Killerpanditji(pandit)
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Mast update broभाग ११
सबका खाना हो चूका था, रमण अब भी अपने की खयालो मैं गम था, रमण इस वक़्त अपने घर की छत पर खड़ा हो कर अपने केस बे बारे मैं सोच रहा था तभी राघव वहा आया
राघव-कालदूत के बारे मैं सोच रहे हो भाई
रमण-ह...क....क्या मैं समझा नहीं?
राघव के अचानक वहा आने और सीधे कालदूत के बारे मैं पूछने से रमण चौका
राघव-आपका नया केस जो आप संभल रहे हो वो कालदूत से जुडा हुआ है न
रमण-हा...पर तुम्हे इसके बारे मैं कैसे पता मैंने तो आज इस बारे मैं घर मैं भी कोई बात नहीं की
राघव ने फिर रमण दिन भर मैं हुयी घटनाओ के बारे मैं बताया और ये भी बताया के कैसे उस माला की मदद से उसके रमण का दिमाग पढ़ा और उसके दादा की किताब और कालदूत के बारे मैं भी रमण साडी बातो को गौर से सुन रहा था
रमण-राघव तुम्हे सच मैं लगता है की कोई कालदूत होगा
राघव-पता नहीं भाई इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं है फिलहाल पर आप बताओ आपको क्या लगता है और इस कालदूत नाम से आपका पला कैसे पडा
रमण ने फिर संतोष से हुयी पूरी बात राघव को बताई और साथ ही अपनी शंका भी की उसे संतोष मैं कुछ गड़बड़ लग रहा है
रमण- राघव मैं नहीं जनता की ये लोग कौन है और कोई कालदूत है भी या नहीं मैं बस इतना जनता हु के ये कुछ दिमाग से विक्षिप्त लोग है जोइस समाज के लिए एक खतरा है और इन्हें अगर यहाँ नहीं रोका गया तो पता नहीं और कितनी जाने जाएँगी
रमण राघव से बात कर रहा था उर राघव कुछ सोच रहा था
रमण-क्या सोच रहे हो
राघव-भाई आप जब उन लडको को वह बचने गए थे तब वह उनके अलावा भी कोई था क्या
रमण-नहीं हमें वह बस संतोष और रोहित की जली हुयी लाश ही मिली और हम संतोष को अपने साथ ले आये
राघव-आपने उस जगह को छान मारा था
रमण-हा मगर हमें वहा कुछ नहीं मिला संतोष ने कहा था के वो लोग दोबारा आयेंगे उसकी बलि देने ऐसा कह कर वह से चले गए थे
राघव-मतलब उनलोगों को पता नहीं था के पुलिस ने संतोष को बचा लिया है, भाई मुझे लगता है वो लोग संतोष की बलि देने वह जरूर आये होंगे उन्हें रेंज हाथ पकड़ा जा सकता था
राघव की बात सुन कर अचानक रमण के दिमाग मैं कुछ आया और वो वहा से उठकर कही जाने लगा
राघव-अरे अचानक कहा चले
रमण- एक काम याद आ गया बस वही पूरा करने
राघव-रुको भाई अकेले मत जाओ मैं भी साथ मैं चलता हु
रमण-तुम क्या करोगे मेरे साथ मै यु गया और आया
राघव-मैं जनता हु भाई तुम किस काम के लिए जा रहे हो मैं तुम्हारे दिमाग मैं झक सकता हु इसीलिए मैं तुम्हारे साथ चलूँगा और अब पहले पुलिस स्टेशन चलो और अपनी टीम को साथ लो क्युकी आगे क्या खतरा आने वाला है हम नहीं जानते
रमण को भी राघव की बात सही लगी और वो उसे साथ लेकर पुलिस स्टेशन की तरफ निकल गया...
रमण राघव पुलिस स्टेशन मैं पहुचे...संतोष अब भी स्टेशन मैं ही था जैसा उसे रमण से कहा था, राघव ने संतोष को देखते ही सबसे पहले उसकी आँखों के जरिये उसके दिमाग मैं झाकने की कोशिश की मगर संतोष पता नहीं क्यों उससे नजरे नहीं मिला रहा था, राघव को कुछ खटका पर अभी उसने इस बात पर धयन नहीं दिया, रमण ने चन्दन और ३ हवलदारो को अपने साथ लिया और उन्हें साडी बात समझाई
संतोष-सर क्या मैं आपके साथ चल सकता हु
रमण-क्या??लेकिन अभी अभी ट्यूम मौत के मुह से बचकर इतनी मुश्किल से आये हो फिर वापिस क्यों जाना चाहते हो
संतोष-उन्होंने मेरे सबसे आचे दोस्त को मारा है इंस्पेक्टर , मुझे उम्मीद है की आप समझोगे मेरी बात
रमण(कुछ सोचकर)-हां, ठीक है तुम आ सकते हो लेकिन ध्यान रहे की हमको सही मौका मिलने तक छिप कर रहना है ये लोग काफी खतरनाक है
संतोष- मैं समझ गया
अँधेरा हो चूका था रमण राघव संतोष और अपनी टीम के साथ उस कब्रिस्तान वाली जगह पर पहुच गया और वो लोग वह छिप कर बैठ गए, इस वक़्त कब्रिस्तान मैं चाँद की रौशनी फैली हुयी थी और वह केवल एक कालसैनिक था, रमण ने आगे बढ़ कर उसके पकड़ना चाह पर राघव ने उसे वही कुछ देर रुक कर इंतजार करने कहा,
कुछ ही देर मैं वहा एक काले रंग की बडी सी वैन आकर रुकि और उसमे से काले चोगे और नकाब वाले कुछ लोग उतरे, वो लोग आपस मैं कुछ बात कर रहे थे और चुकी रमण और बाकि सब पास ही छिपे हुए थे वो उनकी आवाज़ इन लोगो तक पहुच रही थी
व्यक्ति१- मुझे लगता है उन्होंने यहाँ तक हमारा पीछा किया है
व्यक्ति२-तो तयार रहो याद है न पिछली बार क्या हुआ था?
व्यक्ति३- वह देखो वे जानते है की हम यहाँ पर है
ये लोग किस बारे मैं बात कर रहे थे ये रमण और बाकि सबको समझ नहीं आ रहा था लेकिन रमण इतना समझ गया था की इन लोगो को अब तक संतोष के गायब होने का पता नहीं चला है तभी उन्होंने देखा के वहा पर एक सफ़ेद रंग की वैन आकर उस काली वैन के आगे रुकी जिसमे से कुछ लोग उतरे जिनका पहनावा कालसैनिको की तरह था बस कपडे का रंग काले की बजाय नीला था
संतोष(धीमी आवाज मैं)- इनके भी ग्रुप्स है क्या
रमण-मैं भी स्तिथि को समझने का प्रयास कर रहा हु श्श्श...लगता है कुछ बोल रहे है
काले और नीले चोगे वाले आमने सामने थे
व्यक्ति१(नीले चोगे वाला)- लगता है आपने कुर्बानी का इंतजाम कर लिया है, उसे हारे हवाले कीजिये और अपने प्राण बचाइए
ब्यक्ति२(काला)- पिछले २ लोगो को ढूंढने मैं काफी समय लगा है और इसमें हम एक आदमी भी मारा गया है तो बेहतर होगा तुम कुर्बानी भूल जाओ और यहाँ से चलते बनो
व्यक्ति१(नीला)- लगता है तुम ब्लैक हुड वालो को विनम्रता रास नहीं आती तो हमें दूसरा तरीका अपनाना होगा
वहा मौजूद काले और नीले चोगे वाले लोगो ने अपनी बंदूके निकाल की, रमण समझ गया की अगर उन्होंने बीच मैं दखल नहीं दी तो यहाँ भीषण रक्तपात हो जायेगा वो तुरन अपने साथियों को लेकर उन लोगो के सामने पहुच गया जबकि राघव और संतोष अब भी छिपे हुए थे
रमण- freeze everyone freeze और अपनी अपनी बंदूके निचे गिरा दो
वो लोग इस घटना से आश्चर्यचकित जरूर हुए लेकिन तुरंत ही अपने बीच का झगडा भूल कर उन्होने अपनी बंदूके पुलिस की और तान दी और फायर करने लगे, पुलिस ने भी जवाबी हमला किया जिसमे दो पुलिस वाले घायल भी हुए वही रमण ने अपने अचूक निशाने का प्रदर्शन करते हुए कई कालसैनिको की खोपड़ी उदा दी,
अचानक हुए इस हमले से वो लोग घबरा गए और अपनी बंदूके छोड़ कर भागने लगे तभी वहा एक अदभुत घटना घटी
एक काले चोगे वाला कालसैनिक पीछे मुडा और उसने अपना हाथ एक विशेष मुद्रा मैं हवा मैं घुमाया जिसके साथ ही रमण की बन्दूक भी उसके हाथो से छूटती चली गयी, ये देख कर रमण हैरान रह गया उसे समझ नहीं आया की कैसे इस व्यक्ति ने हवा मैं हाथ घुमा कर उसकी बन्दूक उसके हाथ से छुटा दी लेकिन उसे इस बारे मैं ज्यादा सोचने का मौका नहीं मिला क्युकी वो कालसैनिक बेतहाशा भगा जा रहा था
रमण से छलांग लगा कर उसे पकड़ लिया लेकिन उस कालसैनिक मैं बहुत शक्ति थी और रमण का उसे पकडे रखना मुश्किल ताल तभी राघव और संतोष उसकी मदद को वहा आये और संतोष ने एक पत्थर का प्रहार इस कालसैनिक के सर परे किया जिससे उसकी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा और रही सही कसार रमण और राघव के मुक्को ने पूरी कर दी पर इस चक्कर मैं बाकि लोग वहा से भाग गए थे
रमण ने हाँफते हुए संतोष की तरफ देखा
रमण-मदद के लिए शुक्रिया
सभी लोग उस बेहोश कालसैनिक के पास जमा हो गए थे
रमण-राघव इसका नकाब हटाओ मुझे इसका चेहरा देखना है
जैसे ही राघव ने उस कालसैनिक का नकाब हटाया तो संतोष बुरी तरह चौका
संतोष- विक्रांत....!