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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 193
"आह छोड़ो उम्म्ंम्ं ये क्या बदतमिजि है राहुल " , बबिता ने राहुल के हाथ से अपनी कलाई छुड़ाते हुए चिल्लाई ।
राहुल ने उसको घुर कर देखा ।
इस वक्त दोनो चंदू के घर के सबसे पीछे वाले उसी कमरे मे थे जहा कल रात वो राहुल और अरून साथ सो रहे थे ।
दोनो इस वक़्त राहुल की योजना के हिसाब से जुते का एक हिस्सा चुरा कर छिपाने के लिए आये थे ।
रात के 3 बज रहे थे ऐन मौके पर घर के सन्नाटे का फायदा राहुल ने उठाने का सोचा जिस्पे बबिता उसपे भड़क गयी ।
बबिता उसपे चिल्लाती हुई - अभी अगर राज भैया को बता दू तो सारी आशिक़ी निकल जायेगी
राहुल को बबिता की धमकी जरा भी पसंद नही आई क्योकि उसके पास पहले से ही बबिता के खिलाफ सबूत थे इसीलिए वो भडकता हुआ बोला - जा ना साली , बड़ा रौब झाड़ रही है जा बोल दे
बबिता गुससे से उबलती हुई राहुल की ओर उंगली करके - राहुल !! तु तमिज से बात करो मुझसे समझे
राहुल - मै ऐसे ही बात करूंगा तुझे जो उखाड़ना है उखाड़ ले , जा बता दे राज भैया को और फिर मै भी उनको ये दिखा दूँगा
राहुल ने जेब से अपनी दीदी का मोबाइल निकाल कर जल्दी जल्दी इंस्टा खोलकर अपनी आईडी स्विच करता हुआ एक चैट्स खोल कर मोबाइल स्क्रीन बबिता की ओर घुमाया ।
मोबाइल मे खुद उसकी आईडी से राहुल को मैसेज आये थे वो भी उसके nude फोटोज , जिनमे से कुछ उसने आज ही भेजे थे ।
चैट्स देख कर बबिता सकपकाई और उसकी घिग्घी बन्ध गयी , उसके पैर कांपने लगे और जुबां लड़खडाने लगी - त त तुम्हे ये कहा से और कैसे ?
राहुल ठहाका लगाते हुए मोबाइल मे वापस से अपनी id स्विच कर मोबाइल जेब मे रखता हुआ - क्यू आ गया ना होश ठिकाने, अब जाओ जो कहना है बोल दो राज भैया को !! जाओ ना
बबिता का दिमाग हिला हुआ था , पहले ही उसने एक बार अपने राज भैया से उस सिलाई वाली आंटी के लड़के से चुदने वाली बात छिपा कर गलती कर दी और अब उसे डर था अगर इस बार फिर कही से उसके नये बॉयफ्रेंड के बारे मे राज को पता चला तो ना जाने क्या होगा ? उपर से फोटो शेयर करने पर मार तो पक्की थी ।
काफी समय उलझन भरे मान्सिक वाद विवाद के बाद बबिता ने अपनी लाल हुई आंख पर उंगली फिरा कर आंसू पोछती हुई - तु क्या चाहते हो राहुल ?
राहुल ने एक नजर बबिता की भरी हुई आंखे देखी तो उसका भी दिल पसीज गया और वो उसके पास आकर उसके कन्धे पर हाथ रखता हुआ - देखो मै ये सब नही करना चाहता था , मै तुम्हे ये सब दिखाने वाला भी नही था
"मत छुओ मुझे " , बबिता ने उस्का हाथ अपने कन्धे से झटकते हुए सिस्कते हुए चिल्लाई ।
राहुल - ओह्ह प्लीज तुम ये ड्रामा बन्द करोगी , मुझे .... मुझे बस थोड़ी सी मस्ती करनी थी चान्स लेना था , तुम मान जाती तो ठिक नही तो कोई बात नही मै तुमसे कोई जबरदस्ती नहीं करने आया था
बबिता राहुल की भड़ास सुन कर शान्त हुई और अपने आसू साफ करती हुई - भाड मे जाओ तुम , हटो यहा से गंदे कही के ।
बबिता गुस्से मे झल्ला कर उस कमरे से रोती हुई निकल गयी ।
वही राहुल खुद के बाल नोचता हुआ - न्हीई न्हीईई न्हीईई शिट ये क्या कर दिया मैने उह्ह्ह, बबिता रुको
राहुल भाग कर उसकी ओर गया ।
एक ओर जहा इनकी लड़ाई चल रही थी वही राज के घर मे गेस्टरूम का सीन कुछ ज्यादा ही रोमैंटिक था
बन्द कमरे के दरवाजे के पास दिवाल से लग कर गीता नजरे उठाये अरून की आंखो मे देख रही थी , जो उसके सामने उससे चिपक कर खड़ा हुआ उसकी कमर को पकडे हुआ था ।
दोनो की नजरे बिना पलके झपकाये एक दुसरे मे खोई हुई थी, अरून ने अपना एक हाथ उसके हाथ मे भरा और पंजो को कस लिया ।
गीता ने आंख भींच कर एक गहरी सास ली और अरून ने उसके क्राप टॉप मे फुल रही रसिली चुचियॉ की घाटी को एक नजर देखा और फिर गीता के खुबसूरत चेहरे को निहारने लगा ।
उसने देखा गीता ने अभी अभी गले से लार घोंटी है और उसके हल्के गुलाबी होठ हलके हल्के फड़क रहे थे मानो उसे ही बुला रहे हो ।
अरून हौले से आगे उसकी ओर झुका , उसने नथुनो की गर्म सासें अपने चेहरे पर पाकर गीता की धड़कने तेज होने लगी , उसने कस के अरून का हाथ पकड लिया और इंतज़ार करने लगी कि अब वो उसे चुमेगा
हर बीतता पल उसकी बेसबरी और पढा रहा था और अरून ने उसके नीचले मोटे रसिले होठ को एक बार किस्स किया ।
गीता का पुरा शरीर कांप उठा , उसका रोम रोम सिहर कर तन गया , शरीर पर रोए उबर आये और वो गहरी लम्बी सासे लेने लगी ।
तभी अरून ने अपना होठ खोलकर उसके निचले होठ को चुबलाते हुए हल्का सा खिंच और गीता सिस्क पड़ी ।
अरून ने होठ दबाए नजरे उठा कर उपर गीता की आंखो मे देखा तो उस्से नजरे मिली और गीता ने मारे लाज वैसे ही आधे होठ से मुस्कुरा दी
अरून अपने हाथ उपर किये औ उसके गुदाज गाल हाथो मे भरता हुआ उसके रस भरे होठ चुसने लगा
अरून के गीले मुलायम ठंडे होठो के स्पर्श से गीता उत्तेजित हो उठी और उसने भी अरून के उपरी होठ चबाने शुरु कर उसको अपनी ओर कस लिया ।
जिस्से अरून का सिना गीता के गुदाज मोटी चुचियो से जा लगा और दोनो की आह्ह निकल गयी ,
अरून ने मुस्कुरा कर उसके सर से अपना सर लगा कर उसकी हाथो को वापस जकड़ने लगा और वापस से किस्स करने को हुआ ही था कि किसी ने जोर से दरवाजा पीटा
" गीता !!! दरवाजा खोल "
दोनो सतर्क हुए और अलग होकर जल्दी से दरवाजा खोला ।
सामने से बबिता बिलखती हुई कमरे मे आई और उसे रोता देख दोनो परेशान हुए और भाग कर उसके पास गये ।
गीता उसको पकड कर - क्या हुआ , तु रो क्यूँ रही है ?
बबिता कुछ बोलती इससे पहले राहुल दरवाजे पर आ चुका था ।
बबिता उसको देख कर गीता से बोली - गीता इसको बोल ये चला जाये यहा से प्लीज , मुझे इस घटिया इन्सान से कोई बात नही करनी
राहुल - ज्बाँ सम्भालो तुम समझी !!
गीता उठ कर राहुल के पास गयी और उसे ताकत के साथ पीछे धकेलती हुई - देखो प्लीज तुम जाओ , मै इसे चुप करवाति हूँ । घर मे किसी को पता चला तो दिक्कत हो जायेगी प्लीज मै हाथ जोड़ रही हूं
राहुल परेशानी भरे लहजे मे - यार मैने तो कुछ किया भी नही , ये खुद से ही भड़क गयी
गीता - हा मै उसका मिजाज जान्ती हु , तुम जाओ अभी मै उसे समझाती हु तुम जाओ प्लीज
राहुल वहा से निकल कर बाहर चला गया खुली हवा में
वही गीता झट से कमरे का दरवाजा बन्द कर वापस बबिता के पास आती है
जहा अरून उसको अपना रुमाल देकर उसका हाल ले रहा था ।
अरून गीता को पास खड़ा देखकर खड़ा हुआ - तुम बैठो मै पानी लेके आता हु
गीता - हम्म ठिक है
अरून फिर कमरे से बाहर पानी के स्टाल की ओर निकल जाता है जहा राहुल पहले से खुद पर पानी के छीटें मारता हुआ अपना गुस्सा उतार रहा था ।
अरून - क्या हुआ यार , क्या बात हो गयी तुम दोनो मे
राहुल डिसपोजल गिलास मे बचे हुए पानी के घूंट गटकता हुआ गिलास को अपने पंजे मे पिचका कर जोर से जमीन पर फेकता हुआ - ह्ह !! बैन्चो पागल है वो लड़की यार
अरून पानी के स्टाल से एक ट्रे मे 4-5 गिलास पानी रखता हुआ - हा लेकिन हुआ क्या ?
राहुल - वही यार हम दोनो उस वाले घर मे गये थे जूते छिपाने और वहा उसे अकेला पाकर और उसकी उभरी हुई गाड़ देखकर .... आअहह बहन्चोद मै ..ह्ह साला मै पागल हो गया जोश जोश मे और मैने उसका हाथ पकड लिया ....
लेकिन वो , वो मादरचोद !!
अरून - भाई चिल्ला मत आराम से बोल
राहुल - वो साली चिल्लाने लगी कि भैया को बता देगी तो मैने भी उसको उसकी ही फोटो दिखा दी , मगर फिर भी उसका नाटक चालू है अभी भी ।
अरून उसके कन्धे को थपथपाकर - देख भाई तु लड़कीयों को अपना गुलाम समझना बन्द कर , वो भी सोच सकती हैं समझ सकती है और अगर कोई एक तुझे आसानी से मिल गयी इसका मतलब सब वैसी नही ना होगी ।
अरून की बात पर राहुल चुप रहा और आसमां कि ओर देखता हुआ गहरी सांस लेते हुआ अरून को देख के - तु कहा जा रहा है, तेरा कुछ हुआ
अरून - साले तेरी वजह से मेरा तो शुरु होने से पहले ही खतम हो गया , और ये पानी लेके जा रहा हु । मिलता हु अभी
राहुल - हा जा ।
फिर अरून पानी लेके कमरे मे जाता है और दोनो बहने चुप बैठी थी । बबिता अब पुरु तरह से शान्त थी ।
अरून ने उसे पानी दिया और बाकी दोनो ने भी पिया ।
अरून - क्या हुआ सब ठिक है ना , उपर चले
गीता - अह नही तुम जाओ , मै इसके साथ रुकून्गी ।
अरून - हम्म ठिक है आराम करने दो इसको कुछ जरुरत होगा तो बताना मै आ जाऊंगा
गीता ने हा मे सर हिलाया और अरून बाहर चला गया ।
बबिता ने अरून को जाते हुए देखा तो गीता से बोली - तुम दोनो लगे हुए थे क्या ?
गीता शर्मा कर मुस्कुराई - कैसे लगी रहती , तुझे मुझसे जलन जो है । चली आई ना देखने क्या कर रही हु मै छिप छिप कर
बबिता गीता की बात पर मुस्की लेके बोली - वो अच्छा लड़का है वैसे
गीता - हाव !! कही पसंद तो नही आ गया , बोल तो छोड़ दूँगी फिर तेरा बॉयफ्रेंड मेरा हिहिही
बबिता हस्ती हुई - धत्त चुप कर पागल
गीता - लेकिन तुने भी एक गलती की है
बबिता - क्या
गीता - तुझे अपने bf को फोटो नही भेजना चाहिए, कही वो भी ऐसे गलत इस्तेमाल कर बलैकमेल करने लगा तो
बबिता - उसकी चिंता ना कर इस बार मिलके उसका मोबाइल ही फारमेट कर दूँगी हिहिही
गीता भी खिलखिला के हँस पड़ी ।
वही उपर छत पर खुले आसमां के नीचे मंडप मे शादी की रस्म अदायगी हो रही थी , मंत्र जप हो रहे थे और वर वधु दोनो पक्ष की ओर हसी ठिठोली चल रही थी ।
कुछ की आंखे तकरार मे व्यस्त थी मगर इकरार हिम्मत नही हो पा रही थी किसी की और कुछ इशारेबाजी से कुछ लोगो को तकलिफ सी हो रही थी ।
कमलनाथ और संगीता के नैन मटक्के पर मुरारी की नजर थी जो जल भुन रहा था और वही मंडप के पास झपकीयां खाता बनवारी भी बीच बीच अपनी बड़े जमाई बाबू की हरकतो से खीझ कर रह जाता ।
इनसब अलग हेरोइन बनी लड़कियां और भाभियाँ मंडप के पास ही कुर्सियाँ लिये बैठी थी ताकी उनकी भी कुछ तस्वीरें कैमरे मे कैद हो पाये ।
जल्द ही रस्म अदायगी पूरी हुई और फेरे होने लगे , दोनो पक्ष के लोग दुल्हा दुल्हन की आड़ मे अपने चहेतो पर भी फुल फेक कर मार रहे थे और हसी ठिठोली भरा माहौल था ।
सब खुश थे मगर जल्द ही बिछड़ने का वक्त हो चला था । सुबह 5 बजने को हो रहे थे और सबकी आंखे नींद खोज रही थी ।
विदाई की तैयारियाँ की जा रही थी , लेनदेन का समान पहले ही गाड़ियों पर तैयार कर दिया गया था ।
एक कन्धे से दुसरे सीने पर अपने सर को टिकाती हुई सोनल बिलखती हुई कार के दरवाजे तक आई जिसने अमन पहले ही बैठा उसकी राह देख रहा था ।
कुछ रस्म अदायगी के बाद समधि मिलन हुआ और लोग पैदल ही घर के लिए निकल गये ।
जाना भी महज किलोमीटर दुर भी नही था ।
नम आसूँओ से घर सराबोर हुआ था ।
सुबह चढ रही थी मगर अगले दिन के लिए काम बहुत था ।आधे से ज्यादा लोग जिसको जहा जगह मिली पसर गये ।
इधर राज के फूफा ने रंगी से इजाजत मागी कि उन्हे भी निकलना है और नीलू चारू को आज शाम की ट्रेन से वापस हॉस्टल जाना है ।
नम आंखो से रन्गीलाल ने उन्हे भी विदा किया और राज के दोनो फूफा , छोटी बुआ के साथ साथ उनकी दोनो बेटियाँ और सिम्मी भी चली गयी ।
अरून गीता के लिए रुक गया ये बहाना करके कि वो अपनी मौसी यानी शिला बुआ के साथ आयेगा ।
आस पास के मेहमां भी विदाई के बाद अपने अपने घर के लिए चले गये ।
घर पर सिर्फ राज के चाचा , मौसा और मामा का परिवार था और उसमे से शिला बुआ अरून के साथ थी ।
रंगी ने सबको दो तीन घन्टे आराम करने को कहा और घर का मेन गेट बन्द कर दिया गया ।
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दोपहर के 1 बजने वाले थे चंदू के घर मे ही आज भी लोगो के लिए खाना बन रहा था ।
टेन्ट वालों घर खाली कर सड़को से स्टाल उतारने शुरू कर दिये थे
घर की औरतें उपर की छत पर नहाना धोना कर रही थी बारी बारी से
वही घर की बाल्किनी मे अनुज गुमसुम सा बैठा हुआ था ।
रात की थकान और शारिरीक हरारत से उसको बाल्किनी की धूप मे आराम मिल रहा था ,
चेहरे को रुमाल से ढके हुए वो एक चेयर पर पैर रख कर अपनी ही कल्पना मे खोया हुआ था ।
"10 घन्टे पहले"
रात के करीब 3 बज रहे थे , शादी के मंत्र जाप हो रहे थे और अनुज वहा से उठ कर निचे जाने लगा पानी पीने के लिए
उसी समय रिन्की भी दुल्हन पक्ष के लोगो से बाथरूम का पुछ कर निचे चली गयी ।
अरून पानी पीने के लिए ग्राउंड फ्लोर पर था , किचन के गलास लेके पानी पी रहा था ।
तभी रिन्की आहट से वो चौक कर उसकी ओर देखा ।
रिन्की उसको देख कर अपनी स्ट्रेट हेयर के जुल्फो को कानो मे फसा कर अपने बड़े से ईयररिंग को दिखाती हुई नजरे नीची की ।
बस इसी रूप पर अनुज का दिल ऐसा धडकता मानो फट ही जायेगा ।
रिन्की ने नजरे उठा कर अनुज की ओर देखा - हाय
अनुज अटक कर - ह हाय , कहिये क कुछ चाहिये क्या त तुम , मतल्ब आपको ?
रिन्की अनुज की स्थिति पर मुस्कुराई - हा मुझे भी पानी चाहिये
अनुज हड़बडा कर अपने हाथ मे लिया हुआ गिलास उसकी ओर बढाता हुआ - हा लिजिए
रिन्की ने उसके हाथ से गिलास लेकर पीने को होती है कि अनुज हड़बडा कर उस्के हाथ से गिलास लेता हुआ - नही नही आप इसे नही पी सकती है , म मै मै दुसरा देता हु
रिन्की उसकी ओर दो कदम चल कर - क्यू क्या हुआ ?
अनुज उसको दुसरे ग्लास मे पानी देता हुआ - जी वो जुठा था ना मेरा
रिन्की - तो क्या हुआ
अनुज की सासे अटक गयी और वो रिन्की की ओर आंखे बडी कर देखता हुआ थुक गटक कर - नही नही वो जुठा पीने से मुह मे छाले हो जाते है , ऐसा मम्मी बोलती है !!
रिन्की पानी के घूंट गटकती हुई लगातार उसकी ओर देख रही थी और अनुज उससे नजरे चुरा कर उसको अपनी ओर घुरता पाकर परेशान होने लगता है ।
इससे पहले रिन्की कुछ बोलती कि
"भैया !! अरे छोटे सेठ जी पैर उठाइए "
अनुज चौक कर उठा और सामने देखा तो टेन्ट वाले मजदूर घर की कुर्सियाँ बटोर रहे थे ।
अनुज - अरे भाई कुर्सिया रहने दो अभी घर पर मेहमां है ना
मजदुर - अरे छोटे सेठ ये गद्दे वाली कुर्सियाँ लेके जा रहे है , आज रात भी बुकिन्ग है ना , बाकी पलासटिक वाली नही लेके जायेंगे
अनुज के मूड डिस्टर्ब हो गया था क्योकि उससे तो रिन्की के साथ के पलो मे खोये रहने मे मजा आ रहा था ।
उसने उस मजदूर की बकबक पर जरा भी ध्यान नही दिया और उबासी लेते हुए उसने सोचा क्यू ना नहा ही लिया जाये ।
अनुज उठा और गैलरी होकर अपने कमरे की ओर कुछ आरामदायक कपडे लेने के लिए बढा
अभी भी उसके जहन मे रिन्की और उसके बिच हुई रात की बात के द्वंद था ।
अनुज मन मे - बहिनचोद मै ही फटटू हु साला , कितना लाईन दे रही थी । अरे नही ज्यादा कुछ तो उसकी गाड़ मसल लेता और चुम्मी मिल ही जाती सीई धत्त , करना चाहिये था यार । उसको वही किचन मे दिवाल से लगा के उसके होठ उह्ह्ह
"ओह्ह छोटे हीरो कहा कहा भाई "
अनुज का ध्यान टूटा और उसने सामने देखा कि वो आया तो सही जगह पर था अपने कमरे मे ही , मगर timing थोड़ी गलत हो गयी ।
सामने उसकी मामी साड़ी ब्लाउज मे खड़ी थी और साडी पहनने वाली थी ।
अपनी मामी को ऐसे हालत मे देख कर अनुज ने नजरे फेर ली - सॉरी मामी , वो मै कपडे लेने आया था
मामी ने मुस्कुरा कर अनुज का मजा लेते हुए - अरे लेकिन मेरे कपडे तुम लेते जाओगे तो मै क्या पहनंगी
अनुज मामी के मजाक पर हस देता है और अपनी मामी ओर देख कर कुछ बोलने को होता है कि उसकी नजर अपनी मामी के भरे हुए दूधिया चुचियों की दरार मे गयी और वही चिकना हल्का उभरा पेट मे चर्वीदार गहरी नाभि देख कर उसके मुह ने पानी आ गया
वो मुह की लार गटकता हुआ - अरे नही मामी वो मै मेरे कपडे लेने आया था , ये रहे
अनुज ने लपक कर दिवाल हैंगर पर टंगे डेली यूज़ वाले टीशर्ट लोवर और जांघिया लेके उपर निकल गया ।
अनुज सीढियों पर पहुचा और उसको अपनी मामी का ख्याल वापस आया
अनुज मन मे ही बडबड़ा कर - धत्त धत्त साला मै एक नम्बर का चुतिया हु , थोड़ा देर और नही रुक सकता था साले वही , अगर मौसी को चोद सकते है तो मामी के साथ भी तो कुछ मस्ती की जा सकती है । मै साला पागल हु बहनचो !! फटटू हु , हर जगह
" क्या हुआ भाई , क्या सोच रहा है " , राज ने अनुज को खुली छत पर रोका ।
अनुज ने राज को देखा जो अभी अभी नहा कर आ रहा था ।
अनुज ने आस पास देखा और बोला - भैया मुझे आपसे बात करनी है
राज - क्या भाई बोल ना
अनुज राज को एक किनारे ले जाता हुआ -इधर आओ
राज - हा बोल ना भाई
अनुज - भैया मेरी हैल्प करो ना , हर बार जव कोई मौका आता है मेरी फट जाती है
राज हसता हुआ - हिहिही मतलब ?
अनुज ने फिर रात वाली बात बतायी जब रिन्की उसके पीछे आई थी और वो निशा के बुलाने पर खसक लिया था ।
राज हस कर - अरे होता है होता है , तु दिल का साफ है ना तो तेरी फटेगी ही हाहाहहा
अनुज - हा भैया और एक बात
राज - क्या ?
अनुज ने इधर उधर देखा और धीरे से बोला - भैया वो कल रात मे जब बारात आई थी तो मैने चाची की बुर देखी
राज आंखे उठा - हा , सच मे !! कैसे ?
अनुज ने सब कुछ बताया और हस्ते हुए बोला - उनकी चालाकी उनका ही नुकसान हुआ ।
राज हस कर - चल कोई नही मजे कर , लेकिन ध्यान रहियो किसी के भी सामने ऐसे खुल कर मत दिल की बात रख देना , सब अपनी मौसी जैसे नही होते
अनुज खुश होकर - आह्ह भैया मौसी की बात याद ना दिलाओ , कितना मजा आया था आपके साथ मे हिहिहिही
राज धीमी आवाज मे आंख दबा कर - मौका मिलने दे फिर करते है मजा हिहिही
अनुज भी उसकी बात सुनकर खिलखिला पड़ा
राज - अब जा नहा ले , महक रहा है तु
अनुज मुह बना कर - क्या भैया !!
राज उसको धकेलता हुआ -अबे जा ना चिपकू चल चल
अनुज भुनक कर नहाने चला गया और राज हस्ता हुआ निचे चला गया ।
घर के बाकी मर्द इधर उधर का काम निपटाने मे लगे थे वही बनवारी राज के कमरे मे लेटा हुआ था ।
सुबह की नीद पूरी होने के बाद वो भी नहा कर लेटा हुआ रात के उस दृश्य के बारे ने सोच रहा था जहा उसका जमाई एक पराई औरत के साथ सेक्स कर रहा था ।
रज्जो के लिए बनवारी को बहुत दुख हो रहा था और उसे अब यहा अच्छा भी नही लग रहा था ।
बार बार उसके जहन मे ये वेदना उठ रही थी कि वो रज्जो को सब सच बता दे , मगर उसे डर था कही उस्का अपने पति से रिश्ता ना बिगड़ जाये ।
ऐसे मे राज अपने कमरे मे दाखिल होता है
राज खिला हुआ चहक कर - अरे वाह नानू नहा लिये आप भी , चलो खाना तैयार है ।
बनवारी अंगड़ाई लेता हुआ - हा बेटा चल जल्दी से खा कर मुझे निकलना है
राज - क्या निकलना है ? अभी रात मे तो आप बोले कि सब ठिक हो गया , पापा से बात हो गयी आपकी ना ?
बनवारी हस कर - हा बेटा लेकिन यहा बैठ कर क्या करुंगा आखिर , घर भी काम पड़ा हुआ है ।
राज - अरे बस आज तो रुक जाओ , प्लीज प्लीज कल चले जाना ना
बनवारी अपने लाडले की बात और जिद टाल ना सका और हस्ता हुआ - अच्छा ठिक है भई तु जीता हाहाहहा
राज हस्ता हुआ - ओके फिर चलो हिहिहिही
दोनो कमरे से बाहर हाल मे आने लगे तो राज अपने नाना के पास होकर फुसफुसाया - मै जान रहा हु रंजू ताई नही है ना इसीलिए आपका मन नही लग रहा है हिहुहिही
बनवारी हस कर - चुप शैतान कही का
राज खिलखिलाता हुआ - अरे सबर करो रात तक कुछ ना कुछ तो मिलेगा ही
बनवारी- अब बस भी कर भाइ हाहहहा
इधर चन्दू के घर मे सारे लोग खाने के लिए जूट गये और सबने खाया पिया ।
राहुल और बबिता एक बार आमने सामने थे , मगर गीता ने उसे रोका हुआ गुस्सा होने से
इसीलिए वो जल्दी से खा कर निकल गयी घर मे
कुछ देर बाद मौका देखकर राहुल भी उसके पीछे हो लिया ।
बबिता सबसे उपर की छत पर थी और बाथरूम के पास फोन पर किसी से बात कर रही थी ।
जीने से उपर आते ही राहुल उसे देख कर समझ गया कि वो अपने बॉयफ्रेंड से लगी हुई थी ।
उसको देख कर राहुल को एक गाना सुझा और वो बहुत हलकी भुनभुनाहट भरी आवाज मे गुनगुनाया -
" अपने लवर को धोखा दो , अरे हमे भी डार्लिंग मौका दो "
गाने के बोल गुनगुना कर राहुल मुस्कुता हुआ अंगड़ाई लेकर बाथरूम की ओर बढ़ने लगा ।
बबिता उसको अपनी ओर आता देख कर भी हिम्मत से बिना उसकी परवाह किये फोन पर लगी रही ।
राहुल उसके पास से निकल कर टोइलेट मे पेसाब करने के लिए घुस गया और वापस निकला तो देखा बबिता अभी बाउंडरी वाल से लग कर हस्ती हुई कुछ बाते बुदबुदा रही थी ।
तभी राहुल को भनक हुई कि दरवाजे से कोई तो उपर आ रहा है ।
राहुल - कोई आ रहा है सुन रही हो
बबिता ने उसको इग्नोर किया और राहुल हाथ पैर धूलने वाथरूम मे चला गया
अगले ही पल रज्जो छत पर आ गयी थी ।
रज्जो ने देखा छत पर बबिता कोने ने खड़ी किसी से हस हस कर बात कर रही थी
रज्जो - गुड़िया क्या कर रही है , किस्से बाते कर रही है ?
बबिता चौकी और अपनी बडी बुआ की आवाज सुनते ही वो सकपका गयी - वो वो बुआ वो मै
रज्जो को शक हुआ कि छत पर अकेली सुनसान ये किस्से बाते कर रही होगी , कही इसका किसी से चक्कर तो नही और उसने लपक कर बबिता के हाथ से मोबाईल लिया , मगर उस्से पहले ही दुसरी ओर फोन कट गया था ।
रज्जो मोबाईल खोलने की कोसीस करती हुई - खोल इसको , किसका मोबाइल है ये और किस्से बात कर रही थी
बाथरूम मे ही राहुल को रज्जो की तेज आवाज आई और वो दौड़ कर बाहर आया - अरे मौसी ये मेरा मोबाईल है ? मैने दिया इनको घर पर किसी सहेली से बात करनी थी , शायद स्कूल का कोई प्रोजेक्ट के बारे मे
राहुल को एक के बाद एक झुठ बोलता देख बबिता अचरज से उसकी ओर देखने लगी ।
रज्जो - अरे तो ये गूँगी हो गयी है क्या , पागल लड़की बोलना चाहिए ना
राहुल हस कर - क्या मौसी आप ऐसे डाटोगे तो मै भी डर जाऊंगा ना हिहिहिही
रज्जो हस कर - हट यहा से मस्तीखोर कही का , ले अपना मोबाइल
फिर रज्जो अरगन से अपनी साड़िया और बाकी उतारने लगी ।
वही राहुल ने धीरे से मोबाइल बबिता को देकर चुपचाप निचे चला गया ।
वही दोपहर के ही एक समय अमन के घर मे .......
"'नही नही अभी नही जाना है"
"मामी देखो ना भैया कमरे मे जा रहे है "
"हिहिहिही"
रिन्की अमन के कमरे के दरवाजे के बाहर गलियारे मे उसके सामने हाथ फैला कर रास्ता रोके हुए खड़ी थी ।
इतने मे अमन की मा ममता आती है और अमन को देख कर - तुझे बोला ना अभी नही शाम को पूजा होने के बाद ही तुझे जाना है
अमन थका हुआ मुह लटका कर - मम्मी प्लीज जाने दो , पैर दुख रहे है मुझे नीद भी आ रही है
ममता - तुझे सोना है तो चल मेरे कमरे मे लेट जा , आ चल ।
फिर ममता अमन को लेके निचे अपने कमरे मे चली जाती है और रिन्की खिलखिला कर हसती हुई चिढाती है ।
जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 194 A
दोपहर के खाने के बाद लगभग सभी लोग खाली थे खासकर औरतों को तो बिल्कुल भी काम नहीं था ।
वही राज की मामी सुनीता का बडा मन था कि वो चमनपुरा का बाजार घुमे
इसपे रज्जो और शिला ने भी सहमती दिखाई तो बाकी बची महिलाए भी जाने को उत्सुक थी । इधर लड़को के गैंग में राज को छोड़ कर सारे जाने को तैयार हुए ।
मगर राहुल की वजह से बबिता ने घूमने जाने से इंकार कर दिया और ये उसके लिए अच्छा भी था उसे अकेले अपने बॉयफ्रेंड से बात करने का समय भी मिल जाता ।
रागिनी को छोड़ कर घर की सारी औरतें ( रज्जो , सुनिता ,शालिनी , शिला , रीना , निशा ) और तीन लड़के ( अरून राहुल अनुज ) बाजार के लिए निकल गये ।
वही रागिनी घर के बचे खुचे काम निपटाने के लिए रुक गयी ।
वही जंगी और कमलनाथ काफी खुल गये थे तो जंगी उसे अपने साथ अपने दुकान पर ले गया और रंगी अपने शादी के हिसाब किताब के लिए घर पर ही रुक गया ।
राज अपने नाना के साथ फूलपुर गाव की सैर पर निकल गया क्योकि उसके नाना का मन नही लग रहा था ।
"थकान तो नही हो ना नानू " राज ने मुस्कुरा कर बागों मे टहलते हुए बोला ।
बनवारी- अरे क्या तु भी , अरे हम गाव के मर्द है ऐसी हल्की फुल्की सैर से हमे थकान नही होती
राज - तो फिर चले क्या ताई के यहाँ हिहिहिही
बनवारी के मन मे राज के ऑफ़र से थोडा उत्साहित हुआ मगर उसके हाल के अनुभव से वो खुश नही था ।
राज - क्या सोच रहे हो नानू , अरे यहा पापा नही है और मै आपको बेस्ट फ्रेंड हु ना हिहिहिही
बनवारी हस कर - अरे वो बात नही है बेटा, दरअसल कल तेरी ताई कुछ खास खुश नही थी मेरे व्यव्हार से
राज - अरे तो आज मना लो ना नानू चलो चलते हैं
बनवारी- अरे लेकिन घर पर सब होगे ना
राज - अरे इतना टाईम कोई नही होगा , सिवाय पंखुडी भाभी के
बनवारी - फिर कैसे और यू किसी के घर ऐसे जाना अच्छा नही लगता
राज - ओहो नानू आप सोचते बहुत हो मै कह रहा हु ना चलो
बनवारी हस कर रंजू ताई के घर की ओर बढ़ गया ।
साढ़े तीन बजे का वक्त हो रहा था और घर के दरवाजे पर कोई दिखा नही था ।
राज अपने नानू को चुपचाप अन्दर आने को कहा
"अरे कोई देखेगा तो क्या सोचेगा , कि हम लोग कोई चोर है । ऐसे क्यू जा रहा है आवाज दे ना " , बनवारी ने राज का हाथ पकड कर उसको रोकते हुए फूसफुसाया ।
राज हस कर - अरे नानू घर मे ऐसे ही घुसने का मजा ज्यादा है हिहिहिही कुछ ना कुछ देखने को मिल जाता है आजाओ
फिर राज घर का दरवाजा हौले से धकेल कर जैसे भीतर घुसा , बनवारी भी उसके पीछे घुसने लगा तो बनवारी का हाथ दरवाजे के कंडे पर लगा गया
जिसकी आवाज की प्रतिक्रिया मे भीतर आंगन से पायलों की छनक के साथ एक आवाज आई - कौन है ?
अमन के घर
"चल यही आराम कर अब " ममता मुस्कुरा कर अमन से बोली ।
अमन - मम्मी मेरे सर मे दर्द हो रहा है बाम लगा दोगी
ममता ने अपने लाड़ले की हालत को देखा और उसका उतरा हुआ मुह देख कर आलमारी से बाम निकाल कर आई और बिस्तर पर पालथी मारकर बैठते हुए - आजा मेरी गोदी मे
अमन खुश हुआ और अपनी मा के गोद मे उसकी बाई ओर आकर लेट गया ।
गुदाज जांघो मे लेटकर अमन की बहुत आराम मिला - आह्ह मम्मी कितने सोफ्टी हो आप , मेरा आधा दर्द तो ऐसे ही गायब हो गया ।
ममता शर्मा कर हस्ती हुई - चुप कर , आज भर सो ले मेरी गोद मे फिर तो रोज बहू की गोद में निद आयेगी क्यूँ?
अमन नजरे उठा कर अपनी मा को देखता हुआ - ऊहु मै तो मम्मी की गोदी मे ही सोउँगा
ममता - अच्छा तो क्या बहू अकेले रहेगी
अमन - उसका वो जाने शादी मे हमारी साथ सोने वाली बात नही हुई थी हिहिहिही
ममता उसके हस्ते गालो पर चपट लगाती हुई - बदमाश कही का
फिर ममता बाम की सीसी ने उंगली डाल कर अमन के लिलाट पर बाम मलने लगी और अमन आंखे बन्द कर गहरी सासे लेते हुए रिलैक्स होने लगा ।
ममता अपनी उंगलियो से अमन के सर पर मासाज करती हुई - तब कुछ सरप्राइज लाया है बहू के लिए या नही
अमन - सरप्राइज मतलब कुछ गिफ्ट देना होगा क्या ?
ममता - हे भगवान, तुझे कुछ पता भी है । तुने सच मे कोई तैयारी नही की आज रात के लिए
अमन - इसमे तैयारी कैसी मम्मी , जाके सोना ही तो है ना
ममता मुस्कुरा कर अमन के लिलाट पर अपनी उंगलियाँ दरती हुई - अरे पागल पहली रात पर दुल्हन को मुह दिखाई पर कुछ देगा नही
अमन - लेकिन मै तो देख चुका हु ना उसे कई बार
ममता - धत्त शैतान कही का , अरे बुधु ये रस्म होती है कि सुहागरात पर पति अपनी बीवी को निशानी के तौर पर गिफ्ट देता है ।
अमन - अच्छा? तो आपको क्या मिला था
ममता हसती हुई - हे भगवान , तु घूम फिर कर मेरे उपर क्यू आ जाता है ?
अमन - अरे अब अपने मम्मी पापा से नही पूछूंगा तो किस्से पुछूंगा , बताओ ना मम्मी क्या दिये थे पापा आपको
ममता शर्मा कर मुस्कुराने लगी ।
अमन - मम्मी बताओ ना ?
मम्मी - तेरे पापा भी तेरी भुलक्कड़ थे और अगले दिन मेरे लिए गिफ्ट लाये थे
अमन हस्ता हुआ - हिहिहिही सच मे क्या दिये थे आपको फिर
ममता - सोने के कंगन और
अमन अपनी मा को मुस्कुराता देख - और क्या मम्मी बोलो ना ?
ममता - वो तब के समय मे अंदर के कपडे नही पहनती थी गाव मे जब मायके थी क्योकि अम्मा ने कभी दिलाए नही तो हिहिहिही जब सुहागरात पर तेरे पापा को पता चला तो वो हिहिहिही अगले दिन बाजार से लेके आये थे ।
अमन का ये सुनकर लन्ड उफना गया कि उसकी मा ने अपनी बढ़ती जवानी की उम्र बिना अंडरगार्मेंट्स के निकाली थी और अभी भी वो पैंटी नही पहनती ।
अमन हस कर - तो क्या साइज़ सही थे हिहिहिही
ममता - धत्त बदमाश कहि का
अमन - बताओ ना मम्मी हिहिहिही प्लीज
ममता हस्ती हुई - नही !!
अमन - फिर
ममता - फिर अगले दिन नये लेके आये उसके साइज़ थोड़े ढीले थे
अमन हस्कर - हाहाहहा पापा को फिर जाना पड़ा होगा ना हिहिहिही
ममता - नही
अमन - तो क्या आप ढीले अंडरगार्मेंट पहन रहे थे
ममता शर्मा कर हसती हुई - हम्म्म्म
अमन को शक हुआ उसकी मा कुछ छिपा रही थी उसके चेहरे से साफ जाहिर है - मम्मी क्या छिपा रहे हो सच सच बताओ हिहिहिही प्लीज
ममता - तु पागल है , मुझसे यही सब बाते करेगा अब
अमन - ओह मम्मी प्लीज बोलो ना , देखो आपसे बात करके मेरा सर दर्द फुररर हो गया हिहिही प्लीज ना
ममता - बताया तो मै वही अंडरगार्मेंट यूज़ कर रही थी और महीने भर मे वो फीट हो गये थे
अमन अपनी भौहे सिकोड़ कर पल कर आंख मून्दा और फिर आंखे बडी कर - लेकिन कैसे , इतना खाती थी आप कि महीने भर मे मोटी हो गयी
ममता खिलखिला कर हसी - भक्क पगलेट , खा खा कर नही
अमन - तो ?
ममता आंखे चढा कर उसको घूरती हुई हस रही थी - सच मे नही पता तुझे !!
अमन शरारत भरी मुस्कान के साथ ना मे सर हिलाया ।
ममता - शादी के बाद औरतों के शरीर मे थोडा बदलाव आता ही है
अमन- कैसे?
ममता हस कर - जा अपने पापा से पुछ हा नही तो , ये क्यूँ वो कैसे ? हिहिहिही
अमन - मम्मी प्लीज बताओं ना ?
ममता - अरे पागल जैसे सभी औरतें होती हैं मै भी हुई थी , तेरे पापा के प्यार से हिहिही
अमन का मुसल ये सब सोच कर तनमनाया हुआ था - अच्छा तो ऐसे बोलो ना कि ज्यादा सेक्स करने की वजह से
ममता शर्मा कर हसती हुई अपने ललाट पर हाथ रख लेती है ।
अमन - क्या सही नही बोल रहा क्या मै ?
ममता खुद पर हस्ती हुई थोडी लजाती थोड़ी झेपती - चुप कर , कुछ भी बोलता है ।
अमन ने देखा उसकी मा के ब्लाउज मे उसके चुचो के निप्प्ल उभर आये हैं और साफ साफ झलक रहे थे निचे से
अमन का लण्ड और ठूमका ।
अमन ने जिज्ञासु होकर - मम्मी एक बात पूछू
ममता - हा बोल ना ?
अमन - मम्मी क्या पापा ने आपको पहली रात ही .....हिहिहिही
ममता हसते हुए फिर से झेप गयि और अपने बाई ओर मुह फेर कर हसने लगी और तभी उसकी नजर अमन के पजामा मे बने त्म्बू पर गयी जो कुर्ते को पुरा उठाए हुए था ।
ममता समझ गयि कि इसको ये सब बाते करने मे क्यू रस आ रहा है ।
अमन - मम्मी बोलो ना
ममता - हम्म क्या ?
अमन - वही जो पुछा?
ममता - क्या ? अच्छा वो ? हिहिहिही नही
अमन - फिर उनको कैसे पता चला कि आपके पास अंडरगार्मेंट नही थे
ममता शर्मा कर - वो मै रात मे जब साड़ी उतार कर सूट डाल रही थी तब और वो सोने का नाटक कर चुपके से मुझे निहार रहे थे ।
अमन खिलखिलाकर - हिहिही सच मे
ममता हसने लगी ।
अमन - फिर
ममता - फिर क्या ?
अमन - अरे हुआ किस दिन वो सब
ममता लजाती हुई - तीसरी दोपहर को
अमन - दोपहर को ?
ममता हा मे गरदन हिलाया
अमन - दोपहर मे क्यूँ?
ममता लजा कर हस्ती हुई - जा तेरे पापा से पुछ कि दोपहर मे क्यूँ मन हुआ उनका हिहिहिही
अमन ने मह्सूस किया कि उसके मा के शरीर के रोये रोए तन गये हैं और उसका शरीर ठण्डा हो रहा है ।
अमन - तो कैसा लगा था आपको मम्मी उस दिन?
ममता - आज रात तुझे भी पता चल जायेगा , ठिक है । हा नही तो कैसा सवाल है कैसा लगा
अमन हस कर - नही मै भी आज नही करूंगा , मै भी पापा के जैसे तीसरी दोपहर को करूंगा हिहिहिही
"अच्छा, लेकिन इसे देख कर तो लगता नही कि ये रात तक भी इन्तजार करना चाहता है ", ममता ने हस कर अमन के खडे लण्ड के मजे लेते हुए बोली ।
अमन हस के - फिर तो उस हिसाब से आप भी आज पापा के साथ कर के ही मानोगे हिहिहिही
ममता अचरज से हस्ती हुई - तुझे बड़ा पता है , मेरा क्या खड़ा है हिहिहिही
अमन ने लपक कर हाथ उपर कर ममता के साडी के पल्लू के निचे से ममता ब्लाउज के ऊपर से उसकी मोटी चुची पकड कर - येह्ह्ह
ममता अमन के स्पर्श सिहरी और आंख बन्द कर गहरी तेज सासे लेने लगी ।
अमन ने सोचा क्यू ना इस मौके का फाय्दा लिया जाये और वो झट से उठ कर बैठ गया
ममता चौकी और आंखे उठा कर इशारे से पूछी क्या हुआ
अमन मुस्कुरा कर उसके बगल मे बैठता हुआ उसके पीछे हाथ ले जाकर दाये तरफ से कन्धे पर रखता हुआ - मम्मी , एक बात पूछू
ममता - हम्म पुछ ले
अमन - मम्मी क्या उस दोपहर पापा ने ही आपको उपर ब्रा पहनाया था ना
ममता उस पल को याद कर सिहर गयी और चुप रही ।
अमन - बोलो ना मम्मी
ममता - अह क्यू पुछ रहा है ये सब बेटा
अमन हौले से अपना बाया हाथ आगे किया और अपनी मा के पल्लू ने निचे से और ब्लाऊज के उपर से ही उसकी चुची सहलाकर - बस ऐसे ही सुनने का मन कर रहा है , बताओ ना
ममता अमन के स्पर्श से काप गयी थी - हम्म्म बेटा पहनाया उन्होने ही पीछे हुक लगाये थे
अमन - और पैंटी
ममता अमन कि ओर झुकी आंखे बन्द किये मुस्कुराई - धत्त पागल , रहने दे ना क्यू पुछ रहा है !!
अमन ने अपने हाथ आगे बढ़ाते हुए दुसरे चुचे के निप्प्ल पर हथेली को घुमाया - बताओ ना मम्मी
ममता कसमसाई- आह्ह नही उन्होने तो उतारी थी
अमन - कैसे ?
ममता की सासे तेज थी वो पूरी तरह से उस दोपहर के पल मे खोई थी जब उसके पति से उस्का पहला संसर्ग होने को था ।
ममता थुक गटक कर - वो वोह्ह्ह ऊहु न्हीईई बेटा मै नही बता पाऊंगी मुझे शर्म आ रही है
अमन अपनी मा की चुची को हथेली मे कसता हुआ - प्लीज ना मम्मी बताओ ना
ममता कापते हुए स्वर मे - अह्ह्ह बेटा उस दिन घर के लोग यही शिव मंदिर गये थे पूजा के लिए और बस हम दोनो थे उस समय और तेरे पापा बाजार से वही ब्रा पैंटी लेके आये थे । मुझेह्ह
"आह्ह सीईईई मत कर ना नही तो मै नही बताउंगी " , ममता ने अमन को चुचियॉ मिजने से रोकती हुई बोली ।
अमन ने अपने हाथ रोक दिये और वैसे ही उसकी चुची को पकड़े रहा ।
ममता मुस्कुराई और आन्के बन्द किये -
फिर उन्होने मुझे देके बोला कि मैं ट्राई करू , उस समय भी वो बहुत लजा रहे थे और कमरे मे ना आकर बाहर ही बैठे रहे ।
मैने अपनी साडी उठा कर पैंटी ट्राई की तो वो थोड़ी ढीली थी , मगर लास्टीक ठिक थी तो कोई दिक्कत की बात नही थी । फिर मैने ब्लाउज उतार कर ब्रा ट्राई करने लगी मगर हुक मेरे से लग नही रहे थे और मुझे पता नही था कि वो दरवाजे की ओट से भीतर मुझे ही निहार रहे थे ।
मैने बार बार प्रयास किया मगर हुक नही लग पा रहे थे और वो मुझे परेशान देखकर हल्के से दरवाजा खोलकर अन्दर आये ।
दरवाजे पर आहत से मै सहम गयी और उन्हे कमरे मे आता देख मैने झट से वैसे ही साडी का पल्लू लेके अपने आगे ढक लिया और मेरी हिम्मत नही हो रही थी उनसे नजरे मिलाने की ।
वो भी कम काप नही रहे थे और बड़ी हिम्मत करके तो उन्के गले से आवाज आई - लाओ मै लगा देता हु
मै समझ गयी मेरे भोलू हुक लगाने आये थे ।
अमन खिलखिलाया - हिहिहि भोलू
ममता - चुपचाप सुन
अमन- फिर
ममता - फिर उन्होने भी 4 से 5 कोसिस मे किसी तरह हुक लगाये , मगर सामने मैने पल्लू हाथो से पकडा हुआ था तो उन्हे कुछ भी दिखा नही वो उत्तेजित तो थे और उन्होने मौका देख कर मेरी पीठ पर किस्स किया ।
अमन ने भी अपना हाथ अपने लण्ड पर ले जाकर उसे भिन्चा और वापस से ममता के पल्लू के नीचे हाथ डाल कर चुचियो के बिच हाथ गर्म करने लगा ।
ममता ने भी ये चीज नोटिस की और मुस्कुरा कर - फिर कब उन्होने मुझे पीछे से कस लिया और कब वो सब हो गया पता नही चला ।
अमन ने अपने पाव पसार कर पाव के साथ साथ लण्ड की नसो को भी स्ट्रेच करता हुआ - अह्ह्ह मम्मी फिर कितने बार
ममता हसती हुई उसका हाथ अपने कन्धे से उतार कर झटकती हुई अपने बालों का जुड़ा कर - भक्क पागल मै नही बताने वाली कुछ, ये सब कोई पुछता है भला अपनी मा से , तु बहुत बिगड़ गया है
अमन ने जोर की अंगड़ाई ली और अपना तना हुआ सुपाडा खुजाया - हिहिहिही
ममता - चल उठ जा और देख तेरे पापा कहा है
अमन - तो क्या आप अभी दोपहर मे ही हाहाहा
ममता - धत्त पागल , अरे पंडित जी आने वाले है कथा वार्ता होगा ना अभी 3 बजे से
अमन बेड पर खड़ा होकर अपना तना हुआ मुसल दबाते हुए एक जोर की अंगदाई लेके उबासी लेकर - आह्ह हा देखता हु
ममता उसकी हरकत पर हस्ती हुई बैठे हुए ही उसके पिछवाडे पर हाथ मारती है - मस्तीखोर कही का जा अब
अमन खिलखिलाता हुआ बाहर चला गया , अपने पापा को खोजने ।
राज के घर
इधर सारे लोग साथ बाजार थे मगर राहुल का मन नही लग रहा था , घर पर अकेली बबिता को सोच के राहुल का मूड बार बार घर जाने का हो रहा था , इसीलिए मार्केट पहुचने पर भी वो अपने मार्केट वाले मुहल्ले मे जाने के बहाने से निकल लिया ।
अरून और गीता जो समझ रहे थे कि वो क्यू गायब हुआ इसको सोच कर आपस मे मुस्कुरा रहे थे ।
राहुल एक ई रिक्शा किया और 10 मिंट मे पहुच गया ।
घर आकर वो खुद को शान्त किया और हाल मे एंटर होते ही उसने सब जगह चेक किया , कोई कही नजर नही आ रहा था और उसकी बड़ी मम्मी रागिनी के कमरे का दरवाजा बन्द था ।
उसे लगा कि शायद वो सो रही होगी इसीलिए वो खुश हुआ और लपक कर दबे पाव उपर निकल गया ।
उपर पहुचते ही बिना किसी शक के वो अनुज के कमरे के दरवाजे से कान लगा दिया
भीतर से आ रही आवाज से वो थोड़ा चौका और बड़बड़ाया - बहिनचो कौन पेल रहा है उसे यहा ,
राहुल ने वापस अपनी शंका दुर करने के लिए कान लगाया और भीतर से फिर वैसी ही सिसकी सुनाई दी ।
लेकिन इस बार कुछ अलग थी ।
राहुल - ओह बेनचो , ये रो रही है मगर क्यूँ । कही कुछ हुआ तो नही दोनो बाबू सोना मे
राहुल दरवाजे पर हल्का सा जोर दिया और दरवाजा आराम से खुल ही गया
राहुल ने जैसे ही कमरे मे देखा तो बबिता को एक दोपहर वाली ही टॉप स्कर्ट मे सोफे पर बैठे देखा और उसका स्कर्ट एक तरफ से घुटनो तक उठा हुआ था उसकी चिकनी मुलायम जान्घ साफ साफ दिख रही थी ।
बबिता डबडबाई आँखों से सामने राहुल को देखा तो एकदम से चुप हो गयि और स्कर्ट झट से निचे कर लिया
बबिता अपने गाल से बहते आँसूओ को पोछ कर उसकी ओर देखा तो राहुल कमरे मे दाखिल होकर - क्या हुआ तुम रो क्यूँ रही हो ?
बबिता चुप रही
राहुल - ठिक है मै बड़ी मम्मी से बोलता हु
राहुल घूमके कमरे से बाहर जाने के लिए हुआ कि बबिता उसको रोकने के लिए झटके से खड़ी हुई - न्हीई रुको आह्ह म्ममीईईई
वो फौरन अपना घुटना पकड कर बैठ गयी और दर्द से सिस्कने लगी ।
राहुल लपक कर उसकी ओर गया - क्या हुआ दिखाओ
बबिता - नही तुम जाओ कुछ नही हुआ मुझे
राहुल गुस्से मे तमतमाया - अभी एक उलटे हाथ की दूँगा तुम्हारा सारा ड्रामा निकल जायेगा
राहुल के तेज आवाज और उससे इरिटेट मिजाज से बबिता सहमी और बिखलने लगी - वो मै फोन पर बात कर रही थी और तभी बुआ उपर से आ रही थी और जल्दी जल्दी मे मेरा घुटना दरवाजे मे भिड़ गया ।
राहुल थोड़ा शान्त हुआ मगर उसकी भौहे अभी भी तनी हुई थी - दिखाओ मुझे
बबिता - नही वो घुटने के उपर लगा है
राहुल - ओके मै बड़ी मम्मी को भेजता हु ,,वो मलहम लगा देन्गी
बबिता इस डर मे कि कही उसकी बुआ (रागिनी ) सवाल जवाब ना करने लगे और पहले ही वो रज्जो के हत्थे चढ चुकी थी वो रिस्क नही लेना चाहती और घर मे किसी के लिए भी चर्चा का विषय नही बनना चाहती थी ।
बबिता - नही बुआ को नही , क्या तुम
मलहम खोज दोगे मिल नही रहा है और मुझसे चला नही जा रहा है ।
राहुल ने जल्दी जल्दी कमरे मे खोजा मगर उसे ऐसा कुछ नही मिला तो वो भागता हुआ किचन मे आया और बर्फ के क्यूब निकाला । तभी उसकी नजर फ्रिज के उपर ही पड़ी एक लाल बाम की डिबिया और एक दर्द निवारक गोली के पैकेट मिल गयि वो खुश हुआ ।
उसने एक ट्रे लिया उसमे पानी रखा , एक साफ कपड़ा लिया और बर्फ कुछ क्यूब को कटोरी मे लेके उपर चला आया ।
कमरे मे दाखिल होते ही
"ये सब क्या है ", बबिता ने अचरज से पुछा ।
राहुल ने कुछ नही जवाब दिया और एक गिलास पानी के साथ दर्द की दवाई उसको देता हुआ - हम्म्म खाओ इसे
बबिता ने दर्द की गोली पानी से गटक कर गिलास वापस रखा
राहुल के पास बैठ कर - दिखाओ मुझे बर्फ लगा देता हु
बबिता - नही मै कर लूंगी थैंक्स
ये बोल कर बबिता ने जैसे ही ठंडे आइस के गोले छुए वो उसके हाथो से सरक कर फर्श पर मैले हो गये ।
बबिता - अरेह्ह उप्स गिर गया हिहिहिही
राहुल - हसो मत गीला होगा फर्श तो तुम्हे ही साफ करना पड़ेगा
बबिता ने राहुल को अभी भी भौहे ताने हुए ही देखा और वो पुरा सिरिअस नजर आ रहा था तो मन मे बड़बड़ाई- देखो तो कैसे मुह बनाये हुए है जी तो कर रहा है ये बर्फ इसके मुह पर रगड़ दू हुउह
बबिता खुद से बड़बड़ाती हुई जैसे ही दुसरी आईस क्यूब उठाई वो भी उसकी उंगलियो से सरक कर निचे गिर गयी ।
राहुल ने देखा अब आखिर के 2 ही क्यूब थे वो भी पिघल रहे थे जल्दी जल्दी
राहुल ने बबिता की ओर घुर के देखा और आइस क्यूब उठा कर - हटो और दिखाओ कहा है
बबिता तुनक कर मुह बनाती हुई हलके से अपना स्किर्ट थोड़ा हिचक मे लजाती हुई एक टांग पर घुटनो के उपर जांघो तक ले आई ।
राहुल ने बबिता की गोरी गुदाज मखमाली जांघो को देखा जिस्पे एक हल्का लाल निशान सा बना हुआ था और तभी उसकी नजर बबिता के जान्घो के बिच गयी , जहा दिख तो कुछ नही रहा था मगर उसकी उत्सुकता साफ झलक रही थी उन अधियारो ने रोशनी करने की
पहले बबिता ने इस चीज पर ध्यान नही दिया और राहुल ने हल्का आगे झुक कर घाव पर धीरे से फूंक मारकर हौले ने नजरे उठा कर एक नजर वाप्स से उसकी जांघो के बिच देखा तो उसे बबिता की नीली ब्लोमर कच्छी नजर आ गयी ।
उसने नजरे वापस से घाव पर किया और पिघलते बर्फ को उसके घुटने के उपर ही रख कर हल्का हल्का घुमाते हुए मुस्कुरा दिया
बबिता ने जैसे ही उसका मुस्कुराना देखा वो समझ गयी कि इसमे भी राहुल की कोई शरारत छिपी है और जब अगली बार राहुल ने दुबारा नजरे उठाइ वो समझ गयी , उसने झट से अपना स्किर्ट पकडते हुए - तु तुम आगे देखो , इधर नही !
राहुल ने बबिता की बात पर बिना कोई जवाब दिये बर्फ लगाते हुए सामने देखने लगा
उसकी नजरे बिना पलके झुकाये सामने देख रही थी और वही बबिता ने उसको देख कर मन मे सोचा - ये भले ही कमीना है लेकिन चलो इतनी शरफात तो है कि बोलने पर सामने देखने लगा
बबिता अभी ये सोच कर मुस्कुरा रही थी कि राहुल बोल पड़ा- निचे से स्किर्ट दबा लो नही तो गिला हो जायेगा ।
बबिता ने देखा कि राहुल ने ये बात बिना उसकी ओर देखे कही तो वो सोच मे पड़ गयि कि जब उसने मेरे ओर देखा नही तो कैसे इसे पता कि मैने स्किर्ट ढीला छोडा है ।
बबिता - तुम्हे कैसे पता कि गीला हो जायेगा,तुम तो इधर देख नही रहे
राहुल ने मुस्कुरा कर बबिता की ओर देखा और ठिक बिस्तर के सामने और राहुल के आगे आलमारी के सीसे की ओर इशारा किया
बबिता ने जैसे उधर देखा तो पाया कि आलमारी के सीसे मे तो उसकी जान्घे और भी ज्यादा और चुतडो तक दिख रही है ।
वही उसके बगल मे बैठा राहुल आईने मे उसे हाय कर रहा है
बबिता ने झट से अपनी स्किर्ट को निचे से उपर कर लिया और अपनी जान्घे छिपाती हुई - त तुम एक नम्बर के गंदे हो , तुम्हे शर्म नाही आती
राहुल हस कर - तुमही ने तो बोला कि सामने देखो हिहिहिही तो वही किया
बबिता अपने उपर लज्जित थी और उसे हसी भी आ रही थी , वो राहुल की चालाकी पर उसके बाल नोच लेना चाहती थी , मगर उसकी केयर और हैल्प से बन्ध गयी थी ।
बबिता बड़बड़ाती हुई राहुल पर भड़ास निकालती हुई - गंदे कही के , तुमसे अच्छा तो अरून है कितने अच्छे से पेश आता है मेरी बहन से , उसके साथ रहते हो कुछ तो मैनर सिख लेते
राहुल को उसका बड़बड़ाना भाया नही - हा तो तुम कौन सा अपनी बहन जैसी हो , जब भी बात करने जाओ फूट पड़ती हो ज्वालामुखी की तरह , सही नाम है तुम्हारा बबिता ,बड बड़ बड बड यार रुकती ही न्ही शुरु होने के बाद
बबिता राहुल की बात पर थोडा चुप थी
राहुल - अब लगाऊ मल्हम या जाऊ
बबिता - ह्म्म्ं लगा के जाओ
राहुल हसता हुआ उसकी ओर घुमा और रुमाल से उसके पैर पोछ कर साफ किया और बाम निकाल कर लगाते हुए - अब ठिक है , अभी एक दो घन्टे मे आराम हो जायेगा ।
राहुल उठा और ट्रे मे सारा गिरा पिघला बर्फ रखा और कपडे से फर्श पोछ कर कमरे से बाहर जाने लगा तो बबिता ने उसको रोका - सुनो !!
राहुल बिना उसकी ओर घुमे - हम्म बोलो
बबिता मुस्कुरा कर - थैन्क यू
राहुल मुस्कुराया और बिना कुछ बोले निकल गया
राहुल से कोई रिप्लाई ना पाकर तुन्की - हुउह अकड़ू कही का
जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 194 B
फूलपुर
"कौन है"
"बहू तु है क्या "
"नही ताई मै हु राज "
कुछ सेकेण्ड की चुप्पी के बाद पुन: आवाज आई - अच्छा बेटा दरवाजा बन्द करके कमरे मे बैठ मे आ रही हूँ ।
बनवारी ने राज से फुसफुसाकर - अब?
राज हस्ता हुआ धीमी आवाज मे - हिहिही अब कुंडी लगेगी नानू हाहाहहा
और राज ने दरवाजे की कड़ी लगाते हुए नाना को वही गलियारे मे रुकने का इशारा कर खुद दबे पाव आंगन की ओर बढ़ने लगा ।
आंगन मे झांका तो पाया कि आंगन मे एक तरफ हाल ही मे कुछ मरमंत का कार्य किया हुआ था , जिसे रन्जू के बेटे कमलेश ने करवाया था ।
आंगन का बाथरूम जो पहले महज ईंट से घेरा हुआ था अब उसे टाईल से चमका दिया गया था और बगल मे कपडे धुलने के लिए अलग से वाशिंग मशीन भी लगा दी गयि थी ।
जिसकी आवाज से घर मे हल्की फुल्की बातचित पर कोई असर नही हो सकता था ।
राज ने दबे पाव बाथरूम की ओर बढ़ा और जैसे ही उसने आधे खुले दरवाजे से भीतर झांका उसका दिल बाग बाग हो गया ।
भीतर रंजू ताई सिर्फ एक काली पैंटी मे खड़ी होकर अपने जिस्म मे साबुन मल रही थी ।
राज ने अपना फनफनाता लन्ड जोर से मसला
तभी रंजू ने साबुन की टिकिया आगे से पैंटी मे हाथ डाल कर अपनी बुर पर लगाते हुए हुए पीछे भी गाड़ पर रगड़ने लगी
फिर उसने देखते हु देखते अपनी पैंटी उतार दी
ये नजारा देख कर राज का मुसल फनफना उठा उसने सोचा सारा मजा अकेले क्यू , नानू के साथ मिल कर बाटते है और वो लपक कर गलीयारे की ओर बढ गया ।
बनवारी- क्या हुआ बेटा
राज खिलखिलाकर अपने नाना की कलाई पकडता हुआ - आओ नाना मै मस्त सीन दिखाता हु ।
बनवारी का मुसल भी तनमनाया और वो भी अपनी धोती सम्भालता हुआ धीरे धीरे बाथरूम की ओर बढ़ गया
राज ने इशारे से भितर झांकने को कहा
बनवारी ने मुस्कुरा कर कामोत्तेज होकर हौले से भितर झांका तो उसकी आंखे चमक उठी और उसका लन्ड फड़कने लगा ।
उसने अपने अकड़ते लन्ड को पकड कर सहलाते हुए भितर देखने लगा
जहा रंजू एक प्लास्टिक स्टूल पर बैठी हुई पूरी नंगी पानी से अपने बाल धूल रही थी और उसकी बड़ी सी गाड़ फैली हुई थी ।
राज ने धीरे से अपने नाना को हिलाया और इशारे से अन्दर जाने को बोला ।
बनवारी धीमी आवाज मे फुसफुसा कर - अगर वो तेरे बारे मे पूछेगी तो
राज हस कर धिरे से - बोल देना आपने मुझे तम्बाकू लेने बाहर भेजा है , अब जाओ
बनवारी - अरे बाहर आने दो ना उसको तब
राज - अरे नानू अगर ताई बाहर आ गयी तो मौका भी नही देगी , भूल गये कल कैसे नाराज थी , आज मना लो हिहिहिही
बनवारी मुस्कराया और धीरे से अपना कुरता और धोती निकाल कर राज को दे दिया ।
अपने नाना का बड़ा मोटा लन्ड देखकर राज को भी अचरज हुई
बनवारी उसे अपने नाती के आगे बड़ी बेशर्मी से हिलाते हुए हौले से दरवाजा खोलकर भितर घुस गया ।
क कौन , ब ब बाऊजीईई आप उम्म्ंम्म्ं मम्म अह्ह्ह येह्ह्ह्ह उह्ह्ंम्ंं
इससे पहले रंजू कुछ बोलती बनवारी ने उसके होठ से अपने होठ जोड़ते हुए उसके हाथ पकड कर बाथरूम की दिवाल से लगाता हुआ निचे से अपना तनमनाया मुसल उसकी बुर पर रगड़ने लगा ।
रंजू का जिस्म अकड़ने लगा और बनवारी उसके गाल फिर गले पर चूमने लगा ।
रन्जू ने कसमसा कर - आह्ह बाउजीईई उम्म्ंम राज कहा है ? अह्ह्ह सीईईई
बनवारी- मैने उसे नदी की ओर भेजा है तम्बाकू लाने के लिए
रंजू सिस्ककर - सीईई अह्ह्ह बाऊजीउई उम्म्ंम लेकिन आप ऐसे अचानक उम्म्ंम्ं किसी ने देखा लिया तोह्ह्ह्ह
बनवारी ने उसको घुमाते हुए उसकी रसिली मोटी चुचियां पीछे से पकडता हुआ - वो मै पिछली बार के लिए माफी चाहता हु , अपने जोश मे मैंने तुम्हारा ख्याल नही किया
रन्जू बनवारी का मोटा गर्म मुसल अपनी गाड़ पर मह्सूस करती हुई , उसके रेंगते हाथ को अपनी छातियों पर थामती हुई - उन्मममं मतलब
बनवारी- मतलब येहहहह कीह्ह्ह्ह उम्म्ं क्या मुलायम चुचे है तेरे जमुना बहुउउऊ उम्म्ं कल मैने कुछ ज्यादा ही जल्दी निपटा दिया था और तुझे खुश नही किया था
रंजू ने बनवारी की मोटी उंगलियों की खरोच अपनी झान्टो से भरी बुर पर मह्सूस की - अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह बाउजीई उम्म्ंम
बनवारी पीछे से अपना मुसल रन्जू के मोटे गाड़ के फाकों मे घुसेड़ता हुआ उसकी बुर के दाने को अंगूठे से मसलके - उह्ह्ह क्या गर्मी है निचे ऊहह सच बता , जमुना मे अब वो बात नही रही ना उम्म्ंम
रन्जू कसमसा कर अपना जिस्म अकड़ती हुई सीसकने लगी - अह्ह्ह बाउजीईई इस वक़त उनकी बात ना करोह्ह्ह उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
बनवारी मुस्कुरा कर रन्जू की चुचियां मलता हुआ उसकी गाड़ के मुहाने पर अपना सुपाडा घिसकर - मतलब मेरा अंदाजा सही था ,
कैसाअह्ह्ह अन्दाआआ उह्ह्ह माह्ह्ह्ह उफ्फ़फ्फ उह्ज आआराम्म्ंं सेह्ह्ह बाउजीईई उह्ह्ह उह्ह्ह ओह्ह्ह्ह म्सह्ह्ह्ह उम्म्ंम
बनवारी ने रन्जू के सवाल के जवाब मे उसके दोनो हाथ आगे बाथरूम की दिवाल से लगाता हुआ अपना लन्ड उसकी जांघो के बिच मे लगा कर उसके बुर के फाको मे पीछे से पेलने लगा जिस्से लन्ड का सुपाडा उसके मोटे फाको को फैलाता हु बाहर की ओर आने ल्गा
चुत के फाको मे लन्ड की कसावट भरी रगड़ से रंजू बुरी तरह से बिलबिला उठी और उसका अन्ग अन्ग सिहर उठा ।
वही बाथरूम के बाहर खड़ा राज अपने नाना के स्टाइल से खासा प्रभावित था , उसका लन्ड फौलादी हुआ जा रहा था ।
बनवारी ने वैसे ही जांघो मे पीछे से अपना मुसल घुसाते हुए - ओह्ह्ह जमुना बहू उम्म्ंम्ं , अब मत तरसा
रन्जू - क्या ? मै तरसा रही हुऊ उम्म्ंम्ं सीईई कल से आपने मेरे जिस्म मे आग लगा रखी है अह्ह्ह अब रुके क्यू है उम्म्ंम्म्ं कर लिजिए ना जो करना है उम्म्ंम
बनवारी ने हाथ आगे बढा कर रन्जू के गुदाज लटकती चुचियॉ पकड कर - एक बार चुस ले ना उह्ह्ह्ह
रंजू ने एक गहरी सास ली और सीधी खड़ी होकर बनवारी की ओर घूम गयी ,
बनवारी की गहराती सासे रन्जू के नशिलि और कामोत्तेजक आंखे देख कर और भी उफनाने लगी ।
उसका लन्ड और तेज ठुमकने लगा , रन्जू ने हाथ आगे बढ़ा कर बनवारी के लन्ड का तना हथेली मे भर कर उसको ताकत से थोडा दबाया
बनवारी ने दर्द मे थोड़ी आंखे भिची और सिस्का - उह्ह्ह सालीईईई मुह ने लेके दबा ना उह्ह्ह्ह्ह
रंजू मुस्कुराई और बनवारी को बेचैन देख कर निचे बैठ गयि ।
उसने बनवारी का मुसल उपर किया और उसके झूलते आड़ो पर जीभ फिराई जिससे बनवारी का लन्ड उसकी हथेली मे झटके खाने लगा ,
उसने उसके लन्ड की निचली नसो पर जीभ फिराती हुई उपर सुपाड़े तक आई और देखते ही देखते उसने बनवारी का सुपाडा मुह मे भर लिया और फिर दोनो हाथों मे उसका लन्ड पकड कर उसको चुसने लगी
बनवारी अपनी एडियां उचकाये आह भरता हुआ हवा मे तैरने लगा वही दरवाजे के पास खड़ा राज अपने पैंट से लन्ड़ निकाल कर जोर जोर से हिलाये जा रहा था
बनवारी- अह्ह्ह जमुना बहुउउऊ सीईई क्या म्स्स्त चूस्ती है रे तुउउऊऊ उम्म्ंम अह्ह्ह और लेह्ह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह्ह और लेह्ह्ह नाअह्ह्ह
रंजू बनवारी का मुसल को चुस चुस कर गीला किये जा रही थी साथ उसकी बुर बुरी तरह से पानी बहा रही थी ।
रंजू ने अब एक हाथ से अपना जिस्म मसलना भी शुरु कर दिया था , उसके हाथ अब उसकी रस बहाती बुर को मसलने लगी थी।
बनवारी ने उसकी ओर देखा और बोला - कमरे मे चले
रन्जू ने भी मुह से लन्ड निकाल कर हामी भरी
मौका देखकर राज झटके से वहा से निकल कर रंजू के कमरे के सामने वाले किचन के गेट के ओट मे छिप गया
रंजू ने तौलिया से अपने जिस्म पोछती हुई बाहर आई और गलियारे से देखा कि दरवाजा भीतर से ही बन्द है
इससे पहले वो कुछ दिमाग लगाती बनवारी ने उसको पकड कर कमरे मे खिंचता हुआ अपने आप से चिपका लेता है और झुक के उसकी चुचिया मुह मे लेके चुसने लगता है
रन्जू भी बनवारी की इस हरकत से कामोत्तेजी होकर उसके सर को सहलाने लगती है , और बनवारि अगले ही पल निचे घुटनो पर आकर सीधा अपना मुह रन्जू की बुर मे दे देता है
रन्जू - अह्ह्ह बाउजीई उम्म्ंम ओफ्फ्फ उह्ह्ह्ह मह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ कमाल्ल्ल्ल के हो आप उह्ह्ह सीईई अह्ह्ह अराअम्ंंं से
बनवारी ने जीभ निकाल कर रंजू की बुर चाटनी शुरु कर दी थी और रन्जू का संतुलन बिगड़ने लगा था
रंजू अपनी टाँगे खोले बनवारी का कन्धा पकड़ कर एडिया उचका रही थी और बनवारी उसकी बुर के फाको मे जीभ घुसा कर भितर की मलाई चाट रहा था ।
वही राज किचन के झाक कर कमरे का नजारा लेते हुए नाना की मस्ती देख रहा था ।
उधर बनवारी ने रंजू को बिस्तर पर घोडी बना दिया था ,
रन्जू - अह्ह्ह बाऊजी रुके क्यू हो सीईई उह्ह्ह डालो नह्ह्ह उम्म्ंम
बनवारी- क्या चाहिये खुल के बोल उम्म्ंम्म्ं
रन्जू ने गरदन घुमा कर मुस्कुरा कर अपनी बुर सहलाती हुई - वो डालो ना अपना मोटा खीरा
"उह्ह्ह तो तुझे खीरे बहुत पसंद है क्यू " , बनवारी ने अपना टोपा उसकी बुर के फाको मे धंसाते हुए बोला ।
रंजू - सीईई अह्ह्ह उह्ह्ह उह्ह्ह हाअह्ह बाउजीई अकेली बिना खीरे के कैसे मैह्ह्ह उह्ह्ह और और अह्ह्ह्ह सीई उम्म्ंम
बनवारी ने दो करारे झटके के साथ अपना खीरे जैसा मुसल लन्ड उसके भोस्डे मे उतार दिया और पेलना शुरु कर दिया
अह्ह्ह बाउजीई उम्म्ंम अफ्फ्फ ऐसे हीई उह्ह्ह्ह और तेज उम्म्ंम रगड़ डालो मेरी मुनियां कोह्ह्ह उस्सस्स उमम्मं अह्ह्ह
बनवारी करारे झटके लगता हुआ अंगूठे से रंजू की गाड़ का भुरा छेद छेड़ता हुआ - तो क्या कभी इसमे भी खीरे को डाला है उम्म्ंम्ं
बनवारी की छड़खानी से रंजू छिटकने लगी तो बनवारि ने उसके कूल्हो दबोचते हुए कस कस के पेलने लगा - अह्ह्ह बोल नह्ह्ह उमम्मं
रंजू - अह्ह्ह हा कई बार उह्ह्ह क्यू डालोगे क्या हहहह सीई पहले मुझे अच्छे से निचोड दो फिर उह्ह्ह्ह सीईई
बनवारी ने लन्ड को बराबर एक लय मे उसकी बुर मे पेलता हुआ उसकी चर्बिदार गाड़ के फाको मे झांकती उसकी भूरी छेद पर अंगूठा मलता हुआ - अगर मै कहू कि दोनो मे खीरे का मजा एक साथ मिले तो लेगी क्या ?
रंजू चौकी और वही दरवाजे पर खड़ा राज जो भितर कमरे मे चल रही चुदाई से अपना सुपाडा मसल कर लाल कर चुका था वो भी अपने नाना का प्रस्ताव सुन कर मस्त हो गया था ।
राज के घर
छत की बाल्किनी मे राहुल रेलिंग पर झुका हुआ कुछ विचार कर रहा था कि उसके पास बस आज रात का ही समय है और कल बबिता घर निकल जायेगी ।
वही कमरे मे बैठे हुए बबिता भी बोर हो गयी थी , मैसेज काल तो उसके बॉयफ्रेंड के आ रहे थे मगर उसे अच्छा नही लग रहा था ।
वो राहुल के बारे मे सोच रही थी ।
" कल मैने कुछ ज्यादा ही तेज बोल दिया था , वो तो बस ट्राई ही कर रहा था जैसे बाकी लड़के अप्रोच करते है । हा लेकिन उसकी मस्तियाँ भी कहा कम थी । ना जाने कहा से मेरी वो तस्वीरें पा गया "
"अरे हाँ , उसे मेरी तस्वीर कहा और कैसे मिली उस बारे मे तो मैने पुछा ही नही "
बबिता बेचैन होकर उठी और कमरे से बाहर निकली , उसे यकीन था कि वो निचे तो नही गया होगा । चेपू यही कही आस पास ही होगा ।
उसने जीने की ओर देखा और उसे तभी बालिकिनी खुली मिल गयी
वो उधर ही बढ गयी
"हम्म्म तो यहा है और ये यहा सोच क्या रहा है , जरुर मुझे पटाने के बारे ने ही सोच रहा होगा "
"हुह , मै ऐसे थोड़ी ना हाथ आ जाउंगी "
बबिता टहलती हुई आराम आराम से रेलिंग के पास खड़ी हो गयी ।
सड़के सुनसान, एक्का दुक्का गाड़ियाँ निकल रही थी ।
घर मे कही से भी एक तिनका हिलने तक की आवाज नही आ रही थी ।
राहुल ने भी बबिता को देखा मगर कुछ बोला नही ।
राहुल का रिस्पांस ना पाकर बबिता को बेचैनी हुई , ना जाने क्यू उसे कसक उठ रही थी कि वो कुछ बोले ।
बबिता ने तिरछी नजर से उसको देखा तो वो सड़क की दुसरी ओर फेके हुए कूडे के ढेर मे घूम रहे कुत्तो को निहार रहा था , जिसमे एक कुतिया खाने के पत्तलो को चाट रही थी वही दो कुत्ते और थे जो पत्तल चाटते चाटते और सही खाने की तलाश मे उस कुतिया के पीछे आ गये थे
उसमे से एक ने उस कुतिया की गाड़ को सुँघा था कि वो कुतिया ने जोर से उसपे भौक पडी
राहुल मुस्कुरा कर दुसरी ओर नजरे फेर लेता है वही बबिता ने भी ये सब देखा तो वो भी शर्मा गयी और मुह फेर के मुस्कुराने लगी ।
राहुल के साथ साथ बबिता के लिए भी ये एक शर्मिंदगी भरा मोमेंट था , क्योकि दोनो मे से कोई भी ऐसे तो खुल के सामने नही आना चाह्ते थे ।
बबिता - कितना सन्नाटा हो गया है ना घर मे
बबिता की आवाज सुनाई देते ही राहुल चुप हुआ और उसकी भौहे अकड़ दिखाने के इरादे से तन गयी ।
बबिता ने देखा कि राहुल ने कोई जवाब नही दिया - ऐसा ही मेरे घर में रहता है रोज
राहुल धीरे से फुसफुसा- हा तभी तो रोज बॉयफ्रेंड से लगी रहती होगी
बबिता को लगा कि उसने उस्का मजा लिया अभी - क्या ?
राहुल - कुछ भी तो नही
बबिता चिडचिड़ी होकर - नही तुम अभी कुछ बोले
राहुल ने हाथ जोड़ कर सर पर रखते हुए - मैने कुछ नही बोला मेरी मा , माफ करो मुझे प्लीज
बबिता को लगा कि वो अब फिर से वही व्यव्हार कर रही है कल रात के जैसे ।
बबिता इस बात से उलझी हुई थी कि ना जाने क्यू राहुल से जरा भी बात पर चिढ़ जा रही थी ।
बबिता - सॉरी , पता नही मुझे क्या हुआ है । मै जबसे यहा आई हु ऐसे ही परेशन रह रही हु
राहुल मुस्कराया - बॉयफ्रेंड से दुर हो इसीलिए
बबिता शर्माकर हस्ती हुई - धत्त वो बात नही है , हा वो भी है थोडा मगर
राहुल - साफ दिख रहा है तुम्हारे चेहरे पर , तड़प रही हो उसी के पास जाने के लिए और नही तडपती तो कल वो फोटो क्यू भेजती
बबिता चुप हुई और उसे ध्यान आया कि वो यहा क्यू आई थी - हम्म अब ये बताओ तुम्हे मेरी तस्वीरे कैसे मिली
राहुल सडक की ओर देखने लगा तभी उसकी नजर सामने कूडे के ढेर के पास गयी , जहा वो कुतिया दुसरे वाले कुत्ते से चुद रही थी ।
राहुल ने मुस्कुरा कर नजरे फेर ली
बबिता को फिर चिढ़ हुई - देखो फिर तुम मेरा मजाक बना रहे हो
राहुल मुस्कुरा कर - अरे मै तुम्हारा नही ...वो तो मेरी नजर उधर चली गयी थी तो
राहुल ने आंखो के इशारे से बबिता को वो कूड़े के ढेर पर चल रही चुदाई को दिखाया तो बबिता भी मारे लाज के नजरे चुराते हुए हसने लगी ।
राहुल - तुम एक नम्बर की बुद्धू हो , बनती चालाक हो मगर हो नही
बबिता अब रेलिंग की ओर पीठ करके रेलिंग का सहारा लेकर खडी हो गयी ताकी उसको वो कूडे के ढेर पर चल रहा नजारा नही देखना पड़े ।
बबिता - मतलब ?
राहुल भी नैतिकता दिखाते हुए रेलिंग की ओर पीठ करके खड़ा हो कर - मतलब तुमने ना कोई पासवर्ड ल्गाया ना ही चैट डिलिट की , सब वैसे ही रख दी
बबिता को उसकी गलती का अह्सास था
बबिता - मगर तुम्हे कब पता चला
फिर राहुल ने बताया कि कैसे वो कमरे के बाहर से सब सुन रहा था और जब बैग छूने के लिए मना किया तो उस्का शक और बढ़ गया ।
बबिता - तो अब अच्छे बच्चे बनो और वो फोटो डिलिट कर दो प्लीज
राहुल झुठ बोलते हुए - वो मैने कबकी डीलीट कर दी , कल रात मे भी जब तुम रो रही थी ।
बबिता को थोडा सुकुन मिला - ह्म्म्ं थैंक्स
राहुल - नही मेरी गलती थी मै सॉरी बोलता हु , मगर तुमको ध्यान देना चाहिए तुम ऐसे लापरवाह नही हो सकती , आज दोपहर को भी मौसी ने पकड ही लिया था
बबिता अपनी रज्जो बुआ के बारे मे सोच कर थोडा सहम गयि - हम्म्म उसके लिए भी थैंक यू
राहुल खीझ कर - और तुम्हारा bf एक नम्बर का चोमू है क्या है ?
बबिता - क्या है ?
राहुल - अरे गवार है क्या ? साले को अपनी हवस के आगे तुम्हारी कोई फिकर ही नही है !
बबिता को फिर से गुस्सा आने लगा -देखो तुम प्लीज तमिज से बात करो
राहुल - सॉरी सॉरी , मगर यार उसको इस बारे मे सिरियस सोचना चाहिए । वो बस तुम्से ऐसी वैसी फोटो विडियो मागता है और तुम भेज देती हो , सच मे प्यार है या हवस ?
बबिता राहुल के बात पर विचार करने लगी ।
राहुल - देखो मै उसपे कोई इल्जाम नही लगा रहा , मगर ऐसे लोग जो हर समय तस्वीरे मागते है , मतलब तुम ही सोचो ना एक ही चीज की तस्वीर क्यू चाहिये उन्हे वो भी अभी अभी की
बबिता एक दम चुप थी उस्के जहन मे अपने bf के लिए शकाये आ रही थी और वो डर भी रही थी ।
बबिता - पता नही मैने कभी पूछा नही
राहुल - अच्छा तुम दोनो सेक्स तो बराबर करते होगे ना
बबिता थोडा हिचक कर - ह हा , लेकिन
राहुक - फिर तुम ही सोचो , जब तुम दोनो रेगुलर मिल रहे हो और दोनो मे बराबर सेक्स हो रहे है फिर उसे क्या जरुरत है तस्वीरों की , बजाय कही शेयर करने के ।
बबिता - क्या ? नही नही वो ऐसा नही होगा
राहुल - उम्मीद करता हु कि तुम सही हो , मगर सतर्क रहना तुम्हारी जिम्मेदारी है । ये लापरवाही तुम्हे किसी दिन बहुत भारि पडने वाली है ।
बबिता - तो अब मै क्या करुँ
राहुल- थोड़ा स्ट्रीक्ट रहो इनसब को लेके और अब तो तुम्हारे पास मौका भी ये कहने का कि तुम्हारी बडी बुआ ने तुम्हे बात करते पकडा था और तुम्हारी मम्मी को चेताया है इस बारे ने और अब मम्मी तुम पर नजर रखे हुए है तो ये सब फरमाइश नही होगी ।
बबिता को भी राहुल का विचार सही लगा - थैंक्स राहुल मैने तुम्हे समझने मे गलती की , सॉरी तुम एक समझदार इंसान हो
राहुल - हम्म कोई बात नही , लोगो को जज करने की आदत होती है और सॉरी मैने भी तुम्हारे बारे मे कुछ गलत सोच लिया था
बबिता -क्या ?
राहुल - कुछ नही जाने दो ? वो हम लड़के ऐसे ही होते है तो छोड़ो ।
बबिता - अरे बोलो ना ,
राहुल - नही अभी तुम फिर से भडक जाओगी
बबिता हसकर - नही बाबा प्रोमिस मै नही चिल्लाऊंगी
राहुल - पक्का ना
बबिता मुस्कुरा कर - पक्का !!
राहुल - देखो ये बात सिर्फ मेरे बारे मे नही है ये हम सब लड़को पर लागू होता है कि हम किसी भी लड़की के फिगर और उसके स्वभाव से उसको जज कर लेते है और थोडा सेक्सुअली क्लोज हो जाते है । शादी व्याह के दिनो के ये सब कामन सी बात हो जाती है ।
बबिता - हा मालूम है मुझे
राहुल नजरे फेरते हुए मुस्कुरा कर - तो मै भी तुम्हारी ओर कुछ ऐसे ही इरादे से करीब होना चाह रहा था , मगर तुमने , वो कल रात में जो हुआ
बबिता मुस्कुराई - हम्म जानती हु ये बात भी , हम लड़कियां किसी के इरादे भाप लेती है
राहुल - और जब मैने तुम्हारी ओपन तस्वीरे देखी मै तबसे और भी परेशान हो गया था , तुम्हारी अदा और वो ?
बबिता की सासे भी तेज थी घुमा फिरा कर ही सही मगर राहुल बबिता की तारिफ कर रहा था और इस बात से बबिता का मन फूल रहा था ।
बबिता - क्या वो !!
राहुल - वो तुम्हारे रस भरे दोनो संतरे ...
बबिता खिलखिलाई और हस कर - क्या ? संतरे !!
राहुल हसता हुआ - हा बिल्कुल वो मुझे ऐसे ही लगे बड़े बड़े रस भरे
बबिता लजा कर हस्ती हुऊ - धत्त चुप करो तुम अब ,
राहुल बबिता को शर्माता देख थोडा उसकी ओर गया , उसने पास से बबिता के जिस्म मे हो रही गर्मी मह्सुस की और उसका फुलता सिना देख कर उस्का मुसल कडक होने लगा ।
राहुल - मैने सोचा भी एक बार को
बबिता - क्या !!
राहुल - अगर मेरी भी gf के ऐसे सन्तरे हो तो मै भी रोज तस्वीरें देखने के लिए जरुर मागता
बबिता राहुल की इनडायरेक्ट बातो को खुद से जोड रही थी और उसके जहन में चल रहा था कि क्या वो सच मे राहुल को अपने बूबस दिखाती रोज , वो पल सोच कर ही बबिता की सासे चढने लगी ।
बबिता - बस करो तुम प्लीज हिहिहिही मुझे शर्म आ रही है
राहुल - तु क्यू शर्मा रही हो मै तो मेरी उस gf के बारे मे बता रहा हु जो अभी हुई ही नही , हाहाहाहा
बबिता - वो बात नही है , तुम अपनी gf के संत... मेरा मतलब बूबस मेरे जैसे क्यू चाहते हो
राहुल बहुत ही कैजुअली - क्योकि तुम्हारे संतरे बहुत सुन्दर है और रस भरे लग्ते है
बबिता खीझकर हसती हुई - फिर संतरे !! यार प्लीज तुम उन्हे ये बुलाना बन्द करोगे
राहुल हस कर - फिर क्या बुलाऊ तुम्ही बताओ ,
बबिता - मुझे नही पता
राहुल - अच्छा तुम्हारा bf जो कहता है वो बताओ वही बुलाऊंगा
बबिता फिर चिढी मगर उसकी हसी नही थम रही थी - याररर तुम हिहिही प्लीज इस बारे मे बाते करना बन्द करो
राहुल - लेकिन मै तो मेरी होने वाली gf के बारे मे बात कर रहा हु ना तुम्हारे संतरो के बारे मे नही
बबिता - फिर संतरा !!
राहुल हसता हुआ - अच्छा सॉरी सॉरी , तुम्ही बताओ क्या बोलू । सेव अनार नारियल पपीता या खरबूजा
बबिता खिलखिला कर हसती हुई - क्या खरबूजा !! तुम पुरे पागल हो हाहाहाहा
इधर बबिता को ध्यान ही नही था कि राहुल उस्से बाते करते हुए उसके एकदम बगल ने आ चुका था ।
और हस्ते हुए उसने उसके कन्धे पर हाथ मारा तभी दोनो की नजरे आपस मे टकराई और अगले ही पल दोनो चुप हो गये ।
बबिता और राहुल दोनो की आंखे आपस मे अटक गयी , राहुल के आंखो मे उतरी हुई मदहोशि से बबिता सिहर गयी और राहुल अपने फड़कते होठ उसके कपकपाते होठ से लगाने के लिए अपना चेहरा आगे किया तो बबिता ने अपनी आंखे बंद कर ली
आखिर तक जाकर भी राहुल ने किस्स नही किया और होठ सील कर वापस खड़ा हो गया ।
बबिता को जैसे ही राहुल के उफनाती सासो की गर्मी अपने से दूर होती पाई उसने आंखे खोलकर राहुल को थोडा दुर देखा ।
बबिता हल्के से फुसफुसा कर - क्या हुआ ?
राहुल भी थोडा असहज होकर मुस्कुरा कर इधर उधर देखने लगा - कुछ नही
बबिता को भी अह्सास हुआ कि वो अभी क्या करने जा रही थी और वो भी मुस्कुरा कर नजरे फेर ली ।
वही राहुल ने नजरे घुमा कर वापस निचे देखा तो उसकी हसी निकल गयी ।
निचे कूडे के ढेर पर दुसरे कुत्ते से चुद रही कुतिया , कब उस पहले वाले कुत्ते को जिसे वो अब तक सूघने से भी डाट रही थी उसका लन्ड अपने बुर मे फसा चुकी थी
अब दोनो एक दुसरे मे उलझे हुए बेबस तडप रहे थे और वो दुसरा कुत्ता नही नजर नही आ रहा था ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 194 C
अमन के घर
छत की टेरिस पर घर के बाये तरफ चार दिवारी मे ईंटो के बीच बने गैप से सामने अनाज के गोदाम की रोशनदान से आ रही झलकियों को देख कर सिगरेट की कस लेता हुआ धुआँ छोडते हुए आंखे मूंद कर कुर्सी पर गर्दन पीछे की ओर लटका कर खुले आसमान मे दूर तक निहारता है
हवा के झोकों से आसमां मे फिसलते बादल उसके चेहरे के उपर से गुजर रहे थे ।
बादल के छ्टती परतें आसामां को और चटक निखार रही थी ।
मुरारी के मन मे अब संगीता को लेके तस्वीरें साफ होने लगी थी , बीते समय मे हुए संयोगों की हवा से संगीता की छवि साफ दिखने लगी थी ,,या फिर यूँ कहे कि मुरारी ने उसकी एक अलग ही छवि बना ली थी ।
जो उसके नैतिक मूल्यों को तार तार कर चुके थे , बेटे की शादी की खुशी भी ऐसे पल मे धुआँ सी हो गयी थी ।
मन से वो टूट चुका था और आंखे भरी हुई थी ।
कुर्सी पर लटके हाथ मे जलती सिगार अब आधे से ज्यादा खतम होने को थी और अमन अपने पापा को खोजता हुआ जीने के दरवाजे आ चुका था ।
दरवाजे पर आहत से मुरारी चौक और उसने सामने अमन को पाया तो उसे अपने ही बेटे के सामने हाथ मे सिगार पकड़े हु शर्मिंदगी मह्सूस हुई कि जिस आचार के लिए वो आज तक अपने बेटे को नैतिक मूल्य देता आया था वो आज खुद तोड़ते हुए पकड़ा गया ।
मुरारी ने सकपका कर जल्दी हुई सिगार छत की चारदिवारी मे तोड़ कर चूरा करते हुए निचे फेक दिया - अरे बेटा तु, क्या हुआ ?
अमन ने अपने पापा के बदलते भाव और जज्बात को परखा , उस बात को टालते हुए - पापा , मम्मी बुला रही है चलो
मुरारी - क्यूँ क्या हुआ ?
अमन सीढियों की ओर घूमते हुए - वो पूजन का समय हो चुका था आजाओ जल्दी
मुरारी - अच्छा सुनो
अमन अपने पापा की ओर पीठ किये हुए - इस बारे मे अपनी मा को मत कहना प्लीज
अमन- हम्म्म
अमन सरपट निचे चला गया और मुरारी ने एक नजर गोदाम की ओर देखा तो उसका दरवाजा अब बाहर से बन्द था ,,मतलब साफ था भितर जो चल रहा था वो शो अब खतम हो चुका है
फूलपूर
"मतलब " रंजू ने संसय भरे लहजे मे गरदन घुमा कर बनवारी की ओर देखा
बनवारी के चेहरे पर एक कपट भरी मुस्कुराहट अब बढ़ कर हसी का रूप लेने लगी थी जिससे रन्जू की शन्का बढ़ने लगी ।
तबतक उसने कमरे मे आहट मह्सूस की
" राज बीटवा तु? " रंजू झटके से आगे होकर बनवारी के कैद से छिटकते हुए बिस्तर की चादर अपने जिस्म पर लपेटते हुए बोली ।
राज जो उसके सामने बेहूदगी मे हस्ता हुआ - क्यू ताई अपने भतीजे को प्यार नही दोगी हिहिहिही
रंजू हड़बडा कर कभी बनवारी की ओर देखकर - ये तो बाहर गया था ना और दरवाजा भी
राज - क्या ताई आपने ही तो कहा था कि कमरे मे बैठ मै आती हु तो मै बाहर क्यूँ जाता
रंजू - तो क्या तु तबसे
बनवारी- हा जमुना बहू बेचारा तबसे तड़प कर तुझे निहार ही रहा है , और देख तुझे देख देख कर उसने अपने मुसल का क्या हाल कर दिया है
बनवारी ने राज के लाल हुए सुपाड़े कि ओर दिखा कर रन्जू से बोला ।
रन्जू ने राज का फूला हुआ लाल सुपाडा देखा और गहरी सास लेते हुए वो चुप रही ।
उसे अभी तक राज और उसके नाना का यू एक साथ ऐसे साथ आना समझ नही आ रहा था ।
बनवारी - क्या सोच रही हो जमुना बहू , कि मै और मेरा नाती वो ऐसे हाहाहाहा
रंजू - ह हा , नही , मेरा मतलब हा लेकिन कैसे ?
राज ने मुस्कुरा कर आगे बढ़ता हुआ बिस्तर चढ कर - उसके पीछे ताई एक कहानी है, बोलो सुनोगी ?
रन्जू गरदन उठा कर बिस्तर पर बैठे हुए ही अपने सामने खड़े राज को देख कर - कहानी ? कैसी कहानी ?
राज ने मुस्कुरा कर एक नजर अपने नाना को देखा और बोला - कहानी थोड़ी लम्बी है और समय भी लगेगा सुनाने तो क्यू ना आप ये समय काटने मे हमारी मदद करो ?
रन्जू - मदद ? मै समझी नही
राज आगे बढ़ कर अपना लन्ड उसके आगे हिलाते हुए - हा इसे चुस्कर हिहिहिही
रंजू थोड़ी शर्माई- धत्त
राज ने आगे बढ़ कर अपना मुसल उसके होठ से स्पर्श कराने लगा । राज के सुपाड़े से आती गन्ध ने रन्जू के जिस्म मे सरसरी सी होने लगी ।
रंजू ने हौले से मुह खोलकर सुपाडा को मुह ने भरा और राज को कहानी सुनाने का इशारा किया
वही बनवारी भी अपने नाती राज की बातों मे उलझाने की कला पर मुस्कुराता हुआ अपना मुसल मसलने लगा ।
राज के घर
बबिता के मोबाईल मे घुउऊ घुउउऊ होता है
राहुल - लो आ गया तुम्हारा बाबू हिहिही चलो तुम बात करो मै चलता हूँ
बबिता ने फोन काट कर मोबाईल ऑफ कर दिया - नही मुझे नही बात करनी उससे
राहुल ने अचरज से आंखे बड़ी कर उसकी ओर देखा तो बबिता हस कर - मतलब बस अभी के लिए नही करनी है , वो फिर से तस्वीरें मागेगा ।
राहुल - तो भेज दो ना क्या दिक्कत है
बबिता - नही अब नही ? उसे भी तड़पने दो जैसे मै यहा ...।
बबिता बोलते बोलते रुक गयी और शर्मा कर मुस्कुराते हुए नजरें फेर ली ।
राहुल हस कर - अरे तो तुम भी उस्से तस्वीरें माग लो ना
बबिता आंखे बड़ी कर उसकी ओर देखते हुए हस पड़ि- हिहिहिही क्या ? नहीईई
राहुल - अरे तुमने ही तो कहा कि तुम भी तड़प रही हो
बबिता - हा तो उस्का मतलब ये थोड़ी ना हुआ कि मुझे वही चाहिये
राहुल - क्यूँ उसको देखने मे क्या बुराई है , शकल अच्छी नही है क्या उसकी ?
बबिता हस्ते हुए रुक गयी - एक मिंट तो क्या तुम उसके चेहरे के बारे मे ...
राहुल ने एक बार फिर बबिता को अपने शब्दो के जाल मे लपेटता हुआ - हा तो ? इसका मतलब तुम अपने बॉयफ्रेंड के उसके बारे मे सोच रही थी , छीईईई
बबिता शर्मिंदा होकर हस्ती हुई - क्या ? नही !! मै भी उसके चेहरे के बारे मे ही कह रही थी
राहुल - चल झूठी, एक नम्बर की ठरकी हो तुम
बबिता - हा हूँ मै ठरकी तो ?
राहुल हस कर थोड़ा दुर होता हुआ अपने खुली हुई शर्ट की कालर के बटन बन्द करता हुआ - दूर रहो मेरे से
बबिता खीझकर हस्ती हुई - अब बस करो यार मेरा मजा लेना
राहुल हसते हुए बुदबुदाया - अभी लिया ही कहा मजा , दोगी तब ना
बबिता ने उसकी हल्की फुल्की भुनभुनाहट सुनी और उसकी ओर आगे बढ कर - क्या बोले तुम
राहुल - क्या मै ? नही तो !!
बबिता एक कदम और उसकी ओर बढती हुई - नही नही तुम बोले अभी अभी , सच बताओ
बबिता उसकी ओर उन्गली किये हुए आगे बढ़ रही थी और राहुल पीछे जा रहा था
उसी वक़्त घर के लोग बाजार से लौट रहे थे ।
ज्यादातर लोग सड़क के किनारे थे और बातो मे उलझे हुए थे , वही अरून और गीता साथ मे बात करते हुए आगे बढ़ रहे थे कि घर जे करीब आते ही गीता की नजर बाल्किनी मे गयी , जहा उसे बबिता राहुल की ओर उंगली किये हुए दिखी ।
उसने झट से अरून को इशारा किया कि जल्दी कुछ करना पड़ेगा लगता है दोनो मे फिर से झगड़े हो रहे है ।
अरून ने गीता को इशारे से कहा कि सबको उलझाये रखे ताकि कोई उपर ना देखे और वो तेजी से घर मे घूस कर भागते हुए हुए वो जीने से उपर हाल मे पहुचा और गलियारे से हाफ्ते हुए जैसे ही बाल्किनी मे आया ठिठक कर रह गया ।
वो अभी पहुचा ही था कि बमुश्किलन एक से डेढ़ मिंट की देरी मे भागती हुई गीता भी उसके पास खड़ी हो गयी और हाफ्ते हुए - क्या हुआ ? हुउउह अभी भी लड़ रहे है क्या दोनो ! उम्म्ंम
अरुण ने मुस्कुरा कर गीता को बाल्किनी से लगे स्पेयर रूम की दिवाल से चिपककर खड़े दोनो की ओर दिखाते हुए मुस्कुरा कर बोला - ह्म्म्ं देखो ना बड़ी प्यारी लड़ाई हो रही है ।
गीता ने गरदन आगे कर कोने मे देखा तो उसकी आन्खे बड़ी हो गयी और वो शर्मा कर मुस्कुराते हुए सीधी खड़ी हो गयी ।
अरुण ने उसका हाथ पकड़ा और वो कापने लगी ।
गीता की चढती सासे और कापते लहजे मे - म मम्मी लोग निचे ही है अरुण !
अरुण उसको पास खिंच कर - तो ?
गीता थुक गटक कर उसकी ओर देखा और अरुण ने उसके फड़फडाते रसिले होठ की ओर आगे बढने लगा ।
अरुण के नथुनो से आती गर्म हवा अपने होठ के पास मह्सूस कर गीता ने आंखे बन्द कर ली और अरुण ने अपने होठ उसके होठ से जोड़ लिये ।
गलियारे इस छोर पर दोनो एक दुसरे की बाहों मे लिपटे हुए एक दुसरे के होठ चुबला रहे थे और वही बाल्किनी के बरादमे मे एक कोने बबिता की एक टांग को उठाए हुए उसके पीठ पर हाथ फेरता हुआ राहुल बबिता के लिप्स चुस रहा था और बबिता ने उसके चेहरे को अपने दोनो हाथो से जकडे हुए उसके उपरी लिप्स चुबला रही थी ।
तभी उन्हे निचे से कुछ आहट सुनाई दी और राहुल ने बबिता को खुद से अलग किया फिर हौले से फुसफुसाया - शायद निचे सब आ गये है
बबिता ने अपने होठ पोछते हुए मुस्कुराई ।
राहुल भी मुस्कुरा कर उसके गाल चुमकर उसकी कमर से हाथ सरका कर उसकी कलाई जकडता हुआ आगे बढा - चलो चलते है यहा से किसी को शक हुआ तो ....
तभी उसके पाव थम गये जैसे ही उसकी नजर गलियारे के छोर पर खड़े अरुण और बबिता की चल रही फ्रेंच किस पर गयी ।
वो और बबिता ने मुस्कुरा कर एक दूसरे को देखा और बबिता ने गला खरास कर - ऊहु !! जगह मिलेगी क्या लव बर्ड्स , हमे उधर जाना है
बबिता की आवाज सुनते ही दोनो अलग हुए और शर्म से मुस्कुराने लगे ।
बबिता ने गीता को देखा और बोली - हम्म्म्म नाइस चॉइस
गीता शर्मा कर अरुण की ओर देखा और हसने लगी
तभी जीने से औरतों के उपर आने ही आहट हुई ।
राहुल - यहा हमारा यूँ साथ रुकना ठिक नही , चल अरुण चलते है
फिर राहुल और अरुण इससे पहले बाकी औरते उपर आती झट से जीने से होकर सबसे उपर चले गये और गीता बबिता बाल्किनी मे हो गयी ।
बबिता मुस्कुरा कर - कबसे चल रहा है ?
गीता - क्या ?
बबिता - वही तुम्हारा और अरुण का ?
गीता हस कर -मेरा छोड़ तु बता तू और राहुल कैसे एक साथ ?
बबिता शर्मा कर हसते हुए - इतना भी बुरा नही है वो हिहिही और तेरा अरुण तो बड़ा शर्मिला था ना
गीता हस कर - हम्म्म्म इतना भी अच्छा नही है वो हिहिहिही
बबिता ने भी हस उसको कन्धे से हग किया - तो क्या सोचा है कल हम घर जा रहे है ?
गीता - पता नही यार यहा तो मिलना मुश्किल सा है ? मुझे तो बहुत तड़प हो रही है उसकी
बबिता उसकी खिन्चाई करते हुए - हिहिही किसकी ?
गीता - छोटे बाबू की हिहिहिही
बबिता - हाहाहहा
वही छत पर पीछे की ओर
अरुण - अरे यार लेकिन जब मैने निचे से देखा तो वो साली तेरे पर भड़की हुई थी और उपर आया तो अलग ही कहानी चल रही थी , कैसे ?
राहुल हस कर - कैसे ?
अरुण जिज्ञासु होकर - हा कैसे ?
राहुल अरुण की उलझन भरी उस्तुकता पर मुस्कुराने लगता है
कुछ देर पहले....
"सच सच बताओ तुमने क्या बोला अभी " , बबिता ने उसकी ओर उन्गली पॉइंट करते हुए बोली ।
राहुल हसता हुआ - सच मे बोल दू
बबिता - हम्म्म बोलो
राहुल - पक्का ना ?
बबिता ने आंखे बढ़ी कर - पक्का !! मतलब
राहुल - आई लव यू टू
बबिता चौकी - हैं? मै कब बोला आई लव यू ?
राहुल - अभी तो बोली
बबिता - कभी
राहुल - अभी ? और तुमने किस देने के लिए पक्का कहा तो ही मै बोला आई लव यू टू
बबिता चौक कर सीधी खड़ी हुई - क्या ?? मै कब बोली
राहुल - रुको बताता हु इधर आओ थोड़ा
राहुल बबिता को उसके दोनो बाजू से पकड के बाल्किनी की रेलिंग से दुर बरमादे की दिवार के पास लाया
बबिता - हा तो कब मैने त उउउऊमम्म
इससे पहले बबिता कुछ बोलती राहुल ने उसके होठ से अपने होठ जोड़ लिये और एक जोर की किस्स करके हट गया - हो गया कर लिया ।
बबिता - ये सब क्या था
राहुल - अभी तुमने ही तो कहा किस्स करो मुझे
बबिता खीझती हुई - तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने है मै क्यू कहुन्गा , और कबसे तुम उलुल जुलुल बके जा रहे हो
राहुल - अरे रुको रुको तुम समझ नही रही , ये सब तुम मेरे ख्यालों मे बोल रही थी ।
"पहले तुमने आई लव कहा"
"फिर मैने पूछा कि किस्स दोगी ना
तो तुमने कहा हा दूँगी
मैने पूछा पक्का तो तुमने भी बोला पक्का "
बबिता - लेकिन कब तुम ख्याल मे चले गये थे
राहुल - उम्म्ं शायद जब तुम मेरी तरफ बढ़ रही थी और मै तुम्हे देख कर एक दम से खो सा गया , तुम्हारे शब्द मेरे जहन मे कुछ और ही सुनाई दे रहे थे ।
बबिता समझ गयी कि ये सब इसकी चालाकी थी और वो इम्प्रेस भी थी ।
"नही मुझे कोई प्रोब्लम नही है खुले मे "
राहुल ने अपनी भौहे सिकोडी और कुछ सोचकर - क्या मतलब प्रोब्लम नही है खुले मे
बबिता ने लपक कर उसकी कालर पकड़ी और बोली - दरअसल अभी अभी मैने भी एक ख्याल देखा और तुम्हे मजा चखाना ही पड़ेगा अब
राहुल को लगा कि उसकी चालाकी पकड़ी गयि और अब ख्याल के बहाने बबिता उसे जरुर पिटेगी ।
बबिता ने अपने पन्जे उसके कनपटी पर जकडते हुए हल्का सा दबाया ।
राहुल ने दर्द का सोचा और आंखे भींच कर सीसक मगर दर्द हुआ नही उसको ।
तभी उसके होठो पर एक नरम रुई के फाहो सी हल्की स्पर्श ने उसका जिस्म पिघला दिया ,
अलगे ही पल उसके उपरी होठ बबिता के होठ के कब्जे मे थे जिन्हे वो खिंच रही थी और राहुल की सक्रिय इन्द्रियों ने उसे सारा माजरा समझा दिया ।
उसने हाथ आगे बढा कर उसको कमर से पकडते हुए अपनी ओर खिंच लिया ।
उसके कुल्हे सहलाते हुए उसकी टांग उठा कर उसके निचे होठ चुबलाने लगा ।
अरुण उसको हिला कर -क्या हुआ भाई कहा खो गया
राहुल मुस्कुरा कर - कुछ नही यार
अरुण - साले तेरा पैंट बता रहा है बहुत कुछ बात है हिहिहिही
राहुल अपने पैंट मे कसमसाते मुसल को पकड़ कर भिंच कर उसको सेट करता हुआ - हा भाई मस्त रसीली है यार , फुल एक्सपिरिय्ंस वाली है
अरुण - तो क्या सोचा है , उसका एक्सपिरिय्ंस बढाने मे उसकी मदद नही करेगा
राहुल मुस्कुरा कर - हा भाई वही सोच रहा हु कैसे होगा ?
अरुण - आज रात कौन कहा सोयेगा , सारा खेल इसपे ही निर्भर है
राहुल अपनी भौहे तान कर कुछ सोचता हुआ - हम्म्म और इसकी तैयारी हमे अभी से करनी पड़ेगी । चल
अरुण - लेकिन कहा ?
राहुल - चल ना
फूलपुर 2.0
"आह्ह जमुना बहू सीईईई उम्म्ंम्म्ं क्या तेज औरत है रे तूउउऊ उम्म्ंम "
"आअह्ह्ह ताई अपनी चुचियॉ कितनी मुलायाम है " , राज रन्जू के चुचे मे लन्ड घिस रहा था , जबकी उसके मुह बनवारी का मोटा मुसल भरा हुआ था
रन्जू - अह्ह्ह मुन्ना उह्ह्ह आराम से उम्म्ंम्ं छील डालेगा क्या मेरे जोबन को उम्म्ंम्ं उफ्फ्फ
राज झुक कर ताई के चुचे उपर कर उसको चुबलाता हुआ - उम्म्ं ताई ये बहुत रसिले है अह्ह्ह आजाओ अब
राज बिस्तर पर पैर खोलकर लेट गया , उसके हाथ मे उसका लन्ड फनफना रहा था और रंजू की बुर भी बुरी तरह से लन्ड के पानी बहा रही थी ।
वो उठ कर खडी हुई और राज के दोनो पैरो के दोनो तरफ पैर फान्द कर उसकी ओर अपनी बड़ी सी गाड फेकते हुए उस्का तना हुआ लन्ड पकड कर अपने बुर मे भरती हुई हचहचा कर बैठ गयी ।
रन्जू के भारी शरीर और खुली बुर मे राज का मुसल फड़फडा हुआ बच्चेदानी तक ठोकर मारने लगा वही रन्जू आगे झुक कर राज के लन्ड पर उछलने लगी और राज के लन्ड को अपनी बुर मे कसने लगी
राज हाथ आगे बढा कर रन्जू के फैली हुई चर्बीदार गाड़ को सहलाता हुआ - अह्ह्ह ताई क्या मस्त गाड़ है उम्म अह्ह्ह ऐसे ही उह्ह्ह और लोह्ह्ह उम्म्ंम आह्ह
रंजू - अह्ह्ह लल्ला तेरा लन्ड बहुत टाइट है रे उम्म्ं अह्ह्ह अह्ह्ह इह्ह्ह्ह
बनवारी भी खड़ा खड़ा क्या ही करता वो भी बिस्तर पर आगे बढ़ कर रंजू के अपना लन्ड परोस दिया
रंजू बनवारी का मुसल पाते ही भुखी शेरानी के जैसे झपट पड़ी
निचे से राज भरसक अपने कुल्हे सख्त कर उन्हे उचकाने की कोसिस करता मगर रन्जू के भारि शरीर के आगे उसकी एक ना चली और रन्जू आराम आराम से ठहर थहर कर बनवारि का मुसल चुस्ते हुए राज के लन्ड पर मथने लगी
बनवारी उसके बालो को पकड कर अपना कड़क लन्ड उसके गले तक ले जाता हुआ - उह्ह्ह जमुना बहू उम्म्ंम्ं और लेह्भ्ह्ह अह्ज बेटा पेल ना इसको रुका क्यू है उम्म्ंम
राज नाना के शब्द सुन लार थोडा जोश मे आया और घुटने फ़ोल्ड करता हुआ नीचे से गाड़ झटकने लगा
ओक्क्क ओक्क्क उह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईई उम्मममंं अह्ह मन्ना आराम से ऊहह उम्म्ंम " , रंजू ने गले से बनवारी का मोटा लन्ड निकालते हुए सिसकी ।
राज -ऊहह ताई मत रोको उम्म्ंम सीईई अह्ह्ह्ह और लोइह्ह्ह उन्म्म्ं आयेगा उम्म्ंम्ं उम्म्ंम अह्ह्ह्ह्ब
अगले ही पल राज भ्चभ्चा कर रंजू के बुर मे फब्बारा छोड़ने लगा और थक कर चूर हो गया ।
रंजू ने मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा और वैसे ही बैथी हुई बनवारी का मुसल चुसने लगी
बनवारी उसके गाल दुलराता हुआ - उधर चले हम लोग
रंजू ने हामी भरी और बनवारी सोफे पर टेक लेके बैठ गया और रंजू ने उसके घुटने के पास बैठ कर उसका मुसल चुबलाने लगी ।
बडे बडे झूलते आड़ो से लेकर भूरे हो चुके सुपाड़े की टिप तक रंजू अपनी जीभ फिरा रही वही निचे से उसकी जांघ पर राज का विज उसकी बुर होकर रिस रहा था ।
उसकी बड़ी सी फैली हुई गाड़ अभी भी राज की ओर मुह किये थे , ये नजारा देख कर एक बार फिर राज मुसल सिर उठाने लगा ।
वही रन्जू उठ कर बनवारी के लन्ड को पकड कर उसकी ओर मुह कर उसके लन्ड पर बैठ गयी ।
एक बार फिर बनवारी जन्न्त की सैर करने लगा , रंजू ने बड़ी अदा से अपने कुल्हे हिलाती हुई लन्ड को अपनी गीली बुर मे मरोड रही थी
बनवारी उसके चुचे पकड कर उन्हे मसलते हुए अपने जज्बात बाट रहा था
वही राज लन्ड एक बार फिर से तैयार हो चुका था
धीरे धीरे उसने अपनी चमडी खोली और सामने का नजारा देखते हुए अपना मुसल सहलाने लगा
वही बनवारी की तडप बढ़ रही थी , उसने रंजू को अपनी ओर खिंच कर निचे से कमर उछल कर तेज झटके मारने लगा
अह्ह्ह मह्ह्ह उह्ह्ह बाऊजी उम्म्ंम्ं ओह्ह ऐसे ही उम्म्ंम और पेलो उम्म्ंम फाडो इसे उह्ह्ह अह्ह्ह बाऊजी उम्म्ंम्ं
बनवारी रंजू के जोश से और उतावला होकर लन्ड की नसे तान कर तेज लम्बे धक्के उसकी बुर मे देने लगा
वही सामने का नजारा देख कर राज से अब रहा नही गया
उसकी नजर नाना के तेज झटके से हिलकोरे खा रही गाड़ पर जमी हुई , उसने आस पास नजर मारी तो उसकी नजर कमरे की खिडकी पर रखी हुई तेल की शिसी पर गयी ।
उस्का दिल बाग बाग हो गया । वो जल्दी से उठा और खिड़की से तेल लेके उसको लन्ड पर लगाते हुए उसको मसलने लगा ,
जल्द ही उसका मुसल फिसलने लगा और चीकना होकर चमक गया
उसने आगे बढ कर रंजू की फैली हुई गाड़ के पीछे खड़ा हो गया और उसके गाड़ के मोटे चर्बीदार चुतड सहलाते हुए अपना चिकनाया मुसल सहलाने लगा ।
राज का स्पर्श अपने गाड़ पर पाकर रंजू भी सिहर गयी
राज ने अंगूठे से उसकी हिलती गाड़ के दरारो मे जगह बनाई और उसके सुराख पर टिका दिया
रन्जू सिसकी और राज का इरादा भाप गयी
उसकी सासे और चढने लगी , राज ने तेल की सीसी खोली और उसको रंजू के गाड़ के दरारो मे टपकाने लगा
तेल बुन्दे उसके गाड़ की खुजली को दुगना कर चुकी थी , राज अपना मुसल खोलकर सुपाडा उसके गाड़ के फाको के बिच घुसेड़ते हुए तेल मे अच्छे से रगड़ने लगा ।
रंजू - अह्ह्ह लल्ला उम्म्ंम आराम्म्ं से , निचे पहले से घुसा हुआ है मन्ना उन्म्ंं
राज - तुम चिंताआह्ह्ह ना करो ताई मै कर लूंगा उह्ह्ह क्या कसी ह्ही गाड़ है तुम्हारी उम्म्ंम
राज ने उसके गाड़ के छेद पर टोपा भिडाया और जोर देते हुए पचाक से लन्ड को भीतर ठेल दिया
अह्ह्ह ताईई उह्ह्ह्ह
ओह्ह्ह लल्लाआ उम्म्ंम
"आह्ह बेटा, ये तो सच मे कमाल हो गया है हाहहहा " बनवारी भी राज के लन्ड की घिसट मह्सूस कर बोला
राज - नानू आप थोड़ा ढीला रखना
और अगले ही पल राज ने एक तगड़ा झटका दिया जिस्से उसका मुसल सटाक से रन्जू के गाड़ ने भेद गया और जड़ मे अटक गया
रंजू अकड़ सी गयी - अह्ह्ह लल्लाआ उह्ह्ह्ह जल रहा अह्ह्ह उम्म्ंम बहुत मोटा है अह्ह्ह निकाल दे मुन्नाआ उम्म्ंम
बनवारी भी रन्जू का असहनीय दर्द और भिंचा हुआ चेहरा देख कर - हा हा बेटा निकाल दे दुख रहा होगा उसे
राज मुस्कुराया क्योकि ये उसके लिए नया नही था , उसने तेल की शिसी से अपने लन्ड के जड़ पर तेल टपकाने लगा जो धिरे धीरे रंजू के गाड़ के छल्ले पर फैलने लगा राज हल्का हल्का लण्ड मे हरकत करते हुए तेल गिराता
धीरे धीरे तेल की ठंडक भितर जाने लगी और रन्जू को राहत होने लगी , वही राज के लन्ड की हरकत से बनवारी का मुसल फिर से कसने लगा
राज ने मौका देख कर रन्जू के कुल्हे को थामते हुए वापस एक तेज झटका दिया
रंजू - अह्ह्ह सीईई उह्ह्ह उह्ह्ह
राज - ऊहह ताई क्या गर्म गाड़ है तुम्हारी उह्ह्ह मन कर ऐसे आह्ह ऐस अह्ह्ह ऐसे ऐसे ही उम्म्ं पेलता रहु , पेलता रहुऊ पेलता ही रहुउउऊऊऊऊ अह्ह्ह
राज उसके कुल्हे पकड कर कस कस उसकी गाड़ मे लन्ड भरने लगा और निचे से बनवारी को भी मजा आ रहा था , तो उसने भी हल्की फुल्की हरकत शुरु की ,
आगे झुकी रन्जू के चुचे मुह मे भरता हुआ उसने एक बार फिर से रन्जू की कमर मे हाथ डाल कर निचे से कमर उठाने ल्गा , जिससे रंजू की आंखे उलटने लगी
मानो दोनो मुसल के फुले हुए सुपाड़े एक साथ भितर जगह बना रहे थे , जैसे दो खीरा एक साथ ही उसके भितर घुसेडा रहा है
दर्द से ऐठ कर रंजू ने जोर से चीखी - उन्म्म्ं अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह
राज - आह्ह ताई बस्स हो गया ऊहह अब मजे लोह्ह उह्ह्ह
बनवारी निचे से झटके मारता हुआ उसकी चुचिया मिजता - अह्ह्ह बेटा तुने तो मजा ही ला दिया उह्ह्ह क्या मस्त तरिका खोज निकाला ओह्ह्ह्ह
रन्जू - उह्ह्ह सच मे ऐसा नशा मुझे पहले कभी नही हु , लग रहा है मेरे बुर और गाड की छील्ली पूरी फट जायेगीईईई उउउउऊ अह्ह्ह और पेलोह्ह जल्दी , बहू के आने का समय हो रहा है वो स्कूल ने अपने बेटी को लेने गयी है अह्ह्ह
रंजू की बात सुनते हिये दोनो नाना नाती ने एक साथ सुर मे ताल से ताल मिलाते हुए कस कस करारे तेज झटके रन्जू के गाड़ और बुर मे लगाने लगे
रंजू इस दोहरे मजे के आगे आंखे उलतती हुई झड़े जा रही थी उसका जिस्म उसके काबू मे नही था ना उसकी चिखे
अगले कुछ ही झटकों मे बनवारी ने अपनी कमर को उचका कर उसकी बुर मे लन्ड को रोक दिया और भीतर ही रंजू के पिचकारी छूटने लगी, एक तरफा राहत ने रन्जू को कुछ आराम था मगर राज कहा रुकने वाला
वो भी अपने चेहरे को भींचे हुए लन्ड को ताने हुए आज 10 इंच के खीरे भर की जगह उसकी गाड़ मे बनाने के इरादे सटासट पेले जा रहा था
ईईई आह्ह्ह्ह उह्ह्ह ताईई ओओओओ उह्ह्ह क्या मस्त गाड़ है ताईई उह्ह्ह उह्ह्व अह्ह्ह म्ममीईईईई उन्न्म्ं ऊहह आयेगा आयेगा उम्म्ंम फ्क्क्क फ्क्क्क्क येस्स्स हिहीही अह्ह्ह अह्ह्ह ताई कमाल हो तुम उम्म्म्म्माआआह्ह्ह
राज उसकी गाड़ मे झड़ते हुए उसकी पीठ पर ढह गया और उसको चुमते हुए बोला ।
"आह्ह बेटा उठ जा मै निचे दब रहा हु " , बनवारी स्बसे निचे से कराहते हुए बोला ।
राज - ओह्ह सॉरी नानू हिहिही
रन्जू - हट भाई तु दाँत मत दिखा , आह्ह मैयाअह्ह क्या हालत कर दी तुम नाना नानी ने मेरी
बनवारी रंजू के भारि शरीर का बोझ हलाक होते ही अपनी कमर तोड़ कर खड़ा होता हुआ उसके गुदाज चुतड पर हाथ फिराकर - अरे जानेमन हालत तो तुमने हमारी खराब कर दी , और ये छेद तुम पर उधार रहा कभी आना हुआ तो जरुर याद करेंगे
राज अपनी नाना की मस्ती पर हसते हुए कपडे पहनने लगा
वही रन्जू ने उठ कर वापस बाथरूम की ओर जाते हुए - अब जाओ भी, और दरवाजा लगा देना मै नहाने जा रही हु
राज - फिर से क्यू
रंजू अपने कुल्हे पर हाथ रख कर टीसे हुए स्वर मे - आह्ह मुए इतना दर्द दिया है और दोनो छेद भर दिये , और पुछ रहा है क्यू । जा अब बहु आती होगी ।
राज ने बनवारी को कपडे डालने का इशारा किया और वो झटपट से घर से बाहर निकल गये ।
"हाहाहाहा , वैसे तेरी कहानी सही थी । ताई मैने तो नानू को देख कर ही सब सिखा है " , बनवारी राज की मिमिकरी करने कोसिस करता हुआ बोला
राज खिलखिलाकर - हिहिहिही सही तो है ,आप मेरे गुरु ही हो
बनवारी - अच्छा जी
राज - तो कैसी रही ये वाली गुरु दक्षिणा हिहिहिही
बनवारी उसकी बात पर खिलखिलाकर हसने लगा और दोनो चमनपुरा की ओर बढ़ गये ।
जारी रहेगी
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 195
" अम्म्ं आह , बस भाईसाहब अब और नही प्लीज "
" अरे क्या नही नही , बस एक घूंट की बात है और ये खाली हुआ समझो " , कमलनाथ डगडगाते हुए हाथ से आईबी बोतल की शीशी से सुनहरी रस के जाम जंगी के गलास मे छलकाते हुए बोला ।
जंगी अधूरे मन से ग्लास पकड़ते हुए - क्या भाईसाहब आप जिद नही छोड़ेंगे हाहाहहा
कमलनाथ अपनी अधभरी हुई ग्लास को गटागट एक सास मे खाली करके खड़ा हुआ - लो भाई हो गया मेरा , चलो घर
जंगी उसकी हिलती और डगमगाती चाल देख कर हड़बडा कर - क्या भाई साहब कहा जाना है, हम लोग घर पे ही है
कमलनाथ ने भौहे सिकोड़ कर आसपास नजर घुमाई और फिर उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गयी - अरे हा , हिहिहिहिही हम तो घर मे ही है
जंगी समझ गया कि कमलनाथ को चढ गयी है और वो भी कम नशे मे नही था , उसकी भी हालत हर बीतते पल ढल ही रही थी ।
जन्गीलाल - अरे भाई साहब आप बैथिये और आज रात यही आराम किजीए , मै यहा खाना मगवा लेता हु ।
कमलनाथ झटके से उठने को हुआ मगर मानो उसकी एडिया मे किसी ने लोटा फसा दिया हो , ऐसे असन्तुलित होकर वापस सोफे पर लुढ़का - क्या ! नही नही भाई कल सुबह
जंगी - ओह भाई साहब आराम से
कमलनाथ ने खुद को झक्झोरा और आंखे बड़ी कर फैलाते हुए - यार जंगी , कल सुबह ही मुझे जानीपुर निकलना है और तुम्हारी भाभी कुछ दिन यहा रुकने वाली है अभी तो
रज्जो के रुकने का सुनकर जन्गी का लन्ड फडका - हा तो क्या दिक्कत है भाईसाहब कल सुबह चले जाना
कमलनाथ झुमते हुए - अरे तुम समझ नही रहे हो जन्गी भाई , ये तुम्हारी भाभी से मैने आज की रात का वादा किया था
जंगी - कैसा वादा
कमलनाथ - अरे आज रात मै उसको पेल.....
कमलनाथ ने अपने होठ रोक लिये और ना मे गरदन झटकते हुए- नही नही वो नही बता सकता ।
जन्गी मुस्कुरा कर - आप बताओ या ना बताओ भाई साहब हाहाहहा मै समझ गया
कमलनाथ हिचकी खाते हुए एक आंख उठा कर - हीई मतलब !
जंगी उसको सादे पानी का ग्लास देता हुआ मुस्कुरा कर - अरे भाई साहब ये बिवी से दुरी का गम हम भी झेल चुके है हाहहहा
जन्गी - लग रहा है आपने भी भाभी जी से प्यार का वादा किया था क्यू
कमलनाथ - काहे का प्यार , चोदने की तलब हो रही है बस
जन्गी उसकी बात सुन कर अपना लन्ड भिचआ हुआ - हा लेकिन वहा आपके ससुर जी भी है और बाकी मेहमान भी रुके है , क्या आपका इस हाल मे जाना उचित रहेगा
कमलनाथ की हालत खराब हुई - अरे हा यार , बहिनचोद पीने के चक्कर मे ये ध्यान नही रहा
जन्गी - इसीलिए तो कह रहा हु कि मै खाना मगवा दे रहा हु और आपकी तलब का भी कुछ इन्तेजाम कर ही देता हू
कमलनाथ की इन्द्रियां सतर्क हुई और वो आंखे बड़ी कर - वो कैसे जंगी भाई
जन्गिलाल एक शरारती मुस्कान बिखेर कर - अरे वो पार्लर वाली बॉबी है ना , एक फोन पर दौडी आयेगी रन्डी
कमलनाथ - क्या बॉबी ? नही नही , मेरे पास उससे अच्छा ऑप्शन है
जंगी की जिज्ञासु होकर - अरे वाह , कौन
कमलनाथ एक छोटी सी मुस्कुराहट के साथ - है एक और उसे कल रात मे ही हाहाहाह
जन्गी थोडा सोच मे पड गया कि ऐसा कौन है चमनपुरा मे जो कमलनाथ के एक बुलावे पर आ जायेगी , जबकि कमलनाथ इससे पहले कभी भी यहा आया नही था ।
कमलनाथ हिचकी खाता हुआ - कहा खो रहे है हीई , रुको मै फोन घुमाता हु वो आयेगी तो जान जाओगे
कमलनाथ ने जेब से मोबाइल निकाला और और फिर एक नम्बर डायल कर दिया ।
जन्गीलाल यहा बेचैन होने लगा कि कौन है और कमलनाथ से इसकी पेंच कैसे अटकी ।
रिन्ग जाने लगा तो कमलनाथ ने वाहवाही मे मोबाईल स्पीकर पर कर दिया
तभी उधर से फोन उठा - हा हैलो
कमलनाथ मुस्कुरा कर - कैसी हो जानू
उधर से भी इतराती हुई आवाज आई - मै ठिक हु और बड़ी देर से याद किया आपने
जन्गी को आवाज जानी पहचानी लगी मगर उसे चेहरा याद नही आ रहा था ।
वही कमलनाथ लन्ड मरोडते हुए - अरे मै क्या कह रहा हु अभी आ सकती हो क्या , यही पास मे ही बाजार मे !!
" क्या ? नही नही !! इस वक़्त मै कैसे आ पाऊंगी ?"
"अरे अब नखरे ना करो , आ भी जाओ ना तुम्हारे याद मेरा लन्ड फूला जा रहा है अह्ह्ह्ह " , कमलनाथ ने सिस्क कर कहा ।
"नही नही , इतना टाईम नही रात होने वाली है"
" क्या नौटंकी पेल रही है अरे लन्ड से पेलवा ले ना मेरे " कमलनाथ ने रुआबी कहा बोला ।
जन्गी को ये सही नही लग रहा था क्योकि कमलनाथ नशे मे था ।
तभी फोन पर दुसरी ओर से एक मर्द की आवाज आई - क्या कर रही हो संगीता , जल्दी चलो ।
नाम सुनते ही जन्गी समझ गया कि वो रंगी के सम्धी की बहन है और उसके लिए ये चौकाने वाली थी ।
" देखीये अभी आप होश मे नही है , हम कल सुबह बात करते है ओके बाय " , ये बोल कर संगीता ने फोन काट दिया ।
कमलनाथ - अरे सुनो तो , धत्त मादरचोद साली ।
जन्गी अचरज से मुस्कुरा कर - कमलनाथ भाई , अरे ये समधी की बहन को कब और कैसे
कमलनाथ मुस्कुरा कर - अरे वो खुद साली चुदने आई तो मै क्या करता हिहिही पेल दिया
जन्गी - लेकिन कब
कमलनाथ - अरे जब सब खाना खाने के लिए गये थे उसी समय हाहाहा ,मस्त रसभरी माल है । आ जाती तो हम दोनो की रात बन जाती ।
जंगी - अच्छा कोई बात नही , अब आप आराम करिये मै फोन करके खाना मगा लेता हु
कमलनाथ वही हाल मे सोफे पर बैठा हुआ अपना कुर्ता निकाल कर बनियान और पजामे मे आ जाता है ।
उस्का लन्ड अभी तक उसके पजामे मे तम्बू ताने हुए खड़ा था ।
राज के घर
आज किचन वापस से राज के घर मे शिफ्ट हो गया था ।
किचन मे सुनीता मामी ,शालिनी के साथ साथ निशा और रीना भी थी ।
इधर रंगीलाल अपने ही कुछ काम से घर के बाहर गया हुआ था और वही गेस्टरूम मे रागिनी रज्जो और शिला की हसी ठीठौली चल रही थी ।
उपर अनुज के कमरे मे राहुल अरुण , गीता बबिता और अनुज सब उसके लैपटाप मे एक मूवी देख रहे थे ।
मूवी पर ध्यान सिर्फ अनुज का ही था , बाकी चार बस अपने ही काम मे लगे थे ।
अनुज बीच मे बैठा था और उसके दोनो तरफ गीता बबिता थी । जबकी गीता के सट कर उसकी ओर हल्का सा झुक कर अरुण था और इसी तरह बबिता की ओर राहुल भी झुका हुआ था ।
राहुल के सरारती हाथ बबिता की पीठ पर पीछे से उसके टीशर्ट मे घुस कर रेंग रहे थे , जिससे बबिता बहुत कामोत्तेजित हुई जा रही थी , वो आम्खे बड़ी कर राहुल को डांट लगाने को भी कहती मगर राहुल बड़ी बेहूदगी मे दाँत दिखा कर हस देता ।
वही अरुण को अनुज का थोड़ा डर था , इस मामले मे गीता निडर थी चादर के निचे वो अरुण की उंगलियों से खेल रही थी और अरुण का मुसल फनफना रहा था ।
धिरे से उसने अरुण का हाथ पकड कर अपनी जांघ पर रख दिया और वो आंखे बन्द कर एक गहरी सास लेकर खुद को थामने लगा ।
गीता मुस्कुराइ तो अनुज को उसकी कुनमुनाहट सुनाई दी वो घूम कर एक बार गीता को मुस्कुराते देखा और वही गीता के साथ अरुण की भी फट गयी ।
अनुज - क्या हुआ दीदी
गीता हस कर -कुछ नही मूवी मस्त है हिहिही है ना बबिता
बबिता - अह हा हा , हिहिही बहुत मजेदार
राहुल - तो क्यू ना आज रात हम लोग मूवी ही देखे हिहिहिही
अरुण ने उसकी हा मे हा मिलाया - हा हा क्यू नही मजा आयेगा ।
बबिता राहुल का इशारा समझ गयी , वो भी जान रही थी बजाय वो अपनी मा या घर के किसी बडे के साथ सोये , उस्से अच्छा है अनुज के साथ मूवी देखने के लिए रुक जाये , कही ना कही उनका प्लान कारगर जरुर होगा ।
गीता - हा हा , हम लोग सब देखेंगे सारे भाई बहन एक साथ हिहिहिही
गीता की बात पर राहुल बबिता और अरुण ने चौक कर उसकी ओर देखा और हसने लगे ।
राहुल धीरे से बबिता के कान मे फुसफुसाया - ये तो अभी से मुझे बहनचोद बना देगी
बबिता को राहुल की बात पर हसी आई और उसने अपनी कोहनी को उसके पेट मे चुबो कर चुप रहने का इशारा किया ।
वही गिता को भी समझ आया कि वो क्या बोल गयी और वो भरे लाज मे गरदन घुमा कर अरुण की ओर देखा और हल्का सा होठ से बुदबुदाइ - सॉरी
अरुण ने आंखो से उसको ओके बोला और फिर वापस से सारे लोग मूवी देखने लगे
वही नीचे घर के गेट से राज और बनवारी घर मे दाखिल हो रहे थे ।
राज हाल मे आता हुआ उसकी नजर सबसे पहले मामी पर गयी - अरे मामी , जरा नानू को पानी देना और मुझे भी थोड़ा
राज की आवाज सुनते ही रीना ने गरदन झटक कर उसकी ओर देखा और खुद से खडी होकर पानी देने के लिए उठ गयी ।
राज और बनवारी फ्रेश होने के लिए राज के कमरे मे चले गये ।
बनवारी को जोरो की मूत आई थी तो वो जल्दी से बाथरूम मे घुस गया और राज भी अपना पैंट निकाल कर आलमारी से लोवर खोजने लगा ।
"आज कुछ नही मिलेगा देवर जी ऐसे ही रहो , हिहिहिही
राज चौक कर घुमा तो कमरे मे रीना ट्रे मे पानी और मीठा लेके आई थी ।
राज - मतलब , कहा गये मेरे कपडे
रिना हस कर - वो सब सुखने के लिए उपर गये है , आज मौसी जी ने दोपहर मे धूल दिये थे ।
राज - तो क्या मै ऐसे ही रहु
रिना ने राज के अंडरवियर मे सो रहे थे लन्ड की उभार को देख कर मुस्कुराइ- ऐसे भी अच्छे ही दिख रहे हो देवर जी , बस अपनी बहनो से दुर रहना हिहिहिही
राज रिना का दोहरे अर्थ वाला मजाक समझ गया और इससे पहले कुछ जवाब देता बाथरूम से बनवारी बाहर आ गया ।
राज - भाभी प्लीज मेरे कपडे लेते आओगी प्लीज मै फ्रेश होने जा रहा हु
रिना ने बनवारी के आगे राज का लिहाज किया और नजरे नीची कर मुस्कुराती हुई हा मे सर हिलाकर पानी का ट्रे का वही रख कर निकल गयी ।
इधर राज फ्रेश होकर पानी पिया और थोड़ा बैठा रहा , वही बनवारी मौका पाते ही करवट लेकर लुढक गया ,
रन्जू को जबरजस्त पेलाई और लम्बी पैदल यात्रा से उसकी थकान ने जल्द ही नीद मे ले लिया ।
करीब 15 मिंट बाद रिना ने राज के कमरे का दरवाजा खटखटाया । राज ने एक नजर सोते हुए बनवारी पर डाली और हल्का सा दरवाजा खोल कर उसकी कलाई पकड कर भीतर खिंच लिया ।
" अरे अरे , आराम से हिहिहिही "
" अब कितना आराम से मुझसे तो अब रुका नही जायेगा , कल तो वैसे भी निकल जाओगी आप " , राज ने रीना को अपनी बाहो मे भरते हुए कहा
रिना राज की बाहो मे कसम्साती हुई - आह्ह देवर जी , नाना जी यही है देखो तो अह्ह्ह प्लिज
राज आगे लपक कर रिना के गुदाज गालो को काटता चुमता हुआ - अरे वो सोये है उन्हे सोने दो , आओ ना थोड़ा साह्ह्ह उम्म्ंम्ं उम्म्ंम
तभी बाहर से शालिनी ने रिना को आवाज लगाई और रीना हड़बड़ाती हुई - रात मे देखती हु देवर जी प्लीज , देखो छोटी मौसी बुला रही है ।
राज ने भी रिना चुतड मसले और उसके गरदन के पास चुमता हुआ उस्को छोड़ देता है और फिर अपना लोवर पहनते हुए एक नजर अपनेनाना को देखता है जो अभी भी उसी तरह करवट लिये नीद की आगोश मे थे ।
अमन मे घर
पूजन विधि सब पूर्ण हो चुकी थी ।
सारे लोग हाल मे नास्ते के लिए एकजुट हो रहे थे । रात के खाने की भी तैयारी हो रही थी ।
दुल्हन को अमन के कमरे मे भेज दिया गया उसके नास्ते भी पहुचा दिये गये ।
हाल मे चाय की चुस्की और नरम कुरकुरे पकोड़े कचोरियां नोची जा रही थी , वही भोला और ममता के बीच अलग ही आंखो के इशारे हो रहे थे ।
मगर मुरारी की नजरे संगीता की हरकातों पर जमी हुई , उसका चहकना खिलखिलाना रास नही आ रहा था ।
ममता की नजर मुरारी पर गयी और उसको शान्त देख कर वो भी थोड़ा चुप हुई कि आखिर इन्हे हुआ क्या है , कल से ये खोये खोये है ।
मौके की नजाकत को देख कर वो उठी और मुरारी को इशारा कर कमरे की ओर चलने को कहा
मुरारी उठ कर धीरे से हाल से हट कर गलियारे की ओर आया वही मुहाने पर ही ममता खड़ी थी ।
मुरारी - क्या हुआ क्या बात है ?
ममता - क्या जी आप ऐसे खोये खोये क्यू हो ? कोई बात है क्या ?
मुरारी अपने चेहरे की सिकन मिटाते हुए - नही तो , भला कोई बात होती तो बताता नही , बस थोड़ी थकावट सी है सोच रहा हु आराम कर लू जब तक खाना बन रहा है ।
ममता - आपको तो खुद ही पड़ी रहती है , जरा भी अपने बेटे के बारे मे नही सोचते ?
मुरारी ने एक नजर अमन को हाल मे बैठे हुए मोबाइल चलाते देखा - क्या हुआ उसे , कोई दिक्कत ?
ममता मुस्कुरा कर अपनी भीतर की शरारत को छिपाती हुई - क्या आप भी , अरे आज उसकी सुहागरात है ना !!
मुरारी अपने माथे पर बल देता हुआ - हा तो ?
ममता थोडा लजाती हुई हस कर - तो !! अरे उसको कुछ बतायेन्गे समझाएंगे नही क्या ? हिहिही
मुरारी चौक कर - क्या ? मै !!
ममता - हा तो क्या मै ? अरे आप बाप हो उसके तो कौन बतायेगा समझायेगा , आज से उसका नया जीवन शुरु होने वाला है ।
मुरारी को अजीब सा मुह बनाकर - लेकिन अमन की मा , मै कैसे ? वो बेटा है मेरा ?
ममता अपने होठो मे हसी को दबाती है मगर उसके गुलाबी चेहरे के लाल होते गाल और मुस्कुराते होठ उसके भीतर उठ रही गुदगुदाहट को साफ बयां कर रहे थे - हा तो क्या , आपके बाऊजी ने आपको नही बताया था ? उम्म्ं
मुरारी थोड़ा सोच मे पड़ गया मगर तभी उसकी नजर ममता के चेहरे पर गयी जो भरसक अपनी हसी मुह ने भरे हुए थी मगर सीले होठ से मुस्कुराए जा रही थी और उसे देख कर मुरारी भी मुस्कुरा देता है - अच्छा , तो मेरा मजा ले रही हो
ममता हसते हुए - अरे नही नही मजाक नही, सच मे
मुरारी - अरे लेकिन उसको क्या सिखाना , आज के जमाने के लड़के ये सब जानते है भई , प्लीज मुझे इनसब मे ना लपेटो
ममता मुरारी का मजा लेती हुई - अब आपसे ना कहू तो किस्से कहू , अगर देवर जी ने शादी की होती तो उनसे बोल भी देती , मगर उनके पास कोई अनुभव नही है ना हिहिहिही
मदन का नाम आते ही मुरारी थोडा चिढा और भन्नाते हुए - क्यू नही अनुभव है , बोल दो उसको समझा देगा वो ही
मुरारी का यूँ चिढ़ना ममता को अजीब लगा - अरे आप तो नाराज हो रहे है , आप ही जाओगे अमन से बात करने हिहिहिही मै देवर जी को नही कहूँगी हिहिही
ममता की शरारत भरी खिलखिलाती हसी देख कर मुरारी भी अपने गुस्से को थुक कर हस पड़ा - तुम ना बहुत
ममता - क्या ?
मुरारी हसता हुआ - कुछ नही
ममता हसने लगी - आप कमरे मे जाईये उसे भेजती हु
मुरारी ने एक गहरी सास ली और ममता को सहमती देकर कमरे की ओर बढ़ गया ।
वही ममता मुस्कुरा कर हाल मे आती है और अमन के पास जाती है , जो सोफे पर बैठे हुए सोनल से मस्ती भरी चैटिंग कर रहा था ।
ममता अमन के पास आकर उसके कान मे धीरे से कमरे मे जाने को बोलती है ।
अमन अचरज से अपनी मा को देखता है तो ममता धिरे से बोलती है - जो तेरे पापा बोले सब सुन लेना बहुत सवाल जवाब मत करना मेरी तरह ।
ये बोलकर ममता मुस्कुराने लगी और अमन संशय मे अपने पापा के कमरे की ओर बढ़ गया ।
उसको एक अजीब सी घबराहट हो रही थी , ना जाने क्या बात हुई होगी जो ऐसे समय पर बात करने के लिए अकेले मे बुलाया ।
दुविधा की घडी सिर्फ अमन के लिए ही नही बल्कि मुरारी के लिए भी थी और वो भी बेचैन होकर कमरे मे इधर उधर टहल रहा था ।
अमन कमरे मे दाखिल हुआ और उसने अपने पापा को परेशान होकर कमरे मे परेड लगाता देख कर थोडा और डरने लगा ।
उसे यकीन था कि मामला कुछ गम्भीर ही है , अभी थोड़ी देर पहले उसने छत पर भी अपने पिता को परेशान देखा था ।
अमन दबी हुई आवाज मे - हा पापा आपने बुलाया
मुरारी ने अमन की ओर देखा और परेशान चेहरे पर जबरदस्ती मुस्कुराहट लाता हुआ - अरे बेटा तुम आ गये आओ बैठो ।
अमन आधे आधे कदम चल कर कमरे मे सोफे की ओर बढ़ गया ।
मुरारी - और सब कैसा चल रहा है बेटा
अमन को अजीब लगा कि एक तो उस्का बाप खुद परेशान नजर आ रहा है और खुश होने का नाटक कर रहा है उसपे से अजीबोगरीब ढंग सवालात कर रहा है ।
अमन - मै समझा नही पापा
मुरारी ने खुद को कोसा कि वो क्या उलुल जुलुल बातो को घुमा रहा है
मुरारी ने एक गहरी सास ली और अमन के करीब बैठ कर बिना उसकी ओर देखे - बेटा आज से तुम्हारी लाइफ एक नये सिरे से शुरु होने वाली है । आज तक मेरे और तुम्हारी मा के तुमपर पहले हक थे मगर अब से वो पहला हक तुम्हारी पत्नी का हो जायेगा ।
अमन - क्या पापा आप इस बात को लेके परेशान हो , प्लीज ऐसा कुछ नही होने वाला । माना कि हमारी लव मैरिज हुई लेकिन आप दोनो की जगह कोई नही ले सकता ।
मुरारी - अरे नही बेटा तुम मेरी बात तो सुन लो पहले
अमन - हम्म्म कहिये
मुरारी अटकते हुए स्वर मे - वो दरअसल बेटा ... अह मै कैसे बोलू अब
अमन अपने पापा की ओर देख कर - पापा !! आप संकोच ना करिये प्लीज और कहिये जो आपके मन मे है ।
मुरारी ने आत्मविश्वास झलकते अमन की आंखो मे देखा और मुस्कुरा कर बोला - पता है जब मेरी शादी हुई थी और सुहागरात पर मै और मेरे पिता जी भी ऐसे ही एकान्त मे बैठे हुए थे
अमन - अच्छा !!
मुरारी हसकर - और पता है उन्होने मुझे भी जो वैवाहिक जीवन जीने की सीख दी थी उसकी बदौलत मै और मेरा परिवार दोनो खुशहाल है ।
अमन को अब थोडा थोड़ा भनक होने लगी थी कि उसके बाप का इशारा किस तरफ है
अमन के चेहरे पर हसी भाव आने लगे थे
मुरारी एक गहरी सास लेता हुआ - माना कि तुने लव मैरिज किया है बेटा मगर बीवी हमेशा बीवी ही होती है , उसे कभी भी खुद पर हावी नही होने देना नही तो ये समाज और बीवी खुद तुम्हारा सम्मान नही करेगी ।
मुरारी की बाते अमन के लिए काफी प्रभावशालि तो थी मगर अमन पहले से ही अपने मा के ज्यादा करिब रहा है और वो अपने बाप की तरह रुखेपन भरे जीवन जीने का परिणाम अपनी मा के रूप मे सामने देख सकता था , वो जानता था कि कही ना कही उसकी मा को उसके बाप के अकड़पन और खुद को मर्द जताये रखना खलता था । उसकी मा कई ऐसे सपनो को हकिकत मे नही सजा सकी जो वो अपने पति के साथ जीना चाहती थी । या कहो कि मुरारी के रवैये से कभी खुल कर उसके सामने नही आ सकी ।
उसकी मा को हमेशा से अपने पति मे एक दोस्त की तलाश थी मगर मुरारी के अकड़ के आगे उसका खिलना चहकना कही दब सा गया था , मगर अमन की शादी ने एक बार फिर उसे मौका दे दिया था कि वो इस घर मे उसके मा की वो हसी और खिलखिलाहट वो दोस्ताना मिजाज सामने लाये जिसके लिए उसकी मा बरसो तरसी थी ।
वही मुरारी ने देखा कि उस्का बेटा उसकी बातों को बड़े गौर से विचार कर रहा है ।
मुरारी - बेटा क्या हुआ कहा खोये हो
अमन मुस्कुरा कर - अह कही नही बस आपकी बाते समझने की कोसिस कर रहा था लेकिन मुझे समझ नही आ रही है
मुरारी हस कर - अच्छा तो मै तुझे सरल भाषा मे समझाता हु
अमन - जी
मुरारी - बेटा हमारे जमाने मे एक कहावत हुआ करती थी । लुगाई की चुतड निहारते फिरोगे तो कभी भी गरदन उठा कर नही चल सकोगे ।
अमन की हसी छूट गयी - मतलब
मुरारी हसता हुआ - मतलब ये कि अभी तुम्हारी नयी नयी शादी हुई है तुम्हारे शारीरिक और मानसिक सम्बंध होगे और ये जो नया नया रिश्ता बनता है ना बेटा उसका आकर्षण बहुत मजबूत होता , खाना पिना परिवार समाज किसी का भी ख्याल नही रहता । सम्भोग की तलब बहुत गम्भीर रोग है बेटा इसीलिए हमारे समय मे लोग जल्दी बच्चा करने की हिदायत देते थे ताकि पत्नी मोह से दूरी बनी रहे और आदमी समाज मे अपने बाकी फर्ज भी पूरे कर सके ।
अमन मुस्कुरात हुआ - हम्म वो सब तो ठीक है पापा लेकिन मै अभी भी समझ नही पाया कि आप क्या कहना चाह रहे हो ।
मुरारी - अरे बेटा मेरा बस यही कहना है कि तु अपने पजामे का नाड़ा कस के रखना , आज रात तो न ही खुले , बहू को जरा भी तु बेसबरा ना दिखे ।
मानता हुआ आसान नही होगा , तुमदोनो ने पहले ही कुछ सपने सजोये होगे मगर ये जो मै कह रहा हु करके देख , उसे जला कर तडपा कर रख और मर्द बन कर रह
अमन को अपने बाप की बात पर हसी आ रही थी मगर वो किसी तरह खुद को रोके हुआ था
मुरारी - अरे तुझे हसी आ रही है, मै खुद तीसरे दिन दोपहर मे तेरी मा के साथ....
मुरारी बोलते बोलते रुक गया
अमन ने नजरे उठा कर अपने पापा को देखा और मुस्कुराने लगा ।
मुरारी हस कर सफाई देता हुआ - खैर तु समझदार है अपने हिसाब से समझ बुझ कर ही आगे कदम बढ़ाना ।
इधर मुरारी अपनी बात खतम करने को था तो अमन ने सोचा क्यू न थोडा पापा को भी परेशान किया ही जाये - हम्म ठिक है पापा लेकिन मुझे इस बारे मे कोई अनुभव नही है तो मै कैसे क्या ?
मुरारी - हा तो मुझे ही कहा था , मेरा भी तो पहली बार ही था तेरी मा के साथ!! मेरा मतलब सबका ही पहली बार होता है , इसमे डरने वाली बात नही है बस इस बात का ध्यान रखना कि नाड़ा आखिरी समय पर ही खुले
अमन मन ही मन मजे लेते हुए - आखिरी समय मतलब
मुरारी - ओहो तु तो सब गुड गोबर कर देगा भाई , मेरा मतलब बहू जब खुद से कहे डालो तभी वो ...
मुरारी ने आखिर मे आते आते एक उंगली से दुसरे हाथ के मुथ्ठी मे पेलकर दिखाते हुए बोला ।
अमन - ओह्ह मतलब डिक को लास्ट मे डालना है
मुरारी - क्या ? ये डिक क्या है ?
अमन हस कर - वो नुन्नु को अन्ग्रेजी मे डिक कहते है पापा हिहिहिही
मुरारी झेप और हस्ते हुए - हा भाई वही , तु खुद समझ जायेगा बाकी , चल मै जा रहा हु
मुरारी कमरे से बाहर चला गया और हस्ते हुए बड़बड़ाया - हिहिहिही खुद बीवी के मोह मे 3 बार ब्रा पैंटी लाने बाजार गये थे मुझे कह रहे है सख्त लौंडा बनके रहियो हिहिहिही
इधर मुरारी निकला और मौके की ताख मे खड़ी ममता लपक कर कमरे मे घुस गयि ।
ममता ने सारा वयोवरा अमन से सुना और अपना माथा पीट लिया -हे भगवान,मै क्या ही कहु इनको । मैने किस लिये भेजा था और ये क्या समझा के आ गये ।
अमन - मम्मी यार मुझे पता है सुहागरात पर क्या करना होता है , पापा को क्यू भेजा हिहिहिही
ममता हस कर - अरे कल से ही देख रही हु कि ये कुछ उखड़े उखड़े से थे तो मैने सोचा चलो इनको दुसरा टेनस्न देके थोड़ी मस्ती कर लू लेकिन ये ना जाने क्या क्या ज्ञान दे गये तुझे ।
अमन - हा मम्मी मुझे भी ऐसा ही लगा , और शाम को आज पापा छत पर सिगरेट भी पी रहे थे
ममता चौक कर - क्या ( मन मे - हो ना हो कुछ बात है जो ये मुझसे छिपा रहे है आज पता करना ही पडेगा )
अमन - हा मा मैने खुद देखा
ममता - ठिक है मै बात करूंगी इनसे और उनकी बात पर ध्यान मत देना , तेरा जीवन तेरे हिसाब से जीना
अमन हस कर - ना मै भी पापा की तरह तीसरी दोपहर को ही करून्गा हिहिहिही
ममता - बहुत मार खायेगा अब , चल खाना खा ले और फिर उपर जाना है तुझे
अमन - ओके मम्मी उम्म्ंम्माआह्ह्ह्ह्ह
ममता अपने गाल पोछती हुई - ये क्या है ?
अमन हस कर - वो अभी थोड़ी देर पहले आपकी बहू को चुम्मी दी थी हिहिहिहिही
ममता हसती हुई - धत्त बदमाश कही का चल अब
राज के घर
सारे लोग खाने के लिए हाल मे एकठ्ठे हो रहे थे ,
निशा गेस्ट रूम मे रागिनी रज्जो और शिला को खाना पहुचाती है ।
रंगी और बनवारी हाल मे ही बैठ कर खाना खाने बैठे होते है जिन्हे रिना परोस रही होती है ।
मामी - अरे उपर बच्चे है बुला दो , आकर खा ले
रीना किचन मे आती हुई - अरे मामी वो लोग आज मूवी देखने मे बिजी है , किसी को खाने की पड़ी ही नही , लाईये मै खाना देके आती हु
राज मौका देख कर - हा भाभी चलो मै भी साथ मे चलता हुआ लेके
रिना ने आंखे उठा कर राज को देखा तो उसने आंख मार दी ।
दोनो साथ मे अपनी भी थाली लेकर उपर चले गये और इधर बाकी लोग भी धिरे धीरे खाना खाने बैठ गये ।
कुछ देर बाद शालिनी ने एक टिफ़िन पैक किया और लेकर बाजार वाले घर के लिए जाने लगी ।
तभी रागिनी ने टोका- अरे ऐसे अकेले जायेगी क्या ? रुक मै बच्चो मे किसी एक को साथ भेज देती हु । रात का समय है ।
शालिनी - ठिक है जीजी
जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 196 A
"भागो चाची , वो आ रहा है "
" हे भगवान , ये हमारे पीछे क्यू पडा है । हमने तो कुछ किया भी नही " , शालिनी अपने साड़ी का पल्लू सम्भालते हुए तेजी से भागती हुई अनुज के पीछे जा रही थी ।
और एक कुत्ता उनके पीछे भौकते हूए भाग रहा था ।
अनुज ने समझदारी दिखाई और जल्दी से झोले से एक पूडी निकाल कर उसकी ओर फेका और वो रुक गया ।
दोनो भागते हुए बाजार की ओर बढ गये ।
" हह , पता नही उसे क्या हुआ हम लोगो को दौड़ा लिया हिहिहिही " , शालिनी हाफ्ते हुए हस कर अनुज के सामने अपनी साडी की पल्लू को अपने कन्धो पर चढाती हुई बोली ।
अनुज की नजरे चाची की फूलती छातियों पर थी और वो हस बोला - शायद हम लोगो ने उन्हे डिस्टर्ब कर दिया था ।
तभी शालिनी को याद आया कि जब वो वहा से गुजर रहे थे तो वहा ये कुत्ता एक कुतिया को पीछे से सूंघ रहा था । जैसे ही वो दोनो उनके करीब से गुजरे कुत्ते ने भौकना शुरु कर दिया ।
वो पल याद आते ही शालिनी अनुज का इशारा समझ गयी और लाज मे हस्ती हुई - धत्त बदमाश कही का , अब चल
अनुज भी हसने लगा
जल्द ही वो घर आ गये और शालिनी ने दुकान का शटर खड़खड़ा कर अनुज के चाचा को बुलाया और दोनो घर में चले गये ।
हाल मे घुसते ही शालिनी की नजर सोफे पर बेढन्गे तरीके से सोये हुए कमलनाथ पर गयी । जो बनियान को आधे पेट तक उठाये हुए था और नाडे वाले पजामे मे उसका लन्ड तम्बू ताने खड़ा हुआ था ।
अनुज ने जैसे ही अपने मौसा की ये हालत देखी उसकी हसी उल्टी जैसे उसके मुह आ गयी और वो होठ सील कर खुद को रोका , मगर बगल मे खड़ी शालिनी को अनुज के हरकत की भनक थी और वो हल्के से मुस्कुरा दी ।
शालिनी आगे बढ़ कर किचन मे चली गयी और राहुल वही सोफे पर बैठ गया ।
उसने पास पड़ी रेमोट से टीवी चालू कर दिया और चैनल बदलने लगा
वही जंगी शालिनी के पीछे किचन मे घुस गया
शालिनी किचन के स्लैब से खडी होकर खाना परोसने के लिए थाली धूलने लगी और वही जन्गी ने मौका देखकर उसके पीछे से साडी के उपर से शालिनी की गाड़ की दरारों मे उंगली करने लगा ।
जन्गी के एकाएक हुआ हमले से शालिनी सिसकी और बगल मे खड़े जन्गीलाल के मुह से आती बदबू से उसने बुरा सा मुह बनाते हुए भुनकी - उह्हुऊ दूर हटो , कितनी तेज बद्बू आ रही है हटो
किचन से शालिनी की आवाज सुनकर अनुज ने गरदन उधर फेरा तो देखा उसके चाचा चाची की साडी के उपर से ही गाड़ मे उंगली पेल रहे थे और चाची भुनक रही थी ।
एक ही पल मे अनुज का लन्ड उसके लोवर मे उछलने लगा और वो अपना उफनाता मूसल पकड कर उसे भींचता हुआ - सीईईई अह्ह्ह लग रहा है आज चाचू मूड मे है हिहिहिही
वही किचन मे शालिनी जन्गी के किसी आग्रह पर जवाब देती हुई - क्या !! नही मै अनुज को अकेले वापस नही भेज सकती , पता है अभी एक कुत्ते ने हम दोनो को दौड़ा लिया था ।
जंगी उसको कन्धे से पकड़ कर अपना तनमनाया मुसल उसके कूल्हो पर चुभोता हुआ - अरे तो उसको भी रोक लो ना , उसको राहुल के कमरे मे सुला देना और तुम मेरे साथ
शालिनी जन्गी का हाथ झटक कर - नही मै इस गंदी smell के साथ आपके साथ एक मिंट नही रह पाऊंगी , मै अनुज के साथ राहुल के कमरे मे सोउन्गी
अनुज के कानो के जैसे ही ये आवाज आई उसके गाल खिल गये और चाची के साथ सोने का सोच कर ही उसका लन्ड फड़क उठा ।
शालिनी थाली मे खाना लगा कर बाहर आई और जन्गी से कमलनाथ को उठाने को कहा ।
मगर काफी कोसिस के बाद भी जंगी से उठा नही सका ।
जन्गी - लग रहा है ये अब सुबह ही उठेन्गे
शालिनी तुनक कर - हा तो ऐसे ही पड़े रहने दो हुउह मै चली सोने , चल अनुज
अनुज अन्जान बनता हुआ जैसे उसे कोई भनक ही ना हो - तो क्या हम लोग चौराहे वाले घर नही जा रहे है चाची ?
शालिनी ने एक नजर उठा करजन्गी को देखऔर बोली - नही बेटा कल चले जाना तु, देखा नही वो कुत्ता कैसे पीछे पड गया था ।
अनुज - हा चाची मेरी भी हिम्मत नही हो रही है वापस जाने की
शालिनी - इसीलिए तो कह रही हु , चल मेरे साथ सो जा
अनुज ने मजे लेने के लिए बड़ी मासूमियत मे सवाल किया - और चाचू ?
शालिनी ने मुह बना कर- वो सो जायेन्गे उन्हे जहा सोना होगा , तु मेरे साथ चल ।
फिर शालिनी अनुज को लेके राहुल के कमरे मे चली गयी ।
वही जंगी जो खाने की भूख से पहले से परेशान था , अब चुत के भी लाले पडने वाले थे उस्के लिये
वो जान रहा था कि उसके शराब पिने की वजह से ही शालिनी उससे खफा है और फिर वो कुछ सोच कर मुस्कुराकर खाना खाने लगता है ।
राज के घर
" दीदी , उपर का कमरा तो बच्चो ले रखा है " , सुनीता मामी ने रागिनी से कहा ।
रागिनी - हा , अभी शालिनी और अनुज भी आ ही जायेंगे ।
बनवारी आज थका हुआ था तो वो खाना खाकर पहले ही रागिनी के कहने पर उसके कमरे मे सोने चला गया था ।
निशा और रीना का सोनल वाला कमरा
वही रज्जो और शिला के लिए गेस्टरूम पहले से ही तय था ।
रन्गी को मजबूरन अपने कमरे मे अपने ससुर के साथ सोने जाना पड़ा ।
राज को उसके कमरे मे ये बोलकर भेज दिया गया कि अभी अनुज और शालिनी आयेंगे तो उसके साथ सो जायेंगे और रागिनी किसी तरह गेस्ट रूम मे ऐडजस्ट हो जायेगी ।
अब बात रह गयी थी मामी की तो निशा ने कुछ सोच कर मामी को अपने साथ सोने के लिए बुला लिया , जिससे रीना कुछ खास खुश नही दिखी । मगर वो कर भी क्या सकती थी ।
कुछ ही देर मे सारे लोग अपने कमरे मे जा चुके थे राज को हिदायत थी कि वो जगा रहेगा गेट खोलने के लिए
फिर रागिनी भी गेस्ट रूम मे चली गयी ।
कमरे मे दाखिल होते ही सामने का नजारा काफी कामुक था , जिसे देख कर रागिनी के तन बदन सिहर उठा ।
वो मुस्कुरा कर कमरे मे घुस्ती हुई सीने पर ब्लाउज मे कसती छातियो मे चढती सरसराहट को मिजती हुई एक गहरी आह भरकर सामने खड़ी अपनी ननद शिला और बड़ी बहन रज्जो को आपस मे किस्स करते हुए देख रही थी
दोनो के होठ एक दुसरे के लार से गीले हो रहे थे और यहा रागिनी के होठ सुखने लगे थे
अमन के घर
रात के 10 बजने वाले थे और खाना खाने के बाद सब लोग अपने कमरो मे जा चुके थे
संगीता भी कल रात और आज शाम की रग्दाई से थक कर सोने अपने कमरे मे जा चुकी थी ।
भोला ने ममता को इशारा किया मिलने को मगर ममता को मुरारी की फिकर थी इसीलिए उसने बहाने से टाल दिया और भोला भी मन मसोस कर कमरे मे चला ।
ममता ने अमन को उसके कमरे मे भेज कर खुद अपने कमरे मे आ चुकी थी ।
कमरे मे मुरारी अपनी पतलून उतार कर सिर्फ बनियान और जाघिये मे बैठा हुआ था ।
ममता समझ रही थी कि वो आज उदास है इसीलिए उसने पहले कमरे का माहौल हल्का करने के लिए कमरे का दरवाजा बन्द करके चलते हुए अपनी साडी उतारने लगी
और पूरी साडी कमरे की फर्श पर फैल गयी ।
मुरारी ने जरा भी इस पर ध्यान नही दिया अभी वो संगीता को लेके उलझा हुआ ही था ।
ममता ने आलमारी के सीसे मे देखा कि उसका पति जरा भी उसकी ओर नजर उठा के नही देखा ।
फिर उसने आईने मे देखते ब्लाउज खोलते हुए निकालने लगी और विचारने करने लगी कि आखिर क्या करे वो जिससे मुरारी उसकी ओर रीझे
उसने आलमारी खोलि और कुछ आरामदायक कपडे देखने लगी तभी उसकी नजर एक लाल रंग की नाइटी पर गयी जो अभी कुछ महिने पहले ही मुरारी लेके आया था ।
उसने सोचा क्यू ना इसे पहना जाये और तभी उसने सोचा कि क्यू ना इसे बिना कुछ पहले बस उपर से डाल लू
ये आईडिया आते ही वो मुस्कुरा उठि और उसे एक गजब का आईडिया भी सूझ गया ।
उसने फटाफट से सारे कपडे उतारे और पूरी नंगी हो गयी
फिर उसने कनअखियो से एक नजर अपने पति की ओर देखा तो वो अभी भी छत ही निहारे जा रहा था ।
" आह्ह्ह मईयाआ उह्ह्ह उह्ह्ह "
मुरारी ममता की तेज चिख सुन के चौका और झटके से आवाज की ओर देखा तो सामने ममता पूरी नन्गी बेड के सहारे आलमारी कि झुकी हुई थी
मुरारी उसकी फिकर जल्दी के उसकी ओर आया - क्या हुआ अमन की मा
ममता टीसे हुए स्वर मे - आह्ह अमन के पापा उह्ह्ह बहुत तेज टीस उठी है जांघ मे उह्ह्ह
मुरारी - अरे किधर , आओ बैठ जाओ
ममता - आह्ह नही कुल्हे के पास ही हो रहा है उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
मुरारी - अच्छा तुमको कैसे आराम हो रहा है आजओ बिसतर पर मै बाम लाता हु
ममता मन ही मन खिली और दर्द होने का नाटक करते हुए अपने घुटने के बल बेड पर चढने लगी और घूटने फ़ोल्ड कर अपनी गाड़ फैला कर उपर उठा दिया ।
सामने का नजारा देख कर मुरारी का लन्ड फड़फडाने लगा और उसने ममता की गाड़ की गुलावी छेद देखकर थुक गटकता उसके कुल्हे मलने लगा और ममता अपने पति का स्पर्श पाकर सिस्कने लगी - आह्ह अमन के पापा
मुरारी उसकी बड़ी सी फैली हुई चर्बीदार गाड़ को दोनो तरफ से हाथो से मलकर गर्म करने लगा - अब कुछ आराम हु ममता
ममता - आह्ह नहीई दर्द जांघो की ओर निचे से उठ रहा है
मुरारी ने अपना जान्घिये ने उफनात मुसल भींच कर उसको सेट किया और वापस से ममता के जांघ को बाहर से स्पर्श करता हुआ - कहा ? यहा पर ?
ममता अपनी जांघो को सरका कर खोलती हुई - आह्ह नही अन्दर की तरफ से जी उम्म्ंम्म्ं
जान्घे खोलने से ममता की झान्टो भरी बुर के फाके मुरारी के सामने झलकने लगे जिन्हे देख कर मुरारी के होठ सुखने लगे थे और लन्ड की नसे बुरी तरह फड़क रही थी
मगर ममता को परेशान देखकर वो अपनी उफनाती इच्छाओ को टालता हुआ उसकी दाई जांघ को भीतर की तरह से पकड कर उपर निचे करके सहला कर गर्म करने लगा - अब कुछ आराम हुआ ममता
ममता - आह्ह आप निचे जा रहे है थोडा उपर आईये ना
मुरारी अपनी हथेली को उसकी जांघ पर घुटने से चुत की ओर उपर की तरफ सरकाता हुआ ले जा रहा है और महज चुत से 4 उंगल पहले ही हथेली रोक कर - क्या यहा दर्द है ?
ममता - आह नही बस थोड़ा और आगे , हा बीच मे उम्म्ंम्म्ं बस्स यही
मुरारी ने देखा उसकी हथेली तो सरक कर बिल्कुल ममता की आग फेकती गर्म चुत के फान्को पर आ गयी थी ।
झान्टो भरी चुत से आती गर्म खुस्बू अब उसके नथुनो तक जाने लगी थी
ममता अपनी चुत पर मुरारी का हाथ पाकर कसमसाइ - उम्म्ंम अब सहला भी दो ना जी , वही दर्द उठ रहा है अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ
मुरारी ममता की शरारत समझ गया और उसकी चुत के फाको मे उंगलियाँ दरता हुआ - तु बहुत बिगड़ गयी है हाहाहाआ
ममता गरदन फेर कर मुस्कराती हुई - अह्ह्ह्ह सीईई उम्म्ं तो सुधार दो ना अपने मोटे डंडे से उम्म्ंम्ं
मुरारी ममता की बातों से कभी कभी खुद भी झेप जाता था क्योकि हर जब भी वो ममता के करीब आने की कोसिस करता , ममता की कोसिस करती कि वो ही इसकी अगुआई करे कुछ बार तो वो सफल भी हो जाती मगर मुरारी को इसमे अपनी हार मालूम होती थी और इसीलिए वो अकसर बिना ममता की बातो मे आये अन्धाधुन उसकी पेलाई कर झाड़ कर सो जाता था ।
मगर आज ममता का इरादा अटल था और उसका मिजाज हर बार से ज्यादा कामुक और जोशीला था ।
मुरारी की उंगलियों पर खुद ही वो अपने कुल्हे हिला कर बुर रगड़वाते हुए बोली - पता है ये दर्द क्यू उठा उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह पूछो ना जी उफ्फ़फ्फ प्लिज्ज्ज्ज
मुरारी दुसरे हाथ से अपना मुसल मसलते हुए -आह्ह क्यू उठा था
ममता मुस्कुराकर अपने होठ चबा कर - अह्ह्ह कल रात शादी मे इसको सर्दी लग गयी थी उम्म्ंम्ं
मुरारी हस कर हाथ हटाता हुआ - धत्त क्या तु भी हाहहहह
ममता उठ गयी और खड़ी होकर उसकी ओर बढ़ने लगी । उसकी आँखो नशा सा उतर चुका था , जो उसके भारि भरे बदन को और कामुक बना रहा था ।
ममता उसके करीब आई और सीने पर हाथ फेरती हुई बोली - कितने साल हो गये आप मेरे लिए पैंटी नही लाये , और कल तो सारी रात सर्द हवाये यहा छू कर जाती रही
ये बोलकर ममता ने वापस से मुरारी का हाथ अपनी चुत से लगा दिया
मुरारी से जिस्म मे एक बार से सनसनी सी फैल गयि और उसके दिल की धड़कने तेज होने लगी, वही मम्ता के मुलायम मोटे खरबजे जैसे बड़े बड़े चुचे उसके सीने पर हलके हल्के अपना भार बढा रहे थे जिससे उसकी सासे चढने लगी ।
मूरारी थुक गटक कर सामने ममता की आंखो मे देखा और उसके मोटे चर्बिदार गालो को पकड उसकी रसिली होठ को दबाते हुए उसके होठ पर किस्स करता हुआ - आह्ह मेरी रानी रुक जा अभी गर्म कर देता हू इसको उम्म्ंम
ममता को उसने कमर से पकड कर अपनी ओर खिन्चा और उसके बड़े बड़े कुल्हे सहलाते हुए पंजो से दबोचते हुए उसके रसभरे होठ चुसता हुआ उसकी एक चुची पर हाथ रख कर उसको मिजने लगा
वही उसका मोटा मुसल तन कर ममता की जांघो मे ठोकरे मारने लगा
मुरारी की बाहो मे कसमसाती ममता ने हाथ निचे बढा कर जान्घिये के उपर से मुरारी का फनफनाता मुसल दबोच लिया और उसके आड़ो को सहलाने लगी ।
ममता के स्पर्श से मुरारि और जोश मे आया और झुक के ममता की पपीते जैसे चुची को मुह भर लिया
ममता सिसकि - अह्ह्ह मेरे राअज्ज्ज्जाह्ह उम्म्ंम और चुसो उम्म्ंम अह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ं
मुरारी जोश मे आकर उसकी मोटी चुची हाथ मे उठा कर मुह ने भरने लगा और दुसरे हाथ से उसकी गाड़ दबोचने लगा
ममता उसके बालों को सहलाती हुई उसके सर को अपने सीने पर रग्डे जा रही थी -आह्ह मेरे राज और मसलो ना उम्म्ंम अह्ह्ह ऐसे हु ऊहह खा जाओ इन्हे उह्ह्ह्ह सीईई अह्ह्ह
वही ममता का दुसरा हाथ निचे से उसका मुसल जान्घिये से निकाल कर कस कस के भींच रहा था , जिससे मुरारी की कामोत्तेजना बढ़ती जा रही थी और उसका लन्ड पूरी तरह फौलादी हो चुका था ।
अगले ही पल उसने झटके से ममता को घुमाया और पीछे से उसकी चुची और चुत के फाके सहलाने लगा
ममता की आंखे उलटने लगी और वो मुरारी के जिस्म पर लोटने लगी
उसकी बुर तेजी से पानी बहा रही थी ।
और उसकी गाड़ के फाको मे मुरारी का मोटा टोपा फसा हुआ रगड़ खा रहा था
मुरारी के लिए अब बर्दाश्त से बाहर था , उसने ममता को तेजी से आगे किया और बिस्तर पर धकेलते दिया
फिर अप्ना जांघिया उतारते हुए अपना लण्ड मसलते हुए उसकी ओर बढ़ने लगा
ममता भी मारे जोश मे गरमाई हुई अपनी बुर मे ऊँगली पेलती हुई उसको उकसाने लगी
मुरारी ने उसकी टाँगे पकड कर उसको गाड़ को बिस्तर के मुहाने पर किया और जान्घे खोलता हुआ लण्ड उसकी बुर के मुहाने पर रखते हुए एक करारे झटके के साथ उसकी बुर मे उतार दिया
पति का मोटा मुसल अपनी चुत के घुस्ता पाकर ममता सिस्क पड़ी - अह्ह्ह मेरे राज्जह्ह उम्म्ंम कितने मजबूत डंडा है अह्ह्ह उह्ह्ह्ह उम्म्ं और और उह्ह्ह
मुरारी उसके जोश से और भी जोश मे आ गया और उसके चुचिया नोचते हुए कस कस के लन्ड उसकी चुत मे हचक हचक के पेलने लगा
ममता - अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंम अमन के पापाह्ह्ह य्ह्ह ऐसे ही उम्म्ं उह्ह्ह अह्ह्ह आह्ह ऐसे रुकना नही अह्ह्ह अह्ह्ब्ं मेरा आयेगा उम्म्ंम उन्म्ं और तेज तेज ओह्ह्ह ओह्ह मेरे राजा और पेलो उह्ह्ह और और उह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह उउउउह्ह्ह उउउह्ह उम्म्ंम्ं आ रहा हौ आ रहा है उन्मममं माअह्ह्ह उह्ह्ह ऊहह
ममता भलभला झड़ने लगी और मुरारी भी अगले कुछ ही तेज करारे झटको के साथ उसकी बुर मे ही झडने लगा
मुरारी - अह्ह्ह अमन की मा उह्ह्ह सीईई उह्ह्ह्ह आ रहा है ओह्ह्ह ओह्ह्ह
ममता ने उसका लन्ड दबोच कर उसका सारा माल बुर मे भर लिया और फिर लन्ड सिकुड बाहर निकल गया साथ सी उसके चुत से रस भी बाहर रिसने लगा ।
मुरारी हाफता हुआ ममता के बगल मे लेट गया और दोनो एक दुसरे को देख कर मुस्कुराने लगे ।
ममता ने करवट लेकर अपना एक पैर उसके उपर फेकती हुई उसके सीने से चिपक गयी
वही मुरारी ने आज ममता को पहले झड़ा कर खुद पर नाज कर रहा था तो उसे ममता पर प्यार भी उमड रहा था और उसने भी उसे अपनी ओर कस लिया ।
ममता समझ गयी कि अब समय आ गया जब वो मुरारी से सवाल जवाब कर सकती है
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 196 B
अमन के घर
पलंग के हेडबोर्ड की टेक लिये सोनल निशा से कुछ नमकीन बातें कर रही थी कि तभी कमरे मे अमन दाखिल हुआ और सोनल ने चैट बन्द कर मोबाइल स्क्रीन ऑफ करते हुए नजरे उठा कर सामने देखा तो अमन कमरे मे आ गया था
आस्तीन के बटन खोलकर उपर करता हुआ अमन मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा तो सोनल भी लाज के मारे नजरे नीची कर मुस्कुरा दी ।
अमन - खाना खाई तुम
सोनल धीरे से मुस्कुरा कर - हम्म , आपकी भाभी लाई थी ।
अमन बिस्तर की ओर बढ़ता हुआ किनारे बैठ कर उसकी ओर देखा - फिर तो पक्का पेट भर ही गया होगा हिहिही दुलारी भाभी जब आई थी
सोनल - क्यू ! आपका नही भरा
अमन मुस्कुरा कर - मेरा पेट तो पापा ने लेक्चर देके ही भर दिया ।
सोनल उत्सुक होकर - कैसा लेक्चर ?
अमन हस कर - अरे कुछ नही , वही जो हर सुहागरात पर दूल्हे को मिलता है हाहाहाह मुझे मेरे पापा ने दिया ।
सोनल थोड़ी सी शर्माइ और हसी को होठों मे दबाती हुई मुस्कुरा दी ।
अमन - क्यू तुम्हे नही दिया मम्मी जी ( रागिनी) ने
सोनल लाज से गाढ़ होती हुई - धत्त नही
अमन थोड़े शरारती लहजे मे - अरे फिर हमारी सुहागरात कैसे होगी , सासु मा ने कुछ सिखाया पढाया नही जब
सोनल अमन की बात पर शर्मा कर हसती हुई - बक्क चुप रहो आप ! आपको पापा जी ( मुरारीलाल ) ने बताया है ना हिहिहिही
अमन एक गहरी आह भरता हुआ दोनो पैर उपर कर पालथी मारता हुआ सोनल के करीब बैठ कर - हा भाई , पापा ने तो जैसे सब खुल कर समझाया है मुझे
सोनल - मतलब ?
अमन हस कर - अरे सख्त आदेश हुआ है कि आज नाड़ा ढीला नही होना चाहिये हाहाहाह
सोनल अमन की बात पर मुह निचे किये हुए होठ भितर कर हसने लगी
अमन खसक कर उसके करीब होता हुआ - सच सच बताओ , कुछ भी नही बोली सासु मा इस बारे मे ।
सोनल हस कर - नही बाबा हिहिहिही , हा रीना भाभी अलबतक समझा रही थी ।
अमन - क्या ?
सोनल - यही कि ससुराल मे सुबह जल्दी उठना चाहिए , सास ससुर की सेवा करना चाहिए, चाय नासता सब टाईम पर हो
अमन मुह बिचका कर - क्या! यही सब ?
सोनल - हा तो ! और उन्हे क्या बताना चाहिए था
सोनल होठ दबा कर हसने लगी , अमन उसका मजाक समझ गया तो वो भी हस दिया
दोनो हस रहे थे कि अमन ने सोनल के हाथ के उपर से अपने हाथ रख दिये और सोनल चुप हो गयी ।
उसकी सासे उखड़ने लगी , जिस्म मे कपकपी सी उठने लगी ।
अमन का कलेजा भी जोरो से धड़क रहा था । हाथ पकड़े हुए वो भी नजर उठा कर सोनल की ओर देखता है
उसकी आंखे बन्द थी और चेहरे पर गर्मी चढ रही थी , होठ पर हल्की कपकफाहट सी थी ।
अमन उसके गोल सुन्दर चेहरे को देख कर खुश हो रहा था और उस्का दिल जोरो से उछल रहा था ।
हाथ बढा कर उसने सोनल के बाये गाल को छुआ और सोनल मानो उधर ही लुढक ही गयी हो , अमन के हाथो के स्पर्श से उसके जिस्म मे सनसनी सी फैल गयी, बदन की गर्मी भीतर से बढ़ रही थी जबकि उपरी हिस्से मे ठंडक सी हो रही थी
सिहरन ने सोनल के जिस्म के रोम रोम खिला दिये थे ।
अमन के हथेली मे अपने गाल और बाए गरदन के कुछ हिस्से घुमाती हुई सोनल अपने भीतर एक गुदगुदी सी मह्सूस कर मुस्कुरा देती है ।
उसके चेहरे पर चढ़ती खुमारी को देख कर अमन आगे लपक कर उसके दाहिये गाल को चूम लेता है और सोनल की मुस्कुराहट बड़ी हो जाती है ।
अमन अपने पैरो की स्थिति को बदलता हुआ कमर के उपर के बदन को खड़ा कर बाये हाथ से उसकी पीठ पर हाथ रख कर उसको अपनी ओर खिंचता हुआ उसके चेहरे को अपनी ओर करता है ।
सोनल अपनी कजरारी आंखो से उसकी आंखो मे देखती है और मुस्कुराने लगती है ।
अमन उसके बाये गाल को चुमता हुआ उसके कान से झुमके निकाल देता है और उसके नरम मुलायम कान को होठों मे भर कर दाँत गड़ाता है, जिससे सोनल सिस्क पड़ती है
सोनल - सीईईई उम्म्ंम क्या करते हो , बात करो ना
अमन मुस्कुरा कर उसके गरदन को चूमते हुए दाये तरफ से पीछे की ओर जाने लगता है और फिर उसके दाये कान के झुमके भी उतारता हुआ - इतने दिन तो सिर्फ बातें ही तो हुई है
सोनल शर्मा कर - धत्त उम्म्ंम्ं आह्ह
अमन पीछे से उसके डीप बैक वाली ब्लाऊज के बार्डर के पास सोनल की गोरी चिकनी पीठ पर हाथ फेरता है और गरदन के ठिक निचे हारों के गाठ के पास चूमने लगता है ।
सोनल का शरीर अकड़ने लगता है और अमन हौले से उसकी पीठ को चूमता हुआ उस्के गले से हार को खोल कर आगे सरका देता है
हार सरकर लड़ियों सहित सोनल के ब्लाउज के गले मे आगे फस कर लटक जाता है
सोनल - धत्त बदमाश , देखो ये अटक गया
अमन आगे होकर - कहा , दिखाओ जरा
सोनल शर्मा कर घूम गयी - नहीई हिहिहिही
फिर खुद से उसको अपने ब्लाउज से निकालने लगी , मगर उसके लहगे के ब्लाऊज पर पहले ही जरी वाला महिन काम हुआ था उसपे से चुन्नी खिचने का डर था
अमन मुस्कुरा कर - लाओ बाबा मै निकाल देता हु
सोनल मुस्कुराती हुई - ऊहु , नहीईई
अमन - अरे लाओ मै आराम से निकाल दू कढाई खुल जायेगा ब्लाउज का
सोनल हार कर शर्माते हुए उसकी ओर घूमी - लेकिन कोई शरारत नही , ओके
अमन ने मुस्कुरा कर उसकी ओर देख कर बिना कुछ बोले सहमती दी और फिर उसके कन्धे से चुन्नी का पिन हटा कर सरका दिया और थोड़ा कोसिस किया मगर वो हार के कुछ गोल्ड लरिया अन्दर की ओर उलझी हुई थी ।
उसने एक नजर सोनल की ओर देखा जो उसे ही निहार रही थी , दोनो मुस्कराये और अमन के सोनल के ब्लाउज के गले मे आगे से दो उंगली डाली
उंगलियों का स्पर्श सोनल को रोमांचित कर गया , उसकी सासे फिर से चढने लगी,
अमन ने उंगली डाले हुए ब्लाउज का हिस्सा आगे खींचा , सामने सोनल के 34B के मोटी गोलाई वाले दो सुन्दर गोरे चुचे ब्लाऊज मे भरे हुए सास ले रहे थे और उनकी चर्बीदार घाटी देख कर अमन का गल सुखने लगा ।
सोनल अमन की बेताबी से बखूबी परिचित थी , वो बस उसपे हसे जा रही थी अपने होठ भीतर किये हुए
वही अमन ने एक उंगली डाल कर वो हार निकाल लिया और फिर ब्लाउज को आगे खिंच कर भीतर उसकी मोटी चुचियों की गहरी घाटी निहारने लगा ।
सोनल मुस्कुरा कर - अब क्या देख रहे हो , हो गया ना !
अमन शरारत भरे लहजे मे - देख रहा हु , सोने की एक आध लरी छूट तो नही गयी भीतर
सोनल उसको धकेलती हुई - धत्त हटो अब हिहिहिही
अमन पीछे की ओर बिस्तर पर गिर गया हस्ता हुआ उसकी ओर देखने लगा , तभी उसके जेब मे मोबाइल रिंग हुआ
सोनल भी सतर्क होकर उसकी ओर देखी और इशारे से पूछी किसका फोन है ।
अमन ने जेब से मोबाइल निकाला और स्क्रिन पर नाम देख कर उसकी हसी छूट गयी
और उसने मोबाईल सोनल की ओर घुमा दिया
सोनल भी मोबाईल पर आ रही निशा की कॉल रिंग देख कर हसने लगी ।
राहुल के घर
राहुल के कमरे की बत्ती बुझी हुई थी और जंगी अपनी योजनानुसार थोड़ा टहल घूम कर खाना पचा कुचा कर एक फ्रेश बाथ लेके तरोताजा हो चुका था
उसने घड़ी पर निगाह मारी शालिनी को कमरे मे गये आधे घन्टे से उपर हो चुके थे ।
उसने हौले से कमरे का भिड़का दरवाजा धकेला और दरवाजा खुल गया ।
जंगी को राहत की सास मिली और उसने दरवाजे के पास से ही कमरे का बल्ब जलाया ।
कमरे मे रोशनी होते ही अनुज और शालिनी एकाएक कुनमुनाए
सोये तो दोनो ही नही थे बस सोने का नाटक चल रहा था ।
एक ओर शालिनी को यकीन था कि उसका पति आज की रात बिना उसे पेले बाज नही आयेगा
वही अनुज को भी घर मे होने वाले एक कामुक घटना का इन्तजार था ।
जन्गी ने देखा कमरे मे अनुज दुसरी ओर मुह किये करवट लेके सोया हुआ है और वही शालिनी सिर्फ ब्लाउज पेतिकोट मे टांग फ़ोल्ड किये हुए सो रही थी ।
टांग के बिच साये से हो रही हवाओ की आवाजाहि से जंगी और भी कामोत्तेजित हुआ
अपना मुसल मसलता हुआ वो हौले से कमरे मे दाखिल हुआ
गरदन फेर कर उसने अनुज को दुसरी ओर मुह करके करवट लेटे हुए देखा और फिर आगे बढ़ कर शालिनी के करीब आ गया
कमरे मे चल रही हल्की फुल्की आहत से दोनो परिचित थे और दोनो की सासे तेज हो रही थी ।
जंगीलाल ने एक बार सोई हुई बीवी का गदराय जिस्म निहारा और अपना जान्घिये मे उफनाता मुसल मसला फिर घुटनो के बल झुक कर
एक हाथ से उसके पेतिकोट का सिरा पकड कर उपर किया और कमरे का हनहनाता पंखा पेतिकोट मे हवा भर कर उसको और उठा दिया जिससे बिना पैंटी वाली शालिनी की झान्ट भरी बुर की लकीरे स्पष्ट दिखने लगी ।
जांघो के बीच मे हवा की तेज सरसराहट पाकर शालिनी ने झटके से अपनी आंखे खोली और जंगी की हरकत देख कर झट से उठ कर बैठती हुई अपना पेटिकोट झटपती हुई समेट लिया
शालिनी फुसफुसाकर- ये क्या कर रहे हो आप , देख नही रहे अनुज सो रहा है
जंगी मुह बना के अपना मुसल मसल कर अपनी परेशानी ब्यां करता हुआ - प्लीज ना जान , मान जाओ बहुत तडपा हु 3 दिनो से
शालिनी को उसकी स्थिति पर हसी आई मगर उसने अनुज का हवाला देकर साफ इन्कार कर दिया ।
जंगी - जान हमारे कमरे मे चलते है ना
शालिनी - नही मुझे नही जाना कही
जंगी अपने जान्घिये से लन्ड बाहर निकाल कर उसका सुपाडा खोलकर शालिनी के आगे हिलाता हुआ - आह्ह जान देखो ना परेशान कर रखा मुझे , प्लीज मान जाओ ना
ये बोलकर जन्गी ने शालिनी का हाथ पकड कर अपने तने हुए मुसल पर रख दिया
शालिनी जन्गी गर्म मुसल को छुते ही सिहर गयी और खुले सुपाड़े से आ रही भीनी सी गन्ध से उसको भी लालच उठने लगा
शालिनी जन्गी से बुदबुदाते हुए एक नजर अनुज को करवट लेके लेटे हुए देखा और उसका मुसल आगे पीछे करके हिलाने लगी ।
जंगी खुश होकर उस्के गाल दुलारने लगा और शालिनी मुह बनाने लगी ।
जंगी आगे बढ़ कर अपना लन्ड उसके मुह के पास किया और शालिनी ने भी मुह खोलकर उस्का सुपाडा मुह मे ले लिया
जन्गी सिस्का और वही अनुज के लोवर मे अलग ही बवाल मचा हुआ था ।
उसके पीछे ही कमरे मे एक जबरज्स्ट सीन चालू था मगर वो देख नही सकता था ।
वही जन्गी शालिनी के सर को दबा कर लन्ड को मुह मे दिये जा रहा था
जन्गी - अह्ह्ह जान उह्ह्ह कितना दिन बीत गया हो जैसे उम्म्ंम
शालिनी ने मुह मे लन्ड भरे हुए ही जन्गी की जांघ पर हाथ से थपेडी मारकर उसे चुप रहने का इशारा किया
जंगी ने भी मुस्कुरा कर अनुज की ओर देखा और उसका लन्ड पहले से ज्यादा उत्तेजित होने लगा ।
शालिनी के मूह मे भी उसे लन्ड फूलता मह्सुस हुआ
शालिनी ने लन्ड बाहर निकाल कर हल्के से फुसफुसाइ- क्या हुआ
जन्गी मुस्कुरा कर ना मे सर हिलाया लन्ड मसलते हुए उसे घोडी बनने को कहा
शालिनी तुनक कर बिस्तर के एक ओर अपना पेतिकोट उपर चढा कर घोडी बन गयी ।
उसके ठिक सामने अनुज लेटा हुआ था , जिसका कलेजा पहले से ही धकधक हो रहा था ।
बिस्तर पर हो रही हलचल से उसकी कामोत्तेजना और भी तीव्र हो रही थी , जांघों बीच हाथ फसाए वो बस अपना लन्ड बिस्तर पर खरोच रहा था , चालू बिजली मे अच्छे से अपना लन्ड तक नही मस्ल सकता था ।
तभी उसके कान मे शालिनी की कामुक सिसकी आई - आह्ह सीईई आराम सेह्ह्ह उम्म्ंम
जन्गी अपना मुसल शालिनी की चुत मे उतार चुका था और निचे खड़े खड़े ही खचाखच उसकी चुत मे लन्ड पेल रहा था
जांघ की थपेडों से शालिनी को गाड़ खुब हिल्कोरे खा रही थी और कमरे मे थपथप की आवाज आने लगी
जंगी मारे जोश मे लन्ड को खुब हचक हचक कर पेल रहा था
और बिस्तर पर आगे की ओर झुकी शालिनी जन्गी के झटके से मुह भिचे हुए उसके लन्ड को अपनी चुत की जड़ो मे महसुस कर रही थी ।
तेज झटको से बिस्तर भी पुरा हिलने लगा था , जिस्से अनुज और भी सतर्क हुआ वो भी बिस्तर पर हल्के झटके खाने लगा
उसका सुपाडा जो अब तक बस लोवर के भीतर से नरम बिस्तर को चुभो रहा था वो अब झटके खाने से बुरी तरफ से घिसने लगा था
उसकी आड़ और लन्ड दोनो के आकार बढ़ने लगे ऐसे उसने हौले से अपने फ़ोल्ड हुए टांगो को सीधा किया
शालिनी ने जैसे ही अनुज के शरीर मे हरकत देखी उसने हाथ पीछे ले जाकर जंगी के हाथ पर थपथपाया जो उसके कूल्हो को थामे हुए था ।
जंगी भी ठहर गया और बहुत ही आराम से लन्ड को रेंगता हुआ उसकी बुर मे पेलते हुए आगे झुक कर शालिनी से धीरे से बोला - क्या हुआ
शालिनी ने होठ पर उंगली रखती हुई उठने लगी
जंगी ने भी अपना लन्ड खिंच लिया और शालिनी उठ कर बिस्तर से उतरने लगी
जंगी अपना मुसल रगड़ता - क्या हुआ
शालिनी धीमी आवाज मे - वो जाग जायेगा बिस्तर तेज हिल रहा था
जन्गी मुस्कुरा कर उसको अप्नी ओर खिंच कर उसकी गाड़ मसलता हुआ - तो बाहर चले जान
शालिनी समझ रही थी कि अगर वो बाहर गयी तो जंगी प्कका उसे 3 4 राउंड से पहले सोने नही देगा और वो बस उससे किसी भी तरह निपटना चाहती थी क्योकि थकान उसे भी थी ।
शालिनी उस्का मुसल पकड़कर मुस्कुराती हुई उसकी आन्खो मे देखते हुए बोली - मुझे मेरे बेटे के कमरे मे ही पेलो ना जान
जन्गी का लन्ड उसकी हथेली मे फडका - ईईईस्स्स आह्ह जान
इधर अनुज थोड़ा संसय मे था कि क्या हुआ अचानक से सब रुक क्यू , दरवाजे या फिर कमरे मे कोई आहट भी नही हो रही थी ।
वो इतनी भी हिम्म्त नही कर पा रहा था कि गरदन घुमा के देख ले , क्योकि ऐसे मे कयी सारे सवाल खड़े हो जाते और शर्मिंदगी होती सो अलग
उसने हलके से अपना लन्ड भिन्चा और उसके कान शालिनी की चिख से फिर बज उठे
जंगी शालिनी को बिस्तर के निचे लिटा कर उसकी टाँगे उठाए हुए
खचाखच उसकी चुत मे लण्ड पेले जा रहा था और शालिनी जन्गी के जोश के आगे हारी जा रही थी, ना ही वो जन्गी के मजेदार लन्ड की थपेड़ को रोकना चाहती थी और ना ही खुद को सिस्कने से रोक पा रही थी ।
जोरदार और ताबड़तोड़ झटको के साथ जंगी ने अपनी पूरी ताकत के साथ शालिनी की चुत पेले जा रहा था और कुछ ही मिनटो मे उस्से रहा नही गया
वो झटके से अलग होते हुए शालिनी को टांगो को थपथपाते हुए उपर आने को कहा
शालिनी भी झटके से उठी और उसका लन्ड मुह मे भर लिया
जंगी उसका सर थामते हुए उसके मुह मे झडने लगा
फिर शालिनी ने अच्छे से उसका लन्ड साफ किया , दोनो मुस्कुरा रहे थे और गरदन घुमा कर दोनो ने अनुज की ओर देखा जो अभी भी वैसे ही सोया हुआ था ।
राज के घर
" क्या हुआ पता चला कौन बाहर निकला था ? "
" नही यार , दरवाजा तो बन्द ही लग रहा है " , गीता ने सोनल के कमरे के बाहर गैलरी मे खड़ी हो अनुज के कमरे मे दरवाजे पर खड़े हुए राहुल को फुसफुसाकर बोली ।
बबिता राहुल के पास खड़ी होकर - यार दरवाजा बन्द करना ठिक रहेगा और भी तक अनुज भी नही आया ।
राहुल - मुझे नही लगता अब अनुज वापस आयेगा या फिर उसकी जगह कोई और हमे डिस्टर्ब करेगा ।
गीता - तो ?
राहुल बगल मे खड़ी बबिता की कमर मे हाथ डाल लर - तो क्या ? अब हम तुम एक कमरे मे बन्द हो और चाबी खो जाये
बबिता शर्माती हुई मुस्कुराने लगी और गीता उन्हे देख कर मुस्कुराते हुए कमरे मे बिस्तर पर बैठे अरुण को देखा जो उसे अपने पास बुला रहा था ।
वही निचे राज के कमरे का दरवाजा अंदर से बन्द हो चुका था और रिना उसकी बाहो मे थी ।
राज उसके रसिले होठ चुसते हुए नाइटी के उपर से उसकी चर्बीदार गाड़ मिजता हुआ - आह्ह भौअजी बडा इन्तेजार करवाया आपने उम्म्ंम्ं
रीना उसकी बाहों मे कसम्साती हुई - ऊहह देवर जी सीईई क्या करती मामी जी सो ही नही रही थी उम्म्ंम्ं
राज - और निशा , वो भी तो आपके साथ ही ना
रिना मुस्कुरा कर उसकी आन्खो मे देखते हुए - आह्ह देवर जी मै तो निशा बहिनी को बोल के आई हु कि आज की रात देवर जी के साथ कटेगी हिहिहही
राज को लगा कि शायद ये महज मजाक है
मगर कुछ देर पहले....
" भाभीई , कहा ? "
रिना ने मुह पर उगली रख कर निशा को चुप करने का इशारा करती हुई - श्श्श्श , अभी आती हूँ
निशा इशारे से हाथ घुमा कर - किधर जा रही हो
रीना मुस्कुरा कर - तुम्हारे भैया के पास हिहिहिही या कहू तुम्हारे सईया के पास
ये बोलकर रिना ने निशा को आंख मारी
निशा आंखे बड़ी कर ताज्जुब से धीमी आवाज मे - क्या ? राज के पास ? कैसे कब ?
रिना खिलखिला कर -वो सब बाद मे हिहिहिही , कही मेरा हीरो सो ना जाये
निशा ने रिना को बेस्ट ऑफ लक बोला और खुश हुई , इस बात के लिए नही कि रीना राज के पास जा रही थी , बल्कि इस लिये कि उसे अमन से बात करनी थी और आज रात के लिए अमन ने उससे वीडियो काल का वादा किया था ।
रीना के जाते ही निशा भी लपक कर कमरे से एक तकिया और बिस्तर लेके बाल्किनी से लगे स्पेयर रूम मे घुस जाती है
राज के कमरे मे जबरदस्त कसमाहट और आहे उठ रही थी
राज रीना को पीछे से पकड कर नाइटी के उपर से ही उसके रस भरे जोबनो को रगड़ कर मसल रहा था - आह्ह भौजी क्या रसिली चुची है आपकी, लगता है रमन भैया खुब मेहनत करते है उम्म्ंम्ं
रीना उसके सीने पर लोटती हुई कसमसाती हुई -आह्ह देवर जी उम्म्ंम क्या कहू, एकदम तन्ग कर कर के मुझे गीला किए रहते है आह्ह अब नही हु उनके पास तो परेशान हु उम्म्ंम अह्ह्ह अराम्म्ं से बाबू
राज मुस्कुरा कर अपना तना हुआ मुसल उसकी गाड़ पर चुभोता हुआ - अह्ह्ह भौजी मै हु ना उम्म्ंम
राज उसकी नाइटी उठा कर उसकी चिकनी जान्घे बिस्तर पर रखता हुआ उन्हे मसलने लगा - ओह्ह भौजी क्या मलाई जैसा देह है तुम्हारा , उम्म्ंम
रीना- अह्ह्ह देवर जी बापू हलवाई है तो मलाई होगी ना उनकी बेटी उह्ह्ह्ह आह्ह्ह सीईई
राज ने उसको अपनी ओर घुमाया और उसकी नाइटी निकाल दी , अब रिना ब्रा पैंटी मे उसके सामने थे और राज उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने शरीर से सटा कर उसके होठ चूमने लगा , राज का हाथ रिना की पीठ से लेकर उसकी उभरी हुई मोटी गाड़ पर रेन्ग रहा था ।
रिना उसको अपने छाती से कसे हुए सिस्किया ले रही थी ।
अगले ही पल उसने राज को दिवाल से लगाया और उसके शर्ट खोलते हुए उस्के सीने को चूमने लगी
राज के लिए ये बिल्कुल ही नया अह्सास था , रीना के नरम होठ उसके सीने पर मानो मोम के जैसे घिस रहे थे और उसके बदन की गर्मी बढ़ने लगी थी ,
उसने झुक कर निप्स पर अपनी गीली जीभ फिराई और राज की सासे अटक गयि पैंट मे उसका लन्ड फड़फ्ड़ा कर रहा गया ।
उससे अब बर्दाश्त नही हो रहा था वो अपना जल्दी जल्दी पैंट खोलकर उसे अंडरवियर सहित निचे कर दिया और उसने रिना के हाथ पकड कर उसको अपनी ओर खींचा
लन्ड की कठोर चुभन भरी ठोकर रीना ने अपनी पैंटी मे पावरोटी सी फूली हुइ बुर पर पाई तो उसकी सिसकी निकल गयी ।
राज उसकी चर्बीदार दबोचते हुए उसके रसिले होठ चुसता हुआ उसको घुमा कर वापस से पीछे से दबोचते हुए उसकी चुचिया मिजने लगा और ब्रा कन्धे से सरका कर उसकी नरम नरम चुचिया हाथो मे भरने लगा
राज का लन्ड वही बगल मे उसके कुल्हे मे ठोकर मार रहा था
रिना ने भी हाथ बढा कर उसे पकडते हुए भीचने लगी
राज भी हाथो मे भर रिना की 34C वाली चुचियां मिजता हुआ उसके कन्धे चूमने लगा
रीना - आह्ह राज बाबू क्या दमदार मुसटन्ड है उह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं रगड़ ही डालोगे क्या उम्म्ं माह्ह्ह
राज - अह्ह्ह भाऊजी आपकी ये नरम चुचिया उसको और भी मोटा कर रही है ओह्ह्ह क्या रसिला जोबन है आपका
रीना - उउऊ मेरे राजा बस मसलोगे ही उम्म्ंम चख के देखो ना उम्म्ं
राज ने तेजी से रीना को अपनी बाहो मे घुमाया और लपक कर उसकी रस भरी छातीया दोनो हाथो से पकड कर चुसने लगा
रीना एक हाथ से उसका लन्ड भींचती हुई उसके सर पर हाथ घुमा रही थी - ओह्ह मेरे राजाह्ह उह्ह्ह सीईई उम्म्ंम खा जाओ ऊहह कितना परेशान किया है दो दिन से उम्म्ंम्ं आह्ह्ह
राज बारि बारी से दोनो चुचिया मसल मसल कर चुस रहा था और वही रीना निचे से उसका मुसल मसल रही थी
राज थोड़ा अलग हुए और रीना के गाल थामते हुए उसके होठ चुस कर उसे निचे जाने का इशारा किया
रीना उसकी आंखो मे निहारती हुई उसके खुले नंगे जिस्म पर हाथ फेरती हुई एड़ियो के बल बैठ गयी और राज का लन्ड हाथो मे लेके उसको घुमा फिरा कर निहारती हुई उसका सुपाडा खोला और नजरे उठा कर राज को देखा जो उसे ही देखे जा रहा था
रिना ने एक हाथ राज का मोटा लन्ड पकडा और मुह खोलकर उसे भर लिया , राज को जैसे ही नरम अह्सास हुआ उसने रिना के बालो को सहलाने लगा
उसके जिस्म में नसो का सारा खुन उसकी जांघो की ओर खिचने लगा , जैसे जैसे रीना उसके लन्ड को मुह लेके सुरकती , राज की एडिया उचकने लगती और वो आहे भरने लगता - ओह्ह्ह भौजी उम्म्ंम क्या मस्त चुस रही हो उम्म्ं आह्हह मजा आ रहा है सीईई आह्हह फ्क्क्क्क और लो उम्म्ंम
रीना उसके लन्ड को चुबलाती उसके आड़ो पर हथेली बान्धती उन्हे कसती
आह्ह ऊहह उम्म्ंम फ्क्क्क्क ऊहह येस्स्स भाभीईई उम्म्ंम
रीना झुक कर उसके आड़ो को मुह मे भरती हुई राज के चुतड पर नाखून गड़ाती है और राज चिहुक पडता है - आह्हह भाभीई उह्ह्ह कमाल हो आप उह्ह्ह मजा आ गया उह्ह्ह स्क्क्क इट भाभीई उम्म्ंम वाह्ह्ह और
रिना ने अच्छे से राज का लन्ड दुलारा और उसकी चमडी आगे पीछे करते हुए खडी हो गयी और उसका लन्ड पकड़े हुए बिस्तर की ओर लेके बढ़ गयी ।
और फिर उसने राज का लन्ड छोड कर अपनी गाड़ फैलाते हुए बिस्तर पर अपनी कोहनी टिकाते हुए झुक गयी ।
फिर उसने बड़ी अदा से अपने बाल झटकते हुए गरदन घुमा कर आंखो से राज को अपनी गोरी फैली हुई हिलती गाड़ की ओर इशारा किया
राज मुस्कुरा कर अपना लन्ड हिलाता हुआ घुटनो के बल होकर रीना की गाड़ को सहलाते हुए उसमे फसी हुई पैंटी मे उगली कर उसे बाहर की ओर खिंचते हुए लपक कर अपनी थुक से लसराई जीभ को उसकी गाड़ के गुलाबी सुराख पर लगाते हुए कुरेदने लगा
रीना - आह्हह देवर जी उम्मममं आह्हह ऊहह ओह्ह्ह माह्ह्ह उफ्फ्फ
राज उसकी गाड़ पर एक जोर का थप्पड़ लगाता हुआ उसकी रस छोड़ती बुर मे मुह दे दिया
रीना का जिस्म एठने लगा और उसकी सिस्किया तेज होने लगी
राज खड़ा हुआ और अपना लन्ड उसकी बुर के मुहाने पर लगाते हुए बिना किसी हिचक के अगले ही पल रीना की बुर मे उतार दिया
उसका सुपाडा आधी बुर को चीरता हुआ एक करारी चोट अन्दर करता है जिस्से रीना की आन्ख उलटने को हो जाती है - आह्हह माईयाआ उह्ह्ह बाबुउउऊ ओह्ह्ह अराम्म्ं से उम्म्ंम्ं आह्हह
राज बिना थमे एक और तगड़ा झटका देते हुए लगातार जगह बनाता हुआ पेलाई चालू कर देता है
आअहह उह्ह्ह्ह उम्म्ंम मेरे राजाहहह ऊहह येस्स्स उम्म्ं और तेज्ज्ज ओह्ह्ह
राज बिना रुके तेजी से उसकी चुत मे लन्ड पेलने लगा और रीना भलभला झड़ने लगती है
ओह्हह बाबुउऊ उम्म्ं ओह्ह इह्ह उम्म्ंम्ं रुको रुको ओह्हह
राज हाफ्ता हुआ - क्या हुआ भाभीई
रीना आगे बिस्तर पर चढ कर पीठ के बल लेटते हुए अपनी टांग उठाती हुई - अब आजाओ
राज मुस्कुराया और बिस्तर पर चढ कर रीना की टाँगे उठा कर वापस से अपना मुसल सेट करते हुए लन्ड को उसकी बुर मे उतार दिया
रीना खुमारी भरी आंखो से उसकी ओर देखती हुई अपने होठ चबाने लगती है जिससे राज और भी जोश मे आकर उसके होठ अपने होठ मे भर कर ह्च्क ह्च्क के लण्ड पेलने लगता है और रीना हवा मे टाँगे उठाए चुद रही है
राज - आह्ह भौजी आप भी रुक जाओ ना मौसी के साथ जाना
रीना अपने कुल्हे उठाती हुई -आह्ह बाबू तुम्हारे भैया अकेले है ना
राज - अरे कौन सा वो आपकी चुत के लिए तरस रहे है जैसे मै तडप रहा हु
रिन मुस्कुराई- ओह तो मेरे देवर बाबू बहुत तरस रहे थे उम्म्ं अब लेलो ना हचक मे मेरे राजा , आज रात तो मैं तुम्हारि हु ना उन्म्ं आह्हह ऐसे ही ओह्ह ओह्ह और तेज पेलो उम्म्ंम माईयाआ य्ह्ह बाबू ऊहह
राज - आह्ह भौजी उह्ह्ह आयेगा उम्म्ंम ओह्हह
राज तेजी से लन्ड निकाला और रिना के उपर हिलाने लगा और रिना भी जीभ निकाल कर उठने को हुई कि राज के लन्ड ने तेज पिचकारी छोड़ी
कुछ जीभ कुछ गालो पर और बाकी सारा जोबनो पर
रीना राज के रसिले नमकिन लण्ड का टोपा चुसती हुई राज को देखते हुए मुस्कुराने लगी
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 196 C
राज के घर
गेस्टरूम का दरवाजा लग चुका था और कमरे मे हलकी हसी ठिठौलि वाली खिलखिलाहट के साथ मादक सिसकियाँ उठ रही थी ।
बिस्तर पर रज्जो रागिनी और शिला बेधडक नंगी आपस मे एक दुसरे से लिपटी हुई थी
दोनो बहने रागिनी और रज्जो ने शिला को दबोच रखा था ।
दाहिये ओर से आगे से रागिनी शिला पर चढ़ी हुई उसके गालो और गरदन को चुस रही थी वही बाई ओर पीछे से रज्जो ने उसकी भरी हुई गुदाज छातीया मिजते हुए उसके कान काट रही थी
शिला इस दोहरे रग्डाई मसलाई से मचल उठी थी , उसकी आंखो मे नशा उतरने लगा था ।
पीठ पर स्पर्श होती रज्जो की झूलती मुलायम छातीया शिला के जिस्म मे अलग ही गुदगुदी पैदा कर रही थी और रागिनी उसके जिस्म को आगे से चुमते हुए उसके सीने और फिर निप्प्ल को फ्लिक करने लगी
रागिनी की लपलपाती जीभ मानो शिला को अपनी चूची पर मीठी नरम आरी के जैसे मह्सुस हो रही थी ,
वो मीठी गीली जीभ उसके चुचो के काले घेरे को नम कर रही थी ।
शिला भी अपना दाया कन्धा उचकाये रागिनी की चोटी पकड कर उसकी थूथ अपने चुची पर रगड़ रही थी और वही बाई ओर से रज्जो की हथेली मे पिसाती , मिजाती उसकी दुसरी छाती गर्म और लाल हुई जा रही थी ।
आह्ह भाभीई ऊहह , सीईईई
रज्जो उसके कान काटते हुए - सच कहू शिला तेरे मे बहुत रस है उम्म्ंम्ं
रागिनी उसकी छातियो से मुह हटा कर उसकी गीली निप्प्ल पर हथेली घुमाती हुई - सच कहा जीजी , दीदी के जोबन अब भी कितने रसदार है
रज्जो ने मुस्कुरा कर अपना बाया हाथ आगे कर शिला की खुली पड़ी जांघो को चुत के करीब मसलते हुए - आह्ह यार असली रस देख निचे है , क्या रस छोड़ रही है मुइ उह्ह्ह्ह
रज्जो ने अगले ही पल दो उग्लियां शिला के बुर के फाके खोलते हुए भितर पेल दी - आह्हह भाभीईई उम्म्ंम ऊहह
रागिनी उठी और घुटनो के बल पीछे घसीटती हुई आगे झुक गयि और वही रज्जो ने शिला को पीछे खिंच कर पुरा बिस्तर पे लिटा दिया
फैली जांघो मे रस बहाती बुर के दाने पर उंगलिया मलती हुई रागिनी ने जीभ बढा कर शिला के बुर के फाको को चुबलाते हुए अगल हुई - ओह्ह जीजी (रज्जो) बड़ा ही रसिला माल है , आओ ना
रज्जो मुस्कुरा कर - सच मे क्या हट जरा
रागिनी के सर को ठेलते हुए रज्जो को आगे झुक कर शिला के बुर के उपरी फाको को मुह मे लेके चुबलाने लगी वही रागिनी के जीभ सरक शिला के बुर के घुस गयी जिसे रागिनी भितर का मुआयना करने लगी
दोनो बहने एक साथ शिला की बुर पर टूट पडी , एक ओर जहा रागिनी भीतर से चुत कुरेद रही थी वही रज्जो उपर से झाटो सहित उसके बुर के दाने अपने होठों से चुस रही थी
शिला रज्जो के सर को पकड़े हुए अपनी गाड़ उचकाने लगी और बुर हो रही हलचल ने उसे उपर आने तक मजबुर कर दिया , अगले ही पल वो अपनी गाड़ उठाते हुए झड़ने लगी - आह्हह भभीईई ऊहह ओह्हह उम्म्ंम्म्ं आ रहा है मेरा उह्ह्ह्ह उह्ह्ह
रज्जो - आने दो शिला रानी आज सब चट हो जायेवा
रागिनी मुह लगाये हुए चुबला रही थी और रज्जो उसके दाने को सहला रही थी
रज्जो - अरे हट ना सारा रस अकेले खा जायेगी
रागिनी हस्ती हुई उठी और अपने होठ पोछते हुए शिला के ओर बढ़ गयी
वही रज्जो शिला के बुर के आगे लेटती हुई उसकी जांघो को सहलाती हुई उसकी रस बहा चुकी बुर को कुल्फी के जैसे निचे से उपर चाटने लगी वही रागिनी आगे बढ़ कर अपनी बुर मलती हुई शिला के मुह पर बैठते हुए - अरे दीदी (शिला) जरा इसे टेस्ट करो ना , देखो आपके भैया के लन्ड का स्वाद होगा इसमे
शिला ने गरदन उठा कर अपनी जीभ निकाल कर रागिनी के बुर के फाको को छूआ और रागिनी पूरी तरह से गिनगिना गयि ।
शिला ने होठ से रागिनी के बुर के फाको चुबलाते हुए जीभ को नुकीला कर फाको को फाड़ते हुए भीतर घुसेड़ दिया
आह्हह दिदीईई उह्ह्ह उम्म्ं , बड़ी जल्दी है मलाई खाने की आपको उम्म्ं तो लो ऐसे और जल्दी आयेगा आह्हह उह्ह्ह
ये बोल कर रागिनी शिला के जीभ और होठ पर अपनी बुर दरने लगी
वही रज्जो उसकी जीभ बहुत प्यार से चाट चाट कर दुलार रही थी ।
फिर रज्जो उठी और शिला के बैग से दो strap-on सेट निकाले
रागिनी शिला के मुह पर अपनी बुर रगड़ती हुई - अरे जीजी (रज्जो) ये कहा उह्ह्ह सेह्ह्ह मिलाह्ह उम्म्ंम
रज्जो - अब तेरी नंद के है, मुझे तो लगता है पुरा बैग भर लाई थी
रागिनी ये सुन कर मारे जोश मे अपनी बुर उसके नथुनो और मुह पर घिसटती हुई उसकी चुचिया मिजने लगी - ओह्ह दीदी (शिला) मुझे कहती आपके दोनो भाइयो को पुरा दिन रात आपके भीतर घुसवाये रहती उह्ह्ह
रज्जो हस कर - आह हम भाभियाँ लेंगी कल भैया भी ले लेंगे हिहिहिही
रागिनी भी हस के उठ गयी और शिला अपना मुह पोछते हुए - मै तो 4 4 लेलू , मगर इतने लन्ड लाओगी कहा से हाहहहा मेरे भैया की रखैलो
रागिनी हस कर - हाव जीजी (रज्जो) देखो तो ये भैया के लन्ड पर बिकने वाली क्या बोल रही है
रज्जो अपना डीलडो सेट अपनी कमर पर बान्धते हुए दुसरा रागिनी की ओर फेकती हुई - ले इस्से इसका मुह बन्द कर दे चल
रागिनी मुस्कुराई और कमर मे उसको बाधने लगी, इधर उसको टाईम लग रहा था वही रज्जो ने शिला की कमर पकड कर उसको घोडी बनाती हुई - चल बहनचोद इधर आ तेरी बुर और मुह दोनो बन्द करती हु
शिला - आह्ह भाभीई आराम से उह्ह्ह
रज्जो ने बिना के रहम के हचक के वो लन्ड उसकी चुत मे एक ही बार मे उतार दिया - आह्हह साली इस्से भी मोटा खा चुकी है तु और बोलती है आराम से उह्ह्ह , छोटी जल्दी से इसका मुह भर दे
रागिनी हस कर उसके मुह पर दिल्डो भरती हुई - लो दिदि अपने भैया का लन्ड समझ के घोट जाओ
शिला ने मुह खोल कर आधा डील्डो मुह मे भर कर गुउउउऊ गुउउऊ करने लगी क्योकि पीछे से रज्जो भर भर के उसके बुर मे लन्ड भरे जा रही थी
रज्जो उसकी गाड़ पर थपेड मारती हुई - आह्हह साली कितनी चुदवासी है उह्ह्ह क्या मस्त माल है
रागिनी - मै क्या कहती जीजी , अब तो इनको दोनो भाइयो का लन्ड ले ही लेना चाहिए, जब दो जबरदस्त मुसतन्ड लन्ड इनकी बुर मे भरेंगे इनको भी मजा आयेगा और इनके भैया को भी
रज्जो - सच कहा छोटी , इस्से पहले वाला दिल्डो जो गायब हो गया वो पूरे दस इंच का था , वो पुरा घोंट जाती है ये रन्दी फिर दो लन्ड तो क्या चीज है
रागिनी - क्या 10 इंच वाला लन्ड हाय राम क्या हाल हुआ होगा चुत क्या ,
रज्जो हस कर हटती हुई -आह्ह खुद दे ले ना , मस्त भोड्सी हो गयी है
रागिनी हस कर उठी और शिला को पीचे से उसकी बुर मे लन्ड पेलती हुई - आह्हह दीदी ये तो हवा महल हुआ पड़ा है, इसमे तो दो दो लन्ड जाने चाहिये
शिला - हा रन्डीयो कहो तो तुम्हारा भी हवा महल खुलवा दू उम्म्ंम अह्ह्ह्ह धिरे कर हरामजादी उह्ह्ह बहिनचोद आह्हह
रज्जो उसको आगे से उठा कर उसके मुह को अपने छातियो से रगड़ती हुई बोली - कित्नी बार बोला अपने मुह का सही इस्तेमाल करो ऊहह लेह्ह चाट इसे उह्ह्ह आह्हह और जोर से उम्म्ंम्म्ं
वही रागिनी हचक हचक कर पीछे से शिला के बुर मे पेल रही थी
शिला - आह्ह भभीईई आह्हह फ्क्क्क मीई उह्ह्ब येस्स्स और और उम्म्म्ं
रागिनी - लो आ गयी अपनी जात पर मादरचोद , लेह्ह्ज ऊहह है तो अपने भैया की रखैल ही ना ऊहह और लेह्ह्ह
रज्जो - अरे इसको दो दो लन्ड चाहिये बोल लेगी ना , एक साथ अपने दोनो भैया का मुसल , बोल भरवायेगी उभ्ह इस्से ज्यादा मजा देगा वो
शिला - आह्ह भौजीई देदो अह्ह्ह सब ले लेंगी उह्ह्ह्ह आह्हह माह्ह्ह फक्क्क उह्ह्ह
रागिनी अलग होती हुई निचे लेट कर शिला के बुर के रसो मे लिभ्डा हुआ डीलडो को लन्ड के जैसे सहलाती हुई - आजा मेरी रान्ड़ तुझे दोहरे लन्ड का मजा देदू
शिला उसपे बैठती हुई - आह्ह भौजीईई ऊहह भर दो मेरी बुर उह्ह्ह आह्हह
रज्जो उसके पीछे आकर - बुर ही क्यू तेरी गाड़ भी हम खाली नही रखेंगे मेरी कुतिया लेह्ह्ह
शिला चीखी - आह्हह मैयाह्ह्ह ऊहह भोस्डी वाली बहिनचोद अपने गाड मे डाल ले उसे आह्हह
रागिनी हस कर - हिहिही क्यू दीदी ( शिला ) जोर की लगी क्या हाहाहा
शिला अपने दर्द से लाल हुए चेहरे को भीचती हुई गाड़ के छेद पर कसे हुए दिल्डो को मह्सुस कर - आह्ह हरामजादी, साली तेल तो लगा देती आह्हह मसाले खा खा कर गाड़ पहले ही जल रही है उह्ह्ह मुम्मीई
रज्जो - आह्ह मुझे नही पता मेरी जान , सॉरी , कसम से गुलाबजामुन की चासनी लगा के पेलती तुझे हिहिहिही
रज्जो की बात पर रागिनी भी हसने लगी और रज्जो पीछे से हल्का हल्का जोर देते हुए डिल्डो उसकी गाड़ मे भरने लगी
कुछ ही देर मे शिला की खुमारी लौट आई और अब धक्के दोनो ओर तेज हो गये
शिला की बुर और गाड़ कस कस के , हचक हचक के ली जा रही थी और शिला चिख कर चिलाल कर दोनो बहनो को गालियां बके जा रही थी -आह्हह बहिनचोद पेल ना ऊहह ओह्ह फक्क फक्क ऊहह येस्स एस्स फास्ट फास्ट उम्म्ंम्ममम्ं येह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह
रागिनी भी निचे से कमर उठा कर कस कस के पेल रही थी और रज्जो भी पीछे से हचक हचक कर पुरा मुसल उसकी गाड़ मे भर रही थी
अगले कुछ ही पलो मे - इह्ह्ह येस्स्स ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह आ रहा है ऊहह रुकना मत ऊहह ओह्ह फ्क्क्क फ्क्क आह्हह आह्ह
शिला तेजी से झड़ती हुई रागिनी के उपर ढह गयी और रज्जो के भी घुटने कमर जवाब दे चुके थे वो भी शिला के उपर वैसे ही लेट गयी
जिस्से उसका डील्डो वापस से शिला की गाड़ मे ग्च्च से जड़ तक घुस गया - आह्हह हट बहिनचोद फ़ाड ही डालेगी क्या उह्ह्ह मा ऊहह
रज्जो और रागिनी उसकी प्रतिक्रिया पर हसने लगी और रज्जो उठ गयी
उनको हस्ता देख शिला के भी गाल खिल गये - हा नही तो थोडा भी रहम नही है तुम बहनो मे
रागिनी हस उसको गले लगती हुई - अरे दीदी (शिला) , भौजाई ननद पर रहम दिखाये तो काहे की भौजाई हिहिहिही
रज्जो उसकी बात पर हस देती है
रागिनी - वैसे मानना पड़ेगा आज चोद कर पता चला कि मर्द लोग भी कम ताकत नही लगाते , मेरी तो कमर दुखने लगी दिदी को पेल कर हिहिहिही
रज्जो - हा भाई अब मै तो रमन के पापा से कभी शिकायत नही करूंगी कि थक क्यू गये हिहिही
शिला ह्स कर - तो क्या भाईसाहब जल्दी निबट जाते है हिहिहिही
रज्जो - एक बार ट्राई करके देख लो पता चल जायेगा हिहिहिही
रागिनी - हा और क्या नये लन्ड की तलब भी पूरी हो जायेगी हिहिहिही
रज्जो - अरे नये लन्ड से याद आया , तेरे देवर जी के साथ अब इनका टाका सेट करना है
रागिनी - देवर ही क्यू दोनो भाई रहेंगे एक उपर के निचे, एक आगे तो एक पीछे हिहिहिही क्यू दीदी (शिला )
शिला उनकी बात पर ह्सने लगी
अमन के घर
कमरे मे चुप्पी सी थी ।
पंखे तेज हनहनाहट से दोनो के जिस्म की गर्मी अब हल्की होने लगी थी ।
शरीर की सतह पर ठंडी पडने लगी थी साथ ही मुरारी का लन्ड भी अब आकार बदल कर छोटा हो रहा था ।
ममता उसके सीने से लगी हुई कुछ कहानी किस्से गढ़ने की फिराक मे थी और वो मुरारी के सीने पे उंगलियां चला रही थी ।
मुरारी उसको चुप देख कर मुस्कुराया - क्या हुआ ? क्या पुछना है बोलो ?
ममता मुस्कुरा कर - धत्त आप बूझ कैसे जाते हो ?
ममता ने जानबूझ कर मुरारी को जताया कि वो सही है ।
मुरारी हस कर - भाई 25 साल होने को है तुमसे ब्याह किये , कब तुम क्या करोगी भनक आ जाती है मुझे
ममता घूम कर गरदन उठा कर मुरारी के आगे अपना चेहरा कर - अच्छा जी तो बतायिये क्या सोच रही हु मै उम्म्ं
मुरारी हस कर - अरे ऐसे थोड़ी ना , मै कोई ज्योतिष थोडी ना हु कि सब पता ही होगा , बस मह्सूस हो जाता है
ममता - ओहोहो देखो तो बड़े बन रहे है वो मै भी बता सकती हु कि आप भी परेशान है मगर मुझसे छिपा रहे है
मुरारी ममता की बात टालता हुआ - क्या ? मै ? नही नही हाहाहा
ममता - ओहो फिर क्या छ्त पर बेटे की शादी की खुशी मे सिगरेट की कस ले रहे थे ।
मुरारी के चेहरे के भाव बदले और एक गहरी सास लेकर ममता को अपने उपर से हटाता हुआ - ओह्ह तो तुम्हारे लाड़ले ने मुह खोल ही दिया
ममता - उसे आपकी फिकर थी इसीलिए बोला उसने
मुरारी - अरे सच मे ऐसी कोई बात नही है अमन की मा तुम परेशान ना हो
ममता रूठने की अदा से मुरारी के जिस्म से दूर होकर - देखीये मै चाहू तो आपको अपनी ... नही नही मै आपको अमन की कसम देके उगलवा लूंगी लेकिन मै ऐसा बिल्कुल भी नही चाहती
मुरारी को ममता का यू रूठना रास नही आया - अरे मेरी सेठानी क्या हुआ , काहे नाराज हो रही है । तुम अपनी कसम देगी तो भी मै नही कुछ छिपाउन्गा
ममता खिल कर वापस से मुरारी की ओर घूम कर उससे चिपक कर - हा तो ब्तायिये ना क्या हुआ
मुरारी उसको अपनी बाहो मे समेटता हुआ उपर पंखे को निहारता हुआ - ह्ह क्या बताऊ अमन की मा , मुझे कहना तो दूर इस बारे मे सोचकर भी शर्म आ रही है ।
ममता - आखिर बात क्या है , ब्ताईए ना
मुरारी का दिल अब तेज होने लगता है और उसके माथे पर पसीने की बूँदें उभरने लगती है - ममता मै जो बताने जा रहा हु वो बस हमारे बीच ही रहे इसका जिक्र भूल से भी किसी और से नही करना
ममता गम्भीर होते हुए - जी कहिये
मुरारी - हुउह्ह क्या बताऊ , तुम सच मे यकीन नही करोगी कि शादी मे मैने क्या देखा ।
ममता के लिए सब कुछ रहस्यमय पीटारे जैसा लग रहा था - क्या ?
मुरारी - याद है जब हम सब खाने के लिए एक साथ थे तो उस समय संगीता नही थी वहा
ममता - हा , आपही से तो दीदी की कुछ बात हुई थी ना , मैने बहुत ध्यान नही दिया था तब ,क्यू क्या बात है ?
मुरारी - उसी को खोजने मै समधि जी के बगल वाले घर में गया था और वहा ?
ममता को समझते देर नही लगी कि मुरारी संगीता को चुदते देख चुका है और ये सही नही हुआ । ये उसकी योजना के बिल्कुल उलट हो गया था ।
मुरारी - और मैने वहा जो देखा वो तुम यकीन नही करोगी कि मेरे सगी बहन अपने पति को धोखा दे के किसी गैर मर्द के साथ सेक्स कर रही थी
ममता चौकने का नाटक करती हुई - क्या ? कौन ? किस्से ?
मुरारी - वो शायद समधि जी का ही साढू था बारात आने के बाद से ही दोनो मे बाते शुरु हो गयी थी और मैने पीछा किया तो ये सब
ममता मुरारी से उगलवाते हुए - हा लेकिन वो बस बात ही कर रहे थे तो आपको शक कब हुआ
मुरारी - अरे शक तो मुझे पहले ....
ममता - मतलब दिदी के व्य्व्हार के बारे मे आपको पहले से पता है , कब से ?
मुरारी परेशान होकर - वो सब मै नही बता सकता ,
ममता - देखीये आप इस बोझ को अगर अकेले ढोएंगे तो मै यही समझून्गी कि आपने कभी मुझे अपना माना नही , हुह
मुरारी - अमन की मा तुम ये क्या ....?
ममता - तो बतायिये ना क्या बात है सच सच आपको मेरी कसम है ! प्लीज
मुरारी - ओह तुम ये कसम क्यू !! ह्ह क्या बताऊ परसो रात मे मैने संगीता को मदन के कमरे से आता देखा
ममता अचरज भरी प्रतिक्रिया मे - देवर जी के कमरे से ?
मुरारी - हा और उस समय मदन कमर से निचे पुरा नन्गा था और पैंट पहन रहा था , वही संगीता का शरीर बुरी हालत थी, बिखरे बाल उलझी हुई साडी ।
ममता - तो क्या दीदी और देवर जी , भ्क्क्क नही ?
मुरारी - तुम सही समझ रही अमन की मा और फिर आज शाम को छत पर से मैने गोदाम मे सारा कुछ अपनी आंखो से देखा
ममता थूक गटक कर - क्या ?
मुरारी - यही कि मदन संगीता को चोद रहा था ।
ममता की सासे तेज हो गयी कि अब वो क्या करे ? ये सब उसी का रचाया खेल था और मुरारी को कतई इसकी भनक नही होनी चाहिए थी ।
मुरारी अपनी बात जारी रखे हुए था - एक बार मुझे लगा कि मदन की तनहाई के खातिर संगीता ने इतना बड़ा बलिदान दिया है , मगर मै गलत था ।
ममता - मतलब ?
मुरारी - संगीता ने बस मदन का इस्तेमाल किया है अमन की मा , वो बस लन्ड की प्यासी है
ममता - क्या पता देवर जी का और दीदी का पहले से ही चल रहा हो और अब आपको पता चला हो
मुरारी - नही नही ममता ये अभी शादी के हाल फिल्हाल मे हुआ है क्योकि कल सुबह सलून जाने के लिए सब लोग गये थे तो ये दोनो बाथरूम मे लगे हुए थे और वहा मैने इनकी बाते सुनी थी
ममता मुस्कुराई - वैसे आपको मानना प्देगा
मुरारी - क्या ?
ममता - आप दोनो की बात सुन कर भी खुद को काबू मे रखे हुए थे हिहिहिही
मुरारी घुर कर ममता को देखता हुआ
ममता - अरे मै मजाक कर रही हु , देखो तो अभी इतनी बात कर ली और इसे जरा भी फर्क नही पड़ा
ममता ने हाथ बढा कर मुरारी के आधे सोये लन्ड को हौले से स्पर्श किया और वो फडक उठा
मुरारी - आह्ह छोड़ो ना
ममता - ओहो आप परेशान क्यू हो रहे है , उन्होने अपना जीवन चूना है तो उन्हे जीने दीजिये
मुरारी - मगर वो सगे भाई बहन है
ममता मुरारी के आड़ो को टटोलती हुई - अच्छा अगर वो भाई बहन नही होते तो क्या आपको तब भी बुरा लगता देवर जी या दीदी को लेके
मुरारी असहज होकर - पता नही, मगर ऐसे बिना किसी शादी व्याह के ये सब करना उचित नही है अमन की मा , हम सब समाज के हिस्से है उसकी व्यव्स्था को मानना फर्ज है ?
ममता - देखीये मुझे ये बड़ी बड़ी बाते समझ नही आती , मै बस यही जानती हूं कि जब अपना पेट भरा हो तो ही समाज देश के बार मे आदमी सोचता है ।
मुरारी - हा लेकिन मर्यादा और संयम नाम की चीज होती है ना अमन की मा !
ममता हस कर - ओहो देखो तो संयम की बात कौन कर रहा है हिहिहिही मुझसे ब्याहने के लिए शादी की तारिख किसकी ओर बदलवाई गयि थी बोलो
मुरारी ममता की बात पर थोड़ा शर्मिंदा हुआ और हसने लगा ।
ममता हसती हुई - और तो और दो दिन नही सबर हुआ आपसे तीसरी दुपहर मे ही आपने धर लिया था मुझे भूल गये , बड़े आये मर्यादा और संयम की बात करने वाले
मुरारी ममता की बात पर हसने लगा
ममता - अरे अगर आपको भी सालो तक अपने किसी प्रेमिका के प्यार मे तडपना पड़े और उसको किसी और की बाहो मे जाता हुआ देखना पडे तो आप ही बताओ कितने सालो तक ये दुख का बोझ उठा पाओगे आप बोलो
मुरारी के पास कोई जवाब नही था
ममता - अरे बेईमानी या धोखेबाजी मे अगर दीदी ने उन्हे कुछ पल का सुख दे दिया तो क्या बुर हो गया ।
मुरारी अब भी चुप रहा ।
ममता हस कर उसे छेड़ती हुई - कही ऐसा तो नही कि दीदी ने सिर्फ देवर को पूछा इसीलिए आपका मुह फूला हुआ है हिहिहिही
मुरारी चौक कर ममता को खिलखिलाता देखा - क्या नहीई , क्या तुम भी हिहिहिही
"लेकिन दीदी के नाम पर ये क्यू फूल रहा है फिर " ममता ने मुरारी के करवट लेकर उठती हुई लन्ड को हथेली मे भरती हुई बोली ।
मुरारी - क्या तुम भी , छोड़ो उसे
ममता ने ना मे सर हिलाया और घुटने बल होती हुई - ना हिहिही आज तो इसको खा ही जाउंगी
मुरारी का लन्ड ममता के इरादे जान कर और तनमना गया और दोनो की कामक्रीड़ा एक बार फिर से शुरु हो गयी ।
राज के घर
"नही यार ऐसे नही प्लीज , मुझसे नही होगा " , बबिता ना नुकर करते हुए बोली ।
राहुल - यार वी आर ओनली हैविंग फ़न , हम चार ही रहेंगे कोई और तो नही है ना अब बाहर जाना रिस्की है ना
गीता - हा बबिता राहुल ठिक कह रहा हु, देखो मुझे तो कोई प्रोब्लम नही है यहा
बबिता ने अरुण की बाहो मे इठलाती हुई गीता को देखा और बोली - हा फिर भी ऐसे नही , प्लीज तुम दोनो आंखो पर रुमाल या कपड़ा बान्ध लो फिर हम भी कम्फर्ट रहेंगे
अरुण - यू मिन ब्लाइंड फ़ोल्ड
राहुल चहक कर - क्या सच मे फिर तो मजा दुगना हो जायेगा ।
ना तो बबिता को और ना ही गीता को ज्यादा कुछ समझ आया कि क्यू वो दोनो खुश हो रहे हैं और दोनो बहने तो इस बात अंजान ही थी कि ब्लाइंड फ़ोल्ड भी एक तरह की सेक्स फैंटेसी है , जिसे बबिता ने बस अपनी सुविधा के लिए अन्जाने मे बोल दिया था ।
दो स्टाल से गीता और बबिता ने दोनो के आंख अच्छे से बान्धा और फिर एक दुसरे को मुस्कुरा कर देखा ।
गीता आगे बढी और अरुण को सोफे पर बिठाया , सेम वही बबिता ने भी किया राहुल के साथ
दोनो ने बिना किसी हिचक के सिधा उनकी बेल्ट पर धावा बोल दिया , दोनो चहके की ये बहने क्या तेज है गाव मे रह कर भी
राहुल - आह्ह सच मे मुझे यकीन नही हो रहा है कि गाव मे रह कर भी तुम दोनो इत्नी आगे बढ़ गयि हो
अरुन - सच मे मुझे नही पता था गाव मे भी ब्लाइंड फ़ोल्ड जैसी रेयर फैंटेसि के बारे मे भी लोग जान्ते होगे
राहुल अपना कुल्हा उठाता हुआ - अरे यार ये इंटरनेट ने अब दिया है हुउउऊ ऊहु हिहिही
अरुण - क्या हुआ यार
राहुल - पता नही कौन छू रहा है यार बबिता प्लीज सताओ मत
दोनो बहने आपस मे खिलखिलाई और उन्होंने सीधे उन्के पैंट खोलने शुरु कर दिये
अरुण - यार तुम लोग तो डायरेक्ट पहुच गयी , उपर से शुरु करती ना
राहुल एक्साइटेड होकर - हिहिही कपडे निकाल दी हो क्या तुम भी अपना
दोनो बहने बिना कुछ बोले हीही करके हसी और अपना काम करती रही
अरुण हाथ आगे बढा कर टटोलता हुआ गीता के गुदाज हाथ पकड कर - आह्हा उहुउऊ कितनी मुलायम हो यार तुम
राहुल अपनी रोएदार जांघो पर रंगते बबिता के पंजे को मह्सुस कर - आह्ह क्या मिल गया भाई तुझे जो इतना मुलायम है
अरुण - अबे साले हाथ है उस्के और क्या
अरुण के जवाब पर दोनो बहने फिर हसी और बबिता उपर आकर राहुल की गोद मे बैठती हुई उसके होठ चुसने लगी
राहुल भी जोश मे बबिता के कमर मे हाथ डाल कर उसको कसता हुआ उसके होठ चुबलाने लगा ।
अरुण को ये चुप्पी खली - अरे कहा गया बे , कमरे से बाहर नही ना निकल गया
राहुल किस तोड़ता हुआ - आह्ह साले यही हु क्या मस्त उभार है इसके यार उह्ह्ह क्या चरबी भरी चुची है
बबिता उसके गाल पर हल्की थ्पेड़ लगाती हुई - चुप करो
राहुल लोवर के उपर से बबिता की गाड़ दोनो हाथो मसलता हुआ - आह्ह मेरी जान तुम्हारि तारिफ ही कर रहा हु ना
बबिता वापस उसके होठ से होठ लगाती है और राहुल के अंडरवियर मे उभरा मुसल उसकी चुत पर खटखटा रहा था
वही बगल मे गीता ने अरुण की जान्घे चूमते हुए आगे बढ़ रही थी।
अरुण अपनी टाँगे एठता .. कमर उचकाता गीता के सर को दुलार रहा था - ओह्ह यार क्या है ये लडकी उम्म्ंम सीई उपर आओ ना मेरी जान
अरून ने आगे बढ़ कर गीता की कलाई पकड कर उसको अपने ओर किया और उसको अपनी गोद मे बाई जांघ पर बिठाता हुआ उसको पिछे से दबोचकर उसके फूले गाल होठों से चबाता हुआ - उम्म्ंम क्या रसिले गाल है और इन आमो का क्या ही बोलू
गीता अरुण की बाहो मे कसमसाती हुई अरुण के पंजे से अपने छातियां मिजवा रही थी - उम्म्ंम अरुण सीई अह्ज
राहुल - देखो ना वो लोग कितने आगे बढ़ गये और तुम शर्मा रही हो अभी
बबिता हस कर - तुम्हे बडा दिख रहा है वो लोग क्या कर रहे है
राहुल - आह्ह प्लीज मुझे भी दो अपने आम चुसने को , देखो ना मेरे सीने पर चुब रहे है
बबिता उसके गरदन को चुमती हुई अपनी चुत को अंडरवियर के उपर से ही उसके तने हुए मुसल पर रगड़ती हुई - उमम्म तो बेबी को दुधू चाहिये ,
राहुल ने तडप कर हा मे सर हिलाया
बबिता के उसके सरकते हाथ पकड कर उपर दिया - इसको उपर ही रखना
और अगले ही पल बबिता ने टीशर्ट के अन्दर से अपनी ब्रा खोलकर निकाल दी और टीशर्त उठाती खुद भी उठ कर अपने चुचियो के तने हुए नुकीले निप्प्ल उसके गाल पर टच कराने लगी
नरम और गुदाज चुचियो के गर्म स्पर्श से राहुल पुरा गिनगिना गया
और जीभ निकाल कर अपने मुह के आगे झूलती अमियों के ढेपिता खोजने लगा ।
वही बगल मे अरुण गीता की टीशर्ट उपर कर उसकी रसदार चुचिया बाहर निकाल कर उन्के निप्प्ल मरोड रहा था और गीता गरदन घुमा कर उसके होठ को चूसे जा रही थी, उनकी टाँगे आपस मे रगड़ खा रही थी ।
"आह्ह , प्लीज दो ना उम्म्ं " , राहुल कुनमुनाया और बबिता खिलखिलाई ।
राहुल हाथ अलग कर अब उसकी एक चुची को पकडा और उसको गारता हुआ सीधा नुकीला भुरा निप्प्ल मुह मे
लपलपाती जीभ की रगड़ घिसट और मशीनो जैसी दूधते राहुल के होठो ने बबिता की जिस्म मे बिजली दौरा चुके थे
- आह्हह मम्मीईई उह्ह्ह राहुल उम्म्ं ऊहह सक इट बेबी उम्म्ंम्ं आह्ह प्लीज और चुसो उम्म्ं
बबिता राहुल के मुह पर अपनी चुचिया दबाती हुई उसके बालो को सहलाते हुए बोली और राहुल उसके चुची को मुह मे भरे हुए दुसरे हाथ से उसकी गाड़ दबोचने लगा
वही अरून भी आगे झुक कर गीता की चुचियां मुह मे भर चुका था - ऊहह येस्स अरुण उम्म्ंम सक इट ऊहह ओफ्फ्फ ममीईई उह्ह्ह आह्हह रगडो मत ऊहह सीई
अरुन ने हाथ पीछे ले जाकर स्टाल खोल दिया और पहली बार अपनी बाहो मे अधनंगी गीता को देखा और उसकी भूरी मटर दाने जित्नी निप्प्ल के साथ मोटी नारियल जैसी चुची देख कर वो एक बार फिर से उसपे टूट पड़ा- आह्ह अरुण हिहिही आराम से यर उह्ह्ह सीई आह्ह म्म्मीई उम्म्ंम
गीता की खिलखिलाहट देख कर बबिता ने उसकी ओर देखा -अरे ये तो चिटिंग है , तुने कपड़ा क्यू खोलने दिया इसे
राहुल चौका और वो भी अपने आंखो से कपड़ा हटा कर गीता की ओर देखा , जहा अरुण अपनी आखो से कपड़ा हटाए गीता की रसदार मोटी चुची को मिजते हुए चुस रहा था - अरे हा ये तो गलत है ना
बबिता ने राहुल को देखा और हस कर बोली - अरे तुम तो उधर मत देखो गन्दे कही के
राहुल ने उसकी ओर देखता हुआ उसके रसिली अमियों को दबोचता हुआ - हा मेरी जान मेरा फोकस तुम पर ही है उम्म
बबिता मुस्कुरा कर सिसकी - आह्हह आऊच बदमाश उह्ह्ह सीईई
कुछ ही देर मे दोनो बहने उठी और ऊन्होंने राहुल और अनुज के अंडरवियर निकालने लगी
राहुल अपना फ़नफनाता हुआ मुसल रगड़ कर - आह्ह मेरी जान आओ ना अब ऊहह
बबिता ने उसका लन्ड हाथो मे थामा और उसका जिस्म गनगना गया और वही गीता पहले ही मुह खोलकर सुपाडा गपुच
कर चुकी थी
अरुण - उह्हुउऊऊ यार कितना अच्छा लग रहा है उम्म्ंम सीईई ठण्डा ठंडा उम्म्ंम्ं
राहुल - आह्ह सच मे ऊहह यार ये दोनो कमाल की है उह्ह्ह सक बेबी सक ऊहह एस्स और लो उम्म्ंम क्या चुसती हो मेरी जान
दोनो बहने उनके तनमनाये मुसल को पकड कर उन्हे अपने लार से गीला कर रही थी और हिला रही थी
वही राहुल अपने शर्त खोलने लगा , देखा देखी अरुण भी अपने कपडे उतारने लगा
राहुल उठा और बबिता को खड़ा और उसके होठ चुस्ते हुए उसका लोवर निकाल दिया
और सोफे पर घोड़ी बना दिया
और उसकी चरबीदार गाड़ सहलाता हुआ उसकी कच्छी खिचता हुआ निचे कर दिया , वही बबिता की कसम्साहट और मादक सिसकिया जारी रही थी
मुलायम गोरी गाड़ के फाके फैलाते हुए उंगलियो मे थुक लेके उसके बबिता के बुर पर लिपने लगा और बबिता आगे झुकी हुई कमर एठने लगी - आह्हह राहुल उह्ह्ह उम्म्ंम
राहुल ने बिना किसी देरी के अपने सुपाड़े को खोला और लन्ड को उस्की बुर पर रगड़ते हुए भीतर ठेल दिया -आह्हह मम्मीई उह्ह्ह उम्म्ं ऊहह रुको ना सीईईई आह्हह
राहुल उसकी गोरी चिकनी गाड़ रगड़ता हुआ हल्का हल्का झटके देने लगा वही अरुण की गोद मे गीता चढ कर उसके लन्ड पर बैठ चुकी थी और अरुण उसकी रसदार चुचियां मुह मे लेके उसकी गाड़ दबोच कर फैला रहा था - आह्हह अरुण माय बेबी फ़क मी हार्ड ऊहह येस्स आह्हह आह्ह येस्स येस्स उम्म्ंम उम्म्ं येस्स बेबी ऊहह
राहुल ने नजर फिरा कर देखा कि अरुण गीता को नंगी अपनी गोद मे लन्ड पर बिठाये हुए निचे से कमर उठा कर उसकी बुर मे पेल रहा था और गीता की मोटी फैली हुई चर्बीदार गाड़ देख कर उस्को और भी जोश आने लगा और वो कस कस के झटके बबिता की बुर मे देने लगा
बबिता - ऊहह आह्हह येस्स ऐसे ही ओह्ह येस्स्स फकक्क मीई फ्क्क्क मीई उम्म्ंम
राहुल- आह्ह यार क्या कसी हुई चुत है तेरी आह्हह
अरुण - हा भाई बहुत ही मजेदार है ये है इसके बुर के फाके तो मेरे आड़ो को भी भर ले रहे है उह्ह्ह
राहुल ने हाथ बढा कर गीता के गाड़ छुने लगा - आह्ह यार क्या नरम गाड़ है इसकी उह्ह्ह
अरुण ने उस्का झटका -हटा साले मेरा माल मत छूना
गीता और बबिता अरुण की बात कर खिल्खिलाई
वही बबिता - क्यू मेरी गाड़ मस्त नही है क्या उम्म्ं बोलो
और उसने कस कस कर अपने चुतड पीछे उसके लन्ड पर झटकने लगी
राहुल भी अपनी टाँगे मजबूत कर उसके गाड़ थामता हुआ करारे झटके देकर - अरे नाराज ना हो मेरी जान तेरी गाड़ उह्ह्ह क्या नरमी है कितनी कसावट है आह्हह लेह्ह्ह और लेह्ह ऊहह
वही गीता कस कस उछल उछल कर थकने लगी थी - आह्ह प्लीज चेंज करो ना दुख रहा है उम्म्ं
और अगले ही पल अरुण ने भी उसे घोडी बनाते हुए पीछे से चोदने लगा
अब दोनो की बहने घोड़ी बनी हुई सिस्क रही थी और राहुल अरुण कस कस के ताबड़तोड धक्के लगा रहे
गीता - आह्ह बेबी और तेज उह्ह्ह येस्स फ़क मीई उह्ह्ह
बबिता ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराई - ऊहह येस्स मुझे भी मुझे भी उह्ह्ह
अरुण हस कर - अरे मै कैसे एक टाईम पर तुम दोनो को पेल सकता हु
बबिता हसी औए शर्मा कर - क्या मैने तुमको न्हीईई आह्हह ऊहह हा बेबी ऐसे ही ऊहह उह्ह्ह आह्ह फक्क्क
राहुल - आह्ह मेरा होने वाला है ऊहह
अरुण - हा हा मेरा भी आयेगा आह्हह
दोनो जल्दी से पीछे हुए और लन्ड हिलाने लगे और दोनो बहने भी झट से उठी और निचे बैठ गयी
अगले ही दोनो के उपर पिचकारी छूट पड़ी-
राहुल - आह्हह आह्ह उह्ह्ह्ह ओह्ह यार मजा आ गया
अरुण भी मुस्कुरा कर लन्ड झाडता हुआ - आह्ह हा यार एकदम हिहिही
वही दोनो बहने लन्ड चुस कर आप्स ने एकदुसरे को किस करने लगी
अरुण और राहुल चौक कर - क्या ? तुम दोनो लेस्बो भी हो
गीता बबिता मुस्कुरा कर एक दुसरे को हग करती हुई हसने लगी और राहुल अरुण के लन्ड एक बार फिर फड़फड़ाने लगे
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 196 D
अमन के घर
"अरे तो उठाओ ना देखो क्या बात है "
" नही यार वो परेशान करेगी अभी "
" हिहिही तो क्या हुआ साली है आपकी , हक है उसका "
" और मेरा ? "
सोनल हस कर - अरे उठाओ तो
अमन के वीडियो काल उठाया और मोबाईल सोनल को थमा दिया
" हाय जीजू , अरे तु !! " , निशा वीडियो काल पर सोनल को पाकर अचरज से बोली ।
सोनल ह्स कर - जीजू की बच्ची क्यू फोन कर रही है ।
निशा खिलखिलाई - तुने फोन क्यू उठाया और जीजू कहा है ?
सोनल ने अमन की ओर देखा तो उसने बाहर होने का इशारा किया ।
सोनल हसते हुए गालो के साथ - वो बाहर गये है ? क्या काम है बता
निशा ने फोन पर सोनल के उतरे हुए गहने देखे और हस कर - अरे आधा अधूरा काम छोड कर बाहर क्यू गये , सुहागरात पर प्रेशर आ गया क्या हिहिहिही
सोनल हस कर - आधा अधुरा मतलब
निशा ने हसते हुए उसके खुले पड़े जोबन की ओर इशारा करके बोली - गहरे उतरे हुए है और चोली चढ़ी हुई है , झुमके गायब है और लिपस्टिक फैली हुई है हिहिहिही
सोनल शर्मा कर हस्ती हुई एक नजर को देखा - चुप कर शैतान कही की और बता फोन क्यू की है ।
निशा खिलखिलाकर - वो मैने जीजू से एक वादा लिया था इसके लिए फोन किया था हिहिहिही
सोनल ने अचरज से अमन की ओर देखा जिसकी हालत खराब थी कि वो किस चक्कर मे फस गया
कही निशा ने गलती से भी कुछ बक दिया तो सारी बातें खुल जायेगी और उसकी शुरु होता नवजीवन सुहागरात मे ही कलेश से शुरु होगा ।
सोनल इशारे से उस्से पुछती है क्या बात है तो अमन लपक कर उससे मोबाईल लेके फोन काट देता है
सोनल - क्या हुआ , काट क्यू दिया
अमन - अह छोड़ो ना उसे ,
सोनल - क्या बात आप कुछ परेशान लग रहे है , सच सच बताओ आपको मेरी कसम
अमन अपना सर पीट कर - फिर एक और कसम ?
सोनल - मतलब !!
अमन - अरे सारे फसाद की जड़ ये कसम ही तो है
सोनल - कैसी कसम ,साफ साफ बताओ ना क्या बात है ?
फिर अमन बताता है कि कैसे निशा ने उन दोनो की चैट्स पढ ली और सासु मा को बताने की धमकी देकर उससे सुहागरात लाइव दिखाने का वादा ले लिया था ।
अमन - यार मुझे लगा कि वो बस मजाक कर रही थी लेकिन ये तो हद है ना !!
सोनल खिलखिलाकर हसती हुई - हा तो अब वादा पूरा करो , नही खानी चाहिए थी ना मेरी कसम हिहिहिही
अमन - क्या ? नही यार मुझसे नही होगा
सोनल उदास होने का नाटक कर - लेकिन मेरी कसम का क्या ? तोड़ दोगे आप !!
अमन उसको उदास होता देख झट से उसको हग करता हुआ - नही नही मेरा बाबू , ऐसे कैसे मै मेरे सोना की कसम तोड दूँगा
सोनल उसके सीने से चिपकी हुई - तो ? करू उसको वीडियो काल मै ?
अमन हसकर उसकी ओर देखा - तुम्हे तो कोई ऐतराज नही है ना
सोनल शर्मा कर मुस्कुराती हुई ना मे सर हिलाई और अमन को कस कर हग कर लिया ।
फिर अमन ने खुद अपने मोबाइल से वीडियो काल किया
सामने से निशा - हम्म्म क्या खिचडी पक रही थी मिया बीबी मे
अमन हस कर - खिचड़ी तो तैयार है बस चटाकेदार खटाई वाली साली की कमी लग रही है बस
निशा - ओहो सच मे , वैसे आपको अपना वादा याद है ना ? हिहिहिही
अमन- अरे ऑफकोर्स , कोई पागल ही होगा जो साली से किया हुआ वादा भूल जाये
निशा - ये हु ना जीजू वाली बात हिहिहिही
अमन - तो चलो आपको एक सही जगह पर सेट कर देते हैं
निशा को ताज्जुब हुआ कि कैसे अमन और सोनल इसके लिए तैयार हो गये
वही अमन मोबाईल को बेड मे लगे हेडबोर्ड एक रैक पर मोबाइल टिकाने लगता है
राहुल के घर
टिक टिक टिक टिक...
कभी करवट बदल कर तो कभी जांघो मे उठती खून की सरसराहट से बेचैन होकर
क्भी दिल मे उठते जज्बात से
कभी लन्ड मे होती कुलबुलाहाट से
पेट मे उड़ती तितली की गुदगुदाहट से
तो कभी फिर सांसो की बदलती गर्माहट से
अनुज परेशान था कमरे की बत्ती बुझे 20 मिंट से उपर हो गये थे , नाइट बल्ब की रोशनी मे वो बगल मे लेटी अपनी चाची के ब्लाउज मे सास लेते चुचो को निहार रहा था ।
भीतर एक तुफान सा उठा हुआ था , लन्ड की बेताबी उसे लहरों सी हिम्मत देती वही रिश्तो की खड़ी दिवार उसके अरमान ऐसे बिखरा देती मानो चट्टान से टकरा कर लहरे मुह की खा कर वापस लौट गयी हो ।
मगर लहरों की भी प्रकृति थी लौट कर वापस आना और वैसे ही कामोत्तेजना के आवेग रह रह कर अनुज के जिस्म मे उठ रहे थे ।
वही बगल मे लेती शालिनी के आंखो से नीद गायब थी , जन्गीलाल ने अपने मन की करके उसे प्यासा ही छोड़ रखा था । वही चुदाई के समय हुए उसके अनुभव से उसे प्कका यकीन हो गया था कि अनुज अभी तक जाग ही रहा है ।
शालिनी को थोड़ा बहुत असहज मह्सुस हो रहा था मगर हाल ही मे हुए उसके और अनुज के बीच के हुए संजोग से वो इस बात के लिए बहुत चिंतित नही थी
वो ये भी समझ रही थी कि जंगी की वजह से अनुज परेशान हो गया है और उसे नीद नही आ रही है ।
बदलते करवट और भीतर की बेताबी अनुज की कुनमुनाहट भरी आह से साफ नजर आ रही थी ।
शालिनी - नीद नही आ रही है क्या बेटा ?
अनुज की सासे अटकी और वो आंखे बड़ी कर छ्त को निहारने लगा , उसे लगा था कि चाची अभी तक सो गयी होगी ।
वो इस बात के लिए शुकरगुजार थी कि लाख लालच के बावजूद भी वो अपनी चाची के दूध की ओर नही लपका ।
शालिनी - क्या हुआ बोल ना ?
अनुज - अह हा चाची , नही आ रही है
शालिनी - हम्म्म चल उठ उपर चलते है टहलने के लिए, मुझे भी नही आ रही है
अनुज ने अंगडाई ली और वो उठ कर खड़ा हुआ
शालिनी भी बगल से बिस्तर से उतर गयी और दोनो कमरे से बाहर आकर निकलने लगे
शालिनी आगे थी और अनुज पीछे जैसे ही दोनो जीने के पास पहुचे
शालिनी - रुक जरा मै तेरे चाचा को देख लू ये सोये कि नही
अनुज को हसी आई मगर उसने खुद को रोका और जब शालिनी कमरे मे झाक कर तसल्ली कर ली तो मुस्कुराते हुए अनुज की ओर ब्लाउज
पेतिकोट मे अपने मादक चाल मे आती हुई - चल
ये बोलकर शालिनी खुद से ऊपर जीने की ओर जाने लगती है और जीने की सीढियां चढ़ते हुए शालिनी की मोटी चर्बीदार गाड़ उसके पेटीकोट मे कसे हुए गजब के कामुक शेप बनाते हुए मटक रहे थे
अनुज के मुह के जरा सा आगे ही चाची की गाड़ को हिलता देख उस्का लन्ड फड़फड़ाने लगा
जीने का दरवाजा खोल कर शालिनी खुली छत पर आकर - आह्हह सीई कितनी ठंड हवा चल रही है ना
रात के सन्नाटे मे दूर सिवान से कही सियारों की हुकार आ रही थी और गली के आवारा कुत्ते की भोभो भी ।
रात के करीब 11 बजने को हो रहे थे और सब तरफ अन्धेरा फैला हुआ था ।
चूकि राहुल का घर एक मंजिला थी तो गली मे लगे खम्भो की स्ट्रीट लाईट की रोशनी से छत पर इतना उजाला तो जरुर था कि करीब से एक दूसरे को स्पष्ट देख पा रहे थे दोनो ।
अनुज जो कि सिर्फ लोवर मे था ठंडी हवा उसके जिस्म के रोये रोए को सिहरा चुकी थी - हिहिही चाची सच मे ठंडी यहा हवा
शालिनी - हा तुने तो कुछ पहना भी नही
अनुज - निचे थोड़ा गर्म लग रहा था तो निकाल दिया
शालिनी अनुज की बात पर होठ दबा कर मुस्कुराई क्योकि वो समझ रही थी कि निचे कमरे की गर्मी बढ़ने का कारण क्या था ।
शालिनी इसपे कोई जवाब नही दिया और बस टहलते हुए वो दोनो छत के पीछे की ओर बढ़ गये जहा साफ सिवान नजर आ रहा था
यहा जीने की दिवाल की वजह से स्ट्रीट लाईट की रोशनी छिप गयी थी ।
चारदिवारी पर आगे झुक कर शालिनी भीतर चल रहे कौतूहल को सवाल का रूप देते हुए बोली -
तो बता नीद क्यू नही आ रही थी तुझे
अनुज सकपकाया कि अचानक से ये कैसा सवाल दागा उसकी चाची ने
शालिनी - क्या हुआ बोल ना , य्हा अच्छा नही लगा क्या ? या फिर तेरा मूवी देखने का प्रोग्राम मैने बिगाड़ दिया हिहिहिही
अनुज के जान मे जान आई और वो हस कर - हा चाची ऐसा ही कुछ, कल मेरी बहने चली जायेगी और हमने सोचा था कि हम लोग आज की रात तो साथ रहेंगे
शालिनी - ओह्ह सॉरी बच्चा , अब ये तेरा चाचा और मौसा देखा ना इन्ही लोगो की वजह से
अनुज - अरे कोई बात नही चाची , अब क्या ही कर सकते है मौसा जी तो टूल्ल होकर सो ही गये हिहिहिही और चाचा तो ..
अनुज अपनी बात अधुरी छोड कर रुक गया और भीतर उठती हसी को गटक गया ।
शालिनी समझ गयी और वो थोडा बात घुमाती हुई - हा वो तेरे चाचा का ऐसा ही है, जब पी लेते है तो उन्हे सुध नही रहती है कि कौन है कहा है , वो तो बस
अनुज - हम्म्म्म
शालिनी ने देखा कि अनुज ने कोई खास प्रतिक्रिया नही दी तो वो ज्यादा सफाई देती हुई - तू तो जाग ही रहा था ना , तुने तो देखा ही होगा कि मैने कितना मना किया उन्हे फिर भी
अनुज - मैने ? मैने कहा देखा कुछ
शालिनी की हसी उसके गालो मे समा गयी - हा मतलब तुने सुना तो था ना
अनुज के गाल भी अब मुस्कुराहट से भरने लगे थे - हा , उपर से बेड भी तो हिल रहा था !! हिहिहिही
शालिनी हस कर उसके गाल पकड कर खिंचती हुई - बदमाश कही का , सच मे तुने जरा भी घूम कर नही देखा
अनुज हस कर - सोचा कयी बार मगर मेरी हिम्म्त नही हुई ,
शालिनी - अच्छा वो क्यू ?
अनुज - आप लोगो का काम बिगड़ जाता ना और चाचू के वजह से तो डर ज्यादा लग रहा था ।
शालिनी उसके करीब हुई - अच्छा किया , नही तो तेरे चाचा बेचारे नजरे चुराते फिरते तेरी तरह
अनुज अचरज से - मेरी तरह ?
शालिनी हस कर - क्यू उस रात जब तु अन्जाने मे कमरे मे आ गया था और मै हिहिहिही
अनुज समझ गया कि चाची अच्छे मूड मे है तो वो भी हस कर - हा याद आया , आप उलटे होकर सोये थे और आपका वो हिहिहिही
शालिनी हस कर - धत्त बदमाश कही का , वो मुझे गर्मी ज्यादा होती है ना , देख इसीलिए यहा ब्लाउज पेतिकोट मे सोई थी और आज तु था नही तो मै ....?
अनुज शालिनी के वाक्य पूरा करने के इन्तेजार मे उसकी ओर जिज्ञासा से देख रहा था और उसकी जिज्ञासा उसके लन्ड को उठाए जा रही थी ।
शालिनी ने पाया कि अनुज अभी भी चुप होकर उस्की ओर देख रहा है तो वो समझ गयी कि वो बात पूरी होने के इन्तजार मे है
शालिनी हस कर - मतलब मै ये ब्लाउज भी उतार कर सोती हु , पूरी नंगी नही हिहिहिही
अनुज मुस्कुरा कर - ओह्ह मै समझा
शालिनी - मै समझ रही हु तु क्या सोच रहा था
अनुज हस कर - अरे नही वो मै हिहिहिही
शालिनी - क्या नही नही , तु जैसा दिखता है वैसा है नही शैतान कही का
अनुज हसकर - सच मे आप गलत समझ रहे हो
शालिनी - क्यूँ तु ये नही सोच रहा था कि तुने भला क्या गुनाह किया होगा जो मैने तेरे सामने ब्लाउज नही खोला
अनुज चौका कि ये क्या बोल गयी चाची और वो बात सम्भालता उस्से पहले ही शालिनी ने अपने ब्लाउज के हुक खोलते हुए - वो तो मुझे पता था कि तेरे चाचा आयेंगे कमरे इसीलिए मै हिहिही
अनुज सकपका कर - अरे चाची ऐसे खुले मे
शालिनी हस कर - अरे यहा अन्धेरा है हिहिही उफ्फ्फ अब सुकून मिला
अनुज चोर नजरो से अन्धेरे मे ही शालिनी के सीने पर उभरी हुई 36D की गोलाई लिये हुए नायाब चुचो की चमक निहार रहा था ।
शालिनी ने अनुज की आन्खे देखी और मुस्कुराने लगी ।
अनुज ने एक नजर उपर शालिनी को देखा और फिर मुस्कुरा कर नजरे फेरता हुआ हस दिया - फिर तो चाचू आपको रोज ही परेशान करते होगे हिहिहिही
शालिनी - क्या कहा ?
अनुज - वही जो सुना आपने , मतलब आप ऐसे सोती हो रोज तो चाचू हिहिही
शालिनी शर्मा कर - हम्म्म उनको तो दोपहर मे भी चैन नही , बच्चे ना रहे तो दिन मे ही वो , हिहिहिही
अनुज का लन्ड पुरा बौखलाया हुआ था और वो निचे से उसको भीच रहा था ।
शालिनी की नजर उसपे बराबर थी और वो बोली - तंग हो रहा है क्या वहा
अनुज - हा
अगले ही पल अनुज चौक कर - नही वो बस उम्म्ं
शालिनी हस कर - अरे उसे थोड़ा खोल दे , हवा लगने दे कैसे रहता है तु
अनुज थोडा लजाता हुआ हस कर - चाची मै भी मेरे कमरे मे अकेले बिना कपड़ों के ही सोता हु , मगर यहा आपकी वजह से मैंने
शालिनी - अरे मेरे से क्या शर्माना निकाल दे
अनुज चौक कर - क्या , नही आराम है अभी
शालिनी आगे बढ़ कर उसकी कमर से लोवर की लास्टीक फैलाती हुई निचे करने लगी - उम्म्ंम
कितना टाइट है ये
अनुज खिलखिलाता हुआ झुक कर शालिनी के हाथ पकड कर उसे रोकने लगा , मगर शालिनी भी जिद पर अड़ी रही, इस दौरान अनुज की निगाहे झुकी हुई शालिनी के झूलते आमो पर गयी
जिसे देख कर वो एक पल को थम गया और मौका पाकर शालिनी लोवर घुटनो तक ले आई
अनुज अब सिर्फ़ अंडरवियर मे था और उसने लोवर पुरा निकाल कर हाथ मे ले लिया और जीने की टहलने के बढ़ा
जिससे स्ट्रीट लाईट की रोशनी मे उस्का त्म्बू बना हुआ अंडरवियर शालिनी को दिखा , उस्का जी मचल उठा ।
शालिनी लगातार हिन्ट दिये जा रही थी मगर अनुज की हिम्मत नही पा रही थी ।
शालिनी बड़बडाई- इससे अच्छा तो इसका बड़ा भाई है, वो होता तो अब तक मुझे रगड़ चुका होता ,
शालिनी ने एक गहरी सास ली - चल निचे चलते है
ये बोलकर शालिनी झट से जीने से होकर सीढियो की ओर बढ़ गयी और अनुज दरवाजा लगा कर वापस निचे आने लगा
जीने से उतरते हुए शालिनी मूड मूड कर पीछे निहार रही थी , घर के भीतर बल्ब की चटक रोशनी मे उसका उजला जिस्म और भी कामुक लग रहा था
चाची की नन्गी पीठ पर लहराते बाल और कुल्हे की मादक थिरकन अनुज को और कामोत्तेजित कर रही थी ।
शालिनी मुस्कुराई - तु चल मै जरा आती हूं
ये बोलकर शालिनी ईठलाती हुई अपने कमरे की ओर बढ गयी जहा जंगी सोया हुआ था और अनुज का मुसल ये सोच कर फड़फड़ाने लगा कि चाची कही फिर से चुदने नही जा रही है
अनुज खुद को कोसता गालियाँ बकता , कि बहिनचोद जरा ही हिम्मत कर लेता तो अभी ये मेरे निचे होती और वो अंडरवियर के उपर से अपना सुपाडा मुठीयाता शालिनी को उसके कमरे मे जाता देखने लगा
और राहुल के कमरे मे चला गया ,
बिस्तर की ओर बढते हुए उसके पैर उसे भीतर से कचोट रहे थे , सहसा उसकी नजर बिस्तर के बगल मे फर्श पर गिरी वीर्य की बून्दो पर जहा शालिनी और जन्गी की चुदाई हुई थी ।
मगर भीतर की कामोत्तेजना ने एक बार फिर उसमे साहस का सागर उमड़ा दिया
उसने एक गहरी सास ली और खुद को आत्म विश्वास से भरा कि इस बार जो होगा देखा जायेगा , वो कमरे मे घुसते ही चाची को दबोच लेगा और लण्ड को सीधा उनकी गाड़ मे धंसाते हुए उनकी मोटी मोटी पपीते जैसी चुचियो को जोर जोर से मिज मिज कर मसल देगा और चाची इतनी मदहोश हो जायेगी कि बिना लन्ड के उन्हे चैन नही आयेगा
अपनी कल्पना से खुद मे जोश ने फुग्गे फुलात हुआ अनुज ने अपना मुसल अंडर वियर से बाहर निकाल कर रगड़ता हुआ कमरे से बाहर आया और दबे पाव शालिनी के कमरे के बाहर दरवाजे से ही झांकने लगा
कमरे मे उसका चाचा बेफिकर सोया हुआ था
मगर शालिनी कही नजर नही आ रही थी , वो अपना लन्ड की चमड़ी आगे पीछे करता हुआ कमरे के देख रहा था कि तभी जीने के निचे बने बाथरूम से शालिनी निकाली और उसकी नजर अनुज पर गयी जो कमरे मे ताक झाक करता हुआ तेजी से अपना लन्ड हिला रहा था ।
शालिनी मुस्कुराई और वो धीरे से अनुज के करीब गयी और उसके फुसफुसा कर कान मे बोली - मै इधर हु
अनुज चौक कर घूम कर पीछे देखा तो शालिनी उसके सामने बिना ब्लाउज के सिर्फ पेटीकोट मे खडी थी और एक कातिल मुस्कुराहट उसके चेहरे पर बिखरी हुई थी ।
उसके चुचे पूरे कडक थे ।
अनुज की एक बार फिर से फ़ट गयी और वो सकपकाता , हड़बडाता जल्दी जल्दी लन्ड अंडरबियर मे डालता हुआ - नही वो तो मै बा बा बाथरूम खोज रहा था
शालिनी हस कर - चल झूठा बाथरूम मे तो मै गयी थी
अनुज चौक कर - क्या ! मगर आप तो कमरे मे गये थे तो
शालिनी ने एक नजर कमरे मे बेड पर जन्गी को कुनमुनाते हुए करवट बदलते हुए देखा तो उसने अपनी एक उंगली सीधा अनुज के मुह पर रख कर उसे चुप रहने का इशारा किया और मुस्कुराने लगी
अनुज का लन्ड फड़फ्ड़ा रहा था और उसकी सासे गहरा रही थी
शालिनी ने हाथ आगे बढ़ा कर अंडरवियर के उपर से ही उसका लन्ड हथेली मे भरने लगी
चाची से स्पर्श से अनुज का शरीर कापने लगा , सासे उखड़ने लगी , आंखे उलटने लगी और जिस अकड़ने लगा
शालिनी ने मदहोशि से उसका लन्ड मसलते हुए उसके होठों से उंगली हटायी और अंडरवियर की लास्टीक मे उंगली फसाती हुई उसको खिंचती हुई राहुल के कमरे की ओर बढ़ गयी
अनुज भी लड़खड़ाता हुआ अपनी चाची के पीछे हो लिया और कमरे मे आते ही शालिनी ने उसके बेड पर धक्का देकर लिटा दिया
अनुज सम्भलता हुआ पैर लटका कर बेड पर लेट गया और शालिनी कमरे का दरवाजा हाथ से धकेल कर भिड़का दिया
अनुज थुक गटक कर गर्दन उठा कर अपने आगे शालिनी चाची को बड़ी ही कामुक अदा से बढ़ता हुआ देख रहा था
शालीनी उसके करीब बैठ कर उसके लन्ड को अंडरवियर के उपर से सहलाती हुई - कबसे परेशान है , एक बार कह नही पा रहा था अपनी चाची से
अनुज उखड़ती सासो के साथ - अह्ह्ह सीईई चाची वो मै उह्ह्ह उमम्मं
शालिनी - क्या मै मै उम्म्ंम देख क्या हालत कर दी है इसकी उफ्फ्फ
शालिनी ने लास्टीक उठा कर उसका लन्ड बाहर निकालते हुए बोली , सुर्ख लाल हुआ सुपाडा और नसे उसके मोटे लन्ड पर चढ़ी हुई फुल गयी थी
शालिनी अपनी मुलायम हथेली से अनुज के लन्ड को सराहा और अनुज के शरीर मे कपकपी सी हो लगी - अह्ह्ह चाचीईईई उह्ह्ह उम्म्ंम
शालिनी हस कर - धत्त बदमाश कितना शोर कर रहा है , मैने तो अभी छुआ भी नही
अनुज के चेहरे पर हसी के भाव आये मगर कामुकता और छटपटाहट अभी उसपे हावी थे - उह्ह्ह्हऊऊऊ हिहिहिही सीईई अह्ह्ह आराम्म्ंं से उम्म्ंम्म्ं
शालिनी ने अपनी नुकेले नाखूनो की खरोच अनुज के आड़ो पर लगाई , जैसा उसे पसंद होता था ।
अनुज अपनी गाड़ सख्त कर अकड़ गया मानो शालिनी ने उसकी आड़ो को चीर ही डाला हो - उह्ह्ह चाची फ़ाड ही डालोगी क्या
शालिनी मुस्कुराई और उसके आगे घुटनो के बल फर्श पर आ गयी और उसका लन्ड पकड कर सीधा खडा करती हुई उसके आड़ो से लेकर सुपाड़े की टिप तक निचे से जीभ फिराया और अनुज का जिस्म उस गीले स्पर्श से गिनगिना उठा ।
अगले ही पल मानो अनुज की रुह ही निकल जाये ऐसा कुछ हुआ , शालिनी ने अपनी शरारती जीभ उसके सुर्ख लाल हुए सुपाड़े पर फिराते हुए उसके सुपाड़े पर अपने फूल से मुलायम होठ सरकाती हुई उसको मुह मे भर लिया और जीभ की टिप को सीधा उसके पी-होल पॉइंट पर फ्लिक कराने लगी
अनुज हाथ पटकता , कुल्हे उचकाता और मुह भींच कर गर्दन झटकता हुआ - ओह्ह्ह चाचीईई उह्ह्ह रुक जाओ रुक जाओ प्लिज्ज उह्ह्ह्ह ऊहह मम्मीईई मुझ्से बर्दाश्त नही हो रहा है
शालिनी ने मुह से उसका सुपाडा निकाला और लन्ड की चमडी आगे पीछे करने लगी
अनुज - आह्ह चाची प्लीज कुछ लगाओ ना सुखा सुखा ऐसे लग रहा है वहा कि मानो छिला जायेग वो
शालिनी मुस्कुरा कर - क्या ?
अनुज मुस्कुरा कर अपने तने हुए लन्ड के फूले हुए लाल सुपाड़े की ओर इशारा करके - वो
शालिनी मुस्कुरा कर - अच्छा रुक ,
शालीनी ने मुह लार बटोरी और ढेर सारा लार उसके टोपे पर मुह से उगलते हुए उंगलियो से फिराते हुए उसको गिला करने लगी
अपने चाची की ये हरकत से अनुज का पागलपन दुगना हो गया , मगर चाची की थुक ने उसे बहुत ठंडक पहुचाई थी और शालिनी अच्छे से हाथो से उसका लन्ड अपने ही लार से लिपने लगी और उसका लन्ड चमकने लगा
अगले ही पल वापस शालिनी ने मुह खोल कर लन्ड को मुह मे भर लिया और चुसने लगी , चंद पलो की राहत और एक बार फिर अनुज की छ्टपटाना शुरु हो गया
अनुज - उह्ह्ह चाचीईई अह्ह् कितना मस्त चूस्ते हो आप आह्ह इसीलिए तो चाचू आपके लिए पागल है ओह्ह्ह म्म्मीई उह्ह्ह अह्ह्ह
शालिनी मजे से अनुज के लन्ड को सुरक रही थी और अनुज के नसो मे मच रही पंपिंग उसे हवा मे उठा रही थी ।
कुछ ही पल मे उसका लन्ड पूरा तनमना गया और एकदम तना के जैसे सख्त उपर की ओर मुह उठा खड़ा था
शालिनी खडी हुई और अपनी कमर से पेतिकोट की डोरी खोलती हुई उसे निचे सरका दिया
अनुज ने गरदन उच्का कर सामने देखा तो शालिनी पूरी नंगी
खडी थी , हल्की झुरमुट वाली काले तिनको से ढंकी हुई लम्बी फाकेदार बुर की लसलसाहट दूर से ही अनुज को नजर आ रही थी जिसे देख कर उसकी कमोतेजना और भी भडक रही थी
अगले ही पल शालिनी इठलाती हुई आगे बढी और अनुज के दोनो तरफ पैर रख कर लन्ड के सीध मे खडी होकर अपनी बुर की फाके फैलाते हुए उससे रगड़ने लगी
बज्बजाई चुत के ठंडे छींटे एक्का दुक्का अनुज के जिस्म पर भी गिरे और शालिनी एड़ियो के बल होकर अनुज का मुसल पकडती हुई उसे अपने बुर के फाको पर घिसने लगी
अनुज - अह्ह्ह चाची लेलो ना उह्ह्ह्ह उम्म्ं
शालिनी मुस्कुराई और लन्ड को पकड़ कर अपनी बुर के फाके खोलते हुए भीतर डाल दिया और घुटने के बल बैठती हुई आधे से ज्यादा लन्ड बुर मे भर लिया
अनुज - उह्ह्ह चाचीईई आपकी बुर बहुत गर्म है अह्ह्ह सीईई
शालिनी आगे झुक कर बड़ी मादकता से उसके फड़फडाते चेहरे को थामती हुई अपनी गाड मथती हुई उसके लन्ड को बुर मे रेंगाते हुए - अह्ह्ह अनुज बेटा ऊहह तेरा लन्ड भी बहुत गर्म है रे अह्ह्ह सीईई ऊहह
शालिनी का अनुज पर पूरी तरह से कन्ट्रोल था और वो अपनी गाड़ हिलती हुई बुर मे उसके लन्ड को तोड मरोड रही थी
अनुज - ऊहह चाची मै पागल हो जाउन्गा बहुत मजा आ रहा है उम्म्ंम्ंं ओह्ह्ह मुम्मीईई अह्ह्ह अह्ह्ह और तेज
शालिनी उसके गाल से लेकर बालों को सहलाती हुई तेजी से अपनी गाड़ हिलाती हुई - अह्ह्ह बेटा बस ऐसे ही उह्ह्हओह्ह्ह अह्ह्ह कितना गर्म लन्ड है रे तेरा उह्ह्ह , लग रहा है पहली बार कर रहा है क्यू
अनुज सिस्किया लेता हुआ - अह्ह्ह चाची आप पहली बार ही तो देह्ह रहीई हो उह्ह्ह फ्क्क्क एस्स मुझे आप बहुत पसंद हो उह्ह्ह जबसे आपकी गाड़ देखी है पागल हो गया था , कितनी सेक्सी हो आप मेरी चाची
अनुज अपने हाथ बढा कर शालिनी की गाड़ और कमर सहलाने लगा - ओह्ह चाची उह्ह्ह क्या मस्त मुलायम बुर है ओह्ह्ह येस्स्स चाची उह्ह्ह उह्ह्ह येह लोह ऊहह और लोह्ह्ह मेरी रसिली चाची उह्ह्ह
शालिनी कसमसाने लगी क्योकि अनुज उसकी कमर को पकड कर खुद भी निचे से गाड़ उठा कर पेलने लगा - ओह्ह चाची उह्ह्ह फ्क्क्क युउउऊ माय सेक्सी चाची उह्ह्ह फ्क्क्क फ्क्क उह
शालिनी - उम्म्ं बेटा चोद ले मुझे उह्ह्ह और भर भर के पेल ले मुझे लेह्ह दुधू लेले मेरे लाल और चोद अपनी चाची को उह्ह्ह कितना कड़ा है ,हाय राम्म्ं उह्ह्ह इतना कड़ा और कसा लन्ड मैने कभी नही लिया उह्ह्ह और कस के डाल बाबुउउऊ उह्ह्ह उह्ह्ज हा
अनुज - आह्ह चाची आपको देख कर ही ये तन गया है उह्ह्ह उह्ह्ह ऊहह
शालिनी के वजन और कमर की नसो की पूरी जान झोकने के बाद अनुज का शरीर हल्का पडने लगा और धक्के धीमे होने लगे , उस्की सासे फ़ूलने लगी
अनुज की ख्स्ता हालत देख शालिनी ने एक बार फिर कमान संभाली और सीधे होकर अपनी लचकदार कमर का हुनर दिखाने लगी
एक बार फिर कामुक तेज सिसकियाँ उठने लगी और शालिनी अनुज के लन्ड पर हुमचते हुए जोर जोर से लन्ड को मथने लगी
अनुज की हालत खराब होने लगी - ऊहह चाचीईई उह्ह्ह फ्क्कक्क कमाल हो आप ऊहह येस्स्स फ्क्क्क य्म्म्ंं आह्ह आह्ह चाचीईई उह्ह्ह और और
शालिनी मुह भींचे हुए पूरी कमर की ताकत झोंकती हुई कस कस के लन्ड की बुर मे दरने लगी
अनुज - अह्ह्ह चाचीई उह्ह्ह आ रहा है अह्ह्ह आह्ह
अनुज का सुपाडा फ़ूलने लगा और शालिनी झटके से लन्ड से उठ कर पीछे हुई ।
वही अनुज जोर से लन्ड भींचता हुआ हिलाने लगा और तेज गाढी पिचकारी शालिनी की छातियों और पेट पर गिरने लगी
और अनुज हाफता हुआ वापस फैल कर लेट गया
वही शालिनी अपने जिस्म पर फैले रायते को उंगलियों से बटोरती हुई उसके नमकीन स्वाद के चटकारे लेने लगी ।
अमन के घर
"उफ्फ़ हाउ रोमैंटिक यार हिहिहिही "
" तु चुप रहेगी , नही तो मै काल कट कर दूँगी " , सोनल ने थोडा ह्सते हुए गुलाबी गालो के साथ निशा को डाटा
अमन मुस्कुरा कर उसे अपने करीब करता हुआ - उम्म्ं ध्यान मत दो ,
सोनल अमन के उपर चढ़ी हुई उसके गाल सहलाती हुई उसके होठ चुसने लगती है और अमन के हाथ सोनल की चिकनी नंगी कमर को सहला रहे होते है ।
वही वीडियो काल पर निशा की हालत खराब होने लगती है , उसकी मस्ती अब धीरे धीरे उसी को ही अपने घेरे मे ले रही थी , बदन मे एक सनसनाहट सी उठने लगी थी उसके , एडिया रगड़ती हुइ वो सामने मोबाईल मे अमन के कमरे का कामुक मौहौल देख रही थी
सोनल की कमर अब बड़ी ही मादक तरीके से अमन के पैंट मे बने हुए उभार पर घिस रही थी और वो आगे की ओर झुकी हुई उसे चूमती हुई उसके शरत खोलने लगी और गले से चूमते हुए उसके नंगे जिस्म पर अपने हाथ फिराते हुए उसकी कसे हुए सीने पर चुम्मियां करती हुई उसके ओर आंख उठा कर देखती है
अमन बौखलाया गहराती सास लेता हुआ उसकी नशीली आंखो मे देखता है और सोनल भी उसे निहारती हुई अमन के तने हुए निप्स पर जीभ फिराती हुई होठों से घेरती हुई एक गहरा चुम्बन करती है
" उम्म्ंम्ं ", निशा अपनी एडिया रगड़ती हुई अपने कड़े होते निप्प्ल को टीशर्ट के उपर से मसलती है ।
निशा की मादक सिसकी सुन कर सोनल अमन के सीने पर जीभ घुमाती हुई नजरे तिरछी कर निशा की ओर मुस्कुरा कर देखती है तो निशा भी मुस्कुराते लजाते कसमसाते हुए अपने जोबन हाथ मे लेके मरोड देती है
वही अमन तो आंखे मूँदे अपने कुल्हे आसमा मे उठाता हुआ नशे मे झूम रहा था
उसके तंदुरुस्त मुसल की रगड़ लहगे के उपर से सोनल को अपने चुतडो पर मह्सूस हो रही थी
वो नजरे उपर कर अमन के बालों मे हाथ फेरती हुई वापस से उसके गुलाबी लबों को अमन के होठों से चिप्का लिये और उसके होठ खिंचने लगी
सोनल की मदहोशि और जोश से अमन के शरीर मे खलबली सी होने लगी , उसकी कलाइया एक बार फिर सोनल की पीठ पर कसने लगी और वो भी सोनल के होठ चुसने लगा
उसने अपने फैले हुए पैर फ़ोल्ड कर घुटने को उचका कर सोनल की गाड़ पर धक्का देके उसको अपने और करीब किया
उसके सरकते हाथ सोनल के कूल्हो को मसलते हुए उसकी लहगे को उपर खिंच कर उसमे हाथ घुसा कर उसकी मुलायम जांघो को स्पर्श कर रहे थे
अमन के पंजो की रगड़ अपने जांघो पर पाकर सोनल का जिस्म अकड़ने लगा वो अपने गुदाज चुचे उसके सीने पर घिसते हुए अपने निप्प्ल मे मच रही खुजली को शान्त करने लगी
मादक सिसकियाँ और चुम्मियो की आवाज से निशा की हालत और खराब होने लगी उसकी मस्ती अब उसपे ही भारी पडने लगी थी ।
वो टीशर्ट मे हाथ घुसा कर अपने जोबनो को मलती हुई उनकी सिहरन को दूर कर रही थी ।
वही अमन के हाथ सोनल की पीठ से उसकी ब्लाउज के हुक खोल रहे थे और सोनल के जिस्म मे गनगनाहट बढ रही थी , अमन के हाथ उसके नंगे कन्धो को छूते हुए उसकी बाहें खोल रहे थे
हर बीतता पल सोनल की आबरू बेर्दा हो रही थी और वो उसकी कसी हुई 34C वाली गुदाज मोटी चुचियां ब्रा मे अपने दाने उभारे हुए साफ साफ झलकने लगी ।
अमन अपने मुह पास झूलते उस नायाब आमों को निहार रहा था जिन्हे बस उसने फोन पर देखा करता और उसके चुचो से एक मादक सी गन्ध उठ रही थी और अमन की बेताबी और बढ रही थी ।
थुक गटक ललचाई आंखे फैला कर वो मरून ब्लाउज मे कसे हुए सोनल के बडे पपीते जैसे चुचो को झुल्ता हुए पाकर उसने एकदम से दोनो हाथ बढा कर दोनो तरफ से ब्रा के उपर से उसकी चुचिया दबोच ली और गरदन उठा उसके नरम नरम छातियों मे अपना मुह दे दिया
सोनल - उह्ह्ह अह्ह्ह अमन माय बेबी उह्ह्ह सीईई उफ्फ्फ हिहिहिही आराम से बाबू उह्ह्ह अह्ह्ह
सोनल की मादक सिसकिया और उसके चुचो के लिए अमन की भूख को देख कर निशा अपने चुचे पकड कर मरोडने लगी और सिसकिया लेने लगी ।
अमन मुह खोलकर ब्रा के बाहर निकले हिस्सो को चुस्ता हुआ उसक दूध गारने लगा और सोनल उसके सर को अपने सीने से रगड़ने लगी - उह्ह्ह सीई अह्ह्ह बेबी उम्म्ंम उह्ह्ह आऊचछच उह्ंम धत्त काटों मत बदमाश कही के हिहिहिही
ये बोलकर सोनल झट से उठ गयी और अपनी चुचिया मसलती हुई अपनी मादक कमर की हिला रही थी , अमन के लह्गे को खिंचने की वजह से अब अमन का त्ना हुआ मुसल सीधे सोनल को अपनी जांघो मे मह्सुस हो रहा था और अमन अपने गीले होठ पोछता हुआ अपनी गाड़ बड़ी मादकता से हौले से उठाने लगा
सोनल उसके मुसल पर कसम्साती , अपनी जांघो को दरेरती घिसती - उम्म्ंम जानू उह्ह्ह
अमन - अह आओ ना बाबू प्लीज ऊहह
सोनल मुस्कुरा कर - क्या चाहिये मेरे बाबू को उम्म्ंम
अमन भीतर उठ रहे उतेजना के तुफान ने उसके चेहरे पर गिडगिडाहट के भाव ला दिये थे - आह्ह बेबी वो दो ना उह्ह्ह प्लीज
सोनल शरारत भरी अदा से अपने मुलायम नरम चुचो की पहाडियों पर उंगलिया फिराती हुई -क्या येहहह
अमन हा से हिलाता हुआ - हमम्म प्लीज
सोनल शरारती मुस्कुराहट के साथ ना नुकुर करती है तो अमन एक बार फिर अपने घुटने से ठेल कर उसको अपने उपर करता है सोनल इस बार लपक कर उसके दोनो पकड कर उपर कर देती है
अमन महज कुछ इंच भर दुर झुलते आमो को दबोचने के लिए गरदन उचकाता है तो सोनल अपनी पीठ पीछे कर दूर कर लेती है तो अमन जीभ निकाल कर ब्रा के उपर से उसमे उबरे हुए निप्प्प्ल के दाने को छूने की कोसिस मे तडप कर रह जाता है
सोनल मुस्कुरा कर हाथ पीछे ले जाकर ब्रा के हुक खोलती हुई - दुधू चाहिये मेरे बेबी को उम्म्ं
अमन थुक गटक कर आने वाले पल के लिए कामोत्तेजित होकर हा मे सर हिलाता है
सोनल एक हाथ से उसके दोनो हाथ उपर पकड़े हुए दुसरे हाथ से अपनी ब्रा के हुक चटकाती है और तीनो हुक खुलते ही ब्रा मे कैद चुचिया और झूल जाती है मगर वो अब भी अमन की पहुच से दूर थी
सोनल - दुधू पिएगा मेरा सोना उम्म्ं बोलो बाबू
अमन भरी उत्तेजना और सोनल के भूरे सेक्सी चुचो के निप्प्ल चुसने की चाह मे तडप कर - आह्ह हा बाबू दो ना ऊहह प्लीज
सोनल मुस्कुराई और निचे से ब्रा को पकड कर उठाती हुई चुचो को आजाद करती हुई अमन के हाथ छोड देती है - रेडी स्टेडि उम्म्ंम
अगले ही पल सोनल ने अपनी ब्रा उतार दी और उसकी गुलाबी निप्प्ल वाली गोरी 34c वाली चुचिया उसके आगे झूल गयी
अमन की लार छोडती जुबां मुह से निकली तो मगर जैसे ही उसकी नजर सोनल के गुलाबी निप्प्ल पर गयी वो शौक्ड हो गया कि ये कैसे हुआ और उसकी जीभ वापस मुह मे आ गयी
सोनल को भी अचरज हुआ कि क्या हुआ तो उसने इशारे से पूछा- क्या हुआ
अमन अचरज से हाथ आगे बढ़ा कर उसके गुदाज चुचे हाथ मे भरता हुआ अपना अंगूठा उसके दाये गुलाबी निप्प्ल पर घुमाता हुआ - तुम्हारे निप्स तो ब्राउन थे ना
सोनल मचल कर - अह्ह्ह नाआआ हीई तोह्ह्ह
अमन - फिर तुमने जो फोटो भेजा था वो
तभी फोन से आ रही थी खिलखिलाहट से दोनो का ध्यान निशा की ओर गया
" हिहिहिही जीजू जो आप खोज रहे हो वो इधर है "
अमन और सोनल शौक्ड थे क्योकि वीडियो काल पर
निशा अपनी टीशर्ट निकाल कर अपने ब्राऊन निप्प्ल वाली गुदाज मोटे पपीते जैसी चुचिया मसलती हुई दिखा रही थी और खिलखिला रही थी ।
जारि रहेगी