अपडेट 59
रूचि ने मन ही मन सोचा कि किस तरह की लड़की है ये! मन ही मन उसे रागिनी का ये लम्पट अंदाज़ ख़राब लग रहा था। अगर रागिनी किसी के संग प्रेम के कारण सेक्स कर रही होती, तो समझ में आता है। लेकिन वो जो कर रही थी, या कर चुकी थी, उसको वेश्यावृत्ति ही कहना उचित है। लेकिन बाहर से उसने बस एक हल्की मुस्कान दी और कहा, “हम्म्म हम्म... देखते हैं दीदी! ... वैसे तुमको तो बहुत आता है इन सब चीज़ों के बारे में। मुझे तो अभी कुछ समझ ही नहीं आता।”
“सच में? तुझे सच में नहीं पता?”
रूचि ने ‘न’ में सर हिलाते हुए कहा, “माँ कुछ बताती ही नहीं!”
“क्या यार! पढ़ने लिखने में न, तू सबसे ज़रूरी बातें सीखना भूल गई।”
रूचि ने उदास सा चेहरा बना लिया।
रागिनी ने एक विजयी मुस्कान दी, और उसको दिलासा देती हुई बोली, “अरे कुछ नहीं बहना! ये सब तो एक्सपीरियंस की बात है। तू बस एक काम करना... जब तुम दोनों अकेले हो न, तो बस अपने दिल की सुनना। अजय समझदार है... वैसे भी लड़कों को बस थोड़ा सा इशारा काफ़ी होता है। फिर वो तुझ पर ऐसे टूट पड़ेगा न, कि तू उड़ने लगेगी मेरी लाडो!” उसने हँसते हुए कहा।
रूचि को यह वार्तालाप असुविधाजनक लग रहा था, लेकिन वो कर भी क्या सकती थी! शुरू उसी ने किया था।
“वैसे,” रागिनी ने रूचि को चुप देख कर कहा, “अगर तू चाहे तो मैं तुझे कुछ टिप्स दे सकती हूँ।”
रूचि ने हल्के से हँसते हुए कहा, “टिप्स? अरे दीदी, अभी तो मेरी सगाई भी नहीं हुई है!” फिर बात बदलते हुए बोली, “इन दोनों के अलावा कोई नहीं? कोई ऐसा जिसके साथ तुम सीरियस हो?”
“नहीं यार... एक नया बॉयफ्रेंड मिला है, लेकिन सीरियस नहीं है कुछ! ... वैसे,” रागिनी ने रहस्यमई अंदाज़ में कहा, “अजय अच्छा है,”
“हाँ दीदी! आई ऍम वैरी लकी,”
रागिनी ने एक गहरी साँस ली और बिस्तर पर और पीछे की ओर सरकते हुए कहा, “हाँ यार... सच में तू लकी है! और सच कहूँ... तो अजय जैसा लड़का पाना तो हर लड़की का सपना होता है। रिच फैमिली, गुड लुक्स, और जो कुछ सुना उसके बारे में... बहुत सुलझा हुआ भी! और इतना कमसिन भी!” कहते कहते उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक आ गई थी, “सच कहूँ बहना... बुरा न मानना... अगर तू न होती न तो मैं तो ज़रूर अजय को पटाने की कोशिश करती!”
उसने कहा तो हँसते हुए था लेकिन उसकी हँसी में छुपी हुई ठंडी गंभीरता रूचि को साफ़ साफ़ समझ में आ गई। और इस बोध से उसका शरीर सिहर गया।
प्रत्यक्ष में रूचि ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा! तो तुम मुझसे मेरा होने वाला हस्बैंड छीनना चाहती हो?”
रूचि ने बड़ी कोशिश करी कि यह मज़ाक जैसा ही लगे, लेकिन उसकी आवाज़ में एक हल्की सी तल्ख़ी थी।
“अरे, मज़ाक कर रही हूँ बहना,” रागिनी ने हँसते हुए कहा। “लेकिन सच में, तू बहुत लकी है। अजय जैसे लड़के को पाना कोई छोटी बात नहीं है।”
“पता है? उनकी बड़ी बहन की शादी उनके दोस्त के साथ हो रही है,”
“जीजू का दोस्त भी उन्ही के जैसा है?”
रूचि ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
“हाय मेरी किस्मत! बहनचोद, क्या कर रही हूँ वहाँ रेगिस्तान में!” रागिनी के मुँह से गाली सुन कर रूचि चौंक गई, “माँ से कह कर यहाँ इंडिया शिफ़्ट हो जाते हैं!”
“दीदी!” रूचि ने डंपटते हुए कहा।
“सॉरी यार! निकल गया मुँह से,” वो बोली, “कब है शादी?”
“दो हफ़्ते बाद,”
“बढ़िया है! क्या पहनेगी?” रागिनी ने पूछा, “तू तो उनकी होने वाली बहू है बहना मेरी! तुमको तो एकदम सज धज के रेडी रहना चाहिए... दुल्हन की तरह!”
“एक्चुअली, एक नहीं - दो शादियाँ हैं! पहले इनकी दीदी की, और फिर दो दिन बाद इनके बड़े भैया की!”
“सही है यार,” रागिनी ने गहरी साँस भरते हुए कहा, “द मोर द मेरिअर...”
“मेरी हेल्प करोगी दीदी?”
“ड्रेस सेलेक्ट करने में?” रागिनी को जैसे अपना पसंदीदा विषय मिल गया हो, “श्योर! दिखा मुझे... क्या क्या है तेरे पास?”
रूचि ने अपनी अलमारी से साड़ियाँ और अन्य ड्रेसेस निकालने शुरू कर दिए। विगत दो वर्षों में रूचि की मम्मी ने रूचि के लिए साड़ियाँ खरीदनी शुरू कर दी थीं - कुछ भारी तो कुछ हल्की। इसलिए नहीं कि उसकी शादी की कोई चिंता थी उनको - बल्कि इसलिए कि वो चाहती थीं कि उसको समाज में उठने बैठने का समुचित शऊर आ जाय।
रूचि ने दो साड़ियाँ बिस्तर पर रखते हुए कहा, “वैसे दीदी, कैसा लड़का होना चाहिए जिसके साथ तुम सच में सेटल होना चाहोगी?”
रागिनी ने एक पल के लिए सोचा और फिर कहा, “हम्म... मैं चाहती हूँ कि मेरा होने वाला हस्बैंड ऐसा हो जो मुझे हर तरह से सिक्योर कर दे... उसके पास रुपया पैसा, स्टेटस... सब कुछ होना चाहिए,” उसने एक नाटकीय अंदाज़ में कहा, “मैं चाहती हूँ कि मेरी शादी किसी ऐसे लड़के से हो, जो मुझे दुनिया की हर ख़ुशी दे सके... अजय जैसा... या शायद उससे भी बेहतर!”
रूचि ने मन ही मन सोचा कि ये तो साफ़-साफ़ जल रही है मुझसे, लेकिन उसने हँसते हुए कहा, “अच्छा, तो तुमको अजय से भी बेहतर चाहिए!”
रागिनी ने भी हँसते हुए कहा, “हाँ... लेकिन फिलहाल तो मैं मार्केट में सर्च कर रही हूँ! लेकिन हाँ, अगर अजय जैसा कोई मिल जाए, तो मैं तो तुरंत हाँ कर दूँगी।”
फिर उसने अपनी आँखें सिकोड़ते हुए और कहा, “तू मुझसे सब बुलवाए ले रही है... तू बता! तू कुछ तो करी होगी न अजय के साथ! बता ना, क्या क्या किया?”
रूचि ने हल्के से अपनी नज़रें नीचे कर लीं... उसे रागिनी की जलनखोरी और बेतक़ल्लुफ़ी अजीब लग रही थी।
उसने कहा, “अरे दीदी, अभी तो हम बस एक दूसरे को समझ रहे हैं। वो सब तो बाद में होगा।”
“बाद में?” रागिनी ने एक ठहाका लगाया, “अरे बहना, तू सच में बहुत सीधी है! गाय है गाय! तुम दोनों को अब तक कुछ न कुछ कर लेना चाहिए था।”
रूचि ने हल्के से हँसते हुए कहा, “मैं तो अभी इन सबके लिए तैयार नहीं हूँ।”
“तैयार नहीं है?” रागिनी ने हँसते हुए कहा। “अरे लाडो रानी, ये सब तो बस फीलिंग्स की बात है। जब तू अजय के साथ अकेले होगी, तो सब अपने आप हो जाएगा।” उसने अपनी आवाज़ को और धीमा करते हुए कहा, “मैंने तो ख़ालिद और सईद के साथ इतने मस्त मोमेंट्स शेयर किए है कि बस... हर बार लगता था कि मैं बादलों पर उड़ रही हूँ।”
रूचि ने बस हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा? इतना मज़ा आता है?”
“मज़ा?” रागिनी ने हँसते हुए कहा, “मज़ा तो बस शुरुआत है बहना... जब मर्द का ‘वो’ अंदर जाता है न... उफ़! एक बार होने दे, फिर तू समझ जाएगी कि मैं क्या कह रही हूँ।” उसने एक गहरी साँस ली और कहा, “वैसे, अगर तुझे कोई टिप चाहिए, तो बता दे। मैं तुझे पूरा गाइड कर दूँगी,”
रूचि ने हँसते हुए कहा, “ठीक है, जब ज़रूरत पड़ेगी, तुमसे पूछ लूँगी।” फिर बात बदलते हुए बोली, “लेकिन अभी मुझे ड्रेस सेलेक्ट करने में हेल्प कर दो न,”
रागिनी ने एक साड़ी उठा कर देखा और कहा, “वाओ रूचि, ये तो बहुत खूबसूरत है! तू इसमें हॉट लगेगी। अजय तो तुझ पर फिदा हो जाएगा।”
“सच में?”
“हाँ... पहन कर दिखा?”
रूचि ने साड़ी को उठाया और रागिनी से कहा, “उधर मुँह करो,”
रागिनी हँसते हुए बोली, “पागल है क्या?”
रूचि समझ गई कि अगर रागिनी की सच्चाई जाननी है तो यह करना ही पड़ेगा। उसने अपना कुर्ता उतारना शुरू कर दिया।
रागिनी ने उसकी ओर देखा और हँसते हुए कहा, “अरे बहना, तू तो सच में बिंदास है! बस एक दिन ऐसे ही हिम्मत कर के जीजू के सामने कपड़े उतार दे! फिर देखना!”
रूचि ने हँसते हुए कहा, “तुम्हारी बात अलग है! तुम मेरी बहन हो!”
“लाडो मेरी, एक हस्बैंड ही होता है, जिसके सामने शर्म नहीं करी जाती!”
तब तक रूचि ने अपने अधोवस्त्रों में आ गई थी। उसने पेटीकोट पहना, साड़ी से मैचिंग ब्लाउज़ पहना और फिर साड़ी को अपने शरीर पर लपेटना शुरू किया। रागिनी की नज़रें रूचि के शरीर पर टिकी थीं।
उसने कहा, “रूचि, तेरा फिगर कमाल का है! जीजू भी कोई कम लकी नहीं हैं।”
रूचि ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “दीदी, तुम भी कुछ कम नहीं हो! मुझसे तो बीस हो... बीस क्या, पच्चीस हो,”
अपनी सुंदरता की बढ़ाई सुन कर रागिनी भी फूल कर कुप्पा होने लगी।
रूचि कह रही थी, “वैसे, तुम भी कुछ ट्राई करो न... मेरी अलमारी में कई साड़ियाँ हैं,”
रागिनी ने हँसते हुए कहा, “अच्छा ठीक है, मैं भी कुछ ट्राई करती हूँ।”
उसने बिस्तर से उठकर अलमारी की ओर कदम बढ़ाए और एक नीली साड़ी निकाली, “ये कैसी रहेगी?”
रूचि ने कहा, “परफ़ेक्ट! ये तो बहुत सुंदर है। ट्राई करो,”
रागिनी ने अपनी टी-शर्ट उतार दी और फिर अपनी जींस भी। अब वो भी सिर्फ़ अधोवस्त्रों में थी।
रूचि ने उसकी ओर देखा और हँसते हुए कहा, “दीदी, तुम तो कमाल की हो,”
रागिनी ने एक शरारती मुस्कान दी और कहा, “आई नो, लेकिन तू भी तो कम नहीं है। थोड़ा सम्हाल कर देखभाल कर अपने रूप रंग की! गज़ब लगेगी तू भी!”
उसने साड़ी को लपेटना शुरू किया, “रूचि, तूने कभी सोचा है कि जब तू अजय के साथ होगी, तो वो तुझे ऐसे ही देखेगा? मतलब, इतना क्लोज़... इतना इंटीमेटली?”
रूचि का चेहरा फिर से शर्म से लाल हो गया।
उसने कहा, “अरे दीदी, तुम फिर शुरू हो गई! अभी तो मैं इन सबके बारे में सोच भी नहीं रही।”
रागिनी ने हँसते हुए कहा, “मेरी बहना, तो सोचना शुरू कर दे! वो सब बहुत मज़ेदार होता है।”
थोड़ी देर में दोनों अपनी अपनी साड़ियाँ पहन कर तैयार थीं।
“मस्त लग रही हो रूचि!” रागिनी ने कहा, और फिर रूचि के बाल पकड़ कर एक दो स्टाइल में पकड़ कर दिखाते हुए बोली, “बाल ऐसे रखना... और बहुत हेवी नेकलेस मत पहनना! ठीक है?”
रूचि न ‘हाँ’ में सर हिलाया।
“बढ़िया लगेगी!” रागिनी ने बढ़िया शब्द पर ज़ोर दिया।
“तो ये साड़ी पक्की?”
“हंड्रेड परसेंट!”
“ओके,” कह कर रूचि ने उस साड़ी और ब्लाउज़ को उतार दिया और फिर पेटीकोट भी।