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Incest काला इश्क़ दूसरा अध्याय: एक बग़ावत

Rockstar_Rocky

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Rockstar bhai....jo baaten maa ko samjhaani chahye wo aadi samjha raha hai..aadi ek maa aur ek bhai dono ka farz nibha raha hai.....ab hai kirti ke udaan bharne ka samay ...dekhte hai wo kitna uncha udti hai....behteen ucch quality khubsurat jasndaar shaandaar .update. .main jitne bhi shabd istemaal karu shayad kam pad jaaye ..aise hi likhte rahiyye humko bhi aapse kuch seekhne ka mauka milega....dhannywaad

तारीफ के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया भाई! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

इस कहानी में आदि एक बड़ा भाई होने की अपनी भूमिका बहुत अच्छे से निभा रहा है| जो सुख...जो खुशियाँ उसे न मिल पाएं, वो खुशियाँ वो अपनी बहन को दे रहा है| आपने कहने में देखा होगा की कैसे जब कीर्ति बड़ी हो गई तब उसके पिताजी ने उसे प्यार करना कम कर दिया था, ऐसे में आदि ने कीर्ति को लाड-प्यार दिया और उसे सँभाला|

कीर्ति नाम का हवाईजहाज रनवे पर दौड़ना शुरू हो गया है, अब देखिये की ये हवाई जहाज उड़ कर कौन सी ऊँचाई हासिल करता है या फिर सेक्स नाम के वायरस के कारण इसका रडार भर्मित होता है और ये समुद्र की गहराई में जल समाधि ले लेता है?!

आप तारीफ करते रहिये मैं शिद्दत से लिखता जाऊँगा| रही बात मुझसे सीखने की तो मैं ठहरा तुच्छ सा लेखक जो यहाँ आप सबकी ख़ुशी के लिए लिख रहा हूँ| जब तक आप सब पढ़ेंगे तब तक मैं लिखता रहूँगा|

नई अपडेट आज रात तक!
 

Rockstar_Rocky

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कुछ अंश जिनहोने मुझे आकर्षित किया





क्योंकि ये सब मेरा भी व्यक्तिगत अनुभव रहा है

अब आप अपनी बात कल कहेंगे

मैं अभी कहना चाहूँगा
"मैंने कभी किसी इंस्टीट्यूट से एक दिन का भी कम्प्युटर कोर्स नहीं किया, मेरे पिता की आर्थिक क्षमता ऐसी नहीं थी..... लेकिन 2000 में पिताजी की मृत्यु के बाद मैंने अपने दोनों भाई बहन को नोएडा के जाने-माने कम्प्युटर इंजीनियर जो मेरे घनिष्ठ मित्र थे, उनके इंस्टीट्यूट में एड्मिशन करा दिया। आज मुझे ग्राफिक डिज़ाइनिंग, वेब डिज़ाइनिंग, डिजिटल मार्केटिंग से लेकर प्रोग्रामिंग तक बहुत कुछ आता है लेकिन मेरे भाई बहन आज भी सिर्फ मूवी देखना या गाने सुनना ही जानते हैं.............
यही हाल मेरे बच्चों और पत्नी का भी है, पत्नी दिल्ली की रहने वाली पढ़ी लिखी स्त्री हैं...... 20 वर्ष पहले जब विवाह हुआ तब भी मेरे घर में इंटरनेट, कम्प्युटर, मोबाइल होते थे....... मेरी पत्नी ढंग से स्मार्ट फोन भी इस्तेमाल नहीं कर पाती, कम्प्युटर तो भूल ही जाओ..... जबकि बेटा गेमिंग, AI, सॉफ्टवेर प्रोग्राममिंग करता है, बेटी ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग (दोनों बिना किसी कोमुटर कोर्स के सिर्फ इंटरनेट पर सीख रहे हैं, गाँव में रहकर खेती-गऊपालन करते हुये :D)
उससे भी बड़ी बात ये है की मेरे छोटे भाई की पत्नी बिलकुल अनपढ़ कभी किसी स्कूल में एक दिन भी नहीं पढ़ी शादी के बाद हमारे यहाँ आकर मेरे बेटे-बेटी से इंटरनेट, कम्प्युटर, स्मार्ट फोन, सोश्ल मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स में बहुत कुछ सीख गयी...... इंस्टीट्यूट में पढे अपने पति से ज्यादा जानती है वो

ज्ञान के लिए धन नहीं सीखने की इच्छा और बुद्धि चाहिए

सर जी,

जानकार ख़ुशी हुई की आपको मेरी पिछली अपडेट में लिखे एक पिता के जीवन से जुड़े कुछ अंश को पढ़कर अच्छा लगा|

आपने सही कहा की यदि सीखने की इच्छा हो तो इंसान (एकलव्य) पत्थर को भी गुरु (द्रोणाचार्य) मानकर सीख सकता है| अब चूँकि आप प्रोग्रामिंग और इतने सारे कंप्यूटर कोर्सेज में निपूर्ण है तो एक सवाल था आपसे; "क्या आप हैकिंग भी जानते हैं?" :hinthint2: :D
 

Rockstar_Rocky

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यह अध्याय कीर्ति के हायर एजुकेशन और टेक्निकल एजुकेशन पर आधारित रहा। आदित्य ने फ्यूचर को ध्यान मे रखकर बहुत ही बेहतरीन फैसला लिया। वह खुद शिक्षित है , आज के दौर की हालात की परख है , लड़कियों के पढ़ाई का इम्पोरटेंस समझता है इसलिए उसका यह डिसिजन मुझे बहुत ही बढ़िया लगा।

उसके पिताजी की सोच खासकर लड़कियों के एजुकेशन के लिए रूढ़िवादी मानी जाएगी। आज के दौर मे लड़कियों की उच्च शिक्षा उतनी ही जरूरी है जितना लड़कों की।
पिताजी का फैमिली के औरतों के साथ बस - ट्रेन मे जर्नी के दौरान औरतों पर विशेष ध्यान रखना एक सुलझे एवं अच्छे इंसान का आचरण था तो वहीं गवर्नमेंट बैंक पर अधिक विश्वास करना उस दौर के प्रायः लोगों की मानसिकता। प्राइवेट बैंको पर भरोसा नही होता था उन्हे।
जहां तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की बात है , पुराने जमाने के स्टाफ अपने कस्टमर के साथ बहुत ही फ्रैंडली और को - ओपरेटिव होते थे । लेकिन अब या तो वो रईस कस्टमर पर अपनी नजरे - इनायत बनाए रखते है या मात्र जाॅब की औपचारिकता पुरी करते है।

खैर जब एजुकेशन की बात चल ही रही है तो इस विषय पर मै भी कुछ कहना चाहता हूं।
एक वक्त था जब हमारी एजुकेशन सिस्टम दुनिया मे सबसे श्रेष्ठ थी । देश विदेश से स्टूडेंट्स भारत पढ़ने आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया के सभी विश्वविद्यालयों से श्रेष्ठ था।
लेकिन बख्तियार खिलजी की वजह से यह विश्वविद्यालय तबाह हो गया । यहां के आयुर्वेद एवं वैद्य ज्ञान देखकर वह कुंठित हो गया और 9 मंजिला इमारत जहां करोड़ो की तादाद मे पुस्तके थी , उस लाइब्ररी को जला कर राख कर दिया। पुस्तकों की संख्य कितनी थी यह आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि पुरे तीन महीने तक लाइब्ररी जलती रही।
और हमारा दुर्भाग्य देखिए , इसी बख्तियार खिलजी के नाम पर बिहार के एक रेलवे स्टेशन का नाम है - बख्तियारपुर।

दूसरी त्रासदी एजुकेशन सिस्टम पर तब आई जब लार्ड विलियम बैंटिक ने मैकाले को अपना कानुनी सलाहकार बनाया। और फिर यह शख्स हमारी एजुकेशन सिस्टम को पुरी तरह बदल कर रख दिया। मैकाले ने ब्रिटिश संसद मे बयान दिया था कि भारतीय एजुकेशन सिस्टम हमारे इंग्लिश एजुकेशन सिस्टम से मीलों मील आगे है और अगर इसे नही बदला गया तो एक वक्त ऐसा आएगा जब ये भारतीय पुरे विश्व पर राज करेंगे। और तब से अर्थात 1835 से मैकाले शैक्षिक नीति ही हमारे भारत की शैक्षिक नीति बनी हुई है। हमारी मानसिकता ऐसी हो गई है कि इस एजुकेशन सिस्टम को छोड़ ही नही पाते।

मेरा मानना है , बच्चों के उम्र के हिसाब से चार पार्ट मे एजुकेशन को बांट देना चाहिए । शुरुआत के पांच साल तक बच्चों को सिर्फ वेद , रामायण , गीता , संस्कृत , योग , प्राणायाम , अनुशासन वगैरह का ज्ञान देना चाहिए । उसके बाद के सात साल अर्थात बच्चों को बारह वर्ष के उम्र तक इंग्लिश , अपनी मातृ भाषा , हिन्दी , इतिहास , भूगोल , गणित और विज्ञान की शिक्षा दी जाए । उसके बाद के चार साल तक उनके रूचि अनुसार आर्ट , कॉमर्स और साइंस की शिक्षा दी जाए और उसके बाद वो कोई टेक्निकल कोर्स कर सकते है।
शुरुआत की शिक्षा बच्चों का संस्कार डेवलप करेगी। उनके चरित्र का नींव खड़ा करेगी। एक भारत एक एजुकेशन सिस्टम होना चाहिए और तब ही हम एक समृद्ध और शिक्षित भारत का निर्माण कर सकते है। ( यह मेरा पर्सनल विचार है )

अपडेट बहुत ही खूबसूरत था मानु भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।

तारीफ के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया भाई! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

आपके इस रिव्यु में आपने बहुत ही जर्रूरी बात उठाई| हमारा एजुकेशन सिस्टम दुनिया में सबसे बढ़िया था| वो गुरुकुल का समय...मैंने देखा तो नहीं मगर उसके बारे में जितना भी पढ़ा उससे यही लगता था की काश मुझे भी ऐसे ही शिक्षा मिली होती| गुरुकुल में शुरूआती सालों में बच्चों को धर्म ग्रंथों के बारे में पढ़ाया जाता था जिससे बच्चे अपने धर्म को अच्छे से जान पाते थे| आजकल के बच्चों को तो गायत्री मंत्र भी नहीं आता लेकिन ससुरे WOKE बन कर ज्ञान ऐसे मारते हैं की मन करता है की उनके एक कंटाप धर ही दूँ!

आयुष मेरे पास 4 साल की उम्र में आया था और लगभग ढाई साल का समय जो उसने मेरे साथ गुजारा उसमें मैंने उसे गायत्री मंत्र स्मरण करा दिया| छुटपन में डाली इस आदत के कारण आज भी आयुष रात में सोने से पहले और सुबह उठ कर गायत्री मन अवश्य पढता है|
नेहा...उसका तो पूरा जीवन ही मेरा अनुसरण करने में बीत रहा है| जब वो मेरे पास दिल्ली आई तो उसने अपने छोटे भाई के साथ गायत्री मंत्र स्मरण किया| फिर उसने मुझसे महाम्रत्युन्जय मंत्र सुना तो नेहा ने धीरे-धीरे वह मंत्र भी स्मरण किया| फिर एक दिन मैंने नेहा को बताया की अपने स्कूल के प्ले (play) में मैंने गीतासार पूरा कंठस्थ किया था, बस फिर क्या था नेहा ने उस दिन से धीरे-धीरे पूरा गीतासार कंठस्थ कर लिया|
वहीं मेरे पिताजी, वो तो अपने दोनों पोता-पोती को हमारे पुराणों की कथाएं कहानी के रूप में सुनाते थे| जब संगीता माँ बनने वाली थी...यानी स्तुति पैदा होने वाली थी तब मेरी माँ के कहने पर संगीता रामायण का पाठ करती थी और माँ बैठ कर पाठ सुना करती थीं| यही कारण था की जब स्तुति पैदा हुई और हम कभी मंदिर जाते थे तो हमेशा इधर-उधर देखने वाली मेरी बिटिया रानी एकदम से शांत हो जाती थी और एकटक भगवान की मूर्तियों को देखती रहती थी|
कई बार मैं स्तुति को गोदी ले कर अपने घर के मंदिर में पूजा करता था और उस दौरान स्तुति एकदम शांत रहती| हमारे घर में जो छोटी सी घंटी होती है, वो स्तुति को बहुत प्रिय थी इसलिए जब भी घर में पूजा होती तो स्तुति वो घंटी बजाती थी| स्तुति के जन्मदिन पर जब हवन हुआ था तब मेरी बिटिया बड़ी खुश थी और मुझे पंडित जी के साथ मंत्र दोहराते हुए देख अस्चर्य में डूबी हुई थी| ज्यों-ज्यों स्तुति बड़ी होती गई, त्यों-त्यों मेरी बिटिया धार्मिक होती गई और अब समय ऐसा है की वो और उसकी दादी जी...यानी मेरी माँ मंदिर जाने की प्लानिंग करते हैं|

खैर, समय है की हम अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही हमारे ग्रंथों से परिचय कराएं ताकि उनके मन में ये STUPID WOKE PEOPLE जैसे ख्याल ना आएं और वो हमारे या किसी और के धर्म पर ऊँगली न उठायें|

आपके विचार पढ़कर बहुत अच्छा लगा भाई जी! थैंक यू अपने विचार हम सबसे साझा करने के लिए| 🙏

नई अपडेट थोड़ी देर में!
 
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Rockstar_Rocky

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Boht hi pyara update Rocky Bhai
Kirti ke jivan ki nayi shuruwat ho rahi hai wo bi pita ji se jhuth bolke bas ab kirti koi gadbad na kar de nahi tohh kirti ke sath aadi ko bi pita ji ki daant padegi
Pehle Maine socha tha ki story complete hogi tab read karuga par update dekh kr sabar nahi huya
Waiting for next update sir :wink2:

तारीफ के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया भाई! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

'झूठ के पॉंव नहीं होते!' ये कहावत जल्द ही सार्थक होगी और तब दोनों भाई-बहन को पिताजी से डाँट नहीं बहुत कुछ मिलेगा! फिलहाल तो कीर्ति के कॉलेज लाइफ की कुछ झलकियाँ आपको पढ़ने को मिलेंगी, जिससे शायद आपकी भी कॉलेज की यादें ताज़ा हो जाएँ|

यदि आप कहानी पूरा होने का इंतज़ार करते तो पता नहीं आपको कितना इंतज़ार करना पड़ता| आप इसी तरह अपने प्यारभरे कमैंट्स से मेरा मनोबल बढ़ते जाइये और मैं जल्दी से जल्दी अपडेट देने की कोशिश करता रहूँगा|

नई अपडेट थोड़ी देर में!
 

Rockstar_Rocky

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Bahut hi behtareen update he Maanu Bhai

Ek bade bhai ki bhumika behad shandar chitran koya he aapne...............aur zindagi ki sachchayi bhi sikha rahi he ye update

Bas ek kami rah gayi...........SBI ne lunch se pehle draft kaise bana diya.........ye nahi bataya aapne

Agle update ka besabri se intezar rahega Bhai

तारीफ के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया भाई! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

ख़ुशी हुई जानकार की आपको मेरे द्वारा लिखी एक बड़े भाई की ये भूमिका बहुत पसंद आई|

Bas ek kami rah gayi...........SBI ne lunch se pehle draft kaise bana diya.........ye nahi bataya aapne​


नई अपडेट थोड़ी देर में!
 

Rockstar_Rocky

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बढ़िया अपडेट मानू भाई।

आदित्य एक जिम्मेदार भाई है जो अपनी बहन को हमेशा सही राह बताता है, साथ ही साथ नए जमाने से कदमताल मिला कर चलने में भी मदद कर रहा है वो भी बिना पिताजी की अवेलहना किए हुए।

तारीफ के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया भाई! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

पिताजी की अवहेलना तो हुई है भाई, आगे देखिये की इसका परिणाम क्या होता है?!

नई अपडेट थोड़ी देर में!
 

Rockstar_Rocky

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" A" Cerificiate वाली फिल्म एकदम से एक फैमिली सोलो ड्रामा फिल्म बन जाये तो मुझ जैसे ठरकी दर्शक जो अपने कंधे पर ठरकपन लेकर सिनेमा हाल में गए थे उनके दिल पर क्या गुजरती है उस दर्द से अभीभुत करता हुआ ये upadate था 🤣😂🤐

इस update के लिए मेरे पास खास टिप्पड़ी नही है क्योकि क्योकि बहुत सारे रीडर ने बहुत सारा, बहुत कुछ लिख कर update को चार चाँद लगा दिये है। कुछ ने अपने गरीबी और कुछ ने struggle के दिनों के बारे में अपने निजी अनुभव लिखे।

मेरे पास ऐसा कोई निजी अनुभव नही है, क्योकि बचपन से लेकर जवानी का पूरा जीवन अमीरी और अय्याशियो में बीता है, हमारे पुरखो की दौलत, जमीं जायदाद और पापा के आशीर्वाद से कभी भी किसी चीज की कमी नही रही जो मांगता भी नही वो भी इतना मिल जाता था कि अपने यार दोस्तों में लुटाता था, पार्टी किसी के भी नाम
हो, लेकिन बिल मै हमेशा अपने नाम से ही कटवाता रहा हूँ। आज भी मेरे दोस्त और उनके फैमिली वाले कभी कभी कहते है कि उन्होंने गुटखा, cigrete, और क्वाटर (पऊआ) खाना पीना मैंने सिखाया है, मैंने ही उन्हे बिगाड़ा था क्योकि ना मै उन्हें फ्री में ऐश कराता वो ना ही ये सब शौक पूरे कर पाते। वो भी क्या दिन थे......😍

जॉब मुझे तो शादी करने के चक्कर में करनी पड़ी थी, क्योकि आज कल की लड़की बेरोजगार से शादी नही करना चाहती। भले वो कितना भी खानदानी रहीस, शुद्ध अमीर क्यों ना हो। वर्तमान में भी काम सिर्फ नाम के लिए ही कर लेता हूँ वो भी कभी कभी... मुझसे कोई काम, मेहनत, गांड गुलामी, 10-6 की नौकरी, नही होती इसका कोई सॉल्यूशन हो तो बताओ मेरे दोस्त..... 🙏🙏

खैर update पर भी अपनी प्रतिक्रिया लिखकर मेरे हमनाम दोस्त को अपने शब्दों से मोहब्बत देकर अपना पाठक होने का फर्ज निभाना लाजमी है..... इसलिए बस कीर्ति और कीर्ति जैसी सारी लड़कियों को आधुनिक शिक्षा पढ़ने की दिशा में जो अपने कदम रख रही है उसके लिए दो संदेश जनहित में दे रहा हूँ.....

""" जब तक लड़कियाँ I Love you का जबाब I Love You Too मे देना नही सीख जाती, तब तक नारी शिक्षा में सुधार की आवश्यकता है "" 😂🤣😍😜🙏
और दूसरा "" जिस लड़की ने कॉलेज में वाद - विवाद प्रतियोगिता जीती हो भूल से उससे शादी ना करे... 😜🤣😂🤐🙏

अब आता हू आपके हास्य भरे वाक्या पर, वाकई हसी तो आई थी और आपको चिकना लोंडा वाले चेहरे को देखने की इच्छा भी हुयी। भाईजान मैं शुरु से ही क्लीन shave रहा हूँ। जिसकी वजह हसी भरी है, पहले चिकना लोंडा बनकर लड़की को पटाने के लिए, फिर अपनी जॉब के कारण, और एक बार दाढ़ी मूंछ हल्की रखी थी लेकिन एक रात अपनी वाइफ के साथ fourplay करते समय (आप समझ तो गये होंगे ) उसने दाढ़ी मूंछ की चुभन की वजह से main game शुरु करने से पहले ही end कर दिया। तब से clean shave ही रहता हू।

Update बेहतरीन था लिखते रहिये ✍️✍️ धन्यवाद.....

मेरे हमनाम...मेरे दोस्त,

" A" Cerificiate वाली फिल्म एकदम से एक फैमिली सोलो ड्रामा फिल्म बन जाये तो मुझ जैसे ठरकी दर्शक जो अपने कंधे पर ठरकपन लेकर सिनेमा हाल में गए थे उनके दिल पर क्या गुजरती है उस दर्द से अभीभुत करता हुआ ये upadate था 🤣😂🤐

जब मैं सेक्स से भरी-पूरी अपडेट लिख रहा था तब आप कह रहे थे की मैं कीर्ति को आपकी नज़र से देखूँ और ये सब लिखने पर फोकस न करूँ| अब जब मैं कीर्ति के जीवन के दूसरे पहलु से आपको रूबरू करवा रहह हूँ तो आपको 'तर्क' वाली अपडेट चाहिए|



मेरे पास ऐसा कोई निजी अनुभव नही है, क्योकि बचपन से लेकर जवानी का पूरा जीवन अमीरी और अय्याशियो में बीता है, हमारे पुरखो की दौलत, जमीं जायदाद और पापा के आशीर्वाद से कभी भी किसी चीज की कमी नही रही जो मांगता भी नही वो भी इतना मिल जाता था कि अपने यार दोस्तों में लुटाता था, पार्टी किसी के भी नाम
हो, लेकिन बिल मै हमेशा अपने नाम से ही कटवाता रहा हूँ। आज भी मेरे दोस्त और उनके फैमिली वाले कभी कभी कहते है कि उन्होंने गुटखा, cigrete, और क्वाटर (पऊआ) खाना पीना मैंने सिखाया है, मैंने ही उन्हे बिगाड़ा था क्योकि ना मै उन्हें फ्री में ऐश कराता वो ना ही ये सब शौक पूरे कर पाते। वो भी क्या दिन थे......😍



जॉब मुझे तो शादी करने के चक्कर में करनी पड़ी थी
वर्तमान में भी काम सिर्फ नाम के लिए ही कर लेता हूँ वो भी कभी कभी... मुझसे कोई काम, मेहनत, गांड गुलामी, 10-6 की नौकरी, नही होती


आज कल की लड़की बेरोजगार से शादी नही करना चाहती। भले वो कितना भी खानदानी रहीस, शुद्ध अमीर क्यों ना हो।

इस सबके बाद भी हम लड़कों पर ही दोष लगता है की हम choosy होते हैं! :sigh:

मुझसे कोई काम, मेहनत, गांड गुलामी, 10-6 की नौकरी, नही होती इसका कोई सॉल्यूशन हो तो बताओ मेरे दोस्त..... 🙏🙏



""" जब तक लड़कियाँ I Love you का जबाब I Love You Too मे देना नही सीख जाती, तब तक नारी शिक्षा में सुधार की आवश्यकता है "" 😂🤣😍😜🙏
और दूसरा "" जिस लड़की ने कॉलेज में वाद - विवाद प्रतियोगिता जीती हो भूल से उससे शादी ना करे... 😜🤣😂🤐🙏



अब आता हू आपके हास्य भरे वाक्या पर, वाकई हसी तो आई थी और आपको चिकना लोंडा वाले चेहरे को देखने की इच्छा भी हुयी। भाईजान मैं शुरु से ही क्लीन shave रहा हूँ। जिसकी वजह हसी भरी है, पहले चिकना लोंडा बनकर लड़की को पटाने के लिए, फिर अपनी जॉब के कारण, और एक बार दाढ़ी मूंछ हल्की रखी थी लेकिन एक रात अपनी वाइफ के साथ fourplay करते समय (आप समझ तो गये होंगे ) उसने दाढ़ी मूंछ की चुभन की वजह से main game शुरु करने से पहले ही end कर दिया। तब से clean shave ही रहता हू।

आपके अनुभव को पढ़ कर लगता है की आप अपनी दाढ़ी का अच्छे से ख्याल नहीं रखते थे तभी वो भाभी जी को चुभती थी! जब स्तुति पैदा हुई तो मेरी बिटिया को मेरी दाढ़ी बहुत पसंद थी और उसका कारण था मेरी दाढ़ी सॉफ्ट होना| स्तुति अपने नन्हे-नन्हे हाथों से मेरी दाढ़ी पकड़ कर खींचती थी और अपने नाज़ुक होठों को मेरे गालों पर रख कर खूब सारी प्यारी देती थी|
मेरी दाढ़ी अपने आप ही कोमल नहीं थी, उसका सबसे बड़ा कारण था की मैंने कॉलेज फर्स्ट ईयर के बाद से शेव करना बंद कर दिया था| बस बाल ट्रिम किया करता था| इसके साथ ही मैं अपनी दाढ़ी के लिए बियर्ड आयल, बियर्ड वाश जैसे प्रोडक्ट खूब इस्तेमाल करता था| जब सर पर तेल लगाता था तब दाढ़ी पर ही वो तेल अच्छे से चुपड़ लेता था| इन सभी उपायों के कारण मेरी दाढ़ी मुलायम रहती थी और मेरी बिटिया मेरी दाढ़ी के बाल खींच-खींच कर अपना मनोरंजन करती थी|

खैर, दाढ़ी ज्ञान समाप्त हुआ|

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Rockstar_Rocky

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बहुत ही सुंदर और लाज़वाब अपडेट है आदि ने कीर्ति के लिए जो फैसला लिया है वह बहुत ही अच्छा फैसला है वह खुद शिक्षित है और लड़कियों के लिए पढ़ाई कितनी जरूरी है ये भी जानता है उसने कीर्ति के लिए अपने घरवालों से झूठ बोलकर उसके अच्छे भविष्य के लिए बहुत बड़ा कदम उठा कर एक भाई का फर्ज पूरा किया है साथ ही आदि ने कीर्ति को बताया कि उसे पिताजी की मान मर्यादा का ख्याल रखना है अब देखते हैं आदि की दी गई सीख पर अमल करती हैं या नही
पिताजी का बस या ट्रेन में औरतों का अच्छे से ध्यान रखना एक इंसान के अच्छे आचरण को दर्शाता है

तारीफ के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया भाई! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

आपने बहुत ही सटीक रिव्यु दिया भाई! 🙏 परिवार में जब कोई ख़ास आपको समझने लगता है तो आपकी ज़िन्दगी काफी हद्द तक आसान हो जाती है|
कीर्ति आगे कौन से रास्ते का चुनाव करती है ये आपको आगे पता चलेगा|

नई अपडेट थोड़ी देर में!
 

Rockstar_Rocky

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Jabardast update diya hai bhai dil khush kar diya .
Ek line apne bahut hi khubsurati se likha hai hai pita pariwar ka wo mukhiya hota hai jo apne sukh ko tyag kar apne pariwar ke sukh chain ke bare me nirantar sochta rehta hai.Aur is like ne ka sabse best example ap ho.
Kirti ki new life start ho gyi iske liye dher sari shubhkamnaye aur dhekhte hai ki nayi zindagi kya kya gul khilati hai.
Thanku

तारीफ के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया भाई! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

भाई जी मैं खुद को अच्छा पिता नहीं मानता, मुझ में बहुत सी कमियाँ हैं|

कीर्ति की नई जिंदगी का पहला पड़ाव है कॉलेज लाइफ और आज की अपडेट आपको अवश्य पसंद आएगी|

Bahut achha lga stuti aur apka pyara sa hasyapad padkhakar . Bhai apse ek request hai aise hi kuch kisse apke aur stuti se related kahani ke beech me dalte rahiyega .kya hai n apki story anokha bandhan se kaafi jyada attached ho gaye .

स्तुति की सारी शैतानियों के बारे में लिखूँगा तो अलग से एक थ्रेड खोलना पड़ेगा! खैर, मैं आपकी इस अर्ज़ी का ख्याल रखूँगा और स्तुति के अजब-गजब कारनामे भी शेयर करता रहूँगा| स्तुति की सारी शैतानियों के बारे में लिखूँगा तो अलग से एक थ्रेड खोलना पड़ेगा! खैर, मैं आपकी इस अर्ज़ी का ख्याल रखूँगा और स्तुति के अजब-गजब कारनामे भी शेयर करता रहूँगा|

नई अपडेट थोड़ी देर में!
 

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भाग - 12

अब तक आपने पढ़ा:


"पगली....चुप हो जा अब...जब तेरी अच्छी नौकरी लगेगी न तब मेरे लिए अच्छा सा गिफ्ट ला दियो|" आदि भैया मुझे हँसाने के मकसद से बोले और मेरी पीठ थपथपा कर मुझे चुप कराया|


अब आगे:
कहते
हैं की अगर ज़िंदगी की ईमारत झूठ की बुनियाद पर तिकी हो तो कभी न कभी ये ईमारत अवश्य ढह जाती है|


शाम के समय पिताजी ने हमसे पूरे दिन का ब्यौरा माँगा तो भैया ने कमान सँभाली और बड़े तरीके से झूठ बोल दिया; "आजका सारा काम मैंने कीर्ति से करवाया है| बैंक में इसने (मैंने) ड्राफ्ट का फॉर्म भरा, फिर

यूनिवर्सिटी की लाइन में लग कर इसने अपना कॉलेज का फॉर्म जमा किया| फिर वहाँ से हम पहुंचे कंप्यूटर इंस्टिट्यूट और वहाँ मैंने इसका दाखिला करा दिया है| कल सुबह 9 बजे से 11 बजे तक इसकी क्लासेज होंगी| पूरे कंप्यूटर कोर्स की फीस 1,500/- थी तो मैंने 1000/- जमा करा दिए थे| ये रही उसकी रसीद|" भैया ने रसीद पिताजी को दी तो पिताजी ने बड़े गौर से रसीद पढ़ी और फिर अपने बटुए से 500/- निकाल कर माँ को देते हुए बोले; "कल जब तुम कीर्ति को क्लास छोड़ने जाओगी तब ये जमा करा देना और रसीद लेना भूलना मत|"

जैसे ही पिताजी ने माँ को मुझे क्लास छोड़ने जाने की बात कही वैसे ही आदि भैया की हवा टाइट हो गई क्योंकि अब माँ को सारा झूठ पता चलने का खतरा था! वहीं मुझे पता था की मुझे आगे क्या करना है!



दरअसल, मेरी माँ को इस तरह के काम करने का कोई अनुभव नहीं था| वो हमेशा भैया को ही आगे करती थीं, लेकिन चूँकि पिताजी ने इसबार उन्हें आगे किया था और भैया ने जाना था ड्यूटी तो मैंने सोच लिया की मैं ही इस काम की जिम्मेदारी ले लूँगी|

अगले दिन माँ मुझे छोड़ने इंस्टिट्यूट पहुँची और इतने सारे बच्चों को देख परेशान हो गईं की वो फीस कहाँ और कैसे जमा कराएँ?! "माँ, आप घर जाओ मैं फीस जमा करा दूँगी|" जैसे ही माँ ने ये सुना मेरी माँ का चेहरा एकदम से खिल गया| मुझे आशीर्वाद देते हुए माँ ने अपने 'स्त्रियों वाले बटुए' की ज़िप खोल कर मोड़ कर रखा हुआ 500/- का नोट निकाला और मुझे दे दिया| "वापस आ कर मैं आपको रसीद दे दूँगी तो आप पिताजी को दे कर कह देना की आपने ही फीस जमा कराई है|" मैंने माँ को मक्खन लगाने के इरादे से कहा तो माँ ने खुश होते हुए कहा की वो मेरे लिए मेरा मन पसंद खाना बना कर तैयार रखेंगी|



भैया ने रात को मुझे चुपके से फीस के बाकी पैसे दे दिए थे, तो मैंने माँ के दिए हुए पैसे उसमें मिलाये और दो रसीद बनवा ली|

चलो भई फीस तो जमा हो गई, लेकिन अब बारी थी क्लास में जाने की| शीशे के एक दरवाजे को खोल कर मैं अंदर पहुँची तो मुझे ठंडी हवा का ऐसा झोंका लगा मानो मैं हिल स्टेशन आ गई हूँ! अब मेरे सामने 4 कमरे थे जिनके दिवार और दरवाजे सब शीशे के थे| चारों कमरों में लगभग 30-40 कंप्यूटर रखे थे और इतने सारे कंप्यूटर देख कर मैं स्तब्ध थी! मेरे स्कूल में बस 10 कंप्यूटर थे और जब हमारा कंप्यूटर का पीरियड होता था तब टीचर एक कंप्यूटर पर 4-5 बच्चों का झुण्ड बैठा देती थीं| यही कारण था की कंप्यूटर कभी मेरे पल्ले पड़ा ही नहीं!



खैर, मुझे नहीं पता था की किस कमरे में जाऊँ इसलिए मैं बाहर खड़ी सोचने लगी| तभी पीछे से एक लड़की आई और उसने मुझे बताया की मुझे कौनसे कमरे में जाना है| मैं कमरे में दाखिल हुई तो वहाँ 4-5 बच्चों का झुण्ड था| मुझे एक अनजान चेहरे को देख सभी मेरी तरफ देख रहे थे| तभी उस झुण्ड से एक लड़की निकल कर आई और मेरा नाम पुछा|

हम लड़कियों की यही खासियत होती है, हम दूसरी लड़की को देखते ही समझ जाती हैं की उसे हमारी जर्रूरत है और हम बेझिझक उससे दोस्ती करने पहुँच जाती हैं| हमें लड़कों की तरह आइस ब्रेकर (ice breaker) की जरूरत नहीं होती!



इंट्रोडक्शन हुआ तो पता चला की जो लड़की मुझसे बात करने आई थी उसका नाम शशि है तथा उसने भी मेरी ही तरह ओपन यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया है| संयोग से हम दोनों का कॉलेज एक ही निकला, जिससे वो मेरी अच्छी सहेली बन गई|

कुछ देर बाद टीचर आये और उन्होंने सभी को बेसिक कंप्यूटर पढ़ना शुरू किया| कंप्यूटर के मामले में मैं थी निल-बटे सन्नाटा इसलिए शशि ने मेरी खूब मदद की| कंप्यूटर की इतनी सारी जानकारी पा कर मेरा दिमाग हैंग हो चूका था, उस पर टीचर जी ने हमें टाइपिंग सुधारने के लिए टाइप करने के लिए होमवर्क दे दिया!



घर पहुँच मैंने माँ को बताया की मुझे कंप्यूटर पर टाइपिंग सीखनी है, अब हमारे पास तो कंप्यूटर था नहीं इसलिए हम दोनों माँ-बेटी सोच में लग गए| हम सोच में पड़े थे की तभी अंजलि अपनी मम्मी के साथ मेरे घर पर टपक गई| उसका ये अनअपेक्षित आगमन मेरे लिए बड़ा फलदाई साबित होने वाला था|



तो हुआ कुछ यूँ था की अंजलि की मम्मी को ये समझ नहीं आ रहा था की बारहवीं पास करने के बाद वो अंजलि का क्या करें?! अंजलि के चचेरे भैया ने जो उसपर दिनरात मेहनत की थी उस कारण से अंजलि का बदन अब पूरी तरह से भर गया था! अब एक माँ जानती है की उसकी बेटी के जिस्म में जो बदलाव आ रहे हैं उनका कारण क्या है| आंटी जी ये तो समझ गई थीं की अंजलि के ऊपर कोई तो मेहनत कर रहा है मगर ये मेहनत कर कौन रहा है ये वो नहीं जानती थीं| आंटी जी तो अंजलि की शादी करवाना चाहती थीं ताकि कल को उनकी बेटी की जिस्म की आग के कारण उनका मुँह काला न हो मगर आजकल कौन शहर में पढ़ी बारहवीं पास लड़की को बहु बनाता है? इतनी जल्दी शादी करने वाले माँ-बाप को समाज शक की नज़र से देखता है, सबको लगता है की जर्रूर लड़की का कोई चक्कर चल रहा है तभी उसके माता-पिता जल्दी शादी करवा कर अपना पिंड छुड़वा रहे हैं|



"बहनजी, आपकी बेटी कितनी होनहार है देखो कितने अच्छे नम्बरों से पास हुई| वहीं मेरी ये नालायक लड़की (अंजलि) कितनी मुश्किल से नकल-व्क़्ल मारकर पास हुई है| मैं तो इसकी शादी करवाना चाहती थी मगर इसके पापा कह रहे हैं की लड़की को कम से कम कॉलेज करवा देते हैं| इसलिए मैं सोच रही थी की इस नालायक को कीर्ति बिटिया के साथ ही कॉलेज में डाल दें, कीर्ति के साथ रहेगी तो थोड़ा पढ़ लेगी वरना ये सारा दिन आवारा गर्दी करती रहेगी!" आंटी जी ने जैसे ही मेरा गुणगान किया वैसे ही मेरी माँ का सीना गर्व से फूल कर कुप्पा हो गया!

बस फिर क्या था मेरी माँ ने मेरी शान में कसीदे पढ़ने शुरू कर दिए; "आजकल बारहवीं पास लड़की की शादी होती कहाँ है? ऊपर से दहेज़ इतना माँगते हैं की क्या कहें?! ये सब सोचकर ही कीर्ति के पिताजी ने इसे ओपन कॉलेज में डाला है और थोड़ा बहुत कंप्यूटर सीखने के लिए एक इंस्टिट्यूट में दाखिला भी करवा दिया है| ताकि कल को शादी हो तो कम से कम इसे (मुझे) थोड़ा कंप्यूटर आता हो और ये ससुराल में हमारा नाम न खराब करे|"



अंततः ये निर्णय लिया गया की अंजलि भी मेरे साथ कॉलेज जाएगी पर उसकी मम्मी ने उसे कंप्यूटर कोर्स कराने से ये कह कर मना कर दिया की घर में रखे कंप्यूटर पर तो अंजलि बस फिल्म देखती है तो कंप्यूटर कोर्स कर के क्या करेगी?!

जैसे ही आंटी जी ने उनके घर में कंप्यूटर का जिक्र किया मैंने अपनी माँ की तरफ देखा और इशारों ही इशारों में उनसे पूछ लिया की क्यों न मैं अंजलि के घर के कंप्यूटर पर ही टाइपिंग सीख लूँ? माँ ने भी इस मौके का फायदा उठाते हुए फौरन हाँ कर दी|



मैं अंजलि के घर उससे मिलने के बहाने जाने लगी और उसी के कंप्यूटर पर अपनी टाइपिंग की प्रैक्टिस करने लगी|



कुछ दिनों बाद आखिर मेरा कॉलेज खुल गया| रविवार का दिन था और मैं कॉलेज जाने के लिए बहुत उत्साहित थी|



मैंने फिल्मों में देखा था की कॉलेज का पहला दिन बड़ा रोमांचकारी होता है| कॉलेज में लड़कियाँ सुन्दर-सुन्दर कपड़े पहनती हैं जैसे की टॉप, जीन्स, स्कर्ट्स आदि| कॉलेज में कुछ मनचले लड़कोण का गैंग होताहै जो लड़कियों को छेड़ते हैं, सीटी बजाते हैं, नए बच्चों की रैगिंग करते हैं| लड़कियों को कैंटीन में रैगिंग के नाम पर नचाते हैं, भोले-भाले लड़कों को रैगिंग के नाम पर दूसरी लड़कियों को प्रोपोज़ करने को कहते हैं|

रैगिंग होगी इससे मैं बहुत डरती थी इसलिए मैंने अपनी चतुराई दिखाई और जैसे 'प्यार किया तो डरना क्या फिल्म' में अरबाज़ खान अपनी बहन की ढाल बन कर कॉलेज के पहले दिन उसके साथ गया था, वैसे ही मैं अपने आदि भैया को अपने साथ कॉलेज छोड़ने के बहाने से ले गई|



बॉलीवुड की फिल्में देख कर ये फितूर मेरे मन में भरा हुआ था लेकिन हुआ इसके बिलकुल उल्ट!



जब मैं भैया के साथ अपने कॉलेज पहुँची तो वहाँ मेरी उम्र के बच्चे कम और भैया की उम्र के बच्चे...या ये कहूँ की वयस्क ज्यादा थे| एक लड़की तो ऐसी थी जिसने लाल चूड़ा पहना हुआ था, मानो कल ही उसकी शादी हुई हो और वो हनीमून पर न जा कर कॉलेज पढ़ने आई हो| एक पल के लिए तो मन किया की मैं उसके पढ़ाई के प्रति इस कर्तव्यनिष्ठ होने पर उसे सलाम करूँ मगर बाद में मुझे पता चला की वो भी अंजलि के जैसी थी!

कॉलेज के मैं गेट पर मैंने अपना एनरोलमेंट नंबर लिख कर दस्तखत किया| तभी पीछे से अंजलि आ गई और हमें छोड़ भैया घर वापस चले गए| मैंने जब अंजलि से अपने कॉलेज के सुहाने ख्वाब साझा किये तो वो पेट पकड़ कर हँसने लगी|



अब बारी थी हमारी क्लास ढूँढने की इसलिए हमने दूसरे बच्चों से क्लास के बारे में पुछा| ज्यादातर बच्चे नए थे इसलिए उन्हें भी कुछ नहीं पता था| तभी हमें एक सेकंड ईयर की लड़की यानी की हमारी सीनियर मिली| जब अंजलि ने उससे क्लास के बारे में पुछा तो वो हमें देखकर हँसने लगी! "यहाँ पढ़ाई-वढ़ाई नहीं होती! बस अपने असाइनमेंट पूरे करो और एग्जाम में नकल कर पास हो जाओ|" ये कह कर वो हँसती हुई चली गई|

अपने सीनियर की बात सुन हम दोनों स्तब्ध थीं| हमने फिल्मों में देखा था की कॉलेज में बच्चे क्लास बंक करते हैं मगर यहाँ तो सारे नियम-कानून ही टेढ़े हैं! अंजलि तो कॉलेज बंक करने को कह रही थी मगर मुझे ये सुनिश्चित करना था की वो सीनियर लड़की सच कह रही है वरना पता चला की पहले दिन कॉलेज बंक किया और प्रिंसिपल ने सीधा हमारे घर फ़ोन घुमा दिया!



ढूँढ़ते-ढूँढ़ते हमें आखिर एकाउंट्स की क्लास मिल ही गई मगर वहाँ कोई बच्चा था ही नहीं! पूरी क्लास में बस हम दोनों ही थे, अंजलि वापस चलने को कह रही थी मगर मैं ढीठ बनकर क्लास में बैठ ही गई| कुछ देर बाद मुझे बाहर से साक्षी गुजरती हुई नज़र आई, मैंने उसे आवाज़ दे कर अंदर बुलाया और उसका तार्रुफ़ अंजलि से करवाया| शशि ने मुझे बताया की सब बच्चे यहाँ सुबह-सुबह गेट पर अपनी अटेंडेंस लगाते हैं और फिर घूमने-फिरने चले जाते हैं| फिर शशि ने हमें अपने दोस्तों से मिलवाया और सभी ने फिल्म देखने जाने का प्लान बना लिया| फिल्म देखने की बात सुन अंजलि ने फ़ट से हाँ कर दी, जबकि मैं पिताजी द्वारा पकड़े जाने के डर से घबराई हुई थी|



जब हम अपने जीवन में कुछ गलत करने जाते हैं तो दिल में डर की एक धुक-धुक होती है जो हमें रोकती है| जो इस धुक-धुक से डर कर कदम पीछे हटा लेता है वो बच जाता है मगर जो इस धुक-धुक से लड़ कर आगे बढ़ जाता है वो फिर आगे कभी नहीं डरता|



मैं अपने डर के कारण खामोश थी, तभी मेरे सारे नए दोस्तों ने मुझ फूँक दे कर चने के झाड़ पर चढ़ा दिया और अपने साथ फिल्म दिखाने ले गए| हमारे ग्रुप में 7 लोग थे, जिसमें 6 लड़कियाँ और एक लड़का था| हमारे ग्रुप का नेतृत्व वो लड़का ही कर रहा था| बातों-बातों में अंजलि ने सबसे कह दिया था की मैं बड़ी पढ़ाकू हूँ और आज अपनी ज़िंदगी में पहली बार क्लास बंक कर रही हूँ इसलिए मैं थोड़ी डरी हुई हूँ| "कोई नहीं, दो हफ्ते हमारे साथ रहेगी तो सब सीख जाएगी!" शशि मुझे बिगाड़ने का बीड़ा उठाते हुए बोली|

शशि का मेरे जीवन पर प्रभाव कुछ अधिक ही पड़ा, उसकी सौबत में मैं झूठ बोलना, चालाकी करना और थोड़ा बहुत फैशन सेंस सीख गई थी|



हम सातों पहुँचे बस स्टैंड, चूँकि मैं इस ग्रुप की सबसे नाज़ुक लड़की थी जिसने ऐसा कोई एडवेंचर पहले नहीं किया था इसलिए वो लड़का मेरा कुछ अधिक ही ध्यान रख रहा था| बस आई और बस में उसने सबसे पहले मुझे चढ़ने दिया| फिर उसने अपना रुआब दिखाते हुए हम सभी लड़कियों को सीट दिलवाई| एक दो लड़कों को तो उसने सीट पर से उठा कर सीट दिलवाई| वो लड़के उम्र में छोटे थे इसलिए कुछ कह न पाए और चुपचाप खड़े हो गए|

जब कंडक्टर टिकट देने के लिए आया तो वो लड़का अकड़ कर उस कंडक्टर से बोला; "स्टाफ है!" ये सुनकर कंडक्टर ने भोयें सिकोड़ कर उस लड़के को देखा और अकड़ते हुए पुछा; "काहे का स्टाफ?"

"स्टूडेंट!!!" वो लड़का और चौड़ा होते हुए बोला| उस बस में काफी स्टूटडेंट थे, कहीं सारे स्टूडेंट मिलकर कंडक्टर को पीट न दें इस कर के कंडक्टर आगे बढ़ गया| अब मैंने आजतक पिताजी के साथ जब भी सफर किया है, टिकट ले कर सफर किया है इसलिए मैंने अपनी किताब से पैसे निकालकर कंडक्टर को दिए और टिकट ले ली| जैसे ही मैंने कंडक्टर को पैसे दिए वैसे ही उस लड़के समेत बाकी 6 लड़कियों ने अपना माथा पीट लिया!



जब कंडक्टर चला गया तो सभी रासन-पानी ले कर मुझ पर चढ़ गए; "तुझे क्या जर्रूरत थी अपनी टिकट लेने की? रवि ने सब सेट कर तो दिया था?!" शशि मुझे डाँटते हुए बोली| ओह...मैं तो आपको बताना ही भूल गई की उस लड़के का नाम रवि था|

"ये राजा हरीश चंद्र की पोती है!" अंजलि मुझे ताना मारते हुए बोली|



"तुम सब के लिए ये छोटी सी बात है मगर मेरे लिए नहीं! मस्ती मज़ा करना अलग बात है मगर मुफ्तखोरी मुझे पसंद नहीं| अगर हमारे पास टिकट के पैसे नहीं होते तब ये अकड़ना चलता मगर जब हम पैसे दे सकते हैं तो क्यों उस कंडक्टर का नुक्सान करना? वो बेचारा भी तो नौकरी करता है, उसे भी आगे जवाब देना होता है|

और कल को अगले स्टॉप पर टिकट चेकर चढ़ जाता तो? हम सब को इस टिकट का दस गुना जुरमाना भरना पड़ता! नहीं भरते तो सीधा घर फ़ोन जाता और फिर अगलीबार घर से बाहर निकलने को नहीं मिलता!" मैंने बड़े सख्त लहजे में अपनी बात रखी| मेरी बात सुन अभी के मुँह बंद हो गए थे, वहीं रवि मेरी बातों से बहुत हैरान था|



जब हमारा स्टॉप आया तो हम सब चुपचाप उतर गए| मुझे लगा की मेरी तीखी बातें सुन अब इन सबको मुझसे दोस्ती नहीं करनी होगी इसलिए मैं अकेली पैदल पारपथ की ओर चलने लगी ताकि दूसरी तरफ पहुँच कर घर के लिए बस पकड़ूँ| लेकिन मुझे अकेले जाते देख रवि बोला; "आप कहाँ जा रहे हो कीर्ति मैडम? मॉल इस तरफ है?"

रवि के टोकने से मैं थोड़ी हैरान थी इसलिए मैं मुड़ कर उसे देखने लगी| तभी शशि मेरे पास आई और मेरा हतः पकड़ कर अपने दोस्तों की तरफ खींच लाई| "ये जो रवि है न इसके परिवार के रूलिंग पार्टी से बहुत अच्छे ताल्लुकात हैं इसलिए ये हर जगह अपनी धौंस दिखाता है| कोई भी काम हो, हर जगह इसकी रंगबाजी चलती है| लेकिन आज से ये सब बंद! आज से हम सब वही कहेंगे जो तू कहेगी!" शशि ने मुझे...एक नई लड़की को अपने ग्रुप की कमान दे दी थी| फिर उसने अपने सभी दोस्ती की तरफ देखा और सभी को चेताते हुए बोली; "और तुम सब भी सुन लो, आज से कोई भी ऐसी लफंडारगिरी नहीं करेगा! आज से बीएस में बिना टिकट लिए ट्रेवल करना बंद!" शशि का आदेश सभी ने राज़ी-ख़ुशी माना और मुझे ग्रुप लीडर की उपाधि दे दी|

उस दिन से 'मेरे दोस्तों' ने कभी बिना टिकट के बस यात्रा नहीं की| ग्रुप में घूमने-घामने के प्लान हम सब आपसी सहमति से बनाते थे मगर मस्तीबाज़ किस हद्द तक करनी है ये बस मैं डिसाइड करती थी!





यूँ घर में बिना बताये दोस्तों के साथ घूमने का ये पहला अनुभव मेरे लिए बड़ा रोमांचकारी था| जहाँ एक तरफ पिताजी द्वारा पकड़े जाने का डर था, तो वहीं दूसरी तरफ थोड़ी देर के लिए ही सही अपनी ज़िंदगी को अपने अनुसार जीने की ख़ुशी भी शामिल थी| इन चंद घंटों के लिए मैं एक आजाद परिंदा थी, जो अपने घर से निकल खुली हवा में साँस ले रहा था|



खैर, मॉल में घुमते हुए हम पहुँचे फिल्म देखने| रवि सबकी टिकट लेने अकेला लाइन में लगा था और बाकी की सभी लड़कियाँ झुण्ड बनाकर गप्पें लगाने में लगी थीं| जब रवि टिकट ले कर आया तो मैंने अपने पर्स से पैसे निकाल कर उसकी ओर बढ़ाये|

बजाए पैसे लेने के वो थोड़ा नाराज़ हो गया और बोला; "देख कीर्ति, जैसे बस में 5 रुपये की टिकट के लिए चिन्दीपना तुझे पसंद नहीं उसी तरह ये खाने-पीने और मौज-मस्ती के लिए पैसे लेना मुझे पसंद नहीं! जब मैं पैसे लाना भूल जाऊँ या फिर हम कोई बड़ी पार्टी करेंगे तब सब की तरह तू भी कॉन्ट्री कर दियो| लेकिन जब तक मैं पैसे न माँगूँ तब तक मुझे पैसे ऑफर मत करियो|" रवि ने थोड़ी सख्ती से अपनी बात रखी थी और उसकी ये सख्ती देख कर मैं थोड़ी डर गई थी|



दरअसल, मैं जिस घर के भीतर पली-बढ़ी थी वहाँ हम किसी के पैसे अपने ऊपर खर्च नहीं करवाते| पिताजी की दिए हुए ये संस्कार मैंने अपने पल्ले बाँधे थे इसीलिए मैं रवि को पैसे दे रही थी|



"ये राजा हरिश्चंद्र स्कूल से ही खुद्दार है!" अंजलि मेरी टाँग खींचते हुए बोली और सभी ने खिलखिलाना शुरू कर दिया|



"सॉरी!" मैंने सबसे कान पकड़ कर माफ़ी माँगी और सभी ने मुझे माफ़ कर बारी-बारी गला लगा लिया| सारी लड़कियाँ मुझसे गले लगीं परन्तु रवि में हिम्मत नहीं थी की वो मेरे गले लगे इसलिए उसने अपनी शराफत दिखाते हुए मुझसे हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया| मैंने बिना कोई शर्म किये रवि से हाथ मिलाया और उसे एक बार फिर "सॉरी" कहा जिसके जवाब में रवि मुस्कुरा दिया|



मानु के बाद ये दूसरा लड़का था जिसे मैंने स्पर्श किया हो| ये ख्याल मन में आते ही मानु की याद ताज़ा हो गई|

जारी रहेगा अगले भाग में!
 
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