अपडेट 60
“एक सेकंड,” रागिनी ने कहा।
“क्या हुआ दीदी?”
रागिनी रूचि के पीछे आ कर उसकी ब्रा का हुक खोल देती है और उसको उसके स्तनों से अलग कर देती है।
“दीदी,” रूचि ने अपने स्तनों को ढँकते हुए अपना विरोध प्रदर्शित किया।
“अरे यार... मुझे देखने तो दे,” कह कर रागिनी ने उसकी हथेलिओं को उसके स्तनों से हटा दिया।
रूचि क्या करती! बस शर्म से रागिनी के सामने लगभग नग्न खड़ी रही।
“मस्त है तू बहना,” रागिनी ने रूचि के फिगर का मूल्याँकन करते हुए कहा, “ये निप्पल्स और ब्रेस्ट्स पर न कम से कम कोल्ड क्रीम लगा लिया कर... देख कैसे इन पर हल्की हल्की दरारें पड़ रही हैं! मॉइश्चर बना रहना चाहिए इनका,”
फिर रूचि की चड्ढी की इलास्टिक पकड़ कर नीचे करते हुए वो बोली, “तेरी पूची भी देख लूँ,”
रूचि के मन में अजीब अजीब से ख़याल आ रहे थे। जब से अजय ने रागिनी के साथ अपने रहस्य के बारे में उसको बताया था, तब से उसके मन में रागिनी को देखने का नज़रिया बदल गया था। लेकिन अजय की बात भी सच थी - उसके दो संस्करण थे, और दोनों में रागिनी और रूचि की भूमिका और स्थान अलग अलग थे। फिर भी रागिनी को ले कर रूचि के मन में सौतिया विचार आ तो गए ही थे। तिस पर रागिनी की ईर्ष्या और अब ये सब! रूचि समझ नहीं रही थी कि वो क्या करे! रागिनी ने अभी तक उसके साथ कुछ गलत नहीं किया था - करती भी क्यों? ये अलग ही टाइम-लाइन थी न!
“मस्त है यार,” रागिनी ने बढ़ाई करते हुए कहा, “वर्जिन पूची! और कितने सॉफ्ट सॉफ्ट बाल हैं तेरे,”
“तुम्हारे नहीं हैं?” न जाने रूचि कैसे पूछ पाई।
“न रे! चौदह पंद्रह में ही हार्ड हो गए थे मेरे,” उसने बताया, “इसीलिए मैं हेयर रिमूवल क्रीम लगाती रहती हूँ,”
उधर रूचि शर्म से पानी पानी हो रही थी।
“शरमा मत मेरी बहना! तू खज़ाना है खज़ाना!” रागिनी ने समझाया, “जब तक मैं हूँ, मैं तेरी ग्रूमिंग में हेल्प कर दूँगी। लेकिन उसके बाद मेरी सिखाई बातें भूल न जाना... बस अडिशनल थर्टी टू फोर्टी मिनट काफ़ी है अपनी स्किन की बढ़िया केयर रखने के लिए! और केयर ही सब कुछ है... समझी?”
“समझ गई दीदी,”
“गुड,” फिर खुद को नीली साड़ी में प्रदर्शित करती हुई बोली, “मैं कैसी लग रही हूँ?”
“बहुत सुन्दर,” यह अतिशयोक्ति नहीं थी - रागिनी थी भी बड़ी सुन्दर! कोई भी रंग उस पर फ़बता था।
वो मुस्कुराई, “बहना... तू न, मेरी वो रस्ट कलर वाली साड़ी रख ले,”
“क्यों दीदी?”
“क्यों क्या? मेरी चीज़ है और मैं तुझे देना चाहती हूँ, बस! रख ले!” वो बोली, “अच्छा, दूसरी शादी में क्या पहनेगी?”
“इनमें से कौन सी ट्राई करूँ? तुम्ही बता दो?”
रागिनी ने हर साड़ी पर निगाह डाली, “इन सबसे तो मेरी रस्ट कलर वाली साड़ी ही बेहतर है,” कह कर उसने अपने सूटकेस में से वो साड़ी निकाली। रागिनी वो साड़ी इसलिए लाई थी कि दिवाली पर पहनेगी। लेकिन दिवाली मनाई ही नहीं गई।
“लास्ट ईयर सिलवाया था इसका ब्लाउज़... अभी टाइट आता है मुझे... लेकिन तुझे सही आना चाहिए। पहन न?”
रूचि ब्रा पहनने लगी तो रागिनी ने उसको रोक दिया, “इसमें ब्रा नहीं पहनना होता... सॉफ्ट पैड्स हैं सामने!”
ब्लाउज़ बढ़िया फिटिंग की थी - रूचि का वक्ष-विदरण भी दिखाई दे रहा था। और साड़ी बहुत ही सेक्सी अंदाज़ में रूचि के शरीर से चिपकी हुई थी।
“सेक्सी,” रागिनी ने अनुमोदन किया, “इसको भैया की शादी में पहनना,”
“ओके,”
“और क्या क्या है?”
“अरे हो तो गया! दो इवेंट्स... दो ड्रेस,”
“पागल है क्या?” रागिनी हँसने लगी, “दो और चाहिए! दोनों इवेंट्स के लिए कम से कम एक एक और,”
“ये कैसा रहेगा?” रूचि ने एक रेशमी शलवार कुर्ता दिखाया।
“हाँ, ठीक है... लेकिन दीदी की शादी है, तो इससे बेहतर भी अगर हो सकता है, तो वो पहनो,”
“अब जो है, यही है!”
“हम्म... एक काम करते हैं, कल शॉपिंग कर लेते हैं! दो दिन बाद मैं चली जाऊँगी... और तेरी कपड़ों की चॉइस देख कर मज़ा नहीं आ रहा!”
रूचि ने थोड़ी देर न नुकुर किया फिर मान गई।
“और सुन,” रागिनी ने कहा, “शॉपिंग के सारे पैसे मैं दूँगी! बहुत माल है मेरे पास,”
जब सारे कपड़े इत्यादि वापस अपनी अलमारी में रख कर रूचि वापस बिस्तर पर आई, तो रागिनी ने कोई लोशन अपने हाथों में उड़ेंल कर चुपड़ते हुए कहा, “आ जा,”
“क्या दीदी?”
“अपनी टी शर्ट और ब्रा उतार,”
“मैं लगा लूँगी न दीदी,”
“बहस मत कर! उतार इनको... जल्दी,”
रूचि ने दो तीन बार और कहा फिर हार मान कर फिर से अपने स्तनों को उघाड़ कर रागिनी के सामने थी।
रागिनी ने उसके दोनों स्तनों पर बारी बारी से अच्छी तरह से लोशन लगाया। रूचि के चूचक इस पूरी प्रक्रिया में उत्तेजना के मारे कड़े हो गए थे। रागिनी ने मज़ाक में उसके दोनों चूचकों को अपनी दोनों तर्जनियों और अंगूठों में पकड़ कर थोड़ा बाहर की तरफ़ खींचते हुए उसको छेड़ा,
“क्यूट है तू,”
फिर उसका पजामा और चड्ढी उतार कर उसने रूचि के पुट्ठों और योनि पर भी लोशन लगा दिया।
“अपने एसेट्स का अच्छी तरह से ख्याल रखा कर बहना,” उसने उसकी योनि पर लोशन लगाते हुए कहा, “ये तुझे और अजय को खूब मज़ा देंगे! और सेक्स से अलग भी तो ये इम्पोर्टेन्ट हैं! तेरे बच्चे यहाँ से निकलेंगे [उसने उसकी योनि को छू कर बताया] और यहाँ से दूध पियेंगे [उसने उसके स्तनों को छुआ]... इसलिए इनकी हेल्थ प्रॉपर होनी चाहिए!”
“जी माता जी,” रूचि अब पूरी तरह से कंफ्यूज हो गई थी।
वो रागिनी को किस रूप में देखे? मौसेरी बहन के, या फिर अपनी सौत के? रागिनी ने रूचि का एक पैसे का नुकसान नहीं किया था। हाँ - उसका अपना जीवन जीने का अंदाज़ था जो रूचि के अंदाज़ से बहुत अलग था। लेकिन वो तब से केवल रूचि के लिए ही सब कर रही थी। उसने सोचा कि रागिनी बुरी नहीं है... उसके हालात अलग रहे होंगे अजय को ले कर! भूतपूर्व अजय को भविष्य की रागिनी के साथ कैसे कैसे अनुभव हुए, उसके आधार पर वो उसके संग अपना व्यव्हार और सम्बन्ध तो नहीं बिगाड़ सकती न? वैसे भी अजय ने भी कहा था कि वो रागिनी से नाराज़ नहीं है, बल्कि खुद से निराश है! शायद रागिनी आगे चल कर इतना बिगड़ी हो कि अपने लाभ के लिए दूसरे का नुकसान कर दे?
रूचि कपड़े पहनने लगी तो रागिनी ने फिर से रोका, “सूखने दो कुछ देर...” और फिर अपने भी कपड़े उतारने लगी।
रूचि उत्सुकतावश उसको देखने लगी।
उसने अपनी ब्रा और चड्ढी उतार दी और अब वो भी रूचि की ही तरह पूरी तरह से नग्न थी।
रूचि ने एक पल के लिए उसकी ओर देखा और फिर हँसते हुए कहा, “अरे दीदी, तुम सच में बहुत बिंदास हो!”
रागिनी ने हँसते हुए कहा, “अरे, तेरी बहन हूँ न। फिर शर्म कैसी?” उसने अपनी बाहें फैलाईं और कहा, “देख बहना, ये है कॉन्फिडेंस। तुझमें भी ऐसा ही कॉन्फिडेंस होना चाहिए।”
रूचि ने हँसते हुए कहा, “हाँ दीदी! वाह दीदी... तुम तो सच में बहुत खूबसूरत हो!”
रागिनी ने हँसते हुए कहा, “तू भी कम नहीं है, रूचि।”
रूचि मुस्कुराई, “वैसे दीदी, तुम्हारे ये... बहुत अच्छे हैं।”
रागिनी ने एक ठहाका लगाया, “ये? मतलब मेरे बूब्स? हाँ यार, ये तो मेरी यू.एस.पी. हैं!”
उसने अपने स्तनों के नीचे अपनी हथेलियों को लगा कर हल्के से उछाला और कहा, “सॉलिड हैं! चेक करेगी?”
रूचि ने एक शरारती मुस्कान दी और कहा, “ठीक है। देखूँ तो सही।”
उसने रागिनी के पास जाकर उसके दाहिने स्तन को हल्के से छुआ और फिर उसे चूम लिया।
रागिनी हल्के से हँसी और कहा, “अरे रूचि, तू तो सच में बिंदास हो रही है!”
रूचि ने रागिनी के स्तन को ध्यान से देखा और फिर कहा, “दीदी, तुम्हारे ब्रेस्ट की गहराई में तो एक लाल तिल है।”
उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा... उसे अजय की बात याद आ गई थी।
रागिनी ने हँसते हुए कहा, “हाँ... मेरे दोनों बॉयफ्रेंड्स को भी ये बहुत पसंद था।”
रूचि हल्के से मुस्कुराई।
लेकिन मन ही मन वो अजय की बातों को याद कर रही थी। उसे अब यकीन हो गया था कि अजय जो कह रहा था, वो सच था। रागिनी वही लड़की थी, जिसने उसके भविष्य को बर्बाद किया था। लेकिन वो नहीं चाहती थी कि इस बात से उसके और रागिनी के सम्बन्ध पर कोई बुरा असर पड़े। लेकिन वो यह भी चाहती थी कि रागिनी आगे चल कर ‘वैसी’ औरत न बने, जैसी वो अजय के साथ हो गई थी। क्या इस बात का कोई इलाज़ है?
अगर अजय का जीवन बदल सकता है, उसमें सकारात्मक सुधार आ सकते हैं, तो रागिनी का जीवन भी तो बदल सकता है न? रूचि ने सोचा कि रागिनी के बेहतर भविष्य के लिए जो संभव होगा, वो करेगी।
उसने हँसते हुए कहा, “दीदी अब कपड़े पहन लेते हैं। सभी इंतज़ार कर रहे होंगे।”
रागिनी ने हँसते हुए कहा, “हाँ, ठीक है।”
रूचि ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “और दीदी, तुम भी किसी अच्छे लड़के को ढूंढ कर शादी कर लो!”
रागिनी ने एक गहरी साँस ली और कहा, “हाँ यार... देखते हैं। तेरा कोई और दोस्त है क्या? अगर अजय जैसा कोई हो, तो बता दे मुझे! मैं तो तुरंत हाँ कर दूँगी।”
दोनों ने अपने कपड़े पहने और बाहर मेहमानखाने में चली गईं।
रूचि के मन में एक अजीब-सी उथल-पुथल थी। उसने मन ही मन फैसला किया कि वो अजय से रागिनी के बारे में और जानने समझने की कोशिश करेगी - जिससे उसका और उसके होने वाले परिवार का जीवन बर्बाद न हो।
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