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अनुम का दिल जोरों से धड़क रहा था। वो नहीं जानती थी कि अमन उसके साथ क्या-क्या करने वाला है? वो तो बस अपने दिल की धड़कनों को संभालने की कोशिश में लगी थी। अचानक अमन उसका घूँघट उठा देता है, और उसका चेहरा ऊपर उठाते हुए-“मेरी तरफ देख अनुम…”
अनुम अपनी पलकें ऊपर उठाती है। सामने अमन का दमकता चेहरा उसे साफ नज़र आ रहा था। अमन के चेहरे पे खुशी, जोश और मोहब्बत के कई असर नज़र आ रहे थे। अमन अनुम के नाज़ुक होंठों को चूमकर दूर हो जाता है। अभी उसे एक और काम करना था। रजिया उसकी पहले बीवी, वो अनुम की तरह है। उसका बेसबरी से इंतजार कर रही थी। यूँ तो रजिया कई बार अमन से चुद चुकी थी, पर न जाने आज क्यूँ वो खुद को एक नई नवेली दुल्हन की तरह महसूस कर रही थी।
अमन रजिया का भी घूँघट उठा देता है।
दोनों औरतें अमन के चेहरे को देखे जा रही थीं। पूरे माहौल में सिर्फ़ खामोशी पसरी हुई थी। अमन की आवाज़ दोनों को इस दुनियाँ में वापस ले आती है।
अमन अपने कमीज़ उतारने लगता है। जब वो अपनी कमीज़ उतार देता है। तो वो सामने बैठी दोनों दुल्हनों को वो उसे ही देखकर दिल में मुस्कुरा रही थीं, अपने सीने से चिपका लेता है।
अनुम तो जैसे इसी पल के इंतजार में थी। वो अमन से किसी छोटे बच्चे के तरह चिपकी हुई थी। अमन की चौड़ी छाती और उसपे घने बाल उसकी नाज़ुक चुचियों से रगड़ने लगते हैं।
रजिया अमन के कान में धीरे से कहती है-“आपको दोनों दुल्हनें बहुत-बहुत मुबारक हों जानू…”
अमन से अब रुकना मुश्किल था। वो रजिया के नरम गुलाबी होंठों को चूमने लगता है, और एक हाथ से अनुम की साड़ी वो सिर्फ़ दो वपन से अटकी हुए थी, खोल देता है।
रजिया के जिस्म से साड़ी अपने आप ही खुलती चली जाती है। वो और अमन एक दूसरे को खा जाने वाले अंदाज में चूमे जा रहे थे। आज रजिया की चूत में चुदने से पहले ही धीरे-धीरे पानी आ चुका था।
अमन अपनी नई नवेली दुल्हनों को बेड पे लेटा देता है, जिनके जिस्म पे अब कोई चीज़ नहीं थी। अनुम का जिस्म किसी गुलाब के फूल की तरह महक रहा था उसके जिस्म की खुशबू अमन को पागल बनाने लगी थी, और वो अनुम के चेहरे पे झुकता चला जाता है।
अमन सबसे पहले अनुम की पेशानी, फिर गाल, फिर नाक, फिर होंठ, फिर गर्दन, फिर हल्के गुलाबी निपल को मुँह से चूमे चाटे चला जा रहा था। उसकी इस हरकत से वहाँ अनुम के जिस्म में कंपकंपी मची हुई थी, वहीं रजिया अपनी चूत को रगड़े बिना नहीं रह पा रही थी।
रजिया अमन के पायजामे का नाड़ा खोल देती है। और अमन का तना हुआ लण्ड उसके मुँह के सामने आ जाता है। वो बिना डरे उसके लण्ड को अपने गले तक उातरती चली जाती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंन्ह… गलप्प्प-गलप्प्प…”
हैरत केी बात तो ये थी कि इस सबके दौरान कोई भी किसी से बातें नहीं कर रहा था। वो सिर्फ़ पूरे जोश के रंग में रंगना चाहते थे। उन्हें किसी चीज़ की कोई फिकर नहीं थी।
अमन अनुम के पेट तक पहुँच चुका था, वो उसकी छोटी सी नाभी में अपनी जीभ डाले उसे कमर उठाने पे मजबूर कर रहा था।
अनुम जानती थी कि अमन आगे क्या करने वाला है? और वो इसके लिये तैयार भी थी। जैसे ही अमन के लबों ने अनुम की कुँवारी चूत को पहली बार छुआ, अनुम के रोम-रोम में बिजली की लहर दौड़ गई। वो अपने दोनों हाथों से अमन के सिर को अपनी चूत पे दबाने लगती है।
अमन पहली बार ये सब कर रहा था और उसे इस सब में बहुत मज़ा आ रहा था। एक तरफ रजिया अमन के लण्ड को अपने मुँह में से निकालने को तैयार नहीं थी।
वहीं दूसरी तरफ अमन अनुम की चूत को अपनी जीभ से चाटे जा रहा था। इस सब बातों से दूर कि बेचारी अनुम जिसकी चूत को वो खुद भी कभी कभार ही छूती थी, क्योंकी उसकी चूत बहुत सेंसटिव है। जब भी अनुम नहाते वक्त अपनी चूत को छूती तो दो मिनट में ही उसका पानी निकलने लगता था।
और यहाँ तो अमन किसी भूखे कुत्ते की तरह अनुम की चूत को चाटे जा रहा था-“गलप्प्प हगलप्प्प-गलप्प्प…”
पूरे रूम में अनुम की सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही थी।
अमन का लण्ड एक झटका मारता है, और उसका गाढ़ा पानी रजिया के मुँह को भरने लगता है।
दूसरी तरफ अनुम अपने पहले प्यार को अपनी चूत का पानी पिलाने के करीब थी-“उंन्ह… आह्म्मह… सुनिए ना उंह्म्मह… अम्मी मरी उंन्ह…” वो जोर के झटके के साथ उछली और अपनी कमर दो-तीन बार बेड पे पटक के निढाल हो जाती है। उसकी चूत के पानी ने अमन के पूरे चेहरे को भिगो दिया था।
अमन लेट जाता है, और अनुम उसके ऊपर चढ़ जाती है। आज उसने ठान लिया था कि चाहे चुदते-चुदते उसे मौत क्यूँ ना आ जाये वो अमन को आज रात भर नहीं सोने देगी। रजिया अपने चेहरे से अमन के पानी को साफ करने वाली थी कि अनुम रजिया के चेहरे को अपनी जीभ से चाटने लगती है।
रजिया और अनुम अमन के पास बैठे एक दूसरे को जीभ से चाटने लगते हैं। अमन ये सब देख रहा था जिससे उसके लण्ड में जान आने लगी थी।
अमन अनुम के बाल पकड़कर उसका चेहरा अपने लण्ड पे झुका देता है-“अह्म्मह… चूस मेरी जान… अपने शौहर का लौड़ा अह्म्मह… आज ये तुझे जन्नत की सैर कराएगा अह्म्मह… अह्म्मह…”
अनुम-“हाँ… जानू आंह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” वो अपने सर को ऊपर-नीचे जोर-जोर से करने लगती है, और 5 मिनट में ही अमन के लण्ड को खड़ा कर देती है। अमन अब किसी भी किस्म की देर नहीं करना चाहता था। वो अनुम को बेड पे लेटा देता है, और उसकी कमर के नीचे एक तकिया रख देता है, जिससे अनुम की चूत ऊपर की तरफ आ जाती है।
अनुम-“अम्मी, मैं कैसे ले पाऊँगी इतना बड़ा?”
रजिया अनुम की चुचियों को अपने मुँह में लेती हुए-“कुछ नहीं बेटा, वो तुझे प्यार से करेंगे। बस तू थोड़ा बर्दाश्त कर ले…” और रजिया अनुम के होंठों को खोलकर अपनी जीभ उसके मुँह में डाल देती है, और इशारे से अमन को अपना लण्ड अनुम की चूत में डालने के लिये कहती है।
अमन अनुम के पैरों को और खोल देता है, और अपने भीगे हुए लौड़े को अनुम की कुँवारी चूत पे रगड़ने लगता है।
अनुम-“उंघह उंह्म्मह… घूंग उसके मुँह से सिसकारियाँ ही निकल सकती थीं। वो आने वाले लम्हे का इंतजार भी कर रही थी और उसे डर भी था कि कहीं अमन…”
अमन-“अह्म्मह… अनुम्म्म्म…”
अनुम-“उंन्ह… घूँन् घूँन् अम्मी जी…” वो इतने जोर से चीखी कि अमन को अपने हाथों से उसके मुँह को बंद करना पड़ा। अमन का आधे से ज्यादा लण्ड अनुम की चूत में था और उसकी चूत का परदा फट चुका था। अनुम की आँखों से लगातार आँसू निकल रहे थे। उसका पूरा जिस्म कांप रहा था, उसकी चूत जैसे किसी अंगरों पे रख दी गयइ थी।
अमन एक और झटका देता है, और अपना पूरा का पूरा लण्ड अनुम की चूत में उतार देता है। अमन जानता था देर से दुर्घटना भली-“अह्म्मह… बस मेरी जान हो गया ना… अब रोना बंद कर दो…” वो अपने होंठों से अनुम के निपल को चूसने लगता है, और धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाता चला जाता है।
रजिया ये सब बैठी देख रही थी। आज उसके दोनों खून फिर से एक हो रहे थे।
अनुम का दर्द कम होता जा रहा था और उसे अमन का लण्ड अपनी चूत में अच्छा लगने लगा था-“उंन्ह… जानू, आखिर अपने मुझे औरत बना ही दीया उंन्ह… उंन्ह… अम्मी देखो ना उंन्ह…”
अमन-“हाँ मेरी जान… देख मैंने तुझे चोद हैी दिया अह्म्मह… ओऊऊ…” वो दोनों अपनी अलग दुनियाँ में पहुँच चुके थे, वहाँ उन्हें किसी की आवाज़ सुनाई नहीं दे रही थी। अमन अपने लण्ड को किसी पिस्टन की तरह अनुम की चूत में पेले जा रहा था।
वहीं अनुम अपनी कमर उठा-उठाकर उसका साथ दे रही थी-“अह्म्मह… उंन्ह…” दोनों भाई-बहन एक ऐसे रिश्ते में बँध चुके थे जिसे अब दुनियाँ की कोई भी ताकत जुदा नहीं कर सकती थी।
अमन-“अह्म्मह… अनुम, मेरा पानी ले ले अह्म्मह… उंन्ह… और अमन अपना पानी अनुम की चूत में उतारने लगता है।
अनुम अपनी चूत में गर्म-गर्म पानी के एहसास से सिहर उठती है, और उसकी चूत भी पानी छोड़ने लगती है-“अह्म्मह… अह्म्मह… जानू मुझे भी लो ना उंन्ह… उंन्ह…” दोनों भाई-बहन एक दूसरे से चिपके अपनी सांसें संभालने लगते हैं।
वहीं रजिया अपनी बारी का इंतजार करने लगती है।
अमन बेड पे लेटा हुआ था और रजिया उसके लण्ड को एक गीले कपड़े से साफ करने लगती है। क्योंकी उसपे अनुम की चूत का खून लगा हुआ था।
अनुम उठकर बाथरूम में चली जाती है, अपनी चूत को साफ करने।
रजिया की आँखें लाल हो चुकी थीं, वो तो बस एक जबरदस्त चुदाई चाहती थी। वो अमन के सिर के पास जाकर बैठ जाती है, और उसका सिर अपनी नंगी जाँघों पे रख लेती है। फिर उसके बालों में हाथ फेरने लगती है।
रजिया की चूत की भीनी-भीनी खुश्बू अमन के दिमाग़ में कुछ करती है, और वो अपना सिर मोड़कर उसे रजिया की जाँघ के अंदर घुसा देता है। फिर अपनी जीभ बाहर निकालकर रजिया की चूत चाटने लगता है।
रजिया-“अह्म्मह… अमन… उह्म्मह… ऊऊऊह्म्मह…”
अमन -“अम्मी क्या कर रही हो? अह्म्मह… मैं उह्म्मह…”
रजिया पहली बार अपनी चूत में इतना खिचाव महसूस कर रही थी। उसकी चूत आग उगलने को तैयार थी-“अह्म्मह… चोदो मुझे, मैं चुदना चाहती हूँ अह्म्मह… प्लीज़्ज़ज्ज्ज चोदो मुझे अह्म्मह…”
अमन रजिया को डोगी स्टाइल में कर देता है, और पीछे अपना लण्ड उसकी गाण्ड में डालने लगता है।
रजिया-“उंह्म्मह… वहाँ नहीं अह्म्मह… चूतत्त में उंन्ह… अह्म्मह…”
अमन का लण्ड रजिया की गाण्ड में जा चुका था और वो अपनी स्पीड बढ़ाने लगा था, तभी बाथरूम से अनुम बाहर आती है। उसके सामने रजिया अपनी गाण्ड आगे पीछे करते हुए अमन का मूसल लण्ड अपनी गाण्ड के छोटे से सुराख में ले रही थी और सिसकारियाँ भर रही थी। ये सब देखकर अनुम की चूत में भी चीटियाँ रेंगने लगती हैं, और वो रजिया के पास आकर बैठ जाती है।
अमन-“देख क्या रही है? साली, अपनी चूत रजिया के मुँह के पास ले जा। वो चाटेगी तेरी चूत को अह्म्मह… इसकी गाण्ड बहुत टाइट है…”
रजिया-तो जैसे दूसरी दुनियाँ में थी। अमन की जबरदस्त चुदाई से उसकी हल्की-हल्की सांस निकल रही थी। वो अपना मुँह अनुम की चूत के पास ले जाती है, और उसकी अभी-अभी चुदी चूत को चाटने लगती है-गलप्प्प-गलप्प्प अह्म्मह… आराम से अह्म्मह… गलप्प्प…”
अनुम अपने दोनों पैर खोलकर अमन की आँखों में देखते हुए अपनी चूत रजिया को चुसवा रही थी। वो इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि अभी रजिया की गाण्ड से लण्ड निकालकर खुद की चूत में लेना चाहती थी। अमन अपने लौड़े को बाहर निकालकर रजिया के संभालने से पहले ही उसकी चूत में पेल देता
है-“अह्म्मह… बहुत अच्छा लग रहा है। रजिया तेरी चूत में मेरा लण्ड अह्म्मह…” वो भी अनुम की आँखों में देखते हुए रजिया को चोद रहा था। ये एहसास उसके लिये एकदम नया और सुखद था कि अपनी अम्मी को अपनी बहन के सामने चोदे।
अमन के सांसें बढ़ चुकी थीं, क्योंकी रजिया झड़ चुकी थी और वो भी अपना पानी निकालने के करीब था। वो जोर-जोर से रजिया को चोदे जा रहा था और एक चीख के साथ वो अपना पानी रजिया की चूत में निकाल देता है। वो जानता था कि अभी उसे सारी रात इन दोनों को चोदना है। वो निढाल सा बेड पे लेट जाता है।
वहाँ तीनों अपना पानी निकलने से थोड़े ठंडे पड़ चुके थे। वो दोनों अमन के पास आकर उसे चिपक के लेट जाती हैं। अनुम अमन के ऊपर लेट जाती है। और रजिया अमन के साइड में। रात के 2 बज रहे थे, अमन की आँख लग जाती है।
पर रजिया और अनुम जाग रही थीं। रजिया अनुम की आँखों में देख रही थी और अपनी चूत रगड़ रही थी। अनुम अमन के ऊपर से उतरकर रजिया की पास आ जाती है। रजिया अनुम को अपने से चिपका लेती है-“आज तू भी औरत बन गई मेरी बच्ची…”
अनुम-“हाँ अम्मी, और मुझे ये खुशी उस इंसान ने दी है, जिसे मैं बहुत चाहती हूँ…”
रजिया-“हाँ मेरी बच्ची, आज से हम दोनों अमन का बहुत खयाल रखेंगे…” अनुम रजिया से इतनी चिपकी हुई थी कि उसकी जाँघ और चुचियाँ रजिया से रगड़ खा रही थी-“हाँ… बेटा, पर तुझे टैबलेट खाने होंगे कुछ दिन, जबतक अमन का बिजनेस सेट नहीं हो जाता।
अनुम-“अम्मी, और आप?”
रजिया मुस्कुराते हुए-“वो मुझे जल्द से जल्द प्रेग्गनेंट करना चाहता है बेटा…”
अनुम-“अम्मी, मुझे भी प्रेग्गनेंट होना है ना…” और वो ये बोलते-बोलते रजिया के ऊपर चढ़ जाती है।
दोनों माँ बेटी एक दूसरे से चिपक चुके थे, और अब वो एक दूसरे की आँखों में देखते हुए अपनी चूत को रागड़ने लगती है। अनुम अपने होंठ रजिया के होंठों पे रखकर उसके निचले होंठ को चूसने लगती है।
रजिया भी मचल जाती है-“उंन्ह… बेटा अह्म्मह… अह्म्मह…” दोनों बस एक दूसरे को खा जाने वाले अंदाज में रगड़ने, चाटने और चूसने लगे थे। वो ये भूल गये थे कि अमन उन्हें देख रहा है, और उसका लण्ड भी तना हुआ है।
जब ये दोनों औरतें अपनी चूत की आग एक दूसरे की चूत से रगड़कर बुझाने में लगी हुइ थीं, तभी अमन पीछे से आकर अपना लण्ड अनुम की चूत में पेल देता है।
अनुम-“अह्म्मह… अम्मी…” एक तेज धारदार चाकू अचानक से उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस चुका था उसे ऐसा ही महसूस होता है। क्योंकी उसकी चूत अभी इतनी खुली नहीं थी इसलिये ये दर्द उसे बर्दाश्त करना था। वो सिसक उठती है। पर अमन अपना लण्ड उसकी चूत में जड़ तक पेलने लगता है।
आनुम रजिया की छाती से चिपकी हुई थी और अमन उसकी गाण्ड पकड़कर दनादन अपना लण्ड चूत में पेलते जा रहा था, वो तेज-तेज अपने कमर रजिया की चूत पे पटकने लगती है। रजिया समझ जाती है कि अनुम झड़ने के नज़दीक है, और वो अनुम के होंठों को अपने मुँह में लेकर उसकी जीभ चूसने लगती है।
अनुम-“उम्म… उंघह… उंन्ह…” और उसकी चूत से ढेर सारा पानी रजिया की चूत से होता हुआ बेडशीट भिगोने लगता है।
अमन अपना लण्ड निकालकर अनुम को साइड में कर देता है। क्योंकी वो अभी झड़ा नहीं था और उसे चूत चाहिए थी, वो उसका साथ दे। वो रजिया के पैर हवा में उठाकर अपना लण्ड जल्दी से उसकी चूत में डाल देता है-“अह्म्मह… रजिया तेरी ही चूत है वो मेरा साथ देती है… मेरी जान्न…”
harivansh rai रजिया-“अह्म्मह… जानू आपकी ही चूत तो है… चोदो अपनी रजिया को अह्म्मह… मेरी चूत में बीज बो दो जानू उंन्ह… अह्म्मह… मेरी जान ऊओह्म्मह…” करीब 15 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ जाते हैं। और अमन एक तरफ लेट जाता है। वो बस अब सोना चाहता था। अनुम और रजिया भी काफी थक चुके थे, इसलिये वो भी ऐसे ही नंगी अमन से चिपक के सो जाती हैं।
शिमला की ठंडी-ठंडी हवाएं जब इन जवान नंगे जिस्मों से टकराईं तो एक अजीब से खुशगवार एहसास ने रजिया की आँखें खोल दीं। वो अमन से बिल्कुल चिपकके सोई हुई थी और अनुम उसके ऊपर। अपने सगे बेटे के बीवी बनना और उससे रात भर अपनी बेटी के सामने चुदना… ये एहसास, ये अनुभव हर किसी को नहीं मिलता। ये सिर्फ़ खुकिस्मत लोग ही हाँसिल कर पाते हैं।
रजिया अमन के होंठ पे किस करते हुए-“जिंदगी की नये सुबह मुबारक हो आपको, मेरी जान…”
अमन भी उठ चुका था। वो रजिया को वापस किस करते हुए-“तुझे भी रजिया…”
अनुम अभी तक बेसुध अमन के ऊपर सोई हुई थी
रजिया बेड पे बैठ जाती है। उसकी आँखें थोड़ा दर्द कर रही थीं, क्योंकी कल रात वो एक पाल के लिये भी सो नहीं पाई थी। वो अपने पैंटी उठाकर पहेनने लगती है। पर अमन उसका हाथ पकड़ लेता है तो रजिया सवालिया नज़रों से अमन की तरफ देखने लगती है।
अमन-“जब तक हम यहाँ हैं… ना तू कपड़े पहनेगी और ना अनुम। पूरे 7 दिन तुम मेरे साथ इस रूम में पूरे नंगे रहने वाले हो, तो ये सब बैग में रखो और चलो मैं भी फ्रेश हो जाता हूँ…”
अनुम अपनी आधी खुले पलकों से अमन को देख रही थी। उसने भी अमन का फरमान सुन लिया था। वो तो बहुत खुश थी। उसके हाथों की मेंहदी बेड के चादर पे गिरी हुई थे और एक ख़ून का छोटा सा धब्बा भी दिखाई दे रहा था, वो अनुम के कुँवारीपन के टूटने की निशानी था।
रजिया और अमन बाथरूम में नहाने घुस जाते हैं। शावर ओन करके वो दोनों एक दूसरे से चिपक के नहाने लगते हैं।
तभी अनुम भी वहाँ आ जाती है-“ह्म्मम्म्म्म… अपनी पहली बीवी के चक्कर में कहीं नई नवेली बीवी को मत भूल जाना मेरे जानू…” और वो भी उन दोनों के साथ नहाने लगती है। अमन का लण्ड खड़ा होने लगता है। आख़िरकार साथ में दो नंगी औरतें नहा रही हों तो किसका लण्ड आवाज़ नहीं देगा।
रजिया नीचे बैठकर अमन के लण्ड को साबुन लगाने लगती है। और उसे पानी से साफ कर देती है। एक ही पल में अमन उसे कुछ कहने वाला था। उससे पहले ही रजिया अमन के खड़े लण्ड को अपने गले तक ले चुकी थी-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”
अनुम अमन की छाती से चिपकी अपनी दोनों चुचियाँ उससे मसलवाते हुये होंठ चूस रही थी। माँ लण्ड चूसे और बेटी चुचियाँ दबवाए तो मर्द बेचारा क्या कर पाए। यही हालत अमन की थी। उसके लण्ड का ज्जालामुखी आग उगलना चाहता था।
अमन रजिया के मुँह से लण्ड बाहर निकालकर उसे खड़ा कर देता है। और अनुम के साथ-साथ रजिया के भी होंठ चूसने लगता है। दोनों औरतें पूरी तरह गरम हो चुकी थीं और हिस की आग उनके चेहरे से साफ बयान हो रही थी।
अनुम और रजिया अमन के सामने खड़े। उसके लण्ड को अपने नरम-नरम हाथों में लेकर सहला रही थी, और उसके होंठों को बारी-बारी चूस रही थीं। आज अमन को एहसास हो रहा था कि उसकी अम्मी और बहन कितनी चुदक्कड़ औरतें हैं।
अमन अनुम को दीवार से खड़ा कर देता है, और उसकी चुचियों से चिपकाके रजिया को। वो दोनों आमने सामने खड़ी थीं और एक दूसरे की चुचियों से चुचियाँ रगड़ रही थीं। अमन रजिया की कमर को थोड़ा सा पीछे की तरफ करता है, जिससे उसकी गाण्ड और चूत उसे आसानी से दिखाई देने लगती है। वो बिना देर किए अपने लण्ड को रजिया की चूत में पेलने लगता है।
उसका झटका इतना जोर का था कि रजिया सीधा अनुम की चुचियों से चिपक जाती है। और उसके होंठ अनुम के होंठ से चिपक जाते हैं। रजिया अनुम के होंठ चूसने पे मजबूर हो जाती है, क्योंकी अमन पूरी ताकत से पीछे से चोद रहा था, जिससे उसका मुँह खुला का खुला रह रहा था। उसकी जीभ बाहर निकल रही थी और चूत के अंदर तक लण्ड जाने से वो पूरी तरह तड़प रही थी।
अपने अम्मी को ऐसे चुदते देखकर अनुम की चूत भी पानी छोड़ने लगी थी। वो रजिया के मुँह में मुँह डालकर उसकी जीभ को अपने मुँह में खींच रही थी। जब अमन रजिया की चूत में धक्का मारता तो, रजिया सीधा अनुम की चूत से जाकर टकराती। दोनों माँ-बेटी एक वक्त में एक साथ पानी छोड़ने लगती हैं। रजिया की चूत से पानी निकल चुका था और वो नीचे बैठ जाती है।
वो अमन के लण्ड और अनुम की चूत के बीच बैठी हुई थी। वो अपना बड़ा सा मुँह खोलकर अमन का लण्ड अपने मुँह में ले लेती है, वो अभी तक झड़ा नहीं था और जल्द से जल्द चूत चिल्ला रहा था। रजिया अपनी चूत का स्जाद अमन के लण्ड से चखने के बाद लण्ड को थोड़ा खींचकर अनुम की चूत के पास लाती है। और अमन बिना देर किए लण्ड अनुम की चूत में डालने लगता है।
अमन अनुम को रजिया की तरह चोद रहा था। वो ये भूल गया था कि रजिया की चूत थोड़ी खुली हुई है, और अनुम तो बेचारी कल रात ही औरत बनी है। एक कच्ची कली को भँज़रा जब बेरहमी से चूसे, उसका सारा रस एक साथ पीकर उड़ना चाहे तो उस कली की वो हालत होती है, वही इस वक्त अनुम की थी।
अनुम हिल नहीं सकती थी क्योंकी रजिया उसके पैर के पास बैठकर नीचे से अमन के आंड और अनुम की गाण्ड को चाट रही थी। और बेरहम अमन सटासट अपने लोहे के रोड जैसे लण्ड को उसकी चूत में लगातार अंदर-बाहर कर रहा था। वो बस चिल्ला सकती थी, पर उसे भी अमन बीच-बीच में रुक देता, अपने होंठ उसके मुँह में घुसाकर, उसकी आवाज़ भी निकलने से रुक जा रही थी।
अनुम-गूँन्… उंन्ह… गूँन्न…” एक घुटी-घुटी सी आवाज़ के साथ चुदे जा रही थी-“उंन्ह… अह्म्मह… मुझे सांस तो लेने दो जी उंन्ह… अह्म्मह… अम्मी प्लीज़ मेरी गाण्ड को… मेरे चूत… भाई रहम करो मैं अह्म्मह… अह्म्मह… और वो तेज धार के साथ मूतने लगती है। उसका पेशाब सीधा रजिया के मुँह में गिरने लगता है, जिसे रजिया बड़े चाव से किसी अमृत के तरह पी जाती है।
रजिया-“गलप्प्प-गलप्प्प अह्म्मह… मेरे शौहर और बेटी का पानी…” उसके पेशाब में अमन के पानी की भी खुश्बू आ रही थी क्योंकी अनुम का पेशाब अमन के लण्ड से होता हुआ गुजर रहा था, वो अनुम की चूत में सटासट अंदर-बाहर हो रहा था।
अनुम अब थोड़ी खुल चुकी थी। इतना गंदा उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी चूत का पानी उसकी अम्मी पिएंगी और वो खड़े-खड़े अमन के लण्ड के दबाव से चुदते हुए मूतने लगेगी। ये एहसास ही उसे पानी छोड़ने पे मजबूर कर देता है। और वो अमन से चिपकके झड़ने लगती है-“अह्म्मह… उंह्म्मह… जोर से जड़ तक अह्म्मह… ऐसे ही एक बार अह्म्मह…” वो झड़ते-झड़ते बस यही चिल्ला रही थी।
image upload अमन भी उसकी चूत में झड़ने लगा था। दोनों का पानी नीचे बहने लगता है। जिससे रजिया चाटती जा रही थी-“गलप्प्प-गलप्प्प अह्म्मह…” रजिया का चेहरा पूरी तरह अनुम के पेशाब और अमन के पानी से भीग चुका था।
अमन उसे खड़ा करता है, और शावर के नीचे दोनों के साथ नहाने लगता है। उस दिन से अमन ने रजिया और अनुम को कपड़े पहनने नहीं दिया। ये सिलसिला पूरे 7 दिन तक चला। वो हर वक्त रूम में नंगे रहते, और अमन किसी ना किसी को चोद रहा होता।
जब उन्हें भूख लगती, वो खाना ऑर्डर करते। अमन वेटर से खाना कपड़े पहनकर लेता और दरवाजा बंद करके फिर से नंगा हो जाता। रूम के हर एक कोने में, सोफे पे, गैलरी में, बेड पे, फश़ पे, नहाते हुए, मूतते हुए, हर जगह अमन ने रजिया और अनुम को चोदा।
वो इतनी बार चुदाई कर चुके थे कि अनुम की पूरी शरम-ओ-हया गायब हो चुकी थी। वो रात में उठकर अमन का लण्ड चूसती और उसपे चढ़कर लण्ड अपनी चूत में लेकर चुदती और अमन भी किसी वफ़ादार पति के तरह उसे चोदता।
इन 7 दिनों में उसने सबसे ज्यादा रजिया को चोदा। उसे रजिया हमेशा ही से पसंद थी। वो जब भी उसे चोदता, उसे यही लगता कि वो अपनी अम्मी को चोद रहा है। जिसकी चूत से वो निकला था और उसे रजिया को जल्द से जल्द प्रेग्गनेंट भी तो करना था।
रजिया भी अपने बेटी के सामने अमन से चुदते-चुदते बेशरम हो चुकी थी कि वो किसी भी वक्त अमन के लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगती। कभी-कभी तो अमन अनुम को चोद रहा होता तो वो अनुम की चूत से लण्ड को खींचकर अपने मुँह में और फिर अपनी चूत में ले लेती।
अनुम अपनी अम्मी से इन 7 दिनों में कितने बार चूत चूसा चुकी थी, ये भी उसे याद नहीं था। वो दोनों माँ-बेटी पूरी तरह लेज्बियन बन चुकी थीं। अमन के सोने के बाद वो 69 की
पोजीशन में कितने देर एक दूसरे की चूत को मुँह में लेकर चूसती रहतीं, एक दूसरे की चूत का पानी पीते-पीते उन्हें दूसरी कोई चीज़ अब अच्छी नहीं लगती थी
जिस तरह अनुम ने रजिया को अपना पेशाब पिलाया था, उसे तरह रजिया भी अनुम को अपना पेशाब पिला चुकी थी। ये 7 दिन उनकी आने वाली जिंदगी को बदल चुके थे। अब वो एक माँ-बेटी या बहन नहीं थी, बल्की सिर्फ़ और सिर्फ़ एक औरत थी, जिसे खाना दो या ना दो पर लण्ड ज़रूर चाहिए। और वो भी सिर्फ़ अमन का और किसी का भी नहीं। आज उनकी वापसी थी। अमन होटेल का बिल पे करके कार में रजिया और अनुम के साथ घर की तरफ निकल जाता है। वो ड्राइविंग कर रहा था और रजिया अनुम के साथ पीछे बैठी हुई थी।
रजिया-“सुनिए, एक मेडिकल शाप से प्रेगा नेवज (प्रेग्गनेन्सी चेक करने की पट्टी) ले लेना…”
अमन-क्यूँ?
रजिया मुस्कुराते हुए-“मुझे लग रहा है कि मैं शायद आपसे प्रेग्गनेंट हो गई हूँ…”
अमन जोर से ब्रेक लगाते हुए मारे खुशी के-“क्या सच कह रही है तू?”
रजिया अपना चेहरा हाथों से छुपाते हुए-“हाँ…”
अमन तो जैसे सातवें आसमान पे था। बस उसे कन्फर्म करना था कि रजिया की बात सही हो जाये।
अनुम भी ये ख़बर सुनकर खुश हो जाती है, और रजिया के पेट पे हाथ फेरते हुए-“मेरा छोटा सा बच्चा इसमें आ चुका है…” और वो रजिया की होंठों को चूस लेती है।
अमन मेडिकल से किट ले लेता है, और तीन घंटे बाद वो घर पहुँच जाते हैं। घर पहुँचकर रजिया सबसे पहले बाथरूम में जाकर किट से चेक करती है, और खुशी के मारे उछल पड़ती है। वो इतने जोर से चीख मारती है कि अमन और अनुम भागते हुए उसके पास आ जाते हैं।
अमन-क्या हुआ?
रजिया अमन की छाती से चिपकते हुए-“आप पापा बनने वाले हो मुआह्म्मह…”
तीनों की खुशी का ठिकाना नहीं था। वो बस बारी-बारी एक दूसरे को गले लगाते, चूमते जा रहे थे। उन्हें तब होश आता है, जब कोई दरवाजे की बेल बजाता है। अमन दरवाजा खोलता है तो सामने फ़िज़ा खड़ी थी। उसकी आँखों में एक चमक सी थी अमन को देखकर। रजिया और अनुम रूम में थे। अमन फ़िज़ा को अपने से चिपकाकर उसकी चुचियाँ मसलते हुए-“तेरी अम्मी कहाँ है?
फ़िज़ा-“उंह्म्मह… घर पे है, तुमसे बहुत नाराज है। जाओ जाकर मना लो, मैं अभी आती हूँ…” और फ़िज़ा रजिया की रूम में चली जाती है।
वो रजिया से कहता है की इमरान से मिलकर आता हूँ और रेहाना की तरफ चला जाता है। उसे भी रेहाना की चूत याद आ रही थी।
रेहाना अपने रूम में सोई हुइ थी। उसे पता नहीं था कि अमन वापस आ चुका है। वरना वो उसे मिलने सबसे पहले आती। 7 दिन से वो अपनी चूत की आग फ़िज़ा की गरम चूत पे रगड़-रगड़कर ठंडा करने की नाकाम कोशिश कर रही थी। वो गरम लोहा उसकी चूत को चाहिए था, वो तो शिमला जाकर बैठा था। इसी बात से नाराज थी रेहाना।
अमन रेहाना के बेडरूम में जाकर अपनी पैंट और शर्ट उतारकर हँगर में टांग देता है। अब वो बिल्कुल नंगा था। उसे रजिया ने एक बार चुदते हुए कहा था कि तुम अंडरवेअर पहनना छोड़ दो, तुम्हारा लण्ड हमेशा टाइट रहता है। और अंडरवेअर से उसे मुश्किल होती होंगी, सांस लेने में।
अमन अपने खड़े लण्ड को लेकर रेहाना के मुँह की तरफ बढ़ता है। वो बेसुध गहरी नींद में थी। अमन उसके होंठों के पास अपने लण्ड का सुपाड़ा लगाकर अंदर करने लगता है। इस हरकत की वजह से रेहाना की आँखें खुल जाती हैं, और वो अमन को पूरा नंगा देखकर चौंक जाती है।
जैसे तो उसने अमन को कई बार नंगा देखा था, पर जब कोई सोया हो और कोई शख्स उसके मुँह में लण्ड डाले तो वो तो चौंकेगा ही, यहे हाल रेहाना का था।
रेहाना-“ऊऊऊओ… तुम हो, मैं कितना डर गई हूँ देखो मेरे हार्ट-बीट… और तुम वापस कब आए? जाओ मैं बात नहीं करती तुमसे…” वो बनावटी गुस्सा दिखा रही थी। सच तो ये था कि वो अमन को देखकर अपना सारा गुस्सा भूल चुकी थी।
अमन-“ओके… मैं चलता हूँ फिर…”
रेहाना-“रुको… ऊऊऊ… क्यूँ कोई नई लौंडीयाँ मिल गई है क्या शिमला में? वो मेरे मज़ाक को भी सच समझ रहे हो ह्म्मम्म्म्म…”
अमन उसके बाल पकड़कर-“हाँ मिल गई है तो?”
रेहाना-“जान से मार दूंगी हरामज़ादी को और फिर खुद भी मर जाऊँगी… अगर कोई बाहर वाली की तरफ देखे भी तो…”
अमन-“साली धमकी देती है? रुक ज़रा…” और वो रेहाना की गर्दन दबाता है, जिससे उसका मुँह खुलता चला जाता है।
और अमन अपने लण्ड को उसके नरम मुँह में पेलता चला जाता है-“अह्म्मह… साली बहुत नाज़ुक हैं तेरे होंठ अह्म्मह… ज़रा आराम से चूस अह्म्मह… धीरे कर साली अह्म्मह…”
रेहाना-“नहीं उंन्ह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प मेरा है, कुछ भी करूँ गलप्प्प उंन्ह… 7 दिन से सूखी है मेरे चूत गलप्प्प-गलप्प्प और ये मुँह भी गलप्प्प-गलप्प्प…” और वो लोलीपोप की तरह जोरों से लण्ड को मसल-मसलकर चूसे जा रही थी।
आख़िरकार अमन का लण्ड अपनी औकात में आ चुका था। उसके लण्ड के नशें पूरे तरह तन चुकी थीं। अमन इस दौरान रेहाना की नाइटी उतारकर उसे नंगा कर चुका था। वो रेहाना के पैर खोल देता है, और
अपनी जीभ उसकी चूत पे रखकर चाटने लगता है। अब अमन को भी चूत चाटने में मज़ा आने लगा था। जबसे उसने शिमला में अनुम की कुँवारी चूत का स्जाद चखा था, तबसे उसे चूत चाटने में इंटरेस्ट बढ़ गया था। वो जीभ को रेहाना की चूत के अंदर तक घुसा-घुसाकर रस पी रहा था।
रेहाना बुरी तरह सिसकारियाँ भर रही थी उसे अमन की जीभ की ठंडक अपने पूरे जिस्म में महसूस हो रही थी-उंह्म्मह… आह्म्मह… प्लीज़्ज़ज्ज्ज चोदो ना मेरी चूत को, लण्ड दो ना… मैं चुदना चाहती हूँ अह्म्मह… डाल दो मूसल ओखली में अह्म्मह…”
अमन भी उसके बात मान लेता है, और अपना लण्ड उसकी चिकने चूत के मुँह पे लगाकर जोर से अंदर पेल देता है। उसके लण्ड के धक्के से रेहाना की चूत अंदर तक खुलती चली जाती है-“अह्म्मह… उंन्ह… साली याद आई थी तुझे मेरी अह्म्मह…”
रेहाना-“हाँ हर रोज… हर पल… मुझे याद आती थी… और सबसे ज्यादा मेरी चूत को अह्म्मह… बोलती थी जानू कब आएंगे? मुझे उनकी याद आ रही है… मुझसे नहीं मानती ये चूत… अब आप ही मनाओ इसे उंह्म्मह… आराम से जी उंन्ह…”
अमन-“हाँ मेरी जान अह्म्मह… देख कैसे खुश हो गई है तेरी चूत अह्म्मह… अंदर तक जाने दे रही है मुझे अह्म्मह…”
वो दोनों अपने बातें किए जा रहे थे, और एक दूसरे के अंदर समाते चले जा रहे थे। अमन रेहाना को 20 मिनट तक ऐसे ही ऊपर रहकर चोदता रहा। और फिर एक चीख के साथ अपना पानी उसकी गरम भट्ठी में उड़ेल दिया, जिससे रेहाना की चूत के अंगारों पे जैसे किसी ने पानी डालकर बुझा दिया हो। वो भी अब खुश हो चुकी थी। वो और चुदना चाहती थी, पर अमन उससे बहाना बनाकर और कल आने का वादा करके उसके घर से निकल जाता है
अमन अपने घर पे फ्रेश होने के बाद अलमारी से अपना सेल-फोन निकालता है। जब वो लोग शिमला गये थे तब अमन ने अपना सेल-फोन यहाँ रख दिया था ताकी उसे कोई परेशान ना कर सके। जब वो काल रेकाड़ चेक करता है तो हैरान रह जाता है।
उसके सेल-फोन पे टोटल 200 मिस-काल्स थीं जिनमें से 179 महक की थीं। वो काल-बैक करता है, और एक ही रिंग में काल रिसीव हो जाती है।
महक चिल्लाते हुए-“कहाँ हो तुम? तुम्हें ज़रा सी भी परवाह है कि नहीं मेरी? पूरे 7 दिन हो गये हैं। अपना सेल फोन चेक करो कितनी बार कल की हूँ मैं। तुम समझते क्या हो खुद को? और किस चीज़ का घमंड है तुम्हें? तुम अभी के अभी मुझसे मिलने आ रहे हो। पहले मुझे तुम ये बताओ कि तुम थे कहाँ?”
अमन-“बाप रे इसकी गाण्ड में कितना दर्द छुपा है। कहीं इस साली को भी तो मुझसे प्यार नहीं हो गया?” वो धीमी आवाज़ में बोलना शुरू करता है-“आई एम सो सारी महक। असल में मेरे एक दोस्त की मम्मी की मौत हो गई थे शिमला में। मैं वहीं था…”
महक-“ओह्म्मह… आई एम सो सारी अमन, मुझे पहले बताना चाहिए था ना तुमने खामखाह ही मैं तुमपे भड़क गयी। प्लीज़… मुझे माफ कर दो…”
अमन-“इट्स ओके महक, गलती मेरी भी है। मुझे आपको इनफॉर्म करके जाना चाहिए था। पर सब इतने जल्दी में हुआ कि मुझे कुछ नहीं सूझा…”
महक-“मैं समझ सकती हूँ अमन, सारी… अच्छा तुम एक काम करो। कल मेरे घर आ जाओ मेरा बर्थ-डे है। इसीलिये मैंने एक छोटी सी पार्टी अरेंज किया है, कुछ खास दोस्तों में। तुम आओगे तो मुझे अच्छा लगेगा, वरना मैं समझूंगेी कि तुमने मुझे माफ नहीं किया…”
अमन-“ओके… आई विल ट्राइ…” और वो फोन बंद कर देता है-“आह्म्मह… बच गया बेटा अमन, वरना ये तुझपे टूट पड़ी थी…” वो मुस्कुराता हुआ रजिया के रूम की तरफ बढ़ जाता है।
रजिया आईने में अपने बाल सँवार रही थी। अमन उसे पीछे से चिपक जाता है-“मुआह्म्मह… तू खुले बालों में बहुत अच्छी लगती है…”
रजिया-“अच्छा…” और वो बाल सँवारते हुए जूड़ा बांधने के बजाए खुला ही रख देती है-“जैसा आप कहें मालिक…” और दोनों एक दूसरे की बाँहों में मुस्कुराने लगते हैं।
अमन रजिया की होंठ पे किस करके-“एक बात बता… तुझे कैसे पता चला कि तू प्रेगनेंट है?”
रजिया मुस्कुराते हुए-“अरे बाबा, जब हम शिमला पहुँचे उसके दो दिन बाद ही मेरी एम॰सी॰ पीरियड की डेट थी, पर पीररयड्स तो आए ही नहीं। मैंने और 5 दिन इंतजार किया, क्योंकी कभी-कभी लेट हो जाती है। पर जब 5 दिन भी नहीं आए तो मैं समझ गयी कि आपका बोया हुआ बीज पौधा बनना चाहता है…”
अमन रजिया के होंठ जोर से चूमते हुए-“मेरे जान, अब तो तेरा और खयाल रखना पड़ेगा। मैंने सुना है कि जब औरत प्रेग्गनेंट होती है, तो उसे रोज चोदना चाहिए, ऐसा क्यूँ?
रजिया अमन के सीने पे काटते हुए-“क्योंकी उससे चूत चिकनी रहती है, और डिलेवरी में भी आसानी होती है…”
अमन का दिल जोर से रजिया को चोदने का कर रहा था। अमन ने एक बात नोटिस किया था खुद को लेकर कि उसे एक रात में दो औरतें चाहिए चोदने के लिये, तभी उसका लण्ड ठंडा पड़ता है।
वो अनुम को आवाज़ देता है।
रजिया-“वो सो गई है, उसे एम॰सी॰ पीरियड शुरू हो गये हैं रात से। उसे सोने दो, 7 दिन तक वहाँ नो एंट्री है…”
अमन रजिया की साड़ी खोलते हुए-“और यहाँ?” अमन रजिया को पूरी नंगी कर देता है, और उसके निपल्स को मुँह में लेकर चूसने लगता है।
रजिया अपने हाथों से निचोड़-निचोड़ के अमन के मुँह में चुचियाँ डालने लगती है। वो पूरे जोश में थी। अमन के लण्ड से चुदना उसका शौक नहीं, उसे इसकी आदत सी हो गई थी। और एक बार औरत को जिस चीज़ की आदत हो जाती है, वो उसे किसी भी कीमत पे चाहिए।
रजिया अमन के मुँह से अपनी चुचियाँ निकालकर नीचे बैठ जाती है, और अमन की पैंट उतार देती है। अमन का लण्ड उसके मुँह के सामने आ जाता है, जिसे वो बड़े चाओ के साथ चाट-चाटकर मुँह में गटकने लगती है-“गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह…” वो किसी रंडी की तरह नीचे अपने पैर खोलकर बैठी थी, जैसे पेशाब करने बैठी हो-“गलप्प्प उंह्म्मह… ओह्म्मह… अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प…” वो अपनी चूत को एक हाथ से सहलाये जा रही थी।
अमन-“अह्म्मह… रजिया तुझे कितनी बार कहा है कि आराम से किया कर अह्म्मह… साली सुनती नहीं अह्म्मह…”
रजिया-“उंह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प… मुझे मुँह में लेने के बाद कुछ भी समझ में नहीं आता गलप्प्प-गलप्प्प…”
अमन उसके बाल पकड़कर उसे बेड पे पटक देता है, और बिना देर किए उसके ऊपर चढ़ जाता है। रजिया हाँफ रही थी और दोनों हाथों में अमन के लण्ड को लिये मसल रही थी-“अह्म्मह… डालो ना जल्दी अह्म्मह…”
अमन-क्या मेरी जान?
रजिया-ईई।
अमन-मुँह से बोल साली, क्या चाहिए?
रजिया-“आपका लौड़ा मेरे चूत में अह्म्मह… अह्म्मह…”
उसके मुँह से अल्फ़ाज़ पूरे भी नहीं हुए थे कि अमन का लण्ड उसकी चूत के दीजारों को चीरता हुआ अंदर जा चुका था-अह्म्मह… स्शह… ऐसे ना रजिया… ऐसे ना अह्म्मह… अह्म्मह… ले मेरी जान अह्म्मह…”
रजिया-“हाँ हाँ ऐसे… आराम से… सुनिए रोज-रोज चोदने से हमारे बेबी को कुछ होगा तो नही ना? अह्म्मह… उंह्म्मह…”
अमन-“कुछ नहीं होगा। तुझे रोज चोदने से हमारा बेबी एकदम मोटा होगा… तुझे रोज चाहिए ना रजिया अह्म्मह…”
रजिया-“हाँ रोज, दिन रात… ऐसे ही… मेरी चूत में डालकर रखो… चोदते रहो अपनी रजिया को उंह्म्मह… ओह्म्मह… आह्म्मह… आह्म्मह… आह्म्मह…”
ये चुदाई तकरीबन आधी रात तक ऐसे ही चलती रही। अमन ने रजिया की चूत को पूरी तरह खोलकर रख दिया था। उसकी गाण्ड का सुराख और चूत के सुराख के बीच बहुत काम गैप था, जिससे अमन कभी उसकी चूत में लण्ड डालकर चोदता, तो कभी गाण्ड मारने लगता।
ये रजिया का ही कहना था कि उसे गाण्ड में लौड़ा बहुत अच्छा लगता है। इसीलिये अमन रात में उसकी गाण्ड एक बार ज़रूर मारता था। जब वो दोनों एक दूसरे की बाँहों में नंगे पड़े थे।
तब रजिया ने कहा-“सुनो कुछ दिनों में ख़ान यहाँ आ जायेगा, तब आप कैसे मुझे चोदोगे?”
अमन-“वही अपना पुराना फामू़ला-नींद की गोलियाँ…”
रजिया मुस्कुराते हुए-“ह्म्मम्म्म्मम…”
अमन-तुझे ख़ान ने चोदा है क्या ऐसे में?
रजिया-नहीं, जबसे वो आया था एक बार भी नहीं।
अमन-“तो तू क्या कहेगी उसे कि प्रेग्गनेंट कैसे हुई? वो तो तुझे जान से मार देगा…”
रजिया-आह्म्मह… ये आप मुझपे छोड़ दो। मैं एक औरत हूँ और मुझे अच्छी तरह पता है कि ये बात कैसे करनी है…”
फिर रजिया दिल में सोचने लगती है-“एक दो बार ख़ान का लण्ड चूत में लेना होगा और पानी चूत में गिराना होगा। उसके कुछ दिन बाद कह दूंगी कि आपके चोदने से मैं प्रेग्गनेंट हो गई हूँ। वो तो समझेगा कि उसने बीज बोया है। पर उसे क्या पता कि इस ज़मीन में पहले से ही अमन ने अपना बीज बो भी दिया है। और वो बीज कोंपल भी बन चुका है।
अमन-क्या हुआ, क्या सोच रही है?
रजिया-यही कि अब आप मेरी चूत मारोगे या गाण्ड?
अमन-“हाहाहाहा… साली तू वो कहेगी वो?”
रजिया-“मैं तो पूरी की पूरी आपकी हूँ, वहाँ चाहिए वहाँ डालो…” और अमन उसकी गाण्ड पेलने लगता है।
सुबह 10:00 बजे-
अमन फैक्टरी के लिये निकल जाता है। जब वो फैक्टरी पहुँचता है तो उसे केबिन में महक उसका बेसबरी से इंतजार करते हुए मिलती है।
महक उसे अपने सीने से लगा लेती है-“ऊऊऊऊ अमन, तुम मेरी उस बात का इतना बुरा मान गये कि मुझसे बात तक नहीं किया। तुम जानते हो मैंने तुम्हें कितना मिस किया?
अमन-“रियली आई मिस यू टू महक। अगर मुझे अर्जेंट शिमला जाना नहीं होता तो मैं तुम्हें ज़रूर इनफॉर्म करता।
महक-“जानती हूँ अमन, बैठो…” और वो अमन से अलग होकर उसे सोफे पे बैठा देती है-“तुम आज दिन भर मेरे साथ रहोगे, और रात में तुम मेरे साथ घर चलोगे। मेरी पार्टी तुम्हारे बिना अधूरी है, और मुझे तुम्हारे साथ केक भी तो काटना है…”
अमन-“ओके, जैसा तुम कहो…”
महक-“पर पहले हम जाएंगे ड्राइविंग सीखने…”
अमन-“ओके, आज तो तुम्हारा बर्थ-डे है ना? और बर्थ-डे वाले दिन बर्थ-डे गर्ल की बात कोई टाल सकता है क्या?” और दोनों ड्राइविंग के लिये निकल जाते हैं।
उसे सुनसान रोड पे वहाँ कोई नहीं होता। आज महक कुछ ज्यादा ही चहक रही थी। शायद 7 दिनों की दूरी ने उसकी चूत की आग को इस हद तक बढ़ा दिया था कि वो अमन से चुदना चाहती थी। इसीलिये तो वो बार-बार अमन के पैर को अपने पैर से छूती जाती है।
अमन उसके साथ हँस-हँस के बातें करने लगता है। जब वो उस रोड पे पहुँच जाती है, वहाँ महक ड्राइविंग करती थ। महक नीचे उतरकर ड्राइविंग सीट की तरफ आ जाती है। और जल्दी से अमन की गोद में उछलकरके बैठ जाती है। वो अपनी पीठ अमन के सीने से लगाकर ड्राइविंग करने लगती है।
अमन-“अरे वाह… तुम तो काफी अच्छी ड्राइविंग कर रही हो। मेरे पीछे लगता है कि तुमने काफी प्रेक्टिस की है…”
महक-“हाँ बोर हो जाती थे तो आ जाया करती थे यहाँ ड्राइविंग करने…” अचानक वो जोर से ब्रेक मारती है। जिससे अमन उसे पकड़ लेता है, और अपने दोनों हाथ उसकी चुचियाँ पे रख देता है।
अमन-आराम से चलाओ बाबा।
महक-हुन्न्णन्।
अमन उसकी नरम-नरम चुचियाँ मसलने लगता है।
महक-“उंह्म्मह… क्या कर रहे हो अमन?”
अमन-कुछ भी तो नहीं।
महक-मुझे पता है कि तुम क्या कर रहे हो?
अमन-क्या?
महक-मुझे मसल रहे हो।
अमन-क्यूँ तुझे बुरा लगा?
महक-नहीं।
अमन जोर से चुचियाँ मसलने लगता है।
महक-“उंह्म्मह… दर्द होता है ना…”
अमन-मसलूं नहीं क्या फिर?
महक उसके हाथ पे अपने हाथ रखकर कार के ब्रेक लगा देती है। और उसके हाथों को अपने हाथों से दबाने लगती है-“अह्म्मह… हाँ मत मसलो अह्म्मह…”
अमन उसकी गर्दन मोड़कर अपनी तरफ कर लेता है। दोनों की नज़रें एक दूसरे को देखने लगती हैं-“आई लव यू महक…”
महक-“आई लव यू टू अमन…”
पहले उनके होंठ मिलते हैं, उसके बाद जीभ। दोनों एक दूसरे का सलाइवा चाट-चाटकर किसिंग करने लगते हैं। दोनों इस खेल में मास्टर थे। अमन जानता था औरत को कैसे बस में किया जाए। वो किसिंग करते-करते महक के पैर खोलकर अपना हाथ उसकी चूत पे रख देता है,
और उसे भी मसलने लगता है।
महक तड़प जाती है, और अपनी जीभ अमन के मुँह के और अंदर डालकर चूसने लगती है-“गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह…” वो इतने जोश में थी कि उसे होश ही नहीं रहा कि अमन ने कब उसकी शलवार का नाड़ा खोला और कब अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल चुका था।
महक तो तब सिसक उठी, जब उसे उसकी चूत में अमन की एक उंगली घुसते हुए महसूस हुई-“अह्म्मह… उंह्म्मह… अमन अह्म्मह… ओह्म्मह…” वो मारे जोश के बस सिसक रही थी।
अमन उसे हर जगह मसल रहा था वो किसी भी वक्त उसे नंगा करके चोद सकता था। पर वो महक को और तड़पाना चाहता था। उसे उसके लण्ड का असली दीजाना बनाकर चोदना चाहता था।
महक बकाबू हो चुकी थी वो चिल्लाने लगती है-“अह्म्मह… फक मी अमन प्लीज़ फक मी उंह्म्मह… आह्म्मह… फक फक फक…” और वो ये बोलते-बोलते झड़ने लगती है। उसकी चूत का पानी अमन का हाथ भिगा देता है। जब वो पूरी तरह अपनी साँसें थाम लेती है।
तब अमन उसे चूत के पानी से भीगा हुआ हाथ दिखाता है। जिसे महक एक झटके में अपने मुँह में डालकर उसकी एक-एक उंगली चूस-चूसकर साफ करने लगती है।
महक-मुझे बर्थ-डे गिफ्ट क्या दोगे?
अमन-क्या चाहिए तुझे?
महक-“ऐसे चीज़ वो हमेशा मेरे पास हो और मुझे तेरे प्यार का सुबूत लगे…”
अमन-आज रात दूँगा पर तुझे लेना होगा। मना तो नहीं करेगी?
महक-बिल्कुल नहीं… वो देना हो दो, जितना देना हो दो, मैं एक लफ़्ज भी नहीं कहूंगी।
अमन-उसे चूमता चला जाता है, और रात होने लगती है।
रात 8:00 बजे-
अमन महक के साथ उसके घर पहुँचता है। दरवाजा एक नौकरानी खोलती है। महक अमन का हाथ पकड़कर उसे अपने बेडरूम में ले जाती है। वहाँ महक की नौकरानी ने पार्टी का पूरा इंतेजाम किया हुआ था। एक म्यूजिक सिस्टम ओन था जिसमें रोमांटिक म्यूजिक बज रहा था, सामने टेबल पे एक बड़ा सा केक रखा हुआ था। अमन को ये देखकर हैरानी हुए कि अब तक कोई गेस्ट नहीं आया था। वो महक से पूछ लेता है।
महक-“मैंने सिर्फ़ तुम्हें और मेरी बेस्ट दोस्त को इनवाइट किया है वो बस आती ही होगी…”
महक की नौकरानी उसे ये कहकर चली जाती है कि वो सुबह आ जाएगी।
महक उसे ये सब अरेंज करने के लिये थैंक्स कहती है। और कुछ पैसे देकर उसे गेट तक छोड़ने जाती है। वो गेट बंद करके मुड़ी ही थी कि डोरबेल बजती है। जब वो दरवाजा खोलती है तो उसकी बेस्ट दोस्त उसके सामने खड़ी एक बड़ा सा बूके लिये उसे मिलती है।
दोनों हँसते हुए महक के बेडरूम में पहुँचती हैं। वहाँ अमन बेड पे बैठा रजिया को फोन पे ये बता रहा था कि वो लेट हो जाएगा।
रजिया उससे वजह पूछती है तो वो झूठ बोल देता है कि इमरान का बर्थ-डे है, और वो ट्रीट दे रहा है।
अमन रजिया से बात करके फोन रखता ही है कि वो सामने खड़ी उस लड़की को देखकर चौंक जाता है। वो और कोई नहीं बल्की डाक्टर सानिया थी, जिसने कुछ दिन पहले उसके लण्ड की अच्छे से ट्रीटमेंट की थी। डाक्टर सानिया भी अमन को देखकर पहले चकित फिर खुश हो जाती है। दोनों आने वाले खतरे को भाँप गये थे।
महक-“सानिया, इनसे मिलो ये हैं अमन, हमारी फैक्टरी के नये मालिक और अमन ये हैं मेरी बेस्ट आउट आफ बेस्ट दोस्त डाक्टर सानिया…”
अमन सानिया से हैंड शेक करते हुए-“मैं इनसे मिल चुका हूँ बहुत अच्छे से…” और वो सानिया का हाथ दबा देता है।
सानिया मुस्कुराते हुए-“हाँ बहुत अच्छे से। अमन अब कैसा है?” और वो जोर-जोर से हँसने लगती है।
अमन थोड़ा झेंप जाता है। जबकी महक को उनके बातें समझ नहीं आ रही थीं।
महक-“अरे ये तो बड़ी अच्छी बात है कि तुम एक दूसरे को अच्छी तरह जानते हो…”
अमन-“ह्म्मम्म्म्म… चलो जल्दी से केक काटो…”
महक-“ओके…” और वो केक काटने लगती है।
अमन और सानिया हैपी बर्थ-डे, हैपी बर्थ-डे के साथ महक को मुबारक बाद देते हैं। महक पहले अमन को और फिर सानिया को केक खिलाती है। सानिया महक से गले मिलकर उसे मुबारक बाद देती है। और फिर अमन महक को कसकर गले से लगा लेता है, और उसके कमर को सानिया की आँखों में देखती हुए मसलने लगता है।
महक धीरे से-“ऊऊओह्म्मह… छोड़ो सानिया देख रही है…”
सानिया-“एक्सक्यूस मी, मैं ज़रा टायलेट से आती हूँ…” और वो वहाँ से खिसक जाती है।
महक अमन से अलग होते हुए-“क्या अमन, इतनी भी क्या बेसब्री। सानिया देख रही थी ना…”
अमन-“प्यार करने वाले किसी के बाप से नहीं डरते मेरी जान…” और वो महक को अपनी छाती से चिपकाकर चूमने लगता है।
महक को भी अमन की ऐसी हरकत कहीं ना कहीं बहुत अच्छी लगने लगती है। इसलिये वो भी अमन का साथ देने लगती है। दोनों एक दूसरे को चूमे जा रहे थी और सानिया दरवाजे के पास से उन्हें देख रही थी। जब वो दोनों एक दूसरे से अलग हुए तो सामने सानिया को देखकर पहले थोड़े टठठके और फिर दुबारा शुरू हो गये।
सानिया-क्या मैं जाय्न हो सकती हूँ?
महक-“क्यों नहीं डियर, तुम्हें कोई प्राब्लम तो नहीं है ना… अमन…”
अमन-बिल्कुल नहीं।
और सानिया भी अमन से चिपकके उसे किसिंग करने लगती है। थ्रीसम अमन को हमेशा से पसंद था। जैसे भी उसे एक रात में दो चूत चाहिए होती थी, पठान वो था। कहते हैं कि पठान का लण्ड ना थकता है, और ना झुकता है।
महक तो सुबह से ही पनिया गई थी और सानिया के दिमाग़ में अमन का लण्ड पहली नज़र में ही घर कर चुका था। दोनों बड़ी बेसब्री से अमन के लण्ड को अपने मुँह में और चूत के अंदर उतारना चाहती थीं। वो दोनों जल्दी से अमन को खड़े-खड़े ही नंगा कर देती हैं,
और खुद भी नंगी हो जाती हैं। तीनों एक दूसरे को मसल-मसलकर चूम रहे थे। अमन एक हाथ से सानिया की चूत सहला रहा था, तो दूसरे हाथ से महक की चुचियाँ दबा रहा था। महक और सानिया दोनों नीचे बैठ जाते हैं और अमन के लण्ड को, वो अब तक लगभग खड़ा हो चुका था, अपने मुँह में गटक जाती हैं।
महक-“गलप्प्प-गलप्प्प उंन्ह… गलप्प्प…”
सानिया-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”
वो दोनों बारी-बारी अमन के लण्ड को मुँह में लेकर चूस रही थीं। अमन को यकीन करना मुश्किल था कि ये दोनों औरतें जिनकी सोसाइटी में एक पहचान, एक इज़्ज़त है, वो ऐसे रंडियों की तरह उसका लण्ड अपने मुँह में खींच-खींचकर चूस रही थीं। ये चूत की आग ही थी, वो इन्हें ये करने पे मजबूर कर रही थी। अमन बुरी तरह सिसक उठता है। वो दोनों उसके लण्ड को और आंडे को मरोड़-मरोड़ के चूस रहे थे।
महक-“हाँ अह्म्मह… आज तेरा लौड़ा रहेगा या हमारी चूत… बहुत जान है ना तेरे लण्ड में… बता साले हम दोनों को गलप्प्प-गलप्प्प…”
सानिया-“महक, इसके लण्ड में बहुत ताकत है। इसके लण्ड का पानी हम अपनी बच्चेदानी में गिराकर उसका बीज अपनी चूत में बोएंगे अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प…”
अमन महक के बाल पकड़कर उसे बेड से टिका देता है। और उसके दोनों पैर चौड़े करके एक झटके में अपना लण्ड अंदर डालने लगता
है-“अह्म्मह… छिनाल… मेरा बच्चा जनेगी? अह्म्मह… अह्म्मह… ले तेरी चूत को चीर ना दूं तो मेरा नाम भी अमन ख़ान नहीं…” वो किसी हथौड़े की तरह चूत पे जोर-जोर से जार करने लगा था।
महक के चिल्लाने की कोई इंतेहा नहीं थी, न जाने वो कितने दिनों बाद चुद रही थी। उसकी चूत लगभग पैक हो चुकी थी-“अह्म्मह… हराम के लौड़े आराम से चोद… मेरी चूत है, पत्थर नहीं वो तू हथौड़े से कूट रहा है।
अह्म्मह… आराम से रे… अमन धीरे-धीरे चोद ना… अह्म्मह अम्मी… सानिया इससे बोल ना आराम से चोदे अह्म्मह…”
सानिया उसे आँखें फाड़े देख रही थी। उसने इससे पहले ये नज़ारा नहीं देखा था। कोई भला किसी को इतनी बेहरहमी से भी चोद सकता है? ये देख-देखकर उसकी चूत में पानी आने लगता है।
अमन-“छिनाल तू क्या देख रही है? इसके मुँह पे तेरी चूत लगा तो थोड़ा कम चिल्लाएगी ये हरामज़ादी…"
सानिया महक के मुँह के पास आकर बैठ जाती है। और अमन के धक्कों से महक के होंठ सानिया की चूत के पास पहुँच जाते हैं।
महक-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” करके किसी कुततया की तरह
सानिया की चूत पे टूट पड़ती है। वो इतने जोर से इसलिये चूस चाट रही थी। अमन का लण्ड उसकी चूत में कोहराम मचा रहा था। उसके संभालने के पहले ही अमन उसे बिखेर देता है। महक एक जोर की चीख के साथ झड़ जाती है।
पर अमन नहीं झड़ा था, वो सानिया के बाल पकड़कर उसे बेड पे सुला देता है, और उसके पैर मोड़कर उसकी चुचियों से भिड़ा देता है, जिससे सानिया की चूत बुरी तरह फैल जाती है।
अमन अपने लण्ड पे थूक लगाकर सानिया की नाज़ुक सी चूत में लण्ड पेलने लगता है-अह्म्मह… बच्चा चाहिए ना तुझे… मैं देता हूँ तुझे भी अह्म्मह… वो उसी तरह सानिया को चोदने लगता है, जैसे महक को चुद रहा था।
महक अमन के स्टैमिना और चोदने के अंदाज से इतने इंप्रेस हुई थी कि वो अमन के लण्ड की दीजानी हो चुकी थी। वो अपनी चूत को घिसते हुए टायलेट में घुस जाती है।
सानिया-“उंन्ह… अमन तेरे लण्ड ने मेरी चूत को चीर दिया रे अह्म्मह… कुत्ते क्या लण्ड है तेरा अह्म्मह… उंन्ह…
मेरी चूत का भुर्ता बना दिया रे हरामी अह्म्मह…” वो दोनों ऐसे गालियाँ दे रही थीं, जैसे कोई कालगर्ल हों। ये औरतों का तरीका होता है। ख़ूँखार मदों से जमकर चुदाई कराने का, चुदते हुए उन्हें गालियाँ दो तो वो तुम्हारी चूत को चोद-चोदकर भोसड़ा बना देते हैं। और यही इस वक्त सानिया कर रही थी।
अमन तो जैसे पसीने में बेहाल था, पर सानिया को चोदने में उसे अजीब सा नशा छा रहा था। उसकी चिकनी चूत और भरी हुए चुचियाँ उसे रजिया की याद दिला रही थीं। उसे लगने लगा था कि वो रजिया को चोद रहा है। जब वो जवान हुआ करती थी तो बिल्कुल सानिया जैसी लगती होगी। यही बात उसके लण्ड को झड़ने से रोक रही थी।
अमन ने सानिया और महक को दो बार और चोदा। ये चुदाई पूरे 3 घंटे चली। रात के 12:00 बज चुके थे और अमन का लण्ड ढीला पड़ चुका था, पर उसके दिल की मुराद पूरी हो चुकी थी।
महक अपनी चूत के साथ-साथ अपनी गाण्ड भी अमन को सौंप चुकी थी, इन 3 घंटों में।
वहीं सानिया दो बार चुदकर ही एक तरफ हो गई थी। उसे इतनी चुदाई की आदत नहीं थी।
अमन महक और सानिया को चूमते हुए अपने घर की तरफ निकल जाता है। उसे रजिया की फिकर हो रही थी। बैटरी डिस्चार्ज होने की वजह से वो परेशान हो गई होगी, क्योंकी अमन को काल लग नहीं रही थी। जब वो घर पहुँचा तो रात के 1:00 बज रहे थे।
जिस तरह अनुम ने रजिया को अपना पेशाब पिलाया था, उसे तरह रजिया भी अनुम को अपना पेशाब पिला चुकी थी। ये 7 दिन उनकी आने वाली जिंदगी को बदल चुके थे। अब वो एक माँ-बेटी या बहन नहीं थी, बल्की सिर्फ़ और सिर्फ़ एक औरत थी, जिसे खाना दो या ना दो पर लण्ड ज़रूर चाहिए। और वो भी सिर्फ़ अमन का और किसी का भी नहीं। आज उनकी वापसी थी। अमन होटेल का बिल पे करके कार में रजिया और अनुम के साथ घर की तरफ निकल जाता है। वो ड्राइविंग कर रहा था और रजिया अनुम के साथ पीछे बैठी हुई थी।
रजिया-“सुनिए, एक मेडिकल शाप से प्रेगा नेवज (प्रेग्गनेन्सी चेक करने की पट्टी) ले लेना…”
अमन-क्यूँ?
रजिया मुस्कुराते हुए-“मुझे लग रहा है कि मैं शायद आपसे प्रेग्गनेंट हो गई हूँ…”
अमन जोर से ब्रेक लगाते हुए मारे खुशी के-“क्या सच कह रही है तू?”
रजिया अपना चेहरा हाथों से छुपाते हुए-“हाँ…”
अमन तो जैसे सातवें आसमान पे था। बस उसे कन्फर्म करना था कि रजिया की बात सही हो जाये।
अनुम भी ये ख़बर सुनकर खुश हो जाती है, और रजिया के पेट पे हाथ फेरते हुए-“मेरा छोटा सा बच्चा इसमें आ चुका है…” और वो रजिया की होंठों को चूस लेती है।
अमन मेडिकल से किट ले लेता है, और तीन घंटे बाद वो घर पहुँच जाते हैं। घर पहुँचकर रजिया सबसे पहले बाथरूम में जाकर किट से चेक करती है, और खुशी के मारे उछल पड़ती है। वो इतने जोर से चीख मारती है कि अमन और अनुम भागते हुए उसके पास आ जाते हैं।
अमन-क्या हुआ?
रजिया अमन की छाती से चिपकते हुए-“आप पापा बनने वाले हो मुआह्म्मह…”
तीनों की खुशी का ठिकाना नहीं था। वो बस बारी-बारी एक दूसरे को गले लगाते, चूमते जा रहे थे। उन्हें तब होश आता है, जब कोई दरवाजे की बेल बजाता है। अमन दरवाजा खोलता है तो सामने फ़िज़ा खड़ी थी। उसकी आँखों में एक चमक सी थी अमन को देखकर। रजिया और अनुम रूम में थे। अमन फ़िज़ा को अपने से चिपकाकर उसकी चुचियाँ मसलते हुए-“तेरी अम्मी कहाँ है?
फ़िज़ा-“उंह्म्मह… घर पे है, तुमसे बहुत नाराज है। जाओ जाकर मना लो, मैं अभी आती हूँ…” और फ़िज़ा रजिया की रूम में चली जाती है।
वो रजिया से कहता है की इमरान से मिलकर आता हूँ और रेहाना की तरफ चला जाता है। उसे भी रेहाना की चूत याद आ रही थी।
रेहाना अपने रूम में सोई हुइ थी। उसे पता नहीं था कि अमन वापस आ चुका है। वरना वो उसे मिलने सबसे पहले आती। 7 दिन से वो अपनी चूत की आग फ़िज़ा की गरम चूत पे रगड़-रगड़कर ठंडा करने की नाकाम कोशिश कर रही थी। वो गरम लोहा उसकी चूत को चाहिए था, वो तो शिमला जाकर बैठा था। इसी बात से नाराज थी रेहाना।
अमन रेहाना के बेडरूम में जाकर अपनी पैंट और शर्ट उतारकर हँगर में टांग देता है। अब वो बिल्कुल नंगा था। उसे रजिया ने एक बार चुदते हुए कहा था कि तुम अंडरवेअर पहनना छोड़ दो, तुम्हारा लण्ड हमेशा टाइट रहता है। और अंडरवेअर से उसे मुश्किल होती होंगी, सांस लेने में।
अमन अपने खड़े लण्ड को लेकर रेहाना के मुँह की तरफ बढ़ता है। वो बेसुध गहरी नींद में थी। अमन उसके होंठों के पास अपने लण्ड का सुपाड़ा लगाकर अंदर करने लगता है। इस हरकत की वजह से रेहाना की आँखें खुल जाती हैं, और वो अमन को पूरा नंगा देखकर चौंक जाती है।
जैसे तो उसने अमन को कई बार नंगा देखा था, पर जब कोई सोया हो और कोई शख्स उसके मुँह में लण्ड डाले तो वो तो चौंकेगा ही, यहे हाल रेहाना का था।
रेहाना-“ऊऊऊओ… तुम हो, मैं कितना डर गई हूँ देखो मेरे हार्ट-बीट… और तुम वापस कब आए? जाओ मैं बात नहीं करती तुमसे…” वो बनावटी गुस्सा दिखा रही थी। सच तो ये था कि वो अमन को देखकर अपना सारा गुस्सा भूल चुकी थी।
अमन-“ओके… मैं चलता हूँ फिर…”
रेहाना-“रुको… ऊऊऊ… क्यूँ कोई नई लौंडीयाँ मिल गई है क्या शिमला में? वो मेरे मज़ाक को भी सच समझ रहे हो ह्म्मम्म्म्म…”
अमन उसके बाल पकड़कर-“हाँ मिल गई है तो?”
रेहाना-“जान से मार दूंगी हरामज़ादी को और फिर खुद भी मर जाऊँगी… अगर कोई बाहर वाली की तरफ देखे भी तो…”
अमन-“साली धमकी देती है? रुक ज़रा…” और वो रेहाना की गर्दन दबाता है, जिससे उसका मुँह खुलता चला जाता है।
और अमन अपने लण्ड को उसके नरम मुँह में पेलता चला जाता है-“अह्म्मह… साली बहुत नाज़ुक हैं तेरे होंठ अह्म्मह… ज़रा आराम से चूस अह्म्मह… धीरे कर साली अह्म्मह…”
रेहाना-“नहीं उंन्ह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प मेरा है, कुछ भी करूँ गलप्प्प उंन्ह… 7 दिन से सूखी है मेरे चूत गलप्प्प-गलप्प्प और ये मुँह भी गलप्प्प-गलप्प्प…” और वो लोलीपोप की तरह जोरों से लण्ड को मसल-मसलकर चूसे जा रही थी।
आख़िरकार अमन का लण्ड अपनी औकात में आ चुका था। उसके लण्ड के नशें पूरे तरह तन चुकी थीं। अमन इस दौरान रेहाना की नाइटी उतारकर उसे नंगा कर चुका था। वो रेहाना के पैर खोल देता है, और
अपनी जीभ उसकी चूत पे रखकर चाटने लगता है। अब अमन को भी चूत चाटने में मज़ा आने लगा था। जबसे उसने शिमला में अनुम की कुँवारी चूत का स्जाद चखा था, तबसे उसे चूत चाटने में इंटरेस्ट बढ़ गया था। वो जीभ को रेहाना की चूत के अंदर तक घुसा-घुसाकर रस पी रहा था।
रेहाना बुरी तरह सिसकारियाँ भर रही थी उसे अमन की जीभ की ठंडक अपने पूरे जिस्म में महसूस हो रही थी-उंह्म्मह… आह्म्मह… प्लीज़्ज़ज्ज्ज चोदो ना मेरी चूत को, लण्ड दो ना… मैं चुदना चाहती हूँ अह्म्मह… डाल दो मूसल ओखली में अह्म्मह…”
अमन भी उसके बात मान लेता है, और अपना लण्ड उसकी चिकने चूत के मुँह पे लगाकर जोर से अंदर पेल देता है। उसके लण्ड के धक्के से रेहाना की चूत अंदर तक खुलती चली जाती है-“अह्म्मह… उंन्ह… साली याद आई थी तुझे मेरी अह्म्मह…”
रेहाना-“हाँ हर रोज… हर पल… मुझे याद आती थी… और सबसे ज्यादा मेरी चूत को अह्म्मह… बोलती थी जानू कब आएंगे? मुझे उनकी याद आ रही है… मुझसे नहीं मानती ये चूत… अब आप ही मनाओ इसे उंह्म्मह… आराम से जी उंन्ह…”
अमन-“हाँ मेरी जान अह्म्मह… देख कैसे खुश हो गई है तेरी चूत अह्म्मह… अंदर तक जाने दे रही है मुझे अह्म्मह…”
वो दोनों अपने बातें किए जा रहे थे, और एक दूसरे के अंदर समाते चले जा रहे थे। अमन रेहाना को 20 मिनट तक ऐसे ही ऊपर रहकर चोदता रहा। और फिर एक चीख के साथ अपना पानी उसकी गरम भट्ठी में उड़ेल दिया, जिससे रेहाना की चूत के अंगारों पे जैसे किसी ने पानी डालकर बुझा दिया हो। वो भी अब खुश हो चुकी थी। वो और चुदना चाहती थी, पर अमन उससे बहाना बनाकर और कल आने का वादा करके उसके घर से निकल जाता है
अमन अपने घर पे फ्रेश होने के बाद अलमारी से अपना सेल-फोन निकालता है। जब वो लोग शिमला गये थे तब अमन ने अपना सेल-फोन यहाँ रख दिया था ताकी उसे कोई परेशान ना कर सके। जब वो काल रेकाड़ चेक करता है तो हैरान रह जाता है।
उसके सेल-फोन पे टोटल 200 मिस-काल्स थीं जिनमें से 179 महक की थीं। वो काल-बैक करता है, और एक ही रिंग में काल रिसीव हो जाती है।
महक चिल्लाते हुए-“कहाँ हो तुम? तुम्हें ज़रा सी भी परवाह है कि नहीं मेरी? पूरे 7 दिन हो गये हैं। अपना सेल फोन चेक करो कितनी बार कल की हूँ मैं। तुम समझते क्या हो खुद को? और किस चीज़ का घमंड है तुम्हें? तुम अभी के अभी मुझसे मिलने आ रहे हो। पहले मुझे तुम ये बताओ कि तुम थे कहाँ?”
अमन-“बाप रे इसकी गाण्ड में कितना दर्द छुपा है। कहीं इस साली को भी तो मुझसे प्यार नहीं हो गया?” वो धीमी आवाज़ में बोलना शुरू करता है-“आई एम सो सारी महक। असल में मेरे एक दोस्त की मम्मी की मौत हो गई थे शिमला में। मैं वहीं था…”
महक-“ओह्म्मह… आई एम सो सारी अमन, मुझे पहले बताना चाहिए था ना तुमने खामखाह ही मैं तुमपे भड़क गयी। प्लीज़… मुझे माफ कर दो…”
अमन-“इट्स ओके महक, गलती मेरी भी है। मुझे आपको इनफॉर्म करके जाना चाहिए था। पर सब इतने जल्दी में हुआ कि मुझे कुछ नहीं सूझा…”
महक-“मैं समझ सकती हूँ अमन, सारी… अच्छा तुम एक काम करो। कल मेरे घर आ जाओ मेरा बर्थ-डे है। इसीलिये मैंने एक छोटी सी पार्टी अरेंज किया है, कुछ खास दोस्तों में। तुम आओगे तो मुझे अच्छा लगेगा, वरना मैं समझूंगेी कि तुमने मुझे माफ नहीं किया…”
अमन-“ओके… आई विल ट्राइ…” और वो फोन बंद कर देता है-“आह्म्मह… बच गया बेटा अमन, वरना ये तुझपे टूट पड़ी थी…” वो मुस्कुराता हुआ रजिया के रूम की तरफ बढ़ जाता है।
रजिया आईने में अपने बाल सँवार रही थी। अमन उसे पीछे से चिपक जाता है-“मुआह्म्मह… तू खुले बालों में बहुत अच्छी लगती है…”
रजिया-“अच्छा…” और वो बाल सँवारते हुए जूड़ा बांधने के बजाए खुला ही रख देती है-“जैसा आप कहें मालिक…” और दोनों एक दूसरे की बाँहों में मुस्कुराने लगते हैं।
अमन रजिया की होंठ पे किस करके-“एक बात बता… तुझे कैसे पता चला कि तू प्रेगनेंट है?”
रजिया मुस्कुराते हुए-“अरे बाबा, जब हम शिमला पहुँचे उसके दो दिन बाद ही मेरी एम॰सी॰ पीरियड की डेट थी, पर पीररयड्स तो आए ही नहीं। मैंने और 5 दिन इंतजार किया, क्योंकी कभी-कभी लेट हो जाती है। पर जब 5 दिन भी नहीं आए तो मैं समझ गयी कि आपका बोया हुआ बीज पौधा बनना चाहता है…”
अमन रजिया के होंठ जोर से चूमते हुए-“मेरे जान, अब तो तेरा और खयाल रखना पड़ेगा। मैंने सुना है कि जब औरत प्रेग्गनेंट होती है, तो उसे रोज चोदना चाहिए, ऐसा क्यूँ?
रजिया अमन के सीने पे काटते हुए-“क्योंकी उससे चूत चिकनी रहती है, और डिलेवरी में भी आसानी होती है…”
अमन का दिल जोर से रजिया को चोदने का कर रहा था। अमन ने एक बात नोटिस किया था खुद को लेकर कि उसे एक रात में दो औरतें चाहिए चोदने के लिये, तभी उसका लण्ड ठंडा पड़ता है।
वो अनुम को आवाज़ देता है।
रजिया-“वो सो गई है, उसे एम॰सी॰ पीरियड शुरू हो गये हैं रात से। उसे सोने दो, 7 दिन तक वहाँ नो एंट्री है…”
अमन रजिया की साड़ी खोलते हुए-“और यहाँ?” अमन रजिया को पूरी नंगी कर देता है, और उसके निपल्स को मुँह में लेकर चूसने लगता है।
रजिया अपने हाथों से निचोड़-निचोड़ के अमन के मुँह में चुचियाँ डालने लगती है। वो पूरे जोश में थी। अमन के लण्ड से चुदना उसका शौक नहीं, उसे इसकी आदत सी हो गई थी। और एक बार औरत को जिस चीज़ की आदत हो जाती है, वो उसे किसी भी कीमत पे चाहिए।
रजिया अमन के मुँह से अपनी चुचियाँ निकालकर नीचे बैठ जाती है, और अमन की पैंट उतार देती है। अमन का लण्ड उसके मुँह के सामने आ जाता है, जिसे वो बड़े चाओ के साथ चाट-चाटकर मुँह में गटकने लगती है-“गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह…” वो किसी रंडी की तरह नीचे अपने पैर खोलकर बैठी थी, जैसे पेशाब करने बैठी हो-“गलप्प्प उंह्म्मह… ओह्म्मह… अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प…” वो अपनी चूत को एक हाथ से सहलाये जा रही थी।
अमन-“अह्म्मह… रजिया तुझे कितनी बार कहा है कि आराम से किया कर अह्म्मह… साली सुनती नहीं अह्म्मह…”
रजिया-“उंह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प… मुझे मुँह में लेने के बाद कुछ भी समझ में नहीं आता गलप्प्प-गलप्प्प…”
अमन उसके बाल पकड़कर उसे बेड पे पटक देता है, और बिना देर किए उसके ऊपर चढ़ जाता है। रजिया हाँफ रही थी और दोनों हाथों में अमन के लण्ड को लिये मसल रही थी-“अह्म्मह… डालो ना जल्दी अह्म्मह…”
अमन-क्या मेरी जान?
रजिया-ईई।
अमन-मुँह से बोल साली, क्या चाहिए?
रजिया-“आपका लौड़ा मेरे चूत में अह्म्मह… अह्म्मह…”
उसके मुँह से अल्फ़ाज़ पूरे भी नहीं हुए थे कि अमन का लण्ड उसकी चूत के दीजारों को चीरता हुआ अंदर जा चुका था-अह्म्मह… स्शह… ऐसे ना रजिया… ऐसे ना अह्म्मह… अह्म्मह… ले मेरी जान अह्म्मह…”
रजिया-“हाँ हाँ ऐसे… आराम से… सुनिए रोज-रोज चोदने से हमारे बेबी को कुछ होगा तो नही ना? अह्म्मह… उंह्म्मह…”
अमन-“कुछ नहीं होगा। तुझे रोज चोदने से हमारा बेबी एकदम मोटा होगा… तुझे रोज चाहिए ना रजिया अह्म्मह…”
रजिया-“हाँ रोज, दिन रात… ऐसे ही… मेरी चूत में डालकर रखो… चोदते रहो अपनी रजिया को उंह्म्मह… ओह्म्मह… आह्म्मह… आह्म्मह… आह्म्मह…”
ये चुदाई तकरीबन आधी रात तक ऐसे ही चलती रही। अमन ने रजिया की चूत को पूरी तरह खोलकर रख दिया था। उसकी गाण्ड का सुराख और चूत के सुराख के बीच बहुत काम गैप था, जिससे अमन कभी उसकी चूत में लण्ड डालकर चोदता, तो कभी गाण्ड मारने लगता।
ये रजिया का ही कहना था कि उसे गाण्ड में लौड़ा बहुत अच्छा लगता है। इसीलिये अमन रात में उसकी गाण्ड एक बार ज़रूर मारता था। जब वो दोनों एक दूसरे की बाँहों में नंगे पड़े थे।
तब रजिया ने कहा-“सुनो कुछ दिनों में ख़ान यहाँ आ जायेगा, तब आप कैसे मुझे चोदोगे?”
अमन-“वही अपना पुराना फामू़ला-नींद की गोलियाँ…”
रजिया मुस्कुराते हुए-“ह्म्मम्म्म्मम…”
अमन-तुझे ख़ान ने चोदा है क्या ऐसे में?
रजिया-नहीं, जबसे वो आया था एक बार भी नहीं।
अमन-“तो तू क्या कहेगी उसे कि प्रेग्गनेंट कैसे हुई? वो तो तुझे जान से मार देगा…”
रजिया-आह्म्मह… ये आप मुझपे छोड़ दो। मैं एक औरत हूँ और मुझे अच्छी तरह पता है कि ये बात कैसे करनी है…”
फिर रजिया दिल में सोचने लगती है-“एक दो बार ख़ान का लण्ड चूत में लेना होगा और पानी चूत में गिराना होगा। उसके कुछ दिन बाद कह दूंगी कि आपके चोदने से मैं प्रेग्गनेंट हो गई हूँ। वो तो समझेगा कि उसने बीज बोया है। पर उसे क्या पता कि इस ज़मीन में पहले से ही अमन ने अपना बीज बो भी दिया है। और वो बीज कोंपल भी बन चुका है।
अमन-क्या हुआ, क्या सोच रही है?
रजिया-यही कि अब आप मेरी चूत मारोगे या गाण्ड?
अमन-“हाहाहाहा… साली तू वो कहेगी वो?”
रजिया-“मैं तो पूरी की पूरी आपकी हूँ, वहाँ चाहिए वहाँ डालो…” और अमन उसकी गाण्ड पेलने लगता है।
सुबह 10:00 बजे-
अमन फैक्टरी के लिये निकल जाता है। जब वो फैक्टरी पहुँचता है तो उसे केबिन में महक उसका बेसबरी से इंतजार करते हुए मिलती है।
महक उसे अपने सीने से लगा लेती है-“ऊऊऊऊ अमन, तुम मेरी उस बात का इतना बुरा मान गये कि मुझसे बात तक नहीं किया। तुम जानते हो मैंने तुम्हें कितना मिस किया?
अमन-“रियली आई मिस यू टू महक। अगर मुझे अर्जेंट शिमला जाना नहीं होता तो मैं तुम्हें ज़रूर इनफॉर्म करता।
महक-“जानती हूँ अमन, बैठो…” और वो अमन से अलग होकर उसे सोफे पे बैठा देती है-“तुम आज दिन भर मेरे साथ रहोगे, और रात में तुम मेरे साथ घर चलोगे। मेरी पार्टी तुम्हारे बिना अधूरी है, और मुझे तुम्हारे साथ केक भी तो काटना है…”
अमन-“ओके, जैसा तुम कहो…”
महक-“पर पहले हम जाएंगे ड्राइविंग सीखने…”
अमन-“ओके, आज तो तुम्हारा बर्थ-डे है ना? और बर्थ-डे वाले दिन बर्थ-डे गर्ल की बात कोई टाल सकता है क्या?” और दोनों ड्राइविंग के लिये निकल जाते हैं।
उसे सुनसान रोड पे वहाँ कोई नहीं होता। आज महक कुछ ज्यादा ही चहक रही थी। शायद 7 दिनों की दूरी ने उसकी चूत की आग को इस हद तक बढ़ा दिया था कि वो अमन से चुदना चाहती थी। इसीलिये तो वो बार-बार अमन के पैर को अपने पैर से छूती जाती है।
अमन उसके साथ हँस-हँस के बातें करने लगता है। जब वो उस रोड पे पहुँच जाती है, वहाँ महक ड्राइविंग करती थ। महक नीचे उतरकर ड्राइविंग सीट की तरफ आ जाती है। और जल्दी से अमन की गोद में उछलकरके बैठ जाती है। वो अपनी पीठ अमन के सीने से लगाकर ड्राइविंग करने लगती है।
अमन-“अरे वाह… तुम तो काफी अच्छी ड्राइविंग कर रही हो। मेरे पीछे लगता है कि तुमने काफी प्रेक्टिस की है…”
महक-“हाँ बोर हो जाती थे तो आ जाया करती थे यहाँ ड्राइविंग करने…” अचानक वो जोर से ब्रेक मारती है। जिससे अमन उसे पकड़ लेता है, और अपने दोनों हाथ उसकी चुचियाँ पे रख देता है।
अमन-आराम से चलाओ बाबा।
महक-हुन्न्णन्।
अमन उसकी नरम-नरम चुचियाँ मसलने लगता है।
महक-“उंह्म्मह… क्या कर रहे हो अमन?”
अमन-कुछ भी तो नहीं।
महक-मुझे पता है कि तुम क्या कर रहे हो?
अमन-क्या?
महक-मुझे मसल रहे हो।
अमन-क्यूँ तुझे बुरा लगा?
महक-नहीं।
अमन जोर से चुचियाँ मसलने लगता है।
महक-“उंह्म्मह… दर्द होता है ना…”
अमन-मसलूं नहीं क्या फिर?
महक उसके हाथ पे अपने हाथ रखकर कार के ब्रेक लगा देती है। और उसके हाथों को अपने हाथों से दबाने लगती है-“अह्म्मह… हाँ मत मसलो अह्म्मह…”
अमन उसकी गर्दन मोड़कर अपनी तरफ कर लेता है। दोनों की नज़रें एक दूसरे को देखने लगती हैं-“आई लव यू महक…”
महक-“आई लव यू टू अमन…”
पहले उनके होंठ मिलते हैं, उसके बाद जीभ। दोनों एक दूसरे का सलाइवा चाट-चाटकर किसिंग करने लगते हैं। दोनों इस खेल में मास्टर थे। अमन जानता था औरत को कैसे बस में किया जाए। वो किसिंग करते-करते महक के पैर खोलकर अपना हाथ उसकी चूत पे रख देता है,
और उसे भी मसलने लगता है।
महक तड़प जाती है, और अपनी जीभ अमन के मुँह के और अंदर डालकर चूसने लगती है-“गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह…” वो इतने जोश में थी कि उसे होश ही नहीं रहा कि अमन ने कब उसकी शलवार का नाड़ा खोला और कब अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल चुका था।
महक तो तब सिसक उठी, जब उसे उसकी चूत में अमन की एक उंगली घुसते हुए महसूस हुई-“अह्म्मह… उंह्म्मह… अमन अह्म्मह… ओह्म्मह…” वो मारे जोश के बस सिसक रही थी।
अमन उसे हर जगह मसल रहा था वो किसी भी वक्त उसे नंगा करके चोद सकता था। पर वो महक को और तड़पाना चाहता था। उसे उसके लण्ड का असली दीजाना बनाकर चोदना चाहता था।
महक बकाबू हो चुकी थी वो चिल्लाने लगती है-“अह्म्मह… फक मी अमन प्लीज़ फक मी उंह्म्मह… आह्म्मह… फक फक फक…” और वो ये बोलते-बोलते झड़ने लगती है। उसकी चूत का पानी अमन का हाथ भिगा देता है। जब वो पूरी तरह अपनी साँसें थाम लेती है।
तब अमन उसे चूत के पानी से भीगा हुआ हाथ दिखाता है। जिसे महक एक झटके में अपने मुँह में डालकर उसकी एक-एक उंगली चूस-चूसकर साफ करने लगती है।
महक-मुझे बर्थ-डे गिफ्ट क्या दोगे?
अमन-क्या चाहिए तुझे?
महक-“ऐसे चीज़ वो हमेशा मेरे पास हो और मुझे तेरे प्यार का सुबूत लगे…”
अमन-आज रात दूँगा पर तुझे लेना होगा। मना तो नहीं करेगी?
महक-बिल्कुल नहीं… वो देना हो दो, जितना देना हो दो, मैं एक लफ़्ज भी नहीं कहूंगी।
अमन-उसे चूमता चला जाता है, और रात होने लगती है।
रात 8:00 बजे-
अमन महक के साथ उसके घर पहुँचता है। दरवाजा एक नौकरानी खोलती है। महक अमन का हाथ पकड़कर उसे अपने बेडरूम में ले जाती है। वहाँ महक की नौकरानी ने पार्टी का पूरा इंतेजाम किया हुआ था। एक म्यूजिक सिस्टम ओन था जिसमें रोमांटिक म्यूजिक बज रहा था, सामने टेबल पे एक बड़ा सा केक रखा हुआ था। अमन को ये देखकर हैरानी हुए कि अब तक कोई गेस्ट नहीं आया था। वो महक से पूछ लेता है।
महक-“मैंने सिर्फ़ तुम्हें और मेरी बेस्ट दोस्त को इनवाइट किया है वो बस आती ही होगी…”
महक की नौकरानी उसे ये कहकर चली जाती है कि वो सुबह आ जाएगी।
महक उसे ये सब अरेंज करने के लिये थैंक्स कहती है। और कुछ पैसे देकर उसे गेट तक छोड़ने जाती है। वो गेट बंद करके मुड़ी ही थी कि डोरबेल बजती है। जब वो दरवाजा खोलती है तो उसकी बेस्ट दोस्त उसके सामने खड़ी एक बड़ा सा बूके लिये उसे मिलती है।
दोनों हँसते हुए महक के बेडरूम में पहुँचती हैं। वहाँ अमन बेड पे बैठा रजिया को फोन पे ये बता रहा था कि वो लेट हो जाएगा।
रजिया उससे वजह पूछती है तो वो झूठ बोल देता है कि इमरान का बर्थ-डे है, और वो ट्रीट दे रहा है।
अमन रजिया से बात करके फोन रखता ही है कि वो सामने खड़ी उस लड़की को देखकर चौंक जाता है। वो और कोई नहीं बल्की डाक्टर सानिया थी, जिसने कुछ दिन पहले उसके लण्ड की अच्छे से ट्रीटमेंट की थी। डाक्टर सानिया भी अमन को देखकर पहले चकित फिर खुश हो जाती है। दोनों आने वाले खतरे को भाँप गये थे।
महक-“सानिया, इनसे मिलो ये हैं अमन, हमारी फैक्टरी के नये मालिक और अमन ये हैं मेरी बेस्ट आउट आफ बेस्ट दोस्त डाक्टर सानिया…”
अमन सानिया से हैंड शेक करते हुए-“मैं इनसे मिल चुका हूँ बहुत अच्छे से…” और वो सानिया का हाथ दबा देता है।
सानिया मुस्कुराते हुए-“हाँ बहुत अच्छे से। अमन अब कैसा है?” और वो जोर-जोर से हँसने लगती है।
अमन थोड़ा झेंप जाता है। जबकी महक को उनके बातें समझ नहीं आ रही थीं।
महक-“अरे ये तो बड़ी अच्छी बात है कि तुम एक दूसरे को अच्छी तरह जानते हो…”
अमन-“ह्म्मम्म्म्म… चलो जल्दी से केक काटो…”
महक-“ओके…” और वो केक काटने लगती है।
अमन और सानिया हैपी बर्थ-डे, हैपी बर्थ-डे के साथ महक को मुबारक बाद देते हैं। महक पहले अमन को और फिर सानिया को केक खिलाती है। सानिया महक से गले मिलकर उसे मुबारक बाद देती है। और फिर अमन महक को कसकर गले से लगा लेता है, और उसके कमर को सानिया की आँखों में देखती हुए मसलने लगता है।
महक धीरे से-“ऊऊओह्म्मह… छोड़ो सानिया देख रही है…”
सानिया-“एक्सक्यूस मी, मैं ज़रा टायलेट से आती हूँ…” और वो वहाँ से खिसक जाती है।
महक अमन से अलग होते हुए-“क्या अमन, इतनी भी क्या बेसब्री। सानिया देख रही थी ना…”
अमन-“प्यार करने वाले किसी के बाप से नहीं डरते मेरी जान…” और वो महक को अपनी छाती से चिपकाकर चूमने लगता है।
महक को भी अमन की ऐसी हरकत कहीं ना कहीं बहुत अच्छी लगने लगती है। इसलिये वो भी अमन का साथ देने लगती है। दोनों एक दूसरे को चूमे जा रहे थी और सानिया दरवाजे के पास से उन्हें देख रही थी। जब वो दोनों एक दूसरे से अलग हुए तो सामने सानिया को देखकर पहले थोड़े टठठके और फिर दुबारा शुरू हो गये।
सानिया-क्या मैं जाय्न हो सकती हूँ?
महक-“क्यों नहीं डियर, तुम्हें कोई प्राब्लम तो नहीं है ना… अमन…”
अमन-बिल्कुल नहीं।
और सानिया भी अमन से चिपकके उसे किसिंग करने लगती है। थ्रीसम अमन को हमेशा से पसंद था। जैसे भी उसे एक रात में दो चूत चाहिए होती थी, पठान वो था। कहते हैं कि पठान का लण्ड ना थकता है, और ना झुकता है।
महक तो सुबह से ही पनिया गई थी और सानिया के दिमाग़ में अमन का लण्ड पहली नज़र में ही घर कर चुका था। दोनों बड़ी बेसब्री से अमन के लण्ड को अपने मुँह में और चूत के अंदर उतारना चाहती थीं। वो दोनों जल्दी से अमन को खड़े-खड़े ही नंगा कर देती हैं,
और खुद भी नंगी हो जाती हैं। तीनों एक दूसरे को मसल-मसलकर चूम रहे थे। अमन एक हाथ से सानिया की चूत सहला रहा था, तो दूसरे हाथ से महक की चुचियाँ दबा रहा था। महक और सानिया दोनों नीचे बैठ जाते हैं और अमन के लण्ड को, वो अब तक लगभग खड़ा हो चुका था, अपने मुँह में गटक जाती हैं।
महक-“गलप्प्प-गलप्प्प उंन्ह… गलप्प्प…”
सानिया-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”
वो दोनों बारी-बारी अमन के लण्ड को मुँह में लेकर चूस रही थीं। अमन को यकीन करना मुश्किल था कि ये दोनों औरतें जिनकी सोसाइटी में एक पहचान, एक इज़्ज़त है, वो ऐसे रंडियों की तरह उसका लण्ड अपने मुँह में खींच-खींचकर चूस रही थीं। ये चूत की आग ही थी, वो इन्हें ये करने पे मजबूर कर रही थी। अमन बुरी तरह सिसक उठता है। वो दोनों उसके लण्ड को और आंडे को मरोड़-मरोड़ के चूस रहे थे।
महक-“हाँ अह्म्मह… आज तेरा लौड़ा रहेगा या हमारी चूत… बहुत जान है ना तेरे लण्ड में… बता साले हम दोनों को गलप्प्प-गलप्प्प…”
सानिया-“महक, इसके लण्ड में बहुत ताकत है। इसके लण्ड का पानी हम अपनी बच्चेदानी में गिराकर उसका बीज अपनी चूत में बोएंगे अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प…”
अमन महक के बाल पकड़कर उसे बेड से टिका देता है। और उसके दोनों पैर चौड़े करके एक झटके में अपना लण्ड अंदर डालने लगता
है-“अह्म्मह… छिनाल… मेरा बच्चा जनेगी? अह्म्मह… अह्म्मह… ले तेरी चूत को चीर ना दूं तो मेरा नाम भी अमन ख़ान नहीं…” वो किसी हथौड़े की तरह चूत पे जोर-जोर से जार करने लगा था।
महक के चिल्लाने की कोई इंतेहा नहीं थी, न जाने वो कितने दिनों बाद चुद रही थी। उसकी चूत लगभग पैक हो चुकी थी-“अह्म्मह… हराम के लौड़े आराम से चोद… मेरी चूत है, पत्थर नहीं वो तू हथौड़े से कूट रहा है।
अह्म्मह… आराम से रे… अमन धीरे-धीरे चोद ना… अह्म्मह अम्मी… सानिया इससे बोल ना आराम से चोदे अह्म्मह…”
सानिया उसे आँखें फाड़े देख रही थी। उसने इससे पहले ये नज़ारा नहीं देखा था। कोई भला किसी को इतनी बेहरहमी से भी चोद सकता है? ये देख-देखकर उसकी चूत में पानी आने लगता है।
अमन-“छिनाल तू क्या देख रही है? इसके मुँह पे तेरी चूत लगा तो थोड़ा कम चिल्लाएगी ये हरामज़ादी…"
सानिया महक के मुँह के पास आकर बैठ जाती है। और अमन के धक्कों से महक के होंठ सानिया की चूत के पास पहुँच जाते हैं।
महक-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” करके किसी कुततया की तरह
सानिया की चूत पे टूट पड़ती है। वो इतने जोर से इसलिये चूस चाट रही थी। अमन का लण्ड उसकी चूत में कोहराम मचा रहा था। उसके संभालने के पहले ही अमन उसे बिखेर देता है। महक एक जोर की चीख के साथ झड़ जाती है।
पर अमन नहीं झड़ा था, वो सानिया के बाल पकड़कर उसे बेड पे सुला देता है, और उसके पैर मोड़कर उसकी चुचियों से भिड़ा देता है, जिससे सानिया की चूत बुरी तरह फैल जाती है।
अमन अपने लण्ड पे थूक लगाकर सानिया की नाज़ुक सी चूत में लण्ड पेलने लगता है-अह्म्मह… बच्चा चाहिए ना तुझे… मैं देता हूँ तुझे भी अह्म्मह… वो उसी तरह सानिया को चोदने लगता है, जैसे महक को चुद रहा था।
महक अमन के स्टैमिना और चोदने के अंदाज से इतने इंप्रेस हुई थी कि वो अमन के लण्ड की दीजानी हो चुकी थी। वो अपनी चूत को घिसते हुए टायलेट में घुस जाती है।
सानिया-“उंन्ह… अमन तेरे लण्ड ने मेरी चूत को चीर दिया रे अह्म्मह… कुत्ते क्या लण्ड है तेरा अह्म्मह… उंन्ह…
मेरी चूत का भुर्ता बना दिया रे हरामी अह्म्मह…” वो दोनों ऐसे गालियाँ दे रही थीं, जैसे कोई कालगर्ल हों। ये औरतों का तरीका होता है। ख़ूँखार मदों से जमकर चुदाई कराने का, चुदते हुए उन्हें गालियाँ दो तो वो तुम्हारी चूत को चोद-चोदकर भोसड़ा बना देते हैं। और यही इस वक्त सानिया कर रही थी।
अमन तो जैसे पसीने में बेहाल था, पर सानिया को चोदने में उसे अजीब सा नशा छा रहा था। उसकी चिकनी चूत और भरी हुए चुचियाँ उसे रजिया की याद दिला रही थीं। उसे लगने लगा था कि वो रजिया को चोद रहा है। जब वो जवान हुआ करती थी तो बिल्कुल सानिया जैसी लगती होगी। यही बात उसके लण्ड को झड़ने से रोक रही थी।
अमन ने सानिया और महक को दो बार और चोदा। ये चुदाई पूरे 3 घंटे चली। रात के 12:00 बज चुके थे और अमन का लण्ड ढीला पड़ चुका था, पर उसके दिल की मुराद पूरी हो चुकी थी।
महक अपनी चूत के साथ-साथ अपनी गाण्ड भी अमन को सौंप चुकी थी, इन 3 घंटों में।
वहीं सानिया दो बार चुदकर ही एक तरफ हो गई थी। उसे इतनी चुदाई की आदत नहीं थी।
अमन महक और सानिया को चूमते हुए अपने घर की तरफ निकल जाता है। उसे रजिया की फिकर हो रही थी। बैटरी डिस्चार्ज होने की वजह से वो परेशान हो गई होगी, क्योंकी अमन को काल लग नहीं रही थी। जब वो घर पहुँचा तो रात के 1:00 बज रहे थे।
रजिया गेट के पास उसका इंतजार कर रही थी । वो अमन को देखकर अंदर आ जाती है, और अमन के अंदर आने के बाद उससे कई सवाल करने लगती है।
पर अमन बुरी तरह थका हुआ था। वो रजिया के कुछ सवालों का जवाब देकर अपने रूम का रुख कर लेता है। आज रजिया को बिना लण्ड के ही सोना पड़ेगा।
सुबह अमन की आँख खुली तो उसने रजिया को उसके बेड पे लेटा हुआ पाया। वो जाग चुकी थी और अमन के बालों में प्यार से हाथ फेर रही थी।
अमन उसके गले में बाहें डालकर गुड मॉर्निंग कहता है। रजिया मुस्कुराते हुए जवाब देती है। पर उसके चेहरे पे एक किश्म की उदासी या चिंता के भाव साफ नज़र आ रहे थे, जिसे अमन पढ़ लेता है।
अमन-“क्या हुआ जानेमन परेशान लग रही हो?”
रजिया-“हाँ… कल ख़ान साहब का फोन आया था उन्होंने आपके अकाउंट में 5 करोड़ रूपये जमा करवाए हैं, और उनकी फ्लाइट सबेरे 11:00 बजे तक इंडिया पहुँच जाएगी…”
अमन-“ओह्म्मह… तो ये बात है। इसमें परेशान होने की क्या बात है। आने दे, मैं हूँ ना…” और अमन रजिया की नाइटी का बटन खोलकर उसकी चुचियाँ बाहर निकाल लेता
है। इस वक्त सबेरे के 8:00 बज रहे थे। मतलब उनके पास 3 घंटे थे। अमन इस मौके को गँवाना नहीं चाहता था क्योंकी ख़ान साहब के आने के बाद उन्हें दिन रात चुदाई का मौका नहीं मिलने वाला था।
रजिया तो रात से तड़प रही थी। उसे ठीक से नींद भी कहाँ आई थी। वो अमन की मदद करती है, और दोनों कुछ ही पलों में नंगे एक दूसरे की बाहों में चिपक जाते हैं। अमन-“आ जा मेरी रानी, अपने शौहर के नीचे आ जा…”
रजिया-“कल आपने मुझे चोदा भी नहीं। पता है, मैं ठीक से सो भी नहीं पाई…”
अमन-क्यूँ?
रजिया-“आपको पता है ना… मुझे चुदे बिना नींद नहीं आती…”
अमन-“ओह्म्मह… आइंदा ऐसी गलती नहीं होगी…” और वो रजिया की टाँगें खोलकर अपना लण्ड उसकी चूत की गहराईयों में उतारता चला जाता है।
रजिया नीचे से गाण्ड ऊपर उछालकर लण्ड अपनी चूत में समाती जाती है। वो दोनों चुपचाप अपनी सुबह की चुदाई का मज़ा ले रहे थे। रजिया चुदते हुए-“अह्म्मह… ख़ान साहब के आने के बाद आप मुझे रोज कैसे चोदोगे जी? उंन्ह… अह्म्मह…”
अमन-“तू मेरी बीवी है रजिया, और बीवी को रोज चोदना मेरा फर्ज़ है… तू फिकर मत कर मेरी जान, ये लौड़ा तेरी चूत में रोज जाएगा ही…”
रजिया-“हाँ हाँ मुझे रोज-रोज ऐसे ही चाहिए आपके नीचे। हाँ, मेरे पेट में आपका बच्चा पल रहा है जानू… उसे आपकी ताकत रोज चाहिए अह्म्मह… उंन्ह…”
अमन-“हाँ रजिया ऐसे ही। रजिया मुझे दूध कब पिलाएगी?” और वो रजिया की एक चूची मुँह में लेकर चूसने लगता है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”
रजिया-“बस… कुछ महीने बाद जानू… फिर आपको और आपके बच्चे को रोज दूध पिलाऊँगी नाआअ उंन्ह… अह्म्मह… आह्म्मह… आह्म्मह… इतनी जोर से अह्म्मह… आह्म्मह… आह्म्मह…”
ये अमन की मोहब्बत का ही असर था वो रजिया चुदते हुए झड़ती, फिर दुबारा तैयार हो जाती और अमन उसकी चूत में ही पानी निकालता चला जाता। वो 10:00 बजे तक अपनी चुदाई में बिजी रहते हैं। जब वहाँ अनुम आकर उनके पास बैठ जाती है, तब उन्हें होश आता है कि बहुत देर हो चुकी है।
अनुम अमन को देखते हुए-“अपनी जवान बीवी को भूल मत जाना…”
अमन उसकी चूची मसलते हुए-“तू कोई भूलने की चीज़ है क्या रानी?”
रजिया अपने चूत को सहलाते हुए नहाने बाथरूम में घुस जाती है। और अमन दूसरे बाथरूम में।
सुबह 11:00 बजे-
अमन टीवी देखते हुए नाश्ता कर रहा था। तभी आजतक न्यूज चैनेल पे उसे वो न्यूज दिखाई देती है, वो उसके हाथ से नाश्ते का निवाला गिरा देती है। जिसे सुनकर उसके पैरों के नीचे की ज़मीन खिसक जाती है। और पास में बैठी रजिया जोर से चिल्लाते हुए ज़मीन पे गिर जाती है।
आजतक चैनेल पे न्यूज थी कि सऊदी से आने वाला इंडियन एयरलाइन्स का विमान 9126 क्रेश हो गया है। और उसमें बैठे सभी यात्रियों की मौत हो गई है। ये हादसा तब हुआ जब विमान (प्लेन) लैंडिंग के लिये उतर रहा था कि अचानक प्लेन का लैंडिंग गियर सिस्टम फेल होने से वो सीधा दूसरे खड़े प्लेन से जा टकराया।
अमन और पूरे ख़ान परिवार के लिये ये वक्त बहुत मुश्किल था। दोनों परिवारों के मर्द दुनियाँ छोड़ चुके थे। सारी जिम्मेदारी अब अमन के कंधों पे थी और उसने ये बहुत अच्छे से निभानी थी।
महक के शौहर पाशा वापस आ चुके थे। पाशा ने अपनी फैक्टरी और शिमला वाला घर अमन को 3 करोण रूपये में बेच दिया। फैक्टरी का मालिक बनने के बाद अमन का सारा वक्त फैक्टरी और उससे जुड़े कामों में ही लगने लगा था। उसने पिछले 3 महीने से किसी को भी नहीं चोदा था। न जाने उसे क्या हो गया था। वो बस अपनी फैक्टरी और वहाँ से घर।
रजिया-समझ सकती थी कि अमन इस वक्त किस दौर से गुजर रहा है। जब किसी बच्चे के सिर से बाप का हाथ उठ जाता है, और उस बच्चे को पूरे परिवार की देख भाल करनी होती है। तब उस शख्स की वो हालत होती है, वही इस वक्त अमन की थी। बाप की मौत के बाद अमन के अंदर के मिचयोरिटी और काबिलियत सामने आई थी। उसे एहसास हुआ था कि घर की क्या-क्या जिम्मेदारियाँ होती हैं। दिन रात खानदान की औरतों को चोदने वाला अमन अब पूरी तरह बदल चुका था। अब उसे सेक्स पे काबू करना आ चुका था। उसके बात करने का अंदाज उसके रहन-सहन के तौर तरीके सब कुछ बदल चुके थे।
महक पाशा के साथ अमेरिका जा चुकी थी और साथ में अमन की निशानी भी साथ ले जा रही थी। उस बर्थ-डे वाली रात जब अमन ने महक और डाक्टर सानिया को चोदा था तो उसका ये असर हुआ था कि दोनों औरतें प्रेगनेंट हो गई थीं। महक बहुत खुश थी। उसकी जिंदगी की सबसे कीमती चीज़ उसे अमन से मिली थी।
वहीं डाक्टर सानिया भी अपने प्रेगनेंट होने से अमन का शुकिया अदा करती नहीं थकती थी। डाक्टर सानिया ने कई बार अमन से संपर्क करने की कोशिश की, पर अमन ने उससे दुबारा जिश्मानी संबंध नहीं बनाया।
अमन एक जानदार पठान था और पठानों की एक बात मशहूर है कि जिंदगी में कुछ ऐसा काम करो पठान कि जिस गली से गुजरो हर बच्चा कहे अब्बाजान, अब्बाजान, अब्बाजान।
रात 8:00 बजे-
जब अमन फैक्टरी से वापस घर आता है, वो सीधा अपने रूम में चला जाता है, और फ्रेश होकर डाइनिंग टेबल पे आकर बैठ जाता है, वहाँ अनुम और रजिया उसका इंतजार कर रही थीं।
अमन खाना खाते हुये-“मैं सोच रहा था कि रेहाना और फ़िज़ा भी हमारे साथ रहेंगे। चाचू के जाने के बाद हमें उनका खयाल रखना पड़ेगा…”
रजिया-“आप सही कह रहे हैं। मैं कल रेहाना और फ़िज़ा को ये बात बता दूँगी…”
अमन खाना खाने लगता है।
अनुम उससे कुछ पूछना चाहती है, पर पूछ नहीं पाती। अमन के खाना खाकर अपने रूम में जाने के बाद अनुम रजिया से पूछती है-“अम्मी चाची और फ़िज़ा यहाँ रहेंगी तो फिर?”
रजिया उसकी बात समझ चुकी थी। वो अनुम को धीरे से बताती है कि रेहाना और फ़िज़ा अमन से चुद चुकी हैं, कई बार। ये सुनकर पहले अनुम को धक्का सा लगता है। पर रजिया उसे समझा देती है। और उसे समझ में भी आ जाती है बात कि अमन इस खानदान का मर्द है। उसका हम सभी औरतों पे पूरा-पूरा हक है।
अनुम-“तो क्या अमन खाला को भी चोद चुका है?”
रजिया-“मुझे नहीं पता? चल आज अमन से पूछते है…”
अनुम-तो क्या आज?
रजिया-हाँ।
उन दोनों की चूची ऊपर नीचे होने लगती है। आज पूरे 3 महीने हो गये हैं, अमन ने रजिया और अनुम को नहीं चोदा। एक प्यासी चूत कब तक खुद पे काबू रख सकती है?
वही हाल अमन का भी था। उसे भी शिद्दत से रजिया और अनुम चाहिए थी। पर वो खुद से बोलने से कतरा रहा था। कुछ देर बाद रजिया और अनुम अमन के रूम में दाखिल होती हैं। जब रजिया और अनुम दोनों अमन के रूम में दाखिल हुए तो अमन अपने बेड पे लेटा हुआ लैपटाप पे कुछ काम कर रहा था। वो दोनों को एकसाथ देखकर लैपटाप बंद करके साइड में रख देता है।
रजिया-अमन क्या कर रहे हो?
अमन-“कुछ खास नहीं बस थोड़ा ओफिस वर्क…”
अनुम अमन के बगल में बैठ जाती है। और रजिया दूसरी तरफ।
अमन खामोश था पर साँसें तीनों की तेज थीं।
रजिया-“अमन, मैं जानती हूँ कि वो हमारे साथ हुआ वो बहुत बुरा हुआ। मैं पिछले तीन महीने से देख रही हूँ कि तुम फैक्टरी जाते हो और फिर अपने रूम में बंद हो जाते हो। तुम अपने अब्बू का सपना पूरा करना चाहते हो पर एक सबसे बड़ी जिम्मेदारी वो तुम नहीं पूरी कर रहे हो उसके बारे में भी थोड़ा सोचो ना…”
अमन-वो क्या?
रजिया अमन का हाथ अपने पेट पे लगा देती है-“इसका… ये तुम्हारा खून, वो मेरी कोख में पल रहा है। इसे तुम्हारे प्यार की ज़रूरत है। और अनुम ये भी मेरी तरह तुमसे बहुत प्यार करती है। इसे तुमसे बे-इंतेहा प्यार चाहिए। अब तुम इस घर के मर्द हो और हमारे भी। अपनी दोनों बीवियों को प्यार करो ना… हम तुम्हारे प्यार के बिना जी नहीं पाएंगे अमन…” और अनुम और रजिया अमन के सीने पे सर रख देती हैं।
अमन उन दोनों का चेहरा अपने करीब करता है-“तुम सही कह रही हो रजिया। मैं सबसे अहम जिम्मेदारी नहीं निभा रहा था। अपनी दोनों बीवियों का खयाल रखना और अपने आने वाले बच्चे का भी। आज के बाद तुम्हें मैं किसी किश्म की शिकायत का मौका नहीं दूँगा…”
फिर दोनों औरतें अमन के होंठों से चिपक जाती हैं। वो कई महीने के प्यासी थीं और उनकी प्यास अमन अपनी जीभ उनके मुँह में डालकर बुझा रहा था। रजिया अनुम की नाइटी उतारने लगती है, और साथ में खुद भी नंगी हो जाती है।
gif upload site अनुम अमन के सिर को चूमते हुये नीचे सरकती चली जाती है, और अंडरवेअर के पास पहुँचकर उसे नीचे उतार देती है। अमन का लण्ड थोड़ा टाइट था, बाकी उसे करना था। वो एक अच्छी बीवी की तरह अपने शौहर के लण्ड को अपने होंठों से चूमती है। और फिर उसपे जीभ फिराकर उसे अपने मुँह में भर लेती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”
अमन रजिया को इशारे से अपने मुँह पे बैठने को कहता है, तो रजिया अपनी दोनों टाँगें खोलकर अमन के होंठों पे अपनी चूत लगा देती है। अमन अपनी लंबी जीभ को बाहर निकालकर रजिया की सूखी चूत में डालने लगता है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”
bbcode image रजिया की चूत कई दिनों के बाद अपने साजन के चूमने से सिहर उठती है, और उसमें चिंगारियाँ जलने लगती हैं-“उंह्म्मह… आह्म्मह… आह्म्मह… उंह्म्मह…”
अमन के दाँत रजिया की क्लटोरिस को कुरेदने लगते हैं, जिससे रजिया की चूत की फांकें पूरी तरह खुल सी जाती हैं। अमन बुरी तरह से रजिया की चूत चाट रहा था, क्योंकी उसके लण्ड को अनुम अपने गले तक उतार के चूस रही थी-अह्म्मह… आराम से कर अनुम अह्म्मह…”
अनुम-“नहीं, मुझे आज मत रोको ना जी… गलप्प्प-गलप्प्प उंन्ह… प्यासी है आपकी बीवी… गलप्प्प उंन्ह… पीने दो ना अपना पानी गलप्प्प…”
अमन-“मुझे पेशाब करके आने दे अह्म्मह…”
अनुम-“मेरे मुँह में करो अह्म्मह… मुझे पीना है…”
अनुम की ये बात सुनकर रजिया भी अमन के मुँह से उतरकर अमन के लण्ड के पास आ जाती है, और अमन के मूसल लण्ड को अनुम के मुँह से निकालकर अपने मुँह में भर लेती है-“गलप्प्प-गलप्प्प… अब मूतो जानू गलप्प्प…”
अनुम-“अम्मी मुझे भी पीना है। गलप्प्प-गलप्प्प…”
अमन-“अह्म्मह…” दोनों का सर पकड़कर पेशाब करने लगता है।
रजिया और अनुम बारी-बारी अपने मुँह में लण्ड डाल-डालकर अमन का सारा पेशाब पी जाती हैं-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”
अमन का लण्ड खड़ा था और सामने दो चूतें उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थीं।
रजिया अमन से कहती है कि अनुम की चूत में पहले डालो।
वो जानती थी कि अगर अमन झड़ गया तो उसके लण्ड को वो दुबारा खड़ा कर देगी और फिर दूसरी बार अमन जल्दी नहीं झड़ता। अनुभव हमेशा काम आता है।
अमन अनुम के पैर चौड़े करके उसे अपने कंधे पे रख लेता है, और रजिया अनुम के होंठ चूसने लगती है। अनुम को तो बस इंतजार था उस जोरदार धक्के का वो उसकी सोई हुई चूत को हमेशा के लिये जगा दे, और वो पूरा हो जाता है। क्योंकी अमन ने इतनी जोर से धक्का मारा था कि रजिया भी डर सी गई थी और अनुम सिसक उठी थी। ये डर उसे जिंदगी की सारी खुशियों से प्यारा था।
अनुम-“उंह्म्मह… अम्मी अह्म्मह…” वो सिसक रही थी और अमन आज पहली बार उसे बड़े प्यार से अपनी बीवी समझकर चोद रहा था। वो भी रजिया के साथ-साथ अनुम की एक चूची चूसने लगता है।
हमेशा औरतों को किसी बाजारू रंडी की तरह चोदने वाला अमन, आज अनुम को ऐसे अंदाज में चोद रहा था जैसे वो कोई काँच की बनी हुई चीज़ हो और अमन की जबरदस्ती से टूट सकती है।
अनुम अपनी कमर ऊपर उठा-उठाकर लण्ड को चूत की गहराईयों में ले रही थी-“अह्म्मह… उंह्म्मह… आह्म्मह… ऐसे ही… आ…आपका लण्ड मेरी बच्चेदानी को चुभ रहा है। आह्म्मह… अह्म्मह… अम्मी मेरी चूत उंह्म्मह…”
रजिया अनुम की चूची को मसलते हुये-“हाँ बेटी चोदने दे इन्हें, अपने गाण्ड ऐसे ऊपर उठा…” और रजिया अनुम की गाण्ड के नीचे हाथ डालकर उसे अमन के लण्ड की तरफ बढ़ाने लगती है।
अमन की रफ़्तार तेज होने लगी थी। वो अपनी जवान बहन, वो अब उसकी बीवी थी, उसकी चूत की अकड़न से मस्त होता जा रहा था। और अनुम इस दौरान एक बार झड़ चुकी थी, जिससे उसकी चूत बहुत चिकनी हो चुकी थी और अमन बड़ी आसानी से अपने लण्ड को उसकी चूत की गहराईयों में धकेलता चला जा रहा था। वो रजिया की चूची मसलता और रजिया अमन के आंड को मरोड़ती और तीनों अपनी नई जिंदगी का मज़ा लेते हुये बहुत खुश थे।
अनुम एक चीख के साथ अपनी गाण्ड ऊपर तक उठा लेती है। उसकी चूत से एक तेज धार बाहर निकलती है, जिसे अमन और रजिया दोनों मिलकर चाटने लगते हैं-“गलप्प्प-गलप्प्प…” अनुम का जिस्म झड़ने से और फिर इन दोनों का चाटने से बुरी तरह काँपने लगता है।
अमन का पानी नहीं निकला था और रजिया तैयार थी। वो जल्दी से अमन को अपने ऊपर खींच लेती है-“अह्म्मह डालो ना जी…”
upload अमन बिना देरी किए अपना मूसल लण्ड रजिया की चूत में डालने लगता है। दोनों माँ-बेटे एक दूसरे को बाहों में कसे हुए थे और अमन की गाण्ड ऊपर से और रजिया की गाण्ड नीचे से हिल रही थी। अमन जब भी रजिया को चोदता था उसे सबसे ज्यादा आनंद महसूस होता था। उसे हमेशा ये लगता कि जिस चूत से वो निकला था, उसी चूत को वो चोद रहा है-“
अह्म्मह… रजिया मेरी जान अह्म्मह… मुझे तेरी इस चूत की बहुत याद आती है। अह्म्मह… अब मैं तुझे रोज चोदूंगा…”
रजिया-“हाँ, मैं भी बिना खाने के रह सकती हूँ, पर तुम्हारे लौड़े के बिना एक पल भी नहीं। हमारे बच्चे को तुम्हारे लौड़े के पानी की बहुत ज़रूरत है। आह्म्मह… आह्… जानू, मुझे रात दिन चोदो। हाँ, मैं डिलेवरी तक चुदना चाहती हूँ… ताकी आपका बच्चा आसानी से मेरी चूत से बाहर निकले उंन्ह…
अमन हांफता हुआ-“
अह्म्मह… हाँ रज्जो मेरी जानन्… मैं चोदूंगा आज से तुझे, हाँ दिन रात मेरी जान्… ऊऊओह्म्मह… तेरी चूत कभी भी तरसेगी नहीं मेरे लण्ड के लिये अह्म्मह…”
दोनों माँ-बेटे 30 मिनट तक एक दूसरे से चिपके अपने जिस्म की प्यास मिटाते हैं।
अनुम ये देखकर हैरान थी कि उसकी अम्मी अमन से कितना प्यार करती है। आज तक तो सिर्फ़ वो ये समझती थी कि वो ही अमन से सच्ची मोहब्बत करती है। पर इन दोनों की लगातार चुदाई और मोहब्बत भरी बातों से उसकी चूत की आग भड़कने लगती है, और वो दुबारा अमन के नीचे आना चाहती है।
पर अमन तो रजिया के होंठ उसकी चूची और चूत का दीवाना था। एक बार जब वो रजिया के ऊपर चढ़ जाता तो उसे बस रजिया दिखाई देती और कोई नहीं। ऐसे ही जबरदस्त चुदाई की वजह से रजिया और अमन दोनों एक साथ झड़ने लगते हैं, और एक दूसरे को चूमते चले जाते हैं।
अमन का लण्ड जब रजिया की चूत से बाहर निकलता है तो अनुम उसपे टूट पड़ती है। वो काफी देर से इन दोनों की चुदाई से पनिया गई थी। वो अपनी दोनों चुचियों के बीच में अमन के लण्ड को लेकर आगे पीछे करने लगती है।
अमन-“अह्म्मह… तू सच में पागल हो गई है अनुम…”
अनुम-“हाँ, आपकी बीवी आपके प्यार में पागल है…” और वो अमन के लण्ड पे अपना सलाइवा गिराकर उसे अपने मुँह में डाल लेती है। अमन के लण्ड पे रजिया की चूत का पानी भी लगा हुआ था जिसे चाट-चाटकर अनुम को और मज़ा आने लगता है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” वो अमन के लण्ड को 10 मिनट में ही फिर से तैयार कर देती है।
अमन पानी पीने के लिये किचिन की तरफ चला जाता है। अनुम और रजिया एक दूसरे की बाहों में चिपकी हुई थीं तभी रजिया अनुम की गाण्ड पे हाथ फेरती है-“यहाँ लेगी क्या अनुम?”
अनुम चौंकते हुये-“नहीं अम्मी, मेरी छोटी से गाण्ड में इनका लण्ड कैसे जाएगा?”
रजिया अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड में डाल देती है। जिससे अनुम अपनी गाण्ड ऊपर उछालने लगती है।
अनुम-“उंह्म्मह… अम्मी क्या कर रहे हैं आप?”
रजिया-“बेटी, हमारे जानू को गाण्ड मारने का बहुत शौक है। वो तो अक्सर मेरी लेते हैं। पीछे से तू भी लेकर देख, तू भी दीवानी हो जाएगी…”
अनुम-“उंन्ह… अम्मी दर्द होगा ना?”
रजिया-“बेटी, जब तक एक औरत अपने शौहर का लौड़ा अपने तीनों सुराखों में नहीं लेती, वो पूरी तरह से अपने शौहर की नहीं होती…”
अनुम-सच्ची अम्मी।
रजिया-“हाँ बेटी… ला मैं तेरी गाण्ड की तेल से पहले मालिश कर देती हूँ…” और रजिया सामने पड़ी हुई तेल की बोटेल से तेल निकालकर अनुम की गाण्ड की अच्छे से मालिश करने लगती है। वो दो उंगालियाँ तेल में भिगा के उसकी गाण्ड में डाल देती है। पच्च के आवाज़ के साथ दोनों उंगलियाँ अनुम की गाण्ड की दीजारें चीरती हुई अंदर चली जाती हैं।
अनुम को एक नया सा एहसास होने लगता है-“उंन्ह… ओह्म्मह… अम्मी आपकी दो उंगलियों ने मेरी गाण्ड में दर्द कर दिया है, तो उनका कैसे? अह्म्मह…”
वो कुछ बोलने वाली थी कि अमन का जोर का थप्पड़ अनुम की गाण्ड पे पड़ता है। अनुम मारे दर्द के औउच… करती हुई अमन की तरफ देखने लगती है। वो अमन की तरफ बढ़ने वाली थी कि रजिया और अमन दोनों मिलकर अनुम की गाण्ड पे थप्पड़ों की बरसात कर देते हैं। पूरे रूम में सटासट-सटासट की आवाज़ें गूँजनी लगती है।
अमन-“अनुम, पहले थोड़ा दर्द होगा, तू बर्दाश्त कर लेगी ना?”
अनुम-“हाँ जानू, आपका हर दर्द मुझे कुबूल है। मेरी फिकर ना करो बस डाल दो…” कहीं ना कहीं अनुम का भी दिल अमन के लण्ड को अपनी गाण्ड में लेने का हो रहा था। ऊपर से रजिया की बात उसे याद आ रही थी। वो अमन की थी और उसे इस बात का सबूत देना था।
अमन अपने लण्ड को अनुम की छोटी सी गाण्ड के सुराख पे लगाकर धकेलने लगता है-“अह्म्मह… ऊऊह्म्मह… रजिया, अनुम की बहुत छोटी है…” वो रजिया की तरफ देखते हुये कहता है।
रजिया-“तो क्या मैं मोहल्ले वालों से गाण्ड मरवाती थी? जब पहली बार आपने मेरी गाण्ड मारी थी तब मेरी भी ऐसी ही छोटी थी। देर मत करो और लगा दो मोहर…”
अमन की आँखें लाल हो गई थीं। वो दोनों हाथों से अनुम को पतली सी कमर पकड़कर पूरी ताकत से लण्ड अंदर पेलने लगता है। उसे कोई परवाह नहीं थी कि अनुम कितनी जोर से चिल्ला रही है।
रजिया-अनुम की दोनों चूची, वो नीचे हवा में लटक रही थी, अपने हाथों में लेकर सहलाने लगती है, और अनुम के होंठ चूसने लगती है। जिससे अनुम को दर्द का एहसास ना हो।
अमन गपागप अपना लण्ड अनुम की गाण्ड में पेलने लगता है। पहले-पहले उसे थोड़ी रुकावट का सामना करना पड़ा, पर थोड़ी देर बाद बड़ी आसानी से अमन अनुम की गाण्ड मार रहा था और उसे इसमें बहुत मज़ा भी आ रहा था-“अह्म्मह… ऊहूँ अह्म्मह… तेरी गाण्ड भी रजिया की तरह है अनुम अह्म्मह… मेरी जवान बीवी तेरी माँ को चोदूं अह्म्मह… ले ले अपने मर्द का लण्ड… तेरी गाण्ड पे भी मेरी मोहर लग गई है। अह्म्मह…”
उस रात अमन ने अनुम को एक बार और रजिया को दो बार और चोदा। उनकी चुदाई सुबह के 6:00 बजे तक चली। दोनों औरतें अमन की छाती से चिपकी सो गईं।
सुबह 8:00 बजे- अमन की आँख फोन के बजने से खुल जाती है। जब वो फोन रिसीव करता है, तो खामोश सा हो जाता है। दूसरी तरफ अमन के मामू थे। वो अमन से कहते हैं कि दिलावर ख़ान, अमन के नानू की तबीयत रात में खराब हो गई थी। इसलिये उन्हें हॉस्पीटल लाना पड़ा। इसलिये अमन को हॉस्पीटल बुला रहे थे। उन्होंने कहा कि ये बात रजिया और अनुम को ना बताई जाए। वो लोग पहले ही परेशान हैं।
अमन-फ्रेश होकर हॉस्पीटल के लिये निकलने लगता है।
अनुम और रजिया बेड पे पड़ी थीं। दोनों जाग चुकी थी और अमन को ऐसे जल्दी में जाता देखकर रजिया पूछ बैठीं-“सुनिए, कहाँ जा रहे हैं आप?
अमन-“वो फैक्टरी में कुछ अर्जेंट काम है। मैं अभी आता हूँ…” और वो कार की चाबियाँ लेकर हॉस्पीटल के लिये निकल जाता है।
रजिया और अनुम एक दूसरे से अभी भी नंगी चिपकी हुई थीं।
अनुम-“अम्मी, मैं प्रेग्गनेन्सी की टेबलेट लेना बंद कर दूं?”
रजिया उसे सहलाते हुए-“नहीं बेटी अभी नहीं। जल्द ही तू भी उनके बच्चे की माँ बनेगी। पर हमें कोई जल्दबाज़ी नहीं करनी है, जिससे हमारे खानदान का नाम खराब हो। तू समझ रही है ना?”
अनुम-? ज…जी अम्मी। आप मेरी सबसे अच्छी अम्मी हैं…”
रजिया-“हाँ, और तू मेरी बहू भी है और सौतन भी…” दोनों हँसते हुए एक दूसरे को चूमते चली जाती हैं, और ये लेज्बियन सेक्स अगले दो घंटे तक चलता रहता है।
जब अमन हॉस्पीटल पहुँचता है। तो उसे उसके मामू बाहर मिलते है। वो अमन को बताते हैं कि अब नानू की तबीयत ठीक है। रात में हीना, अमन की खाला आ गई थी। अमन रूम की तरफ बढ़ जाता है, वहाँ दिलावर ख़ान थे। वो दरवाजे तक पहुँचा ही था कि उसके पैर कुछ ऐसी आवाज़ सुनकर रुक से गये।
दिलावर ख़ान-“हीना, मेरी बच्ची, मेरी जान, मैंने तेरे लिये कुछ नहीं किया। वो हुआ वो सब किस्मत का खेल था…”
हीना-“अब्बू, अपने मुझे शीबा देकर मुझ पे बहुत बड़ा एहसान किया है। वरना मेरी कोख हमेशा सूनी रहती। शीबा के अब्बू तो मुझे तलाक देना चाहते थे। पर अगर उस वक्त आप मुझे माँ नहीं बनाते तो आज मैं मर गई होती…” दिलावर ख़ान-अपने आँसू पोछते हुये-“वो हुआ वो राज हमारे बीच है। वो किसी को पता नहीं चलना चाहिए…”
हीना-“जी अब्बू, पर एक भांजा अपनी खाला के साथ शादी कैसे?”
दिलावर ख़ान-“शीबा को तूने जनम दिया है। हाँ ये बात और है कि तुझे प्रेग्गनेंट मैंने किया था। पर वो अमन की खाला नहीं, बल्की कजिन हुई। तू क्यूँ फिकर करती है? ये बात सिर्फ़ तू और मैं जानते हैं…”
अमन खांसता हुआ रूम में दाखिल होता है। उसे देखकर दोनों अपनी बात बदल देते हैं। दिलावर ख़ान का हाल चाल पूछने के बाद उनसे इधर-उधर की बातें करने के एक घंटे बाद अमन उनसे घर जाने की इजाजत लेता है।
दिलावर ख़ान-“अच्छा बेटा तुम जाओ, तुम्हारे मामू ने खामखाह तुम्हें तकलीफ दी सुबह-सुबह…”
अमन दिल में-“अगर वो मुझे तकलीफ ना देते तो इतना बड़ा राज मुझे कैसे पता चलता?” और वो बाहर जाने लगता है।
तभी दिलावर ख़ान उसे कहते हैं के हीना को भी साथ ले जाओ ये बेचारी भी कल रात से मेरी खिदमत कर रही है।
फिर अमन हीना को लेकर घर की तरफ निकल जाता है। वो पूरे रास्ते हीना से बात नहीं करता। जब अमन हीना के घर पहुँचा तो सुबह के 10:00 बज रहे थे। शीबा ट्यूशन जा चुकी थी। अमन सोफे पे बैठ जाता है। और हीना उसके पास आकर बैठ जाती है।
हीना-क्या बात है अमन बेटा, चुप-चुप सा है?
अमन हीना की आँखों में घुरते हुये देखता है और कहता है-“खाला, मैं ये शादी नहीं कर सकता…”
अमन की ये बात हीना के पैरों के नीचे के ज़मीन खिसका देती है। उसे अपने कानों पे यकीन नहीं होता कि अमन ऐसा कैसे कह सकता है-“अमन बेटा, क्या हुआ? क्या कोई गलती हुई मुझसे या शीबा से? तुम ऐसा क्यूँ कह रहे हो बेटा? बोलो, जवाब दो तुम शादी से इनकार कैसे कर सकते हो अमन बेटा?” बेबसी और उलझन के मिले जुले असर हीना के चेहरे पे साफ बयान हो रही थी।
अमन-शीबा किसकी बेटी है?
हीना-“क्या मतलब?” उसके माथे की शिकन बता रही थी कि वो बात समझने लगी थी। वो काँपते होंठों से सिर नीचे झुकाकर धीमी आवाज़ में अमन से कहती है-“मेरी…”
अमन-“मैंने पूछा उसका बाप कौन है?” अमन की गुर्राने वाली आवाज़ मानो ऐसी लग रही थी जैसे कोई शेर जंगल में अपनी हुकूमत जताने के लिये दहाड़ रहा हो। जब हीना कोई जवाब नहीं देती तो वो उसके बाल पकड़कर खींचता है-“हराम की औलाद है क्या शीबा?”
हीना से ये जुमला ना-काबिल-ए-बर्दाश्त था। पर अमन का गुस्सैल चेहरा उसे अंदर तक डरा चुका था। उसने इससे पहले अमन का ये रूप नहीं देखा था। वो रो पड़ती है।
अमन उसके बाल छोड़ देता है, और उसके सामने बैठ जाता है। हीना काफी देर सिसकती रहती है। पर अमन उसे नहीं समझता।
जब आश्चय़ वाले बादल छट जाते हैं, तब हीना थोड़ा अच्छा महसूस करती है, और अपना चेहरा ऊपर उठाती है। उसे पता चल चुका था कि अमन शायद उसकी और दिलावर ख़ान के बीच की बात सुन चुका है। और ये उसी अमन का रेडी अमन है। अमन उसे अपने चेहरे को ताकता देखकर फिर से पूछता है-“खाला, शीबा किसकी बेटी है?”
हीना-“तुम जानते हो अमन वो किसकी बेटी है। तो क्यूँ पूछ रहे हो?” अगर तुम सुनना ही चाहते हो तो सुनो… वो तुम्हारे नाना जान की बेटी है…”
अमन वहाँ से जाने के लिये खड़ा हो जाता है। पर हीना की आवाज़ उसके पैर रोक देती है।
हीना-“जब तुम्हें ये राज पता चल ही गया है, तो ये नहीं जानना चाहोगे कि मैंने ऐसा क्यूँ किया?”
अमन ताना देने के अंदाज में-“खाला, जिस्म की हवस इंसान को जानवर बना देती है…”
हीना बुरी तरह गुस्से में आ जाती है। आख़िरकार अमन ने उसके करक्टर को लेकर ताना दिया था-“मैं कोई बाजारू औरत नहीं हूँ अमन, वो तुम मुझे ऐसे कह रहे हो। मेरी मजबूरी थी। मैं जिस्म की हवस मिटने के लिये तुम्हारे नाना के नीचे नहीं सोई थी…”
अमन-“खाला, क्या वजह हो सकती है? ज़रा मैं भी तो सुनूं…”
हीना-“तुम सुनना चाहते हो ना तो सुनो…”
ये आज से 19 साल पहले की बात है। मेरी शादी को पूरा एक साल हो चुका था, पर मुझे कोई औलाद नहीं थी। तुम्हारे खालू मुझे प्यार करते थे, पर उस प्यार में वो दम नहीं था वो एक औरत को माँ बना दे। एक दिन मैंने तुम्हारे खालू की अम्मी, मेरी सास को ये कहते हुए सुना कि मैं बांझ हूँ और वो तुम्हारे खालू की दूसरी शादी करवाना चाहती हैं। ये बात मुझे अंदर तक तोड़ गई। मेरी मोहब्बत, मेरा भरोसा वो मैं तुम्हारे खालू पे करती थी वो खतम हो गया।
मैं अपने मायके चली गई वहाँ तुम्हारे नाना ने मुझे बहुत समझाया कि मैं समझदारी से काम लूँ। उस वक्त तुम्हारी नानी भी जिंदा थी। मुझे अच्छी तरह याद है। उस रात मैं अपने रूम में सोई हुई थी। चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। अचानक मुझे किसी के कदमों की आवाज़ सुनाई दी।
मैंने जब सामने देखा तो तुम्हारी नानी और नाना मेरे सामने खड़े थे। उस रात तुम्हारी नानी ने मेरे पूरे जिस्म की मालिश की और मुझे नहलाया भी। उसके बाद जब मैं रूम में आई तो पूरा रूम फूलों की पंखुड़ियों से सज़ा हुआ था और बेड पे भी ढेर सारे फूल थे।
मैंने अम्मी यानी तुम्हारी नानी से पूछा कि ये सब क्या है?
तब उन्होंने मुझसे वो बात कही वो मैंने ख्वाब में भी नहीं सोची थी। उन्होंने मुझसे कहा कि आज से लेकर पूरे अगले 15 दिनों तक मैं और तुम्हारे नाना यहीं इस रूम में रहेंगे, बिना कपड़ों के। कोई हमें परेशान नहीं केरेगा और इन 15 दिनों में तुम्हारे नाना मुझे प्रेगनेंट करेंगे। और 16 वें दिन वो मुझे मेरी ससुराल छोड़कर आएंगे, वहाँ मुझे कुछ रातें अपने शौहर, यानी कि तुम्हारे खालू के साथ गुजारनी होंगी। उसके बाद उन्हें ये एहसास दिलाना होगा कि तुम्हारे खालू ने मुझे प्रेगनेंट किया है।
अमन ये सब सुनकर एकदम खामोश हो चुका था। उसका गुस्सा गायब हो चुका था और एक नया बदलाव ये हुआ था कि उसका लण्ड पैंट में तंबू हो गया था। वो सोफे पे बैठ जाता है, और हीना का हाथ पकड़कर उसे अपने पास खींच लेता है। और पूछता है-आगे क्या हुआ?
हीना-मतलब… मैं प्रेगनेंट कैसे हुई?
अमन-“सब कुछ साफ-साफ सुनना है मुझे, तभी मैं अपना फैसला बदलने के बारे में सोचूँगा…”
अमन की आवाज़ हीना की समझ में आ चुकी थी। वो जान गई थी कि अमन क्या सुनना चाहता है? और वो भी उसे सब कुछ खुलकर बताना चाहती थी। पर इस वक्त शीबा के आने का वक्त हो गया था। वो अमन की आँखों में देखती है, और धीरे से कहती है-“अगर तुम सब सुनना चाहते हो तो तुम्हें आज रात यहाँ आना होगा। मैं तुम्हें सब कुछ सच-सच बताऊँगी कि कैसे मैंने अपनी जिंदगी के वो 15 दिन काटे? अभी शीबा आती ही होगी…”
अमन कुछ सोचते हुए-“ठीक है। मैं रात 8:00 बजे आऊँगा और साथ में नींद की टेबलेट भी लाऊँगा, ताकी तुम शीबा को सुलाकर मुझे अच्छे से सुना सको…” दोनों के आँखों में एक अजीब सी चमक थी और दिल-ए-नादान भी धड़कना भूलकर मचलने लगा था।
हीना उससे कहती है-तुम क्या सब कुछ सुनना चाहते हो?
अमन-हाँ।
हीना-“मुझमें कई राज हैं बतलाऊँ क्या? मुद्दतों से बंद हूँ, खुल जाऊँ क्या?”
अमन मुस्कुराता हुआ वहाँ से चला जाता है, और हीना को एक नया दर्द दे जाता है। उसे ये एहसास तो हो गया था कि शायद अमन अब शीबा से शादी के लिये इनकार ना करे। पर अब उसे एक और डर सताने लगा था कि कहीं अमन सब सुनने के बाद??
जब अमन घर पहुँचा तो रजिया खाना बना रही थी और अनुम अपने रूम में सोई हुए थी, रात की थकी हुई वो थी बेचारी।
अमन रजिया को पीछे से पकड़ते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी चूची मसलने लगता है।
रजिया-“ऊऔउच… क्या जी डर गई ना मैं? अह्म्मह… चुभता है ना…”
अमन-“ह्म्मम्म्म्म… क्या मेरी जान?
रजिया-“आपका ए॰के॰47…”
अमन हँसते हुए रजिया का ब्लाउज खोलने लगता है-“तुझे कितनी बार कहा मैंने कि घर में ये सब नहीं पहना कर…”
रजिया-“अच्छा बाबा, अब नहीं पहनूंगी…”
अमन रजिया की ब्लाउज और साड़ी दोनों खोल देता है, और उसे सिर्फ़ लहंगे और पैंटी में खाना पकाने देता है। रजिया ऊपर से पूरी नंगी थी।
उसकी चूत में सरसराहट सी होती है। और वो अमन को अपने से खींचकर चिपका लेती है। और अमन के कानों में धीरे से कहती है-“हैपी वेलेनटाइन डे जानू…”
अमन भी ये सुनकर उसे अपनी बाहों में समेट लेता है। और दोनों लव बड़्स देखते ही देखते पूरे नंगे हो जाते हैं। अमन रजिया को किचिन की शेल्फ से खड़ा कर देता है। और उसे झुकाकर पीछे से अपना खड़ा लण्ड उसकी चूत में पेल देता है।
रजिया-“अह्म्मह… आराम से ना जी…” और चिल्लाने लगती है-“अह्म्मह… ओये अम्मी जी अह्म्मह… उंह्म्मह…”
अमन पे तो जैसे हीना की बातों का भूत सवार था वो सटासट-सटासट रजिया की चिल्लाने की परवाह किए बिना अपने लण्ड को रजिया की चूत की गहराईयों में उतारने लगता
है-“अह्म्मह… चोदने दे ना मेरी जान अह्म्मह… हमारे बेटे को इसकी ज़रूरत है… हाँ अह्म्मह…” उसके धक्कों की रफ़्तार तेज होने लगती है, और 10 मिनट बाद दोनों माँ-बेटे एक साथ झड़ने लगते हैं।
जब वो अपने साँसें संभालकर दरवाजे की तरफ देखते हैं तो हैरान रह जाते हैं। सामने रेहाना और फ़िज़ा खड़ी थीं। सामने खड़ी रेहाना और फ़िज़ा के चेहरे पे एक अजीब सी खुशी थी।
अमन रेहाना को आवाज़ देकर अपने पास बुलाता है।
रजिया अभी भी नंगी अमन से चिपकी हुई थी।
रेहाना अमन के पास आ जाती है। अमन उसे अपनी छाती से चिपका लेता है, एक तरफ रजिया और दूसरी तरफ रेहाना। दोनों औरतें अमन की आँखों में देखने लगती हैं। ये एक ऐसा मंज़र था वो हर किसी को नशीब नहीं होता। अमन वो खुश-किस्मत इंसान था जिसे अपने ही घर में वो सारी खुशियाँ मिली थीं, वो शायद बहुत काम लोगों को नशीब होती हैं।
अमन रजिया और रेहाना को अपनी चौड़ी छाती से और जोर से चिपका लेता है, और धीरे से पहले रजिया और फिर रेहाना के होंठों को चूमता है-“आज से तुम सभी मेरी अमानत हो। आज से रेहाना तू और फ़िज़ा यहीं हमारे साथ रहोगी इसी घर में। तुम देख चुकी हो कि रजिया और मेरे बीच कौन सा रिश्ता है? अब तुम्हें एक दूसरे से शरमाने की ज़रूरत नहीं है। बस सभी प्यार से रहो और एक दूसरे की ज़रूरत का खयाल रखो। ठीक है ना… रजिया?”
रजिया रेहाना की आँखों में देखते हुए-“जैसा आप कहें जानू…”
और रेहाना भी इकरार में सर हिला देती है।
अमन फ्रेश होकर फैक्टरी चला जाता है।
फिर रजिया के रूम में चारों औरतें बैठकर बातें करने लगती हैं। अभी थोड़ी झिझक बाकी थी। जब तक अमन इन चारों को एक साथ एक बिस्तर पे नहीं चोदता, तब तक ये एक दूसरे से खुलकर बातें नहीं कर सकती थीं और सभी को इसी रात का इंतजार था।
अमन का दिल फैक्टरी में नहीं लग रहा था। उसे रह-रहकर हीना की बातें याद आ रही थी। वो हीना के सेल पे रिंग करता है।
हीना-हेलो।
अमन-कैसी हो खाला जान?
हीना-ठीक हूँ अमन।
अमन-“सुनो, मैं थोड़ी देर में वहाँ आ रहा हूँ। शीबा क्या कर रही है?”
हीना-वो पढ़ाई कर रही है।
अमन-“इस वक्त 7:00 बजे रहे है। मैं एक घंटे में वहाँ पहुँचूंगा। ठीक है ना?”
हीना-“ओके…” हीना का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। वो अपने रूम में जाकर एक बेड पे बैठ जाती है। उसे अमन ने ऐसे कहा था कि मैं एक घंटे में आ रहा हूँ। जैसे वो आकर हीना को चोदेगा। वो अलमारी में कुछ ढूँढ़ने लगती है। तभी उसे वो मिल जाता है, जिसे देखकर उसकी आँखें चमक जाती हैं।
अमन फैक्टरी से निकलकर मेडिकल शाप पहुँचता है। और वहाँ से नींद की टेबलेट लेकर हीना के घर की तरफ निकल जाता है। जब वो हीना के घर पहुँचता है, तब 8:00 बज रहे थे।
दरवाजा शीबा खोलती है, और इस वक्त अमन को यहाँ देखकर थोड़ा चकित हो जाती है। फिर उसे खयाल आता है, और वो दरवाजे के सामने से हटकर अमन को अंदर आने देती है।
शीबा के चेहरे पे हया के बादल छाये हुए थे।
अमन-कैसी हो?
शीबा-जी ठीक हूँ। आप कैसे हैं?
अमन-एकदम ठीक। खाला कहाँ हैं?
शीबा-जी वो शायद किचिन में होंगी। आप बैठिए मैं अम्मी को बुलाकर लाती हूँ।
अमन सोफे पे बैठ जाता है। कुछ देर बाद हीना और शीबा वहाँ आती है। दोनों के दिल की धड़कनें तेज थीं। पर वजह अलग-अलग थी। कुछ देर इधर-उधर की बातें करने के बाद शीबा अपने रूम में चली जाती है। उसे वहाँ अमन के सामने शरम आ रही थी।
अमन शीबा के जाने के बाद वो नींद वाली टेबलेट हीना को थमा देता है-“इसे शीबा के दूध में मिलाकर उसे देकर आओ…”
हीना किसी वफ़ादार नौकरानी की तरह ऐसा ही करती है।
शीबा को दूध पिये आधा घंटा हो चुका था। जब अमन शीबा के रूम में जाकर देखता है तो वो गहरी नींद में सो चुकी थी। उसके चेहरे पे उसकी जुल्फे बिखरी हुई थीं। अमन को उसपे बहुत प्यार आता है, और वो झुकके शीबा के होंठों को चूम लेता है।
तभी पीछे से हीना के खखारने की आवाज़ आती है।
अमन हीना को मुस्कुराकर देखता है, और दोनों हीना के रूम की तरफ चल देते हैं। रूम में पहुँचकर अमन दरवाजा बंद कर देता है, और बेड पे ठीक से बैठ जाता है। हीना अभी भी सामने खड़ी थी। अमन उसे बेड पे बैठने के लिये कहता है। और हीना धड़कते दिल के साथ बेड के एक कोने पे बैठ जाती है। ये मसचुयेशन थोड़ी आकवर्ड सी महसूस हो रही थी हीना को। पर उसे अपनी सफाई में कुछ कहना था। उसके बाद क्या होगा ये सिर्फ़ अमन जानता था।
अमन-“हाँ तो खाला बोलिये…”
हीना किसी सपने से जागते हुए-क्या बोलूं?
अमन-“सब कुछ सुनना है मुझे…” उसकी आवाज़ में नरमी नाम की चीज़ नहीं थी।
हीना-“अमन वो हुआ उसे एक बुरा ख्वाब समझकर भूल जाओ प्लीज़… और जिंदगी की नई शुरुआत करो। मैं भी इंसान हूँ, और ग़लतियाँ इंसानों से ही होती हैं…”
अमन-पहले इधर आ।
हीना-क्या?
अमन-“सुनी नहीं… मैंने कहा इधर आ…” वो जोर से चिल्लाया।
जिससे हीना बुरी तरह डर गई और उसके कदम अमन की तरफ बढ़ते चले गये। अमन हीना का हाथ पकड़कर अपने पास खींच लेता है। और हीना धड़ाम से अमन की छाती से जा टकराती है।
हीना-“छोड़ो ना अमन, ऐसे भी कोई करता है अपनी खाला के साथ?”
अमन हीना को दबोचते हुये-“तो जैसा नाना ने किया था, वैसे करूं?”
मारे शरम के हीना पानी-पानी हो जाती है। ओर उसका ऐतराज खतम हो जाता है। वो अमन की छाती से चिपकी हुई थी और अमन उसकी कमर को पकड़े हुए था।
अमन-“चलो बताओ कि नानी और नाना ने जब तुमसे वो 15 दिनों तक एक रूम में रहने के लिये कहा, उसके बाद क्या हुआ?”
हीना कांपती हुए आवाज़ के साथ बोलना शुरू करती है।
तुम्हारी नानी ने मुझसे ऐसे बात कही थी वो मेरे लिये नकबिल-ए-बर्दाश्त थी। मैंने उनसे बहुत बहस की पर आख़िरकार मुझे उनकी बात माननी पड़ी। उन्होंने मुझे समझाया कि अगर मैं ऐसा करती हूँ तो मेरा घर उजड़ने से बच जाएगा और मेरे माँ बनने से तुम्हारे खालू दूसरी शादी नहीं करेंगे। मुझे उस वक्त सबसे ज्यादा टेंशन तुम्हारे खालू के दूसरी शादी करने की बात से हो रही थी। अमन मुझे मेरी अम्मी की बात कुछ हद तक सही लगी, और इसीलिये मैंने उनकी बात मान ली।
अमन-फिर क्या हुआ?
हीना शरमाने लगती है-वहीं जो होता है।
अमन उसकी कमर दबाते हुए-बोलो ना खाला कैसे हुआ?
हीना-“अमन समझो ना बेटा मुझे शरम आती है…”
अमन-“ठीक है। मत बताओ कल मैं जब शादी से इनकार कर दूंगा तब वजह भी बता दूँगा…”
हीना थोड़ी परेशान होते हुए-क्या सुनना चाहते हो तुम?
अमन-यही कि नाना ने आपको कैसे चोदा?
अमन के मुँह से चोदा शब्द सुनकर हीना का बुरा हाल हो जाता है, और वो वहाँ से भाग जाना चाहती है। पर अमन हीना को घुमा कर अपने नीचे कर लेता है। जिससे अमन को खड़ा लण्ड उसकी जाँघ में चुभने लगता है। उस चुभन का असर हीना के मुँह से एक सिसकी के रूप में निकलता है।
हीना-“उंह्म्मह… क्या तुम सच में सुनना चाहते हो बेटा?”
अमन-“हाँ… एक-एक लम्हा वो तुमने और नाना ने साथ गुजारा…”
हीना-“तुम्हारी नानी मुझे और तुम्हारे नाना को एक रूम में बंद करके बाहर चली गईं। मुझे उस वक्त बहुत शरम आ रही थी। मैं सिर्फ़ चोली घाघरे में थी। तुम्हारे नाना एक एक्सपर्ट निकले। उन्होंने मुझे बेड पे लेटा दिया। हम दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं कर रहे थे उस वक्त। उन्होंने मेरी चोली को पीछे से खोलकर मेरे जिस्म से अलग कर दिया। उसके बाद मेरा घाघरा भी खींच लिया। और मैं पूरी नंगी हो गई थी।
पहला शब्द वो उनके मुँह से निकला वो था-“हीना बेटा, यहाँ आओ और ज़रा अब्बू के लण्ड को चूसो…
मैं हैरान थी कि अब्बू ऐसा बोल रहे हैं। मेरी हालत उस वक्त ऐसी थी जैसे कोई गुलाम अपने मालिक का हर हुक्म मानने के लिये वहाँ हो। मैंने उनका लौड़ा अपने मुँह में लिया। उसके बाद उन्होंने मेरी चूत को रगड़कर चाटा। तुम्हारे नाना का लौड़ा बहुत मोटा है। अमन, जब मैंने उसे अपने मुँह में लिया तब वो मेरे गले में अटक गया था। ये पहली बार था जब मैंने अपने मुँह में लण्ड लिया था।
अब्बू ने मुझे अपने नीचे लेकर पूरी ताकत से मुझे चोदना शुरू कर दिया। मैं चिल्लाती रही पर उन्हें मुझपे कोई तरस नहीं आया। मेरी चूत वो तुम्हारे खालू के छोटे से लण्ड की आदी थी, वो इतने मोटे लण्ड की मार से चिर सी गयी थी।
उन्होंने मुझे समझाते हुए चोदना चालू रखा। ये सिलसिला रात भर चला और अगले 15 दिन तक अब्बू मुझे चोदते रहते। हम दोनों उस रूम में नंगे ही रहते थे। अम्मी हमें खाना देने आती थी और मेरी चूत की मालिश कर देती थी। टायलेट बाथरूम उसी रूम में अटैच्ड था।
उन 15 दिनों की चुदाई ने मुझे एहसास दिलाया था कि मर्द का लौड़ा क्या-क्या कर सकता है। मैं प्रेग्गनेंट हो गई थी, क्योंकी मुझे एम॰सी॰ पीरियड नहीं आई थी। हीना ने जानबूझकर चूत चुदाई जैसा शब्द इश्तेमाल किया। वो अमन को खुलकर किस वजह से बता रही थी, ये अमन भी जान चुका था।
अमन-“ह्म्मम्म्म्मम… तो ऐसे आपकी चूत ने नाना का लण्ड 15 दिनों तक खाया?”
हीना-ह्म्मम्म्म्म।
अमन-अब मेरा खाएगी।
हीना-क्या बेटा?
अमन-लौड़ा खाला।
हीना कसमसाते हुए-“नहीं… ना बेटा, मैंने वो किया वो तुम्हें बता दिया। इसीलिये कि तुमने सब सुन लिया था और शादी से इनकार कर रहे थे। इसका मतलब ये नहीं कि मैं तुम्हारे साथ भी वो सब करूँगी…”
अमन हीना की चूची मरोड़ते हुए-“साली, मुझे क्या बेवकूफ़ समझी है? मैंने तुझे इतनी डीटेल में तेरी चुदाई सुनाने को कहा था क्या? कमीनी, तूने जानबूझकर मुझे ये सब सुनाई। अब देख मेरे लण्ड का क्या हाल हो गया है? और अमन अपनी पैंट नीचे करके हीना को अपना मूसल लण्ड दिखाने लगता है।
हीना की आँखें फटी की फटी रह जाती हैं। उसने इससे पहले इतना मोटा और लंबा लण्ड नहीं देखा था-“ये क्या है? अमन, तुम इसे मेरे अंदर डालना चाहते हो? नहीं नहीं मुझसे ये नहीं होगा…”
अमन-“ऐसे कैसे नहीं होगा खाला जान…” ये कहते हुए अमन अपने होंठ से हीना के होंठ चूसता चला जाता है। और दोनों हाथों से हीना की शलवार खोल देता है। उसने पैंटी नहीं पहनी थी। ऊपर का कमीज़ उतारते ही वो पूरी तरह नंगी हो जाती है-“
साली, अंदर कुछ नहीं पहनी और नखरे करती है। अगर प्यार से दोगी तो प्यार से करूँगा और अगर नखरे करोगी तो जबरदस्ती करना मुझे आता है…”
हीना तो शायद पहले से ही तैयार थी। उस वक्त से जब अमन की बर्थ-डे पे अमन ने उसे अपने सीने से लगाकर हवा में उठाया था। उस वक्त से हीना की चूत ने फैसला कर लिया था कि एक ना एक दिन वो अमन के लण्ड को ज़रूर गटक जाएगी।
अमन-बोलो खाला जान, कैसे करूँ?
हीना अमन को नीचे कर लेती है,
और बिना कुछ बोले उसके लण्ड को अपने मुँह में ले लेती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प… प्यार से करो बेटा… प्यार से चोदो अपनी खाला सास को… गलप्प्प… गलप्प्प…”
अमन का लण्ड पहले से तना हुआ था और ऊपर से हीना के नाज़ुक होंठ कहर बरपा रहे थे। वो हीना को 69 की पोजीशन में कर लेता है,
और उसकी चिकनी चूत पे जीभ फेरते हुए चाटने लगता है-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” दोनों पागलों की तरह एक दूसरे की चूत और लण्ड को चाट-चाट के लाल करने पे तुले हुए थे।
हीना-“अह्म्मह… अमन बेटा, चोद ना अपनी खाला को… तरस गई है मेरी चूत कई सालों से लौड़े के लिये… मत तरसा बेटा… आह्म्मह…”
अमन भी हीना की बात मान लेता है, और हीना को अपने नीचे लेकर उसकी जांघें खोल देता है। उसका लण्ड हीना ने काफी गीला कर दिया था। वो हीना की आँखों में देखते हुए पूछता है-“इजाजत है खाला जान?”
हीना-“हाँ… इजाजत है अह्म्मह… अह्म्मह… अह्म्मह… अह्म्मह… ऊइईई मैं तो गये रे जालिम… मेरी चूत फट जाएगी उंह्म्मह… निकल ले रे… कुत्ते हरामी अह्म्मह…”
अमन ने इजाजत सुनते ही अपना लण्ड हीना की चूत में पेल दिया था। कई सालों से सुनसान पड़ी इस ज़मीन में जैसे किसी ने हल जोत दिया हो। वो चिल्लाने लगती है। पर उसकी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं था, वो उसे अमन के लण्ड से बचा सके। पर ये दर्द हीना को अंदर ही अंदर मज़ा देने लगा था। अपने जवान भान्जे से चुदना हर खाला का नशीब नहीं होता। ये सोच-सोचकर हीना की चूत पानी छोड़ने लगती है।
और अमन बड़े प्यार से मगर दमदार अंदाज में हीना को चोदने लगता है-“अह्म्मह… खाला बहुत टाइट चूत है आपकी… मेरा लण्ड फँस रहा है। अह्म्मह…”
हीना-“उंह्म्मह… चुदी नहीं ना बेटा… कई सालों से… इसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था ना… अब तू आ गया है मेरा लाल… अपनी खाला की चूत का मालिक अह्म्मह… मुझे खोल दे रे हरामी… अंदर तक खोल दे अह्म्मह…” वो दोनों एक दूसरे को नोंचते खरोंचते गालियाँ देते हुये चुदाई का मज़ा ले रहे थे।
अमन हीना की सुडौल चूची को मुँह में भर-भर के निपल्स को काट-काट के हीना की चुदाई किए जाता है। हाँ हाँ खाला मैं चोदा करूँगा, अपनी खाला सास को… रोज ऐसे ही… बोलो चुदोगी ना मुझसे? अह्म्मह…”
हीना-“हाँ मेरे बच्चे… रोज ऐसे ही… रात दिन बस चोदते रहना मुझे उंन्ह…” दोनों क्या बोल रहे थे वो खुद भी नहीं जानते थे। कभी एक दूसरे को गालियाँ देते, कभी सालों साल चुदाई के जादे करते, पर अपनी चूत की आग बुझने से हीना बहुत खुश थी।
वहीं अमन को एक और चूत मिल गई थी।
दोनों एक दूसरे को चूमते हुये झड़ने लगते हैं। अमन ने कहा-“खाला, कहाँ निकालूं पानी अपना आह्म्मह…”
हीना-“बेटा, अंदर ही निकाल दे, मेरा आपरेशान हो चुका है अह्म्मह… सुखी ज़मीन पे बारिश कर दे बेटा अह्म्मह…”
10 मिनट बाद वो दोनों अपनी साँसें संभालते हैं और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते हैं। हीना अमन के ऊपर चढ़ जाती है, और उसकी छाती पे अपना सर रखकर अमन की छाती के बालों से खेलने लगती है।
अमन हीना की कमर दबाने लगता है-“अह्म्मह… बहुत नरम है। खाला आपकी कमर एकदम मखमल है…”
हीना-“ऊइईई माँ… क्या कर रहे हो अमन बेटा?”
अमन-“देख रहा हूँ सील पैक है, या नाना तुम्हें पीछे से भी पेले थे क्या?” और वो अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड में डाल देता है।
हीना-“अह्म्मह… नहीं, वहाँ नहीं कुछ करो दर्द होता है। अह्म्मह…”
अमन-“तेरी बहन को चोदूं। नाटक करने वाली को तो मैं वहीं चोदता हूँ, जहाँ वो मना करती है। अब तेरी लेकर ही रहूँगा पीछे से…”
हीना डर के मारे सहम जाती है। वो कितने दिनों बाद आगे से ले रही थी, और उसी दिन पीछे से भी… उसका जिस्म कांप जाता है, जब अमन एक जोरदार थप्पड़ हीना की गाण्ड पे रसीद कर देता है-“सटाक्क…”
हीना-“अह्म्मह… नहीं अमन बेटा, मेरा अच्छा बच्चा है ना… अपनी खाला को इतना दर्द मत दे रे अह्म्मह…”
अमन-“सटाक्क… ठीक है, आज रहने देता हूँ। पर अगली बार ज़रूर लूँगा, ये वादा है मेरा… सटाक्क…” ये तीसरा जोरदार थप्पड़ था वो हीना की गाण्ड लाल टमाटर की तरह कर देता है। अमन हीना की चूची मसलने लगता है। और हीना रोआंसी हो जाती है। उसके लिये ये सब नया था। वो तो कभी सोच भी नहीं सकती थी कि अमन इतना चुदक्कड़ इंसान निकलेगा।
हीना-एक बात पूछूँ अमन?
अमन-“हाँ पूछो ना खाला जान्…”
हीना-“कहीं तुमने बाजी को भी तो नहीं?”
अमन-“हाँ… अम्मी को भी, चाची को भी, अनुम और फ़िज़ा को भी पेल चुका हूँ। क्यों?”
हीना मुस्कुराते हुए-“मुझे पहले से शक था। आख़िरकार खून अपना असर तो दिखाएगा ही ना?”
अमन चौंकते हुए-क्या मतलब है तेरा?
हीना समझ गयी कि उसे वो राज नहीं पता है। वो बात बदलने की कोशिश करती है। पर अमन उसका चेहरा पकड़कर अपनी आँखें उसकी आँखों में गड़ा देता है-“बोल तेरा बोलने का क्या मतलब था? ‘खून अपना असर तो दिखायेगा ही’ बोल साली वरना…” और अमन हीना के बाल पकड़कर उसे उल्टा बेड पे लेटा देता है, और पीछे से अपना लण्ड उसकी कमर पे मारने लगता है, जिससे उसका लण्ड और अकड़ जाता है।
हीना-“अह्म्मह… मैं तो मज़ाक कर रही थी बेटा अह्म्मह… नहीं, वहाँ नहीं अह्म्मह…”
अमन-ठीक है, मत बोल… और वो अपने लण्ड पे थूक लगाकर उसकी नाज़ुक कमर के बीच में रगड़ने लगता है। अह्म्मह… अब भी वक्त है, बोल दे हीना वरना?”
हीना-“अह्म्मह… सच कोई बात नहीं। अमन बेटा मेरा भरोसा कर अह्म्मह…”
अमन-“तू ऐसे नहीं मानेगी खाला, ये ले… अह्म्मह…”
और वहीं हुआ जिसका हीना को डर था। अमन उसकी नाज़ुक सी छोटी सी गाण्ड को भी अंदर तक खोलता चला गया। हीना का बुरा हाल था। एक तो अमन अंदर तक पेल रहा था और ऊपर से सटासट थप्पड़ भी मार रहा था-“उंह्म्मह… हरामी की औलाद… छोड़ दे मुझे… हाय मेरी गाण्ड चिर गयी है। अह्म्मह…”
add photo in google search अमन-“तेरी मारनी थी कल, पर तूने मुझे गलत बात बोली तो आज की सज़ा आज अह्म्मह… बहुत मज़ा आ रहा है खाला अह्म्मह… नाना से भी ऐसे ही मरवाती थी क्या?”
हीना गुस्से में तिलमिला जाती है। अमन जब से उसके पास था उसे दिलावर ख़ान के बारें में बोल-बोलकर टॉर्चर कर रहा था। आख़िरकार एक औरत कब तक बर्दाश्त कर सकती है। वो चीखी और उसने वो बात कही वो अमन के लण्ड से लेकर गाण्ड तक को हिला गई।
pie in the face cartoon images हीना-“अह्म्मह… हरामी, तेरी अम्मी से पूछना कि वो कैसे लेती थी तेरे नाना का लण्ड अपनी चूत में और… गाण्ड में अह्म्मह… तू कौन सा अपने बाप की औलाद है? अह्म्मह… तू और तेरी बहन दोनों को मेरे बाप ने पैदा किया है, हाँ हरामी अह्म्मह…”
अमन पक्क से हीना की गाण्ड से लण्ड खींचकर बाहर निकाल लेता है, और हीना को सीधा करके पूछने लगता है-“खाला, आप झूठ बूल रही हो ना मुझे सताने के लिये?”
हीना अपनी कमर को नचाते हुए-“क्यूँ? अब अपने पे आई तो झूठ लग रहा है? हाँ ये सच है। अरे तेरे अब्बू और चाचा दोनों ना-मर्द थे, वो क्या औलाद पैदा करेंगे? वो तेरे नाना थे, जिन्होंने इस खानदान को चलाये रखा। मेरी बात का भरोसा न हो तो जा पूछ ले अपनी अम्मी से और चाची से कि तू, अनुम और फ़िज़ा किसकी औलाद हैं? और तेरी चाची कैसे भागती हुए चली जाती है, मेरे अब्बू से मिलने। जब उनकी तबीयत ज़रा सी भी खराब होती है। जा पूछ जाकर?”
अमन के होश गुम थे। उसे अपने कानों पे यकीन नहीं आ रहा था। तभी उसके मोबाइल पे रजिया का काल आता है, और वो काल रिसीव करता है।