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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Killerpanditji(pandit)

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भाग ११


सबका खाना हो चूका था, रमण अब भी अपने की खयालो मैं गम था, रमण इस वक़्त अपने घर की छत पर खड़ा हो कर अपने केस बे बारे मैं सोच रहा था तभी राघव वहा आया

राघव-कालदूत के बारे मैं सोच रहे हो भाई

रमण-ह...क....क्या मैं समझा नहीं?

राघव के अचानक वहा आने और सीधे कालदूत के बारे मैं पूछने से रमण चौका

राघव-आपका नया केस जो आप संभल रहे हो वो कालदूत से जुडा हुआ है न

रमण-हा...पर तुम्हे इसके बारे मैं कैसे पता मैंने तो आज इस बारे मैं घर मैं भी कोई बात नहीं की

राघव ने फिर रमण दिन भर मैं हुयी घटनाओ के बारे मैं बताया और ये भी बताया के कैसे उस माला की मदद से उसके रमण का दिमाग पढ़ा और उसके दादा की किताब और कालदूत के बारे मैं भी रमण साडी बातो को गौर से सुन रहा था

रमण-राघव तुम्हे सच मैं लगता है की कोई कालदूत होगा

राघव-पता नहीं भाई इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं है फिलहाल पर आप बताओ आपको क्या लगता है और इस कालदूत नाम से आपका पला कैसे पडा

रमण ने फिर संतोष से हुयी पूरी बात राघव को बताई और साथ ही अपनी शंका भी की उसे संतोष मैं कुछ गड़बड़ लग रहा है

रमण- राघव मैं नहीं जनता की ये लोग कौन है और कोई कालदूत है भी या नहीं मैं बस इतना जनता हु के ये कुछ दिमाग से विक्षिप्त लोग है जोइस समाज के लिए एक खतरा है और इन्हें अगर यहाँ नहीं रोका गया तो पता नहीं और कितनी जाने जाएँगी

रमण राघव से बात कर रहा था उर राघव कुछ सोच रहा था

रमण-क्या सोच रहे हो

राघव-भाई आप जब उन लडको को वह बचने गए थे तब वह उनके अलावा भी कोई था क्या

रमण-नहीं हमें वह बस संतोष और रोहित की जली हुयी लाश ही मिली और हम संतोष को अपने साथ ले आये

राघव-आपने उस जगह को छान मारा था

रमण-हा मगर हमें वहा कुछ नहीं मिला संतोष ने कहा था के वो लोग दोबारा आयेंगे उसकी बलि देने ऐसा कह कर वह से चले गए थे

राघव-मतलब उनलोगों को पता नहीं था के पुलिस ने संतोष को बचा लिया है, भाई मुझे लगता है वो लोग संतोष की बलि देने वह जरूर आये होंगे उन्हें रेंज हाथ पकड़ा जा सकता था

राघव की बात सुन कर अचानक रमण के दिमाग मैं कुछ आया और वो वहा से उठकर कही जाने लगा

राघव-अरे अचानक कहा चले

रमण- एक काम याद आ गया बस वही पूरा करने

राघव-रुको भाई अकेले मत जाओ मैं भी साथ मैं चलता हु

रमण-तुम क्या करोगे मेरे साथ मै यु गया और आया

राघव-मैं जनता हु भाई तुम किस काम के लिए जा रहे हो मैं तुम्हारे दिमाग मैं झक सकता हु इसीलिए मैं तुम्हारे साथ चलूँगा और अब पहले पुलिस स्टेशन चलो और अपनी टीम को साथ लो क्युकी आगे क्या खतरा आने वाला है हम नहीं जानते

रमण को भी राघव की बात सही लगी और वो उसे साथ लेकर पुलिस स्टेशन की तरफ निकल गया...

रमण राघव पुलिस स्टेशन मैं पहुचे...संतोष अब भी स्टेशन मैं ही था जैसा उसे रमण से कहा था, राघव ने संतोष को देखते ही सबसे पहले उसकी आँखों के जरिये उसके दिमाग मैं झाकने की कोशिश की मगर संतोष पता नहीं क्यों उससे नजरे नहीं मिला रहा था, राघव को कुछ खटका पर अभी उसने इस बात पर धयन नहीं दिया, रमण ने चन्दन और ३ हवलदारो को अपने साथ लिया और उन्हें साडी बात समझाई

संतोष-सर क्या मैं आपके साथ चल सकता हु

रमण-क्या??लेकिन अभी अभी ट्यूम मौत के मुह से बचकर इतनी मुश्किल से आये हो फिर वापिस क्यों जाना चाहते हो

संतोष-उन्होंने मेरे सबसे आचे दोस्त को मारा है इंस्पेक्टर , मुझे उम्मीद है की आप समझोगे मेरी बात

रमण(कुछ सोचकर)-हां, ठीक है तुम आ सकते हो लेकिन ध्यान रहे की हमको सही मौका मिलने तक छिप कर रहना है ये लोग काफी खतरनाक है

संतोष- मैं समझ गया



अँधेरा हो चूका था रमण राघव संतोष और अपनी टीम के साथ उस कब्रिस्तान वाली जगह पर पहुच गया और वो लोग वह छिप कर बैठ गए, इस वक़्त कब्रिस्तान मैं चाँद की रौशनी फैली हुयी थी और वह केवल एक कालसैनिक था, रमण ने आगे बढ़ कर उसके पकड़ना चाह पर राघव ने उसे वही कुछ देर रुक कर इंतजार करने कहा,

कुछ ही देर मैं वहा एक काले रंग की बडी सी वैन आकर रुकि और उसमे से काले चोगे और नकाब वाले कुछ लोग उतरे, वो लोग आपस मैं कुछ बात कर रहे थे और चुकी रमण और बाकि सब पास ही छिपे हुए थे वो उनकी आवाज़ इन लोगो तक पहुच रही थी

व्यक्ति१- मुझे लगता है उन्होंने यहाँ तक हमारा पीछा किया है

व्यक्ति२-तो तयार रहो याद है न पिछली बार क्या हुआ था?

व्यक्ति३- वह देखो वे जानते है की हम यहाँ पर है

ये लोग किस बारे मैं बात कर रहे थे ये रमण और बाकि सबको समझ नहीं आ रहा था लेकिन रमण इतना समझ गया था की इन लोगो को अब तक संतोष के गायब होने का पता नहीं चला है तभी उन्होंने देखा के वहा पर एक सफ़ेद रंग की वैन आकर उस काली वैन के आगे रुकी जिसमे से कुछ लोग उतरे जिनका पहनावा कालसैनिको की तरह था बस कपडे का रंग काले की बजाय नीला था

संतोष(धीमी आवाज मैं)- इनके भी ग्रुप्स है क्या

रमण-मैं भी स्तिथि को समझने का प्रयास कर रहा हु श्श्श...लगता है कुछ बोल रहे है

काले और नीले चोगे वाले आमने सामने थे

व्यक्ति१(नीले चोगे वाला)- लगता है आपने कुर्बानी का इंतजाम कर लिया है, उसे हारे हवाले कीजिये और अपने प्राण बचाइए

ब्यक्ति२(काला)- पिछले २ लोगो को ढूंढने मैं काफी समय लगा है और इसमें हम एक आदमी भी मारा गया है तो बेहतर होगा तुम कुर्बानी भूल जाओ और यहाँ से चलते बनो

व्यक्ति१(नीला)- लगता है तुम ब्लैक हुड वालो को विनम्रता रास नहीं आती तो हमें दूसरा तरीका अपनाना होगा

वहा मौजूद काले और नीले चोगे वाले लोगो ने अपनी बंदूके निकाल की, रमण समझ गया की अगर उन्होंने बीच मैं दखल नहीं दी तो यहाँ भीषण रक्तपात हो जायेगा वो तुरन अपने साथियों को लेकर उन लोगो के सामने पहुच गया जबकि राघव और संतोष अब भी छिपे हुए थे

रमण- freeze everyone freeze और अपनी अपनी बंदूके निचे गिरा दो

वो लोग इस घटना से आश्चर्यचकित जरूर हुए लेकिन तुरंत ही अपने बीच का झगडा भूल कर उन्होने अपनी बंदूके पुलिस की और तान दी और फायर करने लगे, पुलिस ने भी जवाबी हमला किया जिसमे दो पुलिस वाले घायल भी हुए वही रमण ने अपने अचूक निशाने का प्रदर्शन करते हुए कई कालसैनिको की खोपड़ी उदा दी,

अचानक हुए इस हमले से वो लोग घबरा गए और अपनी बंदूके छोड़ कर भागने लगे तभी वहा एक अदभुत घटना घटी

एक काले चोगे वाला कालसैनिक पीछे मुडा और उसने अपना हाथ एक विशेष मुद्रा मैं हवा मैं घुमाया जिसके साथ ही रमण की बन्दूक भी उसके हाथो से छूटती चली गयी, ये देख कर रमण हैरान रह गया उसे समझ नहीं आया की कैसे इस व्यक्ति ने हवा मैं हाथ घुमा कर उसकी बन्दूक उसके हाथ से छुटा दी लेकिन उसे इस बारे मैं ज्यादा सोचने का मौका नहीं मिला क्युकी वो कालसैनिक बेतहाशा भगा जा रहा था

रमण से छलांग लगा कर उसे पकड़ लिया लेकिन उस कालसैनिक मैं बहुत शक्ति थी और रमण का उसे पकडे रखना मुश्किल ताल तभी राघव और संतोष उसकी मदद को वहा आये और संतोष ने एक पत्थर का प्रहार इस कालसैनिक के सर परे किया जिससे उसकी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा और रही सही कसार रमण और राघव के मुक्को ने पूरी कर दी पर इस चक्कर मैं बाकि लोग वहा से भाग गए थे

रमण ने हाँफते हुए संतोष की तरफ देखा

रमण-मदद के लिए शुक्रिया

सभी लोग उस बेहोश कालसैनिक के पास जमा हो गए थे

रमण-राघव इसका नकाब हटाओ मुझे इसका चेहरा देखना है

जैसे ही राघव ने उस कालसैनिक का नकाब हटाया तो संतोष बुरी तरह चौका


संतोष- विक्रांत....!
Mast update bro
 

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भाग १२



संतोष- विक्रांत...!

रमण-तुम जानते हो इसे?

संतोष- ये..ये हमारा दोस्त विक्रांत है सर यही तो हमसे यहाँ मिलने आने वाला था पर...

संतोष दुविधा मैं था, उसे समझ नहीं आ रहा था के विक्रांत ऐसा क्यों करेगा, रमण भी संतोष के मुह से विक्रांत के बारे मैं सुन कर कुछ सोच रहा था और राघव जो हो रहा है उसे समझने की कोशिश कर रहा था उसे फिलहाल इस बात से कोई मतलब नहीं था के ये विक्रांत है या कोई और वो तो बस कुछ समय पहले किये विक्रांत के हाथ हवा मैं हिलाकर बन्दूक गिराने वाले कारनामे के बारे मैं सोच रहा था

विक्रांत के मुह पर पानी फैंककर उसे होश मैं लाया गया, उसके हाथो मैं पहले की हथकडिया लगायी जा चुकी थी ताकि वो भागने की कोशिश न कर सके, विक्रांत होश मैं आते ही जोर जोर से हसने लगा, इस वक़्त वह कोई इंसान नहीं बल्कि पिशाच लग रहा था

संतोष(गुस्से मैं)- तुमने ऐसा क्यों किया विक्रांत? क्यों अपने ही दोस्त की जान ले ली तुमने और तुम्हारे लोगो ने?

विक्रांत- हा हा हा, हाँ मार डाला मैंने उसे, उस कमीने का चक्कर था मेरी बीवी के साथ इसीलिए मैंने मार डाला उसे!

संतोष- तुम्हे कैसे पता, ये...ये तो बहुत समय पहले की बात है

विक्रांत- उसका मेरी बीवी के साथ अफेयर था संतोष ऐसी बात मैं कभी नहीं भूल सकता, मैं नंदिनी के साथ सेटल तो हो गया लेकिन रोहित और उसकी पस्त रिलेशनशिप की सच्चाई जानने के बाद मेरा दिल बुरी तरह से टूट चूका था, मैं डिप्रेशन मैं चला गया था, मैं एक मनोचिकित्सक के पास जाने लगा, जब उसे मेरी स्तिथि का पता चला तब उसने मुझे कुछ लोगो से मिलवाया, वो मनोचिकित्सक खुद कालसेना का सदस्य था, कालसेना से साथ जुड़ने के बाद मुझे पता चला की जिस दुनिया मैं हम रह रहे है वो कितनी खोकली है, कितनी मतलबी है कितनी नकली है और कितना नकली है इसे बनाने वाला भगवान! इसीलिए मैंने अपने लिए नया भगवान ढूंढ लिया जो मुझे वाकई मैं समझता है जो वाकई हमारे पास है और कैद है समुद्रतल की गहराइयों मैं लेकिन एक बाधा थी, हम लोगो को कुछ कुर्बानिया देनी थी ताकि कालदूत हमारा देवता समुद्रतल से बहार आ सके इसलिए हमने निशाना बनाया धर्मगुरूओ, मौलवियों और धार्मिक कार्य मैं संलग्न और लोगो को, ऐसा हमने ये देखने के लिए किया की उनको बचने उनका भगवन आता है या नहीं लेकिन कोई नहीं आया, हा हा हा...हमने उनको रोहित की तरह ही लोहे की जंजीर मैं बांधकर जला दिया लेकिन कोई नहीं आया, रोहित से बदला लेना और कुर्बानी के रिवाज को पूरा करने का परफेक्ट प्लान था मेरे पास, इसीलिए मैंने नंदिनी को बगैर बाते तुम दोनों को यहाँ बुलाया ताकि मैं रोहित को अपने हाथो से मर्टने का आनंद ले सकू और कसम से बता रहा हु संतोष उस कमीने की चीखे सुनकर आग के द्वारा उसके पिघले मांस को देखकर, उसकी छटपटाहट देखकर जो सुकून मिला वो किसी और चीज़ मैं नहीं, तुम तो बेकार ही रस्ते मैं आ गए तुमसे मेरी कोई दुश्मनी नहीं थी लेकिन एक और कुर्बानी ढूंढने मैं समय लग जाता इसीलिए तुमको भी स्वः करने की योगना बनानी पड़ी, आज रोहित की कुर्बानी के साथ ही हमने अलग अलग जगहों पर कई कुर्बानिय दी है और बस बस १ कुर्बानि शेष है जो कि आने वाली पुरनमासी की रात को दी जाएगी और हमारे देवता आजाद होंगे, हा हा हा.

तुम और तुम्हारे लोग मानसिक रूप से विक्षिप्त है जो एक काल्पनिक देवता को पूजते है और उसके नाम पर क़त्ल करते है, इंस्पेक्टर प्लीज इसे यहाँ से ले जाइये न जाने मैं क्या कर दूंगा

रमण-ठीक है पर क्या तुम ठीक हो, खुद को संभल लोगे

संतोष-हम्म

रमण विक्रांत को अपने साथ ले अपनी जीप मैं ले गया साथ मैं वो घायल पुलिस वाले भी थे और एक हवलदार को उसने संतोष को होटल पहुचांने कहा

जिस केस ने रमण को बुरी तरह उलझा रखा था वो केस अब उसके सामने स्पष्ट था, विक्रांत ने बगैर किसी जोर जबरदस्ती के रमण के आगे सब बक दिया था की कैसे इन लोगो ने कई लोगो का अपहरण करके उन्हें जला कर मार दिया था और साथ ही उसने कालसेना के बारे मैं भी कई साडी बाते बताई थी

रमण ने विक्रांत को पुलिस स्टेशन मैं लॉकअप मैं बंद कर दिया और राघव के साथ घर की और निकला, राघव जब से कब्रिस्तान से निकला था तब से चुप चाप था और अब भी जब गाड़ी मैं सिर्फ वो दोनों भाई थे तब भी राघव एकदम चुप था

रमण- राघव क्या हुआ इतने चुप क्यों हो अब तो एक आरोपी पकड़ा गया था जल्द ही इससे और भी जानकारी मिलेंगी, क्या सोच रहे हो

राघव-आप जितना सोच रहे हो ये सब उतना आसान नहीं है भैया, आपसे उस आदमी की बाते नहीं सुनी थी की अब केवल एक कुर्बानी शेष है मैं ये सोच रहा हु की यदि कोई कालदूत सच मैं है और अगर आपने संतोष को बचाया न होता और ये आखरी कुरबानु पूरी हो जाती तो क्या होता

रमण- तुम उसकी बातो पर विश्वास तो नहीं कर रहे?

राघव- विश्वास न करने का एक कारण बताइए, मैंने पछले २४ घंटो मैं बहुत अकल्पनीय चीज़े देखि है भाई और इसका सीधा उदहारण है मेरा घर पर आपका दिमाग पढ़ पाना, आपने कब्रिस्तान मैं उस आदमी ने क्या किया था देखा नहीं था, कैसे उसने बस अपने हाथो के इशारे से आपकी गन गिरा दी थी

अब रमण चुप था, विक्रांत को पकड़ने की जो ख़ुशी उसके मन मैं थी उसे राघव ने एक पल मैं मिटा दिया था

रमण- उस कारनामे से तो मैं भी चौक गया था

राघव-वो तेलेकिनेसिस जनता है भाई मैंने उसकी मानसिक तरंगो को महसूस किया है जो काफी प्रबल है और मेरा मन कहता है के इसके जैसे और भी होंगे

रमण-कहा मैं सोच रहा था की ये केस मैं जल्द से जल्द ख़तम कर दूंगा पर तुम्हारी बातो ने मुझे डरा दिया है

राघव- अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है भाई हम विक्रांत से और भी बहुत साडी बाते जान सकते है बस मुझे उसके दिमाग मैं झाकने की देर है

रमण-तो तुमने ये अभी क्यों नहीं किया

राघव-क्युकी मैं कुछ और सोच रहा हु

रमण-क्या?

राघव-भाई हमारे पास एक महीने का समय है क्युकी जैसा विक्रांत ने बताया अगर वो बात सही है तो आज पुरनमासी की रात है और अगली पुरनमासी को अंतिम कुर्बानी होगी अगर हम किसी तरह ये पता लगा ले की वो अंतिम कुर्बानी किसकी होगी तो हम उस इंसान को बचा सकते है और उसके जरिये इस कालसेना के मुखिया तक भी पहुच सकते है

रमण- पर ये लोग किसीकी भी बलि दे सकते है उस इंसान का पता कैसे लगाये

राघव-किसी की भी नहीं भाई ये लोग जिनकी कुर्बानी देनी होती है उन्हें चुनते है जैसे विक्रांत ने कहा था की धर्मगुरु, और धार्मिक कार्य से जुड़े लोग

रमण- पर अब राजनगर मैं ऐसा कौन है?

राघव-वही तो पता लगाना है कल सुबह विक्रांत से मिल कर आगे क्या करना है देखते है

दोनों बात करते हुए घर पहुच चुके थे वही दूसरी तरफ संतोष अपने होटल पहुच चूका था और ईस्वक्त वो अपने रूम मैं बैठ कुछ सोच रहा था तभी उसका फ़ोन बजा

संतोष- हा काम हो गया है! ब्लैक हुड के एक सदस्य को पुलिस ने पकड़ लिया है...नहीं किसी को मुझपर कोई शक नहीं हुआ लेकिन इस पुरे नाटक मैं मैं मरते मरते बचा हु, अगर वो इंस्पेक्टर सही समय पर नहीं आता तो ये ब्लैक हुड वाले मेरी जान ले लेते लेकिन कोई बात नहीं, हमारे महान उद्देश्य के लिए अगर मेरी जान भी चली जातो तो मुझे कोई अफ़सोस नहीं होता, जय कालसेना, जय कालदूत!


संतोष के चेहरे के भाव बदल चुके थे और अब उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी....
Excellent update
 

Killerpanditji(pandit)

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भाग १३


अगली सुबह रमण जल्दी पुलिस स्टेशन के लिए निकल गया वो विक्रांत से मिल कर जल्द से जल्द उसके मुह से कालसेना के ठिकाने का पता लगाना चाहता था, साथ ही उसके दिमाग मैं संतोष की बताई बाते भी थी, कल संतोष ने उन्हें बताया था के उसके और रोहित के हाथो से एक आदमी का खून हुआ था, रमण ने संतोष से इस घटना की पूरी जानकारी ली और एक सर्च टीम भी उस लाश की तलाश मैं लगायी थी और पुलिस को उस 7 फूट के इंसान की लाश भी मिल गयी थी

विक्रांत को इस वक़्त एक अँधेरे लॉकअप मैं बंद किया हुआ था, उस कमरे मैं केवल एक बल्ब की मधिम रोशनी थी और वो मद्धिम रौशनी उस पुरे कमरे के लिए काफी नहीं थी, रमण और विक्रांत एक दुसरे के सामने लकड़ी की खुर्ची पर बैठे हुए थे, विक्रांत के चेहरे पर पिछली लादे के कारन कई चोटों के निशान थे और उसके हाथो मैं हथकड़ी लगी हुयी थी, उस लॉकअप मैं मौत जैसा सन्नाटा था जिसे रमण की आवाज ने भंग किया

रमण- मैंने हर एक पुलिस वाले तुम्हरू सेल से दूर रहने को कहा है ताकि मैं तुमसे अकेले मैं कुछ पूछताछ कर सकू

विक्रांत- क्या जानना चाहते हो इंस्पेक्टर जो तुम्हे बताना था मैं बता चूका हु इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं बताऊंगा, काफी हिम्मत मैं तुममे तुम भी मेरी तरह कालदूत की भक्ति करो ताकतवर भक्तो की वे कदर करते है

रमण-अपनी बकवास बंद करो और मुझे अपने मुखिया के अड्डे का पता बता दो

विक्रांत(कुटिल मुस्कराहट के साथ)- तुम उसे कभी ढूंढ नहीं पाओगे, एक आखरी कुर्बानी और कालदूत को स्वतंत्र करा देंगे हम लोग

रमण-तुम अंधविश्वासी लोगो से तंग आ गया हु मैं, तुम लोग मानसिक रूप से विक्षिप्त हो

विक्रांत-यानि की तुम्हे लगता है कालदूत सिर्फ एक मिथ्या रचना है? काश मेरे हाथ इस वक़्त खुले होते तो मैं तुम्हे बताता, telekinesis करके तुम्हारी खोपड़ी खोल देता

रमण-मुझे यकीन है की ये जो telekinesis तुम लोग करते हो इसके पीछे भी अवश्य कोई वैज्ञानिक कारण होगा,

विक्रांत-गलत इंस्पेक्टर, हमारे देवता ने हमें ये शक्तिया दी है

रमण-यानि कालदूत ने? वो इतना ही शक्तिशाली है तो अपनी कैद से खुद आजाद क्यों नहीं हो जाता? उसे तुम लोगो की जरुरत क्यों है?

विक्रांत-चाहे कोई भी आराध्य देव हो, उसे अपने भक्तो की शक्ति की जरुरत होती है जैसे तुम्हारे इश्वर को तुम्हारी भक्ति की अवशकता है वैसे ही हमारे इश्वर को हमारी भक्ति की अवशकता है, कालदूत तुम्हारे देवताओ के शाराप के कारन युगों युगांतर से समुद्रतल की गहराइयों मैं कैद है, उनको आत्माओ की शक्त चाहिए जिससे वो अपने बन्धनों से आजाद हो सके, बस एक इंसानी रूह और हमारा देवता समुद्रतल से धरातल पर आ जायेगा, हमारी १००० वर्षो की तपस्या रंग लाएगी

रमण- बस बहुत हुआ मैं तुम्हारी बकवास और नहीं सुनूंगा, तुम्हारा तथाकथित भगवान आजाद होगा या नहीं मैं नहीं जनता पर इतना जरूर जनता हु की तुम अब इस चारदीवारी से कभी बहार की दुनिया नहीं देख पाओगे,

रमण बहार आकर अपने केबिन मैं बैठा हुआ था, विक्रांत की बातो ने उसके दिमाग को विचलित किया हुआ था,

वही घर पर राघव इस समय ध्यान लगाये बैठा था और कल से उसने जितनी भी बाते उसने कालसेना और कालदूत के बारे मैं देखि और सुनी थी उन सबका आकलन अपने दिमाग मैं कर रहा था

राघव के दादाजी की उस सिद्ध माला का असर इतना जबरदस्त था की जिसे पहनते ही राघव की सुनने की क्षमता बढ़ गयी थी वो अगर पूर्ण एकाग्र होकर किसी आवाज पर धयान लगाये तो करीब १ किलोमीटर तक की आवाज सुन सकता था और अपनी इस काबिलियत का पता उसे कल शाम ही चला था जब उन्होंने विक्रांत को पकड़ा था तब राघव को कुछ लोगो की अस्पष्ट आवाजे आये थी जो जंगल मैं किसी ठिकाने की बात कर रहे थे, राघव ने जब आजू बाजु मैं नजर दौडाई तो उसे वहा कोई नहीं दिखा और फिर विक्रांत की बातो ने उसका ध्यान अपनी और खीचा था, इस वक़्त राघव अपना मस्तिष्क एकाग्र करके उन्ही आवाजो को स्पष्ट करने की कोशिश कर रहा था पर उसका कोई खास फायदा नहीं हो रहा था आखिर मैं उसे उन आवाजो से जो इन्फो मिली थी उसी के सहारे उसने आगे जाने का सोचा, राघव ने अपना ध्यान समाप्त किया और बगैर किसी को बताये घर से निकल गया, कहा जाना है वो नहीं जनता था बस उन अनजान आवाजो से उसे एक ठिकाने का पता चला था और राघव उसी की खोज मैं निकला....

राघव ने अपनी खोज की शुरुवात कल की घटना वाली जगह से करने की सोच और वो जंगल मैं उस पुराने कब्रिस्तान मैं पहुच गया पर कल ही तरह उसे आज भी वहा कुछ नहीं मिला तभी उसे कुछ दुरी पर कदमो की हलकी हलकी आवाजे सुने दी और राघव ने उनका पीछा किया, वो कदमो की आवाजे उसे जंगल के दूसरी तरफ वाले बहरी इलाके की और ले आयी,

जंगल के बहार वीरान इकले मैं एक दो मंजिला इमारत बनी हुयी थी और इस दो मंजिला ईमारत मैं कुछ हलचल हो रही थी, उस इमारत की सुरक्षा के लिए कुछ १०-१२ लोग हाथ मैं बन्दूक लिए बहार तैनात खड़े थे राघव कुछ समझ नहीं पा रहा था, उसने कभी सपने मैं भी नहीं सोचा था की उसके शहर के बहार उसे ऐसा कुछ देखने मिलेगा, राघव ने अब अपनी दूर का सुनने की काबिलियत का इस्तमाल करने का सोचा और वही छिप कर उस इमारत से आती आवाजो पर ध्यान केन्द्रित किया,

उस इमारत के उपरी हिस्से मैं एक बहुत ही आलिशान शयनकक्ष बना हुआ था वहा बिस्तर पर एक व्यक्ति चिंता की मुद्रा मैं बैठा हुआ था, लगभग ३५ की उम्र और बलिष्ट शारीर वाला वो व्यक्ति जिसकी दाढ़ी उसकी छाती तक आ रही थी, चेहरा दाढ़ी से ढका हुआ लेकिन बहुत प्रभावशाली था, जीन्स और ढीली ढली बनियान पहने वो व्यक्ति ठोड़ी पर हाथ रखकर किसी गहन चिंतन मैं डूबा हुआ था, घडी की टिक टिक उस शांत कमरे की शांति को भंग कर रही थी तभी उस कमरे मैं एक खबसूरत महिला आई और व्यक्ति की तन्द्रा को उसके कंधे पर हाथ रखकर भंग कर दिया.....


To be continue......
Fabulous update
 

Killerpanditji(pandit)

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भाग १४



राघव अपने ध्यान मैं उस इमारत की आवाजे सुनने की कोशिश कर रहा था, उसे इस जगह पर ये इमारत और ये लोग देख के अचंभा भा था क्युकी उसने नहीं सोचा था की शहर के इस इलाके या यु अकाहे की जंगल की तरफ कोई रह सकता है वो जानना चाहता था की ये लोग कौन है पर उसे क्या पता था की जिन लोगो की तलाश मैं वो निकला है किस्मत उसे वही ले आई है

उस इमारत के उपरी हिस्से मैं एक बहुत ही आलिशान शयनकक्ष बना हुआ था वहा बिस्तर पर एक व्यक्ति चिंता की मुद्रा मैं बैठा हुआ था, लगभग ३५ की उम्र और बलिष्ट शारीर वाला वो व्यक्ति जिसकी दाढ़ी उसकी छाती तक आ रही थी, चेहरा दाढ़ी से ढका हुआ लेकिन बहुत प्रभावशाली था, जीन्स और ढीली ढली बनियान पहने वो व्यक्ति ठोड़ी पर हाथ रखकर किसी गहन चिंतन मैं डूबा हुआ था, घडी की टिक टिक उस शांत कमरे की शांति को भंग कर रही थी तभी उस कमरे मैं एक खबसूरत महिला आई और व्यक्ति की तन्द्रा को उसके कंधे पर हाथ रखकर भंग कर दिया.

सारा-क्या कल की घटना को लेकर अभी तक चिंतित हो?

सुशेन-कल हमारे एक आदमी को पुलिस ने पकड़ लिया

सारा-चिंता मत करो विक्रांत अपना मुह कभी नहीं खोलेगा

सुशेन- मुझे उसकी चिंता नहीं है, मैं जनता हु विक्रांत अपना मुह नहीं खोलेगा मुझेतो एक बात समझ मैं नहीं आ रही है की ये ब्लू हुड वालो को कैसे पता चला की हम उस जगह अंतिम कुर्बानी देने वाले थे?

सारा-हा, पूरा प्लान एकदम सही था, कल के दिन हमने इतनी साडी कुर्बानिय दी और बस एक अंतिम कुर्बानी देनी बची थी लेकिन ब्लू हुड और पुलिस दोनों हमारी लोकेशन जान गए

सुशेन- हमारा एक आदमी अब इंस्पेक्टर रमण की गिरफ्त मैं है

सरह-ये रमण आजकल कुछ ज्यादा ही तंग कर रहा है तुम्हे हनी

सुशेन- इसका भी बंदोबस्त जल्द ही होगा सारा इसे भी भगवान कालदूत के काम मैं रोड़ा बनने की सजा मिलेगी

तभी एक २७ वर्ष का लड़का तेजी से दौड़ते हुए कमरे मैं आया,उसके चेहरे पर चिंता साफ़ झलक रही थी और उसका पूरा चेहरा पसीने से भरा हुआ था

सुशेन(गुस्से से )- क्या है सिद्धार्थ? क्या हुआ जो तुमने दरवाजा खटखटाना जरुरी नहीं समझा

सिद्धार्थ-क्षमा करे लेकिन बात ही कुछ ऐसी है की..

सुशेन-क्या बात है

सिद्धार्थ-हमारे ब्लैक हुड का एक कालसैनिक रमेश जंगल मैं मरा पड़ा मिला है, पुलिस ने लाश बरामद कर ली है

सारा(चौक कर)- क्या! पर उसे कौन मार सकता है?

सुशेन-सामान्य व्यक्ति के लिए रमेश को मारना बड़ा मुश्किल था क्युकी रमेश telekinesis का अच्छा ज्ञाता है

सारा-तो क्या ये ब्लू हुड का काम हो सकता है ?

सुशेन-इशारा तो इसी तरफ है हर चीज़ का, मुझे अपने छोटे भाई से बात करनी होगी

सारा-तुम्हारा भाई शक्ति आखिर ऐसा कर क्यों रहा है? कालदूत की पूजा तो हम सबको मिलकर करनी चाहिए चाहे वो ब्लैक हुड हो या ब्लू हुड, कालदूत हम सबके आराध्य देव है

सुशेन (गहरी सास लेकर)- जैसा की तुम्हे पता है की कालसेना के मुखिया की मृतु होने पर मुखिया के पद के लिए कालसेना के सबसे काबिल सदस्यों के बीच जंग होती है, ये पद हमेशा से मेरे परिवार के पास रहा है क्युकी तंत्र, मंत्र और telekinesis मैं हमसे अच्छा ज्ञाता कोई नहीं है, जब पिताजी की मृतु हुयी तब मैंने भी हर शक्तिशाली कालसैनिक से लड़ कर ये पद जीता है लेकिन मुझे बराबर की चुनौती अगर किसी से मिली तो मेरे खुद भाई से, शक्ति से....लेकिन जब काफी समय तक लड़ते रहने के बाद भी हमारे बीच कोई हल नहीं निकला तो पूरी कालसेना के बीच मतदान कराया गया, उसमे भी ७५% लोगो ने मुझे ही अपना मुखिया चुना लेकिन शक्ति को ये गवारा नहीं हुआ और वो अपने २५% समर्थक लेकर कालसेना से अलग हो गया और तबसे ये कालसेना दो भागो मैं बट गयी...ब्लैक हुड और ब्लू हुड

सारा- एक मिनट! मुझे तो लगा था के ब्लू हुड और ब्लैक हुड को उगम एक साथ हुआ है

सुशेन-नहीं सारा! ब्लैक हुड जो की मुख्या रूप से कालसेना कहा जाता है उसकी स्थापना मेरे महँ पूर्वज बिरजू नाम के एक नाविक ने १००० साल पहले की थी जबकि बलुद हुड अभी ६ साल पहले बना है जिसे मेरे भाई शक्ति ने बनाया है, तुम ये सब बाते नहीं जानती क्युकी तब तुम हमारे साथ नहीं थी बाद मैं आई हो

सिद्धार्थ-तो...आपको लगता है के रमेश को बलौर हुड के लोगो ने मारा है?

सुशेन-मुझे शक्ति से इस बारे मैं बात करनी होगी तभी मैं कुछ कह पाउँगा मुझे उससे मिलना होगा

सारा-पर तुम अकेले नहीं जाओगे सिद्धार्थ भी तुम्हारे साथ जायेगा

सुशेन- ठीक है उसके पहले सिद्धार्थ तुम ब्लू हुड से संपर्क करो और उन्हें मिलने की जगह बताओ

सिद्धार्थ- ठीक है

उसके बाद सिद्धार्थ ने ब्लू हुड के लोगो से फ़ोन पर बात की और उन्हें सुशेन की बताई जगह पर मिलने बुलाया,

राघव जो उस इमारत से कुछ दुरी पर बैठा था उसने अपनी शक्ति के इस्तमाल से ये सारी बाते सुनी थी, राघव ने अनजाने मैं ही कालसेना के मुखिया का पता लगा लिया था साथ ही उसे ये भी पता चल गया था की १००० वर्षो पुराणी इस कालसेना मैं फूट गिरी है, इसके लोग आपस मैं ही एकदूसरे को पसंद नहीं करते और इसका उदहारण भी वो पिछली रात को देख चूका था जब भैक और बलुद हुड के लोगो ने एकदूसरे पर बन्दूक तानी हुयी थी,

अब राघव ने वहा से न हटने की ठान ली वो अब इस कालसेना को पूरी तरह से जानना चाहता था इनकी शक्तियों के बारे मैं पता लगाना चाहता था, कुछ समय बाद राघव को उस घर मैं कुछ हलचल होती दिखी वहा उस घर के बहार कुछ काले रंग की कार आकर खडी हुयी और उसमे एक कालसैनिक कुछ सामान रखने लगा जिसके बाद वो अंदर चला गया, इस वक़्त घर के बहार पहरा देने केवल एक आदमी खड़ा था और वो हर दिशा मैं घूम कर निगरानी कर रहा था, बाकि सब लोगो अंदर बुलाया गया था, अंदर कोई मीटिंग चल रही थी


राघव ने इसी बात का फायदा उठाया और बगैर किसी की नजर मैं आये cctv कैमरे से बचते हुए वो एक कार की डिक्की मैं जाकर छिप गया, कुछ समय बाद कुछ कालसैनिक आकर उस गाड़ी मैं बैठे और मीटिंग वाली जगह की और निकल गए.....
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Killerpanditji(pandit)

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भाग १५

सुशेन सिद्धार्ट को साथ लेकर अपनी कार से अपने भाई शक्ति से मिलने निकल गया

सिद्धार्थ- सर क्या आपको सचमे लगता है के रमेश को मारने मैं ब्लू हुड वालो का हाथ है

सुशेन- कभी कभी जो हम सोचते है वो सही नहीं होता सिद्धार्थ, मैं ये नहीं कहता की मेरा भाई ऐसा नहीं कर सकता मगर मेरी चिंता का विषय शक्ति नहीं है, जितना मैं मेरे भाई को जानता हु उस हिसाब से शक्ति ने अगर रमेश को मारा होता तो वो ये काम छिपकर नहीं करता बल्कि बता कर करता, शक्ति कायर नहीं,

सिद्धार्थ-तो आपके हिसाब से ये काम ब्लू हुड का नहीं है

सुशेन-हम सिर्फ चीजों का अनुमान लगा सकते है सिद्धार्थ और मेरा यकीं करो अगर रमेश की हत्या मैं कही भी ब्लू हुड शामिल रहा तो मैं शक्ति समेत सरे ब्लू हुड को ख़तम कर दूंगा, पर फिलहाल मुझे एक और बात ने परेशां किया हुआ है

सिद्धार्थ-किस बात ने?

सुशेन-बात ऐसी है की सिर्फ रमेश ही नहीं मरा है और भी कई लोग मरे है..

सिद्धार्थ- क्या?कौन? कैसे?

सुशेन- ये कालसेना काफी बडी है सिद्धार्थ, हमारे लोग साडी दुनिया मैं मौजूद है और कालदूत की भक्ति करते है, कालसेना के मुखिया को एक शक्ति विरासत मैं मिलती है....चुकी अभी मैं इस कालसेना का मुखिया हु तो हर कालसैनिक प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मेरी मानसिक तरंगो से जुडा हुआ है और मेरे जरिये भगवन कालदूत से फिर वो चाहे ब्लैक हुड हो या ब्लू हुड, कालदूत हमें इसी माध्यम से शक्तिया प्रदान करते है, पिछले कुछ दिनों मैं मैंने अपनी इन मानसिक तरंगो मैं थोड़ी कमी महसूस की है, जब मैंने इसकी छानबीन की तोमैने पाया की हमारे कई कालसैनिक दुनिया के अलग अलग कोनो मैं मरे पाए गए है, पिछले कुछ दिनों मैं हमने जितनी भी बलिया दी है उससे कई ज्यादा अपने लोगो को खोया है, कोई तो है जो सालो से छिपी हमारी कालसेना से बारे मैं जानता है और हमपर पीछे से वार कर रहा है ताकि हमें कमजोर कर सके और उसका यु छिपा होना ही मेरे लिए सबसे बडी चिंता का विषय है....

सिद्धार्थ-ये तो काफी गंभीर बात है

सुशेन-इसीलिए मैं शक्ति से मिलना चाहता हु ताकि आपसी मतभेद मिटा कर कालसेना को और भी मजबूत कर सकू.....

डिक्की मैं छुपा राघव सुशेन और सिद्धार्थ की बाते सुन रहा था, उसे सुशेन की बाते सुन कर आश्चर्य और ख़ुशी हो रही थी...आश्चर्य इस बात का की जहा उसे कालसेना और कालदूत के बारे मैं कुछ ही दिन पहले पता चला था वही इस दुनिया मैं कोई ऐसा था जो स कालसेना से मुकाबला कर रहा था और उसके लोगो को मार भी रहा था और ख़ुशी इस बात की की इस लडाई मैं वो अकेला नहीं था, उसके दादाजी की लिखी बात उसे याद आ गयी की इस लडाई मैं उसे और भी लोगो की जरुरत होगी और शायद ये वही लोग थे जिनके बारे मैं सुशेन बात कर रहा था.....

कुछ समय बाद....

शहर के बाहर एक सुनसान इलाके मैं सन्नाटे को चीरती हुयी सफ़ेद रंग और काले रंग की गाडिया आमने सामने जा खड़ी हुई, काले रंग की गाड़ी से सुशेन और सिद्धार्थ निकले और सफ़ेद रंग की गाड़ी से शक्ति जो की सिद्धार्थ की ही उम्र का था, बाहर आया, राघव अब भी गाड़ी की डिक्की मैं छिपा हुआ था, वो सुन सब सकता था पर किसी को देख नहीं सकता था,

शक्ति- बहुत दिनों बाद मिले बड़े भाई

सुशेन-तुमने ऐसा क्यों किया शक्ति? तुमने रमेश को क्यों मारा?

शक्ति(हतप्रभ होकर)- क्या? मैंने किसी को नहीं मारा!

सुशेन(क्रोध मैं)- बहुत हुआ! पहले तुम्हारे लोगो ने कब्रिस्तान मैं आखरी कुर्बानी होने नहीं दी फिर तुम्हारी वजह से मेरा एक आदमी विक्रांत पुलिस कस्टडी मैं है और अब ये क़त्ल!

शक्ति- क्या बकवास कर रहे हो भाई, तुम अच्छी तरह जानते हो शक्ति जो भी करता है डंके की चोट पर करता है ऐसे कायरो की तरह छिप कर वार नहीं करता और हा वो आखरी कुर्बानी जिसकी तुम बात कर रहे हो वो मेरा ही आदमी था...संतोष!

सुशेन-क्या?

सुशेन की तरह राघव भी इस बात से काफी हैरान हो गया था....

शक्ति-हा, दरअसल लगातार हो रहे अपहरणों और हत्याओ की वजह से पुलिस ने जगह जगह घेराबंदी कर राखी थी इसीलिए मैंने संतोष को अपने किसी जान पहचान वाले को कुर्बानी के लिए लाने कहा क्युकी उसकी मौत से इतना हल्ला भी नहीं मचता लेकिन मेरे कुछ करने से पहले ही तुम्हारे आदमी विक्रांत ने जाकर दोनों को पकड़ लिया, रोहित को तो उसने मार दिया लेकिन किस्मत से संतोष बच गया, हम कुछ करते इससे पहले ही उस इंस्पेक्टर ने उसे बचा लिया

सुशेन- पर तुमको कैसे पता चला की हमने रोहित और संतोष को कहा रखा है

शक्ति-विक्रांत की बीवी हमारे ब्लू हुड की मेम्बर है

सुशेन- या? मतलब तुम्हे नंदिनी के जरिये विक्रांत और हमारी सारी गुप्त खबरे मिलती थी

शक्ति- सारी तो नहीं लेकिन थोडा बहुत पता चल ही जाता था, जब विक्रांत का अचानक राजनगर आने का प्लान बना तभी नंदिनी ने हमको सतर्क कर दिया था, दरअसल विक्रांत और नंदिनी अपने आपसी रिश्ते के कारन बहुत परेशां थे और कई बार बात तलाक तक पहुच चुकी थी, जब तुमने विक्रांत को ब्लैक हुड मैं शमिल किया तभी मैंने नंदिनी को ब्लू हुड का सदस्य बनाया, इसके लिए मुझे ज्यादा म्हणत भी नहीं करनी पड़ी, नंदिनी जानती थी की विक्रांत ब्लैक हुड का मेम्बर है जबकि विक्रांत नंदिनी की सच्चाई के बारे मैं अनजान था, एक ही छत के निचे दो अलग अलग दलों के सदस्य रह रहे थे और जहा तक बात पुलिस की है तो तुम्हारा आदमी विक्रांत अपनी मुर्खता की वजह से पकड़ा गया है

सुशेन- लेकिन.....

सुशेन कुछ बोलता तभी अचानक शक्ति का फ़ोन बजा, उसने फ़ोन उठाया लेकिन कुछ सुनने के बाद एकदम हैरान रह गया

सुशेन-क्या हुआ?

शक्ति- मेरे दो लोगो को किसी ने एक पेड़ पर फासी से तांग दिया है

सुशेन-ये सब आखिर हो क्या रहा है? हम कालसेना है हमें मारने की हिम्मत किसमे आ गयी वो भी इतना चोरी छिपे और इतनी सफाई के साथ?

शक्ति-लोगो को मारते वक़्त कभी ये ख्याल आया ही नहीं की हम भी मारे जा सकते है, हमें लगने लगा था की कालदूत के भक्त होने के कारन हम अभेद्द है लेकिन अब इस बात पर मुझे संशय होने लगा है

सुशेन-किसी भी प्रकार के संशय मैं मत रहो छोटे भाई, कालदूत के भक्त भले ही संख्या मैं कम हो लेकिन सबसे शक्तिशाली थे और सबसे शक्तिशाली रहेंगे, हमारे दल के कुछ लोग मरे गए इसका ये अर्थ नहीं की पूरी कालसेना कमजोर है, ये जो कोई भी है इसे अपने किये की भरी कीमत चुकानी पड़ेगी, हमारे बिच मतभेद हो सकते है लेकिन किसी भी बाहरी समस्या से लड़ने के लिए हमें एकजुट हो जाना चाहिए

शक्ति-सही कहा तुमने भाई, आखरी कुर्बानी कोई भी दे बस कालदूत का जागना आवश्यक है, अभी मैं चलता हु कुछ होगा तो खबर कर दूंगा

सुशेन- ठीक है

शक्ति अपनी सफ़ेद गाडी मैं बैठकर निकल गया और सुशेन भी अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ा ही था की तभी अचानक उसके कानो को हवा मैं एक तेज सरसराहट की आवाज सुने दी, उसने देखा की एक तेज धार चाकू गाड़ी के पास खड़े असावधान सिद्धार्थ की ओर तेजी से बढ रहा है, सुशेन ने तुरंत अपना हाथ उठाया और telekinesis द्वारा उस चाकू को हवा मैं ही रोक दिया फिर सुशेन और सिद्धार्थ दौड़ कर उस दिशा मैं गए जहा से चाकू आया था पर वहा उन्हें कोई नहीं मिला जिसके बाद वो वापिस गाड़ी के पास आये

सुशेन-तुम ठीक हो न लड़के?

सिद्धार्थ-ज..जी,, ये चाकू मैं कुछ लगा है?

तब सुशेन का ध्यान गया की चाकू मैं एक छोटा कागज का टुकड़ा लगा हुआ है, उसने चाकू उठाकर कागज का टुकड़ा उसकी नोक से बाहर निकाला, उसपर लिखा था “दो घंटे मे हीरालाल रेस्टोरंट आ जाओ, जिसे तुम धुंध रहे हो वो मैं ही हु” ये पढ़ते ही सुशेन की आँखें क्रोध से लाल हो गयी

सिद्धार्थ-क्या हुआ?

सुशेन-उसकी इतनी हिम्मत? मेरे लोगो को मारकर मुझे ही रेस्टोरंट मैं बुलाता है

सिद्धार्थ-कौन है ये?

सुशेन-वही, ब्लैक और ब्लू हुड के लोगो का कातिल

सिद्धार्थ-मैं चलता हु आपके साथ

सुशेन-नहीं तुम वापस जाओ मैं अकेले जाऊंगा

सिद्धार्थ-लेकिन सर....

सुशेन-मैंने कहा न जाओ मुझे कुछ नहीं होगा, जाओ...


सिद्धार्थ चला गया और सुशेन गाड़ी लेकर हीरालाल रेस्टोरेंट की तरफ बढ़ गया और उसकी के साथ राघव भी......
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Raj_sharma

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*आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं , हम सब ईश्वर से यही कामना करते हैं कि आने वाला प्रत्येक दिन आपके जीवन में अनेकानेक सफलता एवं खुशियां लेकर आए ,इस पावन पर्व पर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह वैभव, उन्नति, प्रगति, आदर्श विचार, उत्तम स्वास्थ्य, प्रसिद्धि एवं समृद्धि के साथ आपको जीवन पथ पर निरन्तर गतिमान रखे ,होली की हार्दिक शुभकामनाएं..!!
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sunoanuj

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Sabhi ko holi ki bahut bahut shubhkaamnaaein....
 

Naik

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भाग ३२



सभी लोग अब जेट मैं आ चुके थे, जेट के सामने की तरफ दो सीट लगी गयी थी जिसपर दो सफ़ेद हेलमेट पहने पायलट बैठे हुए थे, अंदर से जेट काफी बड़ा था और सभी के बैठने के लिए वहा पर्याप्त जगह थी

अंदर घुसते ही अविनाश ने पायलट से पूछा

अविनाश-और भाई रामदीन क्या हाल है?

रामदीन-अभीत तक तो सब बढ़िया ही है साब आगे कालदूत से भिड़ने के बाद का पता नहीं

अविनाश(हसकर)- चिंता मत करो इस आर्गेनाईजेशन मे रहने का यही तो फायदा है की मेंबर्स के मरने के बाद उनके परिवार की देख रेख आर्गेनाईजेशन करता है तो तुम्हारे बीवी बच्चे आराम से पल जायेंगे

रामदीन- क्या साब आप तो अभी से हमारे मरने की दुआ कर रहे है खैर अब जरा सीट पर जाकर बैठ जाइये वरना जेट इतनी स्पीड से उड़ेगा की सीधा छत फाड़ कर बाहर निकल जायेंगे

इसके बाद सभी अपनी अपनी जगह बैठ गए और उन्होंने सीटबेल्ट लगा ली और जेट चलना शुरू हुआ, पहले वो हवा मे धीरे धीरे उपर उठा और फिर एक निश्चित ऊचाई पर पहुच कर ‘सांय’ से हवा को काटता हुआ आकाश मैं उड़ने लगा और इसी के साथ रामदीन के एक बटन दबाया दिया जिससे जेट वापस अदृश्य हो चूका हा, हालाँकि सभी ने सीटबेल्ट पहन राखी थी फिर भी वो जेट की अपीड को महसूस कर पा रहे थे

रूद्र-तो अब क्या प्लान है?

रूद्र की बात सुनकर अविनाश ने मुस्कुराकर अपना पास रखा एक काला सा बैग निकाला

रमण-अरे! ये बैग तो तुम्हारे पास पहले नहीं था तो क्या तुम्हारी आर्गेनाईजेशन ने जेट के साथ इसे भी भेजा है

अविनाश-बिलकुल सही

बैग के अंदर एक गिटार के बराबर का यंत्र रखा हुआ था जो दिखने मैं बहुत ही खतरनाक लग रहा था उसने बहुत से छोटे छोटे खांचे बने हुए थे और अंत मैं एक ट्रिगर जिससे उसे संचालित किया जा सकता था

राघव-ये क्या है?

अविनाश-इसे हमलोग गेटवे कहते है

रमण-ऐसा यंत्र न पहले कभी देखा न सुना

चेतन-आप इसके बारे मैं जान भी नहीं सकते थे ये हिडन वारियर्स के उन गुप्त हथियारों मैं से है जो पूरी पृथ्वी को ख़तम करने की ताकत रखते है इसीलिए उन्हें दुनिया की नजरो से बचाकर रखना भी हमारी जिम्मेदारी है

संजय-लेकिन ये काम कैसे करता है?

चेतन-आपलोगों ने ब्लैक होल के बारे मैं सुना ही होगा

राघव-हा अंतरिक्ष वो विशेष हिस्सा जहा गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी सघन होती है जो ठोस वस्तुओ के साथ साथ प्रकाश को भी अपने भीतर कैद करने की क्षमता रखता है लेकिन उसका इससे क्या लेना देना

अविनाश-लेना देना इसीलिए की हमारा ये शस्त्र कुछ समय के लिए कृत्रिम ब्लैक होल उत्पन्न करने की क्षमता रखता है

रूद्र-पर ये कैसे संभव है अंतरिक्ष मैं तो ब्लैक होल किसी तारे से फटने से सुपरनोवा द्वारा उत्पन्न होता है तुमलोग भला इससे ब्लैक होल कैसे पैदा करोगे

चेतन-जब हमने इसके बारे मैं पहली बार सुना था की ये ब्लैक होल उत्पन्न करता है तो हम भी चौक गए थे लेकिन पहली बात तो ये है की ये एक कृत्रिम ब्लैक होल पैदा करता है जिसकी वस्तुओ को अपने भीतर खींचने की क्षमता असली से बहुत कम होती है और दूसरी बात की ये ब्लैक होल मात्र कुछ क्षणों के लिए प्रकट होता है जिससे कुछ ज्यादा नुकसान नहीं फ़ैल सकता, आइंस्टीन की थ्योरी of रिलेटिविटी के अनुसार अगर हम किसी स्पेस को मत्तेर द्वारा इतना अधिक डिसटॉर्ट करदेते है की सघन गुरुत्वाकर्षण के कारण प्रकाश भी उस जगह पर कैद होकर रह जाता है तब उस जगह पर ब्लैक होल उत्पन्न करना संभव है बस इसी सिद्धांत पर ये यंत्र कम करता है, कालदूत बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो सकता है पर अगर हम इस यंत्र का उपयोग उसे ब्लैक होल के अंदर खींचने के लिए करे तो क्या वो उसे रोक पायेगा? शायद नहीं क्युकी शक्तिशाली से शक्तिशाली प्रन्नी या उर्जा भी ब्लैक होल का विरोध नहीं कर सकती

रमण-क्या तुमलोगों ने पहले भी इसका इस्तमाल किया है कभी?

अविनाश-नहीं उसका कभी मौका नहीं मिला क्युकी इतनी खतरनाक मुसीबत कभी हिडन वारियर्स के सामने आयी ही नहीं की इतने उच्च कोटि के हथीयार का प्रयोग किया जा सके लेकिन ये पूरी तरह काम करता है इसकी गारंटी हम लेते है

रमण-बात काम करने की नहीं है सवाल तो ये है की इससे पैदा हुआ ब्लैक होल वापिस नष्ट कैसे होगा?

रमण का सवाल वाजिब था जिसे सुन कर चेतन और अविनाश एकदूसरे का मुह ताकने लगे

रमण-तो तुमलोग ब्लैक होल उत्पन्न करोगे लेकिन इसे बंद करने का तरीका तुम्हारे पास नहीं है

चेतन-वो अपने आप ही कुछ क्षणों के लियेखुलकर बंद हो जायेगा.......जहा तक हमें लगता है

रूद्र-पक्के तौर पर कहो चेतन

अविनाश-देखिये मैं आप सबकी चिंता समझ रहा हु लेकिन ये हमारे पास आखरी मौका है कालदूत को रोकने का हम हिडन वारियर्स आज तक भुत प्रेत दायाँ चुड़ैल आदि इत्यादि से लडे है पर अपने हथियारों के बल पर उन्हें हराया भी है लेकिन इतने शक्तिशाली शत्रु से हम्मर कभी सामना नहीं हुआ है, हमारे साथी राहुल की थथ्योरी के हिसाब से ये कृत्रिम ब्लैक होल कुछ मिनटों के लिए खुलेगा और अपने आसपास की चीज़ खिंच कर बंद हो जायेगा

रमण(क्रोधित होकर)- थ्योरी! यहाँ मानवता डाव पर लगी है और तुम्हे एक थ्योरी पर भरोसा है? क्या पता ब्लैक होल बंद न हो और पूरी पृथ्वी को अपने अंदर खिंच ले

चेतन-पर ऐसे हमारे पास एक मौका तो है कालदूत के होते हुए पृथ्वी वैसे भी सुरक्षित नहीं है

राघव-बकवास मत करो चेतन ये दो धारी तलवार पर चलने के सामान है क्या तुम्हे मुझ्कर और रूद्र पर भरोसा नहीं है, तुम हरामी ताकत जानते हो भले ही कालदूत हमसे ज्यादा शक्तिशाली है पर अगर हम साथ है तो उसे हरा सकते है हथीयार रख दो हम कोई दूसरा रास्ता निकालेंगे

शिवानी-तुम्हे हमारी बात कर भरोसा नहीं है

राघव-तुमपर भरोसा है पर इस हथीयार पर नहीं है

जेट गुजरात पहुचने वाला था और साथ ही इन लोगो की आपसी बहस ने भी विकराल रूप धारण कर लिया था

चेतन-हमारे पास दुनिया को बचाने का ये आखरी विकल्प है तुम लोग समझ क्यों नहीं रहे हो

राघव-दुनिया को बचाने के लिए उसे ख़तम करने वाले हथीयार का इस्तमाल कभी आखरी विकल्प नहीं हो सकता, दुनिया को बचाने के कोई और रास्ता खोज लिया जाएगा

चेतन-जब तक हम दूसरा रास्ता खोजेंगे कालदूत पृथ्वी को नरक बना देगा

अविनाश-बस बहुत हुयी बहस! यहा हमें पता नहीं है की कालदूत कितनी तभी मचा चूका है और तुम लोग दुसरे विकल्प की बात कर रहे हो? हम यही हथीयार इस्तमाल करेंगे और तुम ल्लोग हमें नहीं रोक सकते

राघव(गुस्से से)- अगर यही बात है तो ठीक है फिर करो मुझसे मुकाबला! एक कालदूत की दुनिया को नष्ट करने पर आमदा है लेकिन तुम्हारा हथीयार उम्मीद देने के बजाय रही सही उम्मीद भी ख़तम कर देगा मैं अभी इसे उठाकर इस जेट से बाहर फेक देता ही

राघव ने अपना सीट बेल्ट खोला और अविनाश की तरफ बढा तभी अविनाश ने अपनी जेब से एक छोटा सा पेन जैसा कुछ निकला और उसपर लगा बटन दबाया जिससे एक विशेष प्रकार का धातुई जल निकला और उसने राघव को जकड लिया और उसे सीट से बाँध दिया जिसे देख कर रूद्र भी तैश में आ गया और उसने अविनाश पर प्रहार करना चाहा पर उसके पहले वो भी उसी धातुई जाल मैं बंद चूका था उर साथ ही संजय और रमण भी

अविनाश-ये नायलो स्टील का जाल है हालाँकि तुम्हारे अंदर असीमित ताकत है पर तुम्हे भी इससे निकलने मैं काफी मेहनत करनी पड़ेगी, हम ऐसा नहीं करना चाहते थे पर तुमने हमको मजबूर कर दिया, शायद तुमने ध्यान नहीं दिया मगर हमारा जेट इस वक़्त कच्छ के उपर ही है, अब हम पैराशूट लेकर निकलते है, तुमलोग हमारे साथ आ सकते थे लेकिन तुमने हमारे खिलाफ जाना चुना अब हमारे दोनों पायलट्स तुम्हे आचे से पुरे गुजरात की सवारी करा देंगे, हैप्पी जर्नी.

अविनाश और चेतन ने अपना पैराशूट बैग लिया और विमान का द्वार खुल गया और वो दोनों निचे कूद गए, सबसे अंत मैं द्वार के पास शिवानी पहुची और उसने कूदने से पहले एक नजर राघव की तरफ डाली और बोली

शिवानी-सॉरी राघव पर ये जरुरी है

राघव(चिल्लाते हुए)- तुम लोग पागलपन करने जा रहे हो

पर तब तक शिवानी कूद चुकी थी

रमण-कोई फायदा नहीं है राघव हमें पहले इस जाल और जेट से निकलने पर ध्यान देना चाहिए

अब राघव का गुस्सा सातवे आसमान पर था और रूद्र भी अपनी पूरी ताकत लगा रहा था उस जाल से निकलने के लिए, वो जाल तो कही स नही टुटा लेकिन पूरी सीट ही उखड गयी और सीट उखाड़ते ही जाल की पकड़ उनपर ढीली पड़ने लगी फिर ऐसे ही राघव और रूद्र ने संजय और रमण को जल से छुडवाया और कुल पांच मिनट मे वो जाल से आजाद थे

बिना वक़्त गवाए रूद्र पायलट के पास पंहुचा और गुस्से से बोला

रूद्र-अगर पांच मिनट मे हम वहा नहीं पहुचे जहा वो तीनो लोग पैराशूट लेकर कूदे है तो मैं अपने हाथो से तुम दोनों की खोपड़ी पिचका दूंगा

तभी वहा राघव भी पहुच गया और उनको क्रोध से तमतमाते देख एक पायलट बोला

पायलट-रुको हम आपको वही पंहुचा देंगे जहा वो लोग उतरे है

संजय-ये उनलोगों ने बिलकुल ठीक नहीं किया अब ऍम उनको कहा ढूंढेगे

रमण-मुझे इनसे बातचीत के दौरान पता चला था के ये अपने साथी राहुल के होटल MKB मे मिलने वाले थे जो कच्छ के रण के आसपास ही है हमें भी वही जाना होगा


राघव-बस अब ये खेल बहुत हो गया अब जो जंग होगी वो आखरी होगी भले ही मुझे अपनी आखरी सास तक लड़ना पड़े लेकिन मैं कालदूत का राज इस धरती पर कभी कायम नहीं होने दूंगा........
Bahot behtareen shaandaar lajawab update bhai
 
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