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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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#57.

सभी सुयश के पीछे चल पड़े। सुयश ने मोटरबोट को एक बार देखा। उसके अंदर 3 स्विमिंग कॉस्ट्यूम, ओक्सिजन सिलेंडर के साथ रखे दिखें जो कि सुयश ने सुप्रीम के प्रोपेलर की जांच करने के लिए मंगवाए थे।

मोटरबोट के अंदर और कुछ नहीं दिख रहा था। सुयश मोटरबोट के अंदर घुस गया। उसने मोटरबोट के जमीन पर लगे हैंडल को खींचकर उठा लिया। उतनी दूर का लकड़ी का वह हिस्सा ढक्कन की तरह से खुल गया और अंदर रखा काफी सारा सामान दिख गया।

सुयश ने इशारे से ब्रेंडन को सारा सामान निकालने को कहा।

बामुस्किल 10 मिनट में ही ब्रेंडन ने कुछ लोगो की मदद लेकर मोटरबोट का सारा सामान निकालकर वही द्वीप के किनारे एक साफ जगह देख कर रखवा दिया।
अब सभी की नजर मोटरबोट से निकले सामान पर थी।

मोटरबोट में था- “ताज़ा वॉटर की लगभग 40 बोतलें, ड्राई-फ्रूट्स के लगभग 100 पैकेट, 10 चिप्स, 1 केम्पास, 1 सिग्नल मिरर, 6 मजबूत पीठ पर ढोने वाले ट्रेवल बैग, 2 पावरफुल टार्च, 2 बड़े चाकू और आग जलाने वाले 2, 2 सीटियाँ, ओर लाइटर।"

“यह मोटरबोट एक तरह की लाइफबोट थी, इसलिए इसमें ये सब सामान उपस्थित था। तो अब आप लोग ने देख ही लिया की हमारे पास क्या-क्या है।" सुयश ने सबको बारी-बारी देखते हुए कहा- “अब हमें इन्ही चीज़ो से गुजारा करना पड़ेगा।"

“कैप्टन, मेरे काले बैग में भी एक टार्च और सिग्नल फ़्लेयर है।" असलम ने अपने कंधे पर टंगे बैग की ओर इशारा करते हुए कहा।

“कैप्टन क्या हमें यही किनारे पर रहकर अपना बचाव करना चाहिए या फिर इस द्वीप के जंगल में प्रवेश करके वहां बचाव का कुछ साधन ढूंढना चाहिए।" जेनिथ ने सुयश से पूछा।

लेकिन इससे पहले कि सुयश कुछ जवाब दे पाता, तौफीक बीच में ही बोल उठा-

“हमारे पास खाने-पीने की चीजे बहुत ही सीमीत है, अगर हम थोड़ा-थोड़ा भी यूज करे, तब भी 5 दिन से ज़्यादा ये चीजे नही चालेंगी, ऐसे में सामान ख़तम होने के बाद भी हमें द्वीप के अंदर तो जाना ही पड़ेगा, तो फ़िर क्यों ना हम अभी ही द्वीप के अंदर जाने का फ़ैसला ले-ले ।"

“तौफीक सही कह रहे है ।" एलेक्स ने कहा- “वैसे भी यह द्वीप बहुत बड़ा है, अगर हम सब कुछ ख़तम होने के बाद इस द्वीप को पार करने कि कोसिस करे तो पता नहीं हमें अंदर खाने-पीने कि चीजे मिलेंगी भी कि नहीं। इसिलए में तौफीक के विचार से पूर्णतया सहमत हूं ।"

अब सभी ने तौफीक कि बात पर सहमित जताई। “तो फ़िर ये ‘फाइनल’ रहा कि हम इस द्वीप के अंदर जाएगे।"

सुयश ने ‘थम्सअप-अप’ करते हुए कहा- “तो फ़िर मेरे हिसाब से पहले सबको कुछ खा-पी लेना चाहिए, फ़िर जरुरत के सारे सामान को इन 6 ट्रेवल बैग में भर लेंगे और लड़कियाँ और अल्बर्ट सर को छोड़कर बाकि सभी लोग बारी-बारी से इसे उठाकर चलते रहेंगे।"

सुयश कि बात सभी को सही लगी, इसिलए किसी ने ऐतराज जाहिर नही किया। अब सभी वही रेत पर जमीन में बैठ गये।

ब्रेंडन ने सभी को ड्राई-फ्रूट्स का एक पैकेट और पानी कि एक बॉटल पकड़ा दी। ब्रेंडन ने ड्राई-फ्रूट्स का एक पैकेट फाड़कर ब्रूनो को भी दे दिया। 30 मिनट में सभी ने खाना खाकर जरुरत का सभी सामान पैक कर लिया और सुयश को देख, उठ कर खड़े हो गये।

क्यो की किसी ने रात में भी कुछ नही खाया था, इसिलए खाना खाकर सभी में एक नयी फुर्ती का संचार हो गया। सुयश ने आसमान की तरफ सिर उठाकर, हाथ जोड़कर ईश्वर से कुछ प्रार्थना किया और जंगल की ओर चल दिया।

अलबर्ट, शैफाली, एलेकस, क्रिस्टी, तौफीक, जेनिथ, जैक, जॉनी, ब्रेंडन, असलम, ड्रेजलर और ब्रूनो भी सुयश के पीछे-पीछे चल पड़े।

ट्रेवेल बैग इस समय तौफीक, ब्रेंडन, सुयश, जैक, असलम और ड्रेज़लर के पास थे। अलबर्ट ने एक सीटी को शैफाली के गले मे टांगने के बाद, एक अपने गले मे पहन लिया।

तौफीक ने एक चाकू उठाकर अपने पास रख लिया। दूसरा चाकू ब्रेंडन को दे दिया। मौसम इस समय बिलकुल साफ था। आसमान मे सूर्य अपनी किरणें बिख़ैरता हुआ चमक रहा था।

द्वीप के अंदर की ओर विशालकाय पेड़ लहरा रहे थे। सुयश ने जंगल मे घुसने से पहले किनारे पर मौजूद कुछ पेडों से डंडे तोड़ते हुए कहा-

“सभी लोग अपने हाथ मे कुछ ना कुछ अवस्य ले-ले। क्यों की जंगल घना लग रहा है। अगर किसी तरह का कोई जंगली जानवर हुआ तो यह डंडे हमारे काम आ सकते हैं।"

सुयश की बात सभी को सही लगी। अतः बाकी लोग ने भी लकड़ी के डंडे तोड़कर अपने हाथो मे ले लिये। इसके बाद सभी द्वीप के अंदर की ओर चल दिये।

जंगल बहुत ही घना था इसिलए सभी एक सीधी लाइन मे एक के पीछे एक चल रहे थे। जेनिथ, क्रिस्टी और शैफाली को बीच मे कर दिया गया।

सबसे आगे सुयश था। वह बहुत सावधानी के साथ अपने कदम बढ़ा रहा था। कुछ दूर चलने के बाद शैफाली को थोड़ी मस्ती सूझी। उसने अपने गले मे टंगी सीटी को एक बार जोर से बजा दिया।

“टऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ" जंगल इतना शांत था कि एक जोरदार आवाज पूरे जंगल में गूंज गयी। सीटी की आवाज सुन, सभी हैरानी से शैफाली कि तरफ देखने लगे।

“मैं तो बस चेक कर रही थी कि जंगल में सीटी की आवाज गूंजती कितनी जोर से है?" शैफाली ने शैतानी से मुस्कुराते हुए कहा।

शैफाली की शैतानी देख सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी। इधर तो सीटी कि आवाज के कारण मस्ती चल रही थी, पर इसी आवाज को सुन अराका द्वीप पर मौजूद ‘पोसाइडन की पहाड़ वाली मूर्ति’ की आँखे अचानक से लाल हो गई और एक तेज हवा का झोंका पहाड़ से शैफाली कि ओर बढ़ा।

चलती हुई शैफाली के बाल हवा के झोंके कि वजह से हवा में लहराये और उसे अपने कानो में एक फुसफुसाहट सी सुनाई दी:-

“अराकाऽऽऽऽऽऽ!"

शैफाली यह सुन बहुत हैरान हो गई- “कौन है? .... कौन है यहां?"

शैफाली की आवाज सुन सभी पलटकर शैफाली को देखने लगे।

“क्या हुआ शैफाली?" क्रिस्टी ने शैफाली का हाथ पकड़कर पूछा।

“पता नही, पर किसी ने मेरे कानो में फुसफुसाकर ‘अराका’ कहा।"

“अराका?" सभी ने समवेत स्वर में कहा।

“पर यहां तो हम लोगो के सिवा कोई भी नही है।" जॉनी ने डर कर इधर-उधर देखते हुए कहा।

“नही-नही कोई था मेरे पास....।" शैफाली के शब्दो में एक बार फिर रहस्य झलकने लगा- “और मुझे ऐसा लगा जैसे कि में उसे जानती हूँ।"

“क्या?" अब सुयश की भी आँखे सिकुड गई - “तुम इस द्वीप पर किसी को कैसे जान सकती हो?"

अब सभी की नजर इधर-उधर घूमने लगी, पर जब काफ़ी देर तक उनको कुछ नजर नही आया तो सभी फिर से आगे बढ़ गये।

सभी को चलते-चलते 2 घंटे हो गये थे। धीरे-धीरे जंगल घना होने लगा था। जंगल के अंदर से चिड़ियाँ के चहचहाने की आवाज आ रही थी ।

कभी-कभी कुछ जानवरो कि आवाज भी उस में आकर मिल जाती थी । कुछ और आगे बढ़ने पर इनहे एक हरा-भरा बाग दिखाई दिया।

बाग में लगे पेड़ भी अजीब सी आकृति के थे और उस पर सेब के समान परंतु नीले रंग के फल लटक रहे थे।

“यह तो बहुत विचित्र पेड़ लग रहा है।" अल्बर्ट ने पास जाकर पेडो को देखते हुए कहा- “ऐसे पेडो के बारे में तो मैंने पढ़ा तक नही है।"

“आप सही कह रहे है प्रोफेसर।" सुयश ने भी पेडो को देखते हुए कहा- “मैंने भी कभी ऐसे पेड़ और फल के बारे में नही सुना और इनका नीला रंग भी कितना विचित्र है।"

“पर ग्रैंड अंकल!" शैफाली ने मासूमियत भरे अंदाज में कहा- “मुझे तो इन फलो कि खुशबू बहुत अच्छी लग रही है। खुशबू से तो यह फल रसीले भी प्रतीत हो रहे है। क्या हमें इन्हे खाना चाहिए?"

“नही शैफाली!" जेनिथ ने कहा- “हमें बिना चेक किए, इन फलो को नही खाना चाहिए। इनका नीला रंग देखकर लगता है कि यह जहरीले भी हो सकते है।"

“तो फिर क्यों न एक फल तोड़कर हम ब्रूनो को सुंघाएं?" शैफाली ने कहा- “अगर ब्रूनो ने फल खा लिया। तो फिर हम भी खा सकते है।"

सभी को शैफाली का यह तर्क सही लगा। एक फल जो नीचे तक लटक रहा था, जैक ने आगे बढ़कर उसे तोड़ने की कोशिश की, पर जैसे ही जैक का हाथ उस फल तक पहुंचा, अचानक ही आश्चर्यजनक जनक तरीके से वो फल कि डाल थोड़ा ऊपर की ओर उठ गयी।

“यह कैसे हो सकता है?" ब्रेंडन ने हैरानी से पेड़ को देखते हुए कहा- “यह पेड़ की डाल अपने आप ऊपर कैसे हो गयी?"

“शायद यह पेड़ ‘मीमोसा पुडिका’ के पेड़ के समान ‘सेम पेड’ है, जिनको छूने पर वह अपने आप में सिमट जाते है।"
अल्बर्ट ने अपनी वनस्पति विज्ञान की जानकारी को सबसे साझा करते हुए कहा।

अब कोई भी फल इतनी ऊंचाई पर नही लगा था कि उसे जमीन पर रह कर तोड़ा जा सके।

“लगता है पेड़ पर चढ़े बिना फल को नहीं तोड़ा जा सकता।”असलम ने कहा।

“चढ़ना तो पड़ेगा।“ इस बार अल्बर्ट ने कहा- “पर चढ़ोगे कैसे? देख नही रहे, यह पेड़ कितना सीधा है और इसकी सबसे नीची डाल भी कम से कम 12 फुट ऊपर है। ऐसे में इस पेड़ पर चढ़ना इतना सरल नहीं है।"

“मैं चढ़ सकता हू इस पेड़ पर।" एलेक्स ने आगे आते हुए कहा- “मेरे लिये यह बात आसान है।"

यह कहकर एलेक्स ने बीना किसी से पूछे, अपने जूते उतारे और एक पेड़ के तने को छूकर पेड़ को पकड़ का जायजा लिया। इसके बाद एलेक्स किसी प्रशिक्षित बंदर कि तरह तने को पकड़कर, पेड़ पर चढ़ने लगा।

“बंदर कहीं का।" क्रिस्टी ने मुस्कुराते हुये एलेक्स पर कमेंट किया।

अनायास ही सभी के चेहरे पर एक मुस्कान सी खिल गई।

थोड़ा ऊपर चढ़कर एलेक्स ने आसपास के फलो को देखा। अब एलेक्स कि नजर एक पास के फल पर गयी, जो कि उससे ज्यादा दूर नही था।

एक दूसरी शाख पर कूदने के बाद एलेक्स ने उस फल कि ओर हाथ बढ़ाया। सबकी नजर एलेक्स पर थी।

तभी एकाएक एलेक्स के पीछे की पेड़ की एक डाली स्वतः गतिमान हूई और वह रबर की तरीके से तेजी से आकर एलेक्स की पीठ पर लगी-
“सटाक्"

“आहऽऽ!" पीठ पर लगी चोट के कारण एलेक्स के मुंह से एक तेज कराह निकली और उसका हाथ डाल से छूट गया।

एलेक्स का शरीर हवा में लहराया और तेजी से जमीन की तरफ गया।

एलेक्स ने फुर्ती से एक डाली पकड़ ली, नही तो वह सीधे जमीन पर आ जाता। यह घटना किसी कि आँखो से छीपी ना रह सकी।

“एलेक्स तुरंत नीचे आ जाओ।" क्रिस्टी ने चीखकर कहा- “पेड़ पर कुछ खतरा है।"

एलेक्स को कुछ समझ नही आया पर क्रिस्टी की आवाज सुन वह पेड़ से नीचे कूद गया।

“यह कैसे संभव है, यह पेड़ तो बिल्कुल किसी सजीव की तरह व्यवहार कर रहा है और इसे देखकर मुझे नही लगता कि हम लोग इस पेड़ से एक भी फल तोड़ पायेंगे।"
अल्बर्ट ने आश्चर्य से पेड़ को देखते हुए कहा।





जारी रहेगा________✍️
Oh my god😱 kitna dhasu likh rahe ho sharma ji, keep going, hat's of :hi:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

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#58.

“अब तो 100 प्रतिशत मुमकिन है कि हमे इस द्वीप पर अभी बहुत से आश्चर्य और देखने को मिलेंगे ।" ड्रेजलर ने कहा।

“अंकल क्या मैं इस पेड़ को छू सकती हुं ?" शैफाली ने सुयश कि ओर सर घुमाते हुए कहा- “पता नही क्यों मुझे इसे छूने का मन कर रहा है।"

सुयश ने एक बार ध्यान से शैफाली को देखा और फ़िर शैफाली का हाथ पकड़ उसे पेड़ तक लेता गया।

वैसे तो शैफाली कि यह बात बहुत ही सामान्य सी थी, परंतु पता नही क्यों सुयश को इसमे भी कुछ रहस्य सा महसूस हुआ। सुयश के हाथ के इशारे पर, शैफाली ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर पेड़ को स्पर्श कर लिया।

शैफाली के स्पर्श करते ही अचानक पेड़ मे कुछ हलचल सी हुई और बिना किसी हवा के उस पेड़ कि डालीयां झूमने लगी।

पेड़ कि यह हरकत देख सभी लोग डरकर पीछे हट गये। सुयश भी शैफाली को लेकर दूर चला गया। डालीयां के झूमने की गति धीरे-धीरे तेज होने लगी। जिसकी वजह से उस पर लगे फल टूट-टूट कर नीचे गिरने लगे।

मात्र 30 सेकंड मे ही पेड़ के नीचे फलो का अम्बार लग गया। जब पेड़ से सारे फल टूटकर नीचे गिर गये तो पेड़ स्वतः ही शांत हो गया।

“ये सब क्या था?" जेनिथ ने आश्चर्य से फलो के टूटे अंबार को देखते हुए कहा।

“शायद यह कोई मायावी पेड़ है। जिसके अंदर स्वयं कि समझ भी है।" तौफीक ने कहा।

“तुमने पेड़ को छूकर ऐसा क्या किया था?" सुयश ने शैफाली को देखते हुए पूछा- “जिसकी वजह से पेड़ ने हरकत की।"

“मैंने केवल उसे छूकर फल को खाने कि इच्छा व्यक्त की थी बस.... और मुझे कुछ नही पता?"

शैफाली स्वयं भी आश्चर्य में थी। किसी को समझ नही आया कि ये सब कैसे हुआ।

“प्रोफेसर, आपको कुछ समझ में आया क्या?" ब्रेंडन ने अल्बर्ट से मुखातिब होते हुए पूछा।

अल्बर्ट ने एक गहरी साँस भरी और ब्रेंडन से कहना शुरू कर दिया-

“मैं स्वयं इस घटना से आश्चर्य में हुं, मैंने कभी भी ऐसे किसी पेड़ के बारे में नही सुना। हाँ, पर हिंदू माइथालोजी में ‘पारीजात’ नामक एक ऐसे पेड़ का वर्णन है, जो किसी कि भी इच्छा को पूर्ण करता था। मुझे यह पेड़ भी कुछ वैसा ही लग रहा है, क्यों की जब हमने इसकी इच्छा के विरूद्ध इसके फल तोड़ने चाहे तो नही तोड़ पाये, पर जब शैफाली ने इससे प्रार्थना कि तो इसने स्वयं ही अपने सारे फल हमें दे दिये।"

“पर .... शैफाली ने तो मन में प्रार्थना की थी, शैफाली के मन कि बात इसे कैसे समझ में आ गयी।" सुयश के शब्दो में तर्क तो था।

“मैं श्योरिटी से तो कुछ नही कह सकता, पर ये भी हो सकता है कि यह पेड़ मन कि बात को समझ लेता हो, आख़िर हमारी सोच भी तो एक ऊर्जा का ही रूप होती है।" अल्बर्ट ने कहा।

“अंकल अब क्या हम इन फलो को खा सकते है?" शैफाली ने सबके विचारो पर पूर्ण विराम लगाते हुए पूछा।

शैफाली की आवाज सुन सुयश ने एक फल ब्रूनो के सामने रखा। ब्रूनो ने पहले फल को सूंघा और फ़िर खा लिया। थोड़ी देर तक ब्रूनो को देखते रहने के बाद सुयश ने सबको फल खाने कि इजाजत दे दी।

फल का स्वाद बहुत ही अनोखा था। उसमें कोई बीज नही था और रस भी बहुत ज्यादा था। सभी को वो फल बहुत ही अच्छा लगा। फल खाकर सुयश ने फ़िर सभी को आगे चलने का इशारा किया।

सभी उठकर चल दीये । शैफाली ने कुछ आगे बढ़ने के बाद पीछे पलटकर उस चमत्कारी पेड़ को ‘बाय’ किया।

शैफाली के ऐसा करने पर पेड़ की भी एक डाल जोर से हिली, ऐसा लगा मानो उस पेड़ ने भी शैफाली को बाय किया।

चैपटर-2 (सुनहरी ढाल)

7 जनवरी 2002, सोमवार, 11:30, ट्रांस अंटार्कटिक पर्वत, अंटार्कटिका

अंटार्कटिका की धरती पर बर्फ़ की एक मोटी चादर बिछी थी। जनवरी का महीना अंटार्कटिका का सबसे गरम महीना था फ़िर भी उस छेत्र में किसी भी प्रकार के जीव-जंतू और पेड़-पौधे का नामो-निशान तक नहि था।

आसमान इस समय बिलकुल साफ था और तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे मौसम में 2 अमेरिकी व्यक्ति ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों के पास ड्रिल मशीन से बर्फ़ में सुराख करने की कोशीश कर रहे थे।

“तुम्हें क्या लगता है जेम्स, हमारी इस मशीन ने आज क्या खोजा होगा?“ विल्मर ने मैटल खोज करने वाली मशीन के जलते हुए इंडीकेटर को देखकर कहा।

“जरूर यहाँ पर कोई पुराना खजाना दबा हुआ होगा?" जेम्स ने मुस्कुराते हुए विल्मर पर कटाक्ष किया- “फ़िर इस खजाने को पाकर हम करोड़पती बन जाएंगे।"

“हा....हा...हा..... खजाना!“ विल्मर भी जेम्स की बात सुनकर जोर से हंसा- “पुराने टूटे-फूटे स्कूटर के अवशेष के अलावा यहां आज तक कुछ मिला है जो आज मिलेगा। ये कोई पिकनिक मनाने की जगह तो है नही। यहां पर हमारी- तुम्हारी तरह के कुछ खोजी दस्ते ही आते है, अपने ‘स्की-स्कूटर’ से। उन्हि में से कुछ दुर्घटना का शिकार भी हो जाते है । उसमे से ही होगा, किसी का कोई सामान, जिसका यह खोज- सूचक (search-indicator) हमे संकेत दे रहा होगा।"

“सही कह रहा है भाई।" जेम्स ने अब उदास होते हुए कहा- “चल ड्रिल करता रह, जब थक जाना तो मुझे बता देना, आगे की खुदाई मैं कर लूंगा।"

लेकिन इससे पहले कि विल्मर और कुछ बोल पाता, ड्रिल मशीन एक ‘खटाक’ कि आवाज के साथ किसी चीज से टकराई। यह आवाज सुन दोनो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

“ले भाई मिल गया तेरा खजाना।" विल्मर ने ड्रिल छोड़कर खड़े होते हुए कहा- “अब तू ही निकाल अपने इस खजाने को।"

जेम्स ने हंसकर विल्मर कि जगह ले ली और अपने ग्लब्स पहने हाथो से उस जगह की बर्फ़ साफ करने लगा।

थोड़ी ही सफाई के बाद जेम्स कि आँखे आश्चर्य से सिकुड़ गई।

“य...य...ये क्या है?" जेम्स ने जमीन की ओर देखते हुए आश्चर्य से कहा। जेम्स कि ऐसी आवाज सुनकर विल्मर भी उस गड्डे में देखने लगा।

गड्डे में एक सुनहरी अंजान सी धातु की बनी हुई एक ढाल नजर आ रही थी जो देखने में किसी पुरातन योद्धा की लग रही थी। ढाल पर ड्रेगन कि तरह के एक विचित्र जीव कि उभरी हुई आकृति बनी थी।

“लग रहा है सच में खजाना मिल गया!" उस ढाल को देखकर जेम्स ने रोमांच से कहा।

अब जेम्स और विल्मर तेजी से उस जगह कि बर्फ़ को साफ करने लगे। ढाल अब पूरी नजर आने लगी थी।

“यह कौन सी धातु हो सकती है?" जेम्स ने उस सुनहरी धातु को देखते हुए पूछा।

“सोना तो नही है, पर है यह कोई बहुमूल्य धातु।" विल्मर ने उस धातु को हाथो से टच करते हुए कहा।

ढाल पर पड़ी पूरी बर्फ़ अब हट गयी थी।

“चल निकाल जल्दी से इस खजाने को, अब सबर नहीं बचा मेरे पास।" विल्मर ने कहा।

जेम्स ने ढाल को एक हाथ से खिंचा, पर वह ढाल उठना तो छोड़ो, हिली तक नहीं । यह देख जेम्स ने दोनो हाथो का इस्तेमाल किया, पर पूरी ताकत लगाने के बाद भी वह उस ढाल को हिला तक नहीं पाया।

यह देख विल्मर ने क्रोध से जेम्स को धक्का दीया और स्वयं आकर उस ढाल को उठाने कि कोसिश करने लगा। पर ढाल विल्मर से भी ना हिली । अब दोनों ने मिलकर पूरी ताकत लगायी, फिर भी वह ढाल को हिला नहीं पाये।

“शायद यह ढाल बर्फ़ में ज़्यादा अंदर तक घुसी है, इसे निकालने के लीए, लगता है और बर्फ़ हटानी पड़ेगी।" जेम्स ने कहा।

यह सुन विल्मर ने दोबारा से ड्रिल मशीन अपने हाथ में ले ली और उस स्थान के अगल-बगल कि बर्फ़ हटानी शुरु कर दी।

थोड़ी देर में ढाल के पास का लगभग 6 मीटर का क्षेत्र दोनो ने साफ कर लिया। पर अब उस जगह को देख उनकी आँखे फटी की फटी रह गई, क्यों की अब उस साफ किये 6 मीटर के दायरे में, उसी धातु की सुनहरी दीवार दीखाई दे रही थी।

एक ऐसी दीवार जिसमें वह ढाल लगी हुई थी और उस दीवार का अंत कहीं नजर नहीं आ रहा था।

“ये है क्या?" जेम्स ने उस दीवार को देखते हुये कहा- “इसका तो कहीं अंत ही नहीं दिख रहा है।“

अब दोनों की आंखें रहस्य से फैल गई। अब विल्मर ने उस स्थान से 10 मीटर दूर ड्रिल करना शुरु कर दिया। थोड़ी देर बाद वहां भी बर्फ़ के नीचे वही दीवार दिखाई दी।

अब विल्मर जैसे पागल हो गया। उसने लगभग 500 मीटर के दायरे में अलग-अलग जगह की बर्फ़ हटायी, पर सभी जगह से एक ही परिणाम निकला। हर जगह पर वह सुनहरी दीवार मौजूद थी।

विल्मर अब थककर पूरी तरह से चूर हो चुका था। इसिलये वह जेम्स के पास आकर बैठ गया।

“क्या लगता है तुम्हे? ये चीज क्या हो सकती है?" विल्मर ने जोर- जोर से साँस लेते हुये जेम्स से पूछा।

“शायद यह कोई पनडुब्बी या पानी का जहाज हो सकता है, जो कि यहां बर्फ़ में दबा है, या फिर कोई एलियन का स्पेससिप या .......।" कहते-कहते जेम्स ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।

“या ....?"

विल्मर ने जेम्स की बात को पूरा करते हुए कहा- “कोई ऐसी सभ्यता जो अभी तक दुनियाँ कि नजर में आई ही ना हो।" अब दोनों की आँखो में थोड़ा डर भी दिखायी देने लगा।

“तो फिर क्या हमको इसकी जानकारी अपने हेड-कवाटर भेज देना चाहिए?" जेम्स ने विल्मर से पूछा।

“अब अगर हमें इस चीज से कोई निजी फायदा नहि हो सकता, तो हेड-कवाटर बता देना ही ठीक रहेगा। कम से कम इस परियोजना को ढूंढने में हमारा नाम तो आयेगा।"

विल्मर ने कहा- “अगर तुम कहो तो एक कोशिश और करके देख ले?, शायद कुछ हो ही जाए।"

“कैसी कोशिश?" जेम्स ने ना समझने वाले अंदाज में पूछा।

“देख भाई, चाहे यह कोई पनडुब्बी हो, चाहे एिलयन का स्पेससिप या फिर कोई नयी सभ्यता, इसका रास्ता तो कहीं ना कहीं से होगा ही। क्यों ना हम इसके रास्ते को ढूंढने की कोशिश करे। शायद हमें सच में कोई खजाना मिल जाए।" विल्मर ने जेम्स को समझाते हुए कहा।

विल्मर की बात सुन जेम्स थोड़ी देर सोचता रहा और फिर उसने हाँ में सर हिलाते हुए कहा-

“ठीक है, हम अभी इस परियोजना की जानकारी कीसी को नही देते और इस दूसरी दुनियां का रास्ता ढूंढने की कोशिश करते है। अगर हम अगले 5 दिन में भी इसका रास्ता नहीं खोज पाये तो फिर इसके बारे में सबको बता देंगे।"

“डन।" विल्मर ने थम्स-अप करते हुए कहा और एक बार फिर दुगने उत्साह से अलग दिशा में खुदाई करने चल दिया।



जारी रहेगा________✍️
Shefaali ke chune se ped ka fall tootna, aur koi samanya baat nahi hai, aur jemes and Vilmar kya khoj rahe.. dekhte hain, awesome update bhai ji:bow::bow::bow:
 
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मगरमच्छ मानव
(7 जनवरी 2002, सोमवार, 14:30, अराका द्वीप, अटलांटिक महासागर)

चलते चलते सभी को 2 घंटे बीत चुके थे। पर अभी तक इन लोगों को ना तो कोई जंगली जानवर मिला था और ना ही मनुष्य के किसी प्रकार के पद-चिन्ह:।

चलते-चलते सभी को पेडों के एक झुरमुट के बीच एक छोटी सी झील दिखाई दी।

झील के चारो तरफ कुछ दूरी पर फलो के बहुत सारे पेड़ दिखाई दे रहे थे। झील का पानी काफ़ी साफ लग रहा था।

“क्यों ना हम अपनी खाली हो चुकी बोतलों में यहां से पानी भर ले?" क्रिस्टी ने झील को देखते हुए कहा।

“क्रिस्टी बिलकुल सही कह रही है, वैसे भी 2 घंटे से चलते-चलते सबका दम भी निकल गया है, थोड़ी देर रुक कर आराम भी कर लेना चाहिए।" सुयश ने सभी को देखते हुए कहा।

सुयश के इतना कहते ही कुछ लोग झील के किनारे की मिट्टी के पास बैठ गये और कुछ झील की तरफ आगे बढ़ गये।

“वाह! कितना साफ पानी है।" जेनिथ ने झील कि ओर देखते हुए कहा- “मेरा तो नहाने का मन करने लगा।"

यह कहकर जेनिथ झील के पानी कि ओर बढ़ गयी।

“ठहरो!" अल्बर्ट कि आवाज ने जेनिथ को रोक लिया - “यह झील इतनी शानदार है, पर इसके आस- पास किसी पशु-पक्षी के कदमो के निशान मौजूद नहीं है।"

अब सबका ध्यान झील के पास कि मिट्टी पर गया। मिट्टी हर जगह से बिलकुल बराबर लग रही थी।

“बात तो आपकी सही है प्रोफेसर ।" सुयश ने भी मिट्टी पर नजर मारते हुए कहा- “द्वीप पर इतना बड़ा जंगल है, तो इस जंगल में तो बहुत सारे जंगली जानवर भी होंगे और जानवर पानी पीने तो झील के किनारे अवश्य आते होंगे। ऐसे में उनके कदमो के निशान तो मिट्टी पर होने चाहिए थे।"

“ऐसा कैसे हो सकता है कैप्टन?" असलम ने भी सुयश कि हां में हां मिलाते हुए कहा।

“ऐसा एक ही शर्त में हो सकता है।" शैफाली ने अपना ज्ञान का परिचय देते हुए कहा- “जबकि इस झील के आसपास खतरा हो।"

खतरा शब्द सुनते ही सबकी निगाह अपने आसपास घूमने लगी। पर आसपास कुछ ना पाकर जेनिथ ने अपने जूते उधर झील के किनारे पर उतारे और अपनी जींस को तह कर थोड़ा ऊपर कर लीया। इसके बाद वह झील के पानी कि तरफ बढ़ गयी।

अब जेनिथ के पैर पंजो तक पानी के अंदर थे।

जेनिथ ने एक बार फ़िर से अपने आसपास नजर मारी और फ़िर पानी को अपनी अंजुली में भरकर धीरे-धीरे पीने लगी।

“पानी का स्वाद काफ़ी मीठा है।" जेनिथ ने सभी की ओर देखते हुए कहा- “आप लोग भी पी सकते हो।"

सभी लोग जो अभी तक झील से थोड़ा दूर खड़े थे, झील की तरफ आने लगे।

अभी जेनिथ ने बामुस्किल 2 अंजुली ही पानी पिया था, कि अचानक उसे झील के बीच से पानी में कुछ बुलबुले उठते दिखाई दिये। जेनिथ सहित सभी आश्चर्य से उन बुलबुलो को देखने लगे।

देखते ही देखते एक अजीब सा मगरमच्छ मानव झील से बाहर निकलने लगा। सभी हतप्रभ होकर उस विचित्र जीव को देखने लगे।

अचानक सुयश जोर से चीखा- “जेनिथ जल्दी झील से बाहर आओ।“

सुयश कि आवाज सुन जेनिथ जैसे सपनों से जागी हो, उसने तुरंत झील से बाहर निकलने कि कोशिश की।

परंतु तभी आश्चर्यजनक तरीके से झील का पानी बर्फ़ में बदल गया। इसी के साथ जेनिथ के पैर भी पंजो तक बर्फ़ में फंस गये।

“आह!" जेनिथ के मुंह से कराह निकल गयी- “मेरे पैर बर्फ़ में बुरी तरह से फंस गये है, कोई मेरी मदद करो?"

यह देख सुयश और तौफीक तेजी से जेनिथ की तरफ भागा ।

जेनिथ अपने पैर को बर्फ़ से निकालने कि भरसक कोशिश करने लगी, पर वह रत्ती भर भी कामयाब नहीं हो पाई।

तौफीक अपने हाथ में चाकू निकालकर बर्फ़ को काटने की कोशिश करने लगा। पर तौफीक जितनी बर्फ़ काटता उतनी ही बर्फ़ वापस उस स्थान पर जम जाती।

उधर वह मगरमच्छ-मानव अब पूरा का पूरा जमी हुई झील से बाहर निकल आया।

भारी-भरकम पूंछ वाला वह मगरमच्छ-मानव आश्चर्यजनक तरीके से अपने दो पैरों पर चल रहा था।

कद में 9 फुट ऊंचे उस मगरमच्छ मानव का वजन कम से कम 800 किलोग्राम तो जरूर रहा होगा।

इतना भयानक राक्षस देख वहां खड़े कई लोगो के मुंह से चीख निकल गयी।

मगरमच्छ मानव कि लाल-लाल आँखे अब जेनिथ की ओर थी।
उसके मुंह से गुर्राने जैसी अजीब सी आवाज निकल रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मगरमच्छ मानव अपने शिकार को देखकर बहुत खुश हो गया हो।

धीरे-धीरे वह अब जेनिथ की तरफ बढ़ने लगा।

“कैपटेन, जल्दी जेनिथ को बर्फ़ से निकालो।" अल्बर्ट दूर से चिल्लाया- “वह मगरमच्छ मानव आप लोगो की ओर आ रहा है।"

तौफीक ने मगरमच्छ मानव पर एक नजर मारी और फ़िर तेजी से बर्फ़ तोड़ने की कोशिश करने लगा।

पर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बर्फ़ मायावी हो, क्यों की तौफीक के इतनी कोशिश करने के बाद भी वह बर्फ़ जरा सा भी कम नही हो रही थी।

सुयश भी अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी का उपयोग कर बर्फ़ को खुरचने की असफल कोशिश कर रहा था।

जेनिथ कि निगाह कभी मगरमच्छ मानव पर तो कभी बेतहाशा बर्फ़ तोड़ने कि कोशिश करते तौफीक पर पड़ रही थी।

जेनिथ अभी भी भयभीत नही थी, पर तौफीक के कट चुके हाथो से रिसते खून को देख कर उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव थे।

उधर किनारे पर खड़े लोगो ने आसपास पड़े पत्थर और लकड़ियो को मगरमच्छ मानव पर मारना शुरु कर दीया।

वह लोग अपने मुंह से तेज आवाज़ें निकालकर व शोर मचाकर मगरमच्छ-मानव का ध्यान अपनी
ओर आकर्षित करने लगे। पर मगरमच्छ-मानव का ध्यान केवल और केवल जेनिथ पर था।

“तौफीक भागो यहां से।" जेनिथ ने पीड़ा भरे स्वर में तौफीक को वहां से जाने के लिये बोला- “मेरा बचना अब नामुमकिन है, पर तुम तो अपनी जान बचाओ। कैपटेन आप भी जाइए यहां से।"

मगरमच्छ मानव अब कुछ ही दूरी पर रह गया था।

तौफीक ने एक नजर जेनिथ को देखा पर कुछ बोला नही। वह पुनः बर्फ़ को तोड़ने कि कोशिश करने लगा।

उधर सुयश को जब जेनिथ को बचाने के लिए, कोई उपाय ना दिखा तो वह अपने हाथो में लकड़ी लेकर जेनिथ व मगरमच्छ मानव के बीच खड़ा हो गया। ऐसा लगा कि जैसे वह मगरमच्छ मानव से दो-दो हाथ
करना चाहता हो।

वैसे तो दोनो के शरीर के अनुपात के हिसाब से यह कोई मुकाबला नही था, पर वह इंसान ही क्या जो मुसीबतो से इतनी आसानी से हार मान ले।

मगरमच्छ मानव अब सुयश के काफ़ी पास आ गया था। सुयश ने अपना एक पैर पीछे कर बिल्कुल आक्रमण करने के अंदाज में अपनी पोज़िशन ले ली। अब वह पूरी तरह से उस जानवर से लड़ने के लिये तैयार था।

तभी अचानक शांत खड़ी शैफाली के शरीर में हरकत हुई और वह एक अंदाज से चलती हुई झील की ओर बढ़ी।

झील के किनारे पर पहुंचकर शैफाली रुक गयी। अब उसका चेहरा मगरमच्छ मानव की तरफ था।

मगरमच्छ मानव कि दूरी अब सुयश से केवल एक कदम ही बची थी।
मगरमच्छ-मानव ने एक तेज हुंकार भरी और अपना दाहिना हाथ सुयश को मारने के लिये हवा में उठा लिया।

सभी के दिल की धड़कन तेज हो गई। किसी भी पल कुछ भी हो सकता था।

तभी शैफाली के मुंह से एक तेज आवाज निकली- “जलोथाऽऽऽऽ"

मगरमच्छ मानव यह आवाज सुन शैफाली कि तरफ देखने लगा।
शैफाली को देख अचानक मगरमच्छ मानव के चेहरे पर भय के भाव नजर आने लगे।

शैफाली ने अब एक कदम मगरमच्छ मानव कि ओर बढ़ा दिया। मगरमच्छ मानव भय से एक कदम पीछे हो गया।

शैफाली के एक कदम और आगे बढ़ाते ही मगरमच्छ मानव एक कदम और पीछे हो गया।

शैफाली का आगे बढ़ना और मगरमच्छ मानव का पीछे जाना जारी रहा। थोड़ी देर में ही वह मगरमच्छ-मानव वापस उसी स्थान पर पानी में समा गया, जहां से वह निकला था।

किसी को कुछ समझ में तो नही आया पर मगरमच्छ मानव को वापस पानी में घुसता देख सबने राहत कि साँस ली।

सुयश वापस जेनिथ कि ओर पलटा। जेनिथ का पैर अभी भी बर्फ़ में फंसा हुआ था। अब सभी लोग जेनिथ के पास पहुंच गये।

ब्रेंनडन ने लाइटर जलाकर बर्फ़ को पिघलाने कि कोशिश की, पर बर्फ़ फिर भी ना पिघली।

“यह तो कोई मायावी बर्फ़ लग रही है, जो ना कट रही है और ना ही पिघल रही है।" अल्बर्ट ने बर्फ़ को देखते हुए कहा।

तभी शैफाली भी जेनिथ के पास आ गयी। शैफाली ने जेनिथ को कराहते देख उसके पैर को अपने हाथो से पकड़ लिया।

जेनिथ को शैफाली के हाथ काफ़ी गर्म से महसूस हुए।

बर्फ़ कि ठंडक ने जेनिथ के मस्तिष्क को भी स्थिर करना शुरु कर दिया था, पर शैफाली के गर्म हाथो से जेनिथ को बहुत ही बेहतर महसूस हुआ।

शैफाली के हाथो कि गरमी धीरे-धीरे बढ़ने लगी और इसी के साथ पिघलने लगी जेनिथ के पैर के आसपास कि बर्फ़ भी।

कुछ ही छण में जेनिथ के आसपास कि सारी बर्फ़ पिघल गयी और जेनिथ का पैर पानी से बाहर आ गया।

जेनिथ के पैर को बाहर आते देख तौफीक ने जेनिथ को गोद में उठाया और उस मनहुस झील से बाहर आ गया।

झील के किनारे पर कुछ दूरी पर एक बड़ा सा पत्थर मौजूद था, तौफीक ने जेनिथ को उस पत्थर पर बैठा दिया और उसके पैर के तलवो को अपनी हथेली से रगड़ने लगा।

इस समय जेनिथ की आँखो में तौफीक के लिए प्यार ही प्यार दिख रहा था।

एलेक्स झील के पास से जेनिथ के जूते उठा लाया था ।

“बाप रे! हम लोग इस द्वीप को जितना खतरनाक समझते थे, ये तो उससे भी कहि ज्यादा खतरनाक है।" असलम ने कहा।

“ऐसा लग रहा है, जैसे हम किसी पौराणिक दुनिया या फिर उस समयकाल में आ गये है, जब पृथ्वी पर मायावी संसार हुआ करता था।" क्रिस्टी ने कहा।

“पहले चमत्कारी पेड़ का मिलना और फिर इस ‘जलोथा’ का मिलना तो इसी तरफ इशारा करता है।" अल्बर्ट ने कहा।

“जलोथा से याद आया।" सुयश ने शैफाली कि ओर नजर डालते हुए कहा- “क्या तुमने यह शब्द भी अपने सपने में सुना था शैफाली?"





जारी रहेगा_________✍️
Ye jalotha ka kya kissa hai guruji?:?: koi samanya cheej to hai nahi? Itna bada magarmach?🤔 khair dekhte hai aage kya hota? Superb and mi d blowing update sir ji :bow::bow:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

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Shefaali ke chune se ped ka fall tootna, aur koi samanya baat nahi hai, aur jemes and Vilmar kya khoj rahe.. dekhte hain, awesome update bhai ji:bow::bow::bow:
Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanx:
 
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कहते हैं इतिहास से जिस ने सबक नही लिया वह अपने बुरे अंजाम के लिए तैयार रहें । वह चाहे कोई व्यक्ति हो या समाज या फिर कोई देश ।
सोलह साल पूर्व ' सम्राट शिप ' की जैसी ही एक दुर्घटना हुई थी और उस समय का शिप ' ब्लैक थंडर ' था । एक इंसान को छोड़कर सभी यात्री मारे गए थे । ठीक उसी तरह सोलह साल बाद इसी घटना की पुनरावृत्ति हुई । सब कुछ ऐन वही हुआ जो ब्लैक थंडर शिप के साथ और उस शिप के पैसेंजर के साथ हुआ था ।
सोलह साल पहले उस्मान खान की एक भूल ने लगभग चार सौ लोगों को परलोक पहुंचा दिया और सोलह साल बाद हुबहु उसी तरह उस्मान खान के पुत्र मोइन खान की गलती ने लगभग तीन सौ लोगों को मृत्यु के द्वार तक पहुंचा दिया ।
कहते हैं कि एक कील की वजह से राजा अपना राज्य खो बैठता है । जब कि यहां तो बहुत बड़ी भूल हुई ।

वैसे ब्लैक थंडर शिप की घटना से एक उम्मीद तो अवश्य बंधी है कि सम्राट के बचे पैसेंजर जीवित बच सकते हैं । जब उस्मान खान इस तिलिस्म द्वीप से सकुशल अपने देश पहुंच सकता है तो यह लोग क्यों नही !

शायद तकदीर ने इन यात्रीगण के साथ बहुत ही क्रूर मजाक किया । क्लिटो की मुक्ति और शलाका के उद्धार के लिए जब चंद लोग की ही आवश्यकता थी तो फिर सैंकड़ो निर्दोष लोगों की मौत आखिर क्यों !
होना तो यह चाहिए था कि सुयश साहब , शैफाली और वह लोग जिन की इस द्वीप पर मौजदूगी अवश्यंभावी थी , ही इस द्वीप पर पहुंचे होते ।

इन अपडेट से यह भी क्लियर हुआ कि अराका द्वीप पर भी वर्चस्व की लड़ाई चल रही है । एक पक्ष अच्छाई के साथ खड़ा है और एक पक्ष बुराई के साथ । अच्छाई का प्रतिनिधित्व युगाका और उनके भाई - बहन कर रहे है तो बुराई के साथ मकोटा खड़ा है ।

आप बहुत खुबसूरत कहानी लिख रहे है । जिस तरह से आपने इस कहानी के लिए रिसर्च किया है वह वास्तव मे अद्भुत है ।
सभी अपडेट बेहद ही शानदार थे ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट शर्मा जी ।
 
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SANJU ( V. R. ) bhaiya kitne update ho gaye but ju ka review pendin hai:waiting:
Aur abhi to usc me bhi story daal di maine:shhhh:
I can read only one or two stories a week. There is no time bhai.
I will definitely read the story of the contest on time but I can hardly write the review .
Sorry for that.
 

Raj_sharma

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Ye jalotha ka kya kissa hai guruji?:?: koi samanya cheej to hai nahi? Itna bada magarmach?🤔 khair dekhte hai aage kya hota? Superb and mi d blowing update sir ji :bow::bow:
Jalotha ek tarah ka magarmach manav hai, iska baad me batata hu tujhe :shhhh: thank you very much for your valuable review and superb support :thanx:
 
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