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Incest अमन विला ( Adultery + Incest)

किस किसने यह कहानी पहले से पढ़ी है

  • हा पढ़ी है

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  • नही पढ़ी है

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  • पढ़ी है पर याद नहीं

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Alanaking

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दोस्तो आपके लिए सम्सख़ान द्वारा लिखी गई एक मस्त कहानी हिन्दी फ़ॉन्ट में शुरू करने जा रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ आपको ये कहानी बहुत पसंद आएगी और आप सभी अपना सहयोग बनाए रखेंगे


दोस्तो ये कहानी आपसी रिश्तों मे सेक्स के ताल्लुकातों की कहानी है जिन दोस्तों को आपसी रिश्तों में चुदाई की कहानी पढ़ने से परहेज होता हो वो कृपया इस कहानी को ना पढ़ें
 
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Alanaking

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अमन विला’ यही है उस खूबसूरत घर का नाम, 10 बेडरूम, एक हाल, 3 किचिन वाले इस बंगलो में 3 परिवार रहते हैं। ग्राउंड फ्लोर पे अमन का परिवार जिसमें 4 सदस्य हैं।
अमन-उमर 20 साल, एक खुश-मिज़ाज हट्टा-कट्टा गबरू जवान, क़द 6’, ब्राउन आँखें, सफेद त्वचा। कोई भी एक बार देखे तो देखता रह जाये।
रजिया बेगम-उमर 40 साल, सुडौल शरीर, क़द 5’5”, सफेद त्वचा।
अनुम-उमर 18 साल, बिल्कुल अपनी माँ रजिया बेगम की जिरोक्स कापी, होंठ लाल, आँखें ब्राउन, क़द 5’6”।
अमन के डैड और चाचू सऊदी में काम करते हैं और साल में दो बार ही आ पाते हैं। दूसरे फ्लोर पे रहते हैं।
अमन की चाची रेहाना-38 साल की खूबसूरत लेडी। जिनकी सिर्फ़ एक बेटी है फ़िज़ा वो अभी-अभी जवान यानी 18 साल की हुई है। फ़िज़ा एक खामोश तबीयत की लड़की है और उसकी अमन की बहन अनुम के साथ अच्छी बनती है।
तीसरा परिवार है अमन की खाला हीना बेगम का, जिनके पति का कुछ साल पहले रोड एक्सीडेंट में इंतकाल हो गया था। वो टीचर हैं, उमर 38 साल, एक लड़की है शीबा, जिसकी उमर 19 साल है।
अमन को कसरत का बहुत शौक है सुबह 6:00 बजे उठना उसकी आदत है। उसका शरीर भी किसी फिल्म आक्टर के शरीर से कम नहीं है। जब अमन ने जवानी की दहलीज पे कदम रखा तो उसे वो चीज़ सबसे ज्यादा अच्छी लगी वो थी उसकी अम्मी रजिया बेगम, और बहन अनुम। इन दोनों को देख-देखकर ही बड़ा हुआ है अमन।

रजिया तो उसे अभी भी छोटा सा, प्यारा सा बच्चा समझती है। पर अनुम जानती है की ये बच्चा अब बड़ा हो गया है। क्योंकी उसने एक बार अमन के रूम में कुछ ब्लू-फिल्मों की सी॰डी॰ देखी थी। तब से वो अमन से गुस्सा है और ठीक तरह से बात भी नहीं करती। ये बात अमन ने भी नोटिस की पर वो नहीं जानता था कि वजह क्या है? अमन ना सिर्फ़ ब्लू-फिल्में देखता है बल्की मूठ भी मारता है… वो भी अपनी अम्मी रजिया और अनुम को कल्पना करके।

रोज की तरह रजिया ने पहले अमन को उठाया फिर अनुम को और खुद किचिन में नाश्ता बनाने चली गई। अमन कसरत करने के बाद फ्रेश हुआ और किचिन में चला गया, जहाँ सिर्फ़ रजिया थी। अमन पीछे से जाकर रजिया से चिपक गया। ये उसका रोज का मामूल था।
रजिया-अमन आज तू नाश्ते में क्या लेगा?
अमन दिल में सोचते हुए-“आपकी चूत…” और कहा-“कुछ भी अम्मी आपकी पसंद का…”
रजिया-ह्म्मम्म्म्मम।
अमन-अम्मी 5 दिन बाद मेरा बर्थ-डे है, आप मुझे क्या गिफ्ट देने वाले हैं?
रजिया-क्या चाहिए मेरे राजा बेटा को?
अमन-मुझे वो गिफ्ट चाहिए वो अपने मुझे आज तक नहीं दिया है, वो मुझे ये यकीन दिलाए कि अब मैं 20 साल का हो गया हूँ।
रजिया हँसते हुए-“ओ हो… ऐसा क्या चाहिए मुझे भी पता तो चले?”
अमन-जाने दो अम्मी, आप मना कर दोगे।
रजिया अमन की तरफ मुँह करके उसके गले में बाहें डालकर-“मेरा बेटा मुझसे कुछ भी माँगे, मैं कभी मना नहीं करूंगी प्रोमिस। अब बोल क्या चाहिए तुझे?”
अमन रजिया की आँखों में देखते हुए-“अम्मी मुझे आपसे बर्थ-डे गिफ्ट में एक पैशनेट किस चाहिए…”
रजिया-“बस… ये लो…” और रजिया अमन के गालों पे एक प्यारी सी किस कर देती है।
अमन-“उफफ्र्फ… अम्मी ये नहीं होंठों पे…”
रजिया गम्भीर नज़रों से-क्या?
अमान-हाँ अम्मी।
रजिया-ये तू क्या कह रहा है? अमन तू मेरा बेटा है, मैं कैसे?
अमन-अम्मी अपने प्रोमिस किया है, मैं कुछ नहीं जानता।
रजिया कुछ सोचते हुए कि अगर मैंने प्रोमिस तोड़ दिया तो अमन को हर्ट होगा वो मैं कभी नहीं चाहती। फिर कहा-“ओके अमन, मैं तुम्हें तुम्हारा गिफ्ट दूंगी, पर एक शर्त पे कि ये बात सिर्फ़ हम दोनों तक ही रहेगी। प्रोमिस करो मुझसे…”
अमन-“अम्मी, ये भी कोई बोलने वाली बात है प्रोमिस। अम्मी मैं चाहता हूँ कि बर्थ-डे वाले दिन आप मुझे सही तरीके से गिफ्ट दें इसके लिये थोड़ी प्रेक्टिस करनी पड़ेगी…” और अमन रजिया को अपनी तरफ घुमा लेता है।
रजिया-अमन नहीं, वो भी चाहिए बर्थ-डे वाले दिन।
अमन-अम्मी, प्लीज़… सिर्फ़ एक केवल प्रेक्टिस के लिये।
रजिया अपने बेटे केी बात कैसे ठुकरा सकती थी-“ओके… लेकिन सिर्फ़ एक, उसके बाद तुम कोई रिक्वेस्ट नहीं करोगे…” और रजिया अमन के गले में बाहें डालकर एक हल्का सा किस करके पीछे हो जाती है।
अमन उसे दुबारा खींचकर अपने से चिपका लेता है-“ये क्या अम्मी? ऐसे नहीं…” और अमन रजिया के होंठों पे अपने होंठ रख देता है।
रजिया इस हमले के लिये तैयार नहीं थी वो ‘उंह्म्महन्’ की आवाज़ें निकालने लगती है। करीब दो मिनट बाद अमन रजिया को छोड़ देता है। रजिया हाँफने लगती है। उसे अमन की इस हरकत पे गुस्सा भी आता है, और प्यार भी। रजिया शरम के मारे अपनी आँखें नीचे कर लेती है।
अमन-“अम्मी, एक आख़िरी बार…”
रजिया जैसे ही अमन की तरफ देखने के लिये अपनी नज़रें ऊपर उठाती है, अमन फिर से उसे अपनी बाहों में भर लेता है। दोनों की नज़रें आपस में टकराती है।
अमन-“अम्मी मैं चाहता हूँ कि आप मुझे अपने बेटे की तरह नहीं बल्की अब्बू समझकर किस करें…” रजिया अपनी आँखें बंद कर लेती है। अमन अपने होंठ रजिया की होंठों पे रख देता है और गुलाबी लबों को चूसने लगता है। रजिया एक अलग ही दुनियाँ में खो जाती है।
अमन रजिया का मुँह खोलकर अपनी जीभ रजिया के मुँह में डाल देता है और अम्मी की जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर देता है। रजिया भी उसका पूरा साथ देती है। दोनों तकरीबन 5 मिनट से एक दूसरे का सलाइवा चाट रहे थे और एक दूसरे की जीभ चूस रहे थे। अचानक किसी के कदमों की आवाज़ सुनाई देती है तो रजिया अमन को धकेलते हुए अपना मुँह दूसरी तरफ कर लेती है। अमन भी हड़बड़ा जाता है।
अनुम-अम्मी नाश्ता तैयार है क्या?
रजिया-“बस एक मिनट बेटा…”
अनुम अमन को गुस्से से देखते हुए-“तू यहाँ क्या कर रहा है? तुझे कॉलेज नहीं जाना
अमन अनुम को घूरता हुआ अपने रूम में चला जाता है।
अनुम-अम्मी, इसका दिमाग़ खराब हो गया है। देखो, कैसे मुझे घूरता हुआ गया है, जैसे मैंने इसका कोई काम बजगाड़ दिया हो।
रजिया की लबों में मुश्कुराहट आ जाती है। वो सोचती है कि काम तो तूने बजगाड़ा है। फिर कहा-“तू बैठ, मैं नाश्ता लगाती हूँ। और ये अमन कहाँ चला गया उसे भी तो नाश्ता करना है…” और रजिया अमन के रूम की तरफ चल देती है।
रजिया अमन के रूम में दाखिल होती है। अमन मिरर के सामने बाल सँवार रहा था।
रजिया-अमन, नाश्ता तैयार है।
अमन-“बस एक मिनट अम्मी…” रजिया जाने के लिये मुड़ती है तभी अमन उसका हाथ पकड़ लेता है और अपने तरफ खींच लेता है।
रजिया उसके आँखों में देखती है।
अमन-अम्मी, मैं सोच रहा था कि थोड़ी प्रेक्टिस कर लेनी चाहिए।
रजिया अमन को घूरते हुए-“मैंने क्यों तुम्हें प्रोमिस किया?”
अमन-क्योंकी अम्मी आप मुझसे बहुत प्यार करती हैं।
रजिया की आँखें झुक जाती है। अमन उसका फायदा उठाते हुए रजिया के गले में बाहें डाल देता है और अपने होंठ रजिया की होंठों पे रख देता है। रजिया अपना बदन ढीला छोड़ देती है। दोनों के होंठ आपस में ऐसे मिले हुए थे जैसे शादीशुदा वोड़ा।
तभी नीचे से अनुम की आवाज़ आती है-“अम्मी, मैं कॉलेज के लिये लेट हो रही हूँ, अमन कहाँ है?”
अमन रजिया को छोड़ देता है। रजिया की आँखें लाल हो गई थी, एक अजीब सा खुमार उसके चेहरे से बयान हो रहा था। शायद इस किस ने उसे उसके शौहर की याद दिला दिया था।
रजिया-“अभी आइ बेटा। चलो अमन तुम भी नाश्ता कर लो और कॉलेज जाओ…” और बिना अमन का जवाब सुने किचिन में चली जाती है।
अमन नाश्ता करके कॉलेज बैग लेकर अम्मी को गुड-बाइ करने किचिन में जाता है। अनुम बाहर बाइक के पास अमन का इंतजार कर रही थी।

अमन-अम्मी, मैं कॉलेज जा रहा हूँ…”
रजिया उसे प्यार से देखते हुए गुड-बाइ कहती है।
तभी अमन रजिया को गले लगा लेता है। ये उसका रोज का मामूल था। पर आज उसने रजिया को कुछ ज्यादा ही कसके गले लगाया था। जिसे रजिया ने भी महसूस किया-“बाइ अम्मी…”
रजिया-बाइ बेटा।
बाहर अनुम तैयार खड़ी थी। अनुम ने कहा-कितना टाइम लगाते हो?
अमन-क्या दीदी, तैयार होने में वक्त तो लगता है ना।
अनुम दिल में-हाँ पता है, क्यों इतना तैयार होकर कॉलेज जाता है कमीना कहीं का।
अमन बाइक स्टाट़ कर देता है और अनुम उसके पीछे बैठ जाती है। रास्ते में ब्रेकर से बाइक उछल जाती है तो अनुम गुस्से में अमन के पेट में घूँसा मारते हुए-आराम से नहीं चला सकते?
अमन मुश्कुराता हुआ-“उफफ्र्फहो दीदी, आप मुझे कसके पकड़ो नहीं तो गिर जाओगी…”
अनुम-“तुम आराम से चलाओ…”
और बातों-बातों में दोनों कॉलेज पहुँच जाते हैं।
अनुम-“मैं ठीक 2:00 बजे गेट पे तुम्हारा इंतजार करूंगी। अपने दोस्तों के साथ गप्पें हांकते बैठ मत जाना…”
अमन-“ओके दीदी…” और दोनों अपने-अपने क्लास रूम में चली जाती हैं। आज अमन का मन क्लासरूम में नहीं लग रहा था। उसे बस सुबह हुई अम्मी के साथ किसिंग याद आ रही थी। वो क्लास से बाहर निकल जाता है।
उधर अनुम उसकी दोस्त सबा से बातें कर रही थी, तभी अमन उनके सामने से गुज़रता है।
सबा उसे देखते हुए-“अनुम, ये तुम्हारा भाई कितना हैंडसम है। यार सच में आँखें जब भी इसे देखती है बस देखती ही रह जाती हैं…”
अनुम गुस्से से-“अपनी बकवास बंद कर सबा…” पता नहीं जब भी कोई अमन की तारीफ अनुम के सामने करता था तो अनुम को बहुत गुस्सा आता था।
उधर रजिया नहाने के लिये बाथरूम में चले जाती है। मिरर के सामने जब वो पूरी नंगी होती है तो उसे शरम आने लगती है। वो सुबह हुई घटना को सोचने लगती है, और उसके हाथ खुद-बा-खुद अपनी चूत की तरफ बढ़ने लगते हैं। कई दिनों के बाद आज उसे अपनी चूत में अकड़न महसूस हो रही थी वो अपनी क्लिट को रगड़ने

लगती है और दूसरे हाथ से अपने निपल को मरोड़ने लगती है। उसे आज पता नहीं क्या हो गया था कि उसे सिर्फ़ अमन का चेहरा नज़र आ रहा था ‘अमन्न ऊओ अमन्न उंह्म्मह…’ और उसकी चूत पानी छोड़ देती है।
2:15 बजे अनुम पिछले 15 मिनट से अमन का इंतजार कर रही थे और उसे पता नहीं क्यों गुस्सा आ रहा था। तभी उसे अमन नज़र आया, वो किसी लड़की के साथ बातें करता हुआ आ रहा था। ये देखकर अनुम का गुस्सा सातवें आसमान पे पहुँच गया।
अमन ने उस लड़की को बाइ कहा और अपनी बाइक की तरफ बढ़ गया।
अनुम-कौन थी वो?
अमन-वो मेरी क्लासमेट है उसे कुछ नोटस चाहिए थे।
अनुम-ऊ हो क्या बात है? कोई और नहीं मिला नोटस माँगने के लिये?
अमन इतराते हुए-“अब क्या करें दीदी, मेरे पर्सनलटी ही कुछ ऐसी है कि लड़कियां खिंची चली आती हैं…”
अनुम गुस्से से-“चुप कर… बड़ा आया पर्सनलटी वाला। अगर वो लड़की दुबारा तेरे करीब भी नज़र आयी तो तो…”
अमन-तो क्या?
अनुम-तो मैं अम्मी को बोल दूंगी कि तू पढ़ने नहीं, लड़कियों से फ्लर्टिंग करने कॉलेज जाता है।
अमन उसकी आँखों में देखते हुए-“तुम तो बिल्कुल बीवी की तरह बजहेव कर रही हो ह्म्मम्म्म्म…”
अनुम सकपका जाती है और अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लेती है-“चुप कर, घर नहीं चलना लेट हो रहे हैं…”
अमन कुछ सोचते हुए-“ओके दीदी बैठो…” और दोनों घर की तरफ चल देते हैं।
उधर घर पर रजिया अपने गीले बालों को सुखाने के लिये गार्डन में एक चेयर पर बैठकर अमन के बारे में सोच रही थी।
तभी उसकी देवरानी रेहाना आती है-क्या हो रहा है जी?
रजिया जैसे किसी ख्वाब से जागी हो-“क…क…कुछ नहीं… अरे आओ रेहाना बैठो, फ़िज़ा नहीं आई?”
रेहाना-फ़िज़ा पढ़ाई कर रही है बच्चे कहाँ हैं? 7

रजिया बोलने ही वाली थी कि अमन और अनुम घर में दाखिल होते हैं-“सलाम चाची जान…” ‘जान’ शब्द को कुछ ज्यादा ही लम्बा करके कहा अमन ने।
जिससे रेहाना के चेहरे पे एक अजीब सी मुश्कान आ गई।
अनुम अपने रूम में चेंज करने चली गई। जबकी अमन वहीं उन दोनों के साथ बैठ गया।
रजिया-तुम लोग बैठो, मैं कुछ खाने के लिये लाती हूँ। अमन तू फ्रेश क्यों नहीं हो जाता?
अमन-ओके अम्मी। चाचीज़ान, मैं अभी आया।
रजिया उससे घूरकर देखती है। दोनों ओरतें आपस में बातें कर रही थीं। तभी अमन हाथों में डम्बल लेकर आता है और वहीं गार्डन में कसरत करने लगता है। वो सिर्फ़ शॉर्ट्स में था। सीने पे हल्के भूरे बाल सूरज की रोशने में चमक रहे थे।
रेहाना दिल में सोचने लगी-“क्या गबरू जवान है मेरा भतीजा…” और उसकी चूत में अकड़न होने लगी। वो बातें तो रजिया से कर रही थी पर उसकी नज़रें अमन से हट नहीं रही थीं।
अमन कसरत करके वहीं घास में लेट जाता है। पसीने से उसकी शॉर्ट्स उसकी कमर से चिपक जाती हैं जिससे उसका 8” इंच लंबा लौड़ा थोड़ा-थोड़ा नज़र आने लगता है।
रेहाना जब ये नज़ारा देखती है तो उसे उसके शौहर जमाल मलिक की याद आ जाती है वो पिछले 6 महीने से सऊदी थे। रेहाना को चुदे 6 महीने हो चुके थे, जिससे उसके अंदर की आग भड़की हुई थी। यही हाल रजिया का भी था
अनुम रजिया को आवाज़ लगाती है-अम्मी, मुझे भूख लगी है।
रजिया-आई बेटे।
“अच्छा मैं चलती हूँ बाजी…” रेहाना ने रजिया से खुदा हाफिज़ कहा और अपने घर की तरफ जाने लगी। तभी कुछ सोचते हुए कहा-“अरे अमन बेटा, मुझे कुछ सामान मंगवाना था बाजार से, तुम ला दोगे?”
अमन-क्यों नहीं चाची जान्न।
फिर रेहाना अपने घर में मुश्कुराते हुए चली जाती है
रजिया अनुम को खाना देकर अमन के पास आती है-“चल मुझे तुझसे कुछ बात करनी है…” और अमन का हाथ पकड़कर उसे अपने कमरे में ले जाती है और दरवाजा बंद कर देती है।
रजिया-“क्या बात है, आज बड़ा जान-जान कह रहा था रेहाना को चक्कर क्या है? हाँ…”

अमन मुश्कुराते हुए-“आप भी ना अम्मी, कुछ भी बोल देती हैं। जैसे आप मेरी अम्मी जान जैसे वो मेरी चाचीज़ान…” और ये कहकर अमन रजिया की गले में बाहें डाल देता है और उसे अपने से सटा लेता है।
रजिया-“छोड़ मुझे, जब देखो बदमाशी…”
पर अमन रजिया की आँखों में देखते हुए-“अम्मी, आज मेरा दिल किसी काम में नहीं लग रहा था। बस मुझे सुबह वाली बात याद आ रही थी। अम्मी, क्या मैं आपको किस कर सकता हूँ? रजिया कुछ कहने ही वाली थी कि अमन उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है और नीचे का होंठ चूसने लगता है।
रजिया इस हमले के लिये तैयार नहीं थी। पर शायद वो भी यही चाहती थी, और वो अपना मुँह खोल देती है। जिसे अमन ग्रीन सिग्नल समझकर अपनी जीभ रजिया की मुँह में डाल देता है और उसकी लार पीने लगता है। रजिया अब अपने होश में नहीं थी। वो भी अमन से चिपक जाती है। उसकी सुडौल चुचियाँ अमन की नंगी छाती में धँस जाती हैं और वो पागलों की तरह अमन की जीभ चूसने लगती है। तभी रजिया को अपनी जांघों के बीच कुछ महसूस होता है। ये अमन का लौड़ा था वो अपनी औकात में आ गया था।


रजिया अमन को अपने से पीछे करते हुए-“बस अमन, आज के लिये इतनी प्रेक्टिस काफी है…”
अमन को अहसास होता है कि उसने थोड़ी जल्दबाज़ी कर दी। रजिया रूम का दरवाजा खोलकर बाहर आ जाती है और अमन अपने रूम में जाकर बेड पे लेट जाता है।
अमन-अम्मी, मैं चाची जान्न की तरफ जा रहा हूँ, उन्हें कुछ सामान मंगवाना है बाजार से।
रजिया-ठीक है बेटा, पर जल्दी आना।
अमन-“ओके अम्मी…” और अमन रेहाना की तरफ चल देता है।
रेहाना किचिन में कुछ काम कर रही थे और फ़िज़ा अपने रूम में पढ़ाई।
अमन सीधा किचिन में चला जाता है-“चाची जान्न, बोलिये क्या काम था?”
रेहाना पीछे देखते हुए-“आ गये तुम? ज़रा बैठो तो सही, आजकल तो इधर आते ही नहीं…”
अमन-आप दिल से नहीं बुलाते हैं ना… चाची जान्न।
रेहाना के चेहरे पे हल्की सी मुश्कान आ जाती है और वो अमन को घूरने लगती है-“अमन, बड़े शरारती होते जा रहे हो तुम…”
अमन रेहाना के बगल में जाकर खड़ा हो जाता है और रेहाना का हाथ पकड़ लेता है-“अरे वाह… कितनी खूबसूरत सोने की चूड़ियाँ हैं, कब बनाया चाचीज़ान?”

रेहाना-तुम्हें अच्छी लगी? तुम्हारे चाचू ने भिजवाई हैं पिछले हफ्ते।
अमन रेहाना की उंगलियों में अपनी उंगलियाँ फँसा लेता है-“आपका हाथ बहुत नाज़ुक है चाचीज़ान…”
रेहाना का चेहरा लाल पड़ जाता है, वो अमन की इस हरकत से थोड़ा उत्तेजित हो जाती है, और वो भी अपनी उंगलियाँ कस लेती है।
अमन रेहाना के आँखों में देखते हुए रेहाना के हाथ को चूम लेता है।
रेहाना घबराते हुए-“किक… ये क्या हरकत है अमन?”
अमन रेहाना से एकदम सटकर खड़ा हो जाता है। पीछे शेल्फ होने की वजह से रेहाना रुक जाती है। अमन रेहाना के इतने करीब खड़ा था कि उसे रेहाना की सांसों की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी। अमन के हाथों में अभी भी रेहाना का हाथ था, वो रेहाना की आँखों में झाँकते हुए रेहाना के इतने करीब हो जाता है कि रेहाना की चूची अमन की छाती से टकरा जाती है। अमन थोड़ा और चिपक के खड़ा हो जाता है।



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रेहाना-“इस्स्स्स्स्स्स… उंह्म्मह… अमन, तू ये क्या कर रहा है बेटा? उंह्म्मह… ससस्स…”
अमन रेहाना की कमर में हाथ डालकर उसे अपने बाँहो में समेट लेता है, रेहाना के कानों में अपने जीभ डालकर हल्के से कहता है-“चाचीज़ान आप मुझे बहुत अच्छी लगती है…” और अपने हाथ पीछे लेजाकर रेहाना की कमर अपने दोनों हाथों से मसलने लगता है।
रेहाना का इस सबसे बुरा हाल था वो सोचने समझने की ताकत खो चुकी थी। शायद इसकी वजह ये थी की पिछले 6 महीने से उसकी चूत प्यासी थी और कहीं ना कहीं वो भी दिल में अमन को पसंद करती थी रेहाना अपने बदन को ढीला छोड़ देती है-“स्स्सस्स… अमन उंह्म्मह… प्लीज़… मुझे छोड़ दो, फ़िज़ा घर पे है…"
अमन पर तो जैसे जुनून सवार था। पिछले 6 महीने से रेहाना उसे चिड़ा रही थी। उसे ऐसे अंदाज में घूरती थी जैसे खा जाएगी। आज अमन को मौका मिला था तो अमन ने अपने दोनों हाथों में रेहाना का चेहरा पकड़ा और उसके होंठ पे अपने होंठ रख दिए।



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रेहाना-“उंह्म्मह… उंह्म्मह…”
अमन की पकड़ काफी मजबूत थी, उसने रेहाना को बहुत मजबूती से पकड़ा हुआ था। कुछ सेकेंड में ही रेहाना का जिस्म ढीला पड़ गया और उसने अपना मुँह थोड़ा सा खोल दिया। जिसका फायेदा उठाकर अमन ने अपनी जीभ रेहाना के मुँह में डाल दी। रेहाना कई महीने की प्यासी शेरनी की तरह अमन के होंठों को चूस रही थी। अमन भी रेहाना की चूची को मसलते हुए किस कर रहा था। रेहाना का बस चलता तो वो अभी अमन को अपने रूम पे लेजाकर पूरी नंगी होकर खूब चुदवाती। पर फ़िज़ा घर पे थी। तभी रेहाना ने अमन को पीछे धकेला, क्योंकी उसे किसी के कदमों के आहट सुनाई दी थी।

फ़िज़ा-अम्मी, कहाँ हैं आप?
अमन भी थोड़ा संभल जाता है और चेयर पे बैठकर अपने लण्ड को अड्जस्ट कर लेता है।
फ़िज़ा किचिन में दाखिल होते हुए-अरे अमन, तुम कब आए?
अमन-बस दीदी, अभी आया। वो चाचीज़ान को कुछ सामान मंगवाना था बाजार से।
फ़िज़ा-ओह्म्मह… अरे मेरी भी कुछ चीज़ें ला दोगे?
अमन-जी बिल्कुल।
फ़िज़ा अमन को आवाज़ देतेी है और अमन रेहाना को घूरता हुआ फ़िज़ा के रूम की तरफ बढ़ जाता है।
फ़िज़ा अमन के हाथ में एक लिस्ट थमाते हुए-“ये कुछ चीज़ें हैं, प्लीज़… अच्छे से पैक करके लाना।
अमन लिस्ट पढ़ने लगता है, तो उसमें विस्पर-पैड लिखा देखकर उसे हँसी आ जाती है।
फ़िज़ा-क्यों, क्या हुआ?
अमन-दीदी ये विस्पर-पैड क्या होता है?
फ़िज़ा का चेहरा लाल होने लगता है-“तुझे क्या, जो जो लिखा है वो लेती आना…”
अमन-“पर दीदी, इसमें विस्पर-पैड की साइज़ नहीं लिखी…”
फ़िज़ा-“उफफ्र्फ हो अमन, तू मार खाएगा मेरे हाथों…” और अपनी हँसी रोकते हुए उसे घूरती है।
अमन-ओके, मैं चाचीज़ान से पूछ लेता हूँ।
फ़िज़ा घबराकर-“रुक… इधर आ बेवकूफ़ ये एम॰सी॰ पैड है जिसे लड़कियां एम॰सी॰ के टाइम पहनती हैं…”
अमन-एम॰सी॰ वो क्या होता है दीदी?
फ़िज़ा को गुस्सा भी आ रहा था और हँसी भी-“अमन तू मेरा प्यारा भाई है ना… अभी तू जा मैं फिर कभी तुझे बताऊँगी…”
अमन दिल में सोचते हुए-“मेरी जान, तू मुझे क्या बताएगी? एक बार तेरी माँ को चोद लूँ फिर तुझे तो मैं बिना कंडोम के ही चोदूंगा…”
 
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Alanaking

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फ़िज़ा अमन को हिलाते हुए-क्या हुआ, कहाँ खो गये?
अमन-“कककक कुछ नहीं पक्का बताओगी ना?”
फ़िज़ा-हाँ बाबा, पक्का अब तू जा भी।
अमन रेहाना की तरफ चला जाता है और उसके कान के पास आकर-“रेहाना तेरी दे…”
रेहाना-क…क्या कहा तूने?
अमन-लिस्ट दो, मुझे लेट हो रहा है।
रेहाना उसका मतलब समझ गई थी। अमन को लिस्ट देते हुए-कब दोगे?
अमन-क्या?
रेहाना-“सामान कब लाकर दोगे?” और रेहाना के चेहरे में एक अजीब से मुश्कान आ जाती है।
अमन रेहाना के करीब आकर-बहुत जल्द।
रेहाना और अमन दोनों मतलब समझ गये थे।
अमन रेहाना से पैसे लेता हुआ बाजार की तरफ चल देता है।
उधर अनुम अपने रूम को बंद करके पेट के बल लेटे हुए सोच रही थी-कितना गंदा हो गया है अमन कैसी-कैसी फिल्म देखने लगा है? क्या मैं अम्मी को इस बारे में बता दूं? नहीं नहीं, और वो कमीनी लड़की कैसे अमन से हँस-हँस के बातें कर रही थी। अगर दुबारा वो अमन के पास दिखाई भी दी तो… तो क्या करोगी तुम?
उसके दिल के किसी कोने में से आवाज़ आइ-“अमन अब बड़ा हो गया है और जवान भी। वो तुम्हारा भाई है शौहर नहीं। उसे अपनी लाइफ जीने का पूरा हक है…”
“पर मैं भी तो अमन का भला चाहती हूँ, वो गलत रास्ते पे ना जाए बस यही चाहती हूँ। कहीं मुझे अमन से प्यार तो नहीं? नहीं नहीं, अमन मेरा भाई है। बिल्कुल नहीं…” अनुम खुद से बातें कर रही थी और खुद को दिलासा दे रही थी।
सच तो ये है कि जबसे अनुम ने होश संभाला उसे अपने करीब सिर्फ़ एक इंसान नज़र आया और वो था अमन। अमन भले ही उसे उस नज़र से नहीं देखता होगा, पर अनुम उसे बचपन से सच्ची मोहब्बत करती थी, और कहीं ना कहीं वो चाहती थी कि अमन सिर्फ़ उससे बातें करे, उसके पास रहे, किसी और लड़की की तरफ देखे भी नहीं। ये कोई भाई-बहन की मोहब्बत नहीं थी। ये कुछ और थी, जिसे अनुम पिछले कई सालों में खुद को मानते हुए कि ऐसा कुछ नहीं है, वो मेरा भाई है, सिर्फ़ भाई।
रजिया-पिछले 10 मिनट से अनुम के पास खड़ी उसे देख रही थी अचानक अनुम को एहसास हुआ कि कोई उसे देख रहा है-“अम्मी… अम्मी आप कब आईं?”
रजिया-बस अभी। अनुम, किचिन में मेरी थोड़े हेल्प कर दो।
अनुम खुद को ठीक करते हुए-चलिये अम्मी।
रजिया की नज़र अनुम की भरी-भरी चूची पे पड़ी वो उसकी खूबसूरती को और हसीन बना रहे थे।
अनुम ने जब रजिया को ऐसे घूरते देखा तो पूछ बैठी-क्या देख रही हो अम्मी?
रजिया-“अनुम तुम टाइट ब्रा पहना करो बेटा, फिगर खराब हो जाता है…”
अनुम ने उस वक्त शायद ब्रा नहीं पहना था। अनुम आँखें नीचे झुकाते हुए-“जी अम्मी, अभी आती हूँ…”
रजिया उसके सर पे प्यार से हाथ रखकर उसे अपने सीने से लगा लेती है-“तुम जानती हो अनुम, जब मैं तुम्हारी उमर की थी तो बिल्कुल तुम्हारी जैसी लगती थी…”
अनुम रजिया को अपनी बाहों में समेटते हुए रजिया से चिपक जाती है, दोनों की चूची आपस में रगड़ खाने लगती है। रजिया भी अनुम को अपने से जोर से चिपका लेती है। कुछ देर खामोशी के बाद रजिया अनुम को छोड़ देती है, और किचिन की तरफ चल देती है।
10:00 बजे अमन रेहाना के घर सामान पहुँचाकर अपने घर में आ जाता है। वैसे तो उसका इरादा रेहाना को चोदने का था, पर फ़िज़ा जाग रही थी इसलिये वो घर लौट आया। घर में दाखिल होने पे उसने देखा कि अनुम सो चुकी है और रजिया अपने रूम में बेड से पीठ टिकाए लेटी हुई है, उसकी आँखें बंद थीं। अमन रजिया की जिस्म को घूरने लगता है। रजिया ने नाइटी पहनी हुई थी, अंदर ब्रा नहीं थी जिससे रजिया की चुचियाँ रजिया की सांस लेने से ऊपर-नीचे हो रही थी।
अमन रजिया की पास आकर बैठ जाता है और उसका हाथ अपने हाथ में ले लेता है। रजिया शायद सोई नहीं थी। वो आँखें खोलते हुए-“आ गये बेटा, बहुत देर लगा दी। तुम फ्रेश हो जाओ, मैं खाना लगा देती हूँ…”
अमन-अम्मी मुझे भूख नहीं है।
रजिया-बेटा भूखा नहीं सोते, दूध पीकर सो जा।
अमन रजिया की चुचियों को घूरने लगता है-“पिलाओ ना…”
रजिया उसका मतलब समझ जाती है और शरमा जाती है।

अमन-“अम्मी, आप बहुत खूबसूरत हो, और आपको पता है सबसे अच्छे आपके ये होंठ है…” और अमन रजिया की होंठों पे उंगली फेरने लगता है।
रजिया-“उंह्म्मह… अमन ये तुझे क्या हो गया है? इसस्स्स्स्स…”
अमन रजिया का चेहरा अपने हाथ में ले लेता है और उसकी आँखों में देखते हुए-“अम्मी, मुझे आपके होंठों का रस पीना है…” और ये कहकर रजिया की निचले होंठ अपने मुँह में ले लेता है।



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रजिया-“उंन्ह… उंन्ह… आह्म्मह… सस्स्स्स्स…” रजिया सिहर जाती है, उसका बदन काँपने लगता है।
अमन उसका अपना बेटा था। वो जानती थी कि ये गलत कर रहा है मगर ना जाने क्यों वो उसे रोक नहीं पा रही थी। रजिया अपनी बाहें अमन के गले में डाल देती है और अमन का साथ देने लगती है। दोनों एक दूसरे को चाट रहे थे, चूस रहे थे, एक दूसरे की लार पी रहे थे। अमन अपने हाथ रजिया की चुचियाँ पे रख देता है तो उसे एहसास होता है कि रजिया ने ब्रा नहीं पहना है।


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अमन रजिया की चुचियों को मसलने लगता है।
रजिया-“अह्म्मह… उंह्म्मह… अमन्न नहीं…”
अमन रजिया की गोद में चढ़कर बैठ जाता है और रजिया की जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगता है। रजिया की चुचियाँ तन जाती हैं। अमन अपना हाथ नीचे लेजाकर रजिया की नाइटी में डाल देता है। अब अमन सीधे रजिया की चुचियाँ मसलने लगता है् रजिया अपना होश खो चुकी थी, उसकी चूत गीली हो गई थी, निपल तन गये थे। अमन की लार रजिया के चेहरे पे थी। अमन अपना एक हाथ नीचे लेजाकर रजिया की पैंटी में डाल देता है।


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रजिया चौंक जाती है और अपनी आँखें खोल देती है-“नहीं अमन, यहाँ नहीं…” और अमन का हाथ जहाँ से निकाल देती है।
अमन बुरी तरह भड़क जाता है, उसे गुस्सा आ जाता है और वो उठकर अपने रूम में चला जाता है।
रजिया-“अमन… अमन सुन तो… बेटा अमन…” रजिया उसे पुकारती रह जाती है।
अमन अपने रूम में आकर दरवाजा बंद कर लेता है। बाथरूम में जाकर शॉर्ट्स नीचे करके लण्ड बाहर निकाल लेता है और उसे हिलाने लगता है। साली की चूत पे हाथ क्या रख दिया कि लेक्चर देने लगी। कमीनी तुझे तो ऐसा चोदूंगा कि याद रखेगी। और अमन अपने लण्ड का पानी निकालने की कोशिश करता है पर न जाने क्यों उसके लण्ड से पानी नहीं निकलता।

आख़िरकार काफी देर लण्ड हिलाने के बाद उसके लण्ड से पानी निकलने लगता है और अमन शांत पड़ जाता है। फिर बेड पे जाकर लेट जाता है तो थकान से उसकी आँख लग जाती है
रजिया परेशान हो जाती है कि उसने अमन को क्यों रोका? जब वो अमन को इतना चाहती है और अगर वो नहीं चाहती की अमन उसे छुये तो क्यों अमन की बाहों में पिघल जाती है। यही सोचते-सोचते उसे नींद आ जाती है।
अगले दिन सबेरे 8:00 बजे-
“अमन उठो-उठो, अमन कॉलेज नहीं जाना…” रजिया रोज की तरह अमन को उठा रही थी।
अमन आँखें खोलता है तो उसे सामने रजिया दिखाई देती है वो मुश्कुराते हुए उसे उठा रही थी। अमन को रात वाली बात याद आ जाती है और वो उठकर बाथरूम चला जाता है।
रजिया उसे देखती रह जाती है। अमन फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर आता है। तब तक रजिया वहाँ से जा चुकी होती है। अमन हाल में आकर टीजी देखने लगता है। जहाँ पहले से अनुम नाश्ता कर रही थी।
अनुम-क्या हुआ अमन? तैयार नहीं हुआ, कॉलेज नहीं चलना?
अमन-नहीं दीदी, मेरा सर दर्द कर रहा है।
अनुम-टेबलेट लेकर आराम कर, मैं फ़िज़ा के साथ चली जाती हूँ।
रजिया किचिन से-“अनुम, मुझे भी कुछ शॉपिंग करनी है, मैं भी चलती हूँ। अमन दरवाजा बंद करके आराम करना और मैं अनुम के साथ चली जाती हूँ…”
अमन रजिया को कोई जवाब नहीं देता। उन लोगों के जाने के बाद अमन दरवाजा बंद कर देता है। अमन कुछ सोचकर रेहाना की तरफ चल देता है।
अमन-“चाचीज़ान, कहाँ हैं आप?” अमन लगातार आवाज़ें दे रहा था।
रेहाना-“मैं यहाँ हूँ अमन…” रेहाना अभी-अभी नहाकर बाथरूम से निकली थी। उसने सिर्फ़ तौलिया लपेट रखा था, और अंदर कुछ नहीं पहना था।
अमन रेहाना को इस हालत में देखकर सकपका जाता है।
रेहाना-आओ अमन, इस वक्त कैसे? कॉलेज नहीं गये?
अमन-सर दर्द कर रहा था और अम्मी भी बाजी के साथ बाहर गई हैं।
रेहाना-“इधर आ, मैं तेरा सर दबा देती हूँ…” और रेहाना बेड से पीठ टिका के बैठ जाती है।
अमन बेड पे लेट जाता है और अपना सर रेहाना की गोद में रख देता है।

रेहाना धीरे-धीरे अमन का सर दबाने लगती है-अमन एक बात पूछूं?
अमन-पूछो।
रेहाना-कल तुझे क्या हो गया था?
अमन-कुछ भी तो नहीं चाची।
रेहाना-“अच्छा बच्चू… अब चाची, कल तो रेहाना कह रहा था। सच कहूँ तो तेरे मुँह से रेहाना बड़ा अच्छा लगता है…


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अमन रेहाना के बाल पकड़कर अपनी तरफ खींचने लगता है और रेहाना झुकती चले जाती है। अमन रेहाना के होंठ चूसने लगता है।
रेहाना-“उंह्म्मह… क्या कर रहा है?” और रेहाना अमन के सीने को सहलाने लगती है।
अमन की हिम्मत बढ़ जाती है और वो रेहाना के मुँह में अपनी जीभ डाल देता है। रेहाना होश खोने लगती है। वो भी अमन के मुँह में जीभ डालकर लार पीने लगती है।
रेहाना-“गलप्प्प… स्स्स्स्स… म्म्म्म… उंन्ह… उंन्ह… अमन्न…”
दोनों एक दूसरे को चूस रहे थे, चाट रहे थे। तभी अमन रेहाना की तौलिया खोल देता है। रेहाना किसिंग में इतनी खो जाती है कि उसे होश ही नहीं रहता कि वो पूरी नंगी हो चुकी है। उसे तब होश आता है, जब अमन उसकी एक चूची मसलने लगता है।
रेहाना-“अह्म्मह… उंह्म्मह… अमन्न बेटा सस्स्स्स्सशह…”
अमन बेड से खड़ा हो जाता है। रेहाना शरमाकर अपना चेहरा नीचे कर लेती है। अमन अपने कपड़े उतारने लगता है-“तुम्हें और क्या अच्छा लगता है रेहाना?”
रेहाना अमन के बाल खींचते हुए-“तुम…”
अमन रेहाना का सर पकड़कर नीचे करने लगता है, और रेहाना झुकती चली जाती है। दोनों इतने करीब थे कि एक दूसरे की सांसें साफ सुनाई देती हैं। अमन रेहाना के होंठों पर अपने होंठ रख देता है।
रेहाना-“उंह्म्मह… सस्स्सस्स…”
अमन रेहाना के होंठों को चूस रहा था। अब रेहाना से भी बर्दाश्त नहीं होता और वो भी अमन के बाल में उंगलियाँ फँसाकर अमन के होंठ चूसने लगती है। दोनों एक दूसरे को चूस रहे थे तभी अमन रेहाना के मुँह में अपनी जीभ डाल देता है।


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रेहाना-“उंह्म्मह…” और रेहाना भी अमन के मुँह में जीभ डालकर लार पीने लगती है।
दोनों इस कदर एक दूसरे को चाट रहे थे कि रेहाना को होश ही नहीं रहता कि कब अमन ने उसका तौलिया खोलकर अलग कर दिया। जब अमन रेहाना के वपंक निपल को मरोड़ता है, तब उसे एहसास होता है कि वो नंगी हो चुकी है।
रेहाना-“अह्म्मह… उंह्म्मह… अमन नहींईई…”
पर अमन कहाँ रुकने वाला था। वो बेड से खड़ा हो जाता है, और अपने कपड़े उतारने लगता है। रेहाना मारे शरम के चेहरा घुमा लेती है। अमन पूरा नंगा हो जाता है। उसका 8” इंच लंबा और 3” इंच मोटा सफेद लण्ड फनफनाने लगता है। रेहाना जब उसे देखती है तो देखती रह जाती है। ये पहली बार था, जब उसके शौहर के अलाजा किसी और का लण्ड उसने देखा थ।
अमन रेहाना के करीब आकर उसके बाल पकड़ लेता है। जिससे रेहाना का मुँह खुल जाता है। और अमन जल्दी से अपना लण्ड उसके मुँह में डाल देता है।


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रेहाना-“उंन्ह… अमन नहीं सस्स्स्स्स… गलप्प्प… गलप्प्प्प…”
अमन-“चूस रेहाना, मेरी जान चूस इसे अह्म्मह… साली चूस…”
रेहाना-“गलप्प… गलप्प…” और रेहाना जोर से अमन के लण्ड को चूसने लगती है-गलप्प्प… उंह्म्मह… गलप्प्प… गलप्प्प…”
अमन-“अह्म्मह… साली पक्की रंडी अह्म्महईई आराम से अह्म्मह… रेहानाआअ…”
रेहाना अपने मुँह से अमन का लण्ड निकालकर-“चुप कर… ये मेरा है, मैं कुछ भी करूं गलप्प्प… गलप्प्प… उंह्म्मह…” अमन पहलेी बार अपना लण्ड किसी के मुँह में डाल रहा था। हालांकि उसने कई ब्लू फिल्में देखी थी, पर अनुभव उसे आज हो रहा था-“अह्म्मह… साली धीरे…” अमन से अब कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। वो रेहाना के मुँह से लण्ड निकाल लेता है, और उसे बेड पे धकेल देता है।

रेहाना अपने पैर खोल देती है, और उसे अपने ऊपर खींच लेती है।
अमन रेहाना के निपल को मुँह में लेकर चूसने लगता है।
रेहाना-“अह्म्मह… बेटा आराम से अह्म्मह… उंह्म्मह… अमन्न सस्स्स्स्स… धीरे राजा बेटा आह्म्मह… चूस इन्हें अमन बहुत परेशान करते हैं ये तेरी रेहाना को अह्म्मह… उंह्म्मह…”



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अमन जोर-जोर से रेहाना के निपल को चूस रहा था, वो निपल को काटने लगता है।
रेहाना-“अह्म्मह… सस्स्स्स्स… राजा बेटा धीरे ऊऊह्म्मह… अम्मीई…” रेहाना नीचे हाथ बढ़ाकर अमन का लण्ड हाथ में पकड़ लेती है, और उसे अपनी चूत पे रगड़ने लगती


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है-“अह्म्मह… डाल दो अमन्न… मत तड़पा अपनी जान को अह्म्मह…”
अमन वो बस बच्चे की तरह चूस रहा था सिहर उठता है। और रेहाना की दोनों चुचियाँ मसलने लगता है।
रेहाना-“उंह्म्मह… बेटा अमन आह्म्मह… डालो ना अंदर…” रेहाना अमन से चुदने के लिये मरी जा रही थी।
पर अमन था कि उसकी बात सुन ही नहीं रहा था।
रेहाना-“उंह्म्मह… अमन चोद मुझे… डाल दे अंदर तेरे चाची के… अह्म्मह… उंह्म्मह…”
अमन रेहाना की आँखों में देखते हुए-“पहले बोल तू मेरी कौन है?”
रेहाना-“अह्म्मह… उंन्ह… मैं तेरी बीवी हूँ। आज से तेरी रखैल हूँ अह्म्मह… तू वो कहेगा वो हूँ। बस मुझे चोद बेटा अह्म्मह…”
अमन-“मुझसे रोज चुदेगी? बोल साली…”
रेहाना-“हाँ… रोज, हर वक्त, जब तू कहे तब, जहाँ कहे वहाँ… अह्म्मह…”



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अमन रेहाना की कमर के नीचे हाथ डालकर अपना लण्ड उसकी चूत के मुँह पे टिकाकर जोर से धक्का मारता है-“ले रेहाना अह्म्मह…”
रेहाना 6 महीने से नहीं चुदी थे और अमन के इतने जोर के धक्के ने उसकी बच्चेदानी तक हिलाकर रख दिया था-“उंह्म्मह… अह्म्मह… अम्मी ऊऊऊऊ… उंह्म्मह… अमन… अह्म्मह… बेटे इतनी जोर से अह्म्मह…”
अमन कहाँ रुकने वाला था, वो तो दनादन लण्ड चूत में पेले जा रहा था-“ले साली अह्म्मह… अह्म्मह… चुद जा अपनी बेटे से ले…” और रेहाना की चुचियाँ मसलते हुए चोदे जा रहा था।
रेहाना-“अह्म्मह… उंह्म्मह… धीरे-धीरे बेटा अह्म्मह…” रेहाना की चूत पानी छोड़ने लगी थी जिससे अमन को चोदने में आसानी हो रही थी। फच-फच की आवाज़ें रूम में गूँज रही थीं।
रेहाना-“मैं छूटने वाली हूँ अह्म्मह… अमन…”
अमन-“मैं भी… कहाँ निकालूं पानी? अह्म्मह…”
रेहाना-“अंदर ही निकाल उंह्म्मह…”

और दोनों एक साथ डिस्चार्ज हो जाते हैं। दोनों की सांसें थमने लगती हैं। वो दोनों एक दूसरे को चूमने लगते हैं।
रेहाना-“अमन, तूने आज अपनी जान को वो खुशी दी है, वो मैं कई सालों से चाहती थी…”
अमन-सच?
रेहाना-हाँ अमन।
अमन-मैं भी तुझे चोदने के लिये तरस रहा था रेहाना।
रेहाना-अब तो मैं तेरी हो गई हूँ जब चाहे मुझे चोद, मैं मना नहीं करूंगी।
अमन-“हाँ जान…”
और दोनों 15 मिनट तक एक दूसरे में खो जाते हैं। तभी अमन की नज़र घड़ी पे पड़ती है-“बाप रे… मुझे जाना होगा, अम्मी आती होंगी…” और अमन बेड से खड़ा हो जाता है।
रेहाना भी अपने कपड़े पहनकर अमन को दरवाजे तक छोड़ने आती है। रेहाना दरवाजे पे अमन से चिपकके-“अमन, रोज चोदेगा ना मुझे?”
अमन उसे किस करते हुए-“रोज मेरी जान…” और अमन रेहाना को बाइ कहकर अपने घर कि तरफ बढ़ जाता है।
अमन अपने रूम में बेड पर लेट जाता है, और रेहाना के साथ की चुदाई को याद करके गरम होने लगता है। उसे अपनी किस्मत पे यकीन नहीं हो रहा था कि कैसे इतनी जल्दी उसे अपनी पहली चूत मिल गई पर उसे यकीन था कि इस परिवार की सभी चूतें उसे ज़रूर मिलेगी, क्योंकी इस परिवार में सिर्फ़ एक मर्द था और वो था खुद अमन। उसके अब्बू और चाचू तो महीनों बाहर रहते थे, जिससे उसकी अम्मी, खाला और चाची की चूत में खुजली बढ़ने लगी थी। वो अपने ही ख्यालों में गुम था। तभी डोरबेल बजती है तो वो दरवाजा खोलता है तो सामने उसकी अम्मी रजिया खड़ी थी।
रजिया-अमन, अब कैसी तबीयत है?
अमन उसे कोई जवाब नहीं देता और अपने रूम में चला जाता है।
रजिया सामान किचिन में रखकर अमन के रूम में आ जाती है। अमन बेड से पीठ टिकाए बैठा था। रजिया उसके पास बैठ जाती है। दोनों एक दूसरे को देख रहे थे मगर कोई कुछ बोल नहीं रहा था। रजिया अमन के करीब आती है, और उसके गले में बाहें डाल देती है। अमन उसे ही देख रहा था। दोनों की सांसें तेज चल रही थीं।

रजिया-“अमन, मुझे लगता है कि हमें थोड़ी और प्रेक्टिस करनी चाहिए…” और अमन के जवाब देने से पहले अपने होंठ अमन के होंठों पर रख देती है।
अमन रजिया को किस नहीं कर रहा था बस रजिया ही अमन के निचले होंठ को चूस रही थी। रजिया अमन के ऊपर चढ़ जाती है। अमन का लण्ड पहले से ही रेहाना की चुदाई सोच-सोचकर खड़ा हो गया था। ऊपर से रजिया की किस उसे और गरम कर रही थी। उसका गुस्सा शांत हो चुका था। अब वो भी रजिया को अपनी बाहों में भर लेता है, और रजिया को चूसने चाटने लगता है।
रजिया-“उंन्ह… उंह्म्मह… उन्न्न् गलप्प्प-गलप्प्प…”



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दोनों एक दूसरे के मुँह में अपनी जीभ डालकर किसिंग कर रहे थे। उनकी लार नीचे गिरने से पहले वापस मुँह में चाट ली जाती। वो दोनों अब पूरी तरह गरम हो चुके थे। अमन अपना हाथ रजिया की चुचियों पे रखकर दबाने लगता है।
रजिया-“उंह्म्मह… सस्स्स्स्सह उम्म्म्म…”
अमन पूरी ताकत से चुचियाँ मसल रहा था। रजिया की गाण्ड अमन के लण्ड पे घिसने लगती है। दोनों माँ बेटे किसी प्रेमी की तरह अपनी दुनियाँ में गुम थे अमन रजिया को नीचे कर लेता है, और उसके ऊपर चढ़ जाता है।
रजिया-“अह्म्मह… उंह्म्मह… गलप्प्प…”
अमन रजिया के ऊपर ऐसे चढ़ा हुआ था कि उसका लण्ड ठीक रजिया की चूत पे रगड़ खा रहा था, जिससे रजिया की चूत में पानी आने लगा था। अमन अपना हाथ रजिया की कमीज़ में डालने लगता है, और अंदर पहुँचकर पीछे से उसकी ब्रा खोल देता है।



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रजिया-“अह्म्मह… उंह्म्मह… अमन बेटा उंह्म्मह… अह्म्मह… नहीं उंह्म्मह…”
अमन कहाँ रुकने वाला था। वो तो रजिया की चुचियों को मसले जा रहा था। रजिया की चुचियाँ रेहाना की चुचियों से भी ज्यादा नरम थीं।
रजिया-“उंह्म्मह… अमन बस्स कर बेटा अह्म्मह
अमन रजिया की शलवार का नाड़ा खोलने ही वाला था कि डोरबेल बजती है। रजिया अमन को अपनी ऊपर से धकेलकर अपने रूम में भाग जाती है। उसके चेहरे से साफ लग रहा था कि वो चिढ़ी हुए है, उस कम्बख़्त डोरबेल बजाने वाले से।
अमन भी झुंझलाकर अपने आपको ठीक करके दरवाजा खोलता है तो सामने अनुम खड़ी थी।
अनुम-कितने देर से बेल बजा रही हूँ, कहाँ था?

अमन-“मैं कोई चपरासी नहीं हूँ, वो दरवाजे के पास बैठा रहूं। पढ़ाई कर रहा था…”
अनुम उसे गुस्से से देखते हुए-“बड़ा आया पढ़ाई करने वाला…” और पैर पटकके अपनी रूम में जाने लगती है। अनुम ने पीछे मुड़कर पूछा-अम्मी आ गई क्या?
अमन-हाँ, अपने रूम में होंगी।
उधर रजिया बाथरूम में अपनी चूत के दाने को मसलकर अपना पानी निकालने लगती है। अगर अनुम नहीं आती तो शायद आज रजिया चुद जाती।
9:00 बजे खाना खाने के बाद अमन हाल में बैठा टीजी देख रहा था। रजिया और अनुम किचिन में सफाई कर रहे थे।
अमन कुछ सोचते हुए-“अम्मी, मैं चाचीज़ान के यहाँ जा रहा हूँ उनके कंप्यूटर से नोटस निकालने हैं। अगर देर हो गई तो वहीं सो जाऊँगा।
रजिया-“ठीक है। रेहाना को मेरा सलाम कहना…”
फिर अमन अपने रूम में जाकर नाइट पैंट पहन लेता है। और रेहाना के घर की तरफ निकल जाता है। रेहाना और फ़िज़ा अभी-अभी खाना खाकर उठे थे और वो भी अपने बर्तन साफ करने में लगे थे। तभी अमन किचिन में दाखिल होता है।
अमन-सलाम चाचीज़ान।
रेहाना अमन को इस वक्त देखकर खुशी के मारे उछलना चाहती है। मगर फ़िज़ा के करीब होने से सिर्फ़ मुश्कुराकर जवाब देती है-“अरे अमन, आओ बेटा इस वक्त कुछ काम था?”
अमन-“वो चाचीज़ान, आपके रूम में वो कम्प्यूटर है। मुझे वो इश्तेमाल करना था, कुछ नोटस निकालने हैं। टेस्ट नज़दीक आ रहे हैं ना…”
रेहाना उसे घूरते हुए-“अच्छा अच्छा, जाओ इश्तेमाल कर लो। मैं तुम्हारे लिये चाय बनाकर लाती हूँ…”
फ़िज़ा-“क्या बात है अमन, आजकल बड़ी पढ़ाई हो रही है? हाँ…”
अमन-हाहाहाहा… बस दीदी आपका असर है।
फ़िज़ा उसे शरारती स्माइल देकर चली जाती है।
अमन रेहाना को अपनी बाहों में भर लेता है।
रेहाना-“अह्म्मह… अमन क्या कर रहा है? छोड़ मुझे, फ़िज़ा देख लेगी…”
अमन-“देखने दे, आज रात भर तुझे रगड़कर चोदना है। अम्मी ने यहाँ सोने के इजाजत दे दी है…” और अमन रेहाना के होंठ चूम लेता है।
रेहाना-“अह्म्मह… सच…” और रेहाना मारे खुशी के उसे काट लेती है। तभी फ़िज़ा की आवाज़ से दोनों अलग हो जाते हैं।
अमन कम्प्यूटर इश्तेमाल कर रहा था। इश्तेमाल क्या टाइम पास कर रहा था, और फ़िज़ा के सोने का इंतजार कर रहा था।
पर फ़िज़ा थी कि रेहाना के रूम में बैठी रेहाना से अपने कॉलेज की बातें किये जा रही थी। रेहाना की चूत में आज रात होने वाली चुदाई को सोच-सोचकर पानी आ रहा था। तभी अमन कम्प्यूटर बंद करके उनके साथ बातें करने लगता है। वो बेड से पीठ टिकाए बैठा था, रेहाना चेयर पे और फ़िज़ा सोफे पर। बातें करते-करते अमन अपने आँखें बंद कर लेता है, जैसे सो गया हो।
10 मिनट बाद जब अमन कोई रेस्पॉन्स नहीं देता तो फ़िज़ा धीरे से रेहाना से कहती है-“अम्मी लगता है कि अमन सो गया है। इतनी रात को इसे उठाकर भेजना ठीक नहीं लगता…”
रेहाना-“हाँ, बच्चा सो गया लगता है। मैं ऐसा करती हूँ कि रजिया बाजी को फोन करके बोल देती हूँ कि अमन कल नाश्ता करके आ जाएगा…”
फ़िज़ा-“हाँ, ये ठीक रहेगा। पर अम्मी आप कहाँ सोयेंगे?”
रेहाना-“बेटा, मैं नीचे बेड डाल देती हूँ। जैसे भी मेरी पीठ में दर्द है कल से। नीचे सोने से आराम मिल जाएगा…”
फ़िज़ा-“ओके अम्मी, मुझे भी बहुत नींद आ रही है। मैं चली सोने। बाययी गुड नाइट…”
रेहाना-गुड नाइट बेटा।
फ़िज़ा के जाने के बाद रेहाना अमन को घूरते हुये-“बहुत चालाक हो जानू…” और रजिया को फोन करके अमन के रुकने की इत्तेला दे देती है।
सभी दरवाजे बंद करके रेहाना फ़िज़ा के रूम में जाती है। फ़िज़ा घोड़े बेचकर सो चुकी थी। रेहाना के चेहरे पे मुश्कान आ जाती है। और वो रूम में जाकर दरवाजा बंद कर लेती है। फिर अलमारी से एक पतली सी नाइटी निकालकर पहन लेती है, और अपनी ब्रा और पैंटी उतार देती है। रेहाना बेड पे जाकर अमन के कान में धीरे से कहती है-“गुड नाइट अमन…”
अमन आँखें खोलकर रेहाना को अपने ऊपर खींच लेता है, और रेहाना को देखते हुए-“गुड नाइट… ऐसे कैसे गुड नाइट


पहले लण्ड को कर टाइट,
चूत से करने दे फाइट,
गिरने दे सफेद वीर्य,
तब होगा आल राइट’
तब कहना गुड नाइट।


रेहाना खिलखिलाकर हँसने लगती है, और अमन पे जाती है-“गंदे कहीं के…”

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अमन रेहाना की गाण्ड पकड़कर मसलने लगता है।
रेहाना-“अह्म्मह… उंह्म्मह… अमन उंह्म्मह…”
अमन-“रेहाना, आज तेरे तीनों सुराखों में लण्ड डालूंगा अह्म्मह…”
रेहाना-“अह्म्मह… उंह्म्मह… डालो ना जी, मैं तो पूरी की पूरी आपकी हूँ उंह्म्मह… अह्म्मह…”
अमन-“साली क्या बात है, एक ही चुदाई में तू से आप?”
रेहाना-“अमन, मैंने आपको अपना शौहर मान लिया है। अबसे रेहाना आपकी बीवी है, और बीवी को चोदने के लिये पूछा नहीं करते… बस चोदते हैं। ओह्म्मह… उंह्म्मह…”
अमन ने रेहाना की गाण्ड में एक उंगली डाल दी थी, जिससे रेहाना उछलने लगती है।
रेहाना-“उंह्म्मह… आअगघ… अह्म्मह…”
अमन रेहाना की नाइटी गले से उतार देता है, और उसे नंगी कर देता है। नाइट बल्ब की रोशनी में रेहाना का बदन चमकने लगता है। रेहाना की कमर थोड़ा बाहर निकली हुई थी पेट एकदम स्लिम और छाती बाहर एकदम परफ़ेक्ट बदन। अमन रेहाना की गाण्ड में उंगली करने लगता है।
रेहाना-“आआह्म्मह… उंह्म्मह… सुनिए, मुँह में डालिये ना…”
अमन-क्या?
रेहाना-आपका लण्ड।
अमन-चल मुझे नंगा कर

रेहाना अमन की नाइट पैंट खींच लेती है, और अंडरवेअर भी। अमन का लण्ड अपनी औकात में आ जाता है। रेहाना बिना देर किए उसके गुलाबी सुपाड़े पे चूम लेती है, और “गलप्प्प… गलप्प्प…” मुँह में भर लेती है। उंह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प।


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अमन-“धीरे, साली इतने जोर से नहीं अह्म्मह… अह्म्मह… धीरे ऊह्म्मह…”
रेहाना उसकी बात को अनसुना करके पूरी रफ़्तार से लण्ड चूसने लगती है-“गलप्प्प… गलप्प्प… गलप्प्प… उंह्म्मह… उंह्म्मह… उंह्म्मह…”
अमन रेहाना की गाण्ड पे थप्पड़ मारता जाता है-“चूस साली चूस… कमीनी अह्म्मह… अह्म्मह… अह्म्मह…”
रेहाना के थूक से अमन का लण्ड और चमकने लगता है-“उह्म्मह… गलप्प्प… गलप्प्प उंह्म्मह…”
फिर अमन रेहाना के बाल पकड़कर ऊपर खींच लेता है-“इधर आ रेहाना…” अमन रेहाना के होंठ चाटने लगता है। दोनों एक दूसरे की जीभ चाट रहे थे।
रेहाना-“उंह्म्मह… अह्म्मह…” फिर रेहाना अपनी चूत को और अमन के लण्ड को एक साथ सहलाने लगती है-“उंह्म्मह… अह्म्मह… आगगघ…”
अमन से बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था वो रेहाना को नीचे कर लेता है, और उसके पैरों के बीच आ जाता है।
रेहाना-“उंह्म्मह… अह्म्मह… जानू… अमन उंह्म्मह…”
अमन लण्ड को रेहाना के चूत पे घिसने लगता है।


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रेहाना-“अह्म्मह… ओह्म्मह… अह्म्मह… जानू चोदो ना जी अह्म्मह… उंह्म्मह… डालो ना अमन…”

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अमन रेहाना के आँखों में देखते हुए-“ले साली अह्म्मह… अह्म्मह…”
रेहाना-ओह्म्मह… इस्स्स्स्स… आह्म्मह… उंह्म्मह… अम्मी उंह्म्मह…”
अमन दनादन रेहाना को चोदने लगता है-“ले रेहाना… ले मेरी जान… चुद ले अपने शौहर से अह्म्मह…”
रेहाना-उंह्म्मह… आह्म्मह… उंह्म्मह… अमन्न जानू धीरे… उंह्म्मह… नहीं…”
दोनों एक दूसरे के अंदर बस समा जाना चाहते थे। अमन इतने जोर से रेहाना को चोद रहा था कि फटक-फटक की आवाज़ रूम में गूँज रही थी, ऊपर से दोनों के चिल्लाने की आवाज़ें। अमन रेहाना की गाण्ड को पकड़कर चोदे जा रहा था।
और रेहाना नीचे से गाण्ड उछाल-उछालकर उसका साथ दे रही थी-“अह्म्मह… उंह्म्मह… जानू…”

रेहाना की चूत पूरी तरह से चिकनी हो चुकी थी, जिससे अमन को चोदने में आसानी हो रही थी-“अह्म्मह… रेहाना तेरी चूत अह्म्मह… साली देख कैसे जा रहा है तेरी चूत में अह्म्मह… उंह्म्मह…”
रेहाना-“हाँ हाँ चोदो जानू अह्म्मह… चोदो अपनी रेहाना को अह्म्मह… चीर दो मेरे चूत को अह्म्मह… मैं चल भी ना पाऊँ, ऐसे चोदो अह्म्मह… उंह्म्मह… अह्म्मह…”
अमन-“अह्म्मह… रेहाना, आज रात भर तुझे चोदना है, रगड़कर जान उंह्म्मह…” दोनों तकरीबन आधे घंटे से चुदाई में मसरूफ थे।
रेहाना-“अह्म्मह… अमन मैं आ रही हूँ…”
अमन-“अह्म्मह… मैं भी… ले रेहाना तेरी चूत में मेरा पानी अह्म्मह… अह्म्मह… श्श्शह…”
और दोनों पानी छोड़ने लगते हैं। तकरीबन 10 मिनट बाद दोनों की सांसें सभलती हैं। अमन अभी भी रेहाना के ऊपर था। अमन रेहाना को अपने ऊपर खींच लेता है, और रेहाना को अपनी बाहों में भर लेता है। अमन रेहाना को अपने ऊपर ले लेता है, पर अमन का लण्ड अभी भी रेहाना की चूत में था और उसकी चूत से दोनों का पानी बाहर निकल रहा था। रेहाना अमन की छाती पे अपना सर रखे हुए उसके गुलाबी निपल्स को काटती है।
अमन-“अह्म्मह… क्या कर रही है?”
रेहाना-“मेरा जानू है, कुछ भी करू?”
अमन-“रेहाना, एक बात बता कि तू मुझसे चुदने के लिये कैसे तैयार हो गई?”
रेहाना-“क्योंकी मैं आपसे सच्ची मोहब्बत करती हूँ अमन…”
अमन-“झूठ… कुछ दिन बाद चाचू वापस आएंगे तो तू उनसे चुदाएगी और मुझे भूल जाएगी…”
रेहाना की आँखों में नमी आ जाती है, और वो अमन को देखने लगती है-“क्या मैं तुझे ऐसी औरत लगती हूँ, वो बस लण्ड के लिये मरती है? तेरे चाचू मेरे शौहर ज़रूर हैं, पर दिल की मोहब्बत मैं तुझसे करती हूँ और करती रहूगी मरते दम तक…” और अमन के ऊपर से उठने लगती है।
अमन उसे वापस खींच लेता है-“अरे, मैं तो मज़ाक कर रहा था जान…”
रेहाना-ऐसा मज़ाक दुबारा मत करना।
अमन रेहाना के होंठ को चूमते हुए-“नहीं करूगा…” फिर रेहाना की चूत में अमन का लण्ड जागने लगता है।
रेहाना-उंन्ह… अमन एक बात कहूँ?

अमन-बोल।
रेहाना-आई लव यू।
अमन रेहाना के होंठों को चूसने लगता है-“आई लव यू टू रेहाना…”
रेहाना-“अह्म्मह… क्या कर रहे हो? उंन्ह… वहाँ नहीं…”
अमन ने रेहाना की गाण्ड में एक साथ दो उंगलियाँ डाल दी थी, जिससे रेहाना मचल उठी थी।
रेहाना-“क्यों जी, क्या इरादा है? अह्म्मह… ओह्म्मह…”
अमन-“तेरी गाण्ड मारने का इरादा है। पर मुझे नहीं लगता कि तू मेरा ले पाएगी…”
रेहाना-“आप प्यार से डालोगे तो मैं ज़रूर ले लूंगी अह्म्मह… ऊऊह्म्मह…”
अमन-“अच्छा देखते हैं। जा तेल की बोतल लेकर आ…”
रेहाना अमन के लण्ड पे से उठ जाती है तो ‘पच्च’ की आवाज़ से अमन का लण्ड बाहर आ जाता है। और रेहाना गाण्ड मटकाते हुए तेल की बोतल लाने चली जाती है। अमन घड़ी के तरफ देखता है तो रात के 2:00 बज रहे थे।
रेहाना-“क्या देख रहे हो जी? आज आपको सोने नहीं दूंगी…”
अमन-“हाहाहाहा… साली छिनाल इधर आ, तेल लगा मेरे लण्ड में…”
रेहाना अपनी हथेली में तेल लेती है। मगर अमन के लण्ड पे तेल लगाने के बजाए खुद की चूत और गाण्ड पे तेल लगाने लगती है, और अमन का लण्ड मुँह में ले लेती है।


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अमन-“अह्म्मह… अह्म्मह… रेहाना धीरे, क्या कर रही है? अह्म्मह…”
रेहाना-“उंहूँ गलप्प्प… गलप्प्प… अह्म्मह… गलप्प्प… गलप्प्प…” और जोर-जोर से लण्ड चाटने लगती है। रेहाना का थूक अमन के लण्ड को गीला कर चुका था। रेहाना अमन के लण्ड को मुँह से निकालकर फिर तेल अमन के लण्ड पे लगाती है।
अमन-“अह्म्मह… रेहाना तू पक्की एक्सपर्ट है। चाचू का भी लण्ड ऐसे ही चूसती है क्या?”
रेहाना-“नाम मत लो उस हरामी का, मुझे यहाँ अकेले छोड़कर जहाँ गाण्ड मरा रहा है…”
अमन रेहाना के बाल खींचते हुए-इधर आ।
रेहाना तकलीफ और मस्ती में अह्म्मह… अह्म्मह… करते हुये अमन के पास आ जाती है।
अमन-चल घोड़ी बन जा।
रेहाना घोड़ी बन जाती है। उसके चुचियाँ नीचे लटक रही थी, गाण्ड पीछे की तरफ थी और बाल खुले हुए थे। अमन पागल हुआ जा रहा था और अपने लण्ड को मसलते हुए-“पहले कभी पीछे लिया है?”
रेहाना-नहीं जी।
अमन-थोड़ा दर्द होगा।
रेहाना-होने दो आप बस चोदो।
अमन पीछे से रेहाना की गाण्ड पे अपना लण्ड टिका देता है, और रेहाना के कंधे को पकड़कर जोरदार झटका देता है-“अह्म्मह… ले जान…”


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रेहाना-“अम्मी उंह्म्मह… अह्म्मह… नहींई निकालो जी उंह्म्मह… प्लीज़ बाहर निकालो उंह्म्मह… सुनिए ना जी बहुत दुखता है… अम्मी जी…”
अमन-“अह्म्मह… चुप कर, बस हो गया…” और एक जोरदार झटके से अपना पूरा लण्ड रेहाना की गाण्ड में पेल देता है।
रेहाना-“अह्म्मह… हाँ उंह्म्मह…” रेहाना के लिये दर्द बर्दाश्त करना मुश्किल था, मगर अमन की मोहब्बत उसे रोक रही थी चिल्लाने से। रेहाना बेड से चिपक जाती है।
अमन रेहाना की गाण्ड में धीरे-धीरे लण्ड अंदर-बाहर करने लगता है। वो सिर्फ़ दो इंच बाहर निकालकर पेल रहा था। मगर रेहाना को ऐसा लग रहा था जैसे अमन पूरा बाहर निकालकर जड़ तक पेल रहा है।
रेहाना-“अह्म्मह… अजी सुनिए, आराम से मारिये ना अह्म्मह…”
अमन-“हाँ मेरे रानी, बहुत टाइट है तेरी गाण्ड अह्म्मह… ओह्म्मह… उंह्म्मह…”
रेहाना-“चुचियाँ मसलते हुए चोदिए ना जी… अह्म्मह…”
अमन रेहाना की चुचियों को मसलते हुए रेहाना की गाण्ड मारने लगता है। अब थोड़ा आसानी से लण्ड अंदर जा रहा था-“रेहाना तू ठीक तो है ना? दर्द तो नहीं हो रहा ना जान? अह्म्मह…
रेहाना-नहीं, उंह्म्मह… मैं ठीक हूँ अह्म्मह… उंह्म्मह… अम्मी उंह्म्मह… ओह्म्मह…”
अमन अब दनादन गाण्ड में लण्ड डालने लगता है। जिससे पच-पच की आवाज़ आने लगती है-“अह्म्मह… रेहाना अह्म्मह…” अमन रेहाना से बुरी तरह ऊपर से चिपका हुआ था। उसके हर झटके से रेहाना बेड में धँस जाती थी।

रेहाना-“अम्म्म्मम जानू आपका बहुत बड़ा है। मेरी गाण्ड फट गई है। अह्म्मह…”

अमन-“आह्म्मह… मुझे फाड़नी है तेरी… साली, कल तू चल भी नहीं पाएगी ऐसे चोदना है तुझे आह्म्मह… ले ले ल्ले और जोर-जोर से। अह्म्मह… ऐसे-ऐसे होना ना तुझे ऐसे…” अमन रेहाना की कमर पकड़कर अपनी पूरी ताकत से उसकी गाण्ड मार रहा था।

रेहाना-हाँ हाँ अह्म्मह… ओईईए अम्मी उंह्म्मह… अगघ उंह्म्मह… अम्मी गग्गग्गग… सुनिए जी, सुनिए ना…”

अमन-अह्म्मह… बोल क्या हुआ?

रेहाना-“मुझे जोर से पेशाब आई है। बाहर निकालिये ना जी अह्म्मह… उंह्म्मह…”

अमन इतना हट्टा-कट्टा था कि एक साथ दो औरतों को अपनी गोद में उठा सकता था। अमन ने कहा-“रुक…” और रेहाना को अपनी गोद में उठा लेता है। रेहाना की गाण्ड में अभी भी लण्ड था और वो एक बच्चे की तरह पैर चौड़ा किये अमन की गोद में थी। अमन उसे रूम में बने बाथरूम में ले जाता है, और कमोड पे खड़ा कर देता है, और कहता है-“चल मूत…”

रेहाना-“उंह्म्मह…” वो कोशिश करती है, पर मूत नहीं पाती-“अह्म्मह… सुनिए, नहीं आ रहा है ना जी…”

अमन रेहाना को थोड़ा ठोंकता है, और दनादन-दनादन चोदने लगता है-“अह्म्मह… अह्म्मह… अह्म्मह… मूत साली…”

रेहाना अमन के इतने जोरदार झटकों से काँपने लगती है, और उसकी चूत से पेशाब निकलने लगता है-“अह्म्मह… अह्म्मह… अम्मी अम्मी… आययी अम्म्म्म…” पेशाब दोनों के पैरों से बहता हुअ नीचे गिर रहा था पर उन्हें इसकी परवाह नहीं थी।

“अह्म्मह… अह्म्मह…” अमन रेहाना की चुचियाँ मरोड़ते हुए-“हो गया?”

रेहाना-“हाँ अह्म्मह… मेरा पानी अह्म्मह…” अमन ने इतने जोर से रेहाना की गाण्ड मारी थी कि पेशाब करने के बाद रेहाना की चूत अब पानी छोड़ने लगी थी-“अह्म्मह… अह्म्मह…

अम्मी…” और रेहाना पानी छोड़ देती है। वो ढीली पड़ गई थी। पर अमन अभी तक झड़ा नहीं था। उसका स्टैमिना देखकर रेहाना पूछ बैठती है-“सुनिए, आपका पानी नहीं निकला?”

अमन-“नहीं… एक बार जब मेरा पानी निकल जाता है तो उसके बाद दुबारा पानी निकलने में वक्त लगता है…” ये कहकर अमन रेहाना की चूत से लण्ड निकाल लेता है।

रेहाना पानी से अपनी चूत और गाण्ड साफ करने के बाद अमन का लण्ड भी साफ करती है, और पेशाब भी।

अमन-चल बेड पे।
रेहाना-मुझसे चला नहीं जा रहा है।

अमन रेहाना को गोद में उठा लेता है, और उसके होंठों को चूसने लगता है-“तू बहुत नौटंकी करती है रेहाना…”

रेहाना-आपके हुंह्म्मह।

अमन रेहाना को बेड पे लेटाकर उसके बाजू में लेट जाता है।

रेहाना अमन से चिपक जाती है-एक बात कहूँ?
अमन-बोल।

रेहाना-“मैं चाहती हूँ कि मैं ऐसे ही पूरी नंगी हर रात आपकी बाहों में पड़ी रहूं और आप मुझे रोज चोदें…”

अमन-कुछ रोज रुक जा फिर तू जैसा चाहेगी वैसा होगा।

रेहाना-सच… और रेहाना अमन के ऊपर आ जाती है।

अमन-सुन मेरे लण्ड पे बैठ जा।

रेहाना-“जी…” और रेहाना पैर चौड़े करके अमन के लण्ड पे बैठते चली जाती है-“अह्म्मह… अह्म्मह… उंह्म्मह…”

अमन रेहाना को अपने से चिपकाकर नीचे से लण्ड उसकी चूत में पेलने लगता है-“अह्म्मह… अह्म्मह… रेहाना अह्म्मह…”

रेहाना ऊपर से अपनी गाण्ड हिलाने लगती है, जैसे अमन को चोद रही हो और अपनी चुचियाँ अमन के बालों वाले छाती पे रगड़ने लगती है-“अह्म्मह… आग्गगघ…”


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अमन रेहाना को चोदे जा रहा था और उसकी जीभ को मुँह में लेकर चूसने लगा था। रेहाना की गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह… उंह्म्मह… अह्म्मह… ऊऊऊ ओह्म्मह… फच-फच, पच-पच रूम में उन दोनों की आवाज़ें माहौल को और रोमांटिक बना रही थीं।

अमन-“अह्म्मह… ले मेरा पानी आह्म्मह… अह्म्मह…” और अमन रेहाना की चूत में पानी छोड़ देता है।

रेहाना भी तीसरी बार झड़ रही थी-“अह्म्मह… उंह्म्मह…”
दोनों एक दूसरे से चिपके एक दूसरे को शांत कर रहे थे।

10 मिनट बाद रेहाना ने कहा-सुनिए जी।
अमन-बोल।

रेहाना-आप मुझे कल प्रेग्गनेन्सी रोकने की गोलियाँ लाकर देंगे।

अमन-क्यों?

रेहाना-“आपने मुझे इतनी बार चोदा है, मैं प्रेग्गनेंट हो सकती हूँ… मैं रिस्क नहीं लेना चाहती…”

अमन-“क्यों, मेरा बच्चा पैदा नहीं करेगी?”

रेहाना-करूंगी, पर वक्त आने पे।
अमन-ठीक है, ला दूंगा। अब सो जा रात के 3:00 बज रहे हैं।

रेहाना-आप सो जाओ, मैं आपके ऊपर ही सोऊँगी।

अमन-ठीक है, बाहर निकालूं?

रेहाना-“नहीं, अंदर ही रहने दो ना…”

फिर अमन आँखें बंद कर लेता है। रेहाना अमन के ऊपर उससे चिपकी उसका लण्ड अपनी चूत में रखे लेटे हुए अपनी आने वाली जिंदगी के बारे में सोचने लगती है।

सबेरे 5:00 बजे-
अमन और रेहाना एक दूसरे की बाहों में सो चुके थे। कुछ देर बाद अमन की आँख खुलती है। और वो अभी भी रेहाना को अपने ऊपर चिपका पाता है। अमन का लण्ड ढीला था मगर रेहाना की चूत में था। अमन रेहाना के बालों में हाथ डालकर सहलाने लगता है, और एक हाथ से रेहाना की कमर सहलाता है।

रेहाना अभी-अभी सोई थी-“उंन्ह… सोने दीजिये ना…”

अमन बिना कुछ कहे रेहाना को सहलाता रहता है। रेहाना जाग जाती है, और अमन की आँखों में देखते हुए-“आज आप सोने नहीं दोगे? है ना…”

अमन-नहीं।

रेहाना-फिर?

अमन-चोदना है।

रेहाना-“उंह्म्मह… नीचे लो मुझे…”

अमन रेहाना को नीचे लेता है, और उसकी चुचियों को मसलते हुए-“सुन… लण्ड को टाइट कर…”

रेहाना-“हाँ…” और रेहाना उठकर अमन का लण्ड मुँह में ले लेती है। अमन के लण्ड पे उन दोनों का पानी रेहाना को मदमस्त कर रहा था-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”

अमन-“आ जा…” अमन का लण्ड तो टाइट था ही, बस उसे गीला करना था।


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रेहाना अमन के नीचे अपनी टाँगें खोल देती है। और अमन रेहाना के दोनों पैर हवा में उठा देता है। फिर उसकी चूत पे लण्ड रगड़कर अंदर डालने लगता है।
रेहाना-“अह्म्मह… अह्म्मह… जानू अह्म्मह…”

अमन-“रेहाना अह्म्मह… अह्म्मह…”

रेहाना-“आप जब भी मेरी चूत के अंदर लण्ड डालते है तो ऐसा एहसास होता है कि जैसे पहली बार चुद रही हूँ अह्म्मह… धीरे-धीरे जी… अम्मी अम्मी…”

अमन ताकत से रेहाना को चोद रहा था। रेहाना उसके पेट को कुरेदने लगती है। दोनों चुदाई में मस्त थे अपनी ही दुनियाँ में। 30 मिनट बाद दोनों फिर से झड़ जाते है। और फिर से लेट जाते हैं।

सुबह 7:00 बजे-
उन दोनों को सोये हुये एक घंटा ही हुआ था कि फ़िज़ा दरवाजा खटखटाते हुए-“अम्मी दरवाजा खोलिये, मुझे ट्यूशन जाना है…”

रेहाना हड़बड़ाते हुए उठ जाती है, और जल्दी से अमन को उठाती है-“उठो अमन, अपने कपड़े पहनो। फ़िज़ा दरवाजे पे है…”

अमन जल्दी से उठ जाता है। दोनों अपनी कपड़े पहन लेती हैं। फिर अमन अपने बेड पे लेट जाता है। और आँखें बंद करके कंबल ले लेता है।

रेहाना कपड़े पहनकर दरवाजा खोलती है। उसकी आँखें लाल थीं और बाल खुले हुए।
फ़िज़ा-अम्मी, क्या हुआ, आपकी आँखें लाल क्यों हैं?
रेहाना-“कु…कुछ नहीं बेटा, नीचे रात में नींद देर से आई थी। तुम बैठो, मैं नाश्ता बनाती हूँ…” और रेहाना बाथरूम में घुस जाती है।
 
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फ़िज़ा अंदर आकर रूम में देखने लगती है। अमन बेड पे लेटा हुआ था। एक बेड नीचे लगा हुआ था, मगर वो ऐसा था जैसे उसपे कोई सोया ही नहीं था। फ़िज़ा अपना सर झटक के बाहर आ जाती है।

रेहाना फ्रेश होकर नाश्ता बनाती है, और नाश्ता फ़िज़ा को देती है।

फ़िज़ा रेहाना का चेहरा देखने लगती है। शायद कुछ ढूँढ़ने की कोशिश करती है।

रेहाना-“क्या हुआ बेटा, नाश्ता करो ना…” रेहाना अंदर ही अंदर कांप रही थी पर जाहिर नहीं कर रही थी।

फ़िज़ा-“अम्मी, मैं 11:00 बजे वापस आऊँगी…” और फ़िज़ा ट्यूशन के लिये चली जाती है।

रेहाना ‘गुड-बाइ’ कहकर दरवाजा बंद करके अमन के पास आती है-“उठो अमन, फ्रेश हो जाओ। मैं भी फ्रेश होने जा रही हूँ…”

अमन उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर खींच लेता है-“रेहाना, आज मियां-बीवी साथ में नहाएंगे…”

रेहाना अमन को देखती हुई-“वो हुकुम, मेरे सरताज…”

फिर दोनों बाथरूम में घुस जाते हैं। बाथरूम काफी बड़ा था। ठंडे गरम पानी का इंतेजाम भी था। दोनों एक दूसरे को देखते हुए अपने सारे कपड़े उतार देते है। अमन रेहाना को अपने पास खींचकर शावर चला देता है।

रेहाना-“अह्म्मह…” करके अपने जिस्म पे गर्म पानी और अमन की बाहों में पिघलने लगती है।

अमन-“मुँह मुंआह्म्मह मूंन्ह्म्मन…” रेहाना के होंठ चूसने लगता हैं। दोनों एक दूसरे की जीभ चूस रहे थे, साथ-साथ एक दूसरे पे अपने जिस्म रगड़ रहे थे।

रेहाना साबुन लेकर अमन के पूरे शरीर पे लगाती है। उसके लण्ड पे, अपनी चूत पे, गाण्ड पे और दोनों एक दूसरे से चिपक के अपनी चूत और लण्ड घिसने लगते हैं। अमन का लण्ड खड़ा हो चुका था और रेहाना की चूत में घिस रहा था।

रेहाना-“अह्म्मह… ओह्म्मह… अमन…”

अमन रेहाना की गाण्ड पकड़कर रेहाना को अपनी गोद में उठा लेता है। रेहाना अमन की छाती से चिपक जाती है। अमन लण्ड को पकड़कर नीचे रेहाना की चूत में डाल देता है-“अह्म्मह… आह्म्मह… रेहाना…”


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रेहाना-“उंह्म्मह… चोदो जी अह्म्मह… उंन्ह जानू उंह्म्मह…” और रेहाना अमन के लण्ड पे उछलने लगती है। चिकनाहट की वजह से सटासट-सटासट लण्ड रेहाना की चूत में आ जा रहा था-“ऊऊऊह्म्मह… जानू हूँ…” दोनों से बर्दाश्त करना मुश्किल था दोनों एक साथ पानी छोड़ देते हैं।

अमन-“रेहाना अह्म्मह…” और अमन रेहाना को नीचे उतार देता है। दोनों एक दूसरे को घिसते हुए नहाने लगते हैं। बाहर आकर अमन अपने कपड़े पहन लेता है।

रेहाना भी कपड़े पहनकर डाइनिंग टेबल पे अमन को नाश्ता देती है।

अमन रेहाना का हाथ पकड़कर अपनी गोद में बिठा लेता है-“यहाँ बैठ… आज साथ में नाश्ता करेंगे…”

रेहाना-“जी…” और दोनों नाश्ता एक दूसरे को खिलाने लगते हैं।

अमन-“मुझे चलना चाहिए, अम्मी नाराज ना हो जाएं कहीं?”

रेहाना अमन के होंठ चूमते हुए-दिल नहीं कह रहा।

अमन रेहाना के चूत पे हाथ रखकर-इसे काबू में रख।

रेहाना-“अह्म्मह… नहीं रहती, बस आपको पूछती है…”

दोनों एक दूसरे को 5 मिनट तक किस करने के बाद अलग हो जाते हैं, और अमन रेहाना को बाइ कहकर अपने घर की तरफ चला जाता है। रेहाना अमन को जाते देखती रहती है। रेहाना पूरी तरह अमन की बीवी बन चुकी थी और अपने शौहर को भूल चुकी थी। अमन उसे बहुत प्यार करता था, पर उतना नहीं जितना रेहाना।
रेहाना दिल में-“काश अमन… तुम मेरे शौहर होते तो जिंदगी जन्नत होती…” फिर अपने ख्यालों से कुछ देर बाद जागते हुए मुश्कुराते हुए दरवाजा बंद कर लेती है, और अपने घर के काम करने चली जाती है।


***** *****अमन का बर्थ-डे


अमन अपने घर में दाखिल होता है।
रजिया-आ गये अमन, नाश्ता करोगे?

अमन-नहीं अम्मी, मैं करके आया हूँ।

रजिया-“इधर दिखाओ… ये क्या, तुम्हारी आँखें लाल क्यों हो गई हैं?”

अमन-“हाँ, वो शायद इन्फेक्षन हो गया है…” और अमन अपने रूम में चला जाता है।

रजिया उसे जाता देखती रहती है। आखिर वो दिन भी आ ही गया जिसका अमन और शायद रजिया को भी बेसब्री से इंतजार था-अमन का बर्थ-डे।

रजिया ने आज अमन के बर्थ-डे को अच्छे से सेलीब्रेट करने का सोचा था, इसलिये उसने अपनी बहन हीना, शीबा, देवरानी रेहाना और फ़िज़ा को भी पार्टी के लिये इनवाइट किया था और रात में डिनर का भी इंतेजाम किया गया था।

अमन फ्रेश होकर हाल में आकर बैठ जाता है। अनुम भी वहीं पहले से टीजी देख रही थी।

अनुम-“तो लाट साहब का आज बर्थ-डे है?”

अमन उसे मुश्कुराते हुए देखता है।

अनुम-क्या गिफ्ट चाहिए तुम्हें मुझसे?

अमन-“दीदी, गिफ्ट माँगा नहीं करते… जो भी आप दिल से दोगी, मैं रख लूंगा…”

अनुम-ठीक है, सोचेगे?
वो दोनों ऐसे ही बातें कर रहे थे तभी रजिया किचिन से आवाज़ लगाती है-“अनुम बेटा, रात के तैयारी भी करनी है। वहाँ कहाँ बैठ गई…”

अनुम-“आई अम्मी…” और अनुम अमन को गाल पे थपथपाते हुए चली जाती है।

अमन थका हुआ था, वो सोने चला जाता है।
7:00 बजे सभी मेहमान आ चुके थे और सभी अमन का इंतजार कर रहे थे, खास तौर पे रेहाना। पर अमन था कि लड़कियों की तरह तैयार हो रहा था। जब वो अपने रूम से बाहर आया तो सब उसे देखते ही रह गए। अमन ब्लैक जीन्स, स्काइ ब्लू शट़ और उसपे जैकेट पहने किसी राजकुमार की तरह लग रहा था। और उसकी चौड़ी छाती उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रही थी।

सबसे पहले रेहाना उसके पास आती है, और अमन को गले लगाकर मुबारक बाद देती है-“धीरे से अमन के कान में हैपी बर्थ-डे जानू…” कहती है।

अमन रेहाना को बाहों में ले लेता है, पर उसका दबाव कुछ ज्यादा था जिससे रेहाना की चुचियाँ उसकी चौड़ी छाती में धँस जाती हैं।
हीना-अरे भाई, हमें भी मिलने दो।

अमन-खाला जान, आप कितनी प्यारी लग रही हैं?

हीना जाकई में बहुत खूबसूरत लग रही थी किसी 20 साल की लड़की की तरह-“आ जा मेरा बच्चा…” और हीना अमन को अपने गले से लगा लेती है-“साल गिरह बहुत-बहुत मुबारक हो बेटा…”

अमन हीना को अपने गले लगा लेता है। हीना उससे थोड़ी छोटी थी इसलिये अमन उसे गले लगाकर ऊपर उठा लेता है, और कस लेता है। जिससे हीना की सुडौल चुचियाँ अमन की छाती में धँस गई थीं।

हीना ‘अह्म्मह’ की एक हल्की सी सिसकी के साथ अमन को घूरते हुए-“तुम सच में बड़े हो गये हो अमन…”

अमन-“हाहाहाहा… खाला जान…” और एक बार और कस के हीना को कस लेता है।

ये सिर्फ़ कुछ सेकेंड की बात थी पर इसकी वजह से तीन लोग बहुत बुरी तरह से जल-भुन गये थे, रजिया, रेहाना और अनुम।

फिर सभी अमन से बारी-बारी मिलते हैं। पर अमन की नज़र हीना की बेटी शीबा पे जाकर रुकी। शीबा एक बेहद हसीन 18 साल की जवान लड़की थी, गुलाबी होंठ, पतली कमर, थोड़े सी छाती बाहर, और जब वो हँसती थी तो उसके गालों में पड़ते गड्ढे, अमन को पागल बना रहे थे। जब शीबा अमन के गले लगी तो अमन ने वहीं किया जो उसने रेहाना और हीना के साथ किया था।
शीबा थोड़ा गुस्सा हो जाती है, और अमन को खा जाने वाली नज़रों से देखने लगती है।

सभी ने अमन को गले लगाकर विश किया और अच्छे अच्छे गिफ्ट भी दिए। रेहाना थोड़ी जेलस थी, शायद वजह ये थी की आज अमन ने उसपे कुछ खास ध्यान नहीं दिया था। रेहाना तो चाहती थी कि इस वक्त यहाँ कोई ना हो, सिर्फ़ वो हो और अमन हों।

पार्टी भी हुई, अमन ने केक भी काटा और सभी को खिलाया भी। डिनर के बाद सभी हाल में बैठे बातें कर रहे थे। पर अमन उसकी अम्मी रजिया को घूर रहा था, क्योंकी रजिया ने अमन को कोई गिफ्ट नहीं दी थी।

11:00 बजे तो सबसे पहले हीना और शीबा ने, फिर रेहाना ने रजिया को अच्छी पार्टी और डिनर के लिये शुकिया कहा और अपने घर की तरफ चली गई।
अनुम और फ़िज़ा किचिन में रजिया के साथ सफाई कर रही थीं।

फ़िज़ा ने रजिया से कहा-“बड़ी अम्मी, आज अनुम दीदी हमारे घर रुक सकती हैं? मुझे उनसे कुछ नोटस की डिस्कशन करनी है…”
रजिया कुछ सोचते हुए-“बिल्कुल बेटा, ये भी कोई पूछने वाली बात है?”

कुछ देर बाद अनुम फ़िज़ा के साथ उनके घर चली जाती है। अब घर में सिर्फ़ रजिया और अमन थे। अमन सोफे पे बैठा अपनी गिफ्ट्स देख रहा था और रजिया किचिन में साफ बरतन शेल्फ में लगा चुकी थी। रजिया अमन के पास सोफे पे आकर बैठ जाती है।

अमन उसे उदास चेहरे से देखती हुए-“अम्मी, आपने मुझे कोई गिफ्ट नहीं दिया, ना ही वो प्रोमिस, वो आपने मुझसे किया था।

रजिया-“ह्म्मम्म्म्म… तो अमन को अपना गिफ्ट चाहिए?”

अमन खुश होते हुए-हाँ हाँ चाहिए।

रजिया अमन के सर को पकड़कर अपनी तरफ घुमाते हुए उसके आँखों में देखते हुए-“उसके लिये तुम्हें थोड़ा सा इंतजार करना पड़ेगा…”
अमन-“और इंतजार नहीं ना होता…”

रजिया-“इतना इंतजार किए और थोड़ा नहीं कर सकते?”

अमन-ठीक है।

रजिया सोफे से उठते हुए-“अमन यहीं बैठो, और जब तक मैं ना बुलाऊँ, मेरे रूम में मत आना…”
अमन-“ओके…”

रजिया अपने रूम में चली जाती है। तकरीबन आधे घंटे बाद अमन परेशान होने लगता है। उसे लगने लगता है कि रजिया ने उसे बेवकूफ़ बनाया और सोने चली गई। अमन उठकर रजिया के रूम में जाकर देखने का सोचता है।

तभी रजिया की आवाज़-“अमन, यहाँ आओ…”

अमन खुशी के मारे दौड़ता हुआ रजिया के रूम में चला जाता है। रूम की लाइट आफ थी और एक अजीब से रूम फ्रेशनर की खुश्बू उसे चौंका देती है। अमन लाइट ओन कर देता है, और वो सामने उसे दिखाई देता है… वो तो उसने अपने ख्वाब में भी नहीं देखा होगा ना कभी सोचा था।

रजिया लाल रंग की साड़ी में बेड के बीचो-बीच दुल्हन बनी बैठी थी। बेड पे गुलाब की पंखुड़ियाँ फैली हुई थीं और रजिया सर पे घूँघट डाले बैठी थी। अमन का मुँह खुला का खुला रह जाता है, और वो कुछ सेकेंड के लिये जैसे कोमा में चला गया था।
जब अमन कोई रेस्पॉन्स नहीं देता तो रजिया उसे आवाज़ देती है-“यहाँ आइए ना…”

अमन खुशी और जोश में बेड पे जाकर बैठ जाता है, और धीरे-धीरे रजिया का घूँघट उठा देता है। रजिया किसी 18 साल की जवान दुल्हन की तरह लग रही थी, होंठों पे हल्की सी लाल लिपिस्टिक, हल्का सा मेकअप, बाल खुले हुए और होंठों पे आने वाले लम्हों की खुशी साफ-साफ दिखाई दे रही थी। अमन रजिया का चेहरा ऊपर

उठाता है। अमन जान चुका था कि रजिया आज से उसकी दुल्हन है। इसीलिये वो भी उसे दुल्हन की तरह ट्रीट करना चाहता था।
अमन-ऊपर देखो रजिया।

रजिया अपनी नज़रें ऊपर उठाते हुए-“एक बार और कहो ना…”

अमन-क्या?

रजिया-“मेरा नाम आपके मुँह से कितना अच्छा लगता है…”

अमन-“रजिया… रजिया… रजिया मेरी जान…” और अमन रजिया के गुलाबी होंठों पे अपने होंठ रख देता है। दोनों माँ बेटे एक दूसरे की बाँहों में आ जाते है। इस पल का दोनों को बेसबरी से इंतजार था। दोनों को कोई जल्दी नहीं थी। दोनों किसी बिछड़े प्रेमी के तरह एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे।
अमन रजिया की ठोड़ी ऊपर उठते हुए अपनी जीभ रजिया के मुँह में डालने लगता है।


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रजिया-“गलप्प्प-गलप्प्प मआह्म्मह… मुअह्म्मह… हुंन्ह…” और रजिया अमन को कस लेती है।

अमन-“मआह्म्मह… मुअह्म्मह… अया… रजिया मेरी दुल्हन आह्म्मह…”

रजिया-“हाँ हाँ अमन… आपकी दुल्हन… आंह्म्मह आज से आपकी हुई… आह्म्मह… लगा दो मुझपे अपनी मुहर उंह्म्मह… मुउह्म्मह…”


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अमन तो जैसे पागल हुए जा रहा था-“हाँ रज्जो, मेरी जान आज से तू मेरी है। आह्म्मह… सिर्फ़ मेरी…” फिर अमन रजिया का आँचल निकाल देता है, और अपना हाथ पीछे लेजाकर रजिया का ब्लाउज खोल देता है। आज रजिया अमन को किसी भी बात के लिये रोकने वाली नहीं थी।

जिस दिन अमन ने रजिया को पहली बार किस किया था उसी वक्त रजिया के दिल में अमन के लिये प्यार की कली ने सर उठा लिया था। उस दिन से वो अमन को अपना बेटा नहीं, बल्की अपने बेटे से कहीं ज्यादा मान चुकी थी।
अमन रजिया की ब्रा खोल चुका था, कहा-“रज्जो खड़ी हो…”

रजिया जल्दी से खड़ी हो गई। अमन ने रजिया की साड़ी की गाँठ सामने से निकाल दे और साथ ही उसके लहंगे का नाड़ा भी खींच लिया लहंगा नीचे गिरते ही रजिया नंगी हो गई क्योंकी उसने पैंटी नहीं पहनी थी। रजिया ‘अह्म्मह’ करती है और शरम के मारे अमन से चिपक जाती है। अमन अपना हाथ नीचे लेजाकर रजिया की चूत सहलाने लगता है।


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रजिया-“उंह्म्मह… उंन्ह… अमन्न्न उंह्म्मह…”

अमन रजिया के बाल पकड़कर खींचता है, जिससे रजिया का सर ऊपर उठ जाता है। अमन उसकी आँखों में देखते हुए-“साली नाम लेती हैं? मेरे जानू बोल…”

रजिया-“हाँ हाँ जानू… मेरे जानू अह्म्मह… उंह्म्मह…”

अमन-“चल मुझे नंगा कर… कर जल्दी…”

रजिया अमन की शट़ उतार देती है। उसके हाथ काँप रहे थे।
अमन थोड़ा तेज आवाज़ में-“पैंट कौन उतारेगा? तेरी बहन?”

रजिया पैंट उतारते हुये-“गुस्सा क्यों होते हो?” और रजिया अमन की पैंट उतार के नीचे कर देती है।

पैंट नीचे उतरते ही अमन का लण्ड अंडरवेअर में तन जाता है। फिर ‘अह्म्मह’ करके रजिया अमन के लण्ड को अंडरवेअर के ऊपर से पकड़ लेती है।
अमन-“अह्म्मह… रज्जीऊऊऊ…”

रजिया अंडरवेअर भी नीचे कर देती है-“अह्म्मह… जानूऊउ…”

अमन रजिया का कंधा पकड़कर नीचे बैठा देता है-“चल मुँह खोल…”

रजिया मुँह खोल देती है। और अमन अपना लण्ड रजिया के मुँह में डाल देता है।


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रजिया-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह… उंह्म्मह…” तभी रजिया का फोन बजता है।

अमन फोन देखते हुए-“अब्बू का फोन है…”

रजिया कोई जवाब नहीं देती, वो तो बस अमन के लण्ड को मुँह की गहराईयों में उतारती चली गई थी-“गलप्प्प-गलप्प्प…”
अमन-हेल्लो।

अमन के अब्बू-“अमन, हैपी बर्थ-डे बेटा। कैसे हो?”

अमन-“अह्म्मह… मैं ठीक हूँ अब्बू…”

अमन के अब्बू-अरे, क्या हुआ? तुम्हारी आवाज़ लड़खड़ा क्यों रही है?”
अमन-“ अब्बू कुछ नहीं अब्बू… आपका फोन उठाने भागता हुये आया ना इसलिये साँस फूल गई है…”

रजिया उसके मुँह में लण्ड लिये देखती हुई लण्ड को दाँतों से थोड़ा दबाती है।

अमन-“अह्म्मह…” और अमन रजिया के बाल पकड़कर खींचता है।

अमन के अब्बू-तुम ठीक तो हो ना बेटा?

अमन-“जी… जी अब्बू… वो पैर पे सोफा लग गया, अंधेरा है ना हाल में…”

अमन के अब्बू-अच्छा… तुम्हारी अम्मी कहाँ हैं?

अमन-“ वूऊऊ सो गई हैं अब्बू…”

अमन के अब्बू-“अच्छा ठीक है। सुनो, मैं और तुम्हारे चाचू 10 दिन बाद इंडिया आ रहे हैं…”

अमन-ठीक है अब्बू… मैं अम्मी से बोल दूंगा। बैटरी लो है, बाद में बात करता हूँ। बाययी…” और अमन फोन रख देता है।
अमन-“अह्म्मह… साली अपने शौहर से बात नहीं करनी तूने?”

रजिया-“उंह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प… वो मेरा शौहर नहीं है, मेरा शौहर ये है। गलप्प्प-गलप्प्प जिसका मैं लण्ड चूस रही हून्न गलप्प्प…”


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अमन-“अह्म्मह… साली, तुझे तो मैं बताता हूँ…” फिर अमन रजिया का सिर एक हाथ से पकड़ लेता है, और दूसरे हाथ से रजिया की नाक दबा देता है, और जोर से लण्ड उसके मुँह में पेल देता है, गले तक…”

रजिया-“गूँ-गूँ घुऊउ उंह्म्मह… घूँ-घून्न-घून्न…” रजिया का चेहरा लाल हो जाता है। आँखें बाहर की तरफ आने लगती हैं। साँस रुकने से वो काँपने लगती है।

अमन-“ले अह्म्मह…” और अमन जोर से अंदर-बाहर करने लगता है।

रजिया-“घून्न-घून्न-घून्न उंह्म्मह…” और रजिया की राल गिरने लगती है, वो रजिया की जांघों पे गिर रही थी।

अमन नाक छोड़ देता है।

रजिया-“अह्म्मह… अह्म्मह…” लंबी-लंबी सांसें लेने लगती है-“अह्म्मह… जानू, मारने का इरादा है क्या?”

अमन-“नहीं… रगड़कर चोदने का…” और फिर से अपना लण्ड रजिया की चूत में पेल ने लगता है।

रजिया-“उंह्म्मह… उंह्म्मह… अह्म्मह… ओह्म्मह… उंह्म्मह… जानूउ…”

अमन रजिया के मुँह से लण्ड निकालकर उसे गोद में उठा लेता है, और बेड पे पटक देता है। अब रजिया बेड पे पूरी नंगी पड़ी थी और पैर खुले हुए थे। अमन उसके पैरों के पास आ जाता है, और रजिया की चूत देखने लगता है। वो बिल्कुल गुलाबी थी, चूत के होंठ पतले अंदर की तरफ मुड़े हुए थे। ऐसा लगता था, जैसे ये रजिया की पहली चुदाई हो। जोश की वजह से रजिया की चूत के होंठ थरथरा रहे थे जैसे उसे बस जल्द से जल्द लण्ड चाहिए।

रजिया-क्या देख रहे हो जी?

अमन रजिया की चूत पे झुकता चला जाता है, और उसकी चूत पे अपनी जीभ रख देता है।


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रजिया अपनी गाण्ड ऊपर उठाते हुए-अम्मीईई अह्म्मह… जानू क्या जी… उंह्म्मह… अह्म्मह… उंह्म्मह…” और रजिया बेडशीट को कसकर पकड़ लेती है-उंह्म्मह अमन्नन् उंह्म्मह…”
अमन पागलों की तरह रजिया की चूत चाटता जा रहा था-“गलप्प्प मुआह्म्मह… गलप्प्प मुआह… गलप्प्पप मुआह्म्मह…”

रजिया-“जानू, मैं मर जाऊँगी अह्म्मह…” शायद पहले कभी भी रजिया की चूत को किसी ने नहीं चाटा था। रजिया जोर-जोर से कमर उछालने लगती है। उसका बदन ऐंठ जाता है। और उसकी चूत से पानी की फुहार निकल जाती है। रजिया अमन के सर को अपनी चूत पे दबाते हुए-“अह्म्मह… अह्म्मह… अह्म्मह…”

अमन पहली बार चूत का पानी चाट रहा था-“ओह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”

रजिया ठंडे होने की बजाए और जोश में आ चुकी थी-“ सुनिए … सुनिए ना जी… जानू…”

अमन-“हाँ बोल्ल…”

रजिया-“चोदिए ना पहले, बाद में चाट लेना… अह्म्मह… चोदो ना जी… जानू अह्म्मह… अम्मी प्लीज़… प्लीज़ जानू… चोदो अपनी रज़िया को… अह्म्मह…”


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अमन रजिया के ऊपर चढ़ जाता है, और उसके चुचियाँ अपने मुँह में लेते हुए अपने लण्ड को रजिया की चूत पे घिसने लगता है-“ले रजिया अह्म्मह… अह्म्मह… अह्म्मह…”
रजिया-“ओह्म्मह… ओह्म्मह… आगज्गा आगज्गा अह्म्मह उंह्म्मह… अम्मी… अम्मी…” अमन का लण्ड रजिया की चूत में था। रजिया अमन की गाण्ड को पकड़ लेती है, जैसे कह रही हो थोड़ा रुक जाओ।
अमन कहाँ रुकने वाला था, वो तो दनादन धक्के मारे जा रहा था और जोर से-“ओह्म्मह… अह्म्मह… रज्जी अह्म्मह… ले जान अह्म्मह…”


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रजिया-“उंन्ह… उंन्ह… मेरी चूत… अह्म्मह उंन्ह… मेरी चूत्त में आराम से ना जी अगघ…”

अमन जैसे अपनी दुनीयां में नहीं था, जैसे उसकी चुदाई के बाद दुनियाँ खत्म हो जानी है-“आह्म्मह… रजिया चोद लेने दे अह्म्मह… जान तेरी चूत बहुत पसंद है मुझे उंन्ह… आह्म्मह…”

रजिया-“अह्म्मह… मेरा पानी निकलने वाला है… अह्म्मह… उंह्म्मह… उंन्ह…” और रजिया का पानी निकलते ही रजिया ढीली पड़ जाती है।

अमन उसे देखते हुए-“हो गई ठंडी साली…”

रजिया-“रात भर चुदूंगी जानूऊ… छोड़ने वाली नहीं हूँ…”

जैसे तो रजिया दो बार झड़ने से थोड़ी ठंडी पड़ गई थी पर अमन था की धीरे-धीरे झटके मारे जा रहा था-“हाँन्न् रजिया, इतनी टाइट कैसे है तेरी चूत?”
रजिया-“आह्म्मह… अमन्न्न बेटा, तू कर दे ना चौड़ी उंह्म्मह… अमन्न नहीं… वहाँ नहीं…”

अमन ने नीचे से रजिया की गाण्ड में उंगली डालकर अंदर घुमा दिया था जिससे रजिया मचल गई थी।

रजिया-“उंन्ह… अमन्न् एक बात बोलूँ?”

अमन-“बोल्ल अह्म्मह…”

रजिया-“तू मुझे कितना प्यार करता है बेटा?”

अमन-“अम्मी तुम्हें देखकर तो जवान हुआ हूँ। मेरे लण्ड पे सिर्फ़ तेरा हक है रजिया… अह्म्मह… अह्म्मह…” अमन इतने जोर-जोर से झटके मारने से झड़ने लगा था।
रजिया उसे अपनी कमर में कसते हुये-“अह्म्मह… अह्म्मह… अमन्न्…”


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और अमन रजिया की चूत अपने पानी से भर देता है। 10 मिनट बाद रजिया बेड से उठते हुए अपनी गाण्ड मटकाते हुए किचिन में जाने लगती है।
अमन-कहाँ जा रही हो?

रजिया-पानी पीने, आप भी पीओगे?

अमन-“मैं अभी आया बाथरूम से…” और अमन बाथरूम में पेशाब करने चला जाता है।

रजिया पूरी नंगी किचिन में खड़ी होकर पानी पी रही थी। तभी उसकी नज़र सामने मिरर पे पड़ती है। पहली बार रजिया इस तरह नंगी किचिन में खड़ी थी। उसे हँसी आ जाती है, और वो पानी पीने लगती है। तभी अमन उसे पीछे से आकर पकड़ लेता है।
रजिया-“अह्म्मह… मैं डर गई ना जी…”

अमन पीछे से उसकी गाण्ड की दरार में लण्ड रगड़ता हुआ-“मेरे होते हुए तू क्यों डरती है रज्जी?”

रजिया-“अरे हाँ… तेरे अब्बू क्या कह रहे थे?”

अमन-“हाँ… वो 10 दिन बाद आने वाले हैं, चाचू भी…”

रजिया-क्या? आज पहली बार रजिया उसके शौहर के आने से खुश नज़र नहीं आ रही थी।

अमन-“अब तो अब्बू आ जायेंगे, फिर हमें कौन याद रखेगा?”

रजिया पीछे मुड़कर अमन को देखने लगती है, और बिना कुछ कहे अपने रूम में चली जाती है।

अमन भी उसके पीछे चला जाता है-“क्या हुआ, मैंने कुछ गलत कहा क्या?”

रजिया-“नहीं अमन, तुमने वो कहा, मैं वो नहीं सोच रही हूँ। मैं तो इस बात से परेशान हूँ कि अब क्या होगा?”

अमन-“कुछ नहीं होगा और अगर कुछ हुआ भी तो मैं उसका बाप होऊँगा…”

रजिया खिलखिलाकर हँसते हुए-“कितना बेशरम हो गया है तू? मुझे प्रेग्गनेंट करने की सोच रहा है…”

अमन-“क्यों, तू नहीं होना चाहती मुझसे प्रेग्गनेंट?”

रजिया-“होना तो चाहती हूँ, पर इस उमर में नहीं…”

अमन का लण्ड तन चुका था। वो रजिया को बेड पे झुकाता है। अमन रजिया को अपने हाथ से बेड पे झुका देता है तो रजिया बेड पे हाथ टिकाकर खड़े हो जाती है, किसी घोड़ी की तरह। अमन पीछे से उसकी कमर पकड़कर लण्ड चूत में पेलने लगता है।


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रजिया-“स्शस्स्स्स्स… धीरे बेटा अमन अह्म्मह… अह्म्मह…”

अमन इस बार जोर-जोर से चोदने लगता है।
रजिया-“हाँ हाँ ऐसे ही अमन… तेरा लण्ड मेरी चूत की जड़ तक जा रहा है अह्म्मह… उंह्म्मह… अगअग…”

अमन-“साली तुझे कहा था ना कि शौहर का नाम नहीं लेते …” और अमन जोर-जोर से रजिया की गाण्ड पे थप्पड़ मारते हुए चोदने लगता है-“आह्म्मह… उंह्म्मह… इस्स्स…” आधे घन्टे के लगातार चुदाई के बाद दोनों निढाल होकर एक दूसरे से चिपक जाते हैं।
रजिया-“सुनो रात के 4:00 बज रहे हैं। आप अपने कमरे में जाओ, वरना सुबह अनुम हमें एक कमरे में देख लेगी और एक बात कि आज से हमें थोड़ा होशियार रहना होगा। मैं नहीं चाहती कि हम दोनों के रिश्ते का किसी और को पता चले…”

अमन उसके होंठों को चूसने के बाद-“ओके… रजिया जैसा तू कहे…” और अमन अपने कपड़े पहनकर अपने रूम में सोने चला जाता है।

सुबह अमन कसरत करने के बाद बाहर गार्डन में लेटा हुआ था। उसने सिर्फ़ शॉर्ट्स पहना था । तभी अनुम वहाँ काफी लेकर आती है, और चेयर पे बैठ जाती है।

अनुम सुबह ही घर वापस आ गई थी और अब सुबह की धूप में काफी का मज़ा ले रही थी। पर उसकी नज़र तो अमन के पूरे जिस्म को अपनी आँखों में बसा लेना चाहती थी। अनुम दिल में सोचते हुए-“कितना खूबसूरत है तू अमन…”

एक पल के लिये अमन अपनी नज़रें अनुम की तरफ करता है। दोनों कुछ सेकेंड के लिये एक दूसरे को देखते रहते हैं।
अमन-क्या हुआ दीदी?

अनुम-कू…कुछ भी तो नहीं… चल जल्दी तैयार हो जा, हमें कॉलेज भी तो जाना है।

अमन-“ओके…” और अमन फ्रेश होकर किचिन में आ जाता है, और पीछे से रजिया को दबोच लेता है।

रजिया-“अह्म्मह… अमन छोड़, अनुम घर पे है…”

अमन-“मैं क्या अपनी अम्मी को प्यार भी नहीं कर सकता?” और अमन रजिया की चुचियाँ मसलने लगता है।


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रजिया-“ओह्म्मह… बेशरम अब अम्मी… और रात में रजिया? चल हट मुझे काम करने दे…”

अमन रजिया की गाण्ड में अपना लण्ड चुभाते हुये-“इसका क्या करूं? ये खड़ा ही है सुबह से…”

रजिया-“अह्म्मह… अमन थोड़ा सबर कर बेटा…” और रजिया अमन को धकेलकर पीछे हटा देती है।
अमन हाल में बैठ जाता है। अनुम भी वहीं थी।
अनुम-“क्या बात है अमन, आजकल तू थोड़ा थका-थका सा लगता है?”
 

Alanaking

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अमन सीधा होते हुए-“नहीं तो दीदी, अच्छा भला तो हूँ…”

अनुम उसे घूरकर देखते हुए दिल में सोचती है-“कहीं ये फिर से ब्लू-फिल्में देखकर… नहीं नहीं, ऐसा नहीं है मेरा अमन…”

नाश्ते के बाद दोनों भाई-बहन कॉलेज चले जाते हैं।
अमन-“दीदी, आप फ़िज़ा के साथ घर चली जाना, मुझे कुछ काम है लाइब्रेरी में…”

अनुम कंधे उचकाते हुए-ओके।

रात के 9:00 बजे-अनुम कब का घर आ चुकी थी पर अमन का कोई पता नहीं था।

रजिया और अनुम दोनों परेशान हो रही थीं। उसे कितनी बार काल किया पर उसका सेल बंद आ रहा था। रजिया ने कहा-“तुझे क्या ज़रूरत थी अनुम, उसे अकेला छोड़कर आने की?”
अनुम कुछ बोलती, इससे पहले ही डोरबेल बजती है। अनुम भागते हुए दरवाजा खोलतेी है-“कहाँ थे तुम? कितने देर से आए हो अमन कुछ पता भी है?” और ना जाने कितने सारे सवाल।
अमन अनुम के होंठों पे उंगली रख देता है, और उसे अपने गले लगा लेता है-“दीदी, मैं नाना अब्बू के यहाँ चला गया था। आते वक्त बाइक का टायर पंचर हो गया। मोबाइल में बैटरी नहीं थी। अब बताओ क्या करता?”

रजिया-“उसे छोड़ तो… बच्चे कि सांस रुक जायेगी…”

अमन अनुम को इतने जोर से गले लगाकर बात कर रहा था कि उसे होश ही नहीं रहा-“ओह्म्मह… आई एम सारी…” और अनुम को छोड़ देता है। फिर बोला-“अम्मी, मैं खाना खाकर आया हूँ और दीदी, नाना अब्बू आपको बहुत याद कर रहे थे…”

अनुम-“हाँ… मैं गई नहीं ना कितने दिनों से…” और अनुम अपने रूम में जाकर दरवाजा बंद कर लेती है।

अमन रजिया की तरफ देखते हुए-क्या हुआ दीदी को
रजिया-मुझे क्या पता?

अमन रजिया की करीब जाकर-“रूम में चलो स्जीट हार्ट…”

रजिया-“जी नहीं, आपकी 7 दिन की छुट्टी…”

अमन-वो क्यों?

रजिया शरमाते हुए-“5 बजे से पीररयड्स शुरू हो गया है मुझे…”

अमन-“ओह्म्मह… नहीं…” और अमन रजिया के होंठों पे किस करके अपने रूम में सोने चला जाता है।

रेहाना की तरफ इतनी रात गये तो जा नहीं सकता था। गया भी तो रजिया को शक हो जाता तो वो सोने की कोशिश करता है।

अनुम अपने रूम में अपने दिल पे हाथ रखे अपनी सांसें नॉर्मल करने की कोशिश कर रही थी। आज पहली बार अमन ने उसे इतना कसकर हग किया था। अनुम अपनी चुचियों पे हाथ रखकर उसे दबाते हुए-“अह्म्मह… इन्हें कब मसलोगे अमन?”

दूसरी तरफ रेहाना का बुरा हाल था। सुबह से अमन उससे मिलने नहीं आया था। उसकी चूत में चीटियाँ रेंगने लगी थीं जिसे वो अपने हाथ से शांत करने की कोशिश कर रही थी-“अह्म्मह… अमन…” और वो पानी छोड़ देती है।

सुबह 7:00 बजे-

अमन कसरत करके फ्रेश होने के बाद रेहाना की तरफ चल देता है। उसे पता था कि फ़िज़ा 7:00 बजे सबेरे ही ट्यूशन जाती है। अमन-रेहाना के घर में दाखिल होता है तो रेहाना बेड पे औन्धी लेटी हुई थी। अमन बेड पे जाकर उसे पीछे से पकड़ लेता है-“रेहाना, मेरी जान सो गई क्या?”

रेहाना-“कौन? तो आप हैं… मिल गई फुरसत? क्यों आए हो मुझसे मिलने?”

अमन रेहाना का चेहरा अपनी तरफ घुमकर उसके होंठ पे किस करते हुए-“शौहर अपनी बीवी के पास नहीं आएगा तो क्या पड़ोसी के यहाँ जाएगा?”

रेहाना-“जाकर तो देखो? जान से मार दूंगी उसे भी और खुद को भी…”

अमन जोर से होंठ काटते हुए-“नाराज हो?”

रेहाना-हाँ।

अमन-क्यूँ जान?
रेहाना-आप कल आए क्यों नहीं?

अमन रेहाना की चूत सहलाते हुए-“तेरी चूत ने मुझे ठीक से याद नहीं किया होगा?”

रेहाना-“अह्म्मह… अब ये मेरी कहाँ, ये तो आपकी हो गई है… कल कितना याद कर रही थी आपकी ये चूत अह्म्मह… बोल रही थी-जानू क्यों नहीं आए? याद आ रही है…”

अमन-“साली, अभी उसे खुश कर देता हूँ…” और अमन रेहाना को नंगी करने लगता है।

रेहाना भी अमन को नंगा कर देती है। दोनों एक दूसरे में समा जाने को पागल हुए जा रहे थे। अमन बिना देर किए रेहाना को सीधा कर देता है, और उसके पैर चौड़े कर देता है।
रेहाना-“अह्म्मह… जानू आपका लौड़ा चूसना है…”

अमन-“बाद में, पहले एक बार चोदने दे…”

रेहाना-“चोदिए नाआ अह्म्मह…”

अमन जल्दी से अपने लण्ड पे थूक लगाकर रेहाना की चूत में लण्ड पेल देता है-“ले मेरी रानीईई अह्म्मह…”


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रेहाना-“अह्म्मह… जानू धीरे-धीरे उंह्म्मह… आहै…” फिर रेहाना नीचे से कमर हिलाते हुए-“आपको पता है, आपके चाचू कुछ दिनों में आने वाले हैं ऊऊह्म्मह…”

अमन-“पता है रेहाना उंह्म्मह…” और ताकत से लण्ड चूत में पेल रहा था जिससे रेहाना की चूत गीली होने लगी थी।

रेहाना-“जानू, मैं कैसे रहूगी आपके बिना उंन्ह… उंन्ह…”

अमन-“तू फिकर मत कर साली, चाचू कुछ दिनों बाद चला जाएगा फिर तो तू मेरी है अह्म्मह…”

रेहाना-“उंह्म्मह… आग्गघ… जानू, मैं अब किसी और का लौड़ा अपनी चूत में नहीं लेना चाहती जी उंह्म्मह…”

अमन-“हाँ रेहाना हाँ, मैं ही चोदूंगा तुझे हमेशा अह्म्मह…” और दोनों जोश में एक दूसरे के अंदर पानी छोड़ने लगते हैं-“अह्म्मह… अह्म्मह… ओह्म्मह…”

तभी रजिया चिल्लाते हुए-“अमन कमीने कुत्ते…”

अमन और रेहाना चौंकते हुए पीछे देखते हैं तो पीछे रजिया खड़ी थी। उसकी आँखें अँगारे उगल रही थीं। अमन और रेहाना जल्दी से अलग हो जाते हैं। अमन खड़ा होकर अपनी पैंट पहनने लगता है।

तभी रजिया उसके पास आकर एक जोरदार थप्पड़ उसके मुँह पे रसीद कर देती है-“हरामज़ादे, कितना गिरा हुआ है तू? मुझे तुझसे ये उम्मीद नहीं थी…” और फिर एक और थप्पड़।
अमन के तो जैसे पैरों के नीचे की ज़मीन ही खिसक गई थी। थप्पड़ की गूँज उसके कानों में अभी भी बज रही थी।
रजिया रेहाना की तरफ देखते हुये-“और तू छिनाल… तुझे और कोई नहीं मिला अपनी चूत की आग बुझाने के लिये… खबरदार वो आज के बाद मुझे अपनी मनहूस सूरत दिखाई भी तो… और तू खड़ा क्या है? कपड़े पहन और चल यहां से…”

रेहाना मारे डर के काँपने लगी थी।

अमन जल्दी से अपने कपड़े पहन लेता है, और रेहाना के घर से जाने लगता है। तभी उसे मेन-गेट पे फ़िज़ा खड़ी हुई मिलती है। वो शायद अपनी किताब भूल गई थी, और उसे वापस लेने घर आई थी। उसने रजिया की सारी बातें सुन ली थी, और रोते हुए अपने रूम में भाग गई थी

अमन अपने घर चला जाता है। उसके पीछे रजिया भी चली जाती है।

रेहाना से अब खड़ा रहना मुश्किल था उसके पैरों में तो जैसे जान ही नहीं थी। वो बेड पे बैठ जाती है, और सिर पकड़ लेती है। उसने मुख्य दरवाजा बंद क्यों नहीं किया? और फ़िज़ा, उसकी अपनी बेटी, उसपे क्या गुजर रही होगी? उसने तो सारी बातें सुन ली हैं। यही सब बातें उसे परेशान कर रही थीं, और रेहाना फूट-फूट के रोने लगती है।

अमन अपने रूम में था। रजिया उसके पीछे उसके रूम में घुस जाती है।
अमन-“अम्मी, आप प्लीज़ मुझे माफ कर दो…”

रजिया तो जैसे आग बनी हुई थी-“मुझे कुछ नहीं सुनना अमन। आज के बाद तू जहाँ नहीं जाएगा और अगर गया तो मेरा मरा हुआ मुँह देखेगा…”

अमन की आँखों में आँसू आ जाते है।

रजिया उसके रूम से बाहर चली जाती है।

अनुम हाल में बैठी थी, कहा-“क्या हुआ अम्मी, आप अमन को डांट क्यूँ रही थी? आप तो उसे नाश्ते के लिये बुलाने गये थे…”

रजिया-“कुछ नहीं, तू नाश्ता कर…” और रजिया अपने रूम में चली जाती है।

अनुम उठकर अमन के रूम में चली जाती है-“अमन क्या हुआ?”

अमन-“दीदी, मुझे अकेला छोड़ दो प्लीज़…”

अनुम-“अरे बोल तो सही, हुआ क्या है?”

अमन गुस्से से-“मैंने कहाँ ना मुझे अकेला छोड़ दो…”

अनुम रूम से बाहर चली जाती है। उसे पता ही नहीं था कि आखिर माज़रा क्या है?

दिन यूँ ही गुजर रहे थे। रजिया का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था। अमन ने कई बार रजिया से बात करने की कोशिश की, पर रजिया उससे बात करने को तैयार नहीं थी।
उधर रेहाना रजिया की तरफ आने से डर रही थी
फ़िज़ा गम और गुस्से में अपनी अम्मी रेहाना से नज़रें नहीं मिला रही थी।

अमन का तो सबसे बुरा हाल था। आखिर उसने फैसला किया कि वो रजिया को सबक सिखाकर रहेगा। वो साली खुद को समझती क्या है? खुद भी तो मुझसे चुदा चुकी है। और मैं किसी और को चोदूं तो उसकी गाण्ड जलती है। ठीक है, अब मैं उसे और तड़पाऊँगा और इतना कि वो खुद मेरे पैरों में गिरकर अपनी चूत मेरे सामने रखेगी और रेहाना को चोदने के लिये खुद मेरे पास लाएगी।

अमन ने फैसला कर लिया था।

वक्त अपनी रफ़्तार से गुजर रहा था। आज 7 दिन हो गये थे अमन और रजिया की बीच बात नहीं हुई थी।

अमन भी कुछ परेशान सा हो गया था। एक तो उसे चूत नहीं मिली थी, दूसरे वो जिन लोगों से प्यार करता था वो उसे इग्नोर कर रही थी।

रजिया अपने रूम में लेटे करवटें बदल रही थी। दोपहेर का वक्त था। अमन और अनुम कॉलेज गये थे। रजिया दिल में सोचते हुए कि अमन पे मुझे कितना भरोसा था, उसने ऐसा क्यों किया? वो भी अपनी चाची के साथ। मैं उससे कभी बात नहीं करूंगी।

पर उसके दिल के किसी कोने से आवाज़ आई-“रजिया तू ने क्या किया? तूने भी तो अपनी चूत की आग बुझाने के लिये अमन का फायदा उठाया। आज जिस कष्ट में तू बैठी है, उसी में रेहाना भी है। वो भी तो तेरी तरह लण्ड के लिये तड़प रही होगी, उसका भी शौहर उससे दूर है। तू ख़ुदग़र्ज़ हो गई है। रजिया अमन जितना तेरा है, उतना ही रेहाना का भी है। तुझे रेहाना से बात करनी चाहिए और अमन से भी। कितने जोर से थप्पड़ मारा तूने उस बच्चे को…”

फिर रजिया बेड पे उठकर बैठ जाती है, और खुद से बातें करने लगती है-“हाँ मैं बात करूंगी अमन से और रेहाना से भी। वो मेरा बेटा है, और मेरे जान भी। अब रजिया ने फैसला कर लिया था कि वो रेहाना और अमन के रिश्ते को अपना लेगी और उसके चेहरे पे खुशी के भाव साफ नज़र आ रहे थे, और आज 7 के दिन बाद उसकी चूत में सरसराहट सी होने लगी थी।
उधर अमन कॉलेज के पीछे गार्डन में एक कोने में गुमसुम सा बैठा था। अनुम उसे सारे कॉलेज में देख चुकी थी आख़िरकार उसने अमन के दोस्त से पूछा-तुमने अमन को देखा है?

अमन के दोस्त ने कहा-“ शायद वो गार्डन में होगा…”

अनुम गार्डन की तरफ चल देती है। अमन उसे गुमसुम बैठा नज़र आ गया। अनुम दिल में-“आज तो इससे इसकी खामोशी के वजह निकालकर रहूंगी…”
अनुम अमन के पास बैठते हुए-“यहां क्यों बैठे हो देव बाबू?”

अमन-कुछ नहीं।

अनुम-“कुछ तो है। बता ना अमन क्या हुआ है तुझे? ठीक से बात भी नहीं करता मुझसे, कोई गलती हुई क्या या अम्मी ने तुझसे कुछ कहा है?”

अमन का मूड पहले से आफ था… ऊपर से अनुम के इतने सारे सवाल। अमन झुंझलाकर-“तू क्या मेरी बीवी है, वो इतने सारे सवाल पूछ रही है?”

अनुम अमन के इस तरह बात करने से ततलमिला जाती है। और अमन से मुँह मोड़ कर रोने लगती है-“मैं तो तुझसे इसलिये पूछ रही थी कि मुझे तू ऐसे अच्छा नहीं लगता…”

अमन अनुम को इस तरह रोते देख अपना सारा गुस्सा भूल जाता है, और अनुम को अपनी तरफ खींचने की कोशिश करता है। अनुम उसका हाथ झटक देती है। और सिसकने लगती है।

अमन-“दीदी दीदी, मेरी प्यारी दीदी, मुझे माफ कर दो। मैंने किसका गुस्सा तुमपे निकाल दिया। मेरे प्यारी दीदी देखो अभी तुम्हारे कान पकड़ता हूँ…”

अनुम-“हाँ गलती खुद कर और कान मेरे पकड़…” और अनुम अमन के सीने से लिपट के और रोने लगती है।

अमन का दिल भी भर आता है। वो किसी भी तरह अनुम को हंसाना चाहता था-“दीदी, मैंने आपके लिये एक शेर लिखा है। सूनाऊँ?”

अनुम अपना सिर बिना उठाये-हूँ।

अमन-गौर से सुनिएगा।

रोएं हम इस कदर उनके सीने से लिपटकर।
रोएं हम इस कदर उनके सीने से लिपटकर
की वो खुद अपनी टी-शट़ उतार के बोली।
दबा ले साले अब नाटक मत कर।

अनुम हाहाहाहा… मारे शरम के उसके सीने पे मुक्के बरसाती जाती है-“गंदा अमन, गंदा अमन…”

दोनों की हँसी नहीं रुक रही थी और इसी बीच अमन अनुम को अपनी बाहों में कस लेता है। और अनुम भी अपने भाई की बाहों में सिमटतेी चली जाती है।
अमन-“इतना प्यार करते हो मुझसे?”

अनुम-यकीन ना हो तो आजमा के देख ले।

अमन-“तेरी आँखों में तेरी मोहब्बत नज़र आती है। हमें ज़रूरत नहीं तुझे आजमाने की…” और अमन अनुम की पेशानी पे चूम लेता है। दोनों की सांसें तेज होने लगी थीं।

अनुम-चलो घर चलो, देर हो जायेगी।

अमन अनुम के गाल पे चिकोटी काटते हुए-हूँ।

अनुम-“अह्म्मह… अमन्न्न गंदा…” और कुछ देर बाद दोनों अपने घर की तरफ चल देते हैं।

रात 12:00 बजे-

फ़िज़ा और रेहाना के बीच कुछ खास बात नहीं हुई थी। फ़िज़ा रेहाना से बहुत नाराज थी। फ़िज़ा अपने रूम में बैठी हुई थी और रेहाना अपने बेडरूम में। रेहाना दिल में सोच लेती है कि अगर आज उसे फ़िज़ा से माफी भी माँगने पड़े तो वो माँगेगी, पर फ़िज़ा की खामोशी उसे अंदर ही अंदर मर रही थी। वो अपनी नाइटी में फ़िज़ा के रूम में चली जाती है।

फ़िज़ा रेहाना को अपने रूम में देखकर बेड पे लेट जाती है, और लाइट आफ कर देती है, जैसे उसे सोना है। और रेहाना यहाँ से जाओ पर रेहाना उसके पास आकर बेड पे लेट जाती है। फ़िज़ा दूसरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी।

रेहाना उसके पेट के पीछे से-“फ़िज़ा, मेरी तरफ देखो…”

फ़िज़ा-“मुझे आपकी कोई बात नहीं सुननी, आप यहाँ से जाओ…”

रेहाना-“एक बार मेरे बात सुन लो फ़िज़ा, उसके बाद चाहे जिंदगी भर मुझसे बात ना करना…”

फ़िज़ा रेहाना के तरफ मुँह कर लेती है-“क्या बताएंगी आप कि मैंने वो देखा, वो सुना वो नज़रों का धोखा था और आपने अमन के साथ कोई गलत नहीं किया…”
रेहाना-“पहले मेरे बात सुन लो, उसके बाद तुम वो फैसला कारेगी मुझे मंजूर होगा। फ़िज़ा, जब मेरी शादी तुम्हारे अब्बू से हुई, उस समय मेरी उमर बहुत कम थी। मगर मैंने तुम्हारे अब्बू के लिये एक सुलझी हुई औरत की तरह जिंदगी गुजारी। तुम्हारे अब्बू शराब पीते थे और शराब पीकर मुझे मारते थे। उस वक्त भी अमन तेरे अब्बू को रोक लेता था। वो छोटा था, मगर तेरे अब्बू उसके सामने मुझे मारते नहीं थे। हमारी शादीशुदा जिंदगी में कुछ खास नहीं रहा। मैं हर पल तेरे अब्बू के लिये तड़पी हूँ और तेरे अब्बू बाहर की रंगरेलियों में मस्त थे।

उस वक्त भी अमन मुझे समझाता था, एक मासूम बच्चे के तरह मेरे आँसू पोंछता था। मुझे उससे उस वक्त से मोहब्बत है।
तेरे अब्बू मुझसे हमारी शादीशुदा जिंदगी में सिर्फ़ 20 से 25 बार ही मेरे साथ हमबिस्तर हुए है, चुदाई की है। वो तो तेरे बड़े अब्बू के साथ दुबई जाने से थोड़ा सुधरे हैं। आज भी जब वो यहाँ आते हैं तो मैं अकेले ही रहती हूँ। फ़िज़ा, अमन जब छोटा था तबसे मेरा ख्याल रख रहा है, और आज भी रखता है। क्या मैं औरत नहीं? मेरा जिस्म पत्थर का नहीं है। फ़िज़ा मुझे भी मर्द का एहसास चाहिए, मेरे चूत में भी वो चाहिए जिसके लिये औरत तड़पती है। अब अगर मैंने अमन के साथ वो सब किया तो मुझे लगता है कि मैंने सही किया। क्योंकी मैं अमन से सच्ची मोहब्बत करती हूँ। और मुझे इस बात का कोई पछतावा नहीं है। फ़िज़ा बेटी, जब बेटी बड़ी हो जाती है तो सहेली बन जाती है। तू एक सहेली की तरह सोच कि क्या मैंने गलत किया? और रेहाना की आँखों से आँसू निकलने लगते हैं।

फ़िज़ा-“नहीं अम्मी, मुझे माफ कर दो। मैं आपको समझ नहीं पाई। प्लीज़ आप मत रोइये…” और फ़िज़ा रेहाना के सीने से चिपक जाती है। दोनों माँ बेटी एक दूसरे को समझा रही थी, दिलाशा दे रही थी और इस सब में उन्हें खयाल नहीं रहा कि वो किस पोजीशन में आ गई हैं। रेहाना और फ़िज़ा की नाइटी कमर के ऊपर हो चुकी थे। एक दूसरे की जाँघ में जाँघ रगड़ रही थी, चुचियाँ आपस में धँस गई थीं और एक दूसरे से इतने चिपके हुए थे कि एक दूसरे के होंठों से सिर्फ़ दो इंच का फासला था।

रेहाना-“ना मेरा बच्चा तू ना रो…” और रेहाना फ़िज़ा के पेशानी पे, फिर गाल पे चूम लेती है।

फ़िज़ा रेहाना से और चिपक जाती है। और अपनी चुचियाँ रेहाना की चुचियाँ पे घिसने लगती है-“अम्मी, मेरी अम्मी अह्म्मह…”

रेहाना की चूत तो 7 दिन से अमन के लण्ड के बिना उसकी भी प्यासी थी। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखती हैं। और रेहाना फ़िज़ा के गुलाबी होंठों पे अपनी होंठ रख देती है।

फ़िज़ा-“उंह्म्मह… मुआह्म्मह… मुआह्म्मह…” और अपना मुँह खोल देती है-“या अम्मी…”
रेहाना फ़िज़ा की चुचियाँ पे डरते-डरते हाथ रख देती है। उसके हाथ पे फ़िज़ा अपना हाथ रखकर दबाने लगती है। दोनों की जाँघें एक दूसरे की चूत को छू रही थीं।

“उंह्म्मह… नहीं ओह्म्मह… उंह्म्मह… अम्मी उंन्ह…” दोनों भूल गये थे कि वो कहाँ है, और कौन है? चूत की आग होती ही ऐसी है।

रेहाना अपने नरम हाथों से फ़िज़ा की चुचियाँ मसलने लगती है, और फ़िज़ा की नाइटी उतारने लगती है-“उंह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प… उंह्म्मह… ओह्म्मह…”

फ़िज़ा भी ऐसा ही करती है। कुछ पलों में दोनों माँ-बेटी पूरे नंगे हो चुके थे। रेहाना फ़िज़ा की गर्दन पे फिर नीचे चुचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगती है गलप्प्प-गलप्प्प और एक हाथ से फ़िज़ा की अन चुदी चूत सहलाने लगती है।
फ़िज़ा बेडशीट पकड़ते हुए-“उंह्म्मह… अम्मी अह्म्मह… अह्म्मह… अम्मी मेरी ऊओह्म्मह… अह्म्मह…” पहली बार फ़िज़ा की चुचियाँ और चूत पे किसी और ने कब्जा किया था और वो भी उसके अम्मी रेहाना ने। ये सोच-सोचकर फ़िज़ा की चूत पनिया जाती है-“अह्म्मह… उंह्म्मह…”

रेहाना और नीचे बढ़ते हुए फ़िज़ा की जाँघों के पास आ जाती है, और फ़िज़ा की चूत चौड़ी करती है। फ़िज़ा की चूत का परदा उसे खुश कर देता है। और वो फ़िज़ा की क्लिट को अपने मुँह में भरकर काटने लगती है।

फ़िज़ा-“अह्म्मह… आह्म्मह… अम्मी… अम्मी नहीं अह्म्मह… ओह्म्मह… मैं मर जाऊँगी… अम्मी नहीं अम्मी मैं मर जाऊँगी…”

पर रेहाना तो उसकी चूत को मुँह में लेकर ऐसी कल्पना कर रही थी, जैसे अमन का लण्ड चूस रही हो।
फ़िज़ा का पहला और तेज पानी रेहाना के मुँह पे गिरने लगता है। जिससे रेहाना को होश आता है। और वो और तेजी से फ़िज़ा की चूत चाटने लगती है-“ओह्म्मह… उंन्ह… हाँ हाँ…”

फ़िज़ा ठंडी पड़ी लंबी-लंबी सांसें ले रही थी-“अम्मी, मुझे दूध पीना है…”

रेहाना बेड पे एक करिट लेट जाती है, और फ़िज़ा के चेहरे को अपनी तरफ घुमाते हुए-“मुआह्म्मह… बेटा…”

फ़िज़ा-“अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” किसी छोटे बच्चे की तरह रेहाना की चुचियों को चूसने लगती है। दूध तो उसमें नहीं था मगर दोनों को ऐसे लग रहा था जैसे दूध निकल रहा हो।

रेहाना-हाँ हाँन्न्न… ऐसे ही बेटा उंह्म्मह… अह्म्मह… पी ले अपनी अम्मी का दूध अह्म्मह… मेरे बाटी उंह्म्मह… ओह्म्मह… तनचोड़ के पीना बेटा अह्म्मह… बहुत दूध है तेरे लिये हाँ ओह्म्मह…”

फ़िज़ा एक हाथ से रेहाना की चूत सहलाती है, अपनी दो उंगलियाँ रेहाना की चूत में डाल देती है और तेजी से अंदर-बाहर करने लगती है।

रेहाना-“अह्म्मह… अमन अह्म्मह… उसके मुँह से अमन, अमन निकल रहा था जैसे अमन उसे चोद रहा हो… अह्म्मह अमन…”

फ़िज़ा जान चुकी थे कि रेहाना अमन से बहुत प्यार करतेी है, और उसे अमन का मूसल लण्ड याद आने लगता है। वो उसकी अम्मी की चूत में सटासट अंदर-बाहर हो रहा था-“अह्म्मह… लो अम्मी, अमन का लण्ड अह्म्मह… ओह्म्मह… उंह्म्मह…”
रेहाना-“अह्म्मह… आह्म्मह… हाँ ओह्म्मह… चोदो मुझे अह्म्मह बेटा…” कुछ देर बाद दोनों 69 की पोजीशन में थे और एक दूसरे की चूत को खाए जा रही थीं, चूसे जा रही थीं-“अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह…”

फ़िज़ा अपनी अम्मी की चूत देखकर मचल गई थी-“उंह्म्मह… अम्मी आपकी चूत में अमन का लण्ड कैसे अंदर बदर हो रहा था… हाँ… उंह्म्मह…” और दोनों अमन के लण्ड को सोच-सोचकर चूत चूसने में लगी थी और फिर एक चीख के साथ दोनों पानी छोड़ने लगती हैं-“अह्म्मह… अह्म्मह… उंह्म्मह… अह्म्मह…” वो रात उन दोनों ने एक दूसरे की बाँहों में गुजारी।
दोनों माँ बेटी का ररश्ता बदल गया था और दोनों इस नये रिश्ते से खुश थी। रेहाना सो चुकी थे। पर नींद फ़िज़ा की आँखों से ओझल हो चुकी थी। उसे अमन का लण्ड और वो जबरदस्त चुदाई बस यही याद आ रहा था।

सूबा 7:00 बजे-

“अमन, उठो बेटा, कसरत नहीं करनी … क्या? उठो कब तक सोओगे?” रजिया अमन को कितने दिनों बाद उठा रही थी।

अमन जाग चुका था। पर उसने अपनी आँखें नहीं खोली थी। रजिया की आवाज़ से वो जान चुका था कि रजिया उसे माफ कर चुकी है। अमन आँखें खोलते हुए बेड पे बैठ जाता है। सामने रजिया अपनी नाइट ड्रेस में थी और किसी माशुका की तरह अमन को देख रही थी। रजिया बेड पे बैठने वाली थी कि अमन बेड से उठ जाता है। और बाथरूम में चला जाता है।
अमन का ये रवैया कहीं ना कहीं रजिया को सुलगा देता है, और वो उदास मन से अमन के रूम से बाहर चली जाती है। आज रजिया अमन के लिये उसकी पसंद का गाजर का हलवा बना रही थी।

अनुम डाइनिंग टेबल पे बैठते हुए-“अरे वाह अम्मी… गाजर का हलवा…, पर आज तो अमन का बर्थ-डे नहीं है…”

रजिया-“तो क्या मैं अपनी बेटे के लिये कुछ स्पेशल नहीं बना सकती?”

अमन भी फ्रेश होकर नाश्ता करने बैठ जाता है। हलवे की खुश्बू तो उसे पहले ही आ गई थी।

रजिया हलवा अमन के सामने रखते हुए-“देखो अमन, तुम्हारा पसंदीदा…”

अमन-“मुझे भूख नहीं है। दीदी अगर तुम तैयार हो तो कॉलेज चलें…”

अनुम-अरे, नाश्ता तो कर ले, अम्मी ने कितने प्यार से बनाया है।

अमन-“मैंने कहा ना मुझे भूख नहीं…” और अमन उठ जाता है।
रजिया का दिल अंदर ही अंदर सुलग रहा था। उसे अमन की ये बेरुखी खाए जा रही थी। वो अमन से लिपट के उसे मना लेना चाहती थे पऱ्र।

***** *****कॉलेज गेट पर

अनुम-तूने नाश्ता क्यों नहीं किया?

अमन-वो छोड़ो, मेरा पहला पीरियड आफ है। चलो गार्डन में जाकर बैठते हैं।

अनुम का भी मूड अमन से बातें करने का था-चलो।

दोनों गार्डन के एक कोने में जाकर बैठ जाते है। अमन दूर खड़ी एक लड़की को देखकर-36-24-36
अनुम-क्या कहा तूने?

अमन-कु…कु…कुछ नहीं, देखो कितना अच्छा मौसम है।

अनुम-झूठ मत बोल, मैंने सुना किसे कह रहा था?

अमन-“वो देखो सामने बेंच पे लड़की बैठी है, उसे…”
अनुम भन्ना जाती है, और अमन के कंधे पे मारते हुए-“मुझे नहीं बैठना, तू ही बैठ मैं जा रही हूँ…”

अमन उसके उठने से पहले उसका हाथ पकड़कर बैठाते हुए-“अरे दीदी, नाराज मत हो। होगी अच्छी पर तुमसे ज्यादा नहीं…”

अनुम-“बस बस रहने दे, मैं इतने खूबसूरत कहाँ हूँ?”

अमन अनुम का चेहरा अपनी तरफ घुमाते हुए-“अब कह दिया, आगे से ना कहना। इस दुनियाँ की सबसे खूबसूरत लड़की हो तुम और तुम्हें पता है… सबसे खूबसूरत क्या है?

अनुम काँपते लबों से-क्या?

अमन उसके होंठ पे उंगली फेरते हुए-“ईए…”

अनुम-सच?

अमन-“हाँ बहुत प्यारे है तुम्हारे ये होंठ… दिल करता है…”

अनुम-क्या?

अमन-कुछ नहीं।

अनुम-बोल ना?

अमन-“इन्हें चूम लूँ…” और अमन धीरे से अनुम के होंठों पे अपने होंठ रखता है। फिर एक छोटा सा किस ले लेता है-मुआह्म्मह…”

अनुम की सांसें फूल चुकी थीं, वो अमन को धकेल देती है और अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लेती है-“मैं जा रही हूँ…” और अमन के पास से भाग जाती है।

अमन उसे देखता रह जाता है।

कॉलेज खतम होने के बाद दोनों भाई-बहन बाइक पे घर की तरफ जा रहे थे।
अनुम-रुक-रुक… शीबा खड़ी है।

अमन डिस्क ब्रेक मारते हुए-कहाँ?
ब्रेक लगने से अनुम उसकी पीठ से जा टकराती है-“वो खड़े हैं। मरी नहीं है, वो तू इतने जल्दी रुक गया…”

अमन शरमा जाता है। शीबा के पास बाइक रोक के अनुम ने पूछा-“कहाँ जा रही हो शीबा?”

शीबा अमन के तरफ गुस्से से देखती हुई-“घर जा रही थी बाजी, बस मिस हो गई…”

अनुम-चलो हम तुम्हें छोड़ देते हैं।

शीबा-नहीं, मैं चली जाऊँगी।

अनुम-“अरे बैठ ना…”

शीबा-मुझे बाइक पे डर लगता है।

अमन हँसने लगता है। जिससे शीबा को और गुस्सा आ जाता है।

अनुम-“तुझे क्यों हँसी आ रही है? शीबा तू यहाँ बैठ जा मैं तेरे पीछे बैठ जाती हूँ…”

अमन दिल में-“इसे मेरे सामने बिठा दो, साली क्या लग रही है?”

शीबा ने पटियाला पहना हुआ था, वो गजब की खूबसूरत लग रही थी। अमन आगे सरक जाता है। उसके पीछे शीबा और लास्ट में अनुम।

अनुम-चलो भाई।

अमन बाइक स्टाट़ कर देता है। वो धीमी स्पीड में बाइक चला रहा था, क्योंकी शीबा की छोटी-छोटी मगर नरम चुचियाँ उसके पीठ में चुभ रही थीं।

अनुम-इतने धीरे क्यों चला रहे हो?

अमन-उफफ्र्फहो दीदी, फास्ट चलाओ तो मुसीबत धीरे चलाओ तो मुसीबत।

अनुम-ठीक है, देखकर चला।

अमन धीरे आवाज़ में-तुम्हें कैसे पसंद है शीबा?

शीबा गुस्से से अमन की जाँघ पे चिमटी काट लेती है-ऐसे।

अमन-“अह्म्मह… ओह्म्मह…”

अनुम-क्या हुआ?

अमन-कुछ नहीं।

शीबा खिलखिलाकर हँसते हुए-“लगता है कि भाई रास्ता भूल गये…” और दोनों लड़कियां हँसने लगती हैं।

अमन दिल में-“रुक जा शीबा की बच्ची ऐसी जगह काटूंगा कि याद रखेगी…”

अमन अनुम को घर ड्रॉप करके शीबा को उसके घर छोड़ने चला जाता है, वो पास ही में था।
 
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शीबा दरवाजे के पास से इतराते हुए-आइए ना भाई, अंदर नहीं आएंगे?

अमन होंठों पे जीभ फेरते हुए-“अभी आता हूँ, और अमन भी शीबा के घर में चला जाता है।

हीना-अरे अमन, आओ आओ आज कैसे रास्ता भटक गये?

शीबा-ये तो आ ही नहीं रहे थे, मैं लाई हूँ अंदर।

हीना-अच्छा किया, बैठो अमन।

अमन-क्या खाला, अपने घर में आने के लिये किसी के बोलने कि ज़रूरत नहीं पड़ती। मैं तो खुद आने वाला था और अमन सोफे पे बैठ जाता है।

शीबा अमन के लिये नाक चढ़ाते हुए-“हुंन्ह…” करके अपनी रूम में चली जाती है।

हीना अमन के बिल्कुल पास बैठ जाती है। हीना भी कमाल की खूबसूरत औरत थी उसे देखकर लगता ही नहीं था कि ये लौंडीयाँ एक लड़की की माँ है। फिगर उसने ऐसे मेनटेन किया था जैसे 22 साल की लड़की… कमर एकदम पतली, पेट चिकना, सफेद त्वचा, छाती उभरी हुई हल्की सी लिपिस्टिक

उसे देखकर अमन के मुँह में पाने आने लगा था। हीना चुदी हुई औरत थी। अमन की नज़रें पहचान गयीं पर उसे गुस्सा आने के बजाए मन में प्यार आ रहा था।

हीना-“तुम अब बड़े हो गये हो अमन, तुम्हारी अम्मी से कहकर तुम्हारे लिये लड़की देखनी पड़ेगी…”

अमन अपनी ख्वाबों की दुनियाँ से वापस आते हुए-“क्…क…क्यों खाला जान? ऐसे क्यों कह रही है आप?”

हीना अमन की आँखों में देखते हुए-“तेरी आँखें बता रही हैं कि तुझे दुल्हन चाहिए…”

अमन दिल में-“तू बन जा ना… साथ में तेरी बेटी को भी ले आ…” फिर बोला-“अरे खाला, आप भी ना… अभी तो मैं बच्चा हूँ…” और अमन लाड़ करते हुए हीना की गोद में सर रख देता है।

हीना उसके बालों में उंगलियाँ फेरते हुए-“कोई पसंद हो तो मुझे बता, मैं रजिया बाजी से बात करूंगी…”

अमन हँसते हुये-“हाहाहाहा… अब बस भी करो खाला, मुझे शरम आती है…” और अमन अपना सिर हीना की जाँघ पे घिसने लगता है। जैसे शरम के मारे अपना मुँह छुपा रहा हो।

हीना-“अह्म्मह…” कितने दिनों बाद हीना की जाँघ पे किसी मर्द का सिर था जिससे हीना सिहर उठती है, और अमन के गालों पे किस करते हुए काट लेती है-“तू तो लड़कियों की तरह शरमा रहा है…”

अमन कुछ बोलता उसे पहले शीबा रूम में आ जाती है।

हीना-“तुम लोग बैठो, मैं कुछ नाश्ते के लिये लाती हूँ…”

अमन-“खाला जान, मुझे भूख लगी है। कुछ खाने को हाँ…”

हीना-अभी लाई बेटा।

शीबा हीना के रूम में जाने के बाद अमन के सामने वाले सोफे पे बैठ जाती है-“क्या भाई, घर से खाना खाकर निकलना चाहिए, वरना कहीं चक्कर वक्कर आ गया तो?” और हँसने लगती है

अमन मँ में-“हाँ रानी, चोदते वक्त उतनी ही जोर से रोएगी तू…”

अमन बोला-“हाँ, वो आज पता नहीं कैसे भूख लग गई…”

शीबा उसे घूरते हुए टीजी ओन कर देती है।
अमन उसे ही घूर रहा था।
शीबा अपनी चेहरे पे अमन की आँखों के तपिश बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। उसे पता था कि अमन उसे ही घूर रहा है। शीबा चिल्लाते हुए-“अम्मी, जल्दी नाश्ता लाओ भाई को जोरों की भूख लगी है…” और उसे खा जाने वाली नज़रों से देखती है, वो उसे लगातार देखे जा रहा था।

अमन-“ओह्म्मह… ओह्म्मह…” फिर अपने पैर पसार कर-“सोचता हूँ कुछ दिन आपके पास ही रहूं खाला जान…”

हीना नाश्ता ला चुकी थी-“अरे, ये तो बड़ी अच्छी बात है। मुझे भी थोड़ी कंपनी मिल जायेगी, वरना ये शीबा तो दिन रात पढ़ाई पढ़ाई…”
अमन-हाँ, वो तो दिख रहा है। पढ़ाई पढ़ाई…”

शीबा-“हेलो मिस्टर अमन, मैं हर साल टाप करती हूँ और मुझे सिर्फ़ पढ़ाई में इंटरेस्ट है…” फिर शीबा बोलते बोलते रुक गई।

अमन-हाँ बोलो-बोलो और?

हीना मुश्कुराते हुए-“अब बस भी करो ये टोपिक, चलो अमन बेटा तुम नाश्ता करो…”

अमन शीबा को घूरते हुए नाश्ता करने लगता है। वो सुबह से भूखा था कैंटीन में भी उसने कुछ खास नहीं लिया था।

शीबा-“अराम से, वरना ठस्का लग जाएगा…”

हीना-बस शीबा।

शीबा-“हुंनह…” अमन की तरफ देखते हुए फिर से टीजी देखने लगती है।

अमन एक घंटा बाद-“अच्छा खाला जान, मैं चलता हूँ अम्मी इंतजार कर रही होंगी…”

हीना-“ठीक है बेटा, आते रहा करो। मुझे तेरी कितनी याद आती है। और तू है की अपनी खाला का खयाल ही नहीं रखता…”

अमन हीना के गले लगते हुए उसे कस लेता है-“अब रखूंगा, प्रोमिस…”

हीना-हूँन् पक्का? और हीना भी इस बार उसे कसते हुए।

अमन-एकदम पक्के वाला पक्का। मैं ज़रा शीबा से मिलकर आया…” अमन शीबा के रूम में जाता है-“अच्छा शीबा, मैं जा रहा हूँ अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें रोज कॉलेज ड्राप कर दिया करूंगा…”



शीबा बुरा सा मुँह बनाते हुए-“जी नहीं, आपका बहुत-बहुत शुकिया। मैं कॉलेज बस से अच्छे से पहुँच जाती हूँ भाई…”

अमन शीबा के करीब आकर-“तुम्हें पता है। भाई का मतलब?”

शीबा गम्भीर नज़रों से अमन की आँखों में देखते हुए-क्या?

अमन-“भाई मतलब? बेस्ट हसबैंड अवेलवल इन इंडिया…”

शीबा शरम से लाल हो जाती है-“जाओ यहाँ से भा…”

अमन हँसता हुआ उसके रूम से निकल जाता है।

रजिया-कहाँ रह गया ये?

अनुम-ओफ्फोहो… अम्मी आ जाएगा अमन, कहा ना खाला के यहाँ गया है।

इससे पहले रजिया कुछ बोलती अमन घर में दाखिल होता है।

रजिया-आ गये बेटा? हीना कैसी है? खाना लगाऊँ?

अमन-“ठीक है। मैं खाकर आया हूँ…” और अपनी रूम में जाने लगता है।

तभी डोरबेल बजती है।

अमन दरवाजा खोलने जाता है-“अरे अब्बू आप… आज अचानक… व्हाट आ सरप्राइज…” सामने अमन के अब्बू खड़े थे जिन्हें सब ख़ान साहब कहते थे।

ख़ान अमन के गले लगाते हुए-“मेरा बेटा कितना बड़ा हो गया है? कितने दिन हो गये तुझे देखे हुए?” और दोनों बाप बेटे एक दूसरे से गले मिलते हुए अंदर आते हैं।

अनुम-“अब्बू…” चलती हुई ख़ान साहब के गले लगती है-“आपने फोन कर दिया होता तो हम आपको लेने एयरपोट़ आ जाते…”

ख़ान अपनी बेटे के सर पे हाथ फेरते हुए-“अगर फोन कर देता तो सरप्राइज कैसे देता?”

रजिया भी ख़ान साहब को देखकर खुश हो गई थी।

ख़ान साहब-कैसी हो रजिया?


रजिया-“ठीक हूँ, आप थक गये होंगे। फ्रेश हो जाइए, मैं खाना लगा देती हूँ…”

ख़ान साहब-“नहीं भाई, मुझे थोड़ा सोने दो…” और ख़ान साहब अपने रूम की तरफ चल देते हैं।

अनुम बैग्स खोलने में लगी थी, पता नहीं अब्बू मेरे लिये क्या लाए हैं। और सामने अमन और रजिया एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। रजिया की आँखों से कुछ जाहिर नहीं हो रहा था।
पर अमन की आँखें रजिया को साफ कह रही थी-“हो जा खुश… अब तो आ गया तुझे चोदने वाला। अब तुझे किसी की क्या परवाह?” और अमन एक घिनोनी हँसी चेहरे पे लाते हुए अपने रूम में चला जाता है।

जितनी परेशान रजिया थी, उतना ही अमन था। उसकी रजिया और रेहाना अब किसी और के लण्ड से चुदायेंगी, ये बात उसे परेशान कर रही थी। वो नहीं चाहता था कि कोई उसकी लगाए हुए मोहर को हटाकर अपनी मोहर लगा दे।

दूसरी तरफ चाची रेहाना के घर में भी यही हाल था। ख़ान जमाल मलिक रेहाना के शौहर के घर में आने से वहाँ फ़िज़ा बहुत खुश थी, वहीं रेहाना के तो जैसे होश उड़ गये थे। वो सदमे में थी। पर चेहरे पे मुश्कान के साथ वो भी अपने ना-पसंदीदा सख्श का वेलकम हँसते हुए करती है।

दोनों घरों के मर्द आ चुके थे। अमन के लिये रास्ता थोड़ा मुश्किल नज़र आ रहा था। पर कहते है ना… वहाँ चाह वहाँ राह।

रात के खाने के बाद ख़ान साहब अपने परिवार के सदस्यों को गिफ्ट देते हुये, वो अमन के लिये 4 ड्रेस, अनुम के लिये दो ड्रेस, और रजिया की लिये 3 साड़ी लाए थे जिसे देखकर सभी ने खुशी का इज़हार किया खास तौर पे रजिया ने। पर वो अमन को ही देख रही थी। आज रात वो अमन को मनाकर उससे जमकर चुदना चाहती थी । पर शायद ये दूरियाँ कुछ और लंबी होनी थीं।

ख़ान साहब-“अरे अमन बेटा, ये ड्रेस मैं फ़िज़ा के लिये लिया था, ज़रा उसे दे आना तो…”

अमन-“जी अब्बू…” और अमन रजिया को देखते हुए रेहाना की तरफ चला गया।

रजिया अंदर ही अंदर जल भुन गई।

अमन मलिक को सलाम करते हुए-“चाचू जान…” और दोनों गले मिलते हैं।

रेहाना किचिन में थी। अमन की आवाज़ सुनकर दौड़ते हुए रूम में आ जाती है। रेहाना अमन को आज 9 दिन के बाद देख रही थी। उसके आँखों में खुशी और चमक दोनों साफ देखी जा रही थी।

अमन रेहाना के तरफ देखते हुए-“वो चाचू, अब्बू ने ये फ़िज़ा बाजी के लिये भेजे हैं…”

मलिक-“अरे, ये भैय्या भी ना… मैं भी तो कितने ड्रेस लाया हूँ फ़िज़ा के लिये…”

रेहाना-“अब वो इतने प्यार से दे रहे हैं, तो ले लीजिए…”

मलिक-“ठीक है भाई। अरे, तुम खड़े क्यूँ हो बैठो बेटा…” फिर रेहाना से-“जाओ हमारे बेटे के लिये कुछ खाने के लिये लाओ…”

रेहाना-अभी लाई।
फ़िज़ा अपनी रूम में पढ़ाई कर रही थे, और किकेट मैच देख रही थी।

रेहाना किचिन में से-“अमन, ज़रा इधर आना तो… ये डिब्बा ज़रा ऊपर से उतार दो…”

अमन-“जी…” और उठकर किचिन में चला जाता है।

किचिन में जाकर रेहाना अमन से चिपक जाती है, और अमन भी रेहाना को अपनी बाहों में भर लेता है।

रेहाना-“मुझे यहाँ से ले चलिये कहीं भी। मैं यहाँ नहीं रहना चाहती…” और अमन के होंठों को चूमने लगती है।


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अमन भी रेहाना की चुचियाँ दबाते हुए होंठ चूसने लगता है। उन दोनों को कोई परवाह नहीं थी कि घर में मलिक और फ़िज़ा दोनों हैं, और किसी भी वक्त यहाँ आकर इन दोनों को रंगे हाथ पकड़ सकते हैं।

अमन-“बस कुछ दिन मेरी जान… फिर तू मेरी होंगी। भगा ले जाऊँगा मैं तुझे इन सबसे…” अमन शायद जज्बाती हो गया था।

रेहाना-“उंह्म्मह… हाँ उंह्म्मह… हाँ…” उसकी चूत में पानी आने लगा था।

मलिक-“रेहाना, नाश्ता तैयार हुआ कि नहीं? मुझे भी भूख लगी है…”

रेहाना अमन से अलग होते हुए-“जी अभी लाई…”

अमन नाश्ता करते हुए रेहाना को ही देख रहा था। अब वहाँ फ़िज़ा भी आ चुकी थी और उसकी नज़र भी अमन पे थी। वो अमन और रेहाना दोनों को देख रही थी और अंदाजा लगा रही थी कि ये एक दूसरे को कितना चाहते हैं।

अमन-अच्छा मैं चलता हूँ।

रेहाना-बैठो ना… खाना खाकर जाना।

मलिक-हाँ बेटा बैठो।

अमन-नहीं, अभी मैं खाना खाकर आया था। मैं चलता हूँ।

मलिक-“कल जल्दी आ जाना बेटा, मुझे तुमसे कुछ खास बातें करनी है…”

अमन-“जी…” और अमन अपने घर की तरफ चल देता है।

रात 10:00 बजे-

सभी अपनी-अपनी रूम में जा चुके थे। आज ख़ान साहब का बड़ा मूड था रजिया को चोदने का और उधर मलिक का भी। पर दोनों औरतें शायद इसके लिये तैयार नहीं थी। और इत्तेफाक देखिए दोनों एक ही बहाना बनाती हैं। मुझे एम॰सी॰ पीरियड आज से शुरू हुए हैं।

ये सुनकर दोनों मदों के खड़े लण्ड भी ठंडे पड़ जाते है।

ख़ान साहब-“मैं सो जाता हूँ…” और थके हारे मर्द सो जाते हैं।

रजिया ऊपर फैन को देखते हुए दिल में सोचती है-“आखिर कब तक तू ख़ान साहब को दूर रख पाएगी? सिर्फ़ 7 दिन उसके बाद तो तू चुदेगी ही…”
यही सोच-सोचकर रेहाना भी परेशान थी। वो चाहती थी कि मलिक फिर से वापस दुबई चला जाए और फिर कभी लौट के ना आए।
इनहीं ख्यालों में सुबह हो जाती है।

दीवाली की छुट्टटयां -सुबह 8:00 बजे


दीवाली के छुट्टटयां हो गई थीं। इसलिये अनुम देर तक सो सकती थी।

अमन तो सुबह ही कसरत के लिये उठ जाया करता था। अमन अपनी कसरत खत्म करके गार्डन में सुबह की धूप का मज़ा ले रहा था। उसने सिर्फ़ नाइट पैंट पहना हुआ था।
पास ही में ख़ान साहब भी अखबार पढ़ रहे थे।

कुछ देर बाद रजिया दूध का भरा हुआ ग्लास लेकर वहाँ आती है, और अमन की तरफ बढ़ाते हुए-“लो बेटा दूध पी लो, इससे तुम्हें और ताकत मिलेगी…”

अमन रजिया की डबल मीनिंग बातें खूब समझता था। पर अभी उसे कुछ टाइम अपनी गम्भीरता देखनी थी। अमन जान चुका था कि रजिया और रेहाना उसके बिना नहीं रह सकते, मगर वो अपनी पकड़ इन दोनों औरतों पे और मजबूत करना चाहता था। वो चाहता था कि जब वो इन दोनों को कोई भी हुक्म दे तो वो बिना कोई झिझक के उस काम को पूरा करें, चाहे वो सबके सामने चुदाने का काम ही क्यों ना हो?

अमन दूध का ग्लास ले लेता है। और धीरे-धीरे दूध पीने लगता है। रजिया वहीं एक चेयर पे बैठ जाती है, और अमन को देखने लगती है। पर अमन रजिया का कोई नोटिस नहीं लेता।

ख़ान साहब अपना अखबार एक तरफ रखते हुए-“अमन बेटा, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है…”

अमन-जी बोलिये ना अब्बू।

ख़ान साहब-“देखो बेटा, मैं पिछले कई सालों से दुबई में हूँ। वहाँ सब कुछ है। मगर सबसे जरूरी चीज़ वहाँ नहीं मिलती…”

अमन-वो क्या अब्बू?

ख़ान साहब-“परिवार का प्यार… बेटा, मैंने और तुम्हारे चाचू ने ये फैसला किया है कि अब हम दोनों भाई और तुम मिलकर यहीं इंडिया में गारमेंट्स का बिजनेस शुरू करें। तुम्हारी पढ़ाई भी पूरे होने वाली है। और फिर तुम्हारी और अनुम की शादी भी करनी है। अब बहुत हुआ बाहर रहना। अब मैं तुम लोगों के साथ अपनी बाकी की जिंदगी गुजारना चाहता हूँ। कहो क्या कहते हो?”

अमन के तो जैसे तोते उड़ गये थे। अगर अब्बू यहीं रहेंगे तो मेरी तो लग गई समझो। अमन एक नज़र रजिया की तरफ देखता है, वो उसे ही देख रही थी और शायद उसकी भी यही फीलिंग्स होंगी।

ख़ान साहब-कहो बेटा, चुप क्यों हो?

अमन थूक निगलते हुए-“अब्बू, ये तो बेस्ट आइडिया है। हम भी आपको बहुत मिस करते हैं। आप यहाँ रहेंगे तो हमसे ज्यादा खुश और कौन होगा? पर अब्बू गारमेंट्स के बारे में ना मुझे कोई आइडिया है, और ना शायद आपको। फिर इतना बड़ा बिजनेस कैसे शुरू करेंगे?

ख़ान साहब खुश होते हुए रजिया की तरफ देखते हैं।

रजिया भी बनावटी मुश्कुराहट चेहरे पे लाते हुए।

ख़ान साहब-तुम उसकी फिकर ना करो बेटा। मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त है, शहज़ाद पाशा उनकी एक गारमेंट्स की फक्टरी है। पर उनकी कोई औलाद नहीं है। इसलिये वो सब कुछ बेचकर इंडिया छोड़कर उनके भाई के पास अमेरिका जा रहे हैं। मैंने उनसे बात की है। वो हमें फक्टरी देने को तैयार हैं, और वो चाहते हैं कि तुम उनके पास कुछ दिन फैक्टरी का वर्किंग देख लो ताकी आगे तुम्हें कोई प्राब्लम ना हो। मैंने उन्हें आज रात डिनर पे इनवाइट किया है। तुम भी उनसे मिल लेना।

अमन कर भी क्या सकता था। उसके अब्बू का फैसला मतलब पत्थर की लकीर। अमन उठते हुए-“जी अब्बू, जैसा आप कहें…” कहकर अमन अंदर के तरफ जाने लगता है।
तभी रजिया उसे आवाज़ देते हुए-“बेटा, ज़रा अनुम को उठा दो कब तक सोयेगी लड़की…”

और अमन बिना जवाब दिए अनुम के रूम की तरफ चल देता है। अनुम अपने रूम में एक करवट सोई हुए थी। उसके चेहरे से लग रहा था कि वो कोई बहुत अच्छा सपना देख रही है। अमन उसके पास बैठ जाता है। और उसके चेहरे पे हाथ फेरने लगता है। अनुम गहरी नींद में सोई हुई थी, वो कोई रेस्पॉन्स नहीं देती। अमन धीरे से अपनी होंठ अनुम के गाल पे रख देता है, और कहता है-“उठो राजकुमारी…”

अनुम आँखें खोलते हुए अपने इतने करीब अमन को देखकर हड़बड़ा जाती है। और सीधे होकर-“त्…त…तुम यहाँ क्या कर रहे हो और क्या हरकत की तुमने? सच बोलो…”

अमन-“अम्मी ने तुम्हें उठाने भेजा है…” और अमन अपने होंठ फिर से अनुम के गालों पे रखकर काट लेता है-“ये हरकत की मैंने, सच्ची…”

अनुम उसे तकिया मारते हुए-“कम्बख़्त कहीं के… जाओ यहाँ से गंदे इंसान…”

अमन-“लो जी, अब बताओ तो मुसीबत… चलो उठो और मुझे नाश्ता दो…”

अनुम-“मैं क्या तेरी बीवी…” अनुम बोलते-बोलते रुक जाती है, और अपना चेहरा घुटनों में छुपाते हुए-“जा ना अमन मैं आती हूँ…”

अमन उसके कानों में धीरे से-“आज तुम बहुत सेक्सी लग रही हो…” और रूम से निकल जाता है।

अनुम-“तुउउ…” तबतक अमन जा चुका था, पर अनुम के चेहरे पे खुशी के लकीर छोड़ गया था। अनुम फ्रेश होकर नाश्ता बनाने लगती है।

उधर मलिक अपनी बीवी रेहाना को कहते हुए-“रेहाना, मैं ज़रा भाई जान से मिलकर आता हूँ…”

फ़िज़ा-“मैं भी चलती हूँ अब्बू…”

रेहाना-जल्दी आइएगा।

मलिक-“ओके…” और दोनों बाप बेटी चल देते हैं।

अमन अपने रूम में था और ख़ान साहब रजिया और अनुम हाल में बातें कर रहे थे। तभी मलिक और फ़िज़ा हाल में दाखिल होते हैं।

ख़ान साहब और रजिया उनका गर्मजोशी से वेलकम करते हैं। अनुम और फ़िज़ा अनुम के रूम में चली जाती है। अपनी फिल्म आक्टर्स के बारे में बातें करने लगती हैं। इधर ख़ान साहब मलिक से अपनी बातें शुरू करते हैं। वो सुबह वो अमन के साथ कर रहे थे।

रजिया किचिन में उनके लिये कुछ बना रही थी।

मलिक-अरे अमन नज़र नहीं आ रहा।
ख़ान साहब-“अमन, बाहर आओ बेटा, तुम्हारे चाचू आए हैं…”

अमन को पता चल चुका था कि फ़िज़ा और चाचू घर पे हैं। इसका मतलब रेहाना अकेले होंगी। उसका लण्ड टाइट होने लगता है। और वो उसे अड्जस्ट करके अपने कान से मोबाइल फोन लगाकर रूम से बाहर आता है। अमन फोन में-“हाँ हाँ इमरान, मैं बस अभी आ रहा हूँ। तू वहीं रुक बस दो मिनट…” ये अमन के शातिर दिमाग़ की एक चाल थी। उसका मोबाइल बंद था पर जाहिर ऐसे कर रहा था जैसे वो अपने दोस्त इमरान से बात कर रहा हो।

अमन हाल में दाखिल होकर मलिक को सलाम करता है।

ख़ान साहब-कहीं जा रहे हो बेटा?

अमन-जी अब्बू, इमरान की अम्मी के तबीयत खराब है। उन्हें हॉस्पीटल ले जाना था। क्यों कोई काम था?

ख़ान साहब और मलिक एक साथ-“नहीं बेटा, तुम जाओ हम रात में बात करेंगे…”

अमन-“ठीक है अब्बू…” और अमन घर के बाहर निकल जाता है। वो जानता था कि उसके पास सिर्फ़ एक घंटा है। वो रेहाना के दरवाजे की बेल बजाता है।

रेहाना नहाकर अभी-अभी बाथरूम से निकली थी। उसने सिर्फ़ एक तौलिया बाँध रखा था, अंदर ना ब्रा थी ना पैंटी। रेहाना दरवाजा खोलती है तो सामने अमन को देखकर खुश हो जाती है, और उछलकर अमन के सीने से चिपक जाती है।

रेहाना-“मेरी जान, मेरे शौहर आपको मिलने के लिये तड़प रही हूँ मैं हर पल, मेरी जान…” और रेहाना पागलों की तरह अमन के होंठों को चूमने लगती है।

अमन उसे ऐसे ही अपनी गोद में उठा लेता है, और नीचे से उसकी गाण्ड मसलते हुए, रेहाना को चूमते हुए उसके रूम में ले जाता है। दोनों जाने से पहले मुख्य दरवाजा बंद कर देते है। उनके घर में पीछे की तरफ एक दरवाजा खुलता था। अमन का प्लान उसी दरवाजे से जाने का था वो गली में खुलता था। दो जिस्म प्यार की आग में जल रहे थे, एक दूसरे को खा जाना चाहते थे।
अमन रेहाना को बेड के पास खड़ा करते हुए उसके मुँह में जीभ डालते हुए किस कर रहा था-“मुआह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प मुआह्म्मह…”


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रेहाना को अमन के कपड़े रुकावट लग रहे थे। वो जल्द से जल्द उसे नंगा करना चाहती थी। वो अमन के कपड़े उतारने लगती है।

अमन भी रेहाना का तौलिया खींच देता है। अब दोनों पूरी तरह नंगे हो चुके थे। वो एक दूसरे से ऐसे चिपके किसिंग कर रहे थे मानो फिर कभी नहीं मिलेंगे। अमन का लण्ड पूरा टाइट हो चुका था और रेहाना की
जाँघ में चुभ रहा था।
रेहाना अमन के लण्ड को सहलाते हुए-“उंह्म्मह… जानू, आपके लण्ड के लिये तरस गई थी, आपकी बीवी। आज आपके लण्ड से इस चूत की आग बुझा दो जी अह्म्मह… उंह्म्मह…”

अमन रेहाना के चुचियाँ मसलते हुए अपना लण्ड उसकी चूत पे रगड़ रहा था जिससे रेहाना मचलने लगी थी। अमन ने कहा-“नीचे बैठ…”
रेहाना नीचे बैठ जाती है।

अमन-“आँखें बंद कर रेहाना और मुँह खोल…”

रेहाना अपनी आँखें बंद कर लेती है, और मुँह खोल देती है।

अमन रेहाना के बाल पकड़कर अपना मूसल लण्ड उसके मुँह में डाल देता है-“अह्म्मह… अह्म्मह… रेहाना, चूस साली तेरे मर्द का लण्ड अह्म्मह… अह्म्मह… देख कैसे तना हुआ है, तेरी चूत में जाने के लिये अह्म्मह…”


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रेहाना-“हाँ गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प अगलप्प्प उंह्म्मह… उंह्म्मह… उंह्म्मह…” उसे सांस लेना मुश्किल हो रहा था मगर वो लण्ड को बाहर निकालने को तैयार नहीं थी। अमन का लण्ड उसके मुँह में था, उसे तो जैसे जन्नत मिल रही थी “उंह्म्मह… घून्ं-घून्न्ं…”

अमन-“अह्म्मह… आह्म्मह…” इतने दिनों बिना चुदाई के रहने से अमन अपना पानी जल्दी छोड़ने लगता है-“या अह्म्मह… रेहाना अह्म्मह… अह्म्मह…”

रेहाना-“हाँ जानू, पिलाओ मुझे आपका पानी उंह्म्मह… मेरा मुँह, चूत गाण्ड प्यासे हैं उंह्म्मह… जानू उंन्ह…” और रेहाना अमन के लण्ड का पानी पीती जा रही थी। उसे पता था कि एक बार अमन का पानी जल्दी निकल गया तो उसके बाद अमन लगातार चोदता है। और आज वो बिना रुके चुदना चाहती थी।

अमन का लण्ड पानी छोड़ चुका था। वो बेड पे बैठ जाता है। पर रेहाना उसके लण्ड को छोड़ने वाली नहीं थी। वो उसके लण्ड को चाटने चूसने लगती है-“उंह्म्मह… गलप्प्प ओह्म्मह… गलप्प्प…”


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अमन भी झुक के रेहाना की चुचियाँ दबाने लगता है-“अह्म्मह… ऊऊऊ… ऊओह्म्मह…”

तकरीबन 5 मिनट बाद अमन के लण्ड में तनाव आने लगता है। जिसे अपने मुँह में महसूस करके रेहाना की चूत पानी छोड़ने लगती है।
अमन के लण्ड में अब अकड़न बढ़ने लगी थी-“अह्म्मह… रेहाना आराम से कर… खा जायेगी क्या? अह्म्मह…”

रेहाना-“हाँ, खा जाऊँगी, मेरा है उंन्ह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”

अमन का लण्ड पूरी तरह तन चुका था। अब रेहाना से बदा़शत नहीं हो रहा था। वो अमन को बेड पे लेटा देती है, और उसके ऊपर चढ़ जाती है। रेहाना अपनी दोनों टाँगें अमन के आिू बाजू करके अमन के लण्ड को हाथ में पकड़ लेती है। अमन रेहाना की चुचियाँ मसल रहा था कितने नरम हो गई हैं तेरी, साली…”

रेहाना-“आपने ही किया है जानू…” और रेहाना अमन के लण्ड को चूत के मुँह पे लगाकर बैठती चली जाती है-“अह्म्मह… उंह्म्मह… अम्मी उंह्म्मह… जानू…”
अमन जोर से नीचे से झटका देता है-“ले अह्म्मह…”


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रेहाना दनादन अपनी कमर पटकने लगती है-“हाँ हाँ जानू, मेरी चूत… ऐसे ही चोदो…”
अमन रेहाना की गाण्ड को थाम लेता है, जिससे रेहाना की चुचियाँ उसके मुँह के सामने लटकने लगती हैं, और वो भी सटासट अपना लण्ड रेहाना की गीली चूत में पेलने लगता है-“अह्म्मह… जान् अह्म्मह… तेरी माँ की… अह्म्मह…” फिर रेहाना की एक चूची मुँह में लेकर गलप्प्प-गलप्प्प काटने लगता है।

रेहाना-“आह्म्मह… सुनिए ना… उंह्म्मह… इतने जोर से जानू खा जाओ इन्हें अह्म्मह…” वो इतने जोर से अपनी कमर पटक रही थी के पच-पच की आवाज़ आ रही थी। 10 मिनट में रेहाना की कमर थकने लगती है। इस दौरान वो एक बार झड़ चुकी थी, मगर जोश में वो सब कुछ भूल गई। वो तो आज जी भर के अपनी चूत को पानी पिलाना चाहती थी। रेहाना हाँफते हुए-“उंह्म्मह… जानू आप मेरे ऊपर आओ उंह्म्मह…”

अमन बिना रेहाना की चूत से लण्ड निकाले उसे नीचे कर लेता है, और चोदने लगता है। अमन के मजबूत हाथ रेहाना की नरम मखमली चुचियाँ पूरी तरह निचोड़ने लगते हैं-“अह्म्मह… रेहाना, साली कल नहीं चुदी क्या मलिक से…”

रेहाना-“नहीं जानू, मेरे चूत आपकी अमानत है उंह्म्मह… मैं उसमें खयानत नहीं होने दूंगी… आगज्गग आग उंह्म्मह… अम्मी…”


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अमन ये सुनकर और जोर-जोर से उसे चोदने लगता है-“अह्म्मह… हाँ… तू मेरी है रेहाना, सिर्फ़ मेरी…”

रेहाना-“हाँ हाँ जानू, जानू आपकी, सिर्फ़ आपकी…”


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25 मिनट की इस जबरदस्त चुदाई से दोनों हाँफने लगे थे और अब एक दूसरे की बाँहों में अपने प्यार का रस निकालने लगे थे। अमन दूसरी बार झड़ने लगा था, वहीं रेहाना चौथी बार। दोनों अपनी सांसें थामते हुए एक दूसरे के होंठों को चूमे जा रहे थे।

रेहाना-“अब आप जाएं, मलिक आता होगा…”

अमन-“तेरा शौहर है, और तू नाम लेती है?”

रेहाना अमन के लण्ड से खेलते हुए-“बीवी अपने शौहर का नाम नहीं लेती, जैसे मैं आपका नाम नहीं लेती…”

अमन उसे कसते हुए-“मेरी रेहाना, आई लव यू स्जीट हार्ट…”

रेहाना-“अह्म्मह… आई लव यू टू जानू…”

अमन अपने कपड़े पहनकर वपचकले दरवाजे से बाहर चला जाता है। रेहाना मुख्य दरवाजा खोलकरके दुबारा नहाने चली जाती है। आज कई दिनों बाद उसका बदन ढीला था, उसे अंदर से हल्कापन महसूस हो रहा था। वो नहाकर बाहर आई तो फ़िज़ा और मलिक घर आ चुके थे।

मलिक हाल में किकेट देख रहा था, जबकी फ़िज़ा रेहाना के रूम में बेड पे बैठी थी। और दरवाजे अंदर से बंद कर दी थी।

रेहाना जब बाहर आई तो तौलिया में थी, पूछा-“अरे आ गई बेटा? तेरे अब्बू कहाँ हैं?”

फ़िज़ा बेड से उठते हुए उसके पास जाती है। वो रेहाना के चेहरे को देखती है, फिर बेड को, फिर रेहाना को, फिर बेड को।

रेहाना के माथे पे पसीना आ जाता है।

फ़िज़ा-यहाँ अमन आया था?
रेहाना-“ना ना नहीं तो, वो यहाँ क्यों आयेगा?” उसकी आवाज़ में हकलाहट थी।

फ़िज़ा रेहाना के करीब उससे सटकर-“तो फिर ये बेडशीट पे क्या गिरा है?”

रेहाना बेडशीट बदलना भूल गई थी। क्योंकी उसपे अमन और रेहाना का प्रेम-रस पड़ा हुआ था, वो साफ-साफ पहचाना जा सकता था। रेहाना ने कहा-“मुझे एम॰सी॰ शुरू है…”

फ़िज़ा-“अच्छा…” और फ़िज़ा रेहाना की तौलिया निकालकर बेड पे फेंक देती है। अब रेहाना नंगी अपनी बेटी के सामने खड़ी थी।

रेहाना-क्या कर रही है बेटा?


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फ़िज़ा अपनी दो उंगलियाँ रेहाना की चूत में डाल देती है।

रेहाना-“अह्म्मह… ओह्म्मह…”

फ़िज़ा अपनी उंगलियाँ बाहर निकालकर सूंघते हुए-“फिर इसमें से अमन की खुशबू क्यों आ रही है?” और फ़िज़ा वो गीली उंगलियाँ अपने होंठों पे, फिर रेहाना के होंठों पे फेरती है।

रेहाना ये सब देखकर गरम हो चुकी थी-“हाँ, वो आए थे मुझे जी भर के चोदकर गये हैं…”

फ़िज़ा अपने होंठ रेहाना के होंठों पे रखकर उन्हें चूसने लगती है-“गलप्प्प-गलप्प्प…” दोनों माँ-बेटी एक दूसरे की चूत को सहलाने लगती हैं।


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रेहाना-“उंह्म्मह… बेटा छोड़ दे मुझे, नहीं तो फिर से नहाना पड़ेगा…”

पर फ़िज़ा तो बहक चुकेी थी। उसे अमन का लण्ड नज़र आने लगा था।

मलिक बाहर से-“अरे भाई, कपड़े चेंज करना हो गया हो तो दरवाजा खोलो, मुझे फाइल लेनी है…”

दोनों एक दूसरे को छोड़ देती हैं। दोनों की आँखों में हवस साफ नज़र आ रही थी। फ़िज़ा रेहाना के कान में-“अम्मी मैं रात में दरवाजा खुला रखूंगी…” और फ़िज़ा बाहर चली जाती है।

रेहाना बाथरूम में घुसते हुए बेड-शीट भी साथ ले जाती है। और चेंज करने लगती है।


रात 8 बजे-

ख़ान साहब-“अरे भाई, सब तैयारियाँ हो गई ना? वो लोग आते होंगे…”

रजिया-“जी हो गई हैं। कितने गेस्ट हैं?”

ख़ान साहब-पता नहीं ये अमन कहाँ रह गया?

अमन अपने रूम में तैयार हो रहा था।

डोरबेल बजती है, और अनुम दरवाजा खोलती है। सलाम के बाद वो मेहमान अंदर आते हैं। सिर्फ़ दो लोग थे पाशा और उसके बीवी महक। पाशा एक अधेड़ उमर का काला सा मर्द था। पर उसके बीवी महक किसी मॉडल से कम ना थी, ज्यादा से ज्यादा 25 साल की होगी।

ख़ान साहब दोनों मेहमानों को हाल में बैठाते हैं, और बातें करने लगते हैं

पाशा अपनी बीवी से सबका परिचय करिाता है।
महक को देखकर पता नहीं क्यों दोनों रजिया और अनुम जल भुन गये थे। शायद वजह ये थी कि कुछ दिन अमन उनके साथ रहने वाला था फैक्टरी में।

15 मिनट बाद अमन हाल में दाखिल होता है।

महक-ये कौन है?

ख़ान साहब-ये अमन है, हमारा बेटा। यही आपकी फैक्टरी का नया मालिक होगा।

अमन दोनों से शेक हैंड करता है। आज अमन कयामत लग रहा था। डार्क ब्लू जीन्स उसपे क्रीम सफेद शर्ट और कोट में मानो कोई फिल्म हीरो हो। महक और अमन नज़रें मिलाते है। और मानो जैसे आँखों हैी आँखों में दोनों एक दूसरे को पसंद कर बैठे थे।

महक-अमन यहाँ बैठो।

अमन उन लोगों के साथ बैठ जाता है, और बिजनेस की बातें होने लगती हैं।


ख़ान साहब रजिया और अनुम को देखते हुए-डिनर लगाओ।

रजिया और अनुम अमन को देखते हुए डाइनिंग टेबल पे खाना लगाने लगती हैं। खास तौर पे अनुम तो जैसे जल के राख हो रही थी। अनुम दिल में-“क्या ज़रूरत थी इसे इतना बनठन के आने की, जैसे इसके लिये रिश्ता आया है। मुझे तो देख भी नहीं रहा कमीना कहीं का…”

पाशा खाना खाते हुए-“खाना आपने बहुत अच्छा बनाया है। भाभीजी अब तो बहुत कम ही घर का खाना नशीब होता है। महीने भर आउट डोर जो रहना पढ़ता है।

रजिया मुश्कुराते हुए-“इनका भी यही हाल है…”

पाशा-“सच कहें तो ख़ान साहब आपको फैक्टरी देकर हम बहुत खुश हैं। ऐसा लग रहा है, मानो फैक्टरी घर के किसी मेंबर के पास रहेगी।

ख़ान साहब-“आप बिल्कुल सही फर्मा रहे हैं पाशा साहब और आगे भी आप जब अपनी फैक्टरी में आएंगे तो आपको यही एहसास होगा…”

इन सब बातों से अलग अमन और महक एक दूसरे को चोर नज़रों से देख-देखकर मुश्कुरा रहे थे।

पाशा-“भाई हम तो बाहर ही रहते हैं। फैक्टरी की असली मालकिन तो हमारी बीवी महक है। यही फैक्टरी संभालती है, और यही अमन को ट्रेनिंग देगी। मैं कल अमेरिका जा रहा हूँ, एक महीने बाद आऊँगा। उसके बाद डील फायनल करेंगे।

ख़ान साहब-जैसा आप ठीक समझें।

अनुम से बर्दाश्त नहीं हुआ, इस तरह अमन का महक को घूरना। वो टेबल के नीचे से अमन के पैर पे जोर से पैर मारती है।

अमन-औचक्क।

ख़ान साहब-क्या हुआ बेटा?

अमन-“कुछ नहीं अब्बू…” और अनुम को घूरने लगता है।

खाना खाने के बाद बातें हुईं और पाशा और महक ने जाने का फैसला किया।

महक अमन से हाथ मिलाते हुए-“तो अमन आप कल से फैक्टरी आ जाएं। जितने जल्दी आप सीखेंगे, उतनी आसानी होंगी

अमन महक का हाथ दबाते हुए-“मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आपको किसी किस्म की शिकायत नहीं हों…”

महक-“गुड बाय…” महक जान चुकी थी कि लड़का काम का है।

मेहमानों के जाने के बाद रजिया और ख़ान साहब सोने चले जाते हैं। सुबह से काम से रजिया थक चुकी थी।

अनुम अपनी रूम में जाकर आईने के सामने खड़े होकर खुद को देखने लगती है। तभी अमन पीछे से उसके पास खड़ा हो जाता है। अमन अनुम के पीछे खड़ा था।
अनुम-क्या है?

अमन-अच्छी लग रही हो।

अनुम-“हो गया? अब जाओ मुझे सोना है…” और अनुम रूम की लाइट आफ करके बेड पे जाकर बैठ जाती है।
अमन उसके पास जाकर बैठ जाता है-नाराज हो?

अनुम-मैं क्यों होने लगी तुमसे नाराज?

अमन-ये बात मेरे आँखों में देखकर बोलो।

अनुम-“तुम जाते हो कि नहीं? या मैं बुलाऊँ अम्मी को…” अनुम अपनी नज़रें नीचे कर लेती है।

अमन एक गाना गुनगुनाने लगता है-


झुकी झुकी सी नज़र, बेकरार है कि नहीं,
दबा दबा सा सही, दिल में प्यार है कि नहीं,
तू अपनी दिल की जवान धड़कनों को गिन के बता,
मेरी तरह तेरा दिल बेकरार है की नहीं।


अनुम गुस्से से-“ये गाना अपनी मेडम को सुनाना, जिसके चेहरे से तेरी नज़र हट ही नहीं रही थी।

अमन-ऊ हो तो ये बात है? अरे दीदी वो ही मुझे घूर रही थी।

अनुम-हाँ आप तो प्रिंस चार्म्स हैं ना कि लड़कियां आपको देखते ही मर मिटती हैं।

अमन अपने बाल संवारता हुआ-“ये बात तो आपने सोलह आने सही कहा। अब इसमें मेरा क्या कुसूर है?

अनुम-बुरा सा मुँह बनाते हुए-“देख अमन, तुझे मेरी कसम, तू सिर्फ़ फैक्टरी में काम सीखेगा और वो भी उस चुदैल से दूर रहकर…” अनुम के चेहरे पे फिकर और उदासी दोनों साफ नज़र आ रही थी।

अमन मामला समझते हुए-“उफफ्र्फहो दीदी चिंता मत करो। ओके, मैं महक से दूर बैठकर बात करूंगा और कुछ नहीं…”

अनुम गुस्से से-“नाम ना ले उस भूतनी का मेरे सामने। देखा मैंने कैसे हँस-हँस के बातें कर रही थे तुझसे।

अमन अतनम के गले में बाँहें डालते हुए, उसकी आँखों में देख रहा था।

अनुम-“क्या देख रहा है?” जीरो वॉट की लाइट की रोशनी में भी अनुम की आँखें चमक रही थीं।

अमन-“देख रहा हूँ कि मेरी प्यारी सी दीदी मुझसे कितना प्यार करती है…”

अनुम जज्बाती होते हुए-“अपनी जान से भी ज्यादा और मुझसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता कि तुझे कोई ऐसे घूरे…”

अमन-और जब मेरी बीवी मुझे घूरेगी तब?

अनुम-“मैं क्यों तुझे…” वो बोलते-बोलते रुक गई, उसकी आँखें झुक गई थीं। उसे अपनी कही बात पे पछतावा तो नहीं था, पर एक डर था कि अमन क्या सोचेगा?

अमन गम्भीर हो चुका था। वो अनुम का चेहरा ऊपर उठाता है, और उसके आँखों में गौर से देखने लगता है। फिर धीरे से-“अनुम एक बात कहूँ?”

आज पहली बार अमन ने अनुम को नाम से पुकारा था। अनुम को उसका नाम आज तक इतना अच्छा नहीं लगा था जितना आज अमन के मुँह से। अनुम काँपते लंबों से-बोलो।
अमन-क्या तुम मुझसे प्यार करने लगी हो?
अनुम के होंठ हाँ बोलने के लिये तरस रहे थे। वो बोलना चाहती थी कि वो अमन से कितना प्यार करती है, और दिल ही दिल में अमन को अपना सबकुछ मान चुकी है। और ये प्यार सिर्फ़ जिस्म की भूख का नहीं, बल्की इसमें ज़ज्बात भी मिले हुए हैं। वो सिर्फ़ एक सच्चा प्यार करने वाला ही समझ सकता है। लेकिन अनुम कुछ नहीं कहती।

अमन उसके इतने करीब आ जाता है कि अनुम की साँसों की खुश्बू भी सूंघ सकता था-बोलो ना अनुम?

अनुम-“मैं इस वक्त कुछ नहीं कह सकती अमन। बस इतना ही कहूँगी कि जो फीलिंगस मेरे दिल में तेरे लिये हैं, और रहेंगी, वो शायद ही आने वाली जिंदगी में किसी के लिये हो।

अमन-मुझे महसूस करने दो।

अनुम उसे सवालिया नज़रों से देखते हुए-कैसे?

अमन अपने होंठ अनुम के काँपते होंठों पे रख देता है। अमन ने कहीं पढ़ा था कि अगर किसी की सच्ची मोहब्बत का पता लगाना हो तो उसे एक बार किस करो, उसके तमाम ज़ज्बात जाहिर हो जाएंगे और एक लड़की भी यही चाहती है।

अनुम अमन की इस हरकत से नाराज होने के बजाए उसका साथ देने लगती है। जितने शिद्दत से वो अमन से प्यार करती थी, उतनी शिद्दत से वो अमन को किस कर रही थी। अमन जब भी किसी को किस करता था तो उसके होंठ चूस लिया करता था। मगर इस बार वो अनुम को पूरा मौका दे रहा था, अपनी फीलिंगस बताने का।

अनुम उसके नीचे के होंठ को अपने होंठों में फँसाती, तो कभी दांतों में। वो एक माशूका की तरह अमन के होंठों को चूम रही थी, उसके सांसें फूली हुई थीं, दिल जोरों से धड़क रहा था, मगर वो अमन को छोड़ने को तैयार ना थी। करीब 15 मिनट के बाद वो अमन को छोड़ देती है। दोनों अब ये जान चुके थे कि अनुम क्या सोचती है। और अमन क्या सोचता है।

अमन उठकर चला जाता है।

अनुम उसे जाता हुआ देखती रह जाती है।

अमन अपनी जिंदगी में इतना गम्भीर कभी नहीं हुआ था, जितना आज। वो तो औरत को सिर्फ़ और सिर्फ़ चोदने की मशीन समझता था और औरत पे कैसे काबू पाया जाए यही उसकी सोच हुआ करती थी। अनुम को तो वो सिर्फ़ चोदना चाहता था। उसने ये नहीं सोचा था कि आगे क्या होगा? उसकी लाइफ का एक ही फंडा था-“पटट तो सो, नहीं तो उठकर बैठ…”
पर आज अनुम की उस किस ने उसे एहसास ज़रूर दिला दिया था कि प्यार नाम की भी कोई चीज़ होती है। आज भले ही वो अनुम से उतना प्यार ना करता हो, जितना अनुम उससे करती थी। पर कहीं ना कहीं दिल के किसी कोने में मोहब्बत की एक छोटे से कोंपल ने अपना सिर ज़रूर उठाया था। इन्हें सोचों में गुम अमन सो जाता है।



सुबह 8:00 बजे-

अमन नाश्ता कर चुका था। उसे 10:00 बजे तक फैक्टरी जाना था। पर अभी तो वो गार्डन में सुबह की धूप का मज़ा ले रहा था और महक के साथ आने वाले वक्त को सोच-सोचकर मुस्कुरा रहा था।

रजिया उसके पास बैठते हुए-क्या बात है अमन, आज बड़े खुश लग रहे हो?

अमन-“कुछ नहीं अम्मी बस ऐसे ही…” और वो रुक जाता है। उसे याद आ गया था कि वो तो रजिया से नाराज है।

रजिया मुस्कुराते हुए-अच्छा ये बताओ कि नाश्ते में क्या बनाऊँ? अमन के बदले रवैये ने उसे खुश कर दिया था। उसे लगा कि अमन उसका थप्पड़ भुलाकर नये सिरे से शुरुआत करना चाहता है।
अमन फिर से गम्भीर होते हुए-“कोई ज़रूरत नहीं, झूठा प्यार दिखाने की…”

रजिया का चेहरा उतर जाता है। कुछ पल पहले आई खुशी फिर से गायब हो जाती है-“अमन वो हुआ उसके लिये मैं दिल से शर्मिंदा हूँ। प्लीज़… अमन ऐसा ना कर, तू जानता है ना कि मैं तेरी ये बेरूखी बर्दाश्त नहीं कर सकती। तू वो कहेगा, मैं वो करूंगी, मुझे तेरे और रेहाना के रिश्ते को लेकर कोई परेशानी नहीं अमन…” रजिया ने एक सांस में अपने दिल की बात कह दी थी, वो वो कई दिनों से अमन से बोलना चाहती थी।

अमन दिल ही दिल में-“अरे वाह… कमाल हो गया। जैसे मैं चाहता था ये तो वैसे ही बोल रही है…” फिर अमन ने कहा-“मुझे अब इन सब बातों में कोई इंटेरेस्ट नहीं है। मैं अब जल्द से जल्द अपनी लाइफ सेट करना चाहता हूँ और कहीं दूर चला जाना चाहता हूँ, वहाँ कोई ना हो…”

रजिया का दिल बैठने लगा था। उसे अमन से ऐसी उम्मीद नहीं थी। रजिया की आँखों में पानी आ जाता है।

अमन जब ये देखता है तो उससे रहा नहीं जाता और उसके दिल पे जमी सारी बर्फ एक झटके में पिघल जाती है-“अरे, मैं तो मज़ाक कर रहा था और तुम हो कि रोने लगी?” अमन रजिया के चेहरे को अपने हाथों में थामते हुए उसकी आँखों में देखते हुए-“इधर देखो रजिया…”

रजिया भीगी पलकों से अमन को देखने लगती है।

अमन-“मुझे माफ कर दो, मैंने तुझे बहुत सताया, बहुत रुलाया, मैं तुझे छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगा…”

रजिया-प्रोमिस।

अमन-“पक्के वाला प्रोमिस…” और धीरे से रजिया के होंठों पे किस कर देता है।

अनुम सो रही थी और ख़ान साहब नहा रहे थे इसलिये अमन को ये मौका मिल गया था।
 
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रजिया इतनी खुश थी, जितनी वो पहली बार अपने शौहर से सुहगरात में चुदने के बाद भी नहीं हुई होगी। रजिया अपनी बाँहों में अमन को भर लेती है-“आई लव यू अमन…”

अमन-“आई लव यू टू स्जीट हार्ट…” अमन के हमेशा के अल्फ़ाज़ वो वो रेहाना को भी कह चुका था और ना जाने आगे किस-किस को कहने वाला था। अमन बोला-अब मुझे नाश्ता दोगे कि नहीं, मुझे फैक्टरी भी जाना है।

रजिया अमन के होंठ पे किस करते हुए-“अभी देती हूँ जी…” सुनिए रात को जल्दी घर आएंगे आप और बाइक धीरे चलाएंगे और हाँ लंच भी टाइम पे करेंगे…”

अमन उसके गाल पकड़ते हुए-“साली पक्की बीवी की तरह बोल रही है…”

रजिया-“अब बीवी, बीवी की तरह नहीं बोलेगी तो कैसे बोलेगी?” और दोनों हँसने लगते हैं। दिलों की वो रंजिश खत्म हो चुकी थीं। अब तो बस एक ही चीज़ बाकी रहने वाली थी प्यार प्यार और सिर्फ़ प्यार।

सबेरे 10 बजे-

अमन फैक्टरी पहुँच जाता है। और रिसेप्शन पे एक लड़की को अपना नाम बताता है। वो लड़की अपनी मेडम यानी महक को बताती है।

महक-उन्हें अंदर भेज दो।

अमन केबिन में दाखिल होता है। बेहद खूबसूरत डेकोरेटेड केबिन था, हर चीज़ सलीके से सजी हुई थी। अमन काफ़ी इंप्रेस्ड हो जाता है।

महक-आइए अमन बैठिए। क्या लेंगे आप चाय कोफी? ओह्म्मह… आई एम सारी, मैं भी क्या फार्मल बातें पूछ रही हूँ, होने वाले फैक्टरी के मालिक से।

अमन महक को ही देख रहा था, पिंक सिल्क साड़ी में गजब की लग रही थी, महक होंठों में रेड लिपिस्टिक। अमन दिल में-“साली क्या कयामत है? ये ऊपर वाले ने फ़ुर्सत से बनाया होगा इसे…”

महक अमन को अपने जिस्म को घूरता देखते हुए-क्या हुआ अमन?

अमन-“जी वो… मैं तो कुछ नहीं…” और अमन चेयर पे बैठ जाता है।

महक-“यहाँ बैठिए अमन मेरे पास…” महक उसे अपनी पास वाली चेयर आफर करती है।

अमन दिल में-बेटा क्या कर रहा है? फस्ट़ इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन। और अमन खुद को संभालते हुए-“सबसे पहले महक जी आप मुझे नाम से पुकारें, क्योंकी इससे हमें एक दूसरे को समझने में आसानी होंगी।

महक मुस्कुराते हुए-“ओके अमन, तो तुम भी मुझे महक कहोगे…”

अमन-फाइन महक।

महक अमन को फैक्टरी के बारे में समझाने लगती है। फैक्टरी के वर्कर्स से भी अमन का परिचय करिाया जाता है। अमन एक निहायत ही होशियार और महनती लड़का था। उसे अपने काम में पर्फेक्शन चाहिए थी और फैक्टरी उसके आने वाले फ्यूचर की सबसे अहम सीढ़ी थी, तो वो भी दिल लगाकर सब कुछ ठीक से समझना चाहता था। वो हर चीज़ को बड़े ध्यान से नोट करता जा रहा था।

जिसे महक ने भी नोटिस किया। वो जान चुकी थी कि अमन एक परफ़ेक्ट इंसान बनने के कगार पे खड़ा है। बस उसे सही गाइडेन्स की ज़रूरत है। महक अपने माँ-बाप की एकलौती औलाद थी। उसके मम्मी-पापा एक बिजनेसमैन थे, वो चाहते थे कि महक भी बिजनेस करे। उनके इसी सपने को पूरा करने कि लिये महक ने एम॰बी॰ए॰ किया। पर किस्मत देखिए कि जब वो अपनी खुद का बिजनेस शुरू करना चाहती थी, उसी वक्त उसके मम्मी-पापा की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई। उसे जिस इंसान ने सहारा दिया, वो था पाशा।

पाशा महक का खालाजाद भाई था। उसकी पहले बीवी मर चुकी थी और उसे भी एक नये जीवनसाथी की तलाश थी। उनकी शादी को कई साल हो चुके थे, पर पाशा के बच्चे ना पैदा कर पाने के कारण उन दोनों में दूरियाँ बढ़ती जा रही थी।

रात 8:00 बजे-

अमन पूरी फैक्टरी का इनस्पेक्सन करके महक के केबिन में आकर बैठ जाता है। आज उसने बहुत सी चीज़ें सीखी थी।

महक उसे काफी आफर करते हुए-लो अमन काफी पिओ। चलो किसी रेस्टोरेंट में डिनर करने चलते हैं।

अमन-“नहीं अब मैं चलता हूँ महक, लेट हो जाएगा…”

महक-“ओह्म्मह… कम ओन अमन, डोंट बिहेव लाइक आ चाइल्ड…”

अमन-ओके चलो।

महक-“ये हुई ना बात…” और दोनों डिनर करने चल देते हैं।


होटेल स्काइ लाक़-

अमन और महक डिनर के लिये रेस्टोरेंट पहुँच जाते हैं। जैसे तो अमन कई बार अपने दोस्तों के साथ इस रेस्टोरेंट में आ चुका था, पर ना जाने क्यों उसे नर्वसनेस महसूस हो रही थी।
महक एकदम नॉर्मल बिहेव कर रही थी।

अमन एक टेबल बुक करता है, और दोनों वहाँ बैठकर डिनर ऑर्डर करते हैं। खाना खाते वक्त महक अमन को देख रही थी। पर अमन का ध्यान सामने डान्स फ्लोर पे था वहाँ कुछ जोड़े और कुछ लड़के-लड़कियां डान्स कर रहे थे। वहाँ थोड़ा अंधेरा था और एक हल्का म्यूजिक बज रहा था।

खाना खाने के बाद महक ने कहा-“क्या हुआ अमन, डान्स करने का इरादा है क्या किसी के साथ?”

अमन किसी और के साथ क्यों? जब मेरे सामने एक एंजल (परी) बैठी है।

महक मुस्कुराते हुए-“तो तुम मुझे इन डाइरेक्ट डान्स के लिये बोल रहे हो?”

अमन मुस्कुराते हुए-“तो ठीक है, डाइरेक्ट बात करते हैं। क्या तुम मेरे साथ उस कोपचे (कॉर्नर) में डान्स करना चाहोगी?”

महक खिलखिलाकर हँसते हुए-कोपचे में… मतलब क्या?

अमन-“आह्म्मह… कुछ नहीं चलो…” और अमन उसकी तरफ हाथ बढ़ाता है।

महक अमन का हाथ अपने हाथ में लेते हुए-“चलो…” और दोनों डान्स फ्लोर पे पहुँच जाते हैं। हालांकी दोनों को डान्स कुछ खास नहीं आता था, मगर फिर भी दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे को कंपनी दे रहे थे। अचानक एक रोमांटिक म्यूजिक बजने लगता है।

अमन अपना एक हाथ महक के पीछे उसके पीठ पे रख देता है, और उसे अपने करीब कर लेता है। महक अमन के कंधे पे हाथ रखे हुए थी। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखकर डान्स कर रहे थे।

अमन-एक बात कहूँ महक?

महक-ह्म्मम्म्म्म।

अमन-देखो अगर बुरा लगे तो आई एम सारी, लेकिन मैं एक साफ दिल का इंसान हूँ, वो दिल में होता है। वही जीभ पे।

महक मुस्कुराते हुए-अब बोलो भी अमन।

अमन-“तुम बहुत खूबसूरत हो और तुम्हें पता है, सबसे ज्यादा खूबसूरत तुममें क्या है?

महक-क्या?

अमन उसे अपने से थोड़ा और सटाते हुए-“तुम्हारे आँखें। जब भी तुम्हारी आँखें में देखता हूँ तो मुझे लगता है मैं इनमें डूब के मर जाऊँ…”

महक गम्भीर होते हुए-सच अमन?

अमन-बिल्कुल सच।

दोनों एक दूसरे की आँखों में ही देख रहे थे। ना जाने कितने सवाल थे उन दोनों की आँखों में, ना जाने कितनी ख्वाहिशें, अचानक लाइट ओन हो जाती है, और दोनों चौंक जाते हैं।
महक-हमें चलना चाहिए।

अमन-हाँ।

और दोनों बाहर कार के पास पहुँच जाते है। महक का ड्राइवर कार ही में बैठा था।

अमन-एक बात कहूँ महक?

महक-“मैं एक बात कहूँ? तुम मुझसे ये मत कहा करो कि एक बात पूछूं? तुम्हारा वो दिल कहे, वो बोला करो। प्लीज़ इजाजत मत मांगो, ओके…”

अमन-ठीक है बाबा। मैं ये कह रहा था कि तुम्हें ड्राइविंग नहीं आती क्या?

महक-नहीं मुझे नहीं आती, तुम्हें आती है?

अमन-हाँ… मैंने अपने दोस्त की कार कई बार चलाई है। उसने मुझे सिखाया था कार चलाना।

महक-मुझे सिखाओगे?

अमन-क्यों नहीं?

महक-कब?

अमन-जब तुम कहो।

महक-ठीक है, हम कल से कार चलाना सीखेंगे यहाँ एम॰जी॰रोड है, वहाँ कोई नहीं आता। मेरा मतलब है कि वहाँ इतना रश नहीं होता।

अमन-ठीक है।

फिर दोनों कार में बैठ जाते हैं। महक बोली-पहले मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देती हूँ।

अमन-ओके, लेकिन मुझे रास्ते में कुछ दवा लेनी है।

महक ड्राइवर से-“रास्ते में मेडिकल शाप में गाड़ी रोक देना…”

ड्राइवर-ओके मेडम।

अमन मेडिकल से कुछ सामान लेने उतर जाता है। और उसे अपनी पाकेट में रख देता है। महक अमन को उसके घर ड्रॉप कर देती है। और दोनों एक दूसरे को फार्मल से बाइ कहते हैं
रात 11:00 बजे-

इधर घर में रजिया और अनुम परेशान हो रही थीं कि अमन अब तक आया क्यों नहीं? जबकी अमन ने पहले ही फोन करके बता दिया था कि वो लेट हो जायगा। जब अमन घर में दाखिल होता है।

ख़ान साहब-आ गये बेटा, बड़ी लेट हो गई।

अमन-हाँ, आज पहला दिन था तो वक्त का पता ही नहीं चला।

रजिया-खाना लगा दूं अमन?

अमन-“नहीं मैं खाकर आया हूँ…” अमन जहाँ तक हो सके रजिया को अम्मी बोलने से बचता था। इस बात को रजिया ने भी नोटिस किया था।

अनुम अपने रूम में से बाहर आते हुए-“अमन, एक मिनट मेरे रूम में आना। मुझे कुछ काम है…”

और अमन सोफे पे से उठकर अनुम के रूम में चला जाता है।
अनुम-इतनी देर कैसे हो गई, कहाँ थे और किसके साथ थे?

अमन अनुम के गले में बाहें डालते हुए-“उफफ्र्फहो… अनुम कितने बीबीयों वाले सवाल? ये नहीं कि बंदा थका हारा घर आया है, उसे एक कप चाय पिलाई जाए, एक दो पप्पी दी जाए तो मूड ठीक हो जाता है…”

अनुम-“ओहोहो… तो जनाब को पप्पी चाहिए?” और अनुम अमन के पेट में घूँसा मार देती है-“ये लो झप्पे कैसे हैं?”

अमन-अह्म्मह… मेरा पेट।

अनुम घबराते हुए-“क्या हुआ? बताओ मुझे जोर से लगी क्या?

अमन हँसते हुए-“देखो…” और अमन उसे अपने गले से लगाते हुए-“सुनो…”

अनुम उसे देखती है।

अमन-“एक पप्पी दो ना…”

अनुम बिना कुछ कहे अपनी आँखें बंद कर लेती है। जैसे कह रही हो-ले लो।

अमन उसके कानों में-“अभी नहीं…” और उसे छोड़ देता है।

अनुम आँखें खोलते हुए, थोड़ी नर्वस थी क्योंकी उसे अमन के दिल का हाल ठीक तरह से पत्ता नहीं चला था। कभी अमन एकदम प्यार लूटने और प्यार करने वाला नज़र आता था, तो कभी एकदम अंजाना सा। अनुम ने कहा-“मुझे नींद आ रही है। तुम जाओ अब्बू से बातें करो…”

अमन उसके गाल पे गुड नाइट किस करके रूम से बाहर चला जाता है। तभी उसके मोबाइल पे मेसेज आता है। ये मेसेज रेहाना का था। जिसमें लिखा था-“आई लव यू जानू, आई मिस यू सो मच…”

अमन के चेहरे पे मुस्कुराहट आ जाती है, और वो किचिन में चला जाता है। वहाँ रजिया कुछ सफाई कर रही थी अमन पीछे से रजिया को पकड़ लेता है।

रजिया चौंकते हुए-“अह्म्मह… ओह्म्मह… आपने तो मेरी जान ही निकाल दी। छोड़ो मुझे, ख़ान साहब हाल में है।

अमन अपनी पाकेट से दो टैबलेट की स्ट्रिप निकालता है, और रजिया की हाथ में दे देता है।

रजिया-क्या है ये?
अमन उसके कानों में-“ये एक पैकेट नींद की गोलियों का है। इसमें से दो-दो टैबलेट अनुम और ख़ान को दे दो दूध में, वो सुबह तक नहीं उठेंगे। और दूसरा पैकेट तेरे लिये है।

रजिया-मेरे लिये?

अमन रजिया की चूत शलवार के ऊपर से सहलाते हुए-“हाँ… तुझे अभी मेरा बच्चा नहीं चाहिए ना, इसलिये ये प्रेग्गनेन्सी रोकने का है…”

रजिया के जिस्म में सनसनाहट होने लगती है। उसका बेटा उसकी चूत सहलाते हुए उसके लिये ऐसी टैबलेट लाया है।

अमन-रजिया की चूत को दबाते हुए-“जल्दी से ख़ान को गोली दे दे नींद की।

रजिया-“उंह्म्मह… ओह्म्मह… वो अब्बू हैं आपके…”

अमन-“अब्बू होगा अनुम का, मेरे तो लण्ड का दुश्मन है…” और दोनों हँसने लगते हैं।

ख़ान साहब किचिन में आते हुए-“अरे क्या हँसी मज़ाक हो रही है, माँ-बेटे में?”

अमन रजिया को छोड़ देता है।

रजिया हँसते हुए-“ये आपके लाट साहब… पता है क्या कह रहे है?”

ख़ान साहब-क्या?

अमन घबरा जाता है-“नहीं, कुछ भी तो नहीं…”

ख़ान साहब-अब बोलो भी भाई?

रजिया मुस्कुराते हुए-“ये कह रहे है कि अब्बू के आने से घर में कितनी रौनक आ गई है…”

अमन चैन की सांस लेता है।

ख़ान साहब-“मेरा बेटा…” और ख़ान साहब अमन को अपने गले लगा लेते हैं। अमन का चेहरा रजिया की तरफ था और रजिया उसे आँख मार देती है।

अमन वो दवा लाया था, वो रजिया अनुम और ख़ान के दूध के ग्लास में डाल देती है। तकरीबन आधे घंटे बाद दवा अपना काम दिखाना शुरू करती है।

ख़ान साहब रजिया से-“मुझे तो बड़ी नींद आ रही है…” और वो बेड पे लेटते ही खरा़टे मारने लगते हैं।

उधर अनुम भी अपने रूम में घोड़ी बेच के सो रही थी।

अमन अपने रूम में शॉर्ट्स में रजिया का इंतजार कर रहा था।
रजिया पहले अनुम का फिर खुद के बेडरूम का दरवाजा बाहर से बंद कर देती है। उसे पता था आगे क्या होने वाला है? उसे आगे की बातें सोच-सोचकर नशा सा होने लगा था, जैसे उसने कोई नशे की चीज़ खा ली हो। वो अमन के रूम में जाने से पहले अपने सारे कपड़े उतार देती है, और पूरी नंगी हो जाती है। उसकी चूत चमक रही थी, उसपे एक भी बाल नहीं था।


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इन 10 दिनों में वो अमन को अपना शौहर दिल से मान चुकी थे। अब ख़ान उसके लिये सिर्फ़ दुनियाँ के लिये शौहर था, जिससे वो प्यार नहीं करती थी। जब वो पूरी नंगी हो गई तो उसके जिस्म के बाल, एक-एक रोंगटा खड़ा हो गया, उसकी चूत में सरसराहट सी होने लगी, उसके गुलाबी निपल एकदम खड़े हो चुके थे। रजिया धीरे से अमन का दरवाजा खोलती है, और अंदर आकर रूम बंद कर लेती है।

सामने अमन बैठा हुआ था। वो रजिया को इस हालत में देखकर खड़ा हो जाता है, और अपनी शॉर्ट्स उतार देता है। रजिया जब उसके लण्ड को एकदम खड़ा हुआ देखती है तो उसके नज़रें झुक जाती हैं। दोनों एक दूसरे के सामने खड़े थे। अमन बेड के पास और रजिया दरवाजे के पास।

अमन धीरे-धीरे रजिया की तरफ बढ़ता है। और रजिया के सामने आकर खड़ा हो जाता है। दोनों अपने पूरे जोश में थे, 10 दिनों की प्यास एक रात में बुझा लेना चाहते थे, दोनों कुछ नहीं बोल रहे थे। अमन रजिया से चिपक जाता है। चिपकने के वजह से अमन का खड़ा लण्ड रजिया की जाँघ में चला जाता है, और रजिया की चुचियाँ अमन की चौड़ी छाती में धँस जाती हैं।

रजिया-“अह्म्मह… जानू…” कहकर रजिया अपने शौहर अमन को अपनी बाँहों में भर लेती है-“जानू उंह्म्मह… आपने मुझे बहुत तरसाया है। उंह्म्मह… मुझे आज रात सब कुछ भुला दो उंह्म्मह…”

अमन रजिया को अपनी बाँहों में समेटते हुए-“हाँन्न मेरी रजिया, आज मैं तुझे ऐसे चोदूंगा कि तू सारी बातें भूल जाएंगी। आज रात हम दोनों तेरे चूत और मेरे लौड़े के पानी में भीग जाएंगे अह्म्मह…”

रजिया-“हाँ हाँ जानू, चोदो कस के चोदो आप, मैं कुछ नहीं कहूंगी उंह्म्मह… सारी रात चोदो मुझे उंह्म्मह…”

अमन रजिया को अपनी गोद में उठा लेता है, और उसे बेड पे बैठा देता है। फिर उसके सामने जाकर खड़ा हो जाता है-“रजिया, अपने शौहर के लौड़े को चूम चाट और गीला कर ताकी तुझे रगड़कर चोदूं मैं…” और अमन रजिया के सिर को पकड़कर अपने लण्ड पे झुका देता है।

रजिया तो पहले से ही बेचैन थी-“हाँ गलप्प्प अगलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प हाँ हाँ हाँ गलप्प्प…” वो तेजी से अमन के लण्ड को चूस रही थी, उसका सलाइवा उसकी चूत पे गिर रहा था-“उंह्म्मह… हाँ जानू, हाँ गलप्प्प अगलप्प्प…”


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अमन-“आह्म्मह… रजिया अह्म्मह… अह्म्मह…” कहकर अमन अपनी कमर हिलाने लगता है। जैसे रजिया का मुँह चोद रहा हो-“आह्म्मह… रजिया अह्म्मह…”
रजिया-“गलप्प्प-गलप्प्प जानू, मैं रात भर चुदना चाहती हूँ गलप्प्प… चोदेगे ना मुझे उंह्म्मह…” उसकी चूत में पानी आने लगा था।

अमन-“हाँ चोदूंगा हाँ…” और रजिया के मुँह से अपना लण्ड निकाल लेता है। फिर रजिया को पकड़कर बेड पे उल्टा कर देता है, जिससे रजिया की गाण्ड ऊपर की तरफ आ जाती है, और चूत पीछे की तरफ।

रजिया-“उंह्म्मह…”

अमन कई दिनों से बर्दाश्त कर रहा था, पर अब नहीं। वो रजिया के बाल पकड़कर पीछे से अपना लण्ड उसकी गीली चूत में रगड़ते हुए जोर से धक्का मारता है-“ले…”


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रजिया-“अह्म्मह… जानू…” वो इतना जोर से चिल्लाई थी कि अगर ख़ान पे गोलियों का असर नहीं होता तो वो भागकर रूम में आ जाता।

अमन-“चिल्ला मत साली…” और जोर-जोर से रजिया को चोदने लगता है-“अह्म्मह… बहुत तरसाया है तूने मेरे लण्ड को… ले साली अह्म्मह…” अमन इतने जोर से उसको चोद रहा था कि रजिया हर धक्के के साथ बेड में धँसी जा रही थी-“अह्म्मह… अब तरसाएगी मुझे बोल्ल अह्म्मह…”

रजिया-“नहीं, ना जी उंन्ह… जानू नहीं… अम्मी मेरी चूत… अब नहीं तरसाऊँगी मैं… आराम से चोदो ना जी…”


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devotion
सटासट की आवाज़ से अमन रजिया की चूत पेल रहा था। रजिया एक तरह से घोड़ी बनी हुई थी और अमन पीछे से अपनी पूरी ताकत से उसे चोदे जा रहा था-“अह्म्मह… अह्म्मह… रजिया… तेरी चूत मेरी है… सिर्फ़ मेरी अह्म्मह…”

रजिया-“उंह्म्मह… हाँ…” और रजिया अपना पहला पानी छोड़ने लगती है-“जानू जी अह्म्मह…” वो निढाल हो चुकी थी। 10 मिनट की चुदाई ने उसे पागल कर दिया था।
पर अमन धक्के मारे जा रहा था, जिससे रजिया में और चुदने की ख्वाहिश होने लगी।

रजिया-“सुनिए उंह्म्मह… मेरे ऊपर आइए ना…”

अमन रजिया को चित्त कर देता है, उसके ऊपर आ जाता है, और अपना लण्ड फिर से उसकी चूत में डालकर चोदने लगता है-अह्म्मह… अह्म्मह…”


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रजिया-“हाँ मेरे शौहर को अपनी सीने से लगाने तरस रही थी मैं उंह्म्मह… ऐसे ही उंह्म्मह…”

दोनों मानो एक दूसरे को चोद रहे थे, ऊपर से अमन और नीचे से रजिया अपनी गाण्ड उठा-उठाकर उसका साथ दे रही थी। रूम में चुदाई और इन दोनों का शोर था।

रजिया-आपका लौड़ा मेरी चूत के लिये ही है।

अमन-“हाँ मेरी जान तेरी चूत के लिये…”

दोनों पसीना-पसीना हो चुके थे अपने धक्कों के स्पीड बढ़ते हुए अह्म्मह… उंन्ह… दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते हुए जीभ को चाटते हुए पानी छोड़ने लगते हैं।

रजिया-“उंन्ह… अह्म्मह…”

अमन-“रजिया अह्म्मह…”

दोनों जोर-जोर से हाँफ रहे थे। ये पहली चुदाई तो सिर्फ़ शुरुआत थी आज रात की। दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे और एक दूसरे के अंदर रहना चाहते थे।

अमन रजिया की पेशानी पे चूमते हुए-“रजिया, आज मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ, दिल कर रहा था कि तुझे तेरे ख़ान और अनुम के सामने चोदूं…”

रजिया-“उंन्ह… मेरा भी यही हाल था। और जब आपने मुझे वो गोलियाँ दी, तबसे मेरी चूत पानी छोड़ रही है…”
अमन रजिया की चुचियाँ मुँह में लेते हुए चूसने लगता है।

रजिया-आ जी उंह्म्मह…

अमन-इनमे दूध कब आएगा मेरी जान?

रजिया-“उंह्म्मह… जब आप मुझे दिन रात चोदेगे और मुझे प्रेग्गनेंट कर दोगे और मैं आपके बच्चे को पैदा करूंगी, तब जानू…”

अमन चुचियों को काटते हुए-मुझे दूध पिलाओगी?

रजिया-आप पिएँगे?

अमन-हाँ हर रात।

रजिया-कैसे?

अमन-“तेरे ऊपर तेरी चुचियों को अपने मुँह में लेकर तेरी चूत में लौड़ा डालकर जब मैं तुझे चोदूंगा तब…”

रजिया ये सुनकर पागल होने लगती है-“आह्म्मह… जानू, मैं पिलाऊँगी अपने शौहर को अपना दूध। उंह्म्मह… आप मुझर रात भर चोदेंगे तो थक जाएंगे ना… तब आपको ताजा गरम दूध मेरी चुचियों से पिलाऊँगी उंन्ह… अह्म्मह…”

अब अमन के लण्ड में और रजिया की चूत में फिर से सरसराहट होने लगी थी। अमन रजिया को अपने ऊपर खींच लेता है-“तेरी चूत बहुत टाइट है। रजिया, ख़ान चोदता नहीं है क्या?”

रजिया-“ख़ान के लण्ड में वो ताकत नहीं, वो रजिया की चूत से पानी निकाल सके, वो सिर्फ़ आप में है जानू…”

अमन रजिया की होंठों को चूमते हुए-“सुन… मैं तुझे और रेहाना को एक साथ चोदना चाहता हूँ…” और अमन रजिया की गाण्ड सहलाने लगता है।

रजिया-“हाँ… आप जो चाहोगे वैसा होगा उंह्म्मह… मैं अब कहीं भी लूगी आपका लौड़ा मेरे जानू उंह्म्मह…”

अमन का लण्ड तन चुका था। वो रजिया के पैर चौड़े करके अपने लण्ड पे उसे बैठाने लगता है-“ह रजिया…”


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weary face
रजिया-“ऊह्म्मह जानू, मैं अंदर तक चिर गई हूँ…” और रजिया अपनी कमर हिलाने लगती है-“ओह्म्मह… मेरे जानू, आपका लौड़ा कितना मोटा है… मेरी बच्चेदानी तक जा रहा है उंन्ह… आह्म्मह…”

अमन-“हाँ रजिया, ये तेरी चूत के लिये ही बना है अह्म्मह…”

दोनों लगातार एक दूसरे में समाते जा रहे थे। अमन नीचे से रजिया को चोदे जा रहा था और रजिया ऊपर से गाण्ड हिलाने लगती है।

अमन रजिया की गाण्ड में उंगली डालते हुए-“अह्म्मह… तेरी गाण्ड भी मारनी है आज रजिया आह्म्मह…”

रजिया-उंह्म्मह… हाँन्न हाँ… लो ना जानू मेरी गाण्ड पीछे से… पूछो मत बस्स मारो मेरी ओह्म्मह… अह्म्मह…” रजिया थकने लगी थी-“उंह्म्मह… सुनिए, सुनिए ना जी…”

अमन-“बोल रानी…”

रजिया-“अपने नीचे लो ना उंन्ह…”

अमन उसे पलटते हुए नीचे कर लेता है, और लौड़ा जड़ तक पेलने लगता है-“अह्म्मह… ऊह्म्मह… ऐसे?”
रजिया-हाँ हाँ।

अमन रजिया की चूत से लण्ड निकाल लेता है।

रजिया-“आह्म्मह… क्या हुआ?” वो जल्दी से अमन के लण्ड को पकड़ लेती है, और अपनी चूत पे घिसने लगती है।

अमन-“वहाँ नहीं, नीचे के सुराख में…”

रजिया अमन का मतलब समझ गई थी। वो अपनी हथेली पे थूकती है, और अमन के लण्ड पे मलती है। फिर अमन के लण्ड को अपनी चूत के पानी से गीला करते हुए अपनी गाण्ड के सुराख पे लगा देती है-“याअ डालिये…”

अमन-“अह्म्मह… थोड़ा पैर खोल्ल अह्म्मह…” और अमन पच्च की आवाज़ से अपना लण्ड अंदर डालने लगता है।

रजिया को ऐसे लग रहा था जैसे कोई गरम लोहे की रोड उसकी गाण्ड में डाली जा रही हो-“अह्म्मह… उंन्ह… मेरी गाण्ड अह्म्मह… नहीं वो फट जायेगी जी आह्म्मह…”


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अमन का पूरा 8” इंच का लण्ड रजिया की तपति हुए गाण्ड में जा चुका था। अमन रजिया की चुचियाँ मुँह में लेकर चूसने लगता है। वो बचे की तरह उसकी चुचियाँ चूसे जा रहा था, जिससे रजिया का दर्द खतम होने लगता है। और उसकी गाण्ड की मशलस ढीली पड़ जाती है।

रजिया-“उंह्म्मह… मारो मेरी गाण्ड…”

अमन धीरे-धीरे रजिया की गाण्ड मारने लगता है। अभी वो आराम से मार रहा था-“आह्म्मह… इतनी टाइट गाण्ड तेरे माँ की चूत रजिया अह्म्मह…”

रजिया-“उंन्ह… उंन्ह… करिए ना इसे भी चौड़ा जानू अह्म्मह…”

अब दोनों पूरे जोश में आ चुके थे। अमन रजिया के पैर अपने कंधे पे रख लेता है। जिससे रजिया की गाण्ड और खुल चुकी थी और अमन का लण्ड थोड़ा आसानी से अंदर तक जा रहा था।

अमन-“अह्म्मह… तेरी माँ की चूत अह्म्मह… उंन्ह…” वो इतने जोर से गाण्ड मार रहा था जैसे कोई रंडी को पैसे देकर चोदता है। जितना चोदा उतना पैसे वसूल।

रजिया सांस लेती उससे पहले अमन उसे झटका मारता है जिससे उसकी सांसें रुकी-रुकी निकल रही थीं। मुँह खोलती तो अमन अपनी जीभ मुँह में डाल देता। रजिया की चूत पानी छोड़ने लगती है-“आह्म्मह… जानू, औऱ ज़ोर से आह्म्मह… ऐसे ही मेरे शौहर अह्म्मह… मेरी गाण्ड उंन्ह… अम्मी…”

अमन भी जोश में था, उसका लण्ड भी पानी छोड़ने की कगार पे था। वो रजिया का पानी निकालने के बाद अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है, और रजिया के बाल पकड़कर बैठा देता है। फिर अपना लण्ड उसके मुँह में डाल देता है-“अह्म्मह… पी रजिया तेरे शौहर का पानी…” और अपना गाढ़ा-गाढ़ा पानी रजिया के गले में उतारने लगता है।

रजिया-“उंन्ह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” किसी प्यासे की तरह पानी पीने लगती है। 10 मिनट बाद दोनों निढाल होकर एक दूसरे के पास-पास लेट जाते हैं। रजिया अमन की छाती पे अपना सर रख देती है-“सुनिए, कल ख़ान, अनुम और मैं आपके नाना के यहाँ जा रहे हैं। आप कल रात का खाना रेहाना के यहाँ खा लीजियेगा और वहीं सो जाइयेगा। रेहाना की चूत भी बेचैन होगी ना…” और वो अमन की आँखों में जवाब सुनने देखने लगती है।
अमन रजिया की गाण्ड दबाते हुए-“ठीक है। तू रह पाएगी कल मेरे बिना?”

रजिया-“नहीं, मैं एक रात भी नहीं सो सकती आपका लण्ड लिये बिना, पर मजबूरी है। जाना पड़ेगा…”

अमन उसके होंठ चूमते हुए-“ठीक है। अब तू जा 5:00 बज रहे हैं…”

रजिया-“आप भी सो जाओ। सुबह उठना भी है ना…” और रजिया अमन के लण्ड को चूमकर-“गुडनाइट जानू…” कहकर रूम से बाहर चली जाती है।

अमन अपने लण्ड को पानी से साफ करने के बाद लेट जाता है। उसे कब नींद लगती है। पता ही नहीं चलता।

रजिया उसे 9:00 बजे उठा देती है।

अमन की आँखें लाल थीं वो रजिया को देखते हुए-“साली मेरी जान की दुश्मन…”

रजिया अमन के होंठों पे-“गुड मॉर्निंग जानू, ख़ान नीचे आपका इंतजार कर रहा है…”

अमन-वो तेरा शौहर है साली।

रजिया-“बाप होगा वो अनुम का, मेरी तो चूत का दुश्मन है…” और दोनों हँसने लगते है। दोनों अब माँ-बेटे नहीं मियां-बीवी जैसी बातें करने लगे थे।

नाश्ता करके अमन ख़ान साहब से मिलता है। वो उसे वही बात बताते हैं, वो रात में रजिया ने उससे कहा थे रजिया की माँ के घर जाने की।

अमन-“ठीक है अब्बू, मैं चाचू के यहाँ चला जाऊँगा…” और अमन फैक्टरी के लिये निकल जाता है। आज वो थोड़ा लेट हो गया था। वो सीधा फैक्टरी के वर्किंग एरिया में चला जाता है।

महक पिंक रंग की साड़ी में वहीं खड़ी थी-“आ गये अमन? ये तुम्हारी आँखें लाल क्यूँ हैं?”

अमन-(मन में-रात में रजिया को देर तक चोदा ना इसलिये) आ शायद इन्फेक्सन हो गया होगा।

महक-“तुम थोड़ा रेस्ट क्यों नहीं कर लेते मेरे ओफिस में?”

अमन-“नहीं, मैं ठीक हूँ…” और महक को स्माइल देते हुए-“यू आर लुकिंग गोजि़यस…”

महक-“थैंक यू अमन…” और महक और इतराने लगती है।

अमन दिल में-एक बार चुदवा ले रानी, दिन रात नंगा रखूंगा मेरे नीचे…”

महक अमन को खोया देखकर-“क्या हुआ अमन? आर यू आल राइट?”

अमन-“हाँ, चलो केबिन में कुछ देर बैठते हैं…” और दोनों केबिन में चले जाते हैं।

***** *****
इधर रेहाना का बिना चुदे बुरा हाल था। उसे थोड़ी देर पहले पता चला था कि आज रात अमन यहाँ रुकने वाला है। पर मलिक उसका क्या? यही सोचते हुए वो खाना बना रही थी।

तभी फ़िज़ा उसके पीछे से-“क्या हुआ अम्मी? बड़ी खुश लग रही हो, कोई आने वाला है क्या?” हालांकी फ़िज़ा को भी खबर मिल चुकी थी।

रेहाना-तुझे पता है सब, नाटक मत कर।

फ़िज़ा नीचे आकर अपना हाथ रेहाना की चूत पे रख देती है।

रेहाना-“अह्म्मह… क्या कर रही है? अफफ्र्फ…”

फ़िज़ा-“देखने दो, आपकी चूत पानी छोड़ रही है कि नहीं अमन का सोच-सोच के?”
रेहाना-“उंन्ह… वो तो छोड़ेगी ही ना… मेरे शौहर वो आने वाले हैं आज रात…”

फ़िज़ा-“अम्मी मुझे भी अमन से मिलना है…”

रेहाना-“मिल लेना रात में तो आएंगे ही…”

फ़िज़ा-ऐसे नहीं अम्मी।

रेहाना-फिर?

फ़िज़ा-“आपके साथ बिना कपड़ों के…”

रेहाना फ़िज़ा को देखने लगती है-क्या?

फ़िज़ा-“हाँ… मुझे भी वो चाहिए…”

रेहाना-“नहीं बेटा, शबसे पहले तो ये गलत है। क्यों अपनी लाइफ बर्बाद कर रही है?”

फ़िज़ा-“होने दो… मुझे आज रात चाहिए… मतलब चाहिए…” और फ़िज़ा किचिन से निकल जाती है। जिस दिन से उसने अमन का लण्ड देखा था, उस दिन से उसकी चूत उसे अपनी अंदर लेना चाहती थी… अपना पहला लण्ड अपनी चूत के पर्दे को फाड़ने वाला लण्ड…”

रेहाना दिल में मुस्कुराते हुए-“अगर फ़िज़ा अमन से चुद गई तो वो मेरी मुट्ठी में होगी हमेशा के लिये और उसका भी तो हक है। अपने अब्बू अमन पे…” ये सोचकर कि आज फ़िज़ा की सील टूटेगी उसके जिस्म में अजीब सी लहर दौड़ रही थी, बस उसे फिकर थी तो मलिक की। क्या करूं इसका? यही सोच उसे परेशान कर रही थी।

लंच टाइम हो चुका था। अमन और महक लंच कर चुके थे।

महक-चलो अमन।

अमन-कहाँ?

महक-“अरे भूल गये? ड्राइविंग सिखाने वाले थे ना तुम मुझे?”

अमन-ओह्म्मह… हाँ चलो।
और दोनों एम॰जी॰रोड चल देते हैं। कार अमन ड्राइि कर रहा था और साइड में महक बैठी थी।

अमन-“अब तुम यहाँ बैठो…” और अमन नीचे उतरकर महक को ड्राइविंग सीट पे बैठा देता है, और खुद उसके साइड में बैठ जाता है-“देखो महक, ये है गियर, ये नीचे एक्सीलेटर और साइड में ब्रेक। अब चलो कार स्टार्ट करो, गियर में डालो और एक्सिलेट करो…”

महक-“मुझे डर लग रहा है अमन, मैं नहीं कर पाऊँगी…”

अमन-“पहली बारे में सबको डर लगता है, फिर नहीं। चलो शाबाश…”

महक कार स्टार्ट कर देती है। और जैसे ही गियर डालकर एक्सिलेट करती है, कार बंद हो जाती है। 10 से 12 कोशिश के बाद भी यही होता है-“मुझसे नहीं होगा अमन…”

अमन-“एक काम करो तुम मेरी गोद में बैठ जाओ…”
महक-कहाँ?

अमन खुद ड्राइविंग सीट पे बैठ जाता है। और महक को अपनी गोद में बैठने को कहता है।

महक झिझकते हुए अमन की गोद में बैठ जाती है। महेक को अमन की गोद में बैठने में थोड़ी प्राब्लम हो रही थी। वो आगे पीछे हो रही थी, जिससे अमन का लण्ड खड़ा होने लगा था।

अमन महक को पकड़कर-“यहाँ बैठो महक…”

और महक चुपचाप बैठ जाती है।

अमन महक का हाथ ड्राइविंग व्हील पे रख देता है। और उसके हाथ पे अपना हाथ रख देता है-“महक अपना एक पैर एक्सीलेटर पे रखो, ब्रेक पे मैं पैर रखता हूँ। जब मैं कहूँ एक्सिलेट करना ओके?”

महक-ठीक है।

अमन कार स्टार्ट करता है-“चलो अब गियर चेंज करो और धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाओ…”

महक जैसे ही करती है, और कार चलने लगती है-“अरे अमन, देखो मैं चला रही हूँ…” वो खुश होने लगती है।

अमन-“अब सेकेंड गियर डालो और थोड़ी और स्पीड बढ़ाओ…” और अमन अपने हाथ धीरे-धीरे ऊपर सरकाते हुए महक के पेट पे रख देता है। महक का चिकना मखमली पेट अमन को पागल करने लगता है, और अमन का लण्ड नीचे से महक की गाण्ड में चुभने लगता है। महक का पेट सहलाते हुए उसके कान के पास धीरे-धीरे-“महक तुम अच्छा कर रही हो…”


महक को भी अपनी नाज़ुक गाण्ड में अमन का लण्ड अच्छा लग रहा था। उसके हाथ काँपने लगते हैं .....
 
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