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Incest खेल-खेल में बेटी को चोदा

madhumati

Housewife 43y
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मैं नरेंद्र नाथ हूं। एक बड़ी कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर हूं। लोग प्यार से मुझे नरेन कहते हैं। अभी मैं 52 साल का हूं। लेकिन जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूं वो पॉंच साल पहले घटी थी।


वो शनिवार की सुबह थी। सुबह साढ़े सात बजे मैं ऑफिस जाने के लिए तैयार होकर नाश्ता कर रहा था। मेरे सामने मेरी पत्नी अणिमा बैठी थी, और कुछ दूर पर स्कर्ट और ब्लाउज़ पहन कर नम्रता सोफ़ा पर बैठी थी। मैंने उसे भी नाश्ता करने के लिए कहा। नम्रता ने कहा कि उसने दूध पी लिया था, और अपनी सहेली किरण का इंतज़ार कर रही थी।


नम्रता: माँ, मेरा खाना मत बनाना, सहेलियों के साथ होटल में खाना खाकर आउंगी। और डरो मत, वहां किसी यार से मिलने नहीं जा रही हूं। डेढ़-दो बजे तक वापस आ जाउंगी।

मेरी पत्नी ने बिना बेटी की ओर देखे कहा: तू जवान हो गई है, किसी यार के साथ मिलेगी तो भी मैं नहीं रोकूंगी। तेरी उम्र में बहुत सी लड़कियां शादी भी कर लेती है और बच्चे भी पैदा हो जाते हैं। तुझे भी शादी करनी है तो बोल, लड़का देखना शुरू कर दूं। 2-3 बढ़िया लड़के हैं मेरी नज़र में।

अणिमा ने एक बार भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा कि उसकी बेटी क्या कर रही थी। अगर वो पीछे देखती भी तो उसे दिखाई नहीं पड़ता कि लड़की ने अपना स्कर्ट कमर से उपर उठा दिया था। मुझे आंखों से इशारा करते हुए अंगुलियों से चूत की फांक को अलग कर दिया था। एक -डेढ़ मिनट बेटी ने अपनी चूत के अंदर का गुलाबी माल का नजारा मुझे दिखाया। लड़की ने पैंटी नहीं पहनी थी। बेटी की चूत देख कर मेरी हालत ख़राब हो गई थी। जी कर रहा था कि पत्नी के सामने ही बेटी की चूत में लंड पेल दूं।
नम्रता की हरकत देख कर कोई संदेह नहीं रह गया कि लड़की खुल कर चुदवाने लगी थी। तीन महीने पहले ही तो उसका 19 वां जन्मदिवस था। वो वैसे ही स्कर्ट को कमर के उपर उठा कर बैठी रही और एक-एक कर ब्लाउज़ के चारों बटनों को खोल दिया और ब्लाउज़ के दोनों पल्लौं को पूरा फैला दिया।

मेरी बेटी नम्रता मुझसे 10-12 फ़ीट की दूरी पर नंगी बैठी थी। गंदी हरकतें कर रही थी। मेरी ओर मुस्कुराते हुए देख रही थी, और बाएं हाथ की बीच बाली अंगुली को अपनी चूत के अंदर-बाहर कर रही थी। उसकी गंदी हरकत मुझसे यह साफ़-साफ़ कह रही थी कि‌ “पापा, मुझे चोदो।”

2-3 मिनट अपनी अंगुली से खुद को चोदा होगा, तभी बेल बजी। मेरी बेटी ने चूत से अंगुली निकाली, और मुझे देखते हुए अंगुली को ऐसे चूसने लगी, मानो दिखा रही हो कि ऐसे लंड चूसती थी। नम्रता खड़ी हुई और हमारी तरफ़ पीठ करती हुई दरवाज़े तक गई। उसने ब्लाउज़ का बटन बंद कर लिया होगा। दरवाज़ा खुला तो बेटी की आवाज़ सुनाई दी।


अपनी सहेली की बात का जवाब ना देकर किरण मेरी तरफ़ बोलते हुए आई।
“गुड मॉर्निंग अंकल, आप तो दिन बा दिन और भी जवान और खूबसूरत होते जा रहे हैं। अंटी, आप अंकल के साथ 24 साल रह ली। आप नरेन को तलाक़ दे दो, मुझे अंकल से शादी करनी है।”

मेरे दोनों गालों को चूम कर वो अणिमा के पास गई। उससे गले मिल कर दोनों ने एक दूसरे का गाल चूमा।
अणिमा ने कहा, “तलाक़ देने की या शादी करने की क्या ज़रूरत है? रात को मेरे साथ रह जा, दोनों मिल कर देखेंगे की तुम्हारे नरेन में 2-2 रंडी को ठंडा करने का दम है की नहीं।”

किरण अक्सर हमारे घर आती थी। लेकिन उस दिन से पहले ना तो उसने कभी मुझे चूमा था, ना ही मुझसे शादी करने की बात की थी। मेरी बेटी सब कुछ देख रही थी, सुन रही थी। उसने जवाब दिया, “किरण आज रात यहीं रहेगी। लेकिन तुम दोनों के साथ सोने नहीं मेरे साथ रहेगी। कुतिया, जल्दी चल, लेट हो रहा है।”

दोनों लड़कियों ने मुझे आंख मारी और अपना-अपना हैंड बैग लेकर बाहर चली गई। मेरी पत्नी ने किरण के हरकतों के बारे में कुछ नहीं कहा। लेकिन मैं दोनो लड़कियों को जल्द से जल्द चोदने के लिए बेताब हो गया।

कॉलेज में पढ़ता था तभी से एक टीचर की घरवाली अपने से दोगुना उम्र की औरत को चोद कर अपनी चुदाई की ज़िंदगी की शुरुआत की थी। वो औरत मुझसे इतनी खुश हुई कि कई शादीशुदा औरतों के साथ-साथ कॉलेज की कई लड़कियों को भी मुझसे चुदवाया। फिर मुझे चुदाई की लत लग गई। जैसे-तैसे कर हर महीने 2-3 नई माल को चोदने लगा।

इंजीनियर की फ़ाइनल परीक्षा ख़त्म होने के एक महीने के अंदर अणिमा से मेरी शादी हो गई। लेकिन बहुत ही खूबसूरत पत्नी के होने के बाद भी मैं इधर-उधर मुंह मारता रहा। नौकरी भी ऐसी मिली जहां औरतें ही औरतें थी। मुझे नई माल के लिए कभी भटकना नहीं पड़ा।

लेकिन, सैकड़ों माल हाथ में रहने के बाद भी मेरा लंड अब सबसे पहले अपनी बेटी नम्रता और उसकी सहेली किरण के बुर में ही घुसना चाहता था। लेकिन बेटी को कैसे पटाऊं, कैसे चोदूं, सोच ही रहा था कि बेटी की बात याद आई कि-
“मैं 2 बजे तक घर आ जाउंगी।”

पत्नी एक बड़ी कोआपरेटिव बैंक में अधिकारी थी। साढ़े नौ बजे जाती थी, और शाम 6 बजे के आस-पास आती थी। मैं आठ बजे जाता था, लेकिन आने का समय निश्चित नहीं था। अक्सर शाम सात बजे के बाद ही आता था। मैंने फ़ैसला किया कि उस दिन एक-डेढ़ बजे तक आ जाउंगा।

अचानक पत्नी की आवाज़ सुनाई दी, “क्या बात है? किरण की याद आ रही है क्या?”
मैंने नाश्ता कर लिया था, अपनी जगह से उठा, और पत्नी के पीछे खड़ा हो कर दोनों हाथों को उसकी गाउन के अंदर घुसाया।दोनों मस्त मांसल चूचियों को मसलते हुआ बोला, मैंने झूठ कहा।

“किरण को नहीं, किरण की हरकतों ने मुझे बीस साल पहले बाली चुलबुली मस्त अणिमा की याद दिला दी। पहले तुम मेरा कितना ध्यान रखती थी।”

पत्नी ने मेरी बात को काट कर कहा, “अगर तुम स्वार्थी नहीं होते तो आज भी वैसा ही ध्यान रखती।”
पत्नी की बात सुन कर मैं अकपका गया। मैंने पूछा कि कब मैंने उसका ध्यान नहीं रखा। पत्नी ने मेरे हाथों को गाउन के अंदर से निकाल कर खड़ी हो गई। दो कदम पीछे हट कर बोली,
“मैंने सब हिसाब रखा है। अपनी पहली चुदाई से लेकर अगले सात सालों में मैंने अपनी सहेलियों और जान पहचान की औरतों में से 47 माल को तुमसे चुदवाया। उनमें कई कुंवारी भी थी। लेकिन तुम मेरे लिए एक भी मर्द लेकर नहीं आये। फिर मैं और क्या करती? तुम्हारे लिए माल ढूंढना बंद कर दिया।

किरण की बातों से साफ़ मालूम पड़ता है कि वो तुमसे चुदवाना चाहती है। या तो खुद उसे पटाओ या अपनी बेटी से बोलो कि अपनी सहेलियों को तुमसे चुदवाए।”
पत्नी बिना मेरा जवाब सुने किचन में चली गई।

अणिमा ने जो कहा बिल्कुल सही कहा था। उस समय तक मैं इसी ग़लतफ़हमी में था कि मैं बहुत बढ़िया चुदाई करता हूं, इसलिए ही वो मेरे लिए माल ढूंढती थी, मुझसे चुदवाती थी। मुझे कभी महसूस भी नहीं हुआ कि मेरी पत्नी को भी दूसरे मर्द की ज़रूरत हो सकती थी। अगर ये ग़लतफ़हमी नहीं भी होती तो मैं किसी भी हालत में अपनी खूबसूरत पत्नी को किसी और से नहीं चुदवाता।
मैं अपने समय से ऑफिस के लिए निकल गया। सुबह की तीन मीटिंग ख़त्म कर मैंने अपनी सेक्रेटरी ग्रेसी (एक 32 साल की आकर्षक औरत) से कहा कि, “मेरी तबियत बहुत बेचैन लग रही है, इसलिए मैं घर जा रहा हूं”। और वो उस दिन की बाकी मीटिंग को दूसरे दिनों में एडजस्ट कर दे।

ग्रेसी मेरे पास आई और मेरा एक हाथ उठा कर अपनी चूचियों पर दबाती हुई बोली,
“नरेन आपको आराम की नहीं एक बढ़िया चुदाई की ज़रूरत है। चलो अपने पुराने अड्डे पर चलते हैं। क्या हो गया है इतनी बेचैनी किसलिए है?”
उसकी चूचियों को दबाते हुए बोला,
“ग्रेसी, मुझे लगता है कि मेरी पत्नी अणिमा किसी और से चुदवाती है।”

मेरी बात सुन कर ग्रेसी बहुत ज़ोर से हंसी। उसने कहा, “मैं शादीशुदा हूं और मुझे 6 साल से चोद रहे हो। इस फ़ैक्ट्री में 250 से ज़्यादा औरतें काम करती है। तुमने क़रीब क़रीब सभी को चोदा है। 8-10 को छोड़ कर बाक़ी सभी किसी ना किसी की पत्नी है। दूसरे मैनेजर भी चुदाई करते हैं लेकिन तुम्हारे सिवा सबकी 3-4 खास माल है, और तुम किसी को भी चोद लेते हो। फिर अगर तुम्हारी पत्नी को कोई चोद रहा है तो बेचैन क्यों होते हो?

अब तक मुझे अणिमा जैसी खूबसूरत औरत कोई दूसरी नहीं दिखाई दी। वैसी खूबसूरत औरत को दुनिया किसी एक आदमी की औरत बन कर रहने नहीं दे सकती है। मेरे जैसी साधारण दिखने बाली औरत को तुम जैसा बढ़िया डील-डौल बाला खूबसूरत आदमी सालों से चोद रहा है, तो तुम कैसे ऐसा सोच भी सकते हो कि तुम्हारी परी सी दिखने वाली पत्नी को दूसरे नही चोदते होंगे? अणिमा किससे चुदवाती है उसकी चिंता छोड़ कर अपने लिए नई माल ढूंढो। मैं पता लगाती हूं कि फ़ैक्ट्री में किसी नई औरत ने ज्वाईन किया है या नहीं। अणिमा की चिंता छोड़ो और तुम घर जा कर आराम करो।”

ग्रेसी ने क्या कहा क्या नहीं मैंने ध्यान नहीं दिया। मुझे अपनी बेटी को चोदना था। मैं डेढ़ बजे के पहले घर पहुंच गया। हम तीनों के पास घर की चाबी थी। मैं घर घुसा। थोड़ा आगे आया तो देखा कि जिस सोफ़ा पर बैठ कर नम्रता ने मुझे अपनी नंगी जवानी दिखाई थी उस के नीचे एक मोबाइल था। मैं ने मोबाइल उठाया। वो अणिमा का मोबाइल था। मुझे आश्चर्य हुआ कि जो औरत हर समय फ़ोन पकड़ कर बैठती है वो फ़ोन छोड़ कर बाहर कैसे गई?

मैंने फ़ोन को स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन बैटरी ज़ीरो था। मैंने मोबाईल फ़ोन को चार्जिंग के लिए लगाया, और अपने बेडरूम में जा कर नंगा हो गया। नंगा ही किचन में जाकर कॉफी बनायी, और बाहर आकर सोफ़ा पर बैठा। कॉफी पीते हुए यही सोचता रहा कि बेटी को चुदाई के लिए कैसे तैयार करूंगा। बार-बार यही सोचता रहा। कॉफी ख़त्म हो गयी। मैं बार-बार अपनी बेटी की नंगी जवानी को याद करता रहा।
अचानक मर्द की आवाज़ सुनाई दी,
“अणिमा रानी, तीन महीने से चोरी छिपे तुमसे प्यार करते हुए अब थक गया हूं”
मैंने इधर-उधर नज़र दौड़ाई तो देखा कि आवाज़ मोबाइल फ़ोन से आ रही थी। फ़ोन को हाथ में लेकर देखने लगा। देख कर भी विश्वास नहीं हुआ कि जिस सोफ़ा पर मैं बैठा था, उसी सोफ़ा पर मेरी पत्नी नंगी लेटी थी, और कोई 20-21 साल का खूबसूरत आदमी उसे चोद रहा था। मैं आंखें फाड़ कर विडियो देखता रहा और उनकी बातों को सुनता रहा।

वो आदमी मेरी पत्नी को चोदते हुए बोल रहा था,
“रानी, नरेन के साथ बीस-पच्चीस साल से हो, अब उसे छोड़ कर मुझसे शादी कर लो”
विडियो बंद हो गया। मैंने विडियो फ़ोल्डर को जांचा। विडियो उसी दिन का था। मैंने विडियो को शुरु से देखा। आदमी ने चूमते हुए अणिमा को सोफ़ा पर लिटाया। मैंने समय देखा, विडियो शुरु होने का समय था 9:45 और 10:25 को विडियो बंद हो गया था। अणिमा ने सिर्फ़ पेटीकोट और ब्रा ही पहना था। मतलब साफ़ था। अणिमा अपने यार का इंतज़ार कर रही थी। आदमी ने पहले ब्रा को खोला। दोनों चूचियों को दबाते हुए बारी-बारी से दोनो घुंडियों को चूसा। उसके बाद उसने पेटीकोट का नाड़ा खींच पेटीकोट को पैरों से बाहर निकाला।
रंडी ने भी अपनी बेटी जैसे पैंटी नहीं पहनी थी।

जैसा मैं हर बार चुदाई के पहले करता था, उस आदमी ने बुर को ना चूमा, ना ही चूसा। अणिमा सोफ़ा पर नंगी लेटी रही और उसके सामने खड़ा हो गया। उसने अपने सारे कपड़े उतारे। आदमी का लौड़ा पूरा टाईट था। लेकिन मुझे यह देख कर दुख हुआ कि मेरा लौड़ा अणिमा के यार के लौडा से कम से कम 2 इंच ज़्यादा लंबा था ही, मोटा भी था। फिर भी रंडी ने लौड़े को पकड़ कर चूमा और मुस्कुराते हुए बोली,
“अशोक, जल्दी से चोदो। आज डाइरेक्टर साहब के साथ भी मीटिंग है।”
यानी मेरी पत्नी के यार का नाम अशोक था।

अशोक मेरी पत्नी के उपर आया। अणिमा ने अपने एक पैर को फ़्लोर पर जितना फैला सकती थी फैलाया, और अशोक ने धक्का मारा।
“वाह राजा, मज़ा आ गया” ,अणिमा ज़ोर से बोली।
तभी मुझे लगा कि मेन डोर का दरवाज़ा खुल रहा था। मैंने फ़ोन को ऑफ कर एक मैगज़ीन के नीचे रखा ही था, कि दरवाज़ा खोल कर मेरी बेटी अंदर घुसी।
मुझे उठने या कपड़े पहनने का मौक़ा ही नहीं मिला। नम्रता ने अपने एक पैर से दरवाज़ा को ज़ोर का धक्का दिया। दरवाज़ा बंद हो गया। उसने अपना बैग फेंका और दौड़ती हुई मेरी गोदी में बैठ गई। कई बार मेरे गालों और होंठों को चूमा। एक हाथ से लंड को पकड़ कस कर दबाया।

मेरी बेटी ने ज़ोर से कहा, “पापा, मैं यह देखकर बहुत खुश हूं कि मेरे प्यारे पापा का बल्ला बेटी की चूत में शॉर्ट मारने के लिए तैयार है। मुझे मेरे बेड पर ले चलिए हम वहीं चुदाई का खेल खेलेंगे।”
मैंने अपनी तरफ़ से कोई कोशिश नहीं की और मेरी बेटी मेरे साथ चुदाई का खेल खेलने के लिए तैयार थी।


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मेरी पत्नी किसी दूसरे रुम में अपने से आधे उम्र के आदमी के साथ मस्ती मार रही थी, और मैं अपनी बेटी के बेड पर एक साथ उसे और उसकी सबसे खास सहेली के साथ मस्ती मार रहा था। नम्रता को एक बार चोद लिया था। अपनी सहेली की चूत से निकले लंड को किरण बहुत ही प्यार से चुभलाते हुए चूस रही थी। मैं अपनी बेटी की नंगी जवानी को सहलाते हुए अपनी और संध्या की दोस्ती की कहानी सुना रहा था।


“मैं इंजीनियरिंग के थर्ड ईयर में था। संध्या की शादी के क़रीब 4 साल बाद वो मुझे एक दुकान में मिल गई। और जैसा रोड पर कुत्ता और कुतिया चूदाई शुरू कर देते हैं, हम दोनों भी दूकान में ही एक दूसरे से चिपक कर चुम्मा-चाटी करने लगे। उसने मुझसे अपने घर चलने की ज़िद की। मैं उसके घर गया और 5 मिनट के अंदर हम चुदाई करने लगे। लंबी चुदाई हुई।

चुदाई के समय मैंने उससे कहा कि अपने पति को तलाक देदे, और मुझसे शादी कर ले। मैं होस्टल वापस आना चाहता था, लेकिन उसने रोक लिया। कुछ देर बाद उसका पति विमल घर आया। मैं उसे पहली बार ही देख रहा था। विमल एक हैंडसम आदमी था। संध्या ने हमारा परिचय करवाया और यह भी कहा कि वो विमल को छोड़ कर मुझसे शादी करेगी।”
नम्रता ने कमेंट किया, “साली कितनी बदज़ात औरत है विमल ने आपको बहुत गाली दी होगी?”
किरण मेरा लंड बहुत ही प्यार से चूस रही थी। मैंने उसे डिस्टर्ब नहीं किया। बेटी की चूत को मसलते हुए दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसा। मैंने जवाब दिया,
“नहीं मेरी प्यारी कुतिया। पत्नी की बात सुन कर विमल संध्या का दोनों पांव पकड़ कर बोला कि अगर वो उसे छोड़ देगी तो सारी दुनिया को खबर हो जायेगी कि वो नामर्द था। अपनी पत्नी को नहीं चोद पाता था।
उसने मेरे सामने कहा कि पहले जैसा ही संध्या जब भी जिससे चाहे चुदवाती रहे वो कभी मना नहीं करेगा। संध्या ने जवाब दिया कि उसने तीन आदमियों के साथ होटल में चुदवाया लेकिन उसे बढ़िया नहीं लगा। संध्या ने अपने पति से कहा कि अगर वो नरेन को यानी मुझे घर में आकर रहने दे, चोदने दें, तभी वो विमल के साथ रह सकती थी। और बेटी, संध्या का पति तुरंत मान गया।
उस रात मैं संध्या के साथ ही रहा और विमल ने रात भर हमारी चुदाई देखी। संध्या को दोबारा चोदना शुरू किया तो अब तक चोद रहा हूं। किरण, बहुत चूस लिया तुमने अब बल्ले को देखने दें कि तेरी क्रीज़ बढ़िया है या तेरी सहेली की।”
किरण ने लंड बाहर ढेला और नम्रता के बग़ल में लेट गई। मैंने उससे पूछा कि सीधा शॉट मारना शुरु करुं कि मैदान को और चिकना कर दूं? किरण ने कुछ जवाब नहीं दिया। उसने लंड पकड़ कर अपनी चूत पर दबाया।
“रानी, ऐसा बल्ला मारुंगा कि ज़िंदगी भर मेरे साथ की चूदाई नहीं भूलोगी।”
बोलना ख़त्म हुआ और जैसा अपनी बेटी के साथ किया था धक्के पर धक्का मारने लगा। हर धक्के पर किरण के चेहरे की रंगत बदलने लगी। गोरा चेहरा सफ़ेद पर गया। लड़की का बदन लकड़ी जैसा टाईट होने लगा। किरण ने दांतो से अपने होंठों को दबा लिया। फिर भी उसके आंखों में आंसू की बूंदें छलकने लगी। मैं दोनों हाथों से दोनों चूचियों को दबाये हुए लगातार धक्का लगा रहा था।
सिर्फ़ किरण की चूचियां ही मेरी बेटी की चूचियों से बड़ी नहीं थी उसका पूरा बदन ज़्यादा गदराया हुआ था। किरण की चूत में चार धक्का ही मारा था कि मेरी आंखों के सामने किरण की मां दीप्ति का चेहरा और गदराया हुआ बदन आ गया। किरण की मां को याद करते हुए अगला धक्का और भी ज़ोर से मारा,
“मां मर गई, चूत फट गई, अंकल निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है।”
किरण भी मेरी बेटी जैसी कुंवारी थी। 30 साल की चूदाई की जिंदगी में यह पहला मौक़ा था जब मुझे एक ही दिन में 2 कुंवारी लड़कियों को चोदने का मौक़ा मिल रहा था। नम्रता ने अपनी सहेली को कंसोल किया,
“रानी, जो दर्द होना था वो हो गया। अब बस मज़ा ही है। तेरी झिल्ली फट गई है। अब तू भी मेरे जैसे अपने पापा से चुदवा सकती है।”
मैंने गिन कर तीन और धक्के मारे, और लंड की पूरी लंबाई किरण की चूत में ग़ायब हो गई। मैं लंड को अंदर दबाये रख धक्का मारना बंद किया और उसके गालों और होंठों को चूमते हुए दोनों हाथों से किरण के बदन को सहलाने लगा।
“मैं पेशाब कर के आती हूं।” बोल कर नम्रता अटैच्ड बाथरूम में घुस गई। मैंने होंठों को एक बार और चूम कर कहा, “रानी, अपनी सहेली से मत कहना। दोपहर में उसे चोदा, नम्रता भी तुम्हारे जैसी ही कुंवारी थी। लेकिन रानी, तुम्हें चोदने में दो मज़ा आ रहा है वो मज़ा नम्रता के साथ नहीं आया था। मैं तुम्हारे साथ अकेले रहना चाहता हूं।”
किरण अब नॉरमल होने लगी थी। अपने चूतड़ो को उपर उचकाते हुए बोली, “अंकल, जो क़सम ले लो, मैं आपको बहुत पसंद करती हूं, बहुत प्यार करती हूं आपसे। सुबह मैंने मज़ाक़ में नहीं कहा था मैं सच में आपसे ही शादी करना चाहती हूं। मैं भी आपके साथ अकेले रहना चाहती हूं। रात में पॉसिबल नहीं है। आप जिस दिन बोलिए मैं दिन भर आपके साथ रहूंगी। कुतिया नंगी ही रुम से बाहर चली गई है। आंटी देखेंगी तो क्या बोलेगी?”
मैं धीरे धीरे धक्का लगाते हुए बोला, “अणिमा अपने किसी यार से चुदवा रही है। अगर उसने नम्रता को नंगा देखा तो साली ज़रूर बेटी को भी अपने यार से चुदवा देगी।”
मेरी बात सुन किरण बहुत खुश हुई। मुझे बार-बार चूमा और बोली, “कुतिया अब रात भर बाहर रहे तो बढ़िया है।”
हम बहुत प्यार से एक-दूसरे को सहलाते हुए चुदाई करते रहे। मैं तो नहीं झड़ा लेकिन किरण पस्त हो गई। मुझे अपने उपर ले अलग कर दिया। मैं उसके बग़ल में लेट गया। किरण अपनी चूत के रस से लथ-पथ लंड को सहलाते हुए बोली, “हमारी क्लास की बहुत सी लड़कियों ने चुदवाया है। चुदवाती है, लेकिन सब ने कहा कि उनका मर्द 15-20 मिनट से ज़्यादा नहीं चोद सकता है। नम्रता ने जब कहा कि पहली बार तुमने 35 मिनट चोदा और दूसरी बार 45 मिनट तो मुझे विश्वास नहीं हुआ। मुझसे पहले तुमने अपनी बेटी को फिर 45 मिनट चोदा और मुझे शायद एक घंटा। तुम कभी झड़ते नहीं? “
हमने थोड़ी देर बात की और उसके बाद जैसा नम्रता के साथ किया था, किरण को आगे से, पीछे से उसके अंग-अंग को चाटा और उसके बाद चूत को अपने तरीक़े से खूब चूसा और चाटा। जब वो भी बार-बार चोदने की ज़िद करने लगी, तब मैंने किरण को फिर सीधा मिशिनरी पोज़ में चोदा। हमारी 45 मिनट की चूदाई हो गई तब क़रीब 2 घंटा बाद नम्रता कमरे में वापस आई।
हमारे बग़ल में बैठ ज़ोर से बोली, “मां की पसंद कितनी घटिया है। एक तरफ़ तो हाथी जैसे राघव से चुदवाती है और दूसरी तरफ़ विनोद भैया से भी कम उम्र के लड़के से चुदवा रही है। ना तो साले की पर्सनालिटी ही बढ़िया है, ना ही लंड। लंड 6 इंच से बड़ा नहीं होगा और अपने इस कुत्ते के लंड से पतला है। मैंने हरामियों की चुदाई देखी। दोनों बार साला 15-20 मिनट में झड गया और साली उस नामर्द को उकसा रही है कि मुझे पटाये, मुझे चोदे।”
मैं समझ नहीं पा रहा था कि मेरी बेटी सच कह रही थी या जैसा किरण ने सोचा, नम्रता ने भी अशोक से चुदवा लिया था। किरण सहेली थी, उसमें हिम्मत भी थी। चुदाई करवाते हुए वो बोली,
“एक बात तो पक्की है कि आंटी हमारे जैसा खूबसूरत दिखने वाले मर्द को नहीं, बढ़िया चोदने वाले को ही पसंद करती है। राघव और ये अशोक भी ज़रूर बढ़िया चोदता होगा, तभी उनके जैसी परी से भी हसीन औरत वैसे मर्दों से चुदवा रही है। इतनी देर वहां थी, तो एक बार चुदवा लेती तो तुझे खुद पता चल जाता। अशोक बढ़िया चोदता तो हम तीनों ही उससे चुदवाते।”
नम्रता ने झुंझलाते हुए जवाब दिया, “अभी भी मां के साथ है, जाकर चुदवा ले। पापा, आज तुमने तीन बार चोद लिया है, अब दम नहीं है। कल होटल में दुबारा लूंगी।”
नम्रता दूसरी तरफ़ करवट लेकर लेट गई। नम्रता की बात सुन कर मुझे कोई संदेह नहीं रह गया। मेरी बेटी ने एक ही दिन में 2 आदमियों से चुदवा लिया था। मैंने और ज़ोर से धक्का मार कर किरण को विंक किया।
उसने भी मुस्कुराते हुए नॉड किया। यह सोच कर कि मां ने अपनी बेटी को अपने यार से चुदवाया मैं बेहद एक्साइट हो गया और 8-10 ज़ोरदार धक्के मारने के बाद मैं चूत के अंदर ही झड़ने लगा। किरण ने मुस्कुराते हुए लंबी सांस ली। “जान बची!”
हम दोनों ने पागलों जैसा एक-दूसरे को चूमा, सहलाया, दबाया। किरण ने लंड को दबाते हुए कहा,
“इतना बढ़िया लंड और आपके जैसी चुदाई करने के बाद या तो कोई रंडी ही दूसरे से चुदवायेगी, या फिर ऐसी औरत जिसे नये-नये लंड से खेलने का शौक़ है। साली ज़रूर अपनी मां के यार से चुदवा कर आई है। इसे भी नये-नये लंड से खेलने का शौक़ है। देखिएगा आंटी अपनी बेटी को अपने दूसरे यारों से भी तुतलायेगी। मुझे लगता है कि ये कल आपसे चुदवाने होटल भी नहीं आयेगी। लेकिन मुझे आपका ये बल्ला और आपका प्यार रोज़ चाहिए।”
किरण फिर लंड को चूसने चाटने लगा। मैंने नम्रता के चूतड़ों को दबाया लेकिन वो गहरी नींद में थी। मुझे इसका थोड़ा भी दुख नहीं था कि मेरी बेटी ने दूसरे से चुदवाया। मैंने खुद प्रेम से कहा था कि वो मेरी बेटी को पटा कर चोदे।
किरण ने उस रात तीसरी बार लंड चूसा।मानना पड़ा कि लड़की मर्द को खुश करना जानती थी। मैंने आधे घंटे के क़रीब उसे लंड चूसने दिया। फिर मैंने उसे उसी तरह से कुतिया के पोज में किया जैसा नम्रता को किया था। किरण को भी मैंने अपने होंठों, अंगुलियों, नाक और जीभ से पूरा ओरल मस्ती दिया। किरण ज़ोर-ज़ोर से मस्ती की आवाज़ निकाल रही थी, लेकिन मेरी बेटी के उपर कोई असर नहीं।
वो गहरी नींद में थी। मैंने बहुत देर तक ओरल मस्ती मारी और फिर कुतिया बनी किरण को खुब प्यार से, आराम से चोदा। ये तीसरी राउंड की चूदाई क़रीब डेढ़ घंटा चली। सबसे बढ़िया बात यह हुई कि इस बार हम दोनों साथ झडे, साथ ठंडे हुए।
घर-बार, प्यार की बात करते हुए मैं सहलाता रहा। तीन बार की लंबी चुदाई के बात कोई भी थक जाती। किरण भी सो गई। लेकिन मेरी आंखों में नींद नहीं थी। मैं यह सोच-सोच कर बहुत बेचैन हो रहा था कि मेरी बेटी ने अपनी मां के सामने मां के यार से चुदवाया। लैपटॉप तब भी बेड पर ही रहा था। मुझे वो पेनड्राईव भी दिखाई दिया।
लैपटॉप को मैंने अपनी गोदी में लिया। इंटर दबाया और स्क्रीन ऑन हो गया। मैंने सर्च किया और पत्नी के फ़ोन से जो विडियो प्रेम ने कॉपी किया था वो तुरंत मिल गया। प्रेम ने विडियो का नाम “सुंदरी अणिमा” लिखा था। उस फ़ोल्डर के अलावा प्रेम ने चार और विडियो डाला था। मुझे इन विडियो में नहीं अणिमा के फ़ोल्डर में इनटेरेस्ट था।
उस विडियो को क्लिक किया तो कई और सब-फ़ोल्डर खुल गये। सारे सब-फ़ोल्डर डेट वाइज़ ही थे। पहला विडियो 7 साल पहले का था और आख़िरी विडियो 27 वां विडियो उसी दिन का था। एक-एक कर मैंने सभी विडियो को खोलकर 2-3 मिनट देखा। सारे 27 विडियो अणिमा का 27 अलग-अलग आदमियों के साथ सेक्स यानी चुदाई का विडियो था। सभी में सिर्फ़ एक औरत अणिमा अकेले मर्द के साथ चुदाई करवा रही थी या खुद ही अपने यार को चोद रही थी। जिस 27 आदमियों के साथ अणिमा का विडियो था उस में से मैं सिर्फ राघव को ही जानता था।
फ़ोल्डर में सबसे पुराना विडियो 7 साल पुराना था। मैं मुस्कुराया। उससे पहले के मोबाइल फ़ोन में विडियो लेने का कोई ऑप्शन ही नहीं था। जब औरत फ़ोन में चुदाई का लाईव विडियो रख सकती है तो उसने ज़रूर ही अपने पुराने यार के साथ सकी नंगी फ़ोटो रखी होगी। लेकिन कहां?
इन सभी विडियो में एक कॉमन बात थी। सभी विडियो हमारे इसी घर के थे। मैंने फिर से सभी विडियो को देखा। सिर्फ चार विडियो में चुदाई सोफ़ा पर हुई थी। बाक़ी सारे विडियो हमारे मास्टर किंग साईज़ बेड पर ही लिए गये थे। एक बात और, 27 विडियो में बैंक के एक डाईरेक्टर जावेरी के साथ कोई विडियो नहीं था।
मैंने अंदाज़ा लगाया कि अणिमा का प्रेमी जब घर आता है वो तभी विडियो बनाती है। शायद उसके पार्टनर को मालूम ना हो कि औरत चुदाई को रिकॉर्ड कर रही थी।
 
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