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Adultery तेरे प्यार में .....

Napster

Well-Known Member
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#15

कहते है की दुनिया में सबसे प्यारा नाता भाई-बहन का होता है . चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाये पर भाई बहन कभी एक दुसरे को नहीं भूल सकते. कांपते हाथो से निशा ने अपने भाई के माथे को चूमा

“अन्दर चलो दीदी ” नकुल ने कहा

निशा- तुझे देख लिया बस बहुत है मेरे लिए ,

नकुल- दीदी आज का दिन बहुत खास है, मेरे लिए ही सही अन्दर तो चलो. इतने सालो बाद मेरी दीदी घर आई है मुझे स्वागत तो करने दो

“अरे नकुल कैसा हल्ला हो रहा है बाहर ” तभी निशा की मम्मी चबूतरे पर आयी उसकी नजरे निशा पर ठहर सी गयी थी माँ बेटी बस एक दुसरे को देखे ही जा रही थी.

“मेरी बच्ची ” निशा की माँ ने उसकी बलाइया ली.

“खुश तो हो न तुम लोग ” माँ ने मुझसे कहा

मैं- जी

निशा- कबीर, ये तूने ठीक नहीं किया. जानते हुए भी तू मुझे यहाँ लेकर आया

मैं- यहाँ नहीं आएगी तो कहाँ जाएगी , तेरा घर है .

निशा- ये जानते हुए भी की इसी चोखट पर क्या हुआ था

मैं- तूने ही कहा था न की बात करने से बात बनती है तो बात कर लेते है . नकुल की कलाई आज सूनी तो रहेगी नहीं तू अन्दर जा न जा तेरी मर्जी पर राखी जरुर बाँध इसे. हमारे भाग के दुःख हम इसे तो नहीं दे सकते न, इसका हक़ है ये हक़दार है तेरी राखी का. ये तेरी माँ है दो घडी बात कर ले इस से फिर अपन चल ही देंगे इधर से. हम यहाँ किसी को सफाई देने नहीं आये है , ना मैं कुछ भुला हु .मेरी बस इतनी इच्छा है की एक बहन भाई को राखी जरुर बांधे.

निशा- कबीर , इतना विष भी मत पी लेना की संभले न

मैं- जब तक मेरी सरकार मेरे साथ है मुझे ज़माने की परवाह ना थी ना है ना आगे होगी.

निशा ने नकुल को राखी बाँधी तो बहुत खुश हो गया वो .

“तेरी जिद है बेटी तो तू अन्दर मत आ, पर बेटी- जंवाई आये है तो मुझे दो घडी का इतना हक़ तो दे की मैं जी भर कर देख सकू , क्या मालूम तू कब आएगी. फिर ” माँ ने कहा

निशा कुछ कहती उस से पहले ही मैं बोल पड़ा- माँ, अभी तक हमने शादी नहीं की है . ना ही हम साथ थे, तेरी बेटी बड़ी पुलिस अधिकारी बन गयी है . संजोग ये है की एक बार फिर इस दर पर हम साथ आये है , तेरी बेटी बहुत खुद्दार है , मुझसे ज्यादा इसे बाप की पगड़ी की चिंता है , ज़माने में चाहे सब ये कहे की भाग गयी तेरी बेटी पर माँ सच ये है की आज भी इसे ठाकुर साहब की हाँ का इंतजार है .

“कबीर चल यहाँ से ” निशा ने मेरी बांह पकड़ ली .

मैं- दो बात माँ से कर लू फिर चलते है . माँ, हमेशा गर्व करना जो तुझे ऐसी बेटी मिली. इसने कोई गुनाह नहीं किया, इसकी बस इतनी इच्छा थी की ये अपने पसंदीदा मर्द से शादी करे. ठाकुर साहब कभी न कभी तो समझेंगे इस बात को . मैं सिर्फ नकुल की इच्छा के लिए आया था अब हमें जाना होगा ठाकुर साहब को मालूम होगा तो फिर त्यौहार का रंग फीका हो जायेगा.

मैंने माँ के पांवो में सर रखा और बोला- दुआ देना, इसी चौखट से ज़माने के सामने ले जाऊ अपनी सरकार को .

माँ की भीगे पलके मेरे सीने में दर्द पैदा कर गयी. वापिसी में दिल साला बहुत भारी हो रहा था .

“ठेके पर चल ” निशा ने बिना आँखे खोले कहा . एक के बाद एक बोतले खुलती चली गयी. कभी वो हंसती कभी रोती . परिवार किसी भी इन्सान की शक्ति होती है, मैंने अपने परिवार को खोया अपने कर्मो की वजह से, निशा ने घर छोड़ा मेरी वजह से . नशे में निशा ने अपने तमाम दर्द को ब्यान कर दिया. मैं धैर्यपूर्वक उसे सुनता रहा . वापिसी में गाड़ी मैंने चाचा के घर के पास रोक दी, मेरी कलाई को पूरा विशवास था की छोटी जरुर आएगी राखी बंधने पर शाम रात में बदल गई वो ना आई. उस भाई का क्या ही जीना जिसे उसकी बहन भुला दे. अपना हाल कहे भी तो किसे सो एक बोतल और खोल ली .

“हवेली चलेगी क्या ” मैंने उस से कहा

“ नहीं, फिलहाल मैं बस सोना चाहती हु ” निशा ने कहा तो मैंने उसे बिस्तर पर जाने दिया. मंजू न जाने कहा गयी हुई थी. मैंने दरवाजे को हल्का सा बंद किया और चबूतरे पर बैठ गया. कडवा पानी सीने में जलन पैदा कर रहा था पर अपना दर्द कहे भी तो किस से सुनने वाला कौन ही था . जिसे भी कहना चाहे वो हमसे ज्यादा दुखी था.

“अरे कबीर इधर क्यों बैठा है ” मंजू ने आते हुए पुछा.

मैं- बस ऐसे ही , मन थोडा विचलित था छोटी आई नहीं राखी बंधने

मंजू- माँ चुदाय न आई तो . जब उसे ही परवाह नहीं तू भी छोड़ इन झमेलों को . ये दुनिया वैसी नहीं कबीर जैसी हमने किताबो में पढ़ी थी . यहाँ हर कोई जानवर है , हर कोई शिकार है . जब तक उनको तेरी जरुरत थी तब तक ठीक था . माल माल सब ले गया चाचा तेरा , क्या छोड़ा है तेरे लिए जाके पूछ तो सही . तेरे पिता की मौत के बाद बीमे के सारे पैसे खा गया वो . कितना कुछ दबा क्या तब उन्हें तेरी याद ना आई अब क्या घंटा याद करेंगे वो.

मैं- बात रूपये पैसे की तो है ही नहीं

मंजू- तो फिर क्या बात है .गलती अकेले तेरी तो नहीं थी चाची भी तो बराबर की गुनेहगार थी .

मैं- सुन मैं हवेली जा रहा हूँ अन्दर निशा सोयी पड़ी है. दारू ज्यादा खींची है उसने थोडा देख लेना . मैं थोड़ी देर में आऊंगा

मंजू- अब इस वक्त क्या करेगा तू उधर जाके

मैं- बैग उधर है मेरा बस अभी गया और यूँ आया.

मैंने उसके गाल पर पप्पी ली और हवेली की तरफ चल दिया. बहनचोद गाँव के सरपंच से मिलना पड़ेगा हमारे घर वाले रस्ते पर साली एक भी लाइट नहीं थी .ऊपर से बारिश में कीचड वाला रास्ता , जैसे तैसे मैं दरवाजे तक पहुंचा और मैं चौंक गया दरवाजे को मैं बंद करके गया था जबकि अब उसका पल्ला खुला था , खैर मैं अन्दर गया तो लालटेन की रौशनी थी जो मेरे कमरे से आ रही थी

“तो तुम हो यहाँ ” मैंने जैसे ही कहा उसके चेहरे का रंग बदल गया................
बहुत ही खुबसुरत लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
कबीर के कहने पर निशा ने अपने भाई नकुल को राखी बांध कर उसे खुश कर दिया साथ में माँ से भी बात करवा दी और ये भी बता दिया की उन दोनों की शादी नहीं हुई और ठाकुर के आशिर्वाद की राह रहेगी वैसे कबीर नकुल जैसा खुशनसीब नहीं था राह देखने के बाद भी छोटी बहन घर बाहर नहीं आयी
ये हवेली में कौन मिल गया कबीर को
नशे में टुन्न निशा और कबीर मंजू के घर आ गये
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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मुद्दत गुज़र गयी कि यह आलम है
मुस्तक़िल
कोई सबब नहीं है मगर दिल उदास है,.,!!!

भाई जिंदगी किसी के लिए नहीं रुकती, भले ही वह हमारा कितना भी अजीज ही क्यों ना हो । लेखन एक ऐसा कौशल है जो हमारी भावनाओं को शब्दों का रूप देता है और आपके शब्दों मुझे कुछ ना पाने का मलाल दिखता है।
बहुत बार कहानियों के लिए हमें प्रेरणा हमारी निजी जिंदगी और अधूरी ख्वाहिशों से ही मिलती है।
आपकी कहानी बहुत अच्छी है।
अगले अपडेट की प्रतीक्षा रहेगी।।।
मैंने हमेशा से ही ये कहा है कि कहानिया हमारे आसपास ही होती है, हमारी गली मोहल्ले मे ही बस नजर चाहिए देखने की
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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बहुत ही शानदार अपडेट भाई कहानी एक दम सही जा रही है... किरदार स्थापित होते जा रहे हैं... लगता है एकाध अपडेट के बाद ताई की बजाई जा सकती है... बिल्कुल धीमें ज़हर की तरह कहानी खुल कर आ रही है अतीत के पन्नों से धूल हट रही है...
हाँ सही सोचा है आपने
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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To Kya kabir ne tai ki bhi bajayi hai ?
chalo ghar me koi to hai jo kabir ko manta hai

Aur nisha ke ghar wale bhi sayad naraj hi honge
kyunki unhe bhi yahi laga ki nisha-kabir bhag ke sadi kiye hai


Fantastic Updates
waiting for more
कबीर का अतीत कई रंग छुपाये हुए है. निशा अपने द्वन्द मे फंसी है एक तरफ प्रेम एक तरफ पिता
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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कातिलों में ज़मीर ढूढेंगे
क्या महल में कबीर ढूंढेंगे
खेल ऐसा भी एक दिन होगा
सारे पैदल वज़ीर ढूँढेंगे ,.,!!!

एक भाई का बहन से मिलन और मां का अपनी बेटी के लिए प्रेम और इन सबके बीच कबीर की खुद्दारी।
कबीर का व्यक्तित्व ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है।
खूबसूरत अपडेट भाई, आगे भी अपेक्षाएं बढ़ती रहेगी।
अगले भाग से कहानी अतीत की तरफ जा सकती है संभावना बन रही है
 

park

Well-Known Member
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कहते है की दुनिया में सबसे प्यारा नाता भाई-बहन का होता है . चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाये पर भाई बहन कभी एक दुसरे को नहीं भूल सकते. कांपते हाथो से निशा ने अपने भाई के माथे को चूमा

“अन्दर चलो दीदी ” नकुल ने कहा

निशा- तुझे देख लिया बस बहुत है मेरे लिए ,

नकुल- दीदी आज का दिन बहुत खास है, मेरे लिए ही सही अन्दर तो चलो. इतने सालो बाद मेरी दीदी घर आई है मुझे स्वागत तो करने दो

“अरे नकुल कैसा हल्ला हो रहा है बाहर ” तभी निशा की मम्मी चबूतरे पर आयी उसकी नजरे निशा पर ठहर सी गयी थी माँ बेटी बस एक दुसरे को देखे ही जा रही थी.

“मेरी बच्ची ” निशा की माँ ने उसकी बलाइया ली.

“खुश तो हो न तुम लोग ” माँ ने मुझसे कहा

मैं- जी

निशा- कबीर, ये तूने ठीक नहीं किया. जानते हुए भी तू मुझे यहाँ लेकर आया

मैं- यहाँ नहीं आएगी तो कहाँ जाएगी , तेरा घर है .

निशा- ये जानते हुए भी की इसी चोखट पर क्या हुआ था

मैं- तूने ही कहा था न की बात करने से बात बनती है तो बात कर लेते है . नकुल की कलाई आज सूनी तो रहेगी नहीं तू अन्दर जा न जा तेरी मर्जी पर राखी जरुर बाँध इसे. हमारे भाग के दुःख हम इसे तो नहीं दे सकते न, इसका हक़ है ये हक़दार है तेरी राखी का. ये तेरी माँ है दो घडी बात कर ले इस से फिर अपन चल ही देंगे इधर से. हम यहाँ किसी को सफाई देने नहीं आये है , ना मैं कुछ भुला हु .मेरी बस इतनी इच्छा है की एक बहन भाई को राखी जरुर बांधे.

निशा- कबीर , इतना विष भी मत पी लेना की संभले न

मैं- जब तक मेरी सरकार मेरे साथ है मुझे ज़माने की परवाह ना थी ना है ना आगे होगी.

निशा ने नकुल को राखी बाँधी तो बहुत खुश हो गया वो .

“तेरी जिद है बेटी तो तू अन्दर मत आ, पर बेटी- जंवाई आये है तो मुझे दो घडी का इतना हक़ तो दे की मैं जी भर कर देख सकू , क्या मालूम तू कब आएगी. फिर ” माँ ने कहा

निशा कुछ कहती उस से पहले ही मैं बोल पड़ा- माँ, अभी तक हमने शादी नहीं की है . ना ही हम साथ थे, तेरी बेटी बड़ी पुलिस अधिकारी बन गयी है . संजोग ये है की एक बार फिर इस दर पर हम साथ आये है , तेरी बेटी बहुत खुद्दार है , मुझसे ज्यादा इसे बाप की पगड़ी की चिंता है , ज़माने में चाहे सब ये कहे की भाग गयी तेरी बेटी पर माँ सच ये है की आज भी इसे ठाकुर साहब की हाँ का इंतजार है .

“कबीर चल यहाँ से ” निशा ने मेरी बांह पकड़ ली .

मैं- दो बात माँ से कर लू फिर चलते है . माँ, हमेशा गर्व करना जो तुझे ऐसी बेटी मिली. इसने कोई गुनाह नहीं किया, इसकी बस इतनी इच्छा थी की ये अपने पसंदीदा मर्द से शादी करे. ठाकुर साहब कभी न कभी तो समझेंगे इस बात को . मैं सिर्फ नकुल की इच्छा के लिए आया था अब हमें जाना होगा ठाकुर साहब को मालूम होगा तो फिर त्यौहार का रंग फीका हो जायेगा.

मैंने माँ के पांवो में सर रखा और बोला- दुआ देना, इसी चौखट से ज़माने के सामने ले जाऊ अपनी सरकार को .

माँ की भीगे पलके मेरे सीने में दर्द पैदा कर गयी. वापिसी में दिल साला बहुत भारी हो रहा था .

“ठेके पर चल ” निशा ने बिना आँखे खोले कहा . एक के बाद एक बोतले खुलती चली गयी. कभी वो हंसती कभी रोती . परिवार किसी भी इन्सान की शक्ति होती है, मैंने अपने परिवार को खोया अपने कर्मो की वजह से, निशा ने घर छोड़ा मेरी वजह से . नशे में निशा ने अपने तमाम दर्द को ब्यान कर दिया. मैं धैर्यपूर्वक उसे सुनता रहा . वापिसी में गाड़ी मैंने चाचा के घर के पास रोक दी, मेरी कलाई को पूरा विशवास था की छोटी जरुर आएगी राखी बंधने पर शाम रात में बदल गई वो ना आई. उस भाई का क्या ही जीना जिसे उसकी बहन भुला दे. अपना हाल कहे भी तो किसे सो एक बोतल और खोल ली .

“हवेली चलेगी क्या ” मैंने उस से कहा

“ नहीं, फिलहाल मैं बस सोना चाहती हु ” निशा ने कहा तो मैंने उसे बिस्तर पर जाने दिया. मंजू न जाने कहा गयी हुई थी. मैंने दरवाजे को हल्का सा बंद किया और चबूतरे पर बैठ गया. कडवा पानी सीने में जलन पैदा कर रहा था पर अपना दर्द कहे भी तो किस से सुनने वाला कौन ही था . जिसे भी कहना चाहे वो हमसे ज्यादा दुखी था.

“अरे कबीर इधर क्यों बैठा है ” मंजू ने आते हुए पुछा.

मैं- बस ऐसे ही , मन थोडा विचलित था छोटी आई नहीं राखी बंधने

मंजू- माँ चुदाय न आई तो . जब उसे ही परवाह नहीं तू भी छोड़ इन झमेलों को . ये दुनिया वैसी नहीं कबीर जैसी हमने किताबो में पढ़ी थी . यहाँ हर कोई जानवर है , हर कोई शिकार है . जब तक उनको तेरी जरुरत थी तब तक ठीक था . माल माल सब ले गया चाचा तेरा , क्या छोड़ा है तेरे लिए जाके पूछ तो सही . तेरे पिता की मौत के बाद बीमे के सारे पैसे खा गया वो . कितना कुछ दबा क्या तब उन्हें तेरी याद ना आई अब क्या घंटा याद करेंगे वो.

मैं- बात रूपये पैसे की तो है ही नहीं

मंजू- तो फिर क्या बात है .गलती अकेले तेरी तो नहीं थी चाची भी तो बराबर की गुनेहगार थी .

मैं- सुन मैं हवेली जा रहा हूँ अन्दर निशा सोयी पड़ी है. दारू ज्यादा खींची है उसने थोडा देख लेना . मैं थोड़ी देर में आऊंगा

मंजू- अब इस वक्त क्या करेगा तू उधर जाके

मैं- बैग उधर है मेरा बस अभी गया और यूँ आया.

मैंने उसके गाल पर पप्पी ली और हवेली की तरफ चल दिया. बहनचोद गाँव के सरपंच से मिलना पड़ेगा हमारे घर वाले रस्ते पर साली एक भी लाइट नहीं थी .ऊपर से बारिश में कीचड वाला रास्ता , जैसे तैसे मैं दरवाजे तक पहुंचा और मैं चौंक गया दरवाजे को मैं बंद करके गया था जबकि अब उसका पल्ला खुला था , खैर मैं अन्दर गया तो लालटेन की रौशनी थी जो मेरे कमरे से आ रही थी


“तो तुम हो यहाँ ” मैंने जैसे ही कहा उसके चेहरे का रंग बदल गया................
Nice and superb update....
 
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