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Besabari se intezaar kar rahega next update ka Raj_sharma bhai....Agla update aaj raat ko![]()
Re read review
Mere hisab se vega ke pass book Gilbert wali hogi.
Trikali aur vyom ko lekar pehle bhi hint diya gaya lekin ab notice aaya ..
Un dono ki dusmani ka karan Casper nahi balki kuch or hai, wo baat alag hai ki dono ka dusman ek ho sakta hai, per karan alag-2 hainMegna aur posadian ki dushmani aur gayab hojana ye abhi rahasya bana hua hai lekin mere hisab se shayad
Megna aur posadian ki dushmani shayad capsure ke mummy papa se raj se judi ho sakti hai kyuki posadian bhi toh capsure ke parents ko marna chahta thaa .
Ya fir megna ko laga ho ki posadian kuch galat kaam karne jaa raha ho issilye megna uske viroodh mein aagayi.
Ab kya kare, jo hai so hai, maine likh diya hai, padho aur samjho, baaki jo nahi samajh me aaya wo aage aane wale updates me samajh jaaogeShalaka aur posedian ke relation ke baare mein pehle mein confuse thaa ki ye dono kaise connect hai lekin re read mein ek point pata chal gaya ki
Posedian toh shalaka ka purav hai .
Kisi ko batana mat bhaiThen baat kare
Last update ke Two update review par
Let's review begins
penguin ka megna likhna aur Sheffali ka penguin ke piche Jana aur niche samudra mein Jaakar dress ka shefffali ko chunana aur sath hi capsure ka bhi ek baar megna ko yaad karna
Ye sabhi connected hai ye cheeje confirm kar rahi hai ki sheffali hi megna hai .
Vega ka Samra rajya door rahne ka karan yahi hai ki wo samra ka yuvraj hai, aur uske baba nahi chahte ki uske uper koi khatra aaye, isi liye use door rakha hai. Varchava ki ladai me kuch me sambhav hai dostThen baat kare vega venus aur dhara mayur ki Toh venus ka khulasa ki usee idea thaa ki woh samara rajya se hai aur venus khud bhi senor rajya se hai .
Yaha mujhe abhi tak bhi Nahi samjh aaraha ki senor ke log vega ke piche kyu hai .
Aur vega samara se dur bhi kyu hai .
Thank you so so much for your amazing review and superb support bhaiOverall update hamesha ki shandaar
Waiting for more
Intezaar rahega update ka
Update abhiBesabari se intezaar kar rahega next update ka Raj_sharma bhai....
Sabhi ne ek behad hi khatarnak musibat ko paar kiya hai par ye musibat ka ant nahi hai phir se inke samne ek nayi musibat kaise aur kis roop mein aa jayegi kisi ko nahi pata hai, they will have to be very careful till the end.
Wonderful and lovely update brother![]()
![]()
बहुत ही सुंदर update....
romanchak update. kalika ne sabhi sawalo ka sahi jawab diya aur apne buddhi aur sanyam ka parichay dete huye Prakash shakti ko prapt kar liya jisse gyan ka Prakash faila sake ..par uske ladki ka naam nahi pata chal paya jisko himshakti ka vardan diya yaksh ne ..
khunkhar chitiya aur uske baad khooni tejaab ki barish se bach paaye sab sirf jenith ki wajah se ..ab aage aur kya musibat aayegi dekhte hai ..
राज भाई मुझे तो यह चैप्टर सभी से मजेदार लगा त्रिकाली और व्योम का एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधना
पर बिचारे व्योम को तो मालूम ही नहीं है कि उसने त्रिकाली को जो रक्षा सूत्र बांधा एंव बंधवाया है वह त्रिकाली और व्योम को एक दूसरे से जोड़ दिया है जिसे देवी काली ने भी स्वीकार कर लिया है
115:
भाई चाहे कुछ कहो - कई तीर्थों में मैंने भव्य आरतियाँ होती देखी हैं। सच में, शंख, घंटे, ढोल, मृदंग इत्यादि की ध्वनियाँ जब गूंजती हैं, तो ऐसा माहौल बनता है कि क्या कहें! एकदम दिव्य! मन कहीं और ही चला जाता है। आपने उतना बड़ा लिखा नहीं - कहानी का वो उद्देश्य ही नहीं है - लेकिन अगर लिखते, तो आनंद आ जाता!
गुरुत्व शक्ति व्योम को मिली, उधर उस डिबिया में वापस भी आ गई। यह रोचक बात है। जैसा कि आपने एक्सप्लेन किया है, कि अगर गुरुत्व शक्ति किसी सुयोग्य व्यक्ति को मिलती है - हमारे केस में ‘व्योम’ को - तो वो उसका रिप्लेसमेंट भी वापस अपने सही स्थान पर चला जाता है। बढ़िया। पॉजिटिव मल्टिप्लिकेशन!
चिकनी अंडाकार चट्टानें - यह सुनते ही मुझको पहला शब्द जो चमका वो था “अंडे”! हा हा!
टेरोसौर (Pterosaur) उड़ने वाले डायनासौर की एक प्रजाति थी। शायद कुछ पाठकों को न मालूम हो, लेकिन वैज्ञानिक ये मानते हैं कि आधुनिक चिड़ियें, दरअसल, डायनासौर से ही विकसित हुई हैं। ऑस्ट्रेलिया की कुछ चिड़ियाँ, जैसे, ऐमू, कैसोवरी, या फिर अफ्रीका के ऑस्ट्रिच (शुतुरमुर्ग) देखने में डायनासौर जैसे ही प्रतीत होते हैं।
ख़ैर…
वर्णन थोड़ा अतिशय लगा - स्पीलबर्ग की जुरैसिक पार्क फिल्मों जैसा! छोटे चूज़े बहुत निर्बल होते हैं, ख़ास कर बड़ी प्रजाति के चिड़ियों के। वो पूरी तरह से अपनी माँ / पिता पर आश्रित होते हैं खाने पीने के लिए। उनके लिए ऐसे शिकार कर पाना... अगर असंभव नहीं है, तो देखा नहीं गया है। बेहतर होता आगर आप बड़े टेरोसौर को यह करते दिखाते।
कहाँ सोचा था कि तौफ़ीक़ नपेगा, लेकिन यहाँ तो अल्बर्ट ही चला गया।
अल्बर्ट के जाने से अब इस ग्रुप को वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि देने वाला कोई नहीं बचा। शेफ़ाली तार्किक रूप से संपन्न है, लेकिन उसका अलग महत्त्व है।
116:
यार वो मछली गायब कैसे और किधर हो गई? पहले और दूसरे वार से वेगा को जोडिएक घड़ी ने बहुत हद तक बचा लिया। लेकिन प्रश्न ये है कि इतने कम समय में इतनी बार हमला! वेगा को मार कर किसको क्या हासिल होने वाला है? जिस तरह से मछली और नाग गायब हुए हैं, यह बहुत ही रहस्यमय है।
लेकिन सांड़ नहीं गायब हुआ? वो कैसे? छुट्टा सांड़ अमेरिका की सड़कों पर यूँ नहीं घूमते।
लेकिन… अब दोहरी मुसीबत एक साथ ही वेगा के सर पर मँडरा रही है।
117:
एलेक्स ज़िंदा है? हम्म्म!
एक तो अनगिनत पात्र हैं और थोक के भाव मर रहे हैं; ऐसे में किस किस का ब्यौरा रखा जाए भला!
एलेक्स की हरकत समझ नहीं आई - पहले तो भाई का पृष्ठभाग मेडुसा को देख कर फ़ट गया, फिर वो उसका पीछा भी करने लगा। अरे यार - कोई मुसीबत के पीछे जान-बूझ कर क्यों जाना चाहेगा? इस समय उसकी हालत आसमान से गिरे, खजूर पर अटके जैसी ही है।
फिर भी उंगली करने की गज़ब की खुजली है उसमें।
विषधर ने सही कहा - एलेक्स सौ फ़ीसदी मूर्ख है। घंटा कोई अच्छाई है उसमें - पहले बार-बार बार-बार उंगली करना, फिर बोलने वाले सर्प की बात मानना (ओल्ड टेस्टामेंट और कृष्ण लीला की कहानियों से भी कुछ नहीं सीखा इसने)! लेकिन विषधर के बचने से क्या प्रभाव होगा? देखने वाली बात रहेगी।
118:
क्रिस्टी की हिम्मत और हौसले, तेजी और बुद्धिमत्ता की दाद देनी ही पड़ेगी। सच में - यही सब तो मनुष्य के हथियार हैं। इन्ही के बल बूते पर उसने इस आधुनिक संसार की रचना करी है।
वाह भाई!
119:
यार ये बात समझ में नहीं आई कि इतना खतरा होने पर भी राजकुमारी त्रिकाली महादेवी की पूजा करने क्यों निकले?
“व्योम की हिम्मत और उसके बलिष्ठ शरीर की मसल्स देख त्रिकाली व्योम पर मोहित हो गई।” -- हो सकता है, होना भी चाहिए -- लेकिन जिस समय आपने यह लिखा, उस समय असंभव है। जब गाँ* फटती है, तो किसी पर मोहित होने वाला विचार सबसे अंत में आता है। इस समय त्रिकाली को व्योम की मदद करने का विचार आना चाहिए था। इसलिए थोड़ा अटपटा लगा यहाँ।
हाँ - गोंजालो की पराजय के बाद वो व्योम पर मोहित होती, तो सब समझ में आता।
“तुम भी देवी के सामने हाथ जोड़ लो।” त्रिकाली ने व्योम से कहा- “देवी सबकी इच्छाएं पूरी करती हैं।” -- चल गया तीर, लग गया निशाना! हा हा हा हा हा!!!
त्रिकाली ने बिना बताये व्योम भाई से बियाह कर लिया है, और महादेवी उसकी साक्षी भी बन गई हैं। धोखेबाज़ त्रिकाली!! हा हा हा!
120:
सुयश को भी पाने बुद्धि कौशल को आजमाने का मौका मिला।
121:
आपने रूपकुण्ड झील के बारे में लिखा - मैंने वहाँ दो बार ट्रेक किया है (करीब बीस साल पहले)। क़रीब साढ़े सोलह हज़ार फ़ीट ऊँचाई पर है यह और त्रिशूल और नंदा-घुंटी पीक्स के बीच है। बहुत बड़ी नहीं है - कोई 38-40 मीटर ही होगा इसका डायमीटर। गोल नहीं है, अंडाकार है। लेकिन एक छोटी झील के लिए इसकी गहराई में बहुत अंतर रहता है - शायद 3 से 50 मीटर तक! ट्रेकिंग करते समय बेदनी बुग्याल (बहुत ही सुन्दर जगह… यहाँ पर ब्रह्म कमल मिलते हैं), भगवाबासा, कालु विनायक स्टॉप्स आते हैं। कालु विनायक में भगवन गणेश की काले रंग की मूर्ति है। इसलिए उसका नाम यह है।
जिन नर कंकालों का आपने ज़िक्र किया है, उनके दो समय काल बताए जाते हैं। नौवीं (राजजात यात्रा उसी समय शुरू हुई थी, इसलिए यह इंडिकेशन होता है ये लोग धार्मिक यात्रा पर आए हुए थे) और उन्नीसवीं शताब्दी (इनका डीएनए टेस्ट बताता है कि ये लोग ईस्टर्न मेडिटेरेनियन से रहे होंगे)। यह एक बेहद महत्वपूर्ण झील है, जिसका समुचित संरक्षण होना चाहिए। लेकिन ढीली ढाली सरकारों और लम्पट ट्रेकर्स, टूरिस्ट्स, और धर्म-यात्रियों के चलते, झील को बहुत नुक़सान हो रहा है। झील क्या, हर चीज़ को। बीस साल पहले जब गया था वहाँ, तो बेदनी बुग्याल में ढेरों ब्रह्म कमल मिलते थे, लेकिन तीन साल पहले एक मित्र वहाँ गए, उनको एक नहीं दिखा।
कलिका --- अनंत किरदारों की फ़ेहरिस्त में एक और!!
कलिका का द्वार चुनाव और तर्क बहुत बढ़िया लगा। मेरा भी यही तर्क था।
मेरे हिसाब से उस स्त्री को “पति के सर और भाई के धड़” वाले व्यक्ति का चुनाव करना चाहिए। व्यक्ति की पहचान उसकी चेतना, स्मृतियों, और व्यक्तित्व से बनती है, जो उसके मस्तिष्क में निहित होती हैं। पति के सर वाला व्यक्ति उस स्त्री का वैवाहिक साथी है, जिसके साथ उसका भावनात्मक और सामाजिक बंधन है। विवाह में संतान आवश्यक हैं, लेकिन कहानी में स्त्री के संतानों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। इसलिए यह कह नहीं सकते कि उसकी कोई संतान है या नहीं। अतः, यह भी मान सकते हैं कि स्त्री और उसके पति की संतान हो चुकी हों और उन्होंने अपना ऋण उतार दिया है।
122:
कलिका के तर्क वितर्क के लिए, “अहो,” “अहो,”! देवि, तुम धन्य हो!
मैं भी महर्षि व्यास को चुनता, क्योंकि गुरु ही “प्रकाश” का अर्थ समझाते हैं… प्रकाश (ज्ञान) और अन्धकार (जड़ता) के भेद को बताते हैं।
Raj_sharma राज भाई - यह कहानी न केवल मनोरंजन ही करती है, बल्कि नीति, दर्शन, और संस्कृति से परिचय भी कराती है। सच में - फ़ोरम तो क्या, बाहर बड़े बड़े नामचीन लेखकों की लिखी कहानियों/उपन्यासों में से भी कोई भी इसके निकट नहीं फ़टकती दिखती। यह एक कालजयी रचना है भाई!
अति उत्तम! वाह! वाह!
आपने इसके लिए न जाने कितना शोध किया होगा! और फिर उनको अपनी कल्पना के तार से पिरोया! अत्यंत कठिन कार्य है।
रचना को निःशुल्क हमारे संग साझा कर रहे हैं, हमको आपका धन्यवाद करना चाहिए!
वैसे, इस बार भी मैंने फिर से फ़ूफागिरी (जबरदस्ती का ज्ञान बघारू) दिखा दी।![]()
Nice update....
Bahut hi umda update he Raj_sharma Bhai,
Ab is story me itna ulajh gaya hoon ki raat ko sapne me bhi suyash and party aate he........
Naa jane kaise niklenge vo in musibato se..........
Keep rocking Bro
Mind blowing Update bhai ji, kalika ab tak ke sabhi jabaab bakhubi de chuki hai, dekhna ye hai, ki kya wo aage ke dono dwar bina rukawat ke paar kar legi?awesome story and superb update
![]()
Nice update![]()
चौदह वर्ष पूर्व कलिका - जो दिल्ली के एक मैग्जीन की संपादक थी - ने यक्षलोक के प्रहरी युवान के कठिन सवालों का जो जवाब दिया वह बिल्कुल महाभारत के एक प्रसंग ( युधिष्ठिर और यक्ष संवाद ) की तरह था ।
क्या ही कठिन सवाल थे और क्या ही अद्भुत जवाब थे ! यह सब कैसे कर लेते है आप शर्मा जी ! पहले तो दिमाग मे कठिन सवाल लाना और फिर उस सवाल का जवाब ढूंढना , यह कैसे कर लेते है आप !
यह वाकई मे अद्भुत था । इस अपडेट के लिए आप की जितनी तारीफ की जाए कम है ।
शायद सम्राट शिप से चौदह साल पहले जो शिप बरमूडा ट्राइंगल मे डुब गया था , उस शिप मे ही कलिका की बेटी सफर कर रही होगी । वह लड़की आकृति हो सकती है । वह आकृति जो शलाका का क्लोन धारण कर रखी है ।
दूसरी तरफ सामरा प्रदेश मे व्योम साहब पर कुदरत बहुत ही अधिक मेहरबान हो रखा है । वगैर मांगे छप्पर फाड़ कर कृपा बरसा रहा है । पहले अमृत की प्राप्ति हुई और अब राजकुमारी त्रिकाली का दिल उनपर धड़क गया है ।
मंदिर मे जिस तरह दोनो ने एक दूसरे को रक्षा सूत्र पहनाया , उससे लगता है यह रक्षा सूत्र नही विवाह सूत्र की प्रक्रिया थी ।
इन दो घटनाक्रम के बाद तीसरी तरफ कैस्पर का दिल भी मैग्ना पर मचल उठा है और खास यह है कि यह धड़कन हजारों वर्ष बाद हुआ है । लेकिन सवाल यह है कि मैग्ना है कहां !
कहीं शैफाली ही मैग्ना तो नही ! शैफाली कहीं मैग्ना का पुनर्जन्म तो नही !
कुकुरमुत्ता को छाते की तरह इस्तेमाल करते हुए सुयश साहब और उनकी टीम का तेजाबी बारिश से खुद को रक्षा करना एक और खुबसूरत अपडेट था । पांच लोग बचे हुए हैं और एलेक्स को मिला दिया जाए तो छ लोग । तौफिक साहब की जान जाते जाते बची , लेकिन लगता नही है यह साहब अधिक दिन तक जीवित रह पायेंगे ।
कुछ मिलाकर पांच प्राणी ही सम्राट शिप के जीवित बचेंगे , बशर्ते राइटर साहब ने कुछ खुराफाती न सोच रखा हो ।
ये मिश्रित पांडव जीवित रहने चाहिए पंडित जी !
सभी अपडेट बेहद खुबसूरत थे ।
रोमांच से भरपूर ।
एक अलग तरह की कहानी , एक अद्भुत कहानी ।
और आउटस्टैंडिंग राइटिंग ।
nice update
Shandar update bro
Awesome update![]()
Do dushman dost kya baat hai ye Araka dweep ke liye accha bhi hai isse Samra aur Sinor dono rajya shayad ek sath aa sakte hain jo Makota aur Lufasa ki wajah se ek dusre ke dushman bane huye hain ya phir pahle se dono rajya ke bich dushmani chali aa rahi hai.
Wonderful update brother.
Bhut hi badhiya update Bhai
To shaifali ko magna ki dress mil gayi hai jo is baat ko darshata hai ki shaifali ka magna ke sath koi to connection hai
Vahi vinas sinor rajay ki rajkumari hai
Ab dhekte hai ki vega aur vinas ke pyar se dono rajay ek hote hai ya inme dushmani aur gahri ho jayegi
Bahut hi adhbhut update he Raj_sharma Bhai,
Itne serious chapters ke baad kuch pyaar to nazar aaya is update me.............
Keep rocking Bhai
Intezaar rahega update ka
Re read review
Mere hisab se vega ke pass book Gilbert wali hogi.
Trikali aur vyom ko lekar pehle bhi hint diya gaya lekin ab notice aaya ..
Megna aur posadian ki dushmani aur gayab hojana ye abhi rahasya bana hua hai lekin mere hisab se shayad
Megna aur posadian ki dushmani shayad capsure ke mummy papa se raj se judi ho sakti hai kyuki posadian bhi toh capsure ke parents ko marna chahta thaa .
Ya fir megna ko laga ho ki posadian kuch galat kaam karne jaa raha ho issilye megna uske viroodh mein aagayi.
Shalaka aur posedian ke relation ke baare mein pehle mein confuse thaa ki ye dono kaise connect hai lekin re read mein ek point pata chal gaya ki
Posedian toh shalaka ka purav hai .
Then baat kare
Last update ke Two update review par
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penguin ka megna likhna aur Sheffali ka penguin ke piche Jana aur niche samudra mein Jaakar dress ka shefffali ko chunana aur sath hi capsure ka bhi ek baar megna ko yaad karna
Ye sabhi connected hai ye cheeje confirm kar rahi hai ki sheffali hi megna hai .
Then baat kare vega venus aur dhara mayur ki Toh venus ka khulasa ki usee idea thaa ki woh samara rajya se hai aur venus khud bhi senor rajya se hai .
Yaha mujhe abhi tak bhi Nahi samjh aaraha ki senor ke log vega ke piche kyu hai .
Aur vega samara se dur bhi kyu hai .
Overall update hamesha ki shandaar
Waiting for more
Besabari se intezaar kar rahega next update ka Raj_sharma bhai....
Wonderful update brother, dekhna dilchasp hoga kaun Varuni aur Vikram ki jagah leta hai, dono ki jagah kaun lega ye kahna bhi abhi sahi nahi hoga kyunki bahut se jode hain jo ye kaam kar sakte hain???#125.
“मैं सामरा का युवराज हूं, मुझसे कोई भी बात छिपी नहीं रह सकती ....मैं रिश्तों की बहुत कद्र करता हूं।” वेगा ने धरा की ओर देखते हुए कहा- “धरा दीदी, मैं शायद आपके भाई ‘विराज’ की कमी तो पूरी ना कर सकूं, पर मैं पूरी जिंदगी आपका अच्छा भाई बनने की कोशिश करुंगा।”
“तुम....तुम...विराज के बारे में कैसे जानते हो?” वेगा के शब्द सुन धरा का दिमाग चकराने लगा- “क्या तुम हम दोनों के बारे में भी सब कुछ जानते हो?”
“जी हां धरा दीदी....मैं ये भी जानता हूं कि आप भूलोक से यहां मुझे मारने के लिये आये थे, क्यों कि मेरी घड़ी में आपकी धरा शक्ति का एक कण लगा है। परंतु अब आपने मुझे मारने का विचार त्याग दिया है।
इसी लिये मैं अब आपको सबकुछ बता रहा हूं।” वेगा सबके सामने, एक के बाद एक रहस्य खोलता जा रहा था।
“ये कौन सी शक्ति है वेगा, जो तुम्हें सबके बारे में बता देती है?” मयूर ने वेगा से पूछा।
“मैं क्षमा चाहता हूं मयूर...मगर ये रहस्य मैं आपमें से किसी को भी नहीं बता सकता। इस शक्ति को आप छिपा ही रहने दीजिये तो अच्छा है।” वेगा ने रहस्यात्मक ढंग से कहा।
“अब जब सभी रहस्य खुल ही गये हैं, तो हमें यहां से जाने की अनुमति दो वेगा।” धरा ने अभी इतना ही कहा था कि तभी अचानक कमरे में मौजूद हर सामान धीरे-धीरे हिलने लगा। वीनस ने मयूर और धरा का मुंह देखा और जोर से चिल्लायी- “भूकंप!”
वीनस के इतना कहते ही सभी बाहर की ओर भागे। पर धरा और मयूर के चेहरे पर कुछ उलझन के भाव थे।
“भूकंप कैसे आ सकता है?” धरा ने भागते-भागते मयूर से फुसफुसा कर कहा- “हमें तो भूकंप का कोई भी संकेत नहीं प्राप्त हुआ?”
तभी जमीन की थरथराहट थोड़ी और बढ़ गयी। सोसाइटी के सभी लोग अपने-अपने घरों से निकलकर बाहर पार्क में आ गये थे।
धरा और मयूर भी वीनस और वेगा के पास आकर खड़े हो गये।
तभी आसमान में एक जोर की चमक उत्पन्न हुई और अजीब सी ताली जैसी गड़गड़ाहट के साथ कोई चीज आसमान से गिरती हुई दिखाई दी, जो उन्हीं की ओर आ रही थी।
यह देख सभी लोगों में भगदड़ मच गयी।
धरा और मयूर की भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है? अब आसमान से गिर रही उस चीज में लगी आग स्पष्ट रुप से दिखाई दे रही थी।
कुछ ही देर में वह चीज मयूर को साफ नजर आने लगी- “यह तो एक उल्का पिंड लग रहा है, जो शायद पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की वजह से खिंच कर पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर गया है।”
तभी वह उल्कापिंड उन सभी के सिर के ऊपर से होता हुआ वाशिंगटन डी.सी. से कुछ किलोमीटर दूर अटलांटिक महासागर में जा कर गिरा।
उस उल्कापिंड की गड़गड़ाहट से कई बिल्डिंग के शीशे टूट गये थे। हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था।
यह देख मयूर ने वेगा से जाने की इजाजत मांगी।
“अच्छा वेगा, जल्दी ही फिर मिलेंगे।” मयूर ने कहा- “अभी फिलहाल हमें जाने की इजाजत दो।.....वीनस का ख्याल रखना और जोडियाक वॉच को उपयोग सही से करना।”
वेगा ने सिर हिलाकर अपनी सहमति जताई।
धरा ने वेगा के सिर पर प्यार से हाथ फेरा और फिर बाय करती हुई वहां से चली गई।
वेगा ने आगे बढ़कर प्यार से वीनस की ओर देखा और उसका हाथ थामकर अपने फ्लैट की ओर चल दिया।
बाल स्वप्न: (8 दिन पहले..... 05 जनवरी 2002, शनिवार, 16:20, श्वेत महल, कैस्पर क्लाउड)
विक्रम-वारुणी सभी बच्चों के साथ कैस्पर के श्वेत महल में प्रवेश कर गये।
सबसे पहले वह एक विशाल कमरे में प्रविष्ठ हुए। यह कमरा किसी विशालकाय मैदान की भांति प्रतीत हो रहा था।
इस कमरे की छत भी लगभग 200 फुट ऊंची दिख रही थी। इस कमरे में जमीन किसी भी स्थान पर नहीं दिख रही थी, जमीन के स्थान पर हर ओर सफेद बादल बिछे थे।
इस कमरे को 5 अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया था। 4 भाग चार किनारों पर बने थे और 1 भाग बीचो बीच में बना था।
कमरे के सभी भाग किसी ना किसी थीम से प्रेरित हो कर बनाये गये थे।
पहले भाग को परियों के शहर के समान बनाया गया था। जहां पर हवा में अनेकों चाँद-सितारे घूम रहे थे।
चाँद-सितारों के पास एक बड़ा सा
इंद्रधनुष बना था, जिस पर बैठकर कुछ परियां गाना गा रहीं थीं। कुछ परियां हवा में घूमती हुई अपनी जादुई छड़ी से बादलों में आकृतियां बना रहीं थीं।
कमरे के दूसरे भाग को एक खूबसूरत जंगल के समान बनाया गया था, जहां पर चारो ओर खूबसूरत पेड़ और पौधे लगे दिखाई दे रहे थे।
पहाड़ों के बीच निकलता एक झरना बना था, जिसमें बहुत सारे पशु-पक्षी
नहा रहे थे। रंग बिरंगी तितलियां हवा में उड़ रहीं थीं। वह जिस पौधे पर बैठतीं, उसे अपने रंग के समान बना दे रहीं थीं।
कुछ पंछियों की मीठी आवाज कानों में मधुर रस घोल रही थी। इस भाग में एक बड़े से पेड़ पर एक खूबसूरत लकड़ी का घर बना था, जिसमें कुछ नन्हें बच्चे शरारत करते हुए घूम रहे थे।
कमरे के तीसरे भाग को समुद्र के अंदर का दृश्य प्रदान किया गया था। जिसमें अलग-अलग रंग-बिरंगी मछलियां पानी में घूम रहीं थीं।
पानी के अंदर रत्नों और हीरों का बना एक शानदार महल बना था, जिसमें बाहर कुछ जलपरियां घूम रहीं थीं। कुछ जलपरियों के बच्चे डॉल्फिन और समुद्री घोड़े पर बैठकर उसकर सवारी का आनन्द उठा रहे थे।
कमरे के चौथे भाग में हर ओर, अलग-अलग शक्ल में खाने-पीने की चीजों से बनी वस्तुएं बिखरी हुई थीं।
कहीं कैण्डी का पेड़ था। तो किसी बहुत बड़ी केतली से चाकलेट का झरना गिर रहा था।
एक जगह पर आइसक्रीम का बहुत बड़ा सा स्नो मैन बना था तो दूसरी जगह पर विशालकाय पिज्जा रखा था। वहां की सारी चीजें बच्चों के खाने-पीने वाली ही थीं।
कमरे के बीच वाले आखिरी भाग को एक शानदार बच्चों के पार्क के दृश्य में ढाला गया था।
इस पार्क में बहुत से बच्चे अलग-अलग राइड का आनन्द उठा रहे थे।
कोई उड़ने वाले हंस की सवारी कर रहा था। तो कोई हाथी की सूंढ़ से फिसलता हुआ पानी में कूद रहा था।
चारो ओर चलने फिरने वाले सैकड़ों खिलौने बिखरे हुए थे। इस खिलौनों के संसार में ना तो कोई बच्चा ऊबता दिख रहा था और ना ही थकता हुआ। हर तरफ खुशियां फैलीं थीं और बच्चों का कलरव सुनाई दे रहा था।
विक्रम-वारुणी तो उस स्थान को देख हतप्रभ रह गये। कुछ देर तक तो उनके मुंह से कोई बोल ही ना फूटा।
वह दोनों बस आँखें फाड़े वहां के दृश्य को अपने अंदर समाहित कर रहे थे।
उधर बच्चे तो अंदर का दृश्य देखकर खुशी के मारे जोर-जोर से चिल्लाने लगे।
“शांत हो जाओ बच्चों।” वारुणी ने बच्चों को चीखकर हिदायत दी- “और कुछ भी छूने की कोशिश मत करना।”
वारुणी की आवाज सुन सभी बच्चे अपनी जगह पर रुक गये और लालच भरी आँखों से, वहां के खिलौनों को देखने लगे।
तभी कैस्पर की आवाज गूंजी- “बच्चों ! आपको जहां जाना हो जाओ, जिस चीज से खेलना हो खेलो, जो तोड़ने का मन करे तोड़ दो, सिवाय अपने मन के। किसी चीज पर कोई पाबंदी नहीं है। आप जिस चीज को तोड़ोगे, वह अपने आप पुनः जुड़ जायेगी। इसलिये कोई डरने की जरुरत नहीं है।"
यह कहकर कैस्पर ने अपने हाथ पर बंधे रिस्ट बैंड का एक बटन दबाया।
बटन के दबाते ही दूसरे कमरे से वहां 16 परियां आ गयीं, जो बिना कैस्पर से कुछ पूछे बच्चों की देख-रेख के लिये चली गयीं।
बच्चे तो कैस्पर की बात सुनकर जैसे पागल ही हो गये। कोई खुशी से नाचने लगा, तो कोई कैस्पर की बात को जांचने के लिये कुछ खिलौने को तोड़ने भी लगा।
खिलौने जादुई थे, वह टूटते ही स्वतः जुड़ जा रहे थे।
“लगता है आपको बच्चों से बहुत प्यार है।” वारुणी ने भावुक होते हुए कहा।
“जी हां...यह जगह हमने अपने बच्चे के लिये बनाई थी।” कहते हुए कैस्पर की आँखों से कुछ मोती जैसे आँसू निकल पड़े।
यह देख विक्रम और वारुणी दोनों ही समझ गये कि कुछ ना कुछ तो जरुर हुआ है, इस व्यक्ति के साथ?
“क्षमा करियेगा, मैं थोड़ा भावनाओं में बह गया था।” कैस्पर ने नार्मल होने की कोशिश करते हुए कहा- “अरे मैं आप लोगों को बैठने को तो कहना भूल ही गया।”
यह कहकर कैस्पर ने विक्रम और वारुणी को वहां रखी आरामदायक कुर्सियों पर बैठने का इशारा किया।
“सबसे पहले हम अपना परिचय आपको दे देते हैं, इससे एक दूसरे की बातों को समझने में आसानी रहेगी।” वारुणी ने सबसे पहले बोलते हुए कहा- “मेरा नाम वारुणी है और मेरे इस दोस्त का नाम विक्रम है। हम यहां से कुछ दूरी पर अपने नक्षत्र लोक में रहते हैं।
हमारा काम पृथ्वी की सुरक्षा आकाश से सुनिश्चित करना है। हमें नक्षत्रलोक देवताओं ने बना कर दिया था। हमने हजारों वर्ष पहले इस लोक में कुछ मनुष्यों को भी लाकर बसाया था। आज हमारा नक्षत्रलोक एक छोटे से शहर में परिवर्तित हो गया है।
"हमारे यहां रहने वाले मनुष्य पृथ्वी पर तभी जाते हैं, जब कोई बहुत ही आपातकाल की स्थिति हो। खाली समय में हम नक्षत्रलोक के बच्चों को ज्ञान के माध्यम से योद्धा बनाने की कोशिश करते हैं।”
“अगर तुम मनुष्य हो तो तुम हजारों वर्षों से जीवित कैसे हो ?” कैस्पर ने वारुणी से पूछा।
“देवताओं ने हमें अमृतपान कराया था, जिसकी वजह से हमें बिना सिर काटे, मारा नहीं जा सकता। हम ना तो बूढ़े होगें और ना ही हमें किसी प्रकार की बीमारी पकड़ेगी।” वारुणी ने कहा।
वारुणी की बात सुनकर कैस्पर ने धीरे से सिर हिलाया और फिर बोलना शुरु कर दिया।
“मेरा नाम कैस्पर है। मैं कौन हूं? यह मुझे स्वयं नहीं पता। मैं बस इतना जानता हूं कि मैं आज से 19130 वर्ष पहले पैदा हुआ था। तब से अब तक मैं सिर्फ देवताओं के लिये भवन और नगरों का निर्माण करता हूं।
"यह महल मैंने अपनी पत्नि मैग्ना के लिये बनवाया था। हमारे अपने पुत्र, को लेकर बहुत से सपने थे, पर मेरे पुत्र के इस दुनिया में आने से पहले ही, मैग्ना पता नहीं कहां गायब हो गई? मैंने हजारों वर्षों तक उसे ढूंढने की बहुत कोशिश की, पर वह कहीं नहीं मिली। तभी मैं इस महल को छोड़कर चला गया था।
"आज हजारों वर्ष बाद मैं यहां पर आया था। पर लगता है कि मेरा आना सफल हो गया। आज मुझे तुमसे अपने इस महल के बहुत ही अच्छे उपयोग के बारे में पता चला वारुणी। मैं चाहता हूं कि अब इस
महल का स्वामित्व मैं तुम्हारे हाथ में दें दूं। तुम हमेशा ऐसे ही यहां बच्चों को लेकर आते रहना। अगर तुम ऐसा करोगी तो मैं जीवन भर तुम्हारा आभारी रहूंगा।”
यह कहकर कैस्पर ने अपने हाथ में बंधा रिस्ट बैंड, वारुणी के हाथ में पहना दिया- “इस रिस्ट बैंड से तुम इस महल की हर चीज को नियंत्रित कर सकती हो वारुणी।”
वारुणी ने आश्चर्य से विक्रम की ओर देखा।
विक्रम ने धीरे से सिर हिलाकर वारुणी को अपनी स्वीकृति दे दी।
“तुमने कभी दूसरी शादी के बारे में क्यों नहीं सोचा कैस्पर?” वारुणी ने कैस्पर के चेहरे की ओर देखते हुए पूछा।
“मैग्ना जैसी मुझे इस दुनिया में कोई मिली ही नहीं ।” कैस्पर ने वारुणी को देख मुस्कुराते हुए कहा।
“बस...बस..अब तुम दोनों ज्यादा देर तक एक दूसरे की आँखों में मत देखो, नहीं तो मुझे कोई दूसरी ढूंढनी पड़ेगी।” विक्रम ने हंसते हुए माहौल को थोड़ा हल्का करने की कोशिश की।
“तुम कोई दूसरी ढूंढ ही लो, मुझे तो कैस्पर अच्छा लग गया है।” वारुणी ने भी विक्रम की चुटकी लेते हुए कहा।
“अच्छा अब दूसरी ढूंढने को कह रही हो। वेदालय में बोला होता तो ढूंढ भी लेता। अब मुझे वैसी लड़कियां कहां मिलेंगी?” विक्रम आह भरते हुए अपने पुराने दिन को याद करने लगा।
कैस्पर को दोनों का इस प्रकार झगड़ना बहुत अच्छा लगा।
“तुम लोगों का कोई बच्चा नहीं है क्या?” कैस्पर ने वारुणी से पूछ लिया।
“बच्चा !...अरे हमारी तो अभी तक शादी भी नहीं हुई, फिर बच्चा कहां से आयेगा?” वारुणी ने मुंह बनाते हुए कहा।
“क्या मतलब?” कैस्पर को कुछ समझ नहीं आया।
“आज से 5000 वर्ष पहले हम देवताओं के विद्यालय में पढ़ते थे। जिसे वेदालय कहा जाता था।
वेदालय में विश्व के सर्वश्रेष्ठ 6 लड़के और 6 लड़कियों को चुन कर लाया गया था। वहां पर विश्व के सबसे पुराने महाग्रंथ के द्वारा हमें शिक्षा दी जानी थी। वहां पर हमारे महागुरु ने हमारी विशेषताओं को देखते हुए, हमें जोड़ों का रुप दिया।
"उन्होंने हमारी पढ़ाई पूरी होने पर हमें अमृतपान कराया और यह शपथ दिलवायी कि हम मरते दम तक इस पृथ्वी की रक्षा करेंगे। उन्होंने सभी जोड़ों को एक लोक प्रदान किया। उसी लोक में रहकर हमें पृथ्वी की सुरक्षा का भार उठाना था।
"उनकी शपथ के अनुसार हम आपस में शादी तभी कर सकते हैं, जब हमें हमारे समान कोई दूसरा बलशाली जोड़ा मिल जाये। ऐसी स्थिति में हम अपनी समस्त शक्तियां उन दोनों योद्धाओं को देकर अपने कार्य से मुक्त हो सकते हैं। पर अपने कार्य से मुक्त होते ही हम साधारण इंसान बन जायेंगे और हमारा अमरत्व उन दोनों योद्धाओं के पास चला जायेगा।
"यह परंपरा अनंतकाल तक चलनी है। इसी वजह से हम सभी बच्चों को अच्छा प्रशिक्षण देने की कोशिश करते हैं, जिससे हम अपने इस उत्तरदायित्व को उन्हें सौंपकर अपनी साधारण जिंदगी को जी सकें। यानि हम सबके बच्चों को तो प्रशिक्षण दे सकते हैं, परंतु अपने बच्चों को उत्पन्न भी नहीं कर सकते।”
कहते-कहते वारुणी की आँखों में आँसू आ गये।
“कुल मिलाकर आपकी स्थिति भी मुझसे ज्यादा अलग नहीं है।” कैस्पर ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।
“कैस्पर, मैं चाहती हूं कि तुम कुछ दिन हमारे साथ चलकर नक्षत्रलोक में रहो।” वारुणी ने कहा- “इससे तुम मुझे इस श्वेत महल का नियंत्रण करना भी सिखा दोगे और तुम्हारा मन भी बच्चों के साथ रहकर कुछ हल्का हो जायेगा।”
कैस्पर को वारुणी की बात काफी पसंद आयी, उसने एक बार फिर शोर मचा रहे उन बच्चों की ओर देखा और धीरे से हां में अपना सिर हिला दिया।
विक्रम और वारुणी भी कैस्पर की सहमति पर काफी खुश हो गये अब सभी उठकर उन बच्चों के पास आ गये।
बच्चे सबकुछ भूलकर उन खिलौनों में अपनी खुशियां ढूंढ रहे थे, पर इसके बाद विक्रम, वारुणी व कैस्पर उन बच्चों में अपनी खुशियां ढूंढने लगे।
जारी रहेगा_______![]()