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तेईसवाँ अध्याय: अभिलाषित प्रेम बन्धन
भाग - 13
भाग - 13
अब तक आपने पढ़ा:
मैंने फ़ोन काटा और माँ की तसल्ली के लिए उन्हें एक बार फिर सारी बात बता दी| बहाना जबरदस्त था और माँ ने जाने से बिलकुल मना नहीं किया, मैं जिस हालत में था उसी हालत में गाडी की चाभी ले कर निकल गया| कपडे बदलने लगता तो हो सकता था की माँ पिताजी को बात बता दें, मैंने गाडी निकाली तथा कुछ दूरी पर underground parking में खड़ी की ताकि अगर पिताजी बाहर निकलें तो गाडी खड़ी देख कर शक न करें| Parking से निकल कर मैं भागता हुआ भौजी के घर पहुँचा और बेसब्र होते हुए दरवाजा खटखटाने लगा|
अब आगे:
जैसे ही भौजी ने दरवाजा खोला मैं अवाक उन्हें आँखें फाड़े देखने लगा!
हलके गुलाबी रंग का top, slim-fit jeans जो कस कर उनकी टांगों से चिपकी हुई थी, हाथों में लाल चूड़ियाँ, होठों पर लाली, बाल खुले हुए, और चेहरे पर face powder लगा हुआ! कुल मिला कर कहें तो भौजी नई-नवेली दुल्हनें लग रहीं थीं!
भौजी को देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रहा गया था, मुझे यूँ खुद को घूरता हुआ देख कर भौजी लजा रहीं थीं, उन्होंने अपनी आँखें लाज से झुका कर नकली खाँसी खाई जिससे मैं होश में आया और बोला;
मैं: WOW! You’re looking GORGEOUS!!!
मैंने आँखें फाड़े हुए ही कहा|
भौजी: पसंद आपकी जो है जानू!
भौजी लजाते हुए बोलीं| मैं भौजी की सुंदरता में खो गया था इसलिए अब भी बाहर ही खड़ा था तो भौजी ने मुझे अंदर आने को कहा;
भौजी: अंदर तो आओ न!!
मेरी इच्छा बस भौजी को इन कपड़ों में देखने की थी, उसके आगे की मैंने कोई उम्मीद नहीं की थी! जब भौजी ने मुझे अंदर आने को कहा तो मैं झिझकता हुआ अंदर आया और सीधा कुर्सी पर बैठ गया| मेरा यूँ कुर्सी पर बैठ जाना भौजी को अजीब लगने लगा था इसलिए उन्होंने मुझे टोकते हुए कहा;
भौजी: यहाँ क्यों बैठ गए? अंदर चलो न!
भौजी का यूँ मुझे bedroom में निमंत्रण देने से मुझे घबराहट होने लगी थी| मेरा ये मानना है की जब भी हम कोई गलत काम करने वाले होते हैं तो सबसे पहले हमारी अंतरात्मा हमें रोकती है| जो अंतरात्मा की बात सुन लेता है और मान लेता है वो गलती करने से बच जाता है, जो नहीं मानता वो गलतियों की दलदल में उतरने लगता है| (Sorry for repeating!) गाँव में भौजी और मेरे पहले समागम के समय मैंने अपनी अंतरात्मा की बात नहीं समझी थी क्योंकि उस समय मेरे सर पर वासना सवार हो गई थी, लेकिन इस समय मेरा दिमाग मेरे काबू में था और उसने ही मुझे आगे जो होने वाला था उसके लिए डराना शुरू कर दिया था|
मेरी घबराहट के चलते मुझसे कुछ भी कहना नमुमकिन हो रहा था, इसलिए मैंने भौजी की बात मानते हुए उठ कर भौजी के bedroom में प्रवेश किया| Bedroom में प्रवेश करते ही मुझे कमरे में गुलाब की मीठी-मीठी खुशबु आई, ये खुशबु मेरे डर को सही साबित कर रही थी! भौजी ने आज रात की सारी तैयारी बड़े दिल से की थी, लेकिन वो क्या जाने की मैं यहाँ डर से घबरा रहा हूँ!
भौजी: कपडे मेरी fitting के होने का कारन तो मैं समझ गई क्योंकि आपने बड़ी होशियारी से कल मुझसे मेरे size के बारे में पूछ लिया था| लेकिन आपको कैसे पता की इसी रंग और design का top और jeans मुझ पर इतने अच्छे लगेंगे?
भौजी ने बात शुरू करते हुए कहा|
मैं: कपडे लेते समय मैंने अपनी आँखें बंद की और कल्पना की कि आप पर ये कपडे कैसे लगेंगे!
मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया| भौजी के सवाल पूछने से मेरा ध्यान एक पल को भटक गया था और मेरा भय कम हो गया था| लेकिन फिर अगले ही पल मुझे दुबारा डर ने जकड लिया! मैं अब और इस तरह डरा-डरा नहीं रहना चाहता था इसलिए मैंने हिम्मत करके भौजी से सीधा सवाल पूछ लिया;
मैं: अच्छा क्या बात है, आज आपका कमरा बहुत महक रहा है?!
मैंने भौजी से नजरें चुराते हुए कहा|
भौजी: ये सब.....आपके लिए....ही है!
भौजी ने इठलाते हुए मेरे नजदीक आते हुए कहा| जिस मादक ढँग से भौजी ने ये बात कही थी उससे मेरे पसीने छूटने लगे थे!
मैं: मेरे लिए? मैं...मैं कुछ समझा नहीं!
मैंने एक कदम पीछे हटते हुए नसमझ बनते हुए कहा|
भौजी: ओफ्फो! आज की रात बड़े सालों बाद आई है|
मुझे sex करना है ये तो भौजी कह नहीं सकतीं थीं, इसीलिए उन्होंने बात को गोलमोल करते हुए कहा और मेरी टी-शर्ट के कॉलर का बटन खोलने लगीं| अब नासमझ बन कर उनसे फिर सवाल पूछता तो वो डाँट देतीं इसलिए मैंने पहले तो बड़े प्यार से भौजी के हाथ अपनी टी-शर्ट के कॉलर से हटाए, फिर उनसे नजरें चुराते हुए इधर-उधर देखते हुए बोला;
मैं: प...पर ...
मेरी घबराहट भौजी ने पढ़ ली थी, इसलिए मेरी बात शुरू होती उससे पहले ही भौजी ने मुझे टोक दिया;
भौजी: जानू आप शर्मा क्यों रहे हो, ये सब पहली बार तो नहीं हो रहा?
मैं: नहीं ...लेकिन....अब हालात बदल चुके हैं!
मैंने भौजी की आँखों में आँखें डालते हुए कहा| इतना सुनना था की भौजी एकदम से भावुक हो गईं;
भौजी: क्या बदल चूका है? अभी दो दिन पहले तो आपने हाँ कहाँ था, इन दो दिनों में ऐसा क्या बदल गया?
भौजी के सवाल सुन कर मेरी अंतरात्मा दिषु द्वारा समझाई हुई बात कहना चाहती थी, आज मौका सही था और मैं भौजी से हमारे रिश्ते के भविष्य के बारे में बात कर सकता था मगर दिल में बैठी बुज़दिली मुझे भौजी को दुःख देने से बचाने का बहाना सोच बैठी थी;
मैं: What if you got pregnant?
मैंने अपना बहाना मारा|
भौजी: तो क्या हुआ?
भौजी एकदम से बोलीं! उनकी बात सुन मैं हक्का-बक्का रह गया?! उनका यूँ अपने माँ बनने की बात को हलके में लेना मेरी समझ से परे था! मुझे लगा शायद भौजी मेरी बात समझी नहीं हैं, इसलिए मैंने अपनी बात शुद्ध अंग्रेजी भाषा में दोहराई ताकि भौजी मेरी बात को समझ सकें;
मैं: I mean; I don’t want you to have another baby!
मुझे लगा अब भौजी बात समझ गई होंगी परन्तु वो मुझसे सीधा बहस करते हुए बोलीं;
भौजी: पर क्यों? मेरे फिर से माँ बनने में हर्ज़ ही क्या है?
मैं: यार 5 साल पहले हालात और थे, तब हम जानते थे की हम दूर हो जायेंगे तथा आपको जिन्दा रहने के लिए एक सहारे की जर्रूरत थी, जो मैं दूर रह के पूरी नहीं कर सकता था इसलिए आयुष...
इतना कह मैंने अपनी बात अधूरी छोड़ दी!
भौजी: ठीक है बाबा लेकिन अब क्या दिक्कत है, अब तो हम साथ हैं न?!
भाभी अपनी बात रखतीं उससे पहले ही मैंने उनकी बात पकड़ ली और उन्हें कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया;
मैं: Exactly! अब हम साथ हैं और आपको अब कोई सहारा नहीं चाहिए....
अब मैं आगे कुछ कहता उससे पहले ही भौजी मेरी बात काटते हुए बोल पड़ीं;
भौजी: तो मैंने कब कहा की मुझे कोई सहारा चाहिए? ये पाँच साल मैंने किस तरह काटे हैं ये बस मैं जानती हूँ! अपनी एक बेवकूफी की सजा मैंने हम दोनों को दी!
भौजी भाव-विभोर होते हुए बोलीं| भौजी के भावुक हो जाने से मेरा मन दुखा था मगर मैं भौजी को छूने से झिझक रहा था, मुझे लग रहा था की मेरे उनको छूने से बात बिगड़ जायेगी और मुझ पर वासना सवार हो जायेगी| उधर भौजी के भावुक हो जाने पर मेरे उन्हें न छूने से भौजी के मन में शक पैदा हो गया जिसे मिटाने के लिए भौजी बेमतलब सफाई देने लगीं;
भौजी: मैं दोनों बच्चों की कसम खाती हूँ, इन पाँच सालों में मैंने न उस आदमी को और न ही किसी दूसरे आदमी को खुद को छूने दिया है! आज भी मैं उतनी ही पवित्र हूँ जितनी पाँच साल पहले थी!
भौजी ने बड़े गर्व से कहा|
मैं: Hey ये आप क्या कह रहे हो? मैं आप पर कतई शक नहीं करता, मुझे आप पर अपने से ज्यादा भरोसा है!
इतना कह मैं एक पल के लिए खामोश हो गया| भौजी की शक करने वाली बात से मैं हिल चूका था और मेरी जुबान की कमान मेरी अंतरात्मा ने अपने हाथ में ले ली थी| अब बेकार की बातें गोल-गोल घूमना बंद, सीधा मुद्दे की बात करने का समय था;
मैं: मेरे जन्मदिन वाले दिन मैं मोम सा पिघल गया था और बस दिल से सोच रहा था, लेकिन इस वक़्त मैं अपने पूरे होशों-हवास में हूँ!
इतना कह मैंने क्षण भर का विराम लिया और आगे कही जाने वाली बात के लिए शब्दों का चयन करने लगा|
मैं: जान please मुझे गलत मत समझना! मैं बहुत दिनों से आपसे ये बात कहना चाहता था! जब हमारे बीच के गीले-शिकवे खत्म हुए तो मैं एक अजीब दुराहे पर खड़ा हो गया था| आप मेरे साथ दुबारा शुरुआत करना चाहते थे और मैं इस नई शुरुआत से डरता था, मेरे डर का कारन ये है की मैं अब दुबारा आपको खो नहीं सकता था इसलिए आपके नजदीक आने से घबरा रहा था! हमारे इस रिश्ते का कोई भविष्य नहीं है क्योंकि साल-दो साल में मेरी शादी हो जाएगी और तब आपका भी वही हाल होगा जो मेरा हुआ था, जो मैं कतई नहीं चाहता!
मैंने दिषु द्वारा समझाई हुई बात बड़े ढँग से भौजी के सामने रखी| मेरी बात सुन भौजी खामोश हो गईं! मेरी शादी होने की बात ने भौजी की आत्मा को झिंझोड़ दिया था, उनका दिल टूट चूका था तथा आँसूँ उनकी आँखों के दहलीज तक आ चुके थे, मेरी एक चुभती हुई बात और भौजी की आँखें अपना नीर बहाने लग जातीं! अब मुझे अपनी बात सम्भल कर कहनी थी ताकि भौजी रो न पड़ें;
मैं: मैं आपसे रिश्ता खत्म करने को नहीं कह रहा, पर अगर हम फिर से Physical हो गए तो मेरे लिए खुद को रोकना नामुमकिन है और फिर वही सब मैं दोराहना नहीं चाहता!
मेरी बात खत्म होते ही भौजी बोल पड़ीं:
भौजी: आपने गाँव में एक बार कहा था की 'Live in the present, forget the future!'
दरअसल इस वक़्त भौजी की हालत बिलकुल मेरी जैसी थी, जैसे मैं उनसे ये बात न करने के लिए बच रहा था और बेसर-पैर के तर्क मार रहा था, वैसे ही भौजी का दिल मुझे पाने को इतना आतुर था की उसने भौजी को अजीबों-गरीब तर्क सुझाने शुरू कर दिए थे| मेरी कही पूरी बात भौजी ने दिल से सुनी थी तथा उस बात में मौजूद तथ्य उनकी समझ में नहीं आये थे! चूँकि मैं भी इसी दौर से गुजरा था इसलिए मैंने भौजी को समझना शुरू कर दिया;
मैं: हाँ कहा था! लेकिन उस वक़्त आप pregnant थे, ऐसे में मेरे लिए आया सुनीता का रिश्ता आपके लिए कितना कष्टदाई था ये मैं जानता था| उस वक़्त आपको खुश रखना मेरी जिम्मेदारी थी और मैं नहीं चाहता था की मेरे कारन आपकी और हमारे बच्चे की सेहत खराब हो, इसलिए उस समय मेरा वो कथन बिलकुल सही था! लेकिन इस वक़्त मेरे उस कथन का कोई उपयोग नहीं है!
मैंने भौजी के तर्क का जवाब बड़े आत्मविश्वास से दिया मगर भौजी को ये सब सुनने का मन नहीं था इसलिए वो मेरे साथ भावुक करने वाला तर्क करने लगी;
भौजी: तो क्या अब आप मुझसे प्यार नहीं करते? क्या आपको मेरे जज्बातों की कोई कदर नहीं?!
ये औरत का ऐसा तर्क होता है जिसका जवाब कोई नहीं दे सकता| ये टिक-टिक करते उस time bomb की तरह है जिसे अगर आप defuse करने के लिए तर्क करने की की कोशिश करोगे तो ये time bomb आपके मुँह पर ही फट जायेगा!
मैं: नहीं यार ऐसा नहीं है, मैं आपसे अब भी उतना ही प्यार करता हूँ जितना पहले करता था!
मेरी बात सुन भौजी के चेहरे पर आस की किरण चमकने लगी, लेकिन मेरे लिए भौजी को समझना मुश्किल हो रहा था|
मैं: पर ....oh God....अब कैसे समझाऊँ मैं आपको?!
मैंने सर पीटते हुए कहा| मुझे सर पीटता हुआ देख भौजी ने preganancy वाली बात पकड़ ली और उस का तर्क देकर मेरा ध्यान फिर भटका दिया;
भौजी: ठीक है आप नहीं चाहते न की मैं pregnant हो जाऊँ?
मुझे नहीं पाता था की इस सवाल का कारन क्या था इसलिए मैंने उनके सवाल का जवाब देते हुए कहा;
मैं: हाँ!
भौजी: ठीक है हम protection इस्तेमाल कर लेते हैं!
भौजी एकदम से बोलीं| अब मैं ठहरा बेवकूफ (थोड़ा), मैं उनकी बातों में आ गया और एकदम से जवाब देते हुए बोला;
मैं: पर अभी मेरे पास condom नहीं है!
भौजी का मेरा ध्यान भटकाने का plan सफल हो चूका था इसलिए वो इसी विषय पर बहस करते हुए बोलीं;
भौजी: तो किसने कहा की सिर्फ आप ही protection use कर सकते हो?! मैं कल I-pill ले लूँगी!
भौजी ने खुश होते हुए कहा|
मैं: यार ये सही नहीं है....
मैंने भौजी को समझना चाहा मगर उन्होंने मेरी बात काट दी और मुझे पुनः भावुक करते हुए बोलीं;
भौजी: जानू, मैं आपको बता नहीं सकती की मैं आपके प्यार के लिए कितनी प्यासी हूँ! जब से मैं यहाँ आई हूँ आपने कभी भी मेरे साथ quality time spend नहीं किया जैसे आप गाँव में किया करते थे|
भौजी ने मुझे भावुक करते हुए कहा|
मैं: जानता हूँ जान! और उसके लिए मैं आपका दोषी भी हूँ, लेकिन अब मैं बड़ा हो चूका हूँ! मेरा अब यूँ आप के साथ बैठना, बातें करना, मस्ती और छेड़- छाड़ करना लोगों खटकेगा! सब आप पर उँगलियाँ उठाएंगे और ये मैं कतई बर्दाश्त नहीं करूँगा!
मैंने थोड़ा सख्ती से अपनी बात रखी|
भौजी: जानू ....प्लीज....एक बार...बस मेरे लिए!!!
भौजी ने आस भरी नजरों से गिड़गिड़ाते हुए कहा| अब आपका प्रियतम आपसे खुल कर कहे की वो आपके प्रेम के लिए कितना प्यासा है, तो ऐसे में आप क्या कहोगे? तब न तो आपकी बुद्धि काम करती है न ही आपकी अंतरात्मा आपको रोक पाती है! मैं भी भौजी की प्रणय विनती सुन कर खुद को रोक नहीं पाया, मेरा मन नहीं किया की मैं उनका दिल तोड़ दूँ!
मैंने भौजी को कस कर अपने सीने से लगा लिया, उनके मेरे सीने से लगते ही उनके जिस्म की मिलन की आग मेरे जिस्म में फ़ैल गई! मैंने भौजी के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लिया और बेतहाशा चूमने लगा!
जारी रहेगा भाग - 14 में...