महीना भर अपनी सुंदर मौसी के साथ कुछ मस्ती करूंगी. यहाँ तो और ही मस्त खेल चल रहे हैं."

उसकी इस बात पर खुश होकर चाची ने उसे खींच कर बाँहों में भरकर चूमते हुए कहा. "सच, मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हूँ मुन्नी? पर अब क्या करेगी, मां से तो कुछ नहीं कहेगी ना?" मुन्नी ने जवाब दिया. "नहीं मौसी, पर एक शर्त पर, मुझे भी अपने इस खेल में शामिल करो."

"सोच ले मुन्नी, एक बार हमारे साथ आ गयी तो सब सहना पड़ेगा. बीच में मुकरने की कोशिश की तो ठीक नहीं होगा." चाची ने प्यार से धमकाया. अब तक मुन्नी भी काफ़ी गरम हो चुकी थी. अपनी अर्धनग्न मौसी के मांसल शरीर और मेरे तने आधे गांड में धँसे शिश्न को देखकर उसकी सांसें जोर से चल रही थी. चाची से मिन्नतें करती हुई बोली. "नहीं मौसी, तू जो कहेगी वह करूंगी." और वह भी पटापट चाची का मुंह चूमने लगी.

उस कमसिन कच्ची किशोरी और करीब करीब उसकी मां की उमर की सगी मौसी की यह चूमाचाटी देखकर मेरा फ़िर तन्ना गया. चूमना रोककर चाची ने मुझसे कहा. "लल्ला, लंड निकालना नहीं, पूरा अंदर डाल दो और मजा देखो, ऐसा नजारा तूने कभी देखा नहीं होगा ब्लू फ़िल्म में भी." कहकर चाची ने अपने ब्लाउ के बटन खोले और साड़ी कमर के ऊपर उठा ली.

मौसी के नंगे स्तन और उधड़ी जांघें और उनके बीच की बुर देखकर मुन्नी तैश में आ गयी. "हाय मौसी, कितनी प्यारी है तू, और तेरी चूचियाँ कितनी बड़ी हैं, चुसूँ इन्हें मौसी?" और चाची के जवाब का इंतज़ार न करके उनके उरोज दबाती हुई वह एक निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगी.

उसके बाल चूमते हुए चाची ने भी उस छोकरी के बदन को नंगा करना शुरू किया. काफ़ी आसान काम था क्योंकी रात को सोते समय मुन्नी ने सिर्फ़ एक स्कर्ट और चोली पहन रखी थी. चोली तो चाची ने सामने से खोल दी. स्कर्ट उतारने की जरूर नहीं थी. उसे तो बस ऊपर कर लिया. मुन्नी के छोटे छोटे रसीले सेब और उसकी कमसिन दुबली पतली गोरी टाँगे अब नंगी थी. उन्हें देखकर मेरा भी लंड और जमकर खड़ा हो गया. बड़ी प्यारी कन्या थी.

8b9e72c026fa3d9011a2cc65ca8119ce
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये साला अपने हिरो की तो चांदी हो गई मुन्नी के रहते चुद मारने की जगह कमसिन टाईट गांड मारने मिल गयी
ये मुन्नी भी बडी चालू निकली अनुराग और चाची का गांड चुदाई का पुरा खेल देखकर उठ बैठी और उस खेल में शामिल भी हो गई
अपने हिरो के लिये एक अनचुदी कुॅंवारी चुद का जुगाड हो गया
अब देखते हैं थ्रिसम
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

avty57

Desi balak
794
845
108
मुन्नी जब आई तो उसे देख कर मैं और परेशान हो गया. बात यह थी कि वह बड़ी चंचल शोख सुंदर लड़की थी. जब आयी तो सलवार कुर्ती पहने थी. इस कच्ची उमर में भी उसकी तंग कुरती में से उसके कमसिन उरोज साफ़ उभर कर दिख रहे थे. सामान रखकर वह प्यार से अपनी मौसी यानि माया चाची से लिपट गई. "मौसी, कितनी सुंदर लग रही हो? बहुत खुश भी लगती हो, चलो अभी मां को लिख देती हूँ, वह बिचारी बेकार चिंता में है कि तुम खुश हो या नहीं."

चाची ने भी उसे गले लगा लिया. "कितनी बड़ी हो गई है मुन्नी, दो साल पहले बच्ची लगती थी, अब देख कैसी जवान खूबसूरत हो गयी है मेरी बेटी." मुन्नी थोड़ा शरमायी पर उससे लिपटी रही. चाची ने मेरी भी पहचान उससे करा दी. मेरी ओर वह बार बार कनखियों से देखती. पर उसका सारा ध्यान अपनी मौसी की ही ओर था.

वह सीधा अपना सामान चाची के कमरे में ले गयी. मेरा दिल बैठ गया. चाची ने भी हंसते हुए मेरी ओर मुंह करके मुझे चिढ़ाया कि ले, अब तू क्या करेगा. हुआ भी यही. पूरे दिन मेरा कुछ जुगाड न लगा. मन मार कर अपने लंड को किसी तरह दबा कर बैठा रहा. मुन्नी भी शुरू की झिझक भूल कर मुझसे सहज बातें करने लगी.

जब वह नहाने गयी थी तब मौका देख हमने जल्दी से सिक्सटी नाइन कर लिया. पर उस दस मिनिट के संभोग से मुझे कहाँ संतोष होने वाला था. चाची ने मेरी अवस्था देखी तो मौका देख कर कान में बोली. "अनुराग बेटे, निराश न हो, रात को कुछ मौका निकाल लेंगे."

रात को बिस्तर बिछाने के पहले जब मुन्नी नीचे बाथरूम गयी थी तब चाची ने मेरा लंड चूस दिया. मुझे बड़ा दिलासा मिला कि चलो नींद तो आयेगी. सोते समय चाची ने कहा कि दो खाटें मिलकर काफ़ी जगह है इसलिये सब साथ ही सो जाएंगे. मुन्नी थकी हुई थी इसलिये जल्द ही सो गयी. वह खाट पर एक तरफ़ लेटी थी. बीच में चाची थी और उनके पीछे मैं सोया हुआ था. मुन्नी बड़े प्यार से चाची के गले में बाहें डालकर सोयी थी.

पर मेरा लंड कहाँ मानने वाला था. पीछे से चाची की खुली चिकनी पीठ और साड़ी में से दिखते नितंबों के उभार से फ़िर मेरा खड़ा हो गया. आगे सरककर मैंने अपने लंड को चाची के चूतड़ों पर रगड़ना शुरू कर दिया. वे भी उत्तेजित थी पर मुन्नी के सोये बिना कुछ नहीं हो सकता था. इसलिये वे अपनी भांजी के सोने का इंतज़ार करती हुई चुपचाप पड़ी रही.

मुन्नी को सोया जान कर जब उन्हों ने मेरी ओर मुड़ने की कोशिश की तो मुन्नी की नींद खुली. वह आधी नींद में कुछ बुदबुदायी और फ़िर से उससे चिपट गयी. "मौसी, पलटो नहीं ना, ऐसे ही मेरी ओर मुंह करके सोयी रहो." जब वह फ़िर सो गयी तो मौसी ने मुझसे फ़ुसफ़ुसा कर कहा. "लल्ला, जा तेल ले आ, आज तुझे खुश कर देती हूँ नहीं तो तू बेचारा भूखा ही रह जायेगा."

मैं उठा और चुपचाप नारियल के तेल की बोतल ले आया. मेरे लेटने पर मौसी ने अपनी साड़ी चुपचाप पीछे से ऊपर की और धीमे स्वर मे मुझे बोली. "ले लल्ला, आज पीछे से ही कर ले. इसका हिसाब मैं तुझसे फ़िर कर लूँगी. पर तेल लगा ले पहले नहीं तो मुझे दुखेगा."

चाची के गोरे नितंब अब नग्न थे. जब मैं समझा कि वे मुझसे अपनी गांड मारने को कह रही हैं तो मेरी खुशी का पारावार न रहा. अंधा चाहे एक आँख और मिल जाएँ दो! मैने चुपचाप तेल उंगली पर लेकर उनके गुदा पर लगाना शुरू किया. "अंदर उंगली डाल कर ठीक से लगा बेटे. और अपने लंड पर भी लगा ले." चाची के नरम नरम गुदा के छेद में उंगली डाल कर तेल लगाते हुए मुझे वह मजा आया कि कल्पना भी नहीं की थी.

जब चाची ने हाथ पीछे करके मेरा लंड टटोल कर देखा तो वासना से सिहर गई. "हाय, तू तो आज फ़ाड देगा रे मेरी. दो बार झड़ कर भी इतना तन्नाया है! और तेल लगा, और देख धीरे धीरे डालना." असल में मेरा रोज जितना मोटा नहीं था पर चाची को उसे अपनी गांड में लेने का डर था इसलिये उन्हें वह ज्यादा बड़ा लग रहा था. मैंने भी उनकी सांत्वना की. उनके कान में धीरे से कहा. "चाची, आज तो जरा सा है, आपकी कसम, आपने शाम को चूसा नहीं होता तो मजा आता फ़िर!"

ठीक से तेल चुपडकर मैंने उनकी साड़ी से हाथ पोंछे और सुपाड़ा उनके गुदा पर जमा कर तैयार हो गया. उन्हों ने अपनी उंगलियों से अपना गुदा का छेद खींच कर चौड़ा किया और फ़ुसफ़ुसा कर बोली. "चल डाल अब."

मैंने लंड पेलना शुरू किया. इतना टाइट छेद था कि बड़े धीरे धीरे अंदर गया. मैं सांस रोक कर सूत सूत लोडा पेलता रहा. अचानक पक्क की आवाज से सुपाड़ा उनके गुदा में समा गया. उनका शरीर एकदम कठोर हो गया और न चाहते हुए भी उनके मुंह से दर्द की एक सिसकी निकल गयी.

मुन्नी की नींद खुल गयी. "क्या हुआ मौसी?" चाची ने उसे थपथपा कर सुला दिया. "कुछ नहीं छोटी, जरा कमर में दर्द हुआ. तू सो जा." मैं सांस रोककर बिना हिले डुले पड़ा रहा. चाची की कसी गांड में मेरा सुपाड़ा फंसा हुआ था और इतना मजा आ रहा था कि लगता था कि अभी झड़ जाऊंगा. पर अपने आप पर काबू करके मैं लेटा रहा.

पाँच मिनिट बाद जब मुन्नी फ़िर गहरी नींद में सो गयी तब चाची हल्के से बोली. "अब डाल पूरा अंदर लल्ला. दर्द हो रहा है पर हाय बहुत अच्छा भी लग रहा है." उनका दर्द भी अब कम हो गया था. मैंने लंड फ़िर पेलना शुरू कर दिया और दो मिनिट में जड तक उनके चूतड़ों के बीच उतार दिया. उनकी गांड मेरे लोडे को ऐसे कस के पकड़े थी जैसे किसी ने अपने हाथ से दबोच लिया हो. "अब मार लल्ला मेरी गांड . हौले हौले मारना, आवाज न हो."

मैं सरक कर पीछे से माया चाची से चिपट गया और धीरे धीरे उनकी गांड मारने लगा. बड़ा मजा आ रहा था. लगता था कि घचाघच जोर जोर से उस टाइट गांड को चोदूँ पर मुन्नी के जग जाने का खतरा था. इसलिये सधी हुई लय से हौले हौले मारता रहा. गांड का छेद टाइट तो बहुत था पर तेल लगा होने से लोडा मस्त फ़िसल रहा था. चाची भी मजा ले लेकर गांड चुदवाने लगी.

अपना एक हाथ उन्हों ने धीरे से अपनी जांघों के बीच डाल दिया और अपनी चूत को उंगली से चोदती हुई इस गुदा मैथुन का मजा लेने लगी. "झड़ना नहीं लल्ला अभी, पहले मुझे पानी छोड़ने दे." उनके कहने पर मैंने अपना एक हाथ उनके शरीर पर डाल दिया और मम्मे मसलता हुआ गांड मारता रहा.

थोड़ी ही देर में एक गहरी सांस लेकर चाची झड़ गई. चूत को रगड रगड कर पानी निकाल कर हाथ पीछे करके उन्हों ने अपनी उँगलियाँ मेरे मुंह में दे दी. चूत के रस का स्वाद आते ही मैं अपना धीरज खो बैठा और उन्हें चिपट कर उनके बालों में मुंह छुपाकर उनकी गर्दन को चूमता हुआ कस के गांड मारने लगा. खाट चरमराने लगी.

चाची कहती रही "अरे धीरे लल्ला, छोकरी जाग जायेगी." पर मैं अब तैश में था और कस के दो चार बार धक्के लगाकर झड़ गया. पहली बार मेरे लंड ने अपना वीर्य चाची की गांड की गहरायी में उगला. हम दोनों पड़े पड़े इस कामसुख का आनंद उठा रहे थे तभी मुन्नी अचानक उठ कर बैठ गयी. "क्या चल रहा है मौसी? मैं मां को बता दूँगी." उसकी आवाज में गजब की शैतानी भरी थी.

हम दोनों को मानों सांप सूंघ गया. सकपका कर साड़ी ठीक करने का प्रयत्न करते हुए माया चाची बोली. "कुछ नहीं बिटिया, अनुराग जरा मेरी कमर की मालिश कर रहा था, दुख रही थी ना. तू तो सो रही थी. जाग कैसे गयी?" मैं सांस रोके पड़ा रहा. चाची ने साड़ी से हम दोनों के जुड़े शरीर को ढक लिया था.

लड़की बदमाश थी. उठकर सीधे चाची की साड़ी खींची और खिलखिलाते हुए बोली. "यह मालिश चल रही थी!. छुपाओ नहीं मौसी, मैं तो सोई ही नहीं, बहाना कर रही थी. शाम से ही तुम दोनों के हाव भाव से मुझे पता चल गया था कि जरूर कोई बात है." मैं शरमा कर लंड चाची की गांड में से खींचने लगा तो बोली. "रहने दो अनुराग भैया, छुपाओ मत, ऐसे ही पड़े रहो. गांड मार रहे हो मौसी की तो ठीक से एक बार मारो."

उसके इस मुंहफ़ट जवाब पर चाची को हंसी आ गयी. "बड़ी शैतान है, इतनी सी है पर सब जानती है. लगता है काफ़ी खेली है यह खेल."

मुन्नी ने पास से अपनी मौसी के नितंबों के बीच गड़े मेरे लंड को बड़ी उत्सुकता से तकते हुए जवाब दिया. "नहीं मौसी, मेरे इतने भाग्य कहाँ. अम्मा तो मुझ पर कड़ी नजर रखती है. और फ़िर मैं अंटशंट लोगों के साथ कुछ नहीं करना चाहती थी. बस एक खास सहेली से थोड़ी मजा कर लेती थी. सोच रही थी कि यहाँ आकर महीना भर अपनी सुंदर मौसी के साथ कुछ मस्ती करूंगी. यहाँ तो और ही मस्त खेल चल रहे हैं."

उसकी इस बात पर खुश होकर चाची ने उसे खींच कर बाँहों में भरकर चूमते हुए कहा. "सच, मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हूँ मुन्नी? पर अब क्या करेगी, मां से तो कुछ नहीं कहेगी ना?" मुन्नी ने जवाब दिया. "नहीं मौसी, पर एक शर्त पर, मुझे भी अपने इस खेल में शामिल करो."

"सोच ले मुन्नी, एक बार हमारे साथ आ गयी तो सब सहना पड़ेगा. बीच में मुकरने की कोशिश की तो ठीक नहीं होगा." चाची ने प्यार से धमकाया. अब तक मुन्नी भी काफ़ी गरम हो चुकी थी. अपनी अर्धनग्न मौसी के मांसल शरीर और मेरे तने आधे गांड में धँसे शिश्न को देखकर उसकी सांसें जोर से चल रही थी. चाची से मिन्नतें करती हुई बोली. "नहीं मौसी, तू जो कहेगी वह करूंगी." और वह भी पटापट चाची का मुंह चूमने लगी.

उस कमसिन कच्ची किशोरी और करीब करीब उसकी मां की उमर की सगी मौसी की यह चूमाचाटी देखकर मेरा फ़िर तन्ना गया. चूमना रोककर चाची ने मुझसे कहा. "लल्ला, लंड निकालना नहीं, पूरा अंदर डाल दो और मजा देखो, ऐसा नजारा तूने कभी देखा नहीं होगा ब्लू फ़िल्म में भी." कहकर चाची ने अपने ब्लाउ के बटन खोले और साड़ी कमर के ऊपर उठा ली.

मौसी के नंगे स्तन और उधड़ी जांघें और उनके बीच की बुर देखकर मुन्नी तैश में आ गयी. "हाय मौसी, कितनी प्यारी है तू, और तेरी चूचियाँ कितनी बड़ी हैं, चुसूँ इन्हें मौसी?" और चाची के जवाब का इंतज़ार न करके उनके उरोज दबाती हुई वह एक निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगी.

उसके बाल चूमते हुए चाची ने भी उस छोकरी के बदन को नंगा करना शुरू किया. काफ़ी आसान काम था क्योंकी रात को सोते समय मुन्नी ने सिर्फ़ एक स्कर्ट और चोली पहन रखी थी. चोली तो चाची ने सामने से खोल दी. स्कर्ट उतारने की जरूर नहीं थी. उसे तो बस ऊपर कर लिया. मुन्नी के छोटे छोटे रसीले सेब और उसकी कमसिन दुबली पतली गोरी टाँगे अब नंगी थी. उन्हें देखकर मेरा भी लंड और जमकर खड़ा हो गया. बड़ी प्यारी कन्या थी.

8b9e72c026fa3d9011a2cc65ca8119ce
अनुराग के तो भाग खुल गए
 

Ek number

Well-Known Member
9,404
20,534
188
मुन्नी जब आई तो उसे देख कर मैं और परेशान हो गया. बात यह थी कि वह बड़ी चंचल शोख सुंदर लड़की थी. जब आयी तो सलवार कुर्ती पहने थी. इस कच्ची उमर में भी उसकी तंग कुरती में से उसके कमसिन उरोज साफ़ उभर कर दिख रहे थे. सामान रखकर वह प्यार से अपनी मौसी यानि माया चाची से लिपट गई. "मौसी, कितनी सुंदर लग रही हो? बहुत खुश भी लगती हो, चलो अभी मां को लिख देती हूँ, वह बिचारी बेकार चिंता में है कि तुम खुश हो या नहीं."

चाची ने भी उसे गले लगा लिया. "कितनी बड़ी हो गई है मुन्नी, दो साल पहले बच्ची लगती थी, अब देख कैसी जवान खूबसूरत हो गयी है मेरी बेटी." मुन्नी थोड़ा शरमायी पर उससे लिपटी रही. चाची ने मेरी भी पहचान उससे करा दी. मेरी ओर वह बार बार कनखियों से देखती. पर उसका सारा ध्यान अपनी मौसी की ही ओर था.

वह सीधा अपना सामान चाची के कमरे में ले गयी. मेरा दिल बैठ गया. चाची ने भी हंसते हुए मेरी ओर मुंह करके मुझे चिढ़ाया कि ले, अब तू क्या करेगा. हुआ भी यही. पूरे दिन मेरा कुछ जुगाड न लगा. मन मार कर अपने लंड को किसी तरह दबा कर बैठा रहा. मुन्नी भी शुरू की झिझक भूल कर मुझसे सहज बातें करने लगी.

जब वह नहाने गयी थी तब मौका देख हमने जल्दी से सिक्सटी नाइन कर लिया. पर उस दस मिनिट के संभोग से मुझे कहाँ संतोष होने वाला था. चाची ने मेरी अवस्था देखी तो मौका देख कर कान में बोली. "अनुराग बेटे, निराश न हो, रात को कुछ मौका निकाल लेंगे."

रात को बिस्तर बिछाने के पहले जब मुन्नी नीचे बाथरूम गयी थी तब चाची ने मेरा लंड चूस दिया. मुझे बड़ा दिलासा मिला कि चलो नींद तो आयेगी. सोते समय चाची ने कहा कि दो खाटें मिलकर काफ़ी जगह है इसलिये सब साथ ही सो जाएंगे. मुन्नी थकी हुई थी इसलिये जल्द ही सो गयी. वह खाट पर एक तरफ़ लेटी थी. बीच में चाची थी और उनके पीछे मैं सोया हुआ था. मुन्नी बड़े प्यार से चाची के गले में बाहें डालकर सोयी थी.

पर मेरा लंड कहाँ मानने वाला था. पीछे से चाची की खुली चिकनी पीठ और साड़ी में से दिखते नितंबों के उभार से फ़िर मेरा खड़ा हो गया. आगे सरककर मैंने अपने लंड को चाची के चूतड़ों पर रगड़ना शुरू कर दिया. वे भी उत्तेजित थी पर मुन्नी के सोये बिना कुछ नहीं हो सकता था. इसलिये वे अपनी भांजी के सोने का इंतज़ार करती हुई चुपचाप पड़ी रही.

मुन्नी को सोया जान कर जब उन्हों ने मेरी ओर मुड़ने की कोशिश की तो मुन्नी की नींद खुली. वह आधी नींद में कुछ बुदबुदायी और फ़िर से उससे चिपट गयी. "मौसी, पलटो नहीं ना, ऐसे ही मेरी ओर मुंह करके सोयी रहो." जब वह फ़िर सो गयी तो मौसी ने मुझसे फ़ुसफ़ुसा कर कहा. "लल्ला, जा तेल ले आ, आज तुझे खुश कर देती हूँ नहीं तो तू बेचारा भूखा ही रह जायेगा."

मैं उठा और चुपचाप नारियल के तेल की बोतल ले आया. मेरे लेटने पर मौसी ने अपनी साड़ी चुपचाप पीछे से ऊपर की और धीमे स्वर मे मुझे बोली. "ले लल्ला, आज पीछे से ही कर ले. इसका हिसाब मैं तुझसे फ़िर कर लूँगी. पर तेल लगा ले पहले नहीं तो मुझे दुखेगा."

चाची के गोरे नितंब अब नग्न थे. जब मैं समझा कि वे मुझसे अपनी गांड मारने को कह रही हैं तो मेरी खुशी का पारावार न रहा. अंधा चाहे एक आँख और मिल जाएँ दो! मैने चुपचाप तेल उंगली पर लेकर उनके गुदा पर लगाना शुरू किया. "अंदर उंगली डाल कर ठीक से लगा बेटे. और अपने लंड पर भी लगा ले." चाची के नरम नरम गुदा के छेद में उंगली डाल कर तेल लगाते हुए मुझे वह मजा आया कि कल्पना भी नहीं की थी.

जब चाची ने हाथ पीछे करके मेरा लंड टटोल कर देखा तो वासना से सिहर गई. "हाय, तू तो आज फ़ाड देगा रे मेरी. दो बार झड़ कर भी इतना तन्नाया है! और तेल लगा, और देख धीरे धीरे डालना." असल में मेरा रोज जितना मोटा नहीं था पर चाची को उसे अपनी गांड में लेने का डर था इसलिये उन्हें वह ज्यादा बड़ा लग रहा था. मैंने भी उनकी सांत्वना की. उनके कान में धीरे से कहा. "चाची, आज तो जरा सा है, आपकी कसम, आपने शाम को चूसा नहीं होता तो मजा आता फ़िर!"

ठीक से तेल चुपडकर मैंने उनकी साड़ी से हाथ पोंछे और सुपाड़ा उनके गुदा पर जमा कर तैयार हो गया. उन्हों ने अपनी उंगलियों से अपना गुदा का छेद खींच कर चौड़ा किया और फ़ुसफ़ुसा कर बोली. "चल डाल अब."

मैंने लंड पेलना शुरू किया. इतना टाइट छेद था कि बड़े धीरे धीरे अंदर गया. मैं सांस रोक कर सूत सूत लोडा पेलता रहा. अचानक पक्क की आवाज से सुपाड़ा उनके गुदा में समा गया. उनका शरीर एकदम कठोर हो गया और न चाहते हुए भी उनके मुंह से दर्द की एक सिसकी निकल गयी.

मुन्नी की नींद खुल गयी. "क्या हुआ मौसी?" चाची ने उसे थपथपा कर सुला दिया. "कुछ नहीं छोटी, जरा कमर में दर्द हुआ. तू सो जा." मैं सांस रोककर बिना हिले डुले पड़ा रहा. चाची की कसी गांड में मेरा सुपाड़ा फंसा हुआ था और इतना मजा आ रहा था कि लगता था कि अभी झड़ जाऊंगा. पर अपने आप पर काबू करके मैं लेटा रहा.

पाँच मिनिट बाद जब मुन्नी फ़िर गहरी नींद में सो गयी तब चाची हल्के से बोली. "अब डाल पूरा अंदर लल्ला. दर्द हो रहा है पर हाय बहुत अच्छा भी लग रहा है." उनका दर्द भी अब कम हो गया था. मैंने लंड फ़िर पेलना शुरू कर दिया और दो मिनिट में जड तक उनके चूतड़ों के बीच उतार दिया. उनकी गांड मेरे लोडे को ऐसे कस के पकड़े थी जैसे किसी ने अपने हाथ से दबोच लिया हो. "अब मार लल्ला मेरी गांड . हौले हौले मारना, आवाज न हो."

मैं सरक कर पीछे से माया चाची से चिपट गया और धीरे धीरे उनकी गांड मारने लगा. बड़ा मजा आ रहा था. लगता था कि घचाघच जोर जोर से उस टाइट गांड को चोदूँ पर मुन्नी के जग जाने का खतरा था. इसलिये सधी हुई लय से हौले हौले मारता रहा. गांड का छेद टाइट तो बहुत था पर तेल लगा होने से लोडा मस्त फ़िसल रहा था. चाची भी मजा ले लेकर गांड चुदवाने लगी.

अपना एक हाथ उन्हों ने धीरे से अपनी जांघों के बीच डाल दिया और अपनी चूत को उंगली से चोदती हुई इस गुदा मैथुन का मजा लेने लगी. "झड़ना नहीं लल्ला अभी, पहले मुझे पानी छोड़ने दे." उनके कहने पर मैंने अपना एक हाथ उनके शरीर पर डाल दिया और मम्मे मसलता हुआ गांड मारता रहा.

थोड़ी ही देर में एक गहरी सांस लेकर चाची झड़ गई. चूत को रगड रगड कर पानी निकाल कर हाथ पीछे करके उन्हों ने अपनी उँगलियाँ मेरे मुंह में दे दी. चूत के रस का स्वाद आते ही मैं अपना धीरज खो बैठा और उन्हें चिपट कर उनके बालों में मुंह छुपाकर उनकी गर्दन को चूमता हुआ कस के गांड मारने लगा. खाट चरमराने लगी.

चाची कहती रही "अरे धीरे लल्ला, छोकरी जाग जायेगी." पर मैं अब तैश में था और कस के दो चार बार धक्के लगाकर झड़ गया. पहली बार मेरे लंड ने अपना वीर्य चाची की गांड की गहरायी में उगला. हम दोनों पड़े पड़े इस कामसुख का आनंद उठा रहे थे तभी मुन्नी अचानक उठ कर बैठ गयी. "क्या चल रहा है मौसी? मैं मां को बता दूँगी." उसकी आवाज में गजब की शैतानी भरी थी.

हम दोनों को मानों सांप सूंघ गया. सकपका कर साड़ी ठीक करने का प्रयत्न करते हुए माया चाची बोली. "कुछ नहीं बिटिया, अनुराग जरा मेरी कमर की मालिश कर रहा था, दुख रही थी ना. तू तो सो रही थी. जाग कैसे गयी?" मैं सांस रोके पड़ा रहा. चाची ने साड़ी से हम दोनों के जुड़े शरीर को ढक लिया था.

लड़की बदमाश थी. उठकर सीधे चाची की साड़ी खींची और खिलखिलाते हुए बोली. "यह मालिश चल रही थी!. छुपाओ नहीं मौसी, मैं तो सोई ही नहीं, बहाना कर रही थी. शाम से ही तुम दोनों के हाव भाव से मुझे पता चल गया था कि जरूर कोई बात है." मैं शरमा कर लंड चाची की गांड में से खींचने लगा तो बोली. "रहने दो अनुराग भैया, छुपाओ मत, ऐसे ही पड़े रहो. गांड मार रहे हो मौसी की तो ठीक से एक बार मारो."

उसके इस मुंहफ़ट जवाब पर चाची को हंसी आ गयी. "बड़ी शैतान है, इतनी सी है पर सब जानती है. लगता है काफ़ी खेली है यह खेल."

मुन्नी ने पास से अपनी मौसी के नितंबों के बीच गड़े मेरे लंड को बड़ी उत्सुकता से तकते हुए जवाब दिया. "नहीं मौसी, मेरे इतने भाग्य कहाँ. अम्मा तो मुझ पर कड़ी नजर रखती है. और फ़िर मैं अंटशंट लोगों के साथ कुछ नहीं करना चाहती थी. बस एक खास सहेली से थोड़ी मजा कर लेती थी. सोच रही थी कि यहाँ आकर महीना भर अपनी सुंदर मौसी के साथ कुछ मस्ती करूंगी. यहाँ तो और ही मस्त खेल चल रहे हैं."

उसकी इस बात पर खुश होकर चाची ने उसे खींच कर बाँहों में भरकर चूमते हुए कहा. "सच, मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हूँ मुन्नी? पर अब क्या करेगी, मां से तो कुछ नहीं कहेगी ना?" मुन्नी ने जवाब दिया. "नहीं मौसी, पर एक शर्त पर, मुझे भी अपने इस खेल में शामिल करो."

"सोच ले मुन्नी, एक बार हमारे साथ आ गयी तो सब सहना पड़ेगा. बीच में मुकरने की कोशिश की तो ठीक नहीं होगा." चाची ने प्यार से धमकाया. अब तक मुन्नी भी काफ़ी गरम हो चुकी थी. अपनी अर्धनग्न मौसी के मांसल शरीर और मेरे तने आधे गांड में धँसे शिश्न को देखकर उसकी सांसें जोर से चल रही थी. चाची से मिन्नतें करती हुई बोली. "नहीं मौसी, तू जो कहेगी वह करूंगी." और वह भी पटापट चाची का मुंह चूमने लगी.

उस कमसिन कच्ची किशोरी और करीब करीब उसकी मां की उमर की सगी मौसी की यह चूमाचाटी देखकर मेरा फ़िर तन्ना गया. चूमना रोककर चाची ने मुझसे कहा. "लल्ला, लंड निकालना नहीं, पूरा अंदर डाल दो और मजा देखो, ऐसा नजारा तूने कभी देखा नहीं होगा ब्लू फ़िल्म में भी." कहकर चाची ने अपने ब्लाउ के बटन खोले और साड़ी कमर के ऊपर उठा ली.

मौसी के नंगे स्तन और उधड़ी जांघें और उनके बीच की बुर देखकर मुन्नी तैश में आ गयी. "हाय मौसी, कितनी प्यारी है तू, और तेरी चूचियाँ कितनी बड़ी हैं, चुसूँ इन्हें मौसी?" और चाची के जवाब का इंतज़ार न करके उनके उरोज दबाती हुई वह एक निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगी.

उसके बाल चूमते हुए चाची ने भी उस छोकरी के बदन को नंगा करना शुरू किया. काफ़ी आसान काम था क्योंकी रात को सोते समय मुन्नी ने सिर्फ़ एक स्कर्ट और चोली पहन रखी थी. चोली तो चाची ने सामने से खोल दी. स्कर्ट उतारने की जरूर नहीं थी. उसे तो बस ऊपर कर लिया. मुन्नी के छोटे छोटे रसीले सेब और उसकी कमसिन दुबली पतली गोरी टाँगे अब नंगी थी. उन्हें देखकर मेरा भी लंड और जमकर खड़ा हो गया. बड़ी प्यारी कन्या थी.

8b9e72c026fa3d9011a2cc65ca8119ce
Awesome update
 
Top