Mohdsirajali
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kya baat hai bhai..aapne to gazbe kar diya..hi hi hi hiकिस्सा दाढ़ी-मूँछ का!
सोमवार का दिन था और स्तुति को स्कूल भेज मैं चाय पी रहा था| मैंने अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरा तो लगा की दाढ़ी बहुत बढ़ गई है| अब स्तुति का जन्मदिन आ रहा था अगले महीने, तो मैंने सोचा की क्यों न अभी दाढ़ी ट्रिम कर लेता हूँ ताकि स्तुति के जन्मदिन तक बढ़िया दाढ़ी उग जाएगी| यही सोचकर मैंने अपना ट्रिम्मर उठाया और ट्रिम्मर को 6 नंबर पर सेट कर अपनी सारी दाढ़ी बराबर कर ली|
दाढ़ी ट्रिम करने के बाद मैंने अपना ट्रिम्मर वापस से जीरो पर कर तेल डालकर रख दिया| १० मिनट बाद अपनी मूँछ पर ऊँगली फेरते हुए मुझे एहसास हुआ की बाईं तरफ मूँछ के बाल थोड़े लम्बे हैं इसलिए मैंने सोचा की इन्हें भी ट्रिम कर बराबर कर लेता हूँ| ये सोचकर मैं खड़ा हुआ और ट्रिम्मर उठा कर सीधा अपनी मूछों की बाईं तरफ रख कर चला दिया!!!
अब ट्रिम्मर पहले से ही जीरो पर सेट था और मैं उसे 6 नंबर पर सेट करना भूल गया जिस कारन मेरी लगभग आधी मूँछ साफ़ हो गई!!! आईने में अपनी ऐसी शक्ल देख पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया लेकिन फिर मेरी हँसी छूट गई! माँ ने जब मुझे हँसते हुए सुना तो उन्होंने मेरी हँसी का कारण पुछा| जब मैं माँ के पास उसी हालत में आया तो माँ की भी हँसी छूट गई!
खैर अब लगभग आधी मूँछ कट चुकी थी इसलिए मेरे पास अब दो ही विकल्प थे! अब या तो बाकी की काट कर हिटलर बन जाऊँ या फिर पूरी दाढ़ी साफ़ कर ली जाए! मैं पूरी दाढ़ी साफ़ करना नहीं चाहता था क्योंकि तब मैं छोटा सा बछका लगता इसलिए मैंने अपना दिमाग लगाया और जीरो नंबर पर ट्रिम्मर को सेट किये हुए सारी दाढ़ी छोल दी! परन्तु इससे मेरी समस्या हल नहीं हुई, बल्कि इससे एक और समस्या खड़ी हो गई! कहीं-कहीं पर तो ट्रिम्मर ने दाढ़ी को एकदम साफ़ कर दिया था और कहीं-कहीं छोड़ दिया था! अब अगर दाढ़ी ऐसे ही छोड़ देता तो जहाँ बाल नहीं थे वहां बाल आने में समय लगता जिससे मुझे डर था की कहीं मेरी दाढ़ी uneven आई तो?
अब मेरे पास अंतिम रास्ता था की मैं सारी दाढ़ी जड़ से छोल दूँ...यानी clean shaven हो जाऊँ!
मैं हूँ गोल-मटोल तो ज़ाहिर है की मेरा चेहरा भी गोलू-मोलू है| बिना दाढ़ी के मैं एकदम से छोटा बच्चा लगता हूँ|
नाई (barber) ने जब मेरी सारी दाढ़ी छोलि तो अपनी शक्ल देख कर मेरी हँसी छूट गई! स्तुति के जन्म के बाद, संगीता की ख़ुशी के लिए मैंने एक बार मैंने अपनी दाढ़ी पूरी साफ़ की थी...उसके बाद आज जा के जब मैंने अपनी सारी दाढ़ी छोलवाई तो मुझे बहुत हँसी आई|
जब मैं दाढ़ी बनवा कर घर आया तो मेरी शक्ल देख मेरी माँ का हँसना शुरू हो गया! "आप ही तो कहते थे की तू दाढ़ी मत रखा कर और आज जब मैंने दाढ़ी नहीं साफ़ कर दी तो आप हँस रहे हो?!" मैंने माँ से प्यारभरी शिकायत की तो माँ बोलीं की अगर मैं शुरू से दाढ़ी नहीं रखता तो उन्हें हँसी न आती| अब इतने सालों बाद बिना दाढ़ी के मुझे देख उनसे उनकी हँसी कण्ट्रोल नहीं हो रही!
खैर, हम माँ-बेटे के लिए तो ये हँसी की बात थी मगर स्तुति...मेरी बिटिया के लिए तो बहुत बड़ा शौक था!
दोपहर को जब स्तुति स्कूल से लौटी तो दरवाजा मैंने खोला| स्तुति की आदत थी की वो स्कूल से आते ही मेरी गोदी में चढ़ जाती है और मुझे अपनी स्कूल से लौटने वाली पप्पी देती है| स्कूल जाते टाइम मुझसे जो पप्पी ले कर जाती है ये उसका ब्याज होता है!
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला और स्तुति ने मेरा ये बालक वाला चेहरा देखा तो वो अपने दोनों हाथ अपने मुँह पर रख चिल्लाई; "hawwwwwww!!! पापा जी...ये आपको क्या हुई???" मेरी ऐसी शक्ल देख स्तुति को बड़ा ही जबरदस्त धक्का लगा था| मैंने स्तुति को गोदी लिया और दरवाजा बंद करते हुए उसे सारी कहानी सुनाई| सारी कहानी सुनते-सुनते मेरी बिटिया भावुक हो गई और मेरे गले लग सिसकने लगी| "औ ले ले... रोना नहीं बेटा…ये दाढ़ी फिर से उग आएगी और मैं वादा करता हूँ की मैं आगे से ऐसी कोई लापरवाही नहीं करूँगा|" मैं स्तुति को प्यार से बहलाने लगा ताकि स्तुति न रोये|
उधर स्तुति को सिसकते हुए सुन माँ ने अपनी शुगी को अपने सामने बिठाया और उसके सर पर हाथ फेरते हुए स्तुति को चुप करा दिया|"सुन ले लड़के! आज के बाद तूने बिना मेरी शुगी को पूछे दाढ़ी का एक बाल भी काटा न तो मैं तुझे बाथरूम में बंद कर दूँगी!" माँ ने मुझे प्यार से हड़काया| अपनी दादी जी की ये खोखली धमकी सुन स्तुति हँस पड़ी और मेरी गोदी में आने के लिए अपने दोनों हाथ पँख के समान खोल दिए|
मैंने फिर से स्तुति को गोदी लिया और उसे उसके बचपन के बारे में बताने लगा, जब स्तुति 4 महीनों की थी और मैंने क्लीन शेव किया था| उस दिन की बातें जान स्तुति के चेहरे पर बड़ी प्यारी मुस्कान दौड़ गई| दरअसल, स्तुति को अपने बालपन की बातें सुनने में बहुत मज़ा आता है|
दोपहर को खाना खा कर जब मैं स्तुति को सुला रहा था तब स्तुति मेरे दोनों गालों पर हतः फेरते हुए बोली; पापा जी, आपके गाल तो मेरे गलों से भी सॉफ्ट हैं!" ये कहते हुए स्तुति ने मेरे दोनों मुलायम गालों की पप्पी ली और बोली; "पापा जी, बिना दाढ़ी के आप बहुत क्यूट लगते हो! लेकिन आजके बाद फिर कभी शेव नहीं करना वरना सब आपको मेरा छोटा भाई कहेंगे!"
मेरी माँ भी पलंग पर लेटी हुई थीं, उन्होंने जैसे ही स्तुति की अंतिम बात सुनी माँ ने ज़ोरदार ठहाका लगाया! वहीं मैं भी स्तुति की बात सुन ठहाका लगाकर हँसने लगे! स्तुति को भी अपनी बात पर हँसी ा रही थी इसलिए वो भी हम माँ-बेटों के साथ खिखिलकर हँसने लगी|
बहरहाल, मुझे स्तुति को चिढ़ाने का एक हथियार मिल गया था इसलिए मैंने शाम से ही स्तुति को "दीदी' कह कर बुलाना शुरू किया| मेरे मुख से अपने लिए 'दीदी' शब्द सुन स्तुति को आता प्यारब हरा गुस्सा और वो सीधा अपनी दादी जी की पास मेरी शिकायत ले कर पहुँच गई| "दाई, देखो पापा जी मुझे दीदी कह रहे हैं!" अपनी पोती की शिकायत सुन माँ बहुत ज़ोर से हँसी, फिर अपनी पोती की ख़ुशी के लिए मुझे चुप झूठ-मूठ का डाँट दिया|
स्तुति ने मेरी दाढ़ी साफ़ करने की बात अपने आयुष भैया को बताई तो आयुष भी ज़ोर से हँसने लगा| फिर स्तुति ने अपनी दिद्दा को फ़ोन खनकाया और सारी बात बताई| मैं स्तुति को 'दीदी' कह कर चिढ़ा रहा हूँ ये सुनकर नेहा को बहुत हँसी आई और उसने भी स्तुति को 'पीड़ा' की जगह 'दीदी' कह कर चिढ़ाना शुरू कर दिया!!!
तो ये थी वो हास्यास्पद बात|
आशा करता हूँ की आप सभी को ये प्रसंग सुनकर मज़ा आया होगा!

