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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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ARCEUS ETERNITY

असतो मा सद्गमय ||
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Let's review begins
So vega chhupa rustom nikala dhara aur mayur ke baare mein bhi sab Pata thaa .
Then yaha viraj ka bhi discussion aaya
Kya viraj ki bhi back story hai .

Then yaha vikram vironi couple nahi iss logic se chale toh dhara mayur aur shivanya rudransh bhi couple nahi hoge.

Then yaha capsure ke bache ka bhi jikar aaya .
Kya ye sambhav hai megna ka Putra bhi jeevit ho.

Yaha putra ka Jekar mention huwa, lekin ek samay ek Thought aaya ki kahi wo bacha shaffali toh nahi lekin yaha clear gender mention hai.

Overall update shandar .
Waiting for more
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Let's review begins
So vega chhupa rustom nikala dhara aur mayur ke baare mein bhi sab Pata thaa .
Then yaha viraj ka bhi discussion aaya
Kya viraj ki bhi back story hai .
Viraaj ke baare me kuch socha hi nahi, to abhi kuch nahi kah sakta , baaki vega ke paas shaktiya to hai, per konsi or kyu? Ye samay per hi pata chalega :approve:
Then yaha vikram vironi couple nahi iss logic se chale toh dhara mayur aur shivanya rudransh bhi couple nahi hoge.
Wo couple hi hai, bas saadi suda nahi hain:dazed:
Then yaha capsure ke bache ka bhi jikar aaya .
Kya ye sambhav hai megna ka Putra bhi jeevit ho.
Unki santaan hi nahi hai koi:nono:
Yaha putra ka Jekar mention huwa, lekin ek samay ek Thought aaya ki kahi wo bacha shaffali toh nahi lekin yaha clear gender mention hai.
Maine kaha likha ke megna ko beta hua?:?:
Overall update shandar .
Waiting for more
Thanks for your wonderful review and superb support bhai , agla update jaldi hi:hug:

Waise tum ekdum jhakkaas review dene ka wada karo to agla update aaj raat ko hi de du:roll3:
 

ARCEUS ETERNITY

असतो मा सद्गमय ||
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Waise tum ekdum jhakkaas review dene ka wada karo to agla update aaj raat ko hi de du:roll3:
Done wada raha
Next updates ke review special aayege .

Next theory bonus review next Sunday tak aayega ek dum special wala
700-800 words with new theory kya hoga kya nahi .

Assumption laga kar .

Ju update dete jaao review mere aate rahenge kabhi kabhi ek adh update mein itna material nahi milta ki kuch jyada vichaar kar likhu .

So mera bonus review puri story ko lekar
Next Sunday .
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Toh kya ye sab capsure ke assumption thee ki megna ko beta hoga .
They thought for the future, ki aage hoga aisa, to iske liye wo mahal banaya tha. And unki main power hi kalpana sakti hai :approve:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Done wada raha
Next updates ke review special aayege .

Next theory bonus review next Sunday tak aayega ek dum special wala
700-800 words with new theory kya hoga kya nahi .

Assumption laga kar .

Ju update dete jaao review mere aate rahenge kabhi kabhi ek adh update mein itna material nahi milta ki kuch jyada vichaar kar likhu .

So mera bonus review puri story ko lekar
Next Sunday .
To fir agla update abhi lo:roll3:
 

Sushil@10

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#125.

“मैं सामरा का युवराज हूं, मुझसे कोई भी बात छिपी नहीं रह सकती ....मैं रिश्तों की बहुत कद्र करता हूं।” वेगा ने धरा की ओर देखते हुए कहा- “धरा दीदी, मैं शायद आपके भाई ‘विराज’ की कमी तो पूरी ना कर सकूं, पर मैं पूरी जिंदगी आपका अच्छा भाई बनने की कोशिश करुंगा।”

“तुम....तुम...विराज के बारे में कैसे जानते हो?” वेगा के शब्द सुन धरा का दिमाग चकराने लगा- “क्या तुम हम दोनों के बारे में भी सब कुछ जानते हो?”

“जी हां धरा दीदी....मैं ये भी जानता हूं कि आप भूलोक से यहां मुझे मारने के लिये आये थे, क्यों कि मेरी घड़ी में आपकी धरा शक्ति का एक कण लगा है। परंतु अब आपने मुझे मारने का विचार त्याग दिया है।
इसी लिये मैं अब आपको सबकुछ बता रहा हूं।” वेगा सबके सामने, एक के बाद एक रहस्य खोलता जा रहा था।

“ये कौन सी शक्ति है वेगा, जो तुम्हें सबके बारे में बता देती है?” मयूर ने वेगा से पूछा।

“मैं क्षमा चाहता हूं मयूर...मगर ये रहस्य मैं आपमें से किसी को भी नहीं बता सकता। इस शक्ति को आप छिपा ही रहने दीजिये तो अच्छा है।” वेगा ने रहस्यात्मक ढंग से कहा।

“अब जब सभी रहस्य खुल ही गये हैं, तो हमें यहां से जाने की अनुमति दो वेगा।” धरा ने अभी इतना ही कहा था कि तभी अचानक कमरे में मौजूद हर सामान धीरे-धीरे हिलने लगा। वीनस ने मयूर और धरा का मुंह देखा और जोर से चिल्लायी- “भूकंप!”

वीनस के इतना कहते ही सभी बाहर की ओर भागे। पर धरा और मयूर के चेहरे पर कुछ उलझन के भाव थे।

“भूकंप कैसे आ सकता है?” धरा ने भागते-भागते मयूर से फुसफुसा कर कहा- “हमें तो भूकंप का कोई भी संकेत नहीं प्राप्त हुआ?”

तभी जमीन की थरथराहट थोड़ी और बढ़ गयी। सोसाइटी के सभी लोग अपने-अपने घरों से निकलकर बाहर पार्क में आ गये थे।

धरा और मयूर भी वीनस और वेगा के पास आकर खड़े हो गये।

तभी आसमान में एक जोर की चमक उत्पन्न हुई और अजीब सी ताली जैसी गड़गड़ाहट के साथ कोई चीज आसमान से गिरती हुई दिखाई दी, जो उन्हीं की ओर आ रही थी।

यह देख सभी लोगों में भगदड़ मच गयी।

धरा और मयूर की भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है? अब आसमान से गिर रही उस चीज में लगी आग स्पष्ट रुप से दिखाई दे रही थी।

कुछ ही देर में वह चीज मयूर को साफ नजर आने लगी- “यह तो एक उल्का पिंड लग रहा है, जो शायद पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की वजह से खिंच कर पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर गया है।”

तभी वह उल्कापिंड उन सभी के सिर के ऊपर से होता हुआ वाशिंगटन डी.सी. से कुछ किलोमीटर दूर अटलांटिक महासागर में जा कर गिरा।

उस उल्कापिंड की गड़गड़ाहट से कई बिल्डिंग के शीशे टूट गये थे। हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था।

यह देख मयूर ने वेगा से जाने की इजाजत मांगी।

“अच्छा वेगा, जल्दी ही फिर मिलेंगे।” मयूर ने कहा- “अभी फिलहाल हमें जाने की इजाजत दो।.....वीनस का ख्याल रखना और जोडियाक वॉच को उपयोग सही से करना।”

वेगा ने सिर हिलाकर अपनी सहमति जताई।

धरा ने वेगा के सिर पर प्यार से हाथ फेरा और फिर बाय करती हुई वहां से चली गई।

वेगा ने आगे बढ़कर प्यार से वीनस की ओर देखा और उसका हाथ थामकर अपने फ्लैट की ओर चल दिया।

बाल स्वप्न:
(8 दिन पहले..... 05 जनवरी 2002, शनिवार, 16:20, श्वेत महल, कैस्पर क्लाउड)

विक्रम-वारुणी सभी बच्चों के साथ कैस्पर के श्वेत महल में प्रवेश कर गये।

सबसे पहले वह एक विशाल कमरे में प्रविष्ठ हुए। यह कमरा किसी विशालकाय मैदान की भांति प्रतीत हो रहा था।

इस कमरे की छत भी लगभग 200 फुट ऊंची दिख रही थी। इस कमरे में जमीन किसी भी स्थान पर नहीं दिख रही थी, जमीन के स्थान पर हर ओर सफेद बादल बिछे थे।

इस कमरे को 5 अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया था। 4 भाग चार किनारों पर बने थे और 1 भाग बीचो बीच में बना था।

कमरे के सभी भाग किसी ना किसी थीम से प्रेरित हो कर बनाये गये थे।

पहले भाग को परियों के शहर के समान बनाया गया था। जहां पर हवा में अनेकों चाँद-सितारे घूम रहे थे।

चाँद-सितारों के पास एक बड़ा सा
इंद्रधनुष बना था, जिस पर बैठकर कुछ परियां गाना गा रहीं थीं। कुछ परियां हवा में घूमती हुई अपनी जादुई छड़ी से बादलों में आकृतियां बना रहीं थीं।

कमरे के दूसरे भाग को एक खूबसूरत जंगल के समान बनाया गया था, जहां पर चारो ओर खूबसूरत पेड़ और पौधे लगे दिखाई दे रहे थे।

पहाड़ों के बीच निकलता एक झरना बना था, जिसमें बहुत सारे पशु-पक्षी
नहा रहे थे। रंग बिरंगी तितलियां हवा में उड़ रहीं थीं। वह जिस पौधे पर बैठतीं, उसे अपने रंग के समान बना दे रहीं थीं।

कुछ पंछियों की मीठी आवाज कानों में मधुर रस घोल रही थी। इस भाग में एक बड़े से पेड़ पर एक खूबसूरत लकड़ी का घर बना था, जिसमें कुछ नन्हें बच्चे शरारत करते हुए घूम रहे थे।

कमरे के तीसरे भाग को समुद्र के अंदर का दृश्य प्रदान किया गया था। जिसमें अलग-अलग रंग-बिरंगी मछलियां पानी में घूम रहीं थीं।

पानी के अंदर रत्नों और हीरों का बना एक शानदार महल बना था, जिसमें बाहर कुछ जलपरियां घूम रहीं थीं। कुछ जलपरियों के बच्चे डॉल्फिन और समुद्री घोड़े पर बैठकर उसकर सवारी का आनन्द उठा रहे थे।

कमरे के चौथे भाग में हर ओर, अलग-अलग शक्ल में खाने-पीने की चीजों से बनी वस्तुएं बिखरी हुई थीं।
कहीं कैण्डी का पेड़ था। तो किसी बहुत बड़ी केतली से चाकलेट का झरना गिर रहा था।

एक जगह पर आइसक्रीम का बहुत बड़ा सा स्नो मैन बना था तो दूसरी जगह पर विशालकाय पिज्जा रखा था। वहां की सारी चीजें बच्चों के खाने-पीने वाली ही थीं।

कमरे के बीच वाले आखिरी भाग को एक शानदार बच्चों के पार्क के दृश्य में ढाला गया था।

इस पार्क में बहुत से बच्चे अलग-अलग राइड का आनन्द उठा रहे थे।

कोई उड़ने वाले हंस की सवारी कर रहा था। तो कोई हाथी की सूंढ़ से फिसलता हुआ पानी में कूद रहा था।

चारो ओर चलने फिरने वाले सैकड़ों खिलौने बिखरे हुए थे। इस खिलौनों के संसार में ना तो कोई बच्चा ऊबता दिख रहा था और ना ही थकता हुआ। हर तरफ खुशियां फैलीं थीं और बच्चों का कलरव सुनाई दे रहा था।

विक्रम-वारुणी तो उस स्थान को देख हतप्रभ रह गये। कुछ देर तक तो उनके मुंह से कोई बोल ही ना फूटा।

वह दोनों बस आँखें फाड़े वहां के दृश्य को अपने अंदर समाहित कर रहे थे।

उधर बच्चे तो अंदर का दृश्य देखकर खुशी के मारे जोर-जोर से चिल्लाने लगे।

“शांत हो जाओ बच्चों।” वारुणी ने बच्चों को चीखकर हिदायत दी- “और कुछ भी छूने की कोशिश मत करना।”

वारुणी की आवाज सुन सभी बच्चे अपनी जगह पर रुक गये और लालच भरी आँखों से, वहां के खिलौनों को देखने लगे।

तभी कैस्पर की आवाज गूंजी- “बच्चों ! आपको जहां जाना हो जाओ, जिस चीज से खेलना हो खेलो, जो तोड़ने का मन करे तोड़ दो, सिवाय अपने मन के। किसी चीज पर कोई पाबंदी नहीं है। आप जिस चीज को तोड़ोगे, वह अपने आप पुनः जुड़ जायेगी। इसलिये कोई डरने की जरुरत नहीं है।"

यह कहकर कैस्पर ने अपने हाथ पर बंधे रिस्ट बैंड का एक बटन दबाया।

बटन के दबाते ही दूसरे कमरे से वहां 16 परियां आ गयीं, जो बिना कैस्पर से कुछ पूछे बच्चों की देख-रेख के लिये चली गयीं।

बच्चे तो कैस्पर की बात सुनकर जैसे पागल ही हो गये। कोई खुशी से नाचने लगा, तो कोई कैस्पर की बात को जांचने के लिये कुछ खिलौने को तोड़ने भी लगा।

खिलौने जादुई थे, वह टूटते ही स्वतः जुड़ जा रहे थे।

“लगता है आपको बच्चों से बहुत प्यार है।” वारुणी ने भावुक होते हुए कहा।

“जी हां...यह जगह हमने अपने बच्चे के लिये बनाई थी।” कहते हुए कैस्पर की आँखों से कुछ मोती जैसे आँसू निकल पड़े।

यह देख विक्रम और वारुणी दोनों ही समझ गये कि कुछ ना कुछ तो जरुर हुआ है, इस व्यक्ति के साथ?

“क्षमा करियेगा, मैं थोड़ा भावनाओं में बह गया था।” कैस्पर ने नार्मल होने की कोशिश करते हुए कहा- “अरे मैं आप लोगों को बैठने को तो कहना भूल ही गया।”

यह कहकर कैस्पर ने विक्रम और वारुणी को वहां रखी आरामदायक कुर्सियों पर बैठने का इशारा किया।

“सबसे पहले हम अपना परिचय आपको दे देते हैं, इससे एक दूसरे की बातों को समझने में आसानी रहेगी।” वारुणी ने सबसे पहले बोलते हुए कहा- “मेरा नाम वारुणी है और मेरे इस दोस्त का नाम विक्रम है। हम यहां से कुछ दूरी पर अपने नक्षत्र लोक में रहते हैं।

हमारा काम पृथ्वी की सुरक्षा आकाश से सुनिश्चित करना है। हमें नक्षत्रलोक देवताओं ने बना कर दिया था। हमने हजारों वर्ष पहले इस लोक में कुछ मनुष्यों को भी लाकर बसाया था। आज हमारा नक्षत्रलोक एक छोटे से शहर में परिवर्तित हो गया है।

"हमारे यहां रहने वाले मनुष्य पृथ्वी पर तभी जाते हैं, जब कोई बहुत ही आपातकाल की स्थिति हो। खाली समय में हम नक्षत्रलोक के बच्चों को ज्ञान के माध्यम से योद्धा बनाने की कोशिश करते हैं।”

“अगर तुम मनुष्य हो तो तुम हजारों वर्षों से जीवित कैसे हो ?” कैस्पर ने वारुणी से पूछा।

“देवताओं ने हमें अमृतपान कराया था, जिसकी वजह से हमें बिना सिर काटे, मारा नहीं जा सकता। हम ना तो बूढ़े होगें और ना ही हमें किसी प्रकार की बीमारी पकड़ेगी।” वारुणी ने कहा।

वारुणी की बात सुनकर कैस्पर ने धीरे से सिर हिलाया और फिर बोलना शुरु कर दिया।

“मेरा नाम कैस्पर है। मैं कौन हूं? यह मुझे स्वयं नहीं पता। मैं बस इतना जानता हूं कि मैं आज से 19130 वर्ष पहले पैदा हुआ था। तब से अब तक मैं सिर्फ देवताओं के लिये भवन और नगरों का निर्माण करता हूं।

"यह महल मैंने अपनी पत्नि मैग्ना के लिये बनवाया था। हमारे अपने पुत्र, को लेकर बहुत से सपने थे, पर मेरे पुत्र के इस दुनिया में आने से पहले ही, मैग्ना पता नहीं कहां गायब हो गई? मैंने हजारों वर्षों तक उसे ढूंढने की बहुत कोशिश की, पर वह कहीं नहीं मिली। तभी मैं इस महल को छोड़कर चला गया था।

"आज हजारों वर्ष बाद मैं यहां पर आया था। पर लगता है कि मेरा आना सफल हो गया। आज मुझे तुमसे अपने इस महल के बहुत ही अच्छे उपयोग के बारे में पता चला वारुणी। मैं चाहता हूं कि अब इस
महल का स्वामित्व मैं तुम्हारे हाथ में दें दूं। तुम हमेशा ऐसे ही यहां बच्चों को लेकर आते रहना। अगर तुम ऐसा करोगी तो मैं जीवन भर तुम्हारा आभारी रहूंगा।”

यह कहकर कैस्पर ने अपने हाथ में बंधा रिस्ट बैंड, वारुणी के हाथ में पहना दिया- “इस रिस्ट बैंड से तुम इस महल की हर चीज को नियंत्रित कर सकती हो वारुणी।”

वारुणी ने आश्चर्य से विक्रम की ओर देखा।

विक्रम ने धीरे से सिर हिलाकर वारुणी को अपनी स्वीकृति दे दी।

“तुमने कभी दूसरी शादी के बारे में क्यों नहीं सोचा कैस्पर?” वारुणी ने कैस्पर के चेहरे की ओर देखते हुए पूछा।

“मैग्ना जैसी मुझे इस दुनिया में कोई मिली ही नहीं ।” कैस्पर ने वारुणी को देख मुस्कुराते हुए कहा।

“बस...बस..अब तुम दोनों ज्यादा देर तक एक दूसरे की आँखों में मत देखो, नहीं तो मुझे कोई दूसरी ढूंढनी पड़ेगी।” विक्रम ने हंसते हुए माहौल को थोड़ा हल्का करने की कोशिश की।

“तुम कोई दूसरी ढूंढ ही लो, मुझे तो कैस्पर अच्छा लग गया है।” वारुणी ने भी विक्रम की चुटकी लेते हुए कहा।

“अच्छा अब दूसरी ढूंढने को कह रही हो। वेदालय में बोला होता तो ढूंढ भी लेता। अब मुझे वैसी लड़कियां कहां मिलेंगी?” विक्रम आह भरते हुए अपने पुराने दिन को याद करने लगा।

कैस्पर को दोनों का इस प्रकार झगड़ना बहुत अच्छा लगा।

“तुम लोगों का कोई बच्चा नहीं है क्या?” कैस्पर ने वारुणी से पूछ लिया।

“बच्चा !...अरे हमारी तो अभी तक शादी भी नहीं हुई, फिर बच्चा कहां से आयेगा?” वारुणी ने मुंह बनाते हुए कहा।

“क्या मतलब?” कैस्पर को कुछ समझ नहीं आया।

“आज से 5000 वर्ष पहले हम देवताओं के विद्यालय में पढ़ते थे। जिसे वेदालय कहा जाता था।
वेदालय में विश्व के सर्वश्रेष्ठ 6 लड़के और 6 लड़कियों को चुन कर लाया गया था। वहां पर विश्व के सबसे पुराने महाग्रंथ के द्वारा हमें शिक्षा दी जानी थी। वहां पर हमारे महागुरु ने हमारी विशेषताओं को देखते हुए, हमें जोड़ों का रुप दिया।

"उन्होंने हमारी पढ़ाई पूरी होने पर हमें अमृतपान कराया और यह शपथ दिलवायी कि हम मरते दम तक इस पृथ्वी की रक्षा करेंगे। उन्होंने सभी जोड़ों को एक लोक प्रदान किया। उसी लोक में रहकर हमें पृथ्वी की सुरक्षा का भार उठाना था।

"उनकी शपथ के अनुसार हम आपस में शादी तभी कर सकते हैं, जब हमें हमारे समान कोई दूसरा बलशाली जोड़ा मिल जाये। ऐसी स्थिति में हम अपनी समस्त शक्तियां उन दोनों योद्धाओं को देकर अपने कार्य से मुक्त हो सकते हैं। पर अपने कार्य से मुक्त होते ही हम साधारण इंसान बन जायेंगे और हमारा अमरत्व उन दोनों योद्धाओं के पास चला जायेगा।

"यह परंपरा अनंतकाल तक चलनी है। इसी वजह से हम सभी बच्चों को अच्छा प्रशिक्षण देने की कोशिश करते हैं, जिससे हम अपने इस उत्तरदायित्व को उन्हें सौंपकर अपनी साधारण जिंदगी को जी सकें। यानि हम सबके बच्चों को तो प्रशिक्षण दे सकते हैं, परंतु अपने बच्चों को उत्पन्न भी नहीं कर सकते।”

कहते-कहते वारुणी की आँखों में आँसू आ गये।

“कुल मिलाकर आपकी स्थिति भी मुझसे ज्यादा अलग नहीं है।” कैस्पर ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।

“कैस्पर, मैं चाहती हूं कि तुम कुछ दिन हमारे साथ चलकर नक्षत्रलोक में रहो।” वारुणी ने कहा- “इससे तुम मुझे इस श्वेत महल का नियंत्रण करना भी सिखा दोगे और तुम्हारा मन भी बच्चों के साथ रहकर कुछ हल्का हो जायेगा।”

कैस्पर को वारुणी की बात काफी पसंद आयी, उसने एक बार फिर शोर मचा रहे उन बच्चों की ओर देखा और धीरे से हां में अपना सिर हिला दिया।

विक्रम और वारुणी भी कैस्पर की सहमति पर काफी खुश हो गये अब सभी उठकर उन बच्चों के पास आ गये।

बच्चे सबकुछ भूलकर उन खिलौनों में अपनी खुशियां ढूंढ रहे थे, पर इसके बाद विक्रम, वारुणी व कैस्पर उन बच्चों में अपनी खुशियां ढूंढने लगे।


जारी रहेगा_______✍️
Nice update and awesome story
 

Raj_sharma

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#126.

चैपटर-8, बर्फ का ड्रैगन:

(13 जनवरी 2002, रविवार, 16:10, मायावन)

जैसे-जैसे सभी आगे की ओर बढते जा रहे थे, बर्फ की घाटी की सुंदरता बढ़ती जा रही थी।

चारो ओर बर्फ ही बर्फ दिखाई दे रही थी, पर उस बर्फ में ज्यादा ठंडक नहीं थी।

तभी चलती हुई शैफाली ने जेनिथ की ओर देखा, जेनिथ शून्य में देखकर मुस्कुरा रही थी।

शैफाली को यह बात थोड़ी विचित्र सी लगी। इसलिये वह चलती-चलती सुयश के पास आ गयी और धीरे से फुसफुसा कर बोली-

“कैप्टेन अंकल, मुझे आपसे कुछ कहना है?”

“हां-हां बोलो शैफाली।” सुयश ने शैफाली पर एक नजर डाली और फिर रास्ते पर चलने लगा।

“कैप्टेन अंकल, मैं जेनिथ दीदी के व्यवहार में कुछ दिनों से परिवर्तन देख रहीं हूं।” शैफाली ने कहा।

“परिवर्तन! कैसा परिवर्तन?” सुयश ने आगे जा रही जेनिथ की ओर देखकर कहा।

“पिछले कुछ दिनों से वह तौफीक अंकल से बात नहीं कर रही है और मैंने यह भी ध्यान दिया है कि वह बिना किसी से बात किये ही अचानक मुस्कुरा उठती हैं। मुझे लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति उनके साथ है, पर वह यह बात हम लोगों से बता नहीं रहीं हैं।” शैफाली ने जेनिथ पर अपना शक जाहिर करते हुए कहा।

“यह भी तो हो सकता है कि तौफीक से उसकी लड़ाई हो गयी हो, जो हम लोगों की जानकारी में ना हो और रही बात बिना किसी से बात किये मुस्कुराने की, तो वह तो कोई भी पुरानी यादों को सोचते हुए ऐसा ही करता है” सुयश ने जेनिथ की ओर से सफाई देते हुए कहा।

“पर कैप्टेन अंकल, आप स्पाइनो सोरस के समय की बात भी ध्यान करिये। अचानक से जेनिथ दीदी ने उस स्पाइनोसोरस के ऊपर हमला कर दिया था।”शैफाली ने पुरानी बातें याद दिलाते हुए कहा।

“ठीक है, मैंने अभी तक तो इस बात पर ध्यान नहीं दिया था, पर अब अगर तुम कह रही हो तो मैं भी ध्यान देकर देखता हूं। अगर मुझे भी जेनिथ पर कोई संदेह हुआ? तो हम उससे अकेले में बात करेंगे।

"तब तक तुम यह ध्यान रखना कि यह बात तुम्हें अभी और किसी से नहीं करनी है? नहीं तो हम आपस में ही एक दूसरे पर संदेह करते हुए, अपनी एकता खो देंगे।” सुयश ने शैफाली को समझाते हुए कहा।

“ठीक है कैप्टेन अंकल मैं यह बात ध्यान रखूंगी।”

यह कहकर शैफाली ने अपनी स्पीड थोड़ी और बढ़ाई और आगे चल रहे जेनिथ, तौफीक और क्रिस्टी के पास पहुंच गयी।

लगभग 1 घंटे तक चलते रहने के बाद, सभी घाटी के किनारे के एक पहाड़ के नीचे पहुंच गये।

उन्हें उस पहाड़ के नीचे एक बहुत खूबसूरत सा पार्क दिखाई दिया। जहां पर किसी बूढ़े व्यक्ति की लकड़ी से निर्मित 7 मूर्तियां, एक गोलाकार दायरे में लगी दिखाई दीं।

वहां पर एक बोर्ड पर किसी दूसरी भाषा में ‘कलाट उद्यान’ लिखा था, जिसे शैफाली ने पढ़कर सभी को बता दिया।

“शायद इस बूढ़े व्यक्ति का नाम ही कलाट है।” जेनिथ ने बूढ़े व्यक्ति की मूर्तियों का ध्यान से देखते हुए कहा।

जेनिथ की बात सुन सुयश ने भी सहमति में अपना सिर हिलाया।

अब सभी ध्यान से उन मूर्तियों को देखने लगे। पहली मूर्ति में कलाट किसी ज्यामिति विद् की तरह जमीन पर बैठकर कुछ आकृतियां बनाता दिख रहा था।

वह आकृतियां गोलाकार, त्रिभुजाकार, शंकु आकार और पिरामिड आकार की थीं।

दूसरी मूर्ति में कलाट किसी खगोलशास्त्री की भांति हाथ में दूरबीन लिये आसमान में विचरते ग्रहों को निहार रहा था।

तीसरी मूर्ति में कलाट किसी रसायन शास्त्री की भांति कुछ अजीब से बर्तनों में रसायन मिला रहा था।

चौथी मूर्ति में कलाट लकड़ी की नाव में बैठकर समुद्र में जाता दिख रहा था।

पांचवी मूर्ति में कलाट एक जगह बैठकर किसी पुस्तक को लिख रहा था।

छठी मूर्ति में कलाट एक हाथ में तलवार और एक हाथ में कुल्हाड़ा लेकर किसी ड्रैगन से युद्ध कर रहा था।

सातवीं मूर्ति में कलाट हाथ जोड़कर देवी शलाका की वंदना कर रहा था। वंदना कर रहे कलाट के सामने एक लकड़ी का यंत्र रखा हुआ था। जिस पर आग फेंकते हुए गोल सूर्य की आकृति बनी थी।

यह वही आकृति थी, जो सुयश की पीठ पर टैटू के रुप में बनी थी।

सुयश ने आगे बढ़कर उस लकड़ी के विचित्र यंत्र को उठा लिया।

तभी क्रिस्टी बोल उठी- “मुझे लगता है कि यह बूढ़ा व्यक्ति इस द्वीप का कोई योद्धा है, जिसने इस द्वीप के लिये बहुत कुछ किया है। उसी की याद में ये उद्यान एक प्रतीक के रुप में बनवाया गया होगा। क्यों कैप्टेन मैं सही कह रही हूं ना?”

मगर सुयश तो जैसे क्रिस्टी की बात सुन ही नहीं रहा था, वह अभी भी उस विचित्र यंत्र को हाथ में लिये उस पर बनी सूर्य की आकृति को निहार रहा था।

कुछ सोचने के बाद सुयश ने धीरे से उस यंत्र पर बनी सूर्य की आकृति को अंदर की ओर दबा दिया।

सूर्य की आकृति के अंदर दबते ही उस यंत्र से तितली की तरह दोनों ओर लकड़ी के पंख निकल आये।

बांये पंख पर नीले और हरें रंग के 2 बटन लगे थे और दाहिने पंख पर पीले व लाल रंग के 2 बटन लगे थे।

“अब यह क्या है?” तौफीक ने झुंझलाते हुए कहा- “इस द्वीप पर कोई भी चीज सिम्पल नहीं है क्या? हर चीज अपने अंदर कोई ना कोई मुसीबत छिपा कर रखे है?”

“इन्हीं मुसीबतों के बीच में कुछ अच्छी चीजें भी तो छिपी हैं।” जेनिथ ने कहा- “अगर हम हर वस्तु को मुसीबत समझ उसे नहीं छुयेंगे, तो उन अच्छी चीजों को कैसे प्राप्त कर पायेंगे, यह भी तो सोचो।”

“अब क्या करना है कैप्टेन अंकल?” शैफाली ने उस यंत्र को देखते हुए पूछा- “क्या इस पर लगे बटनों को दबा कर देखा जाये? या फिर इसे यहीं छोड़कर आगे की ओर बढ़ा जाये?”

“रिस्क तो लेना ही पड़ेगा।” सुयश ने एक गहरी साँस भरते हुए कहा- “बिना रिस्क लिये हम इस जंगल से बाहर नहीं निकल पायेंगे।”

यह कहकर सुयश ने उस यंत्र के ऊपर लगा नीले रंग का बटन दबा दिया।

नीले रंग का बटन दबाते ही उस उद्यान के बीच में, जमीन से एक लगभग 15 फुट ऊंचा पाइप निकला।


पूरी तरह से निकलने के बाद उस पाइप के बीच से असंख्य पाइप निकलने लगे।

थोड़ी देर के बाद, वह पाइप से बना एक वृक्ष सा प्रतीत होने लगा।

“यह सब क्या है कैप्टन?” क्रिस्टी ने घबराते हुए कहा- “क्या इस पाइप से फिर कोई नयी मुसीबत निकलने वाली है?”

सभी अब पाइप से थोड़ा दूर हट गये थे।

तभी प्रत्येक पाइप से पानी की एक पतली धार फूट पड़ी और उस उद्यान के चारो ओर बारिश की बूंदों की तरह बरसने लगी।

पहले तो सभी खूनी बारिश को याद कर थोड़ा डर गये, पर जब कुछ बूंदें उनके ऊपर पड़ने के बाद भी उन्हें कुछ नहीं हुआ, तो सभी खुश हो गये।

हल्की बारिश की बूंदों से मौसम बहुत सुहाना हो गया था।

यह देख सुयश ने उस विचित्र यंत्र पर लगा हरा बटन भी दबा दिया।

हरे बटन के दबाते ही उद्यान के अंदर हर ओर, सुंदर हरे रंगीन फूलों से लदे वृक्ष, बर्फ से निकलने लगे।

कुछ ही देर में बर्फ से ढका वह उद्यान पूरा का पूरा सुंदर फूलों से ढक गया। इन फूलों की खुशबू भी बहुत अच्छी थी।

“वाह! यह यंत्र तो कमाल का है।” जेनिथ ने खुश होते हुए कहा- “एक मिनट में ही पूरे उद्यान का हुलिया ही बदल दिया।

अब तो सभी को बाकी के 2 बटनों को दबाने की जल्दी होने लगी। यह देख सुयश ने यंत्र पर लगे पीले बटन को दबा दिया।

पीले बटन को दबाते ही पार्क के 2 ओर से, जमीन से 2 विशाल गिटार निकल आये और स्वतः ही बजकर वातावरण में मधुर स्वरलहरी घोलने लगे।

“वाह! कितने दिनों के बाद आज कुछ अच्छा प्रतीत हो रहा है।” जेनिथ ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा- “कुछ लोग तो इस यंत्र का प्रयोग ही नहीं करने देना चाहते थे?”

तौफीक जेनिथ के कटाक्ष को समझ तो गया, पर उसने कुछ कहा नहीं।

अब सुयश ने यंत्र पर लगे लाल रंग के बटन को दबा दिया।

लाल रंग के बटन को दबाते ही सामने मौजूद पहाड़ का एक हिस्सा, अपने आप ही एक ओर खिसकने लगा।

पहाड़ के खिसकने से जोर की गर्जना हो रही थी।

तभी पहाड़ के खाली स्थान से मुंह से बर्फ छोड़ता एक विशाल ड्रैगन बाहर आ गया।

“ले लो मजा... दबालो और बटन को....।” तौफीक ने गुस्से से जेनिथ को घूरते हुए कहा- “अब झेलो इस नन्हीं सी मुसीबत को।”

लग रहा था कि ड्रैगन बहुत दिनों बाद पहाड़ से निकला था। वह पूरे शक्ति प्रदर्शन पर लगा हुआ था।

वह मुंह आसमान की ओर उठा कर जोर से हुंकार भरते हुए, अपने मुंह से बर्फ फेंक रहा था।

बर्फ के टुकड़े आसमान की ओर जा कर पूरी घाटी में बरस रहे थे। भला यही था कि वह बर्फ के टुकड़े उद्यान पर नहीं बरस रहे थे।

तभी हुंकार भरते ड्रैगन की निगाह उन सभी पर पड़ गयी और वह आसमान में एक उड़ान भरकर उद्यान की ओर आने लगा।

“सब लोग अलग-अलग दिशा में भागो। इतने बड़े ड्रैगन से हम लोग नहीं निपट पायेंगे।” सुयश ने चीखकर सभी से कहा।

सुयश की बात सुनकर सभी अलग-अलग दिशाओ में भागने लगे।

हवा में उड़ते ड्रैगन ने सबको अलग-अलग दिशाओं में भागते हुए देखा और सुयश के पीछे उड़ चला।

ड्रैगन ने भागते हुए सुयश के पीछे से हमला किया। उसने अपने मुंह से ढेर सारी बर्फ सुयश के ऊपर छोड़ दी। सुयश पूरी तरह से बर्फ से ढक गया।

तभी सुयश की पीठ पर बने टैटू से गर्म आग की लपटें निकलने लगीं। उन आग की लपटों ने पूरी बर्फ को पिघला दिया।

आश्चर्यजनक ढंग से निकली वह आग सुयश के शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रही थी।

जैसे ही सुयश के शरीर की पूरी बर्फ पिघली, वह रहस्यमय आग ड्रैगन की ओर झपटी।

ड्रैगन उस आग से घबरा गया और सुयश को छोड़ शैफाली की ओर लपका।

इस बार ड्रैगन ने शैफाली पर बर्फ की बौछार कर दी, पर इससे पहले कि शैफाली को एक भी बर्फ का टुकड़ा छू पाता, शैफाली के शरीर को एक रबर के पारदर्शी बुलबुले ने अपनी सुरक्षा में ले लिया। जिसकी वजह से बर्फ का एक भी टुकड़ा शैफाली को छू भी नहीं पाया।

तभी शैफाली ने अपनी ड्रेस में लगे डॉल्फिन के बटन को दबा दिया। शैफाली की ड्रेस से तेज अल्ट्रासोनिक तरंगें निकलकर ड्रैगन के शरीर से टकरायीं।

तरंगों ने ड्रैगन को कई जगह से घायल कर दिया।

ड्रैगन उन तरंगों से बहुत ज्यादा डर गया। इसलिये वह आसमान में उड़कर उद्यान के चक्कर काटने लगा।

तभी तौफीक की नजर उद्यान में मौजूद मूर्तियों की ओर गयी। उद्यान में अब 6 ही मूर्तियां दिखाई दे रहीं थीं।

यह देख तौफीक ने सुयश से चिल्ला कर कहा- “कैप्टेन, उद्यान से कलाट की ड्रैगन से लड़ने वाली मूर्ति गायब है। कहीं इसमें कोई राज तो नहीं?”

यह सुन सुयश का ध्यान भी ड्रैगन से हटकर मूर्तियों वाली दिशा में गया।

तभी सुयश को उन मूर्तियों वाले स्थान पर एक तलवार पड़ी हुई दिखाई दी, जो सूर्य की रोशनी में तेज चमक रही थी।

सुयश ने आगे बढ़कर उस तलवार को उठा लिया।

“मुझे लगता है कि इस ड्रैगन का अंत इसी तलवार से ही होगा?” तौफीक ने तलवार को देखते हुए कहा।

“नहीं...मुझे ऐसा नहीं लगता कि इतना बड़ा ड्रैगन इस छोटी तलवार से मरेगा।” सुयश ने अपनी शंका जाहिर की- “हो ना हो यह सिर्फ हमें भ्रमित करने के लिये रखी गयी है।”

यह कहकर सुयश ने वह तलवार तौफीक को थमाते हुए कहा- “देख लो तौफीक, जब तक इस तलवार से अपना बचाव कर पाओ, तब तक
करो। मैं इस डैगन से बचने का कोई दूसरा उपाय सोचता हूं।”

तभी क्रिस्टी के चीखने की आवाज सुनाई दी- “वह ड्रैगन फिर से नीचे आ रहा है।”

क्रिस्टी की आवाज सुन शैफाली, फिर से ड्रैगन पर तरंगों का वार करने के लिये तैयार हो गयी।

पर इस बार ड्रैगन क्रिस्टी पर झपटा। ड्रैगन ने अपने तेज पंजे क्रिस्टी की ओर बढ़ाये।

क्रिस्टी के पास बचने के लिये बिल्कुल समय नहीं था।

तभी क्रिस्टी अपनी जगह से गायब होकर दूसरी जगह पहुंच गयी। ड्रैगन का वार खाली गया।

क्रिस्टी ये देखकर स्वयं भी हैरान रह गयी।

इस बार ड्रैगन ने पलटकर क्रिस्टी पर बर्फ की बौछार कर दी।

तभी क्रिस्टी फिर गायब हो कर दूसरी जगह पहुंच गयी।

पर इस बार शैफाली की तेज आँखों ने जेनिथ को क्रिस्टी को हटाते देख लिया, पर उसने सुयश की बात याद कर अभी कुछ बोलना उचित नहीं समझा।

जब ड्रैगन के द्वारा क्रिस्टी पर किया गया, हर वार खाली जाने लगा, तो झुंझला कर ड्रैगन तौफीक की ओर लपका।

पर तौफीक पहले से ही सावधान था। उसने पास आते ड्रैगन की आँख का निशाना ले तलवार जोर से फेंक कर मार दी।

निशाना बिल्कुल सही था। तौफीक की फेंकी हुई तलवार ड्रैगन की आँख में जा कर घुस गयी।

ड्रैगन बहुत तेज चिंघाड़ा और बर्फ पर अपनी पूंछ जोर-जोर से पटकने लगा।

ड्रैगन के पूंछ पटकते ही ड्रैगन के पैर के नीचे मौजूद झील की, बर्फ की पर्त टूट गयी और ड्रैगन उस झील मंं समा गया।

यह देख सुयश को छोड़ सबने राहत की साँस ली।

“अभी इतना खुश होने की जरुरत नहीं है। वह बर्फ का ही ड्रैगन है, वह झील से जल्दी ही बाहर आ जायेगा। तब तक हमें उसको मारने के बारे में कुछ और सोचना होगा।”

सुयश के शब्द सुन सब फिर से परेशान हो उठे।

अब सभी एकठ्ठे हो कर उस ड्रैगन से बचने का कोई उपाय सोचने लगे।

तभी शैफाली के चेहरे के पास कोई छोटी सी चीज उड़ती हुई बहुत तेजी से निकली। जिसे सुयश सहित सभी लोगों ने महसूस किया।

पर उस चीज की स्पीड इतनी तेज थी कि कोई यह भी नहीं देख पाया कि वह चीज आखिर है क्या?

“ये क्या हो सकता है कैप्टेन?” जेनिथ ने सुयश से पूछा।

तभी सुयश को कुछ याद आया- “कहीं यह वही विचित्र यंत्र तो नहीं? जिसके तितली की तरह से पंख निकल आये थे….अरे उसी के लाल बटन को दबाने पर तो वह ड्रैगन निकला था।

तभी वह चीज फिर से उनके चेहरे के सामने से बहुत तेजी से निकली, पर इस बार उसे सबने देख लिया। वह उड़ती हुई चीज, वही विचित्र यंत्र थी।

“यह यंत्र ही है। इसका मतलब ड्रैगन की मौत का राज इसी में छिपा है।” क्रिस्टी ने कहा- “पर इसकी स्पीड तो इतनी तेज है कि हम इसे छू भी नहीं सकते।”

तभी जेनिथ ने सुयश के हाथों में वह यंत्र पकड़ाते हुए कहा- “ये लीजिये वह यंत्र और जल्दी से उस ड्रैगन को खत्म करने का कोई उपाय कीजिये।”

सभी जेनिथ का यह कारनामा देख हक्का-बक्का रह गये।

“यह तुमने कैसे किया? तुम तो यहां से हिली भी नहीं।” सुयश ने आश्चर्य भरे स्वर में जेनिथ से पूछा।

“मैं आप लोगों को सब बता दूंगी, पर पहले उस ड्रैगन से निपटने का तरीका ढूंढिये।” जेनिथ ने कहा।

तभी ड्रैगन एक भयानक हुंकार भरता हुआ झील के पानी से बाहर आ गया।

तलवार अभी भी उसके एक आँख में चुभी हुई थी।

ड्रैगन के पंख भीगे होने की वजह से, वह जमीन पर चलकर उनकी ओर बढ़ने लगा।

सुयश ने तौफीक के हाथ में पकड़े चाकू से उस यंत्र को नष्ट करने की कोशिश की। पर चाकू के प्रहार से उस यंत्र पर खरोंच भी नहीं आयी।

“वह तलवार... वह तलवार उस ड्रैगन को मारने के लिये नहीं बल्कि इस यंत्र को नष्ट करने के लिये प्रकट हुई थी।“ सुयश ने चीख कर कहा।

“पर वह तो ड्रैगन की आँख में घुसी हुई है, उसे वहां से निकालेंगे कैसे?” शैफाली ने कहा।

“ये लो तलवार।” जेनिथ ने सुयश को तलवार पकड़ाते हुए कहा। सभी ने तलवार जेनिथ के हाथ में देख ड्रैगन की ओर देखा।

ड्रैगन जमीन पर गिरा हुआ था और जेनिथ के हाथ में तौफीक का चाकू थमा था, जिस पर ड्रैगन का थोड़ा सा खून लगा था।

सुयश ने तुरंत यंत्र को अपने हाथ में पकड़ा और तलवार तौफीक को देते हुए उस पर वार करने को कहा।

तौफीक ने बिना समय व्यर्थ किये तलवार से उस यंत्र के 2 टुकड़े कर दिये।

तलवार के टुकड़े करते ही ड्रैगन सहित, उस उद्यान की सारी चमत्कारी चीजें गायब हो गयीं।

अब उद्यान की सातों मूर्तियां पुनः दिखने लगीं थीं, पर अब वो यंत्र वहां पर नहीं था।

सभी परेशानियों को समाप्त होते देख सभी जेनिथ की ओर घूम गये।

जेनिथ समझ गयी कि अब उनसे कुछ छिपाने का कोई फायदा नहीं है। इसलिये वह बोल पड़ी-

“जिस पार्क में हमें मेडूसा की मूर्ति मिली थी, उस पार्क से एक अदृश्य शक्ति भी मेरे साथ है, जिसका नाम नक्षत्रा है, जो पूरे दिन भर में कुछ क्षणों के लिये मेरे शरीर को स्पीड दे सकता है। उसने ही आप लोगों को यह सब बताने से मना किया था, जिसकी वजह से मैंने आप लोगों को कुछ नहीं बताया था। स्पाइनोसोरस को मैंने उसी की सहायता से मारा था।”

जेनिथ ने जानबूझकर नक्षत्रा की सारी सच्चाई सबको नहीं बतायी।

“यह कैसे सम्भव है, कोई भला इतनी स्पीड कैसे जेनरेट कर सकता है?” तौफीक ने कहा।

“इस द्वीप पर कुछ भी हो सकता है।” सुयश ने कहा- “ब्रह्मांड की हर चीज की एक स्पीड होती है। जैसे कि ध्वनि 1 सेकेण्ड में 332 मीटर तक ही चल सकता है, जबकि प्र्काश 1 सेकेण्ड में 30 लाख किलोमीटर चल सकता है। हो सकता है वह प्रकाश की गति को नियंत्रित करके ऐसा करता हो।.... पर जेनिथ... अब तो हम उसके बारे में जान चुके हैं, फिर वह हमारे सामने प्रकट क्यों नहीं हो रहा?”

“उसका शरीर किसी दुर्घटना में जल चुका है, अब वह बस एक ऊर्जा मात्र है और वह सिर्फ मुझसे ही बात कर सकता है।” जेनिथ ने सबको सफाई देते हुए कहा।

“वाह...वाह जेनिथ।” नक्षत्रा ने जेनिथ से कहा-“क्या कहने तुम्हारे.. एक के बाद एक झूठ बोले चली जा रही हो। वाह मेरी फेंकूचंद।”

नक्षत्रा की बात सुन जेनिथ मुस्कुरा दी।

जेनिथ ने इतने सटीक तरीके से झूठ बोला था कि किसी को उस पर
शक नहीं हुआ। इसलिये सभी फिर से आगे की ओर बढ़ चले।

“इस बार कितने नम्बर दिये तुमने मुझे नक्षत्रा?” जेनिथ ने नक्षत्रा से मजा लेते हुए पूछा।

“समय का इस्तेमाल करने के 10 में से 9 और झूठ बोल कर एक्टिंग करने के 10 में से 10 पूरे।”

जेनिथ जोर से हंस पड़ी, पर इस बार उसकी हंसी किसी को अजीब नहीं लगी।

सब समझ गये थे कि वह नक्षत्रा से बात कर रही है।


जारी
रहेगा______✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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