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Incest एक अनोखा बंधन - पुन: प्रारंभ (Completed)

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eternity

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जिस तरह इश्क़ करना गुनाह नहीं, लेकिन इश्क़ में तबाह हो जाना गुना है! वैसे ही पीना गुनाह नहीं है, पी कर लुढ़क जाना गुनाह है!
दूसरी बात, आप मेरे पीने को गलत नजरिये से देख रहे हो!

ऐ शराब !!


मुझे तुमसे मोहब्बत नही, मुझे तो उन पलों से मोहब्बत है,

जो तुम्हारे कारण, मै दोस्तौ के साथ बिताता हूँ…...!!!

Bhai ye aapki soch hai. Mere like to jindgi ke sukh aur dukh aur uske saath ke kasmakash ka nasha abhootpurv hai mai aapko mana nahi kar raha mai to apani bat kar raha tha.
 
Last edited:

Rockstar_Rocky

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Bhai update kab tak ayega
intjaar rahega bhai

मित्रों,

अपडेट आज रात आएगा! कल हम जरा खुमारी में थे, आज होश में हैं और अपडेट लिख रहे हैं!
 
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Akki ❸❸❸

ᴾʀᴏᴜᴅ ᵀᴏ ᴮᴇ ᴴᴀʀʏᴀɴᴠɪ
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Bhai ye aapki such hai. Mere like to jindgi ke sukhdev aur dukh air uske saath sarat tarai ka nasha abhutpurv hai mai aapko mana nahi kar raha mai to apani bat kar raha tha.
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aman rathore

Enigma ke pankhe
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तेईसवाँ अध्याय: अभिलाषित प्रेम बन्धन
भाग - 16



अब तक आपने पढ़ा:


भौजी: तो क्या अब आप मुझे गले भी नहीं लगाओगे? कभी Kiss भी नहीं करोगे? कभी मेरे आस-पास भी नहीं भटकोगे?
भौजी के बच्चों की तरह सवाल पूछने से मुझे उन पर प्यार आने लगा|
मैं: मेरी परिणीता मैंने ऐसा कब कहा?
मैंने भौजी के दोनों गाल खींचते हुए मुस्कुरा कर कहा|
मैं: मैं आपको दिल से अब भी उतना ही प्यार करता हूँ जितना पहले प्यार किया करता था, मगर प्यार में ये जरूरी तो नहीं की इंसान physical भी हो?
मैंने बड़े प्यार से भौजी की आँखों में आँखें डाले हुए कहा|
मैं: मैं आपको इस तरह गले लगाउँगा...
मैंने भौजी को अपने गले लगाया|
मैं: और आपको Kiss भी करूँगा...
मैंने बिना किसी डर के भौजी के होठों को हलके से चूम लिया| मेरे इस छोटे से चुंबन से भौजी के चेहरे पर मुस्कान आ गई|
मैं: लेकिन इसके आगे कभी नहीं बढूँगा|
मैंने भौजी को हमारे रिश्ते का दायरा समझाते हुए कहा| भौजी को दायरा समझ आ गया था इसलिए उन्होंने (झूठ-मूठ) मुस्कुरा कर कहा;
भौजी: ठीक है जानू, मेरे लिए इतना ही काफी है|
भौजी के मन में एक दुविधा पैदा हो चुकी थी, तभी भौजी के जवाब में नजाने मुझे क्यों वो आश्वासन, वो प्यार नजर नहीं आया जो की आना चाहिए था!




अब आगे:


हम दोनों (मैं और भौजी) अपनी बातों में इस कदर खो गए थे की हमने ये भी नहीं देखा की बच्चों ने हमारा छोटा सा kiss देख लिया है! दोनों बच्चे अपने होठों पर हाथ रखे हुए हमें देख रहे थे, भौजी की नजर जब दोनों बच्चों पर पड़ी तो उन्होंने मुझे अपनी आँख का इशारा कर के पीछे देखने को कहा| मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो दोनों बच्चे मुस्कुराने लगे थे, मैंने अपने दोनों हाथ खोल कर उन्हें गले लगने को बुलाया| दोनों बच्चे दौड़ते हुए आये और आकर मेरे गले लग कर खिलखिलाने लगे|

रात को खाना खाकर दोनों बच्चे कहानी सुनते हुए मुझसे लिपट कर सो गए, अगला दिन काफी दौड़भाग भरा था इसलिए भौजी और मेरी मुलाक़ात सुबह के बाद हुई ही नहीं| बीच-बीच में मुझे 10-15 मिनट मिल जाया करते थे और तब मेरा मन भौजी से बात करने को करता था| अब अगर उन्हें फ़ोन करता तो हो सकता है की आस-पास माँ होतीं और फिर उनके सामने हम आराम से प्यारभरी बात नहीं कर पाते| What's app पर बात कर सकते थे लेकिन भौजी का फ़ोन button वाला था, इसलिए मैंने भौजी के लिए एक अच्छा सा smartphone खरीदा| फ़ोन ले तो लिया पर भौजी को दूँ कैसे? एक तो न वो मुझसे इतना महँगा कुछ लेंगी और अगर ले भी लिया तो माँ के सामने कैसे इस्तेमाल करेंगी? नया smartphone देख कर घर में सब भौजी से पूछते की ये फ़ोन किसने दिया? अगर भौजी मेरा नाम लेतीं तो घर में सवाल उठने लगते?! मैंने काफी सोचा मगर कोई उपाए नहीं मिला इसलिए मैंने सोचा की माँ के सामने बच्चा बन जाता हूँ! भौजी और मेरा रिश्ता मेरे बचपन से था, तो ऐसे में मैं बच्चा बन कर थोड़ी जिद्द कर सकता था! मेरे बच्चा बन कर फ़ोन देने पर कोई सवाल नहीं करता और अगर करता भी तो मैं कह देता की मैंने अपनी बचपन की दोस्त को gift दिया है!



सुनने में भला ही ये plan बचकाना लगे मगर इसके अलावा कोई उपाए सूझ नहीं रहा था| मैं शाम को थोड़ा जल्दी घर पहुँचा, माँ और भौजी बैठक में बैठे साग चुन रहे थे और बच्चे अभी सो रहे थे| मैंने अपना बचपना दिखाना शुरू करते हुए भौजी से बात शुरू की;

मैं: मम-मम (पानी)!

मैंने बच्चों की तरह पानी पीने का इशारा करते हुए कहा| जब मैं छोटा बच्चा था तब पानी माँगने के लिए माँ से 'मम-मम' कहता था, आज सालों बाद मेरा ये बचपना देख माँ हँस पड़ीं! भौजी पानी ले कर आईं तो मैंने अपना निचला होंठ फुला कर बाहर निकालते हुए भौजी से कहा;

मैं: मुझे...ठंडा...पानी...चाहिए!

मेरा यूँ बच्चों की तरह बोलने से भौजी के चहेरे पर मुस्कान आ गई| वो मेरे लिए ठंडा पानी लाईं और वापस माँ के साथ बैठ कर साग चुनने लगीं| मैं उठा और माँ से थोड़ा लाड करने लगा, मैंने अपना सर माँ के कँधे पर रख दिया और टी.वी. पर कार्टून लगा दिए| मुझे कार्टून देखता हुआ देख भौजी खी-खी कर हँसने लगीं!

मैं: देखो...न माँ....!

मैंने फिर से बच्चे की तरह मुँह फुलाते हुए भौजी की शिकायत माँ से की|

माँ: क्या बात है बेटा, आज बड़ा लाड आ रहा है तुझे?

माँ ने मुस्कुरा कर मेरी ओर देखते हुए पुछा|

मैं: बस ऐसे ही!

मैंने शर्माने का नाटक करते हुए कहा| मेरे इस नाटक से माँ का दिल पिघल गया था!

माँ: बेटा मेरी ज्यादा चापलूसी मत कर!

माँ हँसते हुए बोलीं| माँ तो माँ होती है वो अपने बेटे की रग-रग से वाक़िफ़ होती हैं| मैंने अपना बैग उठाया और उसमें से gift wrap किया हुआ फ़ोन निकाला तथा बिना डरे gift wrap को भौजी की तरफ बढ़ा दिया| भौजी अपनी आँखें बड़ी कर के मुझे देखने लगीं, वो मन ही मन मुझे कह रहीं थीं की मैं ये क्या कर रहा हूँ? माँ के सामने उन्हें gift क्यों दे रहा हूँ? उधर माँ थोड़ा हैरान थीं, वो मेरे बचपने के तार मेरे भौजी को gift देने से जोड़ने में लगीं थीं!

मैं: खोल के तो देखो?

मैंने बेख़ौफ़ भौजी से कहा| लेकिन भौजी ने सर न में हिला दिया, उनके यूँ सर न में हिलाने से माँ बोल पड़ीं;

माँ: बहु एक बार खोल कर तो देख तेरा देवर तेरे लिए क्या लाया है?

जब माँ ने ये कहा तो मेरे दिल को सुकून मिला, क्योंकि माँ इस गिफ्ट को एक देवर-भाभी के प्यार की दृष्टि से देख रहीं थीं!

अब माँ की बात भौजी अनसुना नहीं कर सकती थीं इसलिए भौजी ने मेरा दिया हुआ gift खोला, gift wrap निकलते ही भौजी की आँखें भीग गईं! भौजी इतनी भावुक हो गईं थीं की उनके मुख से शब्द नहीं निकल रहे थे, वो बस लगातार न में गर्दन हिलाये जा रहीं थीं! मैं उठ कर भौजी को शांत कराने वाला था की माँ ने फ़ोन का डिब्बा उठाया और भौजी को खुद देते हुए बोलीं;

माँ: माँ हूँ न तेरी, तो मैं तुझे दे रही हूँ! मुझे मना करेगी?

माँ भौजी को प्यार से डाँटते हुए बोलीं| माँ के यूँ हक़ जताने से भौजी अपना रोना नहीं रोक पाईं, वो उठीं और माँ के गले से लग कर रोने लगीं| माँ ने भौजी के सर पर हाथ फेर कर उन्हें चुप कराया और भौजी से फ़ोन का डिब्बा खोलने को कहा| भौजी ने फ़ोन का डिब्बा खोला मगर फ़ोन को बिना छुए माँ की तरफ बढ़ा दिया;

भौजी: माँ इसे आप चालु करो!

भौजी मुस्कुरा कर बोलीं| मैंने माँ को फ़ोन चालु करने का तरीका बताया, माँ ने फ़ोन चालु किया और अपने आशीर्वाद सहित फ़ोन भौजी को दिया|



मैं हैरान था की माँ ने भला कोई सवाल क्यों नहीं पुछा? मेरी माँ गुस्सा पालने वालों में सी नहीं थीं, अगर उन्हें कोई बात बुरी लगती थी तो वो सामने से बता देतीं थीं| अब इस हिसाब से देखा जाए तो माँ को अगर मेरा भौजी के लिए फ़ोन लाना गलत लगा होता तो वो खुद अपने हाथ से भौजी को फ़ोन हक़ जताते हुए क्यों देतीं? मैं इन सवालों को सोच रहा था और उधर भौजी नया फ़ोन पा कर बहुत खुश थीं, मैंने भौजी से उनका पुराना फ़ोन माँगा| दोनों फ़ोन को बंद कर के मैंने नए फ़ोन में sim card डाला और फिर फ़ोन चालु किया, मैंने भौजी को फ़ोन के सारे function समझाने शुरू किये| जो सबसे पहली app मैंने डाली वो थी What's app, मैंने उन्हें इस app का प्रयोग समझा ने लग गया| हमारी personal chatting के नाम से भौजी खुश हो गईं! |

उधर माँ उठ कर अपने कमरे में गईं, मैं भौजी से नजर चुराते हुए माँ के कमरे में आया| मैंने बड़ी हिम्मत कर के माँ से बात शुरू की;

मैं: माँ.........आप नाराज तो नहीं?

मेरा सवाल सुन माँ मुस्कुराईं और मेरे गाल पर हाथ फेरते हुए बोलीं;

माँ: बेटा मैं क्यों गुस्सा हूँगी? मैं जानती हूँ तू फ़ोन क्यों लाया था!

ये सुन तो मेरी हवा खिसक गई, मुझे लगा की जर्रूर माँ को मेरे और भौजी के रिश्ते के बारे में पता चल गया होगा!

माँ: कुछ दिन पहले बच्चों ने खेल-खेल में उसका (भौजी का) फ़ोन तोड़ दिया था, इसीलिए तू उसके लिए फ़ोन लाया न?!

माँ की बात सुन मैंने रहत की साँस ली और हाँ में सर हिला कर उनकी बात को सही ठहराया|

माँ: फिर बहु है भी तेरे बचपन की दोस्त तो तूने अगर फ़ोन दे दिया तो कौन सी बड़ी बात हो गई?!

माँ ने मुस्कुरा कर कहा और पूजा करने चली गईं| चलो माँ के सवाल पूछने का डर तो खत्म हुआ मगर अभी वो साला चन्दर बाकी था!



मैं अपने कमरे में आया तो बच्चे आँख मलते-मलते हुए जाग गए, दोनों ने पलंग पर खड़े होते हुए अपने हाथ खोल दिए! मैंने दोनों को गोद में उठाया और जी भर कर उन्हें दुलार करने लगा| दोनों हाथ-मुँह धो कर पढ़ाई करने बैठ गए और इधर भौजी मेरी चाय ले कर कमरे में आ गईं| उन्होंने चाय का गिलास टेबल पर रखा और मेरे सीने से कस कर लिपट गईं!

भौजी: Thank You जानू!

भौजी मुझे अपनी बाहों में कसते हुए बोलीं|

मैं: Thank you क्यों? गिफ्ट तो माँ ने दिया न?

मैंने मुस्कुरा कर भौजी के सर को चूमते हुए कहा|

भौजी: लाये तो आप थे न!

भौजी ने हँसते हुए कहा|

मैं: अब मेरी पत्नी भले ही मुझे न बताये की उसका फ़ोन टूट चूका है, लेकिन पति का तो फ़र्ज़ है की वो अपनी पत्नी के लिए नया फ़ोन लाये!

मेरी पति-पत्नी की बात सुन भौजी गदगद हो गईं!



अपनी मम्मी को फ़ोन gift मिलने के नाम सुन दोनों बच्चों ने उधम मचाना शुरू कर दिया, भौजी ने उन्हें फ़ोन दिखाया तो दोनों खुश हो गए| लेकिन बच्चे फ़ोन को छोटे उससे पहले भौजी ने दोनों को सख्ती से कहा;

भौजी: अभी चुपचाप पढ़ाई करो खाना खाने के बाद पापा सारे function समझायेंगे!

इतना कह भौजी ने फ़ोन वापस अपने पास रख लिया! बच्चे फ़ोन के साथ खेलने के लालच में फ़ौरन पढ़ने बैठ गए|

हम दोनों बच्चों के पास बैठ कर बात करने लगे, मैंने भौजी को फ़ोन lock करना सिखा दिया ताकि कहीं कोई उनका फ़ोन खोल कर हमारी chat न पढ़ ले| नया फ़ोन होता है तो उसके साथ खेलना बड़ा अच्छा लगता है, इसलिए भौजी ने अपने फ़ोन से मेरी तसवीरें खींचना शुरू कर दिया| आधे घंटे बाद मैंने उन्हें खाना बनाने को कहा और मैं आयुष को पढ़ाने बैठ गया| बीच-बीच में मैंने भौजी को what's app पर message भी भेजे जिसका जवाब देने में भौजी को बड़ी देर लगी क्योंकि उन्हें फ़ोन पर टाइप करना नहीं आता था| What's app का जो feature भौजी को सबसे अच्छा लगा था वो था emoji इस्तेमाल करना! भौजी ने पेट भर कर मुझे kiss करने वाली emoji भेजीं, मानो वो मुझे सच में kiss कर रहीं हों! इस chatting के चक्कर में उन्हें खाना बनाने में भी देरी हो गई और उनके data pack के साथ-साथ उनका balance भी खत्म हो गया! भौजी उदास हो कर मुँह फुला कर मेरे पास आईं और अपना फ़ोन मुझे देते हुए बोलीं;

भौजी: जानू ...मेला balance खत्म ...हो गया!

भौजी ने तुतलाते हुए कहा! उनके इस तरह तुतलाने से जी किया की उन्हें बाहों में भर कर उनके होंठ चूम लूँ! मैंने भौजी को अपने पास बिठाया और अपने फ़ोन से उनका फ़ोन रिचार्ज करना सिखाया|

मैं: जब मैं घर पर न हूँ तो मैंने जो आपको debit card दिया था उससे recharge कर लेना!

मैंने भौजी को recharge करने का तरीका अच्छे से समझाते हुए कहा| लेकिन भौजी न में सर हिलाने लगीं, फिर एकदम से वो मेरी ओर खिसकीं और मेरे होठों को चूम कर हँसते हुए बाहर भाग गईं| मैं जानता था की भौजी के न कहने का मतलब क्या था, लेकिन फिर भी मैंने इस बात को ले कर उनपर कोई दबाव नहीं बनाया, मैंने सोचा समय के साथ वो सब सीख ही लेंगी|



खैर रात को खाना खाने के बाद बच्चे मेरे पीछे पड़ गए, मैंने उन्हें भौजी के फ़ोन के सारे function समझाये| दोनों बच्चों ने अपनी मम्मी के नये फ़ोन से खेलना शुरू कर दिया था, अब बच्चों का हो-हल्ला शुरू हुआ तो पिताजी और चन्दर का ध्यान बच्चों की तरफ लग गया| नया फ़ोन देख कर चन्दर ने थोड़ा अकड़ते हुए बच्चों से पुछा;

चन्दर: कहाँ पायो रे ई नया फ़ोन?

चन्दर के अकड़ कर पूछने से दोनों बच्चे सहम गए, मुझे ये नाकाबिले बर्दाश्त था इसलिए मैं उसके सवाल का जवाब देते हुए माँ द्वारा बताई हुई बात दोहरा दी;

मैं: बच्चों ने अपनी मम्मी का फ़ोन गिरा कर तोड़ दिया था.....

मैं आगे कुछ कहता उससे पहले ही चन्दर मेरी बात काटते हुए बोला;

चन्दर: तो नवा फ़ोन काहे लाये दिहो, पुरनका ठीक करवाए देतेयो!

चन्दर की मेरी बात काटने से मैं बिदक गया था इसलिए मैं चिढ़ते हुए बोला;

मैं: उसमें पहले से इतनी चेपी (tape) लगी थी, और चेपी लगाने की जगह नहीं बची थी! और मैं ये फ़ोन अपनी दोस्त के लिए लाया हूँ.....

मेरे तेवर गर्म हो चुके थे, कहीं मैं और चन्दर लड़ न पड़ें इसलिए पिताजी बीच में मेरी बात काटते हुए बोल पड़े;

पिताजी: ठीक है बेट कोई बात नहीं!

पिताजी मुझे शांत करवाते हुए बोले|

पिताजी: देवर-भाभी का प्यार है, कोई बात नहीं!

ये कह पिताजी ने चन्दर को भी शांत कर दिया|



मैंने दोनों बच्चों को गोद में लिया और अपने कमरे में आ गाया, कुछ देर बाद भौजी खाना खा कर मेरे कमरे में आईं| भौजी की आँखें नम थीं, कुछ देर पहले मेरी और चन्दर की बातें सुन कर उन्हें बहुत बुरा लगा था;

भौजी: क्यों...क्यों लाये आप ये फ़ोन....?!

भौजी ने खुद का रोना रोकते हुए कहा|

मैं: मैं फ़ोन लाया क्योंकि मेरी जानेमन पुराना फ़ोन इस्तेमाल करे ये मुझे मंजूर नहीं!

मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया|

भौजी: म...महँगा था न....?!

भौजी जानती थीं की अगर वो पैसे को ले कर मुझसे पूछेंगी तो मैं उन्हें झाड़ दूँगा इसलिए उन्होंने डरते हुए बात थोड़ा घुमा कर कही|

मैं: हाँ बहुत महँगा था!

मैंने भौजी से मजाक किया, लेकिन भौजी बेचारीं मेरी बात पर विश्वास कर बैठीं| 'महँगा' शब्द सुनते ही भौजी की आँखें बड़ी हो गईं और गला सूखने लगा|

भौजी: क...कितने का....?

भौजी ने घबराते हुए पुछा| मैंने थोड़ा ड्रामा करते हुए अपनी उँगलियों पर गिनना शुरू किया, जैसे-जैसे उँगलियों की गिनती बढ़ रही थी भौजी की जान निकल रही थी!

मैं: 10K!

मुझे नहीं पता की भौजी 10K का मतलब जानती थीं या नहीं मगर उनका मुँह जर्रूर खुला रह गया था! अब मजाक और लम्बा खींचता तो भौजी रो पड़तीं इसलिए मैंने मजाक खत्म करते हुए कहा;

मैं: 10K यानी 10 Kisses!

Kisses सुन कर भौजी की जान में जान आई और उनके दोनों गाल गुलाबी हो गए!

भौजी: सब एक साथ दूँ की किश्तों में?

भौजी शर्माते हुए बोलीं!

मैं: Madam जी हमारे पास तो सारे plans हैं!

मैंने किसी दुकानदार की तरह बात की, मेरी बात सुन भौजी मुस्कुराने लगीं|

मैं: चाहो तो One-time payment कर दो या फिर घंटों के हिसाब से EMI बाँध लो!

मैंने अपने होठों पर जीभ फिराते हुए कहा|

मैं: लेकिन एक बात बता दूँ, दोनों ही सूरतों में हम 'ब्याज' तगड़ा लेते हैं!

मैंने 'ब्याज; शब्द पर जोर देते हुए कहा! भौजी मेरी बात समझ चुकी थीं और मोल चुकाने के लिए तैयार थीं लेकिन बच्चों की मौजूदगी थी तो इस वक़्त मैंने अपनी 'दूकान' का shutter down कर दिया! भौजी का दिल अब फिर से ख़ुशी से भर चूका था, मगर मैं जानता था की चन्दर जर्रूर फ़ोन को ले कर भौजी को तंग करेगा इसलिए मैंने अपनी आवाज सख्त करते हुए कहा;

मैं: अगर वो (चन्दर) कुछ बोले तो मुझे बताना!

मेरी बात सुन भौजी ने हाँ में सर हिलाया और आयुष को अपने सोने को कहा| अपनी मम्मी के पास सोने पर उसे आज रातभर नए फ़ोन के साथ खेलने को मिलता इसलिए आयुष ख़ुशी-ख़ुशी अपनी मम्मी के साथ चला गया| आयुष के जाते ही नेहा मेरे फ़ोन से खेलने लगी, फिर मैंने उसे कहानी सुनाई और दोनों बाप-बेटी लिपट कर सो गए|



जारी रहेगा भाग - 17 में...
:superb: :good: amazing update hai maanu bhai :D,
 
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aalu

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तेईसवाँ अध्याय: अभिलाषित प्रेम बन्धन
भाग - 17



अब तक आपने पढ़ा:


मैं: 10K यानी 10 Kisses!
Kisses सुन कर भौजी की जान में जान आई और उनके दोनों गाल गुलाबी हो गए!
भौजी: सब एक साथ दूँ की किश्तों में?
भौजी शर्माते हुए बोलीं!
मैं: Madam जी हमारे पास तो सारे plans हैं!
मैंने किसी दुकानदार की तरह बात की, मेरी बात सुन भौजी मुस्कुराने लगीं|
मैं: चाहो तो One-time payment कर दो या फिर घंटों के हिसाब से EMI बाँध लो!
मैंने अपने होठों पर जीभ फिराते हुए कहा|
मैं: लेकिन एक बात बता दूँ, दोनों ही सूरतों में हम 'ब्याज' तगड़ा लेते हैं!
मैंने 'ब्याज; शब्द पर जोर देते हुए कहा! भौजी मेरी बात समझ चुकी थीं और मोल चुकाने के लिए तैयार थीं लेकिन बच्चों की मौजूदगी थी तो इस वक़्त मैंने अपनी 'दूकान' का shutter down कर दिया! भौजी का दिल अब फिर से ख़ुशी से भर चूका था, मगर मैं जानता था की चन्दर जर्रूर फ़ोन को ले कर भौजी को तंग करेगा इसलिए मैंने अपनी आवाज सख्त करते हुए कहा;
मैं: अगर वो (चन्दर) कुछ बोले तो मुझे बताना!
मेरी बात सुन भौजी ने हाँ में सर हिलाया और आयुष को अपने सोने को कहा| अपनी मम्मी के पास सोने पर उसे आज रातभर नए फ़ोन के साथ खेलने को मिलता इसलिए आयुष ख़ुशी-ख़ुशी अपनी मम्मी के साथ चला गया| आयुष के जाते ही नेहा मेरे फ़ोन से खेलने लगी, फिर मैंने उसे कहानी सुनाई और दोनों बाप-बेटी लिपट कर सो गए|




अब आगे:



अगले
दो दिन मैं काम में काफी व्यस्त रहा, मगर मेरी और भौजी की बातें whats's app पर होती रहीं| तीसरे दिन मुझे नए project के लिए budget बनाना था, इसलिए मैं अपने कमरे में काम कर रहा था जब भौजी मेरे लिए चाय ले कर आईं;

भौजी: जानू आपको पता है मैंने फ़ोन में search कर के अंग्रेजी के नए नए शब्द सिखने शुरू कर दिए!

भौजी इठलाते हुए बोलीं|

मैं: अच्छा जी? मेरी जानेमन तो बहुत smart है?

मैंने भौजी की तारीफ करते हुए कहा| अपनी तारीफ सुन भौजी अपनी शेखी बघारने लगीं;

भौजी: और न मैंने है न माँ को internet से बहुत सारी recipe पढ़ कर सुनाईं! फिर न मैंने माँ को खाना बनाने वाली वीडियो भी दिखाई, फिर न मैंने google पर words के meaning ढूँढे! गाँव में तो मुझे dictionary में शब्द ढूँढना पड़ता था, मगर यहाँ तो सब फ़ट से मिल जाता है!

भौजी बच्चों की तरह अपनी बातें बताने में लगी थीं और मैं प्यारभरी नजरों से उनका ये बचपना देख कर आनंद ले रहा था|

कुछ पल बाद भौजी ने अपना फ़ोन का बखान करना बंद किया और बड़ा दिलचस्प सवाल पुछा;

भौजी: जानू....आपको याद है......आपने गाँव में मुझे porn देखने के बारे में बताया था?

भौजी ने जिस तरह अपनी बात खींच कर कही थी उससे मैं भौजी के दिमाग में उठ रही खुराफात समझ गया था|

मैं: हाँ तो?

मैंने जानबूझ कर अपना ध्यान काम में लगाते हुए कहा| भौजी ने मेरी ठुड्डी पकड़ी और अपनी तरफ घुमाते हुए बड़े ही शरारती ढंग से बोलीं;

भौजी: मुझे भी देखना है!

भौजी की बात सुन मैं दंग रह गया और आँखें बड़ी कर के उन्हें देखने लगा!

मैं: अच्छे बच्चे ये सब नहीं देखते!

कुछ देर पहले जो भौजी बच्ची बनी मुझसे बात कर रहीं थीं, मैंने उसी बात को मद्दे नजर रखते हुए कहा| मेरा खुद को बच्चा कहने से भौजी ने अपना मुँह डब्बे जैसा फुला लिया!

भौजी: मुझे देखना है....मुझे देखना है....मुझे देखना है!

भौजी ने नाराज होते हुए बच्चों की तरह अपनी बात दोहरानी शुरू कर दी! भौजी का इस तरह जिद्द करता देख मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं अपने हाथ बाँधे धीमे-धीमे मुस्कुराये जा रहा था|

भौजी: जानू....pleaseeeeeee.....बस एक बार! अब पहले ही आप मुझे 'उस तरह' प्यार नहीं करते, कम से कम एक बार 'वो' (porn) दिखा तो दो?!

भौजी विनती करते हुए बोलीं| मैं भौजी की भोली-भाली बातों में आ गया और उन्हें porn दिखाने के लिए तैयार हो गया| जब से भौजी ने गाँव में मुझे ये सब देखने से मना किया था तब से मैंने आज तक porn नहीं देखा था, इसलिए porn देखने की चुल्ल तो मुझे भी थी! मैंने desktop चालु किया, उसमें headphones attach किये और सीधा एक porn website खोलने लगा| उस समय हमारी माननीय सरकार ने porn websites पर ban लगा दिया था इसलिए किसी भी website का link नहीं खुला| अब मैंने Google पर VPN search करना शुरू किया, इस दौरान भौजी थोड़ी बेसब्र हो चली थीं इसलिए वो बीच में बोलीं;

भौजी: और कितना टाइम लगेगा?

मैं: जान, सरकार ने porn website ban कर रखीं हैं, इसलिए मैं VPN ढूँढ रहा हूँ!

जैसे ही मैंने उन्हीं सरकार द्वारा ban की बात बताई भौजी घबरा गईं और बोलीं;

भौजी: तब रहने दो, कहीं पुलिस-वुलिस का चक्कर पड़ गया तो बहुत बदनामी होगी!

भौजी को घबराते देख मैं हँसने लगा|

मैं: ओ मेरी प्यारी मेहबूबा! ऐसा कुछ नहीं होगा, मैं इसीलिए VPN use कर रहा हूँ|

मेरा भौजी को मेहबूबा कहना बहुत अच्छा लगा था इसलिए वो शर्म से दोहरी हो गईं!

भौजी: ये VPN क्या होता है 'जी'?

भौजी ने किसी नई-नवेली दुल्हन की तरह अपने पति के लिए 'जी' लगा कर कहा|

मैं: जब हम internet पर browsing करते हैं तो हमारा IP address दिखता है, अगर किसी को हमें पकड़ना होता है तो वो इस IP address के बदौलत पकड़ सकता है! कोई हमें न पकड़ सके इसके लिए मैं VPN use करता हूँ, VPN हमारा IP address छुपा लेता है और उसकी जगह एक नक़ली जगह का नकली IP address देता है! तो VPN इस्तेमाल करते हुए हम आराम से porn देख सकते हैं!

अब जिसने कभी इस तरह का तिगड़म वाला काम न किया हो उसका डरना स्वाभाविक है, यही कारन था की भौजी अब भी घबरा रहीं थीं| लेकिन जब मैंने porn website खोली और पहली video भौजी को चला कर दिखाई तो भौजी का डर भाग गाया तथा उसकी जगह कामोत्तेजना ने ले ली!



Computer पर sex scene देख कर भौजी का मुँह खुला का खुला रह गया, वो ये तक भूल गईं की घर पर हमारे इलावा माँ भी मौजूद हैं और वो कभी भी यहाँ आ सकती हैं! अब मैं पहले भी इस तरह छुप कर porn देख चूका था इसलिए मेरी नजर दरवाजे तथा screen दोनों पर थी| इधर भौजी से खड़े हो कर porn देखना मुश्किल हो रहा था इसलिए उन्होंने कुर्सी खींची और मेरी बगल में बैठ कर दिल लगा कर porn video देखने लगीं! दो मिनट बाद video खतम हुई तो भौजी किसी लालची इंसान की तरह बोलीं;

भौजी: दूसरी वाली लगाओ!

भौजी का इस तरह बेसब्र होना देख कर मैं फिर मुस्कुराने लगा! मैंने अगली video चलाई तो वो पहली वाली से भी जबरदस्त थी! भरे-पूरे शरीर वाली एक लड़की एक लड़के के साथ जम कर sex कर रही थी! ये वीडियो देख हम दोनों की उत्तेजना बढ़ने लगी थी, मेरा कामदण्ड अपना प्रगाढ़ रूप ले रहा था और भौजी के मुँह से; "सससस...ससस...ससस" की सिसकारियाँ फूटने लगीं थीं! अगले ही पल भौजी ने मेरा बायाँ हाथ पकड़ कर अपनी जाँघ पर रख दिया और मुझे साडी के ऊपर से अपनी योनि सहलाने का मूक निमंत्रण दिया! मेरा दिमाग उस समय वैसे ही काम नहीं कर रहा था इसलिए मैंने धीरे-धीरे अपनी उँगलियों से साडी के ऊपर से भौजी की योनि की टोह लेना शुरू कर दिया| उधर भौजी ने अपना हाथ मेरे कामदण्ड पर रख दिया और उसे दबाने लगीं! पाजामे के ऊपर से ही सही, 5 साल बाद ये हमारा पहला स्पर्श था! भौजी की उँगलियों ने अपना जादू चलाना शुरू कर दिया था और उनके बस दबाने भर से मैं लगभग अपने चरमोत्कर्ष तक पहुँचने वाला था! मुझे अपनी हद्द पता थी इसलिए मैंने अपने दाहिने हाथ को भौजी के हाथ पर रख कर अपने कामदण्ड पर से हटा दिया! मेरा ऐसा करने से भौजी अवाक हो कर मुझे देखने लगीं, मैंने न में सर हिलाया और गर्दन के इशारे से उन्हें video देखने को कहा| भौजी के चेहरे पर एक नक़ली मुस्कान आई और वो वीडियो देखने लगीं| कुछ पल बाद मैंने अपना बायाँ हाथ भौजी की योनि पर से हटा लिया, मैं जानता था की मेरा उन्हें रोकना बुरा लगा है मगर मैं भी अपने कारणों के आगे मजबूर था!

खैर कुछ देर बाद बच्चों के school से आने का समय हुआ तो भौजी उठ कर खाना बनाने चली गईं| मुझे लगा की आज के बाद भौजी फिर कभी porn नहीं देखना चाहेंगी मगर ऐसा नहीं था, भौजी को porn देखने का चस्का लग चूका था! दोपहर को खाना खाने के बाद बच्चे माँ के पास सो गए, मैं अपना काम ले कर बैठक में बैठा था जब भौजी मेरे पास आ कर बैठीं और हमारे बीच खुसर-फुसर शुरू हुई;

भौजी: जानू आज जो हमने porn देखा आपको उसमें 'मज़ा' आया?

भौजी ने अपनी आँखें गोल घुमाते हुए पुछा| मैं भौजी के सवाल में मौजूद शरारत भाँप गया और मुस्कुराते हुए बोला;

मैं: मज़ा तो आपको आया!

मैंने भौजी को आँख मारते हुए कहा|

भौजी: मुझे तो मज़ा आया ही, लेकिन ये video देख कर मेरे मन में एक सवाल पैदा हो गया!

किसी भी नारी के मन में हमेशा ये जानने की ललक होती है की उसके प्रियतम के मन को क्या भाता है और जब बात sex की आती है तो नारी की जिज्ञासा और बढ़ जाती है! उसे जनना होता है की मर्द को sex में क्या लुभाता है, जैसे जिस्म की बनावट (मोटा-पतला), स्तनों का आकार, पिछाड़ी (गाँड़) का आकार (बड़ी या छोटी), कमर का कटाव आदि! मर्द को कौन सा आसन, कौन सी क्रिया पसंद होती है और क्या वो मर्द की ये इच्छा पूरी कर सकती है या नहीं? कुछ ऐसे ही सवाल भौजी के मन में पैदा हो गए थे और उन्हें मुझसे ये सवाल सीधा-सीधा पूछने में संकोच हो रहा था, आखिर हम बँधे ही ऐसे रिश्तों से थे!



कुछ सेकंड सोचने के बाद भौजी ने बड़ी हिम्मत कर के मुझसे अपना सवाल पूछ ही लिया;

भौजी: जानू आपको video वाली लड़की में क्या अच्छा लगा?

अब अगर हम दोनों की शादी हुई होती तो ये मेरे लिए ‘trick question’ होता, अगर मैं भावना में बहकर उन्हें अपनी पसंद बताने की गलती करता तो मरते दम तक मुझे इसके ताने मारे जाते! लेकिन हमारी शादी नहीं हुई थी और मैं जानता था की अगर मैं भौजी को अपनी पसंद बताने लगा तो वो खुद की तुलना उस लड़की से करने लगेंगी और मेरे उनसे जिस्मानी रिश्ते न बनाने को जोड़ देंगी! बेकार में वो खुद कम आकर्षक आंकेंगी और inferiority complex महसूस करेंगी| मुझे भौजी को आराम से समझना था ताकि वो कभी ये ख्याल अपने मन में न लाएँ की वो किसी भी लड़की से कम हैं;

मैं: मेरी सजनी जी! मैं सिर्फ आपसे प्यार करता हूँ, मेरे मन-मंदिर में केवल आपकी सूरत बसी है! मेरे लिए आप दुनिया की सबसे खूबसूरत नारी हो, आपके आगे किसी दूसरी का क्या मोल? खुद को यूँ किसी दूसरी से मत तौलो, क्योंकि जो आप में है वो उसमें कभी हो ही नहीं सकता और वो है आपका प्यारा सा दिल जो सिर्फ मेरे लिए धड़कता है! मेरे लिए बाहरी खूबसूरती नहीं बल्कि मन की सुंदरता मायने रखती है, इसलिए कभी ऐसा कुछ भी उल्टा-पुल्टा मत सोचना!

मैंने बड़े इत्मीनान से अपनी बात रखी जो भौजी के दिल में उतर गई और वो खुश हो कर मुझे प्यार भरी नजरों से देखने लगीं| अब चूँकि भौजी खुश थीं तो समय था उनसे video देखते समय किये मेरे व्यवहार के लिए माफ़ी माँगने का;

मैं: मैंने उस समय आपके साथ जो व्यवहार किया उसके लिए I'm sorry जान!

भौजी ने मेरे कँधे पर हाथ रख कर मुझे ग्लानि महसूस करने से रोका और सीधा सवाल पूछ डाला;

भौजी: जानू आपको sorry कहने की कोई जर्रूरत नहीं है! मेरा बस आपसे एक सवाल है, आपका 'उसके' (sex के) लिए मना करने का तर्क मैंने मान लिया मगर आपने उस समय मुझे आपके उसको (कामदण्ड को) कपडे के ऊपर से स्पर्श करने से क्यों रोका?

भौजी का सवाल सुन मैंने उन्हें सब सच बताया;

मैं: जान आपके छूने भर से मेरा सब्र जवाब दे जाता और फिर वो हो जाता जिसके लिए मैं आपको मना कर रहा हूँ! हम दोनों का रिश्ता बस इस एक नियम से बँधा है तो प्लीज इस नियम को मत तोड़ो!

मैंने भौजी से विनती की जो उन्होंने 'मेरा मन रखने के लिए मान ली!'

भौजी: ठीक है जानू! हम साथ कुछ करें न करें पर कम से कम साथ porn तो देख ही सकते हैं न? अब please इसके लिए मना मत करना!

भौजी ने हाथ जोड़ते हुए कहा| अब मैं इतना निर्दई तो था नहीं की भौजी को इतनी सी बात के लिए तरसाऊँ इसलिए मैं मुस्कुरा कर हाँ में सर हिला दिया|

हम अभी बात ही कर रहे थे की आयुष उठ कर आ गया और मेरी गोदी में चढ़ गया| अब बच्चों की मौजूदगी में न तो हम porn देख सकते थे न खुसफुसा कर बात कर सकते थे इसलिए भौजी टी.वी. देखने बैठ गईं और मैंने आयुष को लाड करना शुरू कर दिया| शाम को नेहा उठी तो उसने बताया की कल उसकी पहली computer class है, नेहा को computer operate करना नहीं आता था, पहले दिन नेहा की किरकिरी न हो इसलिये मैं दोनों बच्चों को computer सिखाने बैठ गया, मैंने दोनों बच्चों को Computer start करना, turn off करना, Notepad, Wordpad, Microsoft Word की थोड़ी-थोड़ी जानकारी दी| बाकी सब तो नेहा सीख गई मगर नेहा को केवल माउस चलाने में दिक्कत आ रही थी, laser mouse की sensitive होने के कारन नेहा जब क्लिक करती तो click की जगह mouse drag हो जाता| मैंने नेहा को गोद में बिठा कर उसका हाथ पकड़ कर mouse चलाना सिखाया जिससे नेहा का आत्मविश्वास बढ़ने लगा| उधर आयुष का हाथ इतना छोटा था की वो मेरा बड़ा सा mouse चला ही नहीं पाता था| बच्चों को computer चलाना देख भौजी की भी computer सीखने की इच्छा जाग गई और उन्होंने भी बच्चों के साथ computer सीखने की इच्छा जाहिर की;

भौजी: मुझे भी छिखाओ (सिखाओ न?

भौजी ने तुतलाते हुए कहा|

मैं: Computer सीखने की fees लगती है! बच्चे तो मीठी-मीठी fees देते हैं, आप दे पाओगे?

मैंने भौजी को छेड़ते हुए कहा| भौजी ने आयुष की नकल करते हुए मुस्कुरा कर अपना सर हाँ ( :approve: ) में हिलाना शुरू कर दिया|

मैं: फ़ोन वाली किश्त (EMI) तो अभी तक दी नहीं, computer class की fees कब दोगे?!

मैंने भौजी को उल्हाना दिया तो भौजी हँस पड़ीं और बड़े ही नटखट अंदाज में बोलीं;

भौजी: मैंने तो कभी मना नहीं किया, लेकिन आपके पास मेरे लिए टाइम ही कहाँ हैं!

भौजी ने ठंडी आह भरते हुए मुझे दोषी बना दिया!

मैं: अच्छा जी? वक़्त आने दो, असल ब्याज सब वसूल कर लूँगा!

मैंने साहूकार की तरह कहा|

भौजी: हम इंतज़ार करेंगे,

हम इंतज़ार करेंगे,

क़यामत तक

खुदा करे कि क़यामत हो, और तू आए

खुदा करे कि क़यामत हो, और तू आए

हम इंतज़ार करेंगे!

भौजी का गाना गुनगुनाने लगीं| भौजी के गाने में छिपे उनके मन के भाव पढ़ कर मैं मुस्कुराने लगा, वहीं दोनों बच्चों ने तालियाँ बजानी शुरू कर दी!



अगले कुछ दिनों तक मैं समय मिलने पर भौजी और बच्चों को computer चलाना सिखाने लगा, मगर मेरी गैरमजूदगी में computer खराब होने के डर से कोई भी उसे नहीं छूता था, अब भले ही मैं रात को आऊँ पर computer चलता तभी था जब मैं घर पर मौजूद होता था|

वहीं तीन दिनों तक तो भौजी ने porn देखने की अपनी इच्छा को जैसे-तैसे दबा लिया, मगर चौथे दिन उनका सब्र जवाब दे गया| बच्चे स्कूल जा चुके थे और मैं साइट पर निकलने वाला था जब भौजी मेरे कमरे में आईं;

भौजी: जानू, आज 'वो' (porn) देखने का बहुत मन कर रहा है!

भौजी लजाते हुए बोलीं|

मैं: जान अभी काम पर जाना है, ऐसा करते हैं आज lunch करने के लिए मैं थोड़ा जल्दी आ जाऊँगा!

मैंने भौजी को आँख मारते हुए कहा| भौजी मेरा मतलब समझ गईं और शर्माने लगीं| मैं करीब बारह बजे घर पहुँच गया और हम दोनों ने आधा घंटा porn देखा| अब जब कभी हमें समय मिलता हम दोनों साथ बैठ कर porn देखने लगे|



एक दिन तो गजब हो गया, मैं साइट पर architect के साथ काम के बारे में चर्चा कर रहा था जब भौजी ने मुझे अचानक फ़ोन खड़का दिया! मैंने उनका फ़ोन काटा तो भौजी ने फिर फ़ोन खड़का दिया, मैंने दूसरी बार उनका फ़ोन काटा मगर भौजी ने तीसरी बार फिर फ़ोन खड़का दिया! मैंने architect को "excuse me" कहा और एक तरफ जा कर भौजी का फ़ोन उठाया;

भौजी: जानू, जल्दी से घर आ जाओ! माँ पड़ोस में गईं हैं और घर में कोई नहीं है तो हम आराम से 'वो' (porn) देख सकते हैं!

भौजी ख़ुशी से चहकते हुए बोलीं| मैंने अपना सर पीट लिया, एक बार को तो मन किया की उन्हें झाड़ दूँ पर उनकी इस हरकत पर मुझे प्यार आने लगा था!

मैं: मैं अभी एक meeting में हूँ, बाद में बात करता हूँ!

इतना कह मैंने फोन काट दिया|

शाम को जब मैं घर पहुँचा तो भौजी मुँह फुलाये घूम रहीं थीं, मैंने चुपके से उन्हें मेरे कमरे में आने का इशारा किया और अपने कमरे में आ गया| भौजी गिलास में पानी ले कर मेरे पास आईं, उनका मुँह अब भी फूला हुआ था| मैंने गिलास टेबल पर रखा और भौजी को अपने सीने से लगा लिया, भौजी अपना झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाते हुए मुझसे अलग हो कर बाहर जाने लगीं| मैंने भौजी का हाथ पकड़ा और झटका दे कर उन्हें अपनी ओर खींचा| भौजी आ कर मेरे सीने से आ लगीं, मैंने उनके सर को चूमा और बोला;

मैं: जान porn देखने के लिए मैं इस तरह काम छोड़ कर नहीं आ सकता न?!

ये सुन भौजी अपना नीचला होंठ फुलाते हुए बोलीं;

भौजी: एक तो शौक है मेरा और वो भी आप......

भौजी आगे कुछ कहतीं उससे पहले ही मैंने गप्प से उनके निचले होंठ को अपने मुख में भर लिया और उसका रस पीने लगा| जैसे ही मैंने भौजी के निचले होंठ को अपने मुख में लिया भौजी निढाल हो गईं और उनके जिस्म का सारा बोझ मेरे शरीर पर आ गया!



बच्चे और माँ घर पर थे इसलिए मैंने ये चुंबन कुछ पलों में ही तोड़ दिया, लेकिन इन कुछ पलों में ही भौजी का जिस्म थरथरा गया था! उनकी सांसें तेज हो चली थीं और उत्तेजना उन पर लगभग सवार हो ही चुकी थी!

मैं: चलो आज आपसे पहली किश्त ले ही ली मैंने!

मैंने अपनी होठों पर जीभ फिराते हुए कहा|

भौजी: ठीक से कहाँ ली?

भौजी शिकायत करते हुए बोलीं!

मैं: किश्त ली न, 'ब्याज' थोड़े ही लिया?!

मैंने भौजी को आँख मारते हुए कहा| इससे पहले की भौजी हम इंतजार करेंगे कह कर उल्हाना देतीं मैंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा;

मैं: अपना फ़ोन लाओ!

भौजी अपना फ़ोन ले आईं| मैंने उन्हें अपने बराबर बिठाया और फ़ोन में VPN चलाते हुए porn देखना सीखा दिया|

मैं: जब मैं घर पर न हूँ और आपका मन हो porn देखने का तो ऐसे देख लेना!

फ़ोन में porn देखने से भौजी खुश तो हुईं मगर मेरा बिना देखने का उनका मन नहीं था!

भौजी: आपके बिना मन नहीं करेगा?

भौजी उदास होते हुए बोलीं|

मैं: जान मैंने कहा की ‘जब मैं घर पर न हूँ और आपका मन हो तब’, वरना तो हम साथ ही देखेंगे! लेकिन ध्यान रखना की कोई आपको porn देखते हुए देख न ले!

भौजी मेरी बात मन गईं और जब कभी मैं घर नहीं होता और उनका मन porn देखने का होता था तो वो छुपके porn देखने लगीं!




जारी रहेगा भाग - 19 में...
yeh sahi hain internet kee lat lag gayee bhaujee ko, ab yeh porn ka chaska hain hi aisa ek baar lag jaye aasani se nahin chhutta hain.
waise bhaujee mein nayee cheej seekhne kee lalak bahut hain chahe wo mobile ho computer ho ya phir english ke naye words seekhna.
kabhi-kabhi bachhe rang mein bhang daal dete hain lekin kya kare wo bhi abhinn ang hain jivan ke, is jaddojah mein toh maza hain chhupke-chhupke kuchh karne ka.

aaj ke is episode ko computer ka gyan naam de dete to bdhiya tha:respekt::respekt::respekt::respekt:.
 

Naik

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तेईसवाँ अध्याय: अभिलाषित प्रेम बन्धन
भाग - 12



अब तक आपने पढ़ा:


मैं भी मौका पा कर माँ के साथ हो लिया और फिर से भौजी को घूर कर देखने लगा ताकि वो फिल्म देखने के लिए तैयार हो जाएँ, मगर भौजी माँ की ख़ुशी चाहतीं थीं इसलिए वो अपनी बात से टस से मस नहीं हुईं;

भौजी: नहीं माँ, आज तो आप और मैं साडी ही खरीदेंगे|

भौजी मुस्कुराते हुए बोलीं| माँ को साडी खरीदने के लिए साथी मिल गया था इसलिए उन्होंने दुबारा भौजी को फिल्म देखने जाने के लिए नहीं कहा और इधर मेरे मूड की 'लग' चुकी थी!



अब आगे:


अब
मरता क्या ना करता, बच्चों से फिल्म दिखाने का वादा जो किया था| मैं उठा और बच्चों को लेने चल दिया, school van से उतरते ही मुझसे लिपट गए तथा फिल्म देखने जाने का शोर मचाने लगे! मैंने दोनों बच्चों को गोद में उठाया और घर की ओर चल पड़ा, रास्ते में नेहा ने फिर से आयुष को गाँव में मेरे साथ देखि फिल्म के बारे में बताना शुरू कर दिया| हैरानी की बात ये थी की आयुष जब भी वो बातें सुनता था तो ख़ुशी से तालियाँ बजाने लगता था, जैसे हर बार उसे ये बात सुनने में मजा आता हो!

घर पहुँच कर भौजी ने दोनों बच्चों को तैयार किया और उन्हें समझाने लगीं;

भौजी: बेटा बाहर है न पापा को तंग मत करना और कुछ खाने-पीने की बेकार जिद्द मत करना!

मैं कमरे में अपना पर्स लेने आया था, मैंने भौजी की बात सुन ली और उन्हें टोकते हुए बोला;

मैं: क्यों जिद्द नहीं करना? मेरे बच्चे हैं, वो जो चाहेंगे वो खाएँगे-पीयेंगे!

मेरा यूँ बच्चों के ऊपर हक़ जताना भौजी को अच्छा लगता था, लेकिन आज मेरा भौजी को टोकने का कारन कुछ और था! मैं उन्हें मेरा plan चौपट करने के लिए उलहाना देना चाह रहा था, जो की शायद भौजी समझ चुकी थीं तभी तो उनके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी!



तैयार हो कर बाप-बेटा-बेटी घर से निकले, अभी हम गली में थे जब आयुष चहकते हुए बोला;

आयुष: पापा जी आज भी हम गाडी में जाएँगे?

जिस भोलेपन से आयुष ने पुछा था मुझे उस पर प्यार आ गया और मैंने उसे गोद में उठा लिया|

मैं: हाँ जी बेटा!

गाडी में घूमने के नाम से दोनों बच्चों ने शोर मचाना शुरू कर दिया| जब हम गाडी के पास पहुँचे तो इस बार दोनों बच्चों ने आगे बैठने के लिए लड़ाई नहीं की बल्कि नेहा ने बड़ी बहन बनते हुए अपना बड़प्पन दिखाया और बोली;

नेहा: आयुष तू अभी आगे बैठ जा वापसी में मैं बैठ जाऊँगी!

पहले आगे बैठने की बात से आयुष खुश हो गया और फ़ट से आगे बैठ गया| हम तीनों mall पहुँचे और escalators से होते हुए theatre में घुसे| Theatre में घुसते ही दोनों बच्चों की नजर सबसे पहले food counter पर पड़ी, खाने-पीने की चीज देख कर दोनों बच्चे ललचा गए मगर मुझसे कुछ नहीं बोले| आयुष चूँकि छोटा था तो उसने हिम्मत कर के खाने के लिए कुछ माँगना चाहा, लेकिन तभी नेहा ने उसका हाथ दबा कर चुप रहने को कहा, मैंने दोनों भाई-बहन की हरकत पकड़ ली थी इसलिए मैं दोनों के सामने एक घुटना मोड़ कर बैठा और उन्हें समझाते हुए बोला;

मैं: बेटा मैं आपका पापा हूँ, आपको अगर कुछ खाना होता है, कहीं घूमना होता है, कुछ खरीदना होता है तो मुझसे माँगना आप दोनों का हक़ है! आपकी माँग जायज है या नहीं, या फिर मैं उसे पूरा कर सकता हूँ या नहीं इसका फैसला मैं करूँगा! Okay?

ये सुन कर दोनों बच्चों के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई!

मैं: अब बताओ आप दोनों को क्या खाना है?

इतना सुनना था की आयुष ने फ़ौरन popcorn की ओर इशारा कर दिया और नेहा ने cold drink की ओर| मैंने दोनों को popcorn और cold drink खरीद कर दी तथा उन्हें ले कर auditorium खुलने तक बाहर बैठ गया| दोनों बच्चे बारी-बारी मुझे खिलाते और फिर खुद खाते, मैंने दोनों बच्चों को multiplex के बारे में बताना शुरू किया| एक साथ 4 अलग-अलग फिल्में 4 auditorium में चलने के नाम से दोनों बच्चे अचंभित थे और उन्हें लग रहा था की हम किसी भी auditorium में घुस कर फिल्म देख सकते हैं| मैंने उन्हें समझाया की हमने जिस फिल्म की टिकट ली है हम बस उसी auditorium में जा सकते हैं|

खैर 5 मिनट बाद मैं दोनों को ले कर auditorium में घुसा, हमारी सीट सबसे ऊपर थी तो मैंने दोनों बच्चों को सम्भल कर सीढ़ी चढ़ने को कहा| लेकिन इतना बड़ा auditorium देख कर दोनों बच्चों का ध्यान वहीं लगा हुआ था, ऊपर से screen पर advertisement चल रहे थे तो बच्चे खड़े हो कर बड़े चाव से screen देख रहे थे! मैंने दोनों को गोद में उठाया और हमारी सीट तक ले आया| हमारी सीट शुरू में ही थी इसलिए मैंने दोनों बच्चों को गोदी से उतारा, मैं बीच वाली सीट में बैठा और बच्चों को अपनी अगल-बगल वाली सीट पर बिठाया| दोनों बच्चों की नजरें screen पर टिकी थीं, बच्चों के लिए ये अनुभव नया था और मैं ख़ामोशी से उन्हें इस अनुभव का आनंद लेते हुए देख रहा था| कुछ देर बाद नेहा मुस्कुराते हुए मुझसे बोली;

नेहा: पापा जी ये सिनेमा तो गाँव वाले से बहुत-बहुत अच्छा है! यहाँ AC है, मुलायम कुर्सी है, कितने सारे लोग हैं और पर्दा भी कितना साफ़ है!

नेहा की ख़ुशी उसकी बातों से झलक रही थी, मैंने उसके सर पर हाथ फेरा और बोला;

मैं: बेटा वो गाँव देहात है, वहाँ इतनी सहूलतें नहीं हैं और न ही वहाँ कोई पैसा खर्चा करता है!

नेहा को मेरी बात कुछ-कुछ समझ आई और वो मुस्कुराते हुए पॉपकॉर्न खाने लगी| इधर आयुष ने मुझे popcorn खिलाना चाहा और उधर नेहा ने मुझे cold drink पीने के लिए दी!



फिल्म शुरू हुई और दोनों बच्चे बड़े चाव से फिल्म देखने लगे, आयुष आज पहलीबार फिल्म देख रहा था तो उसके मन में बहुत सारे सवाल थे जैसे की हीरो कौन है, हीरोइन कौन है, वो दादाजी कौन हैं आदि! आयुष के बार-बार सवाल पूछने से नेहा परेशान हो रही थी इसलिए उसने चिढ़ते हुए आयुष को डाँटा;

नेहा: तू चुप-चाप फिल्म देख मैं बाद में तुझे बताऊँगी!

बहन की डाँट खा कर आयुष खामोश हो गया| मैंने आयुष को अपनी गोद में बिठाया और उसके सर को चूम कर खुसफुसाते हुए सब समझाने लगा| नेहा का ध्यान फिल्म पर था इसलिए उसे बाप-बेटे की बातों का पता नहीं चला था| फिल्म में जब गाना आया तो नेहा ने अपनी प्यारी सी आवाज में वो गाना गुनगुनाना शुरू कर दिया| मैंने जब नेहा का गुनगुनाना सुना तो मुझे नेहा पर भी बहुत प्यार आया और मैने नेहा के सर पर हाथ रख दिया, नेहा ने मेरी तरफ देखा और शर्मा कर खामोश हो गई! मैंने अपना हाथ नेहा के कँधे पर रखा और उसका सर अपने बाजू से टिका लिया| अब मैं कभी आयुष का सर चूमता तो कभी नेहा का! इसी तरह प्रेम से हम बाप-बेटा-बेटी ने फिल्म देखि, फिल्म खत्म हुई तो बच्चों को आज कुछ ख़ास खिलाने का मन था| मैंने आज उन्हें Al-bake का पनीर शवरमा खिलाना था, हालाँकि मैं चिकन शवरमा खाना चाहता था मगर बच्चों को non-veg नहीं खिलाना चाहता था इसलिए मैंने पनीर शवर्मा मँगाया| जब बच्चों ने शवरमा खाया तो दोनों बच्चे एक साथ ख़ुशी-ख़ुशी अपना सर दाएँ-बाएँ हिलाने लगे!



खाना खा कर हम घर की ओर निकले, नेहा आगे बैठी थी और उसने रेडियो पर गाना लगा लिया| ये गाना दोनों बच्चों को आता था तो दोनों एक साथ गाना-गाने लगे, दोनों का गाना सुन कर मेरा मन प्रफुल्लित हो उठा और मैं भी दोनों बच्चों के साथ गाने लगा! बच्चों को अपने पापा का साथ मिला तो दोनों जोश में आ गाये, फिर क्या था घर आने तक दोनों बच्चों ने गाडी में जो उधम मचाया की क्या कहूँ?!

आठ बजे मैं नेहा को पीठ पर और आयुष को गोद में ले कर दाखिल हुआ, उस समय घर में सब मौजूद थे बस एक चन्दर था जो आज नॉएडा वाली साइट पर overtime देख रहा था| दोनों बच्चों को चहकते हुए देख पिताजी मुस्कुराते हुए बोले;

पिताजी: अरे वाह भई! घुम्मी करके आ रहे हो सब?!

पिताजी की बात सुन दोनों बच्चे दौड़ कर उनके पास गए और उनके पाँव छुए| मैं पिताजी के सामने बैठ गया, नेहा कूदती हुई मेरे पास आई और मेरी गोदी में बैठ गई| अब आयुष ने अपनी भोली सी भाषा में पिताजी को फिल्म की कहानी सुनानी शुरू की;

आयुष: दादा जी….हम ने न....फिल्म देखि! उसमें न ...वो सीन था जब.....!

आयुष अपनी टूटी-फूटी भाषा में फिल्म की कहानी सुना रहा था, मुझे उसका कहानी सुनाने का ढँग बहुत मजेदार लग रहा था और मैं बड़े प्यार से उसे कहानी सुनाते हुए देख रहा था| नेहा जो मेरी गोद में बैठी थी, वो बार-बार आयुष को टोक कर फिल्म की कहानी ठीक कर रही थी| दोनों बच्चों को इस तरह जुगलबंदी करते देख मुझे बहुत आनंद आ रहा था, इतना आनंद की मैं भौजी के मेरा plan चौपट करने वाली बात को भूल चूका था| उधर भौजी रसोई में खड़ीं खाना बनाते हुए घूंघट की आड़ से मुझे देख रहीं थीं और मुस्कुरा रहीं थी| वो अपने फिल्म देखने न जा पाने से बिलकुल दुखी नहीं थीं, बल्कि मुझे बच्चों के साथ भेज कर उन्हें बड़ा गर्व महसूस हो रहा था|



कुछ पल बाद जब मैंने भौजी की ओर देखा तो उन्हें खुश देख मैं उनके मन के भाव समझ गया| उनका यूँ माँ के साथ समय बिताना और मुझे बच्चों के साथ भेज देना मेरे पल्ले पड़ चूका था| दोपहर में भौजी का मेरे साथ न जाने से जो मूड खराब हुआ था वो अब ठीक हो चूका था और अब मुझे उनपर थोड़ा-थोड़ा प्यार आने लगा था|

रात के खाने के बाद भौजी मेरे कमरे में आईं, बच्चे पलंग पर बैठे आपस में खेल रहे थे और मैं बाथरूम से निकला था;

भौजी: Sorry जानू!!!

भौजी कान पकड़ते हुए किसी बच्चे की भाँती भोलेपन से बोलीं|

मैं: अब आपको सब को खुश रखना है तो रखो खुश!

मैंने भौजी को उल्हाना देते हुए कहा| मैं उनसे नाराज नहीं था बस उन्हें jeans-top पहने हुए न देखपाने का दर्द जताना चाहता था!

भौजी: अच्छा बाबा, कल हम पक्का फिल्म देखने चलेंगे!

भौजी मुझे मनाने के लिए प्यार दिखते हुए बोलीं|

मैं: अच्छा? और मैं रोज-रोज माँ को क्या बोलूँगा? कल बच्चों को फिल्म दिखाई थी और आज आपको अकेले फिल्म दिखाने ले जा रहा हूँ?

मैंने भौजी से शिकायत करते हुए कहा|

भौजी: तो फिर कभी चलेंगे|

भौजी ने मेरी बात को हलके में लेते हुए कहा|

मैं: और वो कपडे कब पहनके दिखाओगे?

भौजी मेरे दिल की तड़प नहीं पढ़ पा रहीं थीं, इसलिए मैंने अपने दिल की बात उनके सामने रखते हुआ कहा|

भौजी: अभी थोड़ी देर बाद!

भौजी एकदम से बोलीं!

मैं: मजाक मत करो!?

मैंने भौजी को थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा|

भौजी: सच जानू! आज आपके भैया देर से आएंगे, तो.....that means we’ve plenty of time together!

भौजी मुझे आँख मारते हुए बोलीं!

मैं: ठीक है! लेकिन इस बार आपने कुछ किया ना तो मैं आपसे बात नहीं करूँगा!

मैंने भौजी को डराते हुए कहा|

भौजी: नहीं बाबा! आज पक्का!

भौजी ने मुस्कुराते हुए कहा| भौजी को jeans-top में देखने के नाम से मेरा दिल रोमाँच से भर उठा था!



चलो भई आज रात का सीन तो पक्का हो गया था, अब मुझे सीन के लिए झूठ बोलने की तैयारी करनी थी| मैंने दिषु को फोन किया और उसे बड़े उत्साह से अपना प्लान समझा दिया, मेरा उत्साह सुन दिषु बस हँसे जा रहा था! वहीं भौजी ने जब मेरी planning सुनी तो वो भी मुस्कुराने लगीं!

मैंने जल्दी से भौजी को उनके घर भेज दिया और बच्चों को सुलाने लगा, आज की धमाचौकड़ी के बाद बच्चे थक गए थे इसलिए उन्हें सुलाना ज्यादा मुश्किल नहीं था| बच्चों को सुला कर मैं माँ के साथ बैठ कर टी.वी. देखने लगा, जैसे ही घडी में दस बजे दिषु ने मेरा फ़ोन खड़का दिया| मैंने माँ के पास बैठे-बैठे ही फ़ोन उठा लिया और माँ सुन लें इतनी तेज आवाज में उससे बात करने लगा;

मैं: हेल्लो?!

दिषु: भाई तेरी मदद चाहिए!

मैंने पहले ही फ़ोन की आवाज तेज कर दी थी, जिससे जब मैं दिषु से बात करूँ तो माँ उसकी बात सुन लें और उनके मन में कोई शक न रहे|

मैं: क्या हुआ? तू घबराया हुआ क्यों है?

मेरी बात सुन माँ हैरान हो गई, उन्होंने टी.वी. की आवाज बंद की और मेरी बातें ध्यान से सुनने लगीं|

दिषु: यार मेरे चाचा के लड़के का एक्सीडेंट हो गया है, उसकी मोटर साइकिल disbalance हो गई और उसके पाँव में चोट आई है, तू फटाफट trauma center पहुँच!

दिषु की बात सुन मैंने घबराने की बेजोड़ acting की और बोला;

मैं: मैं अभी आ रहा हूँ!

मैंने फ़ोन काटा और माँ की तसल्ली के लिए उन्हें एक बार फिर सारी बात बता दी| बहाना जबरदस्त था और माँ ने जाने से बिलकुल मना नहीं किया, मैं जिस हालत में था उसी हालत में गाडी की चाभी ले कर निकल गया| कपडे बदलने लगता तो हो सकता था की माँ पिताजी को बात बता दें, मैंने गाडी निकाली तथा कुछ दूरी पर underground parking में खड़ी की ताकि अगर पिताजी बाहर निकलें तो गाडी खड़ी देख कर शक न करें| Parking से निकल कर मैं भागता हुआ भौजी के घर पहुँचा और बेसब्र होते हुए दरवाजा खटखटाने लगा|


जारी रहेगा भाग - 13 में...
Bahot shaandar mazedaar lajawab mazedaar update Manu bhai
 
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