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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Gayab nhi hua tha, site bnd ho gyi thi isliye nhi aaya
Tilism abhi shru nhi hua 🤯 phir to aur maza aayega
Is mayavan se nikalne ke baad hi uss mayavi tilism me jayenge bhai, bas sath bane raho, aur aah, waah karte raho:D
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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#119.

गोंजालो से युद्ध:

(13 जनवरी 2002, रविवार, 07:10, सामरा राज्य, अराका द्वीप)

पंचशूल प्राप्त करने के बाद व्योम को उसमें काफी शक्ति का अहसास होने लगा था।

व्योम ने एक नजर फिर उस मूर्ति वाली दिशा की ओर मारी और जंगल में उस दिशा की ओर बढ़ गया।

सुबह का समय था, हवाओं में ठंडक का अहसास था। सामरा घाटी में चारो ओर रंग बिरंगे फूल लगे थे, जो कि उस घाटी की सुंदरता को बहुत ही खूबसूरत बना रहे थे।

रास्ते में लगे पेड़ों से व्योम ने फल खाकर पानी पी लिया था। व्योम को चलते हुए एक घंटा हो गया था।

रास्ते में व्योम को एक साफ पत्थर दिखाई दिया, व्योम कुछ देर के लिये उस पत्थर पर बैठकर इस घाटी के बारे में सोचने लगा।

व्योम को लग रहा था कि इस जंगल में अनेकों खतरों का सामना करना पड़ेगा, पर रास्ते में उसे कोई भी खतरा दिखाई नहीं दिया।

तभी व्योम को सूखे पत्ते के खड़कने की एक आवाज सुनाई दी। उसकी आँखें तुरंत आवाज की दिशा में घूम गईं।

व्योम को दूर से चलकर आता हुआ एक साया दिखाई दिया। ऐसे घने जंगल में किसी को देखकर, व्योम तुरंत एक पेड़ की ओट में छिप गया।

धीरे-धीरे चलता हुआ वह साया व्योम के बगल से गुजरा। वह सामरा राज्य की खूबसूरत राजकुमारी त्रिकाली थी।

त्रिकाली का रंग दूध के समान गोरा और बाल भूरे रंग के थे।

त्रिकाली ने किसी पौराणिक राजकुमारी की तरह पीले रंग की सुंदर सी ड्रेस पहन रखी थी। उसके गले में सोने का हार और हाथों में सोने की चूड़ियां भी पहन रखीं थीं।

त्रिकाली के हाथ में एक सोने की थाली थी, जिसमें कुछ पूजा का सामान रखा था।

त्रिकाली को देखकर व्योम को बहुत आश्चर्य हुआ।

“इतने भयानक जंगल में इतनी सुंदर लड़की अकेले क्यों घूम रही है?” व्योम ने अपने मन में सोचा- “और... इसका पहनावा तो किसी राजकुमारी के जैसा है। इस लड़की के इस प्रकार घूमने में कुछ ना कुछ तो रहस्य अवश्य है?...कहीं यह उन बौनों की राजकुमारी तो नहीं है? मुझे इसका पीछा करके देखना चाहिये।”

यह सोच व्योम दबे कदमों से त्रिकाली के पीछे चल दिया।

त्रिकाली भी उसी दिशा में जा रही थी, जिधर व्योम ने एक ऊंची सी मूर्ति को पहाड़ से देखा था।

कुछ देर तक पीछा करते रहने के बाद व्योम को वह मूर्ति दिखाई देने लगी।

मूर्ति को देख व्योम हैरान रह गया। वह मूर्ति हिं..दू देवी महा…का..ली की थी। मूर्ति में देवी को नरमुंडों की माला पहने और जीभ निकाले दिखाया गया था। देवी ने अपने आठों हाथों में अलग-अलग शस्त्र को धारण कर रखा था।

“देवी की मूर्ति अटलांटिक महासागर के इस रहस्यमय द्वीप के जंगल में कहां से आयी?” व्योम को मूर्ति को देख बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो पा रहा था।

त्रिकाली, मूर्ति के पास जाकर रुक गयी। त्रिकाली ने अपने हाथ में पकड़ी पूजा की थाली को वहीं जमीन पर रख दिया और देवी की मूर्ति के सामने हाथ जो ड़कर अपना सिर झुकाया।

अब त्रिकाली पूजा की थाली से सामान निकालकर देवी की पूजा करने लगी। व्योम अभी भी पेड़ के पीछे छिपा हुआ त्रिकाली को देख रहा था।

तभी व्योम की नजर त्रिकाली की ओर बढ़ रहे एक अजीब से जीव पर पड़ी।

वह जीव कई जानवरों का मिला-जुला रुप दिख रहा था।

उस जानवर का शरीर 6 फुट ऊंची एक विशाल बिल्ली की तरह का दिख रहा था, उसके सिर पर कुछ अजीब से पंखों का ताज जैसा लगा दिखाई दे रहा था। उसके शरीर पर मछली के समान गलफड़ बने थे, जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि वह जीव पानी में भी आसानी से साँस ले सकता है।

उस जानवर की पूंछ पीछे से किसी झाड़ू के समान थी। उसने अपने गले में धातु के लॉकेट में एक पीले रंग का रत्न पहन रखा था।

व्योम ने आज तक किताबों में भी कभी ऐसा जीव नहीं देखा था।

वह जीव दबे पाँव त्रिकाली की ओर बढ़ रहा था।

व्योम देखते ही समझ गया कि यह जीव त्रिकाली पर हमला करने जा रहा है। व्योम ने अपनी जेब से चाकू को निकालकर तुरंत अपने हाथ में पकड़ लिया और धीरे-धीरे उस जीव की ओर बढ़ने लगा।

उस विचित्र जीव का पूरा ध्यान त्रिकाली पर था, इसलिये उसने पीछे से आते व्योम को नहीं देखा।

व्योम ने उस जीव के पास पहुंच, जोर से आवाज की।

इससे पहले कि वह जीव कुछ समझ पाता, व्योम छलांग मारकर उसकी पीठ पर चढ़ गया और अपने दोनों हाथों की कुण्डली बना उस जीव का गला पकड़ लिया।

व्योम की आवाज सुन त्रिकाली ने पीछे पलटकर देखा। त्रिकाली की नजर जैसे ही उस जीव पर पड़ी, वह उस जीव को पहचान गयी।

वह जीव जैगन का सेवक गोंजालो था, जिसमें अनेकों विचित्र शक्तियां थीं।

गोंजालो को देख त्रिकाली डर गयी, क्यों कि वह गोंजालो की शक्तियों से भली-भांति परिचित थी।

तभी त्रिकाली की नजर गोंजालो की पीठ पर बैठे व्योम की ओर गयी, जो एक साधारण चाकू से गोंजालो से भिड़ा हुआ था।

व्योम की हिम्मत और उसके बलिष्ठ शरीर की मसल्स देख त्रिकाली व्योम पर मोहित हो गई।

तभी गोंजालो ने अपनी पीठ को नीचे की ओर सिकोड़ा और फिर बहुत तेजी से ऊपर कर दिया।

व्योम को गोंजालो के इस दाँव का कोई अंदाजा नहीं था, इसलिये व्योम गोंजालो की पीठ से उछलकर एक पेड़ से जा टकराया।

वह टक्कर इतनी प्रभावशाली थी कि वह पेड़ ही अपने स्थान से उखड़ गया।

त्रिकाली को लगा कि इतनी भयानक टक्कर के बाद तो व्योम उठ भी नहीं पायेगा, पर त्रिकाली की आशा के विपरीत व्योम उछलकर खड़ा हुआ और फिर से गोंजालो को घूरने लगा।

अब गोंजालो ने अपने सिर को एक झटका दिया। ऐसा करते ही उसके सिर पर लगे पंखों के ताज से कुछ पंख निकलकर तेजी से व्योम की ओर बढ़े। उन पंखों के आगे के सिरे, काँटों जैसे नुकीले थे।

उन पंखों का निशाना व्योम के दोनों पैरों की ओर था। काँटों को अपनी तरफ बढ़ते देख व्योम तेजी से उछला।

पर जैसे ही व्योम उछला, वह 50 फुट ऊपर तक हवा में चला गया।

यह देख गोंजालो और त्रिकाली को छोड़ो, व्योम स्वयं ही आश्चर्य में पड़ गया। व्योम अब हवा में धीरे-धीरे किसी पतंग की मानिंद लहरा रहा था।

“यह मैं हवा में कैसे लहरा रहा हूं? क्या यह उस पंचशूल की किसी शक्ति का असर है?” व्योम ने सोचा।

तभी गोंजालो की पूंछ तेजी से लंबी हुई और व्योम के पैरों में लिपट गई।
इससे पहले कि व्योम कुछ समझ पाता, गोंजालो ने व्योम को अपनी पूंछ में लपेटकर बिजली की तेजी से एक चट्टान पर पटक दिया।

एक बहुत जोरदार आवाज हुई और चट्टान के टुकड़े-टुकड़े हो गये, पर व्योम को एक खरोंच भी नहीं आयी।

यह देख त्रिकाली मंत्रमुग्ध हो गई- “वाह! कितना बलशाली पुरुष है, मैं तो इसे साधारण मानव समझ रही थी, पर इसमें तो बहुत सी शक्तियां हैं।”

त्रिकाली को अब इस युद्ध में मजा आने लगा था। वह किसी दर्शक की भांति एक पेड़ के पास खड़ी होकर इस युद्ध का पूर्ण आनन्द उठाने लगी थी।

व्योम भी स्वयं की शक्तियों से आश्चर्य में था।

इस बार व्योम ने गोंजालो की पूंछ को पकड़कर जोर से घुमाया और उसे आसमान में दूर उछाल दिया।

यह व्योम की एक छोटी सी ताकत का नमूना था। गोंजालो आसमान में बहुत ऊंचे तक गया, पर अचानक उसने अपने शरीर को सिकोड़कर अपने वेग को नियंत्रित किया और आसमान से लहराते हुए नीचे की ओर आने लगा।

इस बार गोंजालो के शरीर के मछली वाले भाग से एक बिजली निकलकर कड़कती हुई व्योम की ओर बढ़ी।

वह बिजली व्योम के शरीर से जाकर टकराई।

गोंजालो पूरा निश्चिंत था कि इस बार व्योम के शरीर के चिथड़े उड़ जायेंगे, पर गोंजालो की बिजली का व्योम पर कोई असर नहीं हुआ।

इस बार व्योम ने अपना दाहिना हाथ झटककर गोंजालो की ओर बढ़ाया।
व्योम के दाहिने हाथ में अब पंचशूल नजर आने लगा।

पंचशूल से एक बिजली की लहर निकलकर गोंजालो पर पड़ी और गोंजालो का पूरा जिस्म उस तेज बिजली से झुलस गया।

तभी हवा में एक गोला प्रकट हुआ। गोंजालो उस गोले में समा कर गायब हो गया।

उधर त्रिकाली लगातार व्योम की अद्भुत शक्तियों को देख रही थी। अब उससे रहा ना गया और वह बोल उठी- “तुम कौन हो पराक्रमी? तुम में तो देवताओं जैसी अद्भुत शक्तियां हैं।”

अपना काम करके पंचशूल वापस हवा में विलीन हो गया।

त्रिकाली को अंग्रेजी भाषा में बात करते देख व्योम आश्चर्य से भर उठा।

“मेरा नाम व्योम है, मैं तो एक साधारण इंसान हूं, यह सारी शक्तियां तो मुझे इस रहस्यमय घाटी से प्राप्त हुईं हैं। मैं अभी स्वयं इन्हें समझने की कोशिश कर रहा हूं। पर आप कौन हैं? और इस खतरनाक घाटी में अकेली क्या कर रहीं हैं? और आप इतनी अच्छी अंग्रेजी भाषा कैसे बोल रहीं हैं?”

“मेरा नाम त्रिकाली है। मैं इसी द्वीप की रहने वाली हूं और मुझे अंग्रेजी ही नहीं, और भी कई भाषाएं आती हैं।” त्रिकाली ने कहा- “पर तुम इस द्वीप पर कैसे आ गये? यहां पर तो किसी का भी पहुंचना बिल्कुल
नामुमकिन सा है।”

“इस क्षेत्र में मेरी बोट का एक्सीडेंट हो गया था, जिसके कारण भटककर मैं यहां आ गया।” व्योम ने मुस्कुराते हुए कहा- “वैसे इस द्वीप का नाम क्या है? और यह किस देश के अंतर्गत आता है?”

“इस द्वीप का नाम अराका है और यह एक स्वतंत्र द्वीप है। यह किसी देश की सीमा में नहीं आता और मैं इस द्वीप के राजा कलाट की बेटी हूं। मैं यहां देवी की पूजा के लिये आयी थी। तभी पीछे से उस जीव ने आक्रमण कर दिया था, पर आपने मुझे बचा लिया। इसके लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।”

“अच्छा तो आप इस द्वीप की राजकुमारी हैं।” व्योम ने थोड़ा झुककर त्रिकाली को सम्मान देते हुए कहा- “लेकिन आप इतने भयानक जंगल में अकेले यहां क्या कर रहीं हैं? यहां तो हर कदम पर खतरे भरे हुए हैं।”

“मैं पूजा पर हमेशा अकेली ही आती हूं।” त्रिकाली ने कहा- “वैसे मेरे गले में हमेशा रक्षा कवच रहता है, जिसकी वजह से जंगल के कोई भी जानवर मुझ पर आक्रमण नहीं करते हैं, पर आज नहाने के बाद, मैं रक्षा कवच गले में पहनना भूल गई।”

यह कहकर त्रिकाली ने अपने वस्त्रों में छिपा एक काले रंग का मोटा सा धागा निकाला, जिसके नीचे एक लाल रंग का रत्न लगा हुआ था।

“क्या आप यह रक्षा कवच मेरे गले में बांध सकते हैं?” त्रिकाली ने रक्षा कवच को व्योम की आँखों के आगे लहराते हुए कहा।

“जी हां! क्यों नहीं ।” व्योम ने त्रिकाली के हाथों से रक्षा कवच लेकर एक नजर उस पर डाली और फिर उसके पीछे की ओर आ गया।

त्रिकाली ने अपने भूरे बालों को अपने हाथों से आगे की ओर कर लिया। व्योम की नजर त्रिकाली की दूध सी सफेद गोरी गर्दन की ओर गई।

व्योम थोड़ी देर तक त्रिकाली को निहारने लगा, तभी त्रिकाली बोल उठी- “क्या हुआ बंध नहीं रहा है क्या?”

“न...नहीं...नहीं ऐसी कोई बात नहीं है...वो...वो...मैं कुछ सोचने लगा था?” व्योम ने घबरा कर कहा और त्रिकाली के गले में उस धागे को बांध दिया।

जब व्योम, त्रिकाली के गले में रक्षा कवच बांध रहा था, तो त्रिकाली ने देवी का..ली को देखते हुए आँख बंद करके होंठो ही होंठो में कोई मंत्र बुदबुदाया, जो व्योम को दिखाई नहीं दिया।

रक्षा कवच गले में बंधते ही त्रिकाली के होंठो पर एक गहरी मुस्कान छा गई।

“ठीक से तो बांधा है ना?” त्रिकाली ने मुस्कुराते हुए कहा- “कहीं खुल तो नहीं जायेगा?”

“नहीं ... नहीं …. मेरी बांधी गांठ कभी नहीं खुलती।” यह बोलते हुए व्योम के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी।

तभी त्रिकाली ने अपने वस्त्रों में छिपा एक और रक्षा कवच निकाल लिया। व्योम की नजर अब दूसरे रक्षा कवच पर थी, जैसे वह पूछना चाहता हो कि अब इसका क्या?

त्रिकाली व्योम को इस प्रकार देखते पाकर बोल उठी- “अरे यह तुम्हारे लिये है। यहां कदम-कदम पर खतरे भरे पड़े हैं, इसलिये तुम्हारा बचाव भी जरुरी है।”

व्योम पहले तो हिचकिचाया फिर उसने त्रिकाली से रक्षा कवच अपने गले में बंधवा लिया।

रक्षा कवच बांधने के बाद त्रिकाली व्योम से बिना कुछ कहे अपनी अधूरी पूजा को पूरा करने के लिये दोबारा से देवी की मूर्ति के पास बैठ गई।

व्योम ने बीच में कुछ कहना ठीक ना समझा, इसलिये वह भी अपने जूते उतारकर, त्रिकाली के पास वहीं जमीन पर बैठ गया।

व्योम अब आँख बंद किये, हाथ जोड़े बैठी त्रिकाली को अपलक निहार रहा था।

थोड़ी देर पूजा करने के बाद त्रिकाली ने आँखें खोली और व्योम को बगल में बैठा देख मुस्कुरा उठी। फिर त्रिकाली ने देवी के सामने हाथ जोड़कर सिर झुकाया।

“तुम भी देवी के सामने हाथ जोड़ लो।” त्रिकाली ने व्योम से कहा- “देवी सबकी इच्छाएं पूरी करती हैं।”

व्योम ने कुछ सोचा और फिर उसने भी देवी के सामने सिर झुकाया।

व्योम के सिर झुकाते ही उसके गले में पड़ा रक्षा कवच का लाल रत्न एक बार तेजी से चमका, जिसे चमकते देख त्रिकाली के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान आ गयी।

त्रिकाली अब उठकर खड़ी हो गयी और एक दिशा की ओर चल दी।

“अरे-अरे... कहां जा रही हो आप?” त्रिकाली को जाते देख व्योम बोल उठा- “अभी तो मुझे आपसे बहुत सारे प्रश्नों का जवाब चाहिये।”

“अगर जवाब चाहिये तो मेरे साथ चलना पड़ेगा। मैं यहां पर तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सकती।” त्रिकाली ने कहा।

“ठीक है मैं चलने के लिये तैयार हूं।” व्योम भी त्रिकाली के पीछे-पीछे चल दिया।

जारी रहेगा_______✍️
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
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159
113 चैपटर-3: स्पाइनो-सोरस
यार डायनासौर तो कोई साढ़े छः सौ करोड़ साल पहले ही विलुप्त हो गए - यह एक पुरातत्व पर आधारित प्रामाणिक तथ्य है। आधुनिक मानव आया कोई डेढ़ लाख साल पहले। उसके बाद चेतना प्राप्त करने के बाद हर स्थान पर अलग अलग मानव ने अपने अपने हिसाब से अपने अपने ईश्वरों की रचना करी।
अब हमारे ही बनाए हुए ईश्वरों ने हमसे इतने पहले विलुप्त हो चुके जीवों की रचना कैसे करी - सोचने वाली बात है!
ख़ैर - अब फ़ूफागिरी छोड़ कर लिखता हूँ।
स्पाइनोसॉरस का अंत कर के ज़ेनिथ ने कमाल कर दिया। हिम्मत चाहिए अपने से बड़े शत्रु का अंत करने के लिए। जैसे डेविड और गोलायथ! कभी कभी शत्रु का विकराल आकार ही उसके अंत का कारण बन जाता है - गोलायथ और स्पाइनोसॉरस दोनों ही अपने आकार के सामने बेबस हो गए।

114 महाशक्ति
बड़े दिनों बाद व्योम साहब के दर्शन हुए।
व्योम भाई को भी फलों के रूप में अद्भुत शक्तियाँ हासिल हो गई हैं। लेकिन उसके शरीर के संग उसके अस्त्र शस्त्र भी कैसे छोटे हो गए, यह सोचने का विषय है। अब उसके पास न केवल गुरुत्व शक्ति है, बल्कि साथ में पंचशूल भी! एक ऐसा पंचशूल अपने अक्वामैन भाई साहब पकड़े हुए दिखाई देते हैं। कभी कभी भगवान शि…व और पोसाइडन को भी पंचशूल पकड़े दिखाया जाता है। अब व्योम भाई के दैवीय शक्तियाँ हैं -- सूक्ष्म रूप धरि... विकट रूप धरि...

शेफ़ाली - सुयश - ज़ेनिथ - और अब व्योम! सात में से चार के पास दैवीय शक्तियाँ हैं।


मैंने अपडेट्स 109 और 110 पढ़ने के बाद सोचा कि 111 नहीं पढ़ा है। लेकिन अग्नि जाल और 112 पढ़ने के बाद समझा कि वो दोनों अपडेट्स भी पढ़ लिए थे, और कमेंट भी लिखे थे। लेकिन समय का वह दौर जब साइट का भुट्टा भून दिया गया था, तब मेरे कमेंट भी गायब हो गए। अभी भी सही नहीं ही साइट की हालत -- तीन बार डिसकनेक्ट हुई है ये। इसलिए अधिक नहीं लिखूँगा - वैसे भी अधिक लिखने को फिलहाल नहीं है मेरे पास कुछ।

बस इतना ही कि गज़ब की कल्पनाशक्ति है भाई आपकी। और बहुत ही बढ़िया लेखनी।

अब यहाँ पर पढ़ने लायक शायद ही कोई ढंग की कहानियाँ शेष हैं। लेकिन ये कहानी सर्वोत्तम और सर्वश्रेष्ठ है। 👏 👏 👏 👏 👏
 

Raj_sharma

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Padne ka time next month

मतलब अभी रोजर भी इसी टापू पर जिन्दा हो सकता है

Shaandar jabardast Romanchak Update 👌👌👌

nice update

Awesome update

Suyash ka is dweep se zaroor koi poorana naata hai. Aur uske tattoo mei bhale hi abhi takat aayi ho, lekin iss tattoo ka raaz bhi kaafi poorana lag raha hai..

Agle update ka intezaar rahega..

WOW mast update raha ye bhi Raj_sharma bhai
Shalaka ke Saat Bhai or Saatoo ke pass alag alag tatva ki taqat hai lekin ye Yugaka inke piche ahe Yugaka he wahe saya to nahi jo inke pucha kar raha hai shuruvat se alag alag roop leke
Or
Ab Suyash ka pair jam kaise gaya kya hone wala hai Suyash ke sath ab

अपडेट हमेशा की तरह लाजवाब था गुरूजी 🧡। मेरा पूर्वानुमान की गुरुत्व शक्ति गिरने के बाद नष्ट नही हुई होगी ,सत्य हो गया इस अपडेट में। रिंजो और शिंजो की जोड़ी अपने में ही अलग है, अतरंगी तथा हास्यास्पद कृत्य करने में अव्वल है दोनो, द्वीप पर घूम घूम कर शक्ति को खोजना और उसे अपने किसी यंत्र में प्रयोग करके उसे अपनी खोज बताना यही उनका मुख्य काम है, किरीट से शाबाशी जो मिलती है इन सबसे। व्योम भी समय के साथ शक्तिशाली होता जा रहा है पहले उस दिव्य पेड़ से , फिर गुरुत्व शक्ति और अब पंचशूल , व्योम का क्या किरदार होने वाला है आने वाले समय में ये तो लेखक ही जाने पर इतना तो जरूर है की व्योम, सुयश, शैफ़ाली हमें दिखेंगे ही लगातार बाकी का सफर कहा तक रहेगा ये अभी कहा नही जा सकता। अब व्योम और बाकी के सदस्यों का मेल मिलाप कब होगा ये भी देखने योग्य दृश्य होगा।

एक चीज़ जिसपे मैने गौर किया है की ये 114 अपडेट्स कहानी के समय के 1 महीने से भी कम समय के हैं ।

बहुत ही कमाल की कहानी है इंतजार रहे अगले प्रसंग का।

waiting next

Bhut hi badhiya update Bhai
To alex us tin muh vale sanp ke jhute natak me phans gaya or use us jagah se aazad kar diya aur khud vaha par phans gaya
Dhekte hai ab alex us gadde se kese bahar niklata hai

राज भाई - ऐसे न सोचें कि हम आपको भूल गए।
बिल्कुल ही नहीं। बस समय लग रहा है। पिछले कुछ समय से वेबसाइट का जो भर्ता बना था, यह देर उसी का परिणाम है।
इतने में आपने कई सारे अपडेट्स दे दिए!



111 से शुरू करने वाला हूँ। एक दो दिन में आता हूँ अपनी फ़ूफागिरी दिखाने 😂

मोडरेटर साहब , आप लोगों का तो हमे पता नही पर हम जैसे साधारण लोगों के लिए इस फोरम को ओपन करना बहुत मुश्किल हो गया है ।
कभी-कभार तो लगता है यह फोरम भी गाॅसिप की तरह शट डाउन हो जाएगा । फिलहाल यह फोरम ओपन तो हो रहा है , लेकिन हर पन्द्रह मिनट बाद प्रोब्लम भी पैदा हो रही है । नेक्स्ट पेज ओपन करने के लिए कभी पीछे तो कभी आगे के पेज पर जाना पड़ रहा है । कुछ कमेंट करो तो कमेंट पोस्ट करने मे दिक्कतें आ रही है ।
बहरहाल , जैसा कि मैने पहले भी कहा है आप बहुत सुंदर लिख रहे है और वह सुन्दरता हर अपडेट के बाद और भी बढ़ती जा रही है ।
इस अटलांटिस सभ्यता के अराका और समारा द्वीप मे , खासकर अराका द्वीप के मायावन मे एक से बढ़कर एक चमत्कारिक घटनाएं देखने को मिल रही है ।
डायनासोर प्रकरण देखकर ' जुरासिक पार्क ' और ' द लास्ट वर्ल्ड ' की यादें ताजा हो गई ।

जहां तक बात है वेगा की , इसकी हत्या करने की कोशिश निरंतर जारी है लेकिन इसका कारण क्या है ? कौन इसकी हत्या करना चाहता है । अब दो नए किरदार भी इस लिस्ट मे शामिल हो गए जो इन साहबान के जान के पीछे पड़े हैं - धरा और मयूर । यह लोग वेगा के जान के पीछे क्यों पड़े है ?

क्रिस्टी के लख्ते जिगर एलेक्स साहब को जिंदा देखकर बहुत खुशी हुई पर यह खुशी कपूर की माफिक छर्र से उड़ गई । साहब आसमान से गिरकर खजूर पर आ टपके है ।

सम्राट के सिर्फ शायद छ पैसेंजर बचे हैं । देखते हैं एलेक्स साहब अगले शिकार होते है या फिर अंत तक कैप्टन सुयश साहब के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मायावन का तिलिस्म तोड़ते है !

सुयश साहब के लिए एक शेर अर्ज है -
" कैद मे है बुलबुल सैय्यद मुस्कराए ,
कहा भी न जाए , चुप रहा भी न जाए । "
सुयश उर्फ आर्यन साहब की बुलबुल सदियों से कैद मे है । कम से कम कुछ तो ऐसा करें कि साहब के चेहरे पर मुस्कराहट आता दिखे !

सभी अपडेट बेहद ही खूबसूरत थे शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।

Bahut

Bahut hi romanchak update he Raj_sharma Bro

Alex zinda to bach gaya lekin, nayi musibat me fans gaya he.......

Vishaka ne dhokhe se apni mani prapt kar li Alex se........

Ab Medusa se kaise bachega Alex......

Keep rocking Bro

Amazing update and nice story

Abhi tak 11 update tak hi pahuchi ju ne bhut update de diye i m too slow btw nice story

Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....

romanchak update..christi ka darr bhi sahi tha ..
christi ki painting ne to sabko mushkil me daal diya tha ,ek janwar ko khatm nahi kiya to dusra taiyar ho jata par aaj christi heroine ban gayi jo bina dare ladhne ko taiyar thi aur aakhirkar apne akl ka istemal karke saare khatro ka nash kar diya ..
ab uske paas aisi pencil bhi hai jisse jo banao wo mil jayega ..dekhte hai aage kaise use hota hai pencil ka ..

Bhut hi badhiya update Bhai
To kristi ki samjhdari se ye sabhi is samsya ko par kar gaye
Or kristi ko ek pencil bhi mil gayi
Dhekte hai ye pencil aage kya kam aati hai

Nice update....

Wow*
Shaka Laka boom boom tv serial ka yaad dila diya brother.

Bear aur lion ne kaam achha kiya par Cristy dono se aage nikal gayi.

Khair Nakshatra ke paas ab bhi apni time ko freeze karne ki Shakti bacha hua hai ye ek achhi baat hai.

Lovely 🌹 update brother.

Mujhe padhne toh do 🫣

Adbhud, akalpniya, aur atyant rachnatmak likh rahe ho aap sharma ji:bow::bow::bow::bow:
Chahe mahabali hanuka wala scene ya Update dekh len, ya trishakti wala, ya fir uss naag vishaka wala. Har ek update me aapne jhande gaade hain,
Sorry for late reply, iwas busy in some urgent work, aapki is kahani ko jo ek baar padh lega, wo dobara jaroor padhna chahega, aisa mera manna hai, thanks for the awesome story 😘

Interesting update👌👌👌

Mst update bro

nice updstes

बहुत ही जबरदस्त शानदार लाजवाब और अद्भुत रमणिय रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Gayab nhi hua tha, site bnd ho gyi thi isliye nhi aaya
Tilism abhi shru nhi hua 🤯 phir to aur maza aayega

Bea

Beautiful update and nice story

Raj_sharma bhai aaj update aane wala hai kya.

Update posted friends :declare:
 

parkas

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गोंजालो से युद्ध:

(13 जनवरी 2002, रविवार, 07:10, सामरा राज्य, अराका द्वीप)

पंचशूल प्राप्त करने के बाद व्योम को उसमें काफी शक्ति का अहसास होने लगा था।

व्योम ने एक नजर फिर उस मूर्ति वाली दिशा की ओर मारी और जंगल में उस दिशा की ओर बढ़ गया।

सुबह का समय था, हवाओं में ठंडक का अहसास था। सामरा घाटी में चारो ओर रंग बिरंगे फूल लगे थे, जो कि उस घाटी की सुंदरता को बहुत ही खूबसूरत बना रहे थे।

रास्ते में लगे पेड़ों से व्योम ने फल खाकर पानी पी लिया था। व्योम को चलते हुए एक घंटा हो गया था।

रास्ते में व्योम को एक साफ पत्थर दिखाई दिया, व्योम कुछ देर के लिये उस पत्थर पर बैठकर इस घाटी के बारे में सोचने लगा।

व्योम को लग रहा था कि इस जंगल में अनेकों खतरों का सामना करना पड़ेगा, पर रास्ते में उसे कोई भी खतरा दिखाई नहीं दिया।

तभी व्योम को सूखे पत्ते के खड़कने की एक आवाज सुनाई दी। उसकी आँखें तुरंत आवाज की दिशा में घूम गईं।

व्योम को दूर से चलकर आता हुआ एक साया दिखाई दिया। ऐसे घने जंगल में किसी को देखकर, व्योम तुरंत एक पेड़ की ओट में छिप गया।

धीरे-धीरे चलता हुआ वह साया व्योम के बगल से गुजरा। वह सामरा राज्य की खूबसूरत राजकुमारी त्रिकाली थी।

त्रिकाली का रंग दूध के समान गोरा और बाल भूरे रंग के थे।

त्रिकाली ने किसी पौराणिक राजकुमारी की तरह पीले रंग की सुंदर सी ड्रेस पहन रखी थी। उसके गले में सोने का हार और हाथों में सोने की चूड़ियां भी पहन रखीं थीं।

त्रिकाली के हाथ में एक सोने की थाली थी, जिसमें कुछ पूजा का सामान रखा था।

त्रिकाली को देखकर व्योम को बहुत आश्चर्य हुआ।

“इतने भयानक जंगल में इतनी सुंदर लड़की अकेले क्यों घूम रही है?” व्योम ने अपने मन में सोचा- “और... इसका पहनावा तो किसी राजकुमारी के जैसा है। इस लड़की के इस प्रकार घूमने में कुछ ना कुछ तो रहस्य अवश्य है?...कहीं यह उन बौनों की राजकुमारी तो नहीं है? मुझे इसका पीछा करके देखना चाहिये।”

यह सोच व्योम दबे कदमों से त्रिकाली के पीछे चल दिया।

त्रिकाली भी उसी दिशा में जा रही थी, जिधर व्योम ने एक ऊंची सी मूर्ति को पहाड़ से देखा था।

कुछ देर तक पीछा करते रहने के बाद व्योम को वह मूर्ति दिखाई देने लगी।

मूर्ति को देख व्योम हैरान रह गया। वह मूर्ति हिं..दू देवी महा…का..ली की थी। मूर्ति में देवी को नरमुंडों की माला पहने और जीभ निकाले दिखाया गया था। देवी ने अपने आठों हाथों में अलग-अलग शस्त्र को धारण कर रखा था।

“देवी की मूर्ति अटलांटिक महासागर के इस रहस्यमय द्वीप के जंगल में कहां से आयी?” व्योम को मूर्ति को देख बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो पा रहा था।

त्रिकाली, मूर्ति के पास जाकर रुक गयी। त्रिकाली ने अपने हाथ में पकड़ी पूजा की थाली को वहीं जमीन पर रख दिया और देवी की मूर्ति के सामने हाथ जो ड़कर अपना सिर झुकाया।

अब त्रिकाली पूजा की थाली से सामान निकालकर देवी की पूजा करने लगी। व्योम अभी भी पेड़ के पीछे छिपा हुआ त्रिकाली को देख रहा था।

तभी व्योम की नजर त्रिकाली की ओर बढ़ रहे एक अजीब से जीव पर पड़ी।

वह जीव कई जानवरों का मिला-जुला रुप दिख रहा था।

उस जानवर का शरीर 6 फुट ऊंची एक विशाल बिल्ली की तरह का दिख रहा था, उसके सिर पर कुछ अजीब से पंखों का ताज जैसा लगा दिखाई दे रहा था। उसके शरीर पर मछली के समान गलफड़ बने थे, जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि वह जीव पानी में भी आसानी से साँस ले सकता है।

उस जानवर की पूंछ पीछे से किसी झाड़ू के समान थी। उसने अपने गले में धातु के लॉकेट में एक पीले रंग का रत्न पहन रखा था।

व्योम ने आज तक किताबों में भी कभी ऐसा जीव नहीं देखा था।

वह जीव दबे पाँव त्रिकाली की ओर बढ़ रहा था।

व्योम देखते ही समझ गया कि यह जीव त्रिकाली पर हमला करने जा रहा है। व्योम ने अपनी जेब से चाकू को निकालकर तुरंत अपने हाथ में पकड़ लिया और धीरे-धीरे उस जीव की ओर बढ़ने लगा।

उस विचित्र जीव का पूरा ध्यान त्रिकाली पर था, इसलिये उसने पीछे से आते व्योम को नहीं देखा।

व्योम ने उस जीव के पास पहुंच, जोर से आवाज की।

इससे पहले कि वह जीव कुछ समझ पाता, व्योम छलांग मारकर उसकी पीठ पर चढ़ गया और अपने दोनों हाथों की कुण्डली बना उस जीव का गला पकड़ लिया।

व्योम की आवाज सुन त्रिकाली ने पीछे पलटकर देखा। त्रिकाली की नजर जैसे ही उस जीव पर पड़ी, वह उस जीव को पहचान गयी।

वह जीव जैगन का सेवक गोंजालो था, जिसमें अनेकों विचित्र शक्तियां थीं।

गोंजालो को देख त्रिकाली डर गयी, क्यों कि वह गोंजालो की शक्तियों से भली-भांति परिचित थी।

तभी त्रिकाली की नजर गोंजालो की पीठ पर बैठे व्योम की ओर गयी, जो एक साधारण चाकू से गोंजालो से भिड़ा हुआ था।

व्योम की हिम्मत और उसके बलिष्ठ शरीर की मसल्स देख त्रिकाली व्योम पर मोहित हो गई।

तभी गोंजालो ने अपनी पीठ को नीचे की ओर सिकोड़ा और फिर बहुत तेजी से ऊपर कर दिया।

व्योम को गोंजालो के इस दाँव का कोई अंदाजा नहीं था, इसलिये व्योम गोंजालो की पीठ से उछलकर एक पेड़ से जा टकराया।

वह टक्कर इतनी प्रभावशाली थी कि वह पेड़ ही अपने स्थान से उखड़ गया।

त्रिकाली को लगा कि इतनी भयानक टक्कर के बाद तो व्योम उठ भी नहीं पायेगा, पर त्रिकाली की आशा के विपरीत व्योम उछलकर खड़ा हुआ और फिर से गोंजालो को घूरने लगा।

अब गोंजालो ने अपने सिर को एक झटका दिया। ऐसा करते ही उसके सिर पर लगे पंखों के ताज से कुछ पंख निकलकर तेजी से व्योम की ओर बढ़े। उन पंखों के आगे के सिरे, काँटों जैसे नुकीले थे।

उन पंखों का निशाना व्योम के दोनों पैरों की ओर था। काँटों को अपनी तरफ बढ़ते देख व्योम तेजी से उछला।

पर जैसे ही व्योम उछला, वह 50 फुट ऊपर तक हवा में चला गया।

यह देख गोंजालो और त्रिकाली को छोड़ो, व्योम स्वयं ही आश्चर्य में पड़ गया। व्योम अब हवा में धीरे-धीरे किसी पतंग की मानिंद लहरा रहा था।

“यह मैं हवा में कैसे लहरा रहा हूं? क्या यह उस पंचशूल की किसी शक्ति का असर है?” व्योम ने सोचा।

तभी गोंजालो की पूंछ तेजी से लंबी हुई और व्योम के पैरों में लिपट गई।
इससे पहले कि व्योम कुछ समझ पाता, गोंजालो ने व्योम को अपनी पूंछ में लपेटकर बिजली की तेजी से एक चट्टान पर पटक दिया।

एक बहुत जोरदार आवाज हुई और चट्टान के टुकड़े-टुकड़े हो गये, पर व्योम को एक खरोंच भी नहीं आयी।

यह देख त्रिकाली मंत्रमुग्ध हो गई- “वाह! कितना बलशाली पुरुष है, मैं तो इसे साधारण मानव समझ रही थी, पर इसमें तो बहुत सी शक्तियां हैं।”

त्रिकाली को अब इस युद्ध में मजा आने लगा था। वह किसी दर्शक की भांति एक पेड़ के पास खड़ी होकर इस युद्ध का पूर्ण आनन्द उठाने लगी थी।

व्योम भी स्वयं की शक्तियों से आश्चर्य में था।

इस बार व्योम ने गोंजालो की पूंछ को पकड़कर जोर से घुमाया और उसे आसमान में दूर उछाल दिया।

यह व्योम की एक छोटी सी ताकत का नमूना था। गोंजालो आसमान में बहुत ऊंचे तक गया, पर अचानक उसने अपने शरीर को सिकोड़कर अपने वेग को नियंत्रित किया और आसमान से लहराते हुए नीचे की ओर आने लगा।

इस बार गोंजालो के शरीर के मछली वाले भाग से एक बिजली निकलकर कड़कती हुई व्योम की ओर बढ़ी।

वह बिजली व्योम के शरीर से जाकर टकराई।

गोंजालो पूरा निश्चिंत था कि इस बार व्योम के शरीर के चिथड़े उड़ जायेंगे, पर गोंजालो की बिजली का व्योम पर कोई असर नहीं हुआ।

इस बार व्योम ने अपना दाहिना हाथ झटककर गोंजालो की ओर बढ़ाया।
व्योम के दाहिने हाथ में अब पंचशूल नजर आने लगा।

पंचशूल से एक बिजली की लहर निकलकर गोंजालो पर पड़ी और गोंजालो का पूरा जिस्म उस तेज बिजली से झुलस गया।

तभी हवा में एक गोला प्रकट हुआ। गोंजालो उस गोले में समा कर गायब हो गया।

उधर त्रिकाली लगातार व्योम की अद्भुत शक्तियों को देख रही थी। अब उससे रहा ना गया और वह बोल उठी- “तुम कौन हो पराक्रमी? तुम में तो देवताओं जैसी अद्भुत शक्तियां हैं।”

अपना काम करके पंचशूल वापस हवा में विलीन हो गया।

त्रिकाली को अंग्रेजी भाषा में बात करते देख व्योम आश्चर्य से भर उठा।

“मेरा नाम व्योम है, मैं तो एक साधारण इंसान हूं, यह सारी शक्तियां तो मुझे इस रहस्यमय घाटी से प्राप्त हुईं हैं। मैं अभी स्वयं इन्हें समझने की कोशिश कर रहा हूं। पर आप कौन हैं? और इस खतरनाक घाटी में अकेली क्या कर रहीं हैं? और आप इतनी अच्छी अंग्रेजी भाषा कैसे बोल रहीं हैं?”

“मेरा नाम त्रिकाली है। मैं इसी द्वीप की रहने वाली हूं और मुझे अंग्रेजी ही नहीं, और भी कई भाषाएं आती हैं।” त्रिकाली ने कहा- “पर तुम इस द्वीप पर कैसे आ गये? यहां पर तो किसी का भी पहुंचना बिल्कुल
नामुमकिन सा है।”

“इस क्षेत्र में मेरी बोट का एक्सीडेंट हो गया था, जिसके कारण भटककर मैं यहां आ गया।” व्योम ने मुस्कुराते हुए कहा- “वैसे इस द्वीप का नाम क्या है? और यह किस देश के अंतर्गत आता है?”

“इस द्वीप का नाम अराका है और यह एक स्वतंत्र द्वीप है। यह किसी देश की सीमा में नहीं आता और मैं इस द्वीप के राजा कलाट की बेटी हूं। मैं यहां देवी की पूजा के लिये आयी थी। तभी पीछे से उस जीव ने आक्रमण कर दिया था, पर आपने मुझे बचा लिया। इसके लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।”

“अच्छा तो आप इस द्वीप की राजकुमारी हैं।” व्योम ने थोड़ा झुककर त्रिकाली को सम्मान देते हुए कहा- “लेकिन आप इतने भयानक जंगल में अकेले यहां क्या कर रहीं हैं? यहां तो हर कदम पर खतरे भरे हुए हैं।”

“मैं पूजा पर हमेशा अकेली ही आती हूं।” त्रिकाली ने कहा- “वैसे मेरे गले में हमेशा रक्षा कवच रहता है, जिसकी वजह से जंगल के कोई भी जानवर मुझ पर आक्रमण नहीं करते हैं, पर आज नहाने के बाद, मैं रक्षा कवच गले में पहनना भूल गई।”

यह कहकर त्रिकाली ने अपने वस्त्रों में छिपा एक काले रंग का मोटा सा धागा निकाला, जिसके नीचे एक लाल रंग का रत्न लगा हुआ था।

“क्या आप यह रक्षा कवच मेरे गले में बांध सकते हैं?” त्रिकाली ने रक्षा कवच को व्योम की आँखों के आगे लहराते हुए कहा।

“जी हां! क्यों नहीं ।” व्योम ने त्रिकाली के हाथों से रक्षा कवच लेकर एक नजर उस पर डाली और फिर उसके पीछे की ओर आ गया।

त्रिकाली ने अपने भूरे बालों को अपने हाथों से आगे की ओर कर लिया। व्योम की नजर त्रिकाली की दूध सी सफेद गोरी गर्दन की ओर गई।

व्योम थोड़ी देर तक त्रिकाली को निहारने लगा, तभी त्रिकाली बोल उठी- “क्या हुआ बंध नहीं रहा है क्या?”

“न...नहीं...नहीं ऐसी कोई बात नहीं है...वो...वो...मैं कुछ सोचने लगा था?” व्योम ने घबरा कर कहा और त्रिकाली के गले में उस धागे को बांध दिया।

जब व्योम, त्रिकाली के गले में रक्षा कवच बांध रहा था, तो त्रिकाली ने देवी का..ली को देखते हुए आँख बंद करके होंठो ही होंठो में कोई मंत्र बुदबुदाया, जो व्योम को दिखाई नहीं दिया।

रक्षा कवच गले में बंधते ही त्रिकाली के होंठो पर एक गहरी मुस्कान छा गई।

“ठीक से तो बांधा है ना?” त्रिकाली ने मुस्कुराते हुए कहा- “कहीं खुल तो नहीं जायेगा?”

“नहीं ... नहीं …. मेरी बांधी गांठ कभी नहीं खुलती।” यह बोलते हुए व्योम के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी।

तभी त्रिकाली ने अपने वस्त्रों में छिपा एक और रक्षा कवच निकाल लिया। व्योम की नजर अब दूसरे रक्षा कवच पर थी, जैसे वह पूछना चाहता हो कि अब इसका क्या?

त्रिकाली व्योम को इस प्रकार देखते पाकर बोल उठी- “अरे यह तुम्हारे लिये है। यहां कदम-कदम पर खतरे भरे पड़े हैं, इसलिये तुम्हारा बचाव भी जरुरी है।”

व्योम पहले तो हिचकिचाया फिर उसने त्रिकाली से रक्षा कवच अपने गले में बंधवा लिया।

रक्षा कवच बांधने के बाद त्रिकाली व्योम से बिना कुछ कहे अपनी अधूरी पूजा को पूरा करने के लिये दोबारा से देवी की मूर्ति के पास बैठ गई।

व्योम ने बीच में कुछ कहना ठीक ना समझा, इसलिये वह भी अपने जूते उतारकर, त्रिकाली के पास वहीं जमीन पर बैठ गया।

व्योम अब आँख बंद किये, हाथ जोड़े बैठी त्रिकाली को अपलक निहार रहा था।

थोड़ी देर पूजा करने के बाद त्रिकाली ने आँखें खोली और व्योम को बगल में बैठा देख मुस्कुरा उठी। फिर त्रिकाली ने देवी के सामने हाथ जोड़कर सिर झुकाया।

“तुम भी देवी के सामने हाथ जोड़ लो।” त्रिकाली ने व्योम से कहा- “देवी सबकी इच्छाएं पूरी करती हैं।”

व्योम ने कुछ सोचा और फिर उसने भी देवी के सामने सिर झुकाया।

व्योम के सिर झुकाते ही उसके गले में पड़ा रक्षा कवच का लाल रत्न एक बार तेजी से चमका, जिसे चमकते देख त्रिकाली के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान आ गयी।

त्रिकाली अब उठकर खड़ी हो गयी और एक दिशा की ओर चल दी।

“अरे-अरे... कहां जा रही हो आप?” त्रिकाली को जाते देख व्योम बोल उठा- “अभी तो मुझे आपसे बहुत सारे प्रश्नों का जवाब चाहिये।”

“अगर जवाब चाहिये तो मेरे साथ चलना पड़ेगा। मैं यहां पर तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सकती।” त्रिकाली ने कहा।

“ठीक है मैं चलने के लिये तैयार हूं।” व्योम भी त्रिकाली के पीछे-पीछे चल दिया।

जारी रहेगा_______✍️
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
 

Raj_sharma

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113 चैपटर-3: स्पाइनो-सोरस
यार डायनासौर तो कोई साढ़े छः सौ करोड़ साल पहले ही विलुप्त हो गए - यह एक पुरातत्व पर आधारित प्रामाणिक तथ्य है। आधुनिक मानव आया कोई डेढ़ लाख साल पहले। उसके बाद चेतना प्राप्त करने के बाद हर स्थान पर अलग अलग मानव ने अपने अपने हिसाब से अपने अपने ईश्वरों की रचना करी।
हमने ईश्वर कि रचना करी? :D भाई जी मानव कितना भी विकसित हो जाए पर वह भगवान को नहीं बना सकता, बल्कि ईश्वर मे ही हम सभी को बनाया है।

अब हमारे ही बनाए हुए ईश्वरों ने हमसे इतने पहले विलुप्त हो चुके जीवों की रचना कैसे करी - सोचने वाली बात है!
ये फैंटेसी बेस की कहानी है भाई साहब , दूसरे ये द्वीप और यहां की हर जीव जन्तु, पेड़ पौधे बनाए गए है।
ख़ैर - अब फ़ूफागिरी छोड़ कर लिखता हूँ।
स्पाइनोसॉरस का अंत कर के ज़ेनिथ ने कमाल कर दिया। हिम्मत चाहिए अपने से बड़े शत्रु का अंत करने के लिए। जैसे डेविड और गोलायथ! कभी कभी शत्रु का विकराल आकार ही उसके अंत का कारण बन जाता है - गोलायथ और स्पाइनोसॉरस दोनों ही अपने आकार के सामने बेबस हो गए।
सत प्रतिशत सत्य कहा आपने भाई :approve: वैसे मनुष्य के मष्तिष्क और बुद्धि से बड़ा हथियार तो देवों के पास भी नहीं है।
114 महाशक्ति
बड़े दिनों बाद व्योम साहब के दर्शन हुए।
व्योम भाई को भी फलों के रूप में अद्भुत शक्तियाँ हासिल हो गई हैं। लेकिन उसके शरीर के संग उसके अस्त्र शस्त्र भी कैसे छोटे हो गए, यह सोचने का विषय है। अब उसके पास न केवल गुरुत्व शक्ति है, बल्कि साथ में पंचशूल भी! एक ऐसा पंचशूल अपने अक्वामैन भाई साहब पकड़े हुए दिखाई देते हैं। कभी कभी भगवान शि…व और पोसाइडन को भी पंचशूल पकड़े दिखाया जाता है। अब व्योम भाई के दैवीय शक्तियाँ हैं -- सूक्ष्म रूप धरि... विकट रूप धरि...
Vyom ke paas panchsul ki shakti uski kushalta aur yogyata ki vajah se aayi hai bhi ji, Gurutva shakti ne bhi use chuna hai, baaki buddhi bhi kam nahi hai uski👍
शेफ़ाली - सुयश - ज़ेनिथ - और अब व्योम! सात में से चार के पास दैवीय शक्तियाँ हैं।
Bilkul, lekin ek aur hai jisko deviy shakti milne wali hai jaldi hai:shhhh:
मैंने अपडेट्स 109 और 110 पढ़ने के बाद सोचा कि 111 नहीं पढ़ा है। लेकिन अग्नि जाल और 112 पढ़ने के बाद समझा कि वो दोनों अपडेट्स भी पढ़ लिए थे, और कमेंट भी लिखे थे। लेकिन समय का वह दौर जब साइट का भुट्टा भून दिया गया था, तब मेरे कमेंट भी गायब हो गए। अभी भी सही नहीं ही साइट की हालत -- तीन बार डिसकनेक्ट हुई है ये। इसलिए अधिक नहीं लिखूँगा - वैसे भी अधिक लिखने को फिलहाल नहीं है मेरे पास कुछ।
हाॅ भाई , मेरे भी दो अपडेट्स गायब हो गये थे। वो तो भला हो कि मैने उसका बैकअप रखा हुआ था।:D वैसे मुझे आपकी फूफा गिरी अच्छी लगी।
बस इतना ही कि गज़ब की कल्पनाशक्ति है भाई आपकी। और बहुत ही बढ़िया लेखनी।

अब यहाँ पर पढ़ने लायक शायद ही कोई ढंग की कहानियाँ शेष हैं। लेकिन ये कहानी सर्वोत्तम और सर्वश्रेष्ठ है। 👏 👏 👏 👏 👏
मेरे पास भी इधर गिने चुने पाठक ही है जो इस कहानी कि गुणवत्ता समझते है। बाकी, लिखा भी तब तक ही जा सकता है, जब कोई पढ़ने वाले हो:dazed: आपके इस शानदार रिव्यू के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र 🙏🏼🙏🏼
 
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