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Incest खेल-खेल में बेटी को चोदा

abmg

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वो शनिवार का दिन मेरे लिए बहुत खास था। बेटी ने खुद मुझसे चुदवाया और रात में अपनी सहेली को भी मेरा लंड खिलाया। दोनों कुंवारी थी। उसी दिन मुझे मालूम हुआ कि मेरी पत्नी एक आदमी के साथ 23-24 साल से लगातार चुदवा रही थी।


मुझे पत्नी का मोबाइल फ़ोन भी मिला जिसमें उसने 27 अलग आदमियों के साथ की चुदाई की विडियो रिकॉर्डिंग रखी थी। मैंने पत्नी को अपने नये यार, बेटे की उम्र से भी छोटी उम्र के आदमी के साथ घर में चुदवाने की परमिशन दी। और जब मैं किरण को बेटी के रुम में चोद रहा था, मेरी बेटी अपनी मां के यार से चुदवा कर आ गई।

पत्नी और बेटी की हरकतों से मैं नाराज़ नहीं था। लेकिन बेचैन जरुर हो गया था।इसी बेचैनी के कारण नींद नहीं आई। बहुत देर तक करवट बदलता रहा। जब नींद नहीं आई तो लैपटॉप से पेनड्राईव निकाल कर हाउसकोट के पॉकेट में डाला। उसे पहनते हुए लिविंग रुम में आया तो देखा कि सोफ़ा पर एक खूबसूरत जवान आदमी नंगा बैठा है। पहचान गया कि यही अशोक था, जिसने मां-बेटी को एक दूसरे के सामने चोदा था।
मुझे देख कर वो घबरा कर सोफ़ा से उठने लगा तो मैं ने उसके कंधा को दबाते हुए कहा, “घबराओ मत, मुझे सब मालूम है। बस एक बात मुझे सच-सच बताओ। अगर झूठ कहा तो अणिमा का बैंक जाना बंद हो ही जायेगा और तुम्हारे जावेरी साहब को मालूम हो जायेगा कि तुम उनकी माल को चोद रहे हो।”
पिछली शाम जैसे मेरी एक धमकी पर राघव ने सब बता दिया था। ये अशोक भी तोता जैसा सब बोल बैठा, “हम दोनों बातें कर रहे थे कि नम्रता नंगी ही रुम में आ गई। मैं फिर भी नम्रता को चोदने से मना करता रहा लेकिन सर जब नम्रता ने लंड चूसना शुरू किया तो मैं अपने को नहीं रोक सका। दो बार चोदा। दोनों मां-बेटी ने आज फिर आने कहा है। सर, मैं अणिमा को चोदना छोड़ दूंगा, मेरी शादी नम्रता से करवा दीजिए।”
अशोक ने सब कुछ साफ कर दिया। मैंने उसका गाल थपथपा कर कहा, “बहुत क़िस्मत वाले हो। दोनों खुबसूरत मां और बेटी को तुम पसंद आ गये हो। मैं 10 बजे तक बाहर चला जाऊंगा, और रात को वापस आऊंगा। दिन भर दोनों को जम कर चोदो और अगर नम्रता तैयार है तो मैं दोनों की शादी भी करवा दूंगा। ना मैं तुमसे ग़ुस्सा हूं ना ही दोनों मांं -बेटी से।”
“बेचारे छोटे बच्चे को डरा रहे हो!” मैंने घूम कर देखा। कुछ ही दूरी पर अणिमा नंगी खड़ी थी। मैं उसके पास गया और दोनों चूचियों को दबाते हुए बुर को मसला। “अणिमा, बहुत दिनों बात तुम्हें इस तरह नंगा देख रहा हूं। बहुत ही मस्त लग रही हो। जल्दी से एक बढ़िया चाय बनाओ, और हां, चाहो तो अशोक को दिन भर घर में रोक लो। मैं दिन भर बाहर रहूंगा। चिंता मत करो, तुम्हारे राघव को अब नहीं धमकाऊंगा।”
दोनों अशोक और अणिमा मुझे एक टक घूरते रहे। मैंने अणिमा को चूम कर कहा, “मेरा विश्वास करो, मैं तुम लोगों से बिल्कुल नाराज़ नहीं हूं। लेकिन अपना रात का प्रोग्राम नहीं बदलेगा।”
अणिमा नॉड करती हुई किचन में गई। मैं अशोक से उसके फ़ैमिली के बारे में पूछता रहा। थोड़ी देर बाद अणिमा हम तीनों के लिए चाय लेकर आई। हम चाय पी रहे थे और उसने अचानक मेरे हाउसकोट के पल्ले को हटा दिया। अणिमा ने मेरा लंड पकड़ लिया और दबाते हुए बोली, “अशोक, अब तुम समझ गये होंगे कि मैं अपने इतने खूबसूरत और मज़बूत मर्द को छोड़ कर क्यों दूसरे-दूसरे मर्द के पास जाती हूं। सिर्फ इस बल्ले के शॉट से बचने के लिए। रात में मुझे 2 बार चोद कर तुम्हारा लंड कैसे शांत है। और ये नरेन का बल्ला हमेशा ऐसा ही मुझे डराता रहता है।”
हम दोनों मर्द चाय पीते रहें और अणिमा एक-एक हाथ से हमारा लंड मुठियाती रही। अब इस औरत के पास कुछ भी छिपाने के लिए नहीं था। इसलिए वो पूरी बेशर्मी पर उतर आई थी। अशोक सीधा बैठा था लेकिन मैं अणिमा की चूचियों को सहला रहा था। मैंने दोनों के साथ सवाल जवाब शुरू किया-
मैं: अणिमा, मैं तुम्हें कब से चोद रहा हूं, अब तक कितनी बार चोदा होगा? तुम कह रही हो कि मैंने तुम्हारी बुर खोखली कर दी है, ढीली कर दी है।
अणिमा: 24 साल से चोद रहे हो, और कम से कम पांच हज़ार बार ये लंड मेरी बुर में घुसा होगा। सच में तुमने मेरी बूर ढीली कर दी है।
मैं: अशोक, तुमने अपनी माल, मेरी पत्नी को पहली बार कब चोदा?
अशोक: तीन महिने पहले। तब से क़रीब क़रीब हम रोज़ चुदाई करते हैं।
मैं: लेकिन तुम्हारी प्रेमिका तो कह रही है कि मैंने, मेरे इस लंड ने उसकी बुर को खोखला कर दिया है, फैला दिया है। फिर तुम्हें ऐसी बुर में लंड पेलने में कैसे मज़ा आता है?
अशोक ने जोश में ऐसी बात कह दी जो अणिमा नहीं चाहती थी कि मुझे मालूम हो। अशोक भी मेरे साथ अणिमा की चूचियों को सहलाने लगा।
अशोक: नहीं सर, अणिमा अभी भी किसी भी जवान लड़की को टक्कर दे सकती है। पिछली रात मैंने नम्रता को भी 2 बार चोदा। नम्रता की चूत बहुत ही टाईट है। लेकिन अणिमा को चोदने का अलग ही मज़ा है। अणिमा की बुर अब भी बहुत टाईट, रसीली, और गर्म है।
अणिमा ने लंड को पकड़े रखा, लेकिन मुठियाना बंद कर दिया।
अणिमा: नरेन, मेरा विश्वास करो, तुम्हारी बेटी को मैंने अशोक या किसी और से चुदवाने एक बार भी नहीं कहा। वो नंगी ही कमरे में घुसी और लंड चूसने लगी। वैसी हालत में अशोक की जगह तुम भी होते तो अपनी बेटी को चोद लेते। नम्रता को अशोक के साथ की चुदाई इतनी पसंद आई है कि उसने अशोक को फिर बुलाया है।
नम्रता ने कहा था कि उसने अशोक से नहीं चुदवाया है लेकिन अशोक और अणिमा, दोनों ने कहा कि उसने अशोक से दो बार चुदवाया।
मैं अशोक, अगर मेरी बेटी तुमसे चुदवाना चाहती है तो दिन या रात वो जब भी चाहें उसे चोदो। मैं कभी मना नहीं करुंगा। लेकिन बेटी का चुदाई की बात सुन मैं बहुत गर्म हो गया हूं। क्या मैं तुम्हारी इस माल को अभी चोद सकता हूं?
अशोक: सर, मुझे शर्मिंदा क्यों कर रहे हैं? ये आपकी पत्नी है। आप जब चाहें इसे प्यार कर सकते हैं, चोद सकते हैं।
मैं: क्या अणिमा, इतनी ख़ूबसूरत‌ और मस्त माल हो, और नंगी बैठी हो। फिर भी तुम्हारे यार का लंड ढीला है। इसे टाईट करो। तब तक मैं अपनी गर्मी ठंडा करता हूं।
अणिमा इस पोजिशन में नहीं थी कि मेरी बात काट सके। वो अशोक के लंड को पकड़ कर चूसने लगी। मैंने अणिमा के चूतड़ को उठाया और उससे कहा कि मेरी कुतिया बन जाये।
अणिमा ने बिना कुछ बोले कुतिया के पोज लिया। मैंने एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ बुर के छेद पर दबाया और ज़ोर का धक्का मारा।
“आह… थोड़ा धीरे।” अणिमा ने सिसकारी मारी और हमारी सोसाइटी के मंदिर में सुबह 6 बजे का घंटा बजा। मैं आराम से चोदने लगा। आधा घंटा से ज़्यादा हो गया, मैं और अशोक चुप रहे। अणिमा ने बोलना शुरू किया,
“जानते हो अशोक, जिस दिन मैं इस आदमी नरेन से पहली बार मिली, उसी रात इसने मुझे चोदा। वो मेरी पहली चुदाई थी। झूठ नहीं कहूंगी, चुदाई में बहुत मज़ा आया लेकिन नरेन के लंड की लंबाई और मोटाई से मैं डर भी गई। मैंने अपनी मां से अपना डर बताया तो उस रंडी ने कहा कि हर औरत लंबा, मोटा लंड और लंबी चुदाई के लिए मरती है।
उसने कहा कि धीरे-धीरे मुझे बढ़िया लगने लगेगा। लेकिन मेरा डर ख़त्म नहीं हुआ। 2 महीने बाद हमने शादी भी कर ली। डेली चुदवाती थी, लेकिन मैं नरेन की चुदाई से डरती ही रही। फिर शादी के चार महीने बात मेरी बहुत खुशामद करने पर नरेन की एक रंडी ने मुझे अपने भाई से चुदवाया। उसका लंड सिर्फ़ 6 इंच का है और उसने मुझे 20 मिनट ही चोदा।
वो चुदाई मुझे इतनी बढ़िया लगी कि मैं अब तक उससे चुदवा रही हूं। तुमने भी अगर आधा घंटा भी चोदा होता तो मैं फिर तुमसे दुबारा नहीं चुदवाती। तुम्हारा लंड का साईज़ भी वैसा ही है जैसा मुझे पसंद है। नरेन, अब तुम्हें मेरे रंडी-पने के बारे में मालूम पड़ गया है। अब तुम मुझे चोदना छोड़ दो। इतना चुदवाने के बाद भी मुझे तुम्हारे साथ चुदाई का खेल खेलना बढ़िया नहीं लगता है। तुम अगर किसी को घर में रखना चाहते हो तो रख लो। मुझे अपने यार के साथ हर रात गुज़ारने दो।
अपने तरीक़े से धक्का मारते हुए मैंने कहा, “अणिमा रानी, इस घर में रहोगी तो पहले जैसा डेली चोदूंगा। लेकिन अब से हर सप्ताह दो रात तुम्हें अपने यार को साथ सुलाने की परमिशन देता हूं। तुम चाहो तो मेरा घर छोड़ कहीं और जा कर रह सकती हो। नम्रता भी तुम्हारे साथ जाना चाहें तो उसे भी साथ ले जा सकती हो।” मैं चोद ही रहा था और अशोक झड़ भी गया।
“पापा, ये चुदाई का खेल सुबह-सुबह खेला जाता है क्या?” अचानक बेटी की आवाज़ सुन मैं मुस्कुराया। देखा कि दोनों लड़कियां फॉक पहन कर खड़ी है।
“बेटी, तेरी मां नंगी थी। उसकी मस्त जवानी देख कंट्रोल करना मुश्किल हो गया था। इसलिए चोदने लगा। तुम या किरण जो भी चाहो अशोक से चुदवा लो।”
कोई कुछ नहीं बोला। फाईनली, अणिमा पस्त हो गई। मैं धक्का लगाता ही रहा।
अशोक: सर आप इतनी देर तक कैसे चोद सकते हो? अणिमा को 25-30 मिनट चोद भी लेता हूं, लेकिन नम्रता ने दोनों बार 15-20 मिनट में ही मुझे ठंडा कर दिया।
अणिमा: और मुझे कभी 15-20 मिनट से ज़्यादा की चुदाई पसंद नहीं आई, और ये आदमी कभी 40-45 से कम नहीं चोदता है।
अशोक और मां की बात सुनते ही नम्रता वहां से हट गई, शायद अपने रुम में चली गई। किरण मेरे बग़ल में बैठ गई। किरण ने भी बोल्डली कहा, “अंकल, आपके इस मस्त मूसल जैसे लंड से एक रात में ही 3-3 बार चुदवाने के बाद अब मुझे इससे छोटे और पतले लंड से मज़ा नहीं आयेगा। और मैंने सभी से यही सुना है कि लंड जितना ज़्यादा दर तक बूर में टाईट रहता है औरत को उतना ही ज़्यादा मज़ा आता है। अशोक साहब, घर जाकर अपनी मां से पूछ लीजिएगा कि उन्हें किस तरह के लंड और कितनी देर की चुदाई पसंद है।”
मैंने अणिमा की बुर से लंड निकाला और उसका माथा घुमाया। फिर मैंने लंड उसके होंठों के बीच पेल दिया। अणिमा के माथा को अपने लंड पर दबाये रख कर कहा,
“अणिमा, तुम कहती हो कि तुम्हें ना मेरा लंड ही पसंद है और ना मेरी लंबी चुदाई, इसलिए तुमने दूसरों से चुदवाना शुरू किया। इतने सालों तक मुझसे छिपा कर चुदवाती रही हो। लेकिन अब तुम्हें चोरी-छिपे चुदाई करने की ज़रूरत नहीं है। अब से तुम जब चाहो अपने यार को बुला कर जितना चाहे चुदवाओ। जैसे पिछली रात अपनी बेटी को अशोक से चुदवाया वैसे ही अपने दूसरे यारों से भी चुदवाओ।
अब मुझे एक बहुत ही प्यार करने बाली लड़की, ये किरण मिल गई है। तुम्हें मुझसे चुदवाना पसंद नहीं है ना, तो अब जब तक तुम खुद मेरे पास नहीं आओगी मैं तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊंगा। लेकिन आज की रात तुम्हें प्रेम के साथ ही गुज़ारनी होगी। चाहो तो अपनी बेटी को उससे भी चुदवा देना।”
नम्रता को प्रेम से चुदवाने की बात अशोक को पसंद नहीं आई। बेचारा दुखी होकर बोला, “अणिमा, अब नम्रता को किसी और से मत चुदवाना। मैं उससे आज भी शादी करने को तैयार हूं। मैं तुम्हें चोदना छोड़ दूंगा, किसी और को नहीं चोदूंगा, प्लीज़, मेरी शादी नम्रता से करवा दो।”
मैंने अपना फ़ैसला सुनाया, “नम्रता जवान हो गई है, वो जिस से चाहे चुदवाये, जिससे चाहे शादी करे। लेकिन अशोक, इस अणिमा जैसी मस्त, खूबसूरत, और बढ़िया माल और कोई दूसरी नहीं मिलेगी। इसे चोदना मत छोड़ो।”
अणिमा कुछ बोलना चाहती तो भी बोल नहीं पाती क्योंकि मेरे लंड का आधा से ज़्यादा लंबाई अणिमा के मुंह में घुसा था। मैं अणिमा को अशोक और किरण के सामने मुंह में चोद रहा था। मैंने हज़ारों बार इस औरत को चोदा था, क़रीब-क़रीब डेली लंड चुसवाता था। लेकिन उस समय अणिमा के यार और अपनी नई प्रेमिका किरण के सामने चोदने और लंड चुसवाने में जो मज़ा आ रहा था वैसा मज़ा पहले कभी नहीं आया था।
मैं तेज़ी से अणिमा के मुंह में लंड को आगे पीछे करते हुए बोला,
“अशोक, कोई कैसा भी लंड चूसे लेकिन मेरी पत्नी जैसा लंड कोई नहीं चूस सकती है। और इस औरत की सदाबहार जवानी का राज जानते हो, ये अणिमा क़रीब क़रीब हर रोज़ मेरे लंड का रस पीती है। मेरे रस पीने के कारण ही इस 42 साल की औरत को चोदने में तुम्हें इतना मज़ा आ रहा है कि तीन महिना से लगातार चोद रहे हो।”
किरण सब कुछ देख रही थी, सुन रही थी। लड़की ने फिर हिम्मत की। दोनों हाथों से अणिमा की चूचियों को दबाते हुए बोली, “सच अंकल, आंटी की चूचियां कितनी गुदाज़ और बढ़िया लग रहा है दबाने में। मेरी मां भी आंटी के ही उम्र की है लेकिन बाबू जी ने उन्हें चोदना छोड़ दिया है, और यहां आंटी को उनके बेटे से भी छोटे उम्र का आदमी लगातार तीन महीने से चोद रहा है। अंकल, अब से मैं भी आपके लंड का रस रोज पीउंगी, मुझे भी आंटी जैसा सदाबहार जवानी चाहिए। अशोक, पिछली रात नम्रता ने जरुर तुम्हारा लंड चूसा होगा। लड़की ने तुम्हारे लंड का रस पीया की नहीं।”
किरण मस्ती से अणिमा की चूचियों को दबाती रही। अशोक ने जवाब दिया, “नहीं किरण, नम्रता ने दो बार चूसा और अणिमा ने भी दो बार चूसा। लेकिन किसी ने एक बार भी रस नहीं पिया। अणिमा को तीन महीने से क़रीब-क़रीब रोज चोदता हूं। अणिमा भी हर रोज़ एक बार लंड चूसती ही है। लेकिन इस औरत ने कभी रस नहीं पिया। सज तो यह है कि मैं आज पहली बार ही सुन रहा हूं कि कोई औरत लंड का रस पी लेती है।”
मुझे तो बहुत मज़ा आ ही रहा था। किरण भी खूब मस्ती ले रही थी। उसने बारी-बारी से अणिमा की दोनों चूचियों को चूसा और दोबारा दबाते हुए बोली, “अशोक, अंकल ने पिछली रात ही मेरी सील तोड़ी, पहली रात में ही तीन बार चोदा। हर बार एक एक घंटा चोदा। मुझे लंड भी चुसवाया और रस भी पिलाया। मुझे तो रस पीना बहुत बढ़िया लगा। बहुत टेस्टी रस है अंकल का।”
मैंने कहा, “अशोक, मेरी सभी माल ख़ुशी-ख़ुशी मेरे लंड का रस पीती है। अणिमा रानी, इन दोनों बच्चों को दिखा दो कि लंड कैसे चूसते हैं और रस कैसे पीती हो।”
मेरी बात सुन कर अणिमा ने ज़ोर से किरण का हाथ अपनी चूचियों पर से हटाया, और मेरे लंड को मुंह से निकाल कर अशोक का ढीला लंड पकड़ कर बोली, “तुम मुझे बेशर्म बनाना चाहते हो तो देखो मैं कितनी बेशर्म हूं। और लड़की तू अगर नरेंद्र से ऐसी ही चुदवाती रहेगी, तो चूत को भोंसड़ा बनने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा। देख कैसे लंड चूसते हैं और कैसे रस पीते हैं।”
 
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madhumati

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मेरी पत्नी किसी दूसरे रुम में अपने से आधे उम्र के आदमी के साथ मस्ती मार रही थी, और मैं अपनी बेटी के बेड पर एक साथ उसे और उसकी सबसे खास सहेली के साथ मस्ती मार रहा था। नम्रता को एक बार चोद लिया था। अपनी सहेली की चूत से निकले लंड को किरण बहुत ही प्यार से चुभलाते हुए चूस रही थी। मैं अपनी बेटी की नंगी जवानी को सहलाते हुए अपनी और संध्या की दोस्ती की कहानी सुना रहा था।


“मैं इंजीनियरिंग के थर्ड ईयर में था। संध्या की शादी के क़रीब 4 साल बाद वो मुझे एक दुकान में मिल गई। और जैसा रोड पर कुत्ता और कुतिया चूदाई शुरू कर देते हैं, हम दोनों भी दूकान में ही एक दूसरे से चिपक कर चुम्मा-चाटी करने लगे। उसने मुझसे अपने घर चलने की ज़िद की। मैं उसके घर गया और 5 मिनट के अंदर हम चुदाई करने लगे। लंबी चुदाई हुई।

चुदाई के समय मैंने उससे कहा कि अपने पति को तलाक देदे, और मुझसे शादी कर ले। मैं होस्टल वापस आना चाहता था, लेकिन उसने रोक लिया। कुछ देर बाद उसका पति विमल घर आया। मैं उसे पहली बार ही देख रहा था। विमल एक हैंडसम आदमी था। संध्या ने हमारा परिचय करवाया और यह भी कहा कि वो विमल को छोड़ कर मुझसे शादी करेगी।”
नम्रता ने कमेंट किया, “साली कितनी बदज़ात औरत है विमल ने आपको बहुत गाली दी होगी?”
किरण मेरा लंड बहुत ही प्यार से चूस रही थी। मैंने उसे डिस्टर्ब नहीं किया। बेटी की चूत को मसलते हुए दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसा। मैंने जवाब दिया,
“नहीं मेरी प्यारी कुतिया। पत्नी की बात सुन कर विमल संध्या का दोनों पांव पकड़ कर बोला कि अगर वो उसे छोड़ देगी तो सारी दुनिया को खबर हो जायेगी कि वो नामर्द था। अपनी पत्नी को नहीं चोद पाता था।
उसने मेरे सामने कहा कि पहले जैसा ही संध्या जब भी जिससे चाहे चुदवाती रहे वो कभी मना नहीं करेगा। संध्या ने जवाब दिया कि उसने तीन आदमियों के साथ होटल में चुदवाया लेकिन उसे बढ़िया नहीं लगा। संध्या ने अपने पति से कहा कि अगर वो नरेन को यानी मुझे घर में आकर रहने दे, चोदने दें, तभी वो विमल के साथ रह सकती थी। और बेटी, संध्या का पति तुरंत मान गया।
उस रात मैं संध्या के साथ ही रहा और विमल ने रात भर हमारी चुदाई देखी। संध्या को दोबारा चोदना शुरू किया तो अब तक चोद रहा हूं। किरण, बहुत चूस लिया तुमने अब बल्ले को देखने दें कि तेरी क्रीज़ बढ़िया है या तेरी सहेली की।”
किरण ने लंड बाहर ढेला और नम्रता के बग़ल में लेट गई। मैंने उससे पूछा कि सीधा शॉट मारना शुरु करुं कि मैदान को और चिकना कर दूं? किरण ने कुछ जवाब नहीं दिया। उसने लंड पकड़ कर अपनी चूत पर दबाया।
“रानी, ऐसा बल्ला मारुंगा कि ज़िंदगी भर मेरे साथ की चूदाई नहीं भूलोगी।”
बोलना ख़त्म हुआ और जैसा अपनी बेटी के साथ किया था धक्के पर धक्का मारने लगा। हर धक्के पर किरण के चेहरे की रंगत बदलने लगी। गोरा चेहरा सफ़ेद पर गया। लड़की का बदन लकड़ी जैसा टाईट होने लगा। किरण ने दांतो से अपने होंठों को दबा लिया। फिर भी उसके आंखों में आंसू की बूंदें छलकने लगी। मैं दोनों हाथों से दोनों चूचियों को दबाये हुए लगातार धक्का लगा रहा था।
सिर्फ़ किरण की चूचियां ही मेरी बेटी की चूचियों से बड़ी नहीं थी उसका पूरा बदन ज़्यादा गदराया हुआ था। किरण की चूत में चार धक्का ही मारा था कि मेरी आंखों के सामने किरण की मां दीप्ति का चेहरा और गदराया हुआ बदन आ गया। किरण की मां को याद करते हुए अगला धक्का और भी ज़ोर से मारा,
“मां मर गई, चूत फट गई, अंकल निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है।”
किरण भी मेरी बेटी जैसी कुंवारी थी। 30 साल की चूदाई की जिंदगी में यह पहला मौक़ा था जब मुझे एक ही दिन में 2 कुंवारी लड़कियों को चोदने का मौक़ा मिल रहा था। नम्रता ने अपनी सहेली को कंसोल किया,
“रानी, जो दर्द होना था वो हो गया। अब बस मज़ा ही है। तेरी झिल्ली फट गई है। अब तू भी मेरे जैसे अपने पापा से चुदवा सकती है।”
मैंने गिन कर तीन और धक्के मारे, और लंड की पूरी लंबाई किरण की चूत में ग़ायब हो गई। मैं लंड को अंदर दबाये रख धक्का मारना बंद किया और उसके गालों और होंठों को चूमते हुए दोनों हाथों से किरण के बदन को सहलाने लगा।
“मैं पेशाब कर के आती हूं।” बोल कर नम्रता अटैच्ड बाथरूम में घुस गई। मैंने होंठों को एक बार और चूम कर कहा, “रानी, अपनी सहेली से मत कहना। दोपहर में उसे चोदा, नम्रता भी तुम्हारे जैसी ही कुंवारी थी। लेकिन रानी, तुम्हें चोदने में दो मज़ा आ रहा है वो मज़ा नम्रता के साथ नहीं आया था। मैं तुम्हारे साथ अकेले रहना चाहता हूं।”
किरण अब नॉरमल होने लगी थी। अपने चूतड़ो को उपर उचकाते हुए बोली, “अंकल, जो क़सम ले लो, मैं आपको बहुत पसंद करती हूं, बहुत प्यार करती हूं आपसे। सुबह मैंने मज़ाक़ में नहीं कहा था मैं सच में आपसे ही शादी करना चाहती हूं। मैं भी आपके साथ अकेले रहना चाहती हूं। रात में पॉसिबल नहीं है। आप जिस दिन बोलिए मैं दिन भर आपके साथ रहूंगी। कुतिया नंगी ही रुम से बाहर चली गई है। आंटी देखेंगी तो क्या बोलेगी?”
मैं धीरे धीरे धक्का लगाते हुए बोला, “अणिमा अपने किसी यार से चुदवा रही है। अगर उसने नम्रता को नंगा देखा तो साली ज़रूर बेटी को भी अपने यार से चुदवा देगी।”
मेरी बात सुन किरण बहुत खुश हुई। मुझे बार-बार चूमा और बोली, “कुतिया अब रात भर बाहर रहे तो बढ़िया है।”
हम बहुत प्यार से एक-दूसरे को सहलाते हुए चुदाई करते रहे। मैं तो नहीं झड़ा लेकिन किरण पस्त हो गई। मुझे अपने उपर ले अलग कर दिया। मैं उसके बग़ल में लेट गया। किरण अपनी चूत के रस से लथ-पथ लंड को सहलाते हुए बोली, “हमारी क्लास की बहुत सी लड़कियों ने चुदवाया है। चुदवाती है, लेकिन सब ने कहा कि उनका मर्द 15-20 मिनट से ज़्यादा नहीं चोद सकता है। नम्रता ने जब कहा कि पहली बार तुमने 35 मिनट चोदा और दूसरी बार 45 मिनट तो मुझे विश्वास नहीं हुआ। मुझसे पहले तुमने अपनी बेटी को फिर 45 मिनट चोदा और मुझे शायद एक घंटा। तुम कभी झड़ते नहीं? “
हमने थोड़ी देर बात की और उसके बाद जैसा नम्रता के साथ किया था, किरण को आगे से, पीछे से उसके अंग-अंग को चाटा और उसके बाद चूत को अपने तरीक़े से खूब चूसा और चाटा। जब वो भी बार-बार चोदने की ज़िद करने लगी, तब मैंने किरण को फिर सीधा मिशिनरी पोज़ में चोदा। हमारी 45 मिनट की चूदाई हो गई तब क़रीब 2 घंटा बाद नम्रता कमरे में वापस आई।
हमारे बग़ल में बैठ ज़ोर से बोली, “मां की पसंद कितनी घटिया है। एक तरफ़ तो हाथी जैसे राघव से चुदवाती है और दूसरी तरफ़ विनोद भैया से भी कम उम्र के लड़के से चुदवा रही है। ना तो साले की पर्सनालिटी ही बढ़िया है, ना ही लंड। लंड 6 इंच से बड़ा नहीं होगा और अपने इस कुत्ते के लंड से पतला है। मैंने हरामियों की चुदाई देखी। दोनों बार साला 15-20 मिनट में झड गया और साली उस नामर्द को उकसा रही है कि मुझे पटाये, मुझे चोदे।”
मैं समझ नहीं पा रहा था कि मेरी बेटी सच कह रही थी या जैसा किरण ने सोचा, नम्रता ने भी अशोक से चुदवा लिया था। किरण सहेली थी, उसमें हिम्मत भी थी। चुदाई करवाते हुए वो बोली,
“एक बात तो पक्की है कि आंटी हमारे जैसा खूबसूरत दिखने वाले मर्द को नहीं, बढ़िया चोदने वाले को ही पसंद करती है। राघव और ये अशोक भी ज़रूर बढ़िया चोदता होगा, तभी उनके जैसी परी से भी हसीन औरत वैसे मर्दों से चुदवा रही है। इतनी देर वहां थी, तो एक बार चुदवा लेती तो तुझे खुद पता चल जाता। अशोक बढ़िया चोदता तो हम तीनों ही उससे चुदवाते।”
नम्रता ने झुंझलाते हुए जवाब दिया, “अभी भी मां के साथ है, जाकर चुदवा ले। पापा, आज तुमने तीन बार चोद लिया है, अब दम नहीं है। कल होटल में दुबारा लूंगी।”
नम्रता दूसरी तरफ़ करवट लेकर लेट गई। नम्रता की बात सुन कर मुझे कोई संदेह नहीं रह गया। मेरी बेटी ने एक ही दिन में 2 आदमियों से चुदवा लिया था। मैंने और ज़ोर से धक्का मार कर किरण को विंक किया।
उसने भी मुस्कुराते हुए नॉड किया। यह सोच कर कि मां ने अपनी बेटी को अपने यार से चुदवाया मैं बेहद एक्साइट हो गया और 8-10 ज़ोरदार धक्के मारने के बाद मैं चूत के अंदर ही झड़ने लगा। किरण ने मुस्कुराते हुए लंबी सांस ली। “जान बची!”
हम दोनों ने पागलों जैसा एक-दूसरे को चूमा, सहलाया, दबाया। किरण ने लंड को दबाते हुए कहा,
“इतना बढ़िया लंड और आपके जैसी चुदाई करने के बाद या तो कोई रंडी ही दूसरे से चुदवायेगी, या फिर ऐसी औरत जिसे नये-नये लंड से खेलने का शौक़ है। साली ज़रूर अपनी मां के यार से चुदवा कर आई है। इसे भी नये-नये लंड से खेलने का शौक़ है। देखिएगा आंटी अपनी बेटी को अपने दूसरे यारों से भी तुतलायेगी। मुझे लगता है कि ये कल आपसे चुदवाने होटल भी नहीं आयेगी। लेकिन मुझे आपका ये बल्ला और आपका प्यार रोज़ चाहिए।”
किरण फिर लंड को चूसने चाटने लगा। मैंने नम्रता के चूतड़ों को दबाया लेकिन वो गहरी नींद में थी। मुझे इसका थोड़ा भी दुख नहीं था कि मेरी बेटी ने दूसरे से चुदवाया। मैंने खुद प्रेम से कहा था कि वो मेरी बेटी को पटा कर चोदे।
किरण ने उस रात तीसरी बार लंड चूसा।मानना पड़ा कि लड़की मर्द को खुश करना जानती थी। मैंने आधे घंटे के क़रीब उसे लंड चूसने दिया। फिर मैंने उसे उसी तरह से कुतिया के पोज में किया जैसा नम्रता को किया था। किरण को भी मैंने अपने होंठों, अंगुलियों, नाक और जीभ से पूरा ओरल मस्ती दिया। किरण ज़ोर-ज़ोर से मस्ती की आवाज़ निकाल रही थी, लेकिन मेरी बेटी के उपर कोई असर नहीं।
वो गहरी नींद में थी। मैंने बहुत देर तक ओरल मस्ती मारी और फिर कुतिया बनी किरण को खुब प्यार से, आराम से चोदा। ये तीसरी राउंड की चूदाई क़रीब डेढ़ घंटा चली। सबसे बढ़िया बात यह हुई कि इस बार हम दोनों साथ झडे, साथ ठंडे हुए।
घर-बार, प्यार की बात करते हुए मैं सहलाता रहा। तीन बार की लंबी चुदाई के बात कोई भी थक जाती। किरण भी सो गई। लेकिन मेरी आंखों में नींद नहीं थी। मैं यह सोच-सोच कर बहुत बेचैन हो रहा था कि मेरी बेटी ने अपनी मां के सामने मां के यार से चुदवाया। लैपटॉप तब भी बेड पर ही रहा था। मुझे वो पेनड्राईव भी दिखाई दिया।
लैपटॉप को मैंने अपनी गोदी में लिया। इंटर दबाया और स्क्रीन ऑन हो गया। मैंने सर्च किया और पत्नी के फ़ोन से जो विडियो प्रेम ने कॉपी किया था वो तुरंत मिल गया। प्रेम ने विडियो का नाम “सुंदरी अणिमा” लिखा था। उस फ़ोल्डर के अलावा प्रेम ने चार और विडियो डाला था। मुझे इन विडियो में नहीं अणिमा के फ़ोल्डर में इनटेरेस्ट था।
उस विडियो को क्लिक किया तो कई और सब-फ़ोल्डर खुल गये। सारे सब-फ़ोल्डर डेट वाइज़ ही थे। पहला विडियो 7 साल पहले का था और आख़िरी विडियो 27 वां विडियो उसी दिन का था। एक-एक कर मैंने सभी विडियो को खोलकर 2-3 मिनट देखा। सारे 27 विडियो अणिमा का 27 अलग-अलग आदमियों के साथ सेक्स यानी चुदाई का विडियो था। सभी में सिर्फ़ एक औरत अणिमा अकेले मर्द के साथ चुदाई करवा रही थी या खुद ही अपने यार को चोद रही थी। जिस 27 आदमियों के साथ अणिमा का विडियो था उस में से मैं सिर्फ राघव को ही जानता था।
फ़ोल्डर में सबसे पुराना विडियो 7 साल पुराना था। मैं मुस्कुराया। उससे पहले के मोबाइल फ़ोन में विडियो लेने का कोई ऑप्शन ही नहीं था। जब औरत फ़ोन में चुदाई का लाईव विडियो रख सकती है तो उसने ज़रूर ही अपने पुराने यार के साथ सकी नंगी फ़ोटो रखी होगी। लेकिन कहां?
इन सभी विडियो में एक कॉमन बात थी। सभी विडियो हमारे इसी घर के थे। मैंने फिर से सभी विडियो को देखा। सिर्फ चार विडियो में चुदाई सोफ़ा पर हुई थी। बाक़ी सारे विडियो हमारे मास्टर किंग साईज़ बेड पर ही लिए गये थे। एक बात और, 27 विडियो में बैंक के एक डाईरेक्टर जावेरी के साथ कोई विडियो नहीं था।
मैंने अंदाज़ा लगाया कि अणिमा का प्रेमी जब घर आता है वो तभी विडियो बनाती है। शायद उसके पार्टनर को मालूम ना हो कि औरत चुदाई को रिकॉर्ड कर रही थी।

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वो शनिवार का दिन मेरे लिए बहुत खास था। बेटी ने खुद मुझसे चुदवाया और रात में अपनी सहेली को भी मेरा लंड खिलाया। दोनों कुंवारी थी। उसी दिन मुझे मालूम हुआ कि मेरी पत्नी एक आदमी के साथ 23-24 साल से लगातार चुदवा रही थी।


मुझे पत्नी का मोबाइल फ़ोन भी मिला जिसमें उसने 27 अलग आदमियों के साथ की चुदाई की विडियो रिकॉर्डिंग रखी थी। मैंने पत्नी को अपने नये यार, बेटे की उम्र से भी छोटी उम्र के आदमी के साथ घर में चुदवाने की परमिशन दी। और जब मैं किरण को बेटी के रुम में चोद रहा था, मेरी बेटी अपनी मां के यार से चुदवा कर आ गई।

पत्नी और बेटी की हरकतों से मैं नाराज़ नहीं था। लेकिन बेचैन जरुर हो गया था।इसी बेचैनी के कारण नींद नहीं आई। बहुत देर तक करवट बदलता रहा। जब नींद नहीं आई तो लैपटॉप से पेनड्राईव निकाल कर हाउसकोट के पॉकेट में डाला। उसे पहनते हुए लिविंग रुम में आया तो देखा कि सोफ़ा पर एक खूबसूरत जवान आदमी नंगा बैठा है। पहचान गया कि यही अशोक था, जिसने मां-बेटी को एक दूसरे के सामने चोदा था।
मुझे देख कर वो घबरा कर सोफ़ा से उठने लगा तो मैं ने उसके कंधा को दबाते हुए कहा, “घबराओ मत, मुझे सब मालूम है। बस एक बात मुझे सच-सच बताओ। अगर झूठ कहा तो अणिमा का बैंक जाना बंद हो ही जायेगा और तुम्हारे जावेरी साहब को मालूम हो जायेगा कि तुम उनकी माल को चोद रहे हो।”
पिछली शाम जैसे मेरी एक धमकी पर राघव ने सब बता दिया था। ये अशोक भी तोता जैसा सब बोल बैठा, “हम दोनों बातें कर रहे थे कि नम्रता नंगी ही रुम में आ गई। मैं फिर भी नम्रता को चोदने से मना करता रहा लेकिन सर जब नम्रता ने लंड चूसना शुरू किया तो मैं अपने को नहीं रोक सका। दो बार चोदा। दोनों मां-बेटी ने आज फिर आने कहा है। सर, मैं अणिमा को चोदना छोड़ दूंगा, मेरी शादी नम्रता से करवा दीजिए।”
अशोक ने सब कुछ साफ कर दिया। मैंने उसका गाल थपथपा कर कहा, “बहुत क़िस्मत वाले हो। दोनों खुबसूरत मां और बेटी को तुम पसंद आ गये हो। मैं 10 बजे तक बाहर चला जाऊंगा, और रात को वापस आऊंगा। दिन भर दोनों को जम कर चोदो और अगर नम्रता तैयार है तो मैं दोनों की शादी भी करवा दूंगा। ना मैं तुमसे ग़ुस्सा हूं ना ही दोनों मांं -बेटी से।”
“बेचारे छोटे बच्चे को डरा रहे हो!” मैंने घूम कर देखा। कुछ ही दूरी पर अणिमा नंगी खड़ी थी। मैं उसके पास गया और दोनों चूचियों को दबाते हुए बुर को मसला। “अणिमा, बहुत दिनों बात तुम्हें इस तरह नंगा देख रहा हूं। बहुत ही मस्त लग रही हो। जल्दी से एक बढ़िया चाय बनाओ, और हां, चाहो तो अशोक को दिन भर घर में रोक लो। मैं दिन भर बाहर रहूंगा। चिंता मत करो, तुम्हारे राघव को अब नहीं धमकाऊंगा।”
दोनों अशोक और अणिमा मुझे एक टक घूरते रहे। मैंने अणिमा को चूम कर कहा, “मेरा विश्वास करो, मैं तुम लोगों से बिल्कुल नाराज़ नहीं हूं। लेकिन अपना रात का प्रोग्राम नहीं बदलेगा।”
अणिमा नॉड करती हुई किचन में गई। मैं अशोक से उसके फ़ैमिली के बारे में पूछता रहा। थोड़ी देर बाद अणिमा हम तीनों के लिए चाय लेकर आई। हम चाय पी रहे थे और उसने अचानक मेरे हाउसकोट के पल्ले को हटा दिया। अणिमा ने मेरा लंड पकड़ लिया और दबाते हुए बोली, “अशोक, अब तुम समझ गये होंगे कि मैं अपने इतने खूबसूरत और मज़बूत मर्द को छोड़ कर क्यों दूसरे-दूसरे मर्द के पास जाती हूं। सिर्फ इस बल्ले के शॉट से बचने के लिए। रात में मुझे 2 बार चोद कर तुम्हारा लंड कैसे शांत है। और ये नरेन का बल्ला हमेशा ऐसा ही मुझे डराता रहता है।”
हम दोनों मर्द चाय पीते रहें और अणिमा एक-एक हाथ से हमारा लंड मुठियाती रही। अब इस औरत के पास कुछ भी छिपाने के लिए नहीं था। इसलिए वो पूरी बेशर्मी पर उतर आई थी। अशोक सीधा बैठा था लेकिन मैं अणिमा की चूचियों को सहला रहा था। मैंने दोनों के साथ सवाल जवाब शुरू किया-
मैं: अणिमा, मैं तुम्हें कब से चोद रहा हूं, अब तक कितनी बार चोदा होगा? तुम कह रही हो कि मैंने तुम्हारी बुर खोखली कर दी है, ढीली कर दी है।
अणिमा: 24 साल से चोद रहे हो, और कम से कम पांच हज़ार बार ये लंड मेरी बुर में घुसा होगा। सच में तुमने मेरी बूर ढीली कर दी है।
मैं: अशोक, तुमने अपनी माल, मेरी पत्नी को पहली बार कब चोदा?
अशोक: तीन महिने पहले। तब से क़रीब क़रीब हम रोज़ चुदाई करते हैं।
मैं: लेकिन तुम्हारी प्रेमिका तो कह रही है कि मैंने, मेरे इस लंड ने उसकी बुर को खोखला कर दिया है, फैला दिया है। फिर तुम्हें ऐसी बुर में लंड पेलने में कैसे मज़ा आता है?
अशोक ने जोश में ऐसी बात कह दी जो अणिमा नहीं चाहती थी कि मुझे मालूम हो। अशोक भी मेरे साथ अणिमा की चूचियों को सहलाने लगा।
अशोक: नहीं सर, अणिमा अभी भी किसी भी जवान लड़की को टक्कर दे सकती है। पिछली रात मैंने नम्रता को भी 2 बार चोदा। नम्रता की चूत बहुत ही टाईट है। लेकिन अणिमा को चोदने का अलग ही मज़ा है। अणिमा की बुर अब भी बहुत टाईट, रसीली, और गर्म है।
अणिमा ने लंड को पकड़े रखा, लेकिन मुठियाना बंद कर दिया।
अणिमा: नरेन, मेरा विश्वास करो, तुम्हारी बेटी को मैंने अशोक या किसी और से चुदवाने एक बार भी नहीं कहा। वो नंगी ही कमरे में घुसी और लंड चूसने लगी। वैसी हालत में अशोक की जगह तुम भी होते तो अपनी बेटी को चोद लेते। नम्रता को अशोक के साथ की चुदाई इतनी पसंद आई है कि उसने अशोक को फिर बुलाया है।
नम्रता ने कहा था कि उसने अशोक से नहीं चुदवाया है लेकिन अशोक और अणिमा, दोनों ने कहा कि उसने अशोक से दो बार चुदवाया।
मैं अशोक, अगर मेरी बेटी तुमसे चुदवाना चाहती है तो दिन या रात वो जब भी चाहें उसे चोदो। मैं कभी मना नहीं करुंगा। लेकिन बेटी का चुदाई की बात सुन मैं बहुत गर्म हो गया हूं। क्या मैं तुम्हारी इस माल को अभी चोद सकता हूं?
अशोक: सर, मुझे शर्मिंदा क्यों कर रहे हैं? ये आपकी पत्नी है। आप जब चाहें इसे प्यार कर सकते हैं, चोद सकते हैं।
मैं: क्या अणिमा, इतनी ख़ूबसूरत‌ और मस्त माल हो, और नंगी बैठी हो। फिर भी तुम्हारे यार का लंड ढीला है। इसे टाईट करो। तब तक मैं अपनी गर्मी ठंडा करता हूं।
अणिमा इस पोजिशन में नहीं थी कि मेरी बात काट सके। वो अशोक के लंड को पकड़ कर चूसने लगी। मैंने अणिमा के चूतड़ को उठाया और उससे कहा कि मेरी कुतिया बन जाये।
अणिमा ने बिना कुछ बोले कुतिया के पोज लिया। मैंने एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ बुर के छेद पर दबाया और ज़ोर का धक्का मारा।
“आह… थोड़ा धीरे।” अणिमा ने सिसकारी मारी और हमारी सोसाइटी के मंदिर में सुबह 6 बजे का घंटा बजा। मैं आराम से चोदने लगा। आधा घंटा से ज़्यादा हो गया, मैं और अशोक चुप रहे। अणिमा ने बोलना शुरू किया,
“जानते हो अशोक, जिस दिन मैं इस आदमी नरेन से पहली बार मिली, उसी रात इसने मुझे चोदा। वो मेरी पहली चुदाई थी। झूठ नहीं कहूंगी, चुदाई में बहुत मज़ा आया लेकिन नरेन के लंड की लंबाई और मोटाई से मैं डर भी गई। मैंने अपनी मां से अपना डर बताया तो उस रंडी ने कहा कि हर औरत लंबा, मोटा लंड और लंबी चुदाई के लिए मरती है।
उसने कहा कि धीरे-धीरे मुझे बढ़िया लगने लगेगा। लेकिन मेरा डर ख़त्म नहीं हुआ। 2 महीने बाद हमने शादी भी कर ली। डेली चुदवाती थी, लेकिन मैं नरेन की चुदाई से डरती ही रही। फिर शादी के चार महीने बात मेरी बहुत खुशामद करने पर नरेन की एक रंडी ने मुझे अपने भाई से चुदवाया। उसका लंड सिर्फ़ 6 इंच का है और उसने मुझे 20 मिनट ही चोदा।
वो चुदाई मुझे इतनी बढ़िया लगी कि मैं अब तक उससे चुदवा रही हूं। तुमने भी अगर आधा घंटा भी चोदा होता तो मैं फिर तुमसे दुबारा नहीं चुदवाती। तुम्हारा लंड का साईज़ भी वैसा ही है जैसा मुझे पसंद है। नरेन, अब तुम्हें मेरे रंडी-पने के बारे में मालूम पड़ गया है। अब तुम मुझे चोदना छोड़ दो। इतना चुदवाने के बाद भी मुझे तुम्हारे साथ चुदाई का खेल खेलना बढ़िया नहीं लगता है। तुम अगर किसी को घर में रखना चाहते हो तो रख लो। मुझे अपने यार के साथ हर रात गुज़ारने दो।
अपने तरीक़े से धक्का मारते हुए मैंने कहा, “अणिमा रानी, इस घर में रहोगी तो पहले जैसा डेली चोदूंगा। लेकिन अब से हर सप्ताह दो रात तुम्हें अपने यार को साथ सुलाने की परमिशन देता हूं। तुम चाहो तो मेरा घर छोड़ कहीं और जा कर रह सकती हो। नम्रता भी तुम्हारे साथ जाना चाहें तो उसे भी साथ ले जा सकती हो।” मैं चोद ही रहा था और अशोक झड़ भी गया।
“पापा, ये चुदाई का खेल सुबह-सुबह खेला जाता है क्या?” अचानक बेटी की आवाज़ सुन मैं मुस्कुराया। देखा कि दोनों लड़कियां फॉक पहन कर खड़ी है।
“बेटी, तेरी मां नंगी थी। उसकी मस्त जवानी देख कंट्रोल करना मुश्किल हो गया था। इसलिए चोदने लगा। तुम या किरण जो भी चाहो अशोक से चुदवा लो।”
कोई कुछ नहीं बोला। फाईनली, अणिमा पस्त हो गई। मैं धक्का लगाता ही रहा।
अशोक: सर आप इतनी देर तक कैसे चोद सकते हो? अणिमा को 25-30 मिनट चोद भी लेता हूं, लेकिन नम्रता ने दोनों बार 15-20 मिनट में ही मुझे ठंडा कर दिया।
अणिमा: और मुझे कभी 15-20 मिनट से ज़्यादा की चुदाई पसंद नहीं आई, और ये आदमी कभी 40-45 से कम नहीं चोदता है।
अशोक और मां की बात सुनते ही नम्रता वहां से हट गई, शायद अपने रुम में चली गई। किरण मेरे बग़ल में बैठ गई। किरण ने भी बोल्डली कहा, “अंकल, आपके इस मस्त मूसल जैसे लंड से एक रात में ही 3-3 बार चुदवाने के बाद अब मुझे इससे छोटे और पतले लंड से मज़ा नहीं आयेगा। और मैंने सभी से यही सुना है कि लंड जितना ज़्यादा दर तक बूर में टाईट रहता है औरत को उतना ही ज़्यादा मज़ा आता है। अशोक साहब, घर जाकर अपनी मां से पूछ लीजिएगा कि उन्हें किस तरह के लंड और कितनी देर की चुदाई पसंद है।”
मैंने अणिमा की बुर से लंड निकाला और उसका माथा घुमाया। फिर मैंने लंड उसके होंठों के बीच पेल दिया। अणिमा के माथा को अपने लंड पर दबाये रख कर कहा,
“अणिमा, तुम कहती हो कि तुम्हें ना मेरा लंड ही पसंद है और ना मेरी लंबी चुदाई, इसलिए तुमने दूसरों से चुदवाना शुरू किया। इतने सालों तक मुझसे छिपा कर चुदवाती रही हो। लेकिन अब तुम्हें चोरी-छिपे चुदाई करने की ज़रूरत नहीं है। अब से तुम जब चाहो अपने यार को बुला कर जितना चाहे चुदवाओ। जैसे पिछली रात अपनी बेटी को अशोक से चुदवाया वैसे ही अपने दूसरे यारों से भी चुदवाओ।
अब मुझे एक बहुत ही प्यार करने बाली लड़की, ये किरण मिल गई है। तुम्हें मुझसे चुदवाना पसंद नहीं है ना, तो अब जब तक तुम खुद मेरे पास नहीं आओगी मैं तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊंगा। लेकिन आज की रात तुम्हें प्रेम के साथ ही गुज़ारनी होगी। चाहो तो अपनी बेटी को उससे भी चुदवा देना।”
नम्रता को प्रेम से चुदवाने की बात अशोक को पसंद नहीं आई। बेचारा दुखी होकर बोला, “अणिमा, अब नम्रता को किसी और से मत चुदवाना। मैं उससे आज भी शादी करने को तैयार हूं। मैं तुम्हें चोदना छोड़ दूंगा, किसी और को नहीं चोदूंगा, प्लीज़, मेरी शादी नम्रता से करवा दो।”
मैंने अपना फ़ैसला सुनाया, “नम्रता जवान हो गई है, वो जिस से चाहे चुदवाये, जिससे चाहे शादी करे। लेकिन अशोक, इस अणिमा जैसी मस्त, खूबसूरत, और बढ़िया माल और कोई दूसरी नहीं मिलेगी। इसे चोदना मत छोड़ो।”
अणिमा कुछ बोलना चाहती तो भी बोल नहीं पाती क्योंकि मेरे लंड का आधा से ज़्यादा लंबाई अणिमा के मुंह में घुसा था। मैं अणिमा को अशोक और किरण के सामने मुंह में चोद रहा था। मैंने हज़ारों बार इस औरत को चोदा था, क़रीब-क़रीब डेली लंड चुसवाता था। लेकिन उस समय अणिमा के यार और अपनी नई प्रेमिका किरण के सामने चोदने और लंड चुसवाने में जो मज़ा आ रहा था वैसा मज़ा पहले कभी नहीं आया था।
मैं तेज़ी से अणिमा के मुंह में लंड को आगे पीछे करते हुए बोला,
“अशोक, कोई कैसा भी लंड चूसे लेकिन मेरी पत्नी जैसा लंड कोई नहीं चूस सकती है। और इस औरत की सदाबहार जवानी का राज जानते हो, ये अणिमा क़रीब क़रीब हर रोज़ मेरे लंड का रस पीती है। मेरे रस पीने के कारण ही इस 42 साल की औरत को चोदने में तुम्हें इतना मज़ा आ रहा है कि तीन महिना से लगातार चोद रहे हो।”
किरण सब कुछ देख रही थी, सुन रही थी। लड़की ने फिर हिम्मत की। दोनों हाथों से अणिमा की चूचियों को दबाते हुए बोली, “सच अंकल, आंटी की चूचियां कितनी गुदाज़ और बढ़िया लग रहा है दबाने में। मेरी मां भी आंटी के ही उम्र की है लेकिन बाबू जी ने उन्हें चोदना छोड़ दिया है, और यहां आंटी को उनके बेटे से भी छोटे उम्र का आदमी लगातार तीन महीने से चोद रहा है। अंकल, अब से मैं भी आपके लंड का रस रोज पीउंगी, मुझे भी आंटी जैसा सदाबहार जवानी चाहिए। अशोक, पिछली रात नम्रता ने जरुर तुम्हारा लंड चूसा होगा। लड़की ने तुम्हारे लंड का रस पीया की नहीं।”
किरण मस्ती से अणिमा की चूचियों को दबाती रही। अशोक ने जवाब दिया, “नहीं किरण, नम्रता ने दो बार चूसा और अणिमा ने भी दो बार चूसा। लेकिन किसी ने एक बार भी रस नहीं पिया। अणिमा को तीन महीने से क़रीब-क़रीब रोज चोदता हूं। अणिमा भी हर रोज़ एक बार लंड चूसती ही है। लेकिन इस औरत ने कभी रस नहीं पिया। सज तो यह है कि मैं आज पहली बार ही सुन रहा हूं कि कोई औरत लंड का रस पी लेती है।”
मुझे तो बहुत मज़ा आ ही रहा था। किरण भी खूब मस्ती ले रही थी। उसने बारी-बारी से अणिमा की दोनों चूचियों को चूसा और दोबारा दबाते हुए बोली, “अशोक, अंकल ने पिछली रात ही मेरी सील तोड़ी, पहली रात में ही तीन बार चोदा। हर बार एक एक घंटा चोदा। मुझे लंड भी चुसवाया और रस भी पिलाया। मुझे तो रस पीना बहुत बढ़िया लगा। बहुत टेस्टी रस है अंकल का।”
मैंने कहा, “अशोक, मेरी सभी माल ख़ुशी-ख़ुशी मेरे लंड का रस पीती है। अणिमा रानी, इन दोनों बच्चों को दिखा दो कि लंड कैसे चूसते हैं और रस कैसे पीती हो।”
मेरी बात सुन कर अणिमा ने ज़ोर से किरण का हाथ अपनी चूचियों पर से हटाया, और मेरे लंड को मुंह से निकाल कर अशोक का ढीला लंड पकड़ कर बोली, “तुम मुझे बेशर्म बनाना चाहते हो तो देखो मैं कितनी बेशर्म हूं। और लड़की तू अगर नरेंद्र से ऐसी ही चुदवाती रहेगी, तो चूत को भोंसड़ा बनने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा। देख कैसे लंड चूसते हैं और कैसे रस पीते हैं।”
 

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सुबह मैंने अशोक के सामने अपनी पत्नी को चोदा। मेरी बेटी और किरण ने भी हमारी चुदाई देखी। जैसे ही अशोक ने कहा कि उसने रात में नम्रता को दो बार चोदा मेरी बेटी वहां से हट गई। लेकिन किरण मेरे बग़ल में बैठ गई। एक घंटा चोदने के बाद मैं अणिमा के मुंह में चोदते हुए गंदी-गंदी बातें करने लगा। अणिमा समझ गई कि मैं उसे अशोक के सामने शर्मिंदा करने की कोशिश कर रहा था। तो उसने मुंह से मेरा लंड निकाला। यह बोल कर कि


“मैं दिखाती हूं कि मैं कितनी बेशर्म हूं।”

वो अशोक के लंड को चूसने लगी। मैंने उसे 5-7 मिनट लंड चूसने दिया। उसके बाद मैं खड़ा हुआ और उसे फिर कुतिया के पोज में किया। लंड को अणिमा की गांड के छेद से सटाया और ज़ोर से धक्का मारा। हर सप्ताह एक बार उसकी गांड मारता ही था। पहले ही धक्का में डेढ़ इंच लंड अंदर घुस गया। अगले चार पॉंच घक्कों में पूरा लंड अंदर चला गया।
गांड में लंड पेलते हुए बोला, “अशोक, अणिमा की बुर तो बहुत मज़ा देती ही है, बहुत कम औरत होगी जो अणिमा जैसा गांड मरवाती होगी।”
इधर मैं दनादन गांड में लंड पेल रहा था और उधर अशोक झड़ गया। अणिमा ग़ुस्सा से बोली, “कैसे नामर्द हो, लंड टाईट भी नहीं हुआ और तुम झड़ भी गये। अब तुम घर जाओ, नम्रता को चोदना हो तो डेढ़-दो बजे आ जाना। अभी मुझे आराम से गांड मरवाने दो।”
अशोक बेडरुम चला गया। 10-12 मिनट बाद वो तैयार होकर आया। मैं तब भी पत्नी की गांड में लंड को अंदर-बाहर कर रहा था। कुछ देर बाद अशोक घर के बाहर चला गया। किरण बैठ कर देखती रही। क़रीब 35-40 मिनट गांड मारने के बाद मैंने लंड बाहर खींचा और बुर में पेल दिया। क़रीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया। मैंने लंड बाहर निकाला, और अणिमा खड़ी होकर ग़ुस्सा से बोली, “अब तुम देखते रहो कि मैं क्या करती हूं।”
वो कमरे की ओर जाने लगी। मैं ज़ोर से बोला, “तेरा जो मन है सो कर, लेकिन भूल मत, आज की पूरी रात तुम्हें मेरे दोस्त प्रेम को खुश करना है।”
किरण को पति और पत्नी के झगड़े से कोई मतलब नहीं था। उसने मुझसे रिक्वेस्ट किया कि मैं 3-4 घंटा उसके साथ गुजारुं। मैंने उसे 2 बजे संगम होटल में आने के लिए कहा। वो खुश होकर अपने घर चली गई।
किरण के जाने के बाद मैं वैसे ही नंगा बेटी के रुम में गया। वो बेड पर बैठी थी। मुझे देखते ही बोली, “पापा, मां को सब मालूम है। मेरा विश्वास कीजिए, मैं बिल्कुल नहीं चाहती थी। लेकिन मुझे अशोक से चुदवाना ही पड़ा।”
मैंने उसे गले लगाया, चूचियों को मसलते हुए होंठों को चूमा। मैंने प्यार से कहा, “मेरी प्यारी कुतिया, मैं तुमसे बिल्कुल नाराज़ नहीं हूं। मैं दिल से चाहता हूं कि तु नये-नये मर्द, नये-नये लंड का मज़ा ले, और उसके बाद फ़ैसला कर कि कौन आदमी, किसका लंड तुम्हें पसंद है। तेरी मां 24 साल से अलग-अलग आदमियों से चुदवा रही है, लेकिन अब तक फ़ैसला नहीं कर पाई कि उसे कौन पसंद है।”
“मुझे बढ़िया से मालूम है कि मेरा सबसे पसंदीदा आदमी कौन है। आज तुम्हें भी बता ही देती हूं। दुनिया के लिए तुम मेरे पति हो लेकिन मेरा असल घरवाला राघव और तुम्हारे बाबू जी थे। अभी राघव। तुमने इस लड़की को चोदा है लेकिन चिंता मत करो, तुम बेटी चोद नहीं हो। क्योंकि ना नम्रता तुम्हारी बेटी है और ना ही तुम विनोद के बाप हो।
दोनों राघव के बच्चे हैं। कल हमारी डील हुई थी इसलिए आज तो तुम्हारे प्रेम को बहुत प्यार से चोदूंगी। लेकिन कल से राघव मेरे साथ रहेगा। तुम अपनी इस कुतिया, किरण, या हरामजादी संध्या को जितना चाहे चोदो, हम दोनों के बीच आने की कभी कोशिश भी मत करना। और एक खास बात, आज तुम्हें पूरी छूट है। मुझे जितना चोदना चाहते हो, गांड मारना चाहते हो मार लो। कल से तुम मुझे हाथ भी नहीं लगा सकते।”
इतना बोल कर अणिमा बेड पर आई और मेरे लंड को मसलते हुए बेटी को समझाने लगी, “कॉलेज के फ़ाइनल ईयर में थी। एक सुनसान जगह पर 5 मज़दूर लड़के मुझे बहुत परेशान कर रहे थे। इस आदमी ने मुझे उनसे बचाया। तेरे और किरण जैसा मैं भी इसकी मर्दानगी के चक्कर में फंस गई। दिन में इसने मुझे उन हरामियों से बचाया और रात में इस मादरचोद ने मुझे मेरे ही घर में चोद लिया। उस समय मैं कुंवारी थी। पता नहीं साला क्या खाक र आया था, मेरी पहली चुदाई इसने एक घंटा से ज़्यादा की। मैंने अपनी मां से शिकायत की तो उसने कहा कि वो इसे समझा देगी।
मैं बाहर बैठी थी और मेरी कुतिया मां अपने सारे कपड़े उतार कर इस आदमी को समझाने आई। वो साली तो रंडी थी, इसने भी नहीं सोचा कि जिस लड़की की सील तोड़ी थी, उसकी मां को नहीं चोदना चाहिए। इन दोनों ने पूरी रात चुदाई की और मैं अकेली बाहर सोई। अगली सुबह मैंने समझाया कि मैं बहुत क़िस्मत बाली लड़की थी, जिसे इतना बढ़िया चोदने बाला मिला था।
मेरी पत्नी अपनी बेटी को हमारी कहानी सुना रही थी। नम्रता ने एक जायज़ सवाल पूछा, “जब तुमने देखा कि इस मर्द ने तुम्हारी मां को चोदा फिर तुमने इससे शादी क्यों की?”
अणिमा ने जवाब दिया, “क्योंकि मैं बुद्धू थी। अपनी मां और इसकी बातों में आ गई। इस आदमी की मां ने भी समझाया कि धीरे-धीरे मुझे भी इसके साथ की चुदाई पसंद आने लगेगी। वो तो मुझे बाद में पता चला कि मेरी मां की तरह यह आदमी अपनी मां ही नहीं दोनों बहनों को भी चोदता था।”
बेटी ने मां से कहा कि जब मां और बहन किसी से चुदवाती है तो मतलब है कि वो आदमी बहुत ही बढ़िया चोदता है। इस बात पर मैंने नम्रता को बेड पर लिटाया और पिछले दिन जैसा उसकी चूत को चूसने चाटने लगा। अणिमा ने मना नहीं किया। अपनी कहानी चालू रखी।
“मुझे चुदाई का असल मज़ा तब मिला जब इस आदमी के बाबू जी ने मुझे चोदा। हमारी शादी के एक महीना बाद ही ये किसी ट्रेनिंग पर एक महीना बाहर गया। इसने शाम को ट्रेन पकड़ी और उसी रात ससुर जी मेरे रुम में नंगे आ गये। उन्होंने मुझे एक बार उनसे चुदवाने कहा और यह भी कहा कि अगर मुझे उनके साथ की चुदाई पसंद नहीं आयेगी तो फिर वो कभी मेरे सामने नहीं आयेंगे।
मै नहीं तैयार हो रही थी। लेकिन जब उन्होंने कहा कि क़रीब 4 साल पहले से, जब से नरेन अपनी मां को चोदने लगा था उन्होंने किसी को नहीं चोदा था। मुझे उन पर दया आ गई और मैंने ससुर से चुदवा लिया। और बेटी एक बार क्या चुदवाया, उस रात मैंने ससुर से चार बार चुदवाया। ससुर जी के चुदाई से मैं बहुत खुश थी। एक महीना में हमने एक सौ बार से ज़्यादा चुदाई की।”
मुझे कभी भनक नहीं पड़ी कि मेरे बाबू जी ने अणिमा को चोदा था। बेटी की चूत चूसना छोड़ मैंने ज़ोर से कहा, “छी, कैसी औरत हो! मरे हुए आदमी को बदनाम कर रही हो! मेरे बाबू जी ने तुझे कभी नहीं चोदा।”
जैसा पिछली सुबह नम्रता ने किया था अणिमा ने भी दोनों हाथों की अंगुलियों से अपनी चिकनी बुर के फांक को पूरा फैलाया। बुर के अंदर का रसीला गुलाबी माल हम दोनों बाप बेटी को दिखा। एक अंगुली से गुलाबी माल को सहलाते हुए अणिमा बोली, “मेरी बुर की इस गुलाबी मैदान पर तुम्हारे बाबू जी ने लगातार 20 साल तक बैटिंग की है। आज अगर वो ज़िंदा होते तो मेरी बेटी नम्रता की चूत में पहला बैटिंग वहीं करते। मेरी बात पर तुम्हें विश्वास नहीं है तो अपनी दोनों प्यारी रंडी बहनों से पूछ लो। उनकी बात पर भी भरोसा नहीं है तो अपनी एक और रंडी भूमिका से पूछ लो।
सैकड़ों बार ऐसा हुआ है जब हम चारों औरतों, भूमिका और तुम्हारी दोनों बहनों के बुर की गुलाबी मैदान पर तुम्हारे बाबू जी और राघव एक साथ अपने अपने बल्ला से शाट मारते थे। जिस सेंचुरी को मारने में तुम एक घंटा लगाते हो वही सेंचुरी तुम्हारे बाबू जी और राघव 15-20 मिनट में ही मारते थे। तुम्हें लगता था कि मेरी मां तुम्हारे लिए पागल थी। लेकिन एक बार मैंने उस कुतिया को भी तुम्हारे बाबू जी से चुदवाया तो वो भी मेरे जैसा उनसे दिन में तीन चार बार चुदवाने लगी।
फिर जब भूमिका ने मुझे अपने भैया राघव से चुदवाया तो उसके बाद मेरी और मेरी मां की ज़िंदगी स्वर्ग हो गई। तुम्हारे बाबू जी हर महीना अपना काम-धाम छोड़ कर क्यों आते थे, अपनी घरवाली को तुमसे चुदवाने? तुम अपनी मां को चोदते थे और पूरी रात तुम्हारे बाबू जी हम दोनों मां-बेटी को चोदते थे। तुम दिन में आफिस जाते थे और तुम्हारे प्यारे बाबू जी अपनी पत्नी के सामने हम दोनो मां-बेटी को चोदते थे।”
अणिमा अपनी बात इतने विश्वास से कह रही थी कि नहीं मानना मुश्किल था। अणिमा बोलती रही,
“तुम ट्रेनिंग पर जाते थे और दोनों राघव और ससुर जी मेरी बुर के मैदान पर प्रैक्टिस करते रहते थे। बच्चे स्कूल जाते थे और मैं अपने दोनों यार के लिए पूरे समय नंगी रहती थी। आज मुझे बेइज्जत करने के लिए तुमने किरण और अशोक के सामने मेरी गांड मारी। मेरी गांड में घुसने वाला पहला लंड तुम्हारे बाबू जी का था। तुम तो मुझे हमेशा अकेले चोदते हो लेकिन तुम्हारे बाबू जी जगन्नाथ और राघव ने हज़ारों बार मेरे उपर डबल सवारी की है।
एक बल्ला मेरी बुर की मैदान में शॉट मारता था और दूसरा मेरी गांड में। तुम्हारे बाबू जी और राघव के अलावा अब तक मैंने 27 दूसरे आदमियों से चुदवाया है। अशोक को छोड़ बाक़ी सभी आदमियों से मैंने तुम्हारे बाबू जी या फिर राघव को खुश करने के लिए ही चुदवाया है। आज तुम्हारे दोस्त प्रेम से चुदवाऊंगी। आज जितना चाहे मुझे चोद लो कल से मर भी जाओगे तब भी तुमसे नहीं चुदवाऊंगी। बेटी, तू भी जिससे चाहे चुदवा, बस अभी प्रेगनेंट मत होना।
उसकी बात सुन कर बेटी को चोदने का जोश ख़त्म हो गया। लंड ढीला हो गया। अणिमा ने लंड को ज़ोर से दबा कर कहा, “बेटी, तेरा कुत्ता दुखी हो गया है। चूस कर, चुदवा कर कुत्ते को खुश कर दे। 2 बजे के अशोक के साथ मैच खेलना है।”
बोल कर अणिमा चली गई। रंडी की बात सुन कर मैं थोड़ा दुखी जरुर दुखी हो गया था। लेकिन सामने एक ताज़ा माल थी। मैं नम्रता के उपर 69 पोजिशन में आया। लड़की लंड चूसने लगी। मैं चूत को हर तरह से कुरेदते हुऐ खूब चूसा और चाटा। नम्रता चोदने के लिए बार-बार बोलने लगी। मैंने फिर पिछली बार जैसा उसे कुतिया बनाया। एक तरफ चूत में लंड पेला और ठीक उसी समय दाहिने हाथ की बीच वाली अंगुली को पूरी ताक़त से गांड में पेला।
“पापा, दर्द हो रहा है”,‌ वो दर्द से बोली लेकिन मैं रुका नहीं। लंड और अंगुली एक साथ चूत और गांड में पेलता रहा। जितनी तेज़ी से लंड चूत के अंदर-बाहर हो रहा था, अंगुली भी आप से आप उतनी ही तेज़ी से बेटी की गांड के अंदर बाहर हो रही थी। 7-8 मिनट बाद गांड की दीवारें चिकनी लगने लगी। कुछ देर बाद बीच वाली अंगुली के साथ दूसरी अंगुली भी गांड में पेल दी। बेटी ने इस बार कोई शिकायत नहीं की। मस्ती की सिसकारी मारती हुई कमर हिलाती रही।
“बिल्कुल अपने बाप के बेटे हो। नरेन, जिस दिन तुम्हारे बाबू जी ने पहली बार चोदा उसके अगले ही दिन बेटीचोद ने मेरी गांड फाड़ दी वो भी बिल्कुल वैसे ही जैसे तुम कर रहे हो। अभी दो अंगुली पेल रहे हो, फिर तीन अंगुली से रगड़ोगे, और बाद में लंड से मारोगे। बेटी, डरो मत। गांड मरवाने में भी बहुत मज़ा आता है। जो औरत गांड मरवाती है सभी मर्द उसे बहुत प्यार करते हैं, उसकी क़ीमत बहुत बढ़ जाती है।”
उसकी बात का जवाब हम दोनों में से किसी ने नहीं दिया। अणिमा ने नम्रता के लैपटॉप में एक पेनड्राईव लगाया और एक विडियो चालू किया। मेरे गालों को मसलते हुऐ बोली, “तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो खुद अपनी आंखों देख लो कि तुम्हारी बाबू जी कैसे हमारी चूदाई करते थे, गांड मारते थे।”
पहले ही सीन में देखा कि मेरे बाबू जी जी अणिमा को चोद रहे थे, और राघव, मेरी सास‌,‌ अणिमा की मां की बुर में लंड अंदर बाहर कर रहा है। नम्रता ने झटके से लैपटॉप के कवर को बंद किया और ज़ोर से बोली, “कुतिया, तेरे जैसी घटिया रंडी की चुदाई हमें नहीं देखनी है। अरे सारी औरतें मेरे पापा से चुदवाने के लिए मरती है और तुझे पापा बढ़िया नहीं लगे। अगर पापा बढ़िया बल्ला नहीं घुमाते हैं। बढ़िया शॉट नहीं मारते हैं तो फिर उन दोनों कुत्तों से चुदवाने के बाद भी तू मेरे पापा से क्यों चुदवाती है। रोड पर जो चार टांग वाली कुतिया जैसे किसी भी कुत्ते से चुदवाती है तू उस कुतिया से भी बदतर है।
मालूम नहीं कल तुम्हारी बातों से डर कर मैंने उस नामर्द से क्यों चुदवा लिया। अब अगर तुमने मुझे अपने किसी भी यार से चुदवाने की कोशिश की या फिर हम दोनों बाप-बेटी को परेशान करने की कोशिश की, तो याद रख हमारे पास तेरी 27 अलग अलग आदमियों से चुदवाने की लाईव विडियो है।”
बेटी की बातों ने मेरा जोश बहुत बढ़ा दिया। ज़ोरदार धक्का मारते हुए बेटी को चोदता रहा। बेटी ने मेरे दिल की बात कह दी, “जब तक पापा के बल्ला में दम रहेगा मेरी चूत और गांड के मैदान में सिर्फ पापा का बल्ला ही शॉट मारेगा।”
उस दिन के बाद से मेरी बेटी मेरी पत्नी की तरह मेरे साथ रह रही है।

समाप्त
 
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Skb21

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Kahani jabardast hai but Naren ki baki ghar ki auraton ki pahli chudai bhi flash back me dikha dete to maja ajata by the way nice update nice excellent story...... Thanks 🙏
 
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