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Incest एक अनोखा बंधन - पुन: प्रारंभ (Completed)

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Rockstar_Rocky

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Rockstar_Rocky

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Kya baat h.
.
Nice update.
.
Computer class lg gye baccho ki aur bhauji ki adult class.
.
Keep writing.
.
Keep posting.
.
..
...
....
बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:
आगे देखिएगा की ये Adult वाली class ने क्या गुल खिलाये!
 

Rockstar_Rocky

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yeh sahi hain internet kee lat lag gayee bhaujee ko, ab yeh porn ka chaska hain hi aisa ek baar lag jaye aasani se nahin chhutta hain.
waise bhaujee mein nayee cheej seekhne kee lalak bahut hain chahe wo mobile ho computer ho ya phir english ke naye words seekhna.
kabhi-kabhi bachhe rang mein bhang daal dete hain lekin kya kare wo bhi abhinn ang hain jivan ke, is jaddojah mein toh maza hain chhupke-chhupke kuchh karne ka.

aaj ke is episode ko computer ka gyan naam de dete to bdhiya tha:respekt::respekt::respekt::respekt:.

बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:
आपने बिलकुल सही कहा मित्र, कुछ नया सीखने की जिज्ञासा उनमें बहुत तेज थी! अब ये जो नई 'चीज' सीखी है क्या ये आगे चल कर कोई काण्ड करेगी या नहीं, ये आपको आने वाले updates में पता लगेगा|
बच्चे इस कहानी का वो anchor point हैं जिनके सहारे सब कुछ बँधा हुआ, उनकी अनुपस्थिति में हमारा रिश्ता दुबारा फल-फूल नहीं पाता|
अपडेट का नाम कारन करने का idea अच्छा है, परन्तु अब बहुत देर हो चुकी है| अगली कहानी में इस बाद पर ध्यान दूँगा!
 
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Rockstar_Rocky

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Bdiya update guruji :love:

* manu bhaiya 👇👇
IMG-20201108-111304

बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र! :thank_you: :dost: :hug: :love3:

हिन्दुस्तान में कुछ भी चलाना हो तो बस एक बात याद रखो;



zakir-khan-1200
 

Rockstar_Rocky

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प्रिय मित्रों,

बड़े ही दुःख के कारन मुझे आपको बताना पड़ रहा है, अपडेट कुछ ज्यादा लम्बी खिंच रही है| इस अपडेट में मुझे आपको बहुत ख़ास बात बतानी थी जिसे मैं फिलहाल समय के अभाव के कारन लिखने में असमर्थ हूँ! कृपया मुझे कल तक का समय दीजिये, कल अवश्य आपको एक बड़ी अपडेट पढ़ने को मिलेगी! 🙏 :sorry:
 
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Akki ❸❸❸

ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
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प्रिय मित्रों,

बड़े ही दुःख के कारन मुझे आपको बताना पड़ रहा है, अपडेट कुछ ज्यादा लम्बी खिंच रही है| इस अपडेट में मुझे आपको बहुत ख़ास बात बतानी थी जिसे मैं फिलहाल समय के अभाव के कारन लिखने में असमर्थ हूँ! कृपया मुझे कल तक का समय दीजिये, कल अवश्य आपको एक बड़ी अपडेट पढ़ने को मिलेगी! 🙏 :sorry:
:(
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Naik

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तेईसवाँ अध्याय: अभिलाषित प्रेम बन्धन
भाग - 13



अब तक आपने पढ़ा:


मैंने फ़ोन काटा और माँ की तसल्ली के लिए उन्हें एक बार फिर सारी बात बता दी| बहाना जबरदस्त था और माँ ने जाने से बिलकुल मना नहीं किया, मैं जिस हालत में था उसी हालत में गाडी की चाभी ले कर निकल गया| कपडे बदलने लगता तो हो सकता था की माँ पिताजी को बात बता दें, मैंने गाडी निकाली तथा कुछ दूरी पर underground parking में खड़ी की ताकि अगर पिताजी बाहर निकलें तो गाडी खड़ी देख कर शक न करें| Parking से निकल कर मैं भागता हुआ भौजी के घर पहुँचा और बेसब्र होते हुए दरवाजा खटखटाने लगा|


अब आगे:


जैसे ही भौजी ने दरवाजा खोला मैं अवाक उन्हें आँखें फाड़े देखने लगा!









हलके गुलाबी रंग का top, slim-fit jeans जो कस कर उनकी टांगों से चिपकी हुई थी, हाथों में लाल चूड़ियाँ, होठों पर लाली, बाल खुले हुए, और चेहरे पर face powder लगा हुआ! कुल मिला कर कहें तो भौजी नई-नवेली दुल्हनें लग रहीं थीं!

भौजी को देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रहा गया था, मुझे यूँ खुद को घूरता हुआ देख कर भौजी लजा रहीं थीं, उन्होंने अपनी आँखें लाज से झुका कर नकली खाँसी खाई जिससे मैं होश में आया और बोला;

मैं: WOW! You’re looking GORGEOUS!!!

मैंने आँखें फाड़े हुए ही कहा|

भौजी: पसंद आपकी जो है जानू!

भौजी लजाते हुए बोलीं| मैं भौजी की सुंदरता में खो गया था इसलिए अब भी बाहर ही खड़ा था तो भौजी ने मुझे अंदर आने को कहा;

भौजी: अंदर तो आओ न!!

मेरी इच्छा बस भौजी को इन कपड़ों में देखने की थी, उसके आगे की मैंने कोई उम्मीद नहीं की थी! जब भौजी ने मुझे अंदर आने को कहा तो मैं झिझकता हुआ अंदर आया और सीधा कुर्सी पर बैठ गया| मेरा यूँ कुर्सी पर बैठ जाना भौजी को अजीब लगने लगा था इसलिए उन्होंने मुझे टोकते हुए कहा;

भौजी: यहाँ क्यों बैठ गए? अंदर चलो न!

भौजी का यूँ मुझे bedroom में निमंत्रण देने से मुझे घबराहट होने लगी थी| मेरा ये मानना है की जब भी हम कोई गलत काम करने वाले होते हैं तो सबसे पहले हमारी अंतरात्मा हमें रोकती है| जो अंतरात्मा की बात सुन लेता है और मान लेता है वो गलती करने से बच जाता है, जो नहीं मानता वो गलतियों की दलदल में उतरने लगता है| (Sorry for repeating!) गाँव में भौजी और मेरे पहले समागम के समय मैंने अपनी अंतरात्मा की बात नहीं समझी थी क्योंकि उस समय मेरे सर पर वासना सवार हो गई थी, लेकिन इस समय मेरा दिमाग मेरे काबू में था और उसने ही मुझे आगे जो होने वाला था उसके लिए डराना शुरू कर दिया था|

मेरी घबराहट के चलते मुझसे कुछ भी कहना नमुमकिन हो रहा था, इसलिए मैंने भौजी की बात मानते हुए उठ कर भौजी के bedroom में प्रवेश किया| Bedroom में प्रवेश करते ही मुझे कमरे में गुलाब की मीठी-मीठी खुशबु आई, ये खुशबु मेरे डर को सही साबित कर रही थी! भौजी ने आज रात की सारी तैयारी बड़े दिल से की थी, लेकिन वो क्या जाने की मैं यहाँ डर से घबरा रहा हूँ!

भौजी: कपडे मेरी fitting के होने का कारन तो मैं समझ गई क्योंकि आपने बड़ी होशियारी से कल मुझसे मेरे size के बारे में पूछ लिया था| लेकिन आपको कैसे पता की इसी रंग और design का top और jeans मुझ पर इतने अच्छे लगेंगे?

भौजी ने बात शुरू करते हुए कहा|

मैं: कपडे लेते समय मैंने अपनी आँखें बंद की और कल्पना की कि आप पर ये कपडे कैसे लगेंगे!

मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया| भौजी के सवाल पूछने से मेरा ध्यान एक पल को भटक गया था और मेरा भय कम हो गया था| लेकिन फिर अगले ही पल मुझे दुबारा डर ने जकड लिया! मैं अब और इस तरह डरा-डरा नहीं रहना चाहता था इसलिए मैंने हिम्मत करके भौजी से सीधा सवाल पूछ लिया;

मैं: अच्छा क्या बात है, आज आपका कमरा बहुत महक रहा है?!

मैंने भौजी से नजरें चुराते हुए कहा|

भौजी: ये सब.....आपके लिए....ही है!

भौजी ने इठलाते हुए मेरे नजदीक आते हुए कहा| जिस मादक ढँग से भौजी ने ये बात कही थी उससे मेरे पसीने छूटने लगे थे!

मैं: मेरे लिए? मैं...मैं कुछ समझा नहीं!

मैंने एक कदम पीछे हटते हुए नसमझ बनते हुए कहा|

भौजी: ओफ्फो! आज की रात बड़े सालों बाद आई है|

मुझे sex करना है ये तो भौजी कह नहीं सकतीं थीं, इसीलिए उन्होंने बात को गोलमोल करते हुए कहा और मेरी टी-शर्ट के कॉलर का बटन खोलने लगीं| अब नासमझ बन कर उनसे फिर सवाल पूछता तो वो डाँट देतीं इसलिए मैंने पहले तो बड़े प्यार से भौजी के हाथ अपनी टी-शर्ट के कॉलर से हटाए, फिर उनसे नजरें चुराते हुए इधर-उधर देखते हुए बोला;

मैं: प...पर ...

मेरी घबराहट भौजी ने पढ़ ली थी, इसलिए मेरी बात शुरू होती उससे पहले ही भौजी ने मुझे टोक दिया;

भौजी: जानू आप शर्मा क्यों रहे हो, ये सब पहली बार तो नहीं हो रहा?

मैं: नहीं ...लेकिन....अब हालात बदल चुके हैं!

मैंने भौजी की आँखों में आँखें डालते हुए कहा| इतना सुनना था की भौजी एकदम से भावुक हो गईं;

भौजी: क्या बदल चूका है? अभी दो दिन पहले तो आपने हाँ कहाँ था, इन दो दिनों में ऐसा क्या बदल गया?

भौजी के सवाल सुन कर मेरी अंतरात्मा दिषु द्वारा समझाई हुई बात कहना चाहती थी, आज मौका सही था और मैं भौजी से हमारे रिश्ते के भविष्य के बारे में बात कर सकता था मगर दिल में बैठी बुज़दिली मुझे भौजी को दुःख देने से बचाने का बहाना सोच बैठी थी;

मैं: What if you got pregnant?

मैंने अपना बहाना मारा|

भौजी: तो क्या हुआ?

भौजी एकदम से बोलीं! उनकी बात सुन मैं हक्का-बक्का रह गया?! उनका यूँ अपने माँ बनने की बात को हलके में लेना मेरी समझ से परे था! मुझे लगा शायद भौजी मेरी बात समझी नहीं हैं, इसलिए मैंने अपनी बात शुद्ध अंग्रेजी भाषा में दोहराई ताकि भौजी मेरी बात को समझ सकें;

मैं: I mean; I don’t want you to have another baby!

मुझे लगा अब भौजी बात समझ गई होंगी परन्तु वो मुझसे सीधा बहस करते हुए बोलीं;

भौजी: पर क्यों? मेरे फिर से माँ बनने में हर्ज़ ही क्या है?

मैं: यार 5 साल पहले हालात और थे, तब हम जानते थे की हम दूर हो जायेंगे तथा आपको जिन्दा रहने के लिए एक सहारे की जर्रूरत थी, जो मैं दूर रह के पूरी नहीं कर सकता था इसलिए आयुष...

इतना कह मैंने अपनी बात अधूरी छोड़ दी!

भौजी: ठीक है बाबा लेकिन अब क्या दिक्कत है, अब तो हम साथ हैं न?!

भाभी अपनी बात रखतीं उससे पहले ही मैंने उनकी बात पकड़ ली और उन्हें कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया;

मैं: Exactly! अब हम साथ हैं और आपको अब कोई सहारा नहीं चाहिए....

अब मैं आगे कुछ कहता उससे पहले ही भौजी मेरी बात काटते हुए बोल पड़ीं;

भौजी: तो मैंने कब कहा की मुझे कोई सहारा चाहिए? ये पाँच साल मैंने किस तरह काटे हैं ये बस मैं जानती हूँ! अपनी एक बेवकूफी की सजा मैंने हम दोनों को दी!

भौजी भाव-विभोर होते हुए बोलीं| भौजी के भावुक हो जाने से मेरा मन दुखा था मगर मैं भौजी को छूने से झिझक रहा था, मुझे लग रहा था की मेरे उनको छूने से बात बिगड़ जायेगी और मुझ पर वासना सवार हो जायेगी| उधर भौजी के भावुक हो जाने पर मेरे उन्हें न छूने से भौजी के मन में शक पैदा हो गया जिसे मिटाने के लिए भौजी बेमतलब सफाई देने लगीं;

भौजी: मैं दोनों बच्चों की कसम खाती हूँ, इन पाँच सालों में मैंने न उस आदमी को और न ही किसी दूसरे आदमी को खुद को छूने दिया है! आज भी मैं उतनी ही पवित्र हूँ जितनी पाँच साल पहले थी!

भौजी ने बड़े गर्व से कहा|

मैं: Hey ये आप क्या कह रहे हो? मैं आप पर कतई शक नहीं करता, मुझे आप पर अपने से ज्यादा भरोसा है!

इतना कह मैं एक पल के लिए खामोश हो गया| भौजी की शक करने वाली बात से मैं हिल चूका था और मेरी जुबान की कमान मेरी अंतरात्मा ने अपने हाथ में ले ली थी| अब बेकार की बातें गोल-गोल घूमना बंद, सीधा मुद्दे की बात करने का समय था;

मैं: मेरे जन्मदिन वाले दिन मैं मोम सा पिघल गया था और बस दिल से सोच रहा था, लेकिन इस वक़्त मैं अपने पूरे होशों-हवास में हूँ!

इतना कह मैंने क्षण भर का विराम लिया और आगे कही जाने वाली बात के लिए शब्दों का चयन करने लगा|

मैं: जान please मुझे गलत मत समझना! मैं बहुत दिनों से आपसे ये बात कहना चाहता था! जब हमारे बीच के गीले-शिकवे खत्म हुए तो मैं एक अजीब दुराहे पर खड़ा हो गया था| आप मेरे साथ दुबारा शुरुआत करना चाहते थे और मैं इस नई शुरुआत से डरता था, मेरे डर का कारन ये है की मैं अब दुबारा आपको खो नहीं सकता था इसलिए आपके नजदीक आने से घबरा रहा था! हमारे इस रिश्ते का कोई भविष्य नहीं है क्योंकि साल-दो साल में मेरी शादी हो जाएगी और तब आपका भी वही हाल होगा जो मेरा हुआ था, जो मैं कतई नहीं चाहता!

मैंने दिषु द्वारा समझाई हुई बात बड़े ढँग से भौजी के सामने रखी| मेरी बात सुन भौजी खामोश हो गईं! मेरी शादी होने की बात ने भौजी की आत्मा को झिंझोड़ दिया था, उनका दिल टूट चूका था तथा आँसूँ उनकी आँखों के दहलीज तक आ चुके थे, मेरी एक चुभती हुई बात और भौजी की आँखें अपना नीर बहाने लग जातीं! अब मुझे अपनी बात सम्भल कर कहनी थी ताकि भौजी रो न पड़ें;

मैं: मैं आपसे रिश्ता खत्म करने को नहीं कह रहा, पर अगर हम फिर से Physical हो गए तो मेरे लिए खुद को रोकना नामुमकिन है और फिर वही सब मैं दोराहना नहीं चाहता!

मेरी बात खत्म होते ही भौजी बोल पड़ीं:

भौजी: आपने गाँव में एक बार कहा था की 'Live in the present, forget the future!'

दरअसल इस वक़्त भौजी की हालत बिलकुल मेरी जैसी थी, जैसे मैं उनसे ये बात न करने के लिए बच रहा था और बेसर-पैर के तर्क मार रहा था, वैसे ही भौजी का दिल मुझे पाने को इतना आतुर था की उसने भौजी को अजीबों-गरीब तर्क सुझाने शुरू कर दिए थे| मेरी कही पूरी बात भौजी ने दिल से सुनी थी तथा उस बात में मौजूद तथ्य उनकी समझ में नहीं आये थे! चूँकि मैं भी इसी दौर से गुजरा था इसलिए मैंने भौजी को समझना शुरू कर दिया;

मैं: हाँ कहा था! लेकिन उस वक़्त आप pregnant थे, ऐसे में मेरे लिए आया सुनीता का रिश्ता आपके लिए कितना कष्टदाई था ये मैं जानता था| उस वक़्त आपको खुश रखना मेरी जिम्मेदारी थी और मैं नहीं चाहता था की मेरे कारन आपकी और हमारे बच्चे की सेहत खराब हो, इसलिए उस समय मेरा वो कथन बिलकुल सही था! लेकिन इस वक़्त मेरे उस कथन का कोई उपयोग नहीं है!

मैंने भौजी के तर्क का जवाब बड़े आत्मविश्वास से दिया मगर भौजी को ये सब सुनने का मन नहीं था इसलिए वो मेरे साथ भावुक करने वाला तर्क करने लगी;

भौजी: तो क्या अब आप मुझसे प्यार नहीं करते? क्या आपको मेरे जज्बातों की कोई कदर नहीं?!

ये औरत का ऐसा तर्क होता है जिसका जवाब कोई नहीं दे सकता| ये टिक-टिक करते उस time bomb की तरह है जिसे अगर आप defuse करने के लिए तर्क करने की की कोशिश करोगे तो ये time bomb आपके मुँह पर ही फट जायेगा!

मैं: नहीं यार ऐसा नहीं है, मैं आपसे अब भी उतना ही प्यार करता हूँ जितना पहले करता था!

मेरी बात सुन भौजी के चेहरे पर आस की किरण चमकने लगी, लेकिन मेरे लिए भौजी को समझना मुश्किल हो रहा था|

मैं: पर ....oh God....अब कैसे समझाऊँ मैं आपको?!

मैंने सर पीटते हुए कहा| मुझे सर पीटता हुआ देख भौजी ने preganancy वाली बात पकड़ ली और उस का तर्क देकर मेरा ध्यान फिर भटका दिया;

भौजी: ठीक है आप नहीं चाहते न की मैं pregnant हो जाऊँ?

मुझे नहीं पाता था की इस सवाल का कारन क्या था इसलिए मैंने उनके सवाल का जवाब देते हुए कहा;

मैं: हाँ!

भौजी: ठीक है हम protection इस्तेमाल कर लेते हैं!

भौजी एकदम से बोलीं| अब मैं ठहरा बेवकूफ (थोड़ा), मैं उनकी बातों में आ गया और एकदम से जवाब देते हुए बोला;

मैं: पर अभी मेरे पास condom नहीं है!

भौजी का मेरा ध्यान भटकाने का plan सफल हो चूका था इसलिए वो इसी विषय पर बहस करते हुए बोलीं;

भौजी: तो किसने कहा की सिर्फ आप ही protection use कर सकते हो?! मैं कल I-pill ले लूँगी!

भौजी ने खुश होते हुए कहा|

मैं: यार ये सही नहीं है....

मैंने भौजी को समझना चाहा मगर उन्होंने मेरी बात काट दी और मुझे पुनः भावुक करते हुए बोलीं;

भौजी: जानू, मैं आपको बता नहीं सकती की मैं आपके प्यार के लिए कितनी प्यासी हूँ! जब से मैं यहाँ आई हूँ आपने कभी भी मेरे साथ quality time spend नहीं किया जैसे आप गाँव में किया करते थे|

भौजी ने मुझे भावुक करते हुए कहा|

मैं: जानता हूँ जान! और उसके लिए मैं आपका दोषी भी हूँ, लेकिन अब मैं बड़ा हो चूका हूँ! मेरा अब यूँ आप के साथ बैठना, बातें करना, मस्ती और छेड़- छाड़ करना लोगों खटकेगा! सब आप पर उँगलियाँ उठाएंगे और ये मैं कतई बर्दाश्त नहीं करूँगा!

मैंने थोड़ा सख्ती से अपनी बात रखी|

भौजी: जानू ....प्लीज....एक बार...बस मेरे लिए!!!

भौजी ने आस भरी नजरों से गिड़गिड़ाते हुए कहा| अब आपका प्रियतम आपसे खुल कर कहे की वो आपके प्रेम के लिए कितना प्यासा है, तो ऐसे में आप क्या कहोगे? तब न तो आपकी बुद्धि काम करती है न ही आपकी अंतरात्मा आपको रोक पाती है! मैं भी भौजी की प्रणय विनती सुन कर खुद को रोक नहीं पाया, मेरा मन नहीं किया की मैं उनका दिल तोड़ दूँ!



मैंने भौजी को कस कर अपने सीने से लगा लिया, उनके मेरे सीने से लगते ही उनके जिस्म की मिलन की आग मेरे जिस्म में फ़ैल गई! मैंने भौजी के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लिया और बेतहाशा चूमने लगा!




जारी रहेगा भाग - 14 में...
Bahot shaandar mazedaar lajawab update Manu Bhai
 

Naik

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तेईसवाँ अध्याय: अभिलाषित प्रेम बन्धन
भाग - 14



अब तक आपने पढ़ा:



भौजी: जानू ....प्लीज....एक बार...बस मेरे लिए!!!

भौजी ने आस भरी नजरों से गिड़गिड़ाते हुए कहा| अब आपका प्रियतम आपसे खुल कर कहे की वो आपके प्रेम के लिए कितना प्यासा है, तो ऐसे में आप क्या कहोगे? तब न तो आपकी बुद्धि काम करती है न ही आपकी अंतरात्मा आपको रोक पाती है! मैं भी भौजी की प्रणय विनती सुन कर खुद को रोक नहीं पाया, मेरा मन नहीं किया की मैं उनका दिल तोड़ दूँ!

मैंने भौजी को कस कर अपने सीने से लगा लिया, उनके मेरे सीने से लगते ही उनके जिस्म की मिलन की आग मेरे जिस्म में फ़ैल गई! मैंने भौजी के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लिया और बेतहाशा चूमने लगा!




अब आगे:



हम दोनों पर अब कोई बंदिश नहीं थी और न ही (फिलहाल) किसी का डर था! मैंने भौजी के होठों को अपनी गिरफ्त में ले लिया और उनका रसपान करने लगा| दोनों की आँखें बंद थीं और हमें दीन दुनिया की कोई खबर नहीं थी! भौजी के गुलाबी होंठ तो आज इतने मीठे लग रहे थे मानो कोई मिश्री हो जो धीरे-धीरे अपना मादक मीठा स्वाद मेरे मुँह में छोड़ घुल रही हो! वहीं भौजी आँखें बंद किये हुए मुझे अपने होठों का रस पीने दे रहीं थीं और हमारे इस चुंबन में वो मेरा भरपूर साथ दे रहीं थीं! उनकी दोनों बाहें मेरी पीठ के इर्द-गिर्द लिपटी हुई मेरी पीठ को सहला रहीं थी, उनके यूँ मेरी पीठ सहलाने से मुझे और प्रोत्साहन मिल रहा था|



लगभग दो मिनट के रसपान के बाद ही मेरा काबू मेरे ऊपर से पूरी तरह छूट चूका था, मैंने हमारा चुंबन तोडा और भौजी को एकदम से अपनी गोद में उठा कर सीधा पलंग पर लिटा दिया! अब मैं भौजी के ऊपर छ गया और उनके साथ थोड़ी छेड़खानी करते हुए उनके होठों को चूम कर पीछे हटने का खेल करने लगा! भौजी के गुलाबी top में से उनका बायाँ कन्धा काफी बाहर निकला हुआ था| (पिक्चर में देखें!) मैंने भौजी के उसी कँधे पर अपने गीले होंठ रख दिए, आज सालों बाद जब मैंने भौजी के जिस्म को अपने होंठों से स्पर्श किया तो भौजी के मुख से मादक सिसकारी फूट गई; "स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स.....जानू!"

भौजी के जिस्म में प्रेम की चिंगारी सुलग चुकी थी, भौजी ने अपने दोनों हाथों से मेरा चेहरा थामा और मेरे होठों को अपने होठों से मिला कर मेरे होठों का रसपान करने लगीं! अब भौजी मेरे होठों से रस निचोड़ रहीं थीं तो मैंने अपने जिस्म का पूरा वजन भौजी पर डाल दिया! मेरे दोनों हाथों को भौजी के जिस्म को आज महसूस करना था इसलिए वो स्वतः ही भौजी के उरोजों को ढूँढने के लिए उनके top की ओर चल दिए! भौजी के top के भीतर घुस कर उँगलियों ने भौजी के उरोजों की टोह लेनी शुरू की! अब उनके उरोज छोटे तो थे नहीं जो मुझे ढूँढने पढ़े?! अगले ही पल मेरी उँगलियों ने भौजी के उरोजों को छू लिया! नरम और ठंडे माँस का एहसास होते ही मुझे पता चला की भौजी ने अंतःवस्त्र अर्थात bra तो पहनी ही नहीं! शायद हमारे मिलान के समय मैं उनके अंतःवस्त्र को खोलने में समय न गवाऊँ इसीलिए उन्होंने अपने अंतःवस्त्र नहीं पहने थे!



खैर भौजी के उरोजों को छू कर तो मेरे जिस्म के रोंगटे खड़े हो गए, बिना देखे ही मेरे दिमाग में पाँच साल पहले वाले भौजी के उरोजों की तस्वीर उभर आई| उँगलियों को अपनी मनपसंद चीज इतने सालों बाद मिली थी तो उन्होंने अपनी पकड़ भौजी के उरोजों पर सख्त कर ली, फिर देखते ही देखते मैंने अपनी दोनों हथेलियों और उँगलियों की सहायता से भौजी के उरोजों को धीमे-धीमे मींजना शुरू कर दिया! इधर मैं भौजी के स्तनों को मींजने में लगा था और उधर भौजी मेरे होठों को कस कर चूस रहीं थीं|

शायद भौजी चुंबन करना भूल गईं थीं तभी तो वो अपनी जीभ का प्रयोग नहीं कर रहीं थीं! मैंने पहल करते हुए धीरे से अपनी जीभ भौजी के मुख में प्रवेश कराई, जैसे ही मेरी जीभ का एहसास भौजी को हुआ उन्होंने 'कच' से मेरी जीभ अपने दाँतों से 'दाब' ली! दर्द की लहर मेरी जीभ में पैदा हुई जो भौजी ने महसूस कर ली थी इसलिए उन्होंने मेरी जीभ को अपने होठों से दबाकर धीमे-धीमे चूसना शुरू कर दिया! भौजी के इस तरह मेरी जीभ को प्यार देने से मेरी जीभ में उतपन्न हुआ दर्द जल्द ही खत्म हो गया| भौजी के जोश में कोई कमी नहीं आई थी, वो अब भी धीमे-धीमे मेरी जीभ को अपने दाँतों से दबा रहीं थीं!

कुछ मिनट बाद भौजी ने मुझे अपनी जीभ का रस पीने के लिए परोस दी, मैं उनकी तरह जंगली नहीं था, मैंने बड़े प्रेम से भौजी की जीभ का स्वागत किया और जितना हो सकता था उतना उनकी जीभ को चूसने का प्रयत्न कर ने लगा| मेरे जिस्म का जोर भौजी के जिस्म में दो जगह निकल रहा था, एक तो मैं भौजी के मुख से रस पी रहा था और दूसरा मेरे हाथ बेदर्दी से भौजी के स्तनों का मर्दन करने में लगे थे! अगले दस मिनट तक हम दोनों प्रेमी बारी-बारी से एक दूसरे के रसों का पान करते रहे! ऐसा लग रहा था जैसे सालों की दबी हुई प्यास अब जा कर उभर के बहार आई हो|



हमारे चुंबन ने भौजी के भीतर प्रेम की चिंगारी को भड़का दिया था, वहीं मेरा कामदण्ड अपने विकराल रूम में आ चूका था तथा कपड़ों से आजादी माँग रहा था! हम दोनों की धड़कनें तेज हो चलीं थीं और हमें अपने प्रेम को अगले पड़ाव पर ले जाना था! हमने मिलकर सर्वप्रथम हमारा चुंबन तोडा, चुंबन तोड़ कर हम दोनों ही एक पल के लिए एक दूसरे को देखने लगे! भौजी के बाल खुले होने के कारन उनके चेहरे पर उनके बालों की एक लट आ गई थी, मैंने अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से उनकी लट हटाई और उनके होठों को एक बार फिर चूम लिया|

भौजी की आँखों नशीली हो चलीं थीं और उनकी आँखों का जादू मेरे सर पर सवार हो रहा था! मुझे अपनी आँखों में डूबा हुआ देख भौजी बड़े मादक ढँग से मुस्कुराते हुए बोलीं;

भौजी: जानू....क्या सोच रहे हो?

मैं: कुछ नहीं जान! आपको इस तरह अपनी बाहों में लेटा देख तो....

मैंने मुस्कुराते हुए कहा और अपनी बात अधूरी छोड़ दी!

भौजी: तो क्या?

भौजी ने जिज्ञासु होते हुए पुछा| उनकी ये जिज्ञासा देख मुझे हँसी आ गई;

मैं: तो ये की मुझे आप पर बहुत प्यार आ रहा है!

मैंने भौजी के दाएँ गाल को खींचते हुए कहा|

भौजी: तो इन्तेजार किस का है?!

भौजी ने मुझे आँख मारते हुए कहा|



मैं भौजी के ऊपर से उठा और उनका top निकाल कर उनके स्तनों को मुस्कुराते हुए निहारने लगा| गोरे- गोरे बर्फ के ठन्डे गोले देख कर मन बेईमान होने लगा था, मन कर रहा था की झुक कर उन्हें कस कर अपने मुँह में भर कर काट लूँ! मैंने अपनी इस जंगली इच्छा को शांत किया, फिर अपने बाएँ हाथ की पाँचों उँगलियाँ को धीरे-धीरे भौजी की छाती पर फिराना शुरू कर दिया| जब मेरी उँगलियाँ घूमती हुई भौजी के स्तनों की घुण्डियों के पास पहुँची तो पहले मैंने अपनी उँगलियाँ उन घुण्डियों के इर्द-गिर्द घुमाई| फिर मौका पा कर मैंने अपने अँगूठे और तर्जनी ऊँगली से भौजी के चुचुक दबा दिए! मेरे उनके चुचुक दबाने से भौजी कसमसाने लगीं और अपनी कमर को नागिन की तरह बलखाने लगीं! मुझसे भौजी के उरोजों को चूसने की इच्छा नहीं दबाई जा रही थी इसलिए मैंने झुक कर भौजी के बाएँ चुचुक को अपने मुख में भर लिया और किसी शिशु की भाँती मैं उनके चुचुक को चूसने लगा| मेरे चुचुक चूसने से भौजी के जिस्म में बिजली का तेज प्रवाह हुआ और उन्होंने अपने दाएँ हाथ को मेरे सर पर रख कर अपने बाएँ स्तन पर दबाना शुरू कर दिया! भौजी की ओर से प्रोत्साहन पा कर मैंने चुचुक के साथ उनके स्तनों के माँस का कुछ हिस्सा अपने मुँह में भर लिया, मेरी इस क्रिया से मेरे दाँत भौजी के स्तन पर गड गए जिससे भौजी ने अपने छाती मेरे मुँह की ओर दबानी शुरू कर दिया!

मैंने महसूस किया की मेरे अंदर एक आग सी भड़क उठी है और ये आग हर पल भड़कती जा रही है! मुझे भौजी को और तकलीफ देने का मन कर रहा था, इसलिए मैंने अपने मुँह में मौजूद उनके चुचुक को धीमे से काट लिया! जैसे ही मैंने उनके चुचुक को काटा भौजी दर्द के मरे चिहुँक उठीं; "आह!" भौजी की ये कराह सुन कर मुझे बहुत मजा आया, जाने क्यों मुझे भौजी को यूँ दर्द देने में मजा आने लगा था?! पहले तो मैं ऐसा कतई नहीं था!!!



मैंने भौजी के बाएँ चुचुक के साथ खेलना जारी रखा, कभी मैं उसे अपनी जीभ से चुभलाता तो कभी उसे चूसने लगता और जब मेरे अंदर की वासना अंदर हिलोरे मारती तो मैं उसे काट लेता! भौजी को इस सब में मजा आने लगा था और मुझे प्रोत्साहन देते हुए उन्होंने अपने दाएँ हाथ की उँगलियाँ मेरे बालों में चलानी शुरू कर दी थीं! वहीं दूसरी ओर मेरा बायाँ हाथ भौजी की नाभि से होता हुआ सीधा भौजी की jeans के अंदर सरक गया था| हाथ jeans के भीतर पहुँचा तो मेरी उँगलियों ने भौजी की पैंटी के अंदर घुसने का रास्ता खुद बा खुद ढूँढ लिया!

ऊपर मेरा भौजी के बाएँ स्तन को चूसने का कार्यक्रम बदस्तूर जारी था और नीचे मेरे बाएँ हाथ की उँगलियाँ भौजी की योनि की ओर चहलकदमी कर रहीं थीं| कुछ पल बाद मेरी उँगलियों ने भौजी की योनि को छू लिया, उस स्पर्श से मानो मेरे हाथ में करंट लगा हो! मैंने फ़ौरन अपना हाथ भौजी की jeans से निकाला, भौजी के बाएँ स्तन का पान करना छोड़ा और नीचे की ओर खिसक कर भौजी की jeans के जीनस का बटन खोलने लगा| मुझे अपनी jeans का बटन खोलता हुआ देख भौजी ने अपने दाएँ स्तन की ओर इशारा करते हुए बड़ी मासूमियत से कहा;

भौजी: ये वाला रह गया!

मैं: Patience my dear! उसकी बारी भी आएगी!

मैंने मुस्कुराते हुए कहा|



भौजी की jeans का बटन खुलते ही मुझे सबसे पहले उनकी पैंटी का दीदार हुआ! काले रंग की पैंटी को देख मेरे जिस्म के अंदर की आग प्रगाढ़ रूप लेने लगी| कुछ सेकंड के लिए मैं भौजी की पैंटी को बिना पलकें झपकाए देखने लगा| उधर भौजी से मेरा यूँ अचानक विराम ले कर उनके जिस्म से छेड़छाड़ न करना बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उन्होंने उतावलापन दिखाते हुए अपनी कमर उठाई और मुझे उनकी jeans उतारने की मूक विनती की! मैंने भौजी की jeans पाँव की तरफ से पकड़ी और अपनी तरफ खींची| भौजी की jeans टाइट थी इसलिए वो धीरे-धीरे खिसकते हुए भौजी के घुटनों तक आ गई, इस वक़्त सब्र हम दोनों में नहीं था इसलिए मैंने कस कर jeans खींची, वहीं भौजी ने भी अपनी टांगें मोड़ कर अपने पेट पर कस ली ताकि मैं जल्दी से जीन्स निकाल सकूँ!

थोड़ी ताक़त लगा कर मैंने भौजी की जीन्स निकाल फेंकी, अब भौजी बस पैंटी में थीं, कपडे का केवल एक छोटा सा कपड़ा हम दोनों के बीच दिवार बना हुआ था! मैंने अपने दोनों हाथों की दो उँगलियाँ भौजी की पैंटी की elastic में फँसाई और खींच कर निकाल फेंकी! अब जो मेरी आँखों के सामने नजारा था उसे देख मैं अवाक था! भौजी पूरी तरह नग्न मेरे सामने पड़ी हुईं थीं, बिना कपड़ों के उन्हें देख मेरी दिल की धड़कन तेज हो चली थी! मुझे खुद को इस तरह देखता हुआ देख भौजी शर्म से पानी-पानी हो रहीं थीं इसलिए उन्होंने एकदम से अपना चहेरा अपने दोनों हाथों से ढक लिया! उधर दूसरी तरफ मेरी नजरें भौजी की योनि पर टिक गईं थीं! भौजी की योनि की मादक महक कमरे में पहले से मौजूद गुलाब जल की महक में घुलने लगी थी! दोनों खुशबुओं की महक के मिश्रण से जो मनमोहक खुशबु उतपन्न हुई उसने तो समा बाँध दिया था!



भौजी का योनिद्वार बंद था, ऐसा लगता था मानो कोई छोटी सी प्यारी सी कली खुद को समेटे हुए हो! उस बंद योनिद्वार को देख कर मेरा मन उसे चूमने को कर रहा था इसलिए मैंने आव देखा ताव सीधा अपनी जीभ से भौजी की योनि को छू लिया! मेरी जीभ के आधे भाग ने भौजी की योनिद्वार के आधे से ज्यादा भाग को स्पर्श किया था तथा इस स्पर्श मात्र से भौजी सिंहर उठी थीं; "स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स!!" भौजी सीसियाने लगीं! पाँच साल बाद मेरी जीभ और भौजी की योनि का मिलन हुआ था, ये मिलन कुछ-कुछ ऐसा था जैसे किसी ने नंगे जिस्म पर बर्फ का टुकड़ा रख दिया हो! एक तरफ गर्म जिस्म की तपिश उस बर्फ के टुकड़े को पिघलाना चाहती थी तो दूसरी तरफ वो बर्फ का टुकड़ा जिस्म को ठंडा कर देना चाहता था! आज बरसों बाद भौजी की योनि को स्पर्श कर भौजी के जिस्म की मादक महक मेरे नथुनों में भरने लगी थी, वो उनकी योनि का चित-परिचित स्वाद मुँह में फिर घुलने लगा था!

इस स्वाद ने मुझे सब कुछ भूला कर भौजी के योनिरस को चखने के लिए आतुर कर दिया था! मैं जितनी जुबान बाहर निकाल सकता था उतनी बाहर निकाल कर भौजी की योनि को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा! मेरे मुँह में मौजूद लार ने भौजी की पूरी योनि को बाहर से पूरा गीला कर दिया था, उधर भौजी ने अपनी आँखें कस कर मींच ली थीं, भौजी के जिस्म में हिलोरें उठने लगीं थीं और इन हिलोरों के साथ भौजी के मुँह से अनगिनत सीत्कारें फूटना चाहतीं थीं मगर भौजी थीं की अपने होठों को कस कर बंद कर वो अपनी सीत्कारें अपने गले में दफन किये जा रहीं थीं! मैंने अपनी जीभ से भौजी के योनि द्वार को खोला और जितना जीभ अंदर प्रवेश करा सकता था उतनी जीभ भौजी की योनि के भीतर प्रवेश करा दी! भौजी की योनि में मुझे कुछ संकुचन महसूस हुई, लेकिन फिर जब जीभ ने योनि में लपलपाना शुरू किया तो वो संकुचन कुछ कम हो गई! जीभ अंदर प्रवेश कराने से मुझे भौजी की योनि में गर्माहट महसूस हुई और वही पुराना नमकीन स्वाद चखने को मिला! इस स्वाद ने मुझे पागल कर दिया और मैंने अपनी जीभ से भौजी की योनि की खुदाई शुरू कर दी!



मेरे जीभ से योनि में खुदाई करने के कारन भौजी की हालत खराब होने लगीं, उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को अपनी योनि पर दबाना शरू कर दिया तथा अपने सर को तकिये पर इधर-उधर मरना शुरू कर दिया! भौजी इतने सालों से जिस स्खलन के लिए तरस रहीं थीं उसे पाने के लिए वो इतनी आतुर थीं की कुछ ही पलों में उनके जिस्म ने भारी विस्फोट करने की तैयारी कर ली थी! मात्र दो मिनट में भौजी अपने चरम पर पहुँच गई और मेरे मुख में कलकल करती हुईं स्खलित हो गईं! अपने स्खलन के अंतिम पड़ाव में उन्होंने दो झटके खाये और फिर पस्त हो कर पड़ गईं! वहीं भौजी का स्वादिष्ट रज बहता हुआ मेरे मुँह में भर रहा था जिसे मैं बड़ी शिद्दत से गटक रहा था!

भौजी का कामज्वर अब धीरे-धीरे शांत होता जा रहा था मगर मेरा जिस्म कमोतेजित हो चूका था! कुछ दिन पहले जब दिषु ने मुझे drink में वो drug मिला कर दिया था, कुछ-कुछ वही एहसास मुझे फिर से महसूस होने लगा था! मेरे पूरे शरीर में चींटीयाँ सी काटने लगीं थीं, मेरा कामदण्ड इतना अकड़ चूका था की वो मेरा पजामा फाड़ के बहार आने को बावला हो चूका था, बरसों से मेरे भीतर सोया हुआ जानवर जागने को तैयार हो चूका था! ये जानवर हर पल खूँखार होता जा रहा था, उसे तो बस सामने पड़ी भौजी को आज जी भर कर भोगना था! {यहाँ जानवर का तातपर्य वासना से है, जिसने मेरे शरीर पर काबू पा लिया था!}



उधर भौजी अपने स्खलन से अभी तक नहीं उबरी थीं, वो आँखें बंद किये हुए लम्बी-लम्बी साँसें ले रहीं थीं और खुद को जल्द से जल्द सामान्य करने में लगीं थीं| इस समय मुझे अपने भीतर मौजूद उस जानवर को शांत करना था, इसलिए मैं अपने घुटने मोड़ कर बैठ गया और अपने दिमाग तथा दिल पर काबू करने लगा ताकि मैं अतिउत्साह में कहीं भौजी के साथ कुछ ज्यादा मेहनत न कर दूँ!

भौजी को इस तरह पूर्णतः नग्न देख कर दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था, मन था जिसमें वासना की लहरें मचल रहीं थीं! दिल कर रहा था की जबरदस्ती भौजी पर चढ़ जाऊँ और सम्भोग कर लूँ लेकिन साला कुछ तो था जो मेरे भीतर के इन जज्बातों को बाँधे हुआ था?!



उधर भौजी अपनी साँसें दुरुस्त करने में व्यस्त थी और इधर मुझे अचानक से एहसास हुआ की; 'ये मैं क्या करने जा रहा हूँ?! अगर वो (भौजी) pregnant हो गईं तो? बवाल...बवाल...और सिर्फ बवाल! अच्छी खासी जिंदगी तबाह हो जाएगी...मेरी…उनकी (भौजी की)...और बच्चों की!' मेरी अंतरात्मा ने मुझे झिंझोड़ते हुए कहा| अंतरात्मा की बात से मेरे ऊपर मेरा डर हावी होने लगा, मगर मेरे भीतर मौजूद जानवर तो सम्भोग चाहता था और वो मुझे अंतरात्मा की बात सुनने नहीं दे रहा था| अंतरात्मा ने दिमाग को करंट मार के झटका दिया तो दिमाग ने तर्क लड़ाने शुरू कर दिए| कुछ देर पहले मेरी और भौजी की बात मन में गूँजने लगी! 'अभी थोड़ी देर पहले तो तू बड़ी ज्ञान भरी बातें चोद रहा था, अब क्या हुआ?' दिमाग ने मन को लताड़ते हुए कहा| मन ने मेरे भीतर मौजूद जानवर के मुँह में लगाम डाल दी और उसे (जानवर को) खींच कर काबू में करने लगा| उस समय खुद को सम्भोग करने से रोक पाना ऐसा था जैसे की आत्महत्या करना! (मेरे अकड़ कर तैयार कामदण्ड का गला दबा कर मारना!)

मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा था क्योंकि उसके सामने नग्न अवस्था में भौजी मौजूद थीं, हाथ आया शिकार कैसे जाने दिया जाता?! मेरे दिमाग और जिस्म के बीच जंग छिड़ गई थी, शरीर लोभी हो गया था मगर दिमाग हितैषी बन गया था तथा हमारे रिश्ते के हित सोच रहा था| 'Please....मत कर....सब तबाह हो जायेगा!' मेरी अंतरात्मा रोते हुए बोली| ये उसकी (मेरी अंतरात्मा की) अंतिम कोशिश थी जो भौजी और मेरे रिश्ते को खत्म होने से बचाना चाहती थी! इस दर्द भरी पुकार को सुन कर मेरा मन फट गया, मन में अपनी वासना के आगे मजबूर हो जाने और मेरे तथा भौजी के रिश्ते को दाव पर लगाने की ग्लानि भरने लगी! मैं छिटक कर भौजी से अलग हो गया और तेजी से साँस लेते हुए अपनी वासना को दबाने लगा! मैं फटाफट पलंग से उतरा और अपने कपडे ठीक करने लगा, मेरे उठने से पलंग पर हलचल हुई जिसे महसूस कर भौजी ने अपनी आँखें खोलीं| मुझे यूँ अपने कपडे ठीक करते हुए देख भौजी हैरान रह गईं, वो मुझसे कुछ पूछतीं उससे पहले ही माँ का फ़ोन आ गया|




जारी रहेगा भाग - 15 में...
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Naik

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तेईसवाँ अध्याय: अभिलाषित प्रेम बन्धन
भाग - 15



अब तक आपने पढ़ा:


मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा था क्योंकि उसके सामने नग्न अवस्था में भौजी मौजूद थीं, हाथ आया शिकार कैसे जाने दिया जाता?! मेरे दिमाग और जिस्म के बीच जंग छिड़ गई थी, शरीर लोभी हो गया था मगर दिमाग हितैषी बन गया था तथा हमारे रिश्ते के हित सोच रहा था| 'Please....मत कर....सब तबाह हो जायेगा!' मेरी अंतरात्मा रोते हुए बोली| ये उसकी (मेरी अंतरात्मा की) अंतिम कोशिश थी जो भौजी और मेरे रिश्ते को खत्म होने से बचाना चाहती थी! इस दर्द भरी पुकार को सुन कर मेरा मन फट गया, मन में अपनी वासना के आगे मजबूर हो जाने और मेरे तथा भौजी के रिश्ते को दाव पर लगाने की ग्लानि भरने लगी! मैं छिटक कर भौजी से अलग हो गया और तेजी से साँस लेते हुए अपनी वासना को दबाने लगा! मैं फटाफट पलंग से उतरा और अपने कपडे ठीक करने लगा, मेरे उठने से पलंग पर हलचल हुई जिसे महसूस कर भौजी ने अपनी आँखें खोलीं| मुझे यूँ अपने कपडे ठीक करते हुए देख भौजी हैरान रह गईं, वो मुझसे कुछ पूछतीं उससे पहले ही माँ का फ़ोन आ गया|




अब आगे:



जब मैं माँ का फ़ोन उठा रहा था उस वक़्त कुछ पल के लिए मेरी और भौजी की आँखें मिलीं, उनकी आँखों में सवाल थे और मेरी आँखों में ग्लानि! मैंने भौजी से नजर चुराते हुए माँ का कॉल उठा लिया;

मैं: हेल्लो माँ?!

मैंने भौजी को सुनाते हुए कहा ताकि उन्हें पता चल जाए की माँ का फ़ोन है|

माँ: बेटा क्या हुआ, अस्पताल में सब ठीक तो है न? मैं तेरे पिताजी को भेजूँ?

पिताजी के आने की बात सुन मैं एकदम से हड़बड़ा गया और बोला;

मैं: जी नहीं...सब ठीक है! दिषु के भाई को plaster चढ़ाया है और मैंने उन्हें घर छोड़ दिया है| मैं अभी गाडी चला कर आ रहा हूँ, दस मिनट में घर पहुँच जाऊँगा|

माँ: ठीक है बेटा, सम्भल कर गाडी चलाइओ|

इतना कह माँ ने फ़ोन रख दिया| मैंने फोन काटा और भौजी की तरफ बड़ी हिम्मत कर के देखा, भौजी अस्चर्य से अपनी आँखें बड़ी कर के मेरी ओर देख रहीं थीं|

भौजी: अ...आप घर जा रहे हो?

भौजी ने घबराते हुए पुछा|

मैं: हाँ!

मैंने भौजी से नजरें चुराते हुए कहा|

भौजी: पर क्यों? अभी तो.....

भौजी आगे कुछ कहतीं, उससे पहले ही मैंने उनकी बात काट दी;

मैं: I'm sorry...I...I can't!!! Please!!!

मैंने अपनी गर्दन झुकाते हुए कहा| भौजी मायूस आँखों से मुझे देख रहीं थीं और मन ही मन विनती कर रहीं थीं की मैं हमारे इस मिलन को अधूरा न छोड़ूँ! इधर मुझे भौजी को इस कदर धोका देने का अफ़सोस हो रहा था, खुद से कोफ़्त हो रहे थी, लेकिन अगर मैं वहाँ और रुकता तो शायद वो हो जाता जिसका मुझे उम्र-भर पछतावा रहता|

खैर भौजी के घर से मैं अपने घर आने को निकला, गाडी वापस गली के बाहर खड़ी की और अपने घर पहुँचा| माँ के सामने फिर से अस्पताल का झूठ दोहरा दिया तथा अपने कमरे में आ गया| कमरे में आ कर मैंने सबसे पहले बच्चों को देखा, दोनों बच्चे बड़े आराम से सो रहे थे, आज मेरे बच्चों के प्यार ने मुझे भटकने से रोक लिया था| मेरे जिस्म में वासना की आग ठंडी नहीं पड़ी थी, दिल तो किया की हस्तमैथुन कर के अपनी उत्तेजना शांत कर लूँ मगर मेरा दिमाग अभी शांत नहीं हुआ था, रह-रह कर मुझे भौजी का उदास चेहरा याद आ रहा था! मैंने सोचा की ठन्डे पानी से नहा लेता हूँ, इसलिए मैं नहाने bathroom में घुस गया| फटाफट नहा कर मैं थोड़ा तरो-ताजा महसूस करने लगा था| अब सिवाए सोने के और कोई काम बचा नहीं था इसलिए मैं बिस्तर में घुस गया| मेरे लेटते ही आयुष को मेरी मौजूदगी का एहसास हो गया, उसने मुझे नींद में ही अपने हाथों से मुझे टटोला, आयुष का हाथ मेरी छाती पर आया और उसने अपने हाथ से मेरी टी-शर्ट पकड़ ली| मैंने आयुष की तरफ करवट ली और उसके सर पर हाथ फेरने लगा| कुछ देर बाद नेहा जागी, आँख मलते हुए वो बाथरूम गई और फिर मेरे पास आ कर मेरा कंधा पकड़ कर मुझे सीधा लिटाया और मेरी छाती पर चढ़ कर सो गई! मैं बाएँ हाथ से नेहा के सर पर हाथ फेरता रहा और दाएँ हाथ से आयुष के सर पर हाथ फेरता हुआ पूरी रात बच्चों को दुलार करते हुए जागता रहा| सुबह दोनों बच्चों को फटाफट तैयार कर school van में बिठा आया| वापस आ कर मैं पिताजी के पास बैठा रहा और भौजी की तरफ आँख उठा कर भी नहीं देखा| नाश्ता बना और नाश्ता कर के पिताजी के साथ ही साइट पर निकल गया|



कल जहाँ मैं साइट पर हवा में उड़ता हुआ काम कर रहा था वहीं आज मेरा किसी काम में मन नहीं लग रहा था! दोपहर हुई तो बच्चों ने भौजी के फ़ोन से कॉल किया, मुझे लगा की भौजी ने फ़ोन किया है इस डर से मैं फ़ोन ही नहीं उठाने वाला था! फिर जैसे-तैसे हिम्मत कर के कॉल उठाया तो आयुष की आवाज आई;

आयुष: पापा जी....पापा जी...आप कब आ रहे हो?!

आयुष अपनी प्यारी-प्यारी आवाज में खुश होते हुए बोला|

मैं: Sorry बेटा आज थोड़ा काम ज्यादा है! आप खाना खाओ और दीदी को भी खिलाओ!

मैंने आयुष को समझाते हुए कहा| आयुष ने ख़ुशी-ख़ुशी कॉल रखा और इधर मैं रात को घर जा कर भौजी का सामना करने क लिए खुद को तैयार करने लगा|

शाम 4 बजे पिताजी ने मुझे कॉल कर के घर बुलाया क्योंकि उन्हें कुछ जर्रूरी बात करनी थी, पिताजी की आवाज में ख़ुशी झलक रही थी इसलिए मैं जल्दी से घर पहुँचा| चाय पीते हुए पिताजी ने बात शुरू की और नए project के बारे में बताने लगे| आज सालों बाद पिताजी ने बिना किसी की मदद के एक बहुत बड़ा project उठाया था| मैंने सबसे नजर बचा कर भौजी को देखा तो पाया की भौजी की नजर घूँघट के नीचे से कब से मुझ पर टिकी हुई है| हमारी नजर मिलते ही भौजी ने गर्दन हिला कर मुझे कमरे में बुलाया, मगर मैंने एकदम से अपनी नजरें फेर ली और जम कर अपनी जगह बैठा पिताजी की बातें सुनता रहा| मैं जानता था की भौजी को मुझसे क्या बात करनी है लेकिन फिलहाल मेरे पास भौजी के किसी भी सवाल का कोई जवाब नहीं था!



माँ ज़रा पड़ोस में गई हुई थीं और बच्चे मेरे कमरे में पढ़ाई कर रहे थे| कुछ हिसाब-किताब समझने के लिए पिताजी ने मुझे और चन्दर को अपने कमरे में आने को कहा| चन्दर तो फ़ौरन पिताजी के पीछे-पीछे उनके कमरे में घुस गया, इधर मैं एक घूँट में अपनी चाय सुड़क कर जैसे ही उठा तो देखा की भौजी तेजी से रसोई से निकल कर मेरी तरफ आ रहीं हैं| उन्होंने मेरे हाथ से कप ले कर टेबल पर रखा और मेरा हाथ पकड़ कर खींचते हुए मेरे कमरे में ले आईं|

भौजी: कल रात क्या हुआ था आपको?

भौजी ने मेरा हाथ दबाते हुए पुछा| भौजी के सवाल ने फिर से मेरे मन में ग्लानि भर दी और मैंने खामोशी से सर झुका लिया|

भौजी: क्यों मुझसे नजरें चुरा रहे हो?

भौजी ने मेरी ठुड्डी ऊपर करते हुए बड़े प्यार से पुछा|

मैं: अभी जाने दो, पिताजी बुला रहे हैं! बाद में बात करते हैं!

मैंने मुँह फेरते हुए कहा|

भौजी: ठीक है!

भौजी ने मेरा हाथ छोड़ते हुए कहा|

मैं जल्दी से पिताजी के कमरे में आया तो पिताजी ने इस नए project के बारे में जानकारी देनी शुरू की;

पिताजी: मैं काम और बढ़ाना चाहता हूँ इसलिए मैंने ये काम खुद उठाया है! अभी तक तो construction का काम हम मिश्रा जी की देख-रेख में कर रहे थे मगर इस बार ये सब काम हमारे जिम्मे है| अब जैसे पुरानी दोनों साइट का काम तुम दोनों संभालते हो उसी तरह इस नए project की भी जिम्मेदारियाँ बाँटना चाहता हूँ| चन्दर तू plumbing का ठेका लेले, इस ठेके से जो भी मुनाफा होगा वो तेरा|

ये सुन चन्दर की बाछें खिल गई और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई|

पिताजी: Carpentry और बिजली काम मानु संभालेगा और उसका सारा मुनाफा मानु का!

मुझे काम कम मिला था लेकिन मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ा था, क्योंकि मेरा ध्यान भौजी की तरफ था!

पिताजी: Construction का काम तुम दोनों नहीं जानते तो वो मैं सम्भालूँगा और उससे जो मुनाफा होगा वो मेरा!

पिताजी ने बराबर-बराबर हम तीनों में काम बाँट दिया था| इस बार हमारे काम में पिताजी की कोई दखलन्दाजी नहीं थी, तो हम दोनों अपने ढँग से काम करवा सकते थे! ये पहलीबार था की पिताजी मुझ पर और चन्दर पर भरोसा कर के छूट दे रहे थे और मैं पिताजी को कोई शिकायत नहीं देने वाला था|



काम कल से शुरू होना था तो पिताजी ने budget को ले कर हमसे काफी बातचीत की तथा advance लेने के लिए मुझे कल NOIDA जाने को कहा| सब बात कर के मैं अपने कमरे में लौटा तो देखा भौजी कुर्सी पर बैठीं मेरा बेसब्री से इंतजार कर रही हैं और बच्चे बिस्तर के दुसरे कोने पर बैठे अपनी पढ़ाई में मगन थे| भौजी ने मुझे अपने पास बैठने का इशारा किया तो मैं ख़ामोशी से उनके सामने बैठ गया|

भौजी: अब बताओ?

भौजी खुसफुसाते हुए बोलीं|

मैं: क्या बताऊँ?

मैंने अनजान बनते हुए कहा|

भौजी: उखड़े-उखड़े क्यों हो?

भौजी ने मेरे उनसे ठीक से बात न करने का कारन पुछा|

मैं: नहीं ऐसा नहीं है... वो कल रात को...जो हुआ ...उसके लिए I'm terribly sorry! मैं आपको बता नहीं सकता की मैंने किस तरह खुद को रोका और मुझे आपको इस तरह छोड़ कर आना कितना बुरा लगा!

मैंने सर झुकाते हुए कहा| भौजी ने मेरी ठुड्डी पकड़ कर चेहरा ऊपर उठाया और मेरी आँखों में देखते हुए बोलीं;

भौजी: जानती हूँ और समझ सकती हूँ की आप पर क्या बीती होगी, मैं ये भी जानती हूँ की आप के दिमाग में क्या चल रहा है, मगर मैं वो सब नहीं समझना चाहती! मैं बस आपको चाहती हूँ, किसी भी कीमत पर!!!

भौजी ने मुझे पर 'अधिकार' जताते हुए क्रोध से अपने दाँत पीसते हुए कहा| मेरा प्यार पाने के लिए भौजी अंधी हो चुकी थीं, उनके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था, उनका प्यासा दिल उन्हें जो कह रहा था भौजी वो किये जा रहीं थीं!

मैं: मगर मैं वो (सम्भोग)....वो...नहीं कर सकता! मुझे डर लगता है की अगर आप pregnant हो गए तो?

मैंने घबराते हुए कहा|

भौजी: तो क्या होगा?

भौजी ने थोड़ा सख्ती से पुछा| उनका यूँ बेवजह मुझ पर सख्ती दिखाना मुझे जायज नहीं लगा इसलिए मैंने पलट कर सख्ती से जवाब दिया;

मैं: तब आप सब से क्या कहोगे की ये बच्चा किसका है?

मेरी पैना सवाल सुन भौजी चुप हो गईं| भौजी की खामोश होने से मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने भौजी को तर्क के साथ समझना शुरू किया;

मैं: जब आप से ये सवाल पूछ जायेगा तब आप ये नहीं कह सकते की ये बच्चा चन्दर का है, क्योंकि उस ने तो आपको पिछले पाँच सालों से छुआ भी नहीं! फिर हर बार आप तभी pregnant क्यों होते हो जब 'मैं' आपके आस-पास होता हूँ?! जब मैं गाँव में था तब भी आप pregnant हुए थे और अब जब आप यहाँ मेरे घर में हो तब भी आप pregnant हो?! है कोई जवाब आपके पास मेरे इस सवाल का? यही सब सोच कर मैं 'वो' नहीं करना चाहता! कम से कम इस वक़्त हम एक साथ एक छत के नीचे मौजूद तो हैं!

मेरी बात सुन भौजी ने सोचना शुरू कर दिया था|

मैं: इसलिए please...please मुझे 'उसके' लिए मत कहो|

मैंने भौजी के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा| मेरी बात का भौजी पर प्रभाव पड़ा था, कुछ पल सोचने के बाद भौजी रुँधे गले से बोलीं;

भौजी: आप जो कह रहे हो वो ठीक है, मगर आप जानते हो मुझे किस बात का सबसे ज्यादा बुरा लगा?

इतना कह भौजी ने दो सेकंड का विराम लिया|

भौजी: आपने मेरे अंदर जल रही आग को तो शांत कर दिया लेकिन अपने अंदर की आग को दबा दिया!

भौजी भावुक हो चुकीं थीं, इसलिए उनका मन रखने के लिए मैंने झूठ बोलने की सोची| मैंने अपने दाहिन हाथ को हस्तमैथुन क्रिया में हिलाते हुए कहा;

मैं: किसने कहा? मैंने कल रात को ये किया था!

लेकिन भौजी मुझे बहुत अच्छे तरीके से जानती थीं, उन्होंने मेरा सफ़ेद झूठ बड़ी सफाई से पकड़ लिया था;

भौजी: क्यों जूठ बोल रहे हो? गाँव आने से पहले करते थे ये सब (हस्तमैथुन), लेकिन गाँव में मेरी कसम देने के बाद मैं शर्त लगा कर कहती हूँ की आपने आजतक ये नहीं किया होगा?!

भौजी ने बड़े गर्व से कहा| मुझे अपनी कसम से बाँधने में उन्हें हमेशा से ही गर्व महसूस होता था| मैंने सर हाँ में हिला कर भौजी की बात को सही ठहराया|

भौजी: आज सुबह छत पर आपके दो underwear सूख रहे थे मतलब कल रात को आप नहाये थे, इसी तरह खुद को ठंडा किया था न?!

मेरी चोरी पकड़ी गई थी इसलिए मैंने शर्म से एक बार फिर सर हाँ में हिलाया|

भौजी: इसलिए मेरे लिए न सही, कम से कम आपने लिए तो एक बार.....please let me relieve you!

भौजी ने विनती करते हुए कहा|

मैं: नहीं यार! I'm alright और अगर ये सब एक बार शुरू हो गया तो फिर रुकेगा नहीं| Its better we don’t involve in physical relationship!

मैंने बड़े साफ़ शब्दों में बात कहते हुए मेरे और भौजी के रिश्ते के बीच एक रेखा खींच दी थी, लेकिन मेरी भोली-भाली प्रियतमा मेरी बात का कुछ और ही मतलब निकालने लगीं! उन्हें लगने लगा की आज के बाद मैं उन्हें कभी स्पर्श ही नहीं करूँगा, अपने इस विचार से तड़पते हुए भौजी ने बच्चों की तरह सवाल पुछा;

भौजी: तो क्या अब आप मुझे गले भी नहीं लगाओगे? कभी Kiss भी नहीं करोगे? कभी मेरे आस-पास भी नहीं भटकोगे?

भौजी के बच्चों की तरह सवाल पूछने से मुझे उन पर प्यार आने लगा|

मैं: मेरी परिणीता मैंने ऐसा कब कहा?

मैंने भौजी के दोनों गाल खींचते हुए मुस्कुरा कर कहा|

मैं: मैं आपको दिल से अब भी उतना ही प्यार करता हूँ जितना पहले प्यार किया करता था, मगर प्यार में ये जरूरी तो नहीं की इंसान physical भी हो?

मैंने बड़े प्यार से भौजी की आँखों में आँखें डाले हुए कहा|

मैं: मैं आपको इस तरह गले लगाउँगा...

मैंने भौजी को अपने गले लगाया|

मैं: और आपको Kiss भी करूँगा...

मैंने बिना किसी डर के भौजी के होठों को हलके से चूम लिया| मेरे इस छोटे से चुंबन से भौजी के चेहरे पर मुस्कान आ गई|

मैं: लेकिन इसके आगे कभी नहीं बढूँगा|

मैंने भौजी को हमारे रिश्ते का दायरा समझाते हुए कहा| भौजी को दायरा समझ आ गया था इसलिए उन्होंने (झूठ-मूठ) मुस्कुरा कर कहा;

भौजी: ठीक है जानू, मेरे लिए इतना ही काफी है|

भौजी के मन में एक दुविधा पैदा हो चुकी थी, तभी भौजी के जवाब में नजाने मुझे क्यों वो आश्वासन, वो प्यार नजर नहीं आया जो की आना चाहिए था!



जारी रहेगा भाग - 16 में...
Shaandar mazedaar bahot lajawab update Manu Bhai
 
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