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Incest चाची - भतीजे के गुलछर्रे

vakharia

Supreme
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बहुत ही कामुक और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
मुन्नी भी चुदेगी और चाची गांड भी मरवायेगी थोडा सबर रखो
Thanks bhai :thanx:
 

vakharia

Supreme
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20,773
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये साला अपने हिरो की तो चांदी हो गई मुन्नी के रहते चुद मारने की जगह कमसिन टाईट गांड मारने मिल गयी
ये मुन्नी भी बडी चालू निकली अनुराग और चाची का गांड चुदाई का पुरा खेल देखकर उठ बैठी और उस खेल में शामिल भी हो गई
अपने हिरो के लिये एक अनचुदी कुॅंवारी चुद का जुगाड हो गया
अब देखते हैं थ्रिसम
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thanks bhai :thanx:
 

vakharia

Supreme
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चाची भी अब वासना से हांफ रही थी और अपने हाथों से उसके पूरे नंगे बदन को सहला रही थी. उन सेब जैसे उरोजों को चाची ने प्यार से रगड़ा और फ़िर खींच कर मुन्नी की पेन्टी उतार दी. "मेरी रानी बिटिया, जरा अपना खजाना तो दिखा अपनी इस प्यासी मौसी को." मुन्नी थोड़ी शरमाई पर उसने अपना गुप्तांग छुपाने की जरा भी कोशिश नहीं की.

बिलकुल चिकनी बचकानी चूत थी उसकी. एकदम गोरी चिट्टी और मैदे के गोले सी फ़ूली फ़ूली. बाल भी नहीं के बराबर थे, बस कुछ रेशमी काले रोएँ भर थे. चाची तो उस पर टूट पड़ी और उसे चूमने लगी. अपनी टाँगे आपस में रगड़ती हुई मुन्नी को बोली "छोटी, अब तो नहीं रहा जाता री, मेरी चूत में तो आग लगी है आग, तेरी यह कमसिन जवानी देख कर."

मुन्नी उठ कर चाची के पास बैठ गयी. अपने एक हाथ से चाची की जांघें सहलाते हुई दूसरा हाथ उसने उनके बीच डाल दिया. थोड़ा शरमा कर बोली "मौसी, जरा चूत खोलो, मैं मुठ्ठ मार देती हूँ." चाची टाँगे फ़ैलाती हुई हंस कर बोली. "देख बित्ते भर की बच्ची अपनी मौसी को मुठ्ठ मारने चली है. मारी है क्या कभी किसी की मुठ्ठ तूने?" मुन्नी ने अपनी दो उँगलियाँ चाची की बुर में डालते हुए कहा. "हाँ मौसी, मुझे अपनी सहेली आशा के साथ कर कर के आदत हो गई है."

लगता है कि छोकरी को काफ़ी अनुभव था क्योंकी दो ही मिनिट में चाची सिसकने लगी. मुझ पर झल्ला कर बोली. "तू क्यों चुपचाप पड़ा है रे मूरख, मार मेरी गांड" मैं अब तक यह सब चुपचाप देख रहा था, चाची के गुदा में आधा घुसा हुआ लंड भी कस कर खड़ा हो गया था. मैंने तुरंत उसे फ़िर पूरा अंदर डाला और करवट पर लेटे लेटे पीछे से उनकी गांड मारने लगा.

पाँच मिनिट में चाची ने एक हल्की सी हुंकार भरी और झड़ गई. "मुन्नी रानी, तू तो माहिर है री इस कला में, तेरी फ़्रेम्ड आशा ने खूब सिखाया है तुझे." मुन्नी अपनी उँगलियाँ चाटने लगी. "मौसी, तुम्हारी चूत चुसूँ? बहुत अच्छा लगता है मुझे चूत चूसना. पर अब तक सिर्फ़ आशा की चूसी है. किसी बड़ी जवान औरत की नहीं चूसी. यहाँ आई ही इसलिये हूँ कि तुम्हारी चूत चाटने का मौका मिले." बड़ी सहजता से उसने कहा जैसे मिठाई खाने की बात चल रही हो.

"अरी तो चूस ना, इतनी बह रही है, आधा कटोरी पानी तो आराम से पा जायेगी." चाची ने टाँगे फ़ैला कर कहा. मुन्नी पास आकर अपनी मौसी की गांड में अंदर बाहर होता मेरा लंड देखती हुई बोली. "दो मिनिट मौसी, जरा तेरी गांड मराई तो ठीक से देखूँ." वह बड़ी बड़ी आँखें कर के चाची के गुदा में घुसता निकलता मेरी सूजा हुआ मोटा ताजा लंड देख रही थी. "हाय कितना बड़ा है अनुराग भैया का लंड! दर्द नहीं होता मौसी?"

"अरी होता है पर मजा भी आ रहा है. तू चल यहाँ आ और मेरी बुर में मुंह डाल. कल देख लेना लंड के कारनामे, वे तो दिन भर होते रहते है हमारे यहाँ." कहकर ताव में आयी माया चाची ने अपनी भांजी को पकड कर उसका सिर अपनी जांघों में दबा लिया और उसके मुंह पर अपनी चूत रगड़ने लगी. चाटने और चूमने की आवाज़ें आने लगी और मैं समझ गया कि वह कन्या अपनी मौसी की बुर का प्रसाद पा रही है. मेरा गांड मारना और तीव्र हो गया.

चाची फ़िर झड़ीं और ढीली हो गई. मुन्नी ने चाट चाट कर उनकी बुर साफ़ की और मुंह पोंछती हुई उठ कर बैठ गयी. "बहुत गाढ़ा रस है मौसी, चिपचिपा भी है, आशा का तो पतला है." "अरे जवान होगी तो तुम लोगों का भी शहद हो जायेगा." चाची उसके मम्मे सहलाती हुई बोली. मुन्नी अब काफ़ी जोश में थी. उसकी सांसें जोर से चल रही थी और खुद की ही बुर में वह उंगली कर रही थी.

"अरे मेरी रानी, मुठ्ठ क्यों मारती है. आ मैं चूस दूँ, आखिर मैं भी तो देखूँ मेरी लाडली का स्वाद." चाची बोली. अब तक मैं पागल सा हो गया था. कसमसा कर बोला. "चाची, प्लीज़, अब जरा ठीक से चढ कर गांड मारने दीजिये ना, बहुत मजा आ रहा है."

मुझे पुचकार कर वे बोली. "ठीक है लल्ला, बहुत मेहनत की है, ले मजा कर. मुन्नी बेटी, चल मेरे सामने आकर बैठ और टाँगे फ़ैला." मुन्नी की गोरी टाँगे खोलकर चाची ने उसे अपने सामने तकिये पर बैठा लिया. फ़िर उसके सामने पट लेटकर वह उस गुड़िया की कुंवारी चूत चूसने लगी. मुन्नी तो खुशी से करीब करीब रो पड़ी. "मौसी ऽ ई, कितना अच्छा चूसती हो तुम, हाय, मैं मर गयी."

उधर मैं झट से चाची पर चढ गया और उनका शरीर अपनी बाँहों में भरकर उनके उरोज दबाता हुआ हचक हचक कर गांड मारने लगा. मुन्नी ठीक मेरे सामने थी. उसका चुंबन लेने की बहुत इच्छा हो रही थी. चाची समझ गई. "अरे सामने माल है बेटे, मुंह मार ले, चुंबन ले उसका. पर आज और कुछ नहीं करना उसके साथ." मैंने तुरंत झुक कर उसके होंठों पर होंठ रख दिये. क्या मीठा रसीला चुंबन था, एकदम अनछुआ. मुन्नी ने भी मेरे चुंबन का जवाब दिया. हम बेतहाशा चूमा चाटी करने लगे.

अब मैं झड़ने को आ गया था. आव देखा न ताव, झुककर उस किशोरी के कच्चे स्तन चूम लिये और फ़िर एक किसमिस के दाने जैसा निप्पल मुंह मे लेकर चूसने लगा. मुन्नी सिहर उठी और मेरा मुंह कस कर अपनी छाती पर दबा लिया. अब मैंने पूरे जोर से चाची की गांड मारना शुरू कर दिया. खाट ऐसे चरमराने लगी जैसे टूट ही जायेगी. चाची ने भी नीचे से ही मुन्नी की चूत चूसते हुए अस्पष्ट शब्दों में कहा. "अरे जरा धीरे, खटिया तोड़ेगा क्या."

पर मैं पूरे जोर से लंड पेलता रहा. तभी मुन्नी एक चीख के साथ अपनी मौसी के मुंह में झड़ गयी. मैंने भी उसका निप्पल हल्के से काट खाया और जोर से स्खलित हो गया. उधर शायद चाची भी अपनी चूत में खुद ही उंगली कर के मुठ्ठ मार रही थी. वह भी उसी समय झड़ीं. यह सामूहिक स्खलन ऐसा था कि किसी को उसके बाद होश न रहा. सब लस्त पड़े उस स्वर्गिक आनंद का उपभोग लेने लगे.

मैं तो इतना थक गया था कि लुढक कर लंड चाची के गुदा में से खींचा और ढेर हो गया. कब सो गया पता ही नहीं चला. हाँ शायद वे दो चुदैलें उसके बाद भी संभोग करती रही क्योंकी रात को आधी नींद में भी मुझे हंसने खिलखिलने और चूमा चाटी की आवाज़ें आती रही.

दूसरे दिन हम तीनों नहा धो कर बस दोपहर की राह देख रहे थे कि कब नौकरानी घर जाये और कब हम हमारे खेल शुरू करें. मुन्नी बार बार चाची से चिपटने का बहाना देख रही थी. मेरी ओर भी कनखियों से देख रही थी और मुस्करा रही थी. आज वह बला की खूबसूरत लग रही थी. जान बूझकर एक छोटा स्कर्ट और एकदम तंग ब्लाउज़ पहन कर घूम रही थी जिसमें से उसकी टाँगे और मम्मे साफ़ दिख रहे थे. चाची ने कई बार आँखें दिखा कर हमें डाम्टा पर वे भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी. अब तो उनके भी वारे न्यारे थे. दो एकदम किशोर चाहने वाले, एक लड़का यानि मैं और एक लड़की यानि मुन्नी उनके आगे पीछे घूम रहे थे. खट्टे और मीठे दोनों स्वादों का इंतेज़ाम था उनके लिये.

आखिर नौकरानी घर गयी और हमने दौड कर चाची के कमरे में घुस कर दरवाजा लगा लिया. मुन्नी तो जाकर चाची की बाँहों में समा गयी और दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगी. चाची उसे कस कर पकड़े हुए सोफ़े पर बैठ गयी और मुझे भी अपने पास बैठा लिया. अब वे कभी मुन्नी के चुंबन लेती कभी मेरे. आखिर पूरा गरम होने के बाद वे उठीं और कपड़े उतारने लगी. हमें भी उन्हों ने नंगे होने का आदेश दिया.

मैं तो तुरंत नंगा हो गया. तन कर खड़े और उछलते मेरे लंड को देखकर मुन्नी होंठों पर जीभ फ़ेरने लगी. वह थोड़ी शरमा रही थी इसलिये धीरे धीरे कपड़े उतार रही थी. चाची अब तक साड़ी चोली उतार कर अर्धनग्न हो गयी थी. उनके ब्रा और पेन्टी में लिपटे मांसल बदन को देखकर मुन्नी पथरा सी गयी. उनकी ओर घूरती हुई अनजाने में अपने हाथ से अपनी चूत स्कर्ट पर से ही रगड़ने लगी.

चाची उसके पास गई और प्यार से धीरे धीरे उसका स्कर्ट और टॉप निकाला. अंदर मुन्नी एक बड़ी प्यारी सी कॉटन की सिम्पल सफ़ेद ब्रा और चड्डी पहने थी. अधखिले उरोज ब्रा में से झांक रहे थे. उस कच्ची कली के छरहरे गोरे बदन को देखकर हम दोनों ऐसे गरम हुए कि समझ में नहीं आ रहा था कि कौन किसे पहले भोगे. हम दोनों उस बच्ची से लिपट गये और उसके बदन को हाथों से सहलाते हुए और दबाते हुए उसे चूमने लगे. कभी मैं उसके लाल होंठ चूसता तो कभी चाची. झुक कर कभी उसका पेट चूम लेते तो कभी गोरी पतली जांघें.

चाची ने आखिर पहल की और अपनी ब्रा और पेन्टी उतार फेंकी. बोली. "मुन्नी बिटिया, तू नयी है इसलिये यहाँ बैठकर हमारा खेल देख. अपने आप समझ जायेगी कि कैसे क्या करना है." मुन्नी को एक कुर्सी में बिठा कर वे मेरे पास आई और हमारी रति लीला आरम्भ हो गयी.

हमने सब कुछ किया. मैंने पहले कई तरह से चाची की बुर चूसी और फ़िर उन्हें तरह तरह से चोदा. यह देख देख कर मुन्नी सिसकियाँ भरती हुई अपनी ही छातियाँ दबाने लगी और पेन्टी पर से चूत को रगड़ने लगी. आखिर उससे नहीं रहा गया और उसने भी अपने अंतर्वस्त्र उतार दिये. पूर्ण नग्न कमसिन गोरा शरीर ऐसा फ़ब रहा था जैसे रसीली कच्ची गुलाब की कली. लगातार वह अपनी गोरी बुर रगड़ती हुई टाँगे हिला हिला कर हस्तमैथुन करने लगी.

पीछे से जब मैं चाची को चोद रहा था तो इस आसन को देख कर तो मुन्नी ऐसी तुनकी कि उठकर हमारे पास आ गयी और चाची की लटकती चूचियाँ दबाती हुई उन्हें जोर जोर से चूमने लगी. बड़ी मुश्किल से चाची ने उसे वापस भेजा नहीं तो भांजी मौसी के उस चुंबन को देखकर मैं जरूर झड़ जाता.

जब मैं झड़ने के करीब आ गया तब चाची ने खेल रोका. वे कई बार स्खलित हो चुकी थी. मुझे कुर्सी में बिठाकर मेरे चूत रस से गीले लंड को हाथ में लेकर चाटती हुई बोली. "अब आ जा बिटिया, तुझे लंड चखाऊँ, बड़ा रसीला प्यारा लंड है मेरे भतीजे का."


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avty57

Desi balak
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चाची भी अब वासना से हांफ रही थी और अपने हाथों से उसके पूरे नंगे बदन को सहला रही थी. उन सेब जैसे उरोजों को चाची ने प्यार से रगड़ा और फ़िर खींच कर मुन्नी की पेन्टी उतार दी. "मेरी रानी बिटिया, जरा अपना खजाना तो दिखा अपनी इस प्यासी मौसी को." मुन्नी थोड़ी शरमाई पर उसने अपना गुप्तांग छुपाने की जरा भी कोशिश नहीं की.

बिलकुल चिकनी बचकानी चूत थी उसकी. एकदम गोरी चिट्टी और मैदे के गोले सी फ़ूली फ़ूली. बाल भी नहीं के बराबर थे, बस कुछ रेशमी काले रोएँ भर थे. चाची तो उस पर टूट पड़ी और उसे चूमने लगी. अपनी टाँगे आपस में रगड़ती हुई मुन्नी को बोली "छोटी, अब तो नहीं रहा जाता री, मेरी चूत में तो आग लगी है आग, तेरी यह कमसिन जवानी देख कर."

मुन्नी उठ कर चाची के पास बैठ गयी. अपने एक हाथ से चाची की जांघें सहलाते हुई दूसरा हाथ उसने उनके बीच डाल दिया. थोड़ा शरमा कर बोली "मौसी, जरा चूत खोलो, मैं मुठ्ठ मार देती हूँ." चाची टाँगे फ़ैलाती हुई हंस कर बोली. "देख बित्ते भर की बच्ची अपनी मौसी को मुठ्ठ मारने चली है. मारी है क्या कभी किसी की मुठ्ठ तूने?" मुन्नी ने अपनी दो उँगलियाँ चाची की बुर में डालते हुए कहा. "हाँ मौसी, मुझे अपनी सहेली आशा के साथ कर कर के आदत हो गई है."

लगता है कि छोकरी को काफ़ी अनुभव था क्योंकी दो ही मिनिट में चाची सिसकने लगी. मुझ पर झल्ला कर बोली. "तू क्यों चुपचाप पड़ा है रे मूरख, मार मेरी गांड" मैं अब तक यह सब चुपचाप देख रहा था, चाची के गुदा में आधा घुसा हुआ लंड भी कस कर खड़ा हो गया था. मैंने तुरंत उसे फ़िर पूरा अंदर डाला और करवट पर लेटे लेटे पीछे से उनकी गांड मारने लगा.

पाँच मिनिट में चाची ने एक हल्की सी हुंकार भरी और झड़ गई. "मुन्नी रानी, तू तो माहिर है री इस कला में, तेरी फ़्रेम्ड आशा ने खूब सिखाया है तुझे." मुन्नी अपनी उँगलियाँ चाटने लगी. "मौसी, तुम्हारी चूत चुसूँ? बहुत अच्छा लगता है मुझे चूत चूसना. पर अब तक सिर्फ़ आशा की चूसी है. किसी बड़ी जवान औरत की नहीं चूसी. यहाँ आई ही इसलिये हूँ कि तुम्हारी चूत चाटने का मौका मिले." बड़ी सहजता से उसने कहा जैसे मिठाई खाने की बात चल रही हो.

"अरी तो चूस ना, इतनी बह रही है, आधा कटोरी पानी तो आराम से पा जायेगी." चाची ने टाँगे फ़ैला कर कहा. मुन्नी पास आकर अपनी मौसी की गांड में अंदर बाहर होता मेरा लंड देखती हुई बोली. "दो मिनिट मौसी, जरा तेरी गांड मराई तो ठीक से देखूँ." वह बड़ी बड़ी आँखें कर के चाची के गुदा में घुसता निकलता मेरी सूजा हुआ मोटा ताजा लंड देख रही थी. "हाय कितना बड़ा है अनुराग भैया का लंड! दर्द नहीं होता मौसी?"

"अरी होता है पर मजा भी आ रहा है. तू चल यहाँ आ और मेरी बुर में मुंह डाल. कल देख लेना लंड के कारनामे, वे तो दिन भर होते रहते है हमारे यहाँ." कहकर ताव में आयी माया चाची ने अपनी भांजी को पकड कर उसका सिर अपनी जांघों में दबा लिया और उसके मुंह पर अपनी चूत रगड़ने लगी. चाटने और चूमने की आवाज़ें आने लगी और मैं समझ गया कि वह कन्या अपनी मौसी की बुर का प्रसाद पा रही है. मेरा गांड मारना और तीव्र हो गया.

चाची फ़िर झड़ीं और ढीली हो गई. मुन्नी ने चाट चाट कर उनकी बुर साफ़ की और मुंह पोंछती हुई उठ कर बैठ गयी. "बहुत गाढ़ा रस है मौसी, चिपचिपा भी है, आशा का तो पतला है." "अरे जवान होगी तो तुम लोगों का भी शहद हो जायेगा." चाची उसके मम्मे सहलाती हुई बोली. मुन्नी अब काफ़ी जोश में थी. उसकी सांसें जोर से चल रही थी और खुद की ही बुर में वह उंगली कर रही थी.

"अरे मेरी रानी, मुठ्ठ क्यों मारती है. आ मैं चूस दूँ, आखिर मैं भी तो देखूँ मेरी लाडली का स्वाद." चाची बोली. अब तक मैं पागल सा हो गया था. कसमसा कर बोला. "चाची, प्लीज़, अब जरा ठीक से चढ कर गांड मारने दीजिये ना, बहुत मजा आ रहा है."

मुझे पुचकार कर वे बोली. "ठीक है लल्ला, बहुत मेहनत की है, ले मजा कर. मुन्नी बेटी, चल मेरे सामने आकर बैठ और टाँगे फ़ैला." मुन्नी की गोरी टाँगे खोलकर चाची ने उसे अपने सामने तकिये पर बैठा लिया. फ़िर उसके सामने पट लेटकर वह उस गुड़िया की कुंवारी चूत चूसने लगी. मुन्नी तो खुशी से करीब करीब रो पड़ी. "मौसी ऽ ई, कितना अच्छा चूसती हो तुम, हाय, मैं मर गयी."

उधर मैं झट से चाची पर चढ गया और उनका शरीर अपनी बाँहों में भरकर उनके उरोज दबाता हुआ हचक हचक कर गांड मारने लगा. मुन्नी ठीक मेरे सामने थी. उसका चुंबन लेने की बहुत इच्छा हो रही थी. चाची समझ गई. "अरे सामने माल है बेटे, मुंह मार ले, चुंबन ले उसका. पर आज और कुछ नहीं करना उसके साथ." मैंने तुरंत झुक कर उसके होंठों पर होंठ रख दिये. क्या मीठा रसीला चुंबन था, एकदम अनछुआ. मुन्नी ने भी मेरे चुंबन का जवाब दिया. हम बेतहाशा चूमा चाटी करने लगे.

अब मैं झड़ने को आ गया था. आव देखा न ताव, झुककर उस किशोरी के कच्चे स्तन चूम लिये और फ़िर एक किसमिस के दाने जैसा निप्पल मुंह मे लेकर चूसने लगा. मुन्नी सिहर उठी और मेरा मुंह कस कर अपनी छाती पर दबा लिया. अब मैंने पूरे जोर से चाची की गांड मारना शुरू कर दिया. खाट ऐसे चरमराने लगी जैसे टूट ही जायेगी. चाची ने भी नीचे से ही मुन्नी की चूत चूसते हुए अस्पष्ट शब्दों में कहा. "अरे जरा धीरे, खटिया तोड़ेगा क्या."

पर मैं पूरे जोर से लंड पेलता रहा. तभी मुन्नी एक चीख के साथ अपनी मौसी के मुंह में झड़ गयी. मैंने भी उसका निप्पल हल्के से काट खाया और जोर से स्खलित हो गया. उधर शायद चाची भी अपनी चूत में खुद ही उंगली कर के मुठ्ठ मार रही थी. वह भी उसी समय झड़ीं. यह सामूहिक स्खलन ऐसा था कि किसी को उसके बाद होश न रहा. सब लस्त पड़े उस स्वर्गिक आनंद का उपभोग लेने लगे.

मैं तो इतना थक गया था कि लुढक कर लंड चाची के गुदा में से खींचा और ढेर हो गया. कब सो गया पता ही नहीं चला. हाँ शायद वे दो चुदैलें उसके बाद भी संभोग करती रही क्योंकी रात को आधी नींद में भी मुझे हंसने खिलखिलने और चूमा चाटी की आवाज़ें आती रही.

दूसरे दिन हम तीनों नहा धो कर बस दोपहर की राह देख रहे थे कि कब नौकरानी घर जाये और कब हम हमारे खेल शुरू करें. मुन्नी बार बार चाची से चिपटने का बहाना देख रही थी. मेरी ओर भी कनखियों से देख रही थी और मुस्करा रही थी. आज वह बला की खूबसूरत लग रही थी. जान बूझकर एक छोटा स्कर्ट और एकदम तंग ब्लाउज़ पहन कर घूम रही थी जिसमें से उसकी टाँगे और मम्मे साफ़ दिख रहे थे. चाची ने कई बार आँखें दिखा कर हमें डाम्टा पर वे भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी. अब तो उनके भी वारे न्यारे थे. दो एकदम किशोर चाहने वाले, एक लड़का यानि मैं और एक लड़की यानि मुन्नी उनके आगे पीछे घूम रहे थे. खट्टे और मीठे दोनों स्वादों का इंतेज़ाम था उनके लिये.

आखिर नौकरानी घर गयी और हमने दौड कर चाची के कमरे में घुस कर दरवाजा लगा लिया. मुन्नी तो जाकर चाची की बाँहों में समा गयी और दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगी. चाची उसे कस कर पकड़े हुए सोफ़े पर बैठ गयी और मुझे भी अपने पास बैठा लिया. अब वे कभी मुन्नी के चुंबन लेती कभी मेरे. आखिर पूरा गरम होने के बाद वे उठीं और कपड़े उतारने लगी. हमें भी उन्हों ने नंगे होने का आदेश दिया.

मैं तो तुरंत नंगा हो गया. तन कर खड़े और उछलते मेरे लंड को देखकर मुन्नी होंठों पर जीभ फ़ेरने लगी. वह थोड़ी शरमा रही थी इसलिये धीरे धीरे कपड़े उतार रही थी. चाची अब तक साड़ी चोली उतार कर अर्धनग्न हो गयी थी. उनके ब्रा और पेन्टी में लिपटे मांसल बदन को देखकर मुन्नी पथरा सी गयी. उनकी ओर घूरती हुई अनजाने में अपने हाथ से अपनी चूत स्कर्ट पर से ही रगड़ने लगी.

चाची उसके पास गई और प्यार से धीरे धीरे उसका स्कर्ट और टॉप निकाला. अंदर मुन्नी एक बड़ी प्यारी सी कॉटन की सिम्पल सफ़ेद ब्रा और चड्डी पहने थी. अधखिले उरोज ब्रा में से झांक रहे थे. उस कच्ची कली के छरहरे गोरे बदन को देखकर हम दोनों ऐसे गरम हुए कि समझ में नहीं आ रहा था कि कौन किसे पहले भोगे. हम दोनों उस बच्ची से लिपट गये और उसके बदन को हाथों से सहलाते हुए और दबाते हुए उसे चूमने लगे. कभी मैं उसके लाल होंठ चूसता तो कभी चाची. झुक कर कभी उसका पेट चूम लेते तो कभी गोरी पतली जांघें.

चाची ने आखिर पहल की और अपनी ब्रा और पेन्टी उतार फेंकी. बोली. "मुन्नी बिटिया, तू नयी है इसलिये यहाँ बैठकर हमारा खेल देख. अपने आप समझ जायेगी कि कैसे क्या करना है." मुन्नी को एक कुर्सी में बिठा कर वे मेरे पास आई और हमारी रति लीला आरम्भ हो गयी.

हमने सब कुछ किया. मैंने पहले कई तरह से चाची की बुर चूसी और फ़िर उन्हें तरह तरह से चोदा. यह देख देख कर मुन्नी सिसकियाँ भरती हुई अपनी ही छातियाँ दबाने लगी और पेन्टी पर से चूत को रगड़ने लगी. आखिर उससे नहीं रहा गया और उसने भी अपने अंतर्वस्त्र उतार दिये. पूर्ण नग्न कमसिन गोरा शरीर ऐसा फ़ब रहा था जैसे रसीली कच्ची गुलाब की कली. लगातार वह अपनी गोरी बुर रगड़ती हुई टाँगे हिला हिला कर हस्तमैथुन करने लगी.

पीछे से जब मैं चाची को चोद रहा था तो इस आसन को देख कर तो मुन्नी ऐसी तुनकी कि उठकर हमारे पास आ गयी और चाची की लटकती चूचियाँ दबाती हुई उन्हें जोर जोर से चूमने लगी. बड़ी मुश्किल से चाची ने उसे वापस भेजा नहीं तो भांजी मौसी के उस चुंबन को देखकर मैं जरूर झड़ जाता.

जब मैं झड़ने के करीब आ गया तब चाची ने खेल रोका. वे कई बार स्खलित हो चुकी थी. मुझे कुर्सी में बिठाकर मेरे चूत रस से गीले लंड को हाथ में लेकर चाटती हुई बोली. "अब आ जा बिटिया, तुझे लंड चखाऊँ, बड़ा रसीला प्यारा लंड है मेरे भतीजे का."


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Great update with mixture of erotic scenes and horny methods love the style of presentation keep IT up 👏👏👏
 

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Well-Known Member
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"तो चाची, प्लीज़ चोदने दीजिये ना, मैं पागल हो जाऊंगा नहीं तो." वे इतरा कर अपने उरोज मेरे गालों पर रगड़ती हुई बोली. "इतनी जल्दी क्या है राजा, और मजा नहीं करोगे? बहुत उतावले हो लल्ला तुम, सब्र करना सीखो. तभी स्वर्ग का आनंद पाओगे" कहते हुए उन्हों ने अपना दूसरा स्तन मेरे मुंह में दे दिया. मैं उनका निप्पल चूसने में जुट गया. हमारी सूखी चुदाई फ़िर शुरू हो गयी. मैं नीचे से और वे ऊपर से ऐसे धक्के लगा रहे थी जैसे रति कर रही हों पर बीच में अभी भी कपड़े थे. दस बीस मिनिट मस्ती में गुजर गये. उन्हें भोगने को अब मैं बेताब था.

आखिर मेरी उत्तेजना देखकर उन्हों ने मेरे कान में फ़ुसफ़ुसा कर कहा. "अनुराग बेटे, मेरे साथ उनसठ का खेल खेलोगे?" मैं पहले समझा नहीं फ़िर एकदम दिमाग में बात आ गयी कि चाची सिक्सटी नाइन की बात कर रही हैं. मेरा रोम रोम सिहर उठा. मानों उन्हों ने मेरे मन की बात कह दी थी. किताबों में पढ़ा और चित्र देखे थे पर अब यह मतवाली रसीली चाची खुद ही यह करने को मुझे कह रही थी.

असल में कल से जब से मुझे उनकी गोरी गोरी बुर के दर्शन हुए थे, उस मुलायम बुर को चोदने को तो मैं आतुर था ही, पर उसके भी पहले मेरे मन में यही बात आयी थी कि अगर इस रसीली चूत में मुंह मारने मिले तो क्या बात है. चाची के मुंह से मेरे मन की बात सुन कर मैं चहक उठा. मेरे लंड में आये अचानक उछाल से वे समझ गई कि उनका भतीजा भी उनके रस का प्यासा है.

मेरे मुंह से अपना निप्पल खींच कर वे उलटी तरफ़ से मेरे सामने लेट गई. "तो सिक्सटी नाइन करेगा मेरे साथ मेरा राजा. मैं तो समझती थी कि तुझे शायद अच्छा न लगे." मैंने उत्सुक स्वर में कहा "क्या बात करती हो चाचीजी. मैं तो मरा जा रहा हूँ इस अमृत के लिये. शाम से मुंह में पानी भरा है."

अपनी साड़ी ऊपर कर के खिलखिलाते हुए उन्हों ने अपनी एक टांग उठायी और मेरे सिर को अपनी जांघों में खींचते हुए बोली. "तो आ जाओ लल्ला, इतना रस पिलाऊँगी कि तृप्त हो जाओगे" उनकी साड़ी अब कमर के ऊपर थी और मोटी मांसल जांघें एकदम नंगी थी. उनकी निचली जांघ को मैं तकिया बनाकर लेट गया और उंगलियों से उनकी रेशमी झांटें बाजू में कर के उस खजाने को देखने लगा.

धुंधली चाँदनी में बहुत साफ़ तो नहीं दिख रहा था पर फ़िर भी उस लाल चूत की झलक से मैं ऐसा मस्त हुआ कि सीधा उस निचले मुंह का चुंबन ले लिया. पास से उसकी मादक खुशबू ने मुझे पागल सा कर दिया. जीभ निकालकर मैं चाची की बुर चाटने लगा. वह बिलकुल गीली थी. गाढ़ा चिपचिपा शहद जैसा रस उसमें से टपक रहा था. उस कसैले खटमिठ्ठे स्वाद से विभोर होकर मै बेतहाशा चाची की चूत चाटने और चूसने लगा.

चाची सांस रोककर देख रही थी कि मैं क्या करता हूँ. मेरे इस अधीरता से चूत चाटना शुरू करने पर वे मस्ती से कराह उठीं. "हाय लल्ला, तू तो जादूगर है, जरा भी सिखाना नहीं पड़ा. बस ऐसा कर कि बीच बीच में जीभ भी डाल दिया कर अंदर." और फ़िर उन्हों ने मेरे लंड पर ताव मारना शुरू कर दिया. पहले उसे खूब चूमा, चाटा और फ़िर मुंह में लेकर चूसने लगी.

आधे घंटे तक हम एक दूसरे के गुप्तांग को चूसने का मजा लेते रहे. चाची तो पाँच मिनिट में ही झड़ गयी थी. उनकी झड़ती चूत ने मुझे खूब पानी चखाया. बाद में वे दो बार और स्खलित हुई. बीच में मैंने उनके कहने पर उनकी मखमली चूत में जीभ भी डाल दी और अंदर बाहर कर के उसे जीभ से ही चोदा. चाची ने मुझे खूब देर टँगाया आखिर असहनीय कामना से जब मैं धक्के लगाकर उनके मुंह को चोदने लगा तभी उन्हों ने जोर से चूसकर मुझे स्खलित किया.

हम दोनों बिलकुल तृप्त हो गये थे पर फ़िर भी नींद से कोसों दूर थे. पेशाब लगी थी इसलिये हमने उठ कर वहीं छत पर बाजू में बनी नाली में मूता. चाची ने भी बेझिझक मेरे सामने ही बैठकर पेशाब की. उनकी बुर से निकलती मूत्र की तेज रुपहली धार देखकर मेरे मन में एक अजीब रोमांच हो उठा.

वापस बिस्तर पर आकर हम एक दूसरे से चिपट गये और चूमा चाटी करते रहे. चाची मुझसे अब गंदी गंदी बातें करने लगी. मुझे उत्तेजित करने का यह तरीका था. मैंने भी उनसे पूछा कि उनके जैसी गरमागरम नारी ने अपने ऊपर इतने साल कैसे संयम रखा. वे हंसने लगी. "कौन कहता है मैंने संयम रखा? खूब मजा लिया मैंने."

मैंने कहा. "चाची आप तो कह रही थी कि किसी से आपने संबंध नहीं रखे" मेरे लंड को मुठ्ठी में लेकर दबाती हुई वे बोली. "अरे संबंध नहीं रखे तो और भी रास्ते हैं. तू खुद को ही देख . आज तक तूने किसी स्त्री से संबंध नहीं किया ना? पर मजा लेता है कि नहीं?" मैं समझ गया कि हस्तमैथुन की बात हो रही है. मेरी उत्तेजना महसूस करके चाची हंसने लगी. "चल, तुझे भी कभी दिखाऊँगी औरतें क्या करती हैं खुद के साथ. हमेशा याद रखेगा. अरे गाँव की लड़कियां तो माहिर होती हैं इस कला में."

मुझे चाची के स्तन दबाने का बहुत मन हो रहा था. जब उनसे कहा तो वे मेरी ओर पीठ करके लेट गई. पीछे से उनसे चिपट कर मैंने उनके मम्मे दबाने शुरू कर दिये. बड़ा मजा आया. खास कर उनके कड़े निप्पल मेरे हथेलियों में चुभते तो बड़ा अच्छा लगता. स्तन मर्दन करते हुए मैं पीछे से उनके नितंबों के बीच के गहरी लकीर में लंड जमा कर रगड़ने लगा. उन मांसल चूतड़ों के घर्षण से जल्द ही मेरा फ़िर से तन्ना कर खड़ा हो गया.

"अब तो चोदने दो चाची" मैं मचल उठा. वे इतरा कर बोली. "ठीक है लल्ला, आ जाओ मैदान में, पर देख, मैं कहे देती हूँ, इतने दिनों बाद चुदवाने का मौका मिला है. मन भर कर चुदवाऊँगी. घंटे भर तक मेहनत करना पड़ेगी बिना झड़ें. नहीं तो कट्टी. बोलो है मंजूर?" मैंने मान लिया, जबकि मन में लग रहा था कि ऐसी मादक नारी को बिना झड़ें चोदना तो असंभव है.

चाची साड़ी ऊपर करके चित लेट गई. मेरा तकिया उन्हों ने अपने चूतड़ों के नीचे रख कर अपनी कमर ऊंची कर ली और टाँगे फ़ैला कर तैयार हो गई. उस खुली रिसती बुर को देखकर मुझे नहीं रहा गया और फ़िर मैं झुक कर उसे चूसने लगा. चाची ने मना नहीं किया बल्कि प्यार से चुसवाती रही. "मेरे प्यारे लल्ला, लगता है अपनी चाची की चूत बहुत भा गयी है तुझे. चूस बेटे चूस, मन भर कर चूस, तेरे ही लिये है मेरा सब रस."

एक बार उन्हें झड़ा कर मैने फ़िर रस चाटा और आखिर वासना सहन न होने से उठ बैठा. उनकी टांगों के बीच बैठकर अपना सुपाड़ा उनके योनिद्वार पर रखा और जोर से पेल दिया. चाची की बुर काफ़ी टाइट थी फ़िर भी इतनी गीली थी कि एक ही बार में पूरा लंड जड तक चाची की चूत में उतर गया. चाची सुख से सिसक उठीं. "शाबाश मेरे शेर, अब आया मजा. चोद अब मन लगा कर, चढ जा मुझपर, ढीली कर दे मेरी कमर धक्के मार मार कर, तुझे मेरी कसम लल्ला."

मैं सपासप चाची को चोदने लगा. इतना सुख कभी नहीं मिला था. अपनी पहली चुदाई और वह भी ऐसी मस्त औरत के साथ, मैं तो निहाल हो गया.

उस रात मैंने सच में एक घंटा नहीं तो फ़िर भी चालीस-एक मिनिट माया चाची को चोदा. एक तो दो बार झड़ने से अब मेरे लंड का संयम बढ गया था, दूसरे माया चाची ने भी बार बार दुहाई देकर और धमका कर मुझे झड़ने नहीं दिया. जब भी उन्हें लगता कि मैं स्खलित होने वाला हूँ, वे कस कर अपनी टांगों में मेरी कमर पकड कर और मुझे बाँहों में भर कर स्थिर कर देती. लंड का मचलना कम होने पर ही छोड़तीं.

चोदते हुए मैंने उन्हें खूब चूमा. कई बार जोर से धक्के लगाता हुआ मैं उनके रसीले होंठों को अपने दांतों में दबाकर चूसता रहता, यहाँ तक कि उनकी सांस रुक सी जाती. बीच बीच में झुक कर उनके निप्पल मुंह में लेकर चूसता हुआ उन्हें हचक हचक कर चोदता, यह सब कलाएं मैंने ब्लू फ़िल्मो में देखी थी इसलिये काम आई. चाची ने बीच में झड़ कर तृप्ति से हांफते हुए कहा भी कि लगता नहीं कि यह मेरी पहली चुदाई है पर मैंने उनकी कसम देकर उनको विश्वास दिलाया.

आखिर जब मैं थक कर चूर हो गया तो चाची से गिड़गिड़ा कर स्खलित होने की इजाजत मांगी. तीन चार बार झड़ कर भी उनकी चुदासी पूरी मिटी नहीं थी पर मेरी दशा देखकर तरस खा कर बोली. "ठीक है लल्ला, आज छोड. देती हूँ, पर कल देख तेरा क्या हाल करती हूँ."

वह आखिरी पाँच मिनिट की चुदाई बहुत जोरदार थी. चाची ने भी मुझे खूब उकसाया. "चोद राजा चोद अपनी चाची को, तोड. दे मेरी कमर, फ़ाड दे मेरी चूत, और चोद लल्ला, मार धक्का, हचक के मार." मेरे शक्तिशाली धक्कों से खाट भी चरमराने लगी. लगता था कि टूट न जाये, आस पास वाले सुन न लें पर अब तो मुझ पर भूत सवार था. उधर चाची भी मेरा साथ देते हुए नीचे से चूतड उछाल उछाल कर चुदवा रही थी. उनकी चूड़ियाँ हमारे धक्कों से हिल डुलकर बड़े मीठे अंदाज में खनक रही थी. उस आवाज से मैं पूरा मदहोश हो गया था. इसलिये मैं ऐसा झड़ा कि मेरे मुंह से चीख निकल जाती अगर चाची ने मेरा मुंह अपने होंठों में पहले ही दबा कर न रखा होता.
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उस अपूर्व कामतृप्ति के बाद मैं ऐसा सोया कि सुबह सूरज सिर पर आ जाने पर ही नींद खुली. चाची पहले ही उठ कर नीचे चली गयी थी. जब मुझे जगाने चाय लेकर आई तो नहा भी चुकी थी. शायद मंदिर भी हो आई थी क्यों की सिंदूर में थोड़ा गुलाल लगा था.

सादी नीली साड़ी में लिपटी उस रूपवती नारी को देखकर मैं फ़िर उनसे लिपटकर चुंबन मांगने ही वाला था कि उन्हों ने उंगली मुंह पर लगाकर मना कर दिया. मैं समझ गया कि अब दिन निकल आया है और छत पर ऐसा करना ठीक नहीं. मैं चाय पी रहा था तब चाची ने सामने बैठ कर मुस्कराते हुए पूछा. "तो कैसे कटी रात मेरे प्यारे लल्ला की?"

मैं दबे स्वरों में उनकी आँखों में देखता हुआ कृतज्ञता से बोला. "माया चाची, आपने तो मुझे स्वर्ग पहुंचा दिया. मैं तो आपका गुलाम हो गया, अब आप जो कहेंगी, वही करूंगा." वे प्यार से हंसने लगी. "ठीक है लल्ला, गुलाम ही बना कर रखूंगी तुझे. देख तुझे क्या क्या नजारे दिखाती हूँ. अब नीचे चलो और नहा लो."

मैं नहाकर तैयार हुआ. दोपहर तक बस टाइम पास किया क्यों की घर में काम करने वाली नौकरानी आ गयी थी और वह खाना बनने तक और हमारा खाना होकर बर्तन माँजने तक रुकी थी. आखिर एक बजे वह गयी और चाची ने दरवाजा अंदर से लगा लिया. मैं तो तैयार था ही, बल्कि सुबह से उनके उस मतवाले शरीर के लिये प्यासा था. तुरंत उनसे चिपक गया.

हम वहीं सोफ़े पर बैठ कर एक दूसरे के चुंबन लेने लगे. "लल्ला, ऐसे नहीं, चुंबन का असली मजा लेने को जीभ का प्रयोग जरूरी है." कहते हुए चाची ने अपनी जीभ से मेरे होंठों को खोला और उसे मेरे मुंह के अंदर डाल दिया. मैं उस रसीली जीभ को चूसने लगा और उस मीठे मुखरस का खूब मजा उठाया. जीभ से जीभ भी लड़ाई गयी और मैंने भी अपनी जीभ चाची के मुंह में डाल कर उनके दाँत, मसूड़े, तालू इत्यादि को खूब चाटा.

चूमाचाटी के बाद चाची मुझे ऊपर अपने कमरे में ले गई. अब तक मेरा लोडा तन्ना कर उठ खड़ा हुआ था. चाची ने दरवाजा बंद करके मेरे पास आकर मेरा हाथ पकडकर कहा. "लल्ला, कल तुम मुझे नंगी देखना चाहते थे ना, चलो आज तुम्हें दिखाती हूँ जन्नत का नजारा. पर पहले तुम अपने सब कपड़े उतारो.

मैं तुरंत नग्न हो गया. थोड़ी शरम अब भी लग रही थी पर जब मैंने चाची की नजर की चमक देखी तो शरम पूरी तरह जाती रही. मेरे भरे पूरे नग्न किशोर जवान शरीर को देखकर वे बोली. "बड़ा प्यारा है मेरा गुलाम, ऐसा सबको थोड़े ही मिलता है. भरपूर गुलामी करवाऊँगी तुझसे लल्ला." मेरे तन कर खड़े लंड को देख कर वे चहक पड़ीं. "बहुत मस्त है लल्ला तेरा सोंटा. चल इसे नापते हैं, कितना लम्बा है."

मुझे पलंग पर बिठा कर वे एक स्केल ले आई और मेरा लंड नापा. छह इंच का निकला. "बड़ा मजबूत है राजा, कितना गोरा भी है, और ये सुपाड़ा तो देख, लगता है जैसे लाल टमाटर हो, और ये नसें, हाय लल्ला, मैं वारी जाऊँ तुझ पर. साल भर में अपनी चाची को चोद चोद कर आठ इंच का न हो जाये तो कहना" कहकर वे उससे खेलने लगी.
Awesome and sexy👙👠💋👙👠💋👙👠💋 update.
 
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