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Adultery तेरे प्यार में .....

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Bahut hi shandar update he HalfbludPrince Manish Bhai,

Kabir ne bahut hi sahi kaam kiya ki nisha ki maa ko sab sachchayi bata di..........

Ek bahut bada bojh unke seene se utar gaya hoga..........aur apni beti ke liye unke dil me samman aur pyar bhi badh gaya hoga............

"ये दुनिया वैसी नहीं कबीर जैसी हमने किताबो में पढ़ी थी . यहाँ हर कोई जानवर है , हर कोई शिकार है . जब तक उनको तेरी जरुरत थी तब तक ठीक था"
Bilkul sahi kaha he Manju ne, ye duniya.....................

ये दुनिया बड़ी बहन की लौडी

बाँधे गधा बताये घोड़ी
बात तो सही है
 

Tiger 786

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#15

कहते है की दुनिया में सबसे प्यारा नाता भाई-बहन का होता है . चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाये पर भाई बहन कभी एक दुसरे को नहीं भूल सकते. कांपते हाथो से निशा ने अपने भाई के माथे को चूमा

“अन्दर चलो दीदी ” नकुल ने कहा

निशा- तुझे देख लिया बस बहुत है मेरे लिए ,

नकुल- दीदी आज का दिन बहुत खास है, मेरे लिए ही सही अन्दर तो चलो. इतने सालो बाद मेरी दीदी घर आई है मुझे स्वागत तो करने दो

“अरे नकुल कैसा हल्ला हो रहा है बाहर ” तभी निशा की मम्मी चबूतरे पर आयी उसकी नजरे निशा पर ठहर सी गयी थी माँ बेटी बस एक दुसरे को देखे ही जा रही थी.

“मेरी बच्ची ” निशा की माँ ने उसकी बलाइया ली.

“खुश तो हो न तुम लोग ” माँ ने मुझसे कहा

मैं- जी

निशा- कबीर, ये तूने ठीक नहीं किया. जानते हुए भी तू मुझे यहाँ लेकर आया

मैं- यहाँ नहीं आएगी तो कहाँ जाएगी , तेरा घर है .

निशा- ये जानते हुए भी की इसी चोखट पर क्या हुआ था

मैं- तूने ही कहा था न की बात करने से बात बनती है तो बात कर लेते है . नकुल की कलाई आज सूनी तो रहेगी नहीं तू अन्दर जा न जा तेरी मर्जी पर राखी जरुर बाँध इसे. हमारे भाग के दुःख हम इसे तो नहीं दे सकते न, इसका हक़ है ये हक़दार है तेरी राखी का. ये तेरी माँ है दो घडी बात कर ले इस से फिर अपन चल ही देंगे इधर से. हम यहाँ किसी को सफाई देने नहीं आये है , ना मैं कुछ भुला हु .मेरी बस इतनी इच्छा है की एक बहन भाई को राखी जरुर बांधे.

निशा- कबीर , इतना विष भी मत पी लेना की संभले न

मैं- जब तक मेरी सरकार मेरे साथ है मुझे ज़माने की परवाह ना थी ना है ना आगे होगी.

निशा ने नकुल को राखी बाँधी तो बहुत खुश हो गया वो .

“तेरी जिद है बेटी तो तू अन्दर मत आ, पर बेटी- जंवाई आये है तो मुझे दो घडी का इतना हक़ तो दे की मैं जी भर कर देख सकू , क्या मालूम तू कब आएगी. फिर ” माँ ने कहा

निशा कुछ कहती उस से पहले ही मैं बोल पड़ा- माँ, अभी तक हमने शादी नहीं की है . ना ही हम साथ थे, तेरी बेटी बड़ी पुलिस अधिकारी बन गयी है . संजोग ये है की एक बार फिर इस दर पर हम साथ आये है , तेरी बेटी बहुत खुद्दार है , मुझसे ज्यादा इसे बाप की पगड़ी की चिंता है , ज़माने में चाहे सब ये कहे की भाग गयी तेरी बेटी पर माँ सच ये है की आज भी इसे ठाकुर साहब की हाँ का इंतजार है .

“कबीर चल यहाँ से ” निशा ने मेरी बांह पकड़ ली .

मैं- दो बात माँ से कर लू फिर चलते है . माँ, हमेशा गर्व करना जो तुझे ऐसी बेटी मिली. इसने कोई गुनाह नहीं किया, इसकी बस इतनी इच्छा थी की ये अपने पसंदीदा मर्द से शादी करे. ठाकुर साहब कभी न कभी तो समझेंगे इस बात को . मैं सिर्फ नकुल की इच्छा के लिए आया था अब हमें जाना होगा ठाकुर साहब को मालूम होगा तो फिर त्यौहार का रंग फीका हो जायेगा.

मैंने माँ के पांवो में सर रखा और बोला- दुआ देना, इसी चौखट से ज़माने के सामने ले जाऊ अपनी सरकार को .

माँ की भीगे पलके मेरे सीने में दर्द पैदा कर गयी. वापिसी में दिल साला बहुत भारी हो रहा था .

“ठेके पर चल ” निशा ने बिना आँखे खोले कहा . एक के बाद एक बोतले खुलती चली गयी. कभी वो हंसती कभी रोती . परिवार किसी भी इन्सान की शक्ति होती है, मैंने अपने परिवार को खोया अपने कर्मो की वजह से, निशा ने घर छोड़ा मेरी वजह से . नशे में निशा ने अपने तमाम दर्द को ब्यान कर दिया. मैं धैर्यपूर्वक उसे सुनता रहा . वापिसी में गाड़ी मैंने चाचा के घर के पास रोक दी, मेरी कलाई को पूरा विशवास था की छोटी जरुर आएगी राखी बंधने पर शाम रात में बदल गई वो ना आई. उस भाई का क्या ही जीना जिसे उसकी बहन भुला दे. अपना हाल कहे भी तो किसे सो एक बोतल और खोल ली .

“हवेली चलेगी क्या ” मैंने उस से कहा

“ नहीं, फिलहाल मैं बस सोना चाहती हु ” निशा ने कहा तो मैंने उसे बिस्तर पर जाने दिया. मंजू न जाने कहा गयी हुई थी. मैंने दरवाजे को हल्का सा बंद किया और चबूतरे पर बैठ गया. कडवा पानी सीने में जलन पैदा कर रहा था पर अपना दर्द कहे भी तो किस से सुनने वाला कौन ही था . जिसे भी कहना चाहे वो हमसे ज्यादा दुखी था.

“अरे कबीर इधर क्यों बैठा है ” मंजू ने आते हुए पुछा.

मैं- बस ऐसे ही , मन थोडा विचलित था छोटी आई नहीं राखी बंधने

मंजू- माँ चुदाय न आई तो . जब उसे ही परवाह नहीं तू भी छोड़ इन झमेलों को . ये दुनिया वैसी नहीं कबीर जैसी हमने किताबो में पढ़ी थी . यहाँ हर कोई जानवर है , हर कोई शिकार है . जब तक उनको तेरी जरुरत थी तब तक ठीक था . माल माल सब ले गया चाचा तेरा , क्या छोड़ा है तेरे लिए जाके पूछ तो सही . तेरे पिता की मौत के बाद बीमे के सारे पैसे खा गया वो . कितना कुछ दबा क्या तब उन्हें तेरी याद ना आई अब क्या घंटा याद करेंगे वो.

मैं- बात रूपये पैसे की तो है ही नहीं

मंजू- तो फिर क्या बात है .गलती अकेले तेरी तो नहीं थी चाची भी तो बराबर की गुनेहगार थी .

मैं- सुन मैं हवेली जा रहा हूँ अन्दर निशा सोयी पड़ी है. दारू ज्यादा खींची है उसने थोडा देख लेना . मैं थोड़ी देर में आऊंगा

मंजू- अब इस वक्त क्या करेगा तू उधर जाके

मैं- बैग उधर है मेरा बस अभी गया और यूँ आया.

मैंने उसके गाल पर पप्पी ली और हवेली की तरफ चल दिया. बहनचोद गाँव के सरपंच से मिलना पड़ेगा हमारे घर वाले रस्ते पर साली एक भी लाइट नहीं थी .ऊपर से बारिश में कीचड वाला रास्ता , जैसे तैसे मैं दरवाजे तक पहुंचा और मैं चौंक गया दरवाजे को मैं बंद करके गया था जबकि अब उसका पल्ला खुला था , खैर मैं अन्दर गया तो लालटेन की रौशनी थी जो मेरे कमरे से आ रही थी


“तो तुम हो यहाँ ” मैंने जैसे ही कहा उसके चेहरे का रंग बदल गया................
Lazwaab shandar update
 
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