king cobra
Well-Known Member
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sab kismat ki baat hai inna mahngai hui gawa hai ki do shaal ma sabka daam dunga hui gawa hai aur kamai adhi hui gaye ab to kya kahun mai kisi tarah jinna hunभाईसाहब.............मैं आपकी बात से सहमत नहीं!!!!!!! हर इंसान के पास ज़मीन नहीं होती जिस पर वो फसल ऊगा कर बेच सके..................और जिनके पास होती भी है वो इतनी छोटी होती है की उससे उनका गुज़र बसर हो जाए यही बड़ी बात है.............मुनाफ़ा कमाने की तो बात ही अलग है!!!!! मेरे ससुराल की ही बात देख लो.............पिछले साल हम ने पेपरमिंट और बाली मतलब भुट्टा बोया गया था............जब बज़ार बेचने गए तो नाम मात्र का मुनाफ़ा हुआ इसलिए इस बार पेपरमिंट बोने का ही छोड़ दिया...........मेहनत मज़दूरी करने वाले इतना नहीं कमा पाते की वो अपने बच्चों को पढ़ा सकें...........उनके लिए तो जितने कमाने वाले हाथ होंगें उतना ही बेहतर है| और आप जिन सरकारी योजनावा का ज़िक्र कर रहे हैं वो ठीक से लागू की जाती हैं????????? मैं एक यूट्यूब चैनल देखती हूँ जिसमें एक परिवार अपने बेटे को पढ़ने के लिए आंगनबाड़ी भेजता है..............इस आंगनबाड़ी में गिनती के बच्चे आते हैं और आधा समय तो आंगनबाड़ी ही बंद रहती है!!!!! ऐसे हालातों में बच्चा पढ़ना भी चाहे तो कैसे पढ़ेगा???? केवल सरकारी योजनाएं बनाने से कुछ नहीं होगा................जब तक जनता को डंडे से इनकी तरफ हांका नहीं जाएगा कोई आगे नहीं बढ़ेगा!!!!!!!! शहरों में हमारा देश भले ही कितनी ही प्रगति कर ले..............गाँव देहात हमेशा पिछड़ा ही रहेगा.................गॉंव तभी आगे आएगा जब लोगों को जबरदस्ती आगे लाया जायेगा!!!!
