dhalchandarun
[Death is the most beautiful thing.]
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Kya future mein Nakshatra ki new power kisi aur ko theek karegi ya phir sirf ye power Jenith ke liye hai???#114.
महाशक्ति (11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 15:10, सामरा राज्य, अराका द्वीप)
व्योम को चलते हुए 1 दिन से भी ज्यादा हो चुका था। पिछली रात व्योम ने एक पेड़ पर सोकर गुजारी थी।
एक ही बात बेहतर थी कि अभी तक उसे किसी भी प्रकार का कोई खतरा नहीं मिला था।
अकेला होने की वजह से व्योम को उस जंगल में काफी उलझन महसूस हो रही थी, फिर भी वह आगे बढ़ रहा था।
जिस मूर्ति को उसने पहाड़ से चढ़कर देखा था, व्योम को लगा था कि 2 घंटे में ही वह उस मूर्ति तक पहुंच जायेगा, पर जंगल के टेढ़े-मेढ़े रा स्ते की वजह से व्योम को अभी तक उस मूर्ति के दर्शन नहीं हुए थे।
वैसे वह जंगल इतना खूबसूरत था कि व्योम को थकान का अहसास नहीं हो रहा था। खाने-पीने की भी बहुत सारी चीजें आस-पा स थीं।
“मैं यहां ‘सुप्रीम’ के लोगों को बचाने आया था, पर मैं स्वयं ही इस रहस्यमय द्वीप पर फंस गया। पता नहीं मैं अब कभी अपने घर पहुंच भी पाऊंगा कि नहीं ?” व्योम मन ही मन बड़बड़ाते हुए आगे बढ़ रहा था-
“ऊपर से इस द्वीप पर भी पता नहीं कैसे-कैसे रहस्य छुपे हुए हैं?”
तभी व्योम को उन लाल और हरे फलों का ध्यान आया जिसे खाकर वह हाथी, चूहे जितने आकार का हो गया था। यह सोच व्योम ने लाल रंग के फल को जेब से निकालकर देखा।
“देखने में तो साधारण फल जैसा ही लग रहा है। पता नहीं इस फल का खाने में स्वाद कैसा होगा ?”
तभी व्योम के दिमाग में एक खुराफात आयी।
“क्यों ना उस लाल फल को खाकर देखूं? आखिर पता तो चले कि चूहे जितना बनकर कितना मजा आता है? पर कहीं मैं हमेशा के लिये उतना ही बड़ा रह गया तो फिर क्या होगा ?” व्योम के दिमाग में यह सोचकर उथल-पुथल होने लगी।
आखिरकार दिल को कड़ाकर व्योम ने उस फल को खाने का निर्णय कर ही लिया।
“ठीक है, खा ही लेता हूं फल को, पर.... पर इसे किसी पेड़ पर बैठ कर खाना होगा, नहीं तो छोटा होते ही कोई पक्षी मुझ पर हमला ना कर दे?”
यह सोच व्योम एक ऊंचे से पेड़ की डाल पर चढ़कर बैठ गया। व्योम ने अब उस लाल फल को अपने वस्त्रों पर रगड़ कर साफ किया और फिर अपने मुंह में रख लिया।
व्योम ने उस फल को चबाया, उस फल का स्वाद खट्टा था। उसमें कोई बीज भी नहीं था।
तभी व्योम के शरीर को एक झटका लगा। अब उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आसमान की ऊंचाइयों से नीचे गिर रहा हो।
उसके आसपास के पेड़-पौधे बड़े होते दिखने लगे, जबकि असल में व्योम के छोटे हो जाने की वजह से उसे ऐसा महसूस हो रहा था। कुछ ही देर में व्योम का आकार एक चींटी के बराबर का हो गया।
“अरे ये तो मैं चूहे से भी छोटा हो गया।” व्योम ने स्वयं को देखते हुए सोचा- “अच्छा वह हाथी बहुत बड़ा था, इसलिये वह चूहे के आकार का हो गया था। इंसान के शरीर को यह फल चींटी जितना छोटा कर देता है।”
व्योम ने अब अपनी जेब में पड़े सभी वस्तुओं को देखा, वह सारी वस्तुएं भी व्योम के अनुपात में ही छोटी हो गयीं थीं।
“यह कैसे सम्भव हो सकता है, इस फल को तो केवल मेरा शरीर छोटा करना चाहिये था, फिर मेरे कपड़े और जेब में रखा सामान कैसे छोटा हो गया?”
काफी देर सोचने के बाद भी जब व्योम को कुछ समझ नहीं आया तो वह सोचना छोड़ अपने इस सूक्ष्म रुप का आनन्द उठाने लगा।
तभी व्योम को कुछ अजीब सी खरखराने की आवाज सुनाई दी। व्योम ने अपने चारो ओर देखा। तभी व्योम की नजर अपनी डाल पर सामने से आ रही एक लाल रंग वाली चींटी पर पड़ी।
चींटी ने भी अब उसे देख लिया था। वह खूंखार नजरों से व्योम को घूर रही थी। यह देखकर व्योम के होश उड़ गये।
चींटी अब व्योम की ओर बढ़ने लगी थी। व्योम यह देखकर डाल के किनारे की ओर भागा। चींटी भी तेजी से व्योम के पीछे लपकी।
व्योम भागते हुए डाल के बिल्कुल किनारे तक पहुंच गया। आगे अब रास्ता खत्म हो गया था। चींटी अभी व्योम से कुछ दूरी पर थी।
व्योम ने अपनी नजरें ऊपर नीचे दौड़ाईं। व्योम को अपने ऊपर कुछ ऊंचाई पर एक दूसरी डाल दिखाई दी। पर वह डाल इतनी ऊंची थी कि व्योम उछलकर उस डाल तक नहीं पहुंच सकता था।
तभी व्योम का ध्यान अपने बैग में रखी नायलान की रस्सी की ओर गया। व्योम ने जल्दी से बैग की जिप खोलकर उसमें से रस्सी का गुच्छा निकाल लिया और उसका एक किनारा ऊपर की ओर उछाल दिया।
एक बार में ही रस्सी का वह सिरा एक डाल के ऊपर से होकर वापस व्योम के हाथ में आ गया।
व्योम ने रस्सी के दोनों सिरों को जोर से पकड़ा और उछलकर हवा में लहराते हुए, दूसरी पेड़ की डाल पर पहुंच गया।
चींटी को उम्मीद नहीं थी कि उसका शिकार इतनी आसानी से उसके हाथ से निकल जायेगा।
चींटी ने घूरकर एक बार व्योम को देखा और फिर दूसरे शिकार की खोज में चली गयी।
चींटी के जाने के बाद व्योम ने राहत की साँस ली। व्योम ने वापस रस्सी का गुच्छा बना कर अपने बैग में डाला और वहीं पेड़ की डाल पर बैठकर जंगल का नजारा देखने लगा। तभी व्योम को सूखे पत्ते के खड़कने की आवाज सुनाई दी।
व्योम ने नीचे झांककर देखा। वह 2 बौने थे, जो आकर उस पेड़ के नीचे खड़े हो गये थे।
उनमें से एक बौने के हाथ में एक छोटा सा लकड़ी का यंत्र था, जिसमें एक लाल रंग की लाइट लगी थी और वह यंत्र ‘बीप-बीप’ की आवाज कर रहा था।
वह आपस में बातें कर रहे थे।
“रिंजो, तू यह यंत्र लेकर मुझे बेकार में ही जंगल में घसीट रहा है, यहां नहीं मिलने वाली कोई शक्ति तुझे?” काली दाढ़ी वाले बौने ने कहा।
“तुझे तो कुछ मालूम ही नहीं है शिंजो ?” रिंजो ने कहा- “पिछली बार भी वह धरा शक्ति का कण मैंने ढूंढा था। अगर मैंने वह नहीं ढूंढा होता, तो हम जोडियाक वॉच कभी ना बना पाते।”
“ढूंढा नहीं चुराया था तूने।” शिंजो ने गुस्सा कर कहा।
“अरे चुप कर! अगर किसी ने सुन लिया तो हमारी रही सही इज्जत भी चली जायेगी।” रिंजो ने मुंह पर उंगली रख, शिंजो को चुप कराते हुए कहा- “वैसे भी उस अविष्कार का क्रेडिट हम दोनों ने ही लिया था।
अगर किरीट को पता चला तो वह हम दोनों की खाल उतार लेंगे।”
“ठीक है-ठीक है।” शिंजो भी बात की गम्भीरता को समझ चुप हो गया।
“किरीट और कलाट, हमें बहुत अच्छा वैज्ञानिक समझतें हैं, अब वो क्या जानें कि हम लोग छिपी हुई गुप्त शक्तियों को इस यंत्र के माध्यम से ढूंढते हैं? और फिर उसे अपने द्वारा बनाये किसी इलेक्ट्रानिक यंत्र में फिट करके, अपना अविष्कार बताकर उन्हें दिखा देते हैं।” रिंजो ने हंसते हुए कहा।
यह सुन शिंजो भी हंसते हुए बोला- “चाहे जो हो, पर बुड्ढे तेरी खोपड़ी बहुत कमाल की है।”
“तूने फिर मुझे बुड्ढा बोला।” रिंजो ने गुस्साते हुए कहा- “मैं सिर्फ तेरे से 1 मिनट ही बड़ा हूं।”
“पर तेरी दाढ़ी तो पककर भूरी हो गयी है, मेरी तो अभी भी काली-काली है।” शिंजो ने उछल-उछल कर अपनी काली दाढ़ी को दिखाते हुए, रिंजो को चिढ़ाने वाले अंदाज में कहा।
यह सुन रिंजो गुस्से से पागल हो गया। उसने आगे बढ़कर शिंजो को पटक दिया और उसके सीने पर चढ़कर उसकी दाढ़ी नोचने लगा- “चल आज दाढ़ी का किस्सा ही खत्म करते हैं। ना रहेगी दाढ़ी....ना तू मुझे कभी चिढ़ायेगा।”
“अरे कमीने रिंजो... छोड़ मेरी दाढ़ी। अगर मेरी दाढ़ी का एक भी बाल टूटा, तो मैं तेरे सब जगह के बाल नोंच डालूंगा...तू अभी मुझे जानता नहीं है।”
यह कहकर दो नों बौने पटका-पटकी करके लड़ने लगे।
व्योम पेड़ के ऊपर बैठा दोनों बौंनों का हास्यास्पद युद्ध देख रहा था। तभी रिंजो का यंत्र पैर लगने की वजह से थोड़ी दूर जा गिरा और उससे एक तेज ‘बीप-बीप’ की आवाज आयी। यह सुन दोनो बौने लड़ना छोड़ तुरंत उठकर खड़े हो गये।
“रिंजो मेरे प्यारे भाई... तुम्हें कहीं चोट तो नहीं आयी ?” शिंजो ने एका एक सुर बदलते हुए कहा।
“नहीं मेरे प्यारे छोटे भाई। मुझे कहीं चोट नहीं आयी, पर अगर तुम्हें आयी हो तो अपने इस 1 मिनट बड़े भाई को माफ कर देना।” रिंजो ने शिंजो को गले से लगाते हुए कहा।
व्योम को दोनो बौनों का यह प्रवृति समझ में नहीं आयी, पर उसे दो नों बौनों का कैरेक्टर बड़ा अच्छा लगा।
अब रिंजो ने यंत्र को जमीन से उठाते हुए कहा- “अरे बाप रे... इस गुप्त शक्ति के सिग्नल की स्ट्रेंथ तो देखो। आज तक हमें कभी इतनी ताकतवर शक्ति नहीं मिली?”
शिंजो भी उस यंत्र की तरफ देखते हुए बोला- “चलो भाई फिर जल्दी से चलकर उस गुप्त शक्ति पर अपना अधिकार कर लेते हैं।”
यह कहकर दोनों बौने उस यंत्र को उठा कर एक दिशा की ओर चल दिये, पर जैसे ही वह दोनों बौने व्योम के पेड़ के नीचे से निकले, ऊपर से व्योम रिंजो के सिर पर कूद गया।
चींटी जैसे व्योम के कूदने से रिंजो को कोई अहसास भी नहीं हुआ। व्योम ने कसकर रिंजो के सिर पर लगी टोपी को पकड़ लिया।
दोनों बौने यंत्र को देखते हुए आगे बढ़ रहे थे। कुछ ही देर में वह दोनों बौने एक छोटी सी झील के पास पहुंचकर रुक गये।
“गुप्त शक्ति के सिग्नल तो इस झील के अंदर से आ रहे हैं।” रिंजो ने शिंजो की ओर देखते हुए कहा- “अब क्या करें?”
“करना क्या है, झील के अंदर जाओ और उस गुप्त शक्ति को बाहर लेकर आ जाओ।” शिंजो ने अपना ज्ञान बांटते हुए कहा।
“अच्छा... तो मैं झील के अंदर जाऊं और तू बाहर रहकर मेरा इंतजार करेगा। फिर जब मैं गुप्त शक्ति को लेकर आऊं, तो तू किरीट को बताएगा कि यह शक्ति तूने मेरे साथ मिलकर बनाई है।” रिंजो ने शिंजो को
घूरते हुए कहा- “मतलब जान मैं अपनी संकट में डालूं और मजा तू भी बराबर का लेगा।”
“पानी में घुसना, जान संकट में डालना होता है क्या?” शिंजो गुर्राया- “अरे मैं तो बाहर खड़े रहकर तेरी सुरक्षा करुंगा।”
“तो फिर एक काम कर तू चला जा झील के अंदर।” रिंजो ने दुष्टता से भरी मुस्कान बिखेरते हुए कहा- “मैं बाहर रहकर तेरी सुरक्षा करुंगा।”
“म....म...मैं क्यों जाऊं?” शिंजो यह सुनकर घबरा गया- “तू चला जा ना भाई, मैं 70 प्रतिशत उस अविष्कार का क्रेडिट तुझे ही दिलवा दूंगा। तू तो जानता है ना कि मैं पानी से कितना डरता हूं, मैं तो पिछले 50 वर्षों
से नहाया भी नहीं हूं।”
“तो मैं कौनसा रोज नहाता हूं, किरीट के डर से रोज बाथरुम में घुसता तो हूं, पर पानी गिरा कर बाहर आ जाता हूं।“ रिंजो ने भी घबराते हुए कहा- “भाई बताना मत मेरा यह राज किसी को।”
“अरे शांत हो जा, मैं किसी को नहीं बताऊंगा।” शिंजो ने डरकर झील को देखते हुए कहा- “पर अब ये बताओ कि फिर इस झील से उस गुप्त शक्ति को कैसे प्राप्त करेंगे?”
“मेरे हिसाब से हमें इस शक्ति को भूल जाना चाहिये और किसी दूसरी शक्ति को ढूंढना चाहिये। जो पहाड़, बर्फ, ज्वालामुखी कहीं भी हो, पर पानी में ना हो।” रिंजो ने हथियार डालते हुए कहा- “और मेरे प्यारे
भाई, मैंने तुम्हें जो भी अपशब्द कहे, उसके लिये अपने इस 1 मिनट बड़े भाई को दिल से माफ कर देना।”
“भैया मैंने भी आपका दिल दुखाया है, चलो आज मैं आपके सोते समय पैर भी दबाऊंगा।” शिंजो ने भी माफी मांगते हुए कहा और वहां से जाने लगे।
उन्हें वहां से जाता देखकर व्योम रिंजों की टोपी से वहीं कूद गया।
दोनों बौने एक दूसरे के गले में हाथ डालकर वहां से चले गये। व्योम इतने कॉमेडी कैरेक्टर्स को देखकर मुस्कुरा उठा।
बौनों के जाने के बाद व्योम ने एक बार उस झील को देखा और फिर उसमें छलांग लगा दी।
जल्दी-जल्दी में व्योम यह भूल गया कि उसका आकार अभी छोटा ही है।
पानी में कूदते ही एक विशाल मछली को देख, व्योम को अपनी भूल का अहसास हो गया।
वह पलटकर तेजी से वापस किनारे की ओर चला, तभी व्योम को अपने पीछे एक 12 इंच बड़ा
समुद्री घोड़ा दिखाई दिया।
वह समुद्री घोड़ा वैसे तो सिर्फ 12 इंच ही बड़ा था, पर व्योम के चींटी जैसे आकार में होने के कारण वह व्योम को अपने से 100 गुना ज्यादा बड़ा नजर आ रहा था।
इससे पहले कि व्योम अपने बचाव में कुछ कर पाता, समुद्री घोड़े ने अपने हाथ में पकड़ी एक सुनहरी रस्सी से व्योम को बांध लिया और झील की तली की ओर लेकर चल दिया।
झील के पानी में कुछ मछलियाँ और समद्री घोड़े ही दिखाई दे रहे थे। व्योम पानी में सिर्फ 25 मिनट तक ही साँस ले सकता था, इसलिये उसे थोड़ा डर लग रहा था कि कहीं वह इतने समय में झील से बाहर नहीं
निकल पाया तो क्या होगा?
समुद्री घोड़ा व्योम को लेकर, अब झील की तली में पहुंच गया। तभी व्योम को पानी के अंदर कोई चमकती हुई चीज दिखाई दी। समुद्री घोड़ा उसी ओर जा रहा था।
कुछ ही देर में व्योम को वह सुनहरी चीज बिल्कुल साफ दिखाई देने लगी थी। वह एक सुनहरी धातु का बना पंचशूल था, जिस पर सूर्य की एक आकृति बनी दिखाई दे रही थी।
समुद्री घोड़े ने पंचशूल के पास पहुंचकर व्योम के हाथ की रस्सी खोल दी। व्योम को समुद्री घोड़े की यह हरकत समझ में नहीं आयी, पर वह इतना जरुर जान गया कि यही वह गुप्त शक्ति है, जिसके बारे में दोनो बौने बात कर रहे थे।
समुद्री घोड़ा व्योम को वहीं छोड़कर, स्वयं पानी में भागकर कहीं गायब हो गया। व्योम यह नहीं समझ पा रहा था कि अगर यह कोई शक्ति है? और समुद्री घोड़ा इसकी रक्षा करता है, तो वह व्योम को इस शक्ति के पास क्यों छोड़ गया?
तभी व्योम को उस पंचशूल से कुछ वाइब्रेशन जैसी तरंगे निकलती दिखाईं दीं। उन तरंगों में एक प्रकार की गूंज थी।
व्योम इस शब्द की ध्वनि को पहचानता था। यह ध्वनि ‘ओऽम्’ शब्द की थी।
व्योम ने धीरे से पहले, अपनी जेब से एक हरे रंग का फल निकाला और उस फल को अपने मुंह में रख लिया।
फल को चबाते ही व्योम का शरीर अपने वास्तविक आकार में आ गया। अब व्योम उस पंचशूल को उठाने के लिये आगे बढ़ा।
व्योम ने अपने दाहिने हाथ से जैसे ही उस पंचशूल को छुआ, उसके शरीर को हजारों वोल्ट के बराबर का, करंट जैसा झटका लगा। यह झटका इतना तेज था कि व्योम उछलकर झील से बाहर आ गिरा।
व्योम को असहनीय दर्द का अहसास हो रहा था। व्योम ने कराहते हुए एक नजर अपने शरीर पर मारी। व्योम का पूरा शरीर झुलस गया था। कई जगह से फटा हुआ मांस बाहर झांक रहा था।
उस पंचशूल से निकली ऊर्जा ने व्योम के शरीर के चिथड़े उड़ा दिये थे, पता नहीं वह कौन सी शक्ति थी, जिसने व्योम को अभी तक जिंदा रखा था।
एक पल में व्योम समझ गया कि अब उसका अंत निश्चित है। उसकी आँखों के सामने अपने परिवार के सदस्यों के चेहरे एक-एक कर घूमने लगे।
व्योम की आँखों से आँसू भी नहीं निकल पा रहे थे, शायद उसे भी उस असीम ऊर्जा ने सोख लिया था ?
धीरे-धीरे व्योम निढाल हो कर वहीं लुढ़क गया। अब व्योम के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी।
तभी आसमान में एक जोर की गड़गड़ा हट हुई। ऐसा लगा जैसे कोई विशालकाय वस्तु सामरा राज्य की अदृश्य दीवार से टकराई हो।
कुछ ही पलों में आसमान से एक बूंद टपकी और वह व्योम के खुले मुंह में प्रवेश कर गयी।
व्योम को एक झटका लगा और उसकी साँसें पुनः चलने लगीं।
जी हाँ, यह बूंद और कुछ नहीं, वही गुरुत्व शक्ति की बूंद थी, जो लुफासा और हनुका के लड़ते समय सामरा राज्य की अदृश्य दीवार से टकरा कर नीचे गिर गयी थी।
धीरे-धीरे गुरुत्व शक्ति ने अपना चमत्कार दिखाना शुरु कर दिया। व्योम के शरीर पर उत्पन्न हुये सभी घाव तेजी से भर रहे थे।
कुछ ही देर में व्योम ने कराह कर अपनी आँखें खोल दीं। कुछ देर तक व्योम को कुछ समझ नहीं आया? फिर उसने घबरा कर अपने शरीर की ओर देखा।
इस समय उसके शरीर पर एक भी घाव नजर नहीं आ रहा था। व्योम उठकर खड़ा हो गया और अपने चारों ओर देखने लगा। पर उसे कोई वहां नजर नहीं आया ?
इस समय व्योम को अपने शरीर में एक जबरदस्त शक्ति का अहसास हो रहा था। अब व्योम फिर से झील के पास आकर खड़ा हो गया। व्योम को लगा कि जरुर पंचशूल ने ही उसे ठीक किया है क्यों कि और कोई
चमत्कारी शक्ति तो आसपास है नहीं।
यह सोचकर व्योम ने वापस से झील में छलांग लगा दी। थोड़ी ही देर में वह एक बार फिर पंचशूल के पास था। व्योम ने फिर एक बार अपना हाथ आगे को बढ़ाया और पंचशूल को पकड़ लिया। इस बार व्योम को पंचशूल पकड़ने पर एक शीतल अहसास हुआ।
व्योम मुस्कुराया और पंचशूल लेकर झील से बाहर आ गया। मगर झील से निकलते ही पंचशूल हवा में गायब हो गया।
व्योम घबरा कर अपने चारो ओर देखने लगा, पर पंचशूल कहीं नहीं था। तभी व्योम की निगाह अपनी दाहिने हाथ की कलाई की ओर गयी।
व्योम की कलाई पर अब एक सुनहरे रंग का सूर्य का टैटू चमक रहा था। व्योम समझ गया कि वह शक्ति कहीं गई नहीं है, वह अब भी उसके पास है और वह भी अदृश्य रुप में।
व्योम के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आयी और वह पुनः आगे की ओर बढ़ गया।
जारी रहेगा__________![]()
Kya Vyom aur Suyash mein aapas mein koi connection hai kyunki dono ke paas ab golden surya tattoo hai???
BTW lovely update brother!!!
Ye kya brother laga tha Albert last tak survive karega lekin wo chala gaya khair maut se bhi koi bach paya hai kya!#115.
माया : 11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 17:25, हिमालय पर्वत)
रुद्राक्ष, शिवन्या, शलाका और जेम्स सहित बहुत से लोग शिव मंदिर के बाहर बैठे, हनुका के आने का इंतजार कर रहे थे।
जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, सभी के दिल की धड़कनें तेज होती जा रहीं थीं।
“रुद्राक्ष!” शिवन्या ने घबरा कर रुद्राक्ष की ओर देखते हुए कहा- “शाम होने में अब ज्यादा समय शेष नहीं है। हनुका का भी अभी तक कुछ भी पता नहीं है। मुझे बहुत घबराहट हो रही है....अगर.....अगर हनुका समय पर गुरुत्व शक्ति नहीं ला सके तो महादेव के क्रोध का सामना हम लोग नहीं कर पायेंगे।”
“चिंतित मत हो शिवन्या, मुझे हनुका पर पूरा भरोसा है, वह महापराक्रमी हैं। उनका सामना कोई भी नहीं कर सकता। वह अवश्य ही गुरुत्व शक्ति लेकर आयेंगे।” रुद्राक्ष ने शिवन्या को सांत्वना देते हुए कहा।
अब शलाका को भी थोड़ी घबराहट होने लगी थी। तभी उन सभी को दूर से हनुका उड़कर आता दिखाई दिया। वहां बैठे सभी लोगों के मुख से हर्षध्वनि हुई।
“देखा मैं ना कहता था कि हनुका अवश्य समय पर आयेंगे।” रुद्राक्ष ने शिवन्या की ओर देखकर खुश होते हुए कहा।
शिवन्या के भी चेहरे पर अब खुशी के निशान स्पष्ट नजर आने लगे थे।
तभी हनुका उन सबके सामने बर्फ पर उतरा, पर हनुका के चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी।
रुद्राक्ष हनुका का चेहरा देख भयभीत होकर बोला- “आप गुरुत्व शक्ति ले आये हैं ना?”
हनुका ने भारी मन से खाली डिबिया रुद्राक्ष की ओर बढ़ा दी। जाने क्यों रुद्राक्ष को भी डर लग रहा था। उसने कांपते हाथों से डिबिया को खोला, पर गुरुत्व शक्ति को डिबिया में देखकर खुशी से हनुका को गले से लगा लिया।
हनुका भी गुरुत्व शक्ति को डिबिया में देख प्रसन्न हो गया। वह समझ गया कि गुरुत्व शक्ति अवश्य ही किसी सही व्यक्ति को मिली है, जिससे डिबिया में नयी गुरुत्व शक्ति प्रकट हो गयी है।
हनुका ने इस खुशी के मौके पर किसी को भी सच्चाई बताना उचित नहीं समझा।
“मैं चाहता हूं कि आप ही इसे अपने हाथों से शिव मंदिर में प्रतिस्थापित करें।” रुद्राक्ष ने हनुका को सम्मान देते हुए, डिबिया फिर से हनुका के हवाले कर दी।
हनुका ने डिबिया को हाथ में लिया और अपने शरीर को छोटा कर मंदिर में प्रविष्ठ हो गया।
ब्राह्मणों ने हनुका को मंदिर में प्रवेश करते देख, फिर से शंख, घंटे, डमरु और मृदंग बजाना शुरु कर दिया।
हनुकाने शिव..ग के ऊपर, हवा में लटकी सोने की मटकी के ऊपर, डिबिया को प्रतिस्थापित कर दिया और हाथ जोड़कर मंदिर के बाहर आ गया।
तभी सूर्य की आखिरी किरण ने विदाई ली और इसी के साथ वह भव्य मंदिर वापस बर्फ में समा गया।
जिस स्थान पर मंदिर बर्फ में समाया था, वहां पर अब बहुत से सफेद रंग के फूल दिखाई दे रहे थे। जिसे सभी ने महादेव का प्रसाद समझ उठा लिये।
“हर-हर महा देवऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ!” सभी ने एक बार फिर महा..देव का जोर से जयकारा लगाया और वापस हिमलोक की ओर चल दिये।
तभी शलाका ने शिवन्या को टोका- “एक मिनट रुको शिवन्या, मैं अब जेम्स के साथ यहीं से वापस जाना चाहती हूं। दरअसल कल तो मैंने तुम्हारी बात मान ली थी, पर आज मुझे मत रोकना। मेरे पास भी अभी
बहुत से काम शेष हैं। इसलि ये अभी मुझे जाने की आज्ञा दो। जब मेरे सारे काम खत्म हो जायेंगे तो मैं फिर से कुछ दिनों के लिये तुम लोगों के पास हिमलोक अवश्य आऊंगी।”
शिवन्याने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और शलाका को जाने की अनुमति दे दी। शलाका जेम्स के साथ वापस उसी गुफा से होकर अपने महल में वापस आ गयी।
शलाका और जेम्स को स्टीकर वाले दरवाजे से निकलते देख विल्मर खुश हो गया। उसने आगे बढ़कर जेम्स को गले से लगा लिया।
“अच्छा अभी मैं थोड़ा जल्दी में हूं, कल आकर मैं तुम लोगों से अवश्य बात करुंगी। लेकिन तब तक के लिये तुम लोग कमरे में रखी किसी भी विचित्र वस्तु को मत छूना।” शलाका ने मुस्कुरा कर जेम्स से कहा।
जेम्स ने भी धीरे से सिर हिला कर अपनी स्वीकृति दे दी।
अब शलाका के हाथ में फिर से उसका त्रिशूल नजर आने लगा, जिसकी मदद से शलाका ने हवा में द्वार बनाया और उस कमरे से बाहर चली गई।
शलाका के जाते ही विल्मर ने जेम्स से बीती बातें जानने के लिये पकड़ लिया।
चैपटर-4
टेरो सोर: (12 जनवरी 2002, शनिवार, 10:15, मायावन, अराका द्वीप)
पिछले दिन पहाड़ पर ही अंधेरा हो जाने की वजह से सभी वहीं सो गये थे। पर्याप्त पानी होने की वजह से किसी को भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।
पोसाईडन की मूर्ति एक बार फिर सभी को दिखाई देने लगी थी, पर उसके पास जाने का कोई सीधा रास्ता ना होने की वजह से अभी भी 2 दिन का समय लगता दिखाई दे रहा था।
रात नींद अच्छी आने की वजह से सभी काफी फ्रेश नजर आ रहे थे। सुयश के इशारे पर सभी पुनः आगे की ओर बढ़ चले। ढलान का रास्ता होने की वजह से अब किसी को परेशानी नहीं हो रही थी।
“नक्षत्रा !” जेनिथ ने नक्षत्रा को पुकारते हुए कहा- “तुमने ये हीलींग वाली शक्ति के बारे में मुझे पहले क्यों नहीं बताया था ?”
“हर चीज को बताने का एक समय होता है।” नक्षत्रा ने कहा- “अगर मैं तुम्हें इस शक्ति के बारे में पहले से ही बता देता तो तुम कल स्वयं अपने दिमाग का प्रयोग कैसे करती?”
“अच्छा तो तुम मेरा दिमाग चेक कर रहे थे।” जेनिथ ने मजा किया अंदाज में कहा- “अच्छा तो ये बताओ कि मुझे टेस्ट में कितने नंबर मिले?”
“10 में से 9 नंबर।”नक्षत्रा ने मजा लेते हुए कहा।
“अरे 1 नंबर कहां काट लिया?” जेनिथ ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा।
“1 नंबर तुम्हारी उस खराब एक्टिंग के लिये काट लिया, जिसकी वजह से तौफीक ने तुम्हें पकड़ लिया था।” नक्षत्रा के शब्दों में शैतानी साफ झलक रही थी।
“मैं एक्टर थोड़े ही हूं, मैं तो डांसर हूं। उसकी प्रतियोगिता हो तब बताना। देखना मैं पूरे नंबर पाऊंगी उसमें।” जेनिथ ने कहा।
“चिंता ना करो, वह समय भी आने वाला है, जब तुम्हारे डांस का भी टेस्ट होगा।” नक्षत्रा के शब्द रहस्य से भरे थे।
“ये कभी-कभी तुम्हारी बातें मेरी समझ में नहीं आतीं।” जेनिथ ने शिकायत भरे लहजे में कहा- “या तो पूरी बात बताओ या फिर कोई ऐसे शब्द मत बोलो, जो मुझे समझ में ना आयें? अच्छा ये बताओ कि तुम्हारी
समय रोकने वाली शक्ति रीचार्ज हो गई कि नहीं?”
“अभी नहीं, उसे रीचार्ज होने में पूरे 24 घंटे का समय लगता है। अभी उसमें काफी समय बाकी है। तब तक के लिये तुम्हें खतरे से स्वयं बचना होगा।” नक्षत्रा ने कहा।
धीरे-धीरे चलते हुए सभी को 2 घंटे हो गये। अब वह पहाड़ी से उतरकर एक दर्रे में आ गये थे। यह दर्रा 2 तरफ से ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा था। इस क्षेत्र में चारो ओर बड़ी-बड़ी अंडाकार चट्टानें बिखरीं थीं।
यह बड़ा ही अजीब सा क्षेत्र था। दर्रा देखने में भी काफी खतरनाक लग रहा था। दर्रे के दोनों तरफ की पहाड़ की दीवारों पर, ऊंचे और घने पेड़ उगे थे। चारो ओर एक अजीब सी शांति छाई थी।
अलबर्ट ध्यान से उन सफेद चिकने पत्थरों को देखता हुआ आगे बढ़ रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था, कि ये कौन सा मार्बल है?
तभी क्रिस्टी को रास्ते में बिखरे हुए कुछ मानव कंकाल और खोपड़ियां दिखाई दीं।
“कैप्टेन!”
क्रिस्टी ने उन नरकंकालों की ओर इशारा करते हुए कहा- “यहां अवश्य ही कोई भयानक खतरा है, यहां पड़े मानव कंकाल इतनी अधिक मात्रा में हैं कि इन्हें गिन पाना भी संभव नहीं है।”
सभी उन मानव कंकालों को देखकर सिहर उठे।
“इससे पहले कि हम पर कोई मुसीबत आये, हमें तुरंत इस खतरना क क्षेत्र को पार करना होगा।”तौफीक ने कहा।
तौफीक की बात सुन सभी तेजी से आगे बढ़ चले। तभी शैफाली को एक अजीब सी स्मेल का अहसास हुआ। शैफाली ने अपनी नाक पर जोर दिया और स्मेल की दिशा में अपनी आँखें घुमायीं।
शैफाली को एक अंडाकार चट्टान में कुछ दरारें पड़ती हुई दिखाई दीं। शैफाली यह देखकर चीखकर बोली-
“सावधान! हम जिन्हें चट्टान समझ रहे हैं, वह चट्टान नहीं बल्कि किसी विशाल जीव के अंडे हैं।”
शैफाली की बात सुन सभी का ध्यान उन अंडाकार चट्टानों की ओर गया।
इतने ज्यादा बड़े अंडे देखकर सभी ने कल्पना कर ली, कि इस अंडे के पूर्ण विकसित जीव किस आकार के होंगे? अब सभी जल्द से जल्द उस क्षेत्र से निकलने के लिये तेज कदमों से चलने लगे।
“यह अवश्य ही किसी विशाल पक्षी के अंडे हैं?” अलबर्ट ने चलते-चलते सबसे कहा- “और वह विशाल पक्षी जरुर खाने की खोज में यहां से गये हों गे। इससे पहले कि वह यहां वापस लौटें, हमें इस क्षेत्र से बाहर
निकलना होगा।”
तभी अलबर्ट के बगल वाले एक अंडे में दरार पड़ी और वह टूटकर बिखर गया।
अंडे से खूब सारे पीले रंग के गंदे द्रव्य के साथ, एक बड़ी सी चोंच वाला पक्षी बाहर निकला। वह पक्षी देखने में ही बहुत खतरनाक लग रहा था। अलबर्ट तुरंत उस पक्षी से दूर हट गया।
“ये उड़ने वाले डायना सोर ‘टेरो सोर’ हैं।” अलबर्ट ने चीखकर सबको बताया- “पर ये तो आज से लाखों वर्ष पहले ही समाप्त हो गये थे। यह सब अभी तक इस द्वीप पर जीवित कैसे हैं?”
उधर अंडे से निकलते ही वह छोटा टेरो सोर जोर से ‘क्रा-क्रा’ करके चिल्लाने लगा। उसकी आवाज बहुत ही तीखी और तेज थी।
वह आवाज पूरे दर्रे में गूंज गयी। यह देख अलबर्ट बहुत डर गया।
“इसे भूख लगी है, इसलिये यह चिल्ला रहा है।” अलबर्ट ने डरते हुए कहा- “अगर कोई भी बड़ा टेरो सोर हमारे आस-पास हुआ? तो इसकी आवाज सुनकर वह यहां तुरंत आ जायेगा। हमें किसी भी प्रकार से इसे
चुप कराना होगा ?”
यह सुन सुयश ने 4-5 खाने के पैकेट बैग से निकालकर अलबर्ट को पकड़ा दिये- “क्या इससे इसे कुछ देर के लिये रोका जा सकता है प्रोफेसर? अगर यह कुछ देर भी शांत रहा तो तब तक हम इस दर्रे से कुछ दूर चले जायेंगे?”
अलबर्ट ने अपने हाथ में पकड़े खाने के पैकेट को देखा और तुरंत एक पैकेट को फाड़कर उस छोटे टेरो सोर के सामने फेंक दिया।
1 सेकेण्ड में ही वह नन्हा टेरो सोर उस पैकेट को खा गया। अब वह चीखना बंद कर आशा भरी नजरों से अलबर्ट को देखने लगा।
“कैप्टेन इतने कम पैकेट से इसका पेट नहीं भरने वाला। हमें यहां से भागने के लिये कुछ और ही सोचना पड़ेगा।” अलबर्ट ने उस छोटे टेरो सोर के सामने एक पैकेट और फेंकते हुए कहा।
छोटे टेरो सोर ने वह खाना भी तुरंत खाया और इस बार अलबर्ट के बिल्कुल पास आकर अलबर्ट के हाथ में पकड़े बाकी पैकेट को घूरने लगा।
“प्रोफेसर, जल्दी से अपने हाथ में पकड़े सारे पैकेट फेंक दीजिये, नहीं तो वह आप पर भी आक्रमण कर देगा।” क्रिस्टी ने अलबर्ट को चीखकर चेतावनी दी।
अलबर्ट ने क्रिस्टी की बात सुनकर, एक नजर उस छोटे टेरो सोर पर मारी। क्रिस्टी की बात बिल्कुल सही थी, वह नन्हा टेरो सोर अब बिल्कुल अलबर्ट पर झपटने ही वाला था।
अलबर्ट ने घबरा कर बाकी बचे 3 पैकेट भी वहां अलग-अलग दिशा में फेंक दिये और तेजी से सबके साथ वहां से भागा। वह नन्हा टेरो सोर अलग-अलग फेंके गये पैकेटों को ढूंढने में लग गया, इतना समय काफी था, सभी को वहां से कुछ दूर जाने के लिये।
सभी पूरी ताकत लगा कर भाग रहे थे। आज तो अलबर्ट की भी भागने की स्पीड तेज थी। तभी तेज भागते तौफीक का पैर जमीन में उभरी एक लकड़ी में फंस गया और वह धड़ाम से जमीन पर गिर गया।
चूंकि तौफीक अलबर्ट को बचाने के चक्कर में सबसे पीछे था, इसलिये किसी का भी ध्यान तौफीक के गिरने की ओर नहीं गया। सभी बेखबर, बस भाग रहे थे।
तौफीक ने गिरते ही उठने की कोशिश की। तभी उसे अजीब सी आवाज सुनाई दी। उसने जैसे ही सिर उठाकर ऊपर देखा, उसकी रुह कांप गयी।
उसके सिर के पास 2 छोटे टेरो सोर खड़े उसे निहार रहे थे। तौफीक की नजर दूर जा रहे अपने दोस्तों की ओर गयी, वह सब अब तौफीक से काफी दूर निकल गये थे। उन्हें तौफीक के पीछे रह जाने का आभाष भी नहीं हुआ था।
तौफीक ने अपनी जेब में रखा चाकू निकाल लिया और उसे दोनों टेरो सोर की ओर लहराने लगा।
वह दोनों टेरो सोर चाकू से अंजान थे। उन्हें तो समझ भी नहीं आ रहा था कि तौफीक कर क्या रहा है?
तौफीक ने अब जमीन पर पड़ी एक लकड़ी को धीरे से उठा लिया। उसने लकड़ी को अब जोर से हवा में लहराया और उन दोनों टेरो सोर को दिखाते हुए एक दिशा में फेंक दिया। दोनों टेरो सोर लकड़ी को खाना समझ उस ओर भागे, जिधर तौफीक ने लकड़ी को फेंका था।
मौका मिलते ही तौफीक वहां से भागा। तौफीक ने चाकू को जेब में रख, पहाड़ की दीवार पर लगे, एक पेड़ की शाख पकड़ कर, उस पर लटक गया। तब तक वह दोनों टेरो सोर लकड़ी को सूंघकर वापस तौफीक के पास आ गये थे। तौफीक को पेड़ से लटके देख वह उछल कर उसे पकड़ने की कोशिश करने लगे।
यह देख तौफीक डाल को पकड़ कर थोड़ा और ऊपर की ओर सरक गया।
अब वह दोनों टेरो सोर की पकड़ से दूर था। टेरो सोर छोटे होने की वजह से अभी उड़ नहीं सकते थे, इसलिये वह उछल-उछल कर तौफीक को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। अब वह टेरो सोर गुस्से में फिर जोर-जोर से चिल्लाने लगे।
उन दो नों टेरो सोर की आवाज सुनकर सुयश ने पलट कर पीछे की ओर देखा। सुयश को अपने ग्रुप में तौफीक कहीं नजर नहीं आया। तभी उसकी निगाह दूर पेड़ की डाल से लटके तौफीक पर पड़ी ।
2 टेरो सोर उछल-उछल कर उसे पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। यह देख सुयश ने आवाज लगाकर सबको रुकने का इशारा किया- “सभी लोग रुक जाओ। तौफीक वहां पीछे छूट गया है।"
सुयश की आवाज सुन, सभी रुककर उधर देखने लगे जिधर सुयश इशारा कर रहा था, पर तौफीक को सुरक्षित देख सभी ने राहत की साँस ली।
सुयश को तौफीक के बचने का यह तरीका बहुत सही लगा। तभी और ऊपर चढ़ने की कोशिश में तौफीक जिस डाल को पकड़े था, वह टूट गयी और तौफीक धड़ाम से जमीन पर आ गिरा।
तौफीक को जमीन पर गिरते देख दोनों टेरो सोर उस पर झपटे। यह देख क्रिस्टी के मुंह से चीख निकल गयी। लेकिन तुरंत ही क्रिस्टी ने स्वयं का मुंह दबा कर अपने को काबू में किया।
उधर तौफीक गिरते ही फुर्ती से खड़ा हो गया। एक बार फिर चाकू जेब से निकलकर उसके हाथ में आ गया था।
तौफीक ने पास आ रहे 1 टेरो सोर पर चाकू चला दिया। चाकू ने उस टेरो सोर के शरीर पर एक बड़ा सा कट लगा दिया। वह टेरो सोर बुरी तरह चीखा, पर अब वह तौफीक के चाकू से सावधान दिख रहा था।
तौफीक को खतरे में देख सुयश ने जेनिथ, क्रिस्टी और शैफाली को वहीं एक पत्थर के पीछे छिपने का इशारा किया और स्वयं अलबर्ट को लेकर तौफीक की ओर भागा।
तभी दूसरे टेरो सोर ने भी तौफीक पर अपनी चोंच से हमला किया। तौ फीक फुर्ती से हटा, फिर भी उसका एक कंधा घायल हो गया। तौफीक इस बार और भी ज्यादा सावधान हो गया।
तब तक अलबर्ट और सुयश दोनों टेरो सोर के पीछे पहुंच गये। अलबर्ट ने एक लकड़ी को हाथ में उठाकर एक सीटी बजाई।
दोनों टेरो सोर सीटी की आवाज सुन पीछे पलटे। तभी तौफीक ने आगे बढ़कर एक टेरो सोर का गला पीछे से काट दिया।
वह टेरो सोर धड़ाम से वहीं गिरकर मर गया। यह देख दूसरा टेरो सोर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। उसकी तेज आवाज पूरे दर्रे में गूंजने लगी।
“तौफीक जल्दी से इसे भी मारो, यह अपने साथियों को बुला रहा है।” अलबर्ट ने तौफीक से चीखकर कहा।
लेकिन इससे पहले कि तौफीक दूसरे टेरो सोर को मार पाता, अचानक 5 और नन्हें टेरो सोर एक दिशा से आते दिखाई दिये।
शायद सबने इस टेरो सोर की आवाज को सुन लिया था। यह देख तौफीक भागकर सुयश और अलबर्ट के पास आ गया।
अब चारो ओर से गोला बनाकर सभी टेरो सोर, तौफीक, सुयश और अलबर्ट की ओर बढ़ने लगे। किसी के पास बचने का अब कोई रास्ता नहीं बचा था।
“नक्षत्रा क्या तुम कोई मदद कर सकते हो ?” जेनिथ ने लाचारी भरे स्वर में नक्षत्रा से पूछा।
“माफ करना जेनिथ, मैं इस समय तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता।” नक्षत्रा के स्वर में भी उदासी के भाव थे।
शैफा ली भी इस समय स्वयं को बेबस महसूस कर रही थी। क्रिस्टी के पास भी इतने सारे टेरो सोर से बचने का कोई उपाय नहीं था।
सुयश ने हड़बड़ाकर अपने बैग में रखे सभी खाने के पैकेट निकाल लिये।
“जब तक हो सके, इनसे बचने की कोशिश करो, हमें हिम्मत नहीं हारनी है।” सुयश ने खाने के कुछ पैकेट अलबर्ट और तौफीक को पकड़ाते हुए कहा।
अलबर्ट अब अपनी ओर बढ़ रहे टेरो सोर को खाने के पैकेट फेंक कर खिलाने लगा। तभी आसमान में अचानक से अंधेरा छा गया। सभी की नजरें आसमान की ओर उठ गईं।
उन्हें आसमान पर एक विशाल टेरो सोर उड़कर उधर ही आता दिखाई दिया।
उस टेरो सोर के एक पंख का आकार ही 15 मीटर के आसपास था। उसी के पंखों की वजह से उस दर्रे में अंधेरा सा छा गया था। अब छोटे टेरो सोर भी अपना सिर आसमान की ओर उठा कर जोर-जोर से चीखने लगे।
इससे पहले कि कोई अपने बचाव में कुछ कर पाता, उस विशाल टेरो सोर ने नीचे की ओर डाइव मारी और अलबर्ट को अपने पंजों में पकड़कर, एक दिशा की ओर उड़ चला।
सारे छोटे टेरो सोर भी उस बड़े टेरो सोर के पीछे-पीछे जमीन पर दौड़ते हुए भाग गये। तौफीक और सुयश हक्के-बक्के से आसमान में दूर जाते उस विशाल टेरो सोर को देख रहे थे।
तभी उन्हें लड़कियों का ध्यान आया। दोनों भागकर जेनिथ, शैफाली और क्रिस्टी के पास पहुंच गये।
शैफाली की आँखों में आँसू थे। शायद वह अलबर्ट के लिये आखिरी श्रृद्धांजलि स्वरुप थे।
जेनिथ ने शैफाली के कंधे पर हाथ रखकर उसे सांत्वना देने की कोशिश की।
पर तभी सुयश ने सबको उस जगह से हटने का इशारा किया क्यों कि उस जगह पर खतरा अभी टला नहीं था। सभी थके-थके कदमों से फिर आगे की ओर बढ़ गये।
सभी को रास्ता दिखाने वाला एक व्यक्ति स्वयं ही रास्ते में खो गया था।
जारी रहेगा______![]()
Maut hi last truth hai.