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Incest अमन विला ( Adultery + Incest)

किस किसने यह कहानी पहले से पढ़ी है

  • हा पढ़ी है

    Votes: 10 62.5%
  • नही पढ़ी है

    Votes: 4 25.0%
  • पढ़ी है पर याद नहीं

    Votes: 2 12.5%

  • Total voters
    16

Alanaking

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अमन-“डरो मत, सामने देखो और चलती रहो…” अमन का हाथ अब उसकी बेली (नाभी) में सरसराहट करने लगता है। अमन उसकी नाभी में उंगली करते हुए-“तुम बहुत साफ्ट हो महक…”

महक-“सच अह्म्मह… क्या कर रहे हो अमन? मुझे गुदगुदी होती है…” और अचानक महक एक्सिलेट कर देती है।

अमन झट से ब्रेक मार देता है। इस जल्दबाज़ी में अमन कस के महक की दोनों चुचियाँ पकड़ लेता है। महक के पूरे जिस्म में बिजली दौड़ जाती है। उसके मुँह से एक सिसकी निकल जाती है-“अह्म्मह…”

अमन के हाथ अभी भी महक की चुचियों को पकड़े हुए थे।

महक काँपते होंठों से-“तुम्हारे हाथ…”

अमन-“ओह्म्मह… ओह्म्मह… आई एम सो सारी…” और वो अपने हाथ हटा लेता है।

महक धीरे से-इट्स ओके।

अमन-“अब फैक्टरी चलें? आज के लिये इतना है। बाकी कल सीख लेंगे, मुझे थोड़ा जल्दी घर जाना है…”

महक का दिल तो नहीं कह रहा था फिर भी वो हाँ कर देती है। और दोनों फैक्टरी चली जातें हैं। अमन 7:00 बजे ही फैक्टरी से निकल जाता है। उसे तो रेहाना की चूत दिख रही थी पर उसे क्या पता था कि आज उसे एक नहीं दो चूतें मिलने वाली हैं… वो भी सील पैक। अमन अपने पाकेट में नींद के गोलियाँ ले लेता है। उसे मलिक और फ़िज़ा को सुलाना जो था।

अमन रेहाना के घर में दाखिल होता है। रेहाना और फ़िज़ा तो बेसबरी से उसका इंतजार कर रही थीं।

मलिक-“आओ बेटा, अच्छे वक्त पे आए हो। हम बस खाना खाने बैठ ही रहे थे। गरम-गरम खाने की बात ही कुछ और होती है…”

अमन सामने खड़ी रेहाना को देखने लगता है, वो उसे ही देख रही थी। फिर सब मिलकर खाना खाने लगते हैं।

मलिक-“और बताओ बेटा, फैक्टरी कैसी है? और तुम्हें काम सीखने में मज़ा तो आ रहा है ना?”

अमन-“हाँ बिल्कुल… चाचू फैक्टरी बहुत अच्छी है। बस वक्त नहीं मिल पाता कुछ जरूरी कामों के लिये। दिन निकल जाता है फैक्टरी में…”

मलिक-“धीरे-धीरे आदत पड़ जाएंगी बेटा, सारी जिंदगे पड़ी है। बाकी के कामों के लिए…”

अमन रेहाना की तरफ देखते हुए-“सही कहा आपने चाचू… जैसे खाना बहुत अच्छा बना है…”

मलिक-हाँ भाई, तुम्हारी चाचीज़ान के हाथों का खाना तो अच्छा ही बनता है।

रेहाना हल्की सी स्माइल देते हुए-“ये लो, मैंने खास हलवा बनाया है, आज के लिये…”

फ़िज़ा-“हाँ लो ना अमन भाई, मीठा खाने से ताकत आती है। आजकल आप कुछ ज्यादा ही मेहनत कर रहे हैं…”

अमन को झटका लग जाता है। वो सोचता है-“साली इसके तेवर कैसे बदले-बदले लग रहे हैं…”

रेहाना अमन को पानी का ग्लास देते हुए-“फ़िज़ा, खाने के वक्त मज़ाक नहीं…” और सब खाना खाने लगते हैं।
खाना खाने के बाद फ़िज़ा और रेहाना किचिन में बर्तन साफ करते हुए फ़िज़ा ने कहा-“अम्मी, अमन कितना हैंडसम लग रहा है। है ना?”

रेहाना-हाँ… वो तो है।

फ़िज़ा-अच्छी पसंद है अम्मी।

रेहाना शरमाते हुए-“चुप कर शैतान कहीं की… जैसे तू इतना क्यों खुश है? जाओ अपने रूम में और सो जाओ…”

फ़िज़ा-“ओहोहो… सो जाओ और आप मज़े मारोगी। नहीं, मैं नहीं सोने वाली…” और दोनों माँ-बेटी हँसने लगती हैं।

असल में जबसे अमन घर आया था, तबसे दोनों औरतों की चूत से पानी रिसने लगा था। हल्की-हल्की पानी की बूँदें उनकी पैंटी को भिगा रही थीं, और निपल खड़े हो गए थे।

रेहाना कुछ सोचते हुए-“फ़िज़ा, तू अपनी रूम में जा, मैं कुछ देर बाद अमन के साथ आती हूँ…”

फ़िज़ा खुश होते हुए-“ओके…” और वो अपने रूम में जाकर मेकअप करने लगतेी है।

रेहाना-अमन, यहाँ आओ एक मिनट।

अमन मलिक के पास से उठते हुए-“अभी आया चाची…” आमन पास आकर पीछे से रेहाना के गले में बाँहें डालते हुए-“हाँ बोल…”

रेहाना-“मलिक का क्या करना है। वो जगा रहा तो हम…”

अमन रेहाना की चुचियाँ मसलते हुए उसे नींद की टैबलेट देता है-“उसे दूध में दो गोलियाँ दे दे, रात भर नहीं उठेगा…”

रेहाना के चेहरे पे मुश्कान आ जाती है-कितने चालाक को जी आप? 91

अमन-शौहर किसका हूँ?

रेहाना-“और वो एक बात और है?”

अमन-क्या?

रेहाना-“फ़िज़ा आपसे…” वो बोलते-बोलते रुक गई।

अमन-फ़िज़ा क्या?

रेहाना-उसे भी चाहिए।

अमन-क्या चाहिए?

रेहाना अमन के कान में धीरे से-“वो भी आपसे चुदना चाहती है…”

अमन-क्याअ?

रेहाना-“हाँ… उसे हमारे बारे में सब पता है। और मैं चाहती हूँ कि आप उसे कसकर चोदें ताकी वो जिंदगी भर हमारी मुट्ठी में रहे…”

अमन के चेहरे पे मुश्कान आ जाती है-“ठीक है, जैसा तू कहे…”

रेहाना-“हाँ… कमीनी मेरी सौतन कहीं की… देखो ना कैसे मरे जा रहे हैं, और आपकी तो चांदी ही चांदी है। सील-पैक मिल रही है आज…”

अमन रेहाना को किस करते हुए-“जलन हो रही है? तू फिकर क्यों करते है? बीवी तो तू ही है मेरी…” और रेहाना को अपनी बाँहों में कस के वापस हाल में चला जाता है।

कुछ देर बाद रेहाना दूध का ग्लास मलिक को देती है जिसमें नींद के गोलियाँ थी।

मलिक गटागट दूध पी लेता है। फिर कहता है-“अरे भाई, अमन को भी दूध दे दो, थका हुआ है बच्चा…”

अमन-“नहीं अभी नहीं चाचू, मैं बाद में पी लूंगा…” और रेहाना की चुचियों को घूरते हुए उसे आँख मार देता है।

रेहाना मुस्कुराते हुए किचिन में चली जाती है।

रात 10:00 बजे-

मलिक-मुझे बहुत नींद आ रही है, मैं चलता हूँ।

और रेहाना भी उसके साथ रूम में चली जाती है। वो कन्फर्म करना चाहती थी कि मलिक सो चुका है।


अमन फ़िज़ा के रूम में चला जाता है, वहाँ फ़िज़ा खड़ी थी। अमन पीछे से फ़िज़ा को पकड़ लेता है।

फ़िज़ा-“अह्म्मह… क्या है भाई?”

अमन-“मैंने सुना है कि तेरी चूत जवान हो चुकी है…” और फ़िज़ा के चूत सहलाने लगता है।


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फ़िज़ा-“उंह्म्मह… क्या कर रहे हो अमन्न?” पहली बार जब कोई मर्द किसी लड़के को मसलता है तो उसका वो हाल होता है। वही अभी फ़िज़ा का हाल था जल-बिन-मछली।
अमन-“देखने दे ना कितनी बड़ी हो गई है…” और अमन उसे घुमाकर अपनी तरफ कर लेता है, और उसका सिर पकड़कर उसके नाज़ुक होंठ चूसने लगता है।

फ़िज़ा-“उंह्म्मह… उम्म्म्म… मुआह्म्मह…”


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अमन उसे पीछे से सहलाते हुए उसकी एक चुचियाँ मसलने लगता है, और उसके मुँह में जीभ डालकर सलाइवा चूसने लगता है।

फ़िज़ा का बुरा हाल था-“उंह्म्मह… अम्मी अह्म्मह… क्या है ये हरकत? अमन जाओ यहाँ से…”

अमन उसे बेड पे पटकते हुए-“साली नखरे करती है…” और अमन अपनी शर्ट-पैंट उतारने लगता है। उसे पता था पहली चुदाई है। इसलिये सब काम उसे ही करने होंगे, वो पूरा नंगा हो चुका था।

फ़िज़ा जब उसके 8” इंच लंबे लण्ड को देखती है तो डर जाती है-“अम्मी…”

अमन-“डर मत फ़िज़ा डर मत… रेहाना तो इसे गाण्ड में भी लेकर नहीं डरती…” और अमन फ़िज़ा को नंगी करने लगता है। उसे सिर्फ़ नाइटी तो उतारनी थी।

फ़िज़ा चुदने के लिये पहले से तैयार थी। इसलिये ना उसने पैंटी पहनी थी, ना ब्रा। वो एक मिनट में नंगी हो चुकी थी। अमन उसके ऊपर चढ़कर उसकी चुचियाँ चूसने लगता है, और नीचे हाथ डालकर उसकी चूत सहलाने लगता है।


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फ़िज़ा तो जैसे पागल हो जा रही थी-“उंन्ह… अम्मी नहीं अम्मी उंन्ह… अह्म्मह… अमन्न उंन्ह…”

अमन फ़िज़ा के हाथ में अपना लण्ड दे देता है-“पकड़ इसे फ़िज़ा और सहला…”

फ़िज़ा काँपते हाथों से अमन के लण्ड को पकड़ लेती है। वो बहुत डरी हुई थी-“अमन मुझे डर लग रहा है। कुछ होगा तो नहीं ना?”

अमन-“साली, ना चूत ना चुचियाँ, चुदाने का बड़ा शौक… कुछ नहीं होता ज़रा सा दर्द फिर जिंदगी भर की खुशी…” अमन जल्द से जल्द फ़िज़ा की सील तोड़ना चाहता था, क्योंकी उसे फ़िज़ा पे भरोसा नहीं था। छिनाल पलट गई तो?

फ़िज़ा-“हाँ हाँ अह्म्मह… सहलाओ उसे आह्म्मह… अमन पी लो मेरा दूध उंह्म्मह…”

रेहाना दरवाजे में खड़ी सब देख रही थी और कहीं ना कहीं उसे भी जल्दी थी फ़िज़ा की कुँवारी चूत के फटने की। पर वो छुपी हुई थी इस डर से कि कहीं फ़िज़ा शरमाकर चुदने से इनकार ना कर दे।

अमन एक तकिया फ़िज़ा की कमर के नीचे रख देता है, जिससे फ़िज़ा की चूत ऊपर की तरफ उठ जाती है।

अमन अपने लण्ड पे थूक लगाते हुए फ़िज़ा पे झुक जाता है, और उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है।
फ़िज़ा दिल ही दिल में-“आ गई वो घड़ी…”


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अमन अपने लण्ड को फ़िज़ा की चूत पे रखकर पूरी ताकत से चूत में पेल देता है।

फ़िज़ा-“अम्मी जी…” उसके आँखें बाहर को निकलने लगी थीं, जिस्म काँपने लगा था, मुँह बंद था अमन के होंठों से वरना पड़ोसी भी आ जाते। खून की एक धार बेडशीट पे गिरने लगती है। अब फ़िज़ा औरत बन चुकी थी।

अमन बिना हिले अपने हाथों से फ़िज़ा की चुचियाँ मसलने लगता है, जिससे फ़िज़ा का दर्द कम हो जाये। और जैसे ही अपनी होंठ उसके होंठों से हटाता है।

फ़िज़ा-“अह्म्मह… अम्मी जी निकाल इसे बाहऱ््र… उंह्म्मह… मैं मरी जा रही हूँ प्लीज़्ि… मुझे बख़्श दो अमन्न…”


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अमन फिर से उसके होंठों पे होंठ रख देता है, और धीरे-धीरे लण्ड चूत में अंदर-बाहर करने लगता है-“अह्म्मह… अह्म्मह…”

फ़िज़ा का दर्द कम हो रहा था। अब उसकी चीखें भी थम चुकी थी और उसे भी मज़ा आने लगा था। फ़िज़ा अपने पैर और खोल देती है, और उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगती हैं-“उंन्ह… आह्म्मह… अह्म्मह… ओह्म्मह… उंन्ह… अम्मी औउच… अह्म्मह…”


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अमन की स्पीड बढ़ने लगी थी और धक्कों की रफ़्तार के साथ फ़िज़ा की गाण्ड भी नीचे से उछलने लगी थी। दोनों एक साथ धक्के मार रहे थे।

फ़िज़ा-“हाँ… अह्म्मह… आह्म्मह… अमन्न चोदो मुझे उंन्ह… मैं आज से तेरी हूँ अह्म्मह… मेरी अम्मी भी तेरी और मैं भी तेरी हूँ अह्म्मह… हम दोनों माँ-बेटी को खूब चोदो अमन…”

फ़िज़ा के मुँह से ऐसे अल्फ़ाज़ सुनकर रेहाना की चूत भी पनिया गई थी। उसे भी अमन का लण्ड फ़िज़ा की चूत में अंदर-बाहर बिना किसी रुकावट के आता-जाता बड़ा अच्छा लग रहा था। रेहाना उन दोनों को देखकर अपनी चूत सहलाने लगती है। उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगतेी हैं।

अमन पीछे मुड़कर देखता है, और रेहाना की आँखों में देखकर जोर-जोर से फ़िज़ा को चोदने लगता है-“हाँ मेरी रांड़ ले… तेरी माँ को चोदूं ले अह्म्मह…” रेहाना की और अमन की आँखें मिली हुई थीं और अमन फ़िज़ा को चोदे जा रहा था।

इस दौरान फ़िज़ा दो बार झड़ चुकी थी। उसे पता ही नहीं था कि रेहाना उन्हें देख रही है। फ़िज़ा सिसक रही थी-“हाँ उंन्ह… अम्मी जी…” और फ़िज़ा फिर से पानी छोड़ देती है।


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अमन जोश और खुशी के आलम में फ़िज़ा को चोदते हुए-“अह्म्मह… अह्म्मह…” करके अपना पहला पानी फ़िज़ा की चूत में छोड़ने लगता है।

फ़िज़ा अपनी चूत में गरम-गरम अमन का पानी लेकर सिहर जाती है, और बेडशीट पकड़ लेती है। वो निढाल हो चुकी थी, पर अभी तो शुरुआत हुई थी। अभी सारी रात बाकी थी। दोनों एक दूसरे से चिपक जाते हैं।

रेहाना अंदर आते हुए दरवाजा बंद कर लेती है-“आख़िरकार आपने मेरी बेटी को चोद ही लिया, क्यों जी? मज़ा आया कुँवारी चूत का

अमन और फ़िज़ा रेहाना को देखते हैं। फ़िज़ा शरम के मारे अपना चेहरा अमन की छाती में छुपा लेती है।

अमन-“तेरी बेटी की चूत बिल्कुल तेरी जैसी है। मेरे जान ऐसे लग रहा था जैसे तुझे चोद रहा हूँ…” और पच्च की आवाज़ के साथ अपना लण्ड फ़िज़ा की चूत से बाहर निकाल लेता है। उसके लण्ड पे फ़िज़ा की चूत का खून लगा हुआ था।

रेहाना एक कपड़ा लेकर उसे साफ करती है, और फ़िज़ा की आँखों में देखते हुए अमन के लण्ड को अपने मुँह में ले लेती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…”


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फ़िज़ा और रेहाना के नज़रें मिली हुई थीं। अमन बेड पे लेटकर सांसें ले रहा था और रेहाना उसके लण्ड को आइसक्रीम की तरह चूसे जा रही थी।

फ़िज़ा की आँखें अपनी अम्मी पे से हट नहीं रही थीं। वो दिल में सोचने लगती है-“कितनी चुदक्कड़ है मेरी अम्मी…” फिर फ़िज़ा उठकर बैठ जाती है, और अपनी चूत देखने लगती है। उसकी चूत पे भी खून लगा हुआ था। जब वो अपनै हाथ से अपनी चूत को छूती है तो एक अजीब सा मीठा-मीठा दर्द उसके जिस्म में होने लगता है।

अमन की आँखें बंद थीं, पर रेहाना के लण्ड को लगातार चूसने से उसमें जान आने लगी थी।

फ़िज़ा उठकर बाथरूम में चली जाती है, और अपनी चूत पानी से साफ करके वापस रूम में आती है। सामने रेहाना अमन के ऊपर लेटी हुई थी और दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे।

अमन रेहाना की गाण्ड मसल रहा था। रेहाना ‘आह्म्मह’ की सिसकारियाँ भर रही थी। शायद वो बहुत गरम हो चुकी थी, फ़िज़ा और अमन की चुदाई देखकर।

अमन रेहाना को साइड में लेटा देता है-“एक मिनट रुक, मुझे पेशाब करके आने दे रेहाना…”

रेहाना साइड में होकर अपनी चूत रगड़ने लगती है। अमन के बाथरूम में जाते ही फ़िज़ा जो वहीं खड़ी थी रेहाना के पास आ जाती है। दोनों माँ-बेटी एक दूसरे को देखने लगती हैं। वहाँ फ़िज़ा के जवान छोटे-छोटे चूचे और उसपे गुलाबी निपल एकदम खड़े थे, वहीं रेहाना की हल्की भूरे रंग की बड़ी-बड़ी नरम चुचियाँ भी फ़िज़ा को आवाज़ दे रही थीं कि आ जा मेरी बेटी और चूस ले अपनी अम्मी की चुचियाँ।

फ़िज़ा के कदम रेहाना की तरफ बढ़ जाते हैं।

रेहाना फ़िज़ा को अपनी बाहों में ले लेती है।

फ़िज़ा-“अम्मी आज मैं बहुत खुश हूँ…” और फ़िज़ा अपनी चुचियाँ रेहाना की चुचियाँ पे रगड़ने लगती है।

रेहाना-“हाँन्न मेरी बेटी, अमन है ही ऐसा… वो जानता है किसे कैसे खुश किया जाए?” रेहाना दिल ही दिल में-“तेरी चूत ने मेरे शौहर का लण्ड वो निगल लिया है। अब तो तू खुश होगी ही बेटी…”

फ़िज़ा रेहाना की आँखों में देखते हुए अपने नाज़ुक होंठ रेहाना के होंठों पे रख देती है, और दोनों माँ-बेटी मज़े के गहरे समुंदर में डूब जाती हैं। दोनों जल्द से जल्द अमन का लण्ड लेना चाहती थीं। पर अभी तो एक दूसरे की चूत पे चूत रगड़कर अपने जिस्म की गरमी कम कर रही थीं।

रेहाना अपनी टाँगें खोलकर फ़िज़ा की कमर पे लपेट लेती है, और उसे किस किए जाती है।
रेहाना अपनी टाँगें खोलकर फ़िज़ा की कमर पे लपेट लेती है, और उसे किस किए जाती है।

फ़िज़ा-“मुआह्म्मह… उंन्ह… गलप्प्प श्स्स्सस्स उंह्म्मह… अम्मी… अम्मी मेरी चूत दुख रही है उंह्म्मह…”

रेहाना-“एक बार और वो तुझे चोद लेंगे, फिर दर्द नहीं होगा बेटा गलप्प्प…”

फ़िज़ा-“अम्मी, आप अमन का नाम क्यों नहीं लेती?”

रेहाना-“भला… शौहर का नाम कोई बीवी लेती है बेटा? अह्म्मह…”

फ़िज़ा-“अम्मी, मैं अमन को क्या कहूँ फिरर…”

रेहाना-“फ़िज़ा, अब्बू हैं वो तेरे अह्म्मह…”

फ़िज़ा-“हाँ हाँ…” और दोनों जमकर एक दूसरे की चूत के क्लिट से मज़ा लेने लगती हैं।
तभी अमन बाथरूम से वापस आता है। वो सामने ऐसा नज़ारा देखकर पहले थोड़ा ठिठक जाता है। उसे ऐसी उम्मीद नहीं थे इन दोनों से। फिर दिल ही दिल में खुश होता

हुआ-“चलो अच्छा है, मेरे लण्ड का दर्द थोड़ा कम होगा इससे…” और अमन आगे आकर फ़िज़ा की गाण्ड पे जोर से थप्पड़ मारता है।

फ़िज़ा-“औउचह अह्म्मह…”

अमन फ़िज़ा की कमर पकड़कर थपाथप लगातार 5 से 6 जोरदार थप्पड़ मार देता है। जिससे फ़िज़ा की गाण्ड लाल हो जाती है, और उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं।

रेहाना-“आराम से जी, बच्ची है…”

अमन-“अच्छा बच्ची है… साली लण्ड तो किसी रंडी की तरह लेती है…” आज पता नहीं अमन को गालियाँ देने का बड़ा मन कर रहा था। शायद वो चाहता था कि ये दोनों माँ-बेटी पूरा उसकी मुट्ठी में आ जाएं।

रेहाना की बाहों में अभी भी फ़िज़ा लेटी हुई थी और रेहाना फ़िज़ा की गाण्ड सहला रही थी, वहाँ अमन ने थप्पड़ मारा था। फ़िज़ा हल्के-हल्के सिसकारियाँ भर रही थी। ये सब देखकर अमन का दिमाग़ घूम जाता है। आज इन दोनों को रंडी के तरह चोदना पड़ेगा। इसलिये अमन फ़िज़ा के बाल पकड़कर-“सुन… तेरी माँ के मुँह पे बैठ जा चूत खोलकर जल्दी…”

और फ़िज़ा उठकर रेहाना के मुँह पे बैठ जाती है, अपनी दोनों पैर खोलकर।

अमन-“रेहाना, चाट फ़िज़ा की चूत…” अमन रेहाना के पैर खोल देता है, और उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पे रखकर अपना खड़ा लण्ड अंदर पेल देता है।


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रेहाना-“अह्म्मह… आराम से, जान से मारेंगे क्या? उंन्ह…” और रेहाना अपनी चूत का गुस्सा, फ़िज़ा की चूत पे निकालती है, उसकी क्लिट को काटते हुए जिससे फ़िज़ा के जिस्म में झटका लगता है।

फ़िज़ा काफी देर से चुपचाप सब सुन रही थी। पर जैसे ही रेहाना ने उसकी चूत को काटा तो उसकी जोरदार चीख निकल गई-“अम्म्मी जी अह्म्मह… उंन्ह… अह्म्मह…”
अमन-“चुप करो अह्म्मह… अह्म्मह…” वो ताकत से रेहाना को चोदने लगता है।

रेहाना इतनी बेचैन थी सुबह से कि वो क्या करती? मुँह पे फ़िज़ा की चूत थी और चूत में अमन का मूसल लण्ड… बेचारी के मुँह से आवाज़ भी घुन-घुन की शकल में निकल रही थी।

अमन फ़िज़ा के बाल पकड़कर-“देख फ़िज़ा, तेरी अम्मी कैसे चुदती है मुझसे? देख साली इधर अह्म्मह…”

फ़िज़ा-“हाँ हाँ उंन्ह… अम्मी जी दर्द होता है?” फ़िज़ा आँखें फाड़े रेहाना को चुदते देख रही थी। ऐसा मंज़र शायद ही कोई लड़की सोच सकती हो कि उसके बड़े पापा का बेटा, उसका भाई, अपनी चाची को चोदे और वो लड़की अपनी चूत को अपनी अम्मी के मुँह पे रगड़ते हुए ये सब देखे। ये देख-देखकर फ़िज़ा की चूत पानी छोड़ने लगती है, वो सीधा रेहाना के मुँह में गिरने लगता है।

रेहाना-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह… उंह्म्मह…”
इधर अमन के धक्के बढ़ते ही जा रहे थे। रेहाना का भी पानी निकलने लगता है। पर रेहाना चुदक्कड़ औरत थी, वो कई बार झड़कर भी जल्दी से फिर से चुदने के लिये तैयार हो जाती थी। अमन अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है। वो जानता था कि रेहाना को दुबारा तैयार होने में थोड़ा वक्त लगेगा। वो फ़िज़ा को अपनी तरफ खींचते हुए उसे अपनी गोद में उठा लेता है।

फ़िज़ा-“उंन्ह…” अपनी पैर अमन की कमर पे लपेटते हुए उसकी बाहों में हाथ डाल देती है, जैसे कोई छोटा बच्चा अपने अब्बू के गले में प्यार से डालता है।

फ़िज़ा दुबली होने की वजह से आसानी से अमन से चिपक जाती है। दोनों एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे। अमन नीचे से अपना लण्ड फ़िज़ा की चूत के मुँह पे लगा देता है, और धक्का मार देता है।

फ़िज़ा-“अम्मी उंन्ह…” वो दूसरी बार अमन के लण्ड को ले रही थी। इस बार दर्द थोड़ा कम था और जोश बहुत ज्यादा। वो मचलने लगती है, सिसकने लगती है।

उसकी कमर रेहाना की तरफ थी। जिससे रेहाना भी देख रही थी कि कैसे अमन दनादन अपना लण्ड अंदर बाहर कर रहा है। उसे अमन की मर्दानगी पे फख्र होने लगता है। रेहाना दिल में “कितना गबरू जवान है। अमन, दो-दो औरतों को चोदकर भी नहीं थकता मेरा शेर और रेहाना अपनी चूत को रगड़ते हुए उसे तैयार करने लगती है।

फ़िज़ा-“उंन्ह… अम्मी, अमन से कहो ना धीरे-धीरे चोदें, मुझे दुखता है…”

अमन फ़िज़ा से-“कहाँ दुखता है फ़िज़ा बाजी?”

फ़िज़ा-“उंह्म्मह… चूत में अमन… बाजी भी बोलते हो और चोदते भी हो?” फ़िज़ा भी गंदी बातें सीखने लगी थी।

अमन फ़िज़ा को नीचे खड़ा कर देता है, और उसे बेड पे हाथ टिकाकर खड़ा कर देता है, और पीछे से चूत मारने लगता है-“आह्म्मह… उंन्ह…”


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फ़िज़ा की चुचियाँ नीचे बेड के किनारे लटक रही थी और बाल खुले हुए थे। वो चुदते हुए अपनी अम्मी रेहाना की आँखों में देख रही थी। ना जाने क्यों उसे ऐसे चुद ना बड़ा अच्छा लग रहा था।

रेहाना फ़िज़ा की चुचियाँ मसलते हुए फ़िज़ा को चूमने लगती है-“तू ठीक तो है ना… बेटा…”

फ़िज़ा-“हाँ अंह्म्मह… धीरे अमन्ं उंन्ह… अह्म्मह…” वो भी रेहाना के होंठ को काटने लगती है और झड़ जाती है। फिर हान्फते हुए-“बाहर निकालो प्लीज़्ि अमन… उंन्ह…”

रेहाना अमन को देखते हुए-“बेटी मिली तो बीवी को भूल गये?”

अमन अपना लण्ड निकालकर रेहाना के मुँह में डालते हुए-“पहले चूस… ले मेरा और तेरी बेटी का पानी अह्म्मह…”

रेहाना-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प… वो तो यही चाहती थी। 5 मिनट तक लण्ड चूसने के बाद रेहाना अपने पैर खोल देती है, जैसे अमन को इनवाइट कर रही हो।

अमन रेहाना पे चढ़ जाता है, और उसको चूमते हुए चोदने लगता है। आज की रात भी कमाल थी। वहाँ अमन को नई चूत मिल गई थी वहीं रेहाना को ये डर सताने लगा था कि अमन उसके बजाए फ़िज़ा पे ज्यादा ध्यान ना दे बैठे? औरत तो आखीरकार औरत ही होती है।
वहीं फ़िज़ा इन सब बातों से अलग अपनी चूत में लण्ड का मज़ा पाकर जन्नत में घूम रही थी। उसे कोई फिकर नहीं थी कि उसके साथ आगे क्या होगा? कौन उसे अपनाएगा? उसका फ्यूचर क्या होगा? कुछ नहीं। कहते हैं ना… चूत की आग सारी बातें भुला देती है। वही हाल इस वक्त फ़िज़ा का था।

उस रात दोनों माँ-बेटी अमन से कितनी बार चुदी उन्हें खुद याद नहीं। पर तीनों बिल्कुल नंगे एक साथ सोये हुए थे। सुबह जब अमन की आँख खुली तो 8:00 बज रहे थे। वो तो अच्छा हुआ कि नींद की गोलियों का असर मलिक पे कुछ ज्यादा ही हुआ था, जोकि वो अब तक सोया हुआ था। अमन दोनों उठाता है, और खुद भी कपड़े पहनकर अपने घर चला जाता है, फ्रेश होने।

फ़िज़ा और रेहाना किचिन में काम करते हुए बात कर रहे थे-

फ़िज़ा-अम्मी, कितना अच्छा होगा अगर अमन हमेशा के लिये हमारे साथ रहे।

रेहाना-“हाँ, मैं भी यही चाहती हूँ, पर ये मुमकिन नहीं है बेटा…”

अमन नहाते हुए अपने लण्ड को देखने लगता है। उसके लण्ड के ऊपर का चमड़ा थोड़ा सा निकल गया था। अमन को थोड़ा सा दर्द भी होने लगा था। जोश-जोश में इंसान को होश नहीं रहता वो क्या कर रहा है? इतनी लगातार चुदाई से यही होना था बेटा अमन। वो दिल में सोचता है-“तुझे खुद पे थोड़ा काबू पाना होगा, वरना वो दिन दूर नहीं जब तेरा लण्ड उठने के काबिल भी नहीं रहेगा…” अमन ठान लेता है कि उसे किस तरह इन चुदक्कड़ औरतों को कंट्रोल करना है।

पर इस वक्त तो उसे फैक्टरी जाना था। वो बाथरूम से बाहर आता है। तभी रजिया का फोन आता है। और वो अमन को बताती है कि वो कल आएंगे, क्योंकी उसके नाना जान ने उन्हें रोक लिया है।


अमन-“ठीक है…” कहकर फोन रख देता है।
 
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सबेरे 8:00 बजे-

अमन रजिया से फोन पे बात करने के बाद फोन रख देता है। रात की जोरदार चुदाई से वो थोड़ा थका हुआ था। वो थोड़ी देर सोने का फैसला करता है, और अपनी बेड पे लेट जाता है। उसे सोये एक घंटा भी नहीं हुआ था कि डोरबेल की आवाज़ से उसकी नींद खुल जाती है। वो जाकर दरवाजा खोलता है तो सामने फ़िज़ा खड़ी थी, उसके होंठों पे शरम और हया का मिला-जुला असर नज़र आ रहा था।

फ़िज़ा अंदर आते ही अमन से चिपक जाती है।

अमन-“ क्या हुआ, तू ठीक तो है?” अमन अभी भी थोड़ा नींद में था और जल्दी जागने से चिड़ा हुआ भी।

फ़िज़ा-“नहीं अमन, मैं ठीक नहीं हूँ मैं पागल हो गई हूँ पता नहीं मुझे क्या हो गया है। बस दिल करता है कि ऐसे ही तुम्हारी बाँहों में रहूं…” और फ़िज़ा अमन के चेहरे को, नाक को, माथे को, होंठों को चूमने लगती है।

अमन उसे छेड़ते हुए-“क्यों फ़िज़ा दीदी, रात को मज़ा नहीं आया क्या?”

फ़िज़ा-“हे, ये मज़ा मुझे रोज चाहिए, और खबरदार वो मुझे दीदी कहा तो…”

अमन-“तो क्या कहूँ?” और फ़िज़ा की चुचियाँ मसल देता है।

फ़िज़ा-“अह्म्मह… फ़िज़ा बोल, सिर्फ़ फ़िज़ा…”


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अमन-“ह्म्मम्म्म्म…” और दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगते हैं। दोनों की साँसें तेज थीं, पर अमन जानता था कि अभी इसे चोदा तो लण्ड कल से उठेगा भी नहीं। उसके लण्ड में अकड़न से उसे दर्द हो रहा था क्योंकी उसके लण्ड का चमड़ा निकला हुआ था। करीब 10 मिनट बाद अमन उसे अपने से अलग कर देता है। फिर पूछा-“क्यों आई थी अभी?”
फ़िज़ा-“अरे हाँ, मैं तो भूल ही गई, अम्मी ने नाश्ते के लिये बुलाया है। जल्दी चलो…”

अमन-“तू जा, मैं चेंज करके आता हूँ…”

फ़िज़ा-“जल्दी आना…” कहते हुए चली जाती है।

अमन-“साली रंडी…” वो अपनी पैंट पहन रहा था, जैसे ही वो चलने लगता है कि उसे दर्द होता है-औउच… अह्म्मह…” वो जल्दी से अपनी पैंट नीचे कर देता है, और अपनी लण्ड को हाथ में लेकर देखने लगता है। उसका खड़ा लण्ड पैंट से घिसने से और तकलीफ दे रहा था। वो दर्द के मारे झुंझला जाता है, और रजिया को फोन लगाता है।

रजिया फोन रिसीव करते हुए-क्या हुआ अमन?

अमन उसे सारे बात बताता है।

तो रजिया घबरा जाती है-“अमन, तुम फैक्टरी जाने से पहले हमारे फेमिली डाक्टर जिया-उर-रहमान से मिलते जाना…”

अमन-“ठीक है, मैं चला जाऊँगा…”

रजिया-“और हाँ तुम जीन्स मत पहनो, कुर्ता पायज़ामा पहन लो…”

अमन-“ओके…” और वो कुर्ता पायज़ामा पहन लेता है। जैसे इस पठानी कुर्ते में वो बहुत हैंडसम लग रहा था। वो खुद को मिरर में देखते हुए अपने बाल संवारता है, और फिर रेहाना की तरफ चल देता है।

रेहाना अमन को देखकर खुश होते हुए-“आओ अमन, यहाँ बैठो…”

मलिक-“अरे क्या बेटा इतनी देर कर दी, नाश्ता ठंडा हो रहा है। चलो जल्दी बैठो…”

अमन डाइनिंग टेबल पे बैठते हुए फ़िज़ा को देखता है। वो उसे ही देख रही थी। उसके चेहरे पे मुश्कान आ जाती है।

मलिक-“और सुनाओ बेटा, नींद अच्छे से आई थी ना?”

अमन रेहाना और फ़िज़ा को देखते हुए-“हाँ चाचू, मैं तो रूम में जाते हैी सो गया था…”
फ़िज़ा को झटका लग जाता है।

रेहाना उसे पानी देते हुए-“ठीक से खाओ बेटा…” और फिर रेहाना फ़िज़ा को घूरने लगती है। दोनों औरतें अमन को देख रही थीं। अगर मलिक यहाँ नहीं होता तो शायद ये दोनों नंगी होतीं और अमन का लण्ड अपनी चूत में ले रही होतीं।

अमन रेहाना के तरफ देखते हुए-“नाश्ता बहुत अच्छा बना है, चाची जान…”
रेहाना-“आज का नाश्ता फ़िज़ा ने बनाया है…”

फ़िज़ा शरमाते हुए-“क्या अम्मी, मैंने तो बस थोड़ी मदद की थी…”
अमन-“ह्म्मम्म्म्म… घर के काम सीखना अच्छी बात है…” और वो फ़िज़ा को देखते हुए आँख मार देता है। नाश्ता करने के बाद अमन जल्दी से फैक्टरी की तरफ निकल जाता है। रास्ते में उसे याद आता है कि डाक्टर से मिलना है, और वो डाक्टर के क्लीनिक चला जाता है।

डाक्टर जिया-उर-रहमान उसके फेमिली डाक्टर थे। उनकी उमर 45 साल के करीब थी। उनकी पहली बीवी की मौत हो चुकी थी, इसलिये उन्होंने दूसरी शादी की थी पर कुछ ही महीने में वो चली गई और फिर दुबारा नहीं आई। अमन ने किसी से सुना था कि वो अपने प्रेमी के साथ भाग गई। अमन यही बातें सोचता हुआ क्लीनिक पहुँच जाता है।

क्लीनिक में वो वेटिंग रूम में बैठ जाता है। उसकी नज़र सामने की दीजार पे पड़ती है। वहाँ लिखा था-“डाक्टर सानिया ख़ान एम॰बी॰बी॰एस॰ सी॰एच॰ डी॰जी॰ओ॰”

अमन रिसेप्सनिस्ट से पूछता है-ये डाक्टर सानिया कौन हैं?

रिसेप्सनिस्ट-डाक्टर जिया सर की तीसरी बीवी है।

अमन दिल में-“ये साला कमीना डाक्टर कितनी चूतों को बर्बाद करेगा?”

एक दो मरीजों के बाद अमन का नंबर आता है। जब अमन डाक्टर के केबिन में पहुँचता है, तो उसके पैर रुक जाते हैं। उसने तो सोचा था कि अंदर जिया डाक्टर होंगे पर यहाँ तो वो थे ही नहीं।

बल्की एक 25 से 26 साल की खूबसूरत लेडी डाक्टर बैठी हुई थी। ये डाक्टर सानिया थी। डाक्टर सानिया एक निहायत ही खूबसूरत औरत थी। अभी कुछ 6 महीने पहले उसके शादी जिया-उर-रहमान से हुई थी। सानिया का रंग व्हाइटिश था, आँखें बड़ी-बड़ी, होंठ गुलाबी जिससे लिपिस्टिक की भी ज़रूरत नहीं थी। चूचे ज्यादा बड़े नहीं थे, पेट एकदम पतला जैसे 16 साल की कुँवारी लड़की का होता है।

अमन उसे देखता ही रह जाता है।

सानिया-आइए।

अमन-“जी वो मैं… वो मुझे डाक्टर जिया से मिलना था…”

सानिया बहुत सुलझी हुई डाक्टर थी-“आप पहले बैठें तो सही…”

अमन-“जी…” और अमन चेयर पे बैठ जाता है।

सानिया-जी, आपका नाम क्या है?

अमन उसके हिलते होंठ ही देखता रह जाता है।

सानिया मुस्कुराते हुए-आपका नाम?

अमन-“जी… जी वो… मेरा नाम… हाँ मेरा नाम अमन ख़ान है। और मुझे पुरुष डाक्टर से मिलना है। मेरा मतलब डाक्टर जिया से मिलना है…”

सानिया हँसते हुए-“आपके डाक्टर जिया तो कुछ दिनों के लिये बाहर गये हैं। मुझे बताएं क्या प्राब्लम है? आई एम आल्सो डाक्टर…”
अमन दिल में-“क्या कर रहा है? अमन कंट्रोल बेटा, डर मत उसके पास गन नहीं चूत है…” अमन अपने को सभालते हुए-“पर वो मसला तो पुरुष डाक्टर को ही बता सकता हूँ…”

सानिया-“चिंता मत करो… डाक्टर और पेशेंट में क्या परदा? ह्म्मम्म्म्म… आप ऐसा करो यहाँ लेट जाओ और क्या प्राब्लम है, ज़रा अच्छे से बताओ। तभी मैं ठीक ट्रीटमेंट कर पाऊँगी…”

अमन सामने बेंच पे लेट जाता है।

सानिया उसके पास खड़ी हो जाती है, और परदा खींच लेती है-“ह्म्मम्म्म्म… अब बोलिये अमन, क्या प्राब्लम है?”

अमन शरमाते हुए-“जी वो… मुझे इन्फेक्सन हो गया है…”

सानिया-कहाँ?

अमन-“यहाँ…” अपने लण्ड की तरफ इशारा करते हुए।

सानिया-“ह्म्मम्म्म्म… अपना पायज़ामा नीचे उतारो…”

अमन-क्या?

सानिया-“अरे, जब तक मैं चेक नहीं करूंगी सही ट्रीटमेंट कैसे दे पाउन्गी? चलो शाबाश…”

अमन अपना पायज़ामा नीचे कर देता है।
सानिया की नज़र जैसे ही अमन के लण्ड पे पड़ती है, वो घबरा जाती है-“ये क्या है? मेरा मतलब है?” और अमन के लण्ड को पकड़कर इधर-उधर देखने लगती है। फिर पूछा-ये कैसे हुआ अमन?

अमन-“मुझे क्या पता? आप डाक्टर हो, आपको पता होना चाहिए…”

सानिया के होंठ सूखने लगे थे। वो काँपते हाथों से अमन के लण्ड के ऊपर के चमड़े को देखती है-“ये किसी चीज़ से घिसने से होता है…”

अमन दिल में-“अब तुझे क्या बताऊँ कि कहाँ-कहाँ घिसता है ये?”

सानिया के हाथ में दस्ताने थे। पर अमन के लण्ड को पकड़ने से अमन के लण्ड में जान आने लगे थी और वो अपना आकार ले रहा था। सानिया अमन के लण्ड को दबाती है।

अमन-“अह्म्मह… दर्द होता है डाक्टर…”

सानिया दराज में से एक जेल्ली निकालती है, और अमन के लण्ड पे लगाती है। ये दरअसल एक ठंडा मलहम था वो त्वचा को ठंडक पहुँचाने के लिये और इन्फेक्सन के लिये इश्तेमाल होता था। जब सानिया अमन के पूरे लण्ड को वो जेल्ली लगा रही थी, तब अमन का लण्ड ठंडी जेल्ली से पूरी तरह तन गया था और सानिया को हाथों में संभालना मुश्किल हो रहा था।

सानिया अपने दोनों हाथों से अमन के लण्ड को सहलाने लगती है। दरअसल सानिया ने पहली बार इतना मोटा और लंबा लण्ड देखा था। उसके शौहर का तो 4” इंच का ही था। वो डाक्टर थी, उसे लण्ड का साइज़ पता था। पर उसे अपनी हाथों से नापना ये पहली बार था। वो अमन के लण्ड को जोर-जोर से सहलाने लगती है, जैसे मूठ मार रही हो।

अमन-“अह्म्मह…” वो हँसने लगता है।

सानिया होश में आते हुए-“क्या हुआ, हँस क्यों रहे हो?”

अमन-“मुझे एक जोक याद आ गया इसलिये…”

सानिया-जोक… मुझे भी सुनाओ।

अमन-नहीं नहीं, आपको बुरा लग जाएगा।
सानिया लण्ड सहलाते हुए-नहीं लगेगा बोलो भी।

अमन-ओके सुनो-

एक पेशेंट एक लेडी डाक्टर के पास जाता है।

पेशेंट-मेडम, मेडम मेरा लौड़ा खड़ा होता ही नहीं और अगर होता है तो जल्दी से ढीला हो जाता है।

लेडी डाक्टर उस पेशेंट के लण्ड को सहलाते हुए टाइट करती है। पर वो जल्दी से ढीला पड़ जाता है। फिर डाक्टर उसके लण्ड को एक पानी के जग में डालती है।
पेशेंट-डाक्टर साहिबा, आप ये क्या कर रही हो?

लेडी डाक्टर-“देख रही हूँ कि तुम्हारा लण्ड कहीं पंचर तो नहीं हो गया है?”


***** *****

सानिया अमन के लण्ड को जोर से मरोड़ते हुए खिलखिलाकर हँसने लगती है-बेशरम कहीं के।

अमन-“अह्म्मह…” और जोर से हँसने लगता है-“मेडम, कहीं आप भी मेरे…”

सानिया अमन के होंठों पे उंगली रखते हुए-“तुम जैसे दिखते हो जैसे हो नहीं… गंदे हो, बहुत गंदे। चलो उठो और ये पहन लो। मैं एक मलहम लिखकर दे देती हूँ। दो बार लगाना और दो दिन बाद मुझसे मिलने… मेरा मतलब है कि यहाँ आना। मैं चेक करूंगी…”

अमन मुस्कुराते हुए-ओके मेडम जी।

सानिया अमन से उसका फोन नंबर ले लेती है।

अमन उसे नंबर देने के बाद क्लीनिक से बाहर आता है, और सोचता है कि इसने मेरा नंबर क्यों लिया होगा? और अपना सर झटक के फैक्टरी चला जाता है।

उधर महक जब अपने घर में नहा रही थी तो उसे अमन के लण्ड का एहसास अपनी गाण्ड में होने लगता है। कैसे वो अमन की गोद में बैठकर ड्राइविंग सीख रही थी। उसका हाथ अपनी चूत पे चला जाता है, और वो अपनी चूत की क्लिट को मसलने लगती है-“अह्म्मह… ओह्म्मह… उंन्ह… अमन…” नज़ाने उसे क्या हो रहा था कि उसे अमन की बहुत याद आ रही थी।

वो चाहती थी कि अमन से वो जल्द से जल्द मिले, उससे बातें करे, उसकी गोद में बैठकर ड्राइविंग करे और वो सारी बातें वो एक औरत नहाते हुए सोचती है। उसकी चूत गीली हो गई थी, चोट का पानी जाँघ से बहने लगता है। वो दुबारा नहाकर बाथरूम से बाहर आती है। और शीशे के सामने खड़े होकर अपने आपको देखने लगती है।

उसका जिस्म सुडौल था, हर एक चीज़ जैसे तराशी हुई थी, गुलाबी निपल उसकी जवानी में चार चाँद लगा रहे थे। वो घूमकर अपनी कमर को देखती है-चिकनी मखमली कमर और दोनों कमर के बीच की वो दरार वो नीचे तक जाती थी। अह्म्मह… वो फिर से गरम होने लगती है।

पर उसे अमन से मिलना था। वो कुछ सोचते हुए अपने कपड़े अलमारी से निकालती है। अपने हाथ में पैंटी लेती हुए मुस्कुरा देती है। फिर पता नहीं क्यों अपनी पैंटी वापस रख देती है, और बिना पैंटी के शलवार पहन लेती है। थोड़ा सा मेकप करके फैक्टरी के लिये निकल जाती है।

जब अमन फैक्टरी पहुँचा वो बहुत खुश था। वजह शायद डाक्टर सानिया थी। उसे लगने लगा था कि शायद एक और नई चूत नशीब हो जाये।

महक आज बेसबरी से अमन का इंतजार कर रही थी। जैसे ही अमन उसके केबिन में दाखिल होता है, महक अपनी चेयर से खड़े हो जाती है। कहती है-“कितने लेट आए हो आज तुम। अमन, तुम्हें ज़रा भी मेरा खयाल नहीं, कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ मैं…”

और वो बोलते-बोलते चुप हो जाती है। ज़ज्बात की आँधी जब चलती है तो वो सब कुछ उड़ा ले जाती है। वो ये नहीं देखती सामने कौन है? उमस तरह महक के दिल का हाल भी यही था… ज़ज्बात ने उसके दिल का हाल अपनी जीभ पे ला दिया था। वो अपनी कही हुए बात पे नर्वस हो जाती है।
अमन उसकी हालत समझ चुका था वो मामला संभालते हुए-“उफफ्र्फ… ये ट्रैफिक भी ना कितना हो गया है, हमारे शहर में। चलो जल्दी से कोफी बनाओ…” अमन ऐसे बिहेव कर रहा था जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं या उसे कुछ समझ में ही नहीं आया।

महक के चेहरे पे मुश्कान आ जाती है, और वो दोनों के लिये कोफी बनाने लगती है।

अमन-“आज मौसम बहुत अच्छा है। चारों तरफ बादल हैं…”

महक-“हाँ सच बहुत अच्छा मौसम है…” और अमन की तरफ कोफी बढ़ाते हुए-“चलो अमन, आज मेरा बिल्कुल भी मूड नहीं है यहाँ बैठने का। इस मौसम में तो पिकनिक करनी चाहिए…”

अमन-वाउ… पिकनिक… सच वो बचपन की यादें आज भी मेरे दिमाग़ में ताजा है। जब हम सभी परिवार मेंबर पिकनिक पे जाया करते थे। यहाँ से 20 किलोमीटर पे एक बहुत ही खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है। अगर आप चलना पसंद करो तो हम चल सकते हैं…”

महक-क्यों नहीं चलो? और दोनों चल देते हैं।

अमन किसी बच्चे की तरह खुश था, उसे अपना बचपन याद आ रहा था। हर इंसान के अंदर उसका बचपन छुपा होता है। और जब वो बड़ा होने के बाद उन्हीं रास्तों पे दुबारा चलता है, वहाँ वो बचपन में खूब खेला करता था, घुमा करता था तो उसे वो हर एक बात याद आ जाती है।

महक मार्केट से कुछ फल, साफ्ट ड्रिंक्स और कुछ स्नेक्स ले लेती है। जब वो दोनों अमन के बताए हुए जगह पहुँचे तो महक बहुत हैरान हुई।

महक-“अमन मुझे पता ही नहीं था कि हमारे इतने करीब इतनी खूबसूरत जगह भी है…”

अमन-“तुम्हें फैक्टरी और काम से फ़ुर्सत मिले तो पता चले ना…” और दोनों मुस्कुराते हुए इधर-उधर घूमने लगते हैं।

वहाँ चारों तरफ फूल हरी घास थी, बड़े-बड़े पेड़ और दूर एक पहाड़ था। वो दोनों काफी खुश थे। महक चलते-चलते अपने हाथ में अमन का हाथ ले लेती है। अमन उसके हाथ के तरफ देखता है, और अपनी उंगलियाँ उसकी उंगलियों में कस लेता है। दोनों कुछ नहीं कहते और घूमते-घूमते एक खुले मैदान में पहुँच जाते हैं। वहाँ सिर्फ़ घास थी और छोटी-छोटी तितलियाँ उड़ रही थीं। अमन धड़ाम से वहाँ सो जाता है, और साथ महक को भी बैठा देता है।

महक उसके पास बैठी थी और अपने हाथों से घास के पवत्तयां खींचने लगती है। फिर महक ने कहा-एक बात पूछूं अमन?
अमन-हाँ पूछो।

महक-तुम्हारी कोई गल़फ्रेंड है?

अमन-“नहीं… तुम पहले नहीं मिली ना…”

महक शरमाते हुए-“शटअप… मैं अगर तुम्हें पहले मिलती तो क्या तुम?”

अमन-हाँ बिल्कुल… अगर तुम मुझे पहले मिलती तो मैं तुम्हें कब का अपनी गल़फ्रेंड बना लेता।

महक-“अह्म्महऊ… ऐसा क्या है मुझमें वो तुम मुझे अपनी गल़फ्रेंड बना लेते?”

अमन-तुम्हारे आँखें।

महक चौंकते हुए अमन की तरफ देखते हुए-क्या हुआ मेरी आँखों को?

अमन-“अरे बाबा, कुछ हुआ नहीं है। तुम्हारी आँखें बहुत नशीली है,। बहुत कुछ छुपा है इन आँखों में…”

महक के चेहरे की मुश्कान गायब हो चुकी थी। उसे अमन के साथ ऐसी बातें करने में बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। आज पहली बार उसके मम्मी-पापा के अलाजा किसी और मर्द ने उसके जिस्म के किसी हिस्से की तारीफ की था और वो भी इतने फार्मल तरीके से।

औरत कोई भी हो उसे अपनी तारीफ सुनना बहुत अच्छा लगता है, और खास तौर पे उस इंसान से जिससे वो प्यार करता हो। महक के दिल की भी यही हालत थी, वो दिल में सोचती है कि मुझे अमन की बात का बुरा क्यों नहीं लग रहा है? ऐसा क्यों हो रहा है? क्या मुझे अमन से? अनहीं नहीं… मैं शादीशुदा हूँ ये गलत है।

महक-“चलो अमन, फैक्टरी चलते हैं…”

अमन चौंकते हुए-क्यों क्या हुआ?

महक-“कुछ नहीं हुआ, चलो मुझे जरूरी काम है…”

अमन को ऐसे लगा जैसे उसकी कही हुई बात महक को बुरी लगी। वो दोनों कार के पास पहुँच जाते है।

महक-मैं ड्राइविंग करूं?

अमन-आर यू श्योर, तुम चला लोगी?

महक कुछ सोचते हुए-“तुम बैठो, मैं तुम्हारे गोद में बैठकर ड्राइविंग करती हूँ…”

अमन का दिल खुश-“अरे वाह… नेकी और पूछ पूछ… ओके…” और अमन ड्राइविंग सीट पे बैठ जाता है।

महक जल्दी से आकर गोद में बैठ जाती है। अमन ने पायज़ामा पहना हुआ था, वो भी बिना अंडरवेअर का और महक ने शलवार… वो भी बिना पैंटी के। जैसे ही वो अमन की गोद में बैठती है, उसे अपनी गाण्ड में अमन का लण्ड महसूस होता है।

महक-“उंह्म्मह…” अपने आपको अड्जस्ट करती है।

अमन-क्या हुआ चलें?

महक-“हाँ…” और महक कार स्टार्ट कर देती है। कार अपनी धीरे स्पीड में थी महक अच्छा चला रही थी। वो अमन की छाती से अपनी पीठ टिका देती है, और धीरे-धीरे कार चलाने लगती है-“मैं ठीक चला रही हूँ ना अमन?”

अमन अपने हाथ महक के पेट पे रखते हुए-“बहुत अच्छा चला रही हो…” और धीरे-धीरे महक के पेट को सहलाने लगता है।
महक अमन की इस हरकत से बहकने लगती है-“अह्म्मह… क्या कर रहे हो अमन? मुझे गुदगुदी होती है…"

अमन महक के कान के पास अपने होंठ रख देता है-“कुछ भी तो नहीं महक…” अमन के हाथ अब ऊपर सरकने लगे थे।

महक कसमसाते हुए ब्रेक मार देती है-“अह्म्मह… अमन प्लीज़्ज़ज्ज्ज…”

अमन का लण्ड खड़ा हो चुका था। अंडरवेअर ना पहनने की वजह से वो डाइरेक्ट महक की चूत के पास टच हो रहा था।

महक अपनी आँखें बंद कर लेती है-“अह्म्मह… प्लीज़्ज़ज्ज्ज अमन… ऐसा ना करो ना…”

अमन धीरे से महक के कान में-“आई लव यू महक…”

महक पूरी तरह गरम हो चुकी थे और अमन के प्रपोज करने से तो उसकी हालत बिल्कुल खराब हो चुकी थी। शायद वो भी यही चाहती थी कि पहले अमन उसे प्रपोज करे। महक अमन की आँखों में देखते हुए-“सच अमन…”

अमन-“हाँ महक, मैं सच में तुझसे प्यार करने लगा हूँ…” और अमन महक की नरम मुलायम चुचियाँ मसलने लगता है।

महक-“अह्म्मह… स्शस्स्स्स्स…” वो अपने होंठ अमन के होंठों पे रख देती है।

दोनों एक दूसरे को चूसने लगते हैं। अमन अपना एक हाथ नीचे महक की चूत पे रख देता है, और बिना पैंटी वाली उसकी गीले चूत को मसलने लगता है।

महक-“उंह्म्मह… उंन्ह… अमन… आई लव यू टू अह्म्मह… ओह्म्मह…” महक से बर्दाश्त करना मुश्किल था वो सिसकारियाँ भरने लगती है-“आअह्म्मह… ओह्म्मह… उंन्ह…”
अमन अपना हाथ महक की शलवार में डाल देता है। महक की चूत गीली थी। जैसे ही उसपे अमन का हाथ लगता है, वो उछलने लगती है। पर अमन की पकड़ मजबूत थी, वो अपनी एक उंगली महक की चूत में डाल देता है।

महक-“अह्म्मह… क्या कर रहे हो अमन? नहीं… उंन्ह…”

अमन एक हाथ से महक की चुचियाँ मसलते हुए, दूसरे हाथ की उंगली महक की चूत में अंदर-बाहर करने लगता है।
महक चिल्लाते हुए-“उंन्ह… अह्म्मह… अह्म्मह… अमन मैं गई उंन्ह…” और महक पानी छोड़ देती है। उसकी चूत से निकला हुआ पानी अमन का हाथ भिगा देता है। 5 मिनट तक महक आँखें नहीं खोलती। पर जब वो आँखें खोलती है, तो उसका चेहरा टेन्स था, वो परेशान दिखाई दे रही थी। महक अमन की गोद से उतर जाती है, और साइड में बैठ जाती है।

अमन-क्या हुआ स्वीट हार्ट?

महक-मुझे फैक्टरी छोड़ दो अभी।

अमन-“चली जायेगी?” और अमन महक की तरफ बढ़ता है।

पर महक अपना चेहरा दूसरे तरफ कर लेती है-“प्लीज़… अमन चलो…”

अमन गुस्से से दिल में-“साली रंडी, अपना पानी निकल गया तो मुझे पहचानने से भी इनकार… खड़े लण्ड पे धोखा…” और अमन फुल स्पीड में कार फैक्टरी की तरफ बढ़ा देता है।
फैक्टरी पहुँचकर महक अपने केबिन में चली जाती है।

अमन उसके पीछे जाने लगता है। तभी उसका फोन बजता है। फोन ख़ान साहब का था।
अमन-हेलो अब्बू, क्या बात है?

ख़ान साहब गम्भीर आवाज़ में-“अमन, तुम अभी के अभी यहाँ नाना अब्बू के यहाँ आ जाओ। तुम्हारे नाना जान तुमसे बात करना चाहते हैं…”

अमन-“जी अब्बू, अभी आया…” और अमन अपनी बाइक पे नाना जान के यहाँ निकल जाता है।
 
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Ajju Landwalia

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सबेरे 8:00 बजे-

अमन रजिया से फोन पे बात करने के बाद फोन रख देता है। रात की जोरदार चुदाई से वो थोड़ा थका हुआ था। वो थोड़ी देर सोने का फैसला करता है, और अपनी बेड पे लेट जाता है। उसे सोये एक घंटा भी नहीं हुआ था कि डोरबेल की आवाज़ से उसकी नींद खुल जाती है। वो जाकर दरवाजा खोलता है तो सामने फ़िज़ा खड़ी थी, उसके होंठों पे शरम और हया का मिला-जुला असर नज़र आ रहा था।

फ़िज़ा अंदर आते ही अमन से चिपक जाती है।

अमन-“ क्या हुआ, तू ठीक तो है?” अमन अभी भी थोड़ा नींद में था और जल्दी जागने से चिड़ा हुआ भी।

फ़िज़ा-“नहीं अमन, मैं ठीक नहीं हूँ मैं पागल हो गई हूँ पता नहीं मुझे क्या हो गया है। बस दिल करता है कि ऐसे ही तुम्हारी बाँहों में रहूं…” और फ़िज़ा अमन के चेहरे को, नाक को, माथे को, होंठों को चूमने लगती है।

अमन उसे छेड़ते हुए-“क्यों फ़िज़ा दीदी, रात को मज़ा नहीं आया क्या?”

फ़िज़ा-“हे, ये मज़ा मुझे रोज चाहिए, और खबरदार वो मुझे दीदी कहा तो…”

अमन-“तो क्या कहूँ?” और फ़िज़ा की चुचियाँ मसल देता है।

फ़िज़ा-“अह्म्मह… फ़िज़ा बोल, सिर्फ़ फ़िज़ा…”


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अमन-“ह्म्मम्म्म्म…” और दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगते हैं। दोनों की साँसें तेज थीं, पर अमन जानता था कि अभी इसे चोदा तो लण्ड कल से उठेगा भी नहीं। उसके लण्ड में अकड़न से उसे दर्द हो रहा था क्योंकी उसके लण्ड का चमड़ा निकला हुआ था। करीब 10 मिनट बाद अमन उसे अपने से अलग कर देता है। फिर पूछा-“क्यों आई थी अभी?”
फ़िज़ा-“अरे हाँ, मैं तो भूल ही गई, अम्मी ने नाश्ते के लिये बुलाया है। जल्दी चलो…”

अमन-“तू जा, मैं चेंज करके आता हूँ…”

फ़िज़ा-“जल्दी आना…” कहते हुए चली जाती है।

अमन-“साली रंडी…” वो अपनी पैंट पहन रहा था, जैसे ही वो चलने लगता है कि उसे दर्द होता है-औउच… अह्म्मह…” वो जल्दी से अपनी पैंट नीचे कर देता है, और अपनी लण्ड को हाथ में लेकर देखने लगता है। उसका खड़ा लण्ड पैंट से घिसने से और तकलीफ दे रहा था। वो दर्द के मारे झुंझला जाता है, और रजिया को फोन लगाता है।

रजिया फोन रिसीव करते हुए-क्या हुआ अमन?

अमन उसे सारे बात बताता है।

तो रजिया घबरा जाती है-“अमन, तुम फैक्टरी जाने से पहले हमारे फेमिली डाक्टर जिया-उर-रहमान से मिलते जाना…”

अमन-“ठीक है, मैं चला जाऊँगा…”

रजिया-“और हाँ तुम जीन्स मत पहनो, कुर्ता पायज़ामा पहन लो…”

अमन-“ओके…” और वो कुर्ता पायज़ामा पहन लेता है। जैसे इस पठानी कुर्ते में वो बहुत हैंडसम लग रहा था। वो खुद को मिरर में देखते हुए अपने बाल संवारता है, और फिर रेहाना की तरफ चल देता है।

रेहाना अमन को देखकर खुश होते हुए-“आओ अमन, यहाँ बैठो…”

मलिक-“अरे क्या बेटा इतनी देर कर दी, नाश्ता ठंडा हो रहा है। चलो जल्दी बैठो…”

अमन डाइनिंग टेबल पे बैठते हुए फ़िज़ा को देखता है। वो उसे ही देख रही थी। उसके चेहरे पे मुश्कान आ जाती है।

मलिक-“और सुनाओ बेटा, नींद अच्छे से आई थी ना?”

अमन रेहाना और फ़िज़ा को देखते हुए-“हाँ चाचू, मैं तो रूम में जाते हैी सो गया था…”
फ़िज़ा को झटका लग जाता है।

रेहाना उसे पानी देते हुए-“ठीक से खाओ बेटा…” और फिर रेहाना फ़िज़ा को घूरने लगती है। दोनों औरतें अमन को देख रही थीं। अगर मलिक यहाँ नहीं होता तो शायद ये दोनों नंगी होतीं और अमन का लण्ड अपनी चूत में ले रही होतीं।

अमन रेहाना के तरफ देखते हुए-“नाश्ता बहुत अच्छा बना है, चाची जान…”
रेहाना-“आज का नाश्ता फ़िज़ा ने बनाया है…”

फ़िज़ा शरमाते हुए-“क्या अम्मी, मैंने तो बस थोड़ी मदद की थी…”
अमन-“ह्म्मम्म्म्म… घर के काम सीखना अच्छी बात है…” और वो फ़िज़ा को देखते हुए आँख मार देता है। नाश्ता करने के बाद अमन जल्दी से फैक्टरी की तरफ निकल जाता है। रास्ते में उसे याद आता है कि डाक्टर से मिलना है, और वो डाक्टर के क्लीनिक चला जाता है।

डाक्टर जिया-उर-रहमान उसके फेमिली डाक्टर थे। उनकी उमर 45 साल के करीब थी। उनकी पहली बीवी की मौत हो चुकी थी, इसलिये उन्होंने दूसरी शादी की थी पर कुछ ही महीने में वो चली गई और फिर दुबारा नहीं आई। अमन ने किसी से सुना था कि वो अपने प्रेमी के साथ भाग गई। अमन यही बातें सोचता हुआ क्लीनिक पहुँच जाता है।

क्लीनिक में वो वेटिंग रूम में बैठ जाता है। उसकी नज़र सामने की दीजार पे पड़ती है। वहाँ लिखा था-“डाक्टर सानिया ख़ान एम॰बी॰बी॰एस॰ सी॰एच॰ डी॰जी॰ओ॰”

अमन रिसेप्सनिस्ट से पूछता है-ये डाक्टर सानिया कौन हैं?

रिसेप्सनिस्ट-डाक्टर जिया सर की तीसरी बीवी है।

अमन दिल में-“ये साला कमीना डाक्टर कितनी चूतों को बर्बाद करेगा?”

एक दो मरीजों के बाद अमन का नंबर आता है। जब अमन डाक्टर के केबिन में पहुँचता है, तो उसके पैर रुक जाते हैं। उसने तो सोचा था कि अंदर जिया डाक्टर होंगे पर यहाँ तो वो थे ही नहीं।

बल्की एक 25 से 26 साल की खूबसूरत लेडी डाक्टर बैठी हुई थी। ये डाक्टर सानिया थी। डाक्टर सानिया एक निहायत ही खूबसूरत औरत थी। अभी कुछ 6 महीने पहले उसके शादी जिया-उर-रहमान से हुई थी। सानिया का रंग व्हाइटिश था, आँखें बड़ी-बड़ी, होंठ गुलाबी जिससे लिपिस्टिक की भी ज़रूरत नहीं थी। चूचे ज्यादा बड़े नहीं थे, पेट एकदम पतला जैसे 16 साल की कुँवारी लड़की का होता है।

अमन उसे देखता ही रह जाता है।

सानिया-आइए।

अमन-“जी वो मैं… वो मुझे डाक्टर जिया से मिलना था…”

सानिया बहुत सुलझी हुई डाक्टर थी-“आप पहले बैठें तो सही…”

अमन-“जी…” और अमन चेयर पे बैठ जाता है।

सानिया-जी, आपका नाम क्या है?

अमन उसके हिलते होंठ ही देखता रह जाता है।

सानिया मुस्कुराते हुए-आपका नाम?

अमन-“जी… जी वो… मेरा नाम… हाँ मेरा नाम अमन ख़ान है। और मुझे पुरुष डाक्टर से मिलना है। मेरा मतलब डाक्टर जिया से मिलना है…”

सानिया हँसते हुए-“आपके डाक्टर जिया तो कुछ दिनों के लिये बाहर गये हैं। मुझे बताएं क्या प्राब्लम है? आई एम आल्सो डाक्टर…”
अमन दिल में-“क्या कर रहा है? अमन कंट्रोल बेटा, डर मत उसके पास गन नहीं चूत है…” अमन अपने को सभालते हुए-“पर वो मसला तो पुरुष डाक्टर को ही बता सकता हूँ…”

सानिया-“चिंता मत करो… डाक्टर और पेशेंट में क्या परदा? ह्म्मम्म्म्म… आप ऐसा करो यहाँ लेट जाओ और क्या प्राब्लम है, ज़रा अच्छे से बताओ। तभी मैं ठीक ट्रीटमेंट कर पाऊँगी…”

अमन सामने बेंच पे लेट जाता है।

सानिया उसके पास खड़ी हो जाती है, और परदा खींच लेती है-“ह्म्मम्म्म्म… अब बोलिये अमन, क्या प्राब्लम है?”

अमन शरमाते हुए-“जी वो… मुझे इन्फेक्सन हो गया है…”

सानिया-कहाँ?

अमन-“यहाँ…” अपने लण्ड की तरफ इशारा करते हुए।

सानिया-“ह्म्मम्म्म्म… अपना पायज़ामा नीचे उतारो…”

अमन-क्या?

सानिया-“अरे, जब तक मैं चेक नहीं करूंगी सही ट्रीटमेंट कैसे दे पाउन्गी? चलो शाबाश…”

अमन अपना पायज़ामा नीचे कर देता है।
सानिया की नज़र जैसे ही अमन के लण्ड पे पड़ती है, वो घबरा जाती है-“ये क्या है? मेरा मतलब है?” और अमन के लण्ड को पकड़कर इधर-उधर देखने लगती है। फिर पूछा-ये कैसे हुआ अमन?

अमन-“मुझे क्या पता? आप डाक्टर हो, आपको पता होना चाहिए…”

सानिया के होंठ सूखने लगे थे। वो काँपते हाथों से अमन के लण्ड के ऊपर के चमड़े को देखती है-“ये किसी चीज़ से घिसने से होता है…”

अमन दिल में-“अब तुझे क्या बताऊँ कि कहाँ-कहाँ घिसता है ये?”

सानिया के हाथ में दस्ताने थे। पर अमन के लण्ड को पकड़ने से अमन के लण्ड में जान आने लगे थी और वो अपना आकार ले रहा था। सानिया अमन के लण्ड को दबाती है।

अमन-“अह्म्मह… दर्द होता है डाक्टर…”

सानिया दराज में से एक जेल्ली निकालती है, और अमन के लण्ड पे लगाती है। ये दरअसल एक ठंडा मलहम था वो त्वचा को ठंडक पहुँचाने के लिये और इन्फेक्सन के लिये इश्तेमाल होता था। जब सानिया अमन के पूरे लण्ड को वो जेल्ली लगा रही थी, तब अमन का लण्ड ठंडी जेल्ली से पूरी तरह तन गया था और सानिया को हाथों में संभालना मुश्किल हो रहा था।

सानिया अपने दोनों हाथों से अमन के लण्ड को सहलाने लगती है। दरअसल सानिया ने पहली बार इतना मोटा और लंबा लण्ड देखा था। उसके शौहर का तो 4” इंच का ही था। वो डाक्टर थी, उसे लण्ड का साइज़ पता था। पर उसे अपनी हाथों से नापना ये पहली बार था। वो अमन के लण्ड को जोर-जोर से सहलाने लगती है, जैसे मूठ मार रही हो।

अमन-“अह्म्मह…” वो हँसने लगता है।

सानिया होश में आते हुए-“क्या हुआ, हँस क्यों रहे हो?”

अमन-“मुझे एक जोक याद आ गया इसलिये…”

सानिया-जोक… मुझे भी सुनाओ।

अमन-नहीं नहीं, आपको बुरा लग जाएगा।
सानिया लण्ड सहलाते हुए-नहीं लगेगा बोलो भी।

अमन-ओके सुनो-

एक पेशेंट एक लेडी डाक्टर के पास जाता है।

पेशेंट-मेडम, मेडम मेरा लौड़ा खड़ा होता ही नहीं और अगर होता है तो जल्दी से ढीला हो जाता है।

लेडी डाक्टर उस पेशेंट के लण्ड को सहलाते हुए टाइट करती है। पर वो जल्दी से ढीला पड़ जाता है। फिर डाक्टर उसके लण्ड को एक पानी के जग में डालती है।
पेशेंट-डाक्टर साहिबा, आप ये क्या कर रही हो?

लेडी डाक्टर-“देख रही हूँ कि तुम्हारा लण्ड कहीं पंचर तो नहीं हो गया है?”


***** *****

सानिया अमन के लण्ड को जोर से मरोड़ते हुए खिलखिलाकर हँसने लगती है-बेशरम कहीं के।

अमन-“अह्म्मह…” और जोर से हँसने लगता है-“मेडम, कहीं आप भी मेरे…”

सानिया अमन के होंठों पे उंगली रखते हुए-“तुम जैसे दिखते हो जैसे हो नहीं… गंदे हो, बहुत गंदे। चलो उठो और ये पहन लो। मैं एक मलहम लिखकर दे देती हूँ। दो बार लगाना और दो दिन बाद मुझसे मिलने… मेरा मतलब है कि यहाँ आना। मैं चेक करूंगी…”

अमन मुस्कुराते हुए-ओके मेडम जी।

सानिया अमन से उसका फोन नंबर ले लेती है।

अमन उसे नंबर देने के बाद क्लीनिक से बाहर आता है, और सोचता है कि इसने मेरा नंबर क्यों लिया होगा? और अपना सर झटक के फैक्टरी चला जाता है।

उधर महक जब अपने घर में नहा रही थी तो उसे अमन के लण्ड का एहसास अपनी गाण्ड में होने लगता है। कैसे वो अमन की गोद में बैठकर ड्राइविंग सीख रही थी। उसका हाथ अपनी चूत पे चला जाता है, और वो अपनी चूत की क्लिट को मसलने लगती है-“अह्म्मह… ओह्म्मह… उंन्ह… अमन…” नज़ाने उसे क्या हो रहा था कि उसे अमन की बहुत याद आ रही थी।

वो चाहती थी कि अमन से वो जल्द से जल्द मिले, उससे बातें करे, उसकी गोद में बैठकर ड्राइविंग करे और वो सारी बातें वो एक औरत नहाते हुए सोचती है। उसकी चूत गीली हो गई थी, चोट का पानी जाँघ से बहने लगता है। वो दुबारा नहाकर बाथरूम से बाहर आती है। और शीशे के सामने खड़े होकर अपने आपको देखने लगती है।

उसका जिस्म सुडौल था, हर एक चीज़ जैसे तराशी हुई थी, गुलाबी निपल उसकी जवानी में चार चाँद लगा रहे थे। वो घूमकर अपनी कमर को देखती है-चिकनी मखमली कमर और दोनों कमर के बीच की वो दरार वो नीचे तक जाती थी। अह्म्मह… वो फिर से गरम होने लगती है।

पर उसे अमन से मिलना था। वो कुछ सोचते हुए अपने कपड़े अलमारी से निकालती है। अपने हाथ में पैंटी लेती हुए मुस्कुरा देती है। फिर पता नहीं क्यों अपनी पैंटी वापस रख देती है, और बिना पैंटी के शलवार पहन लेती है। थोड़ा सा मेकप करके फैक्टरी के लिये निकल जाती है।

जब अमन फैक्टरी पहुँचा वो बहुत खुश था। वजह शायद डाक्टर सानिया थी। उसे लगने लगा था कि शायद एक और नई चूत नशीब हो जाये।

महक आज बेसबरी से अमन का इंतजार कर रही थी। जैसे ही अमन उसके केबिन में दाखिल होता है, महक अपनी चेयर से खड़े हो जाती है। कहती है-“कितने लेट आए हो आज तुम। अमन, तुम्हें ज़रा भी मेरा खयाल नहीं, कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ मैं…”

और वो बोलते-बोलते चुप हो जाती है। ज़ज्बात की आँधी जब चलती है तो वो सब कुछ उड़ा ले जाती है। वो ये नहीं देखती सामने कौन है? उमस तरह महक के दिल का हाल भी यही था… ज़ज्बात ने उसके दिल का हाल अपनी जीभ पे ला दिया था। वो अपनी कही हुए बात पे नर्वस हो जाती है।
अमन उसकी हालत समझ चुका था वो मामला संभालते हुए-“उफफ्र्फ… ये ट्रैफिक भी ना कितना हो गया है, हमारे शहर में। चलो जल्दी से कोफी बनाओ…” अमन ऐसे बिहेव कर रहा था जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं या उसे कुछ समझ में ही नहीं आया।

महक के चेहरे पे मुश्कान आ जाती है, और वो दोनों के लिये कोफी बनाने लगती है।

अमन-“आज मौसम बहुत अच्छा है। चारों तरफ बादल हैं…”

महक-“हाँ सच बहुत अच्छा मौसम है…” और अमन की तरफ कोफी बढ़ाते हुए-“चलो अमन, आज मेरा बिल्कुल भी मूड नहीं है यहाँ बैठने का। इस मौसम में तो पिकनिक करनी चाहिए…”

अमन-वाउ… पिकनिक… सच वो बचपन की यादें आज भी मेरे दिमाग़ में ताजा है। जब हम सभी परिवार मेंबर पिकनिक पे जाया करते थे। यहाँ से 20 किलोमीटर पे एक बहुत ही खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है। अगर आप चलना पसंद करो तो हम चल सकते हैं…”

महक-क्यों नहीं चलो? और दोनों चल देते हैं।

अमन किसी बच्चे की तरह खुश था, उसे अपना बचपन याद आ रहा था। हर इंसान के अंदर उसका बचपन छुपा होता है। और जब वो बड़ा होने के बाद उन्हीं रास्तों पे दुबारा चलता है, वहाँ वो बचपन में खूब खेला करता था, घुमा करता था तो उसे वो हर एक बात याद आ जाती है।

महक मार्केट से कुछ फल, साफ्ट ड्रिंक्स और कुछ स्नेक्स ले लेती है। जब वो दोनों अमन के बताए हुए जगह पहुँचे तो महक बहुत हैरान हुई।

महक-“अमन मुझे पता ही नहीं था कि हमारे इतने करीब इतनी खूबसूरत जगह भी है…”

अमन-“तुम्हें फैक्टरी और काम से फ़ुर्सत मिले तो पता चले ना…” और दोनों मुस्कुराते हुए इधर-उधर घूमने लगते हैं।

वहाँ चारों तरफ फूल हरी घास थी, बड़े-बड़े पेड़ और दूर एक पहाड़ था। वो दोनों काफी खुश थे। महक चलते-चलते अपने हाथ में अमन का हाथ ले लेती है। अमन उसके हाथ के तरफ देखता है, और अपनी उंगलियाँ उसकी उंगलियों में कस लेता है। दोनों कुछ नहीं कहते और घूमते-घूमते एक खुले मैदान में पहुँच जाते हैं। वहाँ सिर्फ़ घास थी और छोटी-छोटी तितलियाँ उड़ रही थीं। अमन धड़ाम से वहाँ सो जाता है, और साथ महक को भी बैठा देता है।

महक उसके पास बैठी थी और अपने हाथों से घास के पवत्तयां खींचने लगती है। फिर महक ने कहा-एक बात पूछूं अमन?
अमन-हाँ पूछो।

महक-तुम्हारी कोई गल़फ्रेंड है?

अमन-“नहीं… तुम पहले नहीं मिली ना…”

महक शरमाते हुए-“शटअप… मैं अगर तुम्हें पहले मिलती तो क्या तुम?”

अमन-हाँ बिल्कुल… अगर तुम मुझे पहले मिलती तो मैं तुम्हें कब का अपनी गल़फ्रेंड बना लेता।

महक-“अह्म्महऊ… ऐसा क्या है मुझमें वो तुम मुझे अपनी गल़फ्रेंड बना लेते?”

अमन-तुम्हारे आँखें।

महक चौंकते हुए अमन की तरफ देखते हुए-क्या हुआ मेरी आँखों को?

अमन-“अरे बाबा, कुछ हुआ नहीं है। तुम्हारी आँखें बहुत नशीली है,। बहुत कुछ छुपा है इन आँखों में…”

महक के चेहरे की मुश्कान गायब हो चुकी थी। उसे अमन के साथ ऐसी बातें करने में बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। आज पहली बार उसके मम्मी-पापा के अलाजा किसी और मर्द ने उसके जिस्म के किसी हिस्से की तारीफ की था और वो भी इतने फार्मल तरीके से।

औरत कोई भी हो उसे अपनी तारीफ सुनना बहुत अच्छा लगता है, और खास तौर पे उस इंसान से जिससे वो प्यार करता हो। महक के दिल की भी यही हालत थी, वो दिल में सोचती है कि मुझे अमन की बात का बुरा क्यों नहीं लग रहा है? ऐसा क्यों हो रहा है? क्या मुझे अमन से? अनहीं नहीं… मैं शादीशुदा हूँ ये गलत है।

महक-“चलो अमन, फैक्टरी चलते हैं…”

अमन चौंकते हुए-क्यों क्या हुआ?

महक-“कुछ नहीं हुआ, चलो मुझे जरूरी काम है…”

अमन को ऐसे लगा जैसे उसकी कही हुई बात महक को बुरी लगी। वो दोनों कार के पास पहुँच जाते है।

महक-मैं ड्राइविंग करूं?

अमन-आर यू श्योर, तुम चला लोगी?

महक कुछ सोचते हुए-“तुम बैठो, मैं तुम्हारे गोद में बैठकर ड्राइविंग करती हूँ…”

अमन का दिल खुश-“अरे वाह… नेकी और पूछ पूछ… ओके…” और अमन ड्राइविंग सीट पे बैठ जाता है।

महक जल्दी से आकर गोद में बैठ जाती है। अमन ने पायज़ामा पहना हुआ था, वो भी बिना अंडरवेअर का और महक ने शलवार… वो भी बिना पैंटी के। जैसे ही वो अमन की गोद में बैठती है, उसे अपनी गाण्ड में अमन का लण्ड महसूस होता है।

महक-“उंह्म्मह…” अपने आपको अड्जस्ट करती है।

अमन-क्या हुआ चलें?

महक-“हाँ…” और महक कार स्टार्ट कर देती है। कार अपनी धीरे स्पीड में थी महक अच्छा चला रही थी। वो अमन की छाती से अपनी पीठ टिका देती है, और धीरे-धीरे कार चलाने लगती है-“मैं ठीक चला रही हूँ ना अमन?”

अमन अपने हाथ महक के पेट पे रखते हुए-“बहुत अच्छा चला रही हो…” और धीरे-धीरे महक के पेट को सहलाने लगता है।
महक अमन की इस हरकत से बहकने लगती है-“अह्म्मह… क्या कर रहे हो अमन? मुझे गुदगुदी होती है…"

अमन महक के कान के पास अपने होंठ रख देता है-“कुछ भी तो नहीं महक…” अमन के हाथ अब ऊपर सरकने लगे थे।

महक कसमसाते हुए ब्रेक मार देती है-“अह्म्मह… अमन प्लीज़्ज़ज्ज्ज…”

अमन का लण्ड खड़ा हो चुका था। अंडरवेअर ना पहनने की वजह से वो डाइरेक्ट महक की चूत के पास टच हो रहा था।

महक अपनी आँखें बंद कर लेती है-“अह्म्मह… प्लीज़्ज़ज्ज्ज अमन… ऐसा ना करो ना…”

अमन धीरे से महक के कान में-“आई लव यू महक…”

महक पूरी तरह गरम हो चुकी थे और अमन के प्रपोज करने से तो उसकी हालत बिल्कुल खराब हो चुकी थी। शायद वो भी यही चाहती थी कि पहले अमन उसे प्रपोज करे। महक अमन की आँखों में देखते हुए-“सच अमन…”

अमन-“हाँ महक, मैं सच में तुझसे प्यार करने लगा हूँ…” और अमन महक की नरम मुलायम चुचियाँ मसलने लगता है।

महक-“अह्म्मह… स्शस्स्स्स्स…” वो अपने होंठ अमन के होंठों पे रख देती है।

दोनों एक दूसरे को चूसने लगते हैं। अमन अपना एक हाथ नीचे महक की चूत पे रख देता है, और बिना पैंटी वाली उसकी गीले चूत को मसलने लगता है।

महक-“उंह्म्मह… उंन्ह… अमन… आई लव यू टू अह्म्मह… ओह्म्मह…” महक से बर्दाश्त करना मुश्किल था वो सिसकारियाँ भरने लगती है-“आअह्म्मह… ओह्म्मह… उंन्ह…”
अमन अपना हाथ महक की शलवार में डाल देता है। महक की चूत गीली थी। जैसे ही उसपे अमन का हाथ लगता है, वो उछलने लगती है। पर अमन की पकड़ मजबूत थी, वो अपनी एक उंगली महक की चूत में डाल देता है।

महक-“अह्म्मह… क्या कर रहे हो अमन? नहीं… उंन्ह…”

अमन एक हाथ से महक की चुचियाँ मसलते हुए, दूसरे हाथ की उंगली महक की चूत में अंदर-बाहर करने लगता है।
महक चिल्लाते हुए-“उंन्ह… अह्म्मह… अह्म्मह… अमन मैं गई उंन्ह…” और महक पानी छोड़ देती है। उसकी चूत से निकला हुआ पानी अमन का हाथ भिगा देता है। 5 मिनट तक महक आँखें नहीं खोलती। पर जब वो आँखें खोलती है, तो उसका चेहरा टेन्स था, वो परेशान दिखाई दे रही थी। महक अमन की गोद से उतर जाती है, और साइड में बैठ जाती है।

अमन-क्या हुआ स्वीट हार्ट?

महक-मुझे फैक्टरी छोड़ दो अभी।

अमन-“चली जायेगी?” और अमन महक की तरफ बढ़ता है।

पर महक अपना चेहरा दूसरे तरफ कर लेती है-“प्लीज़… अमन चलो…”

अमन गुस्से से दिल में-“साली रंडी, अपना पानी निकल गया तो मुझे पहचानने से भी इनकार… खड़े लण्ड पे धोखा…” और अमन फुल स्पीड में कार फैक्टरी की तरफ बढ़ा देता है।
फैक्टरी पहुँचकर महक अपने केबिन में चली जाती है।

अमन उसके पीछे जाने लगता है। तभी उसका फोन बजता है। फोन ख़ान साहब का था।
अमन-हेलो अब्बू, क्या बात है?

ख़ान साहब गम्भीर आवाज़ में-“अमन, तुम अभी के अभी यहाँ नाना अब्बू के यहाँ आ जाओ। तुम्हारे नाना जान तुमसे बात करना चाहते हैं…”

अमन-“जी अब्बू, अभी आया…” और अमन अपनी बाइक पे नाना जान के यहाँ निकल जाता है।


Behad shandar update he Alanaking Bhai,

Rehana ke sath Fiza ke rup me aman ki lottery lag gayi......................aur ab Dr. Sana aur Mehak.....................Mehak thoda time legi.......lekin maja sabse jayada degi aisa mujhe lagta he

Keep posting Bhai
 
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Alanaking

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उसके नाना जान दिलावर ख़ान एक मशहूर बिजनेसमैन थे। जैसे उनका नाम था जैसे ही उनकी पर्सनलटी थी। पर उमर के साथ-साथ उनकी सेहत उनका साथ छोड़ने लगी थी। वो अपने बेटे, यानी अमन के मामा के साथ रहते थे। अमन के मामा (नवाज ख़ान) एक बिजनेसमैन थे। उनकी एक बेटी थी निदा, 19 साल, और एक बेटा खालिद 21 साल।
खालिद यू॰के॰ में अपनी पढ़ाई कर रहा था। अमन की मामी कौसर, 38 साल की एक दिलकश औरत थी। अमन की गंदी नज़र उसपे काफी दिनों से थी, पर अभी तक कोई बात नहीं बनी थी। हालांकी कौसर उसे बहुत पसंद करती थी, और बातों-बातों में डबल मीनिंग बातें करती थी। इन्हीं सोचों में अमन अपने नाना अब्बू के घर पहुँच जाता है।
जब वो उनके रूम में दाखिल होता है तो हैरान रह जाता है। दिलावर ख़ान बेड पे लेटे हुए थे, चेहरे से काफी बीमार लग रहे थे, उनके आस-पास सभी बैठे हुए थे। रेहाना, फ़िज़ा, हीना, शीबा सभी वहाँ मौजूद थे।

अमन उनके पास आकर बैठ जाता है।

दिलावर ख़ान-“आओ बेटा, मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था…”

अमन-कहें नाना जान।

दिलावर ख़ान-“अमन बेटा, मेरी बात गौर से सुनो, उसके बाद फैसला करना…”

अमन-क्या बात है नाना जान, आप परेशान लग रहे हैं?

दिलावर ख़ान-“अमन बेटा, मेरी एक ख्वाहिश है। मैं चाहता हूँ कि तुम उसे पूरा करो…”

अमन-कहें ना नाना जान।

दिलावर ख़ान-“अमन, तुम तो जानते हो कि हीना, तुम्हारी खाला के शौहर का बहुत पहले इंतेकल हो चुका है। उसने बड़ी हिम्मत से अपनी बेटी शीबा को संभाला है। पर मुझे एक चीज़ परेशान करती है। मैं चाहता हूँ मेरी नवासी शीबा बाहर ना जाए, बल्की घर में ही रहे। इसलिये मैं चाहता हूँ कि उसकी शादी तुम्हारे साथ कर दी जाए। तुम्हारे अम्मी-अब्बू और सभी घर के लोग इस बात से राजी हैं। बस तुम्हारे फैसले का इंतजार है…”

अमन आँखें फाड़े दिलावर ख़ान को देखने लगता है। उसका गला सुख जाता है। जीभ पत्थर की तरह हो जाती है। उसके नाना ने उसे वो बात कही थी, जो वो अपने दिल से चाहता था। आख़िरकार उसे भी तो शादी करनी थी और शीबा जैसी लड़की उसे कहाँ मिलने वाली थी। उसके दिल में जैसे लड्डू फूट रहे थे। ख़ान साहब की आवाज़ उसे अपनी दुनियाँ में ले आती है।

ख़ान साहब-कहो अमन बेटा, तुम्हारी क्या राय है?

अमन उसके अब्बू को देखते हुए-“जैसे घर के बड़े ठीक समझें…”

और सभी के चेहरे खिल जाते हैं, सिवाय रेहाना, फ़िज़ा और अनुम के।

अनुम के तो जैसे पैरों के नीचे की ज़मीन खिसक गई थी। वो जोर से रोना चाहती थी, चिल्लाना चाहती थे। पर रोये भी तो कैसे? अपने चिल्लाने की वजह क्या बताती कि वो अमन से शादी करना चाहती थी, वो अमन से बेपनाह प्यार करती है।

दिलावर ख़ान-“तो ठीक है, इंगेज़मेंट अभी होगी । हीना बेटे, शीबा को बुलाओ…”

शीबा धड़कते दिल के साथ रूम में दाखिल होती है। एक जवान लड़की को अपने ख्वाबों का राजकुमार मिलने पे वो खुशी होती है। जैसी खुशी शीबा के दिल में थी।
दिलावर ख़ान दोनों के हाथों में एक-एक अंगूठी देते हैं। ये अंगूठी उनकी और उनकी बीवी की थी, जिसे वो आज इन दोनों को गिफ्ट दे रहे थे।

शीबा काँपते हाथों से अमन को रिंग पहना देती है। अमन भी शीबा को अंगूठी पहना देता है।

सभी मुबारक हो मुबारक हो एक दूसरे से मिलकर मुबारकबाद देने लगते हैं। और रजिया अपने बोझल दिल से सभी से मिलती है। उस वक्त अमन और शीबा को छोड़कर सभी के दिल के हालात बयान करने जैसे नहीं थे, कहीं प्यार टूटा था, कहीं भरोसा, तो कहीं मुहब्बत। पर सभी खुश दिखने की एक्टिंग कर रहे थे।

अमन के लिये तो जैसे कोई ख्वाब था। उसे भरोसा ही नहीं था कि ये सब इतनी जल्दी उसके साथ होगा।

रात के खाना खाने के बाद सभी अपने-अपने घर की तरफ निकल जाते हैं। घर पहुँचकर अनुम अपने रूम में चली जाती है, और अंदर से रूम बंद कर लेती है। आज की रात उसके लिये किसी कहर से कम नहीं थी।

रजिया ख़ान को नींद के गोलियों वाला दूध देकर अमन के रूम की तरफ चल देती है।

अमन अपनी रूम में बैठा अपने लण्ड पे मलहम लगा रहा था। उसका लण्ड पूरी तरह तन्नाया हुआ था। उसे तो इंतजार था रजिया का। रजिया सिर्फ़ नाइटी में उसके रूम में दाखिल होती है। उसके बाल खुले हुए थे। वो अमन को लण्ड पे कुछ लगाते देखकर उसके पास आकर बैठ जाती है।

रजिया-क्या लगा रहे हो जी?

अमन-“ये डाक्टर ने मलहम दिया है, वही लगा रहा हूँ…”
रजिया-“मुझे देखने दो…” और रजिया अमन के लण्ड को अपने हाथ में लेकर देखने लगती है, पूछा-“अभी भी तकलीफ हो रही है क्या?”

अमन-नहीं, अब ठीक है।

रजिया-“डाक्टर ने क्या कहा?” वो अमन के लण्ड को सहला रही थी। आज रजिया का दिल जमकर चुदाई का था। कुछ दिनों से उसकी चूत प्यासी थी। उसे पानी चाहिए था अमन का।

अमन-“अह्म्मह… धीरे कर छिनाल। डाक्टर ने कहा था कि इसे नरम जगह पर सुलाना और रात भर गीला रखना सूखने नहीं देना…”

रजिया-“ऐसी जगह कहाँ है?” वो अमन की आँखों में देख रही थी।

अमन उसे अपने से चिपकाते हुए-“तेरे नरम चूत है ना रजिया… वहीं रखूंगा…” और अमन रजिया की चुचियाँ मसलने लगता है।


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रजिया-“उंह्म्मह… मुझे नहीं रखना इसे। अब तो इसे कुँवारी चूत मिलने वाली है। है ना…” और रजिया बनावटी गुस्सा दिखाते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लेती है।

अमन उसे पटक के बेड पे लेटा देता है, और खुद उसके ऊपर चढ़ जाता है-“तेरी बहन को चोदूं… नाटक करती है साली। नहीं चाहिए तो यहाँ क्यों आई है?” और अमन अपने हाथ से रजिया की चूत रगड़ देता है।


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रजिया-“अह्म्मह… नहीं ना जी… बेटा अमन… उंह्म्मह…”

अमन-तेरे चूत गीली क्यों है। छिनाल नहीं चुदाना चाहती तो जा फिर।

रजिया अमन के चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए-“कैसे चली जाऊँ? ये मेरा है, सबसे पहला हक मेरा है इसपे। कोई भी छिनाल आ जाए इसे मुझसे नहीं छीन सकती…” वो अमन के लण्ड को अपने नरम हाथों में मसल रही थी।

अमन-“हाँ मेरी जान, तेरा ही तो है। आज तो तुझे ऐसे चोदूंगा रजिया की तेरी चूत भी मुझसे पनाह माँगेगी…”

रजिया-“हाँ मैं भी रगड़ना चाहती हूँ तुम्हारे नीचे इसे। सुनिए, मुँह में डालिये ना…”

अमन रजिया के बाल पकड़कर उसे अपने ऊपर कर लेता है, और खुद नीचे लेट जाता है-“चल, ले साली…”


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रजिया-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंन्ह… गलप्प्प-गलप्प्प…” करके अपने मुँह का सलाइवा गिरा-गिरा के अमन का लण्ड चूसने लगती है। वो एक हाथ से अपनी नाइटी निकालकर फेंक देती है। अब वो पूरी तरह नंगी थी और अमन के लण्ड को जैसे किसी लोलीपोप की तरह चूसे जा रही थी।

अमन-“अह्म्मह… साली मुझे भी तेरी चूत चाटनी है। ऐसे घूम जा…”
और रजिया 69 की पोजीशन में आ जाती है।


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अमन-“तेरे माँ की चूत… कितनी चिकनी लग रही है, आज ये?”

रजिया-हाँ मेरे जानू, अपने बेटे के लिये आज ही सारे बाल निकाल दिए मैंने अह्म्मह… तुझे ऐसी ही चिकनी चूत चाहिए ना? गलप्प्प-गलप्प्प…”

अमन रजिया की चूत को चूमते हुए-“हाँ ऐसी ही चिकनी अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प…”

दोनों माँ बेटे एक दूसरे की चूत और लण्ड को अंदर तक चाट रहे थे। अमन अपने दोनों हाथों से रजिया की नरम गाण्ड दबाने लगता है-“अह्म्मह… काट मत छिनाल अह्म्मह…”

आज अमन के मुँह से ऐसी गंदी गालियाँ सुनकर रजिया को और मस्ती चढ़ने लगी थी। उसकी चूत से आज रात का पहला पानी अमन के मुँह पे गिरने लगता है। जिसे अमन चाटता चला जाता है-“नमकीन पानी अह्म्मह… तेरी चूत तो बहुत मीठी है रजिया…”

रजिया-“हाँ आपकी तो है। अह्म्मह… मेरा बच्चा अपनी अम्मी की चूत को और चूसो बेटा अह्म्मह…”

अमन रजिया को अपने नीचे कर लेता है। और रजिया के दोनों पैर रजिया की छाती से चिपका देता है। जिससे रजिया की चूत सामने की तरफ आ जाती है। रजिया को थोड़ा दर्द होता है। पर चूत की आग के सामने ये दर्द कुछ भी नहीं था।


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अमन-“रजिया आज तेरा बेटा तुझे रंडी की तरह चोदेगा। बोल चुदेगी मेरे रंडी बनकर?”

रजिया-“हाँ चुदूंगी अमन… अपने बेटे की रंडी हूँ मैं। चोदो मुझे अमन्न् अह्म्मह…”

अमन अपने लण्ड को रजिया की चूत पे टिकाकर जोरदार झटका अंदर मार देता है-“अह्म्मह… ले रंडी ले अह्म्मह…”


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रजिया की सांस जैसे रुक गई थी। इतने जोर से इससे पहले अमन ने उसे कभी नहीं चोदा था। उसके मुँह से एक जोर की चीख निकल जाती है-“अमन जी अह्म्मह… उंन्ह…”

अमन उसके मुँह पे हाथ रखकर दनादन अपना लण्ड उसकी चूत में पेलने लगता है– “चिल्ला मत रजिया, नहीं तो तेरी बेटी भी आ जायेगी चुदाने… साली अह्म्मह…”


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अमन का लण्ड सीधा रजिया की बच्चेदानी के दीवार से टकरा रहा था जिससे रजिया के रोंगटे खड़े होने लगे थे-“उंह्म्मह… नहीं अमन… मेरी चूत फट जायेगी बेटा अह्म्मह… धीरे मार झटके अमन अह्म्मह…”

अमन-“तू ऐसे नहीं मानेगी…” वो साइड में पड़ी रजिया की नाइटी को रजिया के मुँह में ठूंस देता है, और पीछे से गांठ बांध देता है, जिससे रजिया की घुन-घुन की आवाज़ आ रही थी-“तेरी बहन को चोदूं, साली चिल्लाती है… ले अब्ब अह्म्मह…”

अमन की गाण्ड हवा में इतने जोरों से हिल रही थी जैसे कोई पिस्टन हो। ऊपर से रजिया की चूत का चिपचिपा पानी उसे और आसानी से लण्ड को अंदर बाहर करने में मदद दे रहा था। रजिया की हालत खराब थे। इतने जबरदस्त धक्कों की उसे आदत नहीं थी उसकी आँखें बाहर को आने लगी थीं। पर न जाने क्यों उसे आज सबसे ज्यादा मज़ा आ रहा था। वो चाहती थी कि अमन उसपे ऐसे ही ज़ुल्म करता रहे। ये ज़ुल्म वो सारी जिंदगी खुशी-खुशी लेने को तैयार थी।

रजिया अपने मुँह से नाइटी निकाल देती है, और जोर से सांस लेने लगती है-“अह्म्मह… ऊऊऊ… ओह्म्मह… जामलम कुछ तो रहम कर अपनी अम्मी पे अह्म्मह… ओह्म्मह…


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रेहाना को भी ऐसे ही चोदता है क्या? अह्म्मह… उंन्ह…”

अमन-“हाँ मेरी जान रेहाना को भी और फ़िज़ा को भी… अह्म्मह…”

रजिया-“क्या फ़िज़ा को भी चोदा तुमने? उंन्ह…” रजिया चकित थी कि फ़िज़ा अपनी कुँवारी चूत अमन से चुदा चुकी है-“अह्म्मह… कितनों को और चोदोगे बेटा?

अमन-“तेरी बहन को चोदूं… इस घर की सभी औरतें मेरे लण्ड के नीचे होंगी एक दिन… जैसे तू है…”

रजिया इतने उत्तेजित हो चुकी थी कि वो दूसरी बार अपनी चूत का पानी छोड़ने लगती है, और अमन का हाथ पकड़ लेती है-“अह्म्मह… अह्म्मह… चोदो जोर से उंह्म्मह… अह्म्मह…” और रजिया ढीली पड़ जाती है।

अमन-“ले मेरे जान… तेरी कोख में मेरा पानी, तुझे मेरा बेटा जनना है… अह्म्मह… अह्म्मह…” और अमन रजिया की चूत में पानी की धार छोड़ने लगता है।

दोनों माँ-बेटे एक दूसरे से चिपके अपनी साँसें संभालने लगते हैं। करीब 10 मिनट बाद अमन रजिया के ऊपर से उतरकर साइड में आ जाता है।

रजिया अपना चेहरा अमन के सीने पे रख देती है, और अमन की छाती के घुँघराले बालों को सहलाने लगती है-“क्या सच में तुमने फ़िज़ा को चोदा है?”

अमन-“हाँ… कल रात…” और अमन उसे सारी बात सुनाता है।

रजिया अपनी चूत को अमन के लण्ड पे रखते हुए-“और कौन कौन है तुम्हारी लिस्ट में?”

अमन-“तेरी बेटी अनुम और हीना… शीबा को तो मैं शादी के बाद चोदूंगा ही…”

रजिया-“नहीं अमन, अनुम को नहीं। वो बच्ची है। हमें उसकी शादी करनी है प्लीज़्ज़ज्ज्ज…”

अमन रजिया के बाल खींचते हुए-“छिनाल रंडी, लण्ड चाहिए ना तुझे मेरा कि नहीं चाहिए?”

रजिया दर्द से-“हाँ… चाहिए ना… रोज चाहिए…”

अमन-“तो फिर चुप रह… बच्ची को बड़ा करना मुझे आता है। तू तेरी गाण्ड बीच में लाएगी तो तेरी चूत में लण्ड नहीं जाएगा…”

रजिया जानती थी कि अमन अनुम को चोदे बिना नहीं रहेगा और उसे डर भी था कि अमन कहीं उसे चोदना ना छोड़ दे। जैसे अगर अनुम अमन से चुद गई तो इसमें मेरा ही फायदा है। फिर तो दिन हो या रात अमन मुझे कहीं भी चोद सकता है। रजिया की होंठों पे मुश्कान आ जाती है।
अमन-क्या सोच रही है?

रजिया अमन के छाती को चूमते हुए-“कुछ नहीं, क्या अनुम तैयार होगी?”

अमन-“उसे पटाना पड़ेगा, जिसमें तू मेरी मदद करेगी, जैसे मैं कहूँ जैसे…”

रजिया-“ठीक है। अरे हाँ… एक बात तो मैं बताना भूल ही गई। ख़ान तुम्हारे लण्ड का दुश्मन दो हफ्तों के लिये सऊदी जा रहा है, साथ में तेरे चाचा भी…”

अमन-क्यों?

रजिया-“उन्हें अपनी प्रापटी बेचनी है वहाँ की और सारा पैसा यहाँ लाना है, हमेशा के लिये…”

अमन-“अच्छा… फिर तो तेरी चूत दिन रात चोदने को मिलेगी…” और अमन रजिया की गाण्ड सहलाने लगता है। जैसे कह रहा हो अब तेरी गाण्ड की बारी है।

रजिया भी गरम थी। वो भी गाण्ड मराना चाहती थी। वो कसमसाते हुए-“उंन्ह… मुझे पेशाब आई है। मैं मूतकर आती हूँ…”

अमन-“चल मैं भी चलता हूँ…” और दोनों माँ-बेटे बाथरूम में चले जाते हैं।

रजिया नीचे बैठने लगते है। तभी अमन उसे झुका देता है।

अमन-“रुक एक मिनट…”

रजिया-“मूतने तो दे…”

अमन-“रुक बोला ना…” और अमन अपना लण्ड रजिया की गाण्ड में डालने लगता है।

रजिया-“अमन्न् क्या कर रहे हो, मुझे मूतने दो ओह्म्मह… उंन्ह…”

अमन का लण्ड रजिया की गाण्ड में चला जाता है। और अमन वहीं खड़े-खड़े रजिया की गाण्ड मारने लगता है।

रजिया का पेशाब रुक जाता है, और वो दीवार पे अपने हाथ टिका देती है। फिर अपनी कमर आगे पीछे करने लगती है। उसे अपनी गाण्ड में अमन का लण्ड बहुत अच्छा लगता था-“उंन्ह… ओह्म्मह… मेरी गाण्ड धीरे से मारा करो बेटा अह्म्मह… वो छोटा सुराख है उंन्ह…”


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अमन-“अम्मी, मैं करूंगा तेरा हर सुराख बड़ा… अह्म्मह… ले साली…” दोनों माँ-बेटे खड़े-खड़े 10 मिनट तक अपनी चुदाई का मज़ा लेते है।

रजिया-“प्लीज़्ज़ज्ज्ज… एक मिनट के लिये बाहर निकालो जी, मुझे मूतने दो अह्म्मह…”

अमन अपना लण्ड बाहर निकालता है, और रजिया जल्दी से खड़े-खड़े मूतने लगती है। रजिया का दबाव इतना ज्यादा था कि उसका पेशाब अमन के पैरों पे भी गिरने लगता है। और अमन की जाँघ भीग जाती है। रजिया को हँसी आ जाती है।

अमन रजिया के बाल पकड़कर नीचे बैठा देता है, और अपना लण्ड रजिया के मुँह में डाल देता है। फिर उसका सिर कसकर पकड़ लेता है। रजिया कुछ समझ पाती उससे पहले अमन का पेशाब उसके गले में उतरने लगता है, और सीधा उसके पेट के अंदर जाने लगता है। ये पहले बार था जब रजिया पेशाब पी रही थी… वो भी डाइरेक्ट मुँह में।

रजिया का जिस्म काँपने लगता है। ये नया अनुभव उसे और मस्त कर देता है। अमन जब पूरा पेशाब रजिया को पिला देता है, तो अपना लण्ड बाहर निकालने लगता है। तभी रजिया


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उसके लण्ड को अपने मुँह में वापस ले लेती है-“अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प मुझे और चाहिए अह्म्मह… गलप्प्प अगलप्प्प उंह्म्मह…” रजिया अमन का लण्ड छोड़ने को तैयार नहीं थी। वो तो आज पागल हो गई थी। उसे एहसास हो गया था कि अमन को खुश रखना उसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

अमन शावर ओन कर देता है। दोनों के जिस्म पे पानी गिरने लगता है-“अह्म्मह… बस कर रजिया…”

रजिया खड़ी हो जाती है, और अमन के लण्ड पे साबुन लगाने लगती है। अमन भी रजिया की चूत पे और फिर पूरे जिस्म पे साबुन लगाने लगता है। दोनों एक दूसरे को रगड़-रगड़कर नहलाने लगते हैं। 10 मिनट बाद दोनों बाथरूम से बाहर आते हैं।

रजिया अपने बालों को सुखाते हुए बेड के किनारे बैठ जाती है। और अमन वहीं उसकी गोद में सर रख देता है। रजिया की चुचियाँ लटक रही थीं, जिसे अमन अपने मुँह में ले लेता है। और छोटे बच्चे के तरह दूध पीने लगता है।

रजिया-“अह्म्मह… मेरा बेटा दुद्धू पीना है, अम्मी का…”

अमन-“हाँ रजिया, मुझे तेरा दूध पीना है…”

रजिया-“उंह्म्मह… कैसे होगा जी?”

अमन-“तुझे प्रेगनेंट करके गलप्प्प…”

रजिया-“हाँ मेरे सरताज अह्म्मह… उंह्म्मह… मैं पिलाउन्गी आपको अपना गर्म-गर्म दूध उंह्म्मह…”

अमन रजिया की चुचियों को अपने दाँतों से काटने लगता है।

रजिया से अब बर्दास्तकरना मुश्किल हो रहा था उसकी चूत पनियाने लगी थी-“अह्म्मह… आराम से…”

अमन-चल घोड़ी बन जा।


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रजिया-“हाँ…” और वो डोगी स्टाइल में आ जाती है।
अमन उसके पीछे से उसकी कमर पकड़कर अपने लण्ड पे थूक लगाकर अंदर पेल देता है। दोनों सिसकारियाँ भर रहे थे। रजिया बहुत खुश थी। उसके दिल की मुराद जैसे पूरे हो रही थी।

अमन-“अम्मी, तुम्हें चोदने में अलग ही मज़ा है…”

रजिया-कैसे जी?

अमन-“जिस चूत से मैं निकला था उसी को चोद रहा हूँ यही सोचकर मेरा लण्ड और तन जाता है। ओह्म्मह… ले साली…”

रजिया-“अह्म्मह… मैं चाहती हूँ कि मेरा बेटा मुझे चोदते हुये गालियाँ दे, मुझे रगड़ते हुए चोदे अह्म्मह… मेरी चूत और गरम होने लगी है राजा बेटा उंन्ह…”

दोनों की कमर लगातार हिल रही थी और दोनों अपने-अपने जोश में थे।

अमन रजिया की चूत से लण्ड बाहर निकाल लेता है।

रजिया-“अह्म्मह… बाहर मत निकाल बेटा अह्म्मह…”

अमन-मुझे तेरे मुँह में गिराना है।

रजिया-“उंन्ह… नहीं म्मेरी चूत प्यासी है जी उंन्ह… डालो ना…”

अमन फिर से लण्ड चूत में पेल देता है, और ताबड़तोड़ 5 मिनट जोर-जोर से चोदते हुए अपना पानी रजिया की चूत में निकाल देता है।



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अब वो बुरी तरह थक चुका था। वो लेट जाता है। रजिया भी उसके बगल में लेट जाती है। और दोनों एक दूसरे को चूमते हुए आने वाली जिंदगी के ख्वाब बुनने लगते हैं।
सुबह 6:00 बजे-

अमन उठ गया था वो रजिया को उठाकर उसके रूम में भेज देता है, और खुद कसरत करने लगता है।
ख़ान साहब अभी भी सो रहे थे।

एक घन्टे बाद जब अमन अनुम के रूम के सामने से गुजर रहा था तब उसकी नज़र अनुम पे पड़ी, वो बेड पे बैठी हुई थी। अमन उसके रूम में चला जाता है-“अरे वाह… आज तो जल्दी उठ गई अनुम…”

अनुम गुस्से से-“जीभ संभालकर बात कर, मैं तेरी बड़ी बहन हूँ…”

अमन ठिठक जाता है। वो दिल में-“इसे हुआ क्या है कि साली आग उगल रही है?” वो उसके पास जाकर बैठ जाता है, और उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाते हुए उसकी आँखों में देखते हुए-“क्या बात है, नाराज क्यों हो मुझसे?”

अनुम-“मैं कौन होती हूँ तुझसे नाराज होने वाली? जा यहाँ से…”

अमन-“नहीं जाऊँगा, पहले मुझे बता क्या बात है?”

अनुम रोने लगती है, और अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से छुपा लेती है-“तू जा अपनी शीबा के पास, मैं कौन हूँ? मैं कोई नहीं हूँ तेरी, जा तू…”

अमन भी गम्भीर हो जाता है। वो अनुम को अपने में समेट लेता है-“देख अनुम, तू रोएगी तो मैं भी रो दूंगा। तू मुझे बोल तो सही बात क्या है?

अनुम उसका हाथ पकड़कर उसकी उंगली में पहनी रिंग उसे दिखाती हुई-ये वजह है। बस अब जा यहाँ से और मुझे अकेला छोड़ दे…”

अमन-“ओह्म्मह… तो ये बात है। इधर देख मेरी तरफ…”

अनुम-मुझे नहीं देखना।

अमन-तुझे मेरी कसम।

अनुम गीली पलकों से अमन को देखने लगती है। अमन उसका हाथ पकड़कर अपने हाथ में की रिंग निकालकर उसे पहना देता है-“ये ले, बस आज से तू मेरी है…”
अनुम उसे आँखें फाड़े देखे जाती है। उसे उसके सारे गिले-शिकवे याद ही नहीं रहे। वो तो एक पागल की तरह महसूस कर रही थी, जिससे उसका हमसफर जैसे कई सालों बाद दुबारा मिल गया हो। वो काँपते होंठों से-ये तूने क्या किया?

अमन-“वही, वो मुझे बहुत पहले करना चाहिए था…” और अमन अनुम के होंठों को चूमने लगता है। उसे अपने से कस लेता है। एक तरह से अनुम उसकी गोद में आ चुकी थी।

अनुम अपना जिस्म ढीला छोड़ देती है। जोश और खुशी में वो सब कुछ भूल गई थी कि वो कहाँ है? और कोई उन दोनों को देख भी रहा है।

रजिया दरवाजे की आड़ से उन दोनों को देख रही थी और दिल में सोच रही थी कितना होशियार है अमन।

अमन 5 मिनट अनुम के होंठों का रस पीने के बाद उसे छोड़ देता है।

अमन-“चल अब हँस दे, ऐसे तू बिल्कुल अच्छी नहीं लगती…” और अनुम के रूम से बाहर निकल जाता है। अमन जानता था कि अभी जल्दबाज़ी करना अच्छी बात नहीं है। मछली चारा निगल गई है।

अनुम अपने उंगली में अमन की पहनाई हुए अंगूठी को देख-देखकर मुस्कुराने लगती है, और नाचते हुए अपने रूम से बाहर निकलती है। तभी वो रजिया से टकरा जाती है।

रजिया-“औउच… आराम से बेटी इतनेी भी क्या जल्दी है?”

अनुम-“वो अम्मी, मैं तो आप ही की तरफ आ रही थी।

रजिया-अच्छा क्यूँ?

अनुम-ऐसे ही अमन के लिये नाश्ता बनाना था ना।

रजिया अनुम के गाल पे चींटी काटते हुए-“क्या बात है, तेरे तबीयत तो ठीक है ना बेटा?”

अनुम शरमाते हुए-क्यों अम्मी, ऐसा क्यूँ पूछ रही हैं आप?”

रजिया-“ऐसे ही… आज पहले बार तुझे अमन के नाश्ते के लिये पूछते देखा इसलिये… अच्छा वो सब छोड़, जा तेरे अब्बू का बैग पैक कर दे। वो दो हफ्ते के लिये सऊदी जा रहे हैं…”

अनुम-“क्यूँ अम्मी, अभी तो वो आए हैं?”

रजिया-“उन्हें कुछ काम निपटाने हैं। फिर वो आ जाएंगे। तू जा जल्दी कर उनकी फ्लाइट है 12:00 बजे की…”

अनुम जाने लगती है। तभी
रजिया-“एक मिनट रुक… ये तेरी उंगली में क्या है?”

अनुम का दिल जोरों से धड़कने लगता है। उसे जिस चीज़ का डर था वही बात सामने आ गई थी-“क…कुछ नहीं अम्मी, ये तो रिंग है, ऐसे ही है…” वो बुरी तरह घबरा जाती है।

रजिया-“ये रिंग तो शीबा ने अमन को इंगेज़मेंट वाले दिन पहनाई थी। तेरे पास कैसे?” हालांकि रजिया सब जानती थी पर वो अनुम के मुँह से कुछ सुनना चाहती थी।

अनुम थूक निगलते हुए-“अम्मी वो… अमन ने मुझे दी है। उसके हाथ में टाइट हो रही थी ना इसलिये…” अनुम को अचानक ही ये जवाब सूझा था।

रजिया-“ह्म्मम्म्म्म… अच्छा तू जा…”

अनुम दिल में ऊपर वाले का शुकिया अदा करते हुए वहाँ से बिजली की तेजी से निकल जाती है, और उसके अब्बू के रूम में पहुँच जाती है। वहाँ पहले से अमन और ख़ान साहब बातें कर रहे थे।

ख़ान साहब-“बेटा अमन, मैं कुछ दिनों के लिये वापस जा रहा हूँ। वहाँ से तुम्हारे अकाउंट में वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रान्स्फर कर दूंगा…”

अमन-“जी अब्बू, आप यहाँ की बिल्कुल फिकर ना करें, मैं हूँ ना…” वो अनुम की तरफ देखते हुए स्माइल देता है।

अनुम भी हल्के से स्माइल देते हुए-“अब्बू, आप वापस कब आएंगे?”

ख़ान साहब-बस कुछ दिनों के बात है। बेटा, वहाँ का बिजनेस किसी को हैंड ओवर करके हमेशा के लिये आना है। तुम्हारे चाचू भी साथ चल रहे है।

अमन दिल में-“वाह… फिर तो रेहाना और फ़िज़ा को यहाँ लाकर चोदना पड़ेगा… पर इस अनुम का क्या करूं? ह्म्मम्म्म्म… आइडिया…”

दोपहर 12:00 बजे-

ख़ान साहब और मलिक दोनों एयरपोट़ के लिये सबसे मिलकर निकल जाते हैं।

आज रेहाना और फ़िज़ा भी अमन के घर आई थीं। दोनों माँ-बेटी की चूत पनिया गई थी, ये सोच-सोचकर कि अब तो दिन रात बस अमन का लण्ड चूत में लेकर हम पड़े रहेंगे। पर अमन का तो कुछ और ही इरादा था। उन दोनों के जाने के बाद।

रजिया-“बैठो फ़िज़ा बेटा, रेहाना तुम भी बैठो, मैं चाय बनाती हूँ…”

रेहाना-“नहीं बाजी मैंने कपड़े भीगने डाले हुए हैं, उन्हें धोना है। मैं बाद में आती हूँ और वो ….और फ़िज़ा वहाँ से चली जाती हैं…”

अनुम अपने रूम में थी और अमन के साथ आने वाले वक्त के सपने बुन रही थी।
 
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अमन मौका देखकर सभी दरवाजे बंद कर देता है।

रजिया किचिन में सफाई कर रही थी। वो उसे पीछे से जाकर पकड़ लेता है।

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रजिया-“अह्म्मह… छोड़ो ना जी क्या कर रहे हो, अनुम आ जाएगी…”

अमन-“आने दे, उसे भी तो पता चले कि उसके माँ कितनी बड़ी चुदक्कड़ है…” और वो रजिया की चुचियाँ मसलने लगता है।

रजिया-“अह्म्मह… क्या मतलब? उंन्ह… आराम से…”

अमन-“मैं तुझे उसके सामने चोदना चाहता हूँ, ताकी वो सब कुछ जान जाए। फिर मैं उसे अपने रिश्ते के बारे में बता दूँगा और मना भी लूँगा…”

रजिया-“वो नहीं मानेगी तो? उंन्ह…” रजिया की चूत में पानी आ चुका था। वो भी अपने बेटी के सामने अपनी गाण्ड उछाल-उछालकर अमन का लण्ड लेना चाहती थी । ये सोच-सोचकर तो उसका सुबह से बुरा हाल था।

अमन रजिया की नाइटी उतार देता है, और एक झटके में उसकी ब्रा और पैंटी भी उतार देता है। फिर उसके कान में-“सुन रजिया… जैसे ही मैं तेरी चूत में लण्ड डालूं, तू जोर-जोर से सिसकारियाँ भरना, जैसे तुझे मेरा लण्ड अच्छा लग रहा है अपनी चूत में, और तू अपनी मर्जी से मुझसे चुदा रही है…”

रजिया-“आपका लण्ड जैसे भी मुझे चिल्लाने पे मजबूर कर देता है। और रही बात मज़े की तो वो तो मुझे हमेशा से आता है…”


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अमन ने रजिया की चूत में अपनी दो उंगालियाँ डाल दी थी, जिससे रजिया सिसक उठी थी। दोनों रजिया के बेडरूम में चले जाते हैं, और दरवाजा भेड़ कर देते हैं, उसे बंद नहीं करते। अमन जल्दी से नंगा हो जाता है, और अपना लण्ड रजिया के मुँह में डाल देता है-“चूस इसे मेरी जान अह्म्मह…”

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रजिया-“हाँ आह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प…” करके जल्दी-जल्दी लण्ड को चूसे जा रही थी। उसका जिस्म इस बात से उछल रहा था कि जब उसकी बेटी उसे ऐसे देखेगी तो कैसा महसूस करेंगी।

अमन रजिया को बेड पे लेटा देता है, और अपना लण्ड एक झटके में अंदर डाल देता है-“अह्म्मह… रजिया मेरी जान्…”


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रजिया इतनी जोर से चिल्लाती है कि अगर गली से कोई गुजर रहा होता तो वो भी सुन लेता-“अमन अह्म्मह… मेरी चूत… जोर जोर से चोदो मुझे अह्म्मह… मैं तुम्हारी हूँ अह्म्मह… मेरे शौहर हाँ हाँ ऐसे ही… और जोर-जोर से अह्म्मह… उंन्ह…”

रजिया भले ही चिल्लाने की एक्टिंग कर रही थी मगर उसके अल्फ़ाज़ दिल से निकल रहे थे, जैसा वो अमन के लिये महसूस करती थी-“आअह्म्मह… मुझे प्रेग्गनेंट कर दो जी…


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मुझे प्रेग्गनेंट कर दो अह्म्मह… अमन ऐसे ही… उंन्ह…”
अमन-“हाँ मेरी जान, तेरा और तेरी बेटी का ही तो है ये अह्म्मह… ले तुम दोनों मेरी दुल्हन बनोगी? अह्म्मह… मैं करूंगा तुम दोनों से शादी… ले मेरी जान अह्म्मह…” अमन किसी जानवर की तरह रजिया की चूत मारे जा रहा था। उसे कुछ अंदाजा भी नहीं था कि वो क्या-क्या बोल रहा है। हाँ, मगर वो वो भी बोल रहा था, वो जैसे ही करना भी चाहता था शायद।

रजिया-“जानू मैं अह्म्मह… मेरे चूत पानी छोड़ने वाली है। अह्म्मह… उंन्ह…” और रजिया पानी छोड़ देती है।


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अमन-“अह्म्मह…” वो दोनों इतने उत्तेजित थे इस चीज़ से कि अनुम ये सब सुन रही होंगी कि 15 मिनट में ही दोनों का पानी निकलने लगता है-“अह्म्मह… मेरी रजिया अह्म्मह…”

दोनों एक दूसरे से चिपके लंबी-लंबी सांसें ले रहे थे।

तभी अनुम तालियाँ बजाते हुए अंदर दाखिल होती है-“वाह वाह… क्या गंदा घिनौना नज़ारा है। मेरे आँखों के सामने तुम दोनों माँ-बेटे हो जलील इंसानो…”

अमन और रजिया पीछे मुड़कर देखने लगते हैं। पच्च की आवाज़ से अमन अपने लण्ड को रजिया की चूत से बाहर निकाल लेता है।

अनुम अपनी उंगली में से रिंग निकालकर अमन के मुँह पे दे मारती है-“ये ले कमीने इंसान, मैं तुझे क्या समझ रही थी और तू क्या निकला? थू है तुझपे…” और वो नीचे बैठकर जोर-जोर से रोने लगती है।

अमन अपने पैंट पहन लेता है, और अनुम का हाथ पकड़ने की कोशिश करता है।

पर अनुम उसका हाथ झटक देती है-“मुझे हाथ मत लगा तू जलील इंसान…”

रजिया जल्दी से अपने कपड़े उठाने किचिन में भागती है।

अमन अनुम का हाथ मजबूती से पकड़ लेता है-“आखिर तेरी प्राब्लम क्या है अनुम? बोल मुझे… क्यूँ तू ऐसे रिएक्ट कर रही है?”

अनुम गुस्से से तिलमिला जाती है-“मैं क्यूँ ऐसे रिएक्ट कर रही हूँ? तुम अपनी अम्मी के साथ थे, मुझे तो सोचते हुए भी शरम आती है…”

अमन अनुम का हाथ पकड़कर बेड पे बैठा देता है-“पहले मेरी बात सुन ले। उसके बाद तुझे वो करना है, कर लेना?”

अमन रजिया को आवाज़ देता है-“रजिया इधर आ, यहाँ बैठ मेरे पास…”

रजिया कपड़े पहन चुकी थे। वो सामने बैठ जाती है।

अनुम का सर नीचे झुका हुआ था, और वो रोए जा रही थी।
अमन अपनी बात शुरू करता है-“अनुम, देख अपनी अम्मी को ज़रा। इसका चेहरा देख, क्या तूने इससे पहले इतना खुश देखा है। जानती है कि ये खुश क्यूँ नहीं रहती थी? क्योंकी इसकी जिंदगी में सब कुछ था, मगर एक चीज़ नहीं थी, वो हर औरत का हक है। और वो चीज़ है-शौहर का प्यार उसके जिस्म के लिये। क्या रजिया औरत नहीं है? क्या उसके सीने में दिल नहीं है? वो क्या पत्थर की बनी हुई है? तेरा बाप साल में दो बार यहाँ आता है। और एक महीने से ज्यादा नहीं रहता। पूछ रजिया से कि वो कितनी बार रजिया को चोदता है? एक या दो बार? क्यूँ है ना… रजिया, मैं सहे कह रहा हूँ ना?”

रजिया धीमी आवाज़ में-“हाँ…”

अमन-“जब एक शौहर अपनी बीवी को नहीं चोदेगा तो वो क्या करे? बोल मुझे वो क्या करे? बाहर जाकर दूसरे मर्द से चुदाई? हाँ मैंने रजिया को चोदा है, क्योंकी मुझे उसका जिस्म नहीं चाहिए था। वो तो मुझे कहीं भी मिल सकता है। पैसे फेंको तो एक से एक जवान लड़कियां मिल सकती हैं। मुझे रजिया से सच्ची मोहब्बत है। जितनी तू मुझसे करती है।
और एक बात… मैं भी तुझे रजिया की तरह चाहने लगा हूँ… मैं तेरे साथ जबरदस्ती नहीं करूंगा, ना तुझे तेरे मर्ज़ी के बगैर चोदूंगा। क्योंकी जिससे प्यार किया जाता है, उसके खुशी देखी जाती है। तेरे अम्मी मेरे साथ खुश है। और मैं भी।
और एक बात… तुझे हम दोनों को देखकर सिर्फ़ और सिर्फ़ जलन हो रही है।
अनुम अमन का चेहरा देखने लगती है। अब अनुम की आँखों में आँसू नहीं थे-जलन मुझे किस चीज़ की?

अमन-“हाँ जलन… ये जलन है। अनुम प्यार की जलन… अपनी चीज़ किसी दूसरे के पास देखने की जलन। अगर तुझे ये सब गंदा घिनौना लगता है, तो तू क्या कर रही है? तुझे जब मैंने किस किया, तब तूने मुझे थप्पड़ मारना चाहिए था। जब मैंने तुझे रिंग पहनाया, तब तुझे वो फेंक देना चाहिए था। आखिर तू भी तो मेरी होना चाहती है ना… तू भी तो मेरी सगी बहन है? क्या ये गंदा नहीं होगा? मैंने तुझे रिंग पहनाया फिर उसके बाद क्या?

बोल मुझे… है कोई जवाब तेरे पास? उसके बाद क्या करेगी मुझसे-शादी। दुनियाँ वाले मानेंगे इस चीज़ को? तेरा बाप इजाजत देगा हमें? नहीं, कभी नहीं? मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूँ कि मैं ऐसे ही रहूँगा, और ऐसे ही रजिया की चोदूंगा। अगर तुझे मेरी बात गलत लगे तो तेरे बाप को आने के बाद बोल देना और अगर तू मेरी बनकर रहना चाहती है तो?
हाँ, मैं जादा करता हूँ कि तुझसे शादी करूंगा चाहे कोई माने या ना माने। मगर उससे पहले मैं रजिया से शादी करूंगा। बोल तुझे कुछ कहना है?

रजिया और अनुम दोनों अमन को ही देख रही थीं। रजिया ने तो सोचा भी नहीं था कि अमन वो सोच चुका था। उसे अपनी मोहब्बत पे फख्र महसूस हो रहा था। वो उठकर अमन के पास आ जाती है, और अमन के होंठों पे अपने होंठ रखकर उसके होंठों को चूसने लगती है। अब उसे किसी चीज़ की परवाह नहीं थी, ना अनुम की, ना ख़ान की। अब तो वो पूरी तरह अमन की बीवी हो चुकी थी।

अनुम ये सब देख नहीं पाती और अपने कमरे में चली जाती है, और दरवाजा बंद कर लेती है। वो रोना नहीं चाहती थी, क्योंकी उसका दिल नहीं चाहता था। अनुम अपने रूम में बैठी अमन की कही गई बातें सोच रही थी।

और इधर रजिया के रूम में रजिया अमन के कंधे पे सर रखकर-“सुनिए मुझे डर लग रहा है। अनुम कुछ उल्टा सीधा ना कर दे…”

अमन रजिया का चेहरा अपने हाथों में लेते हुए-“अब तुझे डरने की ज़रूरत नहीं है। मेरे जान, अब मैंने फैसला कर लिया है…”

रजिया-क्या जी?
अमन-“तू आज से प्रेग्गनेन्सी के गोलियाँ खाना बंद कर दे, क्योंकी मैं तुझसे मेरा बच्चा चाहता हूँ और हाँ कल हम शिमला जा रहे हैं। यहाँ से 300 कि॰मी॰ दूर, हमारे पहले हनीमून पे…”

रजिया अमन की बातें सुनकर बुरी तरह शरमा जाती है, और बेड पे लेट जाती है। अमन अपने पैंट को उतारते हुए रजिया की तरफ देखता है। रजिया अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लेती है। आज उसे किसी नई नवेली दुल्हन की तरह शरम आ रही थी। अमन का उसे प्रेगनेंट करना और हनीमून पे ले जाने की बात उसकी चूत में करेंट दौड़ा रही थी।

अमन पूरे तरह नंगा हो चुका था। वो रजिया की भी नाइटी खींच देता है।


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रजिया-“अह्म्मह… सुनिए जी, हम शिमला जा रहे हैं तो अनुम कहाँ रहेगी?”

अमन-वो भी हमारे साथ जाएगी।

रजिया-क्या? वो नहीं आना चाहे तो?

अमन-“वो ज़रूर आएगी। मेरा दिल कहता है। मैंने उसकी आँखें पढ़ ली हैं…”

रजिया अपने पैर खोल देती है। जैसे कह रही हो कि आओ जानू चोदो अपनी रजिया को।


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अमन रजिया के मुँह में अपना लौड़ा डाल देता है-“अह्म्मह… पहले थोड़ा गीला तो कर ले मेरी रानी अह्म्मह…”


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रजिया-“हाँ गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” रजिया अब इसमें एक्सपर्ट हो चुकी थी। वो अमन के आंडों को मरोड़ते हुए अपने मुँह में लण्ड लेने लगती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंन्ह… मुझे चोदो जान उंन्ह… मैं लेना चाहती हूँ प्लीज़्ज़ज्ज्ज…”

अमन भी जान चुका था कि अब देर नहीं कर सकता। वो अपना लण्ड रजिया के मुँह से निकालकर उसकी चूत में रगड़ने लगता है।



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रजिया-डालिये ना जी।

अमन रजिया की एक चूची मुँह में भरकर अपना लण्ड रजिया की गीली चूत में पेल देता है।



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रजिया-“अह्म्मह… आगगाग उंह्म्मह… मेरे राजा… चोदो अपने बीवी को… उंह्म्मह… मैं दूगी आपको बेटा… आपका खून उंन्ह… अह्म्मह…” अब रजिया भी नीचे से अपनी कमर ऊपर तक उठा-उठाकर अमन का पूरा लण्ड अपनी चूत की जड़ तक लेने लगती है।

अमन-“हाँ रजिया उंन्ह… अह्म्मह… मुझे तुम दोनों से चाहिए मेरा बच्चा… अनुम से भी अह्म्मह…”

रजिया-हाँ मेरे सरताज हम आपके हैं… दोनों ही उंह्म्मह… अह्म्मह…”

दोनों एक नई दुनियाँ की सैर कर रहे थे। अपनी ही दुनियाँ बसाने चले थे। अमन अपने पूरी ताकत से रजिया को चोद रहा था। वो एक बार पानी निकाल चुका था। वो इतने जल्दी झड़ने वाला नहीं था।



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रजिया से ये बर्दाश्त करना मुश्किल था। वो एक जोरदार चीख के साथ अपनी चूत का पानी छोड़ने लगती है-“उंह्म्मह… अमन… जानू…”

अमन-“क्या हुआ? तेरे माँ की… वो रजिया की चूत पेले जा रहा था अह्म्मह…”

रजिया खामोश हो गई थी और दरवाजे की तरफ देख रही थी, वहाँ अनुम खड़ी थी।

अनुम की आँखें लाल देखाई दे रही थीं। वो तो उसे वक्त से दरवाजे में खड़ी थी, जब अमन ने रजिया को शिमला जाने की बात कहा था।

अमन पीछे मुड़कर देखता है तो अनुम अपने रूम में चली जाती है। रजिया मुस्कुराकर अमन को देखती है। अमन उसे आँख मार देता है, और ताबड़तोड़ अपने झटकों की स्पीड बढ़ा देता है। वो 10 मिनट लगातार चोदने के बाद झड़ जाता है। वो दोनों एक दूसरे की बाँहों में पड़े थे।
अमन-“मैं बाहर जा रहा हूँ थोड़ी देर में आ जाऊँगा। तू खाना बना ले और हाँ वो तेरी ट्रांसपेरेंट नाइटी पहन ले, बिना ब्रा बिना पैंटी…”

रजिया-ह्म्मम्म्म्म।

फिर अमन अपने कपड़े पहनकर घर से निकल जाता है। उसे अपने दोस्त इमरान से कुछ काम था। दरअसल इमरान एक शिमला के होटेल वाले को जानता था। अमन उससे एक होटेल में रूम बुक करवाने की बात करने जा रहा था।

अनुम अपने रूम में आईने के सामने खड़ी थी। उसका ब्रेन-वॉश हो चुका था। उसे अमन से गिला नहीं बस आने वाले वक्त का ख्याल कि अब क्या होगा? क्या मैं अमन और अम्मी के साथ शिमला जाऊँ या इनकार कर दूं? मैं नहीं जाऊँगी। नहीं जाऊँगी मैं। वो ठान लेती है।

रजिया खाना बनाने लग जाती है। जैसा उसे अमन ने कहा था वो जैसे ही कपड़े पहने हुए थी।

रात 8:00 बजे-

डाइनिंग टेबल पे अमन और अनुम बैठे हुए थे, पर कोई बात नहीं कर रहे थे। अनुम की नज़रें नीचे थी और अमन उसे देख रहा था। रजिया खाने की एक प्लेट अनुम के सामने रख देती है, और एक प्लेट अमन के सामने। अनुम खाना खाने लगती है।

अमन-सुन रजिया।

रजिया अमन को फिर अनुम को देखते हुए-जी।

अमन-“यहाँ आ मेरी गोद में, आज मुझे तेरे हाथ से खाना है।

अनुम वहीं बैठे उनकी बातें सुन रही थी और चुपचाप खाना खा रही थी।

रजिया अपनी गाण्ड मटकाते हुए अमन की गोद में आकर बैठ जाती है।

अमन-“चल खिला अपने शौहर को…” ये अमन ने जानबूझकर कहा था।

रजिया एक निवाला तोड़ते हुए अमन के मुँह में डालने लगती है। तभी अमन रजिया की चुचियाँ मसल देता है।


रजिया-“औउच… उंह्म्मह… क्या कर रहे हैं जी, खाना तो खा लो पहले…”

पर अमन कहाँ सुनने वाला था। वो एक निवाला खाता और रजिया की चुचियाँ मसलता रहता। रजिया के तन-बदन में चीटियाँ रेंग रही थीं। उसे इस सब में एक अलग ही मज़ा आ रहा था।

खाना खाने के बाद अनुम हाल में टीवी ओन कर देती है। उसके नज़र टीवी पे थी पर दिमाग़ पूरी तरह अमन की तरफ।

कुछ देर बाद अमन और रजिया भी वहीं हाल में आ जाते है। अमन सोफे पे बैठा हुआ था, साइड में रजिया और सामने अनुम। अमन रजिया की नाइटी उसके सर से उतारते हुए-“चल मुँह में ले…”

रजिया बिना कुछ बोले सोफे के नीचे बैठ जाती है, और अमन का लण्ड अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगती है।




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अमन-“अह्म्मह… धीरे कर साली, तेरी बेटी को चोदूं…” ये अमन ने अनुम की आँखों में देखते हुए कहा। वो उन दोनों को देख रही थी।

अनुम अपना चेहरा फिर से टीवी की तरफ कर देती है।

अमन रजिया को सोफे पे उल्टा झुकाकर पीछे से अपना लण्ड रजिया की चूत में डालने लगता है।



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रजिया-“अह्म्मह… धीरे जानू उंन्ह… अह्म्मह… आराम से ना जी…”

अमन अनुम के तरफ देखते हुए जोर-जोर से रजिया को चोदे जा रहा था-“अह्म्मह… ले रानी, तेरे बेटी को चोदूं ले उंह्म्मह…”
अनुम से अब ये सब देखना मुश्किल था। वो उठकर जाने लगती है। तभी अमन अनुम का हाथ पकड़ लेता है और उसे रजिया की कमर के पास खड़े कर देता है। वो अब भी अपना लण्ड रजिया की चूत में पेले जा रहा था। अनुम अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है। पर अमन की मजबूत पकड़ के सामने वो बेबस थी। अमन रजिया की गाण्ड पे थप्पड़ मारते हुए अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगता है। रजिया तो पागल हो चुकी थी। उसकी चूत से लगातार पानी निकल रहा था… ऊपर से अनुम उसकी चूत में अमन का लण्ड जाते देख रही थी। ये उसे पागल करने के लिये काफी था।

रजिया-“उंन्ह… मेरी चूत चाटो उंह्म्मह…”

अमन भी एक दो झटके मारने के बाद अपना पानी रजिया की चूत में निकालकर अपना लण्ड बाहर निकाल देता है। वो अब भी अनुम का हाथ पकड़े हुए था।
अमन-“सुन अनुम, हम तीनों कल शिमला जा रहे हैं, 7 दिन के लिये। तू अपना बैग पैक कर लेना आज। कल सुबह 10:00 ही निकल जाएंगे…”

अनुम कुछ नहीं बोली वो सोच चुकी थी कि वो मना कर देगी।

अमन कड़क आवाज़ में-सुना तूने?

अनुम-ह्म्मम्म्म्मम।

और अमन उसका हाथ छोड़ देता है।

अनुम अपने रूम में जाकर बंद हो जाती है। अनुम बेड पे लेटी हुई थी। अनुम दिल ही दिल में-मैंने हाँ क्यों की? मैं जाना नहीं चाहती थी फिर क्यूँ? क्यूँ? ये जवाब ना उसे पता था और ना अमन और रजिया को। अनुम अपने रूम में बैठी हुई थी। उसकी आँखों में आँसू थे।

अमन और रजिया फ्रेश होकर अनुम के रूम में दाखिल होते हैं। अनुम दोनों को देखती है। मगर कोई रेस्पॉन्स नहीं देती। उसकी आँखें झुकी हुई थीं।

अमन अनुम के पास आकर बैठ जाता है, और उसका एक हाथ अपने हाथ में लेती हुए-“क्या हुआ अनुम? तू मुझसे नाराज है ना? मैं जानता हूँ कि मैंने गलत किया है…”

कितने दिनों से वो सैलाब कच्ची दीजारों से बँधा हुआ था, अनुम के दिल में वो पूरे रफ़्तार से फूट पड़ता है, और वो रोने लगती है। वो बस रोए जा रही थी अमन भी उसे कुछ देर रोने देता है। रो लेने से दिल का बोझ भी हल्का होता है। बाररश हो जाये तो मौसम अच्छा हो जाता है।

अनुम-“मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ अमन। मेरा दिल दुख रहा है अंदर से। तुम मेरे साथ शिमला में वो करना चाहते हो, वो तुम कर भी लोगे। पर उसमें मेरी खुशी शामिल नहीं होगी। मैं भी एक इंसान हूँ, एक लड़की, जिसने तुम्हें दिल से अपना शौहर माना है। एक बहन के लिये ये सोचना भी गुनाह है। पर मैं क्या करूँ? अमन ये मेरे बस में नहीं है। मैं तुमसे सच्ची मोहब्बत करती हूँ। तुम्हें अपना सब कुछ मानती हूँ। तुम अभी कहो तो मैं अभी पूरे कपड़े उतार दूं, कर लो वो करना है मेरे साथ। मैं उफफ्र्फ तक ना कहूंगी। मगर मेरा दिल वो तुम्हें एक शौहर की जगह दे चुका है। वो हमेशा-हमेशा के लिये दफन हो जाएगा, मर जाएगी अनुम हमेशा के लिये…” बोलते-बोलते वो सिसक उठी।

अमन उसका चेहरा अपने हाथों में थामते हुए उसकी आँखों में देखने लगता है-“बोल दिया वो बोलना था, अब मेरी बात गौर से सुन…”

एक आदमी की मोहब्बत और एक औरत की मोहब्बत में सिर्फ़ इतना फरक होता है अनुम कि औरत अपने दिल की बात जोर-शोर से बोलती है। मगर एक मर्द अपने दिल की मोहब्बत अपने लफ़्जों से नहीं, बल्की अपने प्यार करने के अंदाज से दिखाता है। वो प्यार वो रजिया से करता हूँ। मेरी जिंदगी में कई लड़कियां आईं, मगर वो मोहब्बत मुझे तुझसे हुई है, वो किसी और से नहीं हो सकती। अरे पगली जब तूने मेरे इन होंठों पे अपने होंठ रखे थे ना… तभी मैं तेरे दिल की कैफियत समझ गया था। हाँ अनुम, मैं भी तुझसे सच्ची मोहब्बत करता हूँ। तुझे क्या लगता है कि मैं तेरा ये जिस्म पाने के लिये बोल रहा हूँ? नहीं, यहाँ मेरे दिल पे हाथ रखकर देख, तुझे इसमें तेरा नाम सुनाई देगा। तू जानती है कि हम शिमला क्यूँ जा रहे हैं?

अनुम की आँखों में सवाल था-क्यों?

अमन-“मैं तुम दोनों को वहाँ इसलिये ले जा रहा हूँ कि अपनी मोहब्बत को अंजाम तक पहुँचा सकूँ। हाँ अनुम, मैं वहाँ तुझसे और रजिया से शादी करने वाला हूँ… हमारे रस्मों रिवाज के मुताबिक वहाँ हमें कोई नहीं पहचानता। एक काजी को कुछ पैसे देकर हम वहाँ शादी करेंगे। उसके बाद तुम दोनों हमेशा के लिये मेरे बीवियां बन जाओगी। यही चाहती थी ना तू कि मुझसे शादी हो? और जब मैं तुझसे शादी कर लूंगा तब तो मुझे हाथ लगाने देगी ना?

अनुम का चेहरा फूल की तरह खिल जाता है। उसे अपने कानों पे यकीन नहीं हो रहा था कि अमन से उसकी शादी है-“हाँ अमन, मैं यही तो चाहती थी। पर अब्बू?”

अमन-“जब प्यार किया तो डरना क्या मेरे जान? और अमन अनुम को गले लगा लेता है।

सारे गीले शिकवे दूर हो चुके थे। वहाँ एक तरफ अनुम बेहद खुश थी। वहीं रजिया की हालत किसी नई नवेली दुल्हन की तरह थी वो अपना हनीमून अपने प्यार करने वाले के साथ मनाने वाली थी, और उसके साथ उसकी सगी बेटी भी उसी बिस्तर पे अपना कुँवारापन अमन को सौंपने वाली थी। वो रात जिसका अब तीनों को इंतजार था।

अनुम एक कुँवारी लड़की से एक मुकम्मल औरत बनने वाली थी और रजिया अपनी कोख में अपने शौहर का बीज बोने वाली थी।

तीनो यही सोच रहे थे कि ये रात जल्द से जल्द ढल जाए और कल एक नया सवेरा हो वो हम तीनों की जिंदगी में उम्मीद की एक नई किरण लेकर आए। इसी ख्यालों में वो तीनों एक ही बेड पे सो जाते हैं।
***** *****वेलेनटाइन डे

सुबह के 8:00 बजे-

अमन और अनुम नाश्ता कर रहे थे। आज उनका दिल-ओ-दिमाग़ किसी खाने पीने की चीज़ में नहीं था। क्योंकी उन्हें शिमला जाना था और जल्दी जाना था। इसलिये वो जल्दी जल्दी नाश्ता खत्म कर रहे थे।

रजिया-“अनुम, मैं ज़रा रेहाना को बताकर आती हूँ की हम अमन के दोस्त की शादी अटेंड करने शिमला जा रहे हैं, घर का खयाल रखे।

अनुम-“जी अम्मी, जल्दी आइए हम आपका कार में इंतजार कर रहे हैं…”

रजिया रेहाना की तरफ चली जाती है। उसे पता था कि अगर उसने अमन को रेहाना की तरफ भेजा तो वो पहले उससे चुदवाएंगे और फिर शिमला आने की जिद करेंगे। ये रजिया कभी नहीं चाहती थी। रेहाना को इनफाम़ करने के बाद रजिया घर बंद करके कार में आकर बैठ जाती है। वहाँ पहले से अमन और अनुम उसका इंतजार कर रहे थे।

अमन-चलें स्वीट हार्ट?

दोनों औरतें-“चलिये…” और कार अपने स्पीड से शिमला की तरफ रवाना हो जाती हैं।

अनुम-“अम्मी, लाओ आपके हाथों में मेंहदी लगा दूं…” और वो रजिया के हाथों में मेंहदी लगाने लगती हैं।

दो घंटे का सफर था। इस दौरान अनुम पहले रजिया को और फिर खुद के हाथों पैरों में मेंहदी लगा चुकी थी। उसके सारे अरमान आज पूरे होने वाले थे। एक लड़की जब औरत बनती है, तो ये खुशी सिर्फ़ वही जानती हैं,

जिसके साथ ये सब होता है। हम और आप नहीं। शिमला पहुँचकर अमन कार एक ‘लाडली दुल्हन’ नाम की शाप के सामने रोक देता है। इस शाप में शादी की सारे चीज़ें मिलती थीं।

अमन-“तुम दोनों यहीं बैठो, मैं तुम दोनों की चीज़ें लेकर आता हूँ…”

अनुम-मैं चलूं?

रजिया-“नहीं, आज सब इनकी पसंद से होगा यहीं बैठो…”

फिर अमन मुस्कुराते हुए शाप में चला जाता है। करीब एक घंटा बाद वो 5 बैग्गस भरकर वापस आता है। और कार में रख देता है।

अनुम और रजिया एक-एक बैग खोल-खोलकर देखने लगती हैं। रजिया बोली-“सभी चीज़ें बहुत अच्छी हैं। पर आप लहंगा और ब्लाउज लेना भूल गये। सिर्फ़ लाल रंग से साड़ी है, इसमें ना ब्रा है, ना पैंटी…”

अमन-“तुम दोनों को मैं जिस चीज़ में देखना चाहता हूँ, बस वही लाया हूँ। और जैसे भी होटेल के रूम में तुम दोनों ये भी उतारने वाले हो…”
दोनों औरतें बुरी तरह शरमा जाती हैं।

अमन अनुम और रजिया को होटेल के रूम में पहुँचाकर काजी की तरफ चल देता है। अमन शिमला कई बार आ चुका था, इसलिये उसे यहाँ के सारे रोड मालूम थे। वो एक काजी से मिलता है, जिसका नाम मिर्ज़ा असद बेग था।

अमन-“काजी साहब हम लोग बिहार के रहने वाले हैं। हमारे गाँव में बढ़ आ गई थी सभी घर बह गए कई जाने गयीं। हम किसी तरह यहाँ तक पहुँच सके। मेरे साथ मेरी मंगेतर और एक गाँव की औरत है, वो अब बेसहारा है। मैं इन्हें ऐसे अपने साथ नहीं रख सकता, इसलिये मेरा इन दोनों से आप निकाह करवा दें, ताकी मैं इन्हें अपने साथ रख सकूँ…”
उस वक्त बिहार में सच में बाढ़ आई हुई थी।
काजी असद इस बात से बहुत खुश हुए कि अमन एक जिम्मेदार इंसान की तरह रहना चाहता है। वरना आजकल के जमाने में कौन इतनी अच्छी सोच रखता है।

काजी साहब-“ठीक है बेटा चलो…” और काजी साहब अपने साथ दो और आदमियों को लेकर जिनकी निकाह में ज़रूरत पड़नी थी, अमन के साथ होटेल पहुँच जाते हैं।

इधर रजिया बाथरूम में अनुम की चूत के सारे बाल निकालने के बाद उसकी तेल से मालिश करती है।

अनुम-“अम्मी आप भी तैयार हो जाओ, वो लोग आते ही होंगे…”

रजिया अनुम की चिकनी चूत को देखते हुए उसे अपने होंठों से छूना चाहती थी। तभी अनुम रजिया को रोक देती है-“नहीं अम्मी, इसपे सबसे पहला हक उनका है…” और वो रजिया को अपने सीने से चिपका लेती है।

30 मिनट बाद अमन काजी और दो आदमियों के साथ रूम में दाखिल होता है। रजिया और अनुम ने अभी नॉर्मल ड्रेस पहना हुआ था ताकी काजी को शक ना हो जाये।
काजी साहब रजिया और अनुम से निकाहनामे पर दस्तखत लेते हैं, और फिर पहले अनुम से पूछते है-“क्या आपने अमन ख़ान को अपने निकाह में कुबूल किया?”

अनुम की आँखों के सामने अपने बचपन से अब तक का सारा मंज़र कुछ सेकेंड में घूम जाता है। वो धीमी आवाज़ में काजी से कहती है-“कुबूल है…”

उसके बाद रजिया से काजी साहब पूछते हैं-“क्या आपने अमन ख़ान को अपने निकाह में कुबूल किया?”

रजिया-“जी हाँ, कुबूल किया…”

उसके बाद काजी साहब अपनी सारी जरूरी फामेलिटी पूरी करते है। वो अमन से भी अनुम और रजिया को कुबूल करवाते हैं।
और अमन भी खुशी-खुशी दोनों को अपने निकाह में कुबूल कर लेता है।

काजी साहब और वो दोनों आदमी अमन को मुबारकबाद देते हुए चले जाते हैं।

उन दोनों के जाने के बाद अमन रूम का दरवाजा बंद कर देता है। रूम का दरवाजा बंद होते ही अनुम और रजिया भागते हुए आकर अमन से चिपक जाती हैं।

रजिया-“मुबारक हो मेरे सरताज मुआहन्ह…”
अनुम-“मुबारक हो मेरी जान मैं बहुत बहुत-बहुत खुश हूँ आज कि आपने अपना वादा पूरा किया। मैं आज से आपकी हुई मुआह्म्मह…”

अमन दोनों को अपने से कसकर चिपका लेता है। अच्छा सुनो-“अभी रात के 7:00 बज रहे हैं। तुम दोनों तैयार हो जाओ और वो मैं तुम्हारे लिये ड्रेस लाया हूँ, उसे पहन लो और मैं भी फ्रेश हो जाता हूँ…”

अमन-“रजिया, तुझे मैंने वो कहा था याद है ना?”

रजिया-“जी आप बिल्कुल फिकर ना करें…”

और अनुम अपना चेहरा शरमाकर रजिया के सीने में छुपा लेती है। दोनों औरतें एक रूम में चली जाती हैं। रजिया पूरे रूम में स्प्रे मारती है। बेड पे गुलाब की पंखुड़ियाँ बिछा देती है, और अनुम का हल्का-हल्का मेकअप करती है। उसके बाद वो खुद भी लाल साड़ी पहन लेती है, बिना ब्रा-पैंटी के और लहंगे ब्लाउज के अलाजा सिर्फ़ एक लाल साड़ी अपने जिस्म पे लपेटने में उसे आज एक नया खुशगवार एहसास हो रहा था। उसके जिस्म से बार-बार साड़ी निकल जा रही थी। वो अपने काँपते हाथों से साड़ी पहन ही लेती है।

वो खुद से ज्यादा अनुम को तैयार कर रही थी। वो जानती थी कि ये रात अनुम की जिंदगी की ना भूलने वाले रात बन जाएगी, जिसे वो पूरी तरह खूबसूरत बनाने वाले थे।

अनुम-“अम्मी, मैं कैसी लग रही हूँ?” अनुम खुद को आईने के सामने देखते हुए कहा।

रजिया-“एकदम आसमान की परी जैसे…” अब चलो यहाँ बेड पे बैठ जाओ ऐसे, और वो अनुम को बेड पे बिठा देती है, उसके सर पे घूँघट डाल देती है। फिर खुद भी उसके बगल में घूँघट डालकर बैठ जाती है।

रजिया जोर से आवाज़ लगते हुए-“सुनिये, आप आ जाइए…”

अमन वो उस रूम से अटैच्ड रूम में एक नई नवेली शेरवानी पहने खुद को आईने में देख रहा था, रजिया की आवाज़ से खुश हो जाता है। जाने कितने दिनों से उसके दिल में एक ख्वाइश थी कि वो अपनी अम्मी और बहन को दुल्हन के रूप में एक बेड पे लाल साड़ी पहने घूँघट डाले देखे। आज वो पल आ गया था। वो धड़कते दिल के साथ रूम में दाखिल होता है।

अमन रूम में पहुँचकर दरवाजा बंद कर देता है। आज उसका दिल उसके बस में नहीं था। ऐसा नज़ारा उसकी आँखों ने पहली बार देखा था। एक बेड पे उसकी अपनी सगी अम्मी और बहन उसका बेसबरी से इंतजार कर रही थीं। अमन जाकर बेड पर बैठ जाता है।


 
Last edited:

Ajju Landwalia

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अमन मौका देखकर सभी दरवाजे बंद कर देता है।

रजिया किचिन में सफाई कर रही थी। वो उसे पीछे से जाकर पकड़ लेता है।

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रजिया-“अह्म्मह… छोड़ो ना जी क्या कर रहे हो, अनुम आ जाएगी…”

अमन-“आने दे, उसे भी तो पता चले कि उसके माँ कितनी बड़ी चुदक्कड़ है…” और वो रजिया की चुचियाँ मसलने लगता है।

रजिया-“अह्म्मह… क्या मतलब? उंन्ह… आराम से…”

अमन-“मैं तुझे उसके सामने चोदना चाहता हूँ, ताकी वो सब कुछ जान जाए। फिर मैं उसे अपने रिश्ते के बारे में बता दूँगा और मना भी लूँगा…”

रजिया-“वो नहीं मानेगी तो? उंन्ह…” रजिया की चूत में पानी आ चुका था। वो भी अपने बेटी के सामने अपनी गाण्ड उछाल-उछालकर अमन का लण्ड लेना चाहती थी । ये सोच-सोचकर तो उसका सुबह से बुरा हाल था।

अमन रजिया की नाइटी उतार देता है, और एक झटके में उसकी ब्रा और पैंटी भी उतार देता है। फिर उसके कान में-“सुन रजिया… जैसे ही मैं तेरी चूत में लण्ड डालूं, तू जोर-जोर से सिसकारियाँ भरना, जैसे तुझे मेरा लण्ड अच्छा लग रहा है अपनी चूत में, और तू अपनी मर्जी से मुझसे चुदा रही है…”

रजिया-“आपका लण्ड जैसे भी मुझे चिल्लाने पे मजबूर कर देता है। और रही बात मज़े की तो वो तो मुझे हमेशा से आता है…”


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अमन ने रजिया की चूत में अपनी दो उंगालियाँ डाल दी थी, जिससे रजिया सिसक उठी थी। दोनों रजिया के बेडरूम में चले जाते हैं, और दरवाजा भेड़ कर देते हैं, उसे बंद नहीं करते। अमन जल्दी से नंगा हो जाता है, और अपना लण्ड रजिया के मुँह में डाल देता है-“चूस इसे मेरी जान अह्म्मह…”

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रजिया-“हाँ आह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प…” करके जल्दी-जल्दी लण्ड को चूसे जा रही थी। उसका जिस्म इस बात से उछल रहा था कि जब उसकी बेटी उसे ऐसे देखेगी तो कैसा महसूस करेंगी।

अमन रजिया को बेड पे लेटा देता है, और अपना लण्ड एक झटके में अंदर डाल देता है-“अह्म्मह… रजिया मेरी जान्…”


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रजिया इतनी जोर से चिल्लाती है कि अगर गली से कोई गुजर रहा होता तो वो भी सुन लेता-“अमन अह्म्मह… मेरी चूत… जोर जोर से चोदो मुझे अह्म्मह… मैं तुम्हारी हूँ अह्म्मह… मेरे शौहर हाँ हाँ ऐसे ही… और जोर-जोर से अह्म्मह… उंन्ह…”

रजिया भले ही चिल्लाने की एक्टिंग कर रही थी मगर उसके अल्फ़ाज़ दिल से निकल रहे थे, जैसा वो अमन के लिये महसूस करती थी-“आअह्म्मह… मुझे प्रेग्गनेंट कर दो जी…


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मुझे प्रेग्गनेंट कर दो अह्म्मह… अमन ऐसे ही… उंन्ह…”
अमन-“हाँ मेरी जान, तेरा और तेरी बेटी का ही तो है ये अह्म्मह… ले तुम दोनों मेरी दुल्हन बनोगी? अह्म्मह… मैं करूंगा तुम दोनों से शादी… ले मेरी जान अह्म्मह…” अमन किसी जानवर की तरह रजिया की चूत मारे जा रहा था। उसे कुछ अंदाजा भी नहीं था कि वो क्या-क्या बोल रहा है। हाँ, मगर वो वो भी बोल रहा था, वो जैसे ही करना भी चाहता था शायद।

रजिया-“जानू मैं अह्म्मह… मेरे चूत पानी छोड़ने वाली है। अह्म्मह… उंन्ह…” और रजिया पानी छोड़ देती है।


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अमन-“अह्म्मह…” वो दोनों इतने उत्तेजित थे इस चीज़ से कि अनुम ये सब सुन रही होंगी कि 15 मिनट में ही दोनों का पानी निकलने लगता है-“अह्म्मह… मेरी रजिया अह्म्मह…”

दोनों एक दूसरे से चिपके लंबी-लंबी सांसें ले रहे थे।

तभी अनुम तालियाँ बजाते हुए अंदर दाखिल होती है-“वाह वाह… क्या गंदा घिनौना नज़ारा है। मेरे आँखों के सामने तुम दोनों माँ-बेटे हो जलील इंसानो…”

अमन और रजिया पीछे मुड़कर देखने लगते हैं। पच्च की आवाज़ से अमन अपने लण्ड को रजिया की चूत से बाहर निकाल लेता है।

अनुम अपनी उंगली में से रिंग निकालकर अमन के मुँह पे दे मारती है-“ये ले कमीने इंसान, मैं तुझे क्या समझ रही थी और तू क्या निकला? थू है तुझपे…” और वो नीचे बैठकर जोर-जोर से रोने लगती है।

अमन अपने पैंट पहन लेता है, और अनुम का हाथ पकड़ने की कोशिश करता है।

पर अनुम उसका हाथ झटक देती है-“मुझे हाथ मत लगा तू जलील इंसान…”

रजिया जल्दी से अपने कपड़े उठाने किचिन में भागती है।

अमन अनुम का हाथ मजबूती से पकड़ लेता है-“आखिर तेरी प्राब्लम क्या है अनुम? बोल मुझे… क्यूँ तू ऐसे रिएक्ट कर रही है?”

अनुम गुस्से से तिलमिला जाती है-“मैं क्यूँ ऐसे रिएक्ट कर रही हूँ? तुम अपनी अम्मी के साथ थे, मुझे तो सोचते हुए भी शरम आती है…”

अमन अनुम का हाथ पकड़कर बेड पे बैठा देता है-“पहले मेरी बात सुन ले। उसके बाद तुझे वो करना है, कर लेना?”

अमन रजिया को आवाज़ देता है-“रजिया इधर आ, यहाँ बैठ मेरे पास…”

रजिया कपड़े पहन चुकी थे। वो सामने बैठ जाती है।

अनुम का सर नीचे झुका हुआ था, और वो रोए जा रही थी।
अमन अपनी बात शुरू करता है-“अनुम, देख अपनी अम्मी को ज़रा। इसका चेहरा देख, क्या तूने इससे पहले इतना खुश देखा है। जानती है कि ये खुश क्यूँ नहीं रहती थी? क्योंकी इसकी जिंदगी में सब कुछ था, मगर एक चीज़ नहीं थी, वो हर औरत का हक है। और वो चीज़ है-शौहर का प्यार उसके जिस्म के लिये। क्या रजिया औरत नहीं है? क्या उसके सीने में दिल नहीं है? वो क्या पत्थर की बनी हुई है? तेरा बाप साल में दो बार यहाँ आता है। और एक महीने से ज्यादा नहीं रहता। पूछ रजिया से कि वो कितनी बार रजिया को चोदता है? एक या दो बार? क्यूँ है ना… रजिया, मैं सहे कह रहा हूँ ना?”

रजिया धीमी आवाज़ में-“हाँ…”

अमन-“जब एक शौहर अपनी बीवी को नहीं चोदेगा तो वो क्या करे? बोल मुझे वो क्या करे? बाहर जाकर दूसरे मर्द से चुदाई? हाँ मैंने रजिया को चोदा है, क्योंकी मुझे उसका जिस्म नहीं चाहिए था। वो तो मुझे कहीं भी मिल सकता है। पैसे फेंको तो एक से एक जवान लड़कियां मिल सकती हैं। मुझे रजिया से सच्ची मोहब्बत है। जितनी तू मुझसे करती है।
और एक बात… मैं भी तुझे रजिया की तरह चाहने लगा हूँ… मैं तेरे साथ जबरदस्ती नहीं करूंगा, ना तुझे तेरे मर्ज़ी के बगैर चोदूंगा। क्योंकी जिससे प्यार किया जाता है, उसके खुशी देखी जाती है। तेरे अम्मी मेरे साथ खुश है। और मैं भी।
और एक बात… तुझे हम दोनों को देखकर सिर्फ़ और सिर्फ़ जलन हो रही है।
अनुम अमन का चेहरा देखने लगती है। अब अनुम की आँखों में आँसू नहीं थे-जलन मुझे किस चीज़ की?

अमन-“हाँ जलन… ये जलन है। अनुम प्यार की जलन… अपनी चीज़ किसी दूसरे के पास देखने की जलन। अगर तुझे ये सब गंदा घिनौना लगता है, तो तू क्या कर रही है? तुझे जब मैंने किस किया, तब तूने मुझे थप्पड़ मारना चाहिए था। जब मैंने तुझे रिंग पहनाया, तब तुझे वो फेंक देना चाहिए था। आखिर तू भी तो मेरी होना चाहती है ना… तू भी तो मेरी सगी बहन है? क्या ये गंदा नहीं होगा? मैंने तुझे रिंग पहनाया फिर उसके बाद क्या?

बोल मुझे… है कोई जवाब तेरे पास? उसके बाद क्या करेगी मुझसे-शादी। दुनियाँ वाले मानेंगे इस चीज़ को? तेरा बाप इजाजत देगा हमें? नहीं, कभी नहीं? मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूँ कि मैं ऐसे ही रहूँगा, और ऐसे ही रजिया की चोदूंगा। अगर तुझे मेरी बात गलत लगे तो तेरे बाप को आने के बाद बोल देना और अगर तू मेरी बनकर रहना चाहती है तो?
हाँ, मैं जादा करता हूँ कि तुझसे शादी करूंगा चाहे कोई माने या ना माने। मगर उससे पहले मैं रजिया से शादी करूंगा। बोल तुझे कुछ कहना है?

रजिया और अनुम दोनों अमन को ही देख रही थीं। रजिया ने तो सोचा भी नहीं था कि अमन वो सोच चुका था। उसे अपनी मोहब्बत पे फख्र महसूस हो रहा था। वो उठकर अमन के पास आ जाती है, और अमन के होंठों पे अपने होंठ रखकर उसके होंठों को चूसने लगती है। अब उसे किसी चीज़ की परवाह नहीं थी, ना अनुम की, ना ख़ान की। अब तो वो पूरी तरह अमन की बीवी हो चुकी थी।

अनुम ये सब देख नहीं पाती और अपने कमरे में चली जाती है, और दरवाजा बंद कर लेती है। वो रोना नहीं चाहती थी, क्योंकी उसका दिल नहीं चाहता था। अनुम अपने रूम में बैठी अमन की कही गई बातें सोच रही थी।

और इधर रजिया के रूम में रजिया अमन के कंधे पे सर रखकर-“सुनिए मुझे डर लग रहा है। अनुम कुछ उल्टा सीधा ना कर दे…”

अमन रजिया का चेहरा अपने हाथों में लेते हुए-“अब तुझे डरने की ज़रूरत नहीं है। मेरे जान, अब मैंने फैसला कर लिया है…”

रजिया-क्या जी?
अमन-“तू आज से प्रेग्गनेन्सी के गोलियाँ खाना बंद कर दे, क्योंकी मैं तुझसे मेरा बच्चा चाहता हूँ और हाँ कल हम शिमला जा रहे हैं। यहाँ से 300 कि॰मी॰ दूर, हमारे पहले हनीमून पे…”

रजिया अमन की बातें सुनकर बुरी तरह शरमा जाती है, और बेड पे लेट जाती है। अमन अपने पैंट को उतारते हुए रजिया की तरफ देखता है। रजिया अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लेती है। आज उसे किसी नई नवेली दुल्हन की तरह शरम आ रही थी। अमन का उसे प्रेगनेंट करना और हनीमून पे ले जाने की बात उसकी चूत में करेंट दौड़ा रही थी।

अमन पूरे तरह नंगा हो चुका था। वो रजिया की भी नाइटी खींच देता है।


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रजिया-“अह्म्मह… सुनिए जी, हम शिमला जा रहे हैं तो अनुम कहाँ रहेगी?”

अमन-वो भी हमारे साथ जाएगी।

रजिया-क्या? वो नहीं आना चाहे तो?

अमन-“वो ज़रूर आएगी। मेरा दिल कहता है। मैंने उसकी आँखें पढ़ ली हैं…”

रजिया अपने पैर खोल देती है। जैसे कह रही हो कि आओ जानू चोदो अपनी रजिया को।


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अमन रजिया के मुँह में अपना लौड़ा डाल देता है-“अह्म्मह… पहले थोड़ा गीला तो कर ले मेरी रानी अह्म्मह…”


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रजिया-“हाँ गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” रजिया अब इसमें एक्सपर्ट हो चुकी थी। वो अमन के आंडों को मरोड़ते हुए अपने मुँह में लण्ड लेने लगती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंन्ह… मुझे चोदो जान उंन्ह… मैं लेना चाहती हूँ प्लीज़्ज़ज्ज्ज…”

अमन भी जान चुका था कि अब देर नहीं कर सकता। वो अपना लण्ड रजिया के मुँह से निकालकर उसकी चूत में रगड़ने लगता है।



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रजिया-डालिये ना जी।

अमन रजिया की एक चूची मुँह में भरकर अपना लण्ड रजिया की गीली चूत में पेल देता है।



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रजिया-“अह्म्मह… आगगाग उंह्म्मह… मेरे राजा… चोदो अपने बीवी को… उंह्म्मह… मैं दूगी आपको बेटा… आपका खून उंन्ह… अह्म्मह…” अब रजिया भी नीचे से अपनी कमर ऊपर तक उठा-उठाकर अमन का पूरा लण्ड अपनी चूत की जड़ तक लेने लगती है।

अमन-“हाँ रजिया उंन्ह… अह्म्मह… मुझे तुम दोनों से चाहिए मेरा बच्चा… अनुम से भी अह्म्मह…”

रजिया-हाँ मेरे सरताज हम आपके हैं… दोनों ही उंह्म्मह… अह्म्मह…”

दोनों एक नई दुनियाँ की सैर कर रहे थे। अपनी ही दुनियाँ बसाने चले थे। अमन अपने पूरी ताकत से रजिया को चोद रहा था। वो एक बार पानी निकाल चुका था। वो इतने जल्दी झड़ने वाला नहीं था।



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रजिया से ये बर्दाश्त करना मुश्किल था। वो एक जोरदार चीख के साथ अपनी चूत का पानी छोड़ने लगती है-“उंह्म्मह… अमन… जानू…”

अमन-“क्या हुआ? तेरे माँ की… वो रजिया की चूत पेले जा रहा था अह्म्मह…”

रजिया खामोश हो गई थी और दरवाजे की तरफ देख रही थी, वहाँ अनुम खड़ी थी।

अनुम की आँखें लाल देखाई दे रही थीं। वो तो उसे वक्त से दरवाजे में खड़ी थी, जब अमन ने रजिया को शिमला जाने की बात कहा था।

अमन पीछे मुड़कर देखता है तो अनुम अपने रूम में चली जाती है। रजिया मुस्कुराकर अमन को देखती है। अमन उसे आँख मार देता है, और ताबड़तोड़ अपने झटकों की स्पीड बढ़ा देता है। वो 10 मिनट लगातार चोदने के बाद झड़ जाता है। वो दोनों एक दूसरे की बाँहों में पड़े थे।
अमन-“मैं बाहर जा रहा हूँ थोड़ी देर में आ जाऊँगा। तू खाना बना ले और हाँ वो तेरी ट्रांसपेरेंट नाइटी पहन ले, बिना ब्रा बिना पैंटी…”

रजिया-ह्म्मम्म्म्म।

फिर अमन अपने कपड़े पहनकर घर से निकल जाता है। उसे अपने दोस्त इमरान से कुछ काम था। दरअसल इमरान एक शिमला के होटेल वाले को जानता था। अमन उससे एक होटेल में रूम बुक करवाने की बात करने जा रहा था।

अनुम अपने रूम में आईने के सामने खड़ी थी। उसका ब्रेन-वॉश हो चुका था। उसे अमन से गिला नहीं बस आने वाले वक्त का ख्याल कि अब क्या होगा? क्या मैं अमन और अम्मी के साथ शिमला जाऊँ या इनकार कर दूं? मैं नहीं जाऊँगी। नहीं जाऊँगी मैं। वो ठान लेती है।

रजिया खाना बनाने लग जाती है। जैसा उसे अमन ने कहा था वो जैसे ही कपड़े पहने हुए थी।

रात 8:00 बजे-

डाइनिंग टेबल पे अमन और अनुम बैठे हुए थे, पर कोई बात नहीं कर रहे थे। अनुम की नज़रें नीचे थी और अमन उसे देख रहा था। रजिया खाने की एक प्लेट अनुम के सामने रख देती है, और एक प्लेट अमन के सामने। अनुम खाना खाने लगती है।

अमन-सुन रजिया।

रजिया अमन को फिर अनुम को देखते हुए-जी।

अमन-“यहाँ आ मेरी गोद में, आज मुझे तेरे हाथ से खाना है।

अनुम वहीं बैठे उनकी बातें सुन रही थी और चुपचाप खाना खा रही थी।

रजिया अपनी गाण्ड मटकाते हुए अमन की गोद में आकर बैठ जाती है।

अमन-“चल खिला अपने शौहर को…” ये अमन ने जानबूझकर कहा था।

रजिया एक निवाला तोड़ते हुए अमन के मुँह में डालने लगती है। तभी अमन रजिया की चुचियाँ मसल देता है।


रजिया-“औउच… उंह्म्मह… क्या कर रहे हैं जी, खाना तो खा लो पहले…”

पर अमन कहाँ सुनने वाला था। वो एक निवाला खाता और रजिया की चुचियाँ मसलता रहता। रजिया के तन-बदन में चीटियाँ रेंग रही थीं। उसे इस सब में एक अलग ही मज़ा आ रहा था।

खाना खाने के बाद अनुम हाल में टीवी ओन कर देती है। उसके नज़र टीवी पे थी पर दिमाग़ पूरी तरह अमन की तरफ।

कुछ देर बाद अमन और रजिया भी वहीं हाल में आ जाते है। अमन सोफे पे बैठा हुआ था, साइड में रजिया और सामने अनुम। अमन रजिया की नाइटी उसके सर से उतारते हुए-“चल मुँह में ले…”

रजिया बिना कुछ बोले सोफे के नीचे बैठ जाती है, और अमन का लण्ड अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगती है।




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अमन-“अह्म्मह… धीरे कर साली, तेरी बेटी को चोदूं…” ये अमन ने अनुम की आँखों में देखते हुए कहा। वो उन दोनों को देख रही थी।

अनुम अपना चेहरा फिर से टीवी की तरफ कर देती है।

अमन रजिया को सोफे पे उल्टा झुकाकर पीछे से अपना लण्ड रजिया की चूत में डालने लगता है।



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रजिया-“अह्म्मह… धीरे जानू उंन्ह… अह्म्मह… आराम से ना जी…”

अमन अनुम के तरफ देखते हुए जोर-जोर से रजिया को चोदे जा रहा था-“अह्म्मह… ले रानी, तेरे बेटी को चोदूं ले उंह्म्मह…”
अनुम से अब ये सब देखना मुश्किल था। वो उठकर जाने लगती है। तभी अमन अनुम का हाथ पकड़ लेता है और उसे रजिया की कमर के पास खड़े कर देता है। वो अब भी अपना लण्ड रजिया की चूत में पेले जा रहा था। अनुम अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है। पर अमन की मजबूत पकड़ के सामने वो बेबस थी। अमन रजिया की गाण्ड पे थप्पड़ मारते हुए अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगता है। रजिया तो पागल हो चुकी थी। उसकी चूत से लगातार पानी निकल रहा था… ऊपर से अनुम उसकी चूत में अमन का लण्ड जाते देख रही थी। ये उसे पागल करने के लिये काफी था।

रजिया-“उंन्ह… मेरी चूत चाटो उंह्म्मह…”

अमन भी एक दो झटके मारने के बाद अपना पानी रजिया की चूत में निकालकर अपना लण्ड बाहर निकाल देता है। वो अब भी अनुम का हाथ पकड़े हुए था।
अमन-“सुन अनुम, हम तीनों कल शिमला जा रहे हैं, 7 दिन के लिये। तू अपना बैग पैक कर लेना आज। कल सुबह 10:00 ही निकल जाएंगे…”

अनुम कुछ नहीं बोली वो सोच चुकी थी कि वो मना कर देगी।

अमन कड़क आवाज़ में-सुना तूने?

अनुम-ह्म्मम्म्म्मम।

और अमन उसका हाथ छोड़ देता है।

अनुम अपने रूम में जाकर बंद हो जाती है। अनुम बेड पे लेटी हुई थी। अनुम दिल ही दिल में-मैंने हाँ क्यों की? मैं जाना नहीं चाहती थी फिर क्यूँ? क्यूँ? ये जवाब ना उसे पता था और ना अमन और रजिया को। अनुम अपने रूम में बैठी हुई थी। उसकी आँखों में आँसू थे।

अमन और रजिया फ्रेश होकर अनुम के रूम में दाखिल होते हैं। अनुम दोनों को देखती है। मगर कोई रेस्पॉन्स नहीं देती। उसकी आँखें झुकी हुई थीं।

अमन अनुम के पास आकर बैठ जाता है, और उसका एक हाथ अपने हाथ में लेती हुए-“क्या हुआ अनुम? तू मुझसे नाराज है ना? मैं जानता हूँ कि मैंने गलत किया है…”

कितने दिनों से वो सैलाब कच्ची दीजारों से बँधा हुआ था, अनुम के दिल में वो पूरे रफ़्तार से फूट पड़ता है, और वो रोने लगती है। वो बस रोए जा रही थी अमन भी उसे कुछ देर रोने देता है। रो लेने से दिल का बोझ भी हल्का होता है। बाररश हो जाये तो मौसम अच्छा हो जाता है।

अनुम-“मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ अमन। मेरा दिल दुख रहा है अंदर से। तुम मेरे साथ शिमला में वो करना चाहते हो, वो तुम कर भी लोगे। पर उसमें मेरी खुशी शामिल नहीं होगी। मैं भी एक इंसान हूँ, एक लड़की, जिसने तुम्हें दिल से अपना शौहर माना है। एक बहन के लिये ये सोचना भी गुनाह है। पर मैं क्या करूँ? अमन ये मेरे बस में नहीं है। मैं तुमसे सच्ची मोहब्बत करती हूँ। तुम्हें अपना सब कुछ मानती हूँ। तुम अभी कहो तो मैं अभी पूरे कपड़े उतार दूं, कर लो वो करना है मेरे साथ। मैं उफफ्र्फ तक ना कहूंगी। मगर मेरा दिल वो तुम्हें एक शौहर की जगह दे चुका है। वो हमेशा-हमेशा के लिये दफन हो जाएगा, मर जाएगी अनुम हमेशा के लिये…” बोलते-बोलते वो सिसक उठी।

अमन उसका चेहरा अपने हाथों में थामते हुए उसकी आँखों में देखने लगता है-“बोल दिया वो बोलना था, अब मेरी बात गौर से सुन…”

एक आदमी की मोहब्बत और एक औरत की मोहब्बत में सिर्फ़ इतना फरक होता है अनुम कि औरत अपने दिल की बात जोर-शोर से बोलती है। मगर एक मर्द अपने दिल की मोहब्बत अपने लफ़्जों से नहीं, बल्की अपने प्यार करने के अंदाज से दिखाता है। वो प्यार वो रजिया से करता हूँ। मेरी जिंदगी में कई लड़कियां आईं, मगर वो मोहब्बत मुझे तुझसे हुई है, वो किसी और से नहीं हो सकती। अरे पगली जब तूने मेरे इन होंठों पे अपने होंठ रखे थे ना… तभी मैं तेरे दिल की कैफियत समझ गया था। हाँ अनुम, मैं भी तुझसे सच्ची मोहब्बत करता हूँ। तुझे क्या लगता है कि मैं तेरा ये जिस्म पाने के लिये बोल रहा हूँ? नहीं, यहाँ मेरे दिल पे हाथ रखकर देख, तुझे इसमें तेरा नाम सुनाई देगा। तू जानती है कि हम शिमला क्यूँ जा रहे हैं?

अनुम की आँखों में सवाल था-क्यों?

अमन-“मैं तुम दोनों को वहाँ इसलिये ले जा रहा हूँ कि अपनी मोहब्बत को अंजाम तक पहुँचा सकूँ। हाँ अनुम, मैं वहाँ तुझसे और रजिया से शादी करने वाला हूँ… हमारे रस्मों रिवाज के मुताबिक वहाँ हमें कोई नहीं पहचानता। एक काजी को कुछ पैसे देकर हम वहाँ शादी करेंगे। उसके बाद तुम दोनों हमेशा के लिये मेरे बीवियां बन जाओगी। यही चाहती थी ना तू कि मुझसे शादी हो? और जब मैं तुझसे शादी कर लूंगा तब तो मुझे हाथ लगाने देगी ना?

अनुम का चेहरा फूल की तरह खिल जाता है। उसे अपने कानों पे यकीन नहीं हो रहा था कि अमन से उसकी शादी है-“हाँ अमन, मैं यही तो चाहती थी। पर अब्बू?”

अमन-“जब प्यार किया तो डरना क्या मेरे जान? और अमन अनुम को गले लगा लेता है।

सारे गीले शिकवे दूर हो चुके थे। वहाँ एक तरफ अनुम बेहद खुश थी। वहीं रजिया की हालत किसी नई नवेली दुल्हन की तरह थी वो अपना हनीमून अपने प्यार करने वाले के साथ मनाने वाली थी, और उसके साथ उसकी सगी बेटी भी उसी बिस्तर पे अपना कुँवारापन अमन को सौंपने वाली थी। वो रात जिसका अब तीनों को इंतजार था।

अनुम एक कुँवारी लड़की से एक मुकम्मल औरत बनने वाली थी और रजिया अपनी कोख में अपने शौहर का बीज बोने वाली थी।

तीनो यही सोच रहे थे कि ये रात जल्द से जल्द ढल जाए और कल एक नया सवेरा हो वो हम तीनों की जिंदगी में उम्मीद की एक नई किरण लेकर आए। इसी ख्यालों में वो तीनों एक ही बेड पे सो जाते हैं।
***** *****वेलेनटाइन डे

सुबह के 8:00 बजे-

अमन और अनुम नाश्ता कर रहे थे। आज उनका दिल-ओ-दिमाग़ किसी खाने पीने की चीज़ में नहीं था। क्योंकी उन्हें शिमला जाना था और जल्दी जाना था। इसलिये वो जल्दी जल्दी नाश्ता खत्म कर रहे थे।

रजिया-“अनुम, मैं ज़रा रेहाना को बताकर आती हूँ की हम अमन के दोस्त की शादी अटेंड करने शिमला जा रहे हैं, घर का खयाल रखे।

अनुम-“जी अम्मी, जल्दी आइए हम आपका कार में इंतजार कर रहे हैं…”

रजिया रेहाना की तरफ चली जाती है। उसे पता था कि अगर उसने अमन को रेहाना की तरफ भेजा तो वो पहले उससे चुदवाएंगे और फिर शिमला आने की जिद करेंगे। ये रजिया कभी नहीं चाहती थी। रेहाना को इनफाम़ करने के बाद रजिया घर बंद करके कार में आकर बैठ जाती है। वहाँ पहले से अमन और अनुम उसका इंतजार कर रहे थे।

अमन-चलें स्वीट हार्ट?

दोनों औरतें-“चलिये…” और कार अपने स्पीड से शिमला की तरफ रवाना हो जाती हैं।

अनुम-“अम्मी, लाओ आपके हाथों में मेंहदी लगा दूं…” और वो रजिया के हाथों में मेंहदी लगाने लगती हैं।

दो घंटे का सफर था। इस दौरान अनुम पहले रजिया को और फिर खुद के हाथों पैरों में मेंहदी लगा चुकी थी। उसके सारे अरमान आज पूरे होने वाले थे। एक लड़की जब औरत बनती है, तो ये खुशी सिर्फ़ वही जानती हैं,

जिसके साथ ये सब होता है। हम और आप नहीं। शिमला पहुँचकर अमन कार एक ‘लाडली दुल्हन’ नाम की शाप के सामने रोक देता है। इस शाप में शादी की सारे चीज़ें मिलती थीं।

अमन-“तुम दोनों यहीं बैठो, मैं तुम दोनों की चीज़ें लेकर आता हूँ…”

अनुम-मैं चलूं?

रजिया-“नहीं, आज सब इनकी पसंद से होगा यहीं बैठो…”

फिर अमन मुस्कुराते हुए शाप में चला जाता है। करीब एक घंटा बाद वो 5 बैग्गस भरकर वापस आता है। और कार में रख देता है।

अनुम और रजिया एक-एक बैग खोल-खोलकर देखने लगती हैं। रजिया बोली-“सभी चीज़ें बहुत अच्छी हैं। पर आप लहंगा और ब्लाउज लेना भूल गये। सिर्फ़ लाल रंग से साड़ी है, इसमें ना ब्रा है, ना पैंटी…”

अमन-“तुम दोनों को मैं जिस चीज़ में देखना चाहता हूँ, बस वही लाया हूँ। और जैसे भी होटेल के रूम में तुम दोनों ये भी उतारने वाले हो…”
दोनों औरतें बुरी तरह शरमा जाती हैं।

अमन अनुम और रजिया को होटेल के रूम में पहुँचाकर काजी की तरफ चल देता है। अमन शिमला कई बार आ चुका था, इसलिये उसे यहाँ के सारे रोड मालूम थे। वो एक काजी से मिलता है, जिसका नाम मिर्ज़ा असद बेग था।

अमन-“काजी साहब हम लोग बिहार के रहने वाले हैं। हमारे गाँव में बढ़ आ गई थी सभी घर बह गए कई जाने गयीं। हम किसी तरह यहाँ तक पहुँच सके। मेरे साथ मेरी मंगेतर और एक गाँव की औरत है, वो अब बेसहारा है। मैं इन्हें ऐसे अपने साथ नहीं रख सकता, इसलिये मेरा इन दोनों से आप निकाह करवा दें, ताकी मैं इन्हें अपने साथ रख सकूँ…”
उस वक्त बिहार में सच में बाढ़ आई हुई थी।
काजी असद इस बात से बहुत खुश हुए कि अमन एक जिम्मेदार इंसान की तरह रहना चाहता है। वरना आजकल के जमाने में कौन इतनी अच्छी सोच रखता है।

काजी साहब-“ठीक है बेटा चलो…” और काजी साहब अपने साथ दो और आदमियों को लेकर जिनकी निकाह में ज़रूरत पड़नी थी, अमन के साथ होटेल पहुँच जाते हैं।

इधर रजिया बाथरूम में अनुम की चूत के सारे बाल निकालने के बाद उसकी तेल से मालिश करती है।

अनुम-“अम्मी आप भी तैयार हो जाओ, वो लोग आते ही होंगे…”

रजिया अनुम की चिकनी चूत को देखते हुए उसे अपने होंठों से छूना चाहती थी। तभी अनुम रजिया को रोक देती है-“नहीं अम्मी, इसपे सबसे पहला हक उनका है…” और वो रजिया को अपने सीने से चिपका लेती है।

30 मिनट बाद अमन काजी और दो आदमियों के साथ रूम में दाखिल होता है। रजिया और अनुम ने अभी नॉर्मल ड्रेस पहना हुआ था ताकी काजी को शक ना हो जाये।
काजी साहब रजिया और अनुम से निकाहनामे पर दस्तखत लेते हैं, और फिर पहले अनुम से पूछते है-“क्या आपने अमन ख़ान को अपने निकाह में कुबूल किया?”

अनुम की आँखों के सामने अपने बचपन से अब तक का सारा मंज़र कुछ सेकेंड में घूम जाता है। वो धीमी आवाज़ में काजी से कहती है-“कुबूल है…”

उसके बाद रजिया से काजी साहब पूछते हैं-“क्या आपने अमन ख़ान को अपने निकाह में कुबूल किया?”

रजिया-“जी हाँ, कुबूल किया…”

उसके बाद काजी साहब अपनी सारी जरूरी फामेलिटी पूरी करते है। वो अमन से भी अनुम और रजिया को कुबूल करवाते हैं।
और अमन भी खुशी-खुशी दोनों को अपने निकाह में कुबूल कर लेता है।

काजी साहब और वो दोनों आदमी अमन को मुबारकबाद देते हुए चले जाते हैं।

उन दोनों के जाने के बाद अमन रूम का दरवाजा बंद कर देता है। रूम का दरवाजा बंद होते ही अनुम और रजिया भागते हुए आकर अमन से चिपक जाती हैं।

रजिया-“मुबारक हो मेरे सरताज मुआहन्ह…”
अनुम-“मुबारक हो मेरी जान मैं बहुत बहुत-बहुत खुश हूँ आज कि आपने अपना वादा पूरा किया। मैं आज से आपकी हुई मुआह्म्मह…”

अमन दोनों को अपने से कसकर चिपका लेता है। अच्छा सुनो-“अभी रात के 7:00 बज रहे हैं। तुम दोनों तैयार हो जाओ और वो मैं तुम्हारे लिये ड्रेस लाया हूँ, उसे पहन लो और मैं भी फ्रेश हो जाता हूँ…”

अमन-“रजिया, तुझे मैंने वो कहा था याद है ना?”

रजिया-“जी आप बिल्कुल फिकर ना करें…”

और अनुम अपना चेहरा शरमाकर रजिया के सीने में छुपा लेती है। दोनों औरतें एक रूम में चली जाती हैं। रजिया पूरे रूम में स्प्रे मारती है। बेड पे गुलाब की पंखुड़ियाँ बिछा देती है, और अनुम का हल्का-हल्का मेकअप करती है। उसके बाद वो खुद भी लाल साड़ी पहन लेती है, बिना ब्रा-पैंटी के और लहंगे ब्लाउज के अलाजा सिर्फ़ एक लाल साड़ी अपने जिस्म पे लपेटने में उसे आज एक नया खुशगवार एहसास हो रहा था। उसके जिस्म से बार-बार साड़ी निकल जा रही थी। वो अपने काँपते हाथों से साड़ी पहन ही लेती है।

वो खुद से ज्यादा अनुम को तैयार कर रही थी। वो जानती थी कि ये रात अनुम की जिंदगी की ना भूलने वाले रात बन जाएगी, जिसे वो पूरी तरह खूबसूरत बनाने वाले थे।

अनुम-“अम्मी, मैं कैसी लग रही हूँ?” अनुम खुद को आईने के सामने देखते हुए कहा।

रजिया-“एकदम आसमान की परी जैसे…” अब चलो यहाँ बेड पे बैठ जाओ ऐसे, और वो अनुम को बेड पे बिठा देती है, उसके सर पे घूँघट डाल देती है। फिर खुद भी उसके बगल में घूँघट डालकर बैठ जाती है।

रजिया जोर से आवाज़ लगते हुए-“सुनिये, आप आ जाइए…”

अमन वो उस रूम से अटैच्ड रूम में एक नई नवेली शेरवानी पहने खुद को आईने में देख रहा था, रजिया की आवाज़ से खुश हो जाता है। जाने कितने दिनों से उसके दिल में एक ख्वाइश थी कि वो अपनी अम्मी और बहन को दुल्हन के रूप में एक बेड पे लाल साड़ी पहने घूँघट डाले देखे। आज वो पल आ गया था। वो धड़कते दिल के साथ रूम में दाखिल होता है।

अमन रूम में पहुँचकर दरवाजा बंद कर देता है। आज उसका दिल उसके बस में नहीं था। ऐसा नज़ारा उसकी आँखों ने पहली बार देखा था। एक बेड पे उसकी अपनी सगी अम्मी और बहन उसका बेसबरी से इंतजार कर रही थीं। अमन जाकर बेड पर बैठ जाता है।




Wah Alanaking Bhai,

Dono hi updates ek se badhkar ek aur kamukta se bharpur he..............maja aa gaya bhai

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